*इंडोनेशियाई हिंदू परंपरा: मंदिर प्रतिष्ठापन में कुम्बाभिषेकम का पवित्र अनुष्ठान*

#indiaandindonesiaacultural_friend

भारत और इंडोनेशिया का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध बहुत गहरा है, जो प्राचीन व्यापारिक रिश्तों, आध्यात्मिक जुड़ावों और एक-दूसरे की परंपराओं के प्रति सम्मान से जुड़ा हुआ है। वर्षों के दौरान, दोनों देशों ने राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूत किया है, और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत-इंडोनेशिया संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव आया है।

भारत-इंडोनेशिया संबंधों का ऐतिहासिक संदर्भ

भारत और इंडोनेशिया के बीच प्राचीन समय से ही सांस्कृतिक संबंध रहे हैं, जो प्राचीन समुद्री व्यापार मार्गों और हिंदू धर्म तथा बौद्ध धर्म के प्रसार से प्रभावित थे। ऐतिहासिक पुरावशेष, शिलालेख और सांस्कृतिक प्रथाएँ इन प्राचीन संबंधों को दर्शाती हैं। उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया की कला, वास्तुकला और धर्म में भारतीय संस्कृति का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। जैसे कि बाली के मंदिरों और जावा के बौद्ध मंदिर बोरोबुदुर में भारतीय प्रभाव स्पष्ट है। इसी तरह, भारतीय महाकाव्य रामायण इंडोनेशियाई नृत्य और नाटक में प्रचलित है।

आधुनिक कूटनीतिक संबंधों की शुरुआत 20वीं सदी के मध्य में इंडोनेशिया के स्वतंत्र होने के बाद हुई, और दोनों देशों ने आपसी सम्मान और सहयोग पर जोर दिया। हालांकि, राजनीतिक परिस्थितियों के बदलने के साथ संबंधों में उतार-चढ़ाव आया।

मोदी युग: संबंधों में मजबूती

जब से नरेंद्र मोदी 2014 में भारत के प्रधानमंत्री बने हैं, भारत-इंडोनेशिया संबंधों में एक नई गति देखने को मिली है। मोदी की "एक्ट ईस्ट" नीति, जो दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ संबंधों को प्रगाढ़ बनाने पर केंद्रित है, ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

मोदी के नेतृत्व में मुख्य बदलाव:

1.रणनीतिक साझेदारी:

  2018 में, भारत और इंडोनेशिया ने अपने संबंधों को "समग्र रणनीतिक साझेदारी" में बदल दिया, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और रक्षा संबंध मजबूत हुए। दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र और G20 जैसे वैश्विक मंचों पर सहयोग बढ़ाया।

2. आर्थिक सहयोग:

  मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और इंडोनेशिया के बीच व्यापार में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। भारत, इंडोनेशिया को पेट्रोलियम उत्पादों, वाहन और मशीनरी निर्यात करता है, जबकि इंडोनेशिया भारत को ताड़ का तेल, कोयला और वस्त्र निर्यात करता है। दोनों देशों ने व्यापार बढ़ाने के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाने और बाधाओं को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया है।

3. सुरक्षा और रक्षा संबंध:

  भारत और इंडोनेशिया ने अपने रक्षा सहयोग को बढ़ाया है, संयुक्त सैन्य अभ्यास आयोजित किए हैं, खुफिया जानकारी साझा की है और समुद्री सुरक्षा को मजबूत किया है। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों देशों की रणनीतिक स्थिति Indo-Pacific क्षेत्र में बहुत अहम है।

4. सांस्कृतिक कूटनीति:

  मोदी के नेतृत्व में सांस्कृतिक कूटनीति को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। सांस्कृतिक संबंधों पर जोर दिया गया है, और मोदी सरकार ने हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म जैसे साझा ऐतिहासिक और धार्मिक संबंधों का महत्व बढ़ाया है।

जकार्ता मंदिर और कुम्बाभिषेकम का महत्व

भारत और इंडोनेशिया के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा जकार्ता मंदिर और कुम्बाभिषेकम हैं।

1. जकार्ता मंदिर (पुरा अगुंग):

  जकार्ता में कई हिंदू मंदिर हैं, और पुरा अगुंग उन मंदिरों में से एक महत्वपूर्ण है, जो भारत और इंडोनेशिया के बीच आध्यात्मिक संबंधों का प्रतीक है। यह मंदिर इंडोनेशिया में हिंदू-बलिनी प्रभाव का प्रतीक है, साथ ही दोनों देशों के बीच साझा धार्मिक मूल्यों को भी दर्शाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने अक्सर भारत और इंडोनेशिया के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को स्वीकार किया है, जिसमें ये मंदिर और धार्मिक प्रथाएँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

2. कुम्बाभिषेकम एक महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक अनुष्ठान है, जो मंदिरों के प्रतिष्ठापन या विशेष मंदिर आयोजनों के दौरान किया जाता है। यह संस्कृत शब्दों "कुम्भ" (घड़ा) और "अभिषेकम" (स्नान या अभिषेक) से उत्पन्न हुआ है।

इंडोनेशिया में कुम्बाभिषेकम:

इंडोनेशिया, विशेष रूप से बाली में, जहाँ हिंदू धर्म की जड़ें गहरी हैं, कुम्बाभिषेकम समारोह का आयोजन मंदिरों में किया जाता है। यह अनुष्ठान तब होता है जब किसी नए देवता की मूर्ति स्थापित की जाती है या मंदिर के विशेष अवसरों पर उसे शुद्ध और पवित्र किया जाता है। इस अनुष्ठान में एक पवित्र घड़े (कुम्भ) से पवित्र जल से देवता की मूर्ति का अभिषेक किया जाता है, जो मंदिर और समुदाय के लिए आशीर्वाद और शांति की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है।

यह अनुष्ठान बाली के हिंदू मंदिरों में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जिसमें स्थानीय लोग अपनी आस्था और भक्ति व्यक्त करते हैं।

भू-राजनीति में बदलता हुआ भूमिका

दोनों देशों की भू-राजनीतिक भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है। मोदी के नेतृत्व में, भारत ने दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ अपनी साझेदारी को और मजबूत किया है, और इंडोनेशिया, जो इस क्षेत्र का एक प्रमुख देश है, भारत की रणनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। दोनों देशों का ASEAN और इंडोनेशिया महासागर रिम एसोसिएशन जैसे मंचों पर सहयोग बढ़ा है, जो क्षेत्र में चीन के प्रभाव को चुनौती देने के लिए अहम है।

भारत और इंडोनेशिया का संबंध वर्षों से विकसित हुआ है, जो सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आदान-प्रदान से लेकर एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी में बदल गया है, विशेष रूप से नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद। जकार्ता मंदिर और महाकुम्भिकम जैसे महत्वपूर्ण क्षण, दोनों देशों के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाते हैं। जैसे-जैसे दोनों देश अपने संबंधों को और मजबूत करेंगे, यह संभावना है कि उनकी साझेदारी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की भू-राजनीति को प्रभावित करती रहेगी।

निर्मला सीतारमण: भारत की वित्त मंत्री के रूप में उनके योगदान और भूमिका

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Nirmala Sitaraman (Union FM)

निर्मला सीतारमण भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली नेता के रूप में उभरी हैं। उनका कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। यहाँ उनके योगदान और वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यों पर विस्तृत चर्चा की जा रही है:

1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

-जन्म: निर्मला सीतारमण का जन्म 18 अगस्त 1959 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था।

- शिक्षा: उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय से आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में पोस्ट-ग्रेजुएशन की डिग्री ली। 

-प्रारंभिक करियर: इससे पहले कि वे भारतीय राजनीति में प्रवेश करतीं, उन्होंने एक शिक्षक, अर्थशास्त्र के विद्वान और कॉर्पोरेट दुनिया में काम किया था। वे ब्रिटेन स्थित एक प्रमुख थिंक टैंक "हेरिटेज फाउंडेशन" की सदस्य भी रह चुकी हैं। 

2. राजनीति में प्रवेश

निर्मला सीतारमण भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) से जुड़ीं और 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के गठन के समय, उन्हें केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्यभार सौंपा गया। उन्हें पहले रक्षा मंत्री के रूप में कार्यभार सौंपा गया था, और बाद में 2019 में वित्त मंत्री का पद मिला।

3. वित्त मंत्री के रूप में कार्यकाल (2019 - वर्तमान)

निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2019 में भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में शपथ ली। वे पहली महिला वित्त मंत्री थीं जिन्हें स्वतंत्र भारत में यह महत्वपूर्ण पद मिला। उनके कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्निर्माण और विकास की दिशा में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए:

   3.1. आर्थिक सुधारों को बढ़ावा

- विकसित और उदार नीतियाँ: निर्मला सीतारमण ने भारत की आर्थिक नीतियों को लचीला और उदार बनाने की दिशा में कई कदम उठाए, जैसे कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती और व्यापारों को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाओं की शुरुआत।

- वित्तीय विनियमन: वित्तीय क्षेत्र में सुधार और मजबूत विनियमन की दिशा में उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिसमें बैंकों की पूंजी में वृद्धि, वित्तीय संस्थानों के सुधार और अनुकूलित टैक्स नीतियाँ शामिल हैं।

  

  3.2. कोविड-19 संकट के दौरान प्रभावी कदम

- आर्थिक पैकेज: कोविड-19 महामारी के संकट के समय, निर्मला सीतारमण ने भारत सरकार के द्वारा घोषित किए गए आर्थिक पैकेज को लागू किया। उन्होंने गरीबों, श्रमिकों और छोटे व्यापारों के लिए राहत उपायों का ऐलान किया, जैसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, ECLGS (Emergency Credit Line Guarantee Scheme), और मुद्रा लोन योजनाएँ। 

- माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) के लिए योजनाएँ: कोविड-19 से प्रभावित MSMEs को पुनः सक्षम बनाने के लिए वित्त मंत्री ने कई योजनाओं की शुरुआत की, जिससे अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया जा सके।

  

     3.3. स्वच्छ भारत और आत्मनिर्भर भारत अभियान

- आत्मनिर्भर भारत पैकेज: निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की, जिसका उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाना था। इस योजना में कृषि, उद्योग, MSMEs, और अन्य क्षेत्रों के लिए विभिन्न सुधार और सहायता पैकेज शामिल थे।

  

    3.4. जीएसटी सुधार

- जीएसटी (GST) में सुधार: निर्मला सीतारमण ने जीएसटी प्रणाली में सुधार की दिशा में कई पहल कीं। उन्होंने छोटे व्यापारियों के लिए जीएसटी रिटर्न भरने में सरलता लाने और जीएसटी दरों में बदलाव करने की दिशा में कदम उठाए। 

- जीएसटी काउंसिल की बैठकें: उन्होंने जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्यों और केंद्रीय सरकार के बीच सामंजस्य स्थापित करने का कार्य किया, जिससे कर प्रणाली को सशक्त किया गया।

    3.5. कृषि क्षेत्र में सुधार

- कृषि सुधार: निर्मला सीतारमण ने कृषि क्षेत्र के सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जैसे कृषि सुधार विधेयक, जो किसानों को अधिक अधिकार और समर्थन देने के लिए लाए गए थे। हालांकि, यह विधेयक विवादों में भी रहा, लेकिन इसका उद्देश्य भारतीय कृषि क्षेत्र को अधिक प्रतिस्पर्धात्मक और लाभकारी बनाना था।

     3.6. बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में सुधार

- बैंकिंग क्षेत्र की पुनर्पूंजीकरण: उन्होंने भारतीय बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए कई योजनाएँ बनाई, ताकि बैंकों को मजबूती से कार्य करने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन मिल सकें।

- एनपीए (NPA) समस्या पर काबू पाना: वित्त मंत्री ने एनपीए की समस्या को हल करने के लिए कई उपाय किए और दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (IBC) को और प्रभावी बनाने की दिशा में काम किया।

  

     3.7. डिजिटल भुगतान को बढ़ावा

- डिजिटल इंडिया और कैशलेस ट्रांजैक्शंस: निर्मला सीतारमण ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ लागू कीं। उन्होंने मोबाइल पेमेंट्स, यूपीआई (Unified Payments Interface) और अन्य डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के उपयोग को बढ़ावा दिया।

 4. उनकी नेतृत्व क्षमता और आलोचनाएँ

निर्मला सीतारमण को उनकी उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता के लिए पहचाना जाता है, लेकिन उनके कार्यकाल में कुछ आलोचनाएँ भी रही हैं। विशेष रूप से, कुछ आलोचकों का मानना है कि सरकार के फैसलों की कार्यान्वयन में प्रभावी सुधारों की कमी हो सकती है, और कुछ योजनाएँ अधिक प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पाई हैं। साथ ही, किसानों और व्यापारियों द्वारा कई बार सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए गए हैं। 

5. अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सीतारमण की स्थिति*

निर्मला सीतारमण को न केवल भारतीय राजनीति में, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी वित्त और आर्थिक मामलों में एक प्रभावशाली नेता के रूप में देखा जाता है। उन्होंने G20, IMF, और विश्व बैंक जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारतीय नीतियों और हितों का प्रतिनिधित्व किया है। उनके नेतृत्व में भारत ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिति को मजबूत किया और प्रमुख वैश्विक सुधारों में सक्रिय रूप से भाग लिया।

निर्मला सीतारमण का कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और वित्तीय सुधारों की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाने वाला रहा है। उन्होंने भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों के लिए वित्तीय समावेशिता, व्यवसाय को बढ़ावा देने और श्रमिकों के हित में कई योजनाएँ बनाई हैं। हालांकि, उनके कार्यों की आलोचना भी की गई है, लेकिन उनके योगदान और नेतृत्व के कारण वे एक स्थायी और महत्वपूर्ण स्थान पर खड़ी हैं। निर्मला सीतारमण ने यह साबित किया है कि महिला नेतृत्व केवल दायित्व नहीं, बल्कि उत्कृष्टता की ओर भी कदम बढ़ाता है।

*Mohun Bagan Super Giant defeated Mohammedan SC 4-0*

Sports

ISL

Khabar kolkata sports Desk: Mohun Bagan Super Giant defeated city rivals Mohammedan SC 4-0 at the Vivekananda Yuba Bharati Krinangan in Kolkata in the Indian Super League (ISL) 2024-25 season Yesterday night.

Pic : Sanjay Hazra

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कौन हैं शुभांशु शुक्ला? स्पेस एक्स ड्रैगन के पायलट बनेंगे, ISS पर जाने वाले पहले भारतीय होंगे

#who_is_shubhanshu_shukla_become_first_indian_astronaut_to_pilot_axiom_4_ws

इंडियन एयरफोर्स के ऑफिसर शुभांशु शुक्ला को नासा के एग्जियम मिशन 4 के लिए पायलट चुना गया है। जल्द ही वे स्पेस एक्स ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट को लेकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर जाएंगे। शुभांशु आईएसएस पर जाने वाले पहले भारतीय होंगे। यह मिशन 14 दिन तक चलेगा। इसके तहत रिसर्च की जाएगी। शुभांशु इसरो के मिशन गगनयान के लिए ट्रेनिंग ले रहे है।

इंडियन एयरफोर्स के शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने को बेताब हैं। वे एक्सिओम मिशन 4 के पायलट के रूप में चुने गए हैं। यह मिशन नासा और इसरो के बीच एक संयुक्त प्रयास का हिस्सा है। मिशन की कमांड पैगी व्हिटसन संभालेंगी । शुभांशु पायलट होंगे। इनके साथ मिशन स्पेशलिस्ट पोलैंड के स्लावोज उजनांस्की-विश्निवस्की और हंगरी के तिबोर कापू अप्रैल और जून 2025 के बीच एग्जियम मिशन-4 पर जाएंगे।

ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में, एक्सिओम मिशन-4 के चालक दल के सदस्यों ने अभियान के लिए प्रशिक्षण के अपने अनुभव साझा किए। भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने कहा, ‘‘मैं ‘माइक्रोग्रैविटी’ में जाने और अपने दम पर अंतरिक्ष उड़ान का अनुभव करने के लिए वास्तव में बहुत उत्साहित हूं। मिशन के लिए उत्साह लगातार बढ़ रहा है और मुझे लगता है कि हम एक ऐसे चरण में हैं जहां सभी चीजें साकार हो रही हैं।’

शुक्ला इस मिशन को लेकर बेहद उत्साहित हैं। शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष स्टेशन के मिशन पर जब उड़ान भरेंगे तो यह भारत के 1.4 अरब लोगों का सफर होगा। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने खुद कहा कि वह 1.4 अरब भारतीयों की तरफ से इस सफर पर निकल रहे हैं। उन्होंने कहा, 'अंतरिक्ष की यह यात्रा मेरी व्यक्तिगत नहीं, बल्कि 1.4 अरब लोगों की यात्रा है।' यह मिशन 14 दिनों तक चलेगा। इस दौरान, अंतरिक्ष यात्री वैज्ञानिक प्रयोग, आउटरीच कार्यक्रम और कम ग्रैविटी में कई एक्टिविटी करेंगे।

कौन हैं शुभांशु शुक्ला?

10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ में जन्मे शुभांशु शुक्ला जून 2006 में भारतीय वायु सेना में एक फाइटर पायलट के रूप में शामिल हुए। मार्च 2024 में उन्हें ग्रुप कैप्टन का पद मिला। उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, Jaguar, Hawk, Dornier और An-32 जैसे कई विमानों पर 2,000 घंटे से अधिक उड़ान भरी है। 2019 में रूस के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में एस्ट्रोनॉट की ट्रेनिंग ली है। भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, गगनयान मिशन के लिए इसरो द्वारा चुने गए। NASA-Axiom Space सहयोग के तहत आईएसएस की यात्रा करने वाले पहले इसरो अंतरिक्ष यात्री होंगे। अपने अंतरिक्ष अनुभव को तस्वीरों और वीडियो के माध्यम से देशवासियों के साथ साझा करने की योजना बना रहे हैं।

*Rishabh Pant's Mumbai Pickle Power and Robin Hood Army bring the joy of cricket to underprivileged children*

Sports

Khabar kolkata sports Desk: Mumbai Pickle Power, the pickleball team co-owned by ace Indian cricketer Rishabh Pant and Swiggy partnered with the Robin Hood Army to host 25 underprivileged children for a spirited game of gully cricket in Mumbai.

2023 में वीजा अवधी खत्म होने के बाद रुकने वालों में भारतीय सबसे आगे, यूएस संसद में पेश रिपोर्ट में दावा

#over7000studentexchangevisitorsfromindiaoverstayedinusin_2023

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में अवैध आप्रवासियों के खिलाफ निर्वासन अभियान शुरू किया है। अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय पढ़ाई और नौकरी के लिए जाते हैं। इस बीच अमेरिका में वीजा पर रह रहे भारतीय छात्रों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि 2023 में 7,000 से अधिक भारतीय छात्र अमेरिका में अपने निर्धारित समय से अधिक समय तक रुके है। यह जानकारी सेंटर फॉर इमिग्रेशन स्टडीज की जेसिका एम वॉन ने अमेरिकी हाउस कमेटी को दी।

एफ-1 और एम-1 वीजा धारक तय समय से अधिक रुकते हैं

‘सेंटर फॉर इमिग्रेशन स्टडीज’ की जेसिका एम. वॉन ने अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा की न्यायपालिका संबंधी समिति को बताया कि निर्धारित समय से अधिक ठहरने वालों में सबसे अधिक संख्या एफ और एम श्रेणी के वीजा धारकों की रही। उन्होंने बताया कि दुनिया के 32 देशों में छात्र और विनिमय आगंतुकों के अमेरिका में तय समय से अधिक रुकने की दर 20 प्रतिशत से भी ज्यादा है। विशेष रूप से, एफ-1 और एम-1 वीजा धारक, जो शैक्षिक और व्यावसायिक कामो के लिए आते हैं, इनमें सबसे ज्यादा लोग तय समय से अधिक रुकते हैं।

तय अवधि से ज्यादा रुकने वालों में भारतीय सबसे ज्यादा

वॉन ने अमेरिकी हाउस कमेटी को ये भी बताया कि ब्राजील, चीन, कोलंबिया और भारत जैसे देशों में हजारों लोग अपनी वीजा अवधि से ज्यादा समय तक अमेरिका में रहते हैं और भारत से आने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है, करीब 7,000 से भी ज्यादा। उन्होंने इसके अलावा अमेरिका की आव्रजन नीतियों में सुधार की आवश्यकता की बात की, जिसमें एच-1बी वीजा जैसे कार्यक्रमों में सुधार की भी सिफारिश की गई है।

बता दें कि एफ-1 के तहत वीजा में किसी व्यक्ति को किसी मान्यता प्राप्त कॉलेज, विश्वविद्यालय, सेमिनरी, कंजर्वेटरी, अकादमिक हाई स्कूल, प्राथमिक विद्यालय या अन्य शैक्षणिक संस्थान या भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम में पूर्णकालिक छात्र के रूप में अमेरिका में रहने की अनुमति मिलती है। एम-1 वीजा भाषा प्रशिक्षण के अलावा व्यावसायिक या अन्य गैर-शैक्षणिक कार्यक्रमों में अध्ययनरत छात्रों को मिलता है।

अमेरिका से आने वाले सामानों पर टैक्स में कटौती करेगा भारत, क्या ट्रंप की धमकियों का है असर?

#india_may_cut_tariffs_on_steel_motorcycles_and_electronic_items_imported_from_us

अमेरिका की सत्ता में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी का असर दिखने लगा है। ट्रंप हमेशा से टैरिफ को लेकर आक्रामक रहे हैं। ट्रंप ने इलेक्शन कैंपेन के दौरान ब्रिक्स देशों पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी भी दी थी। यही नहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को पदभार संभालने के बाद ब्रिक्स देशों, जिसमें भारत भी शामिल है उन्‍हें एक बार फिर से टैरिफ की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अगर सदस्य देश अपनी डि-डॉलराइजेशन की कोशिशें जारी रखते हैं, तो उन्हें 100 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। इसका मतलब है कि अगर इन देशों ने डॉलर से बचने के लिए अपनी अलग मुद्रा बनाने की कोशिश की तो अमेरिका उनके प्रोडक्‍ट पर टैरिफ बढ़ा देगा। ट्रंप की इस धमकी का असर दिखना शुरू हो गया है। दरअसल, खबर है कि भारत अमेरिका से आयातित कुछ महंगे सामानों पर टैक्स में कमी कर सकता है। माना जा रहा है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से इस बार बजट पेश किए जाने पर इसकी पुष्टि हो सकती है।

एनडीटीवी की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से टैक्स में कटौती की बात कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक 1 फरवरी को निर्मला सीतारमण बजट पेश करने के दौरान इसकी घोषणा कर सकती हैं। स्टील, महंगी मोटरसाइकिल, इलेक्ट्रॉनिक सामान इस लिस्ट में हैं, जिनके टैरिफ में कटौती हो सकती है। भारत अमेरिका से 20 ऐसे सामान आयात करता है जिन पर 100 प्रतिशत से अधिक शुल्क लगता है। अमेरिका भारत का बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2023-24 में दोनों देशों के बीच व्यापार 118 अरब डॉलर से ज्यादा रहा था। इसमें भारत का ट्रेड सरप्लस 41 अरब डॉलर रहा था।

खास बात कि भारत की टैक्स में कटौती की खबर ऐसे समय में आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत, चीन और ब्राजील को 'जबरदस्त टैरिफ मेकर्स' बताया। तीनों ही देश तेजी से प्रभावशाली होते जा रहे ब्रिक्स ब्लॉक के संस्थापक सदस्य हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को फ्लोरिडा में एक कार्यक्रम में भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों पर हाई टैरिफ लगाने की धमकी दी। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि अमेरिका वापस उस सिस्टम को अपनाए जिसने उसे धनी और ताकतवर बनाया है। हम अमेरिका को सबसे पहले रखेंगे। ट्रंप ने उत्साहपूर्वक कहा कि हम उन बाहरी देशों और लोगों पर टैरिफ लगाने जा रहे हैं जो वास्तव में हमें नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। चीन एक जबरदस्त टैरिफ निर्माता है, और भारत, ब्राजील और कई अन्य देश भी। (लेकिन) हम ऐसा अब और नहीं होने देंगे... क्योंकि हम अमेरिका को सबसे पहले रखेंगे।

आदतों से बाज नहीं आ रहा कनाडा, अब लगाया चुनाव में दखल का आरोप, भारत ने लगाई लताड़

#india_slams_justin_trudeau_canadian_commission_report_on_election_interference

भारत-कनाडा के बीच जारी कूटनीतिक तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इसी बीच कनाडा ने भारत पर चुनावों में दखल देने का आरोप लगाया गया है।कनाडा में विदेशी हस्तक्षेप की जांच कर रहे एक आयोग ने भारत पर चुनावी दखल देने का आरोप लगाया है। भारत ने सख्ती से इसका जवाब दिया है। दरअसल, कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा और संसद सदस्यों की खुफिया कमिटी की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि कनाडा के कुछ सांसद प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर विदेशी दखल में शामिल थे।भारत के विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमने कनाडा चुनाव में हस्तक्षेप पर कथित गतिविधियों के बारे में एक रिपोर्ट देखी है। वास्तव में यह कनाडा ही है जो भारत के आंतरिक मामलों में लगातार हस्तक्षेप करता रहा है। इससे अवैध प्रवास और संगठित आपराधिक गतिविधियों के लिए भी माहौल तैयार हुआ है। मंत्रालय ने कहा कि हम भारत पर आक्षेप लगाने वाली रिपोर्ट को खारिज करते हैं। उम्मीद करते हैं कि अवैध प्रवासन को सक्षम करने वाली सहायता प्रणाली को आगे बरकरार नहीं रखा जाएगा।

इससे पहले कनाडा की एक जांच रिपोर्ट में आरोप लगाए गए कि भारत प्रॉक्सी एजेंटों के माध्यम से तीन राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को गुप्त रूप से वित्तीय मदद दे रहा था। रिपोर्ट के अनुसार भारत चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला दूसरा सबसे सक्रिय देश था। हालांकि आयोग की चेयरपर्सन मैरी-जोसे होग ने यह भी स्वीकार किया कि कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिला कि कनाडाई सांसदों ने किसी विदेशी सरकार के साथ मिलकर साजिश रची थी। रिपोर्ट में पाकिस्तान पर भी 2019 के चुनावों से पहले लिबरल पार्टी को प्रभावित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया है।

कनाडा के एक अखबार की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि भारत ने संघीय चुनाव में तीन राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को गुप्त वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए प्रॉक्सी एजेंटों का इस्तेमाल किया। इस मामले में तत्कालीन पीएम जस्टिन ट्रूडो ने सितंबर 2023 में न्यायमूर्ति मैरी जोस हॉग को चीन, रूस और अन्य देशों द्वारा चुनावों में किए गए हस्तक्षेप की जांच के लिए बने आयोग के नेतृत्व का जिम्मा सौंपा था।

पिछले साल कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा ने भारत पर चुनाव में हस्तक्षेप का आरोप लगाया था। कनाडाई खुफिया विभाग ने कहा था कि कनाडा में भारत सरकार का एक सरकारी प्रॉक्सी एजेंट था, जिसका चुनावों में हस्तेक्षप करने का इरादा था। 2021 में भारत सरकार ने छोटे जिलों में हस्तेक्षप करने की कोशिश की थी। भारत को लगता था कि कनाडाई चुनाव का एक हिस्सा खालिस्तानी आंदोलन और पाकिस्तान समर्थक राजनीति से जुड़ा हुआ है। दस्तावेज के अनुसार, खुफिया जानकारी के अनुसार, प्रॉक्सी एजेंट ने भारत समर्थक उम्मीदवारों को वित्तीय सहायता प्रदान की, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में दखल दिया जा सके।

रिपोर्ट में उस समय का जिक्र किया गया है जब कनाडा ने 14 अक्टूबर, 2024 को छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था, क्योंकि पुलिस ने सबूत जुटाए थे कि वे भारत सरकार के अभियान का हिस्सा थे। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि भारत ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के संबंध में गलत सूचना फैलाई, हालांकि, रिपोर्ट ने यह कहकर खुद का खंडन किया कि कनाडा को उनकी हत्या पर किसी विदेशी राज्य से कोई लिंक नहीं मिला।

*इंडोनेशियाई हिंदू परंपरा: मंदिर प्रतिष्ठापन में कुम्बाभिषेकम का पवित्र अनुष्ठान*

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भारत और इंडोनेशिया का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध बहुत गहरा है, जो प्राचीन व्यापारिक रिश्तों, आध्यात्मिक जुड़ावों और एक-दूसरे की परंपराओं के प्रति सम्मान से जुड़ा हुआ है। वर्षों के दौरान, दोनों देशों ने राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूत किया है, और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत-इंडोनेशिया संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव आया है।

भारत-इंडोनेशिया संबंधों का ऐतिहासिक संदर्भ

भारत और इंडोनेशिया के बीच प्राचीन समय से ही सांस्कृतिक संबंध रहे हैं, जो प्राचीन समुद्री व्यापार मार्गों और हिंदू धर्म तथा बौद्ध धर्म के प्रसार से प्रभावित थे। ऐतिहासिक पुरावशेष, शिलालेख और सांस्कृतिक प्रथाएँ इन प्राचीन संबंधों को दर्शाती हैं। उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया की कला, वास्तुकला और धर्म में भारतीय संस्कृति का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। जैसे कि बाली के मंदिरों और जावा के बौद्ध मंदिर बोरोबुदुर में भारतीय प्रभाव स्पष्ट है। इसी तरह, भारतीय महाकाव्य रामायण इंडोनेशियाई नृत्य और नाटक में प्रचलित है।

आधुनिक कूटनीतिक संबंधों की शुरुआत 20वीं सदी के मध्य में इंडोनेशिया के स्वतंत्र होने के बाद हुई, और दोनों देशों ने आपसी सम्मान और सहयोग पर जोर दिया। हालांकि, राजनीतिक परिस्थितियों के बदलने के साथ संबंधों में उतार-चढ़ाव आया।

मोदी युग: संबंधों में मजबूती

जब से नरेंद्र मोदी 2014 में भारत के प्रधानमंत्री बने हैं, भारत-इंडोनेशिया संबंधों में एक नई गति देखने को मिली है। मोदी की "एक्ट ईस्ट" नीति, जो दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ संबंधों को प्रगाढ़ बनाने पर केंद्रित है, ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

मोदी के नेतृत्व में मुख्य बदलाव:

1.रणनीतिक साझेदारी:

  2018 में, भारत और इंडोनेशिया ने अपने संबंधों को "समग्र रणनीतिक साझेदारी" में बदल दिया, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और रक्षा संबंध मजबूत हुए। दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र और G20 जैसे वैश्विक मंचों पर सहयोग बढ़ाया।

2. आर्थिक सहयोग:

  मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और इंडोनेशिया के बीच व्यापार में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। भारत, इंडोनेशिया को पेट्रोलियम उत्पादों, वाहन और मशीनरी निर्यात करता है, जबकि इंडोनेशिया भारत को ताड़ का तेल, कोयला और वस्त्र निर्यात करता है। दोनों देशों ने व्यापार बढ़ाने के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाने और बाधाओं को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया है।

3. सुरक्षा और रक्षा संबंध:

  भारत और इंडोनेशिया ने अपने रक्षा सहयोग को बढ़ाया है, संयुक्त सैन्य अभ्यास आयोजित किए हैं, खुफिया जानकारी साझा की है और समुद्री सुरक्षा को मजबूत किया है। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों देशों की रणनीतिक स्थिति Indo-Pacific क्षेत्र में बहुत अहम है।

4. सांस्कृतिक कूटनीति:

  मोदी के नेतृत्व में सांस्कृतिक कूटनीति को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। सांस्कृतिक संबंधों पर जोर दिया गया है, और मोदी सरकार ने हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म जैसे साझा ऐतिहासिक और धार्मिक संबंधों का महत्व बढ़ाया है।

जकार्ता मंदिर और कुम्बाभिषेकम का महत्व

भारत और इंडोनेशिया के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा जकार्ता मंदिर और कुम्बाभिषेकम हैं।

1. जकार्ता मंदिर (पुरा अगुंग):

  जकार्ता में कई हिंदू मंदिर हैं, और पुरा अगुंग उन मंदिरों में से एक महत्वपूर्ण है, जो भारत और इंडोनेशिया के बीच आध्यात्मिक संबंधों का प्रतीक है। यह मंदिर इंडोनेशिया में हिंदू-बलिनी प्रभाव का प्रतीक है, साथ ही दोनों देशों के बीच साझा धार्मिक मूल्यों को भी दर्शाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने अक्सर भारत और इंडोनेशिया के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को स्वीकार किया है, जिसमें ये मंदिर और धार्मिक प्रथाएँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

2. कुम्बाभिषेकम एक महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक अनुष्ठान है, जो मंदिरों के प्रतिष्ठापन या विशेष मंदिर आयोजनों के दौरान किया जाता है। यह संस्कृत शब्दों "कुम्भ" (घड़ा) और "अभिषेकम" (स्नान या अभिषेक) से उत्पन्न हुआ है।

इंडोनेशिया में कुम्बाभिषेकम:

इंडोनेशिया, विशेष रूप से बाली में, जहाँ हिंदू धर्म की जड़ें गहरी हैं, कुम्बाभिषेकम समारोह का आयोजन मंदिरों में किया जाता है। यह अनुष्ठान तब होता है जब किसी नए देवता की मूर्ति स्थापित की जाती है या मंदिर के विशेष अवसरों पर उसे शुद्ध और पवित्र किया जाता है। इस अनुष्ठान में एक पवित्र घड़े (कुम्भ) से पवित्र जल से देवता की मूर्ति का अभिषेक किया जाता है, जो मंदिर और समुदाय के लिए आशीर्वाद और शांति की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है।

यह अनुष्ठान बाली के हिंदू मंदिरों में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जिसमें स्थानीय लोग अपनी आस्था और भक्ति व्यक्त करते हैं।

भू-राजनीति में बदलता हुआ भूमिका

दोनों देशों की भू-राजनीतिक भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है। मोदी के नेतृत्व में, भारत ने दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ अपनी साझेदारी को और मजबूत किया है, और इंडोनेशिया, जो इस क्षेत्र का एक प्रमुख देश है, भारत की रणनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। दोनों देशों का ASEAN और इंडोनेशिया महासागर रिम एसोसिएशन जैसे मंचों पर सहयोग बढ़ा है, जो क्षेत्र में चीन के प्रभाव को चुनौती देने के लिए अहम है।

भारत और इंडोनेशिया का संबंध वर्षों से विकसित हुआ है, जो सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आदान-प्रदान से लेकर एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी में बदल गया है, विशेष रूप से नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद। जकार्ता मंदिर और महाकुम्भिकम जैसे महत्वपूर्ण क्षण, दोनों देशों के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाते हैं। जैसे-जैसे दोनों देश अपने संबंधों को और मजबूत करेंगे, यह संभावना है कि उनकी साझेदारी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की भू-राजनीति को प्रभावित करती रहेगी।

निर्मला सीतारमण: भारत की वित्त मंत्री के रूप में उनके योगदान और भूमिका

#nirmalasitaramantransformingindianeconomy

Nirmala Sitaraman (Union FM)

निर्मला सीतारमण भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली नेता के रूप में उभरी हैं। उनका कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। यहाँ उनके योगदान और वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यों पर विस्तृत चर्चा की जा रही है:

1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

-जन्म: निर्मला सीतारमण का जन्म 18 अगस्त 1959 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था।

- शिक्षा: उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय से आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में पोस्ट-ग्रेजुएशन की डिग्री ली। 

-प्रारंभिक करियर: इससे पहले कि वे भारतीय राजनीति में प्रवेश करतीं, उन्होंने एक शिक्षक, अर्थशास्त्र के विद्वान और कॉर्पोरेट दुनिया में काम किया था। वे ब्रिटेन स्थित एक प्रमुख थिंक टैंक "हेरिटेज फाउंडेशन" की सदस्य भी रह चुकी हैं। 

2. राजनीति में प्रवेश

निर्मला सीतारमण भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) से जुड़ीं और 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के गठन के समय, उन्हें केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्यभार सौंपा गया। उन्हें पहले रक्षा मंत्री के रूप में कार्यभार सौंपा गया था, और बाद में 2019 में वित्त मंत्री का पद मिला।

3. वित्त मंत्री के रूप में कार्यकाल (2019 - वर्तमान)

निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2019 में भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में शपथ ली। वे पहली महिला वित्त मंत्री थीं जिन्हें स्वतंत्र भारत में यह महत्वपूर्ण पद मिला। उनके कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्निर्माण और विकास की दिशा में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए:

   3.1. आर्थिक सुधारों को बढ़ावा

- विकसित और उदार नीतियाँ: निर्मला सीतारमण ने भारत की आर्थिक नीतियों को लचीला और उदार बनाने की दिशा में कई कदम उठाए, जैसे कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती और व्यापारों को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाओं की शुरुआत।

- वित्तीय विनियमन: वित्तीय क्षेत्र में सुधार और मजबूत विनियमन की दिशा में उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिसमें बैंकों की पूंजी में वृद्धि, वित्तीय संस्थानों के सुधार और अनुकूलित टैक्स नीतियाँ शामिल हैं।

  

  3.2. कोविड-19 संकट के दौरान प्रभावी कदम

- आर्थिक पैकेज: कोविड-19 महामारी के संकट के समय, निर्मला सीतारमण ने भारत सरकार के द्वारा घोषित किए गए आर्थिक पैकेज को लागू किया। उन्होंने गरीबों, श्रमिकों और छोटे व्यापारों के लिए राहत उपायों का ऐलान किया, जैसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, ECLGS (Emergency Credit Line Guarantee Scheme), और मुद्रा लोन योजनाएँ। 

- माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) के लिए योजनाएँ: कोविड-19 से प्रभावित MSMEs को पुनः सक्षम बनाने के लिए वित्त मंत्री ने कई योजनाओं की शुरुआत की, जिससे अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया जा सके।

  

     3.3. स्वच्छ भारत और आत्मनिर्भर भारत अभियान

- आत्मनिर्भर भारत पैकेज: निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की, जिसका उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाना था। इस योजना में कृषि, उद्योग, MSMEs, और अन्य क्षेत्रों के लिए विभिन्न सुधार और सहायता पैकेज शामिल थे।

  

    3.4. जीएसटी सुधार

- जीएसटी (GST) में सुधार: निर्मला सीतारमण ने जीएसटी प्रणाली में सुधार की दिशा में कई पहल कीं। उन्होंने छोटे व्यापारियों के लिए जीएसटी रिटर्न भरने में सरलता लाने और जीएसटी दरों में बदलाव करने की दिशा में कदम उठाए। 

- जीएसटी काउंसिल की बैठकें: उन्होंने जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्यों और केंद्रीय सरकार के बीच सामंजस्य स्थापित करने का कार्य किया, जिससे कर प्रणाली को सशक्त किया गया।

    3.5. कृषि क्षेत्र में सुधार

- कृषि सुधार: निर्मला सीतारमण ने कृषि क्षेत्र के सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जैसे कृषि सुधार विधेयक, जो किसानों को अधिक अधिकार और समर्थन देने के लिए लाए गए थे। हालांकि, यह विधेयक विवादों में भी रहा, लेकिन इसका उद्देश्य भारतीय कृषि क्षेत्र को अधिक प्रतिस्पर्धात्मक और लाभकारी बनाना था।

     3.6. बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में सुधार

- बैंकिंग क्षेत्र की पुनर्पूंजीकरण: उन्होंने भारतीय बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए कई योजनाएँ बनाई, ताकि बैंकों को मजबूती से कार्य करने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन मिल सकें।

- एनपीए (NPA) समस्या पर काबू पाना: वित्त मंत्री ने एनपीए की समस्या को हल करने के लिए कई उपाय किए और दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (IBC) को और प्रभावी बनाने की दिशा में काम किया।

  

     3.7. डिजिटल भुगतान को बढ़ावा

- डिजिटल इंडिया और कैशलेस ट्रांजैक्शंस: निर्मला सीतारमण ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ लागू कीं। उन्होंने मोबाइल पेमेंट्स, यूपीआई (Unified Payments Interface) और अन्य डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के उपयोग को बढ़ावा दिया।

 4. उनकी नेतृत्व क्षमता और आलोचनाएँ

निर्मला सीतारमण को उनकी उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता के लिए पहचाना जाता है, लेकिन उनके कार्यकाल में कुछ आलोचनाएँ भी रही हैं। विशेष रूप से, कुछ आलोचकों का मानना है कि सरकार के फैसलों की कार्यान्वयन में प्रभावी सुधारों की कमी हो सकती है, और कुछ योजनाएँ अधिक प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पाई हैं। साथ ही, किसानों और व्यापारियों द्वारा कई बार सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए गए हैं। 

5. अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सीतारमण की स्थिति*

निर्मला सीतारमण को न केवल भारतीय राजनीति में, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी वित्त और आर्थिक मामलों में एक प्रभावशाली नेता के रूप में देखा जाता है। उन्होंने G20, IMF, और विश्व बैंक जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारतीय नीतियों और हितों का प्रतिनिधित्व किया है। उनके नेतृत्व में भारत ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिति को मजबूत किया और प्रमुख वैश्विक सुधारों में सक्रिय रूप से भाग लिया।

निर्मला सीतारमण का कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और वित्तीय सुधारों की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाने वाला रहा है। उन्होंने भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों के लिए वित्तीय समावेशिता, व्यवसाय को बढ़ावा देने और श्रमिकों के हित में कई योजनाएँ बनाई हैं। हालांकि, उनके कार्यों की आलोचना भी की गई है, लेकिन उनके योगदान और नेतृत्व के कारण वे एक स्थायी और महत्वपूर्ण स्थान पर खड़ी हैं। निर्मला सीतारमण ने यह साबित किया है कि महिला नेतृत्व केवल दायित्व नहीं, बल्कि उत्कृष्टता की ओर भी कदम बढ़ाता है।

*Mohun Bagan Super Giant defeated Mohammedan SC 4-0*

Sports

ISL

Khabar kolkata sports Desk: Mohun Bagan Super Giant defeated city rivals Mohammedan SC 4-0 at the Vivekananda Yuba Bharati Krinangan in Kolkata in the Indian Super League (ISL) 2024-25 season Yesterday night.

Pic : Sanjay Hazra

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कौन हैं शुभांशु शुक्ला? स्पेस एक्स ड्रैगन के पायलट बनेंगे, ISS पर जाने वाले पहले भारतीय होंगे

#who_is_shubhanshu_shukla_become_first_indian_astronaut_to_pilot_axiom_4_ws

इंडियन एयरफोर्स के ऑफिसर शुभांशु शुक्ला को नासा के एग्जियम मिशन 4 के लिए पायलट चुना गया है। जल्द ही वे स्पेस एक्स ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट को लेकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर जाएंगे। शुभांशु आईएसएस पर जाने वाले पहले भारतीय होंगे। यह मिशन 14 दिन तक चलेगा। इसके तहत रिसर्च की जाएगी। शुभांशु इसरो के मिशन गगनयान के लिए ट्रेनिंग ले रहे है।

इंडियन एयरफोर्स के शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने को बेताब हैं। वे एक्सिओम मिशन 4 के पायलट के रूप में चुने गए हैं। यह मिशन नासा और इसरो के बीच एक संयुक्त प्रयास का हिस्सा है। मिशन की कमांड पैगी व्हिटसन संभालेंगी । शुभांशु पायलट होंगे। इनके साथ मिशन स्पेशलिस्ट पोलैंड के स्लावोज उजनांस्की-विश्निवस्की और हंगरी के तिबोर कापू अप्रैल और जून 2025 के बीच एग्जियम मिशन-4 पर जाएंगे।

ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में, एक्सिओम मिशन-4 के चालक दल के सदस्यों ने अभियान के लिए प्रशिक्षण के अपने अनुभव साझा किए। भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने कहा, ‘‘मैं ‘माइक्रोग्रैविटी’ में जाने और अपने दम पर अंतरिक्ष उड़ान का अनुभव करने के लिए वास्तव में बहुत उत्साहित हूं। मिशन के लिए उत्साह लगातार बढ़ रहा है और मुझे लगता है कि हम एक ऐसे चरण में हैं जहां सभी चीजें साकार हो रही हैं।’

शुक्ला इस मिशन को लेकर बेहद उत्साहित हैं। शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष स्टेशन के मिशन पर जब उड़ान भरेंगे तो यह भारत के 1.4 अरब लोगों का सफर होगा। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने खुद कहा कि वह 1.4 अरब भारतीयों की तरफ से इस सफर पर निकल रहे हैं। उन्होंने कहा, 'अंतरिक्ष की यह यात्रा मेरी व्यक्तिगत नहीं, बल्कि 1.4 अरब लोगों की यात्रा है।' यह मिशन 14 दिनों तक चलेगा। इस दौरान, अंतरिक्ष यात्री वैज्ञानिक प्रयोग, आउटरीच कार्यक्रम और कम ग्रैविटी में कई एक्टिविटी करेंगे।

कौन हैं शुभांशु शुक्ला?

10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ में जन्मे शुभांशु शुक्ला जून 2006 में भारतीय वायु सेना में एक फाइटर पायलट के रूप में शामिल हुए। मार्च 2024 में उन्हें ग्रुप कैप्टन का पद मिला। उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, Jaguar, Hawk, Dornier और An-32 जैसे कई विमानों पर 2,000 घंटे से अधिक उड़ान भरी है। 2019 में रूस के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में एस्ट्रोनॉट की ट्रेनिंग ली है। भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, गगनयान मिशन के लिए इसरो द्वारा चुने गए। NASA-Axiom Space सहयोग के तहत आईएसएस की यात्रा करने वाले पहले इसरो अंतरिक्ष यात्री होंगे। अपने अंतरिक्ष अनुभव को तस्वीरों और वीडियो के माध्यम से देशवासियों के साथ साझा करने की योजना बना रहे हैं।

*Rishabh Pant's Mumbai Pickle Power and Robin Hood Army bring the joy of cricket to underprivileged children*

Sports

Khabar kolkata sports Desk: Mumbai Pickle Power, the pickleball team co-owned by ace Indian cricketer Rishabh Pant and Swiggy partnered with the Robin Hood Army to host 25 underprivileged children for a spirited game of gully cricket in Mumbai.

2023 में वीजा अवधी खत्म होने के बाद रुकने वालों में भारतीय सबसे आगे, यूएस संसद में पेश रिपोर्ट में दावा

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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में अवैध आप्रवासियों के खिलाफ निर्वासन अभियान शुरू किया है। अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय पढ़ाई और नौकरी के लिए जाते हैं। इस बीच अमेरिका में वीजा पर रह रहे भारतीय छात्रों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि 2023 में 7,000 से अधिक भारतीय छात्र अमेरिका में अपने निर्धारित समय से अधिक समय तक रुके है। यह जानकारी सेंटर फॉर इमिग्रेशन स्टडीज की जेसिका एम वॉन ने अमेरिकी हाउस कमेटी को दी।

एफ-1 और एम-1 वीजा धारक तय समय से अधिक रुकते हैं

‘सेंटर फॉर इमिग्रेशन स्टडीज’ की जेसिका एम. वॉन ने अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा की न्यायपालिका संबंधी समिति को बताया कि निर्धारित समय से अधिक ठहरने वालों में सबसे अधिक संख्या एफ और एम श्रेणी के वीजा धारकों की रही। उन्होंने बताया कि दुनिया के 32 देशों में छात्र और विनिमय आगंतुकों के अमेरिका में तय समय से अधिक रुकने की दर 20 प्रतिशत से भी ज्यादा है। विशेष रूप से, एफ-1 और एम-1 वीजा धारक, जो शैक्षिक और व्यावसायिक कामो के लिए आते हैं, इनमें सबसे ज्यादा लोग तय समय से अधिक रुकते हैं।

तय अवधि से ज्यादा रुकने वालों में भारतीय सबसे ज्यादा

वॉन ने अमेरिकी हाउस कमेटी को ये भी बताया कि ब्राजील, चीन, कोलंबिया और भारत जैसे देशों में हजारों लोग अपनी वीजा अवधि से ज्यादा समय तक अमेरिका में रहते हैं और भारत से आने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है, करीब 7,000 से भी ज्यादा। उन्होंने इसके अलावा अमेरिका की आव्रजन नीतियों में सुधार की आवश्यकता की बात की, जिसमें एच-1बी वीजा जैसे कार्यक्रमों में सुधार की भी सिफारिश की गई है।

बता दें कि एफ-1 के तहत वीजा में किसी व्यक्ति को किसी मान्यता प्राप्त कॉलेज, विश्वविद्यालय, सेमिनरी, कंजर्वेटरी, अकादमिक हाई स्कूल, प्राथमिक विद्यालय या अन्य शैक्षणिक संस्थान या भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम में पूर्णकालिक छात्र के रूप में अमेरिका में रहने की अनुमति मिलती है। एम-1 वीजा भाषा प्रशिक्षण के अलावा व्यावसायिक या अन्य गैर-शैक्षणिक कार्यक्रमों में अध्ययनरत छात्रों को मिलता है।

अमेरिका से आने वाले सामानों पर टैक्स में कटौती करेगा भारत, क्या ट्रंप की धमकियों का है असर?

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अमेरिका की सत्ता में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी का असर दिखने लगा है। ट्रंप हमेशा से टैरिफ को लेकर आक्रामक रहे हैं। ट्रंप ने इलेक्शन कैंपेन के दौरान ब्रिक्स देशों पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी भी दी थी। यही नहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को पदभार संभालने के बाद ब्रिक्स देशों, जिसमें भारत भी शामिल है उन्‍हें एक बार फिर से टैरिफ की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अगर सदस्य देश अपनी डि-डॉलराइजेशन की कोशिशें जारी रखते हैं, तो उन्हें 100 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। इसका मतलब है कि अगर इन देशों ने डॉलर से बचने के लिए अपनी अलग मुद्रा बनाने की कोशिश की तो अमेरिका उनके प्रोडक्‍ट पर टैरिफ बढ़ा देगा। ट्रंप की इस धमकी का असर दिखना शुरू हो गया है। दरअसल, खबर है कि भारत अमेरिका से आयातित कुछ महंगे सामानों पर टैक्स में कमी कर सकता है। माना जा रहा है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से इस बार बजट पेश किए जाने पर इसकी पुष्टि हो सकती है।

एनडीटीवी की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से टैक्स में कटौती की बात कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक 1 फरवरी को निर्मला सीतारमण बजट पेश करने के दौरान इसकी घोषणा कर सकती हैं। स्टील, महंगी मोटरसाइकिल, इलेक्ट्रॉनिक सामान इस लिस्ट में हैं, जिनके टैरिफ में कटौती हो सकती है। भारत अमेरिका से 20 ऐसे सामान आयात करता है जिन पर 100 प्रतिशत से अधिक शुल्क लगता है। अमेरिका भारत का बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2023-24 में दोनों देशों के बीच व्यापार 118 अरब डॉलर से ज्यादा रहा था। इसमें भारत का ट्रेड सरप्लस 41 अरब डॉलर रहा था।

खास बात कि भारत की टैक्स में कटौती की खबर ऐसे समय में आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत, चीन और ब्राजील को 'जबरदस्त टैरिफ मेकर्स' बताया। तीनों ही देश तेजी से प्रभावशाली होते जा रहे ब्रिक्स ब्लॉक के संस्थापक सदस्य हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को फ्लोरिडा में एक कार्यक्रम में भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों पर हाई टैरिफ लगाने की धमकी दी। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि अमेरिका वापस उस सिस्टम को अपनाए जिसने उसे धनी और ताकतवर बनाया है। हम अमेरिका को सबसे पहले रखेंगे। ट्रंप ने उत्साहपूर्वक कहा कि हम उन बाहरी देशों और लोगों पर टैरिफ लगाने जा रहे हैं जो वास्तव में हमें नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। चीन एक जबरदस्त टैरिफ निर्माता है, और भारत, ब्राजील और कई अन्य देश भी। (लेकिन) हम ऐसा अब और नहीं होने देंगे... क्योंकि हम अमेरिका को सबसे पहले रखेंगे।

आदतों से बाज नहीं आ रहा कनाडा, अब लगाया चुनाव में दखल का आरोप, भारत ने लगाई लताड़

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भारत-कनाडा के बीच जारी कूटनीतिक तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इसी बीच कनाडा ने भारत पर चुनावों में दखल देने का आरोप लगाया गया है।कनाडा में विदेशी हस्तक्षेप की जांच कर रहे एक आयोग ने भारत पर चुनावी दखल देने का आरोप लगाया है। भारत ने सख्ती से इसका जवाब दिया है। दरअसल, कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा और संसद सदस्यों की खुफिया कमिटी की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि कनाडा के कुछ सांसद प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर विदेशी दखल में शामिल थे।भारत के विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमने कनाडा चुनाव में हस्तक्षेप पर कथित गतिविधियों के बारे में एक रिपोर्ट देखी है। वास्तव में यह कनाडा ही है जो भारत के आंतरिक मामलों में लगातार हस्तक्षेप करता रहा है। इससे अवैध प्रवास और संगठित आपराधिक गतिविधियों के लिए भी माहौल तैयार हुआ है। मंत्रालय ने कहा कि हम भारत पर आक्षेप लगाने वाली रिपोर्ट को खारिज करते हैं। उम्मीद करते हैं कि अवैध प्रवासन को सक्षम करने वाली सहायता प्रणाली को आगे बरकरार नहीं रखा जाएगा।

इससे पहले कनाडा की एक जांच रिपोर्ट में आरोप लगाए गए कि भारत प्रॉक्सी एजेंटों के माध्यम से तीन राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को गुप्त रूप से वित्तीय मदद दे रहा था। रिपोर्ट के अनुसार भारत चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला दूसरा सबसे सक्रिय देश था। हालांकि आयोग की चेयरपर्सन मैरी-जोसे होग ने यह भी स्वीकार किया कि कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिला कि कनाडाई सांसदों ने किसी विदेशी सरकार के साथ मिलकर साजिश रची थी। रिपोर्ट में पाकिस्तान पर भी 2019 के चुनावों से पहले लिबरल पार्टी को प्रभावित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया है।

कनाडा के एक अखबार की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि भारत ने संघीय चुनाव में तीन राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को गुप्त वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए प्रॉक्सी एजेंटों का इस्तेमाल किया। इस मामले में तत्कालीन पीएम जस्टिन ट्रूडो ने सितंबर 2023 में न्यायमूर्ति मैरी जोस हॉग को चीन, रूस और अन्य देशों द्वारा चुनावों में किए गए हस्तक्षेप की जांच के लिए बने आयोग के नेतृत्व का जिम्मा सौंपा था।

पिछले साल कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा ने भारत पर चुनाव में हस्तक्षेप का आरोप लगाया था। कनाडाई खुफिया विभाग ने कहा था कि कनाडा में भारत सरकार का एक सरकारी प्रॉक्सी एजेंट था, जिसका चुनावों में हस्तेक्षप करने का इरादा था। 2021 में भारत सरकार ने छोटे जिलों में हस्तेक्षप करने की कोशिश की थी। भारत को लगता था कि कनाडाई चुनाव का एक हिस्सा खालिस्तानी आंदोलन और पाकिस्तान समर्थक राजनीति से जुड़ा हुआ है। दस्तावेज के अनुसार, खुफिया जानकारी के अनुसार, प्रॉक्सी एजेंट ने भारत समर्थक उम्मीदवारों को वित्तीय सहायता प्रदान की, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में दखल दिया जा सके।

रिपोर्ट में उस समय का जिक्र किया गया है जब कनाडा ने 14 अक्टूबर, 2024 को छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था, क्योंकि पुलिस ने सबूत जुटाए थे कि वे भारत सरकार के अभियान का हिस्सा थे। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि भारत ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के संबंध में गलत सूचना फैलाई, हालांकि, रिपोर्ट ने यह कहकर खुद का खंडन किया कि कनाडा को उनकी हत्या पर किसी विदेशी राज्य से कोई लिंक नहीं मिला।