इंडिया अलायंस से बाहर होगी कांग्रेस? जानें क्या है केजरीवाल का प्लान

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दिल्ली चुनाव से पहले कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच तनातनी बढ़ गई है। दिल्ली में दोनों पार्टियों के अलग अलग चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सूत्रों के मुताबिक आम आदमी पार्टी कांग्रेस को इंडिया गठबंधन से बाहर करने में ही जुट गई है। आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन से कांग्रेस को बाहर करने को लेकर दूसरी पार्टियों से बातचीत करेगी।आम आदमी पार्टी की नाराजगी कांग्रेस नेता अजय माकन की उस टिप्पणी के एक दिन बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए आप के साथ गठबंधन करना कांग्रेस की एक 'गलती' थी।

दरअसल, दिल्ली यूथ कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। आरोप है कि आम आदमी पार्टी ने फर्जी योजनाओं के माध्यम से दिल्ली की जनता को गुमराह किया और धोखाधड़ी की। दिल्ली यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष अक्षय का दावा है कि आम आदमी पार्टी के विधायक और एमसीडी पार्षद जनता से वोटर आईडी और फोन नंबर जैसे संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के जरिए एकत्र कर रहे हैं। इसके लिए ओटीपी वेरिफिकेशन की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि पार्टी ने जनता के भरोसे को तोड़ते हुए फर्जी विज्ञापनों के जरिए सरकारी धन का दुरुपयोग किया। यह एक सुनियोजित साजिश बताई जा रही है, जिसका उद्देश्य दिल्ली की जनता को धोखा देना और करदाताओं के पैसे का गलत इस्तेमाल करना है।

इससे पहले कांग्रेस ने दिल्ली सरकार के काले कारनामों पर श्वेतपत्र लाया था। श्वेतपत्र में कहा गया है कि अपराध, अपहरण, महिला अत्याचार में दिल्ली नंबर 1 है। 99 प्रतिशत महिला और बाल अपराध के मामले लंबित हैं। पंजाब में गैंगस्टर राज, ड्रग्स के जाल से दिल्ली प्रभावित है। कांग्रेस का दावा है कि प्रदूषण से 3 लाख लोगों की मौत हुई है। आप ने 100 करोड़ की रिश्वत से गोवा का चुनाव लड़ा।

अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर की मांग व कांग्रेस के नेताओं के बयानों को लेकर आम आदमी पार्टी के नेताओं में नाराजगी है।आप नेता संजय सिंह ने कहा कि दिल्ली चुनाव में भाजपा को जीत दिलाने के लिए कांग्रेस हर संभव कोशिश कर रही है। भाजपा कांग्रेस का फंडिंग कर रही है। कांग्रेस नेता अजय माकन ने अरविंद केजरीवाल को 'देशद्रोही' कहा, पार्टी 24 घंटे में उनके खिलाफ कार्रवाई करे। कार्रवाई नहीं हुई तो हम इंडी गठबंधन में नहीं होंगे।

अटल बिहारी वाजपेयी: एक दूरदृष्टा नेता का भारत निर्माण में अमिट योगदान

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अटल बिहारी वाजपेयी (1924–2018) भारत के सबसे सम्मानित राजनीतिक नेताओं में से एक थे, जिनका योगदान देश के लिए राज्यकर्मी और दूरदृष्टा के रूप में अत्यधिक महत्वपूर्ण था। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में तीन गैर-निरंतर कार्यकालों में सेवा की: 1996, 1998–2004 और 1996 में कुछ समय के लिए। उनके नेतृत्व और दृष्टिकोण ने भारत की घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय नीतियों पर स्थायी प्रभाव डाला। यहां उनके कुछ प्रमुख योगदान दिए गए हैं:

1. राजनयिक प्रयास और शांति पहल

 -पाकिस्तान के साथ रिश्तों में सुधार: वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक रूप से जुड़ने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए। 1999 में उन्होंने लाहौर की अपनी बस यात्रा के दौरान लाहौर घोषणा पर हस्ताक्षर किए, जो दोनों देशों के बीच शांति और रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए एक मजबूत पहल थी।

-कारगिल युद्ध (1999): कारगिल संघर्ष के बाद, वाजपेयी के नेतृत्व की सराहना की गई, जिसमें उन्होंने स्थिति को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सावधानीपूर्वक संभालते हुए भारत की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित की।

- संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंध: वाजपेयी ने भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शुरू में कुछ संकोच के बावजूद, उनकी सरकार ने भारत को अमेरिकी रणनीतिक साझेदार बना दिया, खासकर रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में।

 2. न्यूक्लियर प्रोग्राम

 पोकरण- II न्यूक्लियर परीक्षण (1998): वाजपेयी का सबसे महत्वपूर्ण योगदान भारत के पोकरण- II न्यूक्लियर परीक्षण की देखरेख करना था, जो मई 1998 में किए गए थे। वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने पांच परमाणु परीक्षण किए, जिससे भारत को एक परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया। यह कदम भारत की सामरिक स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक था।

- ये परीक्षण अंतर्राष्ट्रीय विवाद का कारण बने, लेकिन इसके साथ ही भारत को एक मान्यता प्राप्त परमाणु शक्ति बना दिया, जिससे उसकी सुरक्षा नीति को वैश्विक स्तर पर मजबूती मिली।

 3. आर्थिक सुधार और विकास

- आर्थिक उदारीकरण (1990 के दशक): वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने 1990 के दशक में शुरू किए गए आर्थिक सुधारों का समर्थन किया और उन्हें तेज़ किया। हालांकि ये सुधार प्रमुख रूप से प्रधानमंत्री नरसिंह राव के तहत हुए थे, वाजपेयी सरकार ने इसे जारी रखा और निजीकरण को बढ़ावा दिया तथा औद्योगिक नीति में सुधार किया।

- इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास: उनकी सरकार ने कई प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की शुरुआत की, जिनमें गोल्डन क्वाड्रिलेट्रल प्रोजेक्ट शामिल है, जिसका उद्देश्य दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे चार प्रमुख शहरों को एक नेटवर्क के जरिए जोड़ना था, जिससे देश के सड़क संपर्क में सुधार हुआ।

4. सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान

- भारतीय संस्कृति का प्रचार: वाजपेयी भारतीय संस्कृति के प्रबल समर्थक थे। उन्हें अपनी वाकपटुता और पारंपरिक मूल्यों से जुड़ाव के लिए जाना जाता था। अपने भाषणों में अक्सर कविताओं का उद्धरण करते थे। उनका भारत की सांस्कृतिक पहचान के प्रति गहरा सम्मान उनके नीतियों और सार्वजनिक जीवन में परिलक्षित होता था।

- समावेशी शासन: उन्होंने समाज के सभी वर्गों के कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया और सामाजिक स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी सरकार ने अधिक समावेशी विकास के लिए एक ढांचा तैयार किया, जो भारत को एकजुट करता है।

 5. शासन और राजनीतिक धरोहर

- लोकतंत्र के समर्थक: वाजपेयी एक प्रतिबद्ध लोकतांत्रिक नेता थे, जिन्होंने एक धर्मनिरपेक्ष, बहुलवादी और समावेशी भारत की परिकल्पना की। उन्होंने भारतीय लोकतंत्र को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई और यह सुनिश्चित किया कि देश विभिन्न चुनौतियों के बावजूद एकजुट रहे।

- भारतीय जनता पार्टी (BJP): BJP के एक वरिष्ठ नेता के रूप में वाजपेयी का नेतृत्व पार्टी को एक महत्वपूर्ण राजनीतिक ताकत के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण था। उनकी राजनीति में उदार और समावेशी दृष्टिकोण ने BJP को एक राष्ट्रीय पार्टी बना दिया, जो उत्तर भारत से बाहर भी प्रभावशाली हो गई।

 6. सामाजिक कल्याण योजनाएँ

  - पंचायती राज अधिनियम (1993): वाजपेयी की सरकार के दौरान, भारत में पंचायती राज व्यवस्था को सशक्त बनाने और विकेंद्रीकरण पर जोर दिया गया। इससे ग्रामीण भारत को सशक्त बनाया गया और स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया को मजबूत किया गया।

शिक्षा और स्वास्थ्य पहल: वाजपेयी सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बढ़ाने पर जोर दिया, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में।

7. उनकी नेतृत्व शैली

- वाजपेयी अपनी दूरदर्शिता, धैर्य और व्यावहारिक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते थे। उनके नेतृत्व में, वे राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में सख्त और शांति की ओर बढ़ने में संतुलित थे। उनकी व्यक्तिगत ईमानदारी और संसद के प्रति सम्मान ने उन्हें राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा भी सराहा।

8. पुरस्कार और सम्मान

  - अटल बिहारी वाजपेयी को 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जो उनके भारतीय राजनीति और शासन में योगदान को मान्यता प्रदान करता है।

- उनका प्रभाव केवल राजनीति तक सीमित नहीं था। उन्हें एक दूरदर्शी नेता के रूप में देखा जाता था, जिन्होंने वैश्विक और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य को समझा और भारत के लिए एक बेहतर भविष्य की दिशा में काम किया।

अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान भारतीय राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज में अत्यधिक महत्वपूर्ण था। वह एक ऐसे नेता के रूप में याद किए जाते हैं, जिनकी दूरदृष्टि और नेतृत्व ने आधुनिक भारत को आकार दिया। उनका प्रभाव हमेशा रहेगा, और वह एक मजबूत, आत्मविश्वासी और वैश्विक मंच पर सम्मानित भारत के निर्माता के रूप में याद किए जाएंगे।

भारत से टकराव के मूड में है बांग्लादेश? हसीना के तख्तापलट के बाद संबंधों पर पड़ा असर

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भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। शेख हसीने के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश और भारत के रिश्तों में तल्खियां बढ़ती ही जा रही है। शेख हसीने के बाद बांग्लादेश की सत्ता संभाल रहे मोहम्‍मद यूनुस की कारगुजारियां से और बढ़ा रही हैं। वहां ह‍िन्‍दुओं पर हमले हुए तो बांग्‍लादेश सरकार चुप रही। वहां के नेता भारत के ख‍िलाफ अनर्गल बयानबाजी करते रहे, फ‍िर भी मुहम्‍मद यूनुस कुछ नहीं बोले। उन्‍हीं की सरकार के सलाहकार ने तो भारत के तीन प्रदेशों पर हमले तक की बात कह डाली, लेकिन वहां भी मूनुस की च्पीपी बरकरार रही। अब यूनुस सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्‍यर्पण की मांग भारत से कर डाली है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आख‍िर बांग्‍लादेश भारत के साथ संबंधों को खराब क्यों कर रहा है?

शेख हसीना के सत्‍ता से बाहर होने के बाद बांग्‍लादेश की अंतर‍िम सरकार ने कई ऐसे फैसले ल‍िए, जो भारत विरोधी कहे जा सकते हैं। युनूस जब सरकार के मुख‍िया बने तो पीएम मोदी ने खुद उन्‍हें फोन क‍िया था, लेकिन यूनुस ने न तो प्रधानमंत्री मोदी को फोन किया है और न ही बातचीत के लिए कोई प्रतिनिधिमंडल भारत भेजा। साफ है क‍ि वे रिश्ते खराब करने में जुटे हुए हैं। वहीं, बांग्लादेश में सबसे बड़ा मुद्दा ह‍िन्‍दुओं पर हमले का है। जिसपर भारत के बार-बार अपील के बाद भी पड़ोसी देश की सरकार ने चुप्पी साध रखी है। दूसरा बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच गहरे होते रिश्ते। ज‍िस पाक‍िस्‍तान से बांग्‍लादेश के लोग एक वक्‍त नफरत क‍िया करते थे, अब उसी के साथ बांग्‍लादेश की सरकार गलबह‍ियां कर रही है। उनके नेताओं से रिश्ते बनाए जा रहे हैं। पाकिस्तान से जहाज के कंटेनर लगातार चटगांव बंदरगाह पर आ रहे हैं, जिससे भारत के लिए चिंताएँ बढ़ रही हैं। पाक‍िस्‍तानी आर्मी अब बांग्‍लादेश की आर्मी को ट्रेनिंग देने वाली है।

अब ताजा मामला शेख हसीना के प्रत्‍यर्पण का है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की ओर से शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण की मांग को उसके तल्ख़ रवैये के रूप में देखा जा रहा है।बांग्लादेश की यह मांग भारत के लिए असहज करने वाली है। शेख हसीना भारत की दोस्त मानी जाती हैं और भारत उन्हें बांग्लादेश भेजने का जोखिम शायद ही उठाए, जब वहां राजनीतिक प्रतिशोध का माहौल है।

भारत के पूर्व डिप्लोमैट राजीव डोगरा मानते हैं कि बांग्लादेश शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण की मांग इसलिए कर रहा है क्योंकि हसीना लोकतांत्रिक बांग्लादेश की प्रतीक थीं। डोगरा ने सामाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ''पाकिस्तान के ख़िलाफ़ जो विद्रोह हुआ था, हसीना उसकी भी प्रतीक हैं क्योंकि उनके पिता शेख़ मुजीब-उर रहमान ने इस विद्रोह का नेतृत्व किया था। अब लगता है कि चीज़ें उलटी दिशा में जा रही हैं। अब बांग्लादेश के नए शासक पाकिस्तान से दोस्ती चाहते हैं। बांग्लादेश के मौजूदा शासन के ख़िलाफ शेख हसीना प्रतीक बनी हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का मकसद यही है कि शेख हसीना उनके क़ब्जे में आ जाएं और जेल में बंद कर मार डालें। शेख हसीना को बांग्लादेश भेजना एक निर्दोष को हथियारों से लैस लोगों के बीच सौंप देना है।

सामरिक मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण की मांग पर सवाल उठाया है। चेलानी ने एक्स पर लिखा, ''बांग्लादेश में एक ऐसी सरकार है जो हिंसक भीड़ के दम पर सत्ता में है। इस सरकार की कोई संवैधानिक मान्यता नहीं है। ऐसे में उसे भारत से शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करने का अधिकार नहीं है।''

यह कोई पहली बार नहीं है, जब शेख़ हसीना भारत में निर्वासित ज़िंदगी जी रही हैं। इससे पहले 1975 में वह भारत में निर्वासित ज़िंदगी जी चुकी हैं। तब उनके पिता शेख़ मुजीब-उर रहमान की हत्या हुई थी। वह दौर भी हसीना के लिए त्रासदियों से भरा था। उस दौरान भी बांग्लादेश की सेना और पाकिस्तान में क़रीबी बढ़ने की बात सामने आई थी। ऐसे में हसीना के लिए वहां की व्यवस्था पर भरोसा करना आसान नहीं था। शेख मुजीब-उर रहमान ने अवामी लीग का गठन किया था और हमेशा से लीग की करीबी भारत से रही।हसीना जब भी सत्ता में रहीं भारत से संबंध स्थिर रहे।

36 साल बाद भारत में सलमान रुश्दी की किताब की बिक्री शुरू, राजीव गांधी सरकार ने लगाया था बैन

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ब्रिटिश-भारतीय उपन्यासकार सलमान रुश्दी की विवादास्पद किताब 'द सैटेनिक वर्सेस' की 36 साल बाद भारत में बिक्री शुरू हो गई है। एक बार फिर दिल्ली के बाजारों में यह किताब दिखाई दी। इस किताब को साल 1988 में बैन कर दिया गया था। मुस्लिम संगठनों ने इस किताब पर ऐतराज जताया था। जिसके बाद राजीव गांधी सरकार ने इस किताब पर प्रतिबंध लगाया था। अब कोर्ट ने बुक पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया। यह किताब दिल्ली-एनसीआर के बहरीसन्स बुकसेलर्स स्टोर्स में ही उपलब्ध है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने किताब के आयात पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई बंद कर दी थी। दरअसल सरकार उस अधिसूचना को पेश नहीं कर सकी जिसके आधार पर प्रतिबंध लगाया गया था। 5 नवंबर को भारत में पुस्तक के आयात प्रतिबंध को चुनौती देने वाले 2019 के एक मामले की सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान भारत सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि आयात प्रतिबंध आदेश मिल नहीं रहा है, इसलिए इसको कोर्ट में पेश नहीं किया जा सका।

इस पर, अदालत ने कहा कि उसके पास “यह मानने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है कि ऐसी कोई अधिसूचना मौजूद ही नहीं है जो किताब पर प्रतिबंध लगाती हो। याचिकाकर्ता संदीपन खान के वकील उद्यम मुखर्जी ने कहा, प्रतिबंध 5 नवंबर को हटा दिया गया है क्योंकि कोई बैन की अधिसूचना नहीं है।

‘द सैटेनिक वर्सेज’ सितंबर 1988 में प्रकाशित हुई थी, लेकिन पब्लिश होने के कुछ समय बाद ही ईशनिंदा को लेकर यह किताब वैश्विक विवाद में घिर गई, जिसमें कथित तौर पर पैगंबर मोहम्मद पर कुछ अंशों को “ईशनिंदा” बताया गया था। दुनिया भर के मुस्लिम संगठनों ने इस किताब को ईशनिंदा मानते हुए विरोध किया था।

इस किताब पर प्रतिबंध के बाद ईरानी नेता रुहोल्लाह खोमेनी ने रुश्दी की हत्या का फतवा जारी किया था। जिसमें मुसलमानों से उनकी हत्या करने का आह्वान किया गया था। रुश्दी को लगभग 10 साल तक छिपकर रहना पड़ा था। अगस्त 2022 में, सलमान रुशदी की किताब के खिलाफ लोगों में इतना आक्रोश बढ़ गया था कि न्यूयॉर्क में एक व्याख्यान के दौरान मंच पर उन पर चाकू से हमला किया गया था। कट्टरपंथी हादी मटर ने रुश्दी पर हमला किया था। इस हमले में रुश्दी की एक आंख की रोशनी चली गई थी।

इस किताब के सामने आने के बाद मुस्लिम समुदाय में आक्रोश था और इसी के चलते राजीव गांधी की सरकार ने इस किताब के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

बांग्लादेश की जेल से आया बाहर भारत के खिलाफ आतंकी साजिश रचने वाला, युनूस सरकार ने दिखाई दया*

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बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के गिरने के बाद से अंतरिम सरकार के चीफ मोहम्मद युनूस एक के बाद एक ऐसे काम कर रहे हैं, जिसपर सवाल उठ रहे हैं। अब युनूस सरकार ने भारत पर हमले के लिए आतंकियों की मदद करने वाले और शेख हसीना की रैली में हमले करवाने वाले पर दया दिखाई है। बांग्लादेश की एक अदालत ने भारत विरोधी आतंकवाद में शामिल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के सदस्य और पूर्व जूनियर मंत्री अब्दुस सलाम पिंटू को 17 सालों के बाद जेल से आजाद कर दिया है।पिंटू की गिनती खालिदा जिया के सबसे करीबी नेताओं में होती है। अब्दुस सलाम पिंटू का रिहा होना भारत और शेख हसीना दोनों के लिए चिंता की बात है।

अब्दुस सलाम पिंटू को 17 साल बाद जेल से रिहा कर दिया गया। अब्दुस सलाम ने भारत के खिलाफ आतंकी हमले करने में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (हूजी) की मदद की थी। उसे 2004 में प्रधानमंत्री शेख हसीना पर ग्रेनेड हमले की साजिश रचने के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। अब्दुस सलाम ने पीओके में हूजी के हथियारों की खरीद, भर्ती और शिविरों में प्रशिक्षण कार्यक्रमों में मदद करके भारत में आतंकी हमलों में अहम भूमिका निभाई थी। उस पर हूजी को मदरसा छात्रों को हथियारों और विस्फोटकों का प्रशिक्षण देने और कश्मीर में आतंकवादियों के लिए धन और हथियार जुटाने में मदद करने का आरोप है।

अब्दुस सलाम पिंटू बांग्लादेश का शिक्षा मंत्री रह चुका है। खालिदा जिया की सरकार में वो इस पद पर था। सरकार में रहते हुए उसने भारत और हसीना के खिलाफ कई साजिश रची। आतंकियों को फंडिंग करते इसे गिरफ्तार किया गया था। पाकिस्तान के एक आतंकी संगठन को वह फंडिंग करता था, जिससे उसके आतंकी कश्मीर के रास्ते भारत को नुकसान पहुंचाएं। जब जांच हुई तब मालूम पड़ा कि वह ना सिर्फ फंडिंग करता था बल्कि आतंकियों को हथियार और सूचना भी देता था।

21 अगस्त, 2004 को हसीना की रैली में उसने हमला करवाया था, जिसमें 24 लोगों की मौत हुई थी। इस हमले में शेख हसीना भी घायल हुई थीं। 2008 में पिंटू को गिरफ्तार किया गया था। 2018 में उसे मौत की सजा सुनाई गई थी।

पीटीआई की रिपोर्ट में मुताबिक, 2004 के ग्रेनेड हमले के मामले के जांच अधिकारी ने 2021 में ढाका के एक कोर्ट में बताया था कि अब्दुस सलाम पिंटू ने हूजी को भारत के खिलाफ आतंकी हमला करने के लिए हथियार जुटाने में मदद की थी। जांच अधिकारी ने 2011 में अदालत को यह भी जानकारी दी थी कि अब्दुस सलाम और बाबर ने कई युवाओं को हथियार और बम चलाने का प्रशिक्षण दिया था, जिसमें विशेष रूप से मदरसा के छात्र शामिल थे।

डेली स्टार ने 2021 में रिपोर्ट के मुताबिक, जांच अधिकारी ने कहा था, "अब्दुस के भर्ती किए गए ज्यादातर लोग पीओके और बांग्लादेश से थे। उन्होंने भारत के कश्मीर में उग्रवादियों के लिए पैसा, हथियार और गोला-बारूद भी जुटाए थे।"

खूंटी-सिमडेगा मुख्य मार्ग पर कूल्डा जंगल के पास भीषण हादसा, GAIL के दो कर्मी की घटनास्थल पर मौत


झा. डेस्क 

 खूंटी-सिमडेगा मुख्य मार्ग पर कूल्डा जंगल के पास भीषण हादसा की घटना की खबर है. इस दुर्घटना में GAIL के दो कर्मचारियों की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी. 

मृतक की पहचान यूपी जौनपुर जिले के हुरहुरी गांव निवासी आशीष कुमार सिंह (31) और डोरंडा दर्जी मोहल्ला निवासी असद अली (32) के रूप में हुई. दोनों कर्मचारी रांची के डोरंडा से रनिया के GAIL स्टेशन एसबी-7 ऑफिस के किसी काम से जा रहे थे.

बताया जाता है कि GAIL (INDIA) के दोनों अनुबंध कर्मी इनोवा जेएच 01 एफआर 2706 में बिहार के औरंगाबाद निवासी विजय कुमार के साथ जा रहे थे. इस बीच तेज रफ्तार इनोवा कार ने सड़क किनारे लगे साइन बोर्ड को उखाड़ते हुए पेड़ में जोरदार टक्कर मार दी. टक्कर इतनी तेज थी कि गाड़ी के परखच्चे उड़ गए.

*Bengal in record books, chases down mammoth total to enter semifinals of Senior Women’s One-Day Trophy*

Sports News

Khabar kolkata sports Desk: In one of most thrilling and successful run-chases in history of women’s cricket, Bengal Senior Women’s team has entered the record books, chasing down a mammoth target to stun Haryana by 5 wickets in the quarterfinal match to enter the semifinals of the domestic One-Day Trophy on Monday.

Set a massive target of 390 in 50 overs, Bengal went over the line comfortably, scoring 390/5 in 49.1 overs.

This is by far the highest successful chase in women’s List A cricket. The previous record was 309 by Northern Districts against Canterbury in 2019.

Tanushree Sarkar was the player of the match for her superb all-round show, bagging 3 for 56 followed by a match-winning 113 off 83 balls as Bengal entered the last-four stage in style.

“Yesterday during the pre-match meeting, I told the girls that the pitch will be batting friendly and no one should panic at any point during the match. Today during the innings break, I told the batters, have faith and belief in yourselves and we can do it. It was an unbelievable victory. To chase down a massive total like this, is special,” Bengal head coach Probal Dutta said.

India legend and team mentor Jhulan Goswami heaped praise on the players saying, “It is a fantastic win. To have the mindset of chasing down this massive target is brilliant. The girls believed in themselves and the win is truly special.”

Priyanka Bala (88 not out off 81), Dhara Gujjar (69 off 49), Sasthi Mondal (52 off 29), Prativa Rana (28 off 26), Mita Paul (12, 1-63) and Hrishita Basu (11 not out) were the other star performers for Bengal.

Put into bat, skipper Shafali Verma smashed a brilliant 197 off 115 balls to help Haryana post a mammoth total.

In reply, Dhara and Sasthi gave Bengal a flying start. Despite losing both openers, Bengal batters never gave up, instead kept believing, as the team chased the target down with five balls to spare.

PIC Courtesy by: CAB

शेख हसीना को वापस भेजे भारत, बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने प्रत्यर्पण के लिए लिखा पत्र
#bangladesh_-writes_letter_to_india_demanding_extradition_send_back_hasina
बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने भारत सरकार को पत्र लिखा है। इस पत्र में बांग्लादेश ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को वापस भेजने यानी प्रत्यर्पण की मांग की है। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार में शेख हसीना के खिलाफ कई मामलों केस दर्ज किया गया है। बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अपनी सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर छात्र नेतृत्व वाले विद्रोह के बीच पांच अगस्त को भारत चली गई थीं। इस दौरान हुए विरोध प्रदर्शन में कई लोग घायल हुए। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुताबिक विरोध प्रदर्शनों के दौरान कम से कम 753 लोग मारे गए और हजारों घायल हुए।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को ढाका वापस भेजने के लिए भारत को एक राजनयिक नोट भेजा है। बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने अपने कार्यालय में सोमवार इसकी जानकारी दी। बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने पत्रकारों से कहा कि भारत को शेख हसीना पर बांग्लादेश के स्टैंड के बारे में जानकारी दी गई है। हम चाहते हैं क‍ि उन्‍हें जल्‍द भेज द‍िया जाए।

बांग्‍लादेश के गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) जहांगीर आलम चौधरी ने भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत से वापसी के ल‍िए हमने भारत के विदेश मंत्रालय को पत्र लिखा है। उन्होंने यह टिप्पणी सोमवार को ढाका के पिलखाना स्थित बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में एक पत्रकार के सवाल के जवाब में की।

*बांग्लादेश ने दी प्रत्यर्पण संधि की दलील*
ढाका ट्र‍िब्‍यून की रिपोर्ट के मुताबिक, शेख हसीना को भारत से वापस लाने के बारे में पूछे जाने पर जहांगीर आलम चौधरी ने कहा, विदेश मंत्रालय को एक पत्र पहले ही भेजा जा चुका है। शेख हसीना के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया चल रही है। शेख हसीना बांग्‍लादेश कब लौटेंगी, इसके बारे में उन्‍होंने कोई टाइम फ्रेम नहीं द‍िया। लेकिन ये जरूर कहा क‍ि बांग्‍लादेश की भारत का साथ प्रत्‍यर्पण संध‍ि है। उसी के तहत शेख हसीना को वापस लाया जाएगा।

* इंटरपोल से मदद मांगने की भी कही थी बात*
इससे पहले बीते माह  बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने  कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ छात्र आंदोलन में हुई मौतों का मुकदमा चलाने के लिए उनको बांग्लादेश लाया जाएगा। इसके लिए अंतरिम सरकार इंटरपोल की मदद मांगेगी।  बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कानून मामलों के सलाहकार आसिफ नजरुल ने कहा था कि इंटरपोल के जरिये बहुत जल्द रेड नोटिस जारी किया जाएगा। चाहे ये फासीवादी लोग दुनिया में कहीं भी छिपे हों, उन्हें वापस लाया जाएगा और अदालत में जवाबदेह ठहराया जाएगा। 17 अक्तूबर को न्यायाधिकरण ने हसीना और 45 अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे। इसमें उनके बेटे सजीब वाजेद जॉय और उनके कई पूर्व कैबिनेट सदस्य शामिल हैं।

*क्या है प्रत्यर्पण संधि?*
बता दें कि भारत और बांग्लादेश की सरकार के बीच साल 2013 में प्रत्यर्पण को लेकर संधि की गई थी। 2013 से भारत के बीच 'प्रत्यर्पणीय अपराध मामलों' में आरोपी या भगोड़े आरोपियों और बंदियों को एक-दूसरे को सौंपने का करार हुआ था। हालांकि इस प्रत्यर्पण संधि की एक धारा में कहा गया है कि प्रत्यर्पित किए जाने वाले व्यक्ति के खिलाफ लगाए गए आरोप अगर राजनीतिक प्रकृति के हों तो अनुरोध खारिज किया जा सकता है।
भारत और बांग्लादेश के बीच किए गए प्रत्यर्पण संधि में राजनीतिक मामलों को छोड़कर अपराध में शामिल व्यक्तियों के प्रत्यर्पण की मांग की जा सकती है। इन अपराधों में आतंकवाद, बम धमाका, हत्या और गुमशुदगी सरीखे अपराधों को शामिल किया गया। हालांकि बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना के खिलाफ सामूहिक हत्या, लूटपाट और जालसाजी के आरोप लगाए हैं। इसके अलावा बांग्लादेश के एक आयोग ने उनपर लोगों को गायब करने का भी आरोप लगाया है।
पीआरएसआई के नेशनल कॉन्फ्रेंस के समापन में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए उप मुख्यमंत्री अरुण साव

रायपुर-  उप मुख्यमंत्री अरुण साव पीआरएसआई (Public Relations Society of India) के 46वें ऑल इंडिया पब्लिक रिलेशन्स नेशनल कॉन्फ्रेंस-2024 के समापन में मुख्य अतिथि के रुप में शामिल हुए। उन्होंने समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि यह छत्तीसगढ़ के लिए सौभाग्य की बात है कि पीआरएसआई ने अपने 46वें अधिवेशन के लिए छत्तीसगढ़ को चुना। मैं देशभर से आए प्रतिनिधियों का छत्तीसगढ़ की पावन भूमि और माता कौशल्या की इस धरती पर हार्दिक अभिनंदन और स्वागत करता हूं।

उप मुख्यमंत्री श्री साव ने अपने संबोधन में कहा कि प्रकृति ने छत्तीसगढ़ पर असीम कृपा बरसाई है। छत्तीसगढ़ ऐसा भू-भाग है जिसका उल्लेख हर काल में मिलता है। छत्तीसगढ़ ऐतिहासिक, पौराणिक एवं प्राकृतिक रूप से अत्यंत समृद्ध रहा है। यहां एक ओर पहाड़, जंगल और नदियां हैं, तो दूसरी ओर कोयले से लेकर हीरे तक के भंडार हैं। यही छत्तीसगढ़ की ताकत है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ का जितना विकास और विश्व पटल पर नाम होना चाहिए था, वह अभी तक नहीं हो पाया है। देशभर के लोग आज यहां आए हैं, निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ की विशेषताएं देशभर में जाएंगी। उप मुख्यमंत्री श्री साव ने कहा कि जनसंपर्क की ताकत संचार कौशल में है। जनता तक अपनी बात पहुंचाने का जनसंपर्क अद्भुत माध्यम है, जिसमें लगातार इनोवेशन हो रहे हैं। इन इनोवेशन्स के कारण जनसंपर्क की क्षमता का विस्तार भी हो रहा है।

तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन चंदखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर के दर्शन के साथ हुआ। सम्मेलन में जनसंपर्क के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए विभिन्न संस्थाओं तथा व्यक्तियों को पुरस्कृत किया गया।

बांग्लादेश के लोगों को जबरन गायब करने में भारत शामिल”, यूनुस सरकार का गंभीर आरोप
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* भारत और बांग्लादेश के संबंध फिलहाल तनाव के दौर से गुजर रहे हैं। हालांकि, तनाव को कम करने के बजाय बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार आए दिन भारत के खिलाफ जहर उगलने का काम कर रही है। बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अगुआई वाली अंतरिम सरकार का एक और भारत विरोधी चेहरा सामने आया है।बांग्लादेश में एक जांच आयोग ने देश से लोगों के गायब होने के पीछे भारत की भूमिका होने की शक जाहिर किया है। बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने इस आयोग का गठन किया था। आयोग ने दावा किया है कि शेख हसीना के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान 'जबरन गुमशुदगी' के मामलों में भारत की संलिप्तता थी। सरकारी समाचार एजेंसी बांग्लादेश संगबाद संस्था (बीएसएस) ने शनिवार को आयोग की रिपोर्ट का हवाले देते हुए कहा, “बांग्लादेश के जबरन गायब किए जाने के मामलों में भारत की संलिप्तता सार्वजनिक रिकॉर्ड का मामला है।” जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में 3,500 से ज्यादा लोगों की गुमशुदगी के मामलों का अनुमान लगाया है। आयोग का कहना है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों में इस बात की चर्चा है कि कुछ बांग्लादेशी कैदी अभी भी भारत की जेलों में बंद हो सकते हैं। आयोग ने भारत और बांग्लादेश के बीच कैदियों की अदला-बदली की खुफिया रिपोर्ट का भी जिक्र किया है। पांच सदस्यीय आयोग ने मुहम्मद यूनुस को 'अनफोल्डिंग द ट्रुथ' शीर्षक की ये रिपोर्ट सौंपी। सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मैनुल इस्लाम चौधरी की अध्यक्षता वाले पांच सदस्यीय आयोग का कहना है कि सरकारी एजेंसियों में यह धारणा बनी हुई है कि कुछ कैदी अब भी भारतीय जेलों में बंद हो सकते हैं। हम विदेश और गृह मंत्रालय को सलाह देते हैं कि वे भारत में कैद किसी भी बांग्लादेशी नागरिक की पहचान के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें। बांग्लादेश के बाहर इस मामले की जांच करना आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। आयोग ने बर्खास्त प्रधानमंत्री शेख हसीना के रक्षा सलाहकार, सेवानिवृत्त मेजर जनरल तारिक अहमद सिद्दीकी के साथ दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और कई अन्य अधिकारियों की जबरन गुमशुदगी में संलिप्तता का जिक्र किया है। आयोग के सदस्य सज्जाद हुसैन ने कहा कि जबरन गुमशुदगी की 1,676 शिकायतें दर्ज की गई हैं, जिनमें से अब तक 758 मामलों की जांच की जा चुकी है। इनमें से 27 फीसदी पीड़ित कभी नहीं लौटे और जो लौटे उन्हें भी गलत तरीके से गिरफ्तार के रूप में दर्ज किया गया। आयोग मार्च में एक और अंतरिम रिपोर्ट देने की योजना बना रहा है। आयोग ने कहा है कि सभी आरोपों की समीक्षा पूरी करने में एक साल लगेगा।
इंडिया अलायंस से बाहर होगी कांग्रेस? जानें क्या है केजरीवाल का प्लान

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दिल्ली चुनाव से पहले कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच तनातनी बढ़ गई है। दिल्ली में दोनों पार्टियों के अलग अलग चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सूत्रों के मुताबिक आम आदमी पार्टी कांग्रेस को इंडिया गठबंधन से बाहर करने में ही जुट गई है। आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन से कांग्रेस को बाहर करने को लेकर दूसरी पार्टियों से बातचीत करेगी।आम आदमी पार्टी की नाराजगी कांग्रेस नेता अजय माकन की उस टिप्पणी के एक दिन बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए आप के साथ गठबंधन करना कांग्रेस की एक 'गलती' थी।

दरअसल, दिल्ली यूथ कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। आरोप है कि आम आदमी पार्टी ने फर्जी योजनाओं के माध्यम से दिल्ली की जनता को गुमराह किया और धोखाधड़ी की। दिल्ली यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष अक्षय का दावा है कि आम आदमी पार्टी के विधायक और एमसीडी पार्षद जनता से वोटर आईडी और फोन नंबर जैसे संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के जरिए एकत्र कर रहे हैं। इसके लिए ओटीपी वेरिफिकेशन की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि पार्टी ने जनता के भरोसे को तोड़ते हुए फर्जी विज्ञापनों के जरिए सरकारी धन का दुरुपयोग किया। यह एक सुनियोजित साजिश बताई जा रही है, जिसका उद्देश्य दिल्ली की जनता को धोखा देना और करदाताओं के पैसे का गलत इस्तेमाल करना है।

इससे पहले कांग्रेस ने दिल्ली सरकार के काले कारनामों पर श्वेतपत्र लाया था। श्वेतपत्र में कहा गया है कि अपराध, अपहरण, महिला अत्याचार में दिल्ली नंबर 1 है। 99 प्रतिशत महिला और बाल अपराध के मामले लंबित हैं। पंजाब में गैंगस्टर राज, ड्रग्स के जाल से दिल्ली प्रभावित है। कांग्रेस का दावा है कि प्रदूषण से 3 लाख लोगों की मौत हुई है। आप ने 100 करोड़ की रिश्वत से गोवा का चुनाव लड़ा।

अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर की मांग व कांग्रेस के नेताओं के बयानों को लेकर आम आदमी पार्टी के नेताओं में नाराजगी है।आप नेता संजय सिंह ने कहा कि दिल्ली चुनाव में भाजपा को जीत दिलाने के लिए कांग्रेस हर संभव कोशिश कर रही है। भाजपा कांग्रेस का फंडिंग कर रही है। कांग्रेस नेता अजय माकन ने अरविंद केजरीवाल को 'देशद्रोही' कहा, पार्टी 24 घंटे में उनके खिलाफ कार्रवाई करे। कार्रवाई नहीं हुई तो हम इंडी गठबंधन में नहीं होंगे।

अटल बिहारी वाजपेयी: एक दूरदृष्टा नेता का भारत निर्माण में अमिट योगदान

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अटल बिहारी वाजपेयी (1924–2018) भारत के सबसे सम्मानित राजनीतिक नेताओं में से एक थे, जिनका योगदान देश के लिए राज्यकर्मी और दूरदृष्टा के रूप में अत्यधिक महत्वपूर्ण था। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में तीन गैर-निरंतर कार्यकालों में सेवा की: 1996, 1998–2004 और 1996 में कुछ समय के लिए। उनके नेतृत्व और दृष्टिकोण ने भारत की घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय नीतियों पर स्थायी प्रभाव डाला। यहां उनके कुछ प्रमुख योगदान दिए गए हैं:

1. राजनयिक प्रयास और शांति पहल

 -पाकिस्तान के साथ रिश्तों में सुधार: वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक रूप से जुड़ने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए। 1999 में उन्होंने लाहौर की अपनी बस यात्रा के दौरान लाहौर घोषणा पर हस्ताक्षर किए, जो दोनों देशों के बीच शांति और रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए एक मजबूत पहल थी।

-कारगिल युद्ध (1999): कारगिल संघर्ष के बाद, वाजपेयी के नेतृत्व की सराहना की गई, जिसमें उन्होंने स्थिति को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सावधानीपूर्वक संभालते हुए भारत की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित की।

- संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंध: वाजपेयी ने भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शुरू में कुछ संकोच के बावजूद, उनकी सरकार ने भारत को अमेरिकी रणनीतिक साझेदार बना दिया, खासकर रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में।

 2. न्यूक्लियर प्रोग्राम

 पोकरण- II न्यूक्लियर परीक्षण (1998): वाजपेयी का सबसे महत्वपूर्ण योगदान भारत के पोकरण- II न्यूक्लियर परीक्षण की देखरेख करना था, जो मई 1998 में किए गए थे। वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने पांच परमाणु परीक्षण किए, जिससे भारत को एक परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया। यह कदम भारत की सामरिक स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक था।

- ये परीक्षण अंतर्राष्ट्रीय विवाद का कारण बने, लेकिन इसके साथ ही भारत को एक मान्यता प्राप्त परमाणु शक्ति बना दिया, जिससे उसकी सुरक्षा नीति को वैश्विक स्तर पर मजबूती मिली।

 3. आर्थिक सुधार और विकास

- आर्थिक उदारीकरण (1990 के दशक): वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने 1990 के दशक में शुरू किए गए आर्थिक सुधारों का समर्थन किया और उन्हें तेज़ किया। हालांकि ये सुधार प्रमुख रूप से प्रधानमंत्री नरसिंह राव के तहत हुए थे, वाजपेयी सरकार ने इसे जारी रखा और निजीकरण को बढ़ावा दिया तथा औद्योगिक नीति में सुधार किया।

- इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास: उनकी सरकार ने कई प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की शुरुआत की, जिनमें गोल्डन क्वाड्रिलेट्रल प्रोजेक्ट शामिल है, जिसका उद्देश्य दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे चार प्रमुख शहरों को एक नेटवर्क के जरिए जोड़ना था, जिससे देश के सड़क संपर्क में सुधार हुआ।

4. सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान

- भारतीय संस्कृति का प्रचार: वाजपेयी भारतीय संस्कृति के प्रबल समर्थक थे। उन्हें अपनी वाकपटुता और पारंपरिक मूल्यों से जुड़ाव के लिए जाना जाता था। अपने भाषणों में अक्सर कविताओं का उद्धरण करते थे। उनका भारत की सांस्कृतिक पहचान के प्रति गहरा सम्मान उनके नीतियों और सार्वजनिक जीवन में परिलक्षित होता था।

- समावेशी शासन: उन्होंने समाज के सभी वर्गों के कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया और सामाजिक स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी सरकार ने अधिक समावेशी विकास के लिए एक ढांचा तैयार किया, जो भारत को एकजुट करता है।

 5. शासन और राजनीतिक धरोहर

- लोकतंत्र के समर्थक: वाजपेयी एक प्रतिबद्ध लोकतांत्रिक नेता थे, जिन्होंने एक धर्मनिरपेक्ष, बहुलवादी और समावेशी भारत की परिकल्पना की। उन्होंने भारतीय लोकतंत्र को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई और यह सुनिश्चित किया कि देश विभिन्न चुनौतियों के बावजूद एकजुट रहे।

- भारतीय जनता पार्टी (BJP): BJP के एक वरिष्ठ नेता के रूप में वाजपेयी का नेतृत्व पार्टी को एक महत्वपूर्ण राजनीतिक ताकत के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण था। उनकी राजनीति में उदार और समावेशी दृष्टिकोण ने BJP को एक राष्ट्रीय पार्टी बना दिया, जो उत्तर भारत से बाहर भी प्रभावशाली हो गई।

 6. सामाजिक कल्याण योजनाएँ

  - पंचायती राज अधिनियम (1993): वाजपेयी की सरकार के दौरान, भारत में पंचायती राज व्यवस्था को सशक्त बनाने और विकेंद्रीकरण पर जोर दिया गया। इससे ग्रामीण भारत को सशक्त बनाया गया और स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया को मजबूत किया गया।

शिक्षा और स्वास्थ्य पहल: वाजपेयी सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बढ़ाने पर जोर दिया, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में।

7. उनकी नेतृत्व शैली

- वाजपेयी अपनी दूरदर्शिता, धैर्य और व्यावहारिक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते थे। उनके नेतृत्व में, वे राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में सख्त और शांति की ओर बढ़ने में संतुलित थे। उनकी व्यक्तिगत ईमानदारी और संसद के प्रति सम्मान ने उन्हें राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा भी सराहा।

8. पुरस्कार और सम्मान

  - अटल बिहारी वाजपेयी को 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जो उनके भारतीय राजनीति और शासन में योगदान को मान्यता प्रदान करता है।

- उनका प्रभाव केवल राजनीति तक सीमित नहीं था। उन्हें एक दूरदर्शी नेता के रूप में देखा जाता था, जिन्होंने वैश्विक और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य को समझा और भारत के लिए एक बेहतर भविष्य की दिशा में काम किया।

अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान भारतीय राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज में अत्यधिक महत्वपूर्ण था। वह एक ऐसे नेता के रूप में याद किए जाते हैं, जिनकी दूरदृष्टि और नेतृत्व ने आधुनिक भारत को आकार दिया। उनका प्रभाव हमेशा रहेगा, और वह एक मजबूत, आत्मविश्वासी और वैश्विक मंच पर सम्मानित भारत के निर्माता के रूप में याद किए जाएंगे।

भारत से टकराव के मूड में है बांग्लादेश? हसीना के तख्तापलट के बाद संबंधों पर पड़ा असर

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भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। शेख हसीने के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश और भारत के रिश्तों में तल्खियां बढ़ती ही जा रही है। शेख हसीने के बाद बांग्लादेश की सत्ता संभाल रहे मोहम्‍मद यूनुस की कारगुजारियां से और बढ़ा रही हैं। वहां ह‍िन्‍दुओं पर हमले हुए तो बांग्‍लादेश सरकार चुप रही। वहां के नेता भारत के ख‍िलाफ अनर्गल बयानबाजी करते रहे, फ‍िर भी मुहम्‍मद यूनुस कुछ नहीं बोले। उन्‍हीं की सरकार के सलाहकार ने तो भारत के तीन प्रदेशों पर हमले तक की बात कह डाली, लेकिन वहां भी मूनुस की च्पीपी बरकरार रही। अब यूनुस सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्‍यर्पण की मांग भारत से कर डाली है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आख‍िर बांग्‍लादेश भारत के साथ संबंधों को खराब क्यों कर रहा है?

शेख हसीना के सत्‍ता से बाहर होने के बाद बांग्‍लादेश की अंतर‍िम सरकार ने कई ऐसे फैसले ल‍िए, जो भारत विरोधी कहे जा सकते हैं। युनूस जब सरकार के मुख‍िया बने तो पीएम मोदी ने खुद उन्‍हें फोन क‍िया था, लेकिन यूनुस ने न तो प्रधानमंत्री मोदी को फोन किया है और न ही बातचीत के लिए कोई प्रतिनिधिमंडल भारत भेजा। साफ है क‍ि वे रिश्ते खराब करने में जुटे हुए हैं। वहीं, बांग्लादेश में सबसे बड़ा मुद्दा ह‍िन्‍दुओं पर हमले का है। जिसपर भारत के बार-बार अपील के बाद भी पड़ोसी देश की सरकार ने चुप्पी साध रखी है। दूसरा बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच गहरे होते रिश्ते। ज‍िस पाक‍िस्‍तान से बांग्‍लादेश के लोग एक वक्‍त नफरत क‍िया करते थे, अब उसी के साथ बांग्‍लादेश की सरकार गलबह‍ियां कर रही है। उनके नेताओं से रिश्ते बनाए जा रहे हैं। पाकिस्तान से जहाज के कंटेनर लगातार चटगांव बंदरगाह पर आ रहे हैं, जिससे भारत के लिए चिंताएँ बढ़ रही हैं। पाक‍िस्‍तानी आर्मी अब बांग्‍लादेश की आर्मी को ट्रेनिंग देने वाली है।

अब ताजा मामला शेख हसीना के प्रत्‍यर्पण का है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की ओर से शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण की मांग को उसके तल्ख़ रवैये के रूप में देखा जा रहा है।बांग्लादेश की यह मांग भारत के लिए असहज करने वाली है। शेख हसीना भारत की दोस्त मानी जाती हैं और भारत उन्हें बांग्लादेश भेजने का जोखिम शायद ही उठाए, जब वहां राजनीतिक प्रतिशोध का माहौल है।

भारत के पूर्व डिप्लोमैट राजीव डोगरा मानते हैं कि बांग्लादेश शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण की मांग इसलिए कर रहा है क्योंकि हसीना लोकतांत्रिक बांग्लादेश की प्रतीक थीं। डोगरा ने सामाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ''पाकिस्तान के ख़िलाफ़ जो विद्रोह हुआ था, हसीना उसकी भी प्रतीक हैं क्योंकि उनके पिता शेख़ मुजीब-उर रहमान ने इस विद्रोह का नेतृत्व किया था। अब लगता है कि चीज़ें उलटी दिशा में जा रही हैं। अब बांग्लादेश के नए शासक पाकिस्तान से दोस्ती चाहते हैं। बांग्लादेश के मौजूदा शासन के ख़िलाफ शेख हसीना प्रतीक बनी हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का मकसद यही है कि शेख हसीना उनके क़ब्जे में आ जाएं और जेल में बंद कर मार डालें। शेख हसीना को बांग्लादेश भेजना एक निर्दोष को हथियारों से लैस लोगों के बीच सौंप देना है।

सामरिक मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण की मांग पर सवाल उठाया है। चेलानी ने एक्स पर लिखा, ''बांग्लादेश में एक ऐसी सरकार है जो हिंसक भीड़ के दम पर सत्ता में है। इस सरकार की कोई संवैधानिक मान्यता नहीं है। ऐसे में उसे भारत से शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करने का अधिकार नहीं है।''

यह कोई पहली बार नहीं है, जब शेख़ हसीना भारत में निर्वासित ज़िंदगी जी रही हैं। इससे पहले 1975 में वह भारत में निर्वासित ज़िंदगी जी चुकी हैं। तब उनके पिता शेख़ मुजीब-उर रहमान की हत्या हुई थी। वह दौर भी हसीना के लिए त्रासदियों से भरा था। उस दौरान भी बांग्लादेश की सेना और पाकिस्तान में क़रीबी बढ़ने की बात सामने आई थी। ऐसे में हसीना के लिए वहां की व्यवस्था पर भरोसा करना आसान नहीं था। शेख मुजीब-उर रहमान ने अवामी लीग का गठन किया था और हमेशा से लीग की करीबी भारत से रही।हसीना जब भी सत्ता में रहीं भारत से संबंध स्थिर रहे।

36 साल बाद भारत में सलमान रुश्दी की किताब की बिक्री शुरू, राजीव गांधी सरकार ने लगाया था बैन

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ब्रिटिश-भारतीय उपन्यासकार सलमान रुश्दी की विवादास्पद किताब 'द सैटेनिक वर्सेस' की 36 साल बाद भारत में बिक्री शुरू हो गई है। एक बार फिर दिल्ली के बाजारों में यह किताब दिखाई दी। इस किताब को साल 1988 में बैन कर दिया गया था। मुस्लिम संगठनों ने इस किताब पर ऐतराज जताया था। जिसके बाद राजीव गांधी सरकार ने इस किताब पर प्रतिबंध लगाया था। अब कोर्ट ने बुक पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया। यह किताब दिल्ली-एनसीआर के बहरीसन्स बुकसेलर्स स्टोर्स में ही उपलब्ध है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने किताब के आयात पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई बंद कर दी थी। दरअसल सरकार उस अधिसूचना को पेश नहीं कर सकी जिसके आधार पर प्रतिबंध लगाया गया था। 5 नवंबर को भारत में पुस्तक के आयात प्रतिबंध को चुनौती देने वाले 2019 के एक मामले की सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान भारत सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि आयात प्रतिबंध आदेश मिल नहीं रहा है, इसलिए इसको कोर्ट में पेश नहीं किया जा सका।

इस पर, अदालत ने कहा कि उसके पास “यह मानने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है कि ऐसी कोई अधिसूचना मौजूद ही नहीं है जो किताब पर प्रतिबंध लगाती हो। याचिकाकर्ता संदीपन खान के वकील उद्यम मुखर्जी ने कहा, प्रतिबंध 5 नवंबर को हटा दिया गया है क्योंकि कोई बैन की अधिसूचना नहीं है।

‘द सैटेनिक वर्सेज’ सितंबर 1988 में प्रकाशित हुई थी, लेकिन पब्लिश होने के कुछ समय बाद ही ईशनिंदा को लेकर यह किताब वैश्विक विवाद में घिर गई, जिसमें कथित तौर पर पैगंबर मोहम्मद पर कुछ अंशों को “ईशनिंदा” बताया गया था। दुनिया भर के मुस्लिम संगठनों ने इस किताब को ईशनिंदा मानते हुए विरोध किया था।

इस किताब पर प्रतिबंध के बाद ईरानी नेता रुहोल्लाह खोमेनी ने रुश्दी की हत्या का फतवा जारी किया था। जिसमें मुसलमानों से उनकी हत्या करने का आह्वान किया गया था। रुश्दी को लगभग 10 साल तक छिपकर रहना पड़ा था। अगस्त 2022 में, सलमान रुशदी की किताब के खिलाफ लोगों में इतना आक्रोश बढ़ गया था कि न्यूयॉर्क में एक व्याख्यान के दौरान मंच पर उन पर चाकू से हमला किया गया था। कट्टरपंथी हादी मटर ने रुश्दी पर हमला किया था। इस हमले में रुश्दी की एक आंख की रोशनी चली गई थी।

इस किताब के सामने आने के बाद मुस्लिम समुदाय में आक्रोश था और इसी के चलते राजीव गांधी की सरकार ने इस किताब के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

बांग्लादेश की जेल से आया बाहर भारत के खिलाफ आतंकी साजिश रचने वाला, युनूस सरकार ने दिखाई दया*

#bangladesh_released_former_bnp_minister_abdus_salam_accused_for_terror_funding_against_india

बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के गिरने के बाद से अंतरिम सरकार के चीफ मोहम्मद युनूस एक के बाद एक ऐसे काम कर रहे हैं, जिसपर सवाल उठ रहे हैं। अब युनूस सरकार ने भारत पर हमले के लिए आतंकियों की मदद करने वाले और शेख हसीना की रैली में हमले करवाने वाले पर दया दिखाई है। बांग्लादेश की एक अदालत ने भारत विरोधी आतंकवाद में शामिल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के सदस्य और पूर्व जूनियर मंत्री अब्दुस सलाम पिंटू को 17 सालों के बाद जेल से आजाद कर दिया है।पिंटू की गिनती खालिदा जिया के सबसे करीबी नेताओं में होती है। अब्दुस सलाम पिंटू का रिहा होना भारत और शेख हसीना दोनों के लिए चिंता की बात है।

अब्दुस सलाम पिंटू को 17 साल बाद जेल से रिहा कर दिया गया। अब्दुस सलाम ने भारत के खिलाफ आतंकी हमले करने में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (हूजी) की मदद की थी। उसे 2004 में प्रधानमंत्री शेख हसीना पर ग्रेनेड हमले की साजिश रचने के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। अब्दुस सलाम ने पीओके में हूजी के हथियारों की खरीद, भर्ती और शिविरों में प्रशिक्षण कार्यक्रमों में मदद करके भारत में आतंकी हमलों में अहम भूमिका निभाई थी। उस पर हूजी को मदरसा छात्रों को हथियारों और विस्फोटकों का प्रशिक्षण देने और कश्मीर में आतंकवादियों के लिए धन और हथियार जुटाने में मदद करने का आरोप है।

अब्दुस सलाम पिंटू बांग्लादेश का शिक्षा मंत्री रह चुका है। खालिदा जिया की सरकार में वो इस पद पर था। सरकार में रहते हुए उसने भारत और हसीना के खिलाफ कई साजिश रची। आतंकियों को फंडिंग करते इसे गिरफ्तार किया गया था। पाकिस्तान के एक आतंकी संगठन को वह फंडिंग करता था, जिससे उसके आतंकी कश्मीर के रास्ते भारत को नुकसान पहुंचाएं। जब जांच हुई तब मालूम पड़ा कि वह ना सिर्फ फंडिंग करता था बल्कि आतंकियों को हथियार और सूचना भी देता था।

21 अगस्त, 2004 को हसीना की रैली में उसने हमला करवाया था, जिसमें 24 लोगों की मौत हुई थी। इस हमले में शेख हसीना भी घायल हुई थीं। 2008 में पिंटू को गिरफ्तार किया गया था। 2018 में उसे मौत की सजा सुनाई गई थी।

पीटीआई की रिपोर्ट में मुताबिक, 2004 के ग्रेनेड हमले के मामले के जांच अधिकारी ने 2021 में ढाका के एक कोर्ट में बताया था कि अब्दुस सलाम पिंटू ने हूजी को भारत के खिलाफ आतंकी हमला करने के लिए हथियार जुटाने में मदद की थी। जांच अधिकारी ने 2011 में अदालत को यह भी जानकारी दी थी कि अब्दुस सलाम और बाबर ने कई युवाओं को हथियार और बम चलाने का प्रशिक्षण दिया था, जिसमें विशेष रूप से मदरसा के छात्र शामिल थे।

डेली स्टार ने 2021 में रिपोर्ट के मुताबिक, जांच अधिकारी ने कहा था, "अब्दुस के भर्ती किए गए ज्यादातर लोग पीओके और बांग्लादेश से थे। उन्होंने भारत के कश्मीर में उग्रवादियों के लिए पैसा, हथियार और गोला-बारूद भी जुटाए थे।"

खूंटी-सिमडेगा मुख्य मार्ग पर कूल्डा जंगल के पास भीषण हादसा, GAIL के दो कर्मी की घटनास्थल पर मौत


झा. डेस्क 

 खूंटी-सिमडेगा मुख्य मार्ग पर कूल्डा जंगल के पास भीषण हादसा की घटना की खबर है. इस दुर्घटना में GAIL के दो कर्मचारियों की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी. 

मृतक की पहचान यूपी जौनपुर जिले के हुरहुरी गांव निवासी आशीष कुमार सिंह (31) और डोरंडा दर्जी मोहल्ला निवासी असद अली (32) के रूप में हुई. दोनों कर्मचारी रांची के डोरंडा से रनिया के GAIL स्टेशन एसबी-7 ऑफिस के किसी काम से जा रहे थे.

बताया जाता है कि GAIL (INDIA) के दोनों अनुबंध कर्मी इनोवा जेएच 01 एफआर 2706 में बिहार के औरंगाबाद निवासी विजय कुमार के साथ जा रहे थे. इस बीच तेज रफ्तार इनोवा कार ने सड़क किनारे लगे साइन बोर्ड को उखाड़ते हुए पेड़ में जोरदार टक्कर मार दी. टक्कर इतनी तेज थी कि गाड़ी के परखच्चे उड़ गए.

*Bengal in record books, chases down mammoth total to enter semifinals of Senior Women’s One-Day Trophy*

Sports News

Khabar kolkata sports Desk: In one of most thrilling and successful run-chases in history of women’s cricket, Bengal Senior Women’s team has entered the record books, chasing down a mammoth target to stun Haryana by 5 wickets in the quarterfinal match to enter the semifinals of the domestic One-Day Trophy on Monday.

Set a massive target of 390 in 50 overs, Bengal went over the line comfortably, scoring 390/5 in 49.1 overs.

This is by far the highest successful chase in women’s List A cricket. The previous record was 309 by Northern Districts against Canterbury in 2019.

Tanushree Sarkar was the player of the match for her superb all-round show, bagging 3 for 56 followed by a match-winning 113 off 83 balls as Bengal entered the last-four stage in style.

“Yesterday during the pre-match meeting, I told the girls that the pitch will be batting friendly and no one should panic at any point during the match. Today during the innings break, I told the batters, have faith and belief in yourselves and we can do it. It was an unbelievable victory. To chase down a massive total like this, is special,” Bengal head coach Probal Dutta said.

India legend and team mentor Jhulan Goswami heaped praise on the players saying, “It is a fantastic win. To have the mindset of chasing down this massive target is brilliant. The girls believed in themselves and the win is truly special.”

Priyanka Bala (88 not out off 81), Dhara Gujjar (69 off 49), Sasthi Mondal (52 off 29), Prativa Rana (28 off 26), Mita Paul (12, 1-63) and Hrishita Basu (11 not out) were the other star performers for Bengal.

Put into bat, skipper Shafali Verma smashed a brilliant 197 off 115 balls to help Haryana post a mammoth total.

In reply, Dhara and Sasthi gave Bengal a flying start. Despite losing both openers, Bengal batters never gave up, instead kept believing, as the team chased the target down with five balls to spare.

PIC Courtesy by: CAB

शेख हसीना को वापस भेजे भारत, बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने प्रत्यर्पण के लिए लिखा पत्र
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बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने भारत सरकार को पत्र लिखा है। इस पत्र में बांग्लादेश ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को वापस भेजने यानी प्रत्यर्पण की मांग की है। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार में शेख हसीना के खिलाफ कई मामलों केस दर्ज किया गया है। बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अपनी सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर छात्र नेतृत्व वाले विद्रोह के बीच पांच अगस्त को भारत चली गई थीं। इस दौरान हुए विरोध प्रदर्शन में कई लोग घायल हुए। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुताबिक विरोध प्रदर्शनों के दौरान कम से कम 753 लोग मारे गए और हजारों घायल हुए।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को ढाका वापस भेजने के लिए भारत को एक राजनयिक नोट भेजा है। बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने अपने कार्यालय में सोमवार इसकी जानकारी दी। बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने पत्रकारों से कहा कि भारत को शेख हसीना पर बांग्लादेश के स्टैंड के बारे में जानकारी दी गई है। हम चाहते हैं क‍ि उन्‍हें जल्‍द भेज द‍िया जाए।

बांग्‍लादेश के गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) जहांगीर आलम चौधरी ने भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत से वापसी के ल‍िए हमने भारत के विदेश मंत्रालय को पत्र लिखा है। उन्होंने यह टिप्पणी सोमवार को ढाका के पिलखाना स्थित बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में एक पत्रकार के सवाल के जवाब में की।

*बांग्लादेश ने दी प्रत्यर्पण संधि की दलील*
ढाका ट्र‍िब्‍यून की रिपोर्ट के मुताबिक, शेख हसीना को भारत से वापस लाने के बारे में पूछे जाने पर जहांगीर आलम चौधरी ने कहा, विदेश मंत्रालय को एक पत्र पहले ही भेजा जा चुका है। शेख हसीना के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया चल रही है। शेख हसीना बांग्‍लादेश कब लौटेंगी, इसके बारे में उन्‍होंने कोई टाइम फ्रेम नहीं द‍िया। लेकिन ये जरूर कहा क‍ि बांग्‍लादेश की भारत का साथ प्रत्‍यर्पण संध‍ि है। उसी के तहत शेख हसीना को वापस लाया जाएगा।

* इंटरपोल से मदद मांगने की भी कही थी बात*
इससे पहले बीते माह  बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने  कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ छात्र आंदोलन में हुई मौतों का मुकदमा चलाने के लिए उनको बांग्लादेश लाया जाएगा। इसके लिए अंतरिम सरकार इंटरपोल की मदद मांगेगी।  बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कानून मामलों के सलाहकार आसिफ नजरुल ने कहा था कि इंटरपोल के जरिये बहुत जल्द रेड नोटिस जारी किया जाएगा। चाहे ये फासीवादी लोग दुनिया में कहीं भी छिपे हों, उन्हें वापस लाया जाएगा और अदालत में जवाबदेह ठहराया जाएगा। 17 अक्तूबर को न्यायाधिकरण ने हसीना और 45 अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे। इसमें उनके बेटे सजीब वाजेद जॉय और उनके कई पूर्व कैबिनेट सदस्य शामिल हैं।

*क्या है प्रत्यर्पण संधि?*
बता दें कि भारत और बांग्लादेश की सरकार के बीच साल 2013 में प्रत्यर्पण को लेकर संधि की गई थी। 2013 से भारत के बीच 'प्रत्यर्पणीय अपराध मामलों' में आरोपी या भगोड़े आरोपियों और बंदियों को एक-दूसरे को सौंपने का करार हुआ था। हालांकि इस प्रत्यर्पण संधि की एक धारा में कहा गया है कि प्रत्यर्पित किए जाने वाले व्यक्ति के खिलाफ लगाए गए आरोप अगर राजनीतिक प्रकृति के हों तो अनुरोध खारिज किया जा सकता है।
भारत और बांग्लादेश के बीच किए गए प्रत्यर्पण संधि में राजनीतिक मामलों को छोड़कर अपराध में शामिल व्यक्तियों के प्रत्यर्पण की मांग की जा सकती है। इन अपराधों में आतंकवाद, बम धमाका, हत्या और गुमशुदगी सरीखे अपराधों को शामिल किया गया। हालांकि बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना के खिलाफ सामूहिक हत्या, लूटपाट और जालसाजी के आरोप लगाए हैं। इसके अलावा बांग्लादेश के एक आयोग ने उनपर लोगों को गायब करने का भी आरोप लगाया है।
पीआरएसआई के नेशनल कॉन्फ्रेंस के समापन में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए उप मुख्यमंत्री अरुण साव

रायपुर-  उप मुख्यमंत्री अरुण साव पीआरएसआई (Public Relations Society of India) के 46वें ऑल इंडिया पब्लिक रिलेशन्स नेशनल कॉन्फ्रेंस-2024 के समापन में मुख्य अतिथि के रुप में शामिल हुए। उन्होंने समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि यह छत्तीसगढ़ के लिए सौभाग्य की बात है कि पीआरएसआई ने अपने 46वें अधिवेशन के लिए छत्तीसगढ़ को चुना। मैं देशभर से आए प्रतिनिधियों का छत्तीसगढ़ की पावन भूमि और माता कौशल्या की इस धरती पर हार्दिक अभिनंदन और स्वागत करता हूं।

उप मुख्यमंत्री श्री साव ने अपने संबोधन में कहा कि प्रकृति ने छत्तीसगढ़ पर असीम कृपा बरसाई है। छत्तीसगढ़ ऐसा भू-भाग है जिसका उल्लेख हर काल में मिलता है। छत्तीसगढ़ ऐतिहासिक, पौराणिक एवं प्राकृतिक रूप से अत्यंत समृद्ध रहा है। यहां एक ओर पहाड़, जंगल और नदियां हैं, तो दूसरी ओर कोयले से लेकर हीरे तक के भंडार हैं। यही छत्तीसगढ़ की ताकत है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ का जितना विकास और विश्व पटल पर नाम होना चाहिए था, वह अभी तक नहीं हो पाया है। देशभर के लोग आज यहां आए हैं, निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ की विशेषताएं देशभर में जाएंगी। उप मुख्यमंत्री श्री साव ने कहा कि जनसंपर्क की ताकत संचार कौशल में है। जनता तक अपनी बात पहुंचाने का जनसंपर्क अद्भुत माध्यम है, जिसमें लगातार इनोवेशन हो रहे हैं। इन इनोवेशन्स के कारण जनसंपर्क की क्षमता का विस्तार भी हो रहा है।

तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन चंदखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर के दर्शन के साथ हुआ। सम्मेलन में जनसंपर्क के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए विभिन्न संस्थाओं तथा व्यक्तियों को पुरस्कृत किया गया।

बांग्लादेश के लोगों को जबरन गायब करने में भारत शामिल”, यूनुस सरकार का गंभीर आरोप
#bangladesh_panel_alleges_india_involvement_in_enforced_disappearances
* भारत और बांग्लादेश के संबंध फिलहाल तनाव के दौर से गुजर रहे हैं। हालांकि, तनाव को कम करने के बजाय बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार आए दिन भारत के खिलाफ जहर उगलने का काम कर रही है। बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अगुआई वाली अंतरिम सरकार का एक और भारत विरोधी चेहरा सामने आया है।बांग्लादेश में एक जांच आयोग ने देश से लोगों के गायब होने के पीछे भारत की भूमिका होने की शक जाहिर किया है। बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने इस आयोग का गठन किया था। आयोग ने दावा किया है कि शेख हसीना के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान 'जबरन गुमशुदगी' के मामलों में भारत की संलिप्तता थी। सरकारी समाचार एजेंसी बांग्लादेश संगबाद संस्था (बीएसएस) ने शनिवार को आयोग की रिपोर्ट का हवाले देते हुए कहा, “बांग्लादेश के जबरन गायब किए जाने के मामलों में भारत की संलिप्तता सार्वजनिक रिकॉर्ड का मामला है।” जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में 3,500 से ज्यादा लोगों की गुमशुदगी के मामलों का अनुमान लगाया है। आयोग का कहना है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों में इस बात की चर्चा है कि कुछ बांग्लादेशी कैदी अभी भी भारत की जेलों में बंद हो सकते हैं। आयोग ने भारत और बांग्लादेश के बीच कैदियों की अदला-बदली की खुफिया रिपोर्ट का भी जिक्र किया है। पांच सदस्यीय आयोग ने मुहम्मद यूनुस को 'अनफोल्डिंग द ट्रुथ' शीर्षक की ये रिपोर्ट सौंपी। सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मैनुल इस्लाम चौधरी की अध्यक्षता वाले पांच सदस्यीय आयोग का कहना है कि सरकारी एजेंसियों में यह धारणा बनी हुई है कि कुछ कैदी अब भी भारतीय जेलों में बंद हो सकते हैं। हम विदेश और गृह मंत्रालय को सलाह देते हैं कि वे भारत में कैद किसी भी बांग्लादेशी नागरिक की पहचान के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें। बांग्लादेश के बाहर इस मामले की जांच करना आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। आयोग ने बर्खास्त प्रधानमंत्री शेख हसीना के रक्षा सलाहकार, सेवानिवृत्त मेजर जनरल तारिक अहमद सिद्दीकी के साथ दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और कई अन्य अधिकारियों की जबरन गुमशुदगी में संलिप्तता का जिक्र किया है। आयोग के सदस्य सज्जाद हुसैन ने कहा कि जबरन गुमशुदगी की 1,676 शिकायतें दर्ज की गई हैं, जिनमें से अब तक 758 मामलों की जांच की जा चुकी है। इनमें से 27 फीसदी पीड़ित कभी नहीं लौटे और जो लौटे उन्हें भी गलत तरीके से गिरफ्तार के रूप में दर्ज किया गया। आयोग मार्च में एक और अंतरिम रिपोर्ट देने की योजना बना रहा है। आयोग ने कहा है कि सभी आरोपों की समीक्षा पूरी करने में एक साल लगेगा।