ट्रंप ने बढ़ाई भारत की मुश्किलें, चाबहार में निवेश पर प्रतिबंध के बाद भारतीय कंपनी पर लगाया बैन

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही हड़कंप मचा रखा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर अधिकतम दबाव बनाने को लेकर फिर से अभियान शुरू कर दिया है। उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में भी इस देश पर दबाव बनाने के लिए तमाम प्रतिबंध लगाए थे। ट्रंप ने मंगलवार रात एक आदेश पर हस्ताक्षर किए। आदेश के तहत ईरान के तेल निर्यात को रोकने और ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को फिर से लागू करने का आह्वान किया गया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह उन प्रतिबंधों को लागू नहीं करना चाहते और ईरान के साथ एक समझौते पर पहुंचना चाहते हैं। इसी क्रम में अमेरिका ने ईरान के चाबहार पोर्ट पर भारत को दी गई छूट को जहां खत्‍म करने का फैसला किया है, वहीं अब भारत की कंपनी मार्शल शिप मैनेजमेंट कंपनी और एक नागरिक पर भी बैन लगा दिया है।

ट्रंप ने क्यों उठाया ये कदम?

अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने भारतीय कंपनी पर आरोप लगाया है कि वह ईरान को चीन को तेल बेचने में मदद कर रही है। अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने गुरुवार को इन नए प्रतिबंधों का ऐलान किया है। इसमें एक पूरे अंतरराष्‍ट्रीय नेटवर्क को निशाना बनाया गया है। बयान में अमेरिका ने कहा कि यह तेल ईरान की सेना की कंपनी की ओर से भेजे जा रहे थे और इस पर प्रतिबंध लगा हुआ था। इस प्रतिबंध के दायरे में चीन, भारत और यूएई की कई कंपनियां और जहाज शामिल हैं। इस अमेरिकी बयान में कहा गया है कि ईरान हर साल तेल बेचकर अरबों डॉलर कमा रहा है और इससे पूरे इलाके में अस्थिरता फैलाने वाली गतिव‍िधियों को अंजाम दे रहा है। ईरान हमास, हिज्‍बुल्‍लाह और हूतियों को मदद दे रहा है जो इजरायल और अमेरिका पर हमले कर रहे हैं। ईरानी सेना विदेशी में बनी छद्म कंपनियों की मदद से यह तेल बेच पा रही है।

ईरान के प्रभाव को भी कम करने की कोशिश

इससे पहले 4 फरवरी को अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने ईरान के खिलाफ अधिकतम आर्थिक दबाव बनाने का आदेश दिया था। भारतीय कंपनी और अधिकारी के खिलाफ उठाया गया यह ताजा कदम ट्रंप के इसी आदेश का हिस्‍सा है। अमेरिका चाहता है कि इन दबावों के जरिए ईरान के प्रभाव को भी कम किया जा सके।

भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती

ट्रंप के इस कदम से भारत के सामने नई कूटनीतिक चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। चाबहार बंदरगाह परियोजना भारत की सामरिक और व्यापारिक रणनीति के लिए अहम है। भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह पर 10 साल का समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत, भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) इस बंदरगाह का संचालन करेगी। यह समझौता 13 मई, 2024 को हुआ था। अब देखना होगा कि भारत इस नए दबाव के बीच अपनी रणनीति कैसे तय करता है।

भारत का चाबहार बंदरगाह के लिए 10 साल का समझौता

ईरान के चाबहार में शाहिद बेहेशती पोर्ट को भारत ने 10 साल के लिए लीज पर ले लिया है। इससे पोर्ट का पूरा मैनेजमेंट भारत के पास होगा। भारत को इसके जरिए अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया से व्यापार करने के लिए नया रूट मिला है। जिससे कि पाकिस्तान की जरूरत खत्म हो जाएगी। यह पोर्ट भारत और अफगानिस्तान को व्यापार के लिए वैकल्पिक रास्ता है। डील के तहत भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) चाबहार पोर्ट में 120 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी।

चाबहार पोर्ट के समझौते के लिए भारत से केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल को ईरान भेजा गया था। भारत और ईरान दो दशक से चाबहार पर काम कर रहे हैं। चाबहार विदेश में लीज पर लिया गया भारत का पहला पोर्ट है।

चाबहार पोर्ट भारत के लिए क्यों जरूरी है ?

भारत दुनियाभर में अपने व्यापार को बढ़ाना चाहता है। चाबाहार पोर्ट इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। भारत इस पोर्ट की मदद से ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के साथ सीधे व्यापार कर सकता है। ईरान और भारत ने 2018 में चाबहार पोर्ट तैयार करने का समझौता किया था। पहले भारत से अफगानिस्तान कोई भी माल भेजने के लिए उसे पाकिस्तान से गुजरना होता था। हालांकि, दोनों देशों में सीमा विवाद के चलते भारत को पाकिस्तान के अलावा भी एक विकल्प की तलाश थी। चाबहार बंदरगाह के विकास के बाद से अफगानिस्तान माल भेजने का यह सबसे अच्छा रास्ता है। भारत अफगानिस्तान को गेंहू भी इस रास्ते से भेज रहा है।

अफगानिस्तान के अलावा यह पोर्ट भारत के लिए मध्य एशियाई देशों के भी रास्ते खोलेगा इन देशों से गैस और तेल भी इस पोर्ट के जरिए लाया जा सकता है। वहीं ये बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक रूप से भी जरूरी है। क्योंकि ग्वादर को बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के तहत चीन विकसित कर रहा है। ऐसे में ये रूट भारत को चीन खिलाफ यहां से एक रणनीतिक बढ़त भी दे रहा है।

महाकुंभ’ में 10 रुपये का दातून बेचती, बनारस के घाट पर चाय… कौन है ये फिनलैंड की लड़की? इंस्टाग्राम पर मचा रही धूम

महाकुंभ को खत्म होने में अभी 19 दिन बाकी हैं. इस बार के महाकुंभ में कई लोगों ने अपने अनोखे अंदाज के कारण सुर्खियां बटोरीं. इनमें IIT बाबा अभय सिंह, सुंदर साध्वी हर्षा, माला बेचने वाली मोनालिसा और बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी समेत कई लोग शामिल रहे. लेकिन एक विदेशी यूट्यूबर भी इन दिनों खूब सुर्खियों में हैं. हालांकि, वो महाकुंभ नहीं आईं. लेकिन उन्होंने महाकुंभ को लेकर कई मोटिवेशनल वीडियो डाले. इसमें भारतीय संस्कृति की उन्होंने जमकर तारीफ की.

इनका नाम कैसा ओलजक्का (Kaisa Oljakka) है. कैसा फिनलैंड की रहने वाली हैं. वो भारतीय संस्कृति से इतना प्रभावित हैं कि यहीं आकर बस गई हैं. वो एक फेमस यूट्यूबर और इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर हैं. कैसा अंकित कुमार नाम के युवक के साथ कई सारे वीडियो डालती हैं. कई वीडियो फनी तो कई ऐसे होते हैं जिनमें भारतीय संस्कृति के प्रति लोगों को बताया जाता है.

कैसा खुद भी भारतीय परिधानों में ही नजर आती हैं. कैसा के इंस्टाग्राम अकाउंट (videshi__indian) पर 3 लाख 36 हजार से भी ज्यादा फॉलोअर्स हैं. यूट्यूब और फेसबुक पर भी उन्हें हजारों लोग फॉलो करते हैं. कैसा ने हाल ही में बनारस के घाट पर भी वीडियो बनाए. इसमें वो चाय बेचती नजर आईं. वहीं, महाकुंभ को लेकर भी उन्होंने एक वीडियो बनाया. इसमें हाथ में नीम की दातून लिए बोलीं- यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है. वीडियो में कहती नजर आईं कि मैं इन्हें 10 रुपये में बेच रही हूं. उन्होंने लोगों से कहा कि आप भी महाकुंभ जाएं और पावन गंगा मैया में डुबकी लगाएं.

क्रिकेट-बॉलीवुड पर वीडियो

इंस्टाग्राम पर अगर आप उनके वीडियो को देखें तो यकीन नहीं कर पाएंगे कि उन्हें भारतीय संस्कृति का कितना ज्यादा ज्ञान है. वो और भी लोगों को भारतीय संस्कृति के प्रति प्रेरित करती रहती हैं. इसके अलावा वो क्रिकेट और बॉलीवुड को लेकर भी कई वीडियो बनाती हैं.

यूएस से डिपोर्ट भारतीयों को लेकर आया प्लेन पंजाब में क्यों उतरा? कांग्रेस उठा रही सवाल

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अमेरिका से 104 अवैध अप्रवासियों की वापसी हो चुकी है। उनको लेकर आए सैन्य विमान की लैंडिंग पंजाब के अमृतसर में हुई। निर्वासित लोगों में से 30 पंजाब से, 33-33 हरियाणा और गुजरात से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश, दो चंडीगढ़ से हैं। निर्वासित किए गए लोगों में 19 महिलाएं और चार वर्षीय एक बच्चा, पांच व सात वर्षीय दो लड़कियों सहित 13 नाबालिग शामिल हैं। इस बीच प्लेन के देश की राजधानी दिल्ली की जगह अमृतसर में लैंडिंग को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

कांग्रेस ने निर्वासित भारतीयों को ले जा रहे अमेरिकी सैन्य विमान को दिल्ली के बजाय अमृतसर में उतरने की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है। कांग्रेस ने कहा कि शहर को 'धारणा' और 'नैरेटिव' को ध्यान में रखते हुए चुना गया था।

“बदनाम करने वाले नैरेटिव”

कांग्रेस के जालंधर कैंट विधायक परगट सिंह ने कहा कि पंजाब की तुलना में गुजरात सहित अन्य राज्यों से अधिक निर्वासित लोग हैं। परगट सिंह ने सोशल मीडिया प्लोट कहा कि जब पंजाब अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की मांग करता है, तो पंजाब को आर्थिक लाभ से वंचित करने के लिए केवल दिल्ली एयरपोर्ट को अनुमति दी जाती है। लेकिन जब बदनाम करने वाले नैरेटिव की बात आती है, तो एक अमेरिकी निर्वासन विमान पंजाब में उतरता है। भले ही उसमें अधिककर निर्वासित गुजरात और हरियाणा से हों।

लोकसभा में इस पर चर्चा की मांग

वहीं, अमृतसर से सांसद और कांग्रेस नेता गुरजीत औजला ने विमान को अमृतसर में उतारे जाने पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने लोकसभा में इस पर चर्चा की मांग का नोटिस देते हुए पूछा कि प्लेन को दिल्ली में क्यों नहीं उतारा गया? उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए एक्स पर लिखा, शर्मनाक और अस्वीकार्य! मोदी सरकार ने भारतीय अप्रवासियों को बेड़ियों में जकड़े हुए विदेशी सैन्य विमान से वापस भेजने की अनुमति दी। कोई विरोध क्यों नहीं? वाणिज्यिक उड़ान क्यों नहीं? विमान दिल्ली में क्यों नहीं उतरा? यह हमारे लोगों और हमारी संप्रभुता का अपमान है। सरकार को जवाब देना चाहिए!’

आप ने भी घेरा

इस बीच, आम आदमी पार्टी (आप) ने सवाल किया है कि विमान की लैंडिंग अमृतसर में क्यों कराई गई। देश के किसी अन्य राज्य में विमान को क्यों नहीं उतारा गया। आप पंजाब के अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने सवाल किया कि विमान अमृतसर में क्यों उतरा, देश के किसी अन्य हवाई अड्डे पर क्यों नहीं। उन्होंने कहा, जब निर्वासित लोग पूरे देश से हैं, तो विमान को उतारने के लिए अमृतसर को क्यों चुना गया? यह सवाल हर किसी के दिमाग में है। अमन अरोड़ा ने कहा कि केंद्र सरकार ने पंजाब के साथ हमेशा सौतेला व्यवहार किया है। पंजाब की तुलना में अन्य राज्यों के लोग (निर्वासित) अधिक हैं. इस विमान को उतारने के लिए अमृतसर को चुनना एक सवालिया निशान खड़ा करता है।

जयशंकर ने यूएस से डिपोर्ट अवैध भारतीय प्रवासियों पर दिया जवाब, सदन को बताया सरकार को थी जानकारी

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अमेरिका से निर्वासित किए गए भारतीय नागरिकों पर राज्यसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बयान दिया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में कहा कि यदि कोई नागरिक विदेश में अवैध रूप से रह रहा पाया जाता है तो उसे वापस बुलाना सभी देशों का दायित्व है।उन्होंने कहा अमेरिका के नियम के तहत यह कार्रवाई हुई। पहले भी इस तरह की कार्रवाई हुई है। यह कोई नया प्रोसेस नहीं है। उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए अमेरिकी सरकार से संपर्क कर रहे हैं कि निर्वासितों के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न हो।

विदेश मंत्री ने कहा, हम जानते हैं कि कल 104 लोग वापस आए। हम ही हैं जिन्होंने उनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि की। हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि यह कोई नया मामला है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जो पहले भी होता रहा है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे वापस लौटने वाले प्रत्येक व्यक्ति (अमेरिका से निर्वासित भारतीय) के साथ बैठें और पता लगाएं कि वे अमेरिका कैसे गए, एजेंट कौन था, और हम कैसे सावधानी बरतें ताकि यह फिर से न हो।

विदेश मंत्री ने कहा, भारतीय प्रवासी अमानवीय हालात में फंसे थे. अवैध रूप में रह रहे लोगों को वापस स्वदेश भेजा जाता है. हमारे कई नागरिक गलत तरीके से अमेरिका पहुंचे थे. अवैध प्रवासियों को वापस लाना ही था। उन्होंने कहा कि साथ ही, सदन इस बात की सराहना करेगा कि हमारा ध्यान अवैध आव्रजन उद्योग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि निर्वासितों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर, कानून प्रवर्तन एजेंसियां एजेंटों और ऐसी एजेंसियों के खिलाफ आवश्यक, निवारक और अनुकरणीय कार्रवाई करेंगी।

अमेरिका से डिपोर्ट 104 भारतीयों की वतन वापसी, यूएम मिलिट्री विमान की अमृतसर में लैंडिंग

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा मिलिट्री प्‍लेन में भारत भेज जा रहे अवैध प्रवासियों का जहाज अमृतसर पहुंच गया है। कुल 205 भारतीय प्रवासियों को डिपोर्ट करने की कार्रवाई जारी है, जिसमें से पहला ग्रुप 104 भारतीयों का है। यह पलेन अमृतसर के श्री गुरु रामदास इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचा है। पुलिस और एजेंसियां इनके बैकग्राउंड की जांच कर रही हैं।

इन निर्वासित किए गए लोगों में से 30 पंजाब से, 33-33 हरियाणा और गुजरात से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से और दो चंडीगढ़ से हैं। हालांकि अभी निर्वासित लोगों की संख्या की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। यह अवैध भारतीय अप्रवासियों का पहला जत्था है जिसे अमेरिकी सरकार ने निर्वासित किया है।

जिस समय विमान एयरपोर्ट पर लैंड किया उस समय अमृतसर के पुलिस कमिश्नर, डीसी और अन्य तमाम सीनियर प्रशासनिक अधिकारी एयरपोर्ट पर मौजूद रहे। एयरपोर्ट स्थित एविएशन क्लब में सभी डिपोर्ट किए गए भारतीयों के बैकग्राउंड चेक किए गए हैं। वहीं, अमृतसर एयरपोर्ट के डायरेक्टर, डिप्टी कमिश्नर, पुलिस कश्मिनर और सीआईएफ डायरेक्टर ने एक बैठक की थी। इस दौरान सुरक्षा उपाय के तहत एयरपोर्ट के कार्गो गेट और एक अन्य प्रवेश द्वार पर बैरिकेडिंग कर दी थी।

बता दें कि बीते दो हफ्ते की अवधि में भारत के अलावा भी कई देशों के अवैध प्रवासियों को अमेरिका से निर्वासित किया जा चुका है। सी-17 सैन्य विमान से भारत लौटाए जा रहे प्रवासियों के बारे में समाचार एजेंसी पीटीआई पर आई रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों पर अमल करते हुए अमेरिका आव्रजन कानूनों को कड़ा कर रहा है।

अमेरिका ने 205 भारतीयों को वापस भेजा, सी-17 सैन्य विमान से आज पहुंचेगा अमृतसर

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अमेरिका में ट्रंप सरकार ने अवैध अप्रवासियों को डिपोर्ट करना तेज कर दिया है। इसी क्रम में भारतीय अवैध अप्रवासियों को भी डिपोर्ट किया जा रहा है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक सोमवार को यूएस एयरफोर्स का C-17 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट अवैध अप्रवासियों को लेकर भारत के लिए उड़ान भर चुका है। ये फ्लाइट अमृतसर एयरपोर्ट लैंड करेगी। इसके पहले एयरपोर्ट पर हलचल बढ़ गई है। प्रशासन की तरफ से अवैध प्रवासियों को लेकर तैयारी की गई है।

इस एयरक्राफ्ट में 205 लोग सवार हैं। इन सभी की पहचान कर ली गई है। इस पूरी प्रकिया में भारत भी शामिल रहा। बताया जा रहा है कि अमेरिकी वायुसेना का सी-17 ग्लोबमास्टर विमान टेक्सास से भारत की तरफ रवाना हुआ है। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक निर्वासित भारतीयों के एक समूह को लेकर विमान ने टेक्सास के पास स्थित एक एयरबेस से उड़ान भरी है।

पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने बताया कि अमेरिका से भेजे गए अवैध प्रवासियों को राज्य सरकार के लोग रिसीव करेंगे। पहचान और अन्य कागजी कार्रवाई के लिए हवाई अड्डे पर काउंटर बनाए गए हैं। अमृतसर प्रशासन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, अमेरिकी विमान से आने वाले सभी लोगों के दस्तावेजों की अमृतसर एयरपोर्ट पर जांच की जाएगी। इमीग्रेशन आदि के अलावा इन लोगों की पूरी पृष्ठभूमि, खासकर उनका आपराधिक रिकॉर्ड की जांच की जाएगी। यदि कोई आपराधिक रिकॉर्ड पाया जाता है तो उन्हें एयरपोर्ट पर ही हिरासत में ले लिया जाएगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संकल्प और नीतियों का असर दिखना शुरू हो गया है। बीते 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद संभालने के बाद ट्रंप ने अवैध प्रवासियों को अमेरिका से निकाले जाने संबंधी कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। इस पर अमल करते हुए अमेरिकी प्रशासन ने सी-17 सैन्य विमान से 205 भारतीय लोगों के एक समूह को अमेरिका से वापस भेज दिया है। भारतीयों को अमेरिका से निकाले जाने की यह ताजा खबर ट्रंप प्रशासन की सख्ती दिखाता है। बता दें कि बीते दो हफ्ते की अवधि में भारत के अलावा भी कई देशों के अवैध प्रवासियों को अमेरिका से निर्वासित किया जा चुका है।

भारतीयों के खिलाफ ट्रंप का एक्शन शुरू, अमेरिका से अवैध प्रवासियों को लेकर सेना का पहला विमान भारत रवाना

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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद अमेरिका ने अवैध प्रवासियों को निकालना शुरू कर दिया है। तक अमेरिका द्वारा दक्षिण अमेरिकी देशों के अवैध अप्रवासियों को निर्वासित किया जा रहा था, लेकिन अब भारत के अवैध अप्रवासियों पर भी कार्रवाई शुरू हो गई है। इसी के तहत अमेरिका से सोमवार को एक अमेरिकी सैन्य विमान प्रवासियों को लेकर भारत के लिए रवाना हो गया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से बताया है कि सी-17 सैन्य विमान प्रवासियों को लेकर रवाना हुआ है।

सेना की मदद से निर्वासन अभियान

अमेरिका में सत्ता संभालने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश में अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने इमिग्रेशन एजेंडे को पूरा करने के लिए सेना की मदद ली है, जिसके तहत ही सैन्य एयरक्राफ्ट की मदद से लोगों को डिपोर्ट करने का काम शुरू किया जा चुका है। इसी के बाद अब अमेरिका में बसे भारतीय अवैध प्रवासियों को भारत डिपोर्ट करने के लिए अमेरिका से C-17 विमान रवाना हो गया है। अमेरिकी अधिकारी ने कहा, अमेरिका का एक सैन्य विमान C-17 भारतीय प्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए रवाना हो गया है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह विमान अगले 24 घंटे तक भारत नहीं पहुंचेगा।

अलग-अलग जगहों के लिए डिपोर्ट किए जा रहे अप्रवासी

इसी के साथ पेंटागन ने एल पासो, टेक्सास और सैन डिएगो, कैलिफोर्निया में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा रखे गए 5,000 से अधिक अप्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए फ्लाइट देना भी शुरू कर दिया है। अब तक, सैन्य विमान प्रवासियों को ग्वाटेमाला, पेरू और होंडुरास ले गए हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने कहा है कि अमेरिका के एल पासो, टेक्सास और सैन डिएगा, कैलिफोर्निया से पांच हजार से ज्यादा अवैध अप्रवासियों को लेकर जल्द ही सेना के विमान उड़ान भरेंगे।

लगभग 18,000 अवैध भारतीयों की पहचान का दावा

डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद पहली बार भारतीय अवैध प्रवासियों को भारत डिपोर्ट किया जाएगा। ट्रंप और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ अपनी-अपनी बातचीत के दौरान अमेरिका में बसे अवैध भारतीयों को लेकर पहले ही चिंता जताई थी। राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी से बातचीत के बाद कहा था कि उन्होंने इमिग्रेशन को लेकर पीएम से बात की थी। साथ ही उन्होंने कहा था कि जब अवैध अप्रवासियों को वापस लेने की बात आएगी तो भारत वही करेगा जो सही होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका ने लगभग 18,000 भारतीय अप्रवासियों की पहचान की है जो अवैध रूप से अमेरिका में हैं।

करीब 1.1 करोड़ अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करेंगे ट्रंप

राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद ही डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका से करीब 1.1 करोड़ अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करने की बात कही थी। पिछले सप्ताह ही अमेरिकी सेना ने लैटिन अमेरिकी देशों में अवैध अप्रवासियों को लेकर छह उड़ानें भरी हैं। हालांकि कोलंबिया ने अमेरिका के विमानों को अपने देश में उतरने की इजाजत नहीं दी थी, लेकिन ट्रंप के सख्त रुख के बाद कोलंबिया ने अपने नागरिकों को लाने के लिए अपने ही विमान भेजे थे।

निर्मला सीतारमण: भारत की वित्त मंत्री के रूप में उनके योगदान और भूमिका

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Nirmala Sitaraman (Union FM)

निर्मला सीतारमण भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली नेता के रूप में उभरी हैं। उनका कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। यहाँ उनके योगदान और वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यों पर विस्तृत चर्चा की जा रही है:

1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

-जन्म: निर्मला सीतारमण का जन्म 18 अगस्त 1959 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था।

- शिक्षा: उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय से आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में पोस्ट-ग्रेजुएशन की डिग्री ली। 

-प्रारंभिक करियर: इससे पहले कि वे भारतीय राजनीति में प्रवेश करतीं, उन्होंने एक शिक्षक, अर्थशास्त्र के विद्वान और कॉर्पोरेट दुनिया में काम किया था। वे ब्रिटेन स्थित एक प्रमुख थिंक टैंक "हेरिटेज फाउंडेशन" की सदस्य भी रह चुकी हैं। 

2. राजनीति में प्रवेश

निर्मला सीतारमण भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) से जुड़ीं और 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के गठन के समय, उन्हें केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्यभार सौंपा गया। उन्हें पहले रक्षा मंत्री के रूप में कार्यभार सौंपा गया था, और बाद में 2019 में वित्त मंत्री का पद मिला।

3. वित्त मंत्री के रूप में कार्यकाल (2019 - वर्तमान)

निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2019 में भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में शपथ ली। वे पहली महिला वित्त मंत्री थीं जिन्हें स्वतंत्र भारत में यह महत्वपूर्ण पद मिला। उनके कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्निर्माण और विकास की दिशा में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए:

   3.1. आर्थिक सुधारों को बढ़ावा

- विकसित और उदार नीतियाँ: निर्मला सीतारमण ने भारत की आर्थिक नीतियों को लचीला और उदार बनाने की दिशा में कई कदम उठाए, जैसे कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती और व्यापारों को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाओं की शुरुआत।

- वित्तीय विनियमन: वित्तीय क्षेत्र में सुधार और मजबूत विनियमन की दिशा में उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिसमें बैंकों की पूंजी में वृद्धि, वित्तीय संस्थानों के सुधार और अनुकूलित टैक्स नीतियाँ शामिल हैं।

  

  3.2. कोविड-19 संकट के दौरान प्रभावी कदम

- आर्थिक पैकेज: कोविड-19 महामारी के संकट के समय, निर्मला सीतारमण ने भारत सरकार के द्वारा घोषित किए गए आर्थिक पैकेज को लागू किया। उन्होंने गरीबों, श्रमिकों और छोटे व्यापारों के लिए राहत उपायों का ऐलान किया, जैसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, ECLGS (Emergency Credit Line Guarantee Scheme), और मुद्रा लोन योजनाएँ। 

- माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) के लिए योजनाएँ: कोविड-19 से प्रभावित MSMEs को पुनः सक्षम बनाने के लिए वित्त मंत्री ने कई योजनाओं की शुरुआत की, जिससे अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया जा सके।

  

     3.3. स्वच्छ भारत और आत्मनिर्भर भारत अभियान

- आत्मनिर्भर भारत पैकेज: निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की, जिसका उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाना था। इस योजना में कृषि, उद्योग, MSMEs, और अन्य क्षेत्रों के लिए विभिन्न सुधार और सहायता पैकेज शामिल थे।

  

    3.4. जीएसटी सुधार

- जीएसटी (GST) में सुधार: निर्मला सीतारमण ने जीएसटी प्रणाली में सुधार की दिशा में कई पहल कीं। उन्होंने छोटे व्यापारियों के लिए जीएसटी रिटर्न भरने में सरलता लाने और जीएसटी दरों में बदलाव करने की दिशा में कदम उठाए। 

- जीएसटी काउंसिल की बैठकें: उन्होंने जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्यों और केंद्रीय सरकार के बीच सामंजस्य स्थापित करने का कार्य किया, जिससे कर प्रणाली को सशक्त किया गया।

    3.5. कृषि क्षेत्र में सुधार

- कृषि सुधार: निर्मला सीतारमण ने कृषि क्षेत्र के सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जैसे कृषि सुधार विधेयक, जो किसानों को अधिक अधिकार और समर्थन देने के लिए लाए गए थे। हालांकि, यह विधेयक विवादों में भी रहा, लेकिन इसका उद्देश्य भारतीय कृषि क्षेत्र को अधिक प्रतिस्पर्धात्मक और लाभकारी बनाना था।

     3.6. बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में सुधार

- बैंकिंग क्षेत्र की पुनर्पूंजीकरण: उन्होंने भारतीय बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए कई योजनाएँ बनाई, ताकि बैंकों को मजबूती से कार्य करने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन मिल सकें।

- एनपीए (NPA) समस्या पर काबू पाना: वित्त मंत्री ने एनपीए की समस्या को हल करने के लिए कई उपाय किए और दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (IBC) को और प्रभावी बनाने की दिशा में काम किया।

  

     3.7. डिजिटल भुगतान को बढ़ावा

- डिजिटल इंडिया और कैशलेस ट्रांजैक्शंस: निर्मला सीतारमण ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ लागू कीं। उन्होंने मोबाइल पेमेंट्स, यूपीआई (Unified Payments Interface) और अन्य डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के उपयोग को बढ़ावा दिया।

 4. उनकी नेतृत्व क्षमता और आलोचनाएँ

निर्मला सीतारमण को उनकी उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता के लिए पहचाना जाता है, लेकिन उनके कार्यकाल में कुछ आलोचनाएँ भी रही हैं। विशेष रूप से, कुछ आलोचकों का मानना है कि सरकार के फैसलों की कार्यान्वयन में प्रभावी सुधारों की कमी हो सकती है, और कुछ योजनाएँ अधिक प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पाई हैं। साथ ही, किसानों और व्यापारियों द्वारा कई बार सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए गए हैं। 

5. अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सीतारमण की स्थिति*

निर्मला सीतारमण को न केवल भारतीय राजनीति में, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी वित्त और आर्थिक मामलों में एक प्रभावशाली नेता के रूप में देखा जाता है। उन्होंने G20, IMF, और विश्व बैंक जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारतीय नीतियों और हितों का प्रतिनिधित्व किया है। उनके नेतृत्व में भारत ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिति को मजबूत किया और प्रमुख वैश्विक सुधारों में सक्रिय रूप से भाग लिया।

निर्मला सीतारमण का कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और वित्तीय सुधारों की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाने वाला रहा है। उन्होंने भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों के लिए वित्तीय समावेशिता, व्यवसाय को बढ़ावा देने और श्रमिकों के हित में कई योजनाएँ बनाई हैं। हालांकि, उनके कार्यों की आलोचना भी की गई है, लेकिन उनके योगदान और नेतृत्व के कारण वे एक स्थायी और महत्वपूर्ण स्थान पर खड़ी हैं। निर्मला सीतारमण ने यह साबित किया है कि महिला नेतृत्व केवल दायित्व नहीं, बल्कि उत्कृष्टता की ओर भी कदम बढ़ाता है।

*Mohun Bagan Super Giant defeated Mohammedan SC 4-0*

Sports

ISL

Khabar kolkata sports Desk: Mohun Bagan Super Giant defeated city rivals Mohammedan SC 4-0 at the Vivekananda Yuba Bharati Krinangan in Kolkata in the Indian Super League (ISL) 2024-25 season Yesterday night.

Pic : Sanjay Hazra

कौन हैं शुभांशु शुक्ला? स्पेस एक्स ड्रैगन के पायलट बनेंगे, ISS पर जाने वाले पहले भारतीय होंगे

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इंडियन एयरफोर्स के ऑफिसर शुभांशु शुक्ला को नासा के एग्जियम मिशन 4 के लिए पायलट चुना गया है। जल्द ही वे स्पेस एक्स ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट को लेकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर जाएंगे। शुभांशु आईएसएस पर जाने वाले पहले भारतीय होंगे। यह मिशन 14 दिन तक चलेगा। इसके तहत रिसर्च की जाएगी। शुभांशु इसरो के मिशन गगनयान के लिए ट्रेनिंग ले रहे है।

इंडियन एयरफोर्स के शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने को बेताब हैं। वे एक्सिओम मिशन 4 के पायलट के रूप में चुने गए हैं। यह मिशन नासा और इसरो के बीच एक संयुक्त प्रयास का हिस्सा है। मिशन की कमांड पैगी व्हिटसन संभालेंगी । शुभांशु पायलट होंगे। इनके साथ मिशन स्पेशलिस्ट पोलैंड के स्लावोज उजनांस्की-विश्निवस्की और हंगरी के तिबोर कापू अप्रैल और जून 2025 के बीच एग्जियम मिशन-4 पर जाएंगे।

ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में, एक्सिओम मिशन-4 के चालक दल के सदस्यों ने अभियान के लिए प्रशिक्षण के अपने अनुभव साझा किए। भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने कहा, ‘‘मैं ‘माइक्रोग्रैविटी’ में जाने और अपने दम पर अंतरिक्ष उड़ान का अनुभव करने के लिए वास्तव में बहुत उत्साहित हूं। मिशन के लिए उत्साह लगातार बढ़ रहा है और मुझे लगता है कि हम एक ऐसे चरण में हैं जहां सभी चीजें साकार हो रही हैं।’

शुक्ला इस मिशन को लेकर बेहद उत्साहित हैं। शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष स्टेशन के मिशन पर जब उड़ान भरेंगे तो यह भारत के 1.4 अरब लोगों का सफर होगा। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने खुद कहा कि वह 1.4 अरब भारतीयों की तरफ से इस सफर पर निकल रहे हैं। उन्होंने कहा, 'अंतरिक्ष की यह यात्रा मेरी व्यक्तिगत नहीं, बल्कि 1.4 अरब लोगों की यात्रा है।' यह मिशन 14 दिनों तक चलेगा। इस दौरान, अंतरिक्ष यात्री वैज्ञानिक प्रयोग, आउटरीच कार्यक्रम और कम ग्रैविटी में कई एक्टिविटी करेंगे।

कौन हैं शुभांशु शुक्ला?

10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ में जन्मे शुभांशु शुक्ला जून 2006 में भारतीय वायु सेना में एक फाइटर पायलट के रूप में शामिल हुए। मार्च 2024 में उन्हें ग्रुप कैप्टन का पद मिला। उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, Jaguar, Hawk, Dornier और An-32 जैसे कई विमानों पर 2,000 घंटे से अधिक उड़ान भरी है। 2019 में रूस के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में एस्ट्रोनॉट की ट्रेनिंग ली है। भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, गगनयान मिशन के लिए इसरो द्वारा चुने गए। NASA-Axiom Space सहयोग के तहत आईएसएस की यात्रा करने वाले पहले इसरो अंतरिक्ष यात्री होंगे। अपने अंतरिक्ष अनुभव को तस्वीरों और वीडियो के माध्यम से देशवासियों के साथ साझा करने की योजना बना रहे हैं।

ट्रंप ने बढ़ाई भारत की मुश्किलें, चाबहार में निवेश पर प्रतिबंध के बाद भारतीय कंपनी पर लगाया बैन

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही हड़कंप मचा रखा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर अधिकतम दबाव बनाने को लेकर फिर से अभियान शुरू कर दिया है। उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में भी इस देश पर दबाव बनाने के लिए तमाम प्रतिबंध लगाए थे। ट्रंप ने मंगलवार रात एक आदेश पर हस्ताक्षर किए। आदेश के तहत ईरान के तेल निर्यात को रोकने और ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को फिर से लागू करने का आह्वान किया गया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह उन प्रतिबंधों को लागू नहीं करना चाहते और ईरान के साथ एक समझौते पर पहुंचना चाहते हैं। इसी क्रम में अमेरिका ने ईरान के चाबहार पोर्ट पर भारत को दी गई छूट को जहां खत्‍म करने का फैसला किया है, वहीं अब भारत की कंपनी मार्शल शिप मैनेजमेंट कंपनी और एक नागरिक पर भी बैन लगा दिया है।

ट्रंप ने क्यों उठाया ये कदम?

अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने भारतीय कंपनी पर आरोप लगाया है कि वह ईरान को चीन को तेल बेचने में मदद कर रही है। अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने गुरुवार को इन नए प्रतिबंधों का ऐलान किया है। इसमें एक पूरे अंतरराष्‍ट्रीय नेटवर्क को निशाना बनाया गया है। बयान में अमेरिका ने कहा कि यह तेल ईरान की सेना की कंपनी की ओर से भेजे जा रहे थे और इस पर प्रतिबंध लगा हुआ था। इस प्रतिबंध के दायरे में चीन, भारत और यूएई की कई कंपनियां और जहाज शामिल हैं। इस अमेरिकी बयान में कहा गया है कि ईरान हर साल तेल बेचकर अरबों डॉलर कमा रहा है और इससे पूरे इलाके में अस्थिरता फैलाने वाली गतिव‍िधियों को अंजाम दे रहा है। ईरान हमास, हिज्‍बुल्‍लाह और हूतियों को मदद दे रहा है जो इजरायल और अमेरिका पर हमले कर रहे हैं। ईरानी सेना विदेशी में बनी छद्म कंपनियों की मदद से यह तेल बेच पा रही है।

ईरान के प्रभाव को भी कम करने की कोशिश

इससे पहले 4 फरवरी को अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने ईरान के खिलाफ अधिकतम आर्थिक दबाव बनाने का आदेश दिया था। भारतीय कंपनी और अधिकारी के खिलाफ उठाया गया यह ताजा कदम ट्रंप के इसी आदेश का हिस्‍सा है। अमेरिका चाहता है कि इन दबावों के जरिए ईरान के प्रभाव को भी कम किया जा सके।

भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती

ट्रंप के इस कदम से भारत के सामने नई कूटनीतिक चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। चाबहार बंदरगाह परियोजना भारत की सामरिक और व्यापारिक रणनीति के लिए अहम है। भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह पर 10 साल का समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत, भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) इस बंदरगाह का संचालन करेगी। यह समझौता 13 मई, 2024 को हुआ था। अब देखना होगा कि भारत इस नए दबाव के बीच अपनी रणनीति कैसे तय करता है।

भारत का चाबहार बंदरगाह के लिए 10 साल का समझौता

ईरान के चाबहार में शाहिद बेहेशती पोर्ट को भारत ने 10 साल के लिए लीज पर ले लिया है। इससे पोर्ट का पूरा मैनेजमेंट भारत के पास होगा। भारत को इसके जरिए अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया से व्यापार करने के लिए नया रूट मिला है। जिससे कि पाकिस्तान की जरूरत खत्म हो जाएगी। यह पोर्ट भारत और अफगानिस्तान को व्यापार के लिए वैकल्पिक रास्ता है। डील के तहत भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) चाबहार पोर्ट में 120 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी।

चाबहार पोर्ट के समझौते के लिए भारत से केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल को ईरान भेजा गया था। भारत और ईरान दो दशक से चाबहार पर काम कर रहे हैं। चाबहार विदेश में लीज पर लिया गया भारत का पहला पोर्ट है।

चाबहार पोर्ट भारत के लिए क्यों जरूरी है ?

भारत दुनियाभर में अपने व्यापार को बढ़ाना चाहता है। चाबाहार पोर्ट इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। भारत इस पोर्ट की मदद से ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के साथ सीधे व्यापार कर सकता है। ईरान और भारत ने 2018 में चाबहार पोर्ट तैयार करने का समझौता किया था। पहले भारत से अफगानिस्तान कोई भी माल भेजने के लिए उसे पाकिस्तान से गुजरना होता था। हालांकि, दोनों देशों में सीमा विवाद के चलते भारत को पाकिस्तान के अलावा भी एक विकल्प की तलाश थी। चाबहार बंदरगाह के विकास के बाद से अफगानिस्तान माल भेजने का यह सबसे अच्छा रास्ता है। भारत अफगानिस्तान को गेंहू भी इस रास्ते से भेज रहा है।

अफगानिस्तान के अलावा यह पोर्ट भारत के लिए मध्य एशियाई देशों के भी रास्ते खोलेगा इन देशों से गैस और तेल भी इस पोर्ट के जरिए लाया जा सकता है। वहीं ये बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक रूप से भी जरूरी है। क्योंकि ग्वादर को बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के तहत चीन विकसित कर रहा है। ऐसे में ये रूट भारत को चीन खिलाफ यहां से एक रणनीतिक बढ़त भी दे रहा है।

महाकुंभ’ में 10 रुपये का दातून बेचती, बनारस के घाट पर चाय… कौन है ये फिनलैंड की लड़की? इंस्टाग्राम पर मचा रही धूम

महाकुंभ को खत्म होने में अभी 19 दिन बाकी हैं. इस बार के महाकुंभ में कई लोगों ने अपने अनोखे अंदाज के कारण सुर्खियां बटोरीं. इनमें IIT बाबा अभय सिंह, सुंदर साध्वी हर्षा, माला बेचने वाली मोनालिसा और बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी समेत कई लोग शामिल रहे. लेकिन एक विदेशी यूट्यूबर भी इन दिनों खूब सुर्खियों में हैं. हालांकि, वो महाकुंभ नहीं आईं. लेकिन उन्होंने महाकुंभ को लेकर कई मोटिवेशनल वीडियो डाले. इसमें भारतीय संस्कृति की उन्होंने जमकर तारीफ की.

इनका नाम कैसा ओलजक्का (Kaisa Oljakka) है. कैसा फिनलैंड की रहने वाली हैं. वो भारतीय संस्कृति से इतना प्रभावित हैं कि यहीं आकर बस गई हैं. वो एक फेमस यूट्यूबर और इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर हैं. कैसा अंकित कुमार नाम के युवक के साथ कई सारे वीडियो डालती हैं. कई वीडियो फनी तो कई ऐसे होते हैं जिनमें भारतीय संस्कृति के प्रति लोगों को बताया जाता है.

कैसा खुद भी भारतीय परिधानों में ही नजर आती हैं. कैसा के इंस्टाग्राम अकाउंट (videshi__indian) पर 3 लाख 36 हजार से भी ज्यादा फॉलोअर्स हैं. यूट्यूब और फेसबुक पर भी उन्हें हजारों लोग फॉलो करते हैं. कैसा ने हाल ही में बनारस के घाट पर भी वीडियो बनाए. इसमें वो चाय बेचती नजर आईं. वहीं, महाकुंभ को लेकर भी उन्होंने एक वीडियो बनाया. इसमें हाथ में नीम की दातून लिए बोलीं- यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है. वीडियो में कहती नजर आईं कि मैं इन्हें 10 रुपये में बेच रही हूं. उन्होंने लोगों से कहा कि आप भी महाकुंभ जाएं और पावन गंगा मैया में डुबकी लगाएं.

क्रिकेट-बॉलीवुड पर वीडियो

इंस्टाग्राम पर अगर आप उनके वीडियो को देखें तो यकीन नहीं कर पाएंगे कि उन्हें भारतीय संस्कृति का कितना ज्यादा ज्ञान है. वो और भी लोगों को भारतीय संस्कृति के प्रति प्रेरित करती रहती हैं. इसके अलावा वो क्रिकेट और बॉलीवुड को लेकर भी कई वीडियो बनाती हैं.

यूएस से डिपोर्ट भारतीयों को लेकर आया प्लेन पंजाब में क्यों उतरा? कांग्रेस उठा रही सवाल

#usa104indiansdeportwhytheflightlandedin_amritsar

अमेरिका से 104 अवैध अप्रवासियों की वापसी हो चुकी है। उनको लेकर आए सैन्य विमान की लैंडिंग पंजाब के अमृतसर में हुई। निर्वासित लोगों में से 30 पंजाब से, 33-33 हरियाणा और गुजरात से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश, दो चंडीगढ़ से हैं। निर्वासित किए गए लोगों में 19 महिलाएं और चार वर्षीय एक बच्चा, पांच व सात वर्षीय दो लड़कियों सहित 13 नाबालिग शामिल हैं। इस बीच प्लेन के देश की राजधानी दिल्ली की जगह अमृतसर में लैंडिंग को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

कांग्रेस ने निर्वासित भारतीयों को ले जा रहे अमेरिकी सैन्य विमान को दिल्ली के बजाय अमृतसर में उतरने की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है। कांग्रेस ने कहा कि शहर को 'धारणा' और 'नैरेटिव' को ध्यान में रखते हुए चुना गया था।

“बदनाम करने वाले नैरेटिव”

कांग्रेस के जालंधर कैंट विधायक परगट सिंह ने कहा कि पंजाब की तुलना में गुजरात सहित अन्य राज्यों से अधिक निर्वासित लोग हैं। परगट सिंह ने सोशल मीडिया प्लोट कहा कि जब पंजाब अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की मांग करता है, तो पंजाब को आर्थिक लाभ से वंचित करने के लिए केवल दिल्ली एयरपोर्ट को अनुमति दी जाती है। लेकिन जब बदनाम करने वाले नैरेटिव की बात आती है, तो एक अमेरिकी निर्वासन विमान पंजाब में उतरता है। भले ही उसमें अधिककर निर्वासित गुजरात और हरियाणा से हों।

लोकसभा में इस पर चर्चा की मांग

वहीं, अमृतसर से सांसद और कांग्रेस नेता गुरजीत औजला ने विमान को अमृतसर में उतारे जाने पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने लोकसभा में इस पर चर्चा की मांग का नोटिस देते हुए पूछा कि प्लेन को दिल्ली में क्यों नहीं उतारा गया? उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए एक्स पर लिखा, शर्मनाक और अस्वीकार्य! मोदी सरकार ने भारतीय अप्रवासियों को बेड़ियों में जकड़े हुए विदेशी सैन्य विमान से वापस भेजने की अनुमति दी। कोई विरोध क्यों नहीं? वाणिज्यिक उड़ान क्यों नहीं? विमान दिल्ली में क्यों नहीं उतरा? यह हमारे लोगों और हमारी संप्रभुता का अपमान है। सरकार को जवाब देना चाहिए!’

आप ने भी घेरा

इस बीच, आम आदमी पार्टी (आप) ने सवाल किया है कि विमान की लैंडिंग अमृतसर में क्यों कराई गई। देश के किसी अन्य राज्य में विमान को क्यों नहीं उतारा गया। आप पंजाब के अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने सवाल किया कि विमान अमृतसर में क्यों उतरा, देश के किसी अन्य हवाई अड्डे पर क्यों नहीं। उन्होंने कहा, जब निर्वासित लोग पूरे देश से हैं, तो विमान को उतारने के लिए अमृतसर को क्यों चुना गया? यह सवाल हर किसी के दिमाग में है। अमन अरोड़ा ने कहा कि केंद्र सरकार ने पंजाब के साथ हमेशा सौतेला व्यवहार किया है। पंजाब की तुलना में अन्य राज्यों के लोग (निर्वासित) अधिक हैं. इस विमान को उतारने के लिए अमृतसर को चुनना एक सवालिया निशान खड़ा करता है।

जयशंकर ने यूएस से डिपोर्ट अवैध भारतीय प्रवासियों पर दिया जवाब, सदन को बताया सरकार को थी जानकारी

#foreign_minister_s_jaishankar_statement_rajya_sabha_104_indians_deports_usa

अमेरिका से निर्वासित किए गए भारतीय नागरिकों पर राज्यसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बयान दिया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में कहा कि यदि कोई नागरिक विदेश में अवैध रूप से रह रहा पाया जाता है तो उसे वापस बुलाना सभी देशों का दायित्व है।उन्होंने कहा अमेरिका के नियम के तहत यह कार्रवाई हुई। पहले भी इस तरह की कार्रवाई हुई है। यह कोई नया प्रोसेस नहीं है। उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए अमेरिकी सरकार से संपर्क कर रहे हैं कि निर्वासितों के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न हो।

विदेश मंत्री ने कहा, हम जानते हैं कि कल 104 लोग वापस आए। हम ही हैं जिन्होंने उनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि की। हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि यह कोई नया मामला है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जो पहले भी होता रहा है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे वापस लौटने वाले प्रत्येक व्यक्ति (अमेरिका से निर्वासित भारतीय) के साथ बैठें और पता लगाएं कि वे अमेरिका कैसे गए, एजेंट कौन था, और हम कैसे सावधानी बरतें ताकि यह फिर से न हो।

विदेश मंत्री ने कहा, भारतीय प्रवासी अमानवीय हालात में फंसे थे. अवैध रूप में रह रहे लोगों को वापस स्वदेश भेजा जाता है. हमारे कई नागरिक गलत तरीके से अमेरिका पहुंचे थे. अवैध प्रवासियों को वापस लाना ही था। उन्होंने कहा कि साथ ही, सदन इस बात की सराहना करेगा कि हमारा ध्यान अवैध आव्रजन उद्योग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि निर्वासितों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर, कानून प्रवर्तन एजेंसियां एजेंटों और ऐसी एजेंसियों के खिलाफ आवश्यक, निवारक और अनुकरणीय कार्रवाई करेंगी।

अमेरिका से डिपोर्ट 104 भारतीयों की वतन वापसी, यूएम मिलिट्री विमान की अमृतसर में लैंडिंग

#us_military_aircraft_carrying_first_batch_of_illegal_indian_immigrants_arrives_in_amritsar

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा मिलिट्री प्‍लेन में भारत भेज जा रहे अवैध प्रवासियों का जहाज अमृतसर पहुंच गया है। कुल 205 भारतीय प्रवासियों को डिपोर्ट करने की कार्रवाई जारी है, जिसमें से पहला ग्रुप 104 भारतीयों का है। यह पलेन अमृतसर के श्री गुरु रामदास इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचा है। पुलिस और एजेंसियां इनके बैकग्राउंड की जांच कर रही हैं।

इन निर्वासित किए गए लोगों में से 30 पंजाब से, 33-33 हरियाणा और गुजरात से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से और दो चंडीगढ़ से हैं। हालांकि अभी निर्वासित लोगों की संख्या की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। यह अवैध भारतीय अप्रवासियों का पहला जत्था है जिसे अमेरिकी सरकार ने निर्वासित किया है।

जिस समय विमान एयरपोर्ट पर लैंड किया उस समय अमृतसर के पुलिस कमिश्नर, डीसी और अन्य तमाम सीनियर प्रशासनिक अधिकारी एयरपोर्ट पर मौजूद रहे। एयरपोर्ट स्थित एविएशन क्लब में सभी डिपोर्ट किए गए भारतीयों के बैकग्राउंड चेक किए गए हैं। वहीं, अमृतसर एयरपोर्ट के डायरेक्टर, डिप्टी कमिश्नर, पुलिस कश्मिनर और सीआईएफ डायरेक्टर ने एक बैठक की थी। इस दौरान सुरक्षा उपाय के तहत एयरपोर्ट के कार्गो गेट और एक अन्य प्रवेश द्वार पर बैरिकेडिंग कर दी थी।

बता दें कि बीते दो हफ्ते की अवधि में भारत के अलावा भी कई देशों के अवैध प्रवासियों को अमेरिका से निर्वासित किया जा चुका है। सी-17 सैन्य विमान से भारत लौटाए जा रहे प्रवासियों के बारे में समाचार एजेंसी पीटीआई पर आई रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों पर अमल करते हुए अमेरिका आव्रजन कानूनों को कड़ा कर रहा है।

अमेरिका ने 205 भारतीयों को वापस भेजा, सी-17 सैन्य विमान से आज पहुंचेगा अमृतसर

#trump_begins_deporting_indian_immigrants_military_flight

अमेरिका में ट्रंप सरकार ने अवैध अप्रवासियों को डिपोर्ट करना तेज कर दिया है। इसी क्रम में भारतीय अवैध अप्रवासियों को भी डिपोर्ट किया जा रहा है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक सोमवार को यूएस एयरफोर्स का C-17 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट अवैध अप्रवासियों को लेकर भारत के लिए उड़ान भर चुका है। ये फ्लाइट अमृतसर एयरपोर्ट लैंड करेगी। इसके पहले एयरपोर्ट पर हलचल बढ़ गई है। प्रशासन की तरफ से अवैध प्रवासियों को लेकर तैयारी की गई है।

इस एयरक्राफ्ट में 205 लोग सवार हैं। इन सभी की पहचान कर ली गई है। इस पूरी प्रकिया में भारत भी शामिल रहा। बताया जा रहा है कि अमेरिकी वायुसेना का सी-17 ग्लोबमास्टर विमान टेक्सास से भारत की तरफ रवाना हुआ है। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक निर्वासित भारतीयों के एक समूह को लेकर विमान ने टेक्सास के पास स्थित एक एयरबेस से उड़ान भरी है।

पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने बताया कि अमेरिका से भेजे गए अवैध प्रवासियों को राज्य सरकार के लोग रिसीव करेंगे। पहचान और अन्य कागजी कार्रवाई के लिए हवाई अड्डे पर काउंटर बनाए गए हैं। अमृतसर प्रशासन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, अमेरिकी विमान से आने वाले सभी लोगों के दस्तावेजों की अमृतसर एयरपोर्ट पर जांच की जाएगी। इमीग्रेशन आदि के अलावा इन लोगों की पूरी पृष्ठभूमि, खासकर उनका आपराधिक रिकॉर्ड की जांच की जाएगी। यदि कोई आपराधिक रिकॉर्ड पाया जाता है तो उन्हें एयरपोर्ट पर ही हिरासत में ले लिया जाएगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संकल्प और नीतियों का असर दिखना शुरू हो गया है। बीते 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद संभालने के बाद ट्रंप ने अवैध प्रवासियों को अमेरिका से निकाले जाने संबंधी कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। इस पर अमल करते हुए अमेरिकी प्रशासन ने सी-17 सैन्य विमान से 205 भारतीय लोगों के एक समूह को अमेरिका से वापस भेज दिया है। भारतीयों को अमेरिका से निकाले जाने की यह ताजा खबर ट्रंप प्रशासन की सख्ती दिखाता है। बता दें कि बीते दो हफ्ते की अवधि में भारत के अलावा भी कई देशों के अवैध प्रवासियों को अमेरिका से निर्वासित किया जा चुका है।

भारतीयों के खिलाफ ट्रंप का एक्शन शुरू, अमेरिका से अवैध प्रवासियों को लेकर सेना का पहला विमान भारत रवाना

#americastartsdeportingindianmigrants

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद अमेरिका ने अवैध प्रवासियों को निकालना शुरू कर दिया है। तक अमेरिका द्वारा दक्षिण अमेरिकी देशों के अवैध अप्रवासियों को निर्वासित किया जा रहा था, लेकिन अब भारत के अवैध अप्रवासियों पर भी कार्रवाई शुरू हो गई है। इसी के तहत अमेरिका से सोमवार को एक अमेरिकी सैन्य विमान प्रवासियों को लेकर भारत के लिए रवाना हो गया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से बताया है कि सी-17 सैन्य विमान प्रवासियों को लेकर रवाना हुआ है।

सेना की मदद से निर्वासन अभियान

अमेरिका में सत्ता संभालने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश में अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने इमिग्रेशन एजेंडे को पूरा करने के लिए सेना की मदद ली है, जिसके तहत ही सैन्य एयरक्राफ्ट की मदद से लोगों को डिपोर्ट करने का काम शुरू किया जा चुका है। इसी के बाद अब अमेरिका में बसे भारतीय अवैध प्रवासियों को भारत डिपोर्ट करने के लिए अमेरिका से C-17 विमान रवाना हो गया है। अमेरिकी अधिकारी ने कहा, अमेरिका का एक सैन्य विमान C-17 भारतीय प्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए रवाना हो गया है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह विमान अगले 24 घंटे तक भारत नहीं पहुंचेगा।

अलग-अलग जगहों के लिए डिपोर्ट किए जा रहे अप्रवासी

इसी के साथ पेंटागन ने एल पासो, टेक्सास और सैन डिएगो, कैलिफोर्निया में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा रखे गए 5,000 से अधिक अप्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए फ्लाइट देना भी शुरू कर दिया है। अब तक, सैन्य विमान प्रवासियों को ग्वाटेमाला, पेरू और होंडुरास ले गए हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने कहा है कि अमेरिका के एल पासो, टेक्सास और सैन डिएगा, कैलिफोर्निया से पांच हजार से ज्यादा अवैध अप्रवासियों को लेकर जल्द ही सेना के विमान उड़ान भरेंगे।

लगभग 18,000 अवैध भारतीयों की पहचान का दावा

डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद पहली बार भारतीय अवैध प्रवासियों को भारत डिपोर्ट किया जाएगा। ट्रंप और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ अपनी-अपनी बातचीत के दौरान अमेरिका में बसे अवैध भारतीयों को लेकर पहले ही चिंता जताई थी। राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी से बातचीत के बाद कहा था कि उन्होंने इमिग्रेशन को लेकर पीएम से बात की थी। साथ ही उन्होंने कहा था कि जब अवैध अप्रवासियों को वापस लेने की बात आएगी तो भारत वही करेगा जो सही होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका ने लगभग 18,000 भारतीय अप्रवासियों की पहचान की है जो अवैध रूप से अमेरिका में हैं।

करीब 1.1 करोड़ अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करेंगे ट्रंप

राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद ही डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका से करीब 1.1 करोड़ अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करने की बात कही थी। पिछले सप्ताह ही अमेरिकी सेना ने लैटिन अमेरिकी देशों में अवैध अप्रवासियों को लेकर छह उड़ानें भरी हैं। हालांकि कोलंबिया ने अमेरिका के विमानों को अपने देश में उतरने की इजाजत नहीं दी थी, लेकिन ट्रंप के सख्त रुख के बाद कोलंबिया ने अपने नागरिकों को लाने के लिए अपने ही विमान भेजे थे।

निर्मला सीतारमण: भारत की वित्त मंत्री के रूप में उनके योगदान और भूमिका

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Nirmala Sitaraman (Union FM)

निर्मला सीतारमण भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली नेता के रूप में उभरी हैं। उनका कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। यहाँ उनके योगदान और वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यों पर विस्तृत चर्चा की जा रही है:

1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

-जन्म: निर्मला सीतारमण का जन्म 18 अगस्त 1959 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था।

- शिक्षा: उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय से आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में पोस्ट-ग्रेजुएशन की डिग्री ली। 

-प्रारंभिक करियर: इससे पहले कि वे भारतीय राजनीति में प्रवेश करतीं, उन्होंने एक शिक्षक, अर्थशास्त्र के विद्वान और कॉर्पोरेट दुनिया में काम किया था। वे ब्रिटेन स्थित एक प्रमुख थिंक टैंक "हेरिटेज फाउंडेशन" की सदस्य भी रह चुकी हैं। 

2. राजनीति में प्रवेश

निर्मला सीतारमण भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) से जुड़ीं और 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के गठन के समय, उन्हें केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्यभार सौंपा गया। उन्हें पहले रक्षा मंत्री के रूप में कार्यभार सौंपा गया था, और बाद में 2019 में वित्त मंत्री का पद मिला।

3. वित्त मंत्री के रूप में कार्यकाल (2019 - वर्तमान)

निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2019 में भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में शपथ ली। वे पहली महिला वित्त मंत्री थीं जिन्हें स्वतंत्र भारत में यह महत्वपूर्ण पद मिला। उनके कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्निर्माण और विकास की दिशा में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए:

   3.1. आर्थिक सुधारों को बढ़ावा

- विकसित और उदार नीतियाँ: निर्मला सीतारमण ने भारत की आर्थिक नीतियों को लचीला और उदार बनाने की दिशा में कई कदम उठाए, जैसे कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती और व्यापारों को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाओं की शुरुआत।

- वित्तीय विनियमन: वित्तीय क्षेत्र में सुधार और मजबूत विनियमन की दिशा में उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिसमें बैंकों की पूंजी में वृद्धि, वित्तीय संस्थानों के सुधार और अनुकूलित टैक्स नीतियाँ शामिल हैं।

  

  3.2. कोविड-19 संकट के दौरान प्रभावी कदम

- आर्थिक पैकेज: कोविड-19 महामारी के संकट के समय, निर्मला सीतारमण ने भारत सरकार के द्वारा घोषित किए गए आर्थिक पैकेज को लागू किया। उन्होंने गरीबों, श्रमिकों और छोटे व्यापारों के लिए राहत उपायों का ऐलान किया, जैसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, ECLGS (Emergency Credit Line Guarantee Scheme), और मुद्रा लोन योजनाएँ। 

- माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) के लिए योजनाएँ: कोविड-19 से प्रभावित MSMEs को पुनः सक्षम बनाने के लिए वित्त मंत्री ने कई योजनाओं की शुरुआत की, जिससे अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया जा सके।

  

     3.3. स्वच्छ भारत और आत्मनिर्भर भारत अभियान

- आत्मनिर्भर भारत पैकेज: निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की, जिसका उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाना था। इस योजना में कृषि, उद्योग, MSMEs, और अन्य क्षेत्रों के लिए विभिन्न सुधार और सहायता पैकेज शामिल थे।

  

    3.4. जीएसटी सुधार

- जीएसटी (GST) में सुधार: निर्मला सीतारमण ने जीएसटी प्रणाली में सुधार की दिशा में कई पहल कीं। उन्होंने छोटे व्यापारियों के लिए जीएसटी रिटर्न भरने में सरलता लाने और जीएसटी दरों में बदलाव करने की दिशा में कदम उठाए। 

- जीएसटी काउंसिल की बैठकें: उन्होंने जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्यों और केंद्रीय सरकार के बीच सामंजस्य स्थापित करने का कार्य किया, जिससे कर प्रणाली को सशक्त किया गया।

    3.5. कृषि क्षेत्र में सुधार

- कृषि सुधार: निर्मला सीतारमण ने कृषि क्षेत्र के सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जैसे कृषि सुधार विधेयक, जो किसानों को अधिक अधिकार और समर्थन देने के लिए लाए गए थे। हालांकि, यह विधेयक विवादों में भी रहा, लेकिन इसका उद्देश्य भारतीय कृषि क्षेत्र को अधिक प्रतिस्पर्धात्मक और लाभकारी बनाना था।

     3.6. बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में सुधार

- बैंकिंग क्षेत्र की पुनर्पूंजीकरण: उन्होंने भारतीय बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए कई योजनाएँ बनाई, ताकि बैंकों को मजबूती से कार्य करने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन मिल सकें।

- एनपीए (NPA) समस्या पर काबू पाना: वित्त मंत्री ने एनपीए की समस्या को हल करने के लिए कई उपाय किए और दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (IBC) को और प्रभावी बनाने की दिशा में काम किया।

  

     3.7. डिजिटल भुगतान को बढ़ावा

- डिजिटल इंडिया और कैशलेस ट्रांजैक्शंस: निर्मला सीतारमण ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ लागू कीं। उन्होंने मोबाइल पेमेंट्स, यूपीआई (Unified Payments Interface) और अन्य डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के उपयोग को बढ़ावा दिया।

 4. उनकी नेतृत्व क्षमता और आलोचनाएँ

निर्मला सीतारमण को उनकी उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता के लिए पहचाना जाता है, लेकिन उनके कार्यकाल में कुछ आलोचनाएँ भी रही हैं। विशेष रूप से, कुछ आलोचकों का मानना है कि सरकार के फैसलों की कार्यान्वयन में प्रभावी सुधारों की कमी हो सकती है, और कुछ योजनाएँ अधिक प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पाई हैं। साथ ही, किसानों और व्यापारियों द्वारा कई बार सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए गए हैं। 

5. अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सीतारमण की स्थिति*

निर्मला सीतारमण को न केवल भारतीय राजनीति में, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी वित्त और आर्थिक मामलों में एक प्रभावशाली नेता के रूप में देखा जाता है। उन्होंने G20, IMF, और विश्व बैंक जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारतीय नीतियों और हितों का प्रतिनिधित्व किया है। उनके नेतृत्व में भारत ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिति को मजबूत किया और प्रमुख वैश्विक सुधारों में सक्रिय रूप से भाग लिया।

निर्मला सीतारमण का कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और वित्तीय सुधारों की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाने वाला रहा है। उन्होंने भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों के लिए वित्तीय समावेशिता, व्यवसाय को बढ़ावा देने और श्रमिकों के हित में कई योजनाएँ बनाई हैं। हालांकि, उनके कार्यों की आलोचना भी की गई है, लेकिन उनके योगदान और नेतृत्व के कारण वे एक स्थायी और महत्वपूर्ण स्थान पर खड़ी हैं। निर्मला सीतारमण ने यह साबित किया है कि महिला नेतृत्व केवल दायित्व नहीं, बल्कि उत्कृष्टता की ओर भी कदम बढ़ाता है।

*Mohun Bagan Super Giant defeated Mohammedan SC 4-0*

Sports

ISL

Khabar kolkata sports Desk: Mohun Bagan Super Giant defeated city rivals Mohammedan SC 4-0 at the Vivekananda Yuba Bharati Krinangan in Kolkata in the Indian Super League (ISL) 2024-25 season Yesterday night.

Pic : Sanjay Hazra

कौन हैं शुभांशु शुक्ला? स्पेस एक्स ड्रैगन के पायलट बनेंगे, ISS पर जाने वाले पहले भारतीय होंगे

#who_is_shubhanshu_shukla_become_first_indian_astronaut_to_pilot_axiom_4_ws

इंडियन एयरफोर्स के ऑफिसर शुभांशु शुक्ला को नासा के एग्जियम मिशन 4 के लिए पायलट चुना गया है। जल्द ही वे स्पेस एक्स ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट को लेकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर जाएंगे। शुभांशु आईएसएस पर जाने वाले पहले भारतीय होंगे। यह मिशन 14 दिन तक चलेगा। इसके तहत रिसर्च की जाएगी। शुभांशु इसरो के मिशन गगनयान के लिए ट्रेनिंग ले रहे है।

इंडियन एयरफोर्स के शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने को बेताब हैं। वे एक्सिओम मिशन 4 के पायलट के रूप में चुने गए हैं। यह मिशन नासा और इसरो के बीच एक संयुक्त प्रयास का हिस्सा है। मिशन की कमांड पैगी व्हिटसन संभालेंगी । शुभांशु पायलट होंगे। इनके साथ मिशन स्पेशलिस्ट पोलैंड के स्लावोज उजनांस्की-विश्निवस्की और हंगरी के तिबोर कापू अप्रैल और जून 2025 के बीच एग्जियम मिशन-4 पर जाएंगे।

ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में, एक्सिओम मिशन-4 के चालक दल के सदस्यों ने अभियान के लिए प्रशिक्षण के अपने अनुभव साझा किए। भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने कहा, ‘‘मैं ‘माइक्रोग्रैविटी’ में जाने और अपने दम पर अंतरिक्ष उड़ान का अनुभव करने के लिए वास्तव में बहुत उत्साहित हूं। मिशन के लिए उत्साह लगातार बढ़ रहा है और मुझे लगता है कि हम एक ऐसे चरण में हैं जहां सभी चीजें साकार हो रही हैं।’

शुक्ला इस मिशन को लेकर बेहद उत्साहित हैं। शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष स्टेशन के मिशन पर जब उड़ान भरेंगे तो यह भारत के 1.4 अरब लोगों का सफर होगा। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने खुद कहा कि वह 1.4 अरब भारतीयों की तरफ से इस सफर पर निकल रहे हैं। उन्होंने कहा, 'अंतरिक्ष की यह यात्रा मेरी व्यक्तिगत नहीं, बल्कि 1.4 अरब लोगों की यात्रा है।' यह मिशन 14 दिनों तक चलेगा। इस दौरान, अंतरिक्ष यात्री वैज्ञानिक प्रयोग, आउटरीच कार्यक्रम और कम ग्रैविटी में कई एक्टिविटी करेंगे।

कौन हैं शुभांशु शुक्ला?

10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ में जन्मे शुभांशु शुक्ला जून 2006 में भारतीय वायु सेना में एक फाइटर पायलट के रूप में शामिल हुए। मार्च 2024 में उन्हें ग्रुप कैप्टन का पद मिला। उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, Jaguar, Hawk, Dornier और An-32 जैसे कई विमानों पर 2,000 घंटे से अधिक उड़ान भरी है। 2019 में रूस के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में एस्ट्रोनॉट की ट्रेनिंग ली है। भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, गगनयान मिशन के लिए इसरो द्वारा चुने गए। NASA-Axiom Space सहयोग के तहत आईएसएस की यात्रा करने वाले पहले इसरो अंतरिक्ष यात्री होंगे। अपने अंतरिक्ष अनुभव को तस्वीरों और वीडियो के माध्यम से देशवासियों के साथ साझा करने की योजना बना रहे हैं।