चुनाव आयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची कांग्रेस, नियमों में बदलाव की मांग

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कांग्रेस चुनाव आयोग के नियमों में बदलाव को लेकर केंद्र सरकार के हालिया फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। दरअसल, केन्द्र की मोदी सरकार ने सीसीटीवी कैमरे और वेबकास्टिंग फुटेज के साथ-साथ उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण को रोकने के लिए चुनाव से संबंधित नियम में बदलाव किया है, ताकि उनका दुरुपयोग रोका जा सके। अब कांग्रेस ने हाल ही में किए गए इन संशोधनों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस संबंध में मंगलवार को एक याचिका दायर की। जयराम रमेश ने याचिका दायर करने की जानकारी एक्स पर दी। जयराम रमेश ने याचिका दायर करने के बाद एक्स पर लिखा, "निर्वाचनों का संचालन नियम 1961 में हाल के संशोधनों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट दायर की गई है। चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है। इस पर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी है, इसलिए इसे एकतरफा और सार्वजनिक विचार-विमर्श के बिना इतने महत्वपूर्ण नियम में इतनी निर्लज्जता से संशोधन करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। उस परिस्थिति में तो विशेष रूप से नहीं जब वह संशोधन चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने वाली आवश्यक जानकारी तक सार्वजनिक पहुंच को समाप्त करता है। चुनावी प्रक्रिया में सत्यनिष्ठा तेजी से कम हो रही है। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इसे बहाल करने में मदद करेगा।"

सरकार ने किन नियमों को बदला?

चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 93 अनुबंधों के मुताबिक, चुनाव से संबंधित सभी 'कागजात' सार्वजनिक निरीक्षण के लिए रखे जाएंगे। यानी ये सार्वजनिक स्तर पर उपलब्ध होंगे। अब केंद्र सरकार ने इस नियम में संशोधन किया है। इसके तहत अब नियम 93 की शब्दावली में 'कागजातों' के बाद 'जैसा कि इन नियमों में निर्दिष्ट है' शब्द जोड़े गए हैं।

चुनाव आयोग से मशवरे के बाद केंद्रीय कानून और विधि मंत्रालय की तरफ से किएगए बदलावों के बाद अब चुनाव संबंधी सभी दस्तावेजों को सार्वजनिक निरीक्षण के लिए नहीं रखा जाएगा। अब आम जनता सिर्फ उन्हीं चुनाव संबंधी दस्तावेजों को देख सकेगी, जिनका जिक्र चुनाव कराने से जुड़े नियमों में पहले से तय होगा।

इसका क्या असर होने वाला है?

चूंकि नामांकन फार्म, चुनाव एजेंट की नियुक्ति, परिणाम और चुनाव खाता विवरण जैसे दस्तावेजों का जिक्र चुनाव संचालन नियमों में किया गया है, इसलिए इन्हें सार्वजनिक निरीक्षण के लिए बरकरार रखा जाएगा। हालांकि, आदर्श आचार संहिता अवधि के दौरान सीसीटीवी कैमरा फुटेज, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज चुनाव संचालन नियमों के दायरे में नहीं आते हैं। ऐसे में यह दस्तावेज जनता की पहुंच से दूर हो जाएंगे।

हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जजों को मिल रही कितनी पेंशन? सुप्रीम कोर्ट ने बताया बेहद दयनीय

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सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों को मिलने वाली पेंशन को लेकर निराशा जाहिर की है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट के कुछ रिटायर्ड जजों को 10,000 रुपये से 15,000 रुपये के बीच पेंशन दिए जा रहे हैं। यह दयनीय है।न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि हर मामले में कानूनी दृष्टिकोण अपनाना ठीक नहीं है। कुछ मामलों में मानवीय दृष्टिकोण भी अपनाया जाए।

उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की पेंशन से जुड़े मुद्दे वाली याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। इस दौरान सरकार की ओर पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने पीठ से अनुरोध किया कि मामले की सुनवाई जनवरी में की जाए। सरकार इस मुद़्दे को सुलझाने का प्रयास करेगी।

पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह अच्छा होगा कि आप उन्हें पूरी स्थिति के बारे में समझाएं कि हमारे हस्तक्षेप से भी बचा जाना चाहिए।पीठ ने कहा कि इस मामले पर कोई भी निर्णय अलग-अलग मामलों के आधार पर नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट की ओर से जो भी निर्णय लिया जाएगा। यह निर्णय सभी उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों पर समान रूप से लागू होगा। पीठ ने कहा कि अब इस मामले की 8 जनवरी को सुनवाई होगी।

उच्च न्यायालय के एक रिटायर्ड जज ने पीठ के समक्ष याचिका दायर की थी. पीठ उस पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें केवल 15,000 रुपये की ही पेंशन मिल रही है। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में 13 साल तक न्यायिक अधिकारी के रूप में सेवा दी थी। उसके बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किए गये थे।

यह मामला पहली बार नहीं है जब न्यायालय ने इस तरह की समस्या पर चिंता जताई है। मार्च में, शीर्ष अदालत ने कहा था कि पेंशन लाभ की गणना में यह भेदभाव नहीं किया जा सकता कि न्यायाधीश बार से आए हैं या जिला न्यायपालिका से पदोन्नत हुए हैं. अदालत ने यह भी कहा कि पेंशन का निर्धारण अंतिम वेतन के आधार पर होना चाहिए। अदालत ने पूर्व में यह भी बताया कि कुछ न्यायाधीशों को केवल 6,000 रुपये तक की पेंशन दी जा रही थी, जो कि उनके पद और सेवा के मानदंडों के खिलाफ है।

Pooja Enterprises, led by Mr. Sanjay Kaushal, revolutionizes the uniform and disposable wear industry across India and globally.

Pooja Enterprises from the city of Chandigarh has emerged as a manufacturing and supplying company of supreme quality uniforms and disposable wear. Initially it was operating since 2004 under sole proprietorship but the company has grown into a recognized organization not only in India but also in the international market offering segmented solutions in different sectors such as education, healthcare, corporate & hospitality.

Pooja Enterprises has wide popularity due to the vast assortment in its offer, including school uniform, formal wear, hospital uniform, chefs uniform, disposable shoe cover, disposable bouffant caps, blazers, corporate uniforms, laboratory coat with pocket, beard cover, and plastic disposable gloves. They come in durable material, quality texture and are effective when it comes to color fading; they are comfortable and thus serve the best satisfaction of the professionals and students. In this case the company sets itself apart from other manufacturers of pendants in that they can produce the designs in the logos of the brands in question.

Its collection of school uniforms, skirts, T-shirts, trousers, and the latest KV School Uniform makes Pooja Enterprises stand out in this niche. These uniforms are also crafted with minute attention to detail, offering both style and practicality. It takes the process further by arranging school uniform counters at school premises for easy accessibility by parents and students.

For the corporate world, Pooja Enterprises caters to high-end shirts and T-shirts, providing professional appeal along with comfort. Their hospital uniforms, comprising medical lab coats and other specialized ladies' uniforms, meet high standards for quality and hygiene, as they address the challenging needs of the healthcare industry. Even the hospitality sector benefits from its range of chef coats and designer chef uniforms, which are both functional and fashionable.

Behind the success of the company lies a robust manufacturing facility that is equipped with the latest machinery, enabling bulk production while upholding international standards. Wrinkle-free fabrics and perfect stitching ensure durability and aesthetic appeal for each product. The infrastructure also enables them to deliver orders on time, neatly ironed, and packed.

Mr. Sanjay Kaushal's leadership has greatly contributed to the success story of this company. With his innovative approach and strong connections in the industry, Pooja Enterprises has always been very responsive to the market's demands. Under his guidance, the company has exported its products to the United States, United Kingdom, Germany, Nepal, and Italy, increasing its international presence.

Client satisfaction is at the heart of Pooja Enterprises' philosophy. The company actively seeks feedback to refine its products and services, ensuring that every order meets the unique needs of its clients. With a focus on affordability and reliability, Pooja Enterprises has built strong partnerships with key customers such as Manchanda Mix Bag and New Public Departmental Stores.

As such, the quality assurance in which Pooja Enterprises is certified ensures that only quality raw materials are used to meet domestic and international standards. Their commitment to excellence has earned them a reputation for being unmatched in their quality uniforms and disposable wear. Hence, they emerge as an ideal choice for schools, corporations, hospitals, and hotels.

As the company continues growing, Pooja Enterprises strives to provide innovative, high-quality solutions that meet the demands of its clients while also solidifying its market leadership in the uniform and disposable wear industry.

ड्रग्स लेना बिल्कुल भी 'कूल' नहीं” सुप्रीम कोर्ट ने युवाओं को दी चेतावनी
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* सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देश के युवाओं में बढ़ रही नशे की लत पर गहरी चिंता जाहिर की और युवाओं को चेताते हुए कहा कि ड्रग्स लेना बिल्कुल भी 'कूल' नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने ड्रग्स तस्करी के आरोपी अंकुश विपन कपूर के खिलाफ एनआईए जांच की मंजूरी देते हुए ये टिप्पणी की। अंकुश विपन कपूर पर आरोप है कि वह पाकिस्तान से समुद्र के रास्ते भारत में होने वाली हेरोइन तस्करी में शामिल है। न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कहा कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग को एक टैबू नहीं माना जाना चाहिए, लेकिन इस मुद्दे से निपटने के लिए एक खुली चर्चा की आवश्यकता है। जस्टिस नागरत्ना ने चेतावनी देते हुए कहा कि ड्रग्स इस्तेमाल के सामाजिक और आर्थिक खतरों के साथ ही मानसिक खतरे भी हैं। साथ ही पीठ ने युवाओं में बढ़ रही नशे की लत के खिलाफ तुरंत सामूहिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। अदालत ने माता-पिता, समाज और सरकारों से मिलकर इस समस्या के खिलाफ लड़ने को कहा। हम भारत में नशे संबंधी मुद्दों पर चुप रहते हैं और इसका फायदा आतंकवाद का समर्थन करने और हिंसा को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। पीठ ने कहा कि ड्रग्स का असर उम्र, जाति और धर्म से परे हैं और इसके पूरे समाज और व्यवस्था पर गंभीर परिणाम होते हैं। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि ड्रग्स से होने वाली कमाई से ही आतंकवाद और समाज को अस्थिर करने के लिए फंडिंग होती है। पीठ ने समस्याओं से भागने वाले रवैये पर चिंता जताते हुए कहा कि इस गंभीर खतरे के खिलाफ सभी को एकजुट होना पड़ेगा। खासकर युवाओं से इस चुनौती से निपटने के लिए प्रयास करने की अपील की। पीठ ने कहा कि नशे के शिकार व्यक्ति के साथ सहानुभूति और प्यार से पेश आने की जरूरत है। ड्रग तस्करों की कमाई पर प्रहार करने की जरूरत है। ड्रग्स का महिमामंडन बंद होना चाहिए और इसके खतरों के प्रति युवाओं को जागरुक किया जाना चाहिए।
दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप-4 से लगी पाबंदी हटी, कम होते प्रदूषण के बीच सुप्रीम कोर्ट का फैसला

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देश की राजधानी दिल्ली और उसके आस-पास की हवा में सुधार देखा जा रहा है। इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में लागू किए गए ग्रैप 4 प्रतिबंधों में छूट की अनुमति दी है।दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर गुरुवार को चल रही सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने दिल्ली-एनसीआर से ग्रैप-4 को हटाने का आदेश दिया।

ग्रैप-2 के स्तर से नीचे नहीं जाने की सलाह

रिस्पॉन्स एक्शन प्लान के सवाल पर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ने ब्रीफ नोट दिया, जिसमें एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) का ब्यौरा था। इसके मुताबिक एयर क्वॉलिटी लेवल में सुधार है और यह कम हो रहा है। इसके बाद कोर्ट ने कहा, ग्रैप-4 को हटाने का आदेश देते हैं और आगे ग्रैप तय करने का जिम्मा कमीशन फोर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) पर छोड़ते हैं। हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि सही यही होगा कि ग्रैप-2 के स्तर से नीचे आयोग नहीं जाए। 

कब लागू किया जाता है ग्रैप-4?

ग्रैप-4 तब लगाया जाता है, जब एक्यूआई 450 से अधिक हो जाता है। इसमें सभी निर्माण कार्य पूरी तरह से रोक दिए जाते हैं। स्कूलों को बंद कर दिया जाता है और निजी वाहनों के लिए ऑड-ईवन योजना तक सख्त वाहन प्रतिबंध लगा दिए जाते हैं।

18 नवंबर को शीर्ष अदालत ने सभी दिल्ली-एनसीआर राज्यों को प्रदूषण विरोधी ग्रैप 4 प्रतिबंधों को सख्ती से लागू करने के लिए तुरंत टीमें गठित करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने साफ किया था कि प्रतिबंध अगले आदेश तक जारी रहेंगे। 

प्रदूषित हवा से लगभग दो महीने बाद राहत

बता दें कि लोगों को प्रदूषित हवा से लगभग दो महीने बाद राहत मिली है। बुधवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 178 रहा, जोकि मध्यम श्रेणी में है। यह मंगलवार के मुकाबले 100 सूचकांक की कम है। इससे पहले 10 अक्तूबर को एक्यूआई 164 दर्ज किया गया था। इसके बाद सर्दी के दस्तक देने के साथ ही हवा की स्थिति बिगड़ती गई। 

वायु प्रदूषण बनी बड़ी चुनौती

हर साल ठंड की शुरुआत होते ही दिल्ली में वायु प्रदूषण एक बड़ी चुनौती बन जाता है, जिससे निपटने के लिए सरकार हर साल लाखों दावे तो करती है, लेकिन वो फिसड्डी ही साबित होते हैं। इस साल भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। नवंबर की शुरुआत के साथ ही दिल्ली गैस चैंबर बन चुकी थी।

इस सीजन में दिल्ली की हवा सबसे खतरनाक स्तर पर पहुंच गई थी। वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 के आसपास पहुंच गया था। यह अब तक की सबसे खराब श्रेणी था। प्रदूषण की वजह से बिगड़ती स्थिति को देखते हुए ही दिल्ली में ग्रैप-4 लागू कर दिया गया था।

प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, दिल्ली सरकार को लगाई फटकार, ग्रैप-4 के प्रतिबंध जारी रखने के निर्देश

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर में गंभीर वायु प्रदूषण को लेकर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) ग्रैप-4 को सही से लागू नहीं करने को लेकर चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि हवा की गुणवत्ता के खतरनाक स्तर के बावजूद, जीआरएपी चरण IV के तहत उल्लिखित उपायों के गंभीर क्रियान्वयन में कमी रही है, जो तब शुरू होता है जब वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक गिर जाती है। इस दौरान कोर्ट ने ग्रैप-4 प्रतिबंधों में ढील देने से इनकार कर दिया।कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जब तक कि उसे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के स्तर में गिरावट का रुझान नहीं दिखाई देता, तब तक ग्रैप-4 नहीं हटाया जाएगा।

दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण मामले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।इस दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या एक्शन लिया गया है, जिसके बावजूद निर्धारित मानकों से कम नहीं होता प्रदूषण?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह सही है कि ग्रैप सिर्फ ऐसी व्यवस्था है जो हालात खराब होने पर लागू की जाती है। कोई नीति नहीं है। कोई स्थायी समाधान जरूर है। सुप्रीम कोर्ट ने एएसजी से कहा कि आपको रिकॉर्ड में रखना होगा कि क्या एफआईआर दर्ज की गई थी और बाकी सब दस्तावेज भी। इस पर एएसजी ने कहा बिल्कुल हम कार्रवाई करवाएंगे।

कोर्ट कमिश्नर मनन वर्मा ने अपनी रिपोर्ट पढ़ी और कहा कि सीएक्यूएम की धारा 14 के तहत अधिकारियों पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। मुकदमा दर्ज ना होने के कारण ग्रेप का कार्यान्वयन बहुत कम हुआ है। कोर्ट कमिश्नर ने वायु प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में अध्ययन रिपोर्ट भी साझा किया। कोर्ट कमिश्नर ने कहा कि ग्रेप लागू करना एक आपातकालीन उपाय है। समस्या को रोकने के लिए कोई नीति नहीं है।

मामले में दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि वह जीआरएपी प्रतिबंधों का पालन न करने के आरोपों की जांच करेगी। सिर्फ दो या तीन घटनाओं के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि 1.5 करोड़ की आबादी वाला पूरा शहर नियमों का पालन नहीं कर रहा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जीआरएपी के चौथे चरण के प्रतिबंधों में ढील देने से पहले प्रदूषण में कमी आनी चाहिए। कोर्ट ने एनसीआर राज्यों के मुख्य सचिवों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश होकर यह बताने को कहा कि निर्माण श्रमिकों को मुआवजा दिया गया है या नहीं? अब दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मुख्य सचिव पांच दिसंबर को कोर्ट के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश होंगे और जवाब प्रस्तुत करेंगे।

వైఎస్ భాస్కర్ రెడ్డికి సుప్రీం కోర్టు నోటీసులు

వైఎస్ వివేకానంద రెడ్డి హత్య కేసును సీబీఐ విచారిస్తోంది. దాదాపు హత్య జరిగి ఐదేళ్లు గడిచినా ఈ దారుణానికి ఒడిగట్టింది ఎవరనే దానిపై అధికారికంగా స్పష్టత రాలేదు. ఈ హత్య చేసిందేవరో కోర్టు తుది తీర్పు తర్వాతనే తేలనుంది. సీబీఐ సుదీర్ఘకాలంగా కేసును విచారిస్తోంది. కడప ఎంపీ వైఎస్ అవినాష్ రెడ్డి తండ్రి భాస్కర్ రెడ్డి అరెస్ట్ తర్వాత ఈ కేసు విచారణలో స్పీడ్ తగ్గింది.

వైఎస్ భాస్కర్ రెడ్డి (YS Bhaskar Reddy)కి సుప్రీం కోర్టు (Supreme Court ) నోటీసులు (Notices) జారీ చేసింది. వైఎస్ వివేకానంద రెడ్డి హత్య కేసు (YS Vivekananda Reddy murder case)లో నిందితుడు భాస్కర్ రెడ్డికి తెలంగాణ హైకోర్టు (Telangana High Court) బెయిల్ (Bail) మంజూరు చేసింది. ఈ క్రమంలో భాస్కర్ రెడ్డికి హైకోర్టు ఇచ్చిన బెయిల్ రద్దు చేయాలని కోరుతూ సీబీఐ (CBI) సుప్రీంలో పిటీషన్ దాఖలు చేసింది. దీనిపై శుక్రవారం సిజెఐ సంజీవ్ ఖన్నా (CJI Sanjeev Khanna) నేతృత్వంలోని ధర్మాసనం ముందు విచారణ జరిగింది. అనంతరం భాస్కర్ రెడ్డికి నోటీసులు జారీచేస్తూ... తదుపరి విచారణ మార్చికి వాయిదా వేసింది.

వైఎస్ వివేకానంద రెడ్డి హత్య కేసును సీబీఐ విచారిస్తోంది. దాదాపు హత్య జరిగి ఐదేళ్లు గడిచినా ఈ దారుణానికి ఒడిగట్టింది ఎవరనే దానిపై అధికారికంగా స్పష్టత రాలేదు. ఈ హత్య చేసిందేవరో కోర్టు తుది తీర్పు తర్వాతనే తేలనుంది. సీబీఐ సుదీర్ఘకాలంగా కేసును విచారిస్తోంది. కడప ఎంపీ వైఎస్ అవినాష్ రెడ్డి తండ్రి భాస్కర్ రెడ్డి అరెస్ట్ తర్వాత ఈ కేసు విచారణలో స్పీడ్ తగ్గింది. వాస్తవానికి వైఎస్ అవినాష్ రెడ్డిని సీబీఐ అధికారులు అరెస్ట్ చేయడానికి ప్రయత్నించినా.. కుదరలేదు. చివరికి తెలంగాణ హైకోర్టులో ఆయన ముందస్తు బెయిల్ పొందడంతో అవినాష్ అరెస్ట్ విషయం వెనక్కి వెళ్లిపోయింది. ఇంత జరుగుతున్నా.. వివేకానంద రెడ్డి హత్య ఎందుకు జరిగింది.. ఈ హత్యలో ఎవరు పాత్రదారులు.. ఎవరు సూత్రదారులు అనేది రాష్ట్ర ప్రజలందరికీ తెలిసిన బహిరంగ రహస్యమే. చట్టప్రకారం దర్యాప్తు సంస్థలు విచారణ పూర్తి చేసి సాక్ష్యాధారాలను కోర్టులో సమర్పించిన తర్వాత.. న్యాయస్థానం తీర్పు తర్వాత ఈ హత్యలో దోషులు ఎవరో అధికారికంగా తేలుతుంది.

సార్వత్రిక ఎన్నికలకు ముందు సీబీఐ విచారణ మందగించింది. ఓవైపు ఎన్నికల సమయం కావడంతో కొంత గ్యాప్ ఇచ్చినట్లు తెలుస్తోంది. గత ఐదేళ్లుగా సీబీఐ ఈ కేసులో అసలు నిందితులను అరెస్ట్ చేసే ప్రయత్నం చేసినా.. గత వైసీపీ ప్రభుత్వం ఏదో విధంగా వారి విధులకు ఆటంకం కలిగిస్తూనే ఉందనే ఆరోపణలు ఉన్నాయి. నిందితులను కాపాడేందుకు జగన్ తీవ్రంగా ప్రయత్నించారనే ఆరోపణలు ఉన్నాయి. దర్యాప్తు సక్రమంగా జరగకుండా మాజీ సీఎం జగన్ కుట్రలు చేసినట్లు ప్రచారం జరిగింది. ఏకంగా సీబీఐ అధికారులపై కేసులు నమోదు చేసిన సందర్భాలు చూశాము. దర్యాప్తు సంస్థల అధికారుల నైతికతను, ఆత్మస్థైర్యాన్ని దెబ్బతీసే ప్రయత్నం గత వైసీపీ ప్రభుత్వం చేసినట్లు తెలుస్తోంది. ప్రస్తుతం వైసీపీ అధికారంలో లేదు. జగన్ ప్రజల మద్దతును కోల్పోయారు. ఈ నేపథ్యంలో సీబీఐ వివేకా కేసు దర్యాప్తును వేగవంతం చేసే అవకాశం ఉన్నట్లు తెలుస్తోంది.

2019లో వైసీపీ అధికారంలోకి రావడంతో రాష్ట్రప్రభుత్వ దర్యాప్తు సంస్థలపై విశ్వాసం లేదని.. నిందితులను ప్రభుత్వం కాపాడే అవకాశం ఉందన్న అనుమానంతో వివేకా కుమార్తె సునీత కోర్టును ఆశ్రయించారు. దీంతో ఈ కేసు దర్యాప్తును న్యాయస్థానం సీబీఐకి అప్పగించింది. సీబీఐ దర్యాప్తుతో అసలు విషయాలు బయటకు వస్తాయని అంతా భావించారు. అనుకున్నట్లుగానే కడప ఎంపీ అవినాష్ రెడ్డి పాత్ర ఈ హత్యలో ఉన్నట్లు సీబీఐ ప్రాథమికంగా ఆధారాలు సేకరించిందనే ప్రచారం జరిగింది. గూగుల్ టేకవుట్, టైమ్ లైన్ ఆధారంగా అవినాష్‌ రెడ్డికి ఈ హత్యతో ప్రమేయం ఉన్నట్లు సీబీఐ నిర్థారణకు వచ్చిందన్న ప్రచారం జరిగింది. కానీ అవినాష్ రెడ్డిని ఇప్పటిరవకు ఈ కేసులో అరెస్ట్ కాలేదు. సీఎం జగన్మోహన్ రెడ్డి అవినాష్ రెడ్డిని కాపాడుతూ వస్తున్నారనే ప్రచారం జరుగుతోంది.

అవినాష్ రెడ్డిని కస్టడీలోకి తీసుకుని సీబీఐ అధికారులు విచారిస్తే అసలు విషయాలు బయటకు వస్తాయని.. అదే జరిగితే మాజీ సీఎం జగన్‌తో పాటు ఆమె భార్య భారతి ఇరుక్కునే అవకాశం ఉండటంతోనే అవినాష్ రెడ్డిని జగన్ కాపాడుతున్నారనే చర్చ జరుగుతోంది. ఎంపీ టికెట్ కోసమే ఈ హత్యను చేసినట్లు కేసులోని కొందరు సాక్ష్యులు, నిందితులు ఇప్పటికే చెప్పారు. దీంతో ఈ విషయం బయటకు వస్తే వైసీపీతో పాటు జగన్ రాజకీయ భవిష్యత్తు ప్రమాదంలో పడే అవకాశం ఉండటంతోనే జగన్ నిందితులకు అండగా నిలుస్తున్నట్లు తెలుస్తోంది.

प्रदूषण पर दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, दिए जरूरी दिशानिर्देश

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दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के हलफनामे पर नाराजगी जताई। जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सवाल किया कि दिन के समय भी ट्रकों की आवाजाही क्यों हो रही है? सुप्रीम कोर्ट ने एंट्री प्वाइंट पर लापरवाही को लेकर भी नाराजगी जताई। कोर्ट ने दिल्ली सरकार और पुलिस से 113 एंट्री प्वाइंट्स पर सख्त निगरानी सुनिश्चित करने को कहा है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि राजधानी में ट्रकों की एंट्री कैसे रोकी जा रही है। इस पर दिल्ली सरकार ने कहा कि सभी मालवाहक वाहनों को रोका जा रहा है। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वीडियो में ट्रक वाले कह रहे हैं कि पुलिस को 200 रुपये देकर एंट्री कर रहे हैं।

दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए अदालत ने कहा कि पिछले आदेश का अनुपालन दिखाया जाए, जिसमें हमने कहा था कि आप टीमें बनाएं और सुनिश्चित करें कि इन चीजों की निगरानी हो और उन पर नियंत्रण रखा जाए। आपका हलफनामा बहुत अस्पष्ट है। यह भी नहीं बताया कि कितने चेकपोस्ट बनाए हैं। ⁠अगर वहां तैनात अधिकारियों को आवश्यक वस्तुओं की छूट के बारे में पता नहीं है तो आप जो प्रतिबंध बता रहे हैं वह पूरी तरह से मनमाना है। सभी कर्मचारियों को स्पष्ट बताया जाए कि क्या सामान लेकर जा रहे ट्रकों की एंट्री हो सकती है।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में भयानक रूप ले रहे प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए कुछ दिशानिर्दश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि वे दिल्ली में प्रवेश के सभी 113 बिंदुओं पर तुरंत चेकपॉइंट स्थापित करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रवेश बिंदुओं पर तैनात कर्मियों को आवश्यक वस्तुओं के अंतर्गत स्वीकार्य वस्तुओं के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 113 प्रवेश बिंदुओं में से 13 प्रमुख प्रवेश बिंदुओं पर निगरानी रखी जाती है ताकि ग्रैप चरण IV के खंड A और B का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लगभग 100 प्रवेश बिंदु मानव रहित हैं और ट्रकों के प्रवेश की जांच करने वाला कोई नहीं है।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर के दूसरे राज्यों से 3 दिन में हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने यह बताने को कहा था कि उन्होंने इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई की है। कोर्ट ने एनसीआर के सभी राज्य के 12वीं तक की कक्षाओं को ऑनलाइन मोड में चलाने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकार दफ्तरों में 50% कर्मचारियों के साथ काम करने पर भी विचार करें।

प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, दिल्ली-एनसीआर में स्कूलों को बंद करने के आदेश

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दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति लगातार गहराती जा रही है। दिल्ली में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कोर्ट रूम के अंदर वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का स्तर 990 से ऊपर है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगर एक्यूआई 400 से नीचे चला जाता है, तब भी जीआरएपी का चौथा चरण उसके अगले आदेश तक लागू रहेगा और उसने सभी एनसीआर राज्यों को जीआरएपी का चौथा चरण लागू करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अलावा एनसीआर में भी सभी स्कूल कॉलेज बंद करने के आदेश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह राज्य और केंद्र का संवैधानिक दायित्व है कि नागरिक प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ग्रैप चरण 3 और 4 के सभी खंडों के अलावा, सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाने चाहिए कि स्थिति सामान्य हो जाए। कोर्ट ने कहा कि सभी पक्ष गुरुवार तक आदेश के पालन को लेकर हलफनामा दाखिल करें। शुक्रवार को सुनवाई होगी।

ग्रैप 4 की निगरानी के लिए टीम गठित करने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने सभी एनसीआर सरकारों को ग्रैप चरण 4 को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया। साथ ही अदालत ने सभी एनसीआर राज्यों को ग्रैप 4 के तहत जरूरी कामों की निगरानी के लिए तत्काल टीमों का गठन करने का भी निर्देश दिया। अदालत ने निर्देश दिया कि वे ग्रैप 4 में दिए गए कदमों पर तुरंत निर्णय लें और अगली सुनवाई की तारीख से पहले उन्हें उसके समक्ष रखें। कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर सरकारों को इस कदम के उल्लंघन की रिपोर्ट करने के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने का भी निर्देश दिया।

12वीं कक्षा तक के सभी स्कूलों को बंद कर दिया जाए

कोर्ट ने एनसीआर राज्यों को आदेश दिया कि 12वीं कक्षा तक के सभी स्कूलों को बंद कर दिया जाए और सभी कक्षाओं को ऑनलाइन मोड में संचालित किया जाए। कोर्ट ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य प्राथमिकता होनी चाहिए और यह जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकारों की है कि वे प्रदूषण मुक्त वातावरण प्रदान करें।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग पर भी सवाल

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) पर भी सवाल उठाए, यह कहते हुए कि एक्यूआई 400 पार करने के बावजूद ग्रैप स्टेज 3 और स्टेज 4 को लागू करने में देरी हुई। कोर्ट ने कहा कि 12 नवंबर को एक्यूआई 400 से ऊपर पहुंच गया था, लेकिन ग्रैप स्टेज 3, 14 नवंबर को लागू किया गया और स्टेज 4 आज सुबह ही प्रभावी हो पाया।

बता दें कि रविवार को ही दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण का स्तर 460 एक्यूआई की सीमा को पार कर गया था। हालात को देखते हुए उसी समय केंद्र सरकार की समिति ने दिल्ली एनसीआर में ग्रैप-4 लागू करने के आदेश जारी कर दिए थे. यह आदेश आज सोमवार की सुबह आठ बजे से लागू किए गए हैं। इस आदेश के तहत दिल्ली एनसीआर में पहली से 6 वीं तक के स्कूलों को तत्काल बंद करने और बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई करने के आदेश दिए गए थे। साथ ही कई तरह की अन्य पाबंदियां भी लागू की गई थी।

पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट की राष्ट्रपति से गुजारिश, जानें पूरा मामला

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सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में मौत की सजा पाने वाले बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका को राष्ट्रपति के समक्ष रखे जाने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सचिव को सोमवार को यह निर्देश दिया। जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस पी के मिश्रा और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने राष्ट्रपति से दो सप्ताह के भीतर याचिका पर विचार करने का अनुरोध किया।

पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या मामले में राजोआना को फांसी की सजा दी गई है और उसने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर की थी। राओआना ने दया याचिका के निपटारे में देरी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सजा कम करने और रिहाई की गुहार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि अगर दया याचिका पर तय समय में विचार नहीं किया गया तो वह याचिकाकर्ता को राहत देने की गुहार पर विचार करेगा।

सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया गया कि केंद्र सरकार की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। इस पर जस्टिस गवई ने निराशा जाहिर करते हुए कहा कि स्पेशल बेंच सिर्फ इसी मामले की सुनवाई के लिए बैठी थी क्योंकि केंद्र ने कहा था कि वह जवाब दाखिल करेगा। बेंच में शामिल जस्टिस विश्वनाथ ने मौखिक तौर पर टिप्पणी में कहा कि केंद्र मामले को बेहद ढीले-ढाले तरीके से देख रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता मौत की सजा पर है, हम भारत के राष्ट्रपति के सचिव को निर्देश देते हैं कि वह इस मामले को आज से दो सप्ताह के भीतर इस पर विचार करने के अनुरोध के साथ राष्ट्रपति भवन के समक्ष रखें। पीठ ने कहा कि पिछली तारीख पर मामले को स्थगित कर दिया गया था ताकि संघ राष्ट्रपति के कार्यालय से निर्देश ले सके कि दया याचिका पर कब तक निर्णय लिया जाएगा। यह ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता मृत्युदंड की सजा काट रहा है, हम सचिव को निर्देश देते हैं कि वे भारत के राष्ट्रपति के समक्ष रखें और उनसे आज से दो सप्ताह के भीतर इस पर विचार करने का अनुरोध करें।

राजोआना की ओर से दायर की याचिका में फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की मांग की गई है। राजोआना का कहना है कि वो 29 साल से जेल में हैं, दया याचिका 12 साल से लंबित है। पिछली सुनवाई में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राजोआना की दया याचिका लंबित है। हम इस पर जवाब दाखिल करेंगे।

राजोआना को 31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में पंजाब सिविल सचिवालय के बाहर हुए विस्फोट मामले में दोषी पाया गया था। इस घटना में तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह तथा 16 अन्य लोग मारे गए थे। एक विशेष अदालत ने राजोआना को जुलाई, 2007 में मौत की सजा सुनाई थी। राजोआना ने अपनी याचिका में कहा है कि मार्च 2012 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने उसकी ओर से क्षमादान का अनुरोध करते हुए संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत एक दया याचिका दायर की थी। उच्चतम न्यायालय ने पिछले वर्ष तीन मई को राजोआना को सुनाई गई मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने से इनकार कर दिया।

चुनाव आयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची कांग्रेस, नियमों में बदलाव की मांग

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कांग्रेस चुनाव आयोग के नियमों में बदलाव को लेकर केंद्र सरकार के हालिया फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। दरअसल, केन्द्र की मोदी सरकार ने सीसीटीवी कैमरे और वेबकास्टिंग फुटेज के साथ-साथ उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण को रोकने के लिए चुनाव से संबंधित नियम में बदलाव किया है, ताकि उनका दुरुपयोग रोका जा सके। अब कांग्रेस ने हाल ही में किए गए इन संशोधनों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस संबंध में मंगलवार को एक याचिका दायर की। जयराम रमेश ने याचिका दायर करने की जानकारी एक्स पर दी। जयराम रमेश ने याचिका दायर करने के बाद एक्स पर लिखा, "निर्वाचनों का संचालन नियम 1961 में हाल के संशोधनों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट दायर की गई है। चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है। इस पर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी है, इसलिए इसे एकतरफा और सार्वजनिक विचार-विमर्श के बिना इतने महत्वपूर्ण नियम में इतनी निर्लज्जता से संशोधन करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। उस परिस्थिति में तो विशेष रूप से नहीं जब वह संशोधन चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने वाली आवश्यक जानकारी तक सार्वजनिक पहुंच को समाप्त करता है। चुनावी प्रक्रिया में सत्यनिष्ठा तेजी से कम हो रही है। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इसे बहाल करने में मदद करेगा।"

सरकार ने किन नियमों को बदला?

चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 93 अनुबंधों के मुताबिक, चुनाव से संबंधित सभी 'कागजात' सार्वजनिक निरीक्षण के लिए रखे जाएंगे। यानी ये सार्वजनिक स्तर पर उपलब्ध होंगे। अब केंद्र सरकार ने इस नियम में संशोधन किया है। इसके तहत अब नियम 93 की शब्दावली में 'कागजातों' के बाद 'जैसा कि इन नियमों में निर्दिष्ट है' शब्द जोड़े गए हैं।

चुनाव आयोग से मशवरे के बाद केंद्रीय कानून और विधि मंत्रालय की तरफ से किएगए बदलावों के बाद अब चुनाव संबंधी सभी दस्तावेजों को सार्वजनिक निरीक्षण के लिए नहीं रखा जाएगा। अब आम जनता सिर्फ उन्हीं चुनाव संबंधी दस्तावेजों को देख सकेगी, जिनका जिक्र चुनाव कराने से जुड़े नियमों में पहले से तय होगा।

इसका क्या असर होने वाला है?

चूंकि नामांकन फार्म, चुनाव एजेंट की नियुक्ति, परिणाम और चुनाव खाता विवरण जैसे दस्तावेजों का जिक्र चुनाव संचालन नियमों में किया गया है, इसलिए इन्हें सार्वजनिक निरीक्षण के लिए बरकरार रखा जाएगा। हालांकि, आदर्श आचार संहिता अवधि के दौरान सीसीटीवी कैमरा फुटेज, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज चुनाव संचालन नियमों के दायरे में नहीं आते हैं। ऐसे में यह दस्तावेज जनता की पहुंच से दूर हो जाएंगे।

हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जजों को मिल रही कितनी पेंशन? सुप्रीम कोर्ट ने बताया बेहद दयनीय

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सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों को मिलने वाली पेंशन को लेकर निराशा जाहिर की है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट के कुछ रिटायर्ड जजों को 10,000 रुपये से 15,000 रुपये के बीच पेंशन दिए जा रहे हैं। यह दयनीय है।न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि हर मामले में कानूनी दृष्टिकोण अपनाना ठीक नहीं है। कुछ मामलों में मानवीय दृष्टिकोण भी अपनाया जाए।

उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की पेंशन से जुड़े मुद्दे वाली याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। इस दौरान सरकार की ओर पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने पीठ से अनुरोध किया कि मामले की सुनवाई जनवरी में की जाए। सरकार इस मुद़्दे को सुलझाने का प्रयास करेगी।

पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह अच्छा होगा कि आप उन्हें पूरी स्थिति के बारे में समझाएं कि हमारे हस्तक्षेप से भी बचा जाना चाहिए।पीठ ने कहा कि इस मामले पर कोई भी निर्णय अलग-अलग मामलों के आधार पर नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट की ओर से जो भी निर्णय लिया जाएगा। यह निर्णय सभी उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों पर समान रूप से लागू होगा। पीठ ने कहा कि अब इस मामले की 8 जनवरी को सुनवाई होगी।

उच्च न्यायालय के एक रिटायर्ड जज ने पीठ के समक्ष याचिका दायर की थी. पीठ उस पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें केवल 15,000 रुपये की ही पेंशन मिल रही है। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में 13 साल तक न्यायिक अधिकारी के रूप में सेवा दी थी। उसके बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किए गये थे।

यह मामला पहली बार नहीं है जब न्यायालय ने इस तरह की समस्या पर चिंता जताई है। मार्च में, शीर्ष अदालत ने कहा था कि पेंशन लाभ की गणना में यह भेदभाव नहीं किया जा सकता कि न्यायाधीश बार से आए हैं या जिला न्यायपालिका से पदोन्नत हुए हैं. अदालत ने यह भी कहा कि पेंशन का निर्धारण अंतिम वेतन के आधार पर होना चाहिए। अदालत ने पूर्व में यह भी बताया कि कुछ न्यायाधीशों को केवल 6,000 रुपये तक की पेंशन दी जा रही थी, जो कि उनके पद और सेवा के मानदंडों के खिलाफ है।

Pooja Enterprises, led by Mr. Sanjay Kaushal, revolutionizes the uniform and disposable wear industry across India and globally.

Pooja Enterprises from the city of Chandigarh has emerged as a manufacturing and supplying company of supreme quality uniforms and disposable wear. Initially it was operating since 2004 under sole proprietorship but the company has grown into a recognized organization not only in India but also in the international market offering segmented solutions in different sectors such as education, healthcare, corporate & hospitality.

Pooja Enterprises has wide popularity due to the vast assortment in its offer, including school uniform, formal wear, hospital uniform, chefs uniform, disposable shoe cover, disposable bouffant caps, blazers, corporate uniforms, laboratory coat with pocket, beard cover, and plastic disposable gloves. They come in durable material, quality texture and are effective when it comes to color fading; they are comfortable and thus serve the best satisfaction of the professionals and students. In this case the company sets itself apart from other manufacturers of pendants in that they can produce the designs in the logos of the brands in question.

Its collection of school uniforms, skirts, T-shirts, trousers, and the latest KV School Uniform makes Pooja Enterprises stand out in this niche. These uniforms are also crafted with minute attention to detail, offering both style and practicality. It takes the process further by arranging school uniform counters at school premises for easy accessibility by parents and students.

For the corporate world, Pooja Enterprises caters to high-end shirts and T-shirts, providing professional appeal along with comfort. Their hospital uniforms, comprising medical lab coats and other specialized ladies' uniforms, meet high standards for quality and hygiene, as they address the challenging needs of the healthcare industry. Even the hospitality sector benefits from its range of chef coats and designer chef uniforms, which are both functional and fashionable.

Behind the success of the company lies a robust manufacturing facility that is equipped with the latest machinery, enabling bulk production while upholding international standards. Wrinkle-free fabrics and perfect stitching ensure durability and aesthetic appeal for each product. The infrastructure also enables them to deliver orders on time, neatly ironed, and packed.

Mr. Sanjay Kaushal's leadership has greatly contributed to the success story of this company. With his innovative approach and strong connections in the industry, Pooja Enterprises has always been very responsive to the market's demands. Under his guidance, the company has exported its products to the United States, United Kingdom, Germany, Nepal, and Italy, increasing its international presence.

Client satisfaction is at the heart of Pooja Enterprises' philosophy. The company actively seeks feedback to refine its products and services, ensuring that every order meets the unique needs of its clients. With a focus on affordability and reliability, Pooja Enterprises has built strong partnerships with key customers such as Manchanda Mix Bag and New Public Departmental Stores.

As such, the quality assurance in which Pooja Enterprises is certified ensures that only quality raw materials are used to meet domestic and international standards. Their commitment to excellence has earned them a reputation for being unmatched in their quality uniforms and disposable wear. Hence, they emerge as an ideal choice for schools, corporations, hospitals, and hotels.

As the company continues growing, Pooja Enterprises strives to provide innovative, high-quality solutions that meet the demands of its clients while also solidifying its market leadership in the uniform and disposable wear industry.

ड्रग्स लेना बिल्कुल भी 'कूल' नहीं” सुप्रीम कोर्ट ने युवाओं को दी चेतावनी
#supreme_court_said_drug_abuse_is_not_cool *
* सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देश के युवाओं में बढ़ रही नशे की लत पर गहरी चिंता जाहिर की और युवाओं को चेताते हुए कहा कि ड्रग्स लेना बिल्कुल भी 'कूल' नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने ड्रग्स तस्करी के आरोपी अंकुश विपन कपूर के खिलाफ एनआईए जांच की मंजूरी देते हुए ये टिप्पणी की। अंकुश विपन कपूर पर आरोप है कि वह पाकिस्तान से समुद्र के रास्ते भारत में होने वाली हेरोइन तस्करी में शामिल है। न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कहा कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग को एक टैबू नहीं माना जाना चाहिए, लेकिन इस मुद्दे से निपटने के लिए एक खुली चर्चा की आवश्यकता है। जस्टिस नागरत्ना ने चेतावनी देते हुए कहा कि ड्रग्स इस्तेमाल के सामाजिक और आर्थिक खतरों के साथ ही मानसिक खतरे भी हैं। साथ ही पीठ ने युवाओं में बढ़ रही नशे की लत के खिलाफ तुरंत सामूहिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। अदालत ने माता-पिता, समाज और सरकारों से मिलकर इस समस्या के खिलाफ लड़ने को कहा। हम भारत में नशे संबंधी मुद्दों पर चुप रहते हैं और इसका फायदा आतंकवाद का समर्थन करने और हिंसा को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। पीठ ने कहा कि ड्रग्स का असर उम्र, जाति और धर्म से परे हैं और इसके पूरे समाज और व्यवस्था पर गंभीर परिणाम होते हैं। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि ड्रग्स से होने वाली कमाई से ही आतंकवाद और समाज को अस्थिर करने के लिए फंडिंग होती है। पीठ ने समस्याओं से भागने वाले रवैये पर चिंता जताते हुए कहा कि इस गंभीर खतरे के खिलाफ सभी को एकजुट होना पड़ेगा। खासकर युवाओं से इस चुनौती से निपटने के लिए प्रयास करने की अपील की। पीठ ने कहा कि नशे के शिकार व्यक्ति के साथ सहानुभूति और प्यार से पेश आने की जरूरत है। ड्रग तस्करों की कमाई पर प्रहार करने की जरूरत है। ड्रग्स का महिमामंडन बंद होना चाहिए और इसके खतरों के प्रति युवाओं को जागरुक किया जाना चाहिए।
दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप-4 से लगी पाबंदी हटी, कम होते प्रदूषण के बीच सुप्रीम कोर्ट का फैसला

#supreme_court_ordered_to_remove_grape_4_imposed_in_delhi_ncr_stwas 

देश की राजधानी दिल्ली और उसके आस-पास की हवा में सुधार देखा जा रहा है। इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में लागू किए गए ग्रैप 4 प्रतिबंधों में छूट की अनुमति दी है।दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर गुरुवार को चल रही सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने दिल्ली-एनसीआर से ग्रैप-4 को हटाने का आदेश दिया।

ग्रैप-2 के स्तर से नीचे नहीं जाने की सलाह

रिस्पॉन्स एक्शन प्लान के सवाल पर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ने ब्रीफ नोट दिया, जिसमें एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) का ब्यौरा था। इसके मुताबिक एयर क्वॉलिटी लेवल में सुधार है और यह कम हो रहा है। इसके बाद कोर्ट ने कहा, ग्रैप-4 को हटाने का आदेश देते हैं और आगे ग्रैप तय करने का जिम्मा कमीशन फोर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) पर छोड़ते हैं। हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि सही यही होगा कि ग्रैप-2 के स्तर से नीचे आयोग नहीं जाए। 

कब लागू किया जाता है ग्रैप-4?

ग्रैप-4 तब लगाया जाता है, जब एक्यूआई 450 से अधिक हो जाता है। इसमें सभी निर्माण कार्य पूरी तरह से रोक दिए जाते हैं। स्कूलों को बंद कर दिया जाता है और निजी वाहनों के लिए ऑड-ईवन योजना तक सख्त वाहन प्रतिबंध लगा दिए जाते हैं।

18 नवंबर को शीर्ष अदालत ने सभी दिल्ली-एनसीआर राज्यों को प्रदूषण विरोधी ग्रैप 4 प्रतिबंधों को सख्ती से लागू करने के लिए तुरंत टीमें गठित करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने साफ किया था कि प्रतिबंध अगले आदेश तक जारी रहेंगे। 

प्रदूषित हवा से लगभग दो महीने बाद राहत

बता दें कि लोगों को प्रदूषित हवा से लगभग दो महीने बाद राहत मिली है। बुधवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 178 रहा, जोकि मध्यम श्रेणी में है। यह मंगलवार के मुकाबले 100 सूचकांक की कम है। इससे पहले 10 अक्तूबर को एक्यूआई 164 दर्ज किया गया था। इसके बाद सर्दी के दस्तक देने के साथ ही हवा की स्थिति बिगड़ती गई। 

वायु प्रदूषण बनी बड़ी चुनौती

हर साल ठंड की शुरुआत होते ही दिल्ली में वायु प्रदूषण एक बड़ी चुनौती बन जाता है, जिससे निपटने के लिए सरकार हर साल लाखों दावे तो करती है, लेकिन वो फिसड्डी ही साबित होते हैं। इस साल भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। नवंबर की शुरुआत के साथ ही दिल्ली गैस चैंबर बन चुकी थी।

इस सीजन में दिल्ली की हवा सबसे खतरनाक स्तर पर पहुंच गई थी। वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 के आसपास पहुंच गया था। यह अब तक की सबसे खराब श्रेणी था। प्रदूषण की वजह से बिगड़ती स्थिति को देखते हुए ही दिल्ली में ग्रैप-4 लागू कर दिया गया था।

प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, दिल्ली सरकार को लगाई फटकार, ग्रैप-4 के प्रतिबंध जारी रखने के निर्देश

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर में गंभीर वायु प्रदूषण को लेकर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) ग्रैप-4 को सही से लागू नहीं करने को लेकर चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि हवा की गुणवत्ता के खतरनाक स्तर के बावजूद, जीआरएपी चरण IV के तहत उल्लिखित उपायों के गंभीर क्रियान्वयन में कमी रही है, जो तब शुरू होता है जब वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक गिर जाती है। इस दौरान कोर्ट ने ग्रैप-4 प्रतिबंधों में ढील देने से इनकार कर दिया।कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जब तक कि उसे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के स्तर में गिरावट का रुझान नहीं दिखाई देता, तब तक ग्रैप-4 नहीं हटाया जाएगा।

दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण मामले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।इस दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या एक्शन लिया गया है, जिसके बावजूद निर्धारित मानकों से कम नहीं होता प्रदूषण?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह सही है कि ग्रैप सिर्फ ऐसी व्यवस्था है जो हालात खराब होने पर लागू की जाती है। कोई नीति नहीं है। कोई स्थायी समाधान जरूर है। सुप्रीम कोर्ट ने एएसजी से कहा कि आपको रिकॉर्ड में रखना होगा कि क्या एफआईआर दर्ज की गई थी और बाकी सब दस्तावेज भी। इस पर एएसजी ने कहा बिल्कुल हम कार्रवाई करवाएंगे।

कोर्ट कमिश्नर मनन वर्मा ने अपनी रिपोर्ट पढ़ी और कहा कि सीएक्यूएम की धारा 14 के तहत अधिकारियों पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। मुकदमा दर्ज ना होने के कारण ग्रेप का कार्यान्वयन बहुत कम हुआ है। कोर्ट कमिश्नर ने वायु प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में अध्ययन रिपोर्ट भी साझा किया। कोर्ट कमिश्नर ने कहा कि ग्रेप लागू करना एक आपातकालीन उपाय है। समस्या को रोकने के लिए कोई नीति नहीं है।

मामले में दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि वह जीआरएपी प्रतिबंधों का पालन न करने के आरोपों की जांच करेगी। सिर्फ दो या तीन घटनाओं के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि 1.5 करोड़ की आबादी वाला पूरा शहर नियमों का पालन नहीं कर रहा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जीआरएपी के चौथे चरण के प्रतिबंधों में ढील देने से पहले प्रदूषण में कमी आनी चाहिए। कोर्ट ने एनसीआर राज्यों के मुख्य सचिवों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश होकर यह बताने को कहा कि निर्माण श्रमिकों को मुआवजा दिया गया है या नहीं? अब दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मुख्य सचिव पांच दिसंबर को कोर्ट के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश होंगे और जवाब प्रस्तुत करेंगे।

వైఎస్ భాస్కర్ రెడ్డికి సుప్రీం కోర్టు నోటీసులు

వైఎస్ వివేకానంద రెడ్డి హత్య కేసును సీబీఐ విచారిస్తోంది. దాదాపు హత్య జరిగి ఐదేళ్లు గడిచినా ఈ దారుణానికి ఒడిగట్టింది ఎవరనే దానిపై అధికారికంగా స్పష్టత రాలేదు. ఈ హత్య చేసిందేవరో కోర్టు తుది తీర్పు తర్వాతనే తేలనుంది. సీబీఐ సుదీర్ఘకాలంగా కేసును విచారిస్తోంది. కడప ఎంపీ వైఎస్ అవినాష్ రెడ్డి తండ్రి భాస్కర్ రెడ్డి అరెస్ట్ తర్వాత ఈ కేసు విచారణలో స్పీడ్ తగ్గింది.

వైఎస్ భాస్కర్ రెడ్డి (YS Bhaskar Reddy)కి సుప్రీం కోర్టు (Supreme Court ) నోటీసులు (Notices) జారీ చేసింది. వైఎస్ వివేకానంద రెడ్డి హత్య కేసు (YS Vivekananda Reddy murder case)లో నిందితుడు భాస్కర్ రెడ్డికి తెలంగాణ హైకోర్టు (Telangana High Court) బెయిల్ (Bail) మంజూరు చేసింది. ఈ క్రమంలో భాస్కర్ రెడ్డికి హైకోర్టు ఇచ్చిన బెయిల్ రద్దు చేయాలని కోరుతూ సీబీఐ (CBI) సుప్రీంలో పిటీషన్ దాఖలు చేసింది. దీనిపై శుక్రవారం సిజెఐ సంజీవ్ ఖన్నా (CJI Sanjeev Khanna) నేతృత్వంలోని ధర్మాసనం ముందు విచారణ జరిగింది. అనంతరం భాస్కర్ రెడ్డికి నోటీసులు జారీచేస్తూ... తదుపరి విచారణ మార్చికి వాయిదా వేసింది.

వైఎస్ వివేకానంద రెడ్డి హత్య కేసును సీబీఐ విచారిస్తోంది. దాదాపు హత్య జరిగి ఐదేళ్లు గడిచినా ఈ దారుణానికి ఒడిగట్టింది ఎవరనే దానిపై అధికారికంగా స్పష్టత రాలేదు. ఈ హత్య చేసిందేవరో కోర్టు తుది తీర్పు తర్వాతనే తేలనుంది. సీబీఐ సుదీర్ఘకాలంగా కేసును విచారిస్తోంది. కడప ఎంపీ వైఎస్ అవినాష్ రెడ్డి తండ్రి భాస్కర్ రెడ్డి అరెస్ట్ తర్వాత ఈ కేసు విచారణలో స్పీడ్ తగ్గింది. వాస్తవానికి వైఎస్ అవినాష్ రెడ్డిని సీబీఐ అధికారులు అరెస్ట్ చేయడానికి ప్రయత్నించినా.. కుదరలేదు. చివరికి తెలంగాణ హైకోర్టులో ఆయన ముందస్తు బెయిల్ పొందడంతో అవినాష్ అరెస్ట్ విషయం వెనక్కి వెళ్లిపోయింది. ఇంత జరుగుతున్నా.. వివేకానంద రెడ్డి హత్య ఎందుకు జరిగింది.. ఈ హత్యలో ఎవరు పాత్రదారులు.. ఎవరు సూత్రదారులు అనేది రాష్ట్ర ప్రజలందరికీ తెలిసిన బహిరంగ రహస్యమే. చట్టప్రకారం దర్యాప్తు సంస్థలు విచారణ పూర్తి చేసి సాక్ష్యాధారాలను కోర్టులో సమర్పించిన తర్వాత.. న్యాయస్థానం తీర్పు తర్వాత ఈ హత్యలో దోషులు ఎవరో అధికారికంగా తేలుతుంది.

సార్వత్రిక ఎన్నికలకు ముందు సీబీఐ విచారణ మందగించింది. ఓవైపు ఎన్నికల సమయం కావడంతో కొంత గ్యాప్ ఇచ్చినట్లు తెలుస్తోంది. గత ఐదేళ్లుగా సీబీఐ ఈ కేసులో అసలు నిందితులను అరెస్ట్ చేసే ప్రయత్నం చేసినా.. గత వైసీపీ ప్రభుత్వం ఏదో విధంగా వారి విధులకు ఆటంకం కలిగిస్తూనే ఉందనే ఆరోపణలు ఉన్నాయి. నిందితులను కాపాడేందుకు జగన్ తీవ్రంగా ప్రయత్నించారనే ఆరోపణలు ఉన్నాయి. దర్యాప్తు సక్రమంగా జరగకుండా మాజీ సీఎం జగన్ కుట్రలు చేసినట్లు ప్రచారం జరిగింది. ఏకంగా సీబీఐ అధికారులపై కేసులు నమోదు చేసిన సందర్భాలు చూశాము. దర్యాప్తు సంస్థల అధికారుల నైతికతను, ఆత్మస్థైర్యాన్ని దెబ్బతీసే ప్రయత్నం గత వైసీపీ ప్రభుత్వం చేసినట్లు తెలుస్తోంది. ప్రస్తుతం వైసీపీ అధికారంలో లేదు. జగన్ ప్రజల మద్దతును కోల్పోయారు. ఈ నేపథ్యంలో సీబీఐ వివేకా కేసు దర్యాప్తును వేగవంతం చేసే అవకాశం ఉన్నట్లు తెలుస్తోంది.

2019లో వైసీపీ అధికారంలోకి రావడంతో రాష్ట్రప్రభుత్వ దర్యాప్తు సంస్థలపై విశ్వాసం లేదని.. నిందితులను ప్రభుత్వం కాపాడే అవకాశం ఉందన్న అనుమానంతో వివేకా కుమార్తె సునీత కోర్టును ఆశ్రయించారు. దీంతో ఈ కేసు దర్యాప్తును న్యాయస్థానం సీబీఐకి అప్పగించింది. సీబీఐ దర్యాప్తుతో అసలు విషయాలు బయటకు వస్తాయని అంతా భావించారు. అనుకున్నట్లుగానే కడప ఎంపీ అవినాష్ రెడ్డి పాత్ర ఈ హత్యలో ఉన్నట్లు సీబీఐ ప్రాథమికంగా ఆధారాలు సేకరించిందనే ప్రచారం జరిగింది. గూగుల్ టేకవుట్, టైమ్ లైన్ ఆధారంగా అవినాష్‌ రెడ్డికి ఈ హత్యతో ప్రమేయం ఉన్నట్లు సీబీఐ నిర్థారణకు వచ్చిందన్న ప్రచారం జరిగింది. కానీ అవినాష్ రెడ్డిని ఇప్పటిరవకు ఈ కేసులో అరెస్ట్ కాలేదు. సీఎం జగన్మోహన్ రెడ్డి అవినాష్ రెడ్డిని కాపాడుతూ వస్తున్నారనే ప్రచారం జరుగుతోంది.

అవినాష్ రెడ్డిని కస్టడీలోకి తీసుకుని సీబీఐ అధికారులు విచారిస్తే అసలు విషయాలు బయటకు వస్తాయని.. అదే జరిగితే మాజీ సీఎం జగన్‌తో పాటు ఆమె భార్య భారతి ఇరుక్కునే అవకాశం ఉండటంతోనే అవినాష్ రెడ్డిని జగన్ కాపాడుతున్నారనే చర్చ జరుగుతోంది. ఎంపీ టికెట్ కోసమే ఈ హత్యను చేసినట్లు కేసులోని కొందరు సాక్ష్యులు, నిందితులు ఇప్పటికే చెప్పారు. దీంతో ఈ విషయం బయటకు వస్తే వైసీపీతో పాటు జగన్ రాజకీయ భవిష్యత్తు ప్రమాదంలో పడే అవకాశం ఉండటంతోనే జగన్ నిందితులకు అండగా నిలుస్తున్నట్లు తెలుస్తోంది.

प्रदूषण पर दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, दिए जरूरी दिशानिर्देश

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दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के हलफनामे पर नाराजगी जताई। जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सवाल किया कि दिन के समय भी ट्रकों की आवाजाही क्यों हो रही है? सुप्रीम कोर्ट ने एंट्री प्वाइंट पर लापरवाही को लेकर भी नाराजगी जताई। कोर्ट ने दिल्ली सरकार और पुलिस से 113 एंट्री प्वाइंट्स पर सख्त निगरानी सुनिश्चित करने को कहा है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि राजधानी में ट्रकों की एंट्री कैसे रोकी जा रही है। इस पर दिल्ली सरकार ने कहा कि सभी मालवाहक वाहनों को रोका जा रहा है। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वीडियो में ट्रक वाले कह रहे हैं कि पुलिस को 200 रुपये देकर एंट्री कर रहे हैं।

दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए अदालत ने कहा कि पिछले आदेश का अनुपालन दिखाया जाए, जिसमें हमने कहा था कि आप टीमें बनाएं और सुनिश्चित करें कि इन चीजों की निगरानी हो और उन पर नियंत्रण रखा जाए। आपका हलफनामा बहुत अस्पष्ट है। यह भी नहीं बताया कि कितने चेकपोस्ट बनाए हैं। ⁠अगर वहां तैनात अधिकारियों को आवश्यक वस्तुओं की छूट के बारे में पता नहीं है तो आप जो प्रतिबंध बता रहे हैं वह पूरी तरह से मनमाना है। सभी कर्मचारियों को स्पष्ट बताया जाए कि क्या सामान लेकर जा रहे ट्रकों की एंट्री हो सकती है।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में भयानक रूप ले रहे प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए कुछ दिशानिर्दश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि वे दिल्ली में प्रवेश के सभी 113 बिंदुओं पर तुरंत चेकपॉइंट स्थापित करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रवेश बिंदुओं पर तैनात कर्मियों को आवश्यक वस्तुओं के अंतर्गत स्वीकार्य वस्तुओं के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 113 प्रवेश बिंदुओं में से 13 प्रमुख प्रवेश बिंदुओं पर निगरानी रखी जाती है ताकि ग्रैप चरण IV के खंड A और B का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लगभग 100 प्रवेश बिंदु मानव रहित हैं और ट्रकों के प्रवेश की जांच करने वाला कोई नहीं है।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर के दूसरे राज्यों से 3 दिन में हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने यह बताने को कहा था कि उन्होंने इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई की है। कोर्ट ने एनसीआर के सभी राज्य के 12वीं तक की कक्षाओं को ऑनलाइन मोड में चलाने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकार दफ्तरों में 50% कर्मचारियों के साथ काम करने पर भी विचार करें।

प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, दिल्ली-एनसीआर में स्कूलों को बंद करने के आदेश

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दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति लगातार गहराती जा रही है। दिल्ली में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कोर्ट रूम के अंदर वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का स्तर 990 से ऊपर है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगर एक्यूआई 400 से नीचे चला जाता है, तब भी जीआरएपी का चौथा चरण उसके अगले आदेश तक लागू रहेगा और उसने सभी एनसीआर राज्यों को जीआरएपी का चौथा चरण लागू करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अलावा एनसीआर में भी सभी स्कूल कॉलेज बंद करने के आदेश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह राज्य और केंद्र का संवैधानिक दायित्व है कि नागरिक प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ग्रैप चरण 3 और 4 के सभी खंडों के अलावा, सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाने चाहिए कि स्थिति सामान्य हो जाए। कोर्ट ने कहा कि सभी पक्ष गुरुवार तक आदेश के पालन को लेकर हलफनामा दाखिल करें। शुक्रवार को सुनवाई होगी।

ग्रैप 4 की निगरानी के लिए टीम गठित करने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने सभी एनसीआर सरकारों को ग्रैप चरण 4 को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया। साथ ही अदालत ने सभी एनसीआर राज्यों को ग्रैप 4 के तहत जरूरी कामों की निगरानी के लिए तत्काल टीमों का गठन करने का भी निर्देश दिया। अदालत ने निर्देश दिया कि वे ग्रैप 4 में दिए गए कदमों पर तुरंत निर्णय लें और अगली सुनवाई की तारीख से पहले उन्हें उसके समक्ष रखें। कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर सरकारों को इस कदम के उल्लंघन की रिपोर्ट करने के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने का भी निर्देश दिया।

12वीं कक्षा तक के सभी स्कूलों को बंद कर दिया जाए

कोर्ट ने एनसीआर राज्यों को आदेश दिया कि 12वीं कक्षा तक के सभी स्कूलों को बंद कर दिया जाए और सभी कक्षाओं को ऑनलाइन मोड में संचालित किया जाए। कोर्ट ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य प्राथमिकता होनी चाहिए और यह जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकारों की है कि वे प्रदूषण मुक्त वातावरण प्रदान करें।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग पर भी सवाल

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) पर भी सवाल उठाए, यह कहते हुए कि एक्यूआई 400 पार करने के बावजूद ग्रैप स्टेज 3 और स्टेज 4 को लागू करने में देरी हुई। कोर्ट ने कहा कि 12 नवंबर को एक्यूआई 400 से ऊपर पहुंच गया था, लेकिन ग्रैप स्टेज 3, 14 नवंबर को लागू किया गया और स्टेज 4 आज सुबह ही प्रभावी हो पाया।

बता दें कि रविवार को ही दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण का स्तर 460 एक्यूआई की सीमा को पार कर गया था। हालात को देखते हुए उसी समय केंद्र सरकार की समिति ने दिल्ली एनसीआर में ग्रैप-4 लागू करने के आदेश जारी कर दिए थे. यह आदेश आज सोमवार की सुबह आठ बजे से लागू किए गए हैं। इस आदेश के तहत दिल्ली एनसीआर में पहली से 6 वीं तक के स्कूलों को तत्काल बंद करने और बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई करने के आदेश दिए गए थे। साथ ही कई तरह की अन्य पाबंदियां भी लागू की गई थी।

पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट की राष्ट्रपति से गुजारिश, जानें पूरा मामला

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सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में मौत की सजा पाने वाले बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका को राष्ट्रपति के समक्ष रखे जाने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सचिव को सोमवार को यह निर्देश दिया। जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस पी के मिश्रा और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने राष्ट्रपति से दो सप्ताह के भीतर याचिका पर विचार करने का अनुरोध किया।

पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या मामले में राजोआना को फांसी की सजा दी गई है और उसने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर की थी। राओआना ने दया याचिका के निपटारे में देरी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सजा कम करने और रिहाई की गुहार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि अगर दया याचिका पर तय समय में विचार नहीं किया गया तो वह याचिकाकर्ता को राहत देने की गुहार पर विचार करेगा।

सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया गया कि केंद्र सरकार की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। इस पर जस्टिस गवई ने निराशा जाहिर करते हुए कहा कि स्पेशल बेंच सिर्फ इसी मामले की सुनवाई के लिए बैठी थी क्योंकि केंद्र ने कहा था कि वह जवाब दाखिल करेगा। बेंच में शामिल जस्टिस विश्वनाथ ने मौखिक तौर पर टिप्पणी में कहा कि केंद्र मामले को बेहद ढीले-ढाले तरीके से देख रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता मौत की सजा पर है, हम भारत के राष्ट्रपति के सचिव को निर्देश देते हैं कि वह इस मामले को आज से दो सप्ताह के भीतर इस पर विचार करने के अनुरोध के साथ राष्ट्रपति भवन के समक्ष रखें। पीठ ने कहा कि पिछली तारीख पर मामले को स्थगित कर दिया गया था ताकि संघ राष्ट्रपति के कार्यालय से निर्देश ले सके कि दया याचिका पर कब तक निर्णय लिया जाएगा। यह ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता मृत्युदंड की सजा काट रहा है, हम सचिव को निर्देश देते हैं कि वे भारत के राष्ट्रपति के समक्ष रखें और उनसे आज से दो सप्ताह के भीतर इस पर विचार करने का अनुरोध करें।

राजोआना की ओर से दायर की याचिका में फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की मांग की गई है। राजोआना का कहना है कि वो 29 साल से जेल में हैं, दया याचिका 12 साल से लंबित है। पिछली सुनवाई में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राजोआना की दया याचिका लंबित है। हम इस पर जवाब दाखिल करेंगे।

राजोआना को 31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में पंजाब सिविल सचिवालय के बाहर हुए विस्फोट मामले में दोषी पाया गया था। इस घटना में तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह तथा 16 अन्य लोग मारे गए थे। एक विशेष अदालत ने राजोआना को जुलाई, 2007 में मौत की सजा सुनाई थी। राजोआना ने अपनी याचिका में कहा है कि मार्च 2012 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने उसकी ओर से क्षमादान का अनुरोध करते हुए संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत एक दया याचिका दायर की थी। उच्चतम न्यायालय ने पिछले वर्ष तीन मई को राजोआना को सुनाई गई मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने से इनकार कर दिया।