आखिरकार ट्रंप ने कबूली सच्चाई, बोले- रूसी तेल पर टैरिफ के फैसले से भारत संग रिश्ते में आई दरार

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अमेरिका और भारत के रिश्तों में पिछले दिनों कड़वाहट देखी गई। हालांकि, अमेरिका के प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप के पहल ने फिर से रिश्तों को बहाल का है। अब पहली बार ट्रंप ने माना है कि उनकी ओर से लगाए गए टैरिफ से भारत के साथ रिश्ते में तनाव आया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में बड़ी बात कही है। उन्होंने इंटरव्यू के दौरान कहा, भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ ने भारत के साथ दरार पैदा की है। इस दौरान ट्रंप ने ये भी स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन विवाद, जिसके सुलझने की उन्हें सबसे आसान उम्मीद थी, अभी तक अनसुलझा है। इसे सभी ने हल्के में ले लिया था।

ट्रंप ने शुक्रवार को एक इंटरव्यू में भारत पर टैरिफ और संबंधों में तनाव पर बात की है। ट्रंप ने स्वीकार किया है कि भारत पर उन्होंने जो 50 फीसदी टैरिफ लगाया, वह सीधे तौर पर रूस से भारत की तेल खरीदारी के कारण था और यही कदम दोनों देशों के रिश्तों में दरार की वजह बना। उन्होंने कहा, भारत रूसी तेल का एक बड़ा ग्राहक है। मैंने इसे रोकने के लिए भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया क्योंकि वे रूस से तेल खरीदते हैं। यह कोई आसान काम नहीं है। यह बड़ी बात है और इससे भारत के साथ रिश्ते में दरार पैदा होती है।

रूस-यूक्रेन विवाद को नहीं सुलझा सकने की बात मानी

भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ पर चर्चा करने से पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्वीकार किया कि वे रूस-यूक्रेन विवाद को नहीं सुलझा पाए हैं, जो उनके विचार में सबसे आसान होता। उन्होंने फॉक्स न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में कहा, मुझे लगा था कि यूक्रेन और रूस के बीच सबसे आसान होगा। टैंगो के लिए दो लोगों की जरूरत होती है। जब पुतिन ऐसा करना चाहते थे, तो जेलेंस्की नहीं करते थे। जब जेलेंस्की ऐसा करना चाहते थे, तो पुतिन नहीं करते थे। अब जेलेंस्की ऐसा करना चाहते हैं और पुतिन पर सवालिया निशान है। हमें बहुत सख्ती से जवाब देना होगा। पुतिन के साथ मेरे हमेशा अच्छे संबंध रहे हैं, यही एकमात्र युद्ध है जिसका मैं समाधान नहीं कर पाया हूं। 

भारत-पाक संघर्ष पर बयान

ट्रंप ने एक बार फिर से यह भी दोहराया कि उन्होंने राष्ट्रपति के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में कई युद्ध रुकवा दिए हैं। साक्षात्कार के दौरान उन्होंने अन्य संघर्षों को सुलझाने में अपने रिकॉर्ड को भी दोहराया। ट्रंप ने कहा, 'मैंने सात युद्ध रोके, सात। मैंने पाकिस्तान और भारत समेत कई युद्ध सुलझाए। कुछ तो अनसुलझे थे। कांगो और रवांडा, मैंने सुलझाया। लाखों लोग मारे गए। मैंने ऐसे युद्ध सुलझाए जो अनसुलझे थे।

बता दें कि भारत-पाक संघर्ष पर ट्रंप कई बार ऐसे दावे कर चुके हैं। हालांकि भारत ने उनके दावे को पूरी तरह खारिज किया है।

ट्रंप के 'अच्छे दोस्त और ग्रेट प्राइम मिनिस्टर' वाले बयान पर पीएम मोदी ने दिया ये जवाब, रिश्तों में आई नई गर्माहट?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तल्ख तेवर ढीले पड़ने लगे हैं। टैरिफ और रूसी तेल खरीद को लेकर अमेरिका और भारत के रिश्तों में तनाव बना हुआ है। इसे लेकर डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत पर हमलावर थे। हालांकि, अब ट्रंप के सुर बदले- बदले नजर आ रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम नरेंद्र मोदी को अपना अच्छा दोस्त बताया, तो वहीं भारतीय प्रधानमंत्री ने भी इस पर अब जवाब दिया है। पीएम मोदी ने ट्रंप की भारत-अमेरिका संबंधों पर सकारात्मक टिप्पणियों की सराहना की है।

अमेरिका और भारत के रिश्तों को 'बहुत ख़ास' बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'हमेशा दोस्त रहेंगे' और इसमें 'चिंता की कोई बात नहीं' है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप के बयान की सराहना की है।उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर पोस्ट में कहा, मैं राष्ट्रपति ट्रंप की भावनाओं और हमारे रिश्तों के बारे में उनके सकारात्मक विचारों की सराहना करता हूं। भारत और अमेरिका के बीच बेहद सकारात्मक और दूरदर्शी व्यापक एवं वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है।

ट्रंप ने क्या कहा था?

इससे पहले शुक्रवार को ओवल ऑफिस में मीडिया से बात करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि 'मैं हमेशा मोदी का दोस्त रहूंगा, वह एक महान प्रधानमंत्री हैं। लेकिन मुझे इस समय उनके द्वारा किए जा रहे काम पसंद नहीं आ रहे हैं। लेकिन भारत और अमेरिका के बीच एक खास रिश्ता है। चिंता की कोई बात नहीं है। हमारे बीच ऐसे पल आ जाते हैं।'ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल पोस्ट पर ‘भारत को खोने’ वाली टिप्पणी पर सफाई देते हुए कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ हुआ है।’ उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे मोदी के साथ अच्छी तरह घुलमिल जाते हैं।

भारत-रूस को चीन के हाथ खोने की बात कही थी

शुक्रवार को ही ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर पीएम मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति पुतिन की तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि भारत और रूस शायद चीन के साथ चले गए हैं। उन्होंने कहा था कि ऐसा लगता है कि हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है। अब वे साथ मिलकर लंबा और सुखद भविष्य बिताएं।

ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो का आक्रामक रुख

बता दें कि ट्रंप के प्रशासन और समर्थकों की ओर से हाल के दिनों में भारत के खिलाफ बयानबाजी बढ़ी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सबसे भरोसेमंद सलाहकारों में से एक पीटर नवारो पिछले कुछ समय से भारत और पीएम मोदी के बारे में बयान देते हुए आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं।शुक्रवार देर रात पीटर नवारो ने भारत को लेकर अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट लिखी। इसमें उन्होंने लिखा, भारत की ऊंची टैरिफ दरें अमेरिकी नौकरियों पर असर डालती हैं। भारत सिर्फ़ मुनाफा कमाने के लिए रूस से तेल खरीदता है और यह पैसा रूस की जंग मशीन को जाता है। इसमें यूक्रेनी और रूसी लोग मारे जा रहे हैं। अमेरिकी टैक्स देने वालों को और ज़्यादा पैसा खर्च करना पड़ रहा है। भारत सच्चाई नहीं मानता और बस कहानी घुमाता है। इससे पहले नवारो रूस और यूक्रेन के टकराव को 'मोदी का युद्ध' बता चुके हैं। 29 अगस्त को उन्होंने एक्स पर लिखा कि रूसी तेल से होने वाली कमाई भारत के राजनीतिक तौर पर जुड़े ऊर्जा कारोबारियों तक पहुंचती है और सीधे पुतिन के युद्ध फ़ंड में भी जाती है।

SCO मीटिंग की सफलता देख अमेरिका ने बदला सुर, ट्रंप के वित्त मंत्री का बड़ा बयान

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चीन में हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक की तस्वीरों को देखने का बाद ऐसा लग रहा है, अमेरिका की आंखे खुल गई है। तियानजिन में हुए एससीओ सम्मेलन की सफलता के ठीक अगले दिन अमेरिका ने भारत के साथ संबंधों पर सकारात्मक सुर अपनाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भारत-यूएस संबंधों को लेकर कहा है कि दोनों लोकतंत्रों की बुनियाद मज़बूत है और वे अपने मतभेदों को सुलझाने में सक्षम हैं। जल्द ही वाशिगंटन और नई दिल्ली के रिश्ते पटरी पर लौट आएंगे।

“रूस-चीन से ज्यादा हमारे करीब है भारत”

बेसेंट ने फॉक्स न्यूज के साथ इंटरव्यू में भारत के साथ संबंधों पर बात की है। उनसे सवाल हुआ कि क्या ट्रंप के 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद भारत का झुकाव चीन और रूस की तरफ हो गया है। इस पर उन्होंने अमेरिका और भारत के व्यापारिक मतभेद दूर होने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि दो महान देश मिलकर चीजें सुलझा लेंगे। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है। उनके मूल्य चीन की तुलना में हमारे मूल्यों के बहुत करीब हैं और रूस की तुलना में भी वह हमारे करीब है।

एससीओ को लेकर क्या है यूएस की राय?

बेसेंट ने हाल ही में व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग के साथ शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागीदारी पर भी बात की। बेसेंट ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक से अमेरिका के लिए चिंता की बात को नकार दिया। उन्होंने कहा कि एससीओ एक दीर्घकालिक बैठक है और यह काफी हद तक औपचारिक है। वर्षों से हो रही इस बैठक का कोई खास असर जमीन पर देखने को नहीं मिलेगा।

भारत की रूस से तेल खरीद की आलोचना

हालांकि, भारत की रूस से तेल खरीद की आलोचना की। अमेरिका का मानना है कि भारत रूस से तेल खरीद कर उसे यूक्रेन जंग के लिए आर्थिक सहायता कर रहा है। बेसेंट ने कहा कि भारतीय रूसी तेल सस्ते में खरीदकर रिफाइन कर बेच रहे हैं, जिससे युद्ध प्रयासों को फंड मिल रहा है। यह टिप्पणी ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ के संदर्भ में आई, जो रूसी तेल आयात और धीमी व्यापार वार्ता पर आधारित हैं।

एससीओ सम्मेलन के बाद बदले यूएस के सुर

बेसेंट का ये बयान एससीओ सम्मेलन के बाद आया है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बेहद गर्मजोशी से मुलाकात की। भारत का रूस के साथ-साथ चीन के करीब जाना पश्चिमी देशों के लिए चिंता का विषय बन गया है।

ट्रंप की धमकियों से झुकेगा नहीं भारत, दिया करारा जवाब, ₹31,500 करोड़ का रक्षा सौदा ठंडे बस्ते में

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अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ के बाद भारत के साथ रिश्ते इस समय थोड़ा गरमी के दौर से गुजर रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाने के बाद दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ा है। इस बीच भारत ने अमेरिका से इंडियन नेवी के लिए खरीदे जा रहे 6 अतिरिक्त बोइंग P-8i पोसीडॉन विमानों की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। हालांकि सौदे को पूरी तरह रद्द नहीं किया गया है। यह सौदा लगभग ₹31,500 करोड़ (करीब 3.78 अरब डॉलर) का था।

पोसीडन डील पर लगा विराम

रक्षा वेबसाइट IDRW की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 3 अगस्त को अमेरिकी कंपनी बोइंग से छह P-8I पोसीडन एंटी-सबमरीन एयरक्राफ्ट की खरीद को रोक दिया है। यह सौदा भारतीय नौसेना की ताकत को बढ़ाने के लिए किया जा रहा था, खासकर हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए।

पहले मंजूरी, फिर बढ़ी कीमत

साल 2021 में अमेरिका ने 6 और P-8i विमान भारत को बेचने की मंजूरी दी थी। उस समय इनकी कीमत लगभग 2.42 अरब डॉलर (करीब 20 हजार करोड़ रुपये) थी। लेकिन जुलाई 2025 तक यह लागत बढ़कर 3.6 अरब डॉलर (करीब 30 हजार करोड़ रुपये) हो गई। जिसका कारण सप्लाई चेन में रुकावट और महंगाई बताया गया है। सूत्रों के मुताबिक भारत ने पहले बढ़ती हुई लागत को लेकर चिंता जताई थी, लेकिन कहीं न कहीं इसकी ऑपरेशनल जरूरतों के मुताबिक भारत इसकी खरीद को तैयार हुआ था। लेकिन टैरिफ की घोषणा के बाद अब रणनीतिक पुनर्मूल्यांकन फिर से शुरू हो गया है। हालांकि यह सौदा पूरी तरह रद्द नहीं हुआ है।

डील को अस्थायी रूप से रोका

भारत के पास फिलहाल 12 P-8I एयरक्राफ्ट हैं। पहली बार 2009 में भारत ने 8 विमान करीब 2.2 अरब डॉलर में खरीदे थे, इसके बाद 2016 में 4 और जोड़े गए। फाइनेंसियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत पर टैरिफ बढ़ाने के बाद भारत सरकार ने इस डील को अस्थायी रूप से रोक दिया है। रक्षा मंत्रालय अब इस सौदे की रणनीतिक पुनर्समीक्षा कर रहा है जिसमें बढ़ती लागत, भू राजनीतिक हालात और भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता जैसे पहलुओं का मूल्यांकन किया जा रहा है।

डोनाल्ड ट्रंप ने फिर दिखाए तेवर, टैरिफ विवाद के बीच भारत के साथ ट्रेड डील पर बातचीत से किया इनकार

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत को अपना तेवर दिखाया है। ट्रंप ने टैरिफ विवाद हल होने तक भारत के साथ किसी भी व्यापार वार्ता से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि जब तक टैरिफ विवाद का समाधान नहीं हो जाता, तब तक भारत के साथ कोई व्यापार वार्ता नहीं होगी। दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप के मनमाने टैरिफ के आगे भारत झुक नहीं रहा, जो अमेरिकी राष्ट्रपति को परेशान कर रहा है। अब उनके बयान से ये बौखलाहट साफ नजर आ रही है।

बुधवार को ट्रंप ने एक नया आदेश जारी कर भारतीय सामानों पर 25% अतिरिक्त टैरिफ थोप दिया, जिससे कुल टैक्स अब 50% हो गया है। ट्रंप से वॉशिंगटन में ओवल ऑफिस में जब एक पत्रकार ने पूछा कि 50% टैरिफ लगाने के बाद क्या बातचीत शुरू होगी, तो उन्होंने कहा- नहीं, पहले मसला (टैरिफ) सुलझे, फिर बात होगी।

पीएम मोदी ने कहा- मैं तैयार हूँ

डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल खरीदने को लेकर पहले से लगाए गए 25 प्रतिशत के टैरिफ को बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया और अब उन्होंने भारत के साथ ट्रेड डील करने को लेकर भी बड़ी बात कह दी है। राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से ट्रैरिफ बढ़ाने के फैसले को लेकर भारत ने भी पलटवार किया। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने कहा कि हम देश के किसानों के हितों के साथ समझौता नहीं कर सकते हैं। हमारे लिए किसानों का हित सबसे ऊपर है। भारत अपने किसानों, मछुआरों और डेयरी वालों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा। मुझे पता है, इसके लिए बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है, लेकिन मैं तैयार हूँ, भारत तैयार है!

ट्रंप ने बढ़ाया है टैरिफ

इससे पहले व्हाइट हाउस ने बुधवार को एक कार्यकारी आदेश जारी कर भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया, जिससे कुल टैरिफ बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया। ट्रंप प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति संबंधी चिंताओं का हवाला दिया और विशेष रूप से भारत की ओर से रूसी तेल के निरंतर आयात की ओर इशारा करते हुए टैरिफ बढ़ाने की बात कही। आदेश में दावा किया गया है कि ये आयात चाहे प्रत्यक्ष हों या बिचौलियों के माध्यम से, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए एक असामान्य और असाधारण खतरा पेश करते हैं। इसके अलावा राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के रूसी तेल न खरीदने की बात कही है। लेकिन, विदेश मंत्रालय ने अपने निवेश हितों का हवाला देते हुए ऑयल इंपोर्ट रोकने से मना कर दिया।

टैरिफ अटैक के बीच पीएम मोदी का ट्रंप को साफ संदेश, बोले-किसानों-मछुआरों के हितों से समझौता नहीं

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका को साफ शब्दो में संदेश दिया है। डेनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। इस पर पीएम मोदी ने साफ कर दिया कि अमेरिका जितना भी टैरिफ बढ़ा ले, लेकिन भारत किसी देश के आगे झुकने वाला नहीं है। पीएम मोदी ने अपने एक बयान में कहा कि हमारे लिए अपने किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरे भाई-बहनों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा।

व्यक्तिगत रूप से बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी-पीएम मोदी

भारत के खिलाफ अमेरिका की तरफ से 50 फीसदी टैरिफ लगाए जाने पर पीएम मोदी ने कहा, मैं जानता हूं कि व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं। मेरे देश के मछुआरों के लिए, मेरे देश के पशु पालकों के लिए आज भारत तैयार है। पीएम मोदी ने कहा कि उनके लिए देश के किसान सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों, पशु पालकों और मछुआरे भाई-बहनों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा।

इशारों-इशारों में पीएम मोदी का कड़ा संदेश

प्रधानमंत्री मोदी गुरुवार को एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे। पीएम मोदी का यह बयान तब आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। इसके ठीक एक दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़ा जवाब दिया। बगैर डोनाल्ड ट्रंप का नाम लिए इशारों-इशारों में पीएम मोदी ने कड़ा संदेश दिया है।

अमेरिका ने भारत पर कुल 50% टैरिफ लगाया

अमेरिकी एग्जीक्यूटिव ऑर्डर में कहा गया है कि रूसी तेल खरीद की वजह से भारत पर यह एक्शन लिया गया है। इससे पहले उन्होंने 30 जुलाई को भारत पर 25% टैरिफ का ऐलान किया था। अब भारत पर कुल 50% टैरिफ लगेगा। पीएम मोदी के इस बयान से पहले भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिका पर पलटवार किया था।

अमेरिका ने भारत पर लगाया 50% टैरिफ, फिर भी ट्रंप को नहीं मिली तसल्ली, सेकेंडरी सैंक्शन लगाने की दी धमकी

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अमेरिका ने भारत के खिलाफ टैरिफ वॉर का शंखनाद कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया हैष इसका मतलब है कि अब भारत पर कुल 50 फीसदी टैरिफ लग गया। डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ वाले आदेश पर दस्तखत भी कर दिए हैं। यह टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा। जबकि पहला 25 फीसदी वाला टैरिफ 7 अगस्त से लागू होगा।

सेकेंडरी प्रतिबंध की धमकी

भारतीय आयातों पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के कुछ घंटे बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को नई धमकी दी है। ट्रंप ने रूस से तेल खरीद जारी रखने पर भारत के ऊपर अधिक सेकंडरी प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है। व्हाइट हाउस में जब पत्रकारों ने पूछा कि चीन जैसे देश भी रूस से तेल खरीदना जारी रखे हुए हैं, तो भारत को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है। इस पर ट्रंप ने कहा, 'अभी तो सिर्फ आठ घंटे ही हुए हैं। देखते हैं क्या होता है... आपको और भी बहुत कुछ देखने को मिलेगा। आपकी कई सेकेंडरी प्रतिबंध देखने को मिलेंगे।'

भारत ने टैरिफ को अन्यायपूर्ण और अनुचित बताया

भारत ने टैरिफ में बढ़ोतरी की कड़ी निंदा की है और इसे 'अन्यायपूर्ण, अनुचित और अतार्कित' बताया है। विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा, हाल के दिनों में अमेरिका ने रूस से भारत के तेल आयात को निशाना बनाया है। हमने इन मुद्दों पर अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है। इसमें कहा गया कि भारत का आयात बाजार के कारकों पर आधारित है और देश के 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्येश्य से किया जाता है।

क्या चाहते हैं ट्रंप?

डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि भारत अपने दोस्त रूस से यारी खत्म करे। भारत और रूस के बीच तेल और हथियारों का व्यापार ट्रंप को बिल्कुल पसंद नहीं। ट्रंप चाहते हैं कि भारत उससे तेल न खरीदे। इसके लिए अमेरिका ने प्रेशर पॉलिटिक्स का सहारा लिया है। यही वजह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को भारत से होने वाले आयात पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगाने का आदेश जारी किया। इस फैसले के पीछे भारत की ओर से रूस से तेल खरीद जारी रखना बताया गया है। अमेरिका का कहना है कि यह कदम यूक्रेन युद्ध के चलते रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों को और प्रभावी बनाने की दिशा में उठाया गया है।

रूस से भारत ने बंद की तेल खरीद? डोनाल्ड ट्रंप का एक और विस्फोटक दावा, फिर मचेगा बवाल

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत में सियासी बवाल बढ़ाने वाला बयान दिया है। रूस के साथ भारत के तेल खरीदने से नाखुश ट्रंप ने उन मीडिया रिपोर्ट्स के दावों का स्वागत किया है जिनमें ये कहा गया कि भारत अब रूस के साथ तेल व्यापार नहीं करेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया है कि उन्हें जानकारी मिली है कि भारत रूस से तेल नहीं खरीद रहा है। हालांकि भारत सरकार की तरफ से इस मामले में किसी भी तरह की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

ट्रंप ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, मैं समझता हूं कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति की यह प्रतिक्रिया तब आई जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने भारत पर जुर्माना लगाने के लिए कोई संख्या तय की है। साथ ही क्या वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वार्ता करने वाले हैं? इस पर ट्रंप ने जवाब देते हुए कहा, मैं समझता हूं कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा । मैंने यही सुना है, मुझे नहीं पता कि यह सही है या नहीं। यह एक अच्छा कदम है। हम देखेंगे कि क्या होता है।

भारत पर 25 फीसदी टैरिफ के बाद ट्रंप का बयान

ट्रंप की यह टिप्पणी भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने और रूस के साथ हथियार और कच्चे तेल की खरीद के लिए अतिरिक्त दंड की चेतावनी देने के बाद आई है। ट्रंप प्रशासन भारत की रूसी ऊर्जा खरीद से नाराज है। ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लगाते समय और पहले भी इस बारे में खुलकर इजहार किया है। उन्होंने रूस से ऊर्जा खरीद को पुतिन की युद्ध मशीनरी को समर्थन बताया है, जो यूक्रेन में युद्ध जारी रखने में मदद कर रहा है।

रूस से तेल खरीद को लेकर ट्रंप की चेतावनी

ट्रंप के इस बयान से पहले न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत में रूस से आने वाला तेल अचानक ठहर सा गया है। देश की चार सबसे बड़ी सरकारी तेल कंपनियों- IOC, BPCL, HPCL और MRPL- ने बीते एक हफ्ते से रूसी कच्चा तेल खरीदना लगभग बंद कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जुलाई में रूसी तेल पर मिलने वाली छूट पहले के मुकाबले काफी कम हो गई है। ऐसे में भारत की सरकारी कंपनियां अब स्पॉट मार्केट यानी तत्काल खरीद-बिक्री वाले बाजार की ओर रुख कर रही हैं। यहां से वे अबू धाबी का मुरबान ग्रेड और पश्चिमी अफ्रीका से आने वाला कच्चा तेल खरीद रही हैं। 14 जुलाई को डोनाल्ड ट्रंप ने साफ शब्दों में कहा कि अगर कोई देश तब तक रूस से तेल खरीदेगा जब तक वह यूक्रेन से युद्ध खत्म करने को लेकर बड़ा शांति समझौता नहीं करता, तो अमेरिका 100% टैरिफ यानी भारी टैक्स लगाएगा।

रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत का रूख

वहीं, इससे पहले शुक्रवार को साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने उन मीडिया रिपोर्ट्स पर प्रतिक्रिया दी थी, जिनमें कहा गया था कि कुछ भारतीय तेल कंपनियों ने रूस से तेल लेना बंद कर दिया है। जायसवाल ने कहा था कि भारत ने इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार को अभी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। ब्रीफिंग के दौरान जायसवाल ने कहा, आप ऊर्जा स्रोत आवश्यकताओं के प्रति हमारे व्यापक दृष्टिकोण से अवगत हैं, हम बाजार में उपलब्ध चीजों और मौजूदा वैश्विक स्थिति पर नजर रखते हैं। हमें किसी विशेष बात की जानकारी नहीं है।'

ट्रंप के टैरिफ पर “लाल-पीले” हो रहे राहुल, थरूर और मनीष तिवारी ने अलापा अगल राग

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भारत के साथ ट्रेड डील फाइनल नहीं होने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इसके बाद ट्रंप ने रूस और भारत की इकोनॉमी को डेड यानी मृत बताया। फिर क्या था भारत में ट्रंप के टैरिफ पर विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया। ट्रंप के टैरिफ वाले एलान के बाद देश में सियासत गरमा गई है। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने ट्रंप के हां में हां मिलाया है और कहा कि मुझे खुशी है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने ये फैक्ट कहा है।

शशि थरूर और मनीष तिवारी सरकार के समर्थन में

ट्रंप के टैरिफ वाले एलान के बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने सरकार से तमाम सवाल किए। इस बीच कांग्रेस के ही नेता शशि थरूर और मनीष तिवारी ने मोदी सरकार को जोरदार समर्थन दिया है। शशि थरूर ने साफ शब्दों में कहा कि अमेरिका अपनी मांगों को लेकर पूरी तरह से अनुचित है, तो हमें कहीं और जाना होगा। वहीं, मनीष तिवारी ने कहा कि यह सब भारत की स्‍ट्रेटज‍िक ऑटोनॉमी का सबूत है, जो नेहरू की गुटन‍िरपेक्षता से शुरू हुई और अब पीएम मोदी की आत्‍मन‍िर्भर भारत वाली सोच का ह‍िस्‍सा है।

थरूर ने क्या कहा?

संसद परिसर में समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि यह एक चुनौतीपूर्ण वार्ता है। हम कई देशों के साथ बातचीत कर रहे हैं। अमेरिका अकेला ऐसा देश नहीं है जिसके साथ बातचीत चल रही है। यूरोपीय संघ के साथ हमारी बातचीत चल रही है, हमने ब्रिटेन के साथ एक समझौता कर लिया है, और हम अन्य देशों के साथ भी बातचीत कर रहे हैं। अगर हम अमेरिका में प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते, तो हमें अमेरिका के बाहर अपने बाजारों में विविधता लानी पड़ सकती है।

अगर अच्छा सौदा संभव नहीं है, तो पीछे हटना पड़ता है-थरूर

थरूर ने आगे कहा कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। अगर अमेरिका अपनी मांगों को लेकर पूरी तरह से अनुचित है, तो हमें कहीं और जाना होगा। यही भारत की ताकत है; हम चीन की तरह पूरी तरह से निर्यात पर निर्भर अर्थव्यवस्था नहीं हैं। हमारे पास एक अच्छा और मजबूत घरेलू बाजार है। हमें अपने वार्ताकारों को सर्वोत्तम संभव सौदा खोजने के लिए पूरा समर्थन देना चाहिए। अगर कोई अच्छा सौदा संभव नहीं है, तो हमें पीछे हटना पड़ सकता है।

मनीष त‍िवारी ने क्या कहा?

कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष त‍िवारी ने इस मामले में एक्‍स पर लंबा चौड़ा पोस्‍ट ल‍िखा। मनीष त‍िवारी ने लिखा, डोनाल्ड ट्रंप ने शायद 1947 से चली आ रही भारत की स्‍ट्रैटज‍िक ऑटोनॉमी को अब तक की सबसे बड़ी श्रद्धांजलि दी है। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने गुटनिरपेक्षता की नीति लागू की, जिसे आज मल्टी-अलाइनमेंट कहा जाता है। फ‍िर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उसे आत्‍मन‍िर्भरता के साथ आगे बढ़ाया और आज भारत आत्‍मनिर्भर कहा जा रहा है। ये वे रणनीतिक सिलसिले हैं जो भारत को दुनिया से अपनी शर्तों पर और अपने सर्वोच्च राष्ट्रीय हित में जुड़ने की फ्लैक्‍स‍िबिल‍िटी देते हैं। मनीष त‍िवारी ने लिखा, क्या डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ की धमकी उस स्‍ट्रैटज‍िक ऑटोनॉमी को कोई फर्क पहुंचाएगी, जिसे हमने दशकों से और अलग-अलग सरकारों के तहत बनाया है? बिल्कुल नहीं. क्या यह भारत-अमेरिका के व्यापक संबंधों के ताने-बाने को नुकसान पहुंचा सकता है? जवाब है शायद!

कांग्रेस के अन्य नेताओं से अलग राग

बता दें कि शशि थरूर और मनीष त‍िवारी पहली बार सरकार के समर्थन में बातें नहीं कर रहे हैं। इससे पहले भी मोदी सरकार की नीत‍ियों की तारीफ करने को लेकर दोनों नेता कई बार कांग्रेस के न‍िशाने पर भी रहे हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ने पहले भारत पर फोड़ा 25% वाला टैरिफ बम, फिर बोले-नई दिल्ली से बातचीत जारी

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अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले सभी उत्पादों पर 25 फीसदी शुल्क लगाने की घोषणा कर दी है। हालांकि, भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ और अतिरिक्त जुर्माने की घोषणा करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तेवर कुछ ही घंटे में ढीले पड़ गए। अब उन्होंने भारत के साथ बातचीत जारी रखने की बात कही है।

बुधवार को डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के ऊपर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। उन्होंने इसके लिए वॉशिंगटन के व्यापार घाटे और नई दिल्ली की रूस के साथ ऊर्जा खरीद का हवाला दिया था। हालांकि, अमेरिका के टैरिफ पर भारत ने कोई भाव नहीं दिया। बल्कि नई दिल्ली ने तो कह दिया कि सरकार राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी। भारत के भाव न देने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप का रुख नरम पड़ता दिखाई दे रहा है।

समाचार एजेंसी एएनआई की ओर से पूछे गए एक सवाल पर कि क्या वह टैरिफ पर भारत के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं? ट्रंप ने कहा, हम अभी उनसे बात कर रहे हैं। हम देखेंगे कि क्या होता है? भारत दुनिया में सबसे अधिक या लगभग सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाला देश था। हम देखेंगे। हम अभी भारत के साथ बातचीत कर रहे हैं।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के पीछे ब्रिक्स समूह और नई दिल्ली के साथ भारी व्यापार घाटे का हवाला दिया और यह भी कहा कि भारत के साथ बातचीत जारी है। ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त बताया लेकिन कहा कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार के मामले में ज्यादा कुछ नहीं करता है। उन्होंने कहा कि 'भारत ब्रिक्स का सदस्य' है, जो 'अमेरिका विरोधी देशों का समूह' है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर अचानक 25% टैरिफ लगाने के फैसले ने हलचल मचा दी। इस कदम को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर बातचीत के बीच अचानक ट्रंप ने यह ‘टैरिफ बम’ क्यों फोड़ा? अब इसे लेकर व्हाइट हाउस के सलाहकार ने स्थिति साफ कर दी है। व्हाइट हाउस के सलाहकार का कहना है कि भारत के साथ व्यापार वार्ता में प्रगति की कमी से डोनाल्ड ट्रंप ‘फ्रस्ट्रेट यानी निराश’ हैं। उन्हें लगता है कि भारत पर लगाया गया 25 फीसदी टैरिफ इस स्थिति का ‘समाधान और सुधार’ करेगा।

आखिरकार ट्रंप ने कबूली सच्चाई, बोले- रूसी तेल पर टैरिफ के फैसले से भारत संग रिश्ते में आई दरार

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अमेरिका और भारत के रिश्तों में पिछले दिनों कड़वाहट देखी गई। हालांकि, अमेरिका के प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप के पहल ने फिर से रिश्तों को बहाल का है। अब पहली बार ट्रंप ने माना है कि उनकी ओर से लगाए गए टैरिफ से भारत के साथ रिश्ते में तनाव आया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में बड़ी बात कही है। उन्होंने इंटरव्यू के दौरान कहा, भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ ने भारत के साथ दरार पैदा की है। इस दौरान ट्रंप ने ये भी स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन विवाद, जिसके सुलझने की उन्हें सबसे आसान उम्मीद थी, अभी तक अनसुलझा है। इसे सभी ने हल्के में ले लिया था।

ट्रंप ने शुक्रवार को एक इंटरव्यू में भारत पर टैरिफ और संबंधों में तनाव पर बात की है। ट्रंप ने स्वीकार किया है कि भारत पर उन्होंने जो 50 फीसदी टैरिफ लगाया, वह सीधे तौर पर रूस से भारत की तेल खरीदारी के कारण था और यही कदम दोनों देशों के रिश्तों में दरार की वजह बना। उन्होंने कहा, भारत रूसी तेल का एक बड़ा ग्राहक है। मैंने इसे रोकने के लिए भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया क्योंकि वे रूस से तेल खरीदते हैं। यह कोई आसान काम नहीं है। यह बड़ी बात है और इससे भारत के साथ रिश्ते में दरार पैदा होती है।

रूस-यूक्रेन विवाद को नहीं सुलझा सकने की बात मानी

भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ पर चर्चा करने से पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्वीकार किया कि वे रूस-यूक्रेन विवाद को नहीं सुलझा पाए हैं, जो उनके विचार में सबसे आसान होता। उन्होंने फॉक्स न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में कहा, मुझे लगा था कि यूक्रेन और रूस के बीच सबसे आसान होगा। टैंगो के लिए दो लोगों की जरूरत होती है। जब पुतिन ऐसा करना चाहते थे, तो जेलेंस्की नहीं करते थे। जब जेलेंस्की ऐसा करना चाहते थे, तो पुतिन नहीं करते थे। अब जेलेंस्की ऐसा करना चाहते हैं और पुतिन पर सवालिया निशान है। हमें बहुत सख्ती से जवाब देना होगा। पुतिन के साथ मेरे हमेशा अच्छे संबंध रहे हैं, यही एकमात्र युद्ध है जिसका मैं समाधान नहीं कर पाया हूं। 

भारत-पाक संघर्ष पर बयान

ट्रंप ने एक बार फिर से यह भी दोहराया कि उन्होंने राष्ट्रपति के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में कई युद्ध रुकवा दिए हैं। साक्षात्कार के दौरान उन्होंने अन्य संघर्षों को सुलझाने में अपने रिकॉर्ड को भी दोहराया। ट्रंप ने कहा, 'मैंने सात युद्ध रोके, सात। मैंने पाकिस्तान और भारत समेत कई युद्ध सुलझाए। कुछ तो अनसुलझे थे। कांगो और रवांडा, मैंने सुलझाया। लाखों लोग मारे गए। मैंने ऐसे युद्ध सुलझाए जो अनसुलझे थे।

बता दें कि भारत-पाक संघर्ष पर ट्रंप कई बार ऐसे दावे कर चुके हैं। हालांकि भारत ने उनके दावे को पूरी तरह खारिज किया है।

ट्रंप के 'अच्छे दोस्त और ग्रेट प्राइम मिनिस्टर' वाले बयान पर पीएम मोदी ने दिया ये जवाब, रिश्तों में आई नई गर्माहट?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तल्ख तेवर ढीले पड़ने लगे हैं। टैरिफ और रूसी तेल खरीद को लेकर अमेरिका और भारत के रिश्तों में तनाव बना हुआ है। इसे लेकर डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत पर हमलावर थे। हालांकि, अब ट्रंप के सुर बदले- बदले नजर आ रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम नरेंद्र मोदी को अपना अच्छा दोस्त बताया, तो वहीं भारतीय प्रधानमंत्री ने भी इस पर अब जवाब दिया है। पीएम मोदी ने ट्रंप की भारत-अमेरिका संबंधों पर सकारात्मक टिप्पणियों की सराहना की है।

अमेरिका और भारत के रिश्तों को 'बहुत ख़ास' बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'हमेशा दोस्त रहेंगे' और इसमें 'चिंता की कोई बात नहीं' है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप के बयान की सराहना की है।उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर पोस्ट में कहा, मैं राष्ट्रपति ट्रंप की भावनाओं और हमारे रिश्तों के बारे में उनके सकारात्मक विचारों की सराहना करता हूं। भारत और अमेरिका के बीच बेहद सकारात्मक और दूरदर्शी व्यापक एवं वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है।

ट्रंप ने क्या कहा था?

इससे पहले शुक्रवार को ओवल ऑफिस में मीडिया से बात करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि 'मैं हमेशा मोदी का दोस्त रहूंगा, वह एक महान प्रधानमंत्री हैं। लेकिन मुझे इस समय उनके द्वारा किए जा रहे काम पसंद नहीं आ रहे हैं। लेकिन भारत और अमेरिका के बीच एक खास रिश्ता है। चिंता की कोई बात नहीं है। हमारे बीच ऐसे पल आ जाते हैं।'ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल पोस्ट पर ‘भारत को खोने’ वाली टिप्पणी पर सफाई देते हुए कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ हुआ है।’ उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे मोदी के साथ अच्छी तरह घुलमिल जाते हैं।

भारत-रूस को चीन के हाथ खोने की बात कही थी

शुक्रवार को ही ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर पीएम मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति पुतिन की तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि भारत और रूस शायद चीन के साथ चले गए हैं। उन्होंने कहा था कि ऐसा लगता है कि हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है। अब वे साथ मिलकर लंबा और सुखद भविष्य बिताएं।

ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो का आक्रामक रुख

बता दें कि ट्रंप के प्रशासन और समर्थकों की ओर से हाल के दिनों में भारत के खिलाफ बयानबाजी बढ़ी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सबसे भरोसेमंद सलाहकारों में से एक पीटर नवारो पिछले कुछ समय से भारत और पीएम मोदी के बारे में बयान देते हुए आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं।शुक्रवार देर रात पीटर नवारो ने भारत को लेकर अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट लिखी। इसमें उन्होंने लिखा, भारत की ऊंची टैरिफ दरें अमेरिकी नौकरियों पर असर डालती हैं। भारत सिर्फ़ मुनाफा कमाने के लिए रूस से तेल खरीदता है और यह पैसा रूस की जंग मशीन को जाता है। इसमें यूक्रेनी और रूसी लोग मारे जा रहे हैं। अमेरिकी टैक्स देने वालों को और ज़्यादा पैसा खर्च करना पड़ रहा है। भारत सच्चाई नहीं मानता और बस कहानी घुमाता है। इससे पहले नवारो रूस और यूक्रेन के टकराव को 'मोदी का युद्ध' बता चुके हैं। 29 अगस्त को उन्होंने एक्स पर लिखा कि रूसी तेल से होने वाली कमाई भारत के राजनीतिक तौर पर जुड़े ऊर्जा कारोबारियों तक पहुंचती है और सीधे पुतिन के युद्ध फ़ंड में भी जाती है।

SCO मीटिंग की सफलता देख अमेरिका ने बदला सुर, ट्रंप के वित्त मंत्री का बड़ा बयान

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चीन में हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक की तस्वीरों को देखने का बाद ऐसा लग रहा है, अमेरिका की आंखे खुल गई है। तियानजिन में हुए एससीओ सम्मेलन की सफलता के ठीक अगले दिन अमेरिका ने भारत के साथ संबंधों पर सकारात्मक सुर अपनाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भारत-यूएस संबंधों को लेकर कहा है कि दोनों लोकतंत्रों की बुनियाद मज़बूत है और वे अपने मतभेदों को सुलझाने में सक्षम हैं। जल्द ही वाशिगंटन और नई दिल्ली के रिश्ते पटरी पर लौट आएंगे।

“रूस-चीन से ज्यादा हमारे करीब है भारत”

बेसेंट ने फॉक्स न्यूज के साथ इंटरव्यू में भारत के साथ संबंधों पर बात की है। उनसे सवाल हुआ कि क्या ट्रंप के 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद भारत का झुकाव चीन और रूस की तरफ हो गया है। इस पर उन्होंने अमेरिका और भारत के व्यापारिक मतभेद दूर होने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि दो महान देश मिलकर चीजें सुलझा लेंगे। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है। उनके मूल्य चीन की तुलना में हमारे मूल्यों के बहुत करीब हैं और रूस की तुलना में भी वह हमारे करीब है।

एससीओ को लेकर क्या है यूएस की राय?

बेसेंट ने हाल ही में व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग के साथ शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागीदारी पर भी बात की। बेसेंट ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक से अमेरिका के लिए चिंता की बात को नकार दिया। उन्होंने कहा कि एससीओ एक दीर्घकालिक बैठक है और यह काफी हद तक औपचारिक है। वर्षों से हो रही इस बैठक का कोई खास असर जमीन पर देखने को नहीं मिलेगा।

भारत की रूस से तेल खरीद की आलोचना

हालांकि, भारत की रूस से तेल खरीद की आलोचना की। अमेरिका का मानना है कि भारत रूस से तेल खरीद कर उसे यूक्रेन जंग के लिए आर्थिक सहायता कर रहा है। बेसेंट ने कहा कि भारतीय रूसी तेल सस्ते में खरीदकर रिफाइन कर बेच रहे हैं, जिससे युद्ध प्रयासों को फंड मिल रहा है। यह टिप्पणी ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ के संदर्भ में आई, जो रूसी तेल आयात और धीमी व्यापार वार्ता पर आधारित हैं।

एससीओ सम्मेलन के बाद बदले यूएस के सुर

बेसेंट का ये बयान एससीओ सम्मेलन के बाद आया है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बेहद गर्मजोशी से मुलाकात की। भारत का रूस के साथ-साथ चीन के करीब जाना पश्चिमी देशों के लिए चिंता का विषय बन गया है।

ट्रंप की धमकियों से झुकेगा नहीं भारत, दिया करारा जवाब, ₹31,500 करोड़ का रक्षा सौदा ठंडे बस्ते में

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अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ के बाद भारत के साथ रिश्ते इस समय थोड़ा गरमी के दौर से गुजर रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाने के बाद दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ा है। इस बीच भारत ने अमेरिका से इंडियन नेवी के लिए खरीदे जा रहे 6 अतिरिक्त बोइंग P-8i पोसीडॉन विमानों की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। हालांकि सौदे को पूरी तरह रद्द नहीं किया गया है। यह सौदा लगभग ₹31,500 करोड़ (करीब 3.78 अरब डॉलर) का था।

पोसीडन डील पर लगा विराम

रक्षा वेबसाइट IDRW की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 3 अगस्त को अमेरिकी कंपनी बोइंग से छह P-8I पोसीडन एंटी-सबमरीन एयरक्राफ्ट की खरीद को रोक दिया है। यह सौदा भारतीय नौसेना की ताकत को बढ़ाने के लिए किया जा रहा था, खासकर हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए।

पहले मंजूरी, फिर बढ़ी कीमत

साल 2021 में अमेरिका ने 6 और P-8i विमान भारत को बेचने की मंजूरी दी थी। उस समय इनकी कीमत लगभग 2.42 अरब डॉलर (करीब 20 हजार करोड़ रुपये) थी। लेकिन जुलाई 2025 तक यह लागत बढ़कर 3.6 अरब डॉलर (करीब 30 हजार करोड़ रुपये) हो गई। जिसका कारण सप्लाई चेन में रुकावट और महंगाई बताया गया है। सूत्रों के मुताबिक भारत ने पहले बढ़ती हुई लागत को लेकर चिंता जताई थी, लेकिन कहीं न कहीं इसकी ऑपरेशनल जरूरतों के मुताबिक भारत इसकी खरीद को तैयार हुआ था। लेकिन टैरिफ की घोषणा के बाद अब रणनीतिक पुनर्मूल्यांकन फिर से शुरू हो गया है। हालांकि यह सौदा पूरी तरह रद्द नहीं हुआ है।

डील को अस्थायी रूप से रोका

भारत के पास फिलहाल 12 P-8I एयरक्राफ्ट हैं। पहली बार 2009 में भारत ने 8 विमान करीब 2.2 अरब डॉलर में खरीदे थे, इसके बाद 2016 में 4 और जोड़े गए। फाइनेंसियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत पर टैरिफ बढ़ाने के बाद भारत सरकार ने इस डील को अस्थायी रूप से रोक दिया है। रक्षा मंत्रालय अब इस सौदे की रणनीतिक पुनर्समीक्षा कर रहा है जिसमें बढ़ती लागत, भू राजनीतिक हालात और भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता जैसे पहलुओं का मूल्यांकन किया जा रहा है।

डोनाल्ड ट्रंप ने फिर दिखाए तेवर, टैरिफ विवाद के बीच भारत के साथ ट्रेड डील पर बातचीत से किया इनकार

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत को अपना तेवर दिखाया है। ट्रंप ने टैरिफ विवाद हल होने तक भारत के साथ किसी भी व्यापार वार्ता से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि जब तक टैरिफ विवाद का समाधान नहीं हो जाता, तब तक भारत के साथ कोई व्यापार वार्ता नहीं होगी। दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप के मनमाने टैरिफ के आगे भारत झुक नहीं रहा, जो अमेरिकी राष्ट्रपति को परेशान कर रहा है। अब उनके बयान से ये बौखलाहट साफ नजर आ रही है।

बुधवार को ट्रंप ने एक नया आदेश जारी कर भारतीय सामानों पर 25% अतिरिक्त टैरिफ थोप दिया, जिससे कुल टैक्स अब 50% हो गया है। ट्रंप से वॉशिंगटन में ओवल ऑफिस में जब एक पत्रकार ने पूछा कि 50% टैरिफ लगाने के बाद क्या बातचीत शुरू होगी, तो उन्होंने कहा- नहीं, पहले मसला (टैरिफ) सुलझे, फिर बात होगी।

पीएम मोदी ने कहा- मैं तैयार हूँ

डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल खरीदने को लेकर पहले से लगाए गए 25 प्रतिशत के टैरिफ को बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया और अब उन्होंने भारत के साथ ट्रेड डील करने को लेकर भी बड़ी बात कह दी है। राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से ट्रैरिफ बढ़ाने के फैसले को लेकर भारत ने भी पलटवार किया। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने कहा कि हम देश के किसानों के हितों के साथ समझौता नहीं कर सकते हैं। हमारे लिए किसानों का हित सबसे ऊपर है। भारत अपने किसानों, मछुआरों और डेयरी वालों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा। मुझे पता है, इसके लिए बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है, लेकिन मैं तैयार हूँ, भारत तैयार है!

ट्रंप ने बढ़ाया है टैरिफ

इससे पहले व्हाइट हाउस ने बुधवार को एक कार्यकारी आदेश जारी कर भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया, जिससे कुल टैरिफ बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया। ट्रंप प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति संबंधी चिंताओं का हवाला दिया और विशेष रूप से भारत की ओर से रूसी तेल के निरंतर आयात की ओर इशारा करते हुए टैरिफ बढ़ाने की बात कही। आदेश में दावा किया गया है कि ये आयात चाहे प्रत्यक्ष हों या बिचौलियों के माध्यम से, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए एक असामान्य और असाधारण खतरा पेश करते हैं। इसके अलावा राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के रूसी तेल न खरीदने की बात कही है। लेकिन, विदेश मंत्रालय ने अपने निवेश हितों का हवाला देते हुए ऑयल इंपोर्ट रोकने से मना कर दिया।

टैरिफ अटैक के बीच पीएम मोदी का ट्रंप को साफ संदेश, बोले-किसानों-मछुआरों के हितों से समझौता नहीं

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका को साफ शब्दो में संदेश दिया है। डेनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। इस पर पीएम मोदी ने साफ कर दिया कि अमेरिका जितना भी टैरिफ बढ़ा ले, लेकिन भारत किसी देश के आगे झुकने वाला नहीं है। पीएम मोदी ने अपने एक बयान में कहा कि हमारे लिए अपने किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरे भाई-बहनों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा।

व्यक्तिगत रूप से बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी-पीएम मोदी

भारत के खिलाफ अमेरिका की तरफ से 50 फीसदी टैरिफ लगाए जाने पर पीएम मोदी ने कहा, मैं जानता हूं कि व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं। मेरे देश के मछुआरों के लिए, मेरे देश के पशु पालकों के लिए आज भारत तैयार है। पीएम मोदी ने कहा कि उनके लिए देश के किसान सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों, पशु पालकों और मछुआरे भाई-बहनों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा।

इशारों-इशारों में पीएम मोदी का कड़ा संदेश

प्रधानमंत्री मोदी गुरुवार को एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे। पीएम मोदी का यह बयान तब आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। इसके ठीक एक दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़ा जवाब दिया। बगैर डोनाल्ड ट्रंप का नाम लिए इशारों-इशारों में पीएम मोदी ने कड़ा संदेश दिया है।

अमेरिका ने भारत पर कुल 50% टैरिफ लगाया

अमेरिकी एग्जीक्यूटिव ऑर्डर में कहा गया है कि रूसी तेल खरीद की वजह से भारत पर यह एक्शन लिया गया है। इससे पहले उन्होंने 30 जुलाई को भारत पर 25% टैरिफ का ऐलान किया था। अब भारत पर कुल 50% टैरिफ लगेगा। पीएम मोदी के इस बयान से पहले भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिका पर पलटवार किया था।

अमेरिका ने भारत पर लगाया 50% टैरिफ, फिर भी ट्रंप को नहीं मिली तसल्ली, सेकेंडरी सैंक्शन लगाने की दी धमकी

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अमेरिका ने भारत के खिलाफ टैरिफ वॉर का शंखनाद कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया हैष इसका मतलब है कि अब भारत पर कुल 50 फीसदी टैरिफ लग गया। डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ वाले आदेश पर दस्तखत भी कर दिए हैं। यह टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा। जबकि पहला 25 फीसदी वाला टैरिफ 7 अगस्त से लागू होगा।

सेकेंडरी प्रतिबंध की धमकी

भारतीय आयातों पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के कुछ घंटे बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को नई धमकी दी है। ट्रंप ने रूस से तेल खरीद जारी रखने पर भारत के ऊपर अधिक सेकंडरी प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है। व्हाइट हाउस में जब पत्रकारों ने पूछा कि चीन जैसे देश भी रूस से तेल खरीदना जारी रखे हुए हैं, तो भारत को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है। इस पर ट्रंप ने कहा, 'अभी तो सिर्फ आठ घंटे ही हुए हैं। देखते हैं क्या होता है... आपको और भी बहुत कुछ देखने को मिलेगा। आपकी कई सेकेंडरी प्रतिबंध देखने को मिलेंगे।'

भारत ने टैरिफ को अन्यायपूर्ण और अनुचित बताया

भारत ने टैरिफ में बढ़ोतरी की कड़ी निंदा की है और इसे 'अन्यायपूर्ण, अनुचित और अतार्कित' बताया है। विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा, हाल के दिनों में अमेरिका ने रूस से भारत के तेल आयात को निशाना बनाया है। हमने इन मुद्दों पर अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है। इसमें कहा गया कि भारत का आयात बाजार के कारकों पर आधारित है और देश के 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्येश्य से किया जाता है।

क्या चाहते हैं ट्रंप?

डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि भारत अपने दोस्त रूस से यारी खत्म करे। भारत और रूस के बीच तेल और हथियारों का व्यापार ट्रंप को बिल्कुल पसंद नहीं। ट्रंप चाहते हैं कि भारत उससे तेल न खरीदे। इसके लिए अमेरिका ने प्रेशर पॉलिटिक्स का सहारा लिया है। यही वजह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को भारत से होने वाले आयात पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगाने का आदेश जारी किया। इस फैसले के पीछे भारत की ओर से रूस से तेल खरीद जारी रखना बताया गया है। अमेरिका का कहना है कि यह कदम यूक्रेन युद्ध के चलते रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों को और प्रभावी बनाने की दिशा में उठाया गया है।

रूस से भारत ने बंद की तेल खरीद? डोनाल्ड ट्रंप का एक और विस्फोटक दावा, फिर मचेगा बवाल

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत में सियासी बवाल बढ़ाने वाला बयान दिया है। रूस के साथ भारत के तेल खरीदने से नाखुश ट्रंप ने उन मीडिया रिपोर्ट्स के दावों का स्वागत किया है जिनमें ये कहा गया कि भारत अब रूस के साथ तेल व्यापार नहीं करेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया है कि उन्हें जानकारी मिली है कि भारत रूस से तेल नहीं खरीद रहा है। हालांकि भारत सरकार की तरफ से इस मामले में किसी भी तरह की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

ट्रंप ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, मैं समझता हूं कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति की यह प्रतिक्रिया तब आई जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने भारत पर जुर्माना लगाने के लिए कोई संख्या तय की है। साथ ही क्या वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वार्ता करने वाले हैं? इस पर ट्रंप ने जवाब देते हुए कहा, मैं समझता हूं कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा । मैंने यही सुना है, मुझे नहीं पता कि यह सही है या नहीं। यह एक अच्छा कदम है। हम देखेंगे कि क्या होता है।

भारत पर 25 फीसदी टैरिफ के बाद ट्रंप का बयान

ट्रंप की यह टिप्पणी भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने और रूस के साथ हथियार और कच्चे तेल की खरीद के लिए अतिरिक्त दंड की चेतावनी देने के बाद आई है। ट्रंप प्रशासन भारत की रूसी ऊर्जा खरीद से नाराज है। ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लगाते समय और पहले भी इस बारे में खुलकर इजहार किया है। उन्होंने रूस से ऊर्जा खरीद को पुतिन की युद्ध मशीनरी को समर्थन बताया है, जो यूक्रेन में युद्ध जारी रखने में मदद कर रहा है।

रूस से तेल खरीद को लेकर ट्रंप की चेतावनी

ट्रंप के इस बयान से पहले न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत में रूस से आने वाला तेल अचानक ठहर सा गया है। देश की चार सबसे बड़ी सरकारी तेल कंपनियों- IOC, BPCL, HPCL और MRPL- ने बीते एक हफ्ते से रूसी कच्चा तेल खरीदना लगभग बंद कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जुलाई में रूसी तेल पर मिलने वाली छूट पहले के मुकाबले काफी कम हो गई है। ऐसे में भारत की सरकारी कंपनियां अब स्पॉट मार्केट यानी तत्काल खरीद-बिक्री वाले बाजार की ओर रुख कर रही हैं। यहां से वे अबू धाबी का मुरबान ग्रेड और पश्चिमी अफ्रीका से आने वाला कच्चा तेल खरीद रही हैं। 14 जुलाई को डोनाल्ड ट्रंप ने साफ शब्दों में कहा कि अगर कोई देश तब तक रूस से तेल खरीदेगा जब तक वह यूक्रेन से युद्ध खत्म करने को लेकर बड़ा शांति समझौता नहीं करता, तो अमेरिका 100% टैरिफ यानी भारी टैक्स लगाएगा।

रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत का रूख

वहीं, इससे पहले शुक्रवार को साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने उन मीडिया रिपोर्ट्स पर प्रतिक्रिया दी थी, जिनमें कहा गया था कि कुछ भारतीय तेल कंपनियों ने रूस से तेल लेना बंद कर दिया है। जायसवाल ने कहा था कि भारत ने इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार को अभी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। ब्रीफिंग के दौरान जायसवाल ने कहा, आप ऊर्जा स्रोत आवश्यकताओं के प्रति हमारे व्यापक दृष्टिकोण से अवगत हैं, हम बाजार में उपलब्ध चीजों और मौजूदा वैश्विक स्थिति पर नजर रखते हैं। हमें किसी विशेष बात की जानकारी नहीं है।'

ट्रंप के टैरिफ पर “लाल-पीले” हो रहे राहुल, थरूर और मनीष तिवारी ने अलापा अगल राग

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भारत के साथ ट्रेड डील फाइनल नहीं होने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इसके बाद ट्रंप ने रूस और भारत की इकोनॉमी को डेड यानी मृत बताया। फिर क्या था भारत में ट्रंप के टैरिफ पर विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया। ट्रंप के टैरिफ वाले एलान के बाद देश में सियासत गरमा गई है। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने ट्रंप के हां में हां मिलाया है और कहा कि मुझे खुशी है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने ये फैक्ट कहा है।

शशि थरूर और मनीष तिवारी सरकार के समर्थन में

ट्रंप के टैरिफ वाले एलान के बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने सरकार से तमाम सवाल किए। इस बीच कांग्रेस के ही नेता शशि थरूर और मनीष तिवारी ने मोदी सरकार को जोरदार समर्थन दिया है। शशि थरूर ने साफ शब्दों में कहा कि अमेरिका अपनी मांगों को लेकर पूरी तरह से अनुचित है, तो हमें कहीं और जाना होगा। वहीं, मनीष तिवारी ने कहा कि यह सब भारत की स्‍ट्रेटज‍िक ऑटोनॉमी का सबूत है, जो नेहरू की गुटन‍िरपेक्षता से शुरू हुई और अब पीएम मोदी की आत्‍मन‍िर्भर भारत वाली सोच का ह‍िस्‍सा है।

थरूर ने क्या कहा?

संसद परिसर में समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि यह एक चुनौतीपूर्ण वार्ता है। हम कई देशों के साथ बातचीत कर रहे हैं। अमेरिका अकेला ऐसा देश नहीं है जिसके साथ बातचीत चल रही है। यूरोपीय संघ के साथ हमारी बातचीत चल रही है, हमने ब्रिटेन के साथ एक समझौता कर लिया है, और हम अन्य देशों के साथ भी बातचीत कर रहे हैं। अगर हम अमेरिका में प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते, तो हमें अमेरिका के बाहर अपने बाजारों में विविधता लानी पड़ सकती है।

अगर अच्छा सौदा संभव नहीं है, तो पीछे हटना पड़ता है-थरूर

थरूर ने आगे कहा कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। अगर अमेरिका अपनी मांगों को लेकर पूरी तरह से अनुचित है, तो हमें कहीं और जाना होगा। यही भारत की ताकत है; हम चीन की तरह पूरी तरह से निर्यात पर निर्भर अर्थव्यवस्था नहीं हैं। हमारे पास एक अच्छा और मजबूत घरेलू बाजार है। हमें अपने वार्ताकारों को सर्वोत्तम संभव सौदा खोजने के लिए पूरा समर्थन देना चाहिए। अगर कोई अच्छा सौदा संभव नहीं है, तो हमें पीछे हटना पड़ सकता है।

मनीष त‍िवारी ने क्या कहा?

कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष त‍िवारी ने इस मामले में एक्‍स पर लंबा चौड़ा पोस्‍ट ल‍िखा। मनीष त‍िवारी ने लिखा, डोनाल्ड ट्रंप ने शायद 1947 से चली आ रही भारत की स्‍ट्रैटज‍िक ऑटोनॉमी को अब तक की सबसे बड़ी श्रद्धांजलि दी है। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने गुटनिरपेक्षता की नीति लागू की, जिसे आज मल्टी-अलाइनमेंट कहा जाता है। फ‍िर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उसे आत्‍मन‍िर्भरता के साथ आगे बढ़ाया और आज भारत आत्‍मनिर्भर कहा जा रहा है। ये वे रणनीतिक सिलसिले हैं जो भारत को दुनिया से अपनी शर्तों पर और अपने सर्वोच्च राष्ट्रीय हित में जुड़ने की फ्लैक्‍स‍िबिल‍िटी देते हैं। मनीष त‍िवारी ने लिखा, क्या डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ की धमकी उस स्‍ट्रैटज‍िक ऑटोनॉमी को कोई फर्क पहुंचाएगी, जिसे हमने दशकों से और अलग-अलग सरकारों के तहत बनाया है? बिल्कुल नहीं. क्या यह भारत-अमेरिका के व्यापक संबंधों के ताने-बाने को नुकसान पहुंचा सकता है? जवाब है शायद!

कांग्रेस के अन्य नेताओं से अलग राग

बता दें कि शशि थरूर और मनीष त‍िवारी पहली बार सरकार के समर्थन में बातें नहीं कर रहे हैं। इससे पहले भी मोदी सरकार की नीत‍ियों की तारीफ करने को लेकर दोनों नेता कई बार कांग्रेस के न‍िशाने पर भी रहे हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ने पहले भारत पर फोड़ा 25% वाला टैरिफ बम, फिर बोले-नई दिल्ली से बातचीत जारी

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अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले सभी उत्पादों पर 25 फीसदी शुल्क लगाने की घोषणा कर दी है। हालांकि, भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ और अतिरिक्त जुर्माने की घोषणा करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तेवर कुछ ही घंटे में ढीले पड़ गए। अब उन्होंने भारत के साथ बातचीत जारी रखने की बात कही है।

बुधवार को डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के ऊपर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। उन्होंने इसके लिए वॉशिंगटन के व्यापार घाटे और नई दिल्ली की रूस के साथ ऊर्जा खरीद का हवाला दिया था। हालांकि, अमेरिका के टैरिफ पर भारत ने कोई भाव नहीं दिया। बल्कि नई दिल्ली ने तो कह दिया कि सरकार राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी। भारत के भाव न देने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप का रुख नरम पड़ता दिखाई दे रहा है।

समाचार एजेंसी एएनआई की ओर से पूछे गए एक सवाल पर कि क्या वह टैरिफ पर भारत के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं? ट्रंप ने कहा, हम अभी उनसे बात कर रहे हैं। हम देखेंगे कि क्या होता है? भारत दुनिया में सबसे अधिक या लगभग सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाला देश था। हम देखेंगे। हम अभी भारत के साथ बातचीत कर रहे हैं।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के पीछे ब्रिक्स समूह और नई दिल्ली के साथ भारी व्यापार घाटे का हवाला दिया और यह भी कहा कि भारत के साथ बातचीत जारी है। ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त बताया लेकिन कहा कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार के मामले में ज्यादा कुछ नहीं करता है। उन्होंने कहा कि 'भारत ब्रिक्स का सदस्य' है, जो 'अमेरिका विरोधी देशों का समूह' है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर अचानक 25% टैरिफ लगाने के फैसले ने हलचल मचा दी। इस कदम को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर बातचीत के बीच अचानक ट्रंप ने यह ‘टैरिफ बम’ क्यों फोड़ा? अब इसे लेकर व्हाइट हाउस के सलाहकार ने स्थिति साफ कर दी है। व्हाइट हाउस के सलाहकार का कहना है कि भारत के साथ व्यापार वार्ता में प्रगति की कमी से डोनाल्ड ट्रंप ‘फ्रस्ट्रेट यानी निराश’ हैं। उन्हें लगता है कि भारत पर लगाया गया 25 फीसदी टैरिफ इस स्थिति का ‘समाधान और सुधार’ करेगा।