2030 तक 1.06 लाख करोड़ होगा भारत का जियोस्पेशियल मार्केट: अमिताभ कांत
अमरेश द्विवेदी
नई दिल्ली। नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयाेजित तीन-दिवसीय (2-4 दिसंबर) जियोस्मार्ट वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस एंड एक्सपो 2025 की शुरुआत हुई, जिसमें भारत के भू-स्थानिक एवं अंतरिक्ष क्षेत्र में हुए तीव्र और परिवर्तनकारी बदलावों को रेखांकित किया गया। उद्घाटन वक्तव्य में कहा गया कि भारत की यह यात्रा “तेज़ गति से विकसित हुई है और इसने देश के विकास, संसाधन प्रबंधन और नीति-निर्माण के तरीकों को नए सिरे से परिभाषित किया है।
कार्यक्रम के पहले दिन (एलएंडटी, एचसीएल, इंडिगो, फेयरफैक्स फाइनेंशियल होल्डिंग्स), पूर्व जी20 शेरपा एवं नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि भारत का ₹50,000 करोड़ का भू-स्थानिक बाजार 2030 तक दोगुना होकर ₹1.06 लाख करोड़ तक पहुंचने की संभावना है, जबकि भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2033 तक 44 बिलियन डाॅलर तक पहुंचने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि ये आंकड़े भारत की महत्वाकांक्षाओं को और ऊंचा स्थापित करने का संकेत हैं। उन्होंने कहा कि हमने 2021 में भारी विरोध के बावजूद भू-स्थानिक सेक्टर को खोला। आज संभावनाएँ अपार हैं, लेकिन नवाचार की गति भारत के 30-ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य के अनुरूप होनी चाहिए। भू-स्थानिक तकनीकें आधारभूत हैं—बिना इनके ‘विकसित भारत’ संभव नहीं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि बंद या प्रतिबंधित डेटा नवाचार को धीमा करता है, और भारत को वैश्विक नेताओं—यूके, सिंगापुर और नॉर्डिक देशों—की तरह आगे बढ़ने के लिए ओपन, इंटरऑपरेबल और मशीन-रीडेबल डेटा अपनाना होगा।
उद्योग को चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि अगले 12 महीनों में भारत का एक ऐसा वास्तविक शहर विकसित करें जो लाइव भू-स्थानिक और AI ऑपरेटिंग सिस्टम पर चले—कोई पायलट नहीं, कोई डेमो नहीं। एक वास्तविक शहर, वास्तविक सुधारों के साथ। ऐसा शहर वैश्विक मानक स्थापित कर सकता है। पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने स्वामित्व कार्यक्रम की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए बताया कि कैसे सरल भू-स्थानिक उपकरणों ने ग्रामीण भारत में आर्थिक सशक्तिकरण को गति दी है।
उन्होंने बताया कि 3.5 लाख से अधिक गाँवों का सर्वेक्षण पूरा किया जा चुका है, 3 करोड़ से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड जारी किए गए हैं और सत्यापित भू-स्थानिक मैप्स ने करोड़ों नागरिकों को विवाद समाधान, ऋण सुविधा और संपत्ति अधिकार प्रदान किए हैं। उन्होंने बताया कि यह केवल मैपिंग नहीं है—यह ग्रामीण भारत की आर्थिक और सामाजिक कहानी को नए सिरे से लिख रहा है।” भूमि संसाधन विभाग के सचिव मनोज जोशी ने भारत के लैंड स्टैक (Land Stack) की अवधारणा काे प्रस्तुत करते हुए कहा कि इसमें राष्ट्रीय बेस मैप, सत्यापित प्लॉट सीमाएँ और एकीकृत भू-खंड डेटा शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सटीक भूमि मानचित्र पारदर्शी शासन, प्रभावी योजना और नागरिक विश्वास की रीढ़ हैं।
भू-स्थानिक डेटा प्रमोशन एवं डेवलपमेंट समिति के अध्यक्ष श्रीकांत सत्री ने हाल ही में विमानन क्षेत्र में जीपीएस व्यवधान की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि विदेशी प्रणालियों पर निर्भरता जोखिमपूर्ण है। भू-स्थानिक केवल तकनीक नहीं है यह भारत की आर्थिक शक्ति और तकनीकी संप्रभुता की नींव है। उन्होंने ऑपरेशन द्रोणगिरि की सफलता साझा की, जिसमें बहु-एजेंसी समन्वय और भू-स्थानिक-स्पेस इंटेलिजेंस ने किसानों को वास्तविक लाभ प्रदान किए। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव डॉ. सौरभ गर्ग ने भू-स्थानिक डेटा के राष्ट्रीय सांख्यिकी ढाँचे से एकीकरण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इससे योजना, निगरानी और सेवा वितरण में सटीकता और प्रभावशीलता बढ़ेगी। एसरी इंडिया (Esri India) के प्रबंध निदेशक अगेन्द्र कुमार ने बताया कि पूरे देश में जीआईएस का उपयोग तेजी से बढ़ा है और आज एसरी इंडिया के प्लेटफॉर्म पर 800 से अधिक प्रामाणिक डेटासेट उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि भू-स्थानिक तकनीक अब राष्ट्रीय विकास का रणनीतिक साधन है—और भारत इसे नई ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए तैयार है। डिजिटल एवं आईटी, जीएमआर ग्रुप के समूह अध्यक्ष डॉ. राहुल शांडिल्य ने वेक्सेल (Vexcel) के साथ मिलकर राष्ट्रीय स्पैटियल डेटा बैंक बनाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि उच्च-रिज़ॉल्यूशन एरियल डेटा से भू-खंड मैपिंग, अधोसंरचना निगरानी, शहरी लचीलापन, पर्यावरणीय अंतर्दृष्टियां सभी में क्रांतिकारी सुधार होंगे। सर्वे ऑफ इंडिया के अतिरिक्त सर्वेयर जनरल एसके सिन्हा ने वन नेशन-वन मैप की अवधारणा को रेखांकित करते हुए कहा कि विकेंद्रीकृत डेटा स्वामित्व और केन्द्रीय एकीकरण मिलकर एक सशक्त भू-स्थानिक ढाँचा तैयार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मैप अब स्थिर दस्तावेज नहीं—वे गतिशील परिसंपत्तियाँ हैं जो सटीक शासन और राष्ट्रीय संप्रभुता को मजबूत करती हैं।
इस साल, जियोस्मार्ट इंडिया एक्सपो 2025 के लॉन्च के साथ अनुभव को और बेहतर बना रहे हैं, जो भारत के जियोस्पेशियल और स्पेस टेक्नोलॉजी के विकास को आगे बढ़ा रहा है, जो अब विजन, इनोवेशन और लीडरशिप के एक बड़े मेल में बदल रहा है। यह एडिशन एक आम इंडस्ट्री एक्सपो की सीमाओं को पार करके एक नेशनल मूवमेंट बन गया है। तीन बदलाव आने वाले दिनों में, यह इवेंट स्टेकहोल्डर्स के एक असाधारण क्रॉस-सेक्शन को इकट्ठा करेगा जिनमें केंद्रीय मंत्रालयों, रक्षा एजेंसियों और स्मार्ट सिटी अथॉरिटीज से लेकर ग्लोबल टेक्नोलॉजी फर्मों, घरेलू स्टार्टअप्स और एकेडमिक संस्थानों तक सभी भारत के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के अगले युग की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक साथ आएंगे। बड़े एग्जिबिशन स्पेस, बेमिसाल नेटवर्किंग मौकों और नए भारत के लक्ष्यों को दिखाने वाले जबरदस्त शोकेस के साथ, जियोस्मार्ट इंडिया एक्सपो 2025 नए मापक, संप्रभुता और भविष्य की तैयारी का सबसे बड़ा सेलिब्रेशन है।





These millets were grown at the Agricultural Research Centre located at the headquarters of Jai Dharti Maa Foundation.






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3 hours ago
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