बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग, याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम पर पहले ही लग रहे आरोप

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सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई है, जिसमें पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की गई है।वकील विष्णु शंकर जैन ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष याचिका पेश की, जिसके बाद याचिका को कल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात करने की याचिका सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने अपील की थी कि वक्फ कानून के विरोध में हुई मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद कोर्ट इस पर फैसला ले। इस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कोई आदेश नहीं दिया। बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा, क्या आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को इसे लागू करने का आदेश भेजें? हम पर दूसरों के अधिकार क्षेत्र में दखलंदाजी के आरोप लग रहे हैं।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उठाया सवाल

बता दें कि हाल ही भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर कार्यपालिका के काम में दखल देने का आरोप लगाया है। जिस पर खासा विवाद हो रहा है। साथ ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर सवाल उठाए थे और सुप्रीम कोर्ट पर सुपर संसद के रूप में काम करने का आरोप लगाया था।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के उस ऐतिहासिक फैसले पर सवाल उठाए थे, जिसमें शीर्ष अदालत ने राष्ट्रपति और राज्यपालों को निर्देश दिया था कि अगर कोई विधेयक संसद या विधानसभा की तरफ से दोबारा पारित किया गया हो, तो तीन महीने के भीतर उसे मंजूरी दी जाए।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, हम ऐसी स्थिति नहीं ला सकते, जहां राष्ट्रपति को निर्देश दिया जाए। उन्होंने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि राष्ट्रपति को कोर्ट द्वारा निर्देशित किया जाएगा। राष्ट्रपति भारत की सेना की सर्वोच्च कमांडर हैं और केवल वही संविधान की रक्षा, संरक्षण और सुरक्षा की शपथ लेते हैं। फिर उन्हें एक निश्चित समय में निर्णय लेने का आदेश कैसे दिया जा सकता है।

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लगाए गंभीर आरोप

वहीं इसके कुछ ही दिनों बाद बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने न्यायपालिका पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए जिम्मेदार है। निशिकांत दुबे ने इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधते हुए कहा था, अगर शीर्ष अदालत को कानून बनाना है तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल आज मुर्शिदाबाद जाएंगे, बोले-पीड़ितों से मिलने के बाद केंद्र को भेजेंगे रिपोर्ट

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पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस ने मुर्शिदाबाद में हाल ही में हुई हिंसा को लेकर गहरी चिंता जताई है। मुर्शिदाबाद का दौरा करने से पहले उन्होंने कहा कि वे पीड़ितो से मिलने के बाद और स्थिति का जायजा लेने के लिए जल्द ही हिंसा प्रभावित इलाके में जाएंगे। उन्होंने कहा कि मुर्शिदाबाद में जमीनी स्थिति का जायजा लूंगा। वहां जो कुछ भी हुआ इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेंगे।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस शनिवार को मुर्शिदाबाद जिले के शमशेरगंज के दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगे और स्थिति की समीक्षा करेंगे तथा प्रभावित लोगों से बातचीत करेंगे। बोस इसके बाद जिले के धुलियान, सुती और जंगीपुर में हिंसा प्रभावित अन्य इलाकों का दौरा करेंगे। 8 से 12 अप्रैल तक इन मुस्लिम बहुल इलाकों में वक्फ कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हुई है। हिंसा के मामले में 274 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी-राज्यपाल

इससे पहले शुक्रवार को राज्यपाल सीवी आनंद बोस मालदा के आश्रय गृह पहुंचे थे। यहां मुर्शिदाबाद हिंसा से प्रभावित लोग रह रहे हैं। राज्यपाल ने कहा, लोगों ने बताया कि उनके साथ मारपीट हुई, घर जलाए गए। वे अब घर लौटना चाहते हैं। हम उन्हें सुरक्षा देंगे। लोगों ने चीख-चीख कर बताया, हमें पीटा गया, भगाया गया, हम क्या वापस जाएंगे, जब तक सुरक्षा की गांरटी नहीं मिलेगी?

मालदा पहुंचने राज्यपाल ने कहा, कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। अगर राज्य को मदद की जरूरत है, तो हम केंद्र बल भेजने के लिए तैयार है।

महिला आयोग की टीम भी मुर्शिदाबाद पहुंची

इस बीच, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने भी अपनी टीम के साथ शुक्रवार को मालदा और मुर्शिदाबाद का दौरा शुरू किया। कोलकाता में मीडिया से बात करते हुए रहाटकर ने कहा कि हमें सूचना मिली है कि प्रभावित इलाकों और राहत शिविरों में महिलाओं के साथ सही व्यवहार नहीं किया जा रहा है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने एक जांच समिति गठित की है। हम पीड़ितों से बात करेंगे और विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले स्थिति का आकलन करेंगे।

बंगाल हिंसा पर बांग्लादेश की टिप्पणी से भड़का भारत, अल्पसंख्यकों को लेकर दो टूक

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पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बीते दिनों भड़की हिंसा पर बांग्लादेश की टिप्पणी को लेकर विदेश मंत्रालय ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि बांग्लादेश को इस घटना पर कोई टिप्पणी करने से पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। साथ ही बांग्लादेश को हमारे घरेलू मसलों पर गैर-जरूरी टिप्पणी करने से बचना चाहिए।

विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान में कहा, हम पश्चिम बंगाल की घटनाओं के संबंध में बांग्लादेश की टिप्पणियों को अस्वीकार करते हैं। यह बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर जारी उत्पीड़न पर भारत की चिंताओं के साथ तुलना करने का एक छिपा हुआ और कपटपूर्ण प्रयास है, जहां इस तरह के कृत्यों के अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं। अनुचित टिप्पणियां करने और सद्गुणों का प्रदर्शन करने के बजाय, बांग्लादेश को अपने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

भारत को मुस्लिमों पर दिया था ज्ञान

इससे पहले बांग्लादेश ने भारत के अल्पसंख्यक मुस्लिमों को लेकर बयान दिया है। मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के प्रेस सेक्रेटरी शफीकुल आलम ने नई दिल्ली से अल्पसंख्यक मुस्लिम आबादी की पूरी तरह से सुरक्षा के लिए कदम उठाने का आग्रह किया था। बृहस्पतिवार को विदेश सेवा अकादमी में एक प्रेस वार्ता के दौरान आलम ने कहा, हम मुर्शिदाबाद सांप्रदायिक हिंसा में बांग्लादेश को शामिल करने के किसी भी प्रयास का दृढ़ता से खंडन करते हैं। आलम ने कहा कि बांग्लादेश सरकार ने मुसलमानों पर हमलों की निंदा की है, जिससे जान-माल का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा, हम भारत और पश्चिम बंगाल सरकार से अल्पसंख्यक मुस्लिम आबादी की पूरी तरह से सुरक्षा के लिए सभी कदम उठाने का आग्रह करते हैं।

मुर्शिदाबाद हिंसा में भूमिका

पिछले सप्ताह पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले में भारत सरकार के वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध में हिंसा भड़क उठी थी। हिंसा के बाद इलाकों में पुलिस बल की तैनाती की गई है। अब तक 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रारंभिक जांच में कथित तौर पर हिंसा में बांग्लादेशी कट्टरपंथियों की संलिप्तता का संकेत मिला है।

मुर्शिदाबाद में हिंसक प्रदर्शन, अब तक 100 से ज्यादा गिरफ्तार, जानें क्यों बिगड़े हालात

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वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ पश्चिम बंगाल में बवाल मचा हुआ है। वक्फ संशोधन बिल को लेकर राज्य के कई स्थानों में प्रदर्शन हो रहे हैं। जिसके कारण माहौल काफी गर्म है। शुक्रवार को मालदा, मुर्शिदाबाद, दक्षिण 24 परगना और हुगली में विरोध प्रदर्शन हुए। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वैन समेत कई गाड़ियां जलाई और पुलिस पर पत्थरबाजी की। सबसे ज्यादा हिंसा मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले में हुई।

यह हिंसा मंगलवार जंगीपुर इलाके में शुरू हुई, जब हजारों लोग विवादास्पद वक्फ कानून को वापस लेने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे। इसके बाद शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान यहां फिर हिंसा भड़की और इसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। शुक्रवार को इलाके में पथराव और आगजनी की घटना फिर से घटी। इसके बाद हिंसा प्रभावित इलाकों में बीएसएफ की तैनाती की गई है।

अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील

इधर, ममता बनर्जी की सरकार ने सख्ती से पेश आना शुरू कर दिया है। पुलिस ने मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के बाद अब तक 110 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। उपद्रवियों को तलाशने के लिए अन्य जिलों में भी छापेमारी की जा रही है। संवेदनशील इलाकों में गश्त जारी है। किसी को भी कहीं भी इकट्ठा होने की इजाजत नहीं है। पुलिस ने लोगों से सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है।

भाजपा ने ममता सरकार को घेरा

भाजपा ने ममता बनर्जी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि अगर वह स्थिति को संभालने में असमर्थ है, तो उसे केंद्र से मदद मांगनी चाहिए। विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'यह विरोध का नतीजा नहीं था, बल्कि हिंसा का एक पूर्व नियोजित हथकंडा था। जिहादी ताकतों का लोकतंत्र और शासन पर हमला था। कुछ लोग अपने प्रभुत्व का दावा करने और हमारे समाज के अन्य समुदायों में भय फैलाने के लिए अराजकता फैलाना चाहते हैं।' उन्होंने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट कर किया गया। सरकारी अधिकारियों को धमकी दी गई। भय का माहौल बनाया गया। यह सब असहमति की झूठी आड़ में किया गया। ममता बनर्जी सरकार की चुप्पी खतरनाक है। अधिकारी ने कहा कि हिंसा के पीछे जो लोग हैं, उनकी पहचान की जानी चाहिए, उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए और कानून की सख्त धाराओं के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

बंगाल शिक्षक भर्ती मामले में राहुल गांधी की एंट्री, राष्ट्रपति को पत्र लिख की ये मांग


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सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में स्कूल सेवा आयोग के जरिए हुई करीब 25,000 शिक्षकों और गैर-शिक्षकों की बहाली को रद्द कर दिया है।बीते गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल सेवा आयोग की 2016 की शिक्षक और गैर-शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को रद्द करते हुए तीन महीने के भीतर नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया। इससे पहले अप्रैल 2023 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी यही फ़ैसला सुनाया था. उस फ़ैसले को सरकार और सेवा आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। शिक्षकों की भर्ती रद होने का मामला अब गरमाता जा रहा है। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मामले में राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है। राहुल गांधी ने इस मामले में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की है।

राहुल ने पत्र में क्या?

राहुल गांधी ने इस संबंध में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। राहुल ने अपने पोस्ट में लिखा, मैंने भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल में हजारों योग्य स्कूल शिक्षकों के मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है, जिन्होंने न्यायपालिका द्वारा शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने के बाद अपनी नौकरी खो दी है। उन्होंने आगे कहा, 'मैंने उनसे अनुरोध किया है कि वे सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आग्रह करें कि निष्पक्ष तरीके से चुने गए उम्मीदवारों को जारी रखने की अनुमति दी जाए।

किसी को आपकी नौकरियां नहीं छीनने दूंगी-ममता बनर्जी

इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को राज्य के बर्खास्त शिक्षकों से मुलाकात की थी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रभावित हुए हजारों शिक्षकों ने अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए 'डिप्राइव्ड टीचर्स एसोसिएशन' नामक संगठन बनाया है। संगठन का दावा है कि उसके करीब 15 हजार सदस्य हैं। 

कोर्ट के आदेश के बाद एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु से मुलाक़ात की इच्छा जताई थी, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद इस बैठक में शामिल होने की सहमति दी। सोमवार को नेताजी इंडोर स्टेडियम में ममता बनर्जी ने बर्खास्त शिक्षकों से मुलाकात के दौरान कहा था कि मैं पश्चिम बंगाल में नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों के साथ खड़ी हूं, उनका सम्मान वापस दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करूंगी। जब तक मैं जिंदा हूं, किसी को भी आपकी नौकरियां नहीं छीनने दूंगी।

बीजेपी सरकार आने दो, मुस्लिम विधायकों को उठाकर बाहर फेंक देंगे” सुवेंदु अधिकारी का विवादित बयान

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पश्चिम बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसे लेकर सियासी पारा अभी से ही चढ़ गया है। इस बीच बंगाल में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने एक विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी अगली सरकार बनने पर मुस्लिम विधायकों को विधानसभा से बाहर फेंक देगी। अधिकारी के बयान पर राजनीति गरमा गई है।

पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के बीच हमेशा से तनाव के हालात देखे गए हैं। दोनों दलों के बीच कई बार तीखी नोंकझोंक देखने को मिलती है।खास तौर पर नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले रहते हैं। यही वजह है कि उन्हें कई बार सदन से बाहर तक कर दिया गया है। पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुवेंदु अधिकारी को 17 फरवरी को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था और वो अब पूरे बजट सत्र के लिए निलंबित हो चुके हैं। इस बीच सुवेंदु अधिकारी नो मुसलमानों को लेकर तीखा बयान दिया है।

सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि भाजपा की सरकार बनने के बाद मुस्लिम विधायकों को शारीरिक रूप से विधानसभा से बाहर फेंक देंगे। उन्होंने राज्य की ममता सरकार पर हमला करते हुए कहा था कि यह सरकार सांप्रदायिक प्रशासन चला रही है औरउन्होंने इसे मुस्लिम लीग का दूसरा रूप भी करार दिया था। उन्होंने कहा, बंगाल की जनता इस बार इस सरकार को उखाड़ फेकेंगी।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने इस बयान का विरोध किया है। टीएमसी ने इसे नफरत फैलाने वाला भाषण बताया। टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि एक जनप्रतिनिधि को इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, संसद या विधानसभा में बहस और तर्क हो सकते हैं। लेकिन किसी विशेष समुदाय के विधायकों को निशाना बनाना संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है। यह खतरनाक, भड़काऊ और अनैतिक है। यह एक आपराधिक अपराध भी है।

अगुस्ता वेस्टलैंड केसः जमानत के बाद भी जेल में रहना चाहता है क्रिश्चियन मिशेल, जानें क्या बताई वजह

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अगस्‍ता वेस्‍टलैंड हेलिकॉप्‍टर खरीद मामले में कथित घोटाले की बिचौलिए की भूमिका निभाने वाले क्रिश्चियन मिशेल को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट से जमानत मिल गई। लेकिन उन्‍होंने जमानत पर जेल से बाहर आने से इनकार कर दिया है।जेम्स ने "सुरक्षा जोखिम" के कारण जमानत पर बाहर जाने के बजाय अपनी सजा पूरी करने पर भारत छोड़ने की पेशकश की। उन्होंने कहा कि दिल्ली उनके लिए सुरक्षित नहीं है।

राउज एवेन्‍यू कोर्ट में क्रिश्चियन मिशेल की जमानत से जुड़ी शर्तों पर सुनवाई शुरू होने पर जज ने कहा कि ऐसा व्‍यक्ति जो 6 साल से जेल में बंद है, वह स्‍थानीय जमानतदार कोर्ट में कैसे पेश कर सकता है। इसके बाद स्‍पेशल जज ने मिशेल से उनका हालचाल पूछा। जज ने कहा, आप कैसे हैं, भगवान की कृपा से पिछले 2 महीनों में आपके साथ अच्छा हो गया है, आपको सीबीआई और ईडी के मामले में जमानत मिल गई है।

इस पर मिशेल ने जज से कहा, मेरे लिए दिल्ली बस एक बड़ा कारागार है। क्रिश्चियन मिशेल ने जज से कहा कि उसे जमानत मिल गई है, लेकिन वह जमानत पर जेल से बाहर नहीं आना चाहता है। मिशेल ने कोर्ट से कहा कि वह अपनी सजा पूरी करके देश छोड़ना चाहता हैं।

न्यायाधीश ने मिशेल से पूछा कि जब उसे जमानत मिल गई है तो वह जेल में कैसे रह सकता है। मिशेल ने कहा,मैं जमानत स्वीकार नहीं कर सकता। यह असुरक्षित है। हर बार जब मैं तिहाड़ (जेल) से बाहर निकलता हूं, तो कुछ न कुछ होता है। जमानत बांड प्रस्तुत करने के पहलू पर, उन्होंने कहा, एक व्यक्ति जो छह साल से जेल में है, वह स्थानीय जमानतदार कैसे पेश कर सकता है? मिशेल द्वारा इस बात पर जोर दिए जाने के बाद कि वह सुरक्षा कारणों से जमानत पर रिहा नहीं होना चाहता, न्यायाधीश ने पूछा, क्या आप दिल्ली में कोई सुरक्षित स्थान नहीं ढूंढ सकते? इसके बाद मिशेल ने निजी तौर पर उस घटना के बारे में बताने" की पेशकश की, जिसका सामना उसने एम्स में भर्ती होने के दौरान किया था।

इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने 4 मार्च को ईडी मामले में उसे जमानत दे दी थी और मिशेल को आवश्यक जमानत शर्तों के साथ पेश करने का निर्देश दिया था, जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने 18 फरवरी को निचली अदालत की शर्तों के अधीन सीबीआई मामले में राहत प्रदान की थी।

केजरीवाल के राज्यसभा जाने का रास्ता साफ! सांसद संजीव अरोड़ा को बनाया गया विधानसभा उपचुनाव का उम्मीदवार
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आम आदमी पार्टी की दिल्ली दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार हुई है। आप के साथ राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की भी करारी हार हुई। अब मीडिया के गलियारों में केजरीवाल के सियासी सफर पर अटकलें जारी है। अरविंद केजरीवाल के राज्यसभा जानें की अटकलें लगाई जा रही है। इस बीच आप ने संजीव अरोड़ा को लुधियाना वेस्ट का प्रत्याशी बनाया है। अब कहा जा रहा है कि संजीव अरोड़ा की खाली सीट से केजरीवाल राज्यसभा जाएंगे। हालांकि आम आदमी पार्टी ने इसका खंडन किया है।

संजीव अरोड़ा साल 2022 में राज्यसभा सांसद बने थे। अभी उनका करीब तीन साल का कार्यकाल बाकी है। इससे पहले दिल्ली की हार से उबरने के लिए आम आदमी पार्टी ने पंजाब में बड़ा दांव चला है। पार्टी ने लुधियाना वेस्ट विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव में अपने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को टिकट दिया है।

हालांकि अभी तक निर्वाचन आयोग ने चुनाव का ऐलान नहीं किया है, लेकिन पहले ही आम आदमी पार्टी ने अपने प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है। राजनीतिक गलियारों में आम आदमी पार्टी के इस ऐलान के कई मतलब निकाले जा रहे हैंष इस सीट पर अब तक किसी अन्य राजनीतिक दल ने अपने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है।

संजीव अरोड़ा के नाम ऐलान से पहले ही ऐसा कहा जा रहा था कि आप संयोजक अरविंद केजरीवाल अरोड़ा की सीट से राज्यसभा जा सकते हैं। हालांकि पार्टी ने इन अटकलों को खारिज किया है। आप की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि केजरीवाल राज्यसभा नहीं जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक केजरीवाल का मसला है तो मीडिया में यह भी कहा गया कि वह पंजाब के सीएम बनेंगे। अब मीडिया ही कह रहा है कि वह राज्यसभा का चुनाव लड़ेंगे। ये दोनों गलत हैं। अरविंद केजरीवाल आप के राष्ट्रीय संयोजक हैं। मैं जानती हूं कि उनकी हर जगह मांग है लेकिन वह किसी एक सीट तक सीमित नहीं हैं।

*केजरीवाल के लिए राह हुई आसान*
बता दें कि सुनील अरोड़ा द्वारा विधायक का चुनाव लड़े जाने पर उनकी राज्यसभा वाली सीट खाली हो जाएगी। उसके बाद बड़े आराम से अरविंद केजरीवाल को उस सीट पर राज्यसभा का उम्मीदवार बना दिया जाएगा। यह अपने आप में एक पूरी तरह से बिना खतरे वाला सौदा होगा। क्योंकि पंजाब में आम आदमी पार्टी का बहुमत है ऐसे में अरविंद केजरीवाल बड़े आराम से राज्यसभा का चुनाव जीत कर संसद पहुंच जाएंगे।

*कांग्रेस का दावा होगा सच!*
पंजाब कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने मंगलवार को आरोप लगाया कि केजरीवाल पंजाब के रास्ते राज्यसभा में जाना चाहते हैं। बाजवा ने दावा किया, केजरीवाल पंजाब के माध्यम से सत्ता में प्रवेश करना चाहते हैं, और कुछ राज्यसभा सदस्यों को उनके लिए त्याग करना होगा।
ममता बनर्जी ने क्यों की इस्तीफे की पेशकश, भाजपा से किस बात के लिए मांगा सबूत?

#mamata_banerjee_said_will_resign_as_west_bengal_cm

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी की ओर से लगाए जा रहे आरोपों के बाद आक्रोश जाहिर किया। ममता बनर्जी ने बीजेपी नेताओं पर झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए अचानक अपने इस्तीफे की बात कह दी।बीजेपी के नेता ने उन पर बांग्‍लादेशी आतंक‍ियों के साथ रिश्ते होने, कट्टरपंथ‍ियों के साथ संबंध होने के आरोप लगाए थे। इस पर ममता बनर्जी ब‍िफर गईं।ममता ने कहा कि अगर भाजपा विधायक इन आरोपों को साबित कर दें, तो वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगी।

पश्चिम बंगाल विधानसभा को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने अपने खिलाफ बेबुनियाद टिप्पणियां करने के लिए भाजपा विधायकों की आलोचना की। बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने विधानसभा से निलंबित होने के बाद ममता बजर्नी पर सनसनीखेज आरोप लगाए थे। ममता बनर्जी इसी का जवाब दे रही थीं। ममता ने कहा, वे कह रहे हैं कि मेरे आतंकवादियों से संबंध हैं। इससे तो मर जाना ही अच्छा है। मैंने कुछ नहीं कहा फिर भी आप सबने मेरा संबंध आतंकवादियों से जोड़ दिया? यह देश सबका है। क्या मैं हिंदू धर्म का अपमान करती हूं या मुस्लिम लीग का समर्थन करती हूं? मैं कश्मीर या बांग्लादेश से आये आतंकवादियों के साथ रहती हूं? अगर आप इस आरोप को साबित कर सकें तो मैं एक दिन में सीएम पद छोड़ दूंगी। मैं प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखूंगी और पूछूंगी कि क्या विपक्षी नेता मेरे खिलाफ इस तरह के आरोप लगा सकते हैं।

ममता ने कहा, अभिव्यक्ति की आजादी उन्हें (भाजपा विधायकों को) नफरत फैलाने वाले भाषण देने और लोगों को बांटने की अनुमति नहीं देती है। अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब नफरत फैलाने वाली बातें नहीं है। आप (भाजपा विधायक) राजनीतिक लाभ के लिए धर्म का सहारा लेते हैं, लेकिन हम ऐसा नहीं करते।

*Bengal Global Business Summit 2025 concluded today*

Desk : Finally, the Bengal Global Business Summit 2025 concluded with a Valedictory Session today at the Biswa Bangla Convention Centre.

The total investment proposals received in this eighth edition of BGBS come to Rupees 4 Lakh 40 thousand 595 crores.

Our mission is to create more and more employment and eliminate poverty in the State. Due to our continuous efforts, 1.72 crore individuals have been brought out of poverty in West Bengal.

बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग, याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम पर पहले ही लग रहे आरोप

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सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई है, जिसमें पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की गई है।वकील विष्णु शंकर जैन ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष याचिका पेश की, जिसके बाद याचिका को कल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात करने की याचिका सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने अपील की थी कि वक्फ कानून के विरोध में हुई मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद कोर्ट इस पर फैसला ले। इस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कोई आदेश नहीं दिया। बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा, क्या आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को इसे लागू करने का आदेश भेजें? हम पर दूसरों के अधिकार क्षेत्र में दखलंदाजी के आरोप लग रहे हैं।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उठाया सवाल

बता दें कि हाल ही भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर कार्यपालिका के काम में दखल देने का आरोप लगाया है। जिस पर खासा विवाद हो रहा है। साथ ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर सवाल उठाए थे और सुप्रीम कोर्ट पर सुपर संसद के रूप में काम करने का आरोप लगाया था।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के उस ऐतिहासिक फैसले पर सवाल उठाए थे, जिसमें शीर्ष अदालत ने राष्ट्रपति और राज्यपालों को निर्देश दिया था कि अगर कोई विधेयक संसद या विधानसभा की तरफ से दोबारा पारित किया गया हो, तो तीन महीने के भीतर उसे मंजूरी दी जाए।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, हम ऐसी स्थिति नहीं ला सकते, जहां राष्ट्रपति को निर्देश दिया जाए। उन्होंने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि राष्ट्रपति को कोर्ट द्वारा निर्देशित किया जाएगा। राष्ट्रपति भारत की सेना की सर्वोच्च कमांडर हैं और केवल वही संविधान की रक्षा, संरक्षण और सुरक्षा की शपथ लेते हैं। फिर उन्हें एक निश्चित समय में निर्णय लेने का आदेश कैसे दिया जा सकता है।

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लगाए गंभीर आरोप

वहीं इसके कुछ ही दिनों बाद बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने न्यायपालिका पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए जिम्मेदार है। निशिकांत दुबे ने इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधते हुए कहा था, अगर शीर्ष अदालत को कानून बनाना है तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल आज मुर्शिदाबाद जाएंगे, बोले-पीड़ितों से मिलने के बाद केंद्र को भेजेंगे रिपोर्ट

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पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस ने मुर्शिदाबाद में हाल ही में हुई हिंसा को लेकर गहरी चिंता जताई है। मुर्शिदाबाद का दौरा करने से पहले उन्होंने कहा कि वे पीड़ितो से मिलने के बाद और स्थिति का जायजा लेने के लिए जल्द ही हिंसा प्रभावित इलाके में जाएंगे। उन्होंने कहा कि मुर्शिदाबाद में जमीनी स्थिति का जायजा लूंगा। वहां जो कुछ भी हुआ इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेंगे।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस शनिवार को मुर्शिदाबाद जिले के शमशेरगंज के दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगे और स्थिति की समीक्षा करेंगे तथा प्रभावित लोगों से बातचीत करेंगे। बोस इसके बाद जिले के धुलियान, सुती और जंगीपुर में हिंसा प्रभावित अन्य इलाकों का दौरा करेंगे। 8 से 12 अप्रैल तक इन मुस्लिम बहुल इलाकों में वक्फ कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हुई है। हिंसा के मामले में 274 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी-राज्यपाल

इससे पहले शुक्रवार को राज्यपाल सीवी आनंद बोस मालदा के आश्रय गृह पहुंचे थे। यहां मुर्शिदाबाद हिंसा से प्रभावित लोग रह रहे हैं। राज्यपाल ने कहा, लोगों ने बताया कि उनके साथ मारपीट हुई, घर जलाए गए। वे अब घर लौटना चाहते हैं। हम उन्हें सुरक्षा देंगे। लोगों ने चीख-चीख कर बताया, हमें पीटा गया, भगाया गया, हम क्या वापस जाएंगे, जब तक सुरक्षा की गांरटी नहीं मिलेगी?

मालदा पहुंचने राज्यपाल ने कहा, कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। अगर राज्य को मदद की जरूरत है, तो हम केंद्र बल भेजने के लिए तैयार है।

महिला आयोग की टीम भी मुर्शिदाबाद पहुंची

इस बीच, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने भी अपनी टीम के साथ शुक्रवार को मालदा और मुर्शिदाबाद का दौरा शुरू किया। कोलकाता में मीडिया से बात करते हुए रहाटकर ने कहा कि हमें सूचना मिली है कि प्रभावित इलाकों और राहत शिविरों में महिलाओं के साथ सही व्यवहार नहीं किया जा रहा है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने एक जांच समिति गठित की है। हम पीड़ितों से बात करेंगे और विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले स्थिति का आकलन करेंगे।

बंगाल हिंसा पर बांग्लादेश की टिप्पणी से भड़का भारत, अल्पसंख्यकों को लेकर दो टूक

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पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बीते दिनों भड़की हिंसा पर बांग्लादेश की टिप्पणी को लेकर विदेश मंत्रालय ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि बांग्लादेश को इस घटना पर कोई टिप्पणी करने से पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। साथ ही बांग्लादेश को हमारे घरेलू मसलों पर गैर-जरूरी टिप्पणी करने से बचना चाहिए।

विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान में कहा, हम पश्चिम बंगाल की घटनाओं के संबंध में बांग्लादेश की टिप्पणियों को अस्वीकार करते हैं। यह बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर जारी उत्पीड़न पर भारत की चिंताओं के साथ तुलना करने का एक छिपा हुआ और कपटपूर्ण प्रयास है, जहां इस तरह के कृत्यों के अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं। अनुचित टिप्पणियां करने और सद्गुणों का प्रदर्शन करने के बजाय, बांग्लादेश को अपने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

भारत को मुस्लिमों पर दिया था ज्ञान

इससे पहले बांग्लादेश ने भारत के अल्पसंख्यक मुस्लिमों को लेकर बयान दिया है। मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के प्रेस सेक्रेटरी शफीकुल आलम ने नई दिल्ली से अल्पसंख्यक मुस्लिम आबादी की पूरी तरह से सुरक्षा के लिए कदम उठाने का आग्रह किया था। बृहस्पतिवार को विदेश सेवा अकादमी में एक प्रेस वार्ता के दौरान आलम ने कहा, हम मुर्शिदाबाद सांप्रदायिक हिंसा में बांग्लादेश को शामिल करने के किसी भी प्रयास का दृढ़ता से खंडन करते हैं। आलम ने कहा कि बांग्लादेश सरकार ने मुसलमानों पर हमलों की निंदा की है, जिससे जान-माल का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा, हम भारत और पश्चिम बंगाल सरकार से अल्पसंख्यक मुस्लिम आबादी की पूरी तरह से सुरक्षा के लिए सभी कदम उठाने का आग्रह करते हैं।

मुर्शिदाबाद हिंसा में भूमिका

पिछले सप्ताह पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले में भारत सरकार के वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध में हिंसा भड़क उठी थी। हिंसा के बाद इलाकों में पुलिस बल की तैनाती की गई है। अब तक 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रारंभिक जांच में कथित तौर पर हिंसा में बांग्लादेशी कट्टरपंथियों की संलिप्तता का संकेत मिला है।

मुर्शिदाबाद में हिंसक प्रदर्शन, अब तक 100 से ज्यादा गिरफ्तार, जानें क्यों बिगड़े हालात

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वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ पश्चिम बंगाल में बवाल मचा हुआ है। वक्फ संशोधन बिल को लेकर राज्य के कई स्थानों में प्रदर्शन हो रहे हैं। जिसके कारण माहौल काफी गर्म है। शुक्रवार को मालदा, मुर्शिदाबाद, दक्षिण 24 परगना और हुगली में विरोध प्रदर्शन हुए। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वैन समेत कई गाड़ियां जलाई और पुलिस पर पत्थरबाजी की। सबसे ज्यादा हिंसा मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले में हुई।

यह हिंसा मंगलवार जंगीपुर इलाके में शुरू हुई, जब हजारों लोग विवादास्पद वक्फ कानून को वापस लेने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे। इसके बाद शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान यहां फिर हिंसा भड़की और इसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। शुक्रवार को इलाके में पथराव और आगजनी की घटना फिर से घटी। इसके बाद हिंसा प्रभावित इलाकों में बीएसएफ की तैनाती की गई है।

अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील

इधर, ममता बनर्जी की सरकार ने सख्ती से पेश आना शुरू कर दिया है। पुलिस ने मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के बाद अब तक 110 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। उपद्रवियों को तलाशने के लिए अन्य जिलों में भी छापेमारी की जा रही है। संवेदनशील इलाकों में गश्त जारी है। किसी को भी कहीं भी इकट्ठा होने की इजाजत नहीं है। पुलिस ने लोगों से सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है।

भाजपा ने ममता सरकार को घेरा

भाजपा ने ममता बनर्जी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि अगर वह स्थिति को संभालने में असमर्थ है, तो उसे केंद्र से मदद मांगनी चाहिए। विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'यह विरोध का नतीजा नहीं था, बल्कि हिंसा का एक पूर्व नियोजित हथकंडा था। जिहादी ताकतों का लोकतंत्र और शासन पर हमला था। कुछ लोग अपने प्रभुत्व का दावा करने और हमारे समाज के अन्य समुदायों में भय फैलाने के लिए अराजकता फैलाना चाहते हैं।' उन्होंने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट कर किया गया। सरकारी अधिकारियों को धमकी दी गई। भय का माहौल बनाया गया। यह सब असहमति की झूठी आड़ में किया गया। ममता बनर्जी सरकार की चुप्पी खतरनाक है। अधिकारी ने कहा कि हिंसा के पीछे जो लोग हैं, उनकी पहचान की जानी चाहिए, उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए और कानून की सख्त धाराओं के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

बंगाल शिक्षक भर्ती मामले में राहुल गांधी की एंट्री, राष्ट्रपति को पत्र लिख की ये मांग


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सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में स्कूल सेवा आयोग के जरिए हुई करीब 25,000 शिक्षकों और गैर-शिक्षकों की बहाली को रद्द कर दिया है।बीते गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल सेवा आयोग की 2016 की शिक्षक और गैर-शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को रद्द करते हुए तीन महीने के भीतर नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया। इससे पहले अप्रैल 2023 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी यही फ़ैसला सुनाया था. उस फ़ैसले को सरकार और सेवा आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। शिक्षकों की भर्ती रद होने का मामला अब गरमाता जा रहा है। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मामले में राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है। राहुल गांधी ने इस मामले में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की है।

राहुल ने पत्र में क्या?

राहुल गांधी ने इस संबंध में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। राहुल ने अपने पोस्ट में लिखा, मैंने भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल में हजारों योग्य स्कूल शिक्षकों के मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है, जिन्होंने न्यायपालिका द्वारा शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने के बाद अपनी नौकरी खो दी है। उन्होंने आगे कहा, 'मैंने उनसे अनुरोध किया है कि वे सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आग्रह करें कि निष्पक्ष तरीके से चुने गए उम्मीदवारों को जारी रखने की अनुमति दी जाए।

किसी को आपकी नौकरियां नहीं छीनने दूंगी-ममता बनर्जी

इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को राज्य के बर्खास्त शिक्षकों से मुलाकात की थी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रभावित हुए हजारों शिक्षकों ने अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए 'डिप्राइव्ड टीचर्स एसोसिएशन' नामक संगठन बनाया है। संगठन का दावा है कि उसके करीब 15 हजार सदस्य हैं। 

कोर्ट के आदेश के बाद एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु से मुलाक़ात की इच्छा जताई थी, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद इस बैठक में शामिल होने की सहमति दी। सोमवार को नेताजी इंडोर स्टेडियम में ममता बनर्जी ने बर्खास्त शिक्षकों से मुलाकात के दौरान कहा था कि मैं पश्चिम बंगाल में नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों के साथ खड़ी हूं, उनका सम्मान वापस दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करूंगी। जब तक मैं जिंदा हूं, किसी को भी आपकी नौकरियां नहीं छीनने दूंगी।

बीजेपी सरकार आने दो, मुस्लिम विधायकों को उठाकर बाहर फेंक देंगे” सुवेंदु अधिकारी का विवादित बयान

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पश्चिम बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसे लेकर सियासी पारा अभी से ही चढ़ गया है। इस बीच बंगाल में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने एक विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी अगली सरकार बनने पर मुस्लिम विधायकों को विधानसभा से बाहर फेंक देगी। अधिकारी के बयान पर राजनीति गरमा गई है।

पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के बीच हमेशा से तनाव के हालात देखे गए हैं। दोनों दलों के बीच कई बार तीखी नोंकझोंक देखने को मिलती है।खास तौर पर नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले रहते हैं। यही वजह है कि उन्हें कई बार सदन से बाहर तक कर दिया गया है। पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुवेंदु अधिकारी को 17 फरवरी को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था और वो अब पूरे बजट सत्र के लिए निलंबित हो चुके हैं। इस बीच सुवेंदु अधिकारी नो मुसलमानों को लेकर तीखा बयान दिया है।

सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि भाजपा की सरकार बनने के बाद मुस्लिम विधायकों को शारीरिक रूप से विधानसभा से बाहर फेंक देंगे। उन्होंने राज्य की ममता सरकार पर हमला करते हुए कहा था कि यह सरकार सांप्रदायिक प्रशासन चला रही है औरउन्होंने इसे मुस्लिम लीग का दूसरा रूप भी करार दिया था। उन्होंने कहा, बंगाल की जनता इस बार इस सरकार को उखाड़ फेकेंगी।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने इस बयान का विरोध किया है। टीएमसी ने इसे नफरत फैलाने वाला भाषण बताया। टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि एक जनप्रतिनिधि को इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, संसद या विधानसभा में बहस और तर्क हो सकते हैं। लेकिन किसी विशेष समुदाय के विधायकों को निशाना बनाना संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है। यह खतरनाक, भड़काऊ और अनैतिक है। यह एक आपराधिक अपराध भी है।

अगुस्ता वेस्टलैंड केसः जमानत के बाद भी जेल में रहना चाहता है क्रिश्चियन मिशेल, जानें क्या बताई वजह

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अगस्‍ता वेस्‍टलैंड हेलिकॉप्‍टर खरीद मामले में कथित घोटाले की बिचौलिए की भूमिका निभाने वाले क्रिश्चियन मिशेल को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट से जमानत मिल गई। लेकिन उन्‍होंने जमानत पर जेल से बाहर आने से इनकार कर दिया है।जेम्स ने "सुरक्षा जोखिम" के कारण जमानत पर बाहर जाने के बजाय अपनी सजा पूरी करने पर भारत छोड़ने की पेशकश की। उन्होंने कहा कि दिल्ली उनके लिए सुरक्षित नहीं है।

राउज एवेन्‍यू कोर्ट में क्रिश्चियन मिशेल की जमानत से जुड़ी शर्तों पर सुनवाई शुरू होने पर जज ने कहा कि ऐसा व्‍यक्ति जो 6 साल से जेल में बंद है, वह स्‍थानीय जमानतदार कोर्ट में कैसे पेश कर सकता है। इसके बाद स्‍पेशल जज ने मिशेल से उनका हालचाल पूछा। जज ने कहा, आप कैसे हैं, भगवान की कृपा से पिछले 2 महीनों में आपके साथ अच्छा हो गया है, आपको सीबीआई और ईडी के मामले में जमानत मिल गई है।

इस पर मिशेल ने जज से कहा, मेरे लिए दिल्ली बस एक बड़ा कारागार है। क्रिश्चियन मिशेल ने जज से कहा कि उसे जमानत मिल गई है, लेकिन वह जमानत पर जेल से बाहर नहीं आना चाहता है। मिशेल ने कोर्ट से कहा कि वह अपनी सजा पूरी करके देश छोड़ना चाहता हैं।

न्यायाधीश ने मिशेल से पूछा कि जब उसे जमानत मिल गई है तो वह जेल में कैसे रह सकता है। मिशेल ने कहा,मैं जमानत स्वीकार नहीं कर सकता। यह असुरक्षित है। हर बार जब मैं तिहाड़ (जेल) से बाहर निकलता हूं, तो कुछ न कुछ होता है। जमानत बांड प्रस्तुत करने के पहलू पर, उन्होंने कहा, एक व्यक्ति जो छह साल से जेल में है, वह स्थानीय जमानतदार कैसे पेश कर सकता है? मिशेल द्वारा इस बात पर जोर दिए जाने के बाद कि वह सुरक्षा कारणों से जमानत पर रिहा नहीं होना चाहता, न्यायाधीश ने पूछा, क्या आप दिल्ली में कोई सुरक्षित स्थान नहीं ढूंढ सकते? इसके बाद मिशेल ने निजी तौर पर उस घटना के बारे में बताने" की पेशकश की, जिसका सामना उसने एम्स में भर्ती होने के दौरान किया था।

इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने 4 मार्च को ईडी मामले में उसे जमानत दे दी थी और मिशेल को आवश्यक जमानत शर्तों के साथ पेश करने का निर्देश दिया था, जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने 18 फरवरी को निचली अदालत की शर्तों के अधीन सीबीआई मामले में राहत प्रदान की थी।

केजरीवाल के राज्यसभा जाने का रास्ता साफ! सांसद संजीव अरोड़ा को बनाया गया विधानसभा उपचुनाव का उम्मीदवार
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आम आदमी पार्टी की दिल्ली दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार हुई है। आप के साथ राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की भी करारी हार हुई। अब मीडिया के गलियारों में केजरीवाल के सियासी सफर पर अटकलें जारी है। अरविंद केजरीवाल के राज्यसभा जानें की अटकलें लगाई जा रही है। इस बीच आप ने संजीव अरोड़ा को लुधियाना वेस्ट का प्रत्याशी बनाया है। अब कहा जा रहा है कि संजीव अरोड़ा की खाली सीट से केजरीवाल राज्यसभा जाएंगे। हालांकि आम आदमी पार्टी ने इसका खंडन किया है।

संजीव अरोड़ा साल 2022 में राज्यसभा सांसद बने थे। अभी उनका करीब तीन साल का कार्यकाल बाकी है। इससे पहले दिल्ली की हार से उबरने के लिए आम आदमी पार्टी ने पंजाब में बड़ा दांव चला है। पार्टी ने लुधियाना वेस्ट विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव में अपने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को टिकट दिया है।

हालांकि अभी तक निर्वाचन आयोग ने चुनाव का ऐलान नहीं किया है, लेकिन पहले ही आम आदमी पार्टी ने अपने प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है। राजनीतिक गलियारों में आम आदमी पार्टी के इस ऐलान के कई मतलब निकाले जा रहे हैंष इस सीट पर अब तक किसी अन्य राजनीतिक दल ने अपने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है।

संजीव अरोड़ा के नाम ऐलान से पहले ही ऐसा कहा जा रहा था कि आप संयोजक अरविंद केजरीवाल अरोड़ा की सीट से राज्यसभा जा सकते हैं। हालांकि पार्टी ने इन अटकलों को खारिज किया है। आप की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि केजरीवाल राज्यसभा नहीं जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक केजरीवाल का मसला है तो मीडिया में यह भी कहा गया कि वह पंजाब के सीएम बनेंगे। अब मीडिया ही कह रहा है कि वह राज्यसभा का चुनाव लड़ेंगे। ये दोनों गलत हैं। अरविंद केजरीवाल आप के राष्ट्रीय संयोजक हैं। मैं जानती हूं कि उनकी हर जगह मांग है लेकिन वह किसी एक सीट तक सीमित नहीं हैं।

*केजरीवाल के लिए राह हुई आसान*
बता दें कि सुनील अरोड़ा द्वारा विधायक का चुनाव लड़े जाने पर उनकी राज्यसभा वाली सीट खाली हो जाएगी। उसके बाद बड़े आराम से अरविंद केजरीवाल को उस सीट पर राज्यसभा का उम्मीदवार बना दिया जाएगा। यह अपने आप में एक पूरी तरह से बिना खतरे वाला सौदा होगा। क्योंकि पंजाब में आम आदमी पार्टी का बहुमत है ऐसे में अरविंद केजरीवाल बड़े आराम से राज्यसभा का चुनाव जीत कर संसद पहुंच जाएंगे।

*कांग्रेस का दावा होगा सच!*
पंजाब कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने मंगलवार को आरोप लगाया कि केजरीवाल पंजाब के रास्ते राज्यसभा में जाना चाहते हैं। बाजवा ने दावा किया, केजरीवाल पंजाब के माध्यम से सत्ता में प्रवेश करना चाहते हैं, और कुछ राज्यसभा सदस्यों को उनके लिए त्याग करना होगा।
ममता बनर्जी ने क्यों की इस्तीफे की पेशकश, भाजपा से किस बात के लिए मांगा सबूत?

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी की ओर से लगाए जा रहे आरोपों के बाद आक्रोश जाहिर किया। ममता बनर्जी ने बीजेपी नेताओं पर झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए अचानक अपने इस्तीफे की बात कह दी।बीजेपी के नेता ने उन पर बांग्‍लादेशी आतंक‍ियों के साथ रिश्ते होने, कट्टरपंथ‍ियों के साथ संबंध होने के आरोप लगाए थे। इस पर ममता बनर्जी ब‍िफर गईं।ममता ने कहा कि अगर भाजपा विधायक इन आरोपों को साबित कर दें, तो वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगी।

पश्चिम बंगाल विधानसभा को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने अपने खिलाफ बेबुनियाद टिप्पणियां करने के लिए भाजपा विधायकों की आलोचना की। बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने विधानसभा से निलंबित होने के बाद ममता बजर्नी पर सनसनीखेज आरोप लगाए थे। ममता बनर्जी इसी का जवाब दे रही थीं। ममता ने कहा, वे कह रहे हैं कि मेरे आतंकवादियों से संबंध हैं। इससे तो मर जाना ही अच्छा है। मैंने कुछ नहीं कहा फिर भी आप सबने मेरा संबंध आतंकवादियों से जोड़ दिया? यह देश सबका है। क्या मैं हिंदू धर्म का अपमान करती हूं या मुस्लिम लीग का समर्थन करती हूं? मैं कश्मीर या बांग्लादेश से आये आतंकवादियों के साथ रहती हूं? अगर आप इस आरोप को साबित कर सकें तो मैं एक दिन में सीएम पद छोड़ दूंगी। मैं प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखूंगी और पूछूंगी कि क्या विपक्षी नेता मेरे खिलाफ इस तरह के आरोप लगा सकते हैं।

ममता ने कहा, अभिव्यक्ति की आजादी उन्हें (भाजपा विधायकों को) नफरत फैलाने वाले भाषण देने और लोगों को बांटने की अनुमति नहीं देती है। अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब नफरत फैलाने वाली बातें नहीं है। आप (भाजपा विधायक) राजनीतिक लाभ के लिए धर्म का सहारा लेते हैं, लेकिन हम ऐसा नहीं करते।

*Bengal Global Business Summit 2025 concluded today*

Desk : Finally, the Bengal Global Business Summit 2025 concluded with a Valedictory Session today at the Biswa Bangla Convention Centre.

The total investment proposals received in this eighth edition of BGBS come to Rupees 4 Lakh 40 thousand 595 crores.

Our mission is to create more and more employment and eliminate poverty in the State. Due to our continuous efforts, 1.72 crore individuals have been brought out of poverty in West Bengal.