नेपाल में सोशल मीडिया बैन से भड़की सत्ता-विरोधी लहर, अब नए संविधान, प्रतिनिधि सभा भंग करने की उठी मांग
#nepalgenzprotestersdemandsnewconstitution
नेपाल में जेनरेशन जेड (जेन-जी) आंदोलन अब बेकाबू होता जा रहा है। सोशल मीडिया बैन से भड़की युवा-नेतृत्व वाली लहर अब सत्ता-विरोधी सुनामी में बदल चुकी है। संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, सिंहदरबार सचिवालय और कई नेताओं के घरों को आग के हवाले कर दिया गया। इस बवाल के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने अचानक इस्तीफा दे दिया। हालात इतने बिगड़े कि सेना को मंगलवार रात 10 बजे से राष्ट्रीय सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने हाथ में लेनी पड़ी। देशभर में कर्फ्यू लागू है और सीमाएं सील कर दी गई हैं। इस बीच जेन जी प्रदर्शनकारियों ने कई राजनीतिक और सामाजिक मांगें रखी हैं।
सेना ने ली देश की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी
नेपाल में हालात बिगड़ने के बाद सेना ने सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली है। काठमांडू एयरपोर्ट और सरकार के मुख्य सचिवालय सिंहदरबार जैसे अहम ठिकानों पर सेना का नियंत्रण है. वहीं, देश की सीमाएं पूरी तरह बंद कर दी गई हैं। कर्फ्यू जारी है, हालांकि एंबुलेंस और शववाहन जैसी जरूरी सेवा से जुड़ी गाड़ियों को छूट दी गई है। सेना ने चेतावनी दी है कि प्रदर्शन, तोड़फोड़, लूट, आगजनी या किसी भी व्यक्ति और संपत्ति पर हमला अब दंडनीय अपराध माना जाएगा और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही सेना ने नागरिकों और मीडिया से अपील की है कि वे केवल आधिकारिक जानकारी पर भरोसा करें और किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें।
आर्मी चीफ जनरल अशोक राज सिग्देल खुद मोर्चे पर
हालात को शांत करने के लिए नेपाल आर्मी चीफ जनरल अशोक राज सिग्देल खुद मोर्चे पर हैं। उन्होंने देर रात जेन जी आंदोलन के प्रतिनिधियों को सेना मुख्यालय बुलाकर उनसे बातचीत की और उनकी मांगों को सुना। उन्होंने मौतों पर शोक जताते हुए युवाओं से संवाद के जरिए समाधान खोजने की अपील की। साथ ही उन्होंने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि मौजूदा कठिन परिस्थिति को सामान्य करना, सार्वजनिक और निजी संपत्ति की सुरक्षा करना और आम नागरिकों तथा राजनयिक मिशनों की सुरक्षा सुनिश्चित करना ही सेना की पहली प्राथमिकता है।
देश के संविधान में संशोधन की मांग
इधर नेपाल में केपी शर्मा ओली की सरकार को उखाड़ फेंकने वाले प्रदर्शनकारियों ने शासन में व्यापक सुधार और पिछले तीन दशकों में राजनेताओं की लूटी गई संपत्तियों की जांच की मांग की है। आंदोलनकारियों ने घोषणा की है कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान जान गंवाने वाले सभी लोगों को आधिकारिक शहीद का दर्जा दिया जाएगा। उनके परिवारों को राजकीय सम्मान, पहचान और सहायता दी जाएगी। इसकी सबसे प्रमुख मांगों में देश के संविधान में संशोधन या इसे नए तरीके से लिखा जाना शामिल है।
नई राजनीतिक व्यवस्था की बात
आयोजकों ने बेरोजगारी से निपटने, पलायन पर अंकुश लगाने और सामाजिक अन्याय को दूर करने के लिए विशेष कार्यक्रमों का भी वादा किया है। प्रदर्शनकारियों की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया, 'यह आंदोलन किसी पार्टी या व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि पूरी पीढ़ी और राष्ट्र के भविष्य के लिए है। शांति आवश्यक है, लेकिन यह एक नई राजनीतिक व्यवस्था की नींव पर ही संभव है।
6 hours ago