अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध के तेज होने पर चीन ने 'टैरिफ 104' का उल्लेख करने वाले हैशटैग को किया सेंसर

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Img source: Stabroeknews

जैसे-जैसे अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध तेज होता जा रहा है, बीजिंग ने सोशल मीडिया पर टैरिफ से संबंधित कुछ सामग्री को सेंसर करना शुरू कर दिया है, समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर "टैरिफ" या "104" (प्रतिशत में टैरिफ राशि) के लिए हैशटैग और खोजों को ब्लॉक कर दिया गया है, जिसके पेज पर एक त्रुटि संदेश दिखाई दे रहा है। हैशटैग ने एक त्रुटि संदेश लौटाया जिसमें कहा गया था: "क्षमा करें, इस विषय की सामग्री प्रदर्शित नहीं की जा रही है," न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया।

सेंसरशिप वीचैट तक भी फैली हुई है, जहां ट्रम्प के टैरिफ के नकारात्मक प्रभाव को उजागर करने वाली चीनी कंपनियों की कई पोस्ट को हटा दिया गया था, रॉयटर्स द्वारा की गई समीक्षा में पाया गया।

सेंसर किए गए पोस्ट पर एक ही लेबल लगा था, जिसमें लिखा था कि "सामग्री पर संबंधित कानूनों, विनियमों और नीतियों का उल्लंघन करने का संदेह है"। दूसरी ओर, रॉयटर्स के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका का मज़ाक उड़ाने वाले और उत्तरी अमेरिकी देश में अंडों की कमी का सुझाव देने वाले हैशटैग वीबो पर सबसे ज़्यादा देखे गए।

चीनी सरकारी प्रसारक CCTV ने भी इसी तर्ज पर एक हैशटैग शुरू किया: "#UShastradewarandaneggshortage।"

अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध

जनवरी में पदभार ग्रहण करने के बाद से, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीनी वस्तुओं पर टैरिफ में पाँच बार वृद्धि की है।

10% की पहली दो बढ़ोतरी को विश्लेषकों ने चीन की ओर से एक संतुलित प्रतिक्रिया के रूप में वर्णित किया, जिसने बातचीत के लिए दरवाज़ा खुला छोड़ दिया। लेकिन ट्रम्प द्वारा पिछले सप्ताह अपने "मुक्ति दिवस" ​​पर अन्य देशों पर टैरिफ के साथ-साथ चीनी वस्तुओं पर अतिरिक्त 34% शुल्क की घोषणा करने के बाद, चीन ने अमेरिका से आयात पर 34% टैरिफ के साथ इसकी बराबरी की।

चीन की जवाबी कार्रवाई के बाद, ट्रम्प ने चीन से आने वाले सामानों पर 50% टैरिफ जोड़ दिया, और कहा कि बातचीत समाप्त हो गई है, और संचयी अमेरिकी टैरिफ को 104% तक ले आया।

चीन ने फिर से अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ को उसी राशि से बढ़ाकर जवाब दिया, जिससे इसकी कुल दर 84% हो गई।

फिर ट्रम्प ने व्यापार भागीदारों पर उच्च टैरिफ पर 90-दिवसीय रोक की घोषणा की, लेकिन चीन पर शुल्क बढ़ाकर 125% कर दिया।

इस बीच, दोनों देशों के बीच तनाव के बीच, चीन ने अपने नागरिकों को संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा करने से पहले "जोखिमों का आकलन" करने की चेतावनी दी है।

चीन-अमेरिका में गहराया टैरिफ वॉर, अब ड्रैगन ने यूएस प्रोडक्ट्स पर लगाया 84% एक्स्ट्रा टैरिफ

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अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर गहरा गया है। अमेरिका के “एक्शन” पर ड्रैगन ने “रिएक्शन” दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी सामान पर 104% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद अब चीन ने पलटवार करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ 34% से बढ़ाकर 84% कर दिया है।

टैरिफ आयातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला एक प्रकार का टैक्स है। टैरिफ को लेकर अमेरिका और चीन में टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। डोनाल्ड ट्रंप के 104 प्रतिशत वाले टैरिफ के जवाब में चीन ने भी करारा जवाब दिया है। चीन ने अब अमेरिकी सामानों पर 84 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है। चीन के कॉमर्स मंत्रालय ने इस बात की घोषणा की। चीनी मंत्री के अनुसार यह टैरिफ कल से लागू होगा।

चीन के कॉमर्स मिनिस्ट्री ने भी अमेरिका को जवाब देते हुए 12 अमेरिकी संस्थाओं को अपनी एक्सपोर्ट कंट्रोल लिस्ट में डाल दिया है। साथ ही, 6 अमेरिकी कंपनियों को "अविश्वसनीय संस्थाओं" (Unreliable Entity) की लिस्ट में शामिल किया गया है।

टैरिफ के कारण अब चीन में अमेरिका का सामान महंगा हो जाएगा। इसके कारण चीन में अमेरिकी वस्तुओं का निर्यात कम हो सकता है और वो अधिक महंगे हो सकते हैं।

इससे पहले व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलाइन लेविट ने कहा था कि चीन की जवाबी कार्रवाई एक भारी गलती थी। मंगलवार को उन्होंने कहा, "जब अमेरिका पर कोई वार करता है, तो राष्ट्रपति ट्रंप और जोर से पलटवार करते हैं। यही वजह है कि अब चीन पर मंगलवार रात 12 बजे से 104 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है। हालांकि, अगर चीन बातचीत करना चाहता है, तो राष्ट्रपति ट्रंप बेहद उदारता से उसका स्वागत करेंगे।"

ट्रंप की नीतियों से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा है। पूरी दुनिया में लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं और इसे एक गलत फैसला करार दे रहे हैं। लेकिन मंगलवार को ट्रंप ने अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया। ट्रंप ने वाशिंगटन में रिपब्लिकन डिनर में कहा, ‘मुझे पता है मैं क्या कर रहा हूं।’ यही नहीं, ट्रंप ने अब दवा आयात पर भी ‘बड़ा’ टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। हालांकि, अब तक इसकी तारीख तय नहीं की है।

लागू हो गया ट्रंप का नया टैरिफ: चीन पर फिर चला अमेरिकी “चाबुक”

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ बुधवार आधी रात के बाद पूरी तरह से लागू हो गए।अमेरिका के स्थानीय समयानुसार मंगलवार आधी रात से भारत समेत दर्जनों देशों पर ट्रंप का जवाबी टैरिफ लागू हो गया है।इसके तहत भारत पर अब 26 फीसदी टैरिफ प्रभावी हो गया है। इसके साथ ही उन लगभग 60 देशों पर भी टैरिफ लग गए, जिन्हें ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका पर 'सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले सबसे खराब देश' बताया था। ट्रंप ने 2 अप्रैल को जवाबी टैरिफ का एलान किया था।

नया टैरिफ लागू होने से पहले अमेरिका ने चीन पर एक बार फिर “चाबुक” चलाया है। अमेरिका ने चीनी सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ को प्रभावी करने का फैसला लिया है। व्हाइट हाउस ने ऐलान किया है कि चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों पर 104 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है और अतिरिक्त शुल्क मंगलवार आधी रात यानी 9 अप्रैल से शुरू हो जाएंगे। यह वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच जारी ट्रेड वॉर में अब तक उठाए गए सबसे आक्रामक कदमों में से एक है। फॉक्स बिजनेस के अनुसार, व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि चीन ने अमेरिका पर अपने प्रतिशोधी टैरिफ को नहीं हटाया है। ऐसे में अमेरिका कल, 9 अप्रैल से चीनी आयात पर कुल 104% टैरिफ लगाना शुरू कर देगा।

चीन की धमकी के बाद यूएस का एक्शन

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को चीन पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कही थी। डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था कि अगर चीन ने अमेरिका पर लगाए गए 34% टैरिफ को वापस नहीं लिया, तो अमेरिका भी उस पर 50% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा। अब व्हाइट हाउस की ओर से इस धमकी को अमलीजामा पहनाते हुए कुल 104% टैरिफ की घोषणा कर दी गई है।

बता दें कि ट्रंप ने चीन की ओर से अमेरिकी सामानों पर 34 प्रतिशत का जवाबी टैरिफ लगाने के बाद ये चेतावनी दी थी।

चीन ने कहा था- अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला रवैया

ट्रंप के बयान पर कल चीन ने कहा था कि हमारे ऊपर लगे टैरिफ को और बढ़ाने की धमकी देकर अमेरिका गलती के ऊपर गलती कर रहा है। इस धमकी से अमेरिका का ब्लैकमेलिंग करने वाला रवैया सामने आ रहा है। चीन इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। अगर अमेरिका अपने हिसाब से चलने की जिद करेगा तो चीन भी आखिर तक लड़ेगा।

रविवार को चीन ने दुनिया के लिए साफ संदेश भेजा था- ‘अगर ट्रेड वॉर हुआ, तो चीन पूरी तरह तैयार है- और इससे और मजबूत होकर निकलेगा।‘ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपल्स डेली ने रविवार को एक टिप्पणी में लिखा: 'अमेरिकी टैरिफ का असर जरूर होगा, लेकिन 'आसमान नहीं गिरेगा।'

“अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला व्यवहार उजागर” टैफिक को लेकर भड़के चीन ने चेताया, ट्रेड वॉर की बढ़ी आशंका


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दुनिया की दो सबसे बड़ी इकॉनमी वाले देशों अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन पर 50 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ की धमकी दी है। मंगलवार को चीन ने अमेरिका को कड़ा संदेश दिया है। डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को अमेरिका में आयातित सभी चीनी वस्तुओं पर अतिरिक्त 34% टैरिफ की घोषणा की। मौजूदा टैरिफ लागू होने पर अमेरिका में सभी चीनी आयातों पर शुल्क 54% से अधिक हो जाएगा। जवाब में शुक्रवार को बीजिंग ने सभी अमेरिकी आयातों पर 34% टैरिफ का एलान कर दिया। इससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अमेरिका का चीन पर तथाकथित पारस्परिक टैरिफ लगाना पूरी तरह से गलत है। यह एकतरफा दादागीरी है। चीन ने पहले भी जवाबी टैरिफ लगाए हैं। मंत्रालय ने संकेत दिया कि और भी टैरिफ लगाए जा सकते हैं।

“अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला व्यवहार उजागर”

मंत्रालय के मुताबिक, चीन के प्रतिक्रियात्मक उपाय उसकी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा करने के लिए हैं। यह सामान्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था को बनाए रखने के उद्देश्य उठाए गए पूरी तरह से वैध उपाय हैं। इसके अलावा चीन पर टैरिफ बढ़ाने की अमेरिकी धमकी एक गलती के ऊपर की गई एक और गलती है। इससे एक बार फिर अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला व्यवहार उजागर हो गया है। चीन इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। अगर अमेरिका अपने तरीके पर अड़ा रहा, तो चीन अंत तक लड़ेगा।

ट्रेड वॉर गहराने की आशंका की चिंता

चीन ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब ट्रंप द्वारा चीन पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की सोमवार को धमकी दिए जाने के बाद से यह चिंता बढ़ गई है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को पुनर्संतुलित करने का उनका प्रयास आर्थिक रूप से विनाशकारी व्यापार युद्ध के खतरे को और बढ़ा सकता है।

ट्रंप ने दी धमकी

इससे पहले, ट्रंप ने सोमवार को चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। ट्रंप की धमकी तब आई जब चीन ने कहा कि वह अमेरिका द्वारा पिछले सप्ताह घोषित टैरिफ का जवाब देगा। ट्रंप ने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रूथ सोशल’ पर लिखा, ‘‘अगर चीन आठ अप्रैल 2025 तक अपने पहले से ही दीर्घकालिक व्यापार दुरुपयोगों से ऊपर 34 प्रतिशत की वृद्धि को वापस नहीं लेता है तो हम चीन पर 50 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगाएंगे जो नौ अप्रैल से प्रभावी हो जाएगा।

चीन-अमेरिका में ट्रैरिफ वार, अब ड्रैगन ने अमेरिकी उत्पादों पर लगाया 34 फीसदी जवाबी टैक्स

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अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वार शुरू हो गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर लगाए गए टैरिफ के बाद बिजिंग और वाशिंगटन से भिड़ंत हो गयी है। ट्रंप ने 2 अप्रैल को चीन सहित कई देशों पर रेसीप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। ट्रंप के इस फैसले का चीन ने विरोध भी किया था। अब चीन ने अमेरिका को उसकी की भाषा में जवाब दिया है। दरअसल, चीन ने सभी अमेरिकी उत्पादों पर 34 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है।

चीन ने शुक्रवार को सभी अमेरिकी वस्तुओं पर 10 अप्रैल से एक्स्ट्रा टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया है। इतना ही नहीं चीन ने यह भी कहा कि वे अमेरिका से आने वाले मेडिकल सीटी एक्स-रे ट्यूबों की जांच शुरू करेंगे और दो अमेरिकी कंपनियों से पोल्ट्री उत्पादों के आयात पर रोक लगाएंगे।

गैडोलीनियम और यिट्रियम जैसी धातुओं के निर्यात पर भी सख्ती

इसके अलावा चीन ने कहा कि वह 11 अमेरिकी कंपनियों को अपनी “अविश्वसनीय संस्थाओं” की लिस्ट में शामिल कर रहा है। जो उन्हें चीन में या चीनी कंपनियों के साथ व्यापार करने से रोकती हैं। इतना ही नहीं, चीन ने बेशकीमती गैडोलीनियम और यिट्रियम समेत कुछ अन्य धातुओं के निर्यात पर भी सख्ती बरतने का संकेत दिया है। खास बात यह है कि इन सभी धातुओं का खनन चीन में सबसे ज्यादा किया जाता है। इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक कारों से लेकर स्मार्ट बमों तक हर चीज में होता है।

पहले अमेरिका ने चलाया टैरिफ वाला चाबुक

अमेरिका ने चीन द्वारा जवाबी टैक्स का ऐलान करने से पहले भारत और चीन समेत अन्य देशों पर 2 अप्रैल से भारी-भरकम टैरिफ लागू किया था। इसमें चीन से आने वाले सामान पर 34% आयात कर लगाने का ऐलान किया था। वहीं यूरोपीय यूनियन से आयात पर 20 फीसदी, दक्षिण कोरियाई के उत्पादों पर 25 फीसदी,ताइवान के उत्पादों पर 32 फीसदी और जापानी उत्पादों पर 24 फीसदी टैक्स लागू करने का ऐलान किया था। इसके अलावा सभी विदेशी ऑटोमोबाइल पर 25 फीसदी का टैरिफ लगाया है। इसके पीछे ट्रंप का तर्क था कि हम सभी देशों के व्यापार और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करने को कदम उठाते हैं। उनकी सेना समेत अन्य कामों के लिए खर्चा देते हैं, लेकिन वह हम पर भारी टैरिफ लगाते हैं। अब ऐसा नहीं चलेगा। हम किसी के लिए इतना सब कुछ क्यों करेंगे।

ट्रंप के टैरिफ का ऐलानः दोस्त मोदी पर दिखाई ‘मेहरबानी’, भारत पर लगाया 26% टैरिफ

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आखिरकार रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा कर दी है। उन्होंने 185 देशों से आने वाले सामान पर टैरिफ लगाया है। यह अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़ा टैरिफ है। ट्रंप ने इंटरनेशनल व्यापार नीति को लेकर बड़ा कदम उठाया है। ट्रंप ने इसे डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ नाम दिया है। बुधवार (2 अप्रैल) को व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में 'मुक्ति दिवस' की घोषणा करते हुए ट्रंप ने कहा कि मेरे साथी अमेरिकियों, यह मुक्ति दिवस है, जिसका लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था। 2 अप्रैल 2025 को वह दिन माना जाएगा जब अमेरिकी उद्योग का पुनर्जन्म हुआ, अमेरिका की किस्मत बदली और हमने अमेरिका को फिर से समृद्ध बनाना शुरू किया है।

ट्रंप के दैरिफ नीति के ऐलान के बाद भारत को अब अमेरिका में अपने सामान भेजने पर 26% टैक्स देना होगा। दूसरे देशों पर भी इसी तरह के टैक्स लगाए जाएंगे। चीन पर 34 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। यह पहले लगाए गए 20 फीसदी के अतिरिक्त है। इस तरह चीन को 54 फीसदी टैरिफ देना होगा। चीन अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है।

पीएम मोदी को बताया अच्छा दोस्त

राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि कुछ देश गलत तरीके से व्यापार कर रहे हैं, इसलिए ये टैरिफ लगाए गए हैं। जिन देशों में अमेरिका से आने वाले सामान पर ज्यादा टैक्स लगता है, उन पर ये टैरिफ लगेंगे। राष्ट्रपति ट्रंप ने रोज गार्डन में "मेक अमेरिकन वेल्दी अगेन" कार्यक्रम में कहा, 'भारत बहुत, बहुत सख्त है। प्रधानमंत्री अभी गए हैं और मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं, लेकिन आप हमारे साथ सही व्यवहार नहीं कर रहे हैं। वे हमसे 52% चार्ज करते हैं और हम उनसे लगभग कुछ भी नहीं लेगे।

भारत भी टैक्स कम करने को तैयार!

2024 में भारत और अमेरिका के बीच 124 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। भारत ने अमेरिका को 81 अरब डॉलर का सामान बेचा, जबकि अमेरिका से 44 अरब डॉलर का सामान खरीदा। इस तरह, भारत को 37 अरब डॉलर का फायदा हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत अमेरिका से आने वाले 23 अरब डॉलर के सामान पर टैक्स कम करने को तैयार है। ये बहुत बड़ी छूट होगी।

इन देशों पर लगाया इतना टैरिफ

कंबोडिया पर सबसे ज्यादा 49 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। वियतनाम को सबसे ज्यादा नुकसान होगा, क्योंकि उसे 46% टैक्स देना होगा। स्विटजरलैंड पर 31, ताइवान पर 32, जापान पर 24, ब्रिटेन पर 10, ब्राजील पर 10, इंडोनेशिया पर 32, सिंगापुर पर 10, दक्षिण अफ्रीका पर 30 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। उन्होंने विदेश से ऑटोमोबाइल के आयात पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया है, जबकि ऑटो पार्ट पर भी इतना ही टैरिफ लगाने की घोषणा की है। ऑटोमोबाइल पर नया टैरिफ 3 अप्रैल से और ऑटो पार्ट 3 मई से प्रभावी होगा।

10 फीसदी टैरिफ वाले देश

यूनाइटेड किंगडम, ब्राजील, सिंगापुर, चिली, ऑस्ट्रेलिया, तुर्की, कोलंबिया, पेरू, न्यूजीलैंड, यूएई, डोमिकन गणराज्य, अर्जेंटीना, इक्वाडोर, ग्वाटेमाला, होंडुरास, मिस्र, सऊदी अरब, अल सल्वाडोर, मोरक्को, त्रिनिदाद और टोबैगो

अमेरिका में किसने की रॉ को बैन करने की मांग? भारतीय एजेंसी पर लगाए कई गंभीर आरोप

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भारत और अमेरिका के बीच काफी अच्छा संबंध है। खासकर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंधों एक नया आयाम स्थापित किया है। हालांकि, एक बार फिर भारत में अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार को लेकर जहर उगला गया है। धार्मिक आजादी पर काम करने वाली यूएस कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (यूएससीआईआरएफ) ने मंगलवार को एक नई रिपोर्ट जारी की। हमेशा की तरह एक बार फिर भारत पर कीचड़ उछाला गया है।

यूएससीआईआरएफ की रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ बुरा बर्ताव बढ़ता जा रहा है। साथ ही अमेरिकी आयोग ने भारत की जासूसी एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है। इसके लिए उसने सिख अलगाववादियों की कथित हत्या में भारतीय एजेंसी की संलिप्तता के बेबुनियाद आरोपों को आधार बनाया है।

भारत की तुलना वियतनाम की कम्युनिस्ट सरकार

रिपोर्ट में भारत की तुलना वियतनाम की कम्युनिस्ट सरकार से कर दी। संस्था ने सुझाव दिया कि भारत और वियतनाम दोनों को खास चिंता वाला देश घोषित किया जाए। दोनों देश चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2024 में धार्मिक आधार पर भारत में अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं। यूएससीआईआरएफ का कहना है कि नागरिक समाज समूहों, धार्मिक अल्पसंख्यकों और पत्रकारों को निशाना बनाने के लिए कानूनों का दुरुपयोग किया जा रहा है।

अमेरिका खुद सख्त प्रवास नीति को लेकर घिरा

अमेरिकी आयोग की ये टिप्पणी भारत की आंतरिक राजनीति और सुरक्षा संबंधी मामलों में दखल देने की कोशिश मानी जा सकती है, जो भारतीय सरकार के लिए विवादास्पद हो सकता है। अमेरिका के इस कदम पर सवाल उठाए जा रहे हैं, क्योंकि खुद अमेरिका का इतिहास भी प्रवासियों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के उल्लंघन से भरा पड़ा है। अमेरिका को खुद दुनियाभर में अपने सख्त प्रवास नीति के तहत प्रवासियों को क्रूर तरीके से निपटने के लिए जाने जाते हुए कई बार आलोचनाओं का सामना करना पड़ता रहा है।

क्या ट्रंप लगाएंगे प्रतिबंध?

रॉ पर उठ रही उंगली के बीच सवाल ये है कि क्या ट्रंप सरकार इस भारतीय एजेंसी को बैन करेगी। विश्लेषकों का कहना है कि वॉशिंगटन ने लंबे समय से नई दिल्ली को एशिया और अन्य जगहों पर चीन के बढ़ते प्रभाव के प्रतिकार के रूप में देखा है। रॉयट्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस बात की संभावना बहुत कम है कि अमेरिकी सरकार भारत की जासूसी संस्था रॉ के खिलाफ प्रतिबंध लगाएगी, क्योंकि पैनल की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं है।

क्या है रॉ?

रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) भारत की प्रमुख विदेशी खुफिया एजेंसी है, जो भारतीय सुरक्षा और खुफिया जानकारी जुटाने का कार्य करती है। इसकी स्थापना 1968 में हुई थी और इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय हितों की रक्षा के लिए विदेशों में खुफिया जानकारी प्राप्त करना है। रॉ आतंकवाद, बाहरी खतरों, और भारत की सुरक्षा से संबंधित अन्य मुद्दों पर निगरानी रखती है। यह विशेष रूप से पाकिस्तान, चीन और अन्य पड़ोसी देशों के बारे में खुफिया जानकारी जुटाने में सक्रिय रहती है। रॉ भारतीय विदेश नीति और सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों में अहम भूमिका निभाती है।

रूस-यूक्रेन के बीच सीजफायर का ऐलान, एनर्जी सेक्टर पर भी नहीं करेंगे हमले

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रूस और यूक्रेन के बीच पिछले कई सालों से युद्ध चल रहा था। इसमें दोनों पक्षों को व्‍यापक पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। खासकर यूक्रेन में व्‍यापक पैमाने पर तबाही मची है। इस बीच भारत समेत कई देशों ने युद्ध विराम की वकालत की है। अब अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की पहल पर दोनों देशों के बीच सीजफायर का ऐलान हुआ है।रूस-यूक्रेन युद्ध विराम को लेकर अमेरिका की मध्यस्थता में वार्ता हो रही। अब व्‍हाइट हाउस ने रूस और यूक्रेन के बीच पहला सीजफायर होने का ऐलान किया है। रूस और यूक्रेन के बीच ब्लैक-सी में जहाजों की सुरक्षित आवाजाही और सैन्य हमले रोकने पर सहमति बन गई है। इसके साथ दोनों देश एक दूसरे के ऊर्जा ठिकानों पर हमला रोकने का उपाय डेवलप करेंगे।

व्हाइट हाउस ने बयान जारी कर कहा- दोनों देश ब्लैक-सी के इलाके में जहाजों की सुरक्षित आवाजाही तय करने, बल प्रयोग को रोकने और सैन्य मकसद लिए कॉमर्शियल जहाजों का इस्तेमाल रोकने पर सहमत हो गए हैं। अमेरिका युद्धबंदियों की अदला-बदली, नागरिकों की रिहाई और निर्वासित यूक्रेनी बच्चों की वापसी में मदद करेगा।

अमेरिका ने इसे लेकर यूक्रेन और रूस से अलग-अलग समझौते किए हैं। अगर ये समझौते लागू होते हैं तो रूस और यूक्रेन में व्यापर युद्धविराम की दिशा में अब तक की सबसे स्पष्ट प्रगति होगी। अमेरिका ने इसे यूक्रेन और रूस के तीन साल पुराने युद्ध को समाप्त करने के लिए शांति वार्ता की दिशा में बहुत बड़ा कदम बताया है।

दोनों देशों ने कहा कि वे समझौतों को लागू करने के लिए वाशिंगटन पर निर्भर रहेंगे। यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि ब्लैक-सी और ऊर्जा ठिकानों पर हमला न करने का सीजफायर तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। अगर रूस ने इस समझौते को तोड़ा तो वो राष्ट्रपति ट्रम्प से रूस पर और ज्यादा प्रतिबंध लगाने की मांग करेंगे।

अमेरिका से पहले रूस के राष्ट्रपति ऑफिस क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने कहा था कि सीजफायर को लेकर कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है। अभी कई दौर की बैठकें और होंगी। उन्होंने कहा कि रियाद में अमेरिकी अधिकारियों से हुई बैठक को जो भी नतीजा निकला उसे दोनों देशों के राष्ट्रपतियों तक पहुंचा दिया गया है। अब दोनों देश इस पर सोच-विचार करेंगे।

ये समझौते सऊदी अरब में अमेरिका, रूस और यूक्रेन के बीच अलग-अलग बातचीत के बाद हुए हैं। सोमवार को अमेरिका और रूस के बीच सऊदी अरब के रियाद में 12 घंटे से ज्यादा बैठक हुई थी।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस आने वाले हैं भारत, टैरिफ और इमिग्रेशन पर मचे हड़कंप के बीच दौरा कितना अहम?

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अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस जल्द भारत की यात्रा पर आने वाले हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उपराष्ट्रपति जे डी वेंस इस महीने के अंत में भारत की यात्रा कर सकते हैं। उनके साथ उनकी पत्नी अमेरिका की सेकंड लेडी उषा वेंस भी दौरे पर आएंगी। बता दें कि उषा वेंष भारतीय मूल की हैं।अमेरिका का उपराष्ट्रपति बनने के बाद जेडी वेंस की यह दूसरी विदेश यात्रा होगी। वेंस ने पिछले महीने फ्रांस और जर्मनी की अपनी पहली विदेश यात्रा की थी।

अमेरिकी मीडिया आउटलेट पॉलिटिको ने अपनी रिपोर्ट में इस बारे में जानकारी दी है। पॉलिटिको की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वेंस अपनी पत्नी उषा वेंस के साथ इस महीने के अंत में भारत की यात्रा करेंगे। अखबार ने योजना की जानकारी रखने वाले तीन सूत्रों का हवाला देते हुए यह जानकारी दी है। भारत यात्रा के दौरान टैरिफ और आप्रवासन के मुद्दे पर बात हो सकती है।

इससे पहले पेरिस एआई एक्शन समिट के दौरान उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने अपने परिवार के साथ पीएम मोदी से मुलाकात की थी। इस दौरान पीएम मोदी को उन्होंने दयालु बताया था। पीएम मोदी ने जेडी वेंस के बच्चों को उपहार भी दिया था।

बता दें कि जेडी वेंस की पत्नी उषा वेंस के माता-पिता कृष चिलुकुरी और लक्ष्मी चिलुकुरी 1970 के दशक के अंत में भारत से अमेरिका चले गए थे। ऐसे में उषा वेंस की अमेरिका की द्वितीय महिला के रूप में भारत की यह यात्रा अपने पैतृक देश की पहली यात्रा होगी। उषा और जेडी की मुलाकात येल लॉ स्कूल में पढ़ाई के दौरान हुई थी। उषा एक मुकदमेबाज हैं और उन्होंने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जॉन जी रॉबर्ट्स और डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया सर्किट के तत्कालीन अमेरिकी अपील कोर्ट के जज ब्रेट कैवनौघ के लिए क्लर्क का काम भी किया है। उनके पास येल विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री भी है, जहाँ वे गेट्स कैम्ब्रिज स्कॉलर थीं।

जेलेंस्की के “झुकने” के बाद भी कम नहीं हुआ ट्रंप का “गुस्सा”, अमेरिका ने यूक्रेन की सैन्य मदद पर लगाई रोक

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की पर बुरी तरह भड़के हुए है। बीते दिनों राष्ट्रपति ट्रंप और जेलेंस्की के बीच नोंकझोंक के बाद स्थिति और बिगड़ गई। इस तकरार के बाद अमेरिका ने तुरंत प्रभाव से यूक्रेन की सैन्य सहायता रोक दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन को दी जाने वाली सभी सैन्य सहायता को रोकने का आदेश दिया है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी रक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ट्रंप प्रशासन ने फैसला किया है कि जब तक यूक्रेन के नेता शांति के लिए साफ नीयत नहीं दिखाते, तब तक सभी सैन्य सहायता रोकी जाएगी। इसका मतलब है कि जो भी अमेरिकी सैन्य उपकरण यूक्रेन को भेजे जाने थे, उन्हें फिलहाल रोक दिया गया है। इसमें वे हथियार भी शामिल हैं जो पहले से जहाजों या विमानों में लोड हो चुके थे या पोलैंड के ट्रांजिट क्षेत्रों में थे।

ब्लूमबर्ग न्यूज ने ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों के हवाले से बताया कि ट्रंप तब तक सभी सहायता रोक देंगे जब तक कि कीव शांति के लिए बात करने के लिए प्रतिबद्धता न दिखाए। ट्रंप ने ये आदेश अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में ज़ेलेंस्की पर आरोप लगाने के कुछ घंटों बाद दिया है। ट्रंप ने आरोप लगाया था कि जेलेंस्की जब तक अमेरिका का समर्थन उनके साथ है शांति नहीं चाहते हैं।

बताया जा रहा है कि ट्रंप रूस के साथ चल रहे युद्ध को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए यूक्रेन पर दबाव बनाना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि जेलेंस्की भी इसमें उनका साथ दें। मगर जेलेंस्की ने युद्ध समाप्त करने के लिए सुरक्षा की गारंटी मांग रहे हैं। इससे पहले जब जेलेंस्की ने कहा कि रूस के साथ युद्ध समाप्ति का समझौता करने का समय अभी नहीं है। तो ट्रंप ने इसे यूक्रेनी नेता का सबसे खराब बयान बताया था। ट्रंप ने कहा था कि जेलेंस्की के इस बयान को अमेरिका अधिक समय तक बर्दाश्त नहीं करेगा।

बता दें कि शुक्रवार को वाशिंगटन में व्हाइट हाउस में जेलेंस्की और ट्रंप की मीटिंग के दौरान विवाद हुआ था। जेलेंस्की वहां एक खनिज समझौते पर हस्ताक्षर करने आए थे, लेकिन जब उन्होंने अमेरिका से भविष्य में रूस के हमले के खिलाफ सुरक्षा गारंटी मांगी। जिसके बाद विवाद बढ़ता गया और यह सौदा रद्द हो गया। बैठक के बाद अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने ज़लेंस्की को 'अकृतज्ञ' कहा, जबकि दूसरी तरफ ट्रंप ने उन पर 'तीसरे विश्व युद्ध के लिए आग भड़काने का आरोप लगाया। डोनाल्ड ट्रंप और जेलेंस्की के बीच हुई तीखी बहस सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है।

अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध के तेज होने पर चीन ने 'टैरिफ 104' का उल्लेख करने वाले हैशटैग को किया सेंसर

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Img source: Stabroeknews

जैसे-जैसे अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध तेज होता जा रहा है, बीजिंग ने सोशल मीडिया पर टैरिफ से संबंधित कुछ सामग्री को सेंसर करना शुरू कर दिया है, समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर "टैरिफ" या "104" (प्रतिशत में टैरिफ राशि) के लिए हैशटैग और खोजों को ब्लॉक कर दिया गया है, जिसके पेज पर एक त्रुटि संदेश दिखाई दे रहा है। हैशटैग ने एक त्रुटि संदेश लौटाया जिसमें कहा गया था: "क्षमा करें, इस विषय की सामग्री प्रदर्शित नहीं की जा रही है," न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया।

सेंसरशिप वीचैट तक भी फैली हुई है, जहां ट्रम्प के टैरिफ के नकारात्मक प्रभाव को उजागर करने वाली चीनी कंपनियों की कई पोस्ट को हटा दिया गया था, रॉयटर्स द्वारा की गई समीक्षा में पाया गया।

सेंसर किए गए पोस्ट पर एक ही लेबल लगा था, जिसमें लिखा था कि "सामग्री पर संबंधित कानूनों, विनियमों और नीतियों का उल्लंघन करने का संदेह है"। दूसरी ओर, रॉयटर्स के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका का मज़ाक उड़ाने वाले और उत्तरी अमेरिकी देश में अंडों की कमी का सुझाव देने वाले हैशटैग वीबो पर सबसे ज़्यादा देखे गए।

चीनी सरकारी प्रसारक CCTV ने भी इसी तर्ज पर एक हैशटैग शुरू किया: "#UShastradewarandaneggshortage।"

अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध

जनवरी में पदभार ग्रहण करने के बाद से, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीनी वस्तुओं पर टैरिफ में पाँच बार वृद्धि की है।

10% की पहली दो बढ़ोतरी को विश्लेषकों ने चीन की ओर से एक संतुलित प्रतिक्रिया के रूप में वर्णित किया, जिसने बातचीत के लिए दरवाज़ा खुला छोड़ दिया। लेकिन ट्रम्प द्वारा पिछले सप्ताह अपने "मुक्ति दिवस" ​​पर अन्य देशों पर टैरिफ के साथ-साथ चीनी वस्तुओं पर अतिरिक्त 34% शुल्क की घोषणा करने के बाद, चीन ने अमेरिका से आयात पर 34% टैरिफ के साथ इसकी बराबरी की।

चीन की जवाबी कार्रवाई के बाद, ट्रम्प ने चीन से आने वाले सामानों पर 50% टैरिफ जोड़ दिया, और कहा कि बातचीत समाप्त हो गई है, और संचयी अमेरिकी टैरिफ को 104% तक ले आया।

चीन ने फिर से अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ को उसी राशि से बढ़ाकर जवाब दिया, जिससे इसकी कुल दर 84% हो गई।

फिर ट्रम्प ने व्यापार भागीदारों पर उच्च टैरिफ पर 90-दिवसीय रोक की घोषणा की, लेकिन चीन पर शुल्क बढ़ाकर 125% कर दिया।

इस बीच, दोनों देशों के बीच तनाव के बीच, चीन ने अपने नागरिकों को संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा करने से पहले "जोखिमों का आकलन" करने की चेतावनी दी है।

चीन-अमेरिका में गहराया टैरिफ वॉर, अब ड्रैगन ने यूएस प्रोडक्ट्स पर लगाया 84% एक्स्ट्रा टैरिफ

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अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर गहरा गया है। अमेरिका के “एक्शन” पर ड्रैगन ने “रिएक्शन” दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी सामान पर 104% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद अब चीन ने पलटवार करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ 34% से बढ़ाकर 84% कर दिया है।

टैरिफ आयातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला एक प्रकार का टैक्स है। टैरिफ को लेकर अमेरिका और चीन में टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। डोनाल्ड ट्रंप के 104 प्रतिशत वाले टैरिफ के जवाब में चीन ने भी करारा जवाब दिया है। चीन ने अब अमेरिकी सामानों पर 84 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है। चीन के कॉमर्स मंत्रालय ने इस बात की घोषणा की। चीनी मंत्री के अनुसार यह टैरिफ कल से लागू होगा।

चीन के कॉमर्स मिनिस्ट्री ने भी अमेरिका को जवाब देते हुए 12 अमेरिकी संस्थाओं को अपनी एक्सपोर्ट कंट्रोल लिस्ट में डाल दिया है। साथ ही, 6 अमेरिकी कंपनियों को "अविश्वसनीय संस्थाओं" (Unreliable Entity) की लिस्ट में शामिल किया गया है।

टैरिफ के कारण अब चीन में अमेरिका का सामान महंगा हो जाएगा। इसके कारण चीन में अमेरिकी वस्तुओं का निर्यात कम हो सकता है और वो अधिक महंगे हो सकते हैं।

इससे पहले व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलाइन लेविट ने कहा था कि चीन की जवाबी कार्रवाई एक भारी गलती थी। मंगलवार को उन्होंने कहा, "जब अमेरिका पर कोई वार करता है, तो राष्ट्रपति ट्रंप और जोर से पलटवार करते हैं। यही वजह है कि अब चीन पर मंगलवार रात 12 बजे से 104 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है। हालांकि, अगर चीन बातचीत करना चाहता है, तो राष्ट्रपति ट्रंप बेहद उदारता से उसका स्वागत करेंगे।"

ट्रंप की नीतियों से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा है। पूरी दुनिया में लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं और इसे एक गलत फैसला करार दे रहे हैं। लेकिन मंगलवार को ट्रंप ने अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया। ट्रंप ने वाशिंगटन में रिपब्लिकन डिनर में कहा, ‘मुझे पता है मैं क्या कर रहा हूं।’ यही नहीं, ट्रंप ने अब दवा आयात पर भी ‘बड़ा’ टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। हालांकि, अब तक इसकी तारीख तय नहीं की है।

लागू हो गया ट्रंप का नया टैरिफ: चीन पर फिर चला अमेरिकी “चाबुक”

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ बुधवार आधी रात के बाद पूरी तरह से लागू हो गए।अमेरिका के स्थानीय समयानुसार मंगलवार आधी रात से भारत समेत दर्जनों देशों पर ट्रंप का जवाबी टैरिफ लागू हो गया है।इसके तहत भारत पर अब 26 फीसदी टैरिफ प्रभावी हो गया है। इसके साथ ही उन लगभग 60 देशों पर भी टैरिफ लग गए, जिन्हें ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका पर 'सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले सबसे खराब देश' बताया था। ट्रंप ने 2 अप्रैल को जवाबी टैरिफ का एलान किया था।

नया टैरिफ लागू होने से पहले अमेरिका ने चीन पर एक बार फिर “चाबुक” चलाया है। अमेरिका ने चीनी सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ को प्रभावी करने का फैसला लिया है। व्हाइट हाउस ने ऐलान किया है कि चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों पर 104 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है और अतिरिक्त शुल्क मंगलवार आधी रात यानी 9 अप्रैल से शुरू हो जाएंगे। यह वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच जारी ट्रेड वॉर में अब तक उठाए गए सबसे आक्रामक कदमों में से एक है। फॉक्स बिजनेस के अनुसार, व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि चीन ने अमेरिका पर अपने प्रतिशोधी टैरिफ को नहीं हटाया है। ऐसे में अमेरिका कल, 9 अप्रैल से चीनी आयात पर कुल 104% टैरिफ लगाना शुरू कर देगा।

चीन की धमकी के बाद यूएस का एक्शन

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को चीन पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कही थी। डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था कि अगर चीन ने अमेरिका पर लगाए गए 34% टैरिफ को वापस नहीं लिया, तो अमेरिका भी उस पर 50% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा। अब व्हाइट हाउस की ओर से इस धमकी को अमलीजामा पहनाते हुए कुल 104% टैरिफ की घोषणा कर दी गई है।

बता दें कि ट्रंप ने चीन की ओर से अमेरिकी सामानों पर 34 प्रतिशत का जवाबी टैरिफ लगाने के बाद ये चेतावनी दी थी।

चीन ने कहा था- अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला रवैया

ट्रंप के बयान पर कल चीन ने कहा था कि हमारे ऊपर लगे टैरिफ को और बढ़ाने की धमकी देकर अमेरिका गलती के ऊपर गलती कर रहा है। इस धमकी से अमेरिका का ब्लैकमेलिंग करने वाला रवैया सामने आ रहा है। चीन इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। अगर अमेरिका अपने हिसाब से चलने की जिद करेगा तो चीन भी आखिर तक लड़ेगा।

रविवार को चीन ने दुनिया के लिए साफ संदेश भेजा था- ‘अगर ट्रेड वॉर हुआ, तो चीन पूरी तरह तैयार है- और इससे और मजबूत होकर निकलेगा।‘ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपल्स डेली ने रविवार को एक टिप्पणी में लिखा: 'अमेरिकी टैरिफ का असर जरूर होगा, लेकिन 'आसमान नहीं गिरेगा।'

“अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला व्यवहार उजागर” टैफिक को लेकर भड़के चीन ने चेताया, ट्रेड वॉर की बढ़ी आशंका


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दुनिया की दो सबसे बड़ी इकॉनमी वाले देशों अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन पर 50 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ की धमकी दी है। मंगलवार को चीन ने अमेरिका को कड़ा संदेश दिया है। डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को अमेरिका में आयातित सभी चीनी वस्तुओं पर अतिरिक्त 34% टैरिफ की घोषणा की। मौजूदा टैरिफ लागू होने पर अमेरिका में सभी चीनी आयातों पर शुल्क 54% से अधिक हो जाएगा। जवाब में शुक्रवार को बीजिंग ने सभी अमेरिकी आयातों पर 34% टैरिफ का एलान कर दिया। इससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अमेरिका का चीन पर तथाकथित पारस्परिक टैरिफ लगाना पूरी तरह से गलत है। यह एकतरफा दादागीरी है। चीन ने पहले भी जवाबी टैरिफ लगाए हैं। मंत्रालय ने संकेत दिया कि और भी टैरिफ लगाए जा सकते हैं।

“अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला व्यवहार उजागर”

मंत्रालय के मुताबिक, चीन के प्रतिक्रियात्मक उपाय उसकी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा करने के लिए हैं। यह सामान्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था को बनाए रखने के उद्देश्य उठाए गए पूरी तरह से वैध उपाय हैं। इसके अलावा चीन पर टैरिफ बढ़ाने की अमेरिकी धमकी एक गलती के ऊपर की गई एक और गलती है। इससे एक बार फिर अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला व्यवहार उजागर हो गया है। चीन इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। अगर अमेरिका अपने तरीके पर अड़ा रहा, तो चीन अंत तक लड़ेगा।

ट्रेड वॉर गहराने की आशंका की चिंता

चीन ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब ट्रंप द्वारा चीन पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की सोमवार को धमकी दिए जाने के बाद से यह चिंता बढ़ गई है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को पुनर्संतुलित करने का उनका प्रयास आर्थिक रूप से विनाशकारी व्यापार युद्ध के खतरे को और बढ़ा सकता है।

ट्रंप ने दी धमकी

इससे पहले, ट्रंप ने सोमवार को चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। ट्रंप की धमकी तब आई जब चीन ने कहा कि वह अमेरिका द्वारा पिछले सप्ताह घोषित टैरिफ का जवाब देगा। ट्रंप ने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रूथ सोशल’ पर लिखा, ‘‘अगर चीन आठ अप्रैल 2025 तक अपने पहले से ही दीर्घकालिक व्यापार दुरुपयोगों से ऊपर 34 प्रतिशत की वृद्धि को वापस नहीं लेता है तो हम चीन पर 50 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगाएंगे जो नौ अप्रैल से प्रभावी हो जाएगा।

चीन-अमेरिका में ट्रैरिफ वार, अब ड्रैगन ने अमेरिकी उत्पादों पर लगाया 34 फीसदी जवाबी टैक्स

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अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वार शुरू हो गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर लगाए गए टैरिफ के बाद बिजिंग और वाशिंगटन से भिड़ंत हो गयी है। ट्रंप ने 2 अप्रैल को चीन सहित कई देशों पर रेसीप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। ट्रंप के इस फैसले का चीन ने विरोध भी किया था। अब चीन ने अमेरिका को उसकी की भाषा में जवाब दिया है। दरअसल, चीन ने सभी अमेरिकी उत्पादों पर 34 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है।

चीन ने शुक्रवार को सभी अमेरिकी वस्तुओं पर 10 अप्रैल से एक्स्ट्रा टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया है। इतना ही नहीं चीन ने यह भी कहा कि वे अमेरिका से आने वाले मेडिकल सीटी एक्स-रे ट्यूबों की जांच शुरू करेंगे और दो अमेरिकी कंपनियों से पोल्ट्री उत्पादों के आयात पर रोक लगाएंगे।

गैडोलीनियम और यिट्रियम जैसी धातुओं के निर्यात पर भी सख्ती

इसके अलावा चीन ने कहा कि वह 11 अमेरिकी कंपनियों को अपनी “अविश्वसनीय संस्थाओं” की लिस्ट में शामिल कर रहा है। जो उन्हें चीन में या चीनी कंपनियों के साथ व्यापार करने से रोकती हैं। इतना ही नहीं, चीन ने बेशकीमती गैडोलीनियम और यिट्रियम समेत कुछ अन्य धातुओं के निर्यात पर भी सख्ती बरतने का संकेत दिया है। खास बात यह है कि इन सभी धातुओं का खनन चीन में सबसे ज्यादा किया जाता है। इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक कारों से लेकर स्मार्ट बमों तक हर चीज में होता है।

पहले अमेरिका ने चलाया टैरिफ वाला चाबुक

अमेरिका ने चीन द्वारा जवाबी टैक्स का ऐलान करने से पहले भारत और चीन समेत अन्य देशों पर 2 अप्रैल से भारी-भरकम टैरिफ लागू किया था। इसमें चीन से आने वाले सामान पर 34% आयात कर लगाने का ऐलान किया था। वहीं यूरोपीय यूनियन से आयात पर 20 फीसदी, दक्षिण कोरियाई के उत्पादों पर 25 फीसदी,ताइवान के उत्पादों पर 32 फीसदी और जापानी उत्पादों पर 24 फीसदी टैक्स लागू करने का ऐलान किया था। इसके अलावा सभी विदेशी ऑटोमोबाइल पर 25 फीसदी का टैरिफ लगाया है। इसके पीछे ट्रंप का तर्क था कि हम सभी देशों के व्यापार और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करने को कदम उठाते हैं। उनकी सेना समेत अन्य कामों के लिए खर्चा देते हैं, लेकिन वह हम पर भारी टैरिफ लगाते हैं। अब ऐसा नहीं चलेगा। हम किसी के लिए इतना सब कुछ क्यों करेंगे।

ट्रंप के टैरिफ का ऐलानः दोस्त मोदी पर दिखाई ‘मेहरबानी’, भारत पर लगाया 26% टैरिफ

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आखिरकार रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा कर दी है। उन्होंने 185 देशों से आने वाले सामान पर टैरिफ लगाया है। यह अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़ा टैरिफ है। ट्रंप ने इंटरनेशनल व्यापार नीति को लेकर बड़ा कदम उठाया है। ट्रंप ने इसे डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ नाम दिया है। बुधवार (2 अप्रैल) को व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में 'मुक्ति दिवस' की घोषणा करते हुए ट्रंप ने कहा कि मेरे साथी अमेरिकियों, यह मुक्ति दिवस है, जिसका लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था। 2 अप्रैल 2025 को वह दिन माना जाएगा जब अमेरिकी उद्योग का पुनर्जन्म हुआ, अमेरिका की किस्मत बदली और हमने अमेरिका को फिर से समृद्ध बनाना शुरू किया है।

ट्रंप के दैरिफ नीति के ऐलान के बाद भारत को अब अमेरिका में अपने सामान भेजने पर 26% टैक्स देना होगा। दूसरे देशों पर भी इसी तरह के टैक्स लगाए जाएंगे। चीन पर 34 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। यह पहले लगाए गए 20 फीसदी के अतिरिक्त है। इस तरह चीन को 54 फीसदी टैरिफ देना होगा। चीन अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है।

पीएम मोदी को बताया अच्छा दोस्त

राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि कुछ देश गलत तरीके से व्यापार कर रहे हैं, इसलिए ये टैरिफ लगाए गए हैं। जिन देशों में अमेरिका से आने वाले सामान पर ज्यादा टैक्स लगता है, उन पर ये टैरिफ लगेंगे। राष्ट्रपति ट्रंप ने रोज गार्डन में "मेक अमेरिकन वेल्दी अगेन" कार्यक्रम में कहा, 'भारत बहुत, बहुत सख्त है। प्रधानमंत्री अभी गए हैं और मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं, लेकिन आप हमारे साथ सही व्यवहार नहीं कर रहे हैं। वे हमसे 52% चार्ज करते हैं और हम उनसे लगभग कुछ भी नहीं लेगे।

भारत भी टैक्स कम करने को तैयार!

2024 में भारत और अमेरिका के बीच 124 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। भारत ने अमेरिका को 81 अरब डॉलर का सामान बेचा, जबकि अमेरिका से 44 अरब डॉलर का सामान खरीदा। इस तरह, भारत को 37 अरब डॉलर का फायदा हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत अमेरिका से आने वाले 23 अरब डॉलर के सामान पर टैक्स कम करने को तैयार है। ये बहुत बड़ी छूट होगी।

इन देशों पर लगाया इतना टैरिफ

कंबोडिया पर सबसे ज्यादा 49 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। वियतनाम को सबसे ज्यादा नुकसान होगा, क्योंकि उसे 46% टैक्स देना होगा। स्विटजरलैंड पर 31, ताइवान पर 32, जापान पर 24, ब्रिटेन पर 10, ब्राजील पर 10, इंडोनेशिया पर 32, सिंगापुर पर 10, दक्षिण अफ्रीका पर 30 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। उन्होंने विदेश से ऑटोमोबाइल के आयात पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया है, जबकि ऑटो पार्ट पर भी इतना ही टैरिफ लगाने की घोषणा की है। ऑटोमोबाइल पर नया टैरिफ 3 अप्रैल से और ऑटो पार्ट 3 मई से प्रभावी होगा।

10 फीसदी टैरिफ वाले देश

यूनाइटेड किंगडम, ब्राजील, सिंगापुर, चिली, ऑस्ट्रेलिया, तुर्की, कोलंबिया, पेरू, न्यूजीलैंड, यूएई, डोमिकन गणराज्य, अर्जेंटीना, इक्वाडोर, ग्वाटेमाला, होंडुरास, मिस्र, सऊदी अरब, अल सल्वाडोर, मोरक्को, त्रिनिदाद और टोबैगो

अमेरिका में किसने की रॉ को बैन करने की मांग? भारतीय एजेंसी पर लगाए कई गंभीर आरोप

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भारत और अमेरिका के बीच काफी अच्छा संबंध है। खासकर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंधों एक नया आयाम स्थापित किया है। हालांकि, एक बार फिर भारत में अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार को लेकर जहर उगला गया है। धार्मिक आजादी पर काम करने वाली यूएस कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (यूएससीआईआरएफ) ने मंगलवार को एक नई रिपोर्ट जारी की। हमेशा की तरह एक बार फिर भारत पर कीचड़ उछाला गया है।

यूएससीआईआरएफ की रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ बुरा बर्ताव बढ़ता जा रहा है। साथ ही अमेरिकी आयोग ने भारत की जासूसी एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है। इसके लिए उसने सिख अलगाववादियों की कथित हत्या में भारतीय एजेंसी की संलिप्तता के बेबुनियाद आरोपों को आधार बनाया है।

भारत की तुलना वियतनाम की कम्युनिस्ट सरकार

रिपोर्ट में भारत की तुलना वियतनाम की कम्युनिस्ट सरकार से कर दी। संस्था ने सुझाव दिया कि भारत और वियतनाम दोनों को खास चिंता वाला देश घोषित किया जाए। दोनों देश चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2024 में धार्मिक आधार पर भारत में अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं। यूएससीआईआरएफ का कहना है कि नागरिक समाज समूहों, धार्मिक अल्पसंख्यकों और पत्रकारों को निशाना बनाने के लिए कानूनों का दुरुपयोग किया जा रहा है।

अमेरिका खुद सख्त प्रवास नीति को लेकर घिरा

अमेरिकी आयोग की ये टिप्पणी भारत की आंतरिक राजनीति और सुरक्षा संबंधी मामलों में दखल देने की कोशिश मानी जा सकती है, जो भारतीय सरकार के लिए विवादास्पद हो सकता है। अमेरिका के इस कदम पर सवाल उठाए जा रहे हैं, क्योंकि खुद अमेरिका का इतिहास भी प्रवासियों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के उल्लंघन से भरा पड़ा है। अमेरिका को खुद दुनियाभर में अपने सख्त प्रवास नीति के तहत प्रवासियों को क्रूर तरीके से निपटने के लिए जाने जाते हुए कई बार आलोचनाओं का सामना करना पड़ता रहा है।

क्या ट्रंप लगाएंगे प्रतिबंध?

रॉ पर उठ रही उंगली के बीच सवाल ये है कि क्या ट्रंप सरकार इस भारतीय एजेंसी को बैन करेगी। विश्लेषकों का कहना है कि वॉशिंगटन ने लंबे समय से नई दिल्ली को एशिया और अन्य जगहों पर चीन के बढ़ते प्रभाव के प्रतिकार के रूप में देखा है। रॉयट्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस बात की संभावना बहुत कम है कि अमेरिकी सरकार भारत की जासूसी संस्था रॉ के खिलाफ प्रतिबंध लगाएगी, क्योंकि पैनल की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं है।

क्या है रॉ?

रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) भारत की प्रमुख विदेशी खुफिया एजेंसी है, जो भारतीय सुरक्षा और खुफिया जानकारी जुटाने का कार्य करती है। इसकी स्थापना 1968 में हुई थी और इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय हितों की रक्षा के लिए विदेशों में खुफिया जानकारी प्राप्त करना है। रॉ आतंकवाद, बाहरी खतरों, और भारत की सुरक्षा से संबंधित अन्य मुद्दों पर निगरानी रखती है। यह विशेष रूप से पाकिस्तान, चीन और अन्य पड़ोसी देशों के बारे में खुफिया जानकारी जुटाने में सक्रिय रहती है। रॉ भारतीय विदेश नीति और सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों में अहम भूमिका निभाती है।

रूस-यूक्रेन के बीच सीजफायर का ऐलान, एनर्जी सेक्टर पर भी नहीं करेंगे हमले

#america_on_russia_ukraine_ceasefire

रूस और यूक्रेन के बीच पिछले कई सालों से युद्ध चल रहा था। इसमें दोनों पक्षों को व्‍यापक पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। खासकर यूक्रेन में व्‍यापक पैमाने पर तबाही मची है। इस बीच भारत समेत कई देशों ने युद्ध विराम की वकालत की है। अब अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की पहल पर दोनों देशों के बीच सीजफायर का ऐलान हुआ है।रूस-यूक्रेन युद्ध विराम को लेकर अमेरिका की मध्यस्थता में वार्ता हो रही। अब व्‍हाइट हाउस ने रूस और यूक्रेन के बीच पहला सीजफायर होने का ऐलान किया है। रूस और यूक्रेन के बीच ब्लैक-सी में जहाजों की सुरक्षित आवाजाही और सैन्य हमले रोकने पर सहमति बन गई है। इसके साथ दोनों देश एक दूसरे के ऊर्जा ठिकानों पर हमला रोकने का उपाय डेवलप करेंगे।

व्हाइट हाउस ने बयान जारी कर कहा- दोनों देश ब्लैक-सी के इलाके में जहाजों की सुरक्षित आवाजाही तय करने, बल प्रयोग को रोकने और सैन्य मकसद लिए कॉमर्शियल जहाजों का इस्तेमाल रोकने पर सहमत हो गए हैं। अमेरिका युद्धबंदियों की अदला-बदली, नागरिकों की रिहाई और निर्वासित यूक्रेनी बच्चों की वापसी में मदद करेगा।

अमेरिका ने इसे लेकर यूक्रेन और रूस से अलग-अलग समझौते किए हैं। अगर ये समझौते लागू होते हैं तो रूस और यूक्रेन में व्यापर युद्धविराम की दिशा में अब तक की सबसे स्पष्ट प्रगति होगी। अमेरिका ने इसे यूक्रेन और रूस के तीन साल पुराने युद्ध को समाप्त करने के लिए शांति वार्ता की दिशा में बहुत बड़ा कदम बताया है।

दोनों देशों ने कहा कि वे समझौतों को लागू करने के लिए वाशिंगटन पर निर्भर रहेंगे। यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि ब्लैक-सी और ऊर्जा ठिकानों पर हमला न करने का सीजफायर तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। अगर रूस ने इस समझौते को तोड़ा तो वो राष्ट्रपति ट्रम्प से रूस पर और ज्यादा प्रतिबंध लगाने की मांग करेंगे।

अमेरिका से पहले रूस के राष्ट्रपति ऑफिस क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने कहा था कि सीजफायर को लेकर कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है। अभी कई दौर की बैठकें और होंगी। उन्होंने कहा कि रियाद में अमेरिकी अधिकारियों से हुई बैठक को जो भी नतीजा निकला उसे दोनों देशों के राष्ट्रपतियों तक पहुंचा दिया गया है। अब दोनों देश इस पर सोच-विचार करेंगे।

ये समझौते सऊदी अरब में अमेरिका, रूस और यूक्रेन के बीच अलग-अलग बातचीत के बाद हुए हैं। सोमवार को अमेरिका और रूस के बीच सऊदी अरब के रियाद में 12 घंटे से ज्यादा बैठक हुई थी।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस आने वाले हैं भारत, टैरिफ और इमिग्रेशन पर मचे हड़कंप के बीच दौरा कितना अहम?

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अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस जल्द भारत की यात्रा पर आने वाले हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उपराष्ट्रपति जे डी वेंस इस महीने के अंत में भारत की यात्रा कर सकते हैं। उनके साथ उनकी पत्नी अमेरिका की सेकंड लेडी उषा वेंस भी दौरे पर आएंगी। बता दें कि उषा वेंष भारतीय मूल की हैं।अमेरिका का उपराष्ट्रपति बनने के बाद जेडी वेंस की यह दूसरी विदेश यात्रा होगी। वेंस ने पिछले महीने फ्रांस और जर्मनी की अपनी पहली विदेश यात्रा की थी।

अमेरिकी मीडिया आउटलेट पॉलिटिको ने अपनी रिपोर्ट में इस बारे में जानकारी दी है। पॉलिटिको की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वेंस अपनी पत्नी उषा वेंस के साथ इस महीने के अंत में भारत की यात्रा करेंगे। अखबार ने योजना की जानकारी रखने वाले तीन सूत्रों का हवाला देते हुए यह जानकारी दी है। भारत यात्रा के दौरान टैरिफ और आप्रवासन के मुद्दे पर बात हो सकती है।

इससे पहले पेरिस एआई एक्शन समिट के दौरान उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने अपने परिवार के साथ पीएम मोदी से मुलाकात की थी। इस दौरान पीएम मोदी को उन्होंने दयालु बताया था। पीएम मोदी ने जेडी वेंस के बच्चों को उपहार भी दिया था।

बता दें कि जेडी वेंस की पत्नी उषा वेंस के माता-पिता कृष चिलुकुरी और लक्ष्मी चिलुकुरी 1970 के दशक के अंत में भारत से अमेरिका चले गए थे। ऐसे में उषा वेंस की अमेरिका की द्वितीय महिला के रूप में भारत की यह यात्रा अपने पैतृक देश की पहली यात्रा होगी। उषा और जेडी की मुलाकात येल लॉ स्कूल में पढ़ाई के दौरान हुई थी। उषा एक मुकदमेबाज हैं और उन्होंने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जॉन जी रॉबर्ट्स और डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया सर्किट के तत्कालीन अमेरिकी अपील कोर्ट के जज ब्रेट कैवनौघ के लिए क्लर्क का काम भी किया है। उनके पास येल विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री भी है, जहाँ वे गेट्स कैम्ब्रिज स्कॉलर थीं।

जेलेंस्की के “झुकने” के बाद भी कम नहीं हुआ ट्रंप का “गुस्सा”, अमेरिका ने यूक्रेन की सैन्य मदद पर लगाई रोक

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की पर बुरी तरह भड़के हुए है। बीते दिनों राष्ट्रपति ट्रंप और जेलेंस्की के बीच नोंकझोंक के बाद स्थिति और बिगड़ गई। इस तकरार के बाद अमेरिका ने तुरंत प्रभाव से यूक्रेन की सैन्य सहायता रोक दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन को दी जाने वाली सभी सैन्य सहायता को रोकने का आदेश दिया है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी रक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ट्रंप प्रशासन ने फैसला किया है कि जब तक यूक्रेन के नेता शांति के लिए साफ नीयत नहीं दिखाते, तब तक सभी सैन्य सहायता रोकी जाएगी। इसका मतलब है कि जो भी अमेरिकी सैन्य उपकरण यूक्रेन को भेजे जाने थे, उन्हें फिलहाल रोक दिया गया है। इसमें वे हथियार भी शामिल हैं जो पहले से जहाजों या विमानों में लोड हो चुके थे या पोलैंड के ट्रांजिट क्षेत्रों में थे।

ब्लूमबर्ग न्यूज ने ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों के हवाले से बताया कि ट्रंप तब तक सभी सहायता रोक देंगे जब तक कि कीव शांति के लिए बात करने के लिए प्रतिबद्धता न दिखाए। ट्रंप ने ये आदेश अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में ज़ेलेंस्की पर आरोप लगाने के कुछ घंटों बाद दिया है। ट्रंप ने आरोप लगाया था कि जेलेंस्की जब तक अमेरिका का समर्थन उनके साथ है शांति नहीं चाहते हैं।

बताया जा रहा है कि ट्रंप रूस के साथ चल रहे युद्ध को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए यूक्रेन पर दबाव बनाना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि जेलेंस्की भी इसमें उनका साथ दें। मगर जेलेंस्की ने युद्ध समाप्त करने के लिए सुरक्षा की गारंटी मांग रहे हैं। इससे पहले जब जेलेंस्की ने कहा कि रूस के साथ युद्ध समाप्ति का समझौता करने का समय अभी नहीं है। तो ट्रंप ने इसे यूक्रेनी नेता का सबसे खराब बयान बताया था। ट्रंप ने कहा था कि जेलेंस्की के इस बयान को अमेरिका अधिक समय तक बर्दाश्त नहीं करेगा।

बता दें कि शुक्रवार को वाशिंगटन में व्हाइट हाउस में जेलेंस्की और ट्रंप की मीटिंग के दौरान विवाद हुआ था। जेलेंस्की वहां एक खनिज समझौते पर हस्ताक्षर करने आए थे, लेकिन जब उन्होंने अमेरिका से भविष्य में रूस के हमले के खिलाफ सुरक्षा गारंटी मांगी। जिसके बाद विवाद बढ़ता गया और यह सौदा रद्द हो गया। बैठक के बाद अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने ज़लेंस्की को 'अकृतज्ञ' कहा, जबकि दूसरी तरफ ट्रंप ने उन पर 'तीसरे विश्व युद्ध के लिए आग भड़काने का आरोप लगाया। डोनाल्ड ट्रंप और जेलेंस्की के बीच हुई तीखी बहस सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है।