निर्मला सीतारमण: भारत की वित्त मंत्री के रूप में उनके योगदान और भूमिका
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Nirmala Sitaraman (Union FM)
निर्मला सीतारमण भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली नेता के रूप में उभरी हैं। उनका कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। यहाँ उनके योगदान और वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यों पर विस्तृत चर्चा की जा रही है:
1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
-जन्म: निर्मला सीतारमण का जन्म 18 अगस्त 1959 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था।
- शिक्षा: उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय से आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में पोस्ट-ग्रेजुएशन की डिग्री ली।
-प्रारंभिक करियर: इससे पहले कि वे भारतीय राजनीति में प्रवेश करतीं, उन्होंने एक शिक्षक, अर्थशास्त्र के विद्वान और कॉर्पोरेट दुनिया में काम किया था। वे ब्रिटेन स्थित एक प्रमुख थिंक टैंक "हेरिटेज फाउंडेशन" की सदस्य भी रह चुकी हैं।
2. राजनीति में प्रवेश
निर्मला सीतारमण भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) से जुड़ीं और 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के गठन के समय, उन्हें केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्यभार सौंपा गया। उन्हें पहले रक्षा मंत्री के रूप में कार्यभार सौंपा गया था, और बाद में 2019 में वित्त मंत्री का पद मिला।
3. वित्त मंत्री के रूप में कार्यकाल (2019 - वर्तमान)
निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2019 में भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में शपथ ली। वे पहली महिला वित्त मंत्री थीं जिन्हें स्वतंत्र भारत में यह महत्वपूर्ण पद मिला। उनके कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्निर्माण और विकास की दिशा में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए:
3.1. आर्थिक सुधारों को बढ़ावा
- विकसित और उदार नीतियाँ: निर्मला सीतारमण ने भारत की आर्थिक नीतियों को लचीला और उदार बनाने की दिशा में कई कदम उठाए, जैसे कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती और व्यापारों को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाओं की शुरुआत।
- वित्तीय विनियमन: वित्तीय क्षेत्र में सुधार और मजबूत विनियमन की दिशा में उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिसमें बैंकों की पूंजी में वृद्धि, वित्तीय संस्थानों के सुधार और अनुकूलित टैक्स नीतियाँ शामिल हैं।
3.2. कोविड-19 संकट के दौरान प्रभावी कदम
- आर्थिक पैकेज: कोविड-19 महामारी के संकट के समय, निर्मला सीतारमण ने भारत सरकार के द्वारा घोषित किए गए आर्थिक पैकेज को लागू किया। उन्होंने गरीबों, श्रमिकों और छोटे व्यापारों के लिए राहत उपायों का ऐलान किया, जैसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, ECLGS (Emergency Credit Line Guarantee Scheme), और मुद्रा लोन योजनाएँ।
- माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) के लिए योजनाएँ: कोविड-19 से प्रभावित MSMEs को पुनः सक्षम बनाने के लिए वित्त मंत्री ने कई योजनाओं की शुरुआत की, जिससे अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया जा सके।
3.3. स्वच्छ भारत और आत्मनिर्भर भारत अभियान
- आत्मनिर्भर भारत पैकेज: निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की, जिसका उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाना था। इस योजना में कृषि, उद्योग, MSMEs, और अन्य क्षेत्रों के लिए विभिन्न सुधार और सहायता पैकेज शामिल थे।
3.4. जीएसटी सुधार
- जीएसटी (GST) में सुधार: निर्मला सीतारमण ने जीएसटी प्रणाली में सुधार की दिशा में कई पहल कीं। उन्होंने छोटे व्यापारियों के लिए जीएसटी रिटर्न भरने में सरलता लाने और जीएसटी दरों में बदलाव करने की दिशा में कदम उठाए।
- जीएसटी काउंसिल की बैठकें: उन्होंने जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्यों और केंद्रीय सरकार के बीच सामंजस्य स्थापित करने का कार्य किया, जिससे कर प्रणाली को सशक्त किया गया।
3.5. कृषि क्षेत्र में सुधार
- कृषि सुधार: निर्मला सीतारमण ने कृषि क्षेत्र के सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जैसे कृषि सुधार विधेयक, जो किसानों को अधिक अधिकार और समर्थन देने के लिए लाए गए थे। हालांकि, यह विधेयक विवादों में भी रहा, लेकिन इसका उद्देश्य भारतीय कृषि क्षेत्र को अधिक प्रतिस्पर्धात्मक और लाभकारी बनाना था।
3.6. बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में सुधार
- बैंकिंग क्षेत्र की पुनर्पूंजीकरण: उन्होंने भारतीय बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए कई योजनाएँ बनाई, ताकि बैंकों को मजबूती से कार्य करने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन मिल सकें।
- एनपीए (NPA) समस्या पर काबू पाना: वित्त मंत्री ने एनपीए की समस्या को हल करने के लिए कई उपाय किए और दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (IBC) को और प्रभावी बनाने की दिशा में काम किया।
3.7. डिजिटल भुगतान को बढ़ावा
- डिजिटल इंडिया और कैशलेस ट्रांजैक्शंस: निर्मला सीतारमण ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ लागू कीं। उन्होंने मोबाइल पेमेंट्स, यूपीआई (Unified Payments Interface) और अन्य डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के उपयोग को बढ़ावा दिया।
4. उनकी नेतृत्व क्षमता और आलोचनाएँ
निर्मला सीतारमण को उनकी उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता के लिए पहचाना जाता है, लेकिन उनके कार्यकाल में कुछ आलोचनाएँ भी रही हैं। विशेष रूप से, कुछ आलोचकों का मानना है कि सरकार के फैसलों की कार्यान्वयन में प्रभावी सुधारों की कमी हो सकती है, और कुछ योजनाएँ अधिक प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पाई हैं। साथ ही, किसानों और व्यापारियों द्वारा कई बार सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए गए हैं।
5. अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सीतारमण की स्थिति*
निर्मला सीतारमण को न केवल भारतीय राजनीति में, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी वित्त और आर्थिक मामलों में एक प्रभावशाली नेता के रूप में देखा जाता है। उन्होंने G20, IMF, और विश्व बैंक जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारतीय नीतियों और हितों का प्रतिनिधित्व किया है। उनके नेतृत्व में भारत ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिति को मजबूत किया और प्रमुख वैश्विक सुधारों में सक्रिय रूप से भाग लिया।
निर्मला सीतारमण का कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और वित्तीय सुधारों की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाने वाला रहा है। उन्होंने भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों के लिए वित्तीय समावेशिता, व्यवसाय को बढ़ावा देने और श्रमिकों के हित में कई योजनाएँ बनाई हैं। हालांकि, उनके कार्यों की आलोचना भी की गई है, लेकिन उनके योगदान और नेतृत्व के कारण वे एक स्थायी और महत्वपूर्ण स्थान पर खड़ी हैं। निर्मला सीतारमण ने यह साबित किया है कि महिला नेतृत्व केवल दायित्व नहीं, बल्कि उत्कृष्टता की ओर भी कदम बढ़ाता है।
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