शपथ ग्रहण के बाद डोनाल्‍ड ट्रंप की सबसे पहले भारत और चीन के दौरे की चर्चा, जानें क्यों है अहम*

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कुछ घंटों बाद डोनाल्ड ट्रंप दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र की कमान अपने हाथों में लेंगे। ये दूसरा मौका है जब वो सुपरपावर कहे जाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति बनेंगे। मगर उनकी शपथ से पहले ही दुनिया के कई देशों में हलचल मची हुई है। ट्रंप ने साफ संकेत दिए हैं कि उनके कार्यकाल के दौरान विदेश नीति किस दिशा में जाएगा। कुछ देशों की हालत तो कभी खुशी, कभी गम वाली है। चुनाव जीतने के बाद से ही ट्रंप की जीत और अमेरिका से अलग-अलग देशों के रिश्तों पर दुनिया भर में विश्लेषण चल रहा है। इस बीच खबर आ रही है पदभार संभालने के बाद ट्रंप भारत और चीन का दौरा करेंगे।

नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, बीजिंग के साथ संबंधों को सुधारने के लिए पदभार संभालने के बाद चीन की यात्रा पर जाना चाहते हैं, इसके अलावा उन्होंने भारत की संभावित यात्रा को लेकर भी सलाहकारों से बातचीत की है। ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान चीन पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की चेतावनी दी थी। लेकिन ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल' ने अपनी खबर में बताया, 'ट्रंप ने सलाहकारों से कहा है कि वह पदभार संभालने के बाद चीन की यात्रा पर जाना चाहते हैं, ताकि प्रचार के दौरान चीन को दी गई अधिक शुल्क लगाने संबंधी चेतावनी के कारण शी जिनपिंग के साथ तनावपूर्ण हुए संबंधों को सुधारा जा सके।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सलाहकारों से कहा है कि वे राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद चीन दौरे पर जाना चाहते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप ने अपने सलाहकारों से भारत के संभावित दौरे को लेकर भी चर्चा की है। बीते महीने क्रिसमस के मौके पर जब भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर अमेरिका गए थे, तब उनके दौरे पर भी ट्रंप के भारत के संभावित दौरे पर लेकर शुरुआती बातचीत हुई थी।

वहीं एक दिन पहले ही ट्रंप ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से फोन पर बात की। इस बातचीत को ट्रंप ने शानदार बताया और कहा कि दोनों के बीच व्यापार, फेंटानिल, टिकटॉक और अन्य मुद्दों पर अच्छी बातचीत हुई। ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को आमंत्रित किया गया था, लेकिन अब खबर है कि जिनपिंग की जगह उनके डिप्टी उपराष्ट्रपति हान झेंग, ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हो सकते हैं।

यूरोप, नाटो और पड़ोसियों कनाडा और मैक्सिको को छोड़कर भारत और चीन को तवज्‍जो देना एक बड़ा वैश्विक संदेश भी है। साफ है कि चीन और भारत से संबंधों के जरिए अमेरिकी व्‍यापार को गति मिल सकती है। ट्रंप बड़े बिजनेसमैन भी हैं लिहाजा वो बेहतर तरीके से जानते हैं कि व्‍यापार के बिना अर्थव्‍यवस्‍था को मजबूत नहीं किया जा सकता है। यही वजह है कि ट्रंप की नज भारत चीन पर है।

नहीं होने दूंगा तीसरा विश्व युद्ध”, शपथ से पहले डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा बयान

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अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करने से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने मेक अमेरिका ग्रेट अगेन विक्ट्री रैली को संबोधित किया। लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया। इस दौरान ट्रंप ने कहा कि मैं तीसरा विश्व विश्न युद्ध नहीं होने दूंगा। साथ ही अमेरिका को एक बार फिर से महान बनाऊंगा।

मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (एमएजीए) रैली में, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, देश का कार्यभार संभालने से पहले, आप ऐसी चीजें देख रहे हैं जिनकी किसी को उम्मीद नहीं थी। हर कोई इसे ‘ट्रंप इफेक्ट’ कह रहा है। यह आप हैं। यह आपका इफेक्ट हैं।

हम कल दोपहर को अपने देश को वापस ले लेंगे। अमेरिकी पतन के 4 वर्षों के लंबे समय पर पर्दा बंद हो जाएगा और हम अमेरिका के एक नए दिन की शुरुआत करेंगे। शक्ति और समृद्धि, गरिमा और गौरव। हम एक विफल, भ्रष्ट राजनीतिक प्रतिष्ठान के शासन को हमेशा के लिए समाप्त करने जा रहे हैं। हम अपने स्कूलों में देशभक्ति बहाल करने जा रहे हैं, अपनी सेना और सरकार से कट्टरपंथी वामपंथी और जागृत विचारधाराओं को बाहर निकालेंगे। हम अमेरिका को फिर से महान बनाने जा रहे हैं। यह अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा राजनीतिक आंदोलन है और 75 दिन पहले, हमने अपने देश की अब तक की सबसे बड़ी राजनीतिक जीत हासिल की है।

ट्रंप ने कहा कि हम जल्दी से अपने संप्रभु क्षेत्र और सीमाओं पर नियंत्रण फिर से स्थापित करेंगे। हम हर अवैध विदेशी गिरोह के सदस्य और प्रवासी अपराधी को अमेरिकी धरती से बाहर निकाल देंगे। इससे पहले, कोई भी खुली सीमाओं, जेलों, मानसिक संस्थानों, महिलाओं के खेल में पुरुषों के खेलने और ट्रांसजेंडर्स समेत सभी के बारे में सोच भी नहीं सकता था। बहुत जल्द हम अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़ा निर्वासन अभ्यास शुरू करेंगे।

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि हमने मध्य पूर्व में स्थायी शांति की दिशा में पहले कदम के रूप में एक ऐतिहासिक युद्धविराम समझौता हासिल किया है। यह समझौता नवंबर में हमारी ऐतिहासिक जीत के परिणामस्वरूप ही हो सकता था। बंधकों को रिहा किया गया है। यह (इजरायल-हमास संघर्ष) कभी नहीं होता अगर मैं राष्ट्रपति होता।

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप का शपथ ग्रहण समारोह, कई देशों के नेता हो रहे शामिल

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डोनाल्ड ट्रंप आज संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। इस मौके पर कैपिटल परिसर में एक भव्य उद्घाटन समारोह आयोजित किया जाएगा। ट्रंप का उद्घाटन उसी यूएस कैपिटल में होगा, जहां नवंबर में उन्होंने जबर्दस्त राजनीतिक वापसी की थी। यह वही जगह है, जहां चार साल पहले उनके समर्थकों ने 2020 के चुनावी हार के बाद हमला किया था।

इंडोर में होगा शपथ ग्रहण समारोह

इस वक्त पूरी दुनिया में उनके शपथ समारोह की चर्चा हो रही है, क्योंकि अमेरिका के इतिहास में 40 साल के बाद पहली बार डोनाल्ड ट्रंप खुले आसमान में नहीं, बल्कि संसद हॉल के अंदर शपथ लेंगे। डोनाल्ड ट्रंप भीषण ठंड पड़ने की वजह से खुले मैदान में शपथ न लेकर इंडोर में शपथ लेंगे। इस साल अमेरिका में सर्दी ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं और तापमान -10 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है। जिसके वजह से कार्यक्रम को इंडोर शिफ्ट कर दिया गया है।

शपथ लेने के बाद समर्थकों से मिलेंगे ट्रंप

इसे लेकर डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि ऐसा करने के पीछे वजह ये है कि वे लोगों को ठंड से बीमार पड़ते नहीं देखना चाहते हैं। उनके समर्थकों के लिए 20 हजार की क्षमता वाले कैपिटल एरिया में बड़े स्क्रीन लगाकर शपथ ग्रहण के लाइव टेलीकास्ट की व्यवस्था की गई है। शपथ के बाद वे यहां खुद समर्थकों के बीच आएंगे।

शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हो रहे कई देशों के नेता

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद के शपथ ग्रहण समारोह में दुनिया के कई देशों के नेता आने वाले हैं। नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली और इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी समेत कई देशों के नेताओं को शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया है। शी अपने प्रतिनिधि के रूप में अपने उपराष्ट्रपति को भेज रहे हैं।

एस जयशंकर करेंगे भारत सरकार का प्रतिनिधित्व

सोमवार को होने वाले डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में विदेश मंत्री एस जयशंकर भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे। समारोह के लिए क्वाड देशों के सभी विदेश मंत्रियों को भी न्योता भेजा गया है। इस मौके पर क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक भी प्रस्तावित है, जिसमें जयशंकर भी हिस्सा लेंगे।

मैं डोनाल्ड ट्रंप को हरा सकता था', राष्ट्रपति पद की रेस से हटने पर जो बाइडन ने पहली बार तोड़ी चुप्पी

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अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन ने देश में हुए राष्ट्रपति चुनावों के करीब 2 महीने बाद एक बड़ा बयान दिया है। बाइडेन ने कहा है कि वह नवंबर में हुए आम चुनावों में ट्रंप को हरा देते लेकिन उन्होंने डेमोक्रिटिक पार्टी की एकजुटता की खातिर चुनाव के बीच अपनी उम्मीदवारी को वापस लेने का फैसला किया। बता दें कि राष्ट्रपति चुनावों में बाइडेन की जगह उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उम्मीदवार बनाया गया था जिन्हें डोनाल्ड ट्रंप के हाथों करारी हार झेलनी पड़ी।

जो बाइडन से यहां व्हाइट हाउस में संवाददाता सम्मेलन में पूछा गया, राष्ट्रपति महोदय, क्या आपको चुनाव न लड़ने के अपने फैसले पर खेद है? क्या आपको लगता है कि आपने अपने पूर्ववर्ती (ट्रंप) को अपना उत्तराधिकारी बनने का आसान मौका दिया? इसपर बाइडन ने कहा, मुझे ऐसा नहीं लगता। मुझे लगता है कि मैं ट्रंप को हरा देता, हरा सकता था। मुझे लगता है कि कमला हैरिस ट्रंप को हरा सकती थीं।

बाइडन ने कहा, पार्टी को एकजुट करना महत्वपूर्ण है और जब पार्टी इस बात को लेकर चिंतित थी कि मैं आगे बढ़ पाऊंगा या नहीं, तो मैंने सोचा कि पार्टी को एकजुट करना बेहतर होगा। हालांकि मुझे लगा था कि मैं फिर से जीत सकता हूं।

बता दें कि जून में अटलांटा में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच हुई ‘डिबेट’ में 82 वर्षीय बाइडेन का प्रदर्शन कुछ खास नहीं था। डिबेट के बाद बाइडेन की पार्टी के लोग ही उनकी उम्मीदवारी पर सवाल उठाने लगे थे और अंत में बाइडेन ने राष्ट्रपति पद की दौड़ से हटने का फैसला कर लिया। बाइडेन के दौड़ से हटने के बाद उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया था। हालांकि उन्हें ट्रंप के हाथों हार का सामना करना पड़ा।

शपथग्रहण से 10 दिन पहले ट्रंप को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट का रहम दिखाने से इनकार

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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को हश मनी मामले में राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप की ओर दाखिल की गई सजा में देरी करने की अपील को खारिज कर दिया। इस आदेश के बाद न्यायाधीश जुआन एम. मर्चन के लिए शुक्रवार को ट्रंप को सजा सुनाने का रास्ता साफ हो गया है। बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका क राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। 20 जनवरी को शपथ ग्रहण के चलते उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सजा को रोकने की अपील की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप की सजा को रोकने से इनकार कर दिया है और याचिका खारिज कर दी है।

डोनाल्ड ट्रंप ने सजा सुनाए जाने से अंतिम समय पहले बुधवार यानी 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से सजा रोकने की अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि, ट्रंप की हश मनी केस में सजा को रोकने की अपील को खारिज कर दिया है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने शीर्ष अदालत से इस बात पर विचार करने का आग्रह किया था कि क्या वह अपनी सजा पर स्वत: रोक लगाने के हकदार हैं, लेकिन जज ने आवेदन को 5-4 से खारिज कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के दो कंजर्वेटिव जज – जॉन रॉबर्ट्स और एमी कोनी बैरेट ने तीन लिबरल जजों के साथ मिलकर बहुमत की और ट्रंप की सजा रोकने की अपील से इनकार कर दिया। बाकी चार न्यायाधीशों – क्लेरेंस थॉमस, सैमुअल अलिटो, नील गोरसच और ब्रेट कवनुघ – ने ट्रंप की अपील को स्वीकार कर दिया था, लेकिन 5-4 के मतों के साथ ट्रंप की अपील को अस्वीकार कर दिया गया।

इस केस को देख रहे जज जुआन मर्चन ने ट्रंप को सजा सुनाने के लिए 10 जनवरी का दिन तय किया है। जज ने हालांकि पहले ही संकेत दे दिए हैं कि ट्रंप को जेल की सजा नहीं दी जाएगी। साथ ही वो उन पर जुर्माना या प्रोबेशन नहीं लगाएंगे।

हश मनी केस साल 2016 का एक केस है। जिसमें कथित रूप से ट्रंप पर एडल्ट स्टार को पैसे देने का आरोप है। 2016 के राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले एडल्ट स्टार को संबंधों पर चुप्पी साधने के लिए आरोप है कि ट्रंप ने पैसे दिए। एडल्ट स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स को 1 लाख 30 हजार डॉलर देने का आरोप दर्ज किया गया है। हालांकि, ट्रंप सभी आरोपों को खारिज कर चुके हैं।

डोनाल्ड ट्रम्प और H-1B: उनकी कथनी और करनी पर एक वास्तविकता जाँच

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डोनाल्ड ट्रम्प ने एक ऐसे विषय पर अपनी राय रखी है जिस पर उनके समर्थकों के बीच बहस चल रही है - संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था में कुशल अप्रवासी श्रमिकों की भूमिका। निर्वाचित राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने उन श्रमिकों के लिए अक्सर वीज़ा का इस्तेमाल किया है और कार्यक्रम का समर्थन किया है।

ट्रम्प ने न्यूयॉर्क पोस्ट से कहा, "मेरी संपत्तियों पर कई H-1B वीज़ा हैं।" "मैं H-1B में विश्वास करता रहा हूँ। मैंने इसका कई बार इस्तेमाल किया है। यह एक बढ़िया कार्यक्रम है।"

हालाँकि, वास्तव में, ऐसा प्रतीत होता है कि ट्रम्प ने H-1B वीज़ा कार्यक्रम का बहुत कम इस्तेमाल किया है। यह सॉफ़्टवेयर इंजीनियरों जैसे कुशल श्रमिकों को तीन साल तक अमेरिका में काम करने की अनुमति देता है, और इसे छह साल तक बढ़ाया जा सकता है।

डोनाल्ड ट्रम्प की कथनी और करनी पर एक वास्तविकता जाँच

ट्रम्प ने वास्तव में H-2B वीज़ा कार्यक्रम का अधिक बार इस्तेमाल किया है, जो माली और गृहस्वामियों जैसे अकुशल श्रमिकों के लिए है, और H-2A कार्यक्रम, जो कृषि श्रमिकों के लिए है। ये वीजा श्रमिकों को देश में 10 महीने तक रहने की अनुमति देते हैं। संघीय आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रपति-चुनाव की कंपनियों को पिछले दो दशकों में दो H-2 कार्यक्रमों के माध्यम से 1,000 से अधिक श्रमिकों को रोजगार देने की स्वीकृति मिली है। 

आउटलेट ने बताया कि ट्रम्प संक्रमण टीम ने न्यूयॉर्क पोस्ट साक्षात्कार में ट्रम्प द्वारा संदर्भित वीजा के प्रकार पर स्पष्टता प्रदान नहीं की। हालाँकि, इसने कार्य वीजा पर ट्रम्प की स्थिति के बारे में एक पूर्व प्रश्न का उत्तर उनके द्वारा 2020 में दिए गए भाषण का पाठ साझा करके दिया। प्रतिक्रिया में कहा गया कि "अमेरिकियों को इस चमत्कारी कहानी को कभी नहीं भूलना चाहिए।" ट्रम्प ने 2016 में चुनाव प्रचार करते समय कहा था कि H-1B कार्यक्रम "श्रमिकों के लिए बहुत बुरा" था और जोर देकर कहा कि "हमें इसे समाप्त कर देना चाहिए।"

हालांकि, एलन मस्क के अनुयायियों सहित टेक उद्योग में कई लोगों ने ट्रम्प के शनिवार के साक्षात्कार की सराहना की। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर इयान माइल्स चेओंग ने एक्स पर पोस्ट किया, "डोनाल्ड ट्रम्प ने H-1B वीजा पर एलन मस्क का समर्थन किया।" मस्क, जो दक्षिण अफ्रीका में जन्मे एक प्राकृतिक नागरिक होने के नाते H-1B वीजा पर देश में आए थे, ने अक्सर इस बात पर जोर दिया है कि उनके हिसाब से वीजा कितना महत्वपूर्ण है क्योंकि तकनीकी कंपनियों की ज़रूरतों को पूरा करने में सक्षम अमेरिकी नागरिकों की कमी है। उन्होंने क्रिसमस के दिन X पर लिखा, "उत्कृष्ट इंजीनियरिंग प्रतिभा की स्थायी कमी है।" श्रम विभाग H-1B और H-2 दोनों कार्यक्रमों की देखरेख करता है और प्रत्येक के लिए अलग-अलग नियम लागू करता है। वर्तमान में, कुशल श्रमिक कार्यक्रम में प्रति वर्ष 65,000 की सीमा है। दूसरी ओर, H-2B वीजा की सीमा 66,000 है। H-2A वीजा की कोई सीमा नहीं है, लेकिन यह उद्योग के कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है। 

श्रम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, ट्रम्प की कंपनियों को 2003 से 2017 तक फ्लोरिडा के पाम बीच में मार-ए-लागो और साथ ही फ्लोरिडा के जुपिटर में ट्रम्प नेशनल गोल्फ क्लब सहित उनकी संपत्तियों पर रसोइये, हाउसकीपर और वेटर जैसी नौकरियों के लिए 1,000 से अधिक एच-2 वीजा के लिए मंजूरी दी गई थी। इन सभी मामलों में कंपनियों को यह प्रमाणित करना था कि कोई भी अमेरिकी नागरिक नहीं है जो इन नौकरियों को कर सकता है।

ट्रम्प के पहले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान भी, उनकी कंपनियों ने एच-2 कर्मचारियों को काम पर रखना जारी रखा। उदाहरण के लिए, उन्होंने 2018 के मध्य में मार-ए-लागो में 78 हाउसकीपर, रसोइये और खाद्य सर्वर के लिए वीजा के लिए आवेदन पोस्ट किए। सबसे हालिया H-1B आवेदन 2022 में ट्रम्प मीडिया एंड टेक्नोलॉजी ग्रुप द्वारा पोस्ट किया गया था, जो $65,000 के वेतन के साथ "उत्पाद डेटा विश्लेषक" की तलाश कर रहा था। यह स्पष्ट नहीं है कि पद भरा गया था या नहीं। वर्जीनिया के चार्लोट्सविले में राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए राष्ट्रपति की वाइनरी को एच-2ए कार्यक्रम के तहत 31 विदेशी वाइनयार्ड फार्मवर्कर्स की तलाश है। उन्हें प्रति घंटे 15.81 डॉलर की पेशकश की जा रही है।

पनामा नहर की क्या है अहमियत, अमेरिका के कंट्रोल की दी धमकी, ट्रंप के बयान से मची खलबली

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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पनामा नहर पर नियंत्रण वापस लेने के बयान से विवाद खड़ा हो गया है। ट्रंप ने रविवार को कहा कि उनका प्रशासन पनामा नहर पर नियंत्रण हासिल करने का प्रयास कर सकता है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा से कहा है कि वह पनामा नहर की फीस कम करे या तो उस पर नियंत्रण अमेरिका को वापस कर दे। ट्रंप ने आरोप लगाया कि मध्य अमेरिकी देश पनामा अमेरिकी मालवाहक जहाज़ों से ज़्यादा क़ीमत वसूल रहा है। वहीं पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने इस धारणा को अपने देश की संप्रभुता का अपमान बताते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया।

ट्रंप के पास अगले महीने अमेरिका की कमान आने वाली है।इससे पहले ट्रंप ने रविवार को कहा कि उनका प्रशासन पनामा नहर पर नियंत्रण हासिल करने का प्रयास कर सकता है जिसे अमेरिका ने ‘मूर्खतापूर्ण’ तरीके से अपने मध्य अमेरिकी सहयोगी को सौंप दिया था। ट्रंप ने अपनी इस बात के पीछे तर्क दिया कि अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाली इस अहम नहर से गुजरने के लिए जहाजों से ‘बेवजह’ शुल्क वसूला जाता है।

एरिजोना में ‘टर्निंग प्वाइंट यूएसए अमेरिकाफेस्ट’ में समर्थकों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने ये बातें कहीं। पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने इस धारणा को अपने देश की संप्रभुता का अपमान बताते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि पनामा कभी भी सौदेबाजी का विषय नहीं होगा। पनामा के राष्ट्रपति मुलिनो ने ट्रंप के बयान को खारिज कर कहा, 'नहर और उसके आसपास का हर वर्ग मीटर पनामा का है और पनामा का ही रहेगा। पनामा के लोगों के कई मुद्दों पर अलग-अलग विचार हो सकते हैं, लेकिन जब हमारी नहर और हमारी संप्रभुता की बात आती है तो हम सभी एकजुट हैं। इसलिए नहर का नियंत्रण पनामा का है और यह कभी भी सौदेबाजी का विषय नहीं होगा।'

पनामा नहर अहम क्यों?

82 किलोमीटर लंबी पनामा नहर अटलांटिक और प्रशांत महासागर को जोड़ती है। हर साल पनामा नहर से क़रीब 14 हज़ार पोतों की आवाजाही होती है। इनमें कार ले जाने वाले कंटेनर शिप के अलावा तेल, गैस और अन्य उत्पाद ले जाने वाले पोत भी शामिल हैं। पनामा की तरक़्क़ी का इंजन उसकी यही नहर है। पनामा के पास जब से नहर का नियंत्रण आया है, तब से उसके संचालन की तारीफ़ होती रही है। पनामा की सरकार को इस नहर से हर साल एक अरब डॉलर से ज़्यादा की ट्रांजिट फीस मिलती है। हालांकि पनामा नहर रूट से कुल वैश्विक ट्रेड का महज पाँच फ़ीसदी करोबार ही होता है।

अमेरिका ने पनामा को क्यों सौंपी थी नहर

अमेरिका ने 1900 के दशक की शुरुआत में इस नहर का निर्माण किया था। उसका मकसद अपने तटों के बीच वाणिज्यिक और सैन्य जहाजों के आवागमन को सुविधाजनक बनाना था। 1977 तक इस पर अमेरिका का नियंत्रण था। इसके बाद पनामा और अमेरिका का संयुक्त नियंत्रण हुआ लेकिन 1999 में इस पर पूरा नियंत्रण पनामा का हो गया था। अमेरिका ने 1977 में राष्ट्रपति जिमी कार्टर द्वारा हस्ताक्षरित एक संधि के तहत 31 दिसंबर 1999 को जलमार्ग का नियंत्रण पनामा को सौंप दिया था।

पनामा नहर विवादों में क्यों?

यह नहर जलाशयों पर निर्भर है और 2023 में पड़े सूखे से यह काफी प्रभावित हुई थी, जिसके कारण देश को इससे गुजरने वाले जहाजों की संख्या को सीमित करना पड़ा था। इसके अलावा नौकाओं से लिया जाने वाला शुल्क भी बढ़ा दिया गया था। इस वर्ष के बाद के महीनों में मौसम सामान्य होने के साथ नहर पर पारगमन सामान्य हो गया है लेकिन शुल्क में वृद्धि अगले वर्ष भी कायम रहने की उम्मीद है।

हम पर जितना कर लगाता है तो हम भी उन पर उतना ही टैक्स लगाएंगे', डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को दी धमकी

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अमेरिका के अगले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब तक पदभार नहीं संभाला है। हालांकि जब से चुनाव जीते हैं तब से ही अपने फैसलों से सबको चौंका रहे हैं। अब एक बार फिर उन्होंने ऐसा बयान दिया है जो भारत समेत कई देशों के लिए चिंता का सबब है। एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने भारत को चेतावनी देते हुए कहा कि जितना टैरिफ हमारे समान पर लगेगा उतना ही लगाएंगे।

ट्रंप ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर भारत हमपर टैक्स लगाता है तो हम भी भारत पर उतना ही टैक्स लगाएंगे। उन्होंने कहा कि टैक्स तो पारस्परिक। यदि वे हम पर टैक्स लगाते हैं, तो हम भी उन पर उतना ही टैक्स लगाएंगे। ट्रंप ने कहा कि वो लगभग अमेरिका के सभी सामानों पर भारी टैक्स लगाते हैं और हम उन पर टैक्स नहीं लहा रहे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। चीन के साथ संभावित व्यापार समझौते पर एक सवाल का जवाब में उन्होंने कहा कि भारत और ब्राजील उन देशों में शामिल हैं जो कुछ अमेरिकी उत्पादों पर उच्च टैरिफ लगाते हैं।

ट्रंप ने कहा रेसिप्रोकल, यह बहुत ही अहम है। अगर कोई हम पर कर लगाता है, जैसे- भारत। हमें अपने बारे में बात करने की जरूरत नहीं। अगर भारत हमें 100 फीसदी चार्ज करता है, तो हम ऐसा क्यों न करें? वे हमें साइकिल भेजते हैं। हम भी उन्हें साइकिल भेजते हैं। वे हमें 100-200 चार्ज करते हैं। ट्रंप ने कहा कि भारत में टैक्स बहुत है। ब्राजील भी ऐसा ही करता है। अगर वे हम पर टैक्स लगाना चाहते हैं तो वो ठीक है, लेकिन हम भी वैसा ही करेंगे।

हाल ही में ट्रंप ने घोषणा की कि वह जनवरी में अपने पदभार ग्रहण करने के पहले दिन ही ऐसे आदेशों पर हस्ताक्षर करेंगे, जिसके तहत मेक्सिको और कनाडा से आने वाले सभी सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा। यह तब तक लागू रहेगा जब तक कि वे अपने देशों से अमेरिका में अवैध अप्रवासियों और ड्रग्स, खास तौर से फेंटानाइल के प्रवाह को न रोकें। उन्होंने यह भी ऐलान किया कि यदि चीन ने अमेरिका में फेंटेनाइल ड्रग आने से रोकने के लिए निर्णायक कार्रवाई नहीं की तो वह चीन से आने वाले सामानों पर मौजूदा दरों के अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे।

हश मनी केस में ट्रंप की बढ़ीं ट्रंप की मुश्किलें, सजा बरकरार, जानें कोर्ट ने क्या कहा?

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हश मनी मामले में अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका लगा है। हश मनी मामले में जज ने डोनाल्ड ट्रंप की हश मनी केस की सजा को खारिज करने की मांग को ही खारिज कर दिया है। जज ने फैसले में कहा है कि स्कैंडल को छुपाने के लिए रिकॉर्ड में हेराफेरी की गई और इसलिए डोनाल्ड ट्रंप की सजा बरकरार रहनी चाहिए। बता दे कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पहले नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को गुप्त धन (हश मनी केस) समेत 34 मामलों में दोषी ठहराया गया था।

मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक न्यूयॉर्क के एक न्यायाधीश ने सोमवार को कहा कि हश मनी मामले में उन्हें राष्ट्रपति बनने के बाद भी कोई राहत नहीं मिलेगी और उनकी मई की सजा बरकरार रहेगी। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायाधीश जुआन मर्चेन ने अपने फैसले में कहा कि राष्ट्रपतियों को आधिकारिक कामों के लिए व्यापक प्रतिरक्षा देने का सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय लागू नहीं होता क्योंकि मुकदमे में गवाही "पूरी तरह से अनाधिकारिक आचरण से संबंधित थी, जिसके लिए कोई प्रतिरक्षा संरक्षण का अधिकार नहीं था।" न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी यही जानकारी दी है।

दरअसल ट्रंप ने याचिका दायर कर अपने खिलाफ चल रहे हश मनी मामले को खारिज करने की मांग की थी। ट्रंप के वकीलों ने याचिका में तर्क दिया था कि केस के बरकरार रहने से राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप की क्षमताएं बाधित होंगी और वह अच्छी तरह से सरकार नहीं चला पाएंगे। हालांकि जज ने इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट के इस फैसले से यह संभावना बढ़ गई है कि ट्रंप, जूरी के फैसले के खिलाफ अपील लंबित रहने तक, एक गंभीर अपराध के साथ व्हाइट हाउस में जाने वाले पहले राष्ट्रपति बन सकते हैं।

क्या है हश मनी केस?

एडल्ट स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स के साथ डोनाल्ड ट्रंप का संबंध 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में खूब चर्चा में रहा था। वहीं स्टॉर्मी डेनियल्स ट्रंप के साथ अपने रिश्ते को सार्वजनिक करने की धमकी दे रही थीं। इसके बाद डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें गुपचुप तरीके से पैसे दिए। जिसके बाद ट्रंप को डेनियल्स को 1 लाख 30 हजार डॉलर के भुगतान को छिपाने के लिए व्यावसायिक रिकॉर्ड में हेराफेरी करने के आरोप में दोषी ठहराया गया है।

ट्रंप ने जज पर लगाया था आरोप

बता दें कि 77 साल के ट्रंप पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, जिन्हें अपराधी घोषित किया गया है। हालांकि, ट्रंप ने अपने खिलाफ चलाए जा रहे इस मुकदमे को धांधलीपूर्ण बताया था। मैनहट्टन कोर्ट रूम के बाहर हाल ही में ट्रंप ने जज पर पक्षपात और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि जज बहुत भ्रष्ट हैं। उन्होंने कहा था कि मुकदमे में धांधली हुई।

ट्रंप ने बढ़ाई 'ड्रैगन' की टेंशन! इसे चीन में नियुक्त किया अमेरिकी राजदूत

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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई सरकार वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन सरकार के अंतर्राष्ट्रीयवाद के दृष्टिकोण से बिल्कुल अलग काम करने जा रही है। ऐसा डोनाल्ड ट्रंप के हालिया फैसले के बाद कहा जा सकता है। डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के बाद से लगातार अपनी टीम बनाने तैयारी में लगे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने चीन को लेकर भी पत्ते खोल दिए हैं। ट्रंप ने जॉर्जिया डेविड पर्ड्यू को चीन में एंबेसडर के लिए नॉमिनेट किया है।

ट्रंप ने गुरुवार को फैसले की जानकारी दी। अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा, “फॉर्च्यून 500 के सीईओ के रूप में, जिनका 40 साल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार करियर रहा है और जिन्होंने अमेरिकी सीनेट में सेवा की है। डेविड चीन के साथ हमारे संबंधों को बनाने में मदद करने के लिए बहुमूल्य विशेषज्ञता लेकर आए हैं। वह सिंगापुर और हांगकांग में रह चुके हैं और उन्होंने अपने करियर के अधिकांश समय एशिया और चीन में काम किया है।”

पर्ड्यू की नियुक्ति के लिए अमेरिकी सीनेट की मंजूरी की आवश्यकता होगी, लेकिन उनके अनुमोदन की संभावना है, क्योंकि सदन में रिपब्लिकन का बहुमत है। राजदूत के रूप में पर्ड्यू को शुरुआत से ही चुनौतीपूर्ण कार्यभार का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि ट्रम्प अमेरिका को चीन के साथ एक व्यापक व्यापार युद्ध में ले जाने के लिए तैयार हैं।

अभी हाल ही में ट्रंप ने अवैध अप्रवास और ड्रग्स पर लगाम लगाने के अपने प्रयास के तहत पदभार संभालते ही मैक्सिको, कनाडा और चीन पर व्यापक नए टैरिफ लगाने की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि वह कनाडा और मैक्सिको से देश में प्रवेश करने वाले सभी उत्पादों पर 25 प्रतिशत कर लगाएंगे और चीन से आने वाले सामानों पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे, जो उनके पहले कार्यकारी आदेशों में से एक है।

इसके बाद वाशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने इस सप्ताह के प्रारंभ में चेतावनी दी थी कि यदि व्यापार युद्ध हुआ तो सभी पक्षों को नुकसान होगा। दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंगयु ने एक्स पर पोस्ट किया कि चीन-अमेरिका आर्थिक और व्यापार सहयोग प्रकृति में पारस्परिक रूप से लाभकारी है। कोई भी व्यापार युद्ध या टैरिफ युद्ध नहीं जीतेगा। उन्होंने कहा कि चीन ने पिछले साल नशीली दवाओं की तस्करी को रोकने में मदद करने के लिए कदम उठाए थे।

धमकियों पर कितना अमल करेंगे ट्रंप?

यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ट्रंप वास्तव में इन धमकियों पर अमल करेंगे या वे इन्हें बातचीत की रणनीति के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर टैरिफ लागू किए जाते हैं, तो अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए गैस से लेकर ऑटोमोबाइल और कृषि उत्पादों तक हर चीज की कीमतें नाटकीय रूप से बढ़ सकती हैं। सबसे हालिया अमेरिकी जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका दुनिया में वस्तुओं का सबसे बड़ा आयातक है, जिसमें मेक्सिको, चीन और कनाडा इसके शीर्ष तीन आपूर्तिकर्ता हैं।

ट्रंप की चीन विरोधी टीम!

इससे पहले भी ट्रंप ने मार्को रूबियो और माइक वाल्ट्ज जैसे नेताओं को नई सरकार में अहम भूमिका के लिए चुना है। ये दोनों ही नेता चीन के विरोधी माने जाते रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप चीन के प्रति सख्त रुख की नीति पर ही काम करने जा रहे हैं।

शपथ ग्रहण के बाद डोनाल्‍ड ट्रंप की सबसे पहले भारत और चीन के दौरे की चर्चा, जानें क्यों है अहम*

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कुछ घंटों बाद डोनाल्ड ट्रंप दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र की कमान अपने हाथों में लेंगे। ये दूसरा मौका है जब वो सुपरपावर कहे जाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति बनेंगे। मगर उनकी शपथ से पहले ही दुनिया के कई देशों में हलचल मची हुई है। ट्रंप ने साफ संकेत दिए हैं कि उनके कार्यकाल के दौरान विदेश नीति किस दिशा में जाएगा। कुछ देशों की हालत तो कभी खुशी, कभी गम वाली है। चुनाव जीतने के बाद से ही ट्रंप की जीत और अमेरिका से अलग-अलग देशों के रिश्तों पर दुनिया भर में विश्लेषण चल रहा है। इस बीच खबर आ रही है पदभार संभालने के बाद ट्रंप भारत और चीन का दौरा करेंगे।

नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, बीजिंग के साथ संबंधों को सुधारने के लिए पदभार संभालने के बाद चीन की यात्रा पर जाना चाहते हैं, इसके अलावा उन्होंने भारत की संभावित यात्रा को लेकर भी सलाहकारों से बातचीत की है। ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान चीन पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की चेतावनी दी थी। लेकिन ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल' ने अपनी खबर में बताया, 'ट्रंप ने सलाहकारों से कहा है कि वह पदभार संभालने के बाद चीन की यात्रा पर जाना चाहते हैं, ताकि प्रचार के दौरान चीन को दी गई अधिक शुल्क लगाने संबंधी चेतावनी के कारण शी जिनपिंग के साथ तनावपूर्ण हुए संबंधों को सुधारा जा सके।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सलाहकारों से कहा है कि वे राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद चीन दौरे पर जाना चाहते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप ने अपने सलाहकारों से भारत के संभावित दौरे को लेकर भी चर्चा की है। बीते महीने क्रिसमस के मौके पर जब भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर अमेरिका गए थे, तब उनके दौरे पर भी ट्रंप के भारत के संभावित दौरे पर लेकर शुरुआती बातचीत हुई थी।

वहीं एक दिन पहले ही ट्रंप ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से फोन पर बात की। इस बातचीत को ट्रंप ने शानदार बताया और कहा कि दोनों के बीच व्यापार, फेंटानिल, टिकटॉक और अन्य मुद्दों पर अच्छी बातचीत हुई। ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को आमंत्रित किया गया था, लेकिन अब खबर है कि जिनपिंग की जगह उनके डिप्टी उपराष्ट्रपति हान झेंग, ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हो सकते हैं।

यूरोप, नाटो और पड़ोसियों कनाडा और मैक्सिको को छोड़कर भारत और चीन को तवज्‍जो देना एक बड़ा वैश्विक संदेश भी है। साफ है कि चीन और भारत से संबंधों के जरिए अमेरिकी व्‍यापार को गति मिल सकती है। ट्रंप बड़े बिजनेसमैन भी हैं लिहाजा वो बेहतर तरीके से जानते हैं कि व्‍यापार के बिना अर्थव्‍यवस्‍था को मजबूत नहीं किया जा सकता है। यही वजह है कि ट्रंप की नज भारत चीन पर है।

नहीं होने दूंगा तीसरा विश्व युद्ध”, शपथ से पहले डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा बयान

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अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करने से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने मेक अमेरिका ग्रेट अगेन विक्ट्री रैली को संबोधित किया। लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया। इस दौरान ट्रंप ने कहा कि मैं तीसरा विश्व विश्न युद्ध नहीं होने दूंगा। साथ ही अमेरिका को एक बार फिर से महान बनाऊंगा।

मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (एमएजीए) रैली में, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, देश का कार्यभार संभालने से पहले, आप ऐसी चीजें देख रहे हैं जिनकी किसी को उम्मीद नहीं थी। हर कोई इसे ‘ट्रंप इफेक्ट’ कह रहा है। यह आप हैं। यह आपका इफेक्ट हैं।

हम कल दोपहर को अपने देश को वापस ले लेंगे। अमेरिकी पतन के 4 वर्षों के लंबे समय पर पर्दा बंद हो जाएगा और हम अमेरिका के एक नए दिन की शुरुआत करेंगे। शक्ति और समृद्धि, गरिमा और गौरव। हम एक विफल, भ्रष्ट राजनीतिक प्रतिष्ठान के शासन को हमेशा के लिए समाप्त करने जा रहे हैं। हम अपने स्कूलों में देशभक्ति बहाल करने जा रहे हैं, अपनी सेना और सरकार से कट्टरपंथी वामपंथी और जागृत विचारधाराओं को बाहर निकालेंगे। हम अमेरिका को फिर से महान बनाने जा रहे हैं। यह अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा राजनीतिक आंदोलन है और 75 दिन पहले, हमने अपने देश की अब तक की सबसे बड़ी राजनीतिक जीत हासिल की है।

ट्रंप ने कहा कि हम जल्दी से अपने संप्रभु क्षेत्र और सीमाओं पर नियंत्रण फिर से स्थापित करेंगे। हम हर अवैध विदेशी गिरोह के सदस्य और प्रवासी अपराधी को अमेरिकी धरती से बाहर निकाल देंगे। इससे पहले, कोई भी खुली सीमाओं, जेलों, मानसिक संस्थानों, महिलाओं के खेल में पुरुषों के खेलने और ट्रांसजेंडर्स समेत सभी के बारे में सोच भी नहीं सकता था। बहुत जल्द हम अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़ा निर्वासन अभ्यास शुरू करेंगे।

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि हमने मध्य पूर्व में स्थायी शांति की दिशा में पहले कदम के रूप में एक ऐतिहासिक युद्धविराम समझौता हासिल किया है। यह समझौता नवंबर में हमारी ऐतिहासिक जीत के परिणामस्वरूप ही हो सकता था। बंधकों को रिहा किया गया है। यह (इजरायल-हमास संघर्ष) कभी नहीं होता अगर मैं राष्ट्रपति होता।

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप का शपथ ग्रहण समारोह, कई देशों के नेता हो रहे शामिल

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डोनाल्ड ट्रंप आज संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। इस मौके पर कैपिटल परिसर में एक भव्य उद्घाटन समारोह आयोजित किया जाएगा। ट्रंप का उद्घाटन उसी यूएस कैपिटल में होगा, जहां नवंबर में उन्होंने जबर्दस्त राजनीतिक वापसी की थी। यह वही जगह है, जहां चार साल पहले उनके समर्थकों ने 2020 के चुनावी हार के बाद हमला किया था।

इंडोर में होगा शपथ ग्रहण समारोह

इस वक्त पूरी दुनिया में उनके शपथ समारोह की चर्चा हो रही है, क्योंकि अमेरिका के इतिहास में 40 साल के बाद पहली बार डोनाल्ड ट्रंप खुले आसमान में नहीं, बल्कि संसद हॉल के अंदर शपथ लेंगे। डोनाल्ड ट्रंप भीषण ठंड पड़ने की वजह से खुले मैदान में शपथ न लेकर इंडोर में शपथ लेंगे। इस साल अमेरिका में सर्दी ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं और तापमान -10 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है। जिसके वजह से कार्यक्रम को इंडोर शिफ्ट कर दिया गया है।

शपथ लेने के बाद समर्थकों से मिलेंगे ट्रंप

इसे लेकर डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि ऐसा करने के पीछे वजह ये है कि वे लोगों को ठंड से बीमार पड़ते नहीं देखना चाहते हैं। उनके समर्थकों के लिए 20 हजार की क्षमता वाले कैपिटल एरिया में बड़े स्क्रीन लगाकर शपथ ग्रहण के लाइव टेलीकास्ट की व्यवस्था की गई है। शपथ के बाद वे यहां खुद समर्थकों के बीच आएंगे।

शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हो रहे कई देशों के नेता

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद के शपथ ग्रहण समारोह में दुनिया के कई देशों के नेता आने वाले हैं। नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली और इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी समेत कई देशों के नेताओं को शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया है। शी अपने प्रतिनिधि के रूप में अपने उपराष्ट्रपति को भेज रहे हैं।

एस जयशंकर करेंगे भारत सरकार का प्रतिनिधित्व

सोमवार को होने वाले डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में विदेश मंत्री एस जयशंकर भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे। समारोह के लिए क्वाड देशों के सभी विदेश मंत्रियों को भी न्योता भेजा गया है। इस मौके पर क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक भी प्रस्तावित है, जिसमें जयशंकर भी हिस्सा लेंगे।

मैं डोनाल्ड ट्रंप को हरा सकता था', राष्ट्रपति पद की रेस से हटने पर जो बाइडन ने पहली बार तोड़ी चुप्पी

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अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन ने देश में हुए राष्ट्रपति चुनावों के करीब 2 महीने बाद एक बड़ा बयान दिया है। बाइडेन ने कहा है कि वह नवंबर में हुए आम चुनावों में ट्रंप को हरा देते लेकिन उन्होंने डेमोक्रिटिक पार्टी की एकजुटता की खातिर चुनाव के बीच अपनी उम्मीदवारी को वापस लेने का फैसला किया। बता दें कि राष्ट्रपति चुनावों में बाइडेन की जगह उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उम्मीदवार बनाया गया था जिन्हें डोनाल्ड ट्रंप के हाथों करारी हार झेलनी पड़ी।

जो बाइडन से यहां व्हाइट हाउस में संवाददाता सम्मेलन में पूछा गया, राष्ट्रपति महोदय, क्या आपको चुनाव न लड़ने के अपने फैसले पर खेद है? क्या आपको लगता है कि आपने अपने पूर्ववर्ती (ट्रंप) को अपना उत्तराधिकारी बनने का आसान मौका दिया? इसपर बाइडन ने कहा, मुझे ऐसा नहीं लगता। मुझे लगता है कि मैं ट्रंप को हरा देता, हरा सकता था। मुझे लगता है कि कमला हैरिस ट्रंप को हरा सकती थीं।

बाइडन ने कहा, पार्टी को एकजुट करना महत्वपूर्ण है और जब पार्टी इस बात को लेकर चिंतित थी कि मैं आगे बढ़ पाऊंगा या नहीं, तो मैंने सोचा कि पार्टी को एकजुट करना बेहतर होगा। हालांकि मुझे लगा था कि मैं फिर से जीत सकता हूं।

बता दें कि जून में अटलांटा में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच हुई ‘डिबेट’ में 82 वर्षीय बाइडेन का प्रदर्शन कुछ खास नहीं था। डिबेट के बाद बाइडेन की पार्टी के लोग ही उनकी उम्मीदवारी पर सवाल उठाने लगे थे और अंत में बाइडेन ने राष्ट्रपति पद की दौड़ से हटने का फैसला कर लिया। बाइडेन के दौड़ से हटने के बाद उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया था। हालांकि उन्हें ट्रंप के हाथों हार का सामना करना पड़ा।

शपथग्रहण से 10 दिन पहले ट्रंप को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट का रहम दिखाने से इनकार

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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को हश मनी मामले में राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप की ओर दाखिल की गई सजा में देरी करने की अपील को खारिज कर दिया। इस आदेश के बाद न्यायाधीश जुआन एम. मर्चन के लिए शुक्रवार को ट्रंप को सजा सुनाने का रास्ता साफ हो गया है। बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका क राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। 20 जनवरी को शपथ ग्रहण के चलते उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सजा को रोकने की अपील की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप की सजा को रोकने से इनकार कर दिया है और याचिका खारिज कर दी है।

डोनाल्ड ट्रंप ने सजा सुनाए जाने से अंतिम समय पहले बुधवार यानी 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से सजा रोकने की अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि, ट्रंप की हश मनी केस में सजा को रोकने की अपील को खारिज कर दिया है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने शीर्ष अदालत से इस बात पर विचार करने का आग्रह किया था कि क्या वह अपनी सजा पर स्वत: रोक लगाने के हकदार हैं, लेकिन जज ने आवेदन को 5-4 से खारिज कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के दो कंजर्वेटिव जज – जॉन रॉबर्ट्स और एमी कोनी बैरेट ने तीन लिबरल जजों के साथ मिलकर बहुमत की और ट्रंप की सजा रोकने की अपील से इनकार कर दिया। बाकी चार न्यायाधीशों – क्लेरेंस थॉमस, सैमुअल अलिटो, नील गोरसच और ब्रेट कवनुघ – ने ट्रंप की अपील को स्वीकार कर दिया था, लेकिन 5-4 के मतों के साथ ट्रंप की अपील को अस्वीकार कर दिया गया।

इस केस को देख रहे जज जुआन मर्चन ने ट्रंप को सजा सुनाने के लिए 10 जनवरी का दिन तय किया है। जज ने हालांकि पहले ही संकेत दे दिए हैं कि ट्रंप को जेल की सजा नहीं दी जाएगी। साथ ही वो उन पर जुर्माना या प्रोबेशन नहीं लगाएंगे।

हश मनी केस साल 2016 का एक केस है। जिसमें कथित रूप से ट्रंप पर एडल्ट स्टार को पैसे देने का आरोप है। 2016 के राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले एडल्ट स्टार को संबंधों पर चुप्पी साधने के लिए आरोप है कि ट्रंप ने पैसे दिए। एडल्ट स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स को 1 लाख 30 हजार डॉलर देने का आरोप दर्ज किया गया है। हालांकि, ट्रंप सभी आरोपों को खारिज कर चुके हैं।

डोनाल्ड ट्रम्प और H-1B: उनकी कथनी और करनी पर एक वास्तविकता जाँच

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डोनाल्ड ट्रम्प ने एक ऐसे विषय पर अपनी राय रखी है जिस पर उनके समर्थकों के बीच बहस चल रही है - संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था में कुशल अप्रवासी श्रमिकों की भूमिका। निर्वाचित राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने उन श्रमिकों के लिए अक्सर वीज़ा का इस्तेमाल किया है और कार्यक्रम का समर्थन किया है।

ट्रम्प ने न्यूयॉर्क पोस्ट से कहा, "मेरी संपत्तियों पर कई H-1B वीज़ा हैं।" "मैं H-1B में विश्वास करता रहा हूँ। मैंने इसका कई बार इस्तेमाल किया है। यह एक बढ़िया कार्यक्रम है।"

हालाँकि, वास्तव में, ऐसा प्रतीत होता है कि ट्रम्प ने H-1B वीज़ा कार्यक्रम का बहुत कम इस्तेमाल किया है। यह सॉफ़्टवेयर इंजीनियरों जैसे कुशल श्रमिकों को तीन साल तक अमेरिका में काम करने की अनुमति देता है, और इसे छह साल तक बढ़ाया जा सकता है।

डोनाल्ड ट्रम्प की कथनी और करनी पर एक वास्तविकता जाँच

ट्रम्प ने वास्तव में H-2B वीज़ा कार्यक्रम का अधिक बार इस्तेमाल किया है, जो माली और गृहस्वामियों जैसे अकुशल श्रमिकों के लिए है, और H-2A कार्यक्रम, जो कृषि श्रमिकों के लिए है। ये वीजा श्रमिकों को देश में 10 महीने तक रहने की अनुमति देते हैं। संघीय आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रपति-चुनाव की कंपनियों को पिछले दो दशकों में दो H-2 कार्यक्रमों के माध्यम से 1,000 से अधिक श्रमिकों को रोजगार देने की स्वीकृति मिली है। 

आउटलेट ने बताया कि ट्रम्प संक्रमण टीम ने न्यूयॉर्क पोस्ट साक्षात्कार में ट्रम्प द्वारा संदर्भित वीजा के प्रकार पर स्पष्टता प्रदान नहीं की। हालाँकि, इसने कार्य वीजा पर ट्रम्प की स्थिति के बारे में एक पूर्व प्रश्न का उत्तर उनके द्वारा 2020 में दिए गए भाषण का पाठ साझा करके दिया। प्रतिक्रिया में कहा गया कि "अमेरिकियों को इस चमत्कारी कहानी को कभी नहीं भूलना चाहिए।" ट्रम्प ने 2016 में चुनाव प्रचार करते समय कहा था कि H-1B कार्यक्रम "श्रमिकों के लिए बहुत बुरा" था और जोर देकर कहा कि "हमें इसे समाप्त कर देना चाहिए।"

हालांकि, एलन मस्क के अनुयायियों सहित टेक उद्योग में कई लोगों ने ट्रम्प के शनिवार के साक्षात्कार की सराहना की। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर इयान माइल्स चेओंग ने एक्स पर पोस्ट किया, "डोनाल्ड ट्रम्प ने H-1B वीजा पर एलन मस्क का समर्थन किया।" मस्क, जो दक्षिण अफ्रीका में जन्मे एक प्राकृतिक नागरिक होने के नाते H-1B वीजा पर देश में आए थे, ने अक्सर इस बात पर जोर दिया है कि उनके हिसाब से वीजा कितना महत्वपूर्ण है क्योंकि तकनीकी कंपनियों की ज़रूरतों को पूरा करने में सक्षम अमेरिकी नागरिकों की कमी है। उन्होंने क्रिसमस के दिन X पर लिखा, "उत्कृष्ट इंजीनियरिंग प्रतिभा की स्थायी कमी है।" श्रम विभाग H-1B और H-2 दोनों कार्यक्रमों की देखरेख करता है और प्रत्येक के लिए अलग-अलग नियम लागू करता है। वर्तमान में, कुशल श्रमिक कार्यक्रम में प्रति वर्ष 65,000 की सीमा है। दूसरी ओर, H-2B वीजा की सीमा 66,000 है। H-2A वीजा की कोई सीमा नहीं है, लेकिन यह उद्योग के कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है। 

श्रम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, ट्रम्प की कंपनियों को 2003 से 2017 तक फ्लोरिडा के पाम बीच में मार-ए-लागो और साथ ही फ्लोरिडा के जुपिटर में ट्रम्प नेशनल गोल्फ क्लब सहित उनकी संपत्तियों पर रसोइये, हाउसकीपर और वेटर जैसी नौकरियों के लिए 1,000 से अधिक एच-2 वीजा के लिए मंजूरी दी गई थी। इन सभी मामलों में कंपनियों को यह प्रमाणित करना था कि कोई भी अमेरिकी नागरिक नहीं है जो इन नौकरियों को कर सकता है।

ट्रम्प के पहले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान भी, उनकी कंपनियों ने एच-2 कर्मचारियों को काम पर रखना जारी रखा। उदाहरण के लिए, उन्होंने 2018 के मध्य में मार-ए-लागो में 78 हाउसकीपर, रसोइये और खाद्य सर्वर के लिए वीजा के लिए आवेदन पोस्ट किए। सबसे हालिया H-1B आवेदन 2022 में ट्रम्प मीडिया एंड टेक्नोलॉजी ग्रुप द्वारा पोस्ट किया गया था, जो $65,000 के वेतन के साथ "उत्पाद डेटा विश्लेषक" की तलाश कर रहा था। यह स्पष्ट नहीं है कि पद भरा गया था या नहीं। वर्जीनिया के चार्लोट्सविले में राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए राष्ट्रपति की वाइनरी को एच-2ए कार्यक्रम के तहत 31 विदेशी वाइनयार्ड फार्मवर्कर्स की तलाश है। उन्हें प्रति घंटे 15.81 डॉलर की पेशकश की जा रही है।

पनामा नहर की क्या है अहमियत, अमेरिका के कंट्रोल की दी धमकी, ट्रंप के बयान से मची खलबली

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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पनामा नहर पर नियंत्रण वापस लेने के बयान से विवाद खड़ा हो गया है। ट्रंप ने रविवार को कहा कि उनका प्रशासन पनामा नहर पर नियंत्रण हासिल करने का प्रयास कर सकता है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा से कहा है कि वह पनामा नहर की फीस कम करे या तो उस पर नियंत्रण अमेरिका को वापस कर दे। ट्रंप ने आरोप लगाया कि मध्य अमेरिकी देश पनामा अमेरिकी मालवाहक जहाज़ों से ज़्यादा क़ीमत वसूल रहा है। वहीं पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने इस धारणा को अपने देश की संप्रभुता का अपमान बताते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया।

ट्रंप के पास अगले महीने अमेरिका की कमान आने वाली है।इससे पहले ट्रंप ने रविवार को कहा कि उनका प्रशासन पनामा नहर पर नियंत्रण हासिल करने का प्रयास कर सकता है जिसे अमेरिका ने ‘मूर्खतापूर्ण’ तरीके से अपने मध्य अमेरिकी सहयोगी को सौंप दिया था। ट्रंप ने अपनी इस बात के पीछे तर्क दिया कि अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाली इस अहम नहर से गुजरने के लिए जहाजों से ‘बेवजह’ शुल्क वसूला जाता है।

एरिजोना में ‘टर्निंग प्वाइंट यूएसए अमेरिकाफेस्ट’ में समर्थकों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने ये बातें कहीं। पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने इस धारणा को अपने देश की संप्रभुता का अपमान बताते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि पनामा कभी भी सौदेबाजी का विषय नहीं होगा। पनामा के राष्ट्रपति मुलिनो ने ट्रंप के बयान को खारिज कर कहा, 'नहर और उसके आसपास का हर वर्ग मीटर पनामा का है और पनामा का ही रहेगा। पनामा के लोगों के कई मुद्दों पर अलग-अलग विचार हो सकते हैं, लेकिन जब हमारी नहर और हमारी संप्रभुता की बात आती है तो हम सभी एकजुट हैं। इसलिए नहर का नियंत्रण पनामा का है और यह कभी भी सौदेबाजी का विषय नहीं होगा।'

पनामा नहर अहम क्यों?

82 किलोमीटर लंबी पनामा नहर अटलांटिक और प्रशांत महासागर को जोड़ती है। हर साल पनामा नहर से क़रीब 14 हज़ार पोतों की आवाजाही होती है। इनमें कार ले जाने वाले कंटेनर शिप के अलावा तेल, गैस और अन्य उत्पाद ले जाने वाले पोत भी शामिल हैं। पनामा की तरक़्क़ी का इंजन उसकी यही नहर है। पनामा के पास जब से नहर का नियंत्रण आया है, तब से उसके संचालन की तारीफ़ होती रही है। पनामा की सरकार को इस नहर से हर साल एक अरब डॉलर से ज़्यादा की ट्रांजिट फीस मिलती है। हालांकि पनामा नहर रूट से कुल वैश्विक ट्रेड का महज पाँच फ़ीसदी करोबार ही होता है।

अमेरिका ने पनामा को क्यों सौंपी थी नहर

अमेरिका ने 1900 के दशक की शुरुआत में इस नहर का निर्माण किया था। उसका मकसद अपने तटों के बीच वाणिज्यिक और सैन्य जहाजों के आवागमन को सुविधाजनक बनाना था। 1977 तक इस पर अमेरिका का नियंत्रण था। इसके बाद पनामा और अमेरिका का संयुक्त नियंत्रण हुआ लेकिन 1999 में इस पर पूरा नियंत्रण पनामा का हो गया था। अमेरिका ने 1977 में राष्ट्रपति जिमी कार्टर द्वारा हस्ताक्षरित एक संधि के तहत 31 दिसंबर 1999 को जलमार्ग का नियंत्रण पनामा को सौंप दिया था।

पनामा नहर विवादों में क्यों?

यह नहर जलाशयों पर निर्भर है और 2023 में पड़े सूखे से यह काफी प्रभावित हुई थी, जिसके कारण देश को इससे गुजरने वाले जहाजों की संख्या को सीमित करना पड़ा था। इसके अलावा नौकाओं से लिया जाने वाला शुल्क भी बढ़ा दिया गया था। इस वर्ष के बाद के महीनों में मौसम सामान्य होने के साथ नहर पर पारगमन सामान्य हो गया है लेकिन शुल्क में वृद्धि अगले वर्ष भी कायम रहने की उम्मीद है।

हम पर जितना कर लगाता है तो हम भी उन पर उतना ही टैक्स लगाएंगे', डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को दी धमकी

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अमेरिका के अगले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब तक पदभार नहीं संभाला है। हालांकि जब से चुनाव जीते हैं तब से ही अपने फैसलों से सबको चौंका रहे हैं। अब एक बार फिर उन्होंने ऐसा बयान दिया है जो भारत समेत कई देशों के लिए चिंता का सबब है। एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने भारत को चेतावनी देते हुए कहा कि जितना टैरिफ हमारे समान पर लगेगा उतना ही लगाएंगे।

ट्रंप ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर भारत हमपर टैक्स लगाता है तो हम भी भारत पर उतना ही टैक्स लगाएंगे। उन्होंने कहा कि टैक्स तो पारस्परिक। यदि वे हम पर टैक्स लगाते हैं, तो हम भी उन पर उतना ही टैक्स लगाएंगे। ट्रंप ने कहा कि वो लगभग अमेरिका के सभी सामानों पर भारी टैक्स लगाते हैं और हम उन पर टैक्स नहीं लहा रहे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। चीन के साथ संभावित व्यापार समझौते पर एक सवाल का जवाब में उन्होंने कहा कि भारत और ब्राजील उन देशों में शामिल हैं जो कुछ अमेरिकी उत्पादों पर उच्च टैरिफ लगाते हैं।

ट्रंप ने कहा रेसिप्रोकल, यह बहुत ही अहम है। अगर कोई हम पर कर लगाता है, जैसे- भारत। हमें अपने बारे में बात करने की जरूरत नहीं। अगर भारत हमें 100 फीसदी चार्ज करता है, तो हम ऐसा क्यों न करें? वे हमें साइकिल भेजते हैं। हम भी उन्हें साइकिल भेजते हैं। वे हमें 100-200 चार्ज करते हैं। ट्रंप ने कहा कि भारत में टैक्स बहुत है। ब्राजील भी ऐसा ही करता है। अगर वे हम पर टैक्स लगाना चाहते हैं तो वो ठीक है, लेकिन हम भी वैसा ही करेंगे।

हाल ही में ट्रंप ने घोषणा की कि वह जनवरी में अपने पदभार ग्रहण करने के पहले दिन ही ऐसे आदेशों पर हस्ताक्षर करेंगे, जिसके तहत मेक्सिको और कनाडा से आने वाले सभी सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा। यह तब तक लागू रहेगा जब तक कि वे अपने देशों से अमेरिका में अवैध अप्रवासियों और ड्रग्स, खास तौर से फेंटानाइल के प्रवाह को न रोकें। उन्होंने यह भी ऐलान किया कि यदि चीन ने अमेरिका में फेंटेनाइल ड्रग आने से रोकने के लिए निर्णायक कार्रवाई नहीं की तो वह चीन से आने वाले सामानों पर मौजूदा दरों के अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे।

हश मनी केस में ट्रंप की बढ़ीं ट्रंप की मुश्किलें, सजा बरकरार, जानें कोर्ट ने क्या कहा?

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हश मनी मामले में अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका लगा है। हश मनी मामले में जज ने डोनाल्ड ट्रंप की हश मनी केस की सजा को खारिज करने की मांग को ही खारिज कर दिया है। जज ने फैसले में कहा है कि स्कैंडल को छुपाने के लिए रिकॉर्ड में हेराफेरी की गई और इसलिए डोनाल्ड ट्रंप की सजा बरकरार रहनी चाहिए। बता दे कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पहले नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को गुप्त धन (हश मनी केस) समेत 34 मामलों में दोषी ठहराया गया था।

मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक न्यूयॉर्क के एक न्यायाधीश ने सोमवार को कहा कि हश मनी मामले में उन्हें राष्ट्रपति बनने के बाद भी कोई राहत नहीं मिलेगी और उनकी मई की सजा बरकरार रहेगी। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायाधीश जुआन मर्चेन ने अपने फैसले में कहा कि राष्ट्रपतियों को आधिकारिक कामों के लिए व्यापक प्रतिरक्षा देने का सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय लागू नहीं होता क्योंकि मुकदमे में गवाही "पूरी तरह से अनाधिकारिक आचरण से संबंधित थी, जिसके लिए कोई प्रतिरक्षा संरक्षण का अधिकार नहीं था।" न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी यही जानकारी दी है।

दरअसल ट्रंप ने याचिका दायर कर अपने खिलाफ चल रहे हश मनी मामले को खारिज करने की मांग की थी। ट्रंप के वकीलों ने याचिका में तर्क दिया था कि केस के बरकरार रहने से राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप की क्षमताएं बाधित होंगी और वह अच्छी तरह से सरकार नहीं चला पाएंगे। हालांकि जज ने इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट के इस फैसले से यह संभावना बढ़ गई है कि ट्रंप, जूरी के फैसले के खिलाफ अपील लंबित रहने तक, एक गंभीर अपराध के साथ व्हाइट हाउस में जाने वाले पहले राष्ट्रपति बन सकते हैं।

क्या है हश मनी केस?

एडल्ट स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स के साथ डोनाल्ड ट्रंप का संबंध 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में खूब चर्चा में रहा था। वहीं स्टॉर्मी डेनियल्स ट्रंप के साथ अपने रिश्ते को सार्वजनिक करने की धमकी दे रही थीं। इसके बाद डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें गुपचुप तरीके से पैसे दिए। जिसके बाद ट्रंप को डेनियल्स को 1 लाख 30 हजार डॉलर के भुगतान को छिपाने के लिए व्यावसायिक रिकॉर्ड में हेराफेरी करने के आरोप में दोषी ठहराया गया है।

ट्रंप ने जज पर लगाया था आरोप

बता दें कि 77 साल के ट्रंप पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, जिन्हें अपराधी घोषित किया गया है। हालांकि, ट्रंप ने अपने खिलाफ चलाए जा रहे इस मुकदमे को धांधलीपूर्ण बताया था। मैनहट्टन कोर्ट रूम के बाहर हाल ही में ट्रंप ने जज पर पक्षपात और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि जज बहुत भ्रष्ट हैं। उन्होंने कहा था कि मुकदमे में धांधली हुई।

ट्रंप ने बढ़ाई 'ड्रैगन' की टेंशन! इसे चीन में नियुक्त किया अमेरिकी राजदूत

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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई सरकार वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन सरकार के अंतर्राष्ट्रीयवाद के दृष्टिकोण से बिल्कुल अलग काम करने जा रही है। ऐसा डोनाल्ड ट्रंप के हालिया फैसले के बाद कहा जा सकता है। डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के बाद से लगातार अपनी टीम बनाने तैयारी में लगे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने चीन को लेकर भी पत्ते खोल दिए हैं। ट्रंप ने जॉर्जिया डेविड पर्ड्यू को चीन में एंबेसडर के लिए नॉमिनेट किया है।

ट्रंप ने गुरुवार को फैसले की जानकारी दी। अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा, “फॉर्च्यून 500 के सीईओ के रूप में, जिनका 40 साल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार करियर रहा है और जिन्होंने अमेरिकी सीनेट में सेवा की है। डेविड चीन के साथ हमारे संबंधों को बनाने में मदद करने के लिए बहुमूल्य विशेषज्ञता लेकर आए हैं। वह सिंगापुर और हांगकांग में रह चुके हैं और उन्होंने अपने करियर के अधिकांश समय एशिया और चीन में काम किया है।”

पर्ड्यू की नियुक्ति के लिए अमेरिकी सीनेट की मंजूरी की आवश्यकता होगी, लेकिन उनके अनुमोदन की संभावना है, क्योंकि सदन में रिपब्लिकन का बहुमत है। राजदूत के रूप में पर्ड्यू को शुरुआत से ही चुनौतीपूर्ण कार्यभार का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि ट्रम्प अमेरिका को चीन के साथ एक व्यापक व्यापार युद्ध में ले जाने के लिए तैयार हैं।

अभी हाल ही में ट्रंप ने अवैध अप्रवास और ड्रग्स पर लगाम लगाने के अपने प्रयास के तहत पदभार संभालते ही मैक्सिको, कनाडा और चीन पर व्यापक नए टैरिफ लगाने की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि वह कनाडा और मैक्सिको से देश में प्रवेश करने वाले सभी उत्पादों पर 25 प्रतिशत कर लगाएंगे और चीन से आने वाले सामानों पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे, जो उनके पहले कार्यकारी आदेशों में से एक है।

इसके बाद वाशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने इस सप्ताह के प्रारंभ में चेतावनी दी थी कि यदि व्यापार युद्ध हुआ तो सभी पक्षों को नुकसान होगा। दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंगयु ने एक्स पर पोस्ट किया कि चीन-अमेरिका आर्थिक और व्यापार सहयोग प्रकृति में पारस्परिक रूप से लाभकारी है। कोई भी व्यापार युद्ध या टैरिफ युद्ध नहीं जीतेगा। उन्होंने कहा कि चीन ने पिछले साल नशीली दवाओं की तस्करी को रोकने में मदद करने के लिए कदम उठाए थे।

धमकियों पर कितना अमल करेंगे ट्रंप?

यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ट्रंप वास्तव में इन धमकियों पर अमल करेंगे या वे इन्हें बातचीत की रणनीति के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर टैरिफ लागू किए जाते हैं, तो अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए गैस से लेकर ऑटोमोबाइल और कृषि उत्पादों तक हर चीज की कीमतें नाटकीय रूप से बढ़ सकती हैं। सबसे हालिया अमेरिकी जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका दुनिया में वस्तुओं का सबसे बड़ा आयातक है, जिसमें मेक्सिको, चीन और कनाडा इसके शीर्ष तीन आपूर्तिकर्ता हैं।

ट्रंप की चीन विरोधी टीम!

इससे पहले भी ट्रंप ने मार्को रूबियो और माइक वाल्ट्ज जैसे नेताओं को नई सरकार में अहम भूमिका के लिए चुना है। ये दोनों ही नेता चीन के विरोधी माने जाते रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप चीन के प्रति सख्त रुख की नीति पर ही काम करने जा रहे हैं।