पाकिस्तान में मंदिरों और गुरुद्वारों को लेकर बड़ा फैसला, जानें क्या है पड़ोसी देश की सरकार का प्लान?

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अब पाकिस्तान में भी हिंदुओं और पंजाबियों के धार्मिक स्थलों को संवारा जाएगा। पाकिस्तान सरकार ने मंदिरों और गुरुद्वारों के जीर्णोद्धार के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है। इस के तहत 1 अरब पाकिस्तानी रुपये से इन धार्मिक स्थलों को सजाया और संवारा जाएगा। यह निर्णय यहां ‘इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड’ की बैठक में शनिवार को इसके प्रमुख सैयद अतउर रहमान की अध्यक्षता में लिया गया।

इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करने वाले सैयद अताउर रहमान ने जानकारी देते हुए बताया कि मास्टर प्लान के तहत मंदिरों और गुरुद्वारों को सजाया जाएगा और विकास कार्य कराए जाएंगे। इस पर 1 अरब पाकिस्तानी रुपया खर्च किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत अल्पसंख्यक समुदायों के पूजा स्थलों का विशेष ध्यान दिया जाएगा। रहमान ने बताया कि इस साल ईटीपीबी को 1 अरब रुपये का राजस्व मिला था। इस बैठक में देशभर से हिंदू और सिख प्रतिनिधि शामिल हुए।

बैठक में मौजूद बोर्ड सचिव फरीद इकबाल ने इस योजना में कुछ बदलावों का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि वर्षों से अनुपयोगी पड़ी ट्रस्ट की संपत्तियों को विकास कार्यों में लगाने से राजस्व में कई गुना वृद्धि होगी। इसके अलावा बोर्ड ने मंदिरों और गुरुद्वारों में चल रहे निर्माण कार्यों की समीक्षा की और परियोजना प्रबंधन इकाई करतारपुर कॉरिडोर के संचालन के लिए एक परियोजना निदेशक की नियुक्ति का भी निर्णय लिया।

इस फैसले के पीछे की मजबूरी

पाकिस्तान में मंदिरों के संरक्षण को लेकर यह फैसला काफी अहम माना जा रहा है। जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान सरकार का यह कदम वास्तव में अल्पसंख्यकों की भलाई से ज्यादा आर्थिक लाभ और वैश्विक छवि सुधारने की रणनीति का हिस्सा है। लंबे समय से पाकिस्तान पर धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के आरोप लगते रहे हैं जिससे उसकी अंतरराष्ट्रीय साख प्रभावित हुई है। ऐसे में मंदिरों और गुरुद्वारों के जीर्णोद्धार की घोषणा कर सरकार निवेश और पर्यटन को बढ़ावा देना चाहती है।

पाकिस्तान-बांग्लादेश के बीच सीधे व्यापार शुरू, 1971 के बाद पहली बार हुआ ऐसा, भारत पर होगा असर?

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शेख हसीना के तख्तापलट के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के रिश्तों में गरमाहट आई है। भारत के दोनों पड़ोसी देशों के बीच सुधरते रिश्ते नया आयाम गढ़ रहे हैं। अब पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सीधा व्यापार शुरू हो चुका है।पाकिस्तान और बांग्लादेश ने 1971 के विभाजन के बाद पहली बार प्रत्यक्ष व्यापारिक संबंधों की बहाली की है। इस ऐतिहासिक कदम के तहत,पाकिस्तान के कासिम बंदरगाह से सरकारी स्वीकृति मिलने के बाद पहला मालवाहक जहाज बांग्लादेश के लिए रवाना हुआ है। 

पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट एक्सप्रेस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के कासिम बंदरगाह से पहली बार सरकार से मंजूरी मिला हुआ माल रवाना किया गया है। बांग्लादेश ने ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ पाकिस्तान के माध्यम से 50,000 टन पाकिस्तानी चावल खरीदने पर सहमति व्यक्त की है। इस समझौते को फरवरी की शुरुआत में अंतिम रूप दिया गया था। चावल की खेप को दो चरणों में पहुंचाया जाएगा, जिसमें 25000 टन की पहली खेप बांग्लादेश के रास्ते में है। दूसरी खेप मार्च की शुरुआत में रवाना होने वाली है।

हसीना के बाद द्विपक्षीय संबंधों में आई नरमी

पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, पिछले वर्ष शेख हसीना को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री पद से अपदस्थ होने के बाद दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय आदान-प्रदान के साथ द्विपक्षीय संबंधों में नरमी आई। अखबार ने कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शांति प्रस्ताव पेश किया, जिस पर पाकिस्तान ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।

यह पहली बार होगा जब सरकारी माल ले जाने वाला पाकिस्तान नेशनल शिपिंग कॉरपोरेशन का जहाज बांग्लादेश के बंदरगाह पर डॉक करेगा। हालांकि, दोनों देशों के बीच पहला सीधा समुद्री संपर्क बीते साल ही हुआ था, जब पाकिस्तानी जहाज माल लेकर बांग्लादेश पहुंचा था, लेकिन वह निजी कंपनी का जहाज था।

क्षेत्रीय राजनीति होगी प्रभावित

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच हालिया घटनाक्रम को आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने और दशकों से निष्क्रिय व्यापार मार्गों को दोबारा सक्रिय करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस नवीनतम व्यापार समझौते से दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध मजबूत होंगे और प्रत्यक्ष नौवहन मार्ग सुगम होंगे। हालांकि, इस घटनाक्रम का क्षेत्रीय राजनीति पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

भारत-बांग्लादेश व्यापार पर असर

बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक परिवर्तन और पाकिस्तान के साथ बढ़ते संबंधों के कारण भारत जरूर प्रभावित होगा। पाकिस्तान के साथ कारोबार बढ़ने की दशा में भारत से बांग्लादेश का व्यापार कमजोर होने की आशंका है। बड़ी मात्रा में खाद्य पदार्थों का आयात बांग्लादेश भारत से करता रहा है, लेकिन अब वह पाकिस्तान के ज्यादा करीब जा रहा है। ऐसे में भारत के नजरिए से क्षेत्रीय व्यापारिक संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। इस कदम का भारत पर कई प्रकार से प्रभाव पड़ेगा।

बांग्लादेश में “करवट” ले रहा आईएसआई

बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार भारत विरोध के सारे पैतरे आजमाने में लगी है। इसमें पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ाना भी शामिल है। इसी साल की शुरुआत में बांग्लादेश की सेना के एक टॉप रैंकिंग जनरल ने पाकिस्तान का दौरान किया था, जहां पाकिस्तानी आर्मी चीफ सैयद आसिफ मुनीर समेत अन्य शीर्ष सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी। इसके ठीक बाद पाकिस्तान की आईएसआई के अधिकारियों ने बांग्लादेश का दौरा किया था।

रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तानी आईएसआई एक बार फिर से बांग्लादेश में 1971 के पहले के रणनीतिक ठिकानों का एक्टिव करना चाहती है। पाकिस्तान का उद्येश्य बांग्लादेश के पड़ोसी भारतीय राज्यों में उग्रवादियों को मदद पहुंचाकर दिल्ली को चोट देना है। मोहम्मद यूनुस को समर्थन देने वाली कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी इसमें पूरा साथ देने के लिए तैयार है।

भारत और पाकिस्तान के बीच फ्लैग मीटिंग, लगभग 75 मिनट हुई चर्चा, इन मुद्दों पर बनी सहमति

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जम्मू-कश्मीर में एलओसी (नियंत्रण रेखा) पर तनाव के बीच भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच शुक्रवार को फ्लैग मीटिंग हुई। यह मीटिंग पुंछ सेक्टर के चाका दा बाग में आयोजित की गई। जिसमें दोनों सेनाओं के ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी शामिल हुए। बैठक 75 मिनट तक चली, जिसमें दोनों पक्षों ने सीमा पर शांति बनाए रखने की बात कही बता दें कि पिछले चार सालों में दोनों देशों के बीच इस तरह की पहली मीटिंग है। आखिरी फ्लैग मीटिंग 2021 में हुई थी।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि ब्रिगेड कमांडर स्तर की ‘फ्लैग मीटिंग’ ‘चक्कन-दा-बाग क्रॉसिंग प्वाइंट’ क्षेत्र में हुई। भारत की तरफ से पुंछ ब्रिगेड के कमांडर और पाकिस्तानी सेना की दो पाक ब्रिगेड के कमांडर फ्लैग मीटिंग में शामिल हुए। जिसमें दोनों पक्षों ने सीमा पर शांति बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि 75 मिनट तक चली बैठक करीब 11 बजे शुरू हुई। सूत्रों ने बताया कि बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और दोनों पक्ष सीमा पर शांति के व्यापक हित में संघर्ष विराम समझौते का सम्मान करने पर सहमत हुए।

पाकिस्तान और भारत के बीच पिछले कई सालों से फ्लैग मीटिंग नहीं हुई है। साल 2021 में आखिरी फ्लैग मीटिंग हुई थी। पाकिस्तान की तरफ से सीमा पर लगातार नापाक हरकतें की जा रही हैं। 11 फरवरी को जम्मू जिले में नियंत्रण रेखा के अखनूर सेक्टर में एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) विस्फोट में एक कैप्टन समेत दो जवान शहीद हो गए थे।

LoC पर आज भारत-पाक का “आमना-सामना”, 2021 के बाद पहली बार फ्लैग मीटिंग

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भारत के उसके पड़ोसी देश पाकिस्तान के संबंध किसी से छुपे नहीं है। जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच के रिश्ते हमेशा से तल्ख रहे हैं। उसपर पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे आतंकी “प्रहार” ने हमेशा आग में घी डालने का काम किया है। हालांकि, कई बार तनाव को कम करने की कोशिश हुई है। इसी बीच जम्मू-कश्मीर में एलओसी (नियंत्रण रेखा) पर तनाव के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच पुंछ सेक्टर में फ्लैग मीटिंग होने जा रही है। पिछले चार सालों में दोनों देशों के बीच इस तरह की पहली मीटिंग होगी। आखिरी बार 2021 में फ्लैग मीटिंग हुई थी।

दोनों सेनाओं के बीच यह बैठक पुंछ/रावलकोट मीटिंग प्वाइंट पर होगी। इस बैठक में भारतीय सेना की तरफ से एलओसी पर पाकिस्तान की तरफ से की गई सीजफायर उल्लंघन रहेगा। नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने को लेकर यह बैठक हो रही है।

दरअसल, जब दोनों पक्षों के बीच बॉर्डर पर तनाव बढ़ जाता है तो फ्लैग मीटिंग आयोजित की जाती है। तनाव बढ़ने की स्थिति को यह एक तरह से माहौल को शांत करने का उपाय है। इस मीटिंग में दोनों देशों के सैनिक हाथ में अपने देश का झंडा लिए हुए बॉर्डर पर मिलते हैं।

नियंत्रण रेखा पर तनाव बढ़ाने की साजिश पाकिस्तान लगातार कर रहा है। जम्मू और कश्मीर में पिछले कई हफ्तों से एलओसी पर तनाव बना हुआ है। हाल के दिनों में उसने एलओसी पर जबरदस्त तरीके से सीजफायर का उल्लंघन किया है। सेना ने 4 फरवरी को 7 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराया था। वहीं 13 फरवरी को भी पाकिस्तान सैनिकों के सीजफायर तोड़ने की खबर आई थी। सेना ने बाद में इसका खंडन किया था।

मोदी सरकार के समर्थन में उतरे शशि थरूर, जानें किस बात के लिए की तारीफ
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* कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरूवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने पाकिस्तान को लेकर बड़ी बात कही है। शशि थरूर ने कहा है कि पाकिस्तान के साथ अब बिना बाधा के बातचीत संभव नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने मोदी सरकार की विदेश नीति का समर्थन भी किया है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि 26/11 के मुंबई हमले जैसे घावों को भुलाया नहीं जा सकता। कांग्रेस सांसद ने कहा कि अब यह जताना कि कुछ हुआ ही नही है, यह बेहद मुश्किल काम है। जब भारत सरकार ने पाकिस्तान से बातचीत करने का मन बनाया तो मुंबई में आतंकी हमला हो गया। पाकिस्तान ने पठानकोट और मुंबई में जो छुरा घोंपा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सही ही कहा है कि पाकिस्तान के साथ अब साधारण तरीके से बात नहीं हो सकती है। फॉरेन करेस्पॉडेंट्स क्लब में एक पुस्तक के विमोचन के मौके पर शशि थरूर ने कहा कि अगर आप पाकिस्तान में भारत की छवि अच्छी करना चाहते हैं तो ज्यादा लोगों को वीजा देना होगा। हम लोगों ने ही कहा था कि रणनीतिक स्तर पर पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता है लेकिन पीपल टु पीपल रिलेशन को मजबूत करना जरूरी है। अगर भारत ऐसा करता है तो पाकिस्तान में भी भारत का समर्थन बढ़ेगा और शांति की मांग को लेकर वहां की आवाम आगे आएगी। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि ऐसा कोई भी पाकिस्तानी नहीं है जो भारत आया हो और उसे हमारे देश से प्यार ना हुआ हो। पर्यटक, गायक, संगीतकार और खिलाड़ी भी कहते हैं कि वे भारत आना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार भी यही कहती है कि आतंकवाद और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकती। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा था कि पाकिस्तान के साथ निर्बाध वार्ता का समय खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार अगर सख्ती से इस मुद्दे को देखती है तो पाकिस्तान उसे वार्ता खत्म करने के लिए मजबूर कर देता है। उन्होंने कहा कि ऐसा भी नहीं हो सकता कि हमेशा के लिए बातचीत को करने का ऐलान कर दिया जाए। लेकिन पुराने मसलों को भुलाकर दोस्त की तरह बात करना भी संभव नहीं है।
पाक में आतंकियों की कैसी प्लानिंग? जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा को मिला इस आतंकवादी संगठन का साथ

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पाकिस्तान के दो प्रमुख आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने गाजा के हमास के साथ हाथ मिलाया है। इसका सार्वजनिक सबूत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के रावलकोट में देखने को मिला है। यह गठबंधन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के रावलकोट में कश्मीर एकजुटता दिवस नामक एक कार्यक्रम के दौरान सार्वजनिक रूप से देखा गया। इस कार्यक्रम में जैश के आतंकवादी मंच पर हमास नेताओं को सुरक्षा प्रदान करते देखे गए। जैश के एक आतंकवादी ने मंच से यह घोषणा भी की कि हमास और पाकिस्तानी जिहादी समूह एक हो गए हैं।

भारत के खिलाफ उगला जहर

पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों के इस कार्यक्रम में भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला गया। आतंकवादियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ भी अमर्यादित टिप्पणियां की। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एक आतंकवादी ने कहा कि फिलिस्तीन के मुजाहिदीन और कश्मीर के मुजाहिदीन एक हो चुके हैं। उसने दिल्ली में खून की नदियां बहाने और कश्मीर को भारत से अलग करने की भी धमकियां दी। इतना ही नहीं, उसने भारत के टुकड़े करने की भी गीदड़भभकी दी।

क्या हमास को आतंकी संगठन घोषित करेगा भारत?

हमास के नेताओं की पीओके में मौजूदगी भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है। सवाल उठता है कि क्या अब समय आ गया है कि भारत को भी हमास को एक आतंकी संगठन घोषित कर देना चाहिए। दरअसल भारत सरकार ने अभी तक हमास को एक आतंकी संगठन नहीं माना है। भारत लगातार फिलिस्तीन का समर्थन करता रहा है। इजरायल बार-बार भारत से यह मांग करता रहा है कि उसे हमास को एक आतंकी संगठन मानना चाहिए। साल 2023 में इजरायल ने एक ऐसी ही मांग करते हुए भारत में 26/11 हमले के लिए जिम्मेदार लश्कर-ए-तैयबा को एक आतंकी संगठन घोषित किया था।

पाकिस्तानी सेना ने 12 आतंकियों को किया ढेर, बड़ी मात्रा में हथियार बरामद

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पाकिस्‍तान आतंकवादियों के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाना है। हालांकि, पाकिस्तान ने हमेशा इस बात से इनकार किया है। इस बीच पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में सुरक्षाबलों ने खुफिया जानकारी के आधार पर चलाए गए अभियान में 12 आतंकवादियों को मार गिराया गया है। वहीं, एक जवान के भी मारे जाने की खबर है। सेना ने मौके से बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद करने का दावा भी किया है।

पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा के अनुसार, यह अभियान उत्तरी वजीरिस्तान के हसन खेल इलाके में पांच-छह फरवरी की दरमियानी रात को चलाया गया, जिसमें एक सुरक्षाकर्मी की भी जान चली गई है। बयान में कहा गया कि इलाके में आंतकवादियों की मौजूदगी के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी जिसके आधार पर अभियान को अंजाम दिया गया। इसमें कहा गया कि आतंकवादियों के कब्जे से हथियार और गोला-बारूद बरामद किए गए हैं और ये आतंकी सुरक्षाबलों के साथ-साथ नागरिकों के खिलाफ कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल थे।

बता दें कि पाकिस्तान में इन दिनों तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों ने सेना का जीना मुश्किल कर रखा है। आए दिन पाकिस्तानी सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ होती रहती है। हाल के दिनों में तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों ने 10 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या कर दी है। वहीं, पिछले महीने अफगानिस्तान के कई संगठनों ने पाकिस्तानी सैनिकों के ठिकानों पर कब्जा कर लिया था। पांच दिन पहले खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में आतंकियों ने हमला किया था। इस बार आतंकियों ने पाकिस्तानी अर्धसैनिक बलों को निशाना बनाया थाष अर्धसैनिक बल के वाहन पर भारी गोलीबारी की गई, जिसमें चार जवानों समेत कम से कम 5 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, पाक सैनिकों ने बलूचिस्तान में अलग-अलग अभियानों में 23 आतंकवादियों को मार गिराया था।

चीन ने पाकिस्तान को बताया अपना स्थायी मित्र, पाक राष्ट्रपति जरदारी से मुलाकात के बाद बोले शी जिनपिंग

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पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी चीन के दौरे पर हैं। बीजिंग में जरदारी ने बेहद गर्मजोशी के साथ चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात की है। दोनों पक्षों में कई अहम समझौते हुए हैं। पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी भी जरदारी के साथ हैं। उनकी भी जिनपिंग के साथ लंबी बैठक हुई है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पाकिस्तान के स्थायी मित्र बताया है।जरदारी ऐसे समय में चीन दौरे पर गए हैं जब चीन ने पाकिस्तान में अपने प्रोजेक्ट और नागरिकों की सुरक्षा को लेकर कड़ा रुख दिखाया है। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद से पाकिस्तान के साथ रिश्ते में गर्मजोशी की कमी दिख रही है।

पाकिस्तान में चीनी नागरिकों और चीनी प्रोजेक्ट्स को निशाना बनाकर लगातार आतंकी हमले हो रहे हैं। जिसने बीजिंग को काफी नाराज कर दिया है। चीन लगातार अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर पाकिस्तान पर प्रेशर बना रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने पाकिस्तान में अपने प्रोजेक्ट्स को रोकने तक की धमकी दी है। दोनों देशों के बीच संबंधों में आई खटास के बीच पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी चीन को मनाने के लिए बीजिंग के दौरे पर हैं। जहां उन्होंने ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक की है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, बैठक के दौरान जरदारी ने चीनी राष्ट्रपति को आश्वस्त किया है, कि आतंकी हमले पाकिस्तान के अपने सदाबहार दोस्त चीन के साथ संबंधों को पटरी से उतार नहीं पाएंगे।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक के दौरान पाकिस्तानी राष्ट्रपति जरदारी ने इस बात को स्वीकार किया है, कि आतंकी हमलों की वजह से चीन और पाकिस्तान के संबंधों में 'उतार-चढ़ाव' आए हैं। लेकिन, जरदारी ने द्विपक्षीय साझेदारी के लिए अटूट समर्थन जताया है। पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने कहा, कि पाकिस्तान और चीन हमेशा दोस्त रहेंगे। उन्होंने कहा, कि चाहे दुनिया में कितने भी आतंक, कितने भी मुद्दे क्यों न उठें, मैं खड़ा रहूंगा और पाकिस्तानी लोग चीन के लोगों के साथ खड़े रहेंगे।

इसके अलावा दोनों नेताओं ने सीपीईसी पार्ट-2 पर चर्चा की है, जिसे सीपीईसी 2.0 के नाम से जाना जाता है। सीपीईसी 2.0 में परिवहन बुनियादी ढांचे और ऊर्जा परियोजनाओं से आगे बढ़कर औद्योगीकरण, कृषि आधुनिकीकरण और क्षेत्रीय साझेदारी को शामिल किया गया है। आपको बता दें, कि सीपीईसी प्रोजेक्ट, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) का हिस्सा है।

चीन और पाक के बीच पाकिस्तान में चीनियों की सुरक्षा का ही मुद्दा नहीं है। चीन और पाकिस्तान के बीच एक मुद्दा अमेरिका का है। चीन-पाकिस्तान के सैन्य और आर्थिक सहयोग के अलावा जरदारी का ये दौरा इसीलिए अहम है क्योंकि अमेरिका ने इस्लामाबाद से नजदीकी कम की है।

फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप ने पद संभालने के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और जापानी पीएम शिगेरू इशिबा से मिल चुके हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी 12-13 फरवरी को अमेरिका यात्रा के दौरान ट्रंप से मुलाकातक होनी है। वहीं ट्रंप प्रशासन ने अब तक पाकिस्तान के साथ कोई औपचारिक संपर्क स्थापित नहीं किया है। ऐसे में अमेरिका से उपेक्षित महसूस कर रहे पाकिस्तान के लिए चीन एकमात्र सहारा बन गया है। चीन भी इस स्थिति का फायदा उठाते हुए पाकिस्तान की विदेश नीति पर अपना प्रभाव बढ़ा सकता है।

हाल के वर्षों में बदलते भूराजनीतिक हालात में अमेरिका का ध्यान दूसरे क्षेत्रीय सहयोगियों पर ज्यादा है। ऐसे में कभी अमेरिका का करीबी दोस्त रहा पाकिस्तान अब चीन की तरफ झुकल गया है। पाकिस्तान के पास अब चीन के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है, उसे अपने 'खास दोस्त' बीजिंग की पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है।

पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ उगला जहर! जानिए कश्मीर एकजुटता दिवस पर क्या कहा

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पाकिस्तान को एक बार फिर भारत से दूरी खलने लगी है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत से सार्थक और निर्णायक बातचीत का भी आह्वान किया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ कश्मीर सहित सभी मुद्दों को बातचीत के जरिए हल करना चाहता है। उन्होंने कहा कि उनका देश कश्मीरी लोगों को अपना 'अटूट' समर्थन देता रहेगा।

शरीफ ने 'कश्मीर एकजुटता दिवस' के मौके पर मुजफ्फराबाद में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की विधानसभा में एक सत्र को संबोधित यह टिप्पणी की। शरीफ ने कहा कि हम कश्मीर सहित सभी मुद्दों को बातचीत के जरिए हल करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'भारत को पांच अगस्त 2019 की मानसिकता से बाहर आना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र से किए गए वादों को पूरा करना चाहिए और संवाद शुरू करना चाहिए।' उनका इशारा जम्मू-कश्मीर को विशेष स्थिति को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशो में बांटने के लिए संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने की ओर था।

शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान के 24 करोड़ लोगों की ओर से कश्मीरियों के प्रति एकजुटता व्यक्त की। उन्होंने कश्मीर में मारे गए आतंकवादियों और अलगाववादियों को श्रद्धांजलि दी और इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान कश्मीरियों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हटने वाला है। इतना ही नहीं, शहबाज ने कश्मीर में भारतीय सेना की मौजूदगी की निंदा की और कश्मीरियों के कथित उत्पीड़न का पुराना राग अलापा।

कश्मीर को लेकर उगला जहर

शहबाज ने कहा, "हम इस संघर्ष में अपने कश्मीरी भाइयों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं और तब तक ऐसा करते रहेंगे जब तक कि वे आत्मनिर्णय के अपने अधिकार को सुरक्षित नहीं कर लेते।" उन्होंने यहां तक कह दिया कि "5 फरवरी भारत को याद दिलाता है कि कश्मीर कभी भी उसका हिस्सा नहीं हो सकता।"

भारत पर लगाया हथियार जमा करने का आरोप

शरीफ ने भारत पर हथियार जमा करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हथियार जमा करने से शांति नहीं आएगी या इस क्षेत्र के लोगों की किस्मत नहीं बदलेगी। उन्होंने कहा कि प्रगति का रास्ता शांति है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने आगे कहा, पाकिस्तान कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्मणय के फैसले तक कूटनीतिक और राजनीतिक समर्थन प्रदान करता रहेगा। उन्होंने कहा, यह (कश्मीर मुद्दा) केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्ताव के तहत कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार से संभव हो सकता है।

तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का महत्व: भारत-पाकिस्तान आतंकवाद संबंध और वैश्विक सुरक्षा पर प्रभाव

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(बाएं से दाएं): डेविड कोलमैन हेडली उर्फ ​​दाऊद गिलानी, हाफिज सईद और तहव्वुर राणा

26/11 के मुंबई हमले के बाद से आतंकवाद और वैश्विक सुरक्षा को लेकर एक नई दृष्टिकोण सामने आई है। यह हमला न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी थी कि आतंकवाद के जड़ें केवल एक क्षेत्र में नहीं बल्कि कई देशों में फैली हुई हैं। 25 जनवरी 2025 को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी देने के बाद, यह मामला एक बार फिर से वैश्विक सुरक्षा और पाकिस्तान की भूमिका को प्रमुख रूप से उजागर करता है। राणा, जो 26/11 हमले में शामिल था, उसकी गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण के परिणामस्वरूप नई जानकारी और प्रमाण मिल सकते हैं, जो आतंकवाद की जड़ों को और गहरे तक समझने में मदद करेगा। 

1. 26/11 की जांच और तहव्वुर राणा का कनेक्शन

तहव्वुर राणा, जो पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, 26/11 के मुंबई हमले में प्रमुख भूमिका निभाने वालों में से एक था। वह डेविड कोलमैन हेडली के सहयोगी के रूप में काम कर रहा था, जिसने भारत में आतंकवादी ठिकानों का सर्वेक्षण किया था। राणा ने इस हमले के लिए जरूरी रसद, योजना और मार्गदर्शन प्रदान किया था। 25 जनवरी को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी, जिससे अब उसे भारत लाया जाएगा। यह महत्वपूर्ण कदम इसलिए है क्योंकि राणा से प्राप्त जानकारी से 26/11 के हमले के पीछे की साजिश और पाकिस्तान में चल रहे आतंकवादी नेटवर्क के बारे में नई जानकारियां मिल सकती हैं।

2. पाकिस्तान का आतंकवाद के केंद्र के रूप में उभरना

तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण पाकिस्तान को वैश्विक आतंकवाद के केंद्र के रूप में फिर से उजागर कर सकता है। पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी समूह जैसे लश्कर-ए-तैयबा (LET) और जैश-ए-मोहम्मद (JEM), अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी अभियानों में सक्रिय हैं। ये समूह न केवल भारत बल्कि अफगानिस्तान और अन्य देशों में भी आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं। राणा का भारत प्रत्यर्पण पाकिस्तान के आतंकवाद में सक्रिय भूमिका को दर्शाता है और यह साबित करता है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद को एक राज्य नीति के रूप में अपनाया है।

3. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई संभावना

राणा का प्रत्यर्पण भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को नई दिशा में जांच करने का अवसर प्रदान करेगा। वह लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद, पाकिस्तानी आईएसआई और अन्य आतंकवादी समूहों के रिश्तों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है। इसके अलावा, राणा भारतीय इलाकों में आतंकवादी गतिविधियों के बारे में भी जानकारी प्रदान कर सकता है, जिससे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को आतंकी गतिविधियों को रोकने में मदद मिल सकती है।

4. पाकिस्तान और तालिबान के रिश्ते

तालिबान और पाकिस्तान के रिश्तों पर भी राणा का प्रत्यर्पण प्रकाश डाल सकता है। तालिबान का पाकिस्तान के साथ गहरा संबंध है, खासकर पाकिस्तान की आईएसआई के साथ। हालांकि तालिबान ने भारत के खिलाफ कोई आतंकवादी गतिविधि को मंजूरी नहीं दी है, लेकिन पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी समूहों को तालिबान का समर्थन मिल सकता है। इसके अलावा, तालिबान अफगानिस्तान में भारतीय सहायता को बाधित करने की कोशिश करता है, जबकि पाकिस्तान भी अफगानिस्तान में अपनी रणनीतिक स्थिति मजबूत करने के प्रयासों में शामिल है।

5. 26/11 के आतंकवादी हमले का वैश्विक संदर्भ

26/11 का हमला केवल भारत के लिए एक आघात नहीं था, बल्कि यह वैश्विक आतंकवाद के खतरों को भी उजागर करता है। इस हमले में शामिल आतंकवादी समूहों ने न केवल भारतीय नागरिकों का नरसंहार किया बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर खतरा उत्पन्न किया। राणा का प्रत्यर्पण आतंकवादियों के वैश्विक नेटवर्क को तोड़ने और उनकी साजिशों को उजागर करने में मदद कर सकता है। इसके साथ ही यह संकेत करता है कि आतंकवाद का वित्तपोषण और उसकी योजना केवल एक देश या क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर फैली हुई है।

6. पाकिस्तान का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दबाव बढ़ना

राणा का प्रत्यर्पण पाकिस्तान के लिए अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ाने का एक और अवसर हो सकता है। यह पाकिस्तान के लिए एक नई चुनौती है, क्योंकि उसे आतंकवाद को समर्थन देने के आरोपों का सामना करना पड़ेगा। पाकिस्तान ने कई बार इस आरोप से इनकार किया है कि वह आतंकवाद का समर्थन करता है, लेकिन राणा के प्रत्यर्पण और उससे प्राप्त जानकारी के बाद पाकिस्तान पर नए सिरे से दबाव डाला जा सकता है।

7. अफगानिस्तान और पाकिस्तान के आतंकवाद के समर्थन में अंतर्राष्ट्रीय भूमिका

अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद, यह स्थिति और जटिल हो गई है। तालिबान का पाकिस्तान से करीबी संबंध है, और पाकिस्तान की आईएसआई अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूहों का समर्थन करती है। तालिबान द्वारा पाकिस्तान से आतंकवादियों की सहायता प्राप्त करना भारत के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। हालांकि तालिबान ने भारत के खिलाफ कोई कार्रवाई की अनुमति नहीं दी है, लेकिन पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी संगठन भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं।

8. भारत का सुरक्षा रणनीति में परिवर्तन

राणा के प्रत्यर्पण से भारतीय सुरक्षा रणनीति में कुछ बदलाव हो सकते हैं। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां अब नए सबूतों और जानकारी के आधार पर पाकिस्तान के आतंकवादी नेटवर्क का पर्दाफाश करने के लिए और सख्त कदम उठा सकती हैं। भारत का यह निर्णय कि वह आतंकवाद के खिलाफ किसी भी प्रकार के समझौते के लिए तैयार नहीं है, यह दिखाता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपने संघर्ष को और मजबूत करेगा।

तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के बाद भारत को न केवल 26/11 के हमले के संदर्भ में नई जानकारी प्राप्त हो सकती है, बल्कि यह पाकिस्तान और उसके आतंकवादी नेटवर्क के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दबाव को भी बढ़ा सकता है। यह घटनाक्रम भारत, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान के आतंकवाद से जुड़े मुद्दों पर एक नया मोड़ ला सकता है, और इससे वैश्विक सुरक्षा पर भी असर पड़ सकता है। राणा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और उसके द्वारा दी गई जानकारी से यह उम्मीद की जा सकती है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे और पाकिस्तान की आतंकवाद की नीति को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में और अधिक जागरूकता पैदा होगी।

पाकिस्तान में मंदिरों और गुरुद्वारों को लेकर बड़ा फैसला, जानें क्या है पड़ोसी देश की सरकार का प्लान?

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अब पाकिस्तान में भी हिंदुओं और पंजाबियों के धार्मिक स्थलों को संवारा जाएगा। पाकिस्तान सरकार ने मंदिरों और गुरुद्वारों के जीर्णोद्धार के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है। इस के तहत 1 अरब पाकिस्तानी रुपये से इन धार्मिक स्थलों को सजाया और संवारा जाएगा। यह निर्णय यहां ‘इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड’ की बैठक में शनिवार को इसके प्रमुख सैयद अतउर रहमान की अध्यक्षता में लिया गया।

इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करने वाले सैयद अताउर रहमान ने जानकारी देते हुए बताया कि मास्टर प्लान के तहत मंदिरों और गुरुद्वारों को सजाया जाएगा और विकास कार्य कराए जाएंगे। इस पर 1 अरब पाकिस्तानी रुपया खर्च किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत अल्पसंख्यक समुदायों के पूजा स्थलों का विशेष ध्यान दिया जाएगा। रहमान ने बताया कि इस साल ईटीपीबी को 1 अरब रुपये का राजस्व मिला था। इस बैठक में देशभर से हिंदू और सिख प्रतिनिधि शामिल हुए।

बैठक में मौजूद बोर्ड सचिव फरीद इकबाल ने इस योजना में कुछ बदलावों का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि वर्षों से अनुपयोगी पड़ी ट्रस्ट की संपत्तियों को विकास कार्यों में लगाने से राजस्व में कई गुना वृद्धि होगी। इसके अलावा बोर्ड ने मंदिरों और गुरुद्वारों में चल रहे निर्माण कार्यों की समीक्षा की और परियोजना प्रबंधन इकाई करतारपुर कॉरिडोर के संचालन के लिए एक परियोजना निदेशक की नियुक्ति का भी निर्णय लिया।

इस फैसले के पीछे की मजबूरी

पाकिस्तान में मंदिरों के संरक्षण को लेकर यह फैसला काफी अहम माना जा रहा है। जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान सरकार का यह कदम वास्तव में अल्पसंख्यकों की भलाई से ज्यादा आर्थिक लाभ और वैश्विक छवि सुधारने की रणनीति का हिस्सा है। लंबे समय से पाकिस्तान पर धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के आरोप लगते रहे हैं जिससे उसकी अंतरराष्ट्रीय साख प्रभावित हुई है। ऐसे में मंदिरों और गुरुद्वारों के जीर्णोद्धार की घोषणा कर सरकार निवेश और पर्यटन को बढ़ावा देना चाहती है।

पाकिस्तान-बांग्लादेश के बीच सीधे व्यापार शुरू, 1971 के बाद पहली बार हुआ ऐसा, भारत पर होगा असर?

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शेख हसीना के तख्तापलट के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के रिश्तों में गरमाहट आई है। भारत के दोनों पड़ोसी देशों के बीच सुधरते रिश्ते नया आयाम गढ़ रहे हैं। अब पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सीधा व्यापार शुरू हो चुका है।पाकिस्तान और बांग्लादेश ने 1971 के विभाजन के बाद पहली बार प्रत्यक्ष व्यापारिक संबंधों की बहाली की है। इस ऐतिहासिक कदम के तहत,पाकिस्तान के कासिम बंदरगाह से सरकारी स्वीकृति मिलने के बाद पहला मालवाहक जहाज बांग्लादेश के लिए रवाना हुआ है। 

पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट एक्सप्रेस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के कासिम बंदरगाह से पहली बार सरकार से मंजूरी मिला हुआ माल रवाना किया गया है। बांग्लादेश ने ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ पाकिस्तान के माध्यम से 50,000 टन पाकिस्तानी चावल खरीदने पर सहमति व्यक्त की है। इस समझौते को फरवरी की शुरुआत में अंतिम रूप दिया गया था। चावल की खेप को दो चरणों में पहुंचाया जाएगा, जिसमें 25000 टन की पहली खेप बांग्लादेश के रास्ते में है। दूसरी खेप मार्च की शुरुआत में रवाना होने वाली है।

हसीना के बाद द्विपक्षीय संबंधों में आई नरमी

पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, पिछले वर्ष शेख हसीना को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री पद से अपदस्थ होने के बाद दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय आदान-प्रदान के साथ द्विपक्षीय संबंधों में नरमी आई। अखबार ने कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शांति प्रस्ताव पेश किया, जिस पर पाकिस्तान ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।

यह पहली बार होगा जब सरकारी माल ले जाने वाला पाकिस्तान नेशनल शिपिंग कॉरपोरेशन का जहाज बांग्लादेश के बंदरगाह पर डॉक करेगा। हालांकि, दोनों देशों के बीच पहला सीधा समुद्री संपर्क बीते साल ही हुआ था, जब पाकिस्तानी जहाज माल लेकर बांग्लादेश पहुंचा था, लेकिन वह निजी कंपनी का जहाज था।

क्षेत्रीय राजनीति होगी प्रभावित

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच हालिया घटनाक्रम को आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने और दशकों से निष्क्रिय व्यापार मार्गों को दोबारा सक्रिय करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस नवीनतम व्यापार समझौते से दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध मजबूत होंगे और प्रत्यक्ष नौवहन मार्ग सुगम होंगे। हालांकि, इस घटनाक्रम का क्षेत्रीय राजनीति पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

भारत-बांग्लादेश व्यापार पर असर

बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक परिवर्तन और पाकिस्तान के साथ बढ़ते संबंधों के कारण भारत जरूर प्रभावित होगा। पाकिस्तान के साथ कारोबार बढ़ने की दशा में भारत से बांग्लादेश का व्यापार कमजोर होने की आशंका है। बड़ी मात्रा में खाद्य पदार्थों का आयात बांग्लादेश भारत से करता रहा है, लेकिन अब वह पाकिस्तान के ज्यादा करीब जा रहा है। ऐसे में भारत के नजरिए से क्षेत्रीय व्यापारिक संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। इस कदम का भारत पर कई प्रकार से प्रभाव पड़ेगा।

बांग्लादेश में “करवट” ले रहा आईएसआई

बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार भारत विरोध के सारे पैतरे आजमाने में लगी है। इसमें पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ाना भी शामिल है। इसी साल की शुरुआत में बांग्लादेश की सेना के एक टॉप रैंकिंग जनरल ने पाकिस्तान का दौरान किया था, जहां पाकिस्तानी आर्मी चीफ सैयद आसिफ मुनीर समेत अन्य शीर्ष सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी। इसके ठीक बाद पाकिस्तान की आईएसआई के अधिकारियों ने बांग्लादेश का दौरा किया था।

रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तानी आईएसआई एक बार फिर से बांग्लादेश में 1971 के पहले के रणनीतिक ठिकानों का एक्टिव करना चाहती है। पाकिस्तान का उद्येश्य बांग्लादेश के पड़ोसी भारतीय राज्यों में उग्रवादियों को मदद पहुंचाकर दिल्ली को चोट देना है। मोहम्मद यूनुस को समर्थन देने वाली कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी इसमें पूरा साथ देने के लिए तैयार है।

भारत और पाकिस्तान के बीच फ्लैग मीटिंग, लगभग 75 मिनट हुई चर्चा, इन मुद्दों पर बनी सहमति

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जम्मू-कश्मीर में एलओसी (नियंत्रण रेखा) पर तनाव के बीच भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच शुक्रवार को फ्लैग मीटिंग हुई। यह मीटिंग पुंछ सेक्टर के चाका दा बाग में आयोजित की गई। जिसमें दोनों सेनाओं के ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी शामिल हुए। बैठक 75 मिनट तक चली, जिसमें दोनों पक्षों ने सीमा पर शांति बनाए रखने की बात कही बता दें कि पिछले चार सालों में दोनों देशों के बीच इस तरह की पहली मीटिंग है। आखिरी फ्लैग मीटिंग 2021 में हुई थी।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि ब्रिगेड कमांडर स्तर की ‘फ्लैग मीटिंग’ ‘चक्कन-दा-बाग क्रॉसिंग प्वाइंट’ क्षेत्र में हुई। भारत की तरफ से पुंछ ब्रिगेड के कमांडर और पाकिस्तानी सेना की दो पाक ब्रिगेड के कमांडर फ्लैग मीटिंग में शामिल हुए। जिसमें दोनों पक्षों ने सीमा पर शांति बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि 75 मिनट तक चली बैठक करीब 11 बजे शुरू हुई। सूत्रों ने बताया कि बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और दोनों पक्ष सीमा पर शांति के व्यापक हित में संघर्ष विराम समझौते का सम्मान करने पर सहमत हुए।

पाकिस्तान और भारत के बीच पिछले कई सालों से फ्लैग मीटिंग नहीं हुई है। साल 2021 में आखिरी फ्लैग मीटिंग हुई थी। पाकिस्तान की तरफ से सीमा पर लगातार नापाक हरकतें की जा रही हैं। 11 फरवरी को जम्मू जिले में नियंत्रण रेखा के अखनूर सेक्टर में एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) विस्फोट में एक कैप्टन समेत दो जवान शहीद हो गए थे।

LoC पर आज भारत-पाक का “आमना-सामना”, 2021 के बाद पहली बार फ्लैग मीटिंग

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भारत के उसके पड़ोसी देश पाकिस्तान के संबंध किसी से छुपे नहीं है। जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच के रिश्ते हमेशा से तल्ख रहे हैं। उसपर पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे आतंकी “प्रहार” ने हमेशा आग में घी डालने का काम किया है। हालांकि, कई बार तनाव को कम करने की कोशिश हुई है। इसी बीच जम्मू-कश्मीर में एलओसी (नियंत्रण रेखा) पर तनाव के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच पुंछ सेक्टर में फ्लैग मीटिंग होने जा रही है। पिछले चार सालों में दोनों देशों के बीच इस तरह की पहली मीटिंग होगी। आखिरी बार 2021 में फ्लैग मीटिंग हुई थी।

दोनों सेनाओं के बीच यह बैठक पुंछ/रावलकोट मीटिंग प्वाइंट पर होगी। इस बैठक में भारतीय सेना की तरफ से एलओसी पर पाकिस्तान की तरफ से की गई सीजफायर उल्लंघन रहेगा। नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने को लेकर यह बैठक हो रही है।

दरअसल, जब दोनों पक्षों के बीच बॉर्डर पर तनाव बढ़ जाता है तो फ्लैग मीटिंग आयोजित की जाती है। तनाव बढ़ने की स्थिति को यह एक तरह से माहौल को शांत करने का उपाय है। इस मीटिंग में दोनों देशों के सैनिक हाथ में अपने देश का झंडा लिए हुए बॉर्डर पर मिलते हैं।

नियंत्रण रेखा पर तनाव बढ़ाने की साजिश पाकिस्तान लगातार कर रहा है। जम्मू और कश्मीर में पिछले कई हफ्तों से एलओसी पर तनाव बना हुआ है। हाल के दिनों में उसने एलओसी पर जबरदस्त तरीके से सीजफायर का उल्लंघन किया है। सेना ने 4 फरवरी को 7 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराया था। वहीं 13 फरवरी को भी पाकिस्तान सैनिकों के सीजफायर तोड़ने की खबर आई थी। सेना ने बाद में इसका खंडन किया था।

मोदी सरकार के समर्थन में उतरे शशि थरूर, जानें किस बात के लिए की तारीफ
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* कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरूवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने पाकिस्तान को लेकर बड़ी बात कही है। शशि थरूर ने कहा है कि पाकिस्तान के साथ अब बिना बाधा के बातचीत संभव नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने मोदी सरकार की विदेश नीति का समर्थन भी किया है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि 26/11 के मुंबई हमले जैसे घावों को भुलाया नहीं जा सकता। कांग्रेस सांसद ने कहा कि अब यह जताना कि कुछ हुआ ही नही है, यह बेहद मुश्किल काम है। जब भारत सरकार ने पाकिस्तान से बातचीत करने का मन बनाया तो मुंबई में आतंकी हमला हो गया। पाकिस्तान ने पठानकोट और मुंबई में जो छुरा घोंपा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सही ही कहा है कि पाकिस्तान के साथ अब साधारण तरीके से बात नहीं हो सकती है। फॉरेन करेस्पॉडेंट्स क्लब में एक पुस्तक के विमोचन के मौके पर शशि थरूर ने कहा कि अगर आप पाकिस्तान में भारत की छवि अच्छी करना चाहते हैं तो ज्यादा लोगों को वीजा देना होगा। हम लोगों ने ही कहा था कि रणनीतिक स्तर पर पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता है लेकिन पीपल टु पीपल रिलेशन को मजबूत करना जरूरी है। अगर भारत ऐसा करता है तो पाकिस्तान में भी भारत का समर्थन बढ़ेगा और शांति की मांग को लेकर वहां की आवाम आगे आएगी। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि ऐसा कोई भी पाकिस्तानी नहीं है जो भारत आया हो और उसे हमारे देश से प्यार ना हुआ हो। पर्यटक, गायक, संगीतकार और खिलाड़ी भी कहते हैं कि वे भारत आना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार भी यही कहती है कि आतंकवाद और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकती। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा था कि पाकिस्तान के साथ निर्बाध वार्ता का समय खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार अगर सख्ती से इस मुद्दे को देखती है तो पाकिस्तान उसे वार्ता खत्म करने के लिए मजबूर कर देता है। उन्होंने कहा कि ऐसा भी नहीं हो सकता कि हमेशा के लिए बातचीत को करने का ऐलान कर दिया जाए। लेकिन पुराने मसलों को भुलाकर दोस्त की तरह बात करना भी संभव नहीं है।
पाक में आतंकियों की कैसी प्लानिंग? जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा को मिला इस आतंकवादी संगठन का साथ

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पाकिस्तान के दो प्रमुख आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने गाजा के हमास के साथ हाथ मिलाया है। इसका सार्वजनिक सबूत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के रावलकोट में देखने को मिला है। यह गठबंधन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के रावलकोट में कश्मीर एकजुटता दिवस नामक एक कार्यक्रम के दौरान सार्वजनिक रूप से देखा गया। इस कार्यक्रम में जैश के आतंकवादी मंच पर हमास नेताओं को सुरक्षा प्रदान करते देखे गए। जैश के एक आतंकवादी ने मंच से यह घोषणा भी की कि हमास और पाकिस्तानी जिहादी समूह एक हो गए हैं।

भारत के खिलाफ उगला जहर

पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों के इस कार्यक्रम में भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला गया। आतंकवादियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ भी अमर्यादित टिप्पणियां की। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एक आतंकवादी ने कहा कि फिलिस्तीन के मुजाहिदीन और कश्मीर के मुजाहिदीन एक हो चुके हैं। उसने दिल्ली में खून की नदियां बहाने और कश्मीर को भारत से अलग करने की भी धमकियां दी। इतना ही नहीं, उसने भारत के टुकड़े करने की भी गीदड़भभकी दी।

क्या हमास को आतंकी संगठन घोषित करेगा भारत?

हमास के नेताओं की पीओके में मौजूदगी भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है। सवाल उठता है कि क्या अब समय आ गया है कि भारत को भी हमास को एक आतंकी संगठन घोषित कर देना चाहिए। दरअसल भारत सरकार ने अभी तक हमास को एक आतंकी संगठन नहीं माना है। भारत लगातार फिलिस्तीन का समर्थन करता रहा है। इजरायल बार-बार भारत से यह मांग करता रहा है कि उसे हमास को एक आतंकी संगठन मानना चाहिए। साल 2023 में इजरायल ने एक ऐसी ही मांग करते हुए भारत में 26/11 हमले के लिए जिम्मेदार लश्कर-ए-तैयबा को एक आतंकी संगठन घोषित किया था।

पाकिस्तानी सेना ने 12 आतंकियों को किया ढेर, बड़ी मात्रा में हथियार बरामद

#pakistan_12_terrorists_killed_in_khyber_pakhtunkhwa

पाकिस्‍तान आतंकवादियों के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाना है। हालांकि, पाकिस्तान ने हमेशा इस बात से इनकार किया है। इस बीच पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में सुरक्षाबलों ने खुफिया जानकारी के आधार पर चलाए गए अभियान में 12 आतंकवादियों को मार गिराया गया है। वहीं, एक जवान के भी मारे जाने की खबर है। सेना ने मौके से बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद करने का दावा भी किया है।

पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा के अनुसार, यह अभियान उत्तरी वजीरिस्तान के हसन खेल इलाके में पांच-छह फरवरी की दरमियानी रात को चलाया गया, जिसमें एक सुरक्षाकर्मी की भी जान चली गई है। बयान में कहा गया कि इलाके में आंतकवादियों की मौजूदगी के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी जिसके आधार पर अभियान को अंजाम दिया गया। इसमें कहा गया कि आतंकवादियों के कब्जे से हथियार और गोला-बारूद बरामद किए गए हैं और ये आतंकी सुरक्षाबलों के साथ-साथ नागरिकों के खिलाफ कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल थे।

बता दें कि पाकिस्तान में इन दिनों तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों ने सेना का जीना मुश्किल कर रखा है। आए दिन पाकिस्तानी सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ होती रहती है। हाल के दिनों में तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों ने 10 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या कर दी है। वहीं, पिछले महीने अफगानिस्तान के कई संगठनों ने पाकिस्तानी सैनिकों के ठिकानों पर कब्जा कर लिया था। पांच दिन पहले खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में आतंकियों ने हमला किया था। इस बार आतंकियों ने पाकिस्तानी अर्धसैनिक बलों को निशाना बनाया थाष अर्धसैनिक बल के वाहन पर भारी गोलीबारी की गई, जिसमें चार जवानों समेत कम से कम 5 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, पाक सैनिकों ने बलूचिस्तान में अलग-अलग अभियानों में 23 आतंकवादियों को मार गिराया था।

चीन ने पाकिस्तान को बताया अपना स्थायी मित्र, पाक राष्ट्रपति जरदारी से मुलाकात के बाद बोले शी जिनपिंग

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पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी चीन के दौरे पर हैं। बीजिंग में जरदारी ने बेहद गर्मजोशी के साथ चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात की है। दोनों पक्षों में कई अहम समझौते हुए हैं। पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी भी जरदारी के साथ हैं। उनकी भी जिनपिंग के साथ लंबी बैठक हुई है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पाकिस्तान के स्थायी मित्र बताया है।जरदारी ऐसे समय में चीन दौरे पर गए हैं जब चीन ने पाकिस्तान में अपने प्रोजेक्ट और नागरिकों की सुरक्षा को लेकर कड़ा रुख दिखाया है। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद से पाकिस्तान के साथ रिश्ते में गर्मजोशी की कमी दिख रही है।

पाकिस्तान में चीनी नागरिकों और चीनी प्रोजेक्ट्स को निशाना बनाकर लगातार आतंकी हमले हो रहे हैं। जिसने बीजिंग को काफी नाराज कर दिया है। चीन लगातार अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर पाकिस्तान पर प्रेशर बना रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने पाकिस्तान में अपने प्रोजेक्ट्स को रोकने तक की धमकी दी है। दोनों देशों के बीच संबंधों में आई खटास के बीच पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी चीन को मनाने के लिए बीजिंग के दौरे पर हैं। जहां उन्होंने ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक की है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, बैठक के दौरान जरदारी ने चीनी राष्ट्रपति को आश्वस्त किया है, कि आतंकी हमले पाकिस्तान के अपने सदाबहार दोस्त चीन के साथ संबंधों को पटरी से उतार नहीं पाएंगे।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक के दौरान पाकिस्तानी राष्ट्रपति जरदारी ने इस बात को स्वीकार किया है, कि आतंकी हमलों की वजह से चीन और पाकिस्तान के संबंधों में 'उतार-चढ़ाव' आए हैं। लेकिन, जरदारी ने द्विपक्षीय साझेदारी के लिए अटूट समर्थन जताया है। पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने कहा, कि पाकिस्तान और चीन हमेशा दोस्त रहेंगे। उन्होंने कहा, कि चाहे दुनिया में कितने भी आतंक, कितने भी मुद्दे क्यों न उठें, मैं खड़ा रहूंगा और पाकिस्तानी लोग चीन के लोगों के साथ खड़े रहेंगे।

इसके अलावा दोनों नेताओं ने सीपीईसी पार्ट-2 पर चर्चा की है, जिसे सीपीईसी 2.0 के नाम से जाना जाता है। सीपीईसी 2.0 में परिवहन बुनियादी ढांचे और ऊर्जा परियोजनाओं से आगे बढ़कर औद्योगीकरण, कृषि आधुनिकीकरण और क्षेत्रीय साझेदारी को शामिल किया गया है। आपको बता दें, कि सीपीईसी प्रोजेक्ट, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) का हिस्सा है।

चीन और पाक के बीच पाकिस्तान में चीनियों की सुरक्षा का ही मुद्दा नहीं है। चीन और पाकिस्तान के बीच एक मुद्दा अमेरिका का है। चीन-पाकिस्तान के सैन्य और आर्थिक सहयोग के अलावा जरदारी का ये दौरा इसीलिए अहम है क्योंकि अमेरिका ने इस्लामाबाद से नजदीकी कम की है।

फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप ने पद संभालने के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और जापानी पीएम शिगेरू इशिबा से मिल चुके हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी 12-13 फरवरी को अमेरिका यात्रा के दौरान ट्रंप से मुलाकातक होनी है। वहीं ट्रंप प्रशासन ने अब तक पाकिस्तान के साथ कोई औपचारिक संपर्क स्थापित नहीं किया है। ऐसे में अमेरिका से उपेक्षित महसूस कर रहे पाकिस्तान के लिए चीन एकमात्र सहारा बन गया है। चीन भी इस स्थिति का फायदा उठाते हुए पाकिस्तान की विदेश नीति पर अपना प्रभाव बढ़ा सकता है।

हाल के वर्षों में बदलते भूराजनीतिक हालात में अमेरिका का ध्यान दूसरे क्षेत्रीय सहयोगियों पर ज्यादा है। ऐसे में कभी अमेरिका का करीबी दोस्त रहा पाकिस्तान अब चीन की तरफ झुकल गया है। पाकिस्तान के पास अब चीन के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है, उसे अपने 'खास दोस्त' बीजिंग की पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है।

पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ उगला जहर! जानिए कश्मीर एकजुटता दिवस पर क्या कहा

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पाकिस्तान को एक बार फिर भारत से दूरी खलने लगी है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत से सार्थक और निर्णायक बातचीत का भी आह्वान किया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ कश्मीर सहित सभी मुद्दों को बातचीत के जरिए हल करना चाहता है। उन्होंने कहा कि उनका देश कश्मीरी लोगों को अपना 'अटूट' समर्थन देता रहेगा।

शरीफ ने 'कश्मीर एकजुटता दिवस' के मौके पर मुजफ्फराबाद में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की विधानसभा में एक सत्र को संबोधित यह टिप्पणी की। शरीफ ने कहा कि हम कश्मीर सहित सभी मुद्दों को बातचीत के जरिए हल करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'भारत को पांच अगस्त 2019 की मानसिकता से बाहर आना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र से किए गए वादों को पूरा करना चाहिए और संवाद शुरू करना चाहिए।' उनका इशारा जम्मू-कश्मीर को विशेष स्थिति को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशो में बांटने के लिए संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने की ओर था।

शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान के 24 करोड़ लोगों की ओर से कश्मीरियों के प्रति एकजुटता व्यक्त की। उन्होंने कश्मीर में मारे गए आतंकवादियों और अलगाववादियों को श्रद्धांजलि दी और इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान कश्मीरियों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हटने वाला है। इतना ही नहीं, शहबाज ने कश्मीर में भारतीय सेना की मौजूदगी की निंदा की और कश्मीरियों के कथित उत्पीड़न का पुराना राग अलापा।

कश्मीर को लेकर उगला जहर

शहबाज ने कहा, "हम इस संघर्ष में अपने कश्मीरी भाइयों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं और तब तक ऐसा करते रहेंगे जब तक कि वे आत्मनिर्णय के अपने अधिकार को सुरक्षित नहीं कर लेते।" उन्होंने यहां तक कह दिया कि "5 फरवरी भारत को याद दिलाता है कि कश्मीर कभी भी उसका हिस्सा नहीं हो सकता।"

भारत पर लगाया हथियार जमा करने का आरोप

शरीफ ने भारत पर हथियार जमा करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हथियार जमा करने से शांति नहीं आएगी या इस क्षेत्र के लोगों की किस्मत नहीं बदलेगी। उन्होंने कहा कि प्रगति का रास्ता शांति है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने आगे कहा, पाकिस्तान कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्मणय के फैसले तक कूटनीतिक और राजनीतिक समर्थन प्रदान करता रहेगा। उन्होंने कहा, यह (कश्मीर मुद्दा) केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्ताव के तहत कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार से संभव हो सकता है।

तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का महत्व: भारत-पाकिस्तान आतंकवाद संबंध और वैश्विक सुरक्षा पर प्रभाव

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(बाएं से दाएं): डेविड कोलमैन हेडली उर्फ ​​दाऊद गिलानी, हाफिज सईद और तहव्वुर राणा

26/11 के मुंबई हमले के बाद से आतंकवाद और वैश्विक सुरक्षा को लेकर एक नई दृष्टिकोण सामने आई है। यह हमला न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी थी कि आतंकवाद के जड़ें केवल एक क्षेत्र में नहीं बल्कि कई देशों में फैली हुई हैं। 25 जनवरी 2025 को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी देने के बाद, यह मामला एक बार फिर से वैश्विक सुरक्षा और पाकिस्तान की भूमिका को प्रमुख रूप से उजागर करता है। राणा, जो 26/11 हमले में शामिल था, उसकी गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण के परिणामस्वरूप नई जानकारी और प्रमाण मिल सकते हैं, जो आतंकवाद की जड़ों को और गहरे तक समझने में मदद करेगा। 

1. 26/11 की जांच और तहव्वुर राणा का कनेक्शन

तहव्वुर राणा, जो पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, 26/11 के मुंबई हमले में प्रमुख भूमिका निभाने वालों में से एक था। वह डेविड कोलमैन हेडली के सहयोगी के रूप में काम कर रहा था, जिसने भारत में आतंकवादी ठिकानों का सर्वेक्षण किया था। राणा ने इस हमले के लिए जरूरी रसद, योजना और मार्गदर्शन प्रदान किया था। 25 जनवरी को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी, जिससे अब उसे भारत लाया जाएगा। यह महत्वपूर्ण कदम इसलिए है क्योंकि राणा से प्राप्त जानकारी से 26/11 के हमले के पीछे की साजिश और पाकिस्तान में चल रहे आतंकवादी नेटवर्क के बारे में नई जानकारियां मिल सकती हैं।

2. पाकिस्तान का आतंकवाद के केंद्र के रूप में उभरना

तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण पाकिस्तान को वैश्विक आतंकवाद के केंद्र के रूप में फिर से उजागर कर सकता है। पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी समूह जैसे लश्कर-ए-तैयबा (LET) और जैश-ए-मोहम्मद (JEM), अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी अभियानों में सक्रिय हैं। ये समूह न केवल भारत बल्कि अफगानिस्तान और अन्य देशों में भी आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं। राणा का भारत प्रत्यर्पण पाकिस्तान के आतंकवाद में सक्रिय भूमिका को दर्शाता है और यह साबित करता है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद को एक राज्य नीति के रूप में अपनाया है।

3. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई संभावना

राणा का प्रत्यर्पण भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को नई दिशा में जांच करने का अवसर प्रदान करेगा। वह लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद, पाकिस्तानी आईएसआई और अन्य आतंकवादी समूहों के रिश्तों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है। इसके अलावा, राणा भारतीय इलाकों में आतंकवादी गतिविधियों के बारे में भी जानकारी प्रदान कर सकता है, जिससे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को आतंकी गतिविधियों को रोकने में मदद मिल सकती है।

4. पाकिस्तान और तालिबान के रिश्ते

तालिबान और पाकिस्तान के रिश्तों पर भी राणा का प्रत्यर्पण प्रकाश डाल सकता है। तालिबान का पाकिस्तान के साथ गहरा संबंध है, खासकर पाकिस्तान की आईएसआई के साथ। हालांकि तालिबान ने भारत के खिलाफ कोई आतंकवादी गतिविधि को मंजूरी नहीं दी है, लेकिन पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी समूहों को तालिबान का समर्थन मिल सकता है। इसके अलावा, तालिबान अफगानिस्तान में भारतीय सहायता को बाधित करने की कोशिश करता है, जबकि पाकिस्तान भी अफगानिस्तान में अपनी रणनीतिक स्थिति मजबूत करने के प्रयासों में शामिल है।

5. 26/11 के आतंकवादी हमले का वैश्विक संदर्भ

26/11 का हमला केवल भारत के लिए एक आघात नहीं था, बल्कि यह वैश्विक आतंकवाद के खतरों को भी उजागर करता है। इस हमले में शामिल आतंकवादी समूहों ने न केवल भारतीय नागरिकों का नरसंहार किया बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर खतरा उत्पन्न किया। राणा का प्रत्यर्पण आतंकवादियों के वैश्विक नेटवर्क को तोड़ने और उनकी साजिशों को उजागर करने में मदद कर सकता है। इसके साथ ही यह संकेत करता है कि आतंकवाद का वित्तपोषण और उसकी योजना केवल एक देश या क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर फैली हुई है।

6. पाकिस्तान का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दबाव बढ़ना

राणा का प्रत्यर्पण पाकिस्तान के लिए अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ाने का एक और अवसर हो सकता है। यह पाकिस्तान के लिए एक नई चुनौती है, क्योंकि उसे आतंकवाद को समर्थन देने के आरोपों का सामना करना पड़ेगा। पाकिस्तान ने कई बार इस आरोप से इनकार किया है कि वह आतंकवाद का समर्थन करता है, लेकिन राणा के प्रत्यर्पण और उससे प्राप्त जानकारी के बाद पाकिस्तान पर नए सिरे से दबाव डाला जा सकता है।

7. अफगानिस्तान और पाकिस्तान के आतंकवाद के समर्थन में अंतर्राष्ट्रीय भूमिका

अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद, यह स्थिति और जटिल हो गई है। तालिबान का पाकिस्तान से करीबी संबंध है, और पाकिस्तान की आईएसआई अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूहों का समर्थन करती है। तालिबान द्वारा पाकिस्तान से आतंकवादियों की सहायता प्राप्त करना भारत के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। हालांकि तालिबान ने भारत के खिलाफ कोई कार्रवाई की अनुमति नहीं दी है, लेकिन पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी संगठन भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं।

8. भारत का सुरक्षा रणनीति में परिवर्तन

राणा के प्रत्यर्पण से भारतीय सुरक्षा रणनीति में कुछ बदलाव हो सकते हैं। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां अब नए सबूतों और जानकारी के आधार पर पाकिस्तान के आतंकवादी नेटवर्क का पर्दाफाश करने के लिए और सख्त कदम उठा सकती हैं। भारत का यह निर्णय कि वह आतंकवाद के खिलाफ किसी भी प्रकार के समझौते के लिए तैयार नहीं है, यह दिखाता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपने संघर्ष को और मजबूत करेगा।

तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के बाद भारत को न केवल 26/11 के हमले के संदर्भ में नई जानकारी प्राप्त हो सकती है, बल्कि यह पाकिस्तान और उसके आतंकवादी नेटवर्क के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दबाव को भी बढ़ा सकता है। यह घटनाक्रम भारत, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान के आतंकवाद से जुड़े मुद्दों पर एक नया मोड़ ला सकता है, और इससे वैश्विक सुरक्षा पर भी असर पड़ सकता है। राणा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और उसके द्वारा दी गई जानकारी से यह उम्मीद की जा सकती है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे और पाकिस्तान की आतंकवाद की नीति को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में और अधिक जागरूकता पैदा होगी।