संपादकीय : झारखंड: विकास के नए क्षितिज पर मेट्रो का स्वप्न
विनोद आनंद
झारखंड, जो कभी अपने खनिज संसाधनों के लिए जाना जाता था, अब शहरी विकास के एक नए युग में प्रवेश करने के लिए तैयार है। राज्य सरकार ने रांची, धनबाद और जमशेदपुर जैसे अपने प्रमुख शहरों में मेट्रो रेल परियोजना शुरू करने के लिए केंद्र सरकार को एक महत्वाकांक्षी प्रस्ताव भेजा है।
यह कदम न केवल इन शहरों के लिए एक परिवहन क्रांति का प्रतीक है, बल्कि राज्य के समग्र विकास को गति देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण छलांग भी है। जिस प्रकार पटना और भुवनेश्वर जैसे द्वितीय श्रेणी के शहरों में मेट्रो का सफल क्रियान्वयन हुआ है, उसी तर्ज पर झारखंड भी अपने शहरों में एक आधुनिक और कुशल परिवहन प्रणाली स्थापित करने का लक्ष्य बना रहा है। यह पहल, जिसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देशों के बाद नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव सुनील कुमार ने आगे बढ़ाया है, यह दर्शाता है कि झारखंड अब केवल एक औद्योगिक केंद्र नहीं, बल्कि एक प्रगतिशील और भविष्योन्मुखी राज्य बनने की दिशा में अग्रसर है.
क्यों है मेट्रो परियोजना झारखंड के लिए महत्वपूर्ण?
झारखंड के शहरों में बढ़ती आबादी और वाहनों की संख्या ने यातायात प्रबंधन को एक बड़ी चुनौती बना दिया है। सड़कों पर बढ़ता दबाव, प्रदूषण का उच्च स्तर और यात्रा में लगने वाला अत्यधिक समय दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। ऐसे में मेट्रो रेल परियोजना एक बहुआयामी समाधान प्रस्तुत करती है जो इन
समस्याओं से निजात दिला सकती है।
यातायात दबाव में कमी:
मेट्रो प्रणाली एक उच्च क्षमता वाली सार्वजनिक परिवहन प्रणाली है जो एक साथ बड़ी संख्या में यात्रियों को ले जा सकती है। इससे व्यक्तिगत वाहनों पर निर्भरता कम होगी और सड़कों पर भीड़ कम होगी, जिससे यातायात का प्रवाह सुगम होगा।
पर्यावरणीय लाभ:
वाहनों से होने वाला कार्बन उत्सर्जन शहरी प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। मेट्रो रेल के उपयोग से प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आएगी, जिससे शहरों की वायु गुणवत्ता में सुधार होगा और सार्वजनिक स्वास्थ्य को लाभ मिलेगा। यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने की दिशा में भी एक सकारात्मक कदम है।
शहरी सुरक्षा और यातायात प्रबंधन:
ग्रेड सेपरेटेड कॉरिडोर के साथ मेट्रो प्रणाली दुर्घटनाओं को कम करने और यातायात प्रबंधन को बेहतर बनाने में मदद करती है। यह शहरी सुरक्षा को बढ़ाती है और यात्रियों को एक सुरक्षित और विश्वसनीय यात्रा का अनुभव प्रदान करती है।
समय और लागत की बचत:
शहरों में बढ़ते यातायात के कारण लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में अधिक समय और धन खर्च करना पड़ता है। मेट्रो एक तेज और कुशल परिवहन साधन है जो यात्रा के समय को काफी कम कर सकता है, जिससे नागरिकों के लिए समय और लागत दोनों की बचत होगी। यह व्यक्तियों को अपने काम और व्यक्तिगत जीवन के लिए अधिक समय देगा, जिससे समग्र उत्पादकता में वृद्धि होगी।
आर्थिक गतिविधियों और रोजगार के अवसर:
मेट्रो परियोजना का क्रियान्वयन अपने आप में एक विशाल उद्यम है जो निर्माण, संचालन और रखरखाव के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा करेगा। इसके अतिरिक्त, मेट्रो स्टेशनों के आसपास नए वाणिज्यिक और आवासीय विकास को बढ़ावा मिलेगा, जिससे आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। यह शहरों में नए निवेश को आकर्षित करेगा और रियल एस्टेट क्षेत्र को भी पुनर्जीवित करेगा।
जीवन की गुणवत्ता में सुधार:
एक आधुनिक और कुशल परिवहन प्रणाली न केवल यात्रा को आसान बनाती है, बल्कि यह नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार करती है। कम तनावपूर्ण आवागमन, स्वच्छ हवा और बेहतर कनेक्टिविटी से शहरी निवासियों के लिए एक अधिक आरामदायक और स्वस्थ जीवन शैली बनती है। यह स्मार्ट प्लानिंग और आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ शहरों को रहने के लिए अधिक आकर्षक स्थान बनाता है।
पटना-भुवनेश्वर मॉडल: एक प्रेरणादायक उदाहरण
झारखंड सरकार पटना और भुवनेश्वर जैसे द्वितीय श्रेणी के शहरों में मेट्रो की सफलता से प्रेरित है। ये शहर, जो जनसंख्या और शहरीकरण के पैमाने पर रांची, धनबाद और जमशेदपुर के समान हैं, ने यह साबित कर दिया है कि मेट्रो प्रणाली केवल बड़े महानगरों तक ही सीमित नहीं है। इन शहरों में मेट्रो ने शहरी परिवहन को नया आयाम दिया है, जिससे न केवल यातायात की समस्या का समाधान हुआ है, बल्कि आर्थिक विकास और जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है। झारखंड सरकार का यह मानना है कि इसी मॉडल को अपनाकर वह अपने शहरों में भी एक समान परिवर्तनकारी प्रभाव ला सकती है। यह दृष्टिकोण यह भी दर्शाता है कि राज्य सरकार दूरदर्शिता के साथ काम कर रही है और सफल मॉडलों से सीखने के लिए तैयार है।
मेट्रो रेल नीति 2017 का पालन और आधुनिक मॉडल
प्रस्ताव में यह स्पष्ट किया गया है कि परियोजना मेट्रो रेल नीति 2017 के अंतर्गत सभी मापदंडों का पालन करेगी। यह सुनिश्चित करेगा कि परियोजना का क्रियान्वयन एक मानक और पारदर्शी तरीके से हो। इसके अतिरिक्त, सरकार कॉम्प्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान (CMP), पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP), वैल्यू कैप्चर फाइनेंसिंग (VCF) जैसे आधुनिक मॉडल अपनाने पर भी जोर दे रही है।
कॉम्प्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान (CMP):
यह एक समग्र योजना है जो परिवहन के सभी साधनों को एकीकृत करती है और शहरी गतिशीलता की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक समन्वित दृष्टिकोण अपनाती है। यह सुनिश्चित करता है कि मेट्रो परियोजना शहर के अन्य परिवहन बुनियादी ढांचे के साथ सहज रूप से जुड़े।
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP):
पीपीपी मॉडल निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता और वित्तीय संसाधनों का लाभ उठाता है, जिससे परियोजना के लिए धन जुटाने और उसके कुशल क्रियान्वयन में मदद मिलती है। यह सरकार पर वित्तीय बोझ को भी कम करता है।
वैल्यू कैप्चर फाइनेंसिंग (VCF)
वीसीएफ एक अभिनव वित्तपोषण तंत्र है जो बुनियादी ढांचा परियोजनाओं द्वारा उत्पन्न भूमि मूल्य वृद्धि के एक हिस्से को कैप्चर करता है। यह मेट्रो परियोजना के लिए एक स्थायी राजस्व धारा प्रदान कर सकता है और सार्वजनिक धन पर निर्भरता को कम कर सकता है
ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट (TOD):
टीओडी एक शहरी नियोजन दृष्टिकोण है जो उच्च घनत्व, मिश्रित भूमि उपयोग और बेहतर कनेक्टिविटी को बढ़ावा देता है। मेट्रो स्टेशनों के आसपास टीओडी को लागू करने से न केवल यात्रियों के लिए सुविधा बढ़ेगी बल्कि शहरी क्षेत्रों का अधिक कुशल और टिकाऊ विकास भी होगा। यह पैदल चलने और साइकिल चलाने को भी बढ़ावा देगा, जिससे शहरी गतिशीलता और स्वास्थ्य में सुधार होगा।
झारखंड के विकास को लगेंगे पंख
झारखंड में मेट्रो सेवा की तैयारी न केवल एक परिवहन परियोजना है, बल्कि यह राज्य के विकास के पहिए को तेज करने का एक शक्तिशाली उत्प्रेरक भी है। यह केवल लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के बारे में नहीं है, बल्कि यह शहरों को पुनर्जीवित करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के बारे में है।
निवेश और पर्यटन को बढ़ावा:
एक आधुनिक मेट्रो प्रणाली निवेशकों को आकर्षित करती है और पर्यटन को बढ़ावा देती है। यह शहरों को अधिक आकर्षक बनाता है और नए व्यवसायों और उद्योगों को स्थापित करने के लिए एक अनुकूल वातावरण प्रदान करता है।
शहरी नियोजन में सुधार:
मेट्रो परियोजना शहरी नियोजन के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है, जिससे शहरों का अधिक संगठित और टिकाऊ विकास होता है। यह भूमि उपयोग को अनुकूलित करता है और भविष्य की शहरी चुनौतियों के लिए शहरों को तैयार करता है।
झारखंड की बदलती छवि:
यह परियोजना झारखंड की छवि को एक पिछड़े राज्य से एक प्रगतिशील और आधुनिक राज्य के रूप में बदल सकती है। यह राज्य की क्षमताओं और आकांक्षाओं को प्रदर्शित करता है और इसे राष्ट्रीय मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाता है।
आगे की राह और चुनौतियां
हालांकि मेट्रो परियोजना के लाभ स्पष्ट हैं, लेकिन इसके क्रियान्वयन में कुछ चुनौतियां भी होंगी। भूमि अधिग्रहण, वित्तीय संसाधन जुटाना, और तकनीकी विशेषज्ञता का अभाव कुछ ऐसे मुद्दे हो सकते हैं जिन्हें संबोधित करने की आवश्यकता होगी। हालांकि, राज्य सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता और केंद्र सरकार के साथ सहयोग से इन चुनौतियों को दूर किया जा सकता है। फिजिबिलिटी स्टडी और डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार करना पहला महत्वपूर्ण कदम होगा, जो परियोजना की तकनीकी और वित्तीय व्यवहार्यता का आकलन करेगा।
यह सर्व विदित है कि झारखंड में मेट्रो रेल परियोजना की तैयारी राज्य के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह न केवल शहरी गतिशीलता में क्रांति लाएगी, बल्कि यह आर्थिक विकास को गति देगी, पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देगी और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करेगी। पटना और भुवनेश्वर मॉडल से प्रेरणा लेते हुए, और मेट्रो रेल नीति 2017 के सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए, झारखंड सरकार एक पारदर्शी और व्यावसायिक दृष्टिकोण के साथ इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। यह परियोजना निश्चित रूप से झारखंड को विकास के पहिए पर तेजी से दौड़ाएगी और इसे एक आधुनिक, समृद्ध और भविष्योन्मुखी राज्य के रूप में स्थापित करेगी। यह सिर्फ एक परिवहन प्रणाली नहीं, बल्कि झारखंड के उज्ज्वल भविष्य का आधार है।
Jul 16 2025, 09:38