BDSM Toys Now Melded into a New Form of Fetish Fashion

“BDSM kink now still remains in the dungeons of taboos and social stereotypes in India; whereas it booms up across the Western culture and their so-called fashion industries.”

Fashion is all about the exposure of your feelings and insightful thoughts in a subtle but prevalent way. As a famous Grunge rockstar ,“Kurt Cobain” said, “Fashion’s Style, Fashion’s shit”, Fashion could be influential and appreciable for many and bitter for some at the same moment. However, ‘Fetish fashion’ is a nascent form of modern fashion culture, on the contrary, bolstering the boldness and sexual liberty of the subculture. There are many traces of BDSM toys, tools, and kits to be found in attire and accessories in the world of ‘Fetishcore’ or fetish fashion.

Detailed Comparison Between Fetishcore Fashion & BDSM Gear

Now, it’s time to dig out mysterious similarities between Fetishcore fashion and bondage sex toys. Though there are many instances to show up, and also a lot of facts to unfold in this matter. Some top celebrities, such as Kim Kardashian, Dua Lipa, Billie Eilish, Madonna, and many other TV actresses and pop stars, made a new sensation among the netizens, especially the Gen-Zers, about fetish fashion. Perhaps, Vivienne Westwood emerged with her brand new sex boutique for the first time in the mainstream of ‘Fetishstore’. Followed by Madonna, Kim Kardashian whipped the audience into a frenzy and fuelled the fetish movement forward. Famous American singer Dua Lipa performed in glossy yellow BDSM harnesses to her music video ‘Don’t Start Now’ and received great applause from a large number of people worldwide.

Notwithstanding taboos and criticism, some dashing and bold Indian actresses followed in their footsteps in the new era of fetish fashion. Nora Fatehi, one of India's most successful and magnificent models and TV actresses, posted her picture in a latex Black Catsuit on Instagram and got over 400k likes there from her fans. Next comes Urfi Javed, a famous model, & social media influencer, who continued this vogue with her new look in a bold strap bikini with BDSM handcuffs and picked a storm on social media.

Now let’s cut to the chase of how BDSM toys turn into a new form of fetish culture. There are multiple fetish clothing, and other grooming accessories in the mould of bondage fashion that cannot be overlooked: harnesses, chokers, rubber boots, latex bodysuits, and many more. Harness is one of the most provocative garments in Fetishscore that derives from BDSM culture. In this practice, especially submissive partners wear this garment along with handcuffs and other kits (mouth gags, blindfolds, anklets, etc.) as if the submissive partner is bound to serve his/her dom master/mistress. On the other hand, a latex bodysuit is an instance of femdom sexual practice; a woman in a femdom role is good to go with this clothing, whipper-in hand, holding a chastity lock with fingers that provide quite a dominating appearance in bed, and so are catsuits in pet play. As well as there are many FetishScore accessories tailored to the bondage fetish. Picking up an O-ring choker in hand and observing the fact where it came from, one may guess right and find similarities with collar kit bondage sex toys.

What is the Significance of Fetishcore Fashion? Ain’t It Promoting Bondage Toys?

Every fashion has at least a short message to convey; Fetishcore is not an exception. Similarly, everyone has such fetishes to indulge in. In short, Fetishcore fashion is a consequence where fetish and fashion meet at the same place. The basic importance of this fashion is the liberty of freeing one’s fetish in a sophisticated and artistic way. In other words, this is a medium to reveal your bedroom thoughts to the world.

During the COVID-19 lockdown, people used to spend more time on the internet whether sharing memes, playing games or online shopping. Being at home was a good head start to explore different fantasies and Fetishscore is tailored to such desires and fantasies. So, this is no longer promoting bondage toys, but rather it, itself, comes into view with the increasing demands of people and obviously being inspired by the bondage subculture.

The Restriction Boundary of Fetishscore in India

In India, bondage culture is itself a taboo, what else better to expect about Fetishscore? The government has yet to liberalise sex toys completely because of the lack of sex education in our society. But the achievement is not so far enough. Many models and fashion designers are striving a lot to adopt this Western culture; Urfi Yaved is one of those brightest stars, although sometimes she becomes the victim of public backlash on social media.

However, there’s a great demand for erotic sex toys in India; most people prefer to indulge their fantasies secretly and let the matter end there, inside the bedroom. Teentoy is also a hidden gem, bolstering the rise of bondage Fetishcore fashion. Hope something could happen to turn the tables.

अमेरिका ने टीआरएफ को घोषित किया आतंकी संगठन, पहलगाम हमले की ली थी जिम्मेदारी

#americausdeclarespakistaniterroristgrouptrf 

अमेरिका ने एक बड़ा कदम उठाते हुए पाकिस्तान में स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। अमेरिका ने 22 अप्रैल के पहलगाम अटैक के लिए उस आतंकी संगठन को जिम्मेदार माना है। बता दें कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की जान चली गई थी। आतंकियों ने धर्म पूछ-पूछकर पुरूषों को अपना निशाना बनाया था। पहलगाम में हुए इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली थी।

लश्कर-ए-तैयबा का ‘प्रॉक्सी’ है टीआरएफ

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने गुरुवार को यह जानकारी दी। मार्क रूबियो ने कहा कि टीआरएफ एक पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा का ‘प्रॉक्सी’ है, जो यूएन द्वारा पहले से आतंकी संगठन घोषित है। टीआरएफ और इससे जुड़े सभी नाम अब एलईटी की आतंकी सूची में शामिल कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने एलईटी की आतंकी संगठन के रूप में पहले से मौजूद पहचान को भी बरकरार रखा है।

आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका ने दिखाई प्रतिबद्धता

अमेरिकी विदेशश मंत्री ने कहा कि यह कार्रवाई राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से पहलगाम आतंकी हमले के लिए न्याय दिलाने की प्रतिबद्धता को दिखाती है। अमेरिकी विदेश मंत्री मर्को रुबियो ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमला 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में नागरिकों पर हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला था। उन्होंने यह भी कहा कि यह कार्रवाई अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, और भारत के साथ सहयोग का प्रमाण है।

भारत की बड़ी जीत है

अमेरिका के इस कदम से साफ है कि भारत की कोशिश रंग लाई है। ऑपरेशन सिंदूर का डेलिगेशन जब अमेरिका गया था, तब सबूत के साथ भारत ने अमरिका समेत पूरी दुनिया को बताया था कि पहलगाम अटैक में कैसे टीआरएफ का हाथ है और उसे पाकिस्तानी हुकूमत और लश्कर का संरक्षण प्राप्त है।

22 अप्रैल को क्या हुआ था पहलगाम में

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में टीआरएफ के आतंकियों ने निहत्थे पर्यटकों को निशाना बनाया था। 22 अप्रैल को हुए इस कायराना आतंकी हमले में 26 बेगुनाहों की मौत हुई थी। इसके जवाब में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत छह-सात मई की दरम्यानी रात नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए।

कौन है यह टीआरएफ?

टीआरएफ यानी द रेजिस्टेंस फ्रंट एक आतंकी संगठन है। यह 2019 में जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद उभरा। यह लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रॉक्सी संगठन है। भारत ने इसे 2023 में UAPA के तहत आतंकी संगठन घोषित कर रखा है। टीआरएफ नागरिकों, खासकर अल्पसंख्यकों, और सुरक्षा बलों पर हमले करता है, जैसे 2025 का पहलगाम हमला। इसे पाकिस्तान का पूरा संरक्षण प्राप्त है।

डोनाल्ड ट्रंप जा रहे पाकिस्तान? पाक मीडिया में किया जा रहा सितंबर में दौरा का दावा

#americanpresidentdonaldtrumpsettovisitpakistanin_september

पाकिस्तान को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रूख में बदलाव देखा जा रहा है। इस बीच खबर आ रही है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पाकिस्तान के दौरा पर जा सकते हैं। ट्रंप के सितंबर महीने में पाकिस्तान यात्रा पर जाने की खबरें हैं। पाकिस्तानी मीडिया में ये दावा किया गया है। दो स्थानीय टेलीविजन चैनलों ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि ट्रंप सितंबर में इस्लामाबाद पहुंच सकते हैं।

पाकिस्तान के समा टीवी की रिपोर्ट में राजनयिक सूत्र के हवाले से बताया है कि ट्रंप 18 सितम्बर को पाकिस्तान का दौरा करने की योजना है। इस दौरान वे भारत भी जा सकते हैं। भारत सितम्बर में क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाला है, जिसके दौरान ट्रंप के नई दिल्ली आने की संभावना है।

20 साल में कोई अमेरिकी राष्ट्रपति पाक नहीं पहुंचा

अगर यह दावा सच हुआ, तो लगभग 20 साल बाद पहली बार कोई अमेरिकी राष्ट्रपति पाकिस्तान पहुंचेगा। इससे पहले साल 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने पाकिस्तान का दौरा किया था। अगर ट्रंप का ये दौरा होता है, तो दक्षिण एशिया की कूटनीतिक गतिविधियों में एक अहम मोड़ साबित होगा। अब सबकी नजरें आधिकारिक घोषणाओं और आगे की स्थिति पर हैं।

अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में बदलाव

इस तरह के दावे तक किए जा रहे हैं जब अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंधों मे बदलाव देखे जा रहे हैं। पिछले महीने अमेरिका ने पहली बार पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर का व्हाइट हाउस में स्वागत किया था। इस ऐतिहासिक मुलाकात के बाद दोनों देशों के संबंधों में मजबूती आने के संकेत मिले हैं।

ब्रिक्स देशों को ट्रंप की चेतावनी, 10% अतिरिक्‍त टैरिफलगाने की धमकी, क्या भारत की बढ़ने वाली है परेशानी?

#americadonaldtrumpwarns10percenttariffonbrics_countries

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ब्रिक्स देशों को धमकाने की कोशिश की है। ब्राजील में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को बड़ी चेतावनी दे डाली। उन्होंने कहा कि अगर ब्रिक्स देश अमेरिका विरोधी नीति का समर्थन करते हैं तो उन पर 10 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। ब्रिक्स सम्मेलन में ईरान पर अमेरिका और इजराइल के हमलों की निंदा किए जाने के बाद ट्रंप ने नाराजगी जताते हुए ब्रिक्स देशों को चेताया।

यह बयान उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर साझा किया। डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा, ‘ब्रिक्स की अमेरिका विरोधी नीतियों से जुड़ने वाले किसी भी देश पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। इस नीति में कोई अपवाद नहीं होगा। इस मामले पर आपका ध्यान देने के लिए धन्यवाद!’

अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर हमले और टैरिफ की निंदा की

दरअसल, ब्राजील में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल देशों ने अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर हुए हालिया हमले और व्यापार शुल्क (टैरिफ) की निंदा की। इजराइल की मध्य पूर्व में की जा रही सैन्य कार्रवाई की आलोचना की गई। सम्मेलन के पहले ब्रिक्स देशों ने अमेरिका पर सीधा हमला नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि बढ़ते टैरिफ (शुल्क) से वैश्विक व्यापार पर बुरा असर पड़ रहा है और यह डब्ल्यूटीओ के नियमों के खिलाफ है।

क्या भारत के लिए है बड़ा संदेश

हालांकि, ट्रंप ने इस बयान में यह स्पष्ट नहीं किया कि वह ‘अमेरिका विरोधी नीतियां’ किसे मानते हैं। यही कारण है कि इसके व्याख्या को लेकर भ्रम की स्थिति है। हालांकि उन्होंने जिस अपवाद की बात की है वह सीधे तौर पर भारत है। खासकर भारत जैसे देशों के लिए जो ब्रिक्स का हिस्सा भी हैं और अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी भी निभा रहे हैं।

भारत के लिए बड़ी चुनौती

डोनाल्ड ट्रंप ब्रिक्स को 'एंटी अमेरिका' मानते हैं और उन्हें डर है कि ब्रिक्स देश डॉलर के खिलाफ नई करेंसी जारी कर सकते हैं, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा। ऐसे में भारत के लिए यह स्थिति काफी ज्यादा संवेदनशील और मुश्किल हो जाती है, क्योंकि वह अमेरिका का करीबी सहयोगी भी है और ब्रिक्स का संस्थापक सदस्य भी। ऐसे में ट्रंप की धमकी भारत के लिए थोड़ी मुश्किल हो जाती है। इसका असर भारत-अमेरिका कारोबार पर भी पड़ता है। अब जब वे खुलेआम अतिरिक्त टैरिफ की चेतावनी दे रहे हैं, तो यह सवाल उठता है कि भारत जैसे देश इस आर्थिक दबाव से कैसे निपटेंगे?

भारत ग्लोबल साउथ के नेतृत्व की भूमिका में

ब्रिक्स की शुरुआत 2009 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन के साथ हुई थी, बाद में दक्षिण अफ्रीका और 2023 में ईरान, सऊदी अरब, यूएई, मिस्र, इंडोनेशिया और इथियोपिया जैसे देश भी इस समूह में शामिल हो गए। ब्रिक्स के भीतर भारत ग्लोबल साउथ के नेतृत्व की भूमिका भी निभा रहा है। भारत ने हमेशा इस मंच का उपयोग बहुपक्षीयता, वैश्विक दक्षिण की आवाज उठाने और विकासशील देशों के लिए समावेशी व्यवस्था की मांग करने के लिए किया है। हालांकि, चीन और रूस जैसे देशों के कारण ब्रिक्स पर "पश्चिम विरोधी" छवि भी चिपक गई है।

पीएनबी घोटाले में बड़ी सफलता, भगोड़े नीरव मोदी का भाई नेहल मोदी अमेरिका में गिरफ्तार

#niravmodibrothernihalmodiarrestedinafraudcasein_america

पंजाब नेशनल बैंक के घोटाले में भगोड़ा घोषित नीरव मोदी के भाई नेहाल मोदी को अमेरिका में गिरफ्तार कर लिया गया है। सीबीआई और ईडी के प्रत्यर्पण के अनुरोध के बाद उन पर शिकंजा कसा गया है। अमेरिका के अधिकारियों ने भारत सरकार को इसकी जानकारी दी है। यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, भगोड़े आर्थिक अपराधी नीरव मोदी के भाई को 4 जुलाई को अमेरिकी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था।

नेहल मोदी भारत के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक, पीएनबी घोटाले में वांछित हैं। जांच एजेंसियों का आरोप है कि उन्होंने अपने भाई नीरव मोदी की मदद करते हुए करोड़ों रुपये की अवैध कमाई को छिपाया और शेल कंपनियों व विदेशी लेनदेन के जरिए उसे इधर-उधर किया।

2019 में जारी किया गया था रेड नोटिस

साल 2019 में प्रवर्तन निदेशालय ने इंटरपोल से नीरव मोदी को बैंक फंड्स को लूटने में मदद करने के आरोप में नेहल मोदी की भूमिका के लिए उसके खिलाफ रेड नोटिस जारी करने का अनुरोध किया गया था।

कौन है नेहल मोदी?

नेहल मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी मामले में वांछित है। नेहल मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में कथित 13,600 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी वाले बैंक लेनदेन के मामले के आरोपी और भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी का भाई है। 46 वर्ष का नेहल मोदी बेल्जियम का नागरिक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से की गई जांच में नेहल मोदी को नीरव मोदी की आपराधिक आय को वैध बनाने के लिए काम करने वाले अहम शख्स पाया गया था। नीरव मोदी ब्रिटेन से प्रत्यर्पण की कार्रवाई का सामना कर रहा है।

काले धन को सफेद करने और छुपाने अहम भूमिका

जांच में सामने आया है कि उसने अपने भाई नीरव मोदी के लिए काले धन को सफेद करने और छुपाने में अहम भूमिका निभाई थी। ईडी और सीबीआई की जांच में ये भी पाया गया है कि नेहाल मोदी ने कई शेल कंपनियों के जरिए बड़ी रकम को विदेशों में इधर-उधर किया। उसका मकसद था धोखाधड़ी से कमाई गई रकम को ट्रैक से बाहर रखना।

नेहल की गिरफ्तारी भारतीय एजेंसियों के लिए अहम

बता दें कि नीरव मोदी खुद इस समय ब्रिटेन में प्रत्यर्पण प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं। नेहल मोदी के प्रत्यर्पण मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई 2025 को तय की गई है। जिसमें स्थिति की समीक्षा (स्टेटस कॉन्फ्रेंस) होगी। इस सुनवाई के दौरान नेहल मोदी जमानत की अर्जी भी दे सकते हैं, जिसे अमेरिकी अभियोजन पक्ष विरोध करेगा। यह गिरफ्तारी भारत की जांच एजेंसियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे का अंतिम संस्कार : मारवाड़ी शमशान घाट पहुंचे भाजपा महामंत्री पवन साय और मंत्रिमंडल के सदस्य

रायपुर- छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कवि और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. सुरेंद्र दुबे का कुछ ही देर में अंतिम संस्कार कार्यक्रम शुरू होगा। मरवाही शमशान घाट में नेताओं और कला क्षेत्र के प्रसिद्ध हस्तियों का पहुंचना जारी है. भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय और मंत्रिमंडल के सदस्य पहुंच चुके हैं. वहीं चर्चित कवि कुमार विश्वास, सूफी भंजन गायक पद्मश्री मदन चौहान, कवि सुदीप भोला, गायक-अभिनेता सुनील तिवारी, पूर्व सांसद अभिषेक सिंह भी मौजूद हैं.


ACI अस्पताल में ली अंतिम सांस

पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे को तबीयत अचानक खराब होने पर उन्हें रायपुर के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में भर्ती कराया गया था. जहां इलाज के दौरान हार्ट अटैक आने से उनका निधन हो गया.

हास्य और व्यंग से मानवीय संवेदनाओं को छुआ

डॉ. सुरेंद्र दुबे ने हास्य और व्यंग्य जैसी विधाओं को सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक चिंतन का जरिया बनाया. मंच पर उनकी प्रस्तुति, शब्दों का चयन और आत्मविश्वास दर्शकों को प्रभावित करता था. उन्होंने अपनी कविताओं से केवल हँसाया नहीं, बल्कि सामाजिक विसंगतियों, राजनीतिक हलचलों और मानवीय संवेदनाओं को भी छुआ और लोगों को सोचने पर मजबूर भी किया.

पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे की जीवन

8 अगस्त 1953 को बेमेतरा, छत्तीसगढ़ में जन्मे डॉ. दुबे पेशे से आयुर्वेदिक चिकित्सक थे, लेकिन पहचान उन्होंने एक साहित्यकार और हास्य कवि के रूप में बनाई. भारतीय साहित्य के साथ ही छत्तीगसढ़ी भाषा में उनकी पकड़ बेहद मजबूत थी. उन्होंने पांच किताबें लिखी हैं और कई मंचो और TV शो पर दिखाई दिए. उन्हें भारत सरकार द्वारा वर्ष 2010 में देश के चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

इससे पहले पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे को वर्ष 2008 में काका हाथरसी से हास्य रत्न पुरुस्कार प्राप्त हुआ था. वर्ष 2012 में पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान, अट्टहास सम्मान और संयुक्त राज्य अमेरिका में लीडिंग पोएट ऑफ इंडिया सम्मान प्राप्त हो चुके हैं.

विदेशों में भी मिला सम्मान

बता दें, पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे ने छत्तीसगढ़ की माटी से लेकर देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी कविताओं से सबका दिल जीता है. उन्हें अमेरिका (America) के वाशिंगटन (Washington) में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी एसोसीएशन द्वारा आयोजित समारोह में पद्मश्री डॉ सुरेंद्र दुबे को हास्य शिरोमणि सम्मान 2019 से सम्मानित किया गया था. नार्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन की ओर से शिकागो में पद्मश्री डॉ. सुरेन्द दुबे को छत्तीसगढ़ रत्न सम्मान से भी सम्मानित किया गया था.

पद्मश्री डॉक्टर सुरेंद्र की रचनाओं पर देश के 3 विश्वविद्यालयों ने पीएचडी की उपाधि भी प्रदान की है, जो उनकी साहित्यिक और अकादमिक उपलब्धियों की पुष्टि करती है.

ऑपरेशन सिंदूर’ में मारा गया रऊफ अजहर, कंधार विमान हाइजैक सरगना की मौत पर अमेरीका-इजराइल क्यों खुश

#americathankindiawipesoutabdulrauf

पहलगाम आतंकी हमले के बाद पीएम मोदी ने कहा था आतंकियों को मिट्टी में मिला दिया जाएगा। 15 दिन बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के ठिकानों को तबाह कर दिया। भारत के ऑपरेशन सिंदूर में लगभग 100 आतंकवादियों को मार गिराया गया। जिसमें खूंखार आतंकी जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख कमांडर अब्दुल रऊफ अजहर भी शामिल था। रऊफ अजहर, जैश सरगना मसूद अजहर का छोटा भाई था और वर्तमान में जैश का सारा आतंक यही देखता था। रऊफ अजहर 1999 में हुए कंधार प्लेन हाईजैक का मास्टरमाइंड था।

रऊफ की मौत पर केवल भारत में जश्न नहीं है, बल्कि इजरायल और अमेरिका भी इस मौत से खुश है। यहां तक की अमेरिकी-इजराइली लोग भारत को बधाई देने लगे हैं। एसे में सवाल ये है कि अब्दुल रऊफ अजहर की मौत पर इजरायल और अमेरिका की खुशी की वजह क्या है?

रऊफ अजहर की मौत पर इजरायल और अमेरिका क्यों खुश?

दरअसल, जैश-ए-मोहम्मद का कमांडर अब्दुल रऊफ अजहर अमेरिका और इजरायल दोनों का कट्टर दुश्मन था। इसकी वजह ये है कि रऊफ अजहर कंधार विमान हाइजैकिंग के अलावा अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या में भी शामिल था। 2002 में अमेरिकी-यहूदी पत्रकार डैनियल पर्ल की हत्या कर दी गई थी। ऑपरेशन सिंदूर ने न सिर्फ पहलगाम आतंकी हमले का जवाब दिया, बल्कि 23 साल पुराने उस जख्म को भी न्याय दिलाया, जो दुनियाभर के लोगों के जेहन में था।

अमेरिका ने किया भारत का समर्थन

जैसे ही अब्दुल रऊफ अजहर की नौत की खबर आई अमेरिका के पूर्व राजदूत और संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि रहे जालमे खलीलजाद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के दौरान क्रूर आतंकवादी अब्दुल रऊफ अजहर को मार गिराया है। यह वही शख्स है जिसने 2002 में यहूदी पत्रकार डेनियल पर्ल का सिर कलम कर हत्या कर दी थी। आज इंसाफ हुआ है। थैक्यू इंडिया।

लोग भारत को दे रहे बधाई

पर्ल की दोस्त और पत्रकार असरा नोमानी ने एक्स पर लिखा, मेरा दोस्त डैनी पर्ल 2001 में बहावलपुर गया था, सिर्फ नोटबुक और पेन के साथ। उसने वहां के आतंकी ठिकानों की सच्चाई उजागर की। वो कोई जोखिम लेने वाला नहीं था, लेकिन उसे नहीं पता था कि उसकी जान खतरे में है। अमेरिकी कार्यकर्ता एमी मेक ने भी अजहर की मौत पर खुशी जताई। उन्होंने लिखा, भारत ने पर्ल की हत्या का बदला ले लिया। ऑपरेशन सिंदूर ने आतंक के गढ़ को ध्वस्त किया। पश्चिमी देशों को भारत से सीखना चाहिए कि इस्लामिक आतंक से कैसे निपटा जाता है।

कौन थे डैनियल पर्ल?

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, डैनियल पर्ल वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार थे. जनवरी 2002 में कराची में उनका अपहरण हुआ, जब वे पाकिस्तान की सेना और आतंकियों के बीच संबंधों की जांच कर रहे थे. एक महीने बाद उनकी बर्बर हत्या का वीडियो सामने आया था, जिसके बाद पूरी दुनिया सन्न रह गई थी. पर्ल की हत्या का मास्टरमाइंड था उमर सईद शेख, जिसे 1999 में इंडियन एयरलाइंस के फ्लाइट IC-814 के अपहरण के बाद रिहा किया गया था. इस अपहरण के पीछे भी अब्दुल रऊफ अजहर का हाथ था. जिसे कंधार कांड के नाम से भी जाना जाता है.

विदेशी जमीन से फिर राहुल ने देश के आतंरिक मुद्दों पर उठाए सवाल, बोले- चुनाव आयोग ने किया समझौता

#rahulsaidinamericaelection_commission

लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि, इस बार उन्होंने भारत से नहीं बल्कि अमेरिका की धरती से कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि चुनाव आयोग ने समझौता कर लिया है और सिस्टम में कुछ गड़बड़ है।

निर्वाचन आयोग को कटघरे में खड़ा किया

राहुल 2 दिन के अमेरिका दौरे पर हैं। राहुल गांधी शनिवार देर रात को अमेरिका के बॉस्टन एयरपोर्ट पर उतरे थे। माना जा रहा था कि राहुल एक बार फिर विदेशी जमीन से देश की मोदी सरकार और देश के आतंरिक मुद्दों पर बोलेंगे, वैसा ही हुआ। उन्होंने बोस्टन में ब्राउन यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ एक सत्र में हिस्सा लिया। यहां उन्होंने पिछले साल हुए महाराष्ट्र चुनाव का मुद्दा उठाया। उन्होंने देश की चुनाव प्रणाली और निर्वाचन का आयोग की मंशा को कटघरे में खड़ा किया।

महाराष्ट्र में वयस्कों की संख्या से ज्यादा मतदान-राहुल

राहुल गांधी ने ब्राउन यूनिवर्सिटी में संबोधन के दौरान राहुल ने कहा कि मैंने यह कई बार कहा है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र में वयस्कों की संख्या से ज्यादा लोगों ने मतदान किया। राहुल गांधी ने आगे कहा कि चुनाव आयोग ने हमें शाम 5:30 बजे तक के मतदान के आंकड़े दिए और शाम 5:30 बजे से 7:30 बजे के बीच 65 लाख मतदाताओं ने मतदान कर दिया। ऐसा होना शारीरिक रूप से असंभव है। एक मतदाता को मतदान करने में लगभग 3 मिनट लगते हैं और अगर आप गणित लगाएं तो इसका मतलब है कि सुबह 2 बजे तक मतदाताओं की लाइनें लगी रहीं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जब हमने उनसे वीडियोग्राफी देने के लिए कहा तो उन्होंने न केवल मना कर दिया, बल्कि उन्होंने कानून भी बदल दिया ताकि हम वीडियोग्राफी के लिए न कह सकें।

महीने में पांच साल से ज्यादा वोटर्स जोड़े गए-राहुल

राहुल ने आरोप लगाया था कि लोकसभा चुनाव के लिए पांच साल में महाराष्ट्र में 32 लाख वोटर्स जोड़े गए, जबकि इसके पांच महीने बाद विधानसभा चुनाव के लिए 39 लाख वोटर्स को जोड़ा गया। उन्होंने चुनाव आयोग से पूछा कि पांच महीने में पांच साल से ज्यादा वोटर्स कैसे जोड़े गए? विधानसभा चुनाव में राज्य की कुल वयस्क आबादी से ज्यादा रजिस्टर्ड वोटर्स कैसे थे? राहुल ने कहा कि इसका एक उदाहरण कामठी विधानसभा है, जहां भाजपा की जीत का अंतर लगभग उतना ही है जितने नए वोटर्स जोड़े गए।

पहले भी उठा चुके हैं सवाल

यह पहली बार नहीं है, जब राहुल गांधी ने चुनाव प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े किए हैं। पिछले महीने 10 मार्च को राहुल ने सदन में मतदाता सूची का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि कई राज्यों में वोटर लिस्ट पर सवाल उठे हैं, इसलिए संसद में चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि सरकार वोटर लिस्ट नहीं बनाती है, यह तो सबको पता है, लेकिन सवाल उठ रहे हैं तो अच्छा होगा कि संसद में इस विषय पर चर्चा हो।

अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध के तेज होने पर चीन ने 'टैरिफ 104' का उल्लेख करने वाले हैशटैग को किया सेंसर

#china_sensors_the_hashtags_of_tariff_104_after_trade_wars_with_america

Img source: Stabroeknews

जैसे-जैसे अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध तेज होता जा रहा है, बीजिंग ने सोशल मीडिया पर टैरिफ से संबंधित कुछ सामग्री को सेंसर करना शुरू कर दिया है, समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर "टैरिफ" या "104" (प्रतिशत में टैरिफ राशि) के लिए हैशटैग और खोजों को ब्लॉक कर दिया गया है, जिसके पेज पर एक त्रुटि संदेश दिखाई दे रहा है। हैशटैग ने एक त्रुटि संदेश लौटाया जिसमें कहा गया था: "क्षमा करें, इस विषय की सामग्री प्रदर्शित नहीं की जा रही है," न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया।

सेंसरशिप वीचैट तक भी फैली हुई है, जहां ट्रम्प के टैरिफ के नकारात्मक प्रभाव को उजागर करने वाली चीनी कंपनियों की कई पोस्ट को हटा दिया गया था, रॉयटर्स द्वारा की गई समीक्षा में पाया गया।

सेंसर किए गए पोस्ट पर एक ही लेबल लगा था, जिसमें लिखा था कि "सामग्री पर संबंधित कानूनों, विनियमों और नीतियों का उल्लंघन करने का संदेह है"। दूसरी ओर, रॉयटर्स के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका का मज़ाक उड़ाने वाले और उत्तरी अमेरिकी देश में अंडों की कमी का सुझाव देने वाले हैशटैग वीबो पर सबसे ज़्यादा देखे गए।

चीनी सरकारी प्रसारक CCTV ने भी इसी तर्ज पर एक हैशटैग शुरू किया: "#UShastradewarandaneggshortage।"

अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध

जनवरी में पदभार ग्रहण करने के बाद से, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीनी वस्तुओं पर टैरिफ में पाँच बार वृद्धि की है।

10% की पहली दो बढ़ोतरी को विश्लेषकों ने चीन की ओर से एक संतुलित प्रतिक्रिया के रूप में वर्णित किया, जिसने बातचीत के लिए दरवाज़ा खुला छोड़ दिया। लेकिन ट्रम्प द्वारा पिछले सप्ताह अपने "मुक्ति दिवस" ​​पर अन्य देशों पर टैरिफ के साथ-साथ चीनी वस्तुओं पर अतिरिक्त 34% शुल्क की घोषणा करने के बाद, चीन ने अमेरिका से आयात पर 34% टैरिफ के साथ इसकी बराबरी की।

चीन की जवाबी कार्रवाई के बाद, ट्रम्प ने चीन से आने वाले सामानों पर 50% टैरिफ जोड़ दिया, और कहा कि बातचीत समाप्त हो गई है, और संचयी अमेरिकी टैरिफ को 104% तक ले आया।

चीन ने फिर से अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ को उसी राशि से बढ़ाकर जवाब दिया, जिससे इसकी कुल दर 84% हो गई।

फिर ट्रम्प ने व्यापार भागीदारों पर उच्च टैरिफ पर 90-दिवसीय रोक की घोषणा की, लेकिन चीन पर शुल्क बढ़ाकर 125% कर दिया।

इस बीच, दोनों देशों के बीच तनाव के बीच, चीन ने अपने नागरिकों को संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा करने से पहले "जोखिमों का आकलन" करने की चेतावनी दी है।

चीन-अमेरिका में गहराया टैरिफ वॉर, अब ड्रैगन ने यूएस प्रोडक्ट्स पर लगाया 84% एक्स्ट्रा टैरिफ

#china_has_imposed_84_percent_extra_tariff_on_america

अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर गहरा गया है। अमेरिका के “एक्शन” पर ड्रैगन ने “रिएक्शन” दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी सामान पर 104% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद अब चीन ने पलटवार करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ 34% से बढ़ाकर 84% कर दिया है।

टैरिफ आयातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला एक प्रकार का टैक्स है। टैरिफ को लेकर अमेरिका और चीन में टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। डोनाल्ड ट्रंप के 104 प्रतिशत वाले टैरिफ के जवाब में चीन ने भी करारा जवाब दिया है। चीन ने अब अमेरिकी सामानों पर 84 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है। चीन के कॉमर्स मंत्रालय ने इस बात की घोषणा की। चीनी मंत्री के अनुसार यह टैरिफ कल से लागू होगा।

चीन के कॉमर्स मिनिस्ट्री ने भी अमेरिका को जवाब देते हुए 12 अमेरिकी संस्थाओं को अपनी एक्सपोर्ट कंट्रोल लिस्ट में डाल दिया है। साथ ही, 6 अमेरिकी कंपनियों को "अविश्वसनीय संस्थाओं" (Unreliable Entity) की लिस्ट में शामिल किया गया है।

टैरिफ के कारण अब चीन में अमेरिका का सामान महंगा हो जाएगा। इसके कारण चीन में अमेरिकी वस्तुओं का निर्यात कम हो सकता है और वो अधिक महंगे हो सकते हैं।

इससे पहले व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलाइन लेविट ने कहा था कि चीन की जवाबी कार्रवाई एक भारी गलती थी। मंगलवार को उन्होंने कहा, "जब अमेरिका पर कोई वार करता है, तो राष्ट्रपति ट्रंप और जोर से पलटवार करते हैं। यही वजह है कि अब चीन पर मंगलवार रात 12 बजे से 104 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है। हालांकि, अगर चीन बातचीत करना चाहता है, तो राष्ट्रपति ट्रंप बेहद उदारता से उसका स्वागत करेंगे।"

ट्रंप की नीतियों से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा है। पूरी दुनिया में लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं और इसे एक गलत फैसला करार दे रहे हैं। लेकिन मंगलवार को ट्रंप ने अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया। ट्रंप ने वाशिंगटन में रिपब्लिकन डिनर में कहा, ‘मुझे पता है मैं क्या कर रहा हूं।’ यही नहीं, ट्रंप ने अब दवा आयात पर भी ‘बड़ा’ टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। हालांकि, अब तक इसकी तारीख तय नहीं की है।

BDSM Toys Now Melded into a New Form of Fetish Fashion

“BDSM kink now still remains in the dungeons of taboos and social stereotypes in India; whereas it booms up across the Western culture and their so-called fashion industries.”

Fashion is all about the exposure of your feelings and insightful thoughts in a subtle but prevalent way. As a famous Grunge rockstar ,“Kurt Cobain” said, “Fashion’s Style, Fashion’s shit”, Fashion could be influential and appreciable for many and bitter for some at the same moment. However, ‘Fetish fashion’ is a nascent form of modern fashion culture, on the contrary, bolstering the boldness and sexual liberty of the subculture. There are many traces of BDSM toys, tools, and kits to be found in attire and accessories in the world of ‘Fetishcore’ or fetish fashion.

Detailed Comparison Between Fetishcore Fashion & BDSM Gear

Now, it’s time to dig out mysterious similarities between Fetishcore fashion and bondage sex toys. Though there are many instances to show up, and also a lot of facts to unfold in this matter. Some top celebrities, such as Kim Kardashian, Dua Lipa, Billie Eilish, Madonna, and many other TV actresses and pop stars, made a new sensation among the netizens, especially the Gen-Zers, about fetish fashion. Perhaps, Vivienne Westwood emerged with her brand new sex boutique for the first time in the mainstream of ‘Fetishstore’. Followed by Madonna, Kim Kardashian whipped the audience into a frenzy and fuelled the fetish movement forward. Famous American singer Dua Lipa performed in glossy yellow BDSM harnesses to her music video ‘Don’t Start Now’ and received great applause from a large number of people worldwide.

Notwithstanding taboos and criticism, some dashing and bold Indian actresses followed in their footsteps in the new era of fetish fashion. Nora Fatehi, one of India's most successful and magnificent models and TV actresses, posted her picture in a latex Black Catsuit on Instagram and got over 400k likes there from her fans. Next comes Urfi Javed, a famous model, & social media influencer, who continued this vogue with her new look in a bold strap bikini with BDSM handcuffs and picked a storm on social media.

Now let’s cut to the chase of how BDSM toys turn into a new form of fetish culture. There are multiple fetish clothing, and other grooming accessories in the mould of bondage fashion that cannot be overlooked: harnesses, chokers, rubber boots, latex bodysuits, and many more. Harness is one of the most provocative garments in Fetishscore that derives from BDSM culture. In this practice, especially submissive partners wear this garment along with handcuffs and other kits (mouth gags, blindfolds, anklets, etc.) as if the submissive partner is bound to serve his/her dom master/mistress. On the other hand, a latex bodysuit is an instance of femdom sexual practice; a woman in a femdom role is good to go with this clothing, whipper-in hand, holding a chastity lock with fingers that provide quite a dominating appearance in bed, and so are catsuits in pet play. As well as there are many FetishScore accessories tailored to the bondage fetish. Picking up an O-ring choker in hand and observing the fact where it came from, one may guess right and find similarities with collar kit bondage sex toys.

What is the Significance of Fetishcore Fashion? Ain’t It Promoting Bondage Toys?

Every fashion has at least a short message to convey; Fetishcore is not an exception. Similarly, everyone has such fetishes to indulge in. In short, Fetishcore fashion is a consequence where fetish and fashion meet at the same place. The basic importance of this fashion is the liberty of freeing one’s fetish in a sophisticated and artistic way. In other words, this is a medium to reveal your bedroom thoughts to the world.

During the COVID-19 lockdown, people used to spend more time on the internet whether sharing memes, playing games or online shopping. Being at home was a good head start to explore different fantasies and Fetishscore is tailored to such desires and fantasies. So, this is no longer promoting bondage toys, but rather it, itself, comes into view with the increasing demands of people and obviously being inspired by the bondage subculture.

The Restriction Boundary of Fetishscore in India

In India, bondage culture is itself a taboo, what else better to expect about Fetishscore? The government has yet to liberalise sex toys completely because of the lack of sex education in our society. But the achievement is not so far enough. Many models and fashion designers are striving a lot to adopt this Western culture; Urfi Yaved is one of those brightest stars, although sometimes she becomes the victim of public backlash on social media.

However, there’s a great demand for erotic sex toys in India; most people prefer to indulge their fantasies secretly and let the matter end there, inside the bedroom. Teentoy is also a hidden gem, bolstering the rise of bondage Fetishcore fashion. Hope something could happen to turn the tables.

अमेरिका ने टीआरएफ को घोषित किया आतंकी संगठन, पहलगाम हमले की ली थी जिम्मेदारी

#americausdeclarespakistaniterroristgrouptrf 

अमेरिका ने एक बड़ा कदम उठाते हुए पाकिस्तान में स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। अमेरिका ने 22 अप्रैल के पहलगाम अटैक के लिए उस आतंकी संगठन को जिम्मेदार माना है। बता दें कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की जान चली गई थी। आतंकियों ने धर्म पूछ-पूछकर पुरूषों को अपना निशाना बनाया था। पहलगाम में हुए इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली थी।

लश्कर-ए-तैयबा का ‘प्रॉक्सी’ है टीआरएफ

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने गुरुवार को यह जानकारी दी। मार्क रूबियो ने कहा कि टीआरएफ एक पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा का ‘प्रॉक्सी’ है, जो यूएन द्वारा पहले से आतंकी संगठन घोषित है। टीआरएफ और इससे जुड़े सभी नाम अब एलईटी की आतंकी सूची में शामिल कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने एलईटी की आतंकी संगठन के रूप में पहले से मौजूद पहचान को भी बरकरार रखा है।

आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका ने दिखाई प्रतिबद्धता

अमेरिकी विदेशश मंत्री ने कहा कि यह कार्रवाई राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से पहलगाम आतंकी हमले के लिए न्याय दिलाने की प्रतिबद्धता को दिखाती है। अमेरिकी विदेश मंत्री मर्को रुबियो ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमला 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में नागरिकों पर हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला था। उन्होंने यह भी कहा कि यह कार्रवाई अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, और भारत के साथ सहयोग का प्रमाण है।

भारत की बड़ी जीत है

अमेरिका के इस कदम से साफ है कि भारत की कोशिश रंग लाई है। ऑपरेशन सिंदूर का डेलिगेशन जब अमेरिका गया था, तब सबूत के साथ भारत ने अमरिका समेत पूरी दुनिया को बताया था कि पहलगाम अटैक में कैसे टीआरएफ का हाथ है और उसे पाकिस्तानी हुकूमत और लश्कर का संरक्षण प्राप्त है।

22 अप्रैल को क्या हुआ था पहलगाम में

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में टीआरएफ के आतंकियों ने निहत्थे पर्यटकों को निशाना बनाया था। 22 अप्रैल को हुए इस कायराना आतंकी हमले में 26 बेगुनाहों की मौत हुई थी। इसके जवाब में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत छह-सात मई की दरम्यानी रात नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए।

कौन है यह टीआरएफ?

टीआरएफ यानी द रेजिस्टेंस फ्रंट एक आतंकी संगठन है। यह 2019 में जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद उभरा। यह लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रॉक्सी संगठन है। भारत ने इसे 2023 में UAPA के तहत आतंकी संगठन घोषित कर रखा है। टीआरएफ नागरिकों, खासकर अल्पसंख्यकों, और सुरक्षा बलों पर हमले करता है, जैसे 2025 का पहलगाम हमला। इसे पाकिस्तान का पूरा संरक्षण प्राप्त है।

डोनाल्ड ट्रंप जा रहे पाकिस्तान? पाक मीडिया में किया जा रहा सितंबर में दौरा का दावा

#americanpresidentdonaldtrumpsettovisitpakistanin_september

पाकिस्तान को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रूख में बदलाव देखा जा रहा है। इस बीच खबर आ रही है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पाकिस्तान के दौरा पर जा सकते हैं। ट्रंप के सितंबर महीने में पाकिस्तान यात्रा पर जाने की खबरें हैं। पाकिस्तानी मीडिया में ये दावा किया गया है। दो स्थानीय टेलीविजन चैनलों ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि ट्रंप सितंबर में इस्लामाबाद पहुंच सकते हैं।

पाकिस्तान के समा टीवी की रिपोर्ट में राजनयिक सूत्र के हवाले से बताया है कि ट्रंप 18 सितम्बर को पाकिस्तान का दौरा करने की योजना है। इस दौरान वे भारत भी जा सकते हैं। भारत सितम्बर में क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाला है, जिसके दौरान ट्रंप के नई दिल्ली आने की संभावना है।

20 साल में कोई अमेरिकी राष्ट्रपति पाक नहीं पहुंचा

अगर यह दावा सच हुआ, तो लगभग 20 साल बाद पहली बार कोई अमेरिकी राष्ट्रपति पाकिस्तान पहुंचेगा। इससे पहले साल 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने पाकिस्तान का दौरा किया था। अगर ट्रंप का ये दौरा होता है, तो दक्षिण एशिया की कूटनीतिक गतिविधियों में एक अहम मोड़ साबित होगा। अब सबकी नजरें आधिकारिक घोषणाओं और आगे की स्थिति पर हैं।

अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में बदलाव

इस तरह के दावे तक किए जा रहे हैं जब अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंधों मे बदलाव देखे जा रहे हैं। पिछले महीने अमेरिका ने पहली बार पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर का व्हाइट हाउस में स्वागत किया था। इस ऐतिहासिक मुलाकात के बाद दोनों देशों के संबंधों में मजबूती आने के संकेत मिले हैं।

ब्रिक्स देशों को ट्रंप की चेतावनी, 10% अतिरिक्‍त टैरिफलगाने की धमकी, क्या भारत की बढ़ने वाली है परेशानी?

#americadonaldtrumpwarns10percenttariffonbrics_countries

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ब्रिक्स देशों को धमकाने की कोशिश की है। ब्राजील में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को बड़ी चेतावनी दे डाली। उन्होंने कहा कि अगर ब्रिक्स देश अमेरिका विरोधी नीति का समर्थन करते हैं तो उन पर 10 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। ब्रिक्स सम्मेलन में ईरान पर अमेरिका और इजराइल के हमलों की निंदा किए जाने के बाद ट्रंप ने नाराजगी जताते हुए ब्रिक्स देशों को चेताया।

यह बयान उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर साझा किया। डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा, ‘ब्रिक्स की अमेरिका विरोधी नीतियों से जुड़ने वाले किसी भी देश पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। इस नीति में कोई अपवाद नहीं होगा। इस मामले पर आपका ध्यान देने के लिए धन्यवाद!’

अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर हमले और टैरिफ की निंदा की

दरअसल, ब्राजील में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल देशों ने अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर हुए हालिया हमले और व्यापार शुल्क (टैरिफ) की निंदा की। इजराइल की मध्य पूर्व में की जा रही सैन्य कार्रवाई की आलोचना की गई। सम्मेलन के पहले ब्रिक्स देशों ने अमेरिका पर सीधा हमला नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि बढ़ते टैरिफ (शुल्क) से वैश्विक व्यापार पर बुरा असर पड़ रहा है और यह डब्ल्यूटीओ के नियमों के खिलाफ है।

क्या भारत के लिए है बड़ा संदेश

हालांकि, ट्रंप ने इस बयान में यह स्पष्ट नहीं किया कि वह ‘अमेरिका विरोधी नीतियां’ किसे मानते हैं। यही कारण है कि इसके व्याख्या को लेकर भ्रम की स्थिति है। हालांकि उन्होंने जिस अपवाद की बात की है वह सीधे तौर पर भारत है। खासकर भारत जैसे देशों के लिए जो ब्रिक्स का हिस्सा भी हैं और अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी भी निभा रहे हैं।

भारत के लिए बड़ी चुनौती

डोनाल्ड ट्रंप ब्रिक्स को 'एंटी अमेरिका' मानते हैं और उन्हें डर है कि ब्रिक्स देश डॉलर के खिलाफ नई करेंसी जारी कर सकते हैं, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा। ऐसे में भारत के लिए यह स्थिति काफी ज्यादा संवेदनशील और मुश्किल हो जाती है, क्योंकि वह अमेरिका का करीबी सहयोगी भी है और ब्रिक्स का संस्थापक सदस्य भी। ऐसे में ट्रंप की धमकी भारत के लिए थोड़ी मुश्किल हो जाती है। इसका असर भारत-अमेरिका कारोबार पर भी पड़ता है। अब जब वे खुलेआम अतिरिक्त टैरिफ की चेतावनी दे रहे हैं, तो यह सवाल उठता है कि भारत जैसे देश इस आर्थिक दबाव से कैसे निपटेंगे?

भारत ग्लोबल साउथ के नेतृत्व की भूमिका में

ब्रिक्स की शुरुआत 2009 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन के साथ हुई थी, बाद में दक्षिण अफ्रीका और 2023 में ईरान, सऊदी अरब, यूएई, मिस्र, इंडोनेशिया और इथियोपिया जैसे देश भी इस समूह में शामिल हो गए। ब्रिक्स के भीतर भारत ग्लोबल साउथ के नेतृत्व की भूमिका भी निभा रहा है। भारत ने हमेशा इस मंच का उपयोग बहुपक्षीयता, वैश्विक दक्षिण की आवाज उठाने और विकासशील देशों के लिए समावेशी व्यवस्था की मांग करने के लिए किया है। हालांकि, चीन और रूस जैसे देशों के कारण ब्रिक्स पर "पश्चिम विरोधी" छवि भी चिपक गई है।

पीएनबी घोटाले में बड़ी सफलता, भगोड़े नीरव मोदी का भाई नेहल मोदी अमेरिका में गिरफ्तार

#niravmodibrothernihalmodiarrestedinafraudcasein_america

पंजाब नेशनल बैंक के घोटाले में भगोड़ा घोषित नीरव मोदी के भाई नेहाल मोदी को अमेरिका में गिरफ्तार कर लिया गया है। सीबीआई और ईडी के प्रत्यर्पण के अनुरोध के बाद उन पर शिकंजा कसा गया है। अमेरिका के अधिकारियों ने भारत सरकार को इसकी जानकारी दी है। यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, भगोड़े आर्थिक अपराधी नीरव मोदी के भाई को 4 जुलाई को अमेरिकी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था।

नेहल मोदी भारत के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक, पीएनबी घोटाले में वांछित हैं। जांच एजेंसियों का आरोप है कि उन्होंने अपने भाई नीरव मोदी की मदद करते हुए करोड़ों रुपये की अवैध कमाई को छिपाया और शेल कंपनियों व विदेशी लेनदेन के जरिए उसे इधर-उधर किया।

2019 में जारी किया गया था रेड नोटिस

साल 2019 में प्रवर्तन निदेशालय ने इंटरपोल से नीरव मोदी को बैंक फंड्स को लूटने में मदद करने के आरोप में नेहल मोदी की भूमिका के लिए उसके खिलाफ रेड नोटिस जारी करने का अनुरोध किया गया था।

कौन है नेहल मोदी?

नेहल मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी मामले में वांछित है। नेहल मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में कथित 13,600 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी वाले बैंक लेनदेन के मामले के आरोपी और भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी का भाई है। 46 वर्ष का नेहल मोदी बेल्जियम का नागरिक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से की गई जांच में नेहल मोदी को नीरव मोदी की आपराधिक आय को वैध बनाने के लिए काम करने वाले अहम शख्स पाया गया था। नीरव मोदी ब्रिटेन से प्रत्यर्पण की कार्रवाई का सामना कर रहा है।

काले धन को सफेद करने और छुपाने अहम भूमिका

जांच में सामने आया है कि उसने अपने भाई नीरव मोदी के लिए काले धन को सफेद करने और छुपाने में अहम भूमिका निभाई थी। ईडी और सीबीआई की जांच में ये भी पाया गया है कि नेहाल मोदी ने कई शेल कंपनियों के जरिए बड़ी रकम को विदेशों में इधर-उधर किया। उसका मकसद था धोखाधड़ी से कमाई गई रकम को ट्रैक से बाहर रखना।

नेहल की गिरफ्तारी भारतीय एजेंसियों के लिए अहम

बता दें कि नीरव मोदी खुद इस समय ब्रिटेन में प्रत्यर्पण प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं। नेहल मोदी के प्रत्यर्पण मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई 2025 को तय की गई है। जिसमें स्थिति की समीक्षा (स्टेटस कॉन्फ्रेंस) होगी। इस सुनवाई के दौरान नेहल मोदी जमानत की अर्जी भी दे सकते हैं, जिसे अमेरिकी अभियोजन पक्ष विरोध करेगा। यह गिरफ्तारी भारत की जांच एजेंसियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे का अंतिम संस्कार : मारवाड़ी शमशान घाट पहुंचे भाजपा महामंत्री पवन साय और मंत्रिमंडल के सदस्य

रायपुर- छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कवि और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. सुरेंद्र दुबे का कुछ ही देर में अंतिम संस्कार कार्यक्रम शुरू होगा। मरवाही शमशान घाट में नेताओं और कला क्षेत्र के प्रसिद्ध हस्तियों का पहुंचना जारी है. भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय और मंत्रिमंडल के सदस्य पहुंच चुके हैं. वहीं चर्चित कवि कुमार विश्वास, सूफी भंजन गायक पद्मश्री मदन चौहान, कवि सुदीप भोला, गायक-अभिनेता सुनील तिवारी, पूर्व सांसद अभिषेक सिंह भी मौजूद हैं.


ACI अस्पताल में ली अंतिम सांस

पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे को तबीयत अचानक खराब होने पर उन्हें रायपुर के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में भर्ती कराया गया था. जहां इलाज के दौरान हार्ट अटैक आने से उनका निधन हो गया.

हास्य और व्यंग से मानवीय संवेदनाओं को छुआ

डॉ. सुरेंद्र दुबे ने हास्य और व्यंग्य जैसी विधाओं को सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक चिंतन का जरिया बनाया. मंच पर उनकी प्रस्तुति, शब्दों का चयन और आत्मविश्वास दर्शकों को प्रभावित करता था. उन्होंने अपनी कविताओं से केवल हँसाया नहीं, बल्कि सामाजिक विसंगतियों, राजनीतिक हलचलों और मानवीय संवेदनाओं को भी छुआ और लोगों को सोचने पर मजबूर भी किया.

पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे की जीवन

8 अगस्त 1953 को बेमेतरा, छत्तीसगढ़ में जन्मे डॉ. दुबे पेशे से आयुर्वेदिक चिकित्सक थे, लेकिन पहचान उन्होंने एक साहित्यकार और हास्य कवि के रूप में बनाई. भारतीय साहित्य के साथ ही छत्तीगसढ़ी भाषा में उनकी पकड़ बेहद मजबूत थी. उन्होंने पांच किताबें लिखी हैं और कई मंचो और TV शो पर दिखाई दिए. उन्हें भारत सरकार द्वारा वर्ष 2010 में देश के चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

इससे पहले पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे को वर्ष 2008 में काका हाथरसी से हास्य रत्न पुरुस्कार प्राप्त हुआ था. वर्ष 2012 में पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान, अट्टहास सम्मान और संयुक्त राज्य अमेरिका में लीडिंग पोएट ऑफ इंडिया सम्मान प्राप्त हो चुके हैं.

विदेशों में भी मिला सम्मान

बता दें, पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे ने छत्तीसगढ़ की माटी से लेकर देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी कविताओं से सबका दिल जीता है. उन्हें अमेरिका (America) के वाशिंगटन (Washington) में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी एसोसीएशन द्वारा आयोजित समारोह में पद्मश्री डॉ सुरेंद्र दुबे को हास्य शिरोमणि सम्मान 2019 से सम्मानित किया गया था. नार्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन की ओर से शिकागो में पद्मश्री डॉ. सुरेन्द दुबे को छत्तीसगढ़ रत्न सम्मान से भी सम्मानित किया गया था.

पद्मश्री डॉक्टर सुरेंद्र की रचनाओं पर देश के 3 विश्वविद्यालयों ने पीएचडी की उपाधि भी प्रदान की है, जो उनकी साहित्यिक और अकादमिक उपलब्धियों की पुष्टि करती है.

ऑपरेशन सिंदूर’ में मारा गया रऊफ अजहर, कंधार विमान हाइजैक सरगना की मौत पर अमेरीका-इजराइल क्यों खुश

#americathankindiawipesoutabdulrauf

पहलगाम आतंकी हमले के बाद पीएम मोदी ने कहा था आतंकियों को मिट्टी में मिला दिया जाएगा। 15 दिन बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के ठिकानों को तबाह कर दिया। भारत के ऑपरेशन सिंदूर में लगभग 100 आतंकवादियों को मार गिराया गया। जिसमें खूंखार आतंकी जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख कमांडर अब्दुल रऊफ अजहर भी शामिल था। रऊफ अजहर, जैश सरगना मसूद अजहर का छोटा भाई था और वर्तमान में जैश का सारा आतंक यही देखता था। रऊफ अजहर 1999 में हुए कंधार प्लेन हाईजैक का मास्टरमाइंड था।

रऊफ की मौत पर केवल भारत में जश्न नहीं है, बल्कि इजरायल और अमेरिका भी इस मौत से खुश है। यहां तक की अमेरिकी-इजराइली लोग भारत को बधाई देने लगे हैं। एसे में सवाल ये है कि अब्दुल रऊफ अजहर की मौत पर इजरायल और अमेरिका की खुशी की वजह क्या है?

रऊफ अजहर की मौत पर इजरायल और अमेरिका क्यों खुश?

दरअसल, जैश-ए-मोहम्मद का कमांडर अब्दुल रऊफ अजहर अमेरिका और इजरायल दोनों का कट्टर दुश्मन था। इसकी वजह ये है कि रऊफ अजहर कंधार विमान हाइजैकिंग के अलावा अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या में भी शामिल था। 2002 में अमेरिकी-यहूदी पत्रकार डैनियल पर्ल की हत्या कर दी गई थी। ऑपरेशन सिंदूर ने न सिर्फ पहलगाम आतंकी हमले का जवाब दिया, बल्कि 23 साल पुराने उस जख्म को भी न्याय दिलाया, जो दुनियाभर के लोगों के जेहन में था।

अमेरिका ने किया भारत का समर्थन

जैसे ही अब्दुल रऊफ अजहर की नौत की खबर आई अमेरिका के पूर्व राजदूत और संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि रहे जालमे खलीलजाद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के दौरान क्रूर आतंकवादी अब्दुल रऊफ अजहर को मार गिराया है। यह वही शख्स है जिसने 2002 में यहूदी पत्रकार डेनियल पर्ल का सिर कलम कर हत्या कर दी थी। आज इंसाफ हुआ है। थैक्यू इंडिया।

लोग भारत को दे रहे बधाई

पर्ल की दोस्त और पत्रकार असरा नोमानी ने एक्स पर लिखा, मेरा दोस्त डैनी पर्ल 2001 में बहावलपुर गया था, सिर्फ नोटबुक और पेन के साथ। उसने वहां के आतंकी ठिकानों की सच्चाई उजागर की। वो कोई जोखिम लेने वाला नहीं था, लेकिन उसे नहीं पता था कि उसकी जान खतरे में है। अमेरिकी कार्यकर्ता एमी मेक ने भी अजहर की मौत पर खुशी जताई। उन्होंने लिखा, भारत ने पर्ल की हत्या का बदला ले लिया। ऑपरेशन सिंदूर ने आतंक के गढ़ को ध्वस्त किया। पश्चिमी देशों को भारत से सीखना चाहिए कि इस्लामिक आतंक से कैसे निपटा जाता है।

कौन थे डैनियल पर्ल?

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, डैनियल पर्ल वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार थे. जनवरी 2002 में कराची में उनका अपहरण हुआ, जब वे पाकिस्तान की सेना और आतंकियों के बीच संबंधों की जांच कर रहे थे. एक महीने बाद उनकी बर्बर हत्या का वीडियो सामने आया था, जिसके बाद पूरी दुनिया सन्न रह गई थी. पर्ल की हत्या का मास्टरमाइंड था उमर सईद शेख, जिसे 1999 में इंडियन एयरलाइंस के फ्लाइट IC-814 के अपहरण के बाद रिहा किया गया था. इस अपहरण के पीछे भी अब्दुल रऊफ अजहर का हाथ था. जिसे कंधार कांड के नाम से भी जाना जाता है.

विदेशी जमीन से फिर राहुल ने देश के आतंरिक मुद्दों पर उठाए सवाल, बोले- चुनाव आयोग ने किया समझौता

#rahulsaidinamericaelection_commission

लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि, इस बार उन्होंने भारत से नहीं बल्कि अमेरिका की धरती से कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि चुनाव आयोग ने समझौता कर लिया है और सिस्टम में कुछ गड़बड़ है।

निर्वाचन आयोग को कटघरे में खड़ा किया

राहुल 2 दिन के अमेरिका दौरे पर हैं। राहुल गांधी शनिवार देर रात को अमेरिका के बॉस्टन एयरपोर्ट पर उतरे थे। माना जा रहा था कि राहुल एक बार फिर विदेशी जमीन से देश की मोदी सरकार और देश के आतंरिक मुद्दों पर बोलेंगे, वैसा ही हुआ। उन्होंने बोस्टन में ब्राउन यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ एक सत्र में हिस्सा लिया। यहां उन्होंने पिछले साल हुए महाराष्ट्र चुनाव का मुद्दा उठाया। उन्होंने देश की चुनाव प्रणाली और निर्वाचन का आयोग की मंशा को कटघरे में खड़ा किया।

महाराष्ट्र में वयस्कों की संख्या से ज्यादा मतदान-राहुल

राहुल गांधी ने ब्राउन यूनिवर्सिटी में संबोधन के दौरान राहुल ने कहा कि मैंने यह कई बार कहा है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र में वयस्कों की संख्या से ज्यादा लोगों ने मतदान किया। राहुल गांधी ने आगे कहा कि चुनाव आयोग ने हमें शाम 5:30 बजे तक के मतदान के आंकड़े दिए और शाम 5:30 बजे से 7:30 बजे के बीच 65 लाख मतदाताओं ने मतदान कर दिया। ऐसा होना शारीरिक रूप से असंभव है। एक मतदाता को मतदान करने में लगभग 3 मिनट लगते हैं और अगर आप गणित लगाएं तो इसका मतलब है कि सुबह 2 बजे तक मतदाताओं की लाइनें लगी रहीं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जब हमने उनसे वीडियोग्राफी देने के लिए कहा तो उन्होंने न केवल मना कर दिया, बल्कि उन्होंने कानून भी बदल दिया ताकि हम वीडियोग्राफी के लिए न कह सकें।

महीने में पांच साल से ज्यादा वोटर्स जोड़े गए-राहुल

राहुल ने आरोप लगाया था कि लोकसभा चुनाव के लिए पांच साल में महाराष्ट्र में 32 लाख वोटर्स जोड़े गए, जबकि इसके पांच महीने बाद विधानसभा चुनाव के लिए 39 लाख वोटर्स को जोड़ा गया। उन्होंने चुनाव आयोग से पूछा कि पांच महीने में पांच साल से ज्यादा वोटर्स कैसे जोड़े गए? विधानसभा चुनाव में राज्य की कुल वयस्क आबादी से ज्यादा रजिस्टर्ड वोटर्स कैसे थे? राहुल ने कहा कि इसका एक उदाहरण कामठी विधानसभा है, जहां भाजपा की जीत का अंतर लगभग उतना ही है जितने नए वोटर्स जोड़े गए।

पहले भी उठा चुके हैं सवाल

यह पहली बार नहीं है, जब राहुल गांधी ने चुनाव प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े किए हैं। पिछले महीने 10 मार्च को राहुल ने सदन में मतदाता सूची का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि कई राज्यों में वोटर लिस्ट पर सवाल उठे हैं, इसलिए संसद में चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि सरकार वोटर लिस्ट नहीं बनाती है, यह तो सबको पता है, लेकिन सवाल उठ रहे हैं तो अच्छा होगा कि संसद में इस विषय पर चर्चा हो।

अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध के तेज होने पर चीन ने 'टैरिफ 104' का उल्लेख करने वाले हैशटैग को किया सेंसर

#china_sensors_the_hashtags_of_tariff_104_after_trade_wars_with_america

Img source: Stabroeknews

जैसे-जैसे अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध तेज होता जा रहा है, बीजिंग ने सोशल मीडिया पर टैरिफ से संबंधित कुछ सामग्री को सेंसर करना शुरू कर दिया है, समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर "टैरिफ" या "104" (प्रतिशत में टैरिफ राशि) के लिए हैशटैग और खोजों को ब्लॉक कर दिया गया है, जिसके पेज पर एक त्रुटि संदेश दिखाई दे रहा है। हैशटैग ने एक त्रुटि संदेश लौटाया जिसमें कहा गया था: "क्षमा करें, इस विषय की सामग्री प्रदर्शित नहीं की जा रही है," न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया।

सेंसरशिप वीचैट तक भी फैली हुई है, जहां ट्रम्प के टैरिफ के नकारात्मक प्रभाव को उजागर करने वाली चीनी कंपनियों की कई पोस्ट को हटा दिया गया था, रॉयटर्स द्वारा की गई समीक्षा में पाया गया।

सेंसर किए गए पोस्ट पर एक ही लेबल लगा था, जिसमें लिखा था कि "सामग्री पर संबंधित कानूनों, विनियमों और नीतियों का उल्लंघन करने का संदेह है"। दूसरी ओर, रॉयटर्स के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका का मज़ाक उड़ाने वाले और उत्तरी अमेरिकी देश में अंडों की कमी का सुझाव देने वाले हैशटैग वीबो पर सबसे ज़्यादा देखे गए।

चीनी सरकारी प्रसारक CCTV ने भी इसी तर्ज पर एक हैशटैग शुरू किया: "#UShastradewarandaneggshortage।"

अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध

जनवरी में पदभार ग्रहण करने के बाद से, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीनी वस्तुओं पर टैरिफ में पाँच बार वृद्धि की है।

10% की पहली दो बढ़ोतरी को विश्लेषकों ने चीन की ओर से एक संतुलित प्रतिक्रिया के रूप में वर्णित किया, जिसने बातचीत के लिए दरवाज़ा खुला छोड़ दिया। लेकिन ट्रम्प द्वारा पिछले सप्ताह अपने "मुक्ति दिवस" ​​पर अन्य देशों पर टैरिफ के साथ-साथ चीनी वस्तुओं पर अतिरिक्त 34% शुल्क की घोषणा करने के बाद, चीन ने अमेरिका से आयात पर 34% टैरिफ के साथ इसकी बराबरी की।

चीन की जवाबी कार्रवाई के बाद, ट्रम्प ने चीन से आने वाले सामानों पर 50% टैरिफ जोड़ दिया, और कहा कि बातचीत समाप्त हो गई है, और संचयी अमेरिकी टैरिफ को 104% तक ले आया।

चीन ने फिर से अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ को उसी राशि से बढ़ाकर जवाब दिया, जिससे इसकी कुल दर 84% हो गई।

फिर ट्रम्प ने व्यापार भागीदारों पर उच्च टैरिफ पर 90-दिवसीय रोक की घोषणा की, लेकिन चीन पर शुल्क बढ़ाकर 125% कर दिया।

इस बीच, दोनों देशों के बीच तनाव के बीच, चीन ने अपने नागरिकों को संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा करने से पहले "जोखिमों का आकलन" करने की चेतावनी दी है।

चीन-अमेरिका में गहराया टैरिफ वॉर, अब ड्रैगन ने यूएस प्रोडक्ट्स पर लगाया 84% एक्स्ट्रा टैरिफ

#china_has_imposed_84_percent_extra_tariff_on_america

अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर गहरा गया है। अमेरिका के “एक्शन” पर ड्रैगन ने “रिएक्शन” दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी सामान पर 104% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद अब चीन ने पलटवार करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ 34% से बढ़ाकर 84% कर दिया है।

टैरिफ आयातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला एक प्रकार का टैक्स है। टैरिफ को लेकर अमेरिका और चीन में टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। डोनाल्ड ट्रंप के 104 प्रतिशत वाले टैरिफ के जवाब में चीन ने भी करारा जवाब दिया है। चीन ने अब अमेरिकी सामानों पर 84 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है। चीन के कॉमर्स मंत्रालय ने इस बात की घोषणा की। चीनी मंत्री के अनुसार यह टैरिफ कल से लागू होगा।

चीन के कॉमर्स मिनिस्ट्री ने भी अमेरिका को जवाब देते हुए 12 अमेरिकी संस्थाओं को अपनी एक्सपोर्ट कंट्रोल लिस्ट में डाल दिया है। साथ ही, 6 अमेरिकी कंपनियों को "अविश्वसनीय संस्थाओं" (Unreliable Entity) की लिस्ट में शामिल किया गया है।

टैरिफ के कारण अब चीन में अमेरिका का सामान महंगा हो जाएगा। इसके कारण चीन में अमेरिकी वस्तुओं का निर्यात कम हो सकता है और वो अधिक महंगे हो सकते हैं।

इससे पहले व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलाइन लेविट ने कहा था कि चीन की जवाबी कार्रवाई एक भारी गलती थी। मंगलवार को उन्होंने कहा, "जब अमेरिका पर कोई वार करता है, तो राष्ट्रपति ट्रंप और जोर से पलटवार करते हैं। यही वजह है कि अब चीन पर मंगलवार रात 12 बजे से 104 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है। हालांकि, अगर चीन बातचीत करना चाहता है, तो राष्ट्रपति ट्रंप बेहद उदारता से उसका स्वागत करेंगे।"

ट्रंप की नीतियों से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा है। पूरी दुनिया में लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं और इसे एक गलत फैसला करार दे रहे हैं। लेकिन मंगलवार को ट्रंप ने अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया। ट्रंप ने वाशिंगटन में रिपब्लिकन डिनर में कहा, ‘मुझे पता है मैं क्या कर रहा हूं।’ यही नहीं, ट्रंप ने अब दवा आयात पर भी ‘बड़ा’ टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। हालांकि, अब तक इसकी तारीख तय नहीं की है।