बिहार दिवस के दूसरे दिन गजल गायक तलत अजीज और लोक गायिका मैथिली की आवाज पर झूमे पटनावासी
डेस्क : बिहार दिवस के दूसरे दिन शाम में श्रोताओं ने संगीत का आनंद लिया। एक ओर जहां मशहूर गजल गायक तलत अजीज ने गुरुवार की शाम बिहार दिवस को खास बना दिया। वहीं दूसरी ओर बिहार की जानी-मानी लोक गायिका मैथिली ठाकुर ने गांधी मैदान में समा बांध दिया।
गजल गायक तलत अजीज ने पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में हुए कार्यक्रम में अपनी गायकी से पटना वालों को मदहोश कर दिया। जिन्हें लोग टीवी या मोबाइल पर सुनते थे, उन्हें सामने गाते देख लोग मंत्रमुग्ध हो गए। रात तक महफिल चलती रही। श्रोताओं की फरमाइश आती रही और तलत अजीज उसे पूरा करते रहे। उन्होंने किसी को निराश नहीं किया। उनके मंच पर आते ही लोगों ने तालियों से स्वागत किया। श्रोताओं के इस उत्साह का आभार जताते हुए उन्होंने एक-एक कर अपनी मशहूर और सदाबहार गीतों की प्रस्तुति देनी शुरू की।
तलत अजीज ने कैसे सुकून पाऊं तुझे देखने के बाद, अब क्या गजल सुनाऊं तुझे देखने के बाद...पर श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल तालियों से गूंज उठा। फिल्म बाजार का गीत- फिर छिड़ी रात-बात फूलों की, रात है या बारात फूलों की...गीत ने सबको मदहोश कर दिया। इसके अलावा रंजिशे सही दिल ही दुखाने के लिए आ, आ फिर से मुझे छोड़ जाने के लिए आ..., होठों से छू लो तुम, मेरा गीत अमर कर दो..., तुमको देखा तो यह ख्याल आया, जिंदगी धूप तुम घना साया..., यह दौलत भी ले लो, यह शोहरत भी ले लो..., आइना मुझसे मेरी पहली सी सूरत मांगे..., कल चौदहवीं की रात थी, सब घर रहा चर्चा तेरा सुनाकर खूब वाहवाही लूटी।
वहीं शाम छह बजे लोक गायिका मैथिली ठाकुर गांधी मैदान मे मंच पर पहुंचीं तो दर्शकों ने ताली बजाकर उनका स्वागत किया। मुख्य मंच के सामने की सैकड़ों कुर्सियां भर चुकी थीं। भीड़ को देखते हुए गांधी मैदान में 10 बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई गई थी। हर स्क्रीन के आगे जमीन पर बैठकर दर्शकों ने मैथिली ठाकुर को सुना।
लोक गायिका मैथिली ठाकुर की गायिकी की मिठास ने समा बांध दिया। डेढ़ घंटे तक मैथिली ने अपने सुरों से सबको सराबोर कर दिया। आजु मिथिला नगरिया निहाल सखिया...श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में...से मैथिली ठाकुर ने श्रोताओं का उत्साह बढ़ाया।
मैथिली ठाकुर के साथ श्रोता भी गुनगुनाने पर विवश हुए। यह नजारा देख मैथिली को भी कहना पड़ा कि इतना बड़ा कार्यक्रम कभी नहीं देखा। जय बिहार के नारे से गांधी मैदान गूंजता रहा। श्रोताओं की नब्ज को पहचानते हुए मैथिली ठाकुर ने गीतों से दर्शकों को खूब झुमाया। ना छेड़ो हमें हम सताए हुए हैं, बहुत जख्म सीने पर खाए हुए हैं...दमा दम मस्त कलंदर...ऐसे लहरा के रूबरू आ गई...धड़कनें बेतहाशा धड़कने लगी...तेरे रश्के कमर तूने पहली नजर...से शाम में चार चांद लगा दिया।
Mar 24 2023, 10:21