ट्रंप के वफादार काश पटेल एफबीआई निदेशक बने, सीनेट की मंजूरी मिलते ही दहाड़ा

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय मूल के काश पटेल को फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानी एफबीआई का निदेशक नियुक्त किया है। डोनाल्ड ट्रंप के कट्टर समर्थक काश पटेल की एफबीआई चीफ के रूप में नियुक्ति को सीनेट ने हरी झंडी दिखा दी। सीनेट में हुए मतदान में उन्हें 51-49 के मामूली अंतर से बहुमत हासिल हुआ। डेमोक्रेट सांसदों ने काश पटेल की नियुक्ति का विरोध किया। उनकी योग्यता पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि काश पटेल ट्रंप के इशारे पर काम करेंगे और रिपब्लिकन नेता के विरोधियों को निशाना बनाएंगे।

ट्रंप का जताया आभार

एफबीआई के निदेशक के रूप में पुष्टि किए जाने के बाद, राष्ट्रपति ट्रंप का आभार व्यक्त किया और एजेंसी को 'पारदर्शी, जवाबदेह और न्याय के लिए प्रतिबद्ध' बनाने की कसम खाई। सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट साझा करते हुए, काश पटेल ने कहा, मैं संघीय जांच ब्यूरो के नौवें निदेशक के रूप में पुष्टि किए जाने पर सम्मानित महसूस हो रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप और अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी को आपके अटूट विश्वास और समर्थन के लिए धन्यवाद।

अमेरिका के खिलाफ काम करने वालों को चेतावनी

काश पटेल ने लिखा कि डायरेक्टर के रूप में मेरा मिशन साफ है, हम एक ऐसी एफबीआई का पुनर्निर्माण करेंगे जिस पर अमेरिकी लोगों को गर्व हो। और जो लोग अमेरिकियों को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं, वे इसे अपनी चेतावनी मानें। हम इस दुनिया के हर कोने में आपका पता लगा लेंगे।

काश पटेल की नियुक्ति के बाद तय है कि एफबीआई में बड़े बदलाव संभव हैं। काश पटेल पहले ही कह चुके हैं कि वह एफबीआई में बड़े बदलाव करेंगे। इनमें वाशिंगटन स्थित मुख्यालय में कर्मचारियों की संख्या में कमी और खुफिया जानकारी जुटाने और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कामों के बजाय अपराध से निपटने जैसे एफबीआई के पारंपरिक कामों पर नए सिरे से जोर देना शामिल है। पिछले दो दशकों में एफबीआई की भूमिका को खुफिया जानकारी जुटाने और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कामों से परिभाषित किया जाता रहा है।

मोदी को हराना चाहते थे बाइडेन, इसलिए कराई करोड़ों की फंडिंग”, डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा आरोप

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अमेरिकी सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) ने भारत में खर्च करने के लिए दिए गये 21 मिलियन डॉलर लगभग 182 करोड़ रुपए के एक फंड को खारिज कर दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत में वोटिंग टर्नआउट बढ़ाने के लिए अमेरिकी फंडिंग रोकने के फैसले पर एक बार फिर प्रतिक्रिया दी है। ट्रंप ने बुधवार को बड़ा दावा करते हुए कहा कि पिछली बाइडन सरकार की ओर से किसी और को जिताने की कोशिश की जा रही थी। शायद वे (पूर्ववर्ती बाइडन सरकार) भारत में किसी और की सरकार बनवाना चाहते थे। इससे पहले ट्रंप ने भारत को दी जाने वाली अमेरिकी फंडिंग रोकने के फैसले का बचाव किया था। ट्रंप ने सवाल उठाया कि भारत को 21 मिलियन डॉलर क्यों दिए गए, जबकि भारत के पास पहले से ही बहुत पैसा है।

ट्रंप ने एफआईआई प्रायोरिटी समिट में कहा, हमें भारत में मतदाता टर्नआउट पर 21 मिलियन डॉलर खर्च करने की आवश्यकता क्यों है? मुझे लगता है कि वे किसी और को जिताने की कोशिश कर रहे थे। हमें भारतीय सरकार को बताना होगा। यह एक पूरी तरह से नया खुलासा है। हमें भारत सरकार को बताना होगा, क्योंकि जब हम सुनते हैं कि रूस ने हमारे देश में 2 डॉलर का खर्च किया है तो यह हमारे लिए बड़ा मुद्दा बन जाता है।

बुधवार को भी ट्रंप ने भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए अमेरिकी फंडिंग पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कहा था कि 'हम भारत को 2.1 करोड़ डॉलर क्यों दे रहे थे? उनके पास पहले से ही काफी पैसा है। वे सबसे ज्यादा टैक्स लगाने वाले देश हैं। हम मुश्किल से उनके बाजार में अपना सामान भेज पा रहे हैं क्योंकि उनके टैरिफ बहुत ज्यादा हैं। मैं भारत और उनके प्रधानमंत्री का सम्मान करता हूं, लेकिन भारत के चुनाव में 2.1 करोड़ की फंडिंग देने का क्या मतलब है? यहां के मतदान प्रतिशत का क्या?'

हाल ही में एलन मस्क के नेतृत्व वाले डीओजीई विभाग ने विभिन्न देशों के लिए फंडिंग रोकने की घोषणा की थी, जिसमें भारत में मतदान को बढ़ावा देने के लिए 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि भी शामिल थी। डीओजीई कहा था कि अमेरिका ने भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए बनाए गए 21 मिलियन डॉलर के कार्यक्रम में कटौती करने का फैसला किया है। डीओजीई अमेरिकी सरकार के खर्चे में कटौती कर रहा है। सरकारी दक्षता विभाग ने फिलहाल यूएसएआईडी द्वारा की जाने वाली अधिकतर फंडिंग पर रोक लगा दी है।डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने संघीय सरकार की लागत में कटौती करने के उद्देश्य से सरकारी दक्षता विभाग का गठन किया था।

भारत बहुत अमीर है, हम 21 मिलियन डॉलर क्यों देंगे...जानें ट्रंप ने ऐसा क्यों कहा?

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हाल के सालों में भारत-अमेरिका संबंध ने एक नई ऊंचाई देखने को मिली है। हालांकि राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप की दोबारा वापसी के बाद भारत और अमेरिका का रिश्ता कैसा रहेगा ये सवाल उठने लगे हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरे पर गए थे, जहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उनका जोरदार स्वागत किया था। ट्रंप के दूसरी बार अमेरिका की कमान संभालने के बाद दोनों नेताओं की ये पहली मुलाकात थी। इसके तुरंत बाद अमेरिकी सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) ने भारत में खर्च करने के लिए दिए गये 21 मिलियन डॉलर के एक फंड को खारिज कर दिया है। इस पर टंप का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने भारत को दी जाने वाली अमेरिकी फंडिंग रोकने के फैसले का बचाव किया है। ट्रंप ने सवाल उठाया कि भारत को 21 मिलियन डॉलर क्यों दिए गए, जबकि भारत के पास पहले से ही बहुत पैसा है।

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रंप ने फंड का जिक्र करते हुए कहा कि हम भारत को 108 अरब क्यों दे रहे हैं? उनके पास पहले से ही बहुत पैसा है। वे अमीर हैं वे दुनिया के सबसे अधिक कर लगाने वाले देशों में से एक हैं। हम वहां मुश्किल से प्रवेश कर पाते हैं क्योंकि उनके टैरिफ काफी अधिक हैं। मुझे भारत और उनके प्रधानमंत्री का बहुत सम्मान है लेकिन वहां के चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए 1.8 अरब क्यों देना? ट्रंप ने इस फंडिंग को गैर-जरूरी बताते हुए कहा कि भारत जैसे देश को अमेरिका से इस तरह की वित्तीय सहायता की आवश्यकता नहीं है।

दरअसल हाल ही में एलन मस्क के नेतृत्व वाले डीओजीई विभाग ने विभिन्न देशों के लिए फंडिंग रोकने की घोषणा की थी, जिसमें भारत में मतदान को बढ़ावा देने के लिए 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि भी शामिल थी। डीओजीई कहा था कि अमेरिका ने भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए बनाए गए 21 मिलियन डॉलर के कार्यक्रम में कटौती करने का फैसला किया है। डीओजीई अमेरिकी सरकार के खर्चे में कटौती कर रहा है।

मुंबई हमले के गुनहगार तहव्वुर राणा का होगा भारत प्रत्यर्पण, ट्रंप की मंजूरी के बाद अब तक होगी वापसी


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मुंबई में 2008 में हुए आतंकवादी हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक तहव्वुर राणा को अमेरिका भारत को सौंपने जा रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बात की मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि तहव्वुर राणा को भारत में न्याय का सामना करना होगा। ट्रंप ने ये ऐलान व्हाइट हाउस में पीएम मोदी के साथ एक जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिनों के अमेरिका के दौरे पर थे। पीएम मोदी के वॉशिंगटन पहुंचने पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनकी गर्मजोशी से मुलाकात हुई। मुलाकात के दौरान दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच कई अहम विषयों पर समझौते हुए। इस दौरान ट्रंप ने ऐलान किया कि मुंबई हमले के गुनहगार तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पण किया जाएगा।

पीएम मोदी और राष्‍ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद साझा प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान ट्रंप ने कहा, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि हमारे प्रशासन ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के दोषी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। उसे भारत जाकर न्याय का सामना करना होगा।

ट्रंप के ऐलान के बाद आतंकी तहव्वुर राणा के अब बुरे दिन शुरू हो गए हैं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि उन्हें कुछ हफ्तों में भारत लाया जा सकता है। इसके लिए एजेंसियां तैयारी में जुट गई हैं। सरकारी सूत्रों के अनुसार, कानूनी दस्तावेज और वारंट जारी कर अमेरिकी अधिकारियों के साथ साझा किए गए हैं।

सूत्रों ने कहा, अब जब एक राजनीतिक निर्णय लिया गया है, तो दोनों पक्ष तारीख और समय तय करेंगे। विदेश मंत्रालय अपने अमेरिकी समकक्ष के साथ तारीख तय करने के लिए संपर्क में है। विदेश मंत्रालय की मंजूरी मिलते ही एआईए अधिकारियों की एक टीम अमेरिका जाने की संभावना है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का 26/11 मुंबई हमले के दोषी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी देना दोनों के बीच सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। तहव्वुर राणा पर 2008 के मुंबई हमले में साजिश रचने का आरोप है। उस पर आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को समर्थन देने का भी आरोप हैं।

भारत को मिलने वाला है दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार, क्या एफ-35 पर डील हो गई पक्की?


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भारत को दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार मिलने वाला है। दरअसल, अमेरिका ने भारत को दुनिया के सबसे खतरनाक स्टेल्थ फाइटर जेट F-35 बेचने की पेशकश कर दी है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका भारत को एफ-35 स्टेल्थ फाइटर जेट बेचेगा। ट्रंप ने वॉशिंगटन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, इस साल से हम भारत को कई अरब डॉलर के हथियार बेचने जा रहे हैं। हम भारत को एफ-35 स्टेल्थ फाइटर जेट देने का रास्ता भी साफ कर रहे हैं।

ट्रंप की इस पेशकश के बाद भारत ने कहा है कि अमेरिका से F-35 लड़ाकू विमान खरीदने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। यह अभी सिर्फ एक प्रस्ताव के स्तर पर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के बाद विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, यह अभी प्रस्ताव के चरण में है। मुझे नहीं लगता कि इस बारे में औपचारिक प्रक्रिया अभी तक शुरू हुई है।

क्यों है F-35 लड़ाकू विमान की डील मुश्किल?

वहीं, अमेरिका से F-35 लड़ाकू विमान के सौदे में कई अड़चनें आ सकती हैं। भारत के रूस के साथ अच्छे रक्षा संबंध हैं और अमेरिका उन देशों को एफ-35 बेचने में सावधानी बरतता है जहां से इसकी तकनीक लीक होने का खतरा हो सकता है। इसी वजह से अमेरिका ने तुर्की को एफ-35 देने से मना कर दिया था, क्योंकि उसे डर था कि रूस इसकी तकनीक चुरा सकता है। यह सौदा भारत को रूस से दूर करने की अमेरिका की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. क्योंकि भारत ने 2018 में रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा था।

F-35 की खासियत

F-35 लाइटनिंग-II एक अत्याधुनिक पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर विमान है। अमेरीका की लॉकहीड मार्टिन ने इसे विकसित किया है। यह फाइटर अलग अलग तरह के कांबेट मिशनों को अंजाम देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें एयर टू एयर, एयर टू ग्राउंड और इंटेलिजेंस जानकारी इकट्ठा करने और स्ट्रेजिक मिशन को अंजाम दिया जा सकता है। इसके 3 वेरियंट है। एयर फोर्स के लिए F-35A, F-35B वर्टिकल टेक ऑफ लैंडिंग क्षमता वाला और F-35C नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर से इस्तेमाल किए जाने वाला है। यह एक सिंगल इंजन एयरक्राफ्ट है। इसकी रफ्तार 1.6 मैक प्रतिघंट है. अधिकत्म 50000 फिट की ऊंचाई तक आसानी से उड़ान भर सकता है। एक बार टेकऑफ लेने के बाद यह 2200 किलोमीटर तक उड़ सकता है। इसमें स्टील्थ तकनीक के चलते यह दुश्मन की रड़ार की पकड़ में नहीं आता। F-35 KS इंटर्नल कंपार्टमेंट में AMRAAM, AIM-120, और एंटी-शिप मिसाइल जैसी लंबी दूरी की मिसाइलें आसानी से ले जा सकता है। इस एयरक्राफ्ट में एक 25 MM की गन भी लगी है। इसका कॉकपिट पूरी तरह से डिजिटल है।

व्हाइट हाउस में ट्रंप ने मोदी के लिए खींची कुर्सी, दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति का दिखा अलग अंदाज


#donald_trump_pulls_chair_for_pm_modi_during_meeting_in_white_house 

व्हाइट हाउस में दो पुराने दोस्त लंबे अरसे के बाद मिले। गुरूवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात हुई। इस दौरान दोनों नेताओं की कई तस्वीरें सामने आ रही हैं। जिन्हें देखकर लोग मोदी-ट्रंप की गहरी दोस्ती की बात कर रहे हैं। यही नहीं, दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति का ये अंदाज देख हर भारतीय गर्व महसूस करेगा। अमेरिका के राष्ट्रपति को दुनिया का सबसे ताकतवर शख्स समझा जाता है। इसी शख्स ने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के लिए सम्मानपूर्वक कुर्सी पीछे खींची। इसके अलावा ट्रंप तब तक पीएम मोदी की कुसी के पीछे खड़े रहे, जब पीएम मोदी ने एक किताब पर अपने अनुभव साझा नहीं कर दिए। 

जब पीएम मोदी राष्ट्रपति ट्रंप से मिलने के लिए उनके पास पहुंचे तो ट्रंप ने गले मिलकर गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। इसके अलावा एक वीडियो में डोनाल्ड ट्रंप पीएम मोदी के लिए कुर्सी खींचते नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में देखा जा सकता है कि पीएम मोदी, डोनाल्ड ट्रंप के पास पहुंचते हैं तो अमेरिकी राष्ट्रपति बाहें फैलाकर उनका स्वागत कर रहे हैं। इसके बाद वो दोनों गले मिलते हैं। इसी दौरान डोनाल्ड ट्रंप कहते हैं,'वी मिस यू, वी मिस यू अलॉट' यानी हमने आपको बहुत याद किया। इसके ट्रंप पीएम मोदी को कुछ अन्य लोगों से भी मिलवाते हैं।

वीडियो के आखिर में देखा जा सकता है कि पीएम मोदी एक कुर्सी बैठे हुए नोटबुक में अपना नोट लिख रहे हैं और ट्रंप उनके पीछे खड़े हुए हैं। इसी दौरान जब पीएम मोदी अपना नोट पूरा कर लेते हैं और उठने की कोशिश करते हैं तो पीछे खड़े ट्रंप आगे आते हैं और पीएम मोदी की कुर्सी पीछे खींचते हैं। ताकि प्रधानमंत्री मोदी को उठने में किसी भी तरह की दिक्कत ना हो। इसके बाद जब पीएम मोदी कुर्सी से उठ जाते हैं तो ट्रंप वापस उस कुर्सी वहीं पर रख देते हैं।

बाद में एक समाचार सम्मेलन में, ट्रंप ने अपनी पुरानी दोस्ती का जिक्र किया और अपनी पिछली मुलाकातों को याद किया। ट्रंप ने कहा, मैं अपने मित्र नरेंद्र मोदी, भारत के प्रधानमंत्री का व्हाइट हाउस में फिर से स्वागत करते हुए रोमांचित हूं। उन्होंने कहा, 'वह एक खास व्यक्ति हैं।' उन्होंने 2020 में भारत में उनके और उनकी पत्नी मेलानिया के प्रति पीएम मोदी के आतिथ्य को याद किया और कहा कि उन्हें भी वैसा ही करने में खुशी होगी।

व्हाइट हाउस में ट्रंप ने मोदी के लिए खींची कुर्सी, दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति का दिखा अलग अंदाज


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व्हाइट हाउस में दो पुराने दोस्त लंबे अरसे के बाद मिले। गुरूवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात हुई। इस दौरान दोनों नेताओं की कई तस्वीरें सामने आ रही हैं। जिन्हें देखकर लोग मोदी-ट्रंप की गहरी दोस्ती की बात कर रहे हैं। यही नहीं, दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति का ये अंदाज देख हर भारतीय गर्व महसूस करेगा। अमेरिका के राष्ट्रपति को दुनिया का सबसे ताकतवर शख्स समझा जाता है। इसी शख्स ने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के लिए सम्मानपूर्वक कुर्सी पीछे खींची। इसके अलावा ट्रंप तब तक पीएम मोदी की कुसी के पीछे खड़े रहे, जब पीएम मोदी ने एक किताब पर अपने अनुभव साझा नहीं कर दिए। 

जब पीएम मोदी राष्ट्रपति ट्रंप से मिलने के लिए उनके पास पहुंचे तो ट्रंप ने गले मिलकर गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। इसके अलावा एक वीडियो में डोनाल्ड ट्रंप पीएम मोदी के लिए कुर्सी खींचते नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में देखा जा सकता है कि पीएम मोदी, डोनाल्ड ट्रंप के पास पहुंचते हैं तो अमेरिकी राष्ट्रपति बाहें फैलाकर उनका स्वागत कर रहे हैं। इसके बाद वो दोनों गले मिलते हैं। इसी दौरान डोनाल्ड ट्रंप कहते हैं,'वी मिस यू, वी मिस यू अलॉट' यानी हमने आपको बहुत याद किया। इसके ट्रंप पीएम मोदी को कुछ अन्य लोगों से भी मिलवाते हैं।

वीडियो के आखिर में देखा जा सकता है कि पीएम मोदी एक कुर्सी बैठे हुए नोटबुक में अपना नोट लिख रहे हैं और ट्रंप उनके पीछे खड़े हुए हैं। इसी दौरान जब पीएम मोदी अपना नोट पूरा कर लेते हैं और उठने की कोशिश करते हैं तो पीछे खड़े ट्रंप आगे आते हैं और पीएम मोदी की कुर्सी पीछे खींचते हैं। ताकि प्रधानमंत्री मोदी को उठने में किसी भी तरह की दिक्कत ना हो। इसके बाद जब पीएम मोदी कुर्सी से उठ जाते हैं तो ट्रंप वापस उस कुर्सी वहीं पर रख देते हैं।

बाद में एक समाचार सम्मेलन में, ट्रंप ने अपनी पुरानी दोस्ती का जिक्र किया और अपनी पिछली मुलाकातों को याद किया। ट्रंप ने कहा, मैं अपने मित्र नरेंद्र मोदी, भारत के प्रधानमंत्री का व्हाइट हाउस में फिर से स्वागत करते हुए रोमांचित हूं। उन्होंने कहा, 'वह एक खास व्यक्ति हैं।' उन्होंने 2020 में भारत में उनके और उनकी पत्नी मेलानिया के प्रति पीएम मोदी के आतिथ्य को याद किया और कहा कि उन्हें भी वैसा ही करने में खुशी होगी।

“मोदी का कोई मुकाबला नहीं”, भारतीय प्रधानमंत्री से मिलकर क्या-क्या बोले ट्रंप


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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच गुरुवार को वाइट हाउस में मुलाकात हुई। दोनों नेताओं ने अपने पुराने संबंध को याद किया और दोनों देशों के विकास के लिए साथ मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। पीएम मोदी जैसे ही वाइट हाउस पहुंचे तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। दोनों नेता गले मिले।इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति ने पीएम मोदी की जमकर तारीफ की।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे कहीं ज्यादा कठोर वार्ताकार हैं। उनसे कोई मुकाबला ही नहीं है। बातचीत या समझौते को लेकर ट्रंप ने मोदी को खुद से कहीं ज्यादा सख्त और बेतहर बताया। पीएम मोदी के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब ट्रंप से पूछा गया कि उनमें से कौन आज ज्यादा सख्त मोलभाव कर सकता है तो ट्रंप ने कहा, 'पीएम नरेंद्र मोदी मुझसे कहीं ज्यादा सख्त मोलभाव करने वाले हैं और वह मुझसे कहीं ज्यादा बेहतर वार्ताकार हैं। कोई मुकाबला ही नहीं है।

ट्रंप ने कहा कि मोदी अपने देश के हित को सबसे ऊपर रखते हैं। मैं उनसे हमेशा सीखता हूं। दोनों नेता एक दूसरे के गले लगे। उनके बीच ये दोस्ती इस मुलाकात से नहीं बल्कि सालों पुरानी है। उन्होंने एल्बम में पुरानी तस्वीरें देखीं और उनपर मुस्कुराते हुए दिखाई दिए। ट्रंप ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच ये दोस्ती इस मुलाकात के बाद और भी गहरी होगी।

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा,'भारत के प्रधानमंत्री मोदी का हमारे साथ होना बहुत सम्मान की बात है। वे लंबे समय से मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं। हमारे बीच बहुत बढ़िया संबंध रहे हैं और हमने अपने 4 साल के कार्यकाल के दौरान इस संबंध को बनाए रखा। हमने अभी फिर से शुरुआत की है। मुझे लगता है कि हमारे पास बात करने के लिए कुछ बहुत बड़ी चीजें हैं।पहली बात है तेल और गैस की बात है और हमारे पास काफी तेल और गैस है और इंडिया में उसकी जरूरत है जो हम देंगे। बाद में बात आती है ट्रेड की, व्यापार की, इसके अलावा हमें बहुत खुशी और बहुत ही हमारे लिए एक सम्मान की बात है कि मेरे एक मित्र आज वापस यहां आए हैं और उनसे मिलकर मुझे बहुत खुशी है।

मोदी-ट्रंप के बीच क्या होंगे चर्चा के मुद्दे? मुलाकात पर दुनिया की नजर
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* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के दौरे पर अमेरिका पहुंच गए हैं। पीएम मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक भी करेंगे, ये ट्रंप दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी पहली द्विपक्षीय बैठक होगी। प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे को भारत-अमेरिका संबंधों के लिहाज से अहम माना जा रहा है। नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच बैठक में कई मुद्दों पर बातचीत होने की उम्मीद है। इसमें भारतीयों के अमेरिका से डिपोर्टशन में खराब बर्ताव, ट्रंप की टैरिफ नीति और चीन की आक्रामकता शामिल हो सकती है। *प्रवासियों को लेकर सहमति बनाने की कोशिश* नरेंद्र मोदी के इस दौरे के दौरान एक मुख्य मुद्दा भारतीय निर्वासितों के साथ मानवीय व्यवहार का हो सकता है। अमेरिका से हाल ही में 104 अवैध भारतीय अप्रवासियों के पहले जत्थे को भारत वापस भेजा गया है। भारत में अपने नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार पर भारी गुस्सा देखा गया है। भारतीयों को जंजीरों में बांधकर भेजे जाने के मामले में नरेंद्र मोदी सरकार को भी आलोचना सहनी पड़ी है। ऐसे में भारत इस दौरे पर अमेरिका से नागरिकों के साथ मानवीय बर्ताव करा आश्वासन मांग सकता है। *टैरिफ का मुद्दा अहम* डोनाल्ड ट्रंप पद संभालने के बाद से व्यापार शुल्क पर काफी आक्रामक हैं। ट्रंप ने कई देशों पर टैरिफ लगाए हैं और भारत के लिए भी सख्ती के संकेत दिए हैं। ट्रंप ने हाल ही में साथ एल्युमीनियम और स्टील के आयात पर 25 फीसदी टैरिफ का ऐलान किया है। भारतीय कंपनियां घरेलू स्टील की कीमतों पर इसके प्रभाव और अमेरिकी स्टील बाजार में जोखिम को लेकर चिंतित हैं। भारत ने नरेंद्र मोदी की यात्रा से पहले हाईएंड मोटरसाइकिलों और इलेक्ट्रिक बैटरियों पर शुल्क घटाए हैं। ऐसे में उम्मीद है कि इस मुद्दे पर दोनों पक्ष व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ बातचीत कर सकते हैं। *रक्षा उत्पादन में सहयोग बढ़ाने पर मंथन* इसके अलावा मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के दौरान भारत और अमेरिका के बीच महत्वपूर्ण रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। इस यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच स्ट्राइकर कॉम्बैट व्हीकल और फाइटर जेट इंजन के सह-उत्पादन को लेकर बड़ी डील हो सकती है। इसके अलावा भारत अमेरिका से माउंटेड एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल सिस्टम और सैकड़ों स्ट्राइकर व्हीकल्स खरीदने की योजना भी बना रहा है।
ट्रंप अब स्टील और एल्युमिनियम पर भी लगाएंगे टैरिफ, भारत पर क्या होगा असर?
#donald_trump_to_impose_25_percent_tariff_on_steel_and_aluminium
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सत्ता में आने के बाद से ही नए-नए एलान कर रहे हैं, जिनका असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। अब डोनाल्ड ट्रंप ने एक नया एलान किया है, उन्होंने कहा है कि वे स्टील और एल्युमीनियम के आयात पर 25 फीसदी टैरिफ लगाएंगे। इस संबंध में ट्रंप जल्द ही आधिकारिक एलान करेंगे।

डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को एयर फोर्स वन पर मीडिया के साथ बातचीत करते हुए कहा था कि अमेरिका आने वाले सभी देशों के मेटल पर टैरिफ लगाया जाएगा। इसके साथ ही ट्रंप ने ये भी कहा था कि जो देश अमेरिकी सामानों के इंपोर्ट पर टैक्स लगाते हैं, उन देशों के लिए भी इस हफ्ते के आखिर में टैरिफ की घोषणा की जाएगी।

डोनाल्ड ट्रंप के स्टील और एल्यूमिनियम पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने का सबसे ज्यादा कनाडा और मेक्सिको पर होगा। आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका अपना स्टील सबसे ज्यादा कनाडा, ब्राजील और मेक्सिको से ही मंगवाता है। इनके अलावा अमेरिका दक्षिण कोरिया, वियतनाम से भी स्टील मंगवाता है तो ट्रंप के टैरिफ लगाने के फैसले से ये देश सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। खासकर कनाडा, क्योंकि अमेरिका ने साल 2024 के पहले 11 महीनों में कनाडा से अपनी जरूरत का करीब 79 फीसदी स्टील मंगवाया था। वहीं अमेरिका अपना सबसे ज्यादा एल्युमीनियम मेक्सिको से मंगवाता है। 

बताते चलें कि ट्रंप ने कनाडा और मेक्सिको पर बीते दिनों 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का एलान किया था। हालांकि बाद में ट्रंप ने दोनों देशों पर टैरिफ लगाने के अपने फैसले को 30 दिनों के लिए टाल दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप फार्मास्यूटिकल, तेल और सेमीकंडक्टर जैसी चीजों पर भी टैरिफ लगा सकते हैं और फिलहाल इस पर विचार हो रहा है। ट्रंप, अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बेहतर करने और व्यापार घाटे को कम करने के लिए ये कदम उठा रहे हैं, लेकिन इन कदमों से पूरी दुनिया पर आर्थिक असर हो रहा है।

ट्रंप जब पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे, तब उन्होंने स्टील पर 25 प्रतिशत और एल्युमीनियम पर 10 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा की थी। हालांकि, उस समय उन्होंने अपने कई पार्टनर्स को राहत दी थी और उनमें कनाडा, मेक्सिको और ब्राजील भी शामिल थे।
ट्रंप के वफादार काश पटेल एफबीआई निदेशक बने, सीनेट की मंजूरी मिलते ही दहाड़ा

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय मूल के काश पटेल को फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानी एफबीआई का निदेशक नियुक्त किया है। डोनाल्ड ट्रंप के कट्टर समर्थक काश पटेल की एफबीआई चीफ के रूप में नियुक्ति को सीनेट ने हरी झंडी दिखा दी। सीनेट में हुए मतदान में उन्हें 51-49 के मामूली अंतर से बहुमत हासिल हुआ। डेमोक्रेट सांसदों ने काश पटेल की नियुक्ति का विरोध किया। उनकी योग्यता पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि काश पटेल ट्रंप के इशारे पर काम करेंगे और रिपब्लिकन नेता के विरोधियों को निशाना बनाएंगे।

ट्रंप का जताया आभार

एफबीआई के निदेशक के रूप में पुष्टि किए जाने के बाद, राष्ट्रपति ट्रंप का आभार व्यक्त किया और एजेंसी को 'पारदर्शी, जवाबदेह और न्याय के लिए प्रतिबद्ध' बनाने की कसम खाई। सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट साझा करते हुए, काश पटेल ने कहा, मैं संघीय जांच ब्यूरो के नौवें निदेशक के रूप में पुष्टि किए जाने पर सम्मानित महसूस हो रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप और अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी को आपके अटूट विश्वास और समर्थन के लिए धन्यवाद।

अमेरिका के खिलाफ काम करने वालों को चेतावनी

काश पटेल ने लिखा कि डायरेक्टर के रूप में मेरा मिशन साफ है, हम एक ऐसी एफबीआई का पुनर्निर्माण करेंगे जिस पर अमेरिकी लोगों को गर्व हो। और जो लोग अमेरिकियों को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं, वे इसे अपनी चेतावनी मानें। हम इस दुनिया के हर कोने में आपका पता लगा लेंगे।

काश पटेल की नियुक्ति के बाद तय है कि एफबीआई में बड़े बदलाव संभव हैं। काश पटेल पहले ही कह चुके हैं कि वह एफबीआई में बड़े बदलाव करेंगे। इनमें वाशिंगटन स्थित मुख्यालय में कर्मचारियों की संख्या में कमी और खुफिया जानकारी जुटाने और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कामों के बजाय अपराध से निपटने जैसे एफबीआई के पारंपरिक कामों पर नए सिरे से जोर देना शामिल है। पिछले दो दशकों में एफबीआई की भूमिका को खुफिया जानकारी जुटाने और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कामों से परिभाषित किया जाता रहा है।

मोदी को हराना चाहते थे बाइडेन, इसलिए कराई करोड़ों की फंडिंग”, डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा आरोप

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अमेरिकी सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) ने भारत में खर्च करने के लिए दिए गये 21 मिलियन डॉलर लगभग 182 करोड़ रुपए के एक फंड को खारिज कर दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत में वोटिंग टर्नआउट बढ़ाने के लिए अमेरिकी फंडिंग रोकने के फैसले पर एक बार फिर प्रतिक्रिया दी है। ट्रंप ने बुधवार को बड़ा दावा करते हुए कहा कि पिछली बाइडन सरकार की ओर से किसी और को जिताने की कोशिश की जा रही थी। शायद वे (पूर्ववर्ती बाइडन सरकार) भारत में किसी और की सरकार बनवाना चाहते थे। इससे पहले ट्रंप ने भारत को दी जाने वाली अमेरिकी फंडिंग रोकने के फैसले का बचाव किया था। ट्रंप ने सवाल उठाया कि भारत को 21 मिलियन डॉलर क्यों दिए गए, जबकि भारत के पास पहले से ही बहुत पैसा है।

ट्रंप ने एफआईआई प्रायोरिटी समिट में कहा, हमें भारत में मतदाता टर्नआउट पर 21 मिलियन डॉलर खर्च करने की आवश्यकता क्यों है? मुझे लगता है कि वे किसी और को जिताने की कोशिश कर रहे थे। हमें भारतीय सरकार को बताना होगा। यह एक पूरी तरह से नया खुलासा है। हमें भारत सरकार को बताना होगा, क्योंकि जब हम सुनते हैं कि रूस ने हमारे देश में 2 डॉलर का खर्च किया है तो यह हमारे लिए बड़ा मुद्दा बन जाता है।

बुधवार को भी ट्रंप ने भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए अमेरिकी फंडिंग पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कहा था कि 'हम भारत को 2.1 करोड़ डॉलर क्यों दे रहे थे? उनके पास पहले से ही काफी पैसा है। वे सबसे ज्यादा टैक्स लगाने वाले देश हैं। हम मुश्किल से उनके बाजार में अपना सामान भेज पा रहे हैं क्योंकि उनके टैरिफ बहुत ज्यादा हैं। मैं भारत और उनके प्रधानमंत्री का सम्मान करता हूं, लेकिन भारत के चुनाव में 2.1 करोड़ की फंडिंग देने का क्या मतलब है? यहां के मतदान प्रतिशत का क्या?'

हाल ही में एलन मस्क के नेतृत्व वाले डीओजीई विभाग ने विभिन्न देशों के लिए फंडिंग रोकने की घोषणा की थी, जिसमें भारत में मतदान को बढ़ावा देने के लिए 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि भी शामिल थी। डीओजीई कहा था कि अमेरिका ने भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए बनाए गए 21 मिलियन डॉलर के कार्यक्रम में कटौती करने का फैसला किया है। डीओजीई अमेरिकी सरकार के खर्चे में कटौती कर रहा है। सरकारी दक्षता विभाग ने फिलहाल यूएसएआईडी द्वारा की जाने वाली अधिकतर फंडिंग पर रोक लगा दी है।डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने संघीय सरकार की लागत में कटौती करने के उद्देश्य से सरकारी दक्षता विभाग का गठन किया था।

भारत बहुत अमीर है, हम 21 मिलियन डॉलर क्यों देंगे...जानें ट्रंप ने ऐसा क्यों कहा?

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हाल के सालों में भारत-अमेरिका संबंध ने एक नई ऊंचाई देखने को मिली है। हालांकि राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप की दोबारा वापसी के बाद भारत और अमेरिका का रिश्ता कैसा रहेगा ये सवाल उठने लगे हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरे पर गए थे, जहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उनका जोरदार स्वागत किया था। ट्रंप के दूसरी बार अमेरिका की कमान संभालने के बाद दोनों नेताओं की ये पहली मुलाकात थी। इसके तुरंत बाद अमेरिकी सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) ने भारत में खर्च करने के लिए दिए गये 21 मिलियन डॉलर के एक फंड को खारिज कर दिया है। इस पर टंप का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने भारत को दी जाने वाली अमेरिकी फंडिंग रोकने के फैसले का बचाव किया है। ट्रंप ने सवाल उठाया कि भारत को 21 मिलियन डॉलर क्यों दिए गए, जबकि भारत के पास पहले से ही बहुत पैसा है।

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रंप ने फंड का जिक्र करते हुए कहा कि हम भारत को 108 अरब क्यों दे रहे हैं? उनके पास पहले से ही बहुत पैसा है। वे अमीर हैं वे दुनिया के सबसे अधिक कर लगाने वाले देशों में से एक हैं। हम वहां मुश्किल से प्रवेश कर पाते हैं क्योंकि उनके टैरिफ काफी अधिक हैं। मुझे भारत और उनके प्रधानमंत्री का बहुत सम्मान है लेकिन वहां के चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए 1.8 अरब क्यों देना? ट्रंप ने इस फंडिंग को गैर-जरूरी बताते हुए कहा कि भारत जैसे देश को अमेरिका से इस तरह की वित्तीय सहायता की आवश्यकता नहीं है।

दरअसल हाल ही में एलन मस्क के नेतृत्व वाले डीओजीई विभाग ने विभिन्न देशों के लिए फंडिंग रोकने की घोषणा की थी, जिसमें भारत में मतदान को बढ़ावा देने के लिए 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि भी शामिल थी। डीओजीई कहा था कि अमेरिका ने भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए बनाए गए 21 मिलियन डॉलर के कार्यक्रम में कटौती करने का फैसला किया है। डीओजीई अमेरिकी सरकार के खर्चे में कटौती कर रहा है।

मुंबई हमले के गुनहगार तहव्वुर राणा का होगा भारत प्रत्यर्पण, ट्रंप की मंजूरी के बाद अब तक होगी वापसी


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मुंबई में 2008 में हुए आतंकवादी हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक तहव्वुर राणा को अमेरिका भारत को सौंपने जा रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बात की मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि तहव्वुर राणा को भारत में न्याय का सामना करना होगा। ट्रंप ने ये ऐलान व्हाइट हाउस में पीएम मोदी के साथ एक जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिनों के अमेरिका के दौरे पर थे। पीएम मोदी के वॉशिंगटन पहुंचने पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनकी गर्मजोशी से मुलाकात हुई। मुलाकात के दौरान दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच कई अहम विषयों पर समझौते हुए। इस दौरान ट्रंप ने ऐलान किया कि मुंबई हमले के गुनहगार तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पण किया जाएगा।

पीएम मोदी और राष्‍ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद साझा प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान ट्रंप ने कहा, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि हमारे प्रशासन ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के दोषी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। उसे भारत जाकर न्याय का सामना करना होगा।

ट्रंप के ऐलान के बाद आतंकी तहव्वुर राणा के अब बुरे दिन शुरू हो गए हैं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि उन्हें कुछ हफ्तों में भारत लाया जा सकता है। इसके लिए एजेंसियां तैयारी में जुट गई हैं। सरकारी सूत्रों के अनुसार, कानूनी दस्तावेज और वारंट जारी कर अमेरिकी अधिकारियों के साथ साझा किए गए हैं।

सूत्रों ने कहा, अब जब एक राजनीतिक निर्णय लिया गया है, तो दोनों पक्ष तारीख और समय तय करेंगे। विदेश मंत्रालय अपने अमेरिकी समकक्ष के साथ तारीख तय करने के लिए संपर्क में है। विदेश मंत्रालय की मंजूरी मिलते ही एआईए अधिकारियों की एक टीम अमेरिका जाने की संभावना है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का 26/11 मुंबई हमले के दोषी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी देना दोनों के बीच सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। तहव्वुर राणा पर 2008 के मुंबई हमले में साजिश रचने का आरोप है। उस पर आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को समर्थन देने का भी आरोप हैं।

भारत को मिलने वाला है दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार, क्या एफ-35 पर डील हो गई पक्की?


#donaldtrumpannouncedtogivef35fighterjetsto_india 

भारत को दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार मिलने वाला है। दरअसल, अमेरिका ने भारत को दुनिया के सबसे खतरनाक स्टेल्थ फाइटर जेट F-35 बेचने की पेशकश कर दी है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका भारत को एफ-35 स्टेल्थ फाइटर जेट बेचेगा। ट्रंप ने वॉशिंगटन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, इस साल से हम भारत को कई अरब डॉलर के हथियार बेचने जा रहे हैं। हम भारत को एफ-35 स्टेल्थ फाइटर जेट देने का रास्ता भी साफ कर रहे हैं।

ट्रंप की इस पेशकश के बाद भारत ने कहा है कि अमेरिका से F-35 लड़ाकू विमान खरीदने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। यह अभी सिर्फ एक प्रस्ताव के स्तर पर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के बाद विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, यह अभी प्रस्ताव के चरण में है। मुझे नहीं लगता कि इस बारे में औपचारिक प्रक्रिया अभी तक शुरू हुई है।

क्यों है F-35 लड़ाकू विमान की डील मुश्किल?

वहीं, अमेरिका से F-35 लड़ाकू विमान के सौदे में कई अड़चनें आ सकती हैं। भारत के रूस के साथ अच्छे रक्षा संबंध हैं और अमेरिका उन देशों को एफ-35 बेचने में सावधानी बरतता है जहां से इसकी तकनीक लीक होने का खतरा हो सकता है। इसी वजह से अमेरिका ने तुर्की को एफ-35 देने से मना कर दिया था, क्योंकि उसे डर था कि रूस इसकी तकनीक चुरा सकता है। यह सौदा भारत को रूस से दूर करने की अमेरिका की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. क्योंकि भारत ने 2018 में रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा था।

F-35 की खासियत

F-35 लाइटनिंग-II एक अत्याधुनिक पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर विमान है। अमेरीका की लॉकहीड मार्टिन ने इसे विकसित किया है। यह फाइटर अलग अलग तरह के कांबेट मिशनों को अंजाम देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें एयर टू एयर, एयर टू ग्राउंड और इंटेलिजेंस जानकारी इकट्ठा करने और स्ट्रेजिक मिशन को अंजाम दिया जा सकता है। इसके 3 वेरियंट है। एयर फोर्स के लिए F-35A, F-35B वर्टिकल टेक ऑफ लैंडिंग क्षमता वाला और F-35C नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर से इस्तेमाल किए जाने वाला है। यह एक सिंगल इंजन एयरक्राफ्ट है। इसकी रफ्तार 1.6 मैक प्रतिघंट है. अधिकत्म 50000 फिट की ऊंचाई तक आसानी से उड़ान भर सकता है। एक बार टेकऑफ लेने के बाद यह 2200 किलोमीटर तक उड़ सकता है। इसमें स्टील्थ तकनीक के चलते यह दुश्मन की रड़ार की पकड़ में नहीं आता। F-35 KS इंटर्नल कंपार्टमेंट में AMRAAM, AIM-120, और एंटी-शिप मिसाइल जैसी लंबी दूरी की मिसाइलें आसानी से ले जा सकता है। इस एयरक्राफ्ट में एक 25 MM की गन भी लगी है। इसका कॉकपिट पूरी तरह से डिजिटल है।

व्हाइट हाउस में ट्रंप ने मोदी के लिए खींची कुर्सी, दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति का दिखा अलग अंदाज


#donald_trump_pulls_chair_for_pm_modi_during_meeting_in_white_house 

व्हाइट हाउस में दो पुराने दोस्त लंबे अरसे के बाद मिले। गुरूवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात हुई। इस दौरान दोनों नेताओं की कई तस्वीरें सामने आ रही हैं। जिन्हें देखकर लोग मोदी-ट्रंप की गहरी दोस्ती की बात कर रहे हैं। यही नहीं, दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति का ये अंदाज देख हर भारतीय गर्व महसूस करेगा। अमेरिका के राष्ट्रपति को दुनिया का सबसे ताकतवर शख्स समझा जाता है। इसी शख्स ने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के लिए सम्मानपूर्वक कुर्सी पीछे खींची। इसके अलावा ट्रंप तब तक पीएम मोदी की कुसी के पीछे खड़े रहे, जब पीएम मोदी ने एक किताब पर अपने अनुभव साझा नहीं कर दिए। 

जब पीएम मोदी राष्ट्रपति ट्रंप से मिलने के लिए उनके पास पहुंचे तो ट्रंप ने गले मिलकर गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। इसके अलावा एक वीडियो में डोनाल्ड ट्रंप पीएम मोदी के लिए कुर्सी खींचते नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में देखा जा सकता है कि पीएम मोदी, डोनाल्ड ट्रंप के पास पहुंचते हैं तो अमेरिकी राष्ट्रपति बाहें फैलाकर उनका स्वागत कर रहे हैं। इसके बाद वो दोनों गले मिलते हैं। इसी दौरान डोनाल्ड ट्रंप कहते हैं,'वी मिस यू, वी मिस यू अलॉट' यानी हमने आपको बहुत याद किया। इसके ट्रंप पीएम मोदी को कुछ अन्य लोगों से भी मिलवाते हैं।

वीडियो के आखिर में देखा जा सकता है कि पीएम मोदी एक कुर्सी बैठे हुए नोटबुक में अपना नोट लिख रहे हैं और ट्रंप उनके पीछे खड़े हुए हैं। इसी दौरान जब पीएम मोदी अपना नोट पूरा कर लेते हैं और उठने की कोशिश करते हैं तो पीछे खड़े ट्रंप आगे आते हैं और पीएम मोदी की कुर्सी पीछे खींचते हैं। ताकि प्रधानमंत्री मोदी को उठने में किसी भी तरह की दिक्कत ना हो। इसके बाद जब पीएम मोदी कुर्सी से उठ जाते हैं तो ट्रंप वापस उस कुर्सी वहीं पर रख देते हैं।

बाद में एक समाचार सम्मेलन में, ट्रंप ने अपनी पुरानी दोस्ती का जिक्र किया और अपनी पिछली मुलाकातों को याद किया। ट्रंप ने कहा, मैं अपने मित्र नरेंद्र मोदी, भारत के प्रधानमंत्री का व्हाइट हाउस में फिर से स्वागत करते हुए रोमांचित हूं। उन्होंने कहा, 'वह एक खास व्यक्ति हैं।' उन्होंने 2020 में भारत में उनके और उनकी पत्नी मेलानिया के प्रति पीएम मोदी के आतिथ्य को याद किया और कहा कि उन्हें भी वैसा ही करने में खुशी होगी।

व्हाइट हाउस में ट्रंप ने मोदी के लिए खींची कुर्सी, दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति का दिखा अलग अंदाज


#donald_trump_pulls_chair_for_pm_modi_during_meeting_in_white_house

व्हाइट हाउस में दो पुराने दोस्त लंबे अरसे के बाद मिले। गुरूवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात हुई। इस दौरान दोनों नेताओं की कई तस्वीरें सामने आ रही हैं। जिन्हें देखकर लोग मोदी-ट्रंप की गहरी दोस्ती की बात कर रहे हैं। यही नहीं, दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति का ये अंदाज देख हर भारतीय गर्व महसूस करेगा। अमेरिका के राष्ट्रपति को दुनिया का सबसे ताकतवर शख्स समझा जाता है। इसी शख्स ने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के लिए सम्मानपूर्वक कुर्सी पीछे खींची। इसके अलावा ट्रंप तब तक पीएम मोदी की कुसी के पीछे खड़े रहे, जब पीएम मोदी ने एक किताब पर अपने अनुभव साझा नहीं कर दिए। 

जब पीएम मोदी राष्ट्रपति ट्रंप से मिलने के लिए उनके पास पहुंचे तो ट्रंप ने गले मिलकर गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। इसके अलावा एक वीडियो में डोनाल्ड ट्रंप पीएम मोदी के लिए कुर्सी खींचते नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में देखा जा सकता है कि पीएम मोदी, डोनाल्ड ट्रंप के पास पहुंचते हैं तो अमेरिकी राष्ट्रपति बाहें फैलाकर उनका स्वागत कर रहे हैं। इसके बाद वो दोनों गले मिलते हैं। इसी दौरान डोनाल्ड ट्रंप कहते हैं,'वी मिस यू, वी मिस यू अलॉट' यानी हमने आपको बहुत याद किया। इसके ट्रंप पीएम मोदी को कुछ अन्य लोगों से भी मिलवाते हैं।

वीडियो के आखिर में देखा जा सकता है कि पीएम मोदी एक कुर्सी बैठे हुए नोटबुक में अपना नोट लिख रहे हैं और ट्रंप उनके पीछे खड़े हुए हैं। इसी दौरान जब पीएम मोदी अपना नोट पूरा कर लेते हैं और उठने की कोशिश करते हैं तो पीछे खड़े ट्रंप आगे आते हैं और पीएम मोदी की कुर्सी पीछे खींचते हैं। ताकि प्रधानमंत्री मोदी को उठने में किसी भी तरह की दिक्कत ना हो। इसके बाद जब पीएम मोदी कुर्सी से उठ जाते हैं तो ट्रंप वापस उस कुर्सी वहीं पर रख देते हैं।

बाद में एक समाचार सम्मेलन में, ट्रंप ने अपनी पुरानी दोस्ती का जिक्र किया और अपनी पिछली मुलाकातों को याद किया। ट्रंप ने कहा, मैं अपने मित्र नरेंद्र मोदी, भारत के प्रधानमंत्री का व्हाइट हाउस में फिर से स्वागत करते हुए रोमांचित हूं। उन्होंने कहा, 'वह एक खास व्यक्ति हैं।' उन्होंने 2020 में भारत में उनके और उनकी पत्नी मेलानिया के प्रति पीएम मोदी के आतिथ्य को याद किया और कहा कि उन्हें भी वैसा ही करने में खुशी होगी।

“मोदी का कोई मुकाबला नहीं”, भारतीय प्रधानमंत्री से मिलकर क्या-क्या बोले ट्रंप


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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच गुरुवार को वाइट हाउस में मुलाकात हुई। दोनों नेताओं ने अपने पुराने संबंध को याद किया और दोनों देशों के विकास के लिए साथ मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। पीएम मोदी जैसे ही वाइट हाउस पहुंचे तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। दोनों नेता गले मिले।इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति ने पीएम मोदी की जमकर तारीफ की।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे कहीं ज्यादा कठोर वार्ताकार हैं। उनसे कोई मुकाबला ही नहीं है। बातचीत या समझौते को लेकर ट्रंप ने मोदी को खुद से कहीं ज्यादा सख्त और बेतहर बताया। पीएम मोदी के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब ट्रंप से पूछा गया कि उनमें से कौन आज ज्यादा सख्त मोलभाव कर सकता है तो ट्रंप ने कहा, 'पीएम नरेंद्र मोदी मुझसे कहीं ज्यादा सख्त मोलभाव करने वाले हैं और वह मुझसे कहीं ज्यादा बेहतर वार्ताकार हैं। कोई मुकाबला ही नहीं है।

ट्रंप ने कहा कि मोदी अपने देश के हित को सबसे ऊपर रखते हैं। मैं उनसे हमेशा सीखता हूं। दोनों नेता एक दूसरे के गले लगे। उनके बीच ये दोस्ती इस मुलाकात से नहीं बल्कि सालों पुरानी है। उन्होंने एल्बम में पुरानी तस्वीरें देखीं और उनपर मुस्कुराते हुए दिखाई दिए। ट्रंप ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच ये दोस्ती इस मुलाकात के बाद और भी गहरी होगी।

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा,'भारत के प्रधानमंत्री मोदी का हमारे साथ होना बहुत सम्मान की बात है। वे लंबे समय से मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं। हमारे बीच बहुत बढ़िया संबंध रहे हैं और हमने अपने 4 साल के कार्यकाल के दौरान इस संबंध को बनाए रखा। हमने अभी फिर से शुरुआत की है। मुझे लगता है कि हमारे पास बात करने के लिए कुछ बहुत बड़ी चीजें हैं।पहली बात है तेल और गैस की बात है और हमारे पास काफी तेल और गैस है और इंडिया में उसकी जरूरत है जो हम देंगे। बाद में बात आती है ट्रेड की, व्यापार की, इसके अलावा हमें बहुत खुशी और बहुत ही हमारे लिए एक सम्मान की बात है कि मेरे एक मित्र आज वापस यहां आए हैं और उनसे मिलकर मुझे बहुत खुशी है।

मोदी-ट्रंप के बीच क्या होंगे चर्चा के मुद्दे? मुलाकात पर दुनिया की नजर
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* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के दौरे पर अमेरिका पहुंच गए हैं। पीएम मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक भी करेंगे, ये ट्रंप दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी पहली द्विपक्षीय बैठक होगी। प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे को भारत-अमेरिका संबंधों के लिहाज से अहम माना जा रहा है। नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच बैठक में कई मुद्दों पर बातचीत होने की उम्मीद है। इसमें भारतीयों के अमेरिका से डिपोर्टशन में खराब बर्ताव, ट्रंप की टैरिफ नीति और चीन की आक्रामकता शामिल हो सकती है। *प्रवासियों को लेकर सहमति बनाने की कोशिश* नरेंद्र मोदी के इस दौरे के दौरान एक मुख्य मुद्दा भारतीय निर्वासितों के साथ मानवीय व्यवहार का हो सकता है। अमेरिका से हाल ही में 104 अवैध भारतीय अप्रवासियों के पहले जत्थे को भारत वापस भेजा गया है। भारत में अपने नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार पर भारी गुस्सा देखा गया है। भारतीयों को जंजीरों में बांधकर भेजे जाने के मामले में नरेंद्र मोदी सरकार को भी आलोचना सहनी पड़ी है। ऐसे में भारत इस दौरे पर अमेरिका से नागरिकों के साथ मानवीय बर्ताव करा आश्वासन मांग सकता है। *टैरिफ का मुद्दा अहम* डोनाल्ड ट्रंप पद संभालने के बाद से व्यापार शुल्क पर काफी आक्रामक हैं। ट्रंप ने कई देशों पर टैरिफ लगाए हैं और भारत के लिए भी सख्ती के संकेत दिए हैं। ट्रंप ने हाल ही में साथ एल्युमीनियम और स्टील के आयात पर 25 फीसदी टैरिफ का ऐलान किया है। भारतीय कंपनियां घरेलू स्टील की कीमतों पर इसके प्रभाव और अमेरिकी स्टील बाजार में जोखिम को लेकर चिंतित हैं। भारत ने नरेंद्र मोदी की यात्रा से पहले हाईएंड मोटरसाइकिलों और इलेक्ट्रिक बैटरियों पर शुल्क घटाए हैं। ऐसे में उम्मीद है कि इस मुद्दे पर दोनों पक्ष व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ बातचीत कर सकते हैं। *रक्षा उत्पादन में सहयोग बढ़ाने पर मंथन* इसके अलावा मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के दौरान भारत और अमेरिका के बीच महत्वपूर्ण रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। इस यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच स्ट्राइकर कॉम्बैट व्हीकल और फाइटर जेट इंजन के सह-उत्पादन को लेकर बड़ी डील हो सकती है। इसके अलावा भारत अमेरिका से माउंटेड एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल सिस्टम और सैकड़ों स्ट्राइकर व्हीकल्स खरीदने की योजना भी बना रहा है।
ट्रंप अब स्टील और एल्युमिनियम पर भी लगाएंगे टैरिफ, भारत पर क्या होगा असर?
#donald_trump_to_impose_25_percent_tariff_on_steel_and_aluminium
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सत्ता में आने के बाद से ही नए-नए एलान कर रहे हैं, जिनका असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। अब डोनाल्ड ट्रंप ने एक नया एलान किया है, उन्होंने कहा है कि वे स्टील और एल्युमीनियम के आयात पर 25 फीसदी टैरिफ लगाएंगे। इस संबंध में ट्रंप जल्द ही आधिकारिक एलान करेंगे।

डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को एयर फोर्स वन पर मीडिया के साथ बातचीत करते हुए कहा था कि अमेरिका आने वाले सभी देशों के मेटल पर टैरिफ लगाया जाएगा। इसके साथ ही ट्रंप ने ये भी कहा था कि जो देश अमेरिकी सामानों के इंपोर्ट पर टैक्स लगाते हैं, उन देशों के लिए भी इस हफ्ते के आखिर में टैरिफ की घोषणा की जाएगी।

डोनाल्ड ट्रंप के स्टील और एल्यूमिनियम पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने का सबसे ज्यादा कनाडा और मेक्सिको पर होगा। आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका अपना स्टील सबसे ज्यादा कनाडा, ब्राजील और मेक्सिको से ही मंगवाता है। इनके अलावा अमेरिका दक्षिण कोरिया, वियतनाम से भी स्टील मंगवाता है तो ट्रंप के टैरिफ लगाने के फैसले से ये देश सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। खासकर कनाडा, क्योंकि अमेरिका ने साल 2024 के पहले 11 महीनों में कनाडा से अपनी जरूरत का करीब 79 फीसदी स्टील मंगवाया था। वहीं अमेरिका अपना सबसे ज्यादा एल्युमीनियम मेक्सिको से मंगवाता है। 

बताते चलें कि ट्रंप ने कनाडा और मेक्सिको पर बीते दिनों 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का एलान किया था। हालांकि बाद में ट्रंप ने दोनों देशों पर टैरिफ लगाने के अपने फैसले को 30 दिनों के लिए टाल दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप फार्मास्यूटिकल, तेल और सेमीकंडक्टर जैसी चीजों पर भी टैरिफ लगा सकते हैं और फिलहाल इस पर विचार हो रहा है। ट्रंप, अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बेहतर करने और व्यापार घाटे को कम करने के लिए ये कदम उठा रहे हैं, लेकिन इन कदमों से पूरी दुनिया पर आर्थिक असर हो रहा है।

ट्रंप जब पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे, तब उन्होंने स्टील पर 25 प्रतिशत और एल्युमीनियम पर 10 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा की थी। हालांकि, उस समय उन्होंने अपने कई पार्टनर्स को राहत दी थी और उनमें कनाडा, मेक्सिको और ब्राजील भी शामिल थे।