Celebrating the Champions of Education: CSC India’s National Teachers Day Awards 2025

Visakhapatnam, September 5, 2025 - the Council for Skills and Competencies (CSC India) hosted its grand National Teachers Day Awards 2025, an inspiring virtual celebration honoring the brilliance and dedication of India’s educators. The event paid tribute to those shaping the future through teaching, research, leadership, and mentorship.

Chief Guest Prof. Dr. D. Rajya Lakshmi, Vice Chancellor of JNTU-GV, delivered a powerful keynote on blending pedagogy with digital innovation, while M. Kumar (C-DAC Hyderabad) and Pavan Chalamalasetti (CEO, Datively Inc.) joined as Guests of Eminence and Honour, highlighting the importance of innovation-driven education.

Celebrating the Champions of Education: CSC India’s National Teachers Day Awards 2025

Visakhapatnam, September 5, 2025 – The Council for Skills and Competencies (CSC India) successfully hosted the National Teachers Day Awards 2025 – Celebrating Excellence in Education through a virtual ceremony. The prestigious event brought together eminent academicians, education leaders, and policymakers from across India to recognize and celebrate outstanding contributions in teaching, leadership, mentorship, research, and student development. 

Distinguished Guests

The ceremony was graced by Prof. Dr. D. Rajya Lakshmi, Vice Chancellor of JNTU-GV, Vizianagaram, who attended as the Chief Guest. In her keynote address, she emphasized the role of technical education in building India’s future and the importance of blending traditional pedagogy with modern technologies to prepare students for the digital era.

The event also featured:

Guest of Eminence: Mr. M. Kumar, Scientist-F / Associate Director, C-DAC Hyderabad

Guest of Honour: Mr. Pavan Chalamalasetti, CEO, Datively Inc.

Both dignitaries stressed innovation, adaptability, and leadership as the cornerstones of excellence in education.

Awards and Recognitions

40 साल से ज्यादा ऑपोजिशन में रहा हूं, विपक्ष को मुझसे ट्यूशन लेने की जरूरत लो, राज्यसभा में नड्डा ने क्यों कही ये बात

#cisfrowinrajyasabha

संसद का मानसून सत्र इस बार काफी हंगामेदार रहा है। मंगलवार को भी संसद में जमकर हंगामा देखा गया। राज्यसभा में भी आज खूब हंगामा हुआ। सदन में सीआईएसएफ कर्मियों की मौजूदगी के मुद्दे पर आज राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ। दरअसल सभापति ने इस बात पर आपत्ति जताई कि जब खरगे ने उन्हें सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती को लेकर पत्र लिखा था तो उसे मीडिया में क्यों जारी किया गया। सभापति ने इसे सदन के नियमों का उल्लंघन करार दिया।

दरअसल राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने खरगे के पत्र के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पत्र को मीडिया में जारी करके संसद के जनता को जानकारी देने के अधिकार का उल्लंघन हुआ है। इसके बाद उपसभापति ने कई घटनाओं का जिक्र किया, जब सत्ता पक्ष के लोग सदन में बोल रहे थे और विपक्षी सांसदों ने उनकी सीटों के पास आकर उनके संबोधन बाधित करने का प्रयास किया। सभापति ने कहा कि 'क्या यह लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन नहीं है? उन्होंने कहा कि सदस्यों द्वारा वेल में प्रदर्शन गलत है और यह सदन की परंपरा के खिलाफ है क्योंकि वेल की एक पवित्रता होती है। 

खरगे ने पूछा- क्या हम आतंकवादी हैं

सभापति के बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि जब सदन के नेता महत्वपूर्ण मुद्दे उठा रहे होते हैं तो उस समय सदन में सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती गलत है। उन्होंने उदाहरण दिया कि 'जब अरुण जेटली राज्यसभा में और सुषमा स्वराज लोकसभा में विपक्ष के नेता थे, तो उन्होंने कहा था कि व्यवधान डालना भी लोकतंत्र को मजबूत करने का तरीका है। हम इसी तरह लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करते रहेंगे और ये हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है।' खरगे ने कहा कि ऐसे में अगर मैंने आपको पत्र लिखा और उस बारे में मीडिया में जानकारी दी गई तो उस पर आपको इतनी आपत्ति क्यों है? मैं सभी सदस्यों को सूचित नहीं कर सकता, इसलिए एक प्रेस नोट जारी किया। मुझे बताइए सीआईएसएफ को वेल में तैनात क्यों किया गया? क्या हम आतंकवादी हैं?

अभी 30-40 साल और विपक्ष में ही रहना-नड्डा

खरगे के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी सांसद जेपी नड्डा ने सदन की कार्यवाही में बाधा डालने को लेकर विपक्ष की आलोचना की। जेपी नड्डा ने कहा कि विपक्ष का हंगामा नियमों के खिलाफ है। नड्डा ने सदन की कार्यवाही को लेकर राज्यसभा के उपसभापति के बयान का जिक्र किया। उन्होंने सदन की कार्यवाही में बाधा डालने वाले सांसदों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यहां जब मैं भाषण दे रहा हूं और बगल में कोई आकर नारेबाजी करेगा तो यह लोकतांत्रिक नहीं है। यह सदन में काम करने का तरीका नहीं होता। मैं 40 साल से ज्यादा विपक्ष में रहा हूं, मुझसे ट्यूशन ले लीजिए। अभी आपको 10 ही साल हुए हैं, अभी 30-40 साल और विपक्ष में ही रहना है। नड्डा ने सदन में गतिरोध को लेकर विपक्ष की तरफ से अरुण जेटली की बात का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इसके बहुत से तरीके हैं। मुझसे ट्यूशन लोगे तो मैं बताऊंगा।

मार्शल के तौर पर सुरक्षाकर्मी आते हैं-नड्डा

जेपी नड्डा ने कहा कि लोकतंत्र में यदि आप लाठी भांज रहे हैं और आपकी लाठी मेरी नाक को लग जाती है तब आपका लोकतंत्र खत्म हो जाता है। नड्डा ने कहा कि जो भी व्यक्ति सदन में सभापति के आदेश पर सदन को संचालित करने में मदद करता है तो वह मार्शल है, न कि किसी पैरामिलिट्री फोर्स के सदस्य।

सिर्फ मार्शल ही यहां थे-रिजिजु

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में कहा, मैं एक बात साफ करना चाहूंगा। विपक्ष के नेता बहुत वरिष्ठ नेता हैं। मल्लिकार्जुन खरगे ने सवाल उठाया था, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि सदन में सेना के लोग लाए गए, सीआईएसएफ के जवान लाए गए और दिल्ली पुलिस को लाया गया। यह रिकॉर्ड में साफ है कि सिर्फ मार्शल ही सदन में प्रवेश कर सकते हैं। उस दिन सिर्फ मार्शल ही यहां थे। इसलिए, विपक्ष के नेता ने गुमराह किया और यहां झूठे तथ्य पेश किए। उन्होंने आपको भी लिखा है। जब विपक्ष के नेता सभापति को झूठा पत्र लिखते हैं और झूठे तथ्य पेश करते हैं, तो क्या कार्रवाई होनी चाहिए?

कान खोलकर सुन लें...' ट्रंप के दावों पर बिफरे विदेश मंत्री एस जयशंकर

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लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी बुधवार को ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्ष के सवालों का जवाब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिया। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने राज्यसभा में विपक्ष के तमाम सवालों और आरोपों का सिलसिलेवार और तीखा जवाब दिया। ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा, मैं उनको कहना चाहता हूं, कान खोलके सुन लें, 22 अप्रैल से 16 जून तक, एक भी फोन कॉल राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच में नहीं हुआ।

विपक्ष को जयशंकर की दो टूक

ऑपरेशन सिंदूर पर भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने बुधवार को राज्यसभा में सरकार का पक्ष रखा। अमेरिकी राष्ट्रपति के संघर्ष विराम के दावों पर सरकार से स्पष्टीकरण को लेकर विपक्ष के हंगामे के बीच एस जयशंकर ने कहा कि मैं उनको कहना चाहता हूं, वे कान खोलकर सुन लें। 22 अप्रैल से 16 जून तक राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम मोदी के बीच एक बार भी फोन पर बात नहीं हुई।जयशंकर ने कहा कि हमारी राष्ट्रीय नीति है कि कोई भी बातचीत द्विपक्षीय होनी चाहिए। पाकिस्तान के डीजीएमओ की तरफ से संघर्ष विराम का अनुरोध किया गया था।

कोई भी समझौता द्विपक्षीय तौर पर ही होगा-जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि 'जब ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ तो कई देश यह जानना चाहते थे कि स्थिति कितनी गंभीर है और ये हालात कब तक चलेंगे, लेकिन हमने सभी को एक ही संदेश दिया कि हम किसी भी मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं हैं। हमारे और पाकिस्तान के बीच कोई भी समझौता द्विपक्षीय तौर पर ही होगा। हम पाकिस्तानी हमले का जवाब दे रहे हैं, और देते रहेंगे। अगर यह लड़ाई रुकनी है, तो पाकिस्तान को इसका अनुरोध करना होगा और यह अनुरोध केवल डीजीएमओ के माध्यम से ही आ सकता है।

सेना का श्रेय किसी और को देना उनका अपमान-जयशंकर

जयशंकर ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) द्वारा 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना ने नूर खान एयरबेस समेत कई आतंकी ठिकानों पर सफल हमले किए। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि सेना का श्रेय किसी और को देना उनका अपमान है। भारतीय सेना ने अकेले दम पर आतंकियों का सफाया किया है।

खून-पानी एक साथ नहीं बहेगा... सिंधु जल समझौते स्थगित करने पर राज्यसभा में जयशंकर की दो टूक

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संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर गरमा-गर्म बहस जारी है।संसद में मानसून सत्र का आज आंठवा दिन है। ऑपरेशन सिंदूर को लेकर लोकसभा में बहस पूरी हो चुकी है, तो वहीं राज्यसभा में अभी भी बहस जारी है। बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चर्चा में शामिल होते हुए विपक्ष पर हमला बोला। ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि हमने सिंधु जल संधि को सस्पेंड किया। ये कदम इसलिए उठाया क्योंकि पाकिस्तान आतंकी घटनाओं पर लगाम लगाता नहीं दिख रहा।

राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान, विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने सिंधु जल संधि पर कांग्रेस को जबरदस्त घेरा। उन्होंने कहा, सिंधु जल संधि कई मायनों में एक अनूठा समझौता है। मैं दुनिया में ऐसे किसी भी समझौते के बारे में नहीं सोच सकता जहां किसी देश ने अपनी प्रमुख नदियों को उस नदी पर अधिकार के बिना दूसरे देश में बहने दिया हो। इसलिए यह एक असाधारण समझौता था और, जब हमने इसे स्थगित कर दिया है, तो इस घटना के इतिहास को याद करना महत्वपूर्ण है। कल मैंने लोगों को सुना, कुछ लोग इतिहास से असहज हैं। वे चाहते हैं कि ऐतिहासिक चीजों को भुला दिया जाए। शायद यह उन्हें शोभा नहीं देता, वे केवल कुछ चीजों को याद रखना पसंद करते हैं।

कांग्रेस पर करारा अटैक

जयशंकर ने विपक्ष पर करारा अटैक करते हुए कहा कि, उन्होंने कहा कि उनको फिक्र थी पाकिस्तानी किसानों की थी, हमें फिक्र हैं हिमाचल-राजस्थान के किसानों की। सिंधु जल समझौता शांति की कीमत थी नहीं ये तुष्टीकरण की कीमत थी। इसी के साथ जयशंकर ने तत्कालिन कांग्रेस सरकार पर बड़ा हमला किया।

मोदी सरकार का आतंकवाद पर सख्त एक्शन

विदेश मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने आतंकवाद पर सख्त एक्शन का फैसला लिया। पहलगाम हमले के बाद हमने कहा कि खून और पानी साथ नहीं बह सकता। हमने पाकिस्तान को स्पष्ट कर दिया। हमने ऑपरेशन सिंदूर में लक्ष्य को हासिल किया। आधे घंटे के एक्शन में हमने पाकिस्तान और पीओजेके में आतंकी संगठनों को निशाना बनाया। हमारे टारगेट में आम लोग नहीं थे।

हमने आतंकवादी को ग्लोबल एजेंडा बनाया-जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पिछले दशक से पीएम मोदी के सरकार ने आतंकवाद को लेकर कई सारी चीजें बदली हैं। हमलोगों ने आतंकवादी को ग्लोबल एजेंडा बनाया है। इस तरह से हम कहसकते हैं कि अगर आज आतंकवाद के बारे में विश्व के किसी भी मंच पर चर्चा करते हैं तो वह पीएम मोदी की वजह से मुमकिन हो सका है। हम लोगों ने मसूद अजहर और अब्दुल रहमान मक्की जैसे खतरनाक आतंकवादियों को यूनाईटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल में रखने में कामयाब रहे हैं।

कमल हासन ने की नई सियासी पारी की शुरूआत, भाषा विवाद के बीच तमिल में ली राज्यसभा सांसद की शपथ

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एक्टिंग की दुनिया से राजनीति में आए कमल हासन ने आज राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ लिया। इस मौके पर डीएमके के भी 3 सांसदों राजाथी, एस.आर. शिवलिंगम और पी. विल्सन ने शपथ ली। सुबह 11 बजे बैठक शुरू होने पर मक्कल निधि मय्यम (एमएनएम) प्रमुख कमल हासन तथा द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) की राजाथी, एस आर शिवलिंगम और पी विल्सन को उच्च सदन की सदस्यता की शपथ दिलाई गई। भाषा विवाद के बीच इन सभी ने तमिल में शपथ ली।

2018 में अपनी पार्टी शुरू करने के बाद यह उनका संसद में पहला आधिकारिक रोल है। कमल हासन की राज्यसभा में एंट्री तमिलनाडु में सियासी समीकरणों का हिस्सा मानी जा रही है। उनकी पार्टी एमएनएम ने 2024 के लोकसभा चुनाव में डीएमके की अगुवाई वाले सेकुलर प्रोग्रेसिव अलायंस का साथ दिया था। इस गठबंधन ने तमिलनाडु की सभी 39 सीटों पर जीत हासिल की थी।

समर्थन के बदले डीएमके ने दिया राज्यसभा का मौका

बता दें कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव में कमल हासन की पार्टी ने डीएमके का समर्थन किया था। इसी समर्थन के बदले अब कमल हासन को डीएमके की तरफ से राज्यसभा सीट दी गई है। आधिकारिक तौर पर कमल हासन की पार्टी और डीएमके के बीच गठबंधन हुआ है। उम्मीद जताई जा रही है कि साल 2026 में तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव में डीएमके और एमएनएम साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे।

69 वर्षीय कमल हासन ने 2017 में अपनी पार्टी की स्थापना की थी। कमल हासन की मक्कल निधि मय्यम पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में लगभग 4 प्रतिशत वोट हासिल किए। वहीं, 2021 में तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में भी उतरे। कमल हासन कोयंबटूर दक्षिण सीट पर बीजेपी की वनाथी श्रीनिवासन से मामूली वोटों से हारे थे, लेकिन तमिलनाडु की सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) और हासन की एमएनएम के बीच लोकसभा चुनाव 2024 के समय हुए समझौते के तहत हासन को डीएमके कोटे से राज्यसभा में 1 सीट दी गई है। डीएमके ने 3 सीटों में एक के लिए हासन का नाम 28 मई को घोषित किया था।

राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए 4 सदस्यों को नॉमिनेट किया, कसाब को फांसी दिलाने वाले उज्‍ज्‍वल निकम भी मनोनीत

#the_president_of_india_nominated_four_new_members_for_the_rajya_sabha 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए चार नए सदस्यों को मनोनीत किया है। ये हैं उज्ज्वल देवराव निकम, सी. सदानंदन मास्टे, हर्षवर्धन श्रृंगला और मीनाक्षी जैन। उज्ज्वल निकम एक मशहूर वकील हैं। सी. सदानंदन मास्टे केरल के समाजसेवी और शिक्षाविद हैं। हर्षवर्धन श्रृंगला भारत के पूर्व विदेश सचिव हैं। मीनाक्षी जैन एक प्रसिद्ध इतिहासकार और शिक्षाविद हैं। गृह मंत्रालय की ओर से यह अधिसूचना कल शनिवार को जारी की गई थी।

राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए इन चारों को राज्‍यसभा के लिए नॉमिनेट किया है। बता दें कि ये नामांकन भारत के राष्‍ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत किए गए हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80(3) के तहत, राष्ट्रपति को राज्यसभा में 12 सदस्यों को नॉमिनेट करने का अधिकार है। ये सदस्य कला, साहित्य, विज्ञान, सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों में विशेष योगदान के लिए चुने जाते हैं। वर्तमान में राज्यसभा की कुल सदस्य संख्या 245 है, जिसमें 233 निर्वाचित और 12 नामांकित सदस्य शामिल हैं।

जानें मनोनित सदस्यों के बारे मेः

उज्‍ज्‍वल निकम

उज्ज्वल निकम का जन्म 30 मार्च 1953 को महाराष्ट्र के जलगांव में वकील देवराव माधवराव निकम और प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी विमलादेवी के घर हुआ था। उन्‍होंने साइंस में ग्रैजुएशन की डिग्री ली और जलगांव के एसएस मनियार लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री प्राप्त की। उज्ज्वल निकम कुछ प्रसिद्ध अदालती मामलों में एक प्रमुख व्यक्ति रहे हैं। साल 1991 में उन्होंने कल्याण बम विस्फोट के लिए रविंदर सिंह को दोषी ठहराने में प्रमुख भूमिका निभाई। उनके करियर ने 1993 में एक बड़ा मोड़ लिया जब वे मुंबई सीरियल बम विस्फोट मामले में सरकारी वकील बने। उज्ज्वल निकम 26/11 के हमलों के बाद पकड़े गए एकमात्र पाकिस्‍तानी आतंकवादी अजमल कसाब के मुकदमे में सरकारी वकील थे। उन्होंने कसाब की मौत की सजा के लिए सफलतापूर्वक बहस की और उसे फांसी के फंदे तक पहुंचाया।

हर्षवर्धन श्रृंगला

संसद के ऊपरी सदन जाने वाले हर्षवर्धन श्रृंगला वरिष्ठ राजनयिक रहे हैं और वह 1984 के भारतीय विदेश सेवा (IFS) के अधिकारी हैं। अपने 35 साल के लंबे करियर में हर्षवर्धन ने राजधानी नई दिल्ली समेत विदेश में कई अहम पदों पर काम किया है। वह अमेरिका में भारत के राजदूत (2019) रहे। इससे पहले वह बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त और थाईलैंड में भारत के राजदूत के रूप में भी रहे। इसके अलावा उन्होंने फ्रांस (यूनेस्को); अमेरिका (संयुक्त राष्ट्र, न्यूयॉर्क); वियतनाम (हनोई और हो ची मिन्ह सिटी); इजराइल और दक्षिण अफ्रीका (डरबन) में भी काम किया है। हर्षवर्धन ने विदेश मंत्रालय संयुक्त सचिव (महानिदेशक) के रूप में काम किया था, जहां उनके पास बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार और मालदीव के लिए जिम्मेदारी थी।

अमेरिका में राजदूत के रूप में काम करने बाद में हर्षवर्धन श्रृंगला 29 जनवरी 2020 में विदेश मंत्रालय के 33वें विदेश सचिव बनाए गए।

मीनाक्षी जैन 

राज्यसभा के लिए मनोनीत होने वाली डॉ मीनाक्षी जैन मध्यकालीन और औपनिवेशिक भारत की एक प्रसिद्ध इतिहासकार हैं। वह दिल्ली यूनिवर्सिटी के गार्गी कॉलेज में इतिहास की पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर, नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी की पूर्व फेलो और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की शासी परिषद की पूर्व सदस्य हैं। वह वर्तमान में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद की सीनियर फेलो हैं। उनकी गहन शोध वाली पुस्तक लगातार चर्चा में रही है। उन्होंने फ़्लाइट ऑफ़ डेइटीज़ एंड रीबर्थ ऑफ़ टेम्पल्स और द बैटल फ़ॉर राम: केस ऑफ़ द टेम्पल एट अयोध्या सहित कई पुस्तकें लिखी हैं। साहित्य और शिक्षा में उनके योगदान के लिए उन्हें 2020 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

सी. सदानंदन मास्टर

राज्यसभा के लिए मनोनीत होने वाले सी सदानंदन मास्टर भी प्रख्यात शिक्षाविद हैं। वो केरल से जुड़े हुए हैं। सदानंदन मास्टर केरल के एक वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद्, जिन्हें समाज और शिक्षा के क्षेत्र में उनके दीर्घकालिक योगदान के लिए जाना जाता है। 

केरल के भाजपा सदस्य और शिक्षक सी सदानंदन मास्टर को पार्टी ने 2021 के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया था। सदानंदन को राजनीतिक हिंसा का भी शिकार होना पड़ा है। 25 जनवरी 1994 को माकपा कार्यकर्ताओं ने उनके पैतृक गांव पेरिंचरी के पास उनके दोनों पैर काट दिए थे।

कमल हसन जाएंगे राज्यसभा? क्या तमिल-कन्नड़ विवाद के बीच डीएमके निभाएगी वादा

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तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक ने बुधवार को घोषणा की कि वह 19 जून को होने वाले द्विवार्षिक राज्यसभा चुनाव में राज्य की छह सीट में से चार पर चुनाव लड़ेगी। डीएमके ने एक सीट सहयोगी कमल हासन की पार्टी मक्कल निधि मय्यम (एमएनएम) को आवंटित की है। सूत्रों के मुताबिक, एमएनएम यानी मक्कल निधि मय्यम में कमल हासन को राज्यसभा का सदस्य चुनने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया है। कमल हसन के राज्यसभा जानें की अटकले तब उठ रही हैं, जब कमल हासन एक राजनीतिक विवाद में फंस गए हैं। बेंगलुरु में अपनी आने वाली फिल्म ‘ठग लाइफ’ के प्रचार के दौरान अभिनेता कमल हासन द्वारा की गई एक टिप्पणी पर विवाद खड़ा हो गया है।

द्रमुक ने तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और एक सीट सहयोगी अभिनेता-राजनेता कमल हासन के नेतृत्व वाली मक्कल निधि मय्यम को दी। द्रविड़ पार्टी ने उच्च सदन में अपने मौजूदा सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता पी. विल्सन को फिर से नामित किया। इसके अलावा सलेम के नेता एसआर शिवलिंगम को भी पार्टी ने उम्मीदवार बनाया। इसके साथ ही कवि, लेखक और पार्टी पदाधिकारी रुकय्या मलिक उर्फ कविगनर सलमा को भी टिकट दिया गया। डीएमके की मानें तो चुनावी समझौते के तहत गठबंधन के जरिए कमल हासन को राज्यसभा चुनाव के लिए मैदान में उतारा जाएगा

द्रमुक और एमएनएम में क्या है डील?

2024 के लोकसभा चुनावों से पहले तमिलनाडु में डीएमके के नेतृत्व वाले गठबंधन में मक्कल निधि मैयम के औपचारिक रूप से शामिल होने के बाद कमल हासन को या तो एक लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने या चुनाव के बाद राज्यसभा की सीट का विकल्प दिया गया था। हालांकि, 70 वर्षीय कमल हासन ने लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था।

तमिलनाडु की छह राज्यसभा सीटों के लिए 19 जून को चुनाव

तमिलनाडु की छह राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव 19 जून को होगा। मौजूदा सदस्यों में अंबुमणि रामदास (PMK), एन. चंद्रशेखरन (AIADMK), मोहम्मद अब्दुल्ला (DMK), एम. षणमुगम (DML), पी. विल्सन (DMK) और वाइको (MDMK) शामिल हैं, जिनका कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। हालांकि, इन चुनावों से राज्यसभा की संख्या में कोई बड़ा बदलाव होने संभावना नहीं है। चुनाव आयोग ने बताया है कि राज्यसभा चुनाव की अधिसूचना 2 जून को जारी की जाएगी और मतगणना भी उसी दिन होगी।

तमिलनाडु में खाली हो रही छह सीटों का गणित

नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख 9 जून है। यदि नामांकन पत्र दाखिल करने वालों की संख्या खाली होने वाली सीट की संख्या के बराबर होगी तो परिणाम उसी दिन घोषित किए जा सकते हैं। तमिलनाडु में खाली हो रही छह सीट में से तीन DMK और एक गठबंधन सहयोगी MDMK के पास है। इसके अलावा, दो अन्य सीटें AIDMK और उसके गठबंधन सहयोगी PMK के पास हैं।

लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी पास हुआ वक्फ संशोधन बिल, 13 घंटे चले मंथन के बाद पक्ष में पड़े 128 वोट

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लोकसभा के बाद वक्फ संशोधन विधेयक राज्यसभा से पास हो गया है। बिल के पक्ष में 128 तो विपक्ष में 95 वोट पड़े।वक्फ संशोधन विधेयक पर 13 घंटे से भी अधिक समय तक चली चर्चा के बाद बृहस्पतिवार देर रात ढाई बजे के बाद राज्यसभा ने भी अपनी मुहर लगा दी। राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पर फैसला ध्वनि मत से नहीं, बल्कि मत-विभाजन से किया गया। इससे पहले, लोकसभा ने बुधवार रात करीब 1.56 बजे वक्फ संशोधन विधेयक बहुमत से पारित कर दिया था। विधेयक के पक्ष में 288, जबकि विरोध में 232 मत पड़े। विधेयक पर लोकसभा में 12 घंटे से अधिक समय तक चर्चा हुई थी। विधेयक अब हस्ताक्षर के लिए राष्ट्रपति के पास जाएगा और सरकार की ओर से अधिसूचित होते ही कानून का रूप ले लेगा।

राज्यसभा में 13 घंटे से ज्यादा समय तक चली बहस के बाद वक्फ संशोधन विधेयक, 2025 को मंजूरी मिल गई। विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद नंबर गेम में मोदी सरकार जीत गई। राज्यसभा में कार्यवाही के दौरान विपक्ष ने वक्फ बिल पर कड़ा विरोध जताया। विपक्षी दलों ने इस विधेयक को मुस्लिम विरोधी और असंवैधानिक बताया। वहीं सरकार ने जवाब दिया कि यह ऐतिहासिक सुधार अल्पसंख्यक समुदाय के लिए फायदेमंद होगा।

राज्यसभा में वक्फ बिल पर चर्चा में भाग लेते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर मुस्लिम समुदाय को विधेयक से डराने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र के साथ सभी के लिए काम करती है। रिजिजू ने कहा कि वक्फ बोर्ड एक वैधानिक निकाय है। ऐसे में सभी सरकारी निकायों की तरह यह धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड में कुछ गैर-मुस्लिमों को शामिल करने से बोर्ड के फैसलों में कोई बदलाव नहीं आएगा। बल्कि इससे मूल्य में इजाफा ही होगा।

आपको वक्फ में कलेक्टर को रखने पर आपत्ति थी, तो...

किरेन रिजिजू ने विपक्ष के उठाए मुद्दों का सिलसिलेवार जवाब दिया। उन्होंने विपक्ष के इस दावे को गलत बताया कि राष्ट्रीय वक्फ काउंसिल में गैर मुस्लिमों का बहुमत होगा। रिजिजू ने कहा, 20 सदस्यीय बॉडी में पदेन अध्यक्ष समेत चार से अधिक गैर मुस्लिम सदस्य हो ही नहीं सकते। इसी प्रकार 11 सदस्यीय राज्य बॉडी में 3 से अधिक गैर मुस्लिम नहीं होंगे।साथ ही उन्होंने कहा कि जेपीसी में विपक्ष की आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए इसे पूर्व प्रभाव से लागू नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि हर जिले में जो भी जमीनी विवाद होता है, उसे कलेक्टर देखता है। आपको वक्फ में कलेक्टर को रखने पर आपत्ति थी, इसलिए हमने उससे ऊपर के अफसर को रखा है।

सभी के सुझाव को ध्यान में रखा गया- रिजिजू

केंद्रीय मंत्री ने कहा, अधिकांश सदस्यों ने आरोप लगाया कि जेपीसी या सरकार ने कानून पर उनके सुझाव नहीं माने। सरकार किसी की नहीं सुनती। यह आरोप पूरी तरह गलत है। हम सुझाव नहीं मानते तो इस विधेयक का जो मूल मसौदा आया था और जो विधेयक आज पेश हुआ है उसमें इतना बदलाव नहीं होता। विधायक में बड़े पैमाने पर बदलाव है और यह सदस्यों के सुझाव के सुझाव पर ही हुआ है। रिजिजू ने कहा, पहले से रजिस्टर संपत्तियों में छेड़छाड़ नहीं हो सकती यह संशोधन जेपीसी में विपक्ष के सुझाव पर ही शामिल किया गया। इसी प्रकार गैर रजिस्टर्ड वक्फ ट्रस्टों के लिए छह महीने की समय सीमा को भी विपक्ष के सुझाव पर बढ़ाया गया। इसके अलावा भी कई संशोधन विपक्ष के सुझाव पर लिए गए।

वक्फ बिल पर बीजेडी का यू-टर्न, अंतर्आत्मा की आवाज सुनने की अपील, राज्यसभा से बिल पास कराना हुआ आसान

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बीजू जनता दल ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर अपना रुख बदल दिया है। लोकसभा में बिल के पेश किए जाने के बाद बीजेडी ने इसके खिलाफ स्टैंड लिया था। लेकिन बावजूद इसके बिल लोकसभा से पारित हो गया। अब संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा में बिल पर बहस हो रही है। अब बीजेडी ने भी अपना स्टैंड बदल लिया है और पार्टी के सांसदों को अंतर्आत्मा की आवाज सुनने को कहा है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि वोटिंग के लिए कोई व्हिप जारी नहीं किया जाएगा।

राज्यसभा सांसद और बीजेडी के प्रवक्ता डॉ. सस्मित पात्रा ने कहा, "हम वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के संबंध में अल्पसंख्यक समुदायों के विभिन्न वर्गों द्वारा व्यक्त की गई भावनाओं का सम्मान करते हैं। हमारी पार्टी ने राज्य सभा में अपने सदस्यों को यह जिम्मेदारी सौंपी है कि यदि विधेयक मतदान के लिए आता है तो वे न्याय, सद्भाव और सभी समुदायों के अधिकारों के सर्वोत्तम हित में अपने विवेक का प्रयोग करेंगे। कोई पार्टी व्हिप जारी नहीं की गई है।"

इससे पहले पात्रा ने बुधवार को कहा था कि राज्यसभा सदस्य मुजीबुल्ला खान मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करेंगे और विधेयक के संबंध में पार्टी की चिंताओं को सदन में रखेंगे। पात्रा ने कहा कि पार्टी विधेयक से संतुष्ट नहीं है। केंद्र ने संयुक्त संसदीय समिति की समीक्षा के बाद कुछ बिंदुओं में संशोधन किया है।

गौरतलब है कि बीजद ने लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा से पहले इसका विरोध की बात कही थी। हालांकि, अब फैसला बदलने से राज्यसभा में विपक्ष की स्थिति और कमजोर हुई है। दरअसल, राज्यसभा में बीजद के 7 सांसद हैं। पहले इनकी गिनती विपक्ष में होती थी। हालांकि, अब इन सांसदों का रुख तय नहीं है। ऐसे में वक्फ विधेयक पर विपक्ष की ताकत और कमजोर होना तय है।

राज्यसभा में क्या है समर्थन का गणित?

वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में एनडीए के बहुमत की वजह से पास हो गया। हालांकि, इसे चुनौती राज्यसभा में मिलने की संभावना है। राज्यसभा में कुल सांसद 245 हो सकते हैं। हालांकि, मौजूदा समय में सदन में 236 सांसद हैं। वहीं, 9 सीटें खाली हैं। राज्यसभा में कुल 12 सांसद नामित हो सकते हैं, लेकिन इनकी संख्या फिलहाल 6 है। इस लिहाज से राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक को पास कराने के लिए 119 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी।

एनडीए के पास कितना संख्या बल?

राज्यसभा में भी आंकड़ों के लिहाज से एनडीए के पास पूर्ण बहुमत है। दरअसल, राज्यसभा में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है और उसके पास कुल 98 सांसद हैं। इसके अलावा लोकसभा की तरह ही जदयू, तेदेपा, राकांपा व अन्य दलों की तरफ से एनडीए को समर्थन मिला हुआ है। 

राज्यसभा में जो अन्य दल एनडीए के साथ हैं, उनमें उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) का एक सांसद, पत्तली मक्कल काची, तमिल मनिला कांग्रेस (टीएमसी-एम), नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) के एक-एक सांसद, रामदास आठवले की रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई-ए) का एक सांसद और दो निर्दलीय सांसद हैं। 

राज्यसभा में विपक्ष के आंकड़े

दूसरी तरफ राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक के विपक्ष में भी कई पार्टियां जुटी हैं। हालांकि, यह समर्थन विधेयक को रोकने के लिए नाकाफी साबित हो सकता है। राज्यसभा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है। विपक्ष से इसके राज्यसभा में सबसे ज्यादा 27 सांसद हैं। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), आम आदमी पार्टी (आप) और द्रमुक अगली बड़ी पार्टी हैं। 

जो अन्य दल वक्फ संशोधन विधेयक में विपक्ष के साथ हैं उनमें जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी, एआईएडीएमके भी विपक्ष के साथ हैं।

लोकसभा से पास हुआ वक्फ बिल

बता दें कि बुधवार को करीब 12 घंटे की चर्चा के बाद वक्फ बिल लोकसभा से पास हुआ था। बिल के पक्ष में 288 और विरोध में 232 वोट डाले गए थे। गुरुवार को इसे राज्यसभा में पेश किया गया। वक्फ बिल पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर टकराव हुआ है। विपक्ष ने इसे असंवैधानिक बताया है। दूसरी ओर सत्ता पक्ष का आरोप है कि विपक्ष गलत बातें फैला रहा है। टीएमसी सांसद मोहम्मद नदीमुल इस्लाम ने विधेयक को “सांस्कृतिक बर्बरता” कहा और वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की।

Celebrating the Champions of Education: CSC India’s National Teachers Day Awards 2025

Visakhapatnam, September 5, 2025 - the Council for Skills and Competencies (CSC India) hosted its grand National Teachers Day Awards 2025, an inspiring virtual celebration honoring the brilliance and dedication of India’s educators. The event paid tribute to those shaping the future through teaching, research, leadership, and mentorship.

Chief Guest Prof. Dr. D. Rajya Lakshmi, Vice Chancellor of JNTU-GV, delivered a powerful keynote on blending pedagogy with digital innovation, while M. Kumar (C-DAC Hyderabad) and Pavan Chalamalasetti (CEO, Datively Inc.) joined as Guests of Eminence and Honour, highlighting the importance of innovation-driven education.

Celebrating the Champions of Education: CSC India’s National Teachers Day Awards 2025

Visakhapatnam, September 5, 2025 – The Council for Skills and Competencies (CSC India) successfully hosted the National Teachers Day Awards 2025 – Celebrating Excellence in Education through a virtual ceremony. The prestigious event brought together eminent academicians, education leaders, and policymakers from across India to recognize and celebrate outstanding contributions in teaching, leadership, mentorship, research, and student development. 

Distinguished Guests

The ceremony was graced by Prof. Dr. D. Rajya Lakshmi, Vice Chancellor of JNTU-GV, Vizianagaram, who attended as the Chief Guest. In her keynote address, she emphasized the role of technical education in building India’s future and the importance of blending traditional pedagogy with modern technologies to prepare students for the digital era.

The event also featured:

Guest of Eminence: Mr. M. Kumar, Scientist-F / Associate Director, C-DAC Hyderabad

Guest of Honour: Mr. Pavan Chalamalasetti, CEO, Datively Inc.

Both dignitaries stressed innovation, adaptability, and leadership as the cornerstones of excellence in education.

Awards and Recognitions

40 साल से ज्यादा ऑपोजिशन में रहा हूं, विपक्ष को मुझसे ट्यूशन लेने की जरूरत लो, राज्यसभा में नड्डा ने क्यों कही ये बात

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संसद का मानसून सत्र इस बार काफी हंगामेदार रहा है। मंगलवार को भी संसद में जमकर हंगामा देखा गया। राज्यसभा में भी आज खूब हंगामा हुआ। सदन में सीआईएसएफ कर्मियों की मौजूदगी के मुद्दे पर आज राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ। दरअसल सभापति ने इस बात पर आपत्ति जताई कि जब खरगे ने उन्हें सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती को लेकर पत्र लिखा था तो उसे मीडिया में क्यों जारी किया गया। सभापति ने इसे सदन के नियमों का उल्लंघन करार दिया।

दरअसल राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने खरगे के पत्र के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पत्र को मीडिया में जारी करके संसद के जनता को जानकारी देने के अधिकार का उल्लंघन हुआ है। इसके बाद उपसभापति ने कई घटनाओं का जिक्र किया, जब सत्ता पक्ष के लोग सदन में बोल रहे थे और विपक्षी सांसदों ने उनकी सीटों के पास आकर उनके संबोधन बाधित करने का प्रयास किया। सभापति ने कहा कि 'क्या यह लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन नहीं है? उन्होंने कहा कि सदस्यों द्वारा वेल में प्रदर्शन गलत है और यह सदन की परंपरा के खिलाफ है क्योंकि वेल की एक पवित्रता होती है। 

खरगे ने पूछा- क्या हम आतंकवादी हैं

सभापति के बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि जब सदन के नेता महत्वपूर्ण मुद्दे उठा रहे होते हैं तो उस समय सदन में सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती गलत है। उन्होंने उदाहरण दिया कि 'जब अरुण जेटली राज्यसभा में और सुषमा स्वराज लोकसभा में विपक्ष के नेता थे, तो उन्होंने कहा था कि व्यवधान डालना भी लोकतंत्र को मजबूत करने का तरीका है। हम इसी तरह लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करते रहेंगे और ये हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है।' खरगे ने कहा कि ऐसे में अगर मैंने आपको पत्र लिखा और उस बारे में मीडिया में जानकारी दी गई तो उस पर आपको इतनी आपत्ति क्यों है? मैं सभी सदस्यों को सूचित नहीं कर सकता, इसलिए एक प्रेस नोट जारी किया। मुझे बताइए सीआईएसएफ को वेल में तैनात क्यों किया गया? क्या हम आतंकवादी हैं?

अभी 30-40 साल और विपक्ष में ही रहना-नड्डा

खरगे के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी सांसद जेपी नड्डा ने सदन की कार्यवाही में बाधा डालने को लेकर विपक्ष की आलोचना की। जेपी नड्डा ने कहा कि विपक्ष का हंगामा नियमों के खिलाफ है। नड्डा ने सदन की कार्यवाही को लेकर राज्यसभा के उपसभापति के बयान का जिक्र किया। उन्होंने सदन की कार्यवाही में बाधा डालने वाले सांसदों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यहां जब मैं भाषण दे रहा हूं और बगल में कोई आकर नारेबाजी करेगा तो यह लोकतांत्रिक नहीं है। यह सदन में काम करने का तरीका नहीं होता। मैं 40 साल से ज्यादा विपक्ष में रहा हूं, मुझसे ट्यूशन ले लीजिए। अभी आपको 10 ही साल हुए हैं, अभी 30-40 साल और विपक्ष में ही रहना है। नड्डा ने सदन में गतिरोध को लेकर विपक्ष की तरफ से अरुण जेटली की बात का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इसके बहुत से तरीके हैं। मुझसे ट्यूशन लोगे तो मैं बताऊंगा।

मार्शल के तौर पर सुरक्षाकर्मी आते हैं-नड्डा

जेपी नड्डा ने कहा कि लोकतंत्र में यदि आप लाठी भांज रहे हैं और आपकी लाठी मेरी नाक को लग जाती है तब आपका लोकतंत्र खत्म हो जाता है। नड्डा ने कहा कि जो भी व्यक्ति सदन में सभापति के आदेश पर सदन को संचालित करने में मदद करता है तो वह मार्शल है, न कि किसी पैरामिलिट्री फोर्स के सदस्य।

सिर्फ मार्शल ही यहां थे-रिजिजु

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में कहा, मैं एक बात साफ करना चाहूंगा। विपक्ष के नेता बहुत वरिष्ठ नेता हैं। मल्लिकार्जुन खरगे ने सवाल उठाया था, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि सदन में सेना के लोग लाए गए, सीआईएसएफ के जवान लाए गए और दिल्ली पुलिस को लाया गया। यह रिकॉर्ड में साफ है कि सिर्फ मार्शल ही सदन में प्रवेश कर सकते हैं। उस दिन सिर्फ मार्शल ही यहां थे। इसलिए, विपक्ष के नेता ने गुमराह किया और यहां झूठे तथ्य पेश किए। उन्होंने आपको भी लिखा है। जब विपक्ष के नेता सभापति को झूठा पत्र लिखते हैं और झूठे तथ्य पेश करते हैं, तो क्या कार्रवाई होनी चाहिए?

कान खोलकर सुन लें...' ट्रंप के दावों पर बिफरे विदेश मंत्री एस जयशंकर

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लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी बुधवार को ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्ष के सवालों का जवाब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिया। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने राज्यसभा में विपक्ष के तमाम सवालों और आरोपों का सिलसिलेवार और तीखा जवाब दिया। ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा, मैं उनको कहना चाहता हूं, कान खोलके सुन लें, 22 अप्रैल से 16 जून तक, एक भी फोन कॉल राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच में नहीं हुआ।

विपक्ष को जयशंकर की दो टूक

ऑपरेशन सिंदूर पर भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने बुधवार को राज्यसभा में सरकार का पक्ष रखा। अमेरिकी राष्ट्रपति के संघर्ष विराम के दावों पर सरकार से स्पष्टीकरण को लेकर विपक्ष के हंगामे के बीच एस जयशंकर ने कहा कि मैं उनको कहना चाहता हूं, वे कान खोलकर सुन लें। 22 अप्रैल से 16 जून तक राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम मोदी के बीच एक बार भी फोन पर बात नहीं हुई।जयशंकर ने कहा कि हमारी राष्ट्रीय नीति है कि कोई भी बातचीत द्विपक्षीय होनी चाहिए। पाकिस्तान के डीजीएमओ की तरफ से संघर्ष विराम का अनुरोध किया गया था।

कोई भी समझौता द्विपक्षीय तौर पर ही होगा-जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि 'जब ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ तो कई देश यह जानना चाहते थे कि स्थिति कितनी गंभीर है और ये हालात कब तक चलेंगे, लेकिन हमने सभी को एक ही संदेश दिया कि हम किसी भी मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं हैं। हमारे और पाकिस्तान के बीच कोई भी समझौता द्विपक्षीय तौर पर ही होगा। हम पाकिस्तानी हमले का जवाब दे रहे हैं, और देते रहेंगे। अगर यह लड़ाई रुकनी है, तो पाकिस्तान को इसका अनुरोध करना होगा और यह अनुरोध केवल डीजीएमओ के माध्यम से ही आ सकता है।

सेना का श्रेय किसी और को देना उनका अपमान-जयशंकर

जयशंकर ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) द्वारा 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना ने नूर खान एयरबेस समेत कई आतंकी ठिकानों पर सफल हमले किए। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि सेना का श्रेय किसी और को देना उनका अपमान है। भारतीय सेना ने अकेले दम पर आतंकियों का सफाया किया है।

खून-पानी एक साथ नहीं बहेगा... सिंधु जल समझौते स्थगित करने पर राज्यसभा में जयशंकर की दो टूक

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संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर गरमा-गर्म बहस जारी है।संसद में मानसून सत्र का आज आंठवा दिन है। ऑपरेशन सिंदूर को लेकर लोकसभा में बहस पूरी हो चुकी है, तो वहीं राज्यसभा में अभी भी बहस जारी है। बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चर्चा में शामिल होते हुए विपक्ष पर हमला बोला। ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि हमने सिंधु जल संधि को सस्पेंड किया। ये कदम इसलिए उठाया क्योंकि पाकिस्तान आतंकी घटनाओं पर लगाम लगाता नहीं दिख रहा।

राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान, विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने सिंधु जल संधि पर कांग्रेस को जबरदस्त घेरा। उन्होंने कहा, सिंधु जल संधि कई मायनों में एक अनूठा समझौता है। मैं दुनिया में ऐसे किसी भी समझौते के बारे में नहीं सोच सकता जहां किसी देश ने अपनी प्रमुख नदियों को उस नदी पर अधिकार के बिना दूसरे देश में बहने दिया हो। इसलिए यह एक असाधारण समझौता था और, जब हमने इसे स्थगित कर दिया है, तो इस घटना के इतिहास को याद करना महत्वपूर्ण है। कल मैंने लोगों को सुना, कुछ लोग इतिहास से असहज हैं। वे चाहते हैं कि ऐतिहासिक चीजों को भुला दिया जाए। शायद यह उन्हें शोभा नहीं देता, वे केवल कुछ चीजों को याद रखना पसंद करते हैं।

कांग्रेस पर करारा अटैक

जयशंकर ने विपक्ष पर करारा अटैक करते हुए कहा कि, उन्होंने कहा कि उनको फिक्र थी पाकिस्तानी किसानों की थी, हमें फिक्र हैं हिमाचल-राजस्थान के किसानों की। सिंधु जल समझौता शांति की कीमत थी नहीं ये तुष्टीकरण की कीमत थी। इसी के साथ जयशंकर ने तत्कालिन कांग्रेस सरकार पर बड़ा हमला किया।

मोदी सरकार का आतंकवाद पर सख्त एक्शन

विदेश मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने आतंकवाद पर सख्त एक्शन का फैसला लिया। पहलगाम हमले के बाद हमने कहा कि खून और पानी साथ नहीं बह सकता। हमने पाकिस्तान को स्पष्ट कर दिया। हमने ऑपरेशन सिंदूर में लक्ष्य को हासिल किया। आधे घंटे के एक्शन में हमने पाकिस्तान और पीओजेके में आतंकी संगठनों को निशाना बनाया। हमारे टारगेट में आम लोग नहीं थे।

हमने आतंकवादी को ग्लोबल एजेंडा बनाया-जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पिछले दशक से पीएम मोदी के सरकार ने आतंकवाद को लेकर कई सारी चीजें बदली हैं। हमलोगों ने आतंकवादी को ग्लोबल एजेंडा बनाया है। इस तरह से हम कहसकते हैं कि अगर आज आतंकवाद के बारे में विश्व के किसी भी मंच पर चर्चा करते हैं तो वह पीएम मोदी की वजह से मुमकिन हो सका है। हम लोगों ने मसूद अजहर और अब्दुल रहमान मक्की जैसे खतरनाक आतंकवादियों को यूनाईटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल में रखने में कामयाब रहे हैं।

कमल हासन ने की नई सियासी पारी की शुरूआत, भाषा विवाद के बीच तमिल में ली राज्यसभा सांसद की शपथ

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एक्टिंग की दुनिया से राजनीति में आए कमल हासन ने आज राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ लिया। इस मौके पर डीएमके के भी 3 सांसदों राजाथी, एस.आर. शिवलिंगम और पी. विल्सन ने शपथ ली। सुबह 11 बजे बैठक शुरू होने पर मक्कल निधि मय्यम (एमएनएम) प्रमुख कमल हासन तथा द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) की राजाथी, एस आर शिवलिंगम और पी विल्सन को उच्च सदन की सदस्यता की शपथ दिलाई गई। भाषा विवाद के बीच इन सभी ने तमिल में शपथ ली।

2018 में अपनी पार्टी शुरू करने के बाद यह उनका संसद में पहला आधिकारिक रोल है। कमल हासन की राज्यसभा में एंट्री तमिलनाडु में सियासी समीकरणों का हिस्सा मानी जा रही है। उनकी पार्टी एमएनएम ने 2024 के लोकसभा चुनाव में डीएमके की अगुवाई वाले सेकुलर प्रोग्रेसिव अलायंस का साथ दिया था। इस गठबंधन ने तमिलनाडु की सभी 39 सीटों पर जीत हासिल की थी।

समर्थन के बदले डीएमके ने दिया राज्यसभा का मौका

बता दें कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव में कमल हासन की पार्टी ने डीएमके का समर्थन किया था। इसी समर्थन के बदले अब कमल हासन को डीएमके की तरफ से राज्यसभा सीट दी गई है। आधिकारिक तौर पर कमल हासन की पार्टी और डीएमके के बीच गठबंधन हुआ है। उम्मीद जताई जा रही है कि साल 2026 में तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव में डीएमके और एमएनएम साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे।

69 वर्षीय कमल हासन ने 2017 में अपनी पार्टी की स्थापना की थी। कमल हासन की मक्कल निधि मय्यम पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में लगभग 4 प्रतिशत वोट हासिल किए। वहीं, 2021 में तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में भी उतरे। कमल हासन कोयंबटूर दक्षिण सीट पर बीजेपी की वनाथी श्रीनिवासन से मामूली वोटों से हारे थे, लेकिन तमिलनाडु की सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) और हासन की एमएनएम के बीच लोकसभा चुनाव 2024 के समय हुए समझौते के तहत हासन को डीएमके कोटे से राज्यसभा में 1 सीट दी गई है। डीएमके ने 3 सीटों में एक के लिए हासन का नाम 28 मई को घोषित किया था।

राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए 4 सदस्यों को नॉमिनेट किया, कसाब को फांसी दिलाने वाले उज्‍ज्‍वल निकम भी मनोनीत

#the_president_of_india_nominated_four_new_members_for_the_rajya_sabha 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए चार नए सदस्यों को मनोनीत किया है। ये हैं उज्ज्वल देवराव निकम, सी. सदानंदन मास्टे, हर्षवर्धन श्रृंगला और मीनाक्षी जैन। उज्ज्वल निकम एक मशहूर वकील हैं। सी. सदानंदन मास्टे केरल के समाजसेवी और शिक्षाविद हैं। हर्षवर्धन श्रृंगला भारत के पूर्व विदेश सचिव हैं। मीनाक्षी जैन एक प्रसिद्ध इतिहासकार और शिक्षाविद हैं। गृह मंत्रालय की ओर से यह अधिसूचना कल शनिवार को जारी की गई थी।

राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए इन चारों को राज्‍यसभा के लिए नॉमिनेट किया है। बता दें कि ये नामांकन भारत के राष्‍ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत किए गए हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80(3) के तहत, राष्ट्रपति को राज्यसभा में 12 सदस्यों को नॉमिनेट करने का अधिकार है। ये सदस्य कला, साहित्य, विज्ञान, सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों में विशेष योगदान के लिए चुने जाते हैं। वर्तमान में राज्यसभा की कुल सदस्य संख्या 245 है, जिसमें 233 निर्वाचित और 12 नामांकित सदस्य शामिल हैं।

जानें मनोनित सदस्यों के बारे मेः

उज्‍ज्‍वल निकम

उज्ज्वल निकम का जन्म 30 मार्च 1953 को महाराष्ट्र के जलगांव में वकील देवराव माधवराव निकम और प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी विमलादेवी के घर हुआ था। उन्‍होंने साइंस में ग्रैजुएशन की डिग्री ली और जलगांव के एसएस मनियार लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री प्राप्त की। उज्ज्वल निकम कुछ प्रसिद्ध अदालती मामलों में एक प्रमुख व्यक्ति रहे हैं। साल 1991 में उन्होंने कल्याण बम विस्फोट के लिए रविंदर सिंह को दोषी ठहराने में प्रमुख भूमिका निभाई। उनके करियर ने 1993 में एक बड़ा मोड़ लिया जब वे मुंबई सीरियल बम विस्फोट मामले में सरकारी वकील बने। उज्ज्वल निकम 26/11 के हमलों के बाद पकड़े गए एकमात्र पाकिस्‍तानी आतंकवादी अजमल कसाब के मुकदमे में सरकारी वकील थे। उन्होंने कसाब की मौत की सजा के लिए सफलतापूर्वक बहस की और उसे फांसी के फंदे तक पहुंचाया।

हर्षवर्धन श्रृंगला

संसद के ऊपरी सदन जाने वाले हर्षवर्धन श्रृंगला वरिष्ठ राजनयिक रहे हैं और वह 1984 के भारतीय विदेश सेवा (IFS) के अधिकारी हैं। अपने 35 साल के लंबे करियर में हर्षवर्धन ने राजधानी नई दिल्ली समेत विदेश में कई अहम पदों पर काम किया है। वह अमेरिका में भारत के राजदूत (2019) रहे। इससे पहले वह बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त और थाईलैंड में भारत के राजदूत के रूप में भी रहे। इसके अलावा उन्होंने फ्रांस (यूनेस्को); अमेरिका (संयुक्त राष्ट्र, न्यूयॉर्क); वियतनाम (हनोई और हो ची मिन्ह सिटी); इजराइल और दक्षिण अफ्रीका (डरबन) में भी काम किया है। हर्षवर्धन ने विदेश मंत्रालय संयुक्त सचिव (महानिदेशक) के रूप में काम किया था, जहां उनके पास बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार और मालदीव के लिए जिम्मेदारी थी।

अमेरिका में राजदूत के रूप में काम करने बाद में हर्षवर्धन श्रृंगला 29 जनवरी 2020 में विदेश मंत्रालय के 33वें विदेश सचिव बनाए गए।

मीनाक्षी जैन 

राज्यसभा के लिए मनोनीत होने वाली डॉ मीनाक्षी जैन मध्यकालीन और औपनिवेशिक भारत की एक प्रसिद्ध इतिहासकार हैं। वह दिल्ली यूनिवर्सिटी के गार्गी कॉलेज में इतिहास की पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर, नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी की पूर्व फेलो और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की शासी परिषद की पूर्व सदस्य हैं। वह वर्तमान में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद की सीनियर फेलो हैं। उनकी गहन शोध वाली पुस्तक लगातार चर्चा में रही है। उन्होंने फ़्लाइट ऑफ़ डेइटीज़ एंड रीबर्थ ऑफ़ टेम्पल्स और द बैटल फ़ॉर राम: केस ऑफ़ द टेम्पल एट अयोध्या सहित कई पुस्तकें लिखी हैं। साहित्य और शिक्षा में उनके योगदान के लिए उन्हें 2020 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

सी. सदानंदन मास्टर

राज्यसभा के लिए मनोनीत होने वाले सी सदानंदन मास्टर भी प्रख्यात शिक्षाविद हैं। वो केरल से जुड़े हुए हैं। सदानंदन मास्टर केरल के एक वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद्, जिन्हें समाज और शिक्षा के क्षेत्र में उनके दीर्घकालिक योगदान के लिए जाना जाता है। 

केरल के भाजपा सदस्य और शिक्षक सी सदानंदन मास्टर को पार्टी ने 2021 के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया था। सदानंदन को राजनीतिक हिंसा का भी शिकार होना पड़ा है। 25 जनवरी 1994 को माकपा कार्यकर्ताओं ने उनके पैतृक गांव पेरिंचरी के पास उनके दोनों पैर काट दिए थे।

कमल हसन जाएंगे राज्यसभा? क्या तमिल-कन्नड़ विवाद के बीच डीएमके निभाएगी वादा

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तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक ने बुधवार को घोषणा की कि वह 19 जून को होने वाले द्विवार्षिक राज्यसभा चुनाव में राज्य की छह सीट में से चार पर चुनाव लड़ेगी। डीएमके ने एक सीट सहयोगी कमल हासन की पार्टी मक्कल निधि मय्यम (एमएनएम) को आवंटित की है। सूत्रों के मुताबिक, एमएनएम यानी मक्कल निधि मय्यम में कमल हासन को राज्यसभा का सदस्य चुनने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया है। कमल हसन के राज्यसभा जानें की अटकले तब उठ रही हैं, जब कमल हासन एक राजनीतिक विवाद में फंस गए हैं। बेंगलुरु में अपनी आने वाली फिल्म ‘ठग लाइफ’ के प्रचार के दौरान अभिनेता कमल हासन द्वारा की गई एक टिप्पणी पर विवाद खड़ा हो गया है।

द्रमुक ने तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और एक सीट सहयोगी अभिनेता-राजनेता कमल हासन के नेतृत्व वाली मक्कल निधि मय्यम को दी। द्रविड़ पार्टी ने उच्च सदन में अपने मौजूदा सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता पी. विल्सन को फिर से नामित किया। इसके अलावा सलेम के नेता एसआर शिवलिंगम को भी पार्टी ने उम्मीदवार बनाया। इसके साथ ही कवि, लेखक और पार्टी पदाधिकारी रुकय्या मलिक उर्फ कविगनर सलमा को भी टिकट दिया गया। डीएमके की मानें तो चुनावी समझौते के तहत गठबंधन के जरिए कमल हासन को राज्यसभा चुनाव के लिए मैदान में उतारा जाएगा

द्रमुक और एमएनएम में क्या है डील?

2024 के लोकसभा चुनावों से पहले तमिलनाडु में डीएमके के नेतृत्व वाले गठबंधन में मक्कल निधि मैयम के औपचारिक रूप से शामिल होने के बाद कमल हासन को या तो एक लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने या चुनाव के बाद राज्यसभा की सीट का विकल्प दिया गया था। हालांकि, 70 वर्षीय कमल हासन ने लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था।

तमिलनाडु की छह राज्यसभा सीटों के लिए 19 जून को चुनाव

तमिलनाडु की छह राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव 19 जून को होगा। मौजूदा सदस्यों में अंबुमणि रामदास (PMK), एन. चंद्रशेखरन (AIADMK), मोहम्मद अब्दुल्ला (DMK), एम. षणमुगम (DML), पी. विल्सन (DMK) और वाइको (MDMK) शामिल हैं, जिनका कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। हालांकि, इन चुनावों से राज्यसभा की संख्या में कोई बड़ा बदलाव होने संभावना नहीं है। चुनाव आयोग ने बताया है कि राज्यसभा चुनाव की अधिसूचना 2 जून को जारी की जाएगी और मतगणना भी उसी दिन होगी।

तमिलनाडु में खाली हो रही छह सीटों का गणित

नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख 9 जून है। यदि नामांकन पत्र दाखिल करने वालों की संख्या खाली होने वाली सीट की संख्या के बराबर होगी तो परिणाम उसी दिन घोषित किए जा सकते हैं। तमिलनाडु में खाली हो रही छह सीट में से तीन DMK और एक गठबंधन सहयोगी MDMK के पास है। इसके अलावा, दो अन्य सीटें AIDMK और उसके गठबंधन सहयोगी PMK के पास हैं।

लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी पास हुआ वक्फ संशोधन बिल, 13 घंटे चले मंथन के बाद पक्ष में पड़े 128 वोट

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लोकसभा के बाद वक्फ संशोधन विधेयक राज्यसभा से पास हो गया है। बिल के पक्ष में 128 तो विपक्ष में 95 वोट पड़े।वक्फ संशोधन विधेयक पर 13 घंटे से भी अधिक समय तक चली चर्चा के बाद बृहस्पतिवार देर रात ढाई बजे के बाद राज्यसभा ने भी अपनी मुहर लगा दी। राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पर फैसला ध्वनि मत से नहीं, बल्कि मत-विभाजन से किया गया। इससे पहले, लोकसभा ने बुधवार रात करीब 1.56 बजे वक्फ संशोधन विधेयक बहुमत से पारित कर दिया था। विधेयक के पक्ष में 288, जबकि विरोध में 232 मत पड़े। विधेयक पर लोकसभा में 12 घंटे से अधिक समय तक चर्चा हुई थी। विधेयक अब हस्ताक्षर के लिए राष्ट्रपति के पास जाएगा और सरकार की ओर से अधिसूचित होते ही कानून का रूप ले लेगा।

राज्यसभा में 13 घंटे से ज्यादा समय तक चली बहस के बाद वक्फ संशोधन विधेयक, 2025 को मंजूरी मिल गई। विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद नंबर गेम में मोदी सरकार जीत गई। राज्यसभा में कार्यवाही के दौरान विपक्ष ने वक्फ बिल पर कड़ा विरोध जताया। विपक्षी दलों ने इस विधेयक को मुस्लिम विरोधी और असंवैधानिक बताया। वहीं सरकार ने जवाब दिया कि यह ऐतिहासिक सुधार अल्पसंख्यक समुदाय के लिए फायदेमंद होगा।

राज्यसभा में वक्फ बिल पर चर्चा में भाग लेते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर मुस्लिम समुदाय को विधेयक से डराने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र के साथ सभी के लिए काम करती है। रिजिजू ने कहा कि वक्फ बोर्ड एक वैधानिक निकाय है। ऐसे में सभी सरकारी निकायों की तरह यह धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड में कुछ गैर-मुस्लिमों को शामिल करने से बोर्ड के फैसलों में कोई बदलाव नहीं आएगा। बल्कि इससे मूल्य में इजाफा ही होगा।

आपको वक्फ में कलेक्टर को रखने पर आपत्ति थी, तो...

किरेन रिजिजू ने विपक्ष के उठाए मुद्दों का सिलसिलेवार जवाब दिया। उन्होंने विपक्ष के इस दावे को गलत बताया कि राष्ट्रीय वक्फ काउंसिल में गैर मुस्लिमों का बहुमत होगा। रिजिजू ने कहा, 20 सदस्यीय बॉडी में पदेन अध्यक्ष समेत चार से अधिक गैर मुस्लिम सदस्य हो ही नहीं सकते। इसी प्रकार 11 सदस्यीय राज्य बॉडी में 3 से अधिक गैर मुस्लिम नहीं होंगे।साथ ही उन्होंने कहा कि जेपीसी में विपक्ष की आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए इसे पूर्व प्रभाव से लागू नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि हर जिले में जो भी जमीनी विवाद होता है, उसे कलेक्टर देखता है। आपको वक्फ में कलेक्टर को रखने पर आपत्ति थी, इसलिए हमने उससे ऊपर के अफसर को रखा है।

सभी के सुझाव को ध्यान में रखा गया- रिजिजू

केंद्रीय मंत्री ने कहा, अधिकांश सदस्यों ने आरोप लगाया कि जेपीसी या सरकार ने कानून पर उनके सुझाव नहीं माने। सरकार किसी की नहीं सुनती। यह आरोप पूरी तरह गलत है। हम सुझाव नहीं मानते तो इस विधेयक का जो मूल मसौदा आया था और जो विधेयक आज पेश हुआ है उसमें इतना बदलाव नहीं होता। विधायक में बड़े पैमाने पर बदलाव है और यह सदस्यों के सुझाव के सुझाव पर ही हुआ है। रिजिजू ने कहा, पहले से रजिस्टर संपत्तियों में छेड़छाड़ नहीं हो सकती यह संशोधन जेपीसी में विपक्ष के सुझाव पर ही शामिल किया गया। इसी प्रकार गैर रजिस्टर्ड वक्फ ट्रस्टों के लिए छह महीने की समय सीमा को भी विपक्ष के सुझाव पर बढ़ाया गया। इसके अलावा भी कई संशोधन विपक्ष के सुझाव पर लिए गए।

वक्फ बिल पर बीजेडी का यू-टर्न, अंतर्आत्मा की आवाज सुनने की अपील, राज्यसभा से बिल पास कराना हुआ आसान

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बीजू जनता दल ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर अपना रुख बदल दिया है। लोकसभा में बिल के पेश किए जाने के बाद बीजेडी ने इसके खिलाफ स्टैंड लिया था। लेकिन बावजूद इसके बिल लोकसभा से पारित हो गया। अब संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा में बिल पर बहस हो रही है। अब बीजेडी ने भी अपना स्टैंड बदल लिया है और पार्टी के सांसदों को अंतर्आत्मा की आवाज सुनने को कहा है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि वोटिंग के लिए कोई व्हिप जारी नहीं किया जाएगा।

राज्यसभा सांसद और बीजेडी के प्रवक्ता डॉ. सस्मित पात्रा ने कहा, "हम वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के संबंध में अल्पसंख्यक समुदायों के विभिन्न वर्गों द्वारा व्यक्त की गई भावनाओं का सम्मान करते हैं। हमारी पार्टी ने राज्य सभा में अपने सदस्यों को यह जिम्मेदारी सौंपी है कि यदि विधेयक मतदान के लिए आता है तो वे न्याय, सद्भाव और सभी समुदायों के अधिकारों के सर्वोत्तम हित में अपने विवेक का प्रयोग करेंगे। कोई पार्टी व्हिप जारी नहीं की गई है।"

इससे पहले पात्रा ने बुधवार को कहा था कि राज्यसभा सदस्य मुजीबुल्ला खान मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करेंगे और विधेयक के संबंध में पार्टी की चिंताओं को सदन में रखेंगे। पात्रा ने कहा कि पार्टी विधेयक से संतुष्ट नहीं है। केंद्र ने संयुक्त संसदीय समिति की समीक्षा के बाद कुछ बिंदुओं में संशोधन किया है।

गौरतलब है कि बीजद ने लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा से पहले इसका विरोध की बात कही थी। हालांकि, अब फैसला बदलने से राज्यसभा में विपक्ष की स्थिति और कमजोर हुई है। दरअसल, राज्यसभा में बीजद के 7 सांसद हैं। पहले इनकी गिनती विपक्ष में होती थी। हालांकि, अब इन सांसदों का रुख तय नहीं है। ऐसे में वक्फ विधेयक पर विपक्ष की ताकत और कमजोर होना तय है।

राज्यसभा में क्या है समर्थन का गणित?

वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में एनडीए के बहुमत की वजह से पास हो गया। हालांकि, इसे चुनौती राज्यसभा में मिलने की संभावना है। राज्यसभा में कुल सांसद 245 हो सकते हैं। हालांकि, मौजूदा समय में सदन में 236 सांसद हैं। वहीं, 9 सीटें खाली हैं। राज्यसभा में कुल 12 सांसद नामित हो सकते हैं, लेकिन इनकी संख्या फिलहाल 6 है। इस लिहाज से राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक को पास कराने के लिए 119 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी।

एनडीए के पास कितना संख्या बल?

राज्यसभा में भी आंकड़ों के लिहाज से एनडीए के पास पूर्ण बहुमत है। दरअसल, राज्यसभा में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है और उसके पास कुल 98 सांसद हैं। इसके अलावा लोकसभा की तरह ही जदयू, तेदेपा, राकांपा व अन्य दलों की तरफ से एनडीए को समर्थन मिला हुआ है। 

राज्यसभा में जो अन्य दल एनडीए के साथ हैं, उनमें उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) का एक सांसद, पत्तली मक्कल काची, तमिल मनिला कांग्रेस (टीएमसी-एम), नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) के एक-एक सांसद, रामदास आठवले की रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई-ए) का एक सांसद और दो निर्दलीय सांसद हैं। 

राज्यसभा में विपक्ष के आंकड़े

दूसरी तरफ राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक के विपक्ष में भी कई पार्टियां जुटी हैं। हालांकि, यह समर्थन विधेयक को रोकने के लिए नाकाफी साबित हो सकता है। राज्यसभा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है। विपक्ष से इसके राज्यसभा में सबसे ज्यादा 27 सांसद हैं। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), आम आदमी पार्टी (आप) और द्रमुक अगली बड़ी पार्टी हैं। 

जो अन्य दल वक्फ संशोधन विधेयक में विपक्ष के साथ हैं उनमें जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी, एआईएडीएमके भी विपक्ष के साथ हैं।

लोकसभा से पास हुआ वक्फ बिल

बता दें कि बुधवार को करीब 12 घंटे की चर्चा के बाद वक्फ बिल लोकसभा से पास हुआ था। बिल के पक्ष में 288 और विरोध में 232 वोट डाले गए थे। गुरुवार को इसे राज्यसभा में पेश किया गया। वक्फ बिल पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर टकराव हुआ है। विपक्ष ने इसे असंवैधानिक बताया है। दूसरी ओर सत्ता पक्ष का आरोप है कि विपक्ष गलत बातें फैला रहा है। टीएमसी सांसद मोहम्मद नदीमुल इस्लाम ने विधेयक को “सांस्कृतिक बर्बरता” कहा और वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की।