झारखंड में 'भारत बंद' का दिखा असर: कोयला खदानों से पावर प्लांट तक काम ठप, unions और BMS आमने-सामने

रांची, झारखंड: केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ केंद्रीय श्रमिक संगठनों द्वारा बुलाए गए देशव्यापी 'भारत बंद' का असर झारखंड के कई हिस्सों में स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है. विभिन्न यूनियनों के सदस्य हड़ताल को सफल बनाने के लिए सड़कों पर उतरे और कई जगहों पर चक्का जाम किया गया, जिससे सामान्य जनजीवन और औद्योगिक गतिविधियां प्रभावित हुईं.

धनबाद के कोयला क्षेत्रों में कामकाज ठप

बंद का सबसे ज्यादा असर झारखंड के कोयला खनन क्षेत्रों में दिखा. धनबाद जिले में स्थित गोविंदपुर उत्खनन विभाग, जो बीसीसीएल (BCCL) के 12 परिचालन क्षेत्रों में से एक है और कोयला खनन के लिए जाना जाता है, वहां यूनियन प्रतिनिधियों ने काम बंद करा दिया. इस इलाके में चालू और बंद दोनों तरह की खदानें मौजूद हैं, और मजदूरों की बड़ी संख्या ने हड़ताल का समर्थन किया.

इसके साथ ही, धनबाद के गांधीनगर क्षेत्र में भी देशव्यापी औद्योगिक हड़ताल का व्यापक असर दिखा. बोकारो में स्थित खासमहल कोनार परियोजना और बोकारो कोलियरी में संयुक्त मोर्चा के नेताओं ने कामकाज ठप कराया. इस दौरान कई जगहों पर यूनियन समर्थकों और काम पर जाने के इच्छुक लोगों के बीच तीखी झड़पें भी देखने को मिलीं, हालांकि पुलिस और प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया.

बोकारो थर्मल पावर प्लांट में प्रदर्शन, BMS ने हड़ताल को बताया असफल

बंद के समर्थन में बोकारो थर्मल पावर प्लांट के मेन गेट पर एएमसी-एआरसी (AMC-ARC) मजदूरों ने प्रदर्शन और नारेबाजी की. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने काला बिल्ला लगाकर अपना विरोध जताया, जो केंद्र सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ उनके आक्रोश को दर्शाता है. बताया गया कि सीसीएल (CCL) गोविंदपुर परियोजना में भी हड़ताल सफल रही और मजदूरों ने काम में हिस्सा नहीं लिया.

हालांकि, इन सबके बीच भारतीय मजदूर संघ (BMS) के नेताओं ने इस हड़ताल को असफल बताया है. बीएमएस, जो आमतौर पर केंद्र सरकार की नीतियों का समर्थन करता है, ने इस बंद में हिस्सा नहीं लिया है और वह हड़ताल के प्रभाव को कम आंक रहा है. यह श्रमिक संगठनों के बीच नीतिगत मतभेदों को भी उजागर करता है.

प्रमुख मांगें और भविष्य की रणनीति

यह राष्ट्रव्यापी हड़ताल मुख्य रूप से केंद्र सरकार की चारों श्रम संहिताओं को तत्काल रद्द करने, मजदूरों के लिए ₹26,000 न्यूनतम वेतन और ₹9,000 न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित करने, पुरानी पेंशन योजना बहाल करने, महंगाई पर रोक लगाने, आवश्यक वस्तुओं से जीएसटी हटाने और सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण को रोकने जैसी प्रमुख मांगों पर केंद्रित है.

हड़ताल के आयोजकों का मानना है कि यह बंद सरकार पर उनकी मांगों को मानने का दबाव बनाएगा. वहीं, सरकार और संबंधित मंत्रालय इस स्थिति पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं. आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस हड़ताल का सरकार की नीतियों और श्रमिक संगठनों के बीच संबंधों पर क्या दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है.

आज 25 करोड़ कामगारों की देशव्यापी हड़ताल, झारखंड में भी दिखेगा असर: बैंकिंग से कोयला खदानों तक कामकाज प्रभावित

रांची, झारखंड: आज देश भर में लगभग 25 करोड़ कामगार देशव्यापी हड़ताल पर रहेंगे, जिसका व्यापक असर झारखंड में भी देखने को मिलेगा. यह हड़ताल केंद्र सरकार की मजदूर और किसान विरोधी नीतियों के विरोध में दस केंद्रीय श्रमिक संगठनों और उनकी सहयोगी इकाइयों द्वारा बुलाई गई है. यूनियनों के संयुक्त मंच ने इसे 'भारत बंद' का नाम दिया है.

झारखंड में हड़ताल का व्यापक समर्थन

जानकारी के अनुसार, झारखंड के मजदूर संगठन भी इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में सक्रिय रूप से शामिल होंगे. भारतीय मजदूर संघ और उससे जुड़े संगठनों को छोड़कर अन्य सभी प्रमुख मजदूर संगठन इस आंदोलन का हिस्सा बन रहे हैं. कई राजनीतिक दलों ने भी इस आम हड़ताल को अपना समर्थन दिया है.

कोयला, बैंक, केंद्रीय कर्मचारी, राज्य सरकार के कर्मचारी, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका, बीड़ी, बॉक्साइट, स्टील, परिवहन उद्योग से जुड़े कर्मियों ने हड़ताल में शामिल होने की घोषणा की है. इसके अलावा, कई अन्य संगठनों ने इस आम हड़ताल को नैतिक समर्थन दिया है. हड़ताल को सफल बनाने के लिए मंगलवार को राजधानी रांची में मशाल जुलूस भी निकाला गया, जिसमें सीटू, एटक, एक्टू, एचएमएस, इंटक आदि संगठनों के सदस्यों ने हिस्सा लिया और लोगों से आंदोलन में शामिल होने की अपील की.

कोयला उद्योग में आंदोलन को सफल बनाने के लिए मजदूर संगठनों ने गेट और पीट मीटिंग का आयोजन किया. मजदूरों को बताया गया कि केंद्र सरकार श्रमिक विरोधी कानून ला रही है, जो देश हित में नहीं है. झारखंड में सीसीएल, बीसीसीएल, इसीएल (कुछ खदान) के साथ-साथ सीएमपीडीआई (CMPDI) में भी मजदूरों को हड़ताल में शामिल होने का आह्वान किया गया है. रांची स्थित एचईसी (HEC) में भी विभिन्न श्रमिक संगठनों, जैसे एटक से संबद्ध हटिया कामगार यूनियन, सीटू से संबद्ध हटिया मजदूर यूनियन और इंटक से संबद्ध हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन ने कामकाज बंद रखने का आह्वान किया है. केंद्रीय कर्मचारी एवं अधिकारी परिसंघ ने भी केंद्रीय कर्मचारियों से हड़ताल में शामिल होने का आह्नान किया है.

प्रमुख मांगें

इस हड़ताल की मुख्य मांगें निम्नलिखित हैं:

चारों श्रम संहिताओं को तत्काल रद्द किया जाए.

सभी मजदूरों के लिए ₹26,000 न्यूनतम वेतन और ₹9,000 न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित हो.

पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए.

महंगाई पर रोक लगे और आवश्यक वस्तुओं से जीएसटी हटाई जाए.

सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण रोका जाए.

यूनियन बनाने और सामूहिक सौदेबाजी के अधिकारों का सम्मान हो.

शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और पानी जैसी जरूरतों की सार्वजनिक गारंटी हो.

बिजली का निजीकरण रोका जाए और स्मार्ट मीटर बंद किए जाएं.

किसानों को फसल पर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी मिले.

वन अधिकार कानून में जनविरोधी संशोधन रद्द हों.

इन सेवाओं पर पड़ेगा बंद का असर

आज की हड़ताल के कारण निम्नलिखित सेवाएं प्रभावित होंगी:

बैंकिंग सेवाएं

बीमा कंपनियों का कामकाज

पोस्ट ऑफिस सेवाएं

कोयला खदानों का संचालन

राज्य परिवहन सेवाएं (सरकारी बसें)

हाईवे और कंस्ट्रक्शन साइट्स पर काम

सरकारी फैक्ट्रियों और सार्वजनिक उपक्रमों का प्रोडक्शन

इन सेवाओं को बंद से राहत

हालांकि, कुछ सेवाओं को इस बंद से राहत दी गई है:

निजी क्षेत्र की अधिकतर कंपनियां सामान्य रूप से काम करेंगी.

अस्पताल और मेडिकल इमरजेंसी सेवाएं चालू रहेंगी.

निजी स्कूल-कॉलेज और ऑनलाइन सेवाएं भी प्रभावित नहीं होंगी.

यह राष्ट्रव्यापी हड़ताल केंद्र सरकार पर अपनी नीतियों की समीक्षा करने और कामगारों व किसानों की मांगों पर ध्यान देने का दबाव बनाने का एक बड़ा प्रयास है.

झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं को मिलेगा नया आयाम: सदर अस्पताल, रांची में बनेगा केंद्रीय रेडियोलॉजी हब, मिलेगी 24x7 टेलीरेडियोलॉजी सुविधा

रांची, झारखंड: झारखंड सरकार ने राज्य में रेडियोलॉजी सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. अब सदर अस्पताल, रांची में एक केंद्रीय रेडियोलॉजी हब स्थापित किया जाएगा, जिसका उद्देश्य राज्य के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में एक्स-रे, सीटी स्कैन और एमआरआई जैसी रेडियोलॉजी सेवाओं की समान और निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करना है. यह पहल झारखंड की स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है.

डिजिटल कनेक्टिविटी से दूरदराज के मरीजों को लाभ

स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री अजय कुमार ने बताया कि इस हब के माध्यम से राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों को डिजिटल रूप से जोड़ा जाएगा. इस पहल का मुख्य उद्देश्य दूरदराज और संसाधनविहीन क्षेत्रों में रहने वाले मरीजों को तत्काल, सटीक और डिजिटल रेडियोलॉजिकल रिपोर्टिंग की सुविधा देना है. हब में कार्यरत रेडियोलॉजिस्ट एक्स-रे, सीटी स्कैन और एमआरआई की रिपोर्टों का मूल्यांकन कर संबंधित क्षेत्र और रोगियों को इमेज सहित रिपोर्ट उपलब्ध कराएंगे.

दो चरणों में होगा क्रियान्वयन, 24x7 सेवा

अपर मुख्य सचिव श्री अजय कुमार ने जानकारी दी कि यह योजना दो चरणों में लागू की जाएगी. पहले चरण में राज्य के सभी सदर अस्पताल इस रेडियोलॉजी हब से जोड़े जाएंगे. इससे उन क्षेत्रों में जहां रेडियोलॉजिस्ट उपलब्ध नहीं हैं, वहां के मरीजों को समय पर रिपोर्ट मिल पाएगी और इलाज में देरी नहीं होगी. इस परियोजना पर ₹1,21,27,100 (एक करोड़ इक्कीस लाख सत्ताईस हजार एक सौ रुपये) का खर्च अनुमानित है, जिसे पहले ही स्वीकृति मिल चुकी है.

हब के माध्यम से टेक्नीशियनों को उन्नत प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि वे एक्स-रे, एमआरआई और सीटी स्कैन जैसी तकनीकी प्रक्रियाएं बेहतर ढंग से संचालित कर सकें. यह केंद्रीय रेडियोलॉजी हब 24x7 टेलीरेडियोलॉजी रिपोर्टिंग केंद्र के रूप में काम करेगा, जिससे हर समय विशेषज्ञ सेवाएं उपलब्ध रहेंगी.

परियोजना के मुख्य उद्देश्य

श्री अजय कुमार ने इस परियोजना के मुख्य उद्देश्यों पर प्रकाश डाला:

टर्नअराउंड समय (रिपोर्ट मिलने का समय) कम करके रोगियों को त्वरित निदान उपलब्ध कराना.

स्वास्थ्य सेवा में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आधारित इमेजिंग तकनीक को बढ़ावा देना.

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच स्वास्थ्य सेवाओं की विषमता को कम करना.

स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करना.

निदान क्षमता में वृद्धि और रिपोर्ट की त्वरित उपलब्धता

अपर मुख्य सचिव श्री अजय कुमार ने कहा कि सीएचसी, एसडीएच और रेफरल अस्पतालों जैसे स्वास्थ्य सेवा के अंतिम पड़ावों को केंद्रीय रेडियोलॉजी हब से जोड़ने से स्वास्थ्य क्षेत्र में निदान क्षमता बढ़ेगी. इससे राज्य में रेडियोलॉजिस्टों की कमी से निपटने में भी मदद मिलेगी. साथ ही, समय पर रेडियोलॉजी रिपोर्ट ऑनलाइन उपलब्ध होंगी, जिससे गंभीर बीमारियों की शीघ्र पहचान और उपचार संभव हो सकेगा.

यह नई पहल न केवल चिकित्सा रिपोर्टिंग प्रणाली को दक्ष बनाएगी, बल्कि झारखंड की स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित होगी.

सीएम हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन ने मेदांता में मंत्री हफीजुल हसन से मुलाकात की, शीघ्र स्वस्थ होने की कामना

गुड़गांव, हरियाणा: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और विधायक कल्पना सोरेन ने आज गुड़गांव स्थित मेदांता हॉस्पिटल में इलाजरत राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण एवं जल संसाधन मंत्री श्री हफीजुल हसन से मुलाकात कर उनका कुशल-क्षेम जाना. मुख्यमंत्री ने उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की.

यह उल्लेखनीय है कि मंत्री श्री हफीजुल हसन हाल ही में एक सफल हार्ट सर्जरी के उपरांत यहां चिकित्सकों की निगरानी में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं. मुख्यमंत्री और विधायक की यह मुलाकात उनके प्रति एकजुटता और समर्थन को दर्शाती है.

झामुमो अपनी असफलता छुपाने के लिए केंद्र सरकार पर अनर्गल आरोप लगा रही है - प्रतुल शाह देव

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा अपनी 6 वर्षों की सबसे असफल सरकार की विफलताओं को छुपाने के लिए केंद्र सरकार पर अनर्गल आरोप लगा रही है।प्रतुल ने कहा कि झारखंड का केंद्र सरकार ने झारखंड को 2024-25 के केंद्रीय बजट में रेलवे परियोजनाओं के लिए ₹9,853 करोड़ आवंटित किए हैं, जिसमें अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत रांची, हटिया, और अन्य स्टेशनों का आधुनिकीकरण शामिल है। खनन क्षेत्र में रॉयल्टी और जीएसटी के माध्यम से झारखंड को उसका उचित हिस्सा मिल रहा है।जल जीवन मिशन में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण झारखंड सरकार ने इस योजना को लूट की भेट चढ़ा दी है। ये योजना अभी भी राष्ट्रीय औसत में सबसे नीचे है जो शर्मनाक है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत 10,000 किमी से अधिक ग्रामीण सड़कें बनाई गई हैं। केंद्र सरकार की डीएमएफटी योजना के तहत झारखंड को खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए 2024 तक ₹12,000 करोड़ से अधिक की राशि प्राप्त हुई है।प्रतुल ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2024-25 में मनरेगा के लिए ₹86,000 करोड़ का बजट आवंटित किया है, जिसमें झारखंड को उसकी मांग के अनुसार राशि दी जा रही है। झारखंड में मनरेगा कार्यों में देरी और भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आई हैं, जिसके लिए हेमंत सरकार जिम्मेवार है। 2024-25 में जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने झारखंड के लिए ₹1,200 करोड़ से अधिक का आवंटन किया है। यदि राशि का उपयोग नहीं हो रहा, तो यह राज्य सरकार की प्रशासनिक अक्षमता को दर्शाता है।15वें वित्त आयोग के तहत झारखंड को 2021-26 के लिए ₹31,000 करोड़ से अधिक की राशि दी गई है

एक तरफ पैसे की मांग,दूसरी तरफ वित्त मंत्री की स्वीकारोक्ति की विभाग पैसा खर्च नहीं कर रहे

झामुमो को केंद्र पर आरोप लगाने से पहले अपनी सरकार की विफलताओं पर ध्यान देना चाहिए।वित्त मंत्री ने खुद स्वीकार किया है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष के 3 महीने बीत जाने के बाद भी अनेक विभागों में खर्च शून्य है जिसमें कृषि जैसा महत्वपूर्ण विभाग शामिल है।पिछले महीने ही कैबिनेट की बैठक के दौरान लंबे समय तक बिजली का कटना हेमंत सरकार की सच्चाई से अवगत कराती है।

पूर्णिया की घटना अत्यंत दुखद

प्रतुल ने कहा कि पूर्णिया की घटना अत्यंत दुखद है। बिहार सरकार ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की है। बिहार पुलिस ने इस मामले में तुरंत FIR दर्ज की और दोषियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू कर दी है। एनसीरबी के आंकड़ों के अनुसार बिहार में अपराध दर 2012-14 (यूपीए शासनकाल) की तुलना में 2024 में 30% कम हुई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के शासनकाल में पिछले साढे पांच वर्षों में 8000 से ज्यादा बलात्कार की घटना हुई है जिसमें लगभग एक तिहाई घटनाएं में आदिवासी बेटियां शिकार हुई है।यह आंकड़ा आबुआ सरकार की पोल खोलने के लिए काफी है।

बिहार एसआईआर फॉर्म संग्रह आधे रास्ते तक पहुंचा, 14 दिनों में 46.95% काम पूरा; 17 दिन शेष

पटना, बिहार: बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है, और ऐसा लगता है कि गणना फॉर्म संग्रह का कार्य निर्धारित अंतिम तिथि 25 जुलाई, 2025 से काफी पहले पूरा हो जाएगा. 24 जून, 2025 को एसआईआर निर्देश जारी होने के बाद से पहले 14 दिनों में, कुल 7,89,69,844 (लगभग 7.90 करोड़) मतदाताओं में से 3,70,77,077 गणना फॉर्म एकत्र किए जा चुके हैं, जो कुल का 46.95% है (8 जुलाई, 2025 को शाम 6 बजे तक).

फॉर्म वितरण और अपलोडिंग की स्थिति

अभियान के पहले दो हफ्तों में, 7.90 करोड़ फॉर्म मुद्रित किए गए थे, और इनमें से 97% से अधिक फॉर्म (7,70,44,990) मतदाताओं को वितरित किए जा चुके हैं. साथ ही, 18.16% फॉर्म ECINET पर अपलोड किए जा चुके हैं. यह देखा गया है कि बड़ी संख्या में संभावित मतदाता एसआईआर आदेश दिनांक 24.06.25 में निर्दिष्ट पात्रता दस्तावेजों के साथ गणना फॉर्म जमा करना पसंद कर रहे हैं.

तेज गति से संग्रह कार्य जारी

अब प्रयास शेष आधे गणना फॉर्म और पात्रता दस्तावेजों को एकत्र करने का है, जबकि 25 जुलाई से पहले अभी भी 17 दिन बाकी हैं. पिछले 24 घंटों में यानी कल शाम 6 बजे से, 82,78,617 गणना फॉर्म एकत्र किए गए हैं, जो एक ही दिन में 10.5% संग्रह के बराबर है. फील्ड में इसी गति को बनाए रखते हुए, और लगभग 50 प्रतिशत फॉर्म शेष रहने के साथ, यह अभ्यास समय पर पूरा किया जा सकता है.

जमीनी स्तर पर बढ़े हुए प्रयास

संग्रह के प्रयासों को तेज करने के लिए जमीनी स्तर पर 20,603 अतिरिक्त बीएलओ (बूथ लेवल अधिकारी) जोड़े गए हैं. पहले से ही, 77,895 बीएलओ मतदाताओं को उनके गणना फॉर्म भरने और उन्हें एकत्र करने में मदद करने के लिए घर-घर जा रहे हैं. बीएलओ ने पहले ही प्रत्येक घर में अपनी अनिवार्य तीन विजिट में से पहली पूरी कर ली है, और दूसरी विजिट चल रही है.

लगभग 4 लाख स्वयंसेवक, जिनमें सरकारी अधिकारी, एनसीसी कैडेट, एनएसएस सदस्य आदि शामिल हैं, भी एसआईआर प्रक्रिया में बुजुर्गों, पीडब्ल्यूडी (दिव्यांगजनों), बीमार और कमजोर आबादी को सुविधा प्रदान करने के लिए मैदान में काम कर रहे हैं.

प्रशासनिक और राजनीतिक दलों का सहयोग

इसके अलावा, सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों (ACs) को कवर करने वाले ईआरओ (निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी), 963 एईआरओ (सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी), 38 डीईओ (जिला निर्वाचन अधिकारी) और राज्य के सीईओ (मुख्य निर्वाचन अधिकारी) मतदाताओं को अपने फॉर्म जमा करने की सुविधा के लिए जमीनी स्तर पर मौजूद हैं.

सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों ने भी बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) की नियुक्ति तेज कर दी है, और वे सक्रिय रूप से मैदान में भाग ले रहे हैं. आज की तारीख तक, 1,56,626 बीएलए नियुक्त किए जा चुके हैं, जो अभियान की शुरुआत में 1,38,680 थे. वे अभी भी चुनावी रोल पर मैनुअल के 25.2.1 के अनुसार और बीएलए नियुक्त कर सकते हैं.

यह दिखाता है कि बिहार में मतदाता पुनरीक्षण अभियान अपनी तय समय-सीमा के भीतर सफलतापूर्वक पूरा होने की दिशा में अग्रसर है.

रांची: 13 साल से परेशान रिटायर्ड श्रीकांत तिवारी को डीसी के जनता दरबार में मिली राहत, 10 मिनट में हुआ जमीन का म्यूटेशन

रांची, झारखंड: राजधानी रांची में सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और त्वरित समाधान का एक बेहतरीन उदाहरण सामने आया है. प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से रिटायर्ड वरिष्ठ नागरिक श्रीकांत तिवारी का 13 साल का लंबा इंतजार आज उपायुक्त-सह-जिला दण्डाधिकारी, रांची श्री मंजूनाथ भजन्त्री के जनता दरबार में खत्म हो गया. उनकी जमीन का दाखिल-खारिज (म्यूटेशन) जनता दरबार के दौरान ही मात्र 10 मिनटों में पूरा कर दिया गया.

भावुक हुए श्रीकांत तिवारी, डीसी और सीएम का जताया आभार

अपनी जमीन का म्यूटेशन होने के बाद उपायुक्त श्री मंजूनाथ भजन्त्री को धन्यवाद देने पहुंचे श्रीकांत तिवारी भावुक हो गए. रुंधे गले से उन्होंने माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन और उपायुक्त श्री मंजूनाथ भजन्त्री का आभार प्रकट किया. उन्होंने कहा, "थैंक यू डीसी सर!" यह घटना सरकारी कार्यालयों में आम जनता को होने वाली परेशानियों और एक संवेदनशील प्रशासन द्वारा उनके समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश देती है.

13 साल का इंतजार, 10 मिनट में समाधान

श्रीकांत तिवारी नामकुम अंचल के तुपुदाना मौजा में 07 डिसिमल जमीन के दाखिल-खारिज के लिए वर्ष 2012 से लगातार प्रयासरत थे. अपनी फरियाद लेकर वे उपायुक्त-सह-जिला दण्डाधिकारी, रांची श्री मंजूनाथ भजन्त्री के जनता दरबार पहुंचे. उपायुक्त ने उनके सारे दस्तावेज देखने के बाद तत्काल फोन पर ही नामकुम अंचल अधिकारी को म्यूटेशन का निर्देश दिया. इस त्वरित कार्रवाई का परिणाम यह रहा कि श्रीकांत तिवारी की जमीन का दाखिल-खारिज सिर्फ 10 मिनट में हो गया, जिससे उनकी 13 साल की परेशानी का अंत हुआ.

उपायुक्त का सख्त निर्देश: "पदाधिकारी/कर्मी जिम्मेवारी के साथ कार्य करें"

इस घटना के बाद उपायुक्त-सह-जिला दण्डाधिकारी श्री मंजूनाथ भजन्त्री ने सभी पदाधिकारी और कर्मियों को सख्त निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि आम जनता को बेवजह कार्यालय का चक्कर न लगाना पड़े और उन्हें परेशानी न हो, इसके लिए सभी पदाधिकारी/कर्मी पूरी जिम्मेवारी के साथ कार्य करें. उपायुक्त का यह रुख दर्शाता है कि वे प्रशासनिक कार्यों में दक्षता, पारदर्शिता और जन-केंद्रित दृष्टिकोण को बढ़ावा देना चाहते हैं.

यह मामला रांची जिला प्रशासन की जनता के प्रति जवाबदेही और समस्याओं के त्वरित समाधान की प्रतिबद्धता को उजागर करता है, जिससे आम नागरिकों में सरकारी व्यवस्था के प्रति विश्वास बढ़ेगा.

चक्रधरपुर विधायक सुखराम उरांव के घर आया नन्हा मेहमान, दूसरी बार दादा बनने पर सोशल मीडिया पर साझा की खुशी

चक्रधरपुर, झारखंड: चक्रधरपुर विधानसभा सीट से विधायक सुखराम उरांव के घर एक नन्हे मेहमान का आगमन हुआ है. उनकी पुत्रवधू ने एक बेटे को जन्म दिया है, जिससे विधायक दूसरी बार दादा बन गए हैं. इस खुशी को उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पहले ट्विटर) पर अपने पोते की एक प्यारी सी तस्वीर साझा करते हुए व्यक्त किया.

दादा सुखराम उरांव का भावुक संदेश

विधायक सुखराम उरांव ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "मेरा पौत्र, नन्हा दोस्त, दादा की पूंजी…आप सभी का आशीर्वाद बना रहे." इस संदेश के साथ ही उन्हें सोशल मीडिया यूजर्स से ढेरों बधाइयां मिल रही हैं, जो उनके परिवार में आए इस नए सदस्य पर खुशी जाहिर कर रहे हैं.

लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं सुखराम उरांव

सुखराम उरांव चक्रधरपुर विधानसभा सीट से लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं. उन्होंने सबसे पहले 2005 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर विधायक बने थे. 2009 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2014 में झामुमो ने इस सीट पर वापसी की और शशिभूषण समद विधायक चुने गए. 2019 में सुखराम उरांव एक बार फिर झामुमो के टिकट पर इस सीट से विधानसभा पहुंचे और इसके बाद 2024 में उन्होंने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की, अपनी राजनीतिक पकड़ को मजबूत बनाए रखा.

यह खुशी का पल उनके व्यक्तिगत और राजनीतिक जीवन दोनों में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ता है.

रांची की सरकारी शराब दुकानों का संचालन अब होमगार्ड करेंगे, प्लेसमेंट एजेंसियों की जगह 367 जवानों की होगी तैनाती

रांची, झारखंड: राजधानी रांची में सरकारी शराब दुकानों के संचालन को लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया है. अब तक प्लेसमेंट एजेंसियों द्वारा संचालित की जा रही शराब दुकानों की जिम्मेदारी अब होमगार्ड के जवानों को सौंपी जाएगी. इस संबंध में रांची डीसी ने एक पत्र लिखा है.

166 दुकानों के लिए 367 जवानों की होगी प्रतिनियुक्ति

जानकारी के अनुसार, रांची जिले में कुल 166 खुदरा शराब दुकानें हैं, जिनमें 76 विदेशी शराब दुकानें, 41 देशी शराब दुकानें और 49 कंपोजिट शराब दुकानें शामिल हैं. इन दुकानों के सुचारू संचालन के लिए कुल 367 होमगार्ड जवानों की प्रतिनियुक्ति की आवश्यकता होगी:

76 विदेशी शराब दुकानों के लिए प्रति दुकान तीन जवानों के हिसाब से कुल 228 जवान.

41 देशी शराब दुकानों के लिए प्रति दुकान एक जवान के हिसाब से कुल 41 जवान.

49 कंपोजिट शराब दुकानों के लिए प्रति दुकान दो जवानों के हिसाब से कुल 98 जवान.

डीसी ने होमगार्ड समादेष्टा को लिखा पत्र

बताया जा रहा है कि रांची जिले में उत्पाद विभाग से जुड़े दुकानों के संचालन के लिए कुल 367 जवानों की यह नियुक्ति जिला उत्पाद कार्यालय रांची में आवश्यक है. इस संबंध में डीसी मंजूनाथ भजंत्री ने होमगार्ड के समादेष्टा को पत्र लिखा है.

पत्र में स्पष्ट किया गया है कि शराब दुकानों की बंदोबस्ती और संचालन नियमावली को लागू करने में अभी दो महीने का समय लग सकता है. मौजूदा प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से दुकानों का संचालन जारी रखना गड़बड़ी की आशंकाओं के कारण सही नहीं प्रतीत हो रहा है. इसलिए, अब होमगार्ड के जवान ही रांची में शराब दुकानों का संचालन करेंगे, जिससे पारदर्शिता और बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके.

अशोक कुमार सहगल ने PVUNL के नए CEO के रूप में कार्यभार संभाला, ऊर्जा क्षेत्र में 35 वर्षों का अनुभव

पतरातू, झारखंड | 6 जुलाई 2025: श्री अशोक कुमार सहगल ने आज पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (PVUNL), पतरातू के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) का पदभार ग्रहण कर लिया है. उनके पास एनटीपीसी में 35 वर्षों से अधिक का समृद्ध और बहुआयामी अनुभव है, जो PVUNL की निर्माणाधीन परियोजनाओं को नई गति देने में महत्वपूर्ण साबित होगा.

PVUNL: झारखंड के ऊर्जा परिदृश्य को सशक्त करने का लक्ष्य

पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (PVUNL) एनटीपीसी और JBVNL का एक संयुक्त उपक्रम है. इसकी स्थापना झारखंड में 4000 मेगावाट क्षमता का आधुनिक ताप विद्युत संयंत्र स्थापित करने के उद्देश्य से की गई थी. इसकी पहली चरण की परियोजना 2400 MW (3X800) मेगावाट की है, जिसमें से पहली इकाई का कार्य तेजी से चल रहा है. श्री सहगल के नेतृत्व में उम्मीद है कि यह परियोजना अपने निर्धारित लक्ष्यों को और भी तेजी से प्राप्त करेगी.

अनुभवी नेतृत्व और बहुआयामी पृष्ठभूमि

श्री सहगल ने वर्ष 1989 में एनटीपीसी में एक्जीक्यूटिव ट्रेनी के रूप में कमीशनिंग एंड टेस्टिंग डिपार्टमेंट से अपनी सेवा शुरू की थी. तब से, उन्होंने संचालन, अनुरक्षण, टरबाइन तकनीक, परियोजना प्रबंधन, प्लांट ओवरऑल ऑपरेशन, तथा कॉर्पोरेट मॉनिटरिंग जैसे विविध तकनीकी और प्रबंधकीय क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है. उन्होंने तालचर कनिहा में परियोजना प्रमुख (BUH) के तौर पर भी कार्य किया, जिस दौरान इस प्रोजेक्ट ने कई महत्वपूर्ण कीर्तिमान स्थापित किए और एनटीपीसी में अग्रणी परियोजना बना.

शैक्षणिक रूप से, श्री सहगल ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक (B.E.) की उपाधि प्राप्त की है. इसके अलावा, उन्होंने आईआईटी दिल्ली से पावर इंजीनियरिंग में एम.टेक, भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) बेंगलुरु से उच्च प्रबंधन प्रशिक्षण, और इग्नू से फाइनेंस में पी.जी. डिप्लोमा भी किया है. उन्होंने अमेरिका के सिलिकॉन वैली में एडवांस मैनेजमेंट प्रशिक्षण भी प्राप्त किया है, जिससे उनके नेतृत्व कौशल और वैश्विक दृष्टिकोण को और सुदृढ़ता मिली है. उनका यह बहुआयामी शैक्षणिक और व्यावसायिक अनुभव निश्चित रूप से PVUNL को तकनीकी उत्कृष्टता और परियोजना लक्ष्यों को प्राप्त करने में उत्कृष्ट मार्गदर्शन प्रदान करेगा.

श्री सहगल अपने सौम्य व्यवहार, सशक्त नेतृत्व क्षमता, तकनीकी कुशलता और व्यावसायिक निर्णय शक्ति के लिए जाने जाते हैं. उनके नेतृत्व में PVUNL अपनी निर्माणाधीन 3x800 मेगावाट ताप विद्युत परियोजना के कार्यान्वयन में और भी गति प्रदान करेगा, जिससे झारखंड राज्य के ऊर्जा परिदृश्य को सशक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सकेगी.