अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावःकैसे चुना जाता है नया राष्ट्रपति, क्या है 'इलेक्टोरल कॉलेज' सिस्टम

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अमेरिका में आज राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले जाने हैं, अब से कुछ ही घंटों बाद जब अमेरिका में सुबह होगी तो लाखों करोड़ों अमेरिकी अपने-अपने मतों का इस्तेमाल करने घर से बाहर निकलेंगे। अमेरिका में महीनों से चल रही राष्ट्रपति पद की रेस का प्रचार 4 नवंबर की रात थम गया। अब इंतजार है मंगलवार की सुबह 7 बजे से शुरु होने वाले मतदान का जो तय करेगा कि व्हाइट हाउस में अगले 4 साल के लिए कौन सा चेहरा होगा। अमेरिका के दो सबसे प्रमुख राजनीतिक दल रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस चुनावी मैदान में हैं। दोनों उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर होनी है, लिहाजा चुनावी नतीजे भी काफी चौंकाने वाले हो सकते हैं।

वोटिंग का समय क्या है?

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग अलग-अलग राज्यों के स्थानीय समयानुसार सुबह 7 बजे से लेकर 9 बजे के बीच शुरू होगी। यह भारतीय समयानुसार शाम 4:30 बजे से लेकर रात 9:30 बजे तक का समय होगा। वहीं मतदान के लिए अंतिम समय की बात करें तो ज्यादातर वोटिंग सेंटर्स शाम 6 बजे से लेकर देर रात तक जारी रह सकते हैं। यानी अमेरिका में वोटिंग खत्म होने तक भारत में अगला दिन शुरू हो जाएगा। यानी अमेरिका में मतदान भारतीय समयानुसार बुधवार की सुबह 4:30 बजे तक खत्म हो सकते हैं। कई राज्यों में यह समय और अधिक हो सकता है क्योंकि अमेरिका के राज्य कई अलग-अलग टाइम जोन में बंटे हुए हैं।

कब आएंगे नतीजे?

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग खत्म होते ही मतों की गिनती शुरू हो जाएगी। काउंटिंग खत्म होने पर पॉपुलर वोट (जनता के वोट) का विजेता घोषित किया जाता है, लेकिन यह हर बार जरूरी नहीं कि जिस उम्मीदवार को सबसे ज्यादा पॉपुलर वोट मिले हैं वह वाकई में राष्ट्रपति पद का विजेता हो। क्योंकि अमेरिका में असल में राष्ट्रपति का चुनाव पॉपुलर वोट्स नहीं बल्कि इलेक्टोरल कॉलेज करते हैं। इसके अलावा कई बार ऐसा भी हो सकता है कि किसी राज्य में अनुमानित विजेता घोषित किया जा रहा हो जबकि दूसरे में वोटिंग जारी हो। लिहाजा कई बार सटीक नतीजे आने में एक-दो दिन का समय लग जाता है। वहीं दिसंबर में इलेक्टर्स की वोटिंग के बाद 25 दिसंबर तक सारे इलेक्टोरल सर्टिफिकेट सीनेट के प्रेसिडेंट को सौंप दिए जाएंगे। इसके बाद 6 जनवरी, 2025 को कांग्रेस के संयुक्त सत्र में इलेक्टर्स के वोटों की गिनती होगी, इसी दिन उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस सदन में विजेता के नाम का ऐलान करेंगी।

इलेक्टोरल कॉलेज क्या होते हैं?

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज की भूमिका सबसे अहम होती है। इलेक्टोरल कॉलेज अमेरिका के हर राज्य के लिए तय किए गए इलेक्टर्स की संख्या है। किसी भी उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए 538 में से 270 इलेक्टोरल कॉलेज जीतने होंगे। हर राज्य को यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव और अमेरिकी सीनेट में उसके प्रतिनिधियों की संख्या के अनुसार ही इलेक्टर्स मिलते हैं। वर्तमान में सबसे ज्यादा 55 इलेक्टर्स कैलिफोर्निया स्टेट में हैं, वहीं सबसे कम इलेक्टर्स की संख्या 3 है, जो कि अमेरिका के वायोमिंग समेत 6 राज्यों में हैं। हालांकि सबसे ज्यादा अहमियत 7 स्विंग स्टेट्स की होती है क्योंकि ज्यादातर राज्यों की तरह इनका रुख पहले से साफ नहीं होता है और यही वजह है कि इन स्विंग स्टेट्स को प्रमुख ‘बैटल फील्ड’ माना जाता है।

किस 'स्विंग स्टेट' में कौन आगे?

अमेरिका चुनाव से पहले ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक नेवादा में ट्रंप को 51.2 प्रतिशत समर्थन मिला जबकि हैरिस को 46 प्रतिशत। इसी तर्ज पर नॉर्थ कैरोलिना में ट्रंप को 50.5 प्रतिशत और हैरिस को 47.1 प्रतिशत समर्थन मिल रहा है। उधर, जॉर्जिया की बात की जाए तो यहां डोनाल्‍ड ट्रंप को 50.1% से 47.6% के अंतर से कमला हैरिस से आगे हैं। मिशिगन में ट्रंप को 49.7 प्रतिशत तो हैरिस को 48.2 प्रतिशत लोग पसंद कर रहे हैं। ऐसे ही पेंसिल्वेनिया में ट्रंप को 49.6 प्रतिशत के मुकाबले हैरिस को 47.8 प्रतिशत लोग पसंद कर रहे हैं। उधर, विस्कॉन्सिन में ट्रंप 49.7 प्रतिशत और कमला हैरिस 48.6 प्रतिशत लोगों की पहली पसंद हैं।

क्या होते हैं स्विंग स्टेट?

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में स्विंग स्टेट्स या युद्धक्षेत्र वाले राज्य, उन राज्यों को कहा जाता है, जो चुनाव में डेमोक्रेट या रिपब्लिकन पार्टी, किसी भी तरफ झुक सकते हैं। अमेरिका में कई राज्य अक्सर किसी एक ही पार्टी को वोट देते आए हैं, लेकिन जिन राज्यों में मुकाबला कड़ा रहता है और जिनका तय नहीं है कि वे किस तरफ जाएंगे, उन्हें ही स्विंग स्टेट कहा जाता है। इन राज्यों में दोनों पार्टी के उम्मीदवार प्रचार के दौरान ज्यादा धन और समय लगाते हैं। स्विंग स्टेट की पहचान के लिए कोई परिभाषा या नियम नहीं है और चुनाव के दौरान ही इन राज्यों का निर्धारण होता है।

ट्रूडो के मंत्री ने माना अमित शाह के बारे में अमेरिकी अखबार में प्लांट की खबर, क्या भारत-कनाडा के बीच तल्खी और बढ़ेगी?

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कनाडा ने भारत पर आरोप लगाए थे कि वहां होने वाली हिंसा में भारत की संलिप्तता रही है। अब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के दो सीनियर अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने भारत के बारे में 'खुफिया जानकारी' अमेरिकी मीडिया को लीक कर दी थी। राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया सलाहकार नैथली ड्रोइन और विदेश मामलों के उप मंत्री डेविड मॉरिसन ने इस मामले में संवेदनशील जानकारी लीक करने की बात स्वीकार की है।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा के विदेश उप-मंत्री डेविड मॉरिसन ने मंगलवार को एक संसदीय पैनल में यह बयान दिया। मॉरिसन ने संसदीय पैनल में कहा कि उन्होंने अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट को बताया था कि इस मामले में भारत के गृह मंत्री शामिल हैं। मॉरिसन ने कहा कि अमेरिकी अखबार को भारत-कनाडा मीटिंग से जुड़ी जानकारी उन्होंने ही दी थी। हालांकि, इस दौरान मॉरिसन यह नहीं बता पाए कि उन्हें अमित शाह को लेकर ये जानकारी कैसे मिली। यह पहली बार है, जब कनाडाई अधिकारी ने खुलकर भारत सरकार के किसी मंत्री का नाम लिया है।

नैथली ड्रोइन और विदेश मामलों के उप मंत्री डेविड मॉरिसन द्वारा लीक की गई जानकारी में भारत के गृह मंत्री अमित शाह पर नई दिल्ली से ऐसी कार्रवाइयों को निर्देशित करने का आरोप लगाया गया है। कॉमन्स पब्लिक सेफ्टी कमेटी के सामने गवाही देते हुए, ड्रोइन ने कहा कि उन्हें जानकारी लीक करने के लिए ट्रूडो की मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वाशिंगटन पोस्ट के साथ कोई वर्गीकृत खुफिया जानकारी साझा नहीं की गई थी। इसका उद्देश्य कनाडा के लोगों के खिलाफ भारतीय एजेंटों द्वारा कथित अवैध गतिविधियों के बारे में कनाडा की चिंताओं को साझा करना था, जिसमें कनाडाई लोगों के जीवन को खतरा भी शामिल है।

क्या था अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट में?

वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी पहले की एक रिपोर्ट में दावा किया था कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों ने सबूत जुटाए हैं कि भारत में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कनाडा में 'खुफिया जानकारी जुटाने वाले मिशन और सिख अलगाववादियों पर हमले को अधिकृत किया था। रिपोर्ट में आगे कहा गया था कि एक कनाडाई स्रोत ने भारतीय अधिकारी की पहचान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के रूप में की है।

डेविड मॉरिसन ने अधिक जानकारी या सबूत दिए बिना कहा कि पत्रकार ने मुझे फोन किया और पूछा कि यह वही व्यक्ति हैं। मैंने पुष्टि की कि यह वही व्यक्ति हैं।

वॉशिंगटन पोस्ट की खबर पर भारत ने क्या कहा?

जब पहली बार वॉशिंगटन पोस्ट में निज्जर के मर्डर पर ख़बर छपी थी तब भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी। विदेश मंत्रालय ने अख़बार की रिपोर्ट पर बयान जारी कर कहा था, “रिपोर्ट एक गंभीर मामले पर अनुचित और निराधार आरोप लगा रही है। बयान में कहा गया, संगठित अपराधियों, आतंकवादियों के नेटवर्क पर अमेरिकी सरकार की ओर से साझा की गई सुरक्षा चिंताओं के बाद भारत सरकार ने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है जो मामले की जांच कर रही है। इसे लेकर अटकलें लगाना और गैर ज़िम्मेदाराना बयान देना मददगार साबित नहीं होगा।

भारत-कनाडा संबंध और होंगे खराब ?

कनाडा के मंत्री के इस बयान के बाद भारत-कनाडा संबध और और ख़राब होने की आशंका जताई जा रही है। कनाडा में ख़ालिस्तान समर्थकों की ओर से भारत विरोधी प्रदर्शनों और खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव लगातार बढ़ा है। कनाडा का आरोप है कि खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है, जबकि भारत इससे इनकार करता रहा है। पिछले दिनों इस मामले में दोनों देशों के बीच तल्ख़ी इतनी बढ़ी कि पिछले दिनों दोनों देशों ने एक दूसरे के कई राजनयिकों को निकाल दिया है। एक-दूसरे के राजनयिकों को निकालने का फ़ैसला तब सामने आया है जब निज्जर हत्या मामले में कनाडा ने भारतीय राजनयिकों और उच्चायोग के दूसरे अधिकारियों को ‘पर्सन्स ऑफ़ इंटरेस्ट’ बताया। इसमें कनाडा में भारत के उच्चायुक्त रहे संजय कुमार वर्मा प्रमुख रूप से शामिल थे।

ट्रूडो के मंत्री ने माना अमित शाह के बारे में अमेरिकी अखबार में प्लांट की खबर, क्या भारत-कनाडा के बीच तल्खी और बढ़ेगी?*
#canada_deputy_foreign_minister_says_he_gave_information_about_amit_shah_to_american_media कनाडा ने भारत पर आरोप लगाए थे कि वहां होने वाली हिंसा में भारत की संलिप्तता रही है। अब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के दो सीनियर अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने भारत के बारे में 'खुफिया जानकारी' अमेरिकी मीडिया को लीक कर दी थी। राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया सलाहकार नैथली ड्रोइन और विदेश मामलों के उप मंत्री डेविड मॉरिसन ने इस मामले में संवेदनशील जानकारी लीक करने की बात स्वीकार की है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा के विदेश उप-मंत्री डेविड मॉरिसन ने मंगलवार को एक संसदीय पैनल में यह बयान दिया। मॉरिसन ने संसदीय पैनल में कहा कि उन्होंने अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट को बताया था कि इस मामले में भारत के गृह मंत्री शामिल हैं। मॉरिसन ने कहा कि अमेरिकी अखबार को भारत-कनाडा मीटिंग से जुड़ी जानकारी उन्होंने ही दी थी। हालांकि, इस दौरान मॉरिसन यह नहीं बता पाए कि उन्हें अमित शाह को लेकर ये जानकारी कैसे मिली। यह पहली बार है, जब कनाडाई अधिकारी ने खुलकर भारत सरकार के किसी मंत्री का नाम लिया है। नैथली ड्रोइन और विदेश मामलों के उप मंत्री डेविड मॉरिसन द्वारा लीक की गई जानकारी में भारत के गृह मंत्री अमित शाह पर नई दिल्ली से ऐसी कार्रवाइयों को निर्देशित करने का आरोप लगाया गया है। कॉमन्स पब्लिक सेफ्टी कमेटी के सामने गवाही देते हुए, ड्रोइन ने कहा कि उन्हें जानकारी लीक करने के लिए ट्रूडो की मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वाशिंगटन पोस्ट के साथ कोई वर्गीकृत खुफिया जानकारी साझा नहीं की गई थी। इसका उद्देश्य कनाडा के लोगों के खिलाफ भारतीय एजेंटों द्वारा कथित अवैध गतिविधियों के बारे में कनाडा की चिंताओं को साझा करना था, जिसमें कनाडाई लोगों के जीवन को खतरा भी शामिल है। *क्या था अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट में?* वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी पहले की एक रिपोर्ट में दावा किया था कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों ने सबूत जुटाए हैं कि भारत में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कनाडा में 'खुफिया जानकारी जुटाने वाले मिशन और सिख अलगाववादियों पर हमले को अधिकृत किया था। रिपोर्ट में आगे कहा गया था कि एक कनाडाई स्रोत ने भारतीय अधिकारी की पहचान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के रूप में की है। डेविड मॉरिसन ने अधिक जानकारी या सबूत दिए बिना कहा कि पत्रकार ने मुझे फोन किया और पूछा कि यह वही व्यक्ति हैं। मैंने पुष्टि की कि यह वही व्यक्ति हैं। *वॉशिंगटन पोस्ट की खबर पर भारत ने क्या कहा?* जब पहली बार वॉशिंगटन पोस्ट में निज्जर के मर्डर पर ख़बर छपी थी तब भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी। विदेश मंत्रालय ने अख़बार की रिपोर्ट पर बयान जारी कर कहा था, “रिपोर्ट एक गंभीर मामले पर अनुचित और निराधार आरोप लगा रही है। बयान में कहा गया, संगठित अपराधियों, आतंकवादियों के नेटवर्क पर अमेरिकी सरकार की ओर से साझा की गई सुरक्षा चिंताओं के बाद भारत सरकार ने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है जो मामले की जांच कर रही है। इसे लेकर अटकलें लगाना और गैर ज़िम्मेदाराना बयान देना मददगार साबित नहीं होगा। *भारत-कनाडा संबंध और होंगे खराब ?* कनाडा के मंत्री के इस बयान के बाद भारत-कनाडा संबध और और ख़राब होने की आशंका जताई जा रही है। कनाडा में ख़ालिस्तान समर्थकों की ओर से भारत विरोधी प्रदर्शनों और खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव लगातार बढ़ा है। कनाडा का आरोप है कि खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है, जबकि भारत इससे इनकार करता रहा है। पिछले दिनों इस मामले में दोनों देशों के बीच तल्ख़ी इतनी बढ़ी कि पिछले दिनों दोनों देशों ने एक दूसरे के कई राजनयिकों को निकाल दिया है। एक-दूसरे के राजनयिकों को निकालने का फ़ैसला तब सामने आया है जब निज्जर हत्या मामले में कनाडा ने भारतीय राजनयिकों और उच्चायोग के दूसरे अधिकारियों को ‘पर्सन्स ऑफ़ इंटरेस्ट’ बताया। इसमें कनाडा में भारत के उच्चायुक्त रहे संजय कुमार वर्मा प्रमुख रूप से शामिल थे।
कमला हैरिस या डोनाल्ड ट्रंप? जानें अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में किसे मिल रहा भारतीयों का समर्थन

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अमेरिका में 5 नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है। देश की दो सबसे बड़े दलों डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन की ओर से कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप चुनावी मैदान में हैं। जहां पहले भी एक बार ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति रह चुके हैं तो वहीं कमला हैरिस वर्तमान में उप राष्ट्रपति हैं।चुनावी सर्वेक्षण में कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है। अभी दो लेटेस्ट सर्वे में दोनों के बीच टाइट फाइट दिख रही है। सीबीसी न्यूज और एबीसी न्यूज के चुनावी सर्वे में डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच 19-20 का ही फर्क दिख रहा है। इस बीच एक नए सर्वे में अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी नागरिकों का डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रति झुकाव कम होता दिख रहा है।जबकि रिपब्लिकन पार्टी के प्रति झुकाव रखने वाले मतदाताओं के आंकड़े में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

रिसर्च और एनालिटिक्स फर्म YouGov के साथ मिलकर कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस सेंटर द्वारा एक सर्वे किया गया है, जिसे '2024 इंडियन-अमेरिकन एटीट्यूड्स' नाम दिया गया है।सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि अभी भी बड़ी संख्या में भारतीय मूल के अमेरिकी मतदाता डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि इस बार भारतीय अमेरिकी मतदाताओं में रिपब्लिकन पार्टी के लिए समर्थन में भी बढ़ोतरी देखी गई है। कई लोग इस बार ट्रंप का समर्थन कर रहे हैं। यह सर्वे 18 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच 714 भारतीय-अमेरिकी नागरिकों के साथ किया गया था।

सर्वेक्षण के अनुसार, पंजीकृत भारतीय-अमेरिकी मतदाता उत्तरदाताओं में से 61 प्रतिशत हैरिस को वोट देने की योजना बना रहे हैं जबकि 32 प्रतिशत ट्रंप को वोट देने का इरादा रखते हैं। इसमें कहा गया है कि 2020 के बाद से ट्रंप को वोट देने के इच्छुक उत्तरदाताओं की हिस्सेदारी में मामूली वृद्धि देखी गई है।दूसरी ओर, 67 प्रतिशत भारतीय-अमेरिकी महिलाएं हैरिस को वोट देने की योजना बना रही हैं जबकि 53 प्रतिशत पुरुषों का कहना है कि वे हैरिस को वोट देने की योजना बना रहे हैं। 

बता दें कि संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय मूल के 52 लाख से अधिक लोग रहते हैं। 2022 के आंकड़ों के आधार पर, अमेरिका में लगभग 26 लाख पात्र भारतीय-अमेरिकी मतदाता हैं। भारतीय अमेरिकियों की औसत घरेलू आय लगभग 153,000 अमेरिकी डॉलर है, जो देश के अन्य समुदायों की तुलना में दोगुने से भी अधिक है।भारतीय-अमेरिकी अब संयुक्त राज्य अमेरिका में दूसरा सबसे बड़ा अप्रवासी समूह हैं। समुदाय की तीव्र जनसांख्यिकीय वृद्धि, राष्ट्रपति चुनाव में कांटे की टक्कर और भारतीय अमेरिकियों की उल्लेखनीय व्यावसायिक सफलता के कारण भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक काफी अहम बनकर उभरे हैं।

'नॉर्थेर्न लाइट्स' से जगमगाने वाला है अमेरिका का आसमान, 11 सालों में सबसे अधिक होगा असर

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The Northern Lights, America

अमेरिका का आसमान इस सप्ताह अंत तक एक रंगीन महाकाव्य अवतार धारण करने के लिए तैयार है, क्योंकि अक्टूबर में हमारे सौर मंडल को उग्र प्रकोप से कोई राहत नहीं मिलने वाली है। स्पेस डॉट कॉम के अनुसार, सूर्य के विशिष्ट 'आग के गोले' के अस्तित्व ने महीने की शुरुआत धमाकेदार तरीके से की और इस सप्ताह की शुरुआत में "अपनी तरह की सबसे शक्तिशाली" सौर ज्वाला को प्रज्वलित किया। हाल ही में हुई सौर ज्वाला के बाद, कुछ उत्तरी अमेरिकी राज्यों के निवासी ऑरोरा बोरेलिस और इसकी आश्चर्यजनक ब्रह्मांडीय आतिशबाजी को देख सकते हैं। स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर (SWPC) ने शुक्रवार, 4 अक्टूबर से रविवार, 6 अक्टूबर तक के लिए G3 (मजबूत) जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म वॉच जारी की।

SWPC ने 4 अक्टूबर को ट्वीट किया: “भू-चुंबकीय तूफान श्रेणी G3 का पूर्वानुमान लगाया गया

दिन के हिसाब से उच्चतम तूफान स्तर का पूर्वानुमान लगाया गया:

अक्टूबर 05: G3 (मजबूत) अक्टूबर 06: G3 (मजबूत) अक्टूबर 07: G1 (मामूली)

जारी करने का समय: 2024 अक्टूबर 04 1857 UTC."

राष्ट्रीय महासागर और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) ने शुरू में पूर्वानुमान लगाया था कि जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म वॉच शनिवार को समाप्त हो जाएगी, लेकिन बाद के अपडेट ने अवधि को रविवार तक बढ़ा दिया। मौसम विज्ञान एजेंसी ने पुष्टि की कि जब तक मौसम अनुकूल है, ऑरोरा चेज़र संभवतः "देखने में काफी सुखद" नृत्य करने वाली ध्रुवीय रोशनी का एक प्रभावशाली दृश्य देख पाएंगे। ध्रुवीय रोशनी के प्रमुख दृश्य के लिए, NOAA ने स्टारगेज़र को ध्रुवों के करीब यात्रा करने की सलाह दी और प्रकाश से बचने की चेतावनी दी। 

उत्तरी लाइट्स कहाँ दिखाई देने की उम्मीद है?

क्लिक ऑन डेट्रॉइट ने बताया कि मिशिगन के सभी लोगों को ध्रुवीय इंद्रधनुष देखने का मौका मिलेगा। फोर्ब्स के अनुसार, महाद्वीपीय अमेरिकी राज्य जो ऑरोरा बोरेलिस के अलौकिक दृश्यों से धन्य हो सकते हैं, उनमें वाशिंगटन, इडाहो, मोंटाना, व्योमिंग, नॉर्थ डकोटा, साउथ डकोटा, मिनेसोटा, आयोवा, विस्कॉन्सिन, मिशिगन, न्यूयॉर्क, वर्मोंट, न्यू हैम्पशायर और मेन शामिल हैं।

हाल ही में हुए सौर फ्लेयर्स के बारे में अधिक जानकारी

सूर्य का 11 साल लंबा चक्र भू-चुंबकीय तूफानों के लिए जिम्मेदार रहा है, जिसके परिणामस्वरूप आकाश में उत्तरी लाइट्स उत्पन्न हुई हैं। सौर चक्र 25 दिसंबर 2019 में शुरू हुआ, और नासा का अनुमान है कि यह अगले साल तक जारी रहेगा। इसके चल रहे चक्र के 2024 के अंत और 2026 की शुरुआत के बीच चरम पर पहुंचने की उम्मीद है, जिससे और अधिक भू-चुंबकीय तूफान आएंगे। बुधवार को X7.1 की तीव्र सौर ज्वाला के बाद गुरुवार को X9.0 की सौर ज्वाला देखी गई - यह असामान्य विकास चक्र 25 में सबसे तीव्र है।

सौर चक्र औसतन 11 वर्ष की अवधि है, जिसके दौरान सूर्य न्यूनतम गतिविधि से अधिकतम और फिर न्यूनतम पर चला जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हर 11 साल में सूर्य अपने चुंबकीय ध्रुवों को पलट देता है," NOAA के प्रवक्ता ने फॉक्स न्यूज़ डिजिटल को बताया। "हालांकि यह कहना मुश्किल है कि भू-चुंबकीय तूफानों के दौरान ऑरोरल सीमा वास्तव में क्या हो सकती है - आम तौर पर G3 [भू-चुंबकीय तूफान] स्तर का ऊपरी छोर उत्तरी न्यूयॉर्क के निवासियों के लिए ऑरोरा देखना संभव बना सकता है," उन्होंने कहा। 

बुरा ना माने अमेरिका, भारत को भी जवाब देने का अधिकार…एस जयशंकर की यूएस को दो टूक

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भारत के विदेश मंत्री एस जशंकर ने अमेरिका में बैठकर उसे ही नसीहत दे डाली है। मंगलवार को अमेरिकी के विदेश मंत्री के साथ डॉक्‍टर एस जयशंकर की वाशिंगटन डीसी में मुलाकात हुई तो उन्‍होंने एंटनी ब्लिंकन को पूरी शालीनता के साथ धो डाला। उन्‍होंने एक पत्रकार के सवाल पर ब्लिंकन की मौजूदगी में कहा कि अगर भारत अमेरिका के लोकतंत्र पर कोई टिप्‍पणी करता है तो भी उन्‍हें बुरा नहीं मानना चाहिए। इस दौरान ब्‍लिंकन महज मुस्‍कुराते हुए नजर आए।

जयशंकर ने अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक 'कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस' में एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर आप दो देशों, दो सरकारों के स्तर पर देखें तो हमें लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि लोकतंत्र का परस्पर सम्मान होना। ऐसा नहीं हो सकता कि एक लोकतंत्र को दूसरे पर टिप्पणी करने का अधिकार हो और यह वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा देने का हिस्सा है, लेकिन जब दूसरे ऐसा करते हैं तो यह विदेशी हस्तक्षेप बन जाता है।

जयशंकर का अमेरिका को सख्त संदेश

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि विदेशी हस्तक्षेप विदेशी हस्तक्षेप है, चाहे वह कोई भी करे और कहीं भी हो। मेरा व्यक्तिगत विचार है, जिसे मैंने कई लोगों के साथ साझा किया है। आपको टिप्पणी करने का पूरा अधिकार है, लेकिन मुझे आपकी टिप्पणी पर टिप्पणी करने का भी पूरा अधिकार है। इसलिए जब मैं ऐसा करता हूं तो बुरा नहीं मानना चाहिए। दरअसल हुआ कुछ यूं कि एक पत्रकार ने अमेरिका द्वारा भारतीय लोकतंत्र पर टिप्‍पणी के विषय में सवाल पूछा। जिसके जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका को सख्त संदेश दिया।

जरूरी नहीं कि देश की राजनीति सीमाओं के भीतर ही रहे-जयशंकर

एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया बहुत वैश्वीकृत हो गई है और इसके परिणामस्वरूप किसी भी देश की राजनीति जरूरी नहीं कि उस देश की राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर ही रहे। उन्होंने कहा, अब अमेरिका निश्चित रूप से यह सुनिश्चित करने का विशेष प्रयास करता है कि ऐसा न हो। यह इस बात का हिस्सा है कि आपने कई वर्षों से अपनी विदेश नीति कैसे संचालित की है। अब एक वैश्वीकृत युग में जहां वैश्विक एजेंडे भी वैश्वीकृत हैं, ऐसे पक्ष हैं जो न केवल अपने देश या अपने क्षेत्र की राजनीति को आकार देना चाहते हैं और सोशल मीडिया, आर्थिक ताकतें, वित्तीय प्रवाह, ये सभी आपको ऐसा करने का अवसर देते हैं। आप विमर्श को कैसे आकार देते हैं? तो आपके पास एक पूरा उद्यम है।

भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया-जयशंकर

जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया। यह उसकी आर्थिक, राजनीति एवं रणनीतिक नीति का हिस्सा नहीं रहा है। उन्होंने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि अमेरिका की कुछ नीतियों के कारण भारत को अपने कुछ व्यापार भागीदारों के साथ डॉलर आधारित व्यापार करने में कठिनाई हो रही है।

बुरा ना माने अमेरिका, भारत को भी जवाब देने का अधिकार…एस जयशंकर की यूएस को दो टूक*
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भारत के विदेश मंत्री एस जशंकर ने अमेरिका में बैठकर उसे ही नसीहत दे डाली है। मंगलवार को अमेरिकी के विदेश मंत्री के साथ डॉक्‍टर एस जयशंकर की वाशिंगटन डीसी में मुलाकात हुई तो उन्‍होंने एंटनी ब्लिंकन को पूरी शालीनता के साथ धो डाला। उन्‍होंने एक पत्रकार के सवाल पर ब्लिंकन की मौजूदगी में कहा कि अगर भारत अमेरिका के लोकतंत्र पर कोई टिप्‍पणी करता है तो भी उन्‍हें बुरा नहीं मानना चाहिए। इस दौरान ब्‍लिंकन महज मुस्‍कुराते हुए नजर आए। जयशंकर ने अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक 'कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस' में एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर आप दो देशों, दो सरकारों के स्तर पर देखें तो हमें लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि लोकतंत्र का परस्पर सम्मान होना। ऐसा नहीं हो सकता कि एक लोकतंत्र को दूसरे पर टिप्पणी करने का अधिकार हो और यह वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा देने का हिस्सा है, लेकिन जब दूसरे ऐसा करते हैं तो यह विदेशी हस्तक्षेप बन जाता है। *जयशंकर का अमेरिका को सख्त संदेश* उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि विदेशी हस्तक्षेप विदेशी हस्तक्षेप है, चाहे वह कोई भी करे और कहीं भी हो। मेरा व्यक्तिगत विचार है, जिसे मैंने कई लोगों के साथ साझा किया है। आपको टिप्पणी करने का पूरा अधिकार है, लेकिन मुझे आपकी टिप्पणी पर टिप्पणी करने का भी पूरा अधिकार है। इसलिए जब मैं ऐसा करता हूं तो बुरा नहीं मानना चाहिए। दरअसल हुआ कुछ यूं कि एक पत्रकार ने अमेरिका द्वारा भारतीय लोकतंत्र पर टिप्‍पणी के विषय में सवाल पूछा। जिसके जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका को सख्त संदेश दिया। *जरूरी नहीं कि देश की राजनीति सीमाओं के भीतर ही रहे-जयशंकर* एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया बहुत वैश्वीकृत हो गई है और इसके परिणामस्वरूप किसी भी देश की राजनीति जरूरी नहीं कि उस देश की राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर ही रहे। उन्होंने कहा, अब अमेरिका निश्चित रूप से यह सुनिश्चित करने का विशेष प्रयास करता है कि ऐसा न हो। यह इस बात का हिस्सा है कि आपने कई वर्षों से अपनी विदेश नीति कैसे संचालित की है। अब एक वैश्वीकृत युग में जहां वैश्विक एजेंडे भी वैश्वीकृत हैं, ऐसे पक्ष हैं जो न केवल अपने देश या अपने क्षेत्र की राजनीति को आकार देना चाहते हैं और सोशल मीडिया, आर्थिक ताकतें, वित्तीय प्रवाह, ये सभी आपको ऐसा करने का अवसर देते हैं। आप विमर्श को कैसे आकार देते हैं? तो आपके पास एक पूरा उद्यम है। *भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया-जयशंकर* जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया। यह उसकी आर्थिक, राजनीति एवं रणनीतिक नीति का हिस्सा नहीं रहा है। उन्होंने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि अमेरिका की कुछ नीतियों के कारण भारत को अपने कुछ व्यापार भागीदारों के साथ डॉलर आधारित व्यापार करने में कठिनाई हो रही है।
భారత్‌కు గుడ్ న్యూస్.. ఆ సంపదను తిరిగిచ్చేస్తున్న అమెరికా..

 4 వేల పురాతన వస్తువులను అమెరికా.. భారత్‌కు ఇచ్చేయడానికి సిద్ధమైంది. భారత్ నుంచి అక్రమంగా తరలించిన అత్యంత విలువైన పురాతన వస్తువులను తిరిగిచ్చేందుకు అమెరికా నిర్ణయం తీసుకుంది. భారత ప్రధానమంత్రి నరేంద్రమోదీ అమెరికా పర్యటన సందర్భంగా ఆ దేశం ఈ నిర్ణయం తీసుకుంది.

 4 వేల పురాతన వస్తువులను (4 Thousand Antiques) అమెరికా (America).. భారత్‌ (India)కు ఇచ్చేయడానికి సిద్ధమైంది. భారత్ నుంచి అక్రమంగా తరలించిన అత్యంత విలువైన పురాతన వస్తువులను తిరిగిచ్చేందుకు అమెరికా నిర్ణయం తీసుకుంది. భారత ప్రధానమంత్రి నరేంద్రమోదీ (PM Modi) అమెరికా పర్యటన (America Tour) సందర్భంగా ఆ దేశం ఈ నిర్ణయం తీసుకుంది. ఇందులో 2వేలు బీసీఈ (BCE) – 19వేల సీఈ (СЕ) - వరకు అంటే 4వేళ ఏళ్ల పరిధిలోని యాంటిక్విటీస్ ఉన్నాయని భారత్ అధికారులు తెలిపారు. ఇండియాకు రానున్న తూర్పు భారతంలోని టెర్రకోట బొమ్మలు, కళాకృతులు; ఇతర ప్రాంతాల్లోని రాతి, లోహ, కలప, ఐవరీ శిల్పాలు.. త్వరలోనే వీటిని భారత్‌కు తరలించనున్నట్లు విదేశాంగ శాఖ అధికారులు ప్రకటించారు.

కాగా ‘‘క్వాడ్‌ కూటమి ఏ దేశానికీ వ్యతిరేకం కాదు. అన్ని దేశాల సార్వభౌమత్వాన్ని గౌరవిస్తాం. భద్రత, అభివృద్ధి చెందుతున్న సాంకేతికత, వాతావరణ మార్పులు, సామర్థ్య నిర్మాణమే మా లక్ష్యం. సమస్యలను శాంతియుతంగా పరిష్కరించుకోవడమే క్వాడ్‌ అభిమతం. మేం(క్వాడ్‌ కూటమి) నిలబడతాం.. బలపడతాం’’ అని భారత ప్రధాని నరేంద్ర మోదీ ఉద్ఘాటించారు. అమెరికా అధ్యక్షుడు జోబైడెన్‌ స్వస్థలమైన విల్మింగ్టన్‌లో ఆదివారం జరిగిన క్వాడ్‌ దేశాధినేతల శిఖరాగ్ర సదస్సులో ఆయన మాట్లాడారు. నాలుగేళ్లక్రితం ఇండో-పసిఫిక్‌ రీజియన్‌లో స్వేచ్ఛాయుత వాణిజ్యం, భద్రత వంటి అంశాలతో అమెరికా, ఆస్ట్రేలియా, జపాన్‌, భారత్‌ కలిసి క్వాడ్‌ కూటమిగా ఏర్పడ్డ విషయం తెలిసిందే..! ఈ కూటమి ఏర్పడి నాలుగేళ్లు పూర్తయిన సందర్భంగా జరిగిన సదస్సులో మోదీ, బైడెన్‌తోపాటు.. ఆస్ట్రేలియా ప్రధాని అల్బనెస్‌, జపాన్‌ ప్రధాని కిషిదా పాల్గొన్నారు.

క్వాడ్‌కు వ్యతిరేకంగా చైనా వ్యాఖ్యలు చేస్తున్న నేపథ్యంలో.. మోదీ ఆ దేశం పేరును ప్రస్తావించకుండా తాము అన్ని దేశాల సార్వభౌమత్వాన్ని గౌరవిస్తామని, ఎవరికీ వ్యతిరేకం కాదని స్పష్టం చేశారు. తమ సందేశం ఒక్కటేనని, బలంగా నిలబడి, సభ్యదేశాల సహకారానికి కృషిచేస్తామని పేర్కొన్నారు. ‘‘ప్రపంచంలో ఉద్రిక్తతలు, సంఘర్షణలు చోటుచేసుకుంటున్న సమయంలో క్వాడ్‌ కూటమి ఏర్పాటైంది. మానవాళి శ్రేయస్సుకు, ప్రజాస్వామ్య విలువల పరిరక్షణకు కంకణబద్ధమైంది. క్వాడ్‌ సదస్సులో ఫలవంతమైన చర్చలు జరిగాయి.

ప్రపంచానికి మేలు జరిగేలా ఇంకా సమర్థంగా పనిచేయాలని నిర్ణయించాం’’ అని ఆయన వ్యాఖ్యానించారు. ఇండో-పసిఫిక్‌ రీజియన్‌లో స్వేచ్ఛాయుత వాణిజ్యానికి సహకరించేందుకు భారత్‌ కట్టుబడి ఉందన్నారు. అంతకు ముందు ఆయన ‘క్వాడ్‌ క్యాన్సర్‌ మూన్‌షాట్‌ ఈవెంట్‌’లో మాట్లాడుతూ.. ఇండో-పసిఫిక్‌ రీజియన్‌ దేశాల్లో గర్భాశయ ముఖద్వార క్యాన్సర్‌ పరీక్షలు, గుర్తింపు, చికిత్సకు భారత్‌ తరఫున రూ.62.61 కోట్ల(7.5 మిలియన్‌ డాలర్లు)ను అందజేస్తామని ప్రకటిస్తూ.. తమ లక్ష్యం ‘ఒక భూగోళం.. ఒక ఆరోగ్యం’ అంటూ నినదించారు. ఈ రీజియన్‌లోని దేశాలకు 4 కోట్ల డోసుల క్యాన్సర్‌ టీకాలను అందజేస్తామన్నారు.

క్వాడ్‌ దేశాధినేతల తదుపరి సదస్సు వచ్చే ఏడాది భారత్‌లో జరగనుంది. నాలుగేళ్ల క్రితం ఈ సంస్థ ఆవిర్భవించగా.. అమెరికా, ఆస్ట్రేలియా, జపాన్‌, భారత్‌లలో సదస్సులు నిర్వహించాలని నిర్ణయించారు. నిజానికి ఈ సంవత్సరం భారత్‌ వంతు కాగా.. తన పదవీకాలం ముగుస్తున్న నేపథ్యంలో తన స్వస్థలంలో సమ్మిట్‌కు అనుమతించాలని అమెరికా అధ్యక్షుడు బైడెన్‌ విజ్ఞప్తి చేశారు. దాంతో.. వచ్చే ఏడాది సదస్సును భారత్‌లో ఏర్పాటు చేయాలని తీర్మానించారు

విల్మింగ్టన్‌లో శనివారం బైడెన్‌-మోదీ ద్వైపాక్షిక చర్చలు జరిపిన విషయం తెలిసిందే..! ఈ చర్చల్లో భాగంగా మోదీపై బైడెన్‌ పొగడ్తల వర్షం కురిపించినట్లు విదేశాంగ శాఖ అధికారులు తెలిపారు. ముఖ్యంగా ఉక్రెయిన్‌లో మోదీ పర్యటన.. శాంతికోసం ఆయన చేస్తున్న కృషిని అభినందించినట్లు వివరించారు. కొవిడ్‌ సమయంలో ‘టీకా మైత్రి’ మొదలు.. ఇటీవలి జీ20 సమ్మిట్‌ వరకు ప్రపంచ క్షేమం కోసం భారత్‌ చేస్తున్న కృషిని కొనియాడినట్లు పేర్కొన్నారు. ఇరువురు నేతల భేటీలో.. సెమీకండక్టర్లు మొదలు.. అంతరిక్షం దాకా పలు అంశాలపై చర్చలు జరిగినట్లు తెలిపారు. భారత్‌-అమెరికా మధ్య కీలకమైన రక్షణ, క్లీన్‌ ఎనర్జీ, గ్లోబల్‌ హెల్త్‌పై ఒప్పందాలు కుదిరినట్లు వెల్లడించారు. ఐక్య రాజ్య సమితి(ఐరాస)లో భారత్‌ శాశ్వత సభ్యత్వానికి కృషిచేస్తానని బైడెన్‌ పేర్కొన్నట్లు వివరించారు.

अमेरिका में टॉप टेक कंपनियों के CEOs के साथ पीएम मोदी की मीटिंग, बताया भारत में निवेश के फायदे

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय अमेरिका दौरे पर हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका दौरे के दूसरे दिन न्यूयॉर्क में टेक कंपनियों के CEOs से मुलाकात की।अमेरिकी टेक कंपनियों के सीईओ के साथ एक राउंडटेबल (गोलमेज) मीटिंग में जहां उन्होंने भारत की विकास संभावनाओं पर जोर दिया और विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने की पहलों पर चर्चा की।यह बैठक लोटे न्यूयॉर्क पैलेस होटल में हुई। इसमें एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग और सेमीकंडक्टर जैसी अत्याधुनिक तकनीकों पर काम करने वाली 15 प्रमुख अमेरिकी फर्मों के सीईओ ने भाग लिया।

बैठक में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पिछले साल जब मैं वाशिंगटन आया था, तब मैं एक कार्यक्रम में शामिल हुआ था, तब भी मुझे आपमे से कई साथियों से मिलने का मौका मिला था। आज एक साल बाद यहां दुनिया के बड़े-बड़े इन्नोवेटर के साथ बैठक कर मैं गर्व महसूस कर रहा हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि, मैं जो ऊर्जा और उत्साह देख रहा हूं और भारत के प्रति जो भरोसा देख रहा हूं। ये वाकई बहुत सुखद है, क्योंकि जब आप जैसे विशेषज्ञ बदलती हुई दुनिया और भारत की संभावनाओं के विषय में कोई बात बताते हैं, तब भारत में भी नीति-निर्धारण के विषय में हमारा विश्वास बढ़ जाता है।

भारत में निवेश की अपील

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आज का भारत सपनों से भरा हुआ है। पीएम मोदी ने कहा कि आज का भारत एम्बीशियस सपने देखता है और उन्हें पूरा करने का भरसक प्रयास भी करता है। हमारा गवर्नेंस पॉलिसी ड्रिवेन है इसलिए जनता ने शायद हमें तीसरी बार चुना है।आज भारत विश्व की सबसे तेजी से ग्रो करने वाली इकॉनमी है। तीसरे कार्यकाल में हम तीसरे स्थान पर होंगे, इसका मुझे उम्मीद है। आपका आना मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पीएम मोदी ने कहा कि आप जिस दुनिया में काम करते हैं और उसका भविष्य आपको पता हो तो काफी वैल्युएबल होता है। कुछ चीजों का सुझाव भी आपने दिया है मेरी टीम ने उसे नोट किया है।

भारत ग्लोबल बायो-टेक पॉवर हाउस बना-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत तेजी से ग्लोबल बायो-टेक पॉवर हाउस के रूप में उभर रहा है। भारत में बायो-फार्मा रिसर्च को प्रमोट करने के लिए एक उपजाऊ पारिस्थितिकी तंत्र भी है। आत्मनिर्भर और सशक्त भारत की विकासयात्रा में आप सभी को मैं एक सहयात्री और सह-भागीदार के रूप में हमेशा देखता हूं। मुझे विश्वास है कि भारत और अमेरिका की टेक कंपनियां मिलकर वैश्विक चुनौतियां के समाधान में अहम रोल निभाएगी।

AI का मतलब समझाया

उन्होंने कहा कि भारत उन पहले देशों में से एक है जिसने AI रणनीतियों पर काम किया है। मेरे लि ए, AI का मतलब है ‘अमेरिका-भारत’। यही वह शक्ति है जिसे हम मजबूत करना चाहते हैं। भारत ने प्रौद्योगिकी के उपयोग को लोकतांत्रिक बनाया है, जिससे विभाजन कम हुआ है। भारत AI के नैतिक उपयोग पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

क्वाड की बैठक में बाइडेन ने ड्रैगन को लेकर दे डाली चेतावनी, पीएम मोदी बोले- हम किसी के खिलाफ नहीं....

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अमेरिका के डेलावेयर के विलमिंगटन में 'क्वाड' नेताओं की बैठक में ऑस्ट्रेलिया, भारत, अमेरिका और जापान के राष्ट्राध्यक्ष शामिल हुए हैं। भारत की तरफ़ से प्रधानमंत्री मोदी ने इस बैठक में शिरकत की है। क्वाड समूह के देशों ने साझा बयान जारी किया, जिसमे खासकर दक्षिण चीन सागर का ज़िक्र है।साझा बयान में कहा गया है, "हम विवादित मुद्दों के सैन्यीकरण और दक्षिणी चीन सागर में बलपूर्वक और डराने-धमकाने के लिए होने वाले युद्धाभ्यासों पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करना जारी रखते हैं। हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि समुद्री विवादों को शांतिपूर्वक और अंतरराष्ट्रीय क़ानून के मुताबिक़ हल किया जाना चाहिए..."

क्वाड भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया द्वारा बनाया गया एक समूह जो इन देशों के बीच अनौपचारिक रणनीतिक वार्ता का एक मंच प्रदान करता है। यह मुक्त, खुले और समृद्ध इंडो-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करता है और इन देशों को एक साथ लाता है। सही मायने में देखा जाए तो इसका मुख्य उद्देश्य इंडो-पैस्फिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभुत्त्व को रोकना है और यहां पावर का चैक एंड बैलेंस बनाए रखना है। इस संगठन के गठन के बाद से ही लगातार ऐसे समझौते हो रहे हैं जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम कर सकें।

क्वाड शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का चीन को लेकर दिया बयान चर्चा में है। बाइडन ने कहा कि उनका मानना है कि 'चीन हम सबकी परीक्षा ले रहा है।' अमेरिकी राष्ट्रपति समूह के दूसरे नेताओं से आपसी बातचीत कर रहे थे, लेकिन उस दौरान उनका माइक ऑन था। जब पत्रकार कार्यक्रम स्थल से निकल रहे थे, तो बाइडन ने दूसरे नेताओं से कहा, 'हमारा मानना है कि शी जिनपिंग घरेलू आर्थिक चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं और चीन में अशांति को कम करना चाहते हैं।'

बाइडन को आगे यह कहते हुए सुना गया कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग 'चीन के हितों को आक्रामक तरीके से बढ़ाने के लिए अपने लिए कूटनीतिक जगह बनाना चाह रहे हैं।' अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, 'चीन आक्रामक रवैया अपनाते हुए आर्थिक और तकनीकी मुद्दों समेत कई मोर्चों पर पूरे क्षेत्र में हम सभी की परीक्षा ले रहा है।'

बाइडन का बयान तब आया है जब सम्मेलन के दौरान सभी चार देश इस बात पर जोर दे रहे थे कि उनका समूह सिर्फ चीन को जवाब देने से कहीं ज्यादा है। 

क्वाड की बैठक में एक तरफ बाइडन ने चीन को लेकर आक्रामक रूख दिखाया। हालांकि, पीएम मोदी ने साफ कहा कि क्वाड किसी देश के खिलाफ नहीं है और यह हमेशा रहेगा।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘हम किसी के खिलाफ नहीं हैं। हम सभी नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, संप्रभुता का सम्मान, क्षेत्रीय अखंडता और सभी मुद्दों का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान करने के सपोर्ट में हैं।’ पीएम मोदी ने यहां किसी देश का नाम तो नहीं लिया, लेकिन साफ तौर पर उनका इशारा चीन की तरफ था।

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावःकैसे चुना जाता है नया राष्ट्रपति, क्या है 'इलेक्टोरल कॉलेज' सिस्टम

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अमेरिका में आज राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले जाने हैं, अब से कुछ ही घंटों बाद जब अमेरिका में सुबह होगी तो लाखों करोड़ों अमेरिकी अपने-अपने मतों का इस्तेमाल करने घर से बाहर निकलेंगे। अमेरिका में महीनों से चल रही राष्ट्रपति पद की रेस का प्रचार 4 नवंबर की रात थम गया। अब इंतजार है मंगलवार की सुबह 7 बजे से शुरु होने वाले मतदान का जो तय करेगा कि व्हाइट हाउस में अगले 4 साल के लिए कौन सा चेहरा होगा। अमेरिका के दो सबसे प्रमुख राजनीतिक दल रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस चुनावी मैदान में हैं। दोनों उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर होनी है, लिहाजा चुनावी नतीजे भी काफी चौंकाने वाले हो सकते हैं।

वोटिंग का समय क्या है?

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग अलग-अलग राज्यों के स्थानीय समयानुसार सुबह 7 बजे से लेकर 9 बजे के बीच शुरू होगी। यह भारतीय समयानुसार शाम 4:30 बजे से लेकर रात 9:30 बजे तक का समय होगा। वहीं मतदान के लिए अंतिम समय की बात करें तो ज्यादातर वोटिंग सेंटर्स शाम 6 बजे से लेकर देर रात तक जारी रह सकते हैं। यानी अमेरिका में वोटिंग खत्म होने तक भारत में अगला दिन शुरू हो जाएगा। यानी अमेरिका में मतदान भारतीय समयानुसार बुधवार की सुबह 4:30 बजे तक खत्म हो सकते हैं। कई राज्यों में यह समय और अधिक हो सकता है क्योंकि अमेरिका के राज्य कई अलग-अलग टाइम जोन में बंटे हुए हैं।

कब आएंगे नतीजे?

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग खत्म होते ही मतों की गिनती शुरू हो जाएगी। काउंटिंग खत्म होने पर पॉपुलर वोट (जनता के वोट) का विजेता घोषित किया जाता है, लेकिन यह हर बार जरूरी नहीं कि जिस उम्मीदवार को सबसे ज्यादा पॉपुलर वोट मिले हैं वह वाकई में राष्ट्रपति पद का विजेता हो। क्योंकि अमेरिका में असल में राष्ट्रपति का चुनाव पॉपुलर वोट्स नहीं बल्कि इलेक्टोरल कॉलेज करते हैं। इसके अलावा कई बार ऐसा भी हो सकता है कि किसी राज्य में अनुमानित विजेता घोषित किया जा रहा हो जबकि दूसरे में वोटिंग जारी हो। लिहाजा कई बार सटीक नतीजे आने में एक-दो दिन का समय लग जाता है। वहीं दिसंबर में इलेक्टर्स की वोटिंग के बाद 25 दिसंबर तक सारे इलेक्टोरल सर्टिफिकेट सीनेट के प्रेसिडेंट को सौंप दिए जाएंगे। इसके बाद 6 जनवरी, 2025 को कांग्रेस के संयुक्त सत्र में इलेक्टर्स के वोटों की गिनती होगी, इसी दिन उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस सदन में विजेता के नाम का ऐलान करेंगी।

इलेक्टोरल कॉलेज क्या होते हैं?

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज की भूमिका सबसे अहम होती है। इलेक्टोरल कॉलेज अमेरिका के हर राज्य के लिए तय किए गए इलेक्टर्स की संख्या है। किसी भी उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए 538 में से 270 इलेक्टोरल कॉलेज जीतने होंगे। हर राज्य को यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव और अमेरिकी सीनेट में उसके प्रतिनिधियों की संख्या के अनुसार ही इलेक्टर्स मिलते हैं। वर्तमान में सबसे ज्यादा 55 इलेक्टर्स कैलिफोर्निया स्टेट में हैं, वहीं सबसे कम इलेक्टर्स की संख्या 3 है, जो कि अमेरिका के वायोमिंग समेत 6 राज्यों में हैं। हालांकि सबसे ज्यादा अहमियत 7 स्विंग स्टेट्स की होती है क्योंकि ज्यादातर राज्यों की तरह इनका रुख पहले से साफ नहीं होता है और यही वजह है कि इन स्विंग स्टेट्स को प्रमुख ‘बैटल फील्ड’ माना जाता है।

किस 'स्विंग स्टेट' में कौन आगे?

अमेरिका चुनाव से पहले ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक नेवादा में ट्रंप को 51.2 प्रतिशत समर्थन मिला जबकि हैरिस को 46 प्रतिशत। इसी तर्ज पर नॉर्थ कैरोलिना में ट्रंप को 50.5 प्रतिशत और हैरिस को 47.1 प्रतिशत समर्थन मिल रहा है। उधर, जॉर्जिया की बात की जाए तो यहां डोनाल्‍ड ट्रंप को 50.1% से 47.6% के अंतर से कमला हैरिस से आगे हैं। मिशिगन में ट्रंप को 49.7 प्रतिशत तो हैरिस को 48.2 प्रतिशत लोग पसंद कर रहे हैं। ऐसे ही पेंसिल्वेनिया में ट्रंप को 49.6 प्रतिशत के मुकाबले हैरिस को 47.8 प्रतिशत लोग पसंद कर रहे हैं। उधर, विस्कॉन्सिन में ट्रंप 49.7 प्रतिशत और कमला हैरिस 48.6 प्रतिशत लोगों की पहली पसंद हैं।

क्या होते हैं स्विंग स्टेट?

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में स्विंग स्टेट्स या युद्धक्षेत्र वाले राज्य, उन राज्यों को कहा जाता है, जो चुनाव में डेमोक्रेट या रिपब्लिकन पार्टी, किसी भी तरफ झुक सकते हैं। अमेरिका में कई राज्य अक्सर किसी एक ही पार्टी को वोट देते आए हैं, लेकिन जिन राज्यों में मुकाबला कड़ा रहता है और जिनका तय नहीं है कि वे किस तरफ जाएंगे, उन्हें ही स्विंग स्टेट कहा जाता है। इन राज्यों में दोनों पार्टी के उम्मीदवार प्रचार के दौरान ज्यादा धन और समय लगाते हैं। स्विंग स्टेट की पहचान के लिए कोई परिभाषा या नियम नहीं है और चुनाव के दौरान ही इन राज्यों का निर्धारण होता है।

ट्रूडो के मंत्री ने माना अमित शाह के बारे में अमेरिकी अखबार में प्लांट की खबर, क्या भारत-कनाडा के बीच तल्खी और बढ़ेगी?

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कनाडा ने भारत पर आरोप लगाए थे कि वहां होने वाली हिंसा में भारत की संलिप्तता रही है। अब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के दो सीनियर अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने भारत के बारे में 'खुफिया जानकारी' अमेरिकी मीडिया को लीक कर दी थी। राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया सलाहकार नैथली ड्रोइन और विदेश मामलों के उप मंत्री डेविड मॉरिसन ने इस मामले में संवेदनशील जानकारी लीक करने की बात स्वीकार की है।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा के विदेश उप-मंत्री डेविड मॉरिसन ने मंगलवार को एक संसदीय पैनल में यह बयान दिया। मॉरिसन ने संसदीय पैनल में कहा कि उन्होंने अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट को बताया था कि इस मामले में भारत के गृह मंत्री शामिल हैं। मॉरिसन ने कहा कि अमेरिकी अखबार को भारत-कनाडा मीटिंग से जुड़ी जानकारी उन्होंने ही दी थी। हालांकि, इस दौरान मॉरिसन यह नहीं बता पाए कि उन्हें अमित शाह को लेकर ये जानकारी कैसे मिली। यह पहली बार है, जब कनाडाई अधिकारी ने खुलकर भारत सरकार के किसी मंत्री का नाम लिया है।

नैथली ड्रोइन और विदेश मामलों के उप मंत्री डेविड मॉरिसन द्वारा लीक की गई जानकारी में भारत के गृह मंत्री अमित शाह पर नई दिल्ली से ऐसी कार्रवाइयों को निर्देशित करने का आरोप लगाया गया है। कॉमन्स पब्लिक सेफ्टी कमेटी के सामने गवाही देते हुए, ड्रोइन ने कहा कि उन्हें जानकारी लीक करने के लिए ट्रूडो की मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वाशिंगटन पोस्ट के साथ कोई वर्गीकृत खुफिया जानकारी साझा नहीं की गई थी। इसका उद्देश्य कनाडा के लोगों के खिलाफ भारतीय एजेंटों द्वारा कथित अवैध गतिविधियों के बारे में कनाडा की चिंताओं को साझा करना था, जिसमें कनाडाई लोगों के जीवन को खतरा भी शामिल है।

क्या था अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट में?

वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी पहले की एक रिपोर्ट में दावा किया था कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों ने सबूत जुटाए हैं कि भारत में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कनाडा में 'खुफिया जानकारी जुटाने वाले मिशन और सिख अलगाववादियों पर हमले को अधिकृत किया था। रिपोर्ट में आगे कहा गया था कि एक कनाडाई स्रोत ने भारतीय अधिकारी की पहचान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के रूप में की है।

डेविड मॉरिसन ने अधिक जानकारी या सबूत दिए बिना कहा कि पत्रकार ने मुझे फोन किया और पूछा कि यह वही व्यक्ति हैं। मैंने पुष्टि की कि यह वही व्यक्ति हैं।

वॉशिंगटन पोस्ट की खबर पर भारत ने क्या कहा?

जब पहली बार वॉशिंगटन पोस्ट में निज्जर के मर्डर पर ख़बर छपी थी तब भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी। विदेश मंत्रालय ने अख़बार की रिपोर्ट पर बयान जारी कर कहा था, “रिपोर्ट एक गंभीर मामले पर अनुचित और निराधार आरोप लगा रही है। बयान में कहा गया, संगठित अपराधियों, आतंकवादियों के नेटवर्क पर अमेरिकी सरकार की ओर से साझा की गई सुरक्षा चिंताओं के बाद भारत सरकार ने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है जो मामले की जांच कर रही है। इसे लेकर अटकलें लगाना और गैर ज़िम्मेदाराना बयान देना मददगार साबित नहीं होगा।

भारत-कनाडा संबंध और होंगे खराब ?

कनाडा के मंत्री के इस बयान के बाद भारत-कनाडा संबध और और ख़राब होने की आशंका जताई जा रही है। कनाडा में ख़ालिस्तान समर्थकों की ओर से भारत विरोधी प्रदर्शनों और खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव लगातार बढ़ा है। कनाडा का आरोप है कि खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है, जबकि भारत इससे इनकार करता रहा है। पिछले दिनों इस मामले में दोनों देशों के बीच तल्ख़ी इतनी बढ़ी कि पिछले दिनों दोनों देशों ने एक दूसरे के कई राजनयिकों को निकाल दिया है। एक-दूसरे के राजनयिकों को निकालने का फ़ैसला तब सामने आया है जब निज्जर हत्या मामले में कनाडा ने भारतीय राजनयिकों और उच्चायोग के दूसरे अधिकारियों को ‘पर्सन्स ऑफ़ इंटरेस्ट’ बताया। इसमें कनाडा में भारत के उच्चायुक्त रहे संजय कुमार वर्मा प्रमुख रूप से शामिल थे।

ट्रूडो के मंत्री ने माना अमित शाह के बारे में अमेरिकी अखबार में प्लांट की खबर, क्या भारत-कनाडा के बीच तल्खी और बढ़ेगी?*
#canada_deputy_foreign_minister_says_he_gave_information_about_amit_shah_to_american_media कनाडा ने भारत पर आरोप लगाए थे कि वहां होने वाली हिंसा में भारत की संलिप्तता रही है। अब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के दो सीनियर अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने भारत के बारे में 'खुफिया जानकारी' अमेरिकी मीडिया को लीक कर दी थी। राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया सलाहकार नैथली ड्रोइन और विदेश मामलों के उप मंत्री डेविड मॉरिसन ने इस मामले में संवेदनशील जानकारी लीक करने की बात स्वीकार की है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा के विदेश उप-मंत्री डेविड मॉरिसन ने मंगलवार को एक संसदीय पैनल में यह बयान दिया। मॉरिसन ने संसदीय पैनल में कहा कि उन्होंने अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट को बताया था कि इस मामले में भारत के गृह मंत्री शामिल हैं। मॉरिसन ने कहा कि अमेरिकी अखबार को भारत-कनाडा मीटिंग से जुड़ी जानकारी उन्होंने ही दी थी। हालांकि, इस दौरान मॉरिसन यह नहीं बता पाए कि उन्हें अमित शाह को लेकर ये जानकारी कैसे मिली। यह पहली बार है, जब कनाडाई अधिकारी ने खुलकर भारत सरकार के किसी मंत्री का नाम लिया है। नैथली ड्रोइन और विदेश मामलों के उप मंत्री डेविड मॉरिसन द्वारा लीक की गई जानकारी में भारत के गृह मंत्री अमित शाह पर नई दिल्ली से ऐसी कार्रवाइयों को निर्देशित करने का आरोप लगाया गया है। कॉमन्स पब्लिक सेफ्टी कमेटी के सामने गवाही देते हुए, ड्रोइन ने कहा कि उन्हें जानकारी लीक करने के लिए ट्रूडो की मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वाशिंगटन पोस्ट के साथ कोई वर्गीकृत खुफिया जानकारी साझा नहीं की गई थी। इसका उद्देश्य कनाडा के लोगों के खिलाफ भारतीय एजेंटों द्वारा कथित अवैध गतिविधियों के बारे में कनाडा की चिंताओं को साझा करना था, जिसमें कनाडाई लोगों के जीवन को खतरा भी शामिल है। *क्या था अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट में?* वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी पहले की एक रिपोर्ट में दावा किया था कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों ने सबूत जुटाए हैं कि भारत में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कनाडा में 'खुफिया जानकारी जुटाने वाले मिशन और सिख अलगाववादियों पर हमले को अधिकृत किया था। रिपोर्ट में आगे कहा गया था कि एक कनाडाई स्रोत ने भारतीय अधिकारी की पहचान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के रूप में की है। डेविड मॉरिसन ने अधिक जानकारी या सबूत दिए बिना कहा कि पत्रकार ने मुझे फोन किया और पूछा कि यह वही व्यक्ति हैं। मैंने पुष्टि की कि यह वही व्यक्ति हैं। *वॉशिंगटन पोस्ट की खबर पर भारत ने क्या कहा?* जब पहली बार वॉशिंगटन पोस्ट में निज्जर के मर्डर पर ख़बर छपी थी तब भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी। विदेश मंत्रालय ने अख़बार की रिपोर्ट पर बयान जारी कर कहा था, “रिपोर्ट एक गंभीर मामले पर अनुचित और निराधार आरोप लगा रही है। बयान में कहा गया, संगठित अपराधियों, आतंकवादियों के नेटवर्क पर अमेरिकी सरकार की ओर से साझा की गई सुरक्षा चिंताओं के बाद भारत सरकार ने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है जो मामले की जांच कर रही है। इसे लेकर अटकलें लगाना और गैर ज़िम्मेदाराना बयान देना मददगार साबित नहीं होगा। *भारत-कनाडा संबंध और होंगे खराब ?* कनाडा के मंत्री के इस बयान के बाद भारत-कनाडा संबध और और ख़राब होने की आशंका जताई जा रही है। कनाडा में ख़ालिस्तान समर्थकों की ओर से भारत विरोधी प्रदर्शनों और खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव लगातार बढ़ा है। कनाडा का आरोप है कि खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है, जबकि भारत इससे इनकार करता रहा है। पिछले दिनों इस मामले में दोनों देशों के बीच तल्ख़ी इतनी बढ़ी कि पिछले दिनों दोनों देशों ने एक दूसरे के कई राजनयिकों को निकाल दिया है। एक-दूसरे के राजनयिकों को निकालने का फ़ैसला तब सामने आया है जब निज्जर हत्या मामले में कनाडा ने भारतीय राजनयिकों और उच्चायोग के दूसरे अधिकारियों को ‘पर्सन्स ऑफ़ इंटरेस्ट’ बताया। इसमें कनाडा में भारत के उच्चायुक्त रहे संजय कुमार वर्मा प्रमुख रूप से शामिल थे।
कमला हैरिस या डोनाल्ड ट्रंप? जानें अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में किसे मिल रहा भारतीयों का समर्थन

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अमेरिका में 5 नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है। देश की दो सबसे बड़े दलों डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन की ओर से कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप चुनावी मैदान में हैं। जहां पहले भी एक बार ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति रह चुके हैं तो वहीं कमला हैरिस वर्तमान में उप राष्ट्रपति हैं।चुनावी सर्वेक्षण में कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है। अभी दो लेटेस्ट सर्वे में दोनों के बीच टाइट फाइट दिख रही है। सीबीसी न्यूज और एबीसी न्यूज के चुनावी सर्वे में डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच 19-20 का ही फर्क दिख रहा है। इस बीच एक नए सर्वे में अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी नागरिकों का डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रति झुकाव कम होता दिख रहा है।जबकि रिपब्लिकन पार्टी के प्रति झुकाव रखने वाले मतदाताओं के आंकड़े में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

रिसर्च और एनालिटिक्स फर्म YouGov के साथ मिलकर कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस सेंटर द्वारा एक सर्वे किया गया है, जिसे '2024 इंडियन-अमेरिकन एटीट्यूड्स' नाम दिया गया है।सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि अभी भी बड़ी संख्या में भारतीय मूल के अमेरिकी मतदाता डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि इस बार भारतीय अमेरिकी मतदाताओं में रिपब्लिकन पार्टी के लिए समर्थन में भी बढ़ोतरी देखी गई है। कई लोग इस बार ट्रंप का समर्थन कर रहे हैं। यह सर्वे 18 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच 714 भारतीय-अमेरिकी नागरिकों के साथ किया गया था।

सर्वेक्षण के अनुसार, पंजीकृत भारतीय-अमेरिकी मतदाता उत्तरदाताओं में से 61 प्रतिशत हैरिस को वोट देने की योजना बना रहे हैं जबकि 32 प्रतिशत ट्रंप को वोट देने का इरादा रखते हैं। इसमें कहा गया है कि 2020 के बाद से ट्रंप को वोट देने के इच्छुक उत्तरदाताओं की हिस्सेदारी में मामूली वृद्धि देखी गई है।दूसरी ओर, 67 प्रतिशत भारतीय-अमेरिकी महिलाएं हैरिस को वोट देने की योजना बना रही हैं जबकि 53 प्रतिशत पुरुषों का कहना है कि वे हैरिस को वोट देने की योजना बना रहे हैं। 

बता दें कि संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय मूल के 52 लाख से अधिक लोग रहते हैं। 2022 के आंकड़ों के आधार पर, अमेरिका में लगभग 26 लाख पात्र भारतीय-अमेरिकी मतदाता हैं। भारतीय अमेरिकियों की औसत घरेलू आय लगभग 153,000 अमेरिकी डॉलर है, जो देश के अन्य समुदायों की तुलना में दोगुने से भी अधिक है।भारतीय-अमेरिकी अब संयुक्त राज्य अमेरिका में दूसरा सबसे बड़ा अप्रवासी समूह हैं। समुदाय की तीव्र जनसांख्यिकीय वृद्धि, राष्ट्रपति चुनाव में कांटे की टक्कर और भारतीय अमेरिकियों की उल्लेखनीय व्यावसायिक सफलता के कारण भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक काफी अहम बनकर उभरे हैं।

'नॉर्थेर्न लाइट्स' से जगमगाने वाला है अमेरिका का आसमान, 11 सालों में सबसे अधिक होगा असर

#northernlightstoglareonamerica'sskythisweekend

The Northern Lights, America

अमेरिका का आसमान इस सप्ताह अंत तक एक रंगीन महाकाव्य अवतार धारण करने के लिए तैयार है, क्योंकि अक्टूबर में हमारे सौर मंडल को उग्र प्रकोप से कोई राहत नहीं मिलने वाली है। स्पेस डॉट कॉम के अनुसार, सूर्य के विशिष्ट 'आग के गोले' के अस्तित्व ने महीने की शुरुआत धमाकेदार तरीके से की और इस सप्ताह की शुरुआत में "अपनी तरह की सबसे शक्तिशाली" सौर ज्वाला को प्रज्वलित किया। हाल ही में हुई सौर ज्वाला के बाद, कुछ उत्तरी अमेरिकी राज्यों के निवासी ऑरोरा बोरेलिस और इसकी आश्चर्यजनक ब्रह्मांडीय आतिशबाजी को देख सकते हैं। स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर (SWPC) ने शुक्रवार, 4 अक्टूबर से रविवार, 6 अक्टूबर तक के लिए G3 (मजबूत) जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म वॉच जारी की।

SWPC ने 4 अक्टूबर को ट्वीट किया: “भू-चुंबकीय तूफान श्रेणी G3 का पूर्वानुमान लगाया गया

दिन के हिसाब से उच्चतम तूफान स्तर का पूर्वानुमान लगाया गया:

अक्टूबर 05: G3 (मजबूत) अक्टूबर 06: G3 (मजबूत) अक्टूबर 07: G1 (मामूली)

जारी करने का समय: 2024 अक्टूबर 04 1857 UTC."

राष्ट्रीय महासागर और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) ने शुरू में पूर्वानुमान लगाया था कि जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म वॉच शनिवार को समाप्त हो जाएगी, लेकिन बाद के अपडेट ने अवधि को रविवार तक बढ़ा दिया। मौसम विज्ञान एजेंसी ने पुष्टि की कि जब तक मौसम अनुकूल है, ऑरोरा चेज़र संभवतः "देखने में काफी सुखद" नृत्य करने वाली ध्रुवीय रोशनी का एक प्रभावशाली दृश्य देख पाएंगे। ध्रुवीय रोशनी के प्रमुख दृश्य के लिए, NOAA ने स्टारगेज़र को ध्रुवों के करीब यात्रा करने की सलाह दी और प्रकाश से बचने की चेतावनी दी। 

उत्तरी लाइट्स कहाँ दिखाई देने की उम्मीद है?

क्लिक ऑन डेट्रॉइट ने बताया कि मिशिगन के सभी लोगों को ध्रुवीय इंद्रधनुष देखने का मौका मिलेगा। फोर्ब्स के अनुसार, महाद्वीपीय अमेरिकी राज्य जो ऑरोरा बोरेलिस के अलौकिक दृश्यों से धन्य हो सकते हैं, उनमें वाशिंगटन, इडाहो, मोंटाना, व्योमिंग, नॉर्थ डकोटा, साउथ डकोटा, मिनेसोटा, आयोवा, विस्कॉन्सिन, मिशिगन, न्यूयॉर्क, वर्मोंट, न्यू हैम्पशायर और मेन शामिल हैं।

हाल ही में हुए सौर फ्लेयर्स के बारे में अधिक जानकारी

सूर्य का 11 साल लंबा चक्र भू-चुंबकीय तूफानों के लिए जिम्मेदार रहा है, जिसके परिणामस्वरूप आकाश में उत्तरी लाइट्स उत्पन्न हुई हैं। सौर चक्र 25 दिसंबर 2019 में शुरू हुआ, और नासा का अनुमान है कि यह अगले साल तक जारी रहेगा। इसके चल रहे चक्र के 2024 के अंत और 2026 की शुरुआत के बीच चरम पर पहुंचने की उम्मीद है, जिससे और अधिक भू-चुंबकीय तूफान आएंगे। बुधवार को X7.1 की तीव्र सौर ज्वाला के बाद गुरुवार को X9.0 की सौर ज्वाला देखी गई - यह असामान्य विकास चक्र 25 में सबसे तीव्र है।

सौर चक्र औसतन 11 वर्ष की अवधि है, जिसके दौरान सूर्य न्यूनतम गतिविधि से अधिकतम और फिर न्यूनतम पर चला जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हर 11 साल में सूर्य अपने चुंबकीय ध्रुवों को पलट देता है," NOAA के प्रवक्ता ने फॉक्स न्यूज़ डिजिटल को बताया। "हालांकि यह कहना मुश्किल है कि भू-चुंबकीय तूफानों के दौरान ऑरोरल सीमा वास्तव में क्या हो सकती है - आम तौर पर G3 [भू-चुंबकीय तूफान] स्तर का ऊपरी छोर उत्तरी न्यूयॉर्क के निवासियों के लिए ऑरोरा देखना संभव बना सकता है," उन्होंने कहा। 

बुरा ना माने अमेरिका, भारत को भी जवाब देने का अधिकार…एस जयशंकर की यूएस को दो टूक

#sjaishankaronamericanpoliticalleadersmakingcommentsin_india

भारत के विदेश मंत्री एस जशंकर ने अमेरिका में बैठकर उसे ही नसीहत दे डाली है। मंगलवार को अमेरिकी के विदेश मंत्री के साथ डॉक्‍टर एस जयशंकर की वाशिंगटन डीसी में मुलाकात हुई तो उन्‍होंने एंटनी ब्लिंकन को पूरी शालीनता के साथ धो डाला। उन्‍होंने एक पत्रकार के सवाल पर ब्लिंकन की मौजूदगी में कहा कि अगर भारत अमेरिका के लोकतंत्र पर कोई टिप्‍पणी करता है तो भी उन्‍हें बुरा नहीं मानना चाहिए। इस दौरान ब्‍लिंकन महज मुस्‍कुराते हुए नजर आए।

जयशंकर ने अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक 'कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस' में एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर आप दो देशों, दो सरकारों के स्तर पर देखें तो हमें लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि लोकतंत्र का परस्पर सम्मान होना। ऐसा नहीं हो सकता कि एक लोकतंत्र को दूसरे पर टिप्पणी करने का अधिकार हो और यह वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा देने का हिस्सा है, लेकिन जब दूसरे ऐसा करते हैं तो यह विदेशी हस्तक्षेप बन जाता है।

जयशंकर का अमेरिका को सख्त संदेश

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि विदेशी हस्तक्षेप विदेशी हस्तक्षेप है, चाहे वह कोई भी करे और कहीं भी हो। मेरा व्यक्तिगत विचार है, जिसे मैंने कई लोगों के साथ साझा किया है। आपको टिप्पणी करने का पूरा अधिकार है, लेकिन मुझे आपकी टिप्पणी पर टिप्पणी करने का भी पूरा अधिकार है। इसलिए जब मैं ऐसा करता हूं तो बुरा नहीं मानना चाहिए। दरअसल हुआ कुछ यूं कि एक पत्रकार ने अमेरिका द्वारा भारतीय लोकतंत्र पर टिप्‍पणी के विषय में सवाल पूछा। जिसके जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका को सख्त संदेश दिया।

जरूरी नहीं कि देश की राजनीति सीमाओं के भीतर ही रहे-जयशंकर

एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया बहुत वैश्वीकृत हो गई है और इसके परिणामस्वरूप किसी भी देश की राजनीति जरूरी नहीं कि उस देश की राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर ही रहे। उन्होंने कहा, अब अमेरिका निश्चित रूप से यह सुनिश्चित करने का विशेष प्रयास करता है कि ऐसा न हो। यह इस बात का हिस्सा है कि आपने कई वर्षों से अपनी विदेश नीति कैसे संचालित की है। अब एक वैश्वीकृत युग में जहां वैश्विक एजेंडे भी वैश्वीकृत हैं, ऐसे पक्ष हैं जो न केवल अपने देश या अपने क्षेत्र की राजनीति को आकार देना चाहते हैं और सोशल मीडिया, आर्थिक ताकतें, वित्तीय प्रवाह, ये सभी आपको ऐसा करने का अवसर देते हैं। आप विमर्श को कैसे आकार देते हैं? तो आपके पास एक पूरा उद्यम है।

भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया-जयशंकर

जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया। यह उसकी आर्थिक, राजनीति एवं रणनीतिक नीति का हिस्सा नहीं रहा है। उन्होंने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि अमेरिका की कुछ नीतियों के कारण भारत को अपने कुछ व्यापार भागीदारों के साथ डॉलर आधारित व्यापार करने में कठिनाई हो रही है।

बुरा ना माने अमेरिका, भारत को भी जवाब देने का अधिकार…एस जयशंकर की यूएस को दो टूक*
#s_jaishankar_on_american_political_leaders_making_comments_in_india *
भारत के विदेश मंत्री एस जशंकर ने अमेरिका में बैठकर उसे ही नसीहत दे डाली है। मंगलवार को अमेरिकी के विदेश मंत्री के साथ डॉक्‍टर एस जयशंकर की वाशिंगटन डीसी में मुलाकात हुई तो उन्‍होंने एंटनी ब्लिंकन को पूरी शालीनता के साथ धो डाला। उन्‍होंने एक पत्रकार के सवाल पर ब्लिंकन की मौजूदगी में कहा कि अगर भारत अमेरिका के लोकतंत्र पर कोई टिप्‍पणी करता है तो भी उन्‍हें बुरा नहीं मानना चाहिए। इस दौरान ब्‍लिंकन महज मुस्‍कुराते हुए नजर आए। जयशंकर ने अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक 'कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस' में एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर आप दो देशों, दो सरकारों के स्तर पर देखें तो हमें लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि लोकतंत्र का परस्पर सम्मान होना। ऐसा नहीं हो सकता कि एक लोकतंत्र को दूसरे पर टिप्पणी करने का अधिकार हो और यह वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा देने का हिस्सा है, लेकिन जब दूसरे ऐसा करते हैं तो यह विदेशी हस्तक्षेप बन जाता है। *जयशंकर का अमेरिका को सख्त संदेश* उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि विदेशी हस्तक्षेप विदेशी हस्तक्षेप है, चाहे वह कोई भी करे और कहीं भी हो। मेरा व्यक्तिगत विचार है, जिसे मैंने कई लोगों के साथ साझा किया है। आपको टिप्पणी करने का पूरा अधिकार है, लेकिन मुझे आपकी टिप्पणी पर टिप्पणी करने का भी पूरा अधिकार है। इसलिए जब मैं ऐसा करता हूं तो बुरा नहीं मानना चाहिए। दरअसल हुआ कुछ यूं कि एक पत्रकार ने अमेरिका द्वारा भारतीय लोकतंत्र पर टिप्‍पणी के विषय में सवाल पूछा। जिसके जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका को सख्त संदेश दिया। *जरूरी नहीं कि देश की राजनीति सीमाओं के भीतर ही रहे-जयशंकर* एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया बहुत वैश्वीकृत हो गई है और इसके परिणामस्वरूप किसी भी देश की राजनीति जरूरी नहीं कि उस देश की राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर ही रहे। उन्होंने कहा, अब अमेरिका निश्चित रूप से यह सुनिश्चित करने का विशेष प्रयास करता है कि ऐसा न हो। यह इस बात का हिस्सा है कि आपने कई वर्षों से अपनी विदेश नीति कैसे संचालित की है। अब एक वैश्वीकृत युग में जहां वैश्विक एजेंडे भी वैश्वीकृत हैं, ऐसे पक्ष हैं जो न केवल अपने देश या अपने क्षेत्र की राजनीति को आकार देना चाहते हैं और सोशल मीडिया, आर्थिक ताकतें, वित्तीय प्रवाह, ये सभी आपको ऐसा करने का अवसर देते हैं। आप विमर्श को कैसे आकार देते हैं? तो आपके पास एक पूरा उद्यम है। *भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया-जयशंकर* जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया। यह उसकी आर्थिक, राजनीति एवं रणनीतिक नीति का हिस्सा नहीं रहा है। उन्होंने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि अमेरिका की कुछ नीतियों के कारण भारत को अपने कुछ व्यापार भागीदारों के साथ डॉलर आधारित व्यापार करने में कठिनाई हो रही है।
భారత్‌కు గుడ్ న్యూస్.. ఆ సంపదను తిరిగిచ్చేస్తున్న అమెరికా..

 4 వేల పురాతన వస్తువులను అమెరికా.. భారత్‌కు ఇచ్చేయడానికి సిద్ధమైంది. భారత్ నుంచి అక్రమంగా తరలించిన అత్యంత విలువైన పురాతన వస్తువులను తిరిగిచ్చేందుకు అమెరికా నిర్ణయం తీసుకుంది. భారత ప్రధానమంత్రి నరేంద్రమోదీ అమెరికా పర్యటన సందర్భంగా ఆ దేశం ఈ నిర్ణయం తీసుకుంది.

 4 వేల పురాతన వస్తువులను (4 Thousand Antiques) అమెరికా (America).. భారత్‌ (India)కు ఇచ్చేయడానికి సిద్ధమైంది. భారత్ నుంచి అక్రమంగా తరలించిన అత్యంత విలువైన పురాతన వస్తువులను తిరిగిచ్చేందుకు అమెరికా నిర్ణయం తీసుకుంది. భారత ప్రధానమంత్రి నరేంద్రమోదీ (PM Modi) అమెరికా పర్యటన (America Tour) సందర్భంగా ఆ దేశం ఈ నిర్ణయం తీసుకుంది. ఇందులో 2వేలు బీసీఈ (BCE) – 19వేల సీఈ (СЕ) - వరకు అంటే 4వేళ ఏళ్ల పరిధిలోని యాంటిక్విటీస్ ఉన్నాయని భారత్ అధికారులు తెలిపారు. ఇండియాకు రానున్న తూర్పు భారతంలోని టెర్రకోట బొమ్మలు, కళాకృతులు; ఇతర ప్రాంతాల్లోని రాతి, లోహ, కలప, ఐవరీ శిల్పాలు.. త్వరలోనే వీటిని భారత్‌కు తరలించనున్నట్లు విదేశాంగ శాఖ అధికారులు ప్రకటించారు.

కాగా ‘‘క్వాడ్‌ కూటమి ఏ దేశానికీ వ్యతిరేకం కాదు. అన్ని దేశాల సార్వభౌమత్వాన్ని గౌరవిస్తాం. భద్రత, అభివృద్ధి చెందుతున్న సాంకేతికత, వాతావరణ మార్పులు, సామర్థ్య నిర్మాణమే మా లక్ష్యం. సమస్యలను శాంతియుతంగా పరిష్కరించుకోవడమే క్వాడ్‌ అభిమతం. మేం(క్వాడ్‌ కూటమి) నిలబడతాం.. బలపడతాం’’ అని భారత ప్రధాని నరేంద్ర మోదీ ఉద్ఘాటించారు. అమెరికా అధ్యక్షుడు జోబైడెన్‌ స్వస్థలమైన విల్మింగ్టన్‌లో ఆదివారం జరిగిన క్వాడ్‌ దేశాధినేతల శిఖరాగ్ర సదస్సులో ఆయన మాట్లాడారు. నాలుగేళ్లక్రితం ఇండో-పసిఫిక్‌ రీజియన్‌లో స్వేచ్ఛాయుత వాణిజ్యం, భద్రత వంటి అంశాలతో అమెరికా, ఆస్ట్రేలియా, జపాన్‌, భారత్‌ కలిసి క్వాడ్‌ కూటమిగా ఏర్పడ్డ విషయం తెలిసిందే..! ఈ కూటమి ఏర్పడి నాలుగేళ్లు పూర్తయిన సందర్భంగా జరిగిన సదస్సులో మోదీ, బైడెన్‌తోపాటు.. ఆస్ట్రేలియా ప్రధాని అల్బనెస్‌, జపాన్‌ ప్రధాని కిషిదా పాల్గొన్నారు.

క్వాడ్‌కు వ్యతిరేకంగా చైనా వ్యాఖ్యలు చేస్తున్న నేపథ్యంలో.. మోదీ ఆ దేశం పేరును ప్రస్తావించకుండా తాము అన్ని దేశాల సార్వభౌమత్వాన్ని గౌరవిస్తామని, ఎవరికీ వ్యతిరేకం కాదని స్పష్టం చేశారు. తమ సందేశం ఒక్కటేనని, బలంగా నిలబడి, సభ్యదేశాల సహకారానికి కృషిచేస్తామని పేర్కొన్నారు. ‘‘ప్రపంచంలో ఉద్రిక్తతలు, సంఘర్షణలు చోటుచేసుకుంటున్న సమయంలో క్వాడ్‌ కూటమి ఏర్పాటైంది. మానవాళి శ్రేయస్సుకు, ప్రజాస్వామ్య విలువల పరిరక్షణకు కంకణబద్ధమైంది. క్వాడ్‌ సదస్సులో ఫలవంతమైన చర్చలు జరిగాయి.

ప్రపంచానికి మేలు జరిగేలా ఇంకా సమర్థంగా పనిచేయాలని నిర్ణయించాం’’ అని ఆయన వ్యాఖ్యానించారు. ఇండో-పసిఫిక్‌ రీజియన్‌లో స్వేచ్ఛాయుత వాణిజ్యానికి సహకరించేందుకు భారత్‌ కట్టుబడి ఉందన్నారు. అంతకు ముందు ఆయన ‘క్వాడ్‌ క్యాన్సర్‌ మూన్‌షాట్‌ ఈవెంట్‌’లో మాట్లాడుతూ.. ఇండో-పసిఫిక్‌ రీజియన్‌ దేశాల్లో గర్భాశయ ముఖద్వార క్యాన్సర్‌ పరీక్షలు, గుర్తింపు, చికిత్సకు భారత్‌ తరఫున రూ.62.61 కోట్ల(7.5 మిలియన్‌ డాలర్లు)ను అందజేస్తామని ప్రకటిస్తూ.. తమ లక్ష్యం ‘ఒక భూగోళం.. ఒక ఆరోగ్యం’ అంటూ నినదించారు. ఈ రీజియన్‌లోని దేశాలకు 4 కోట్ల డోసుల క్యాన్సర్‌ టీకాలను అందజేస్తామన్నారు.

క్వాడ్‌ దేశాధినేతల తదుపరి సదస్సు వచ్చే ఏడాది భారత్‌లో జరగనుంది. నాలుగేళ్ల క్రితం ఈ సంస్థ ఆవిర్భవించగా.. అమెరికా, ఆస్ట్రేలియా, జపాన్‌, భారత్‌లలో సదస్సులు నిర్వహించాలని నిర్ణయించారు. నిజానికి ఈ సంవత్సరం భారత్‌ వంతు కాగా.. తన పదవీకాలం ముగుస్తున్న నేపథ్యంలో తన స్వస్థలంలో సమ్మిట్‌కు అనుమతించాలని అమెరికా అధ్యక్షుడు బైడెన్‌ విజ్ఞప్తి చేశారు. దాంతో.. వచ్చే ఏడాది సదస్సును భారత్‌లో ఏర్పాటు చేయాలని తీర్మానించారు

విల్మింగ్టన్‌లో శనివారం బైడెన్‌-మోదీ ద్వైపాక్షిక చర్చలు జరిపిన విషయం తెలిసిందే..! ఈ చర్చల్లో భాగంగా మోదీపై బైడెన్‌ పొగడ్తల వర్షం కురిపించినట్లు విదేశాంగ శాఖ అధికారులు తెలిపారు. ముఖ్యంగా ఉక్రెయిన్‌లో మోదీ పర్యటన.. శాంతికోసం ఆయన చేస్తున్న కృషిని అభినందించినట్లు వివరించారు. కొవిడ్‌ సమయంలో ‘టీకా మైత్రి’ మొదలు.. ఇటీవలి జీ20 సమ్మిట్‌ వరకు ప్రపంచ క్షేమం కోసం భారత్‌ చేస్తున్న కృషిని కొనియాడినట్లు పేర్కొన్నారు. ఇరువురు నేతల భేటీలో.. సెమీకండక్టర్లు మొదలు.. అంతరిక్షం దాకా పలు అంశాలపై చర్చలు జరిగినట్లు తెలిపారు. భారత్‌-అమెరికా మధ్య కీలకమైన రక్షణ, క్లీన్‌ ఎనర్జీ, గ్లోబల్‌ హెల్త్‌పై ఒప్పందాలు కుదిరినట్లు వెల్లడించారు. ఐక్య రాజ్య సమితి(ఐరాస)లో భారత్‌ శాశ్వత సభ్యత్వానికి కృషిచేస్తానని బైడెన్‌ పేర్కొన్నట్లు వివరించారు.

अमेरिका में टॉप टेक कंपनियों के CEOs के साथ पीएम मोदी की मीटिंग, बताया भारत में निवेश के फायदे

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय अमेरिका दौरे पर हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका दौरे के दूसरे दिन न्यूयॉर्क में टेक कंपनियों के CEOs से मुलाकात की।अमेरिकी टेक कंपनियों के सीईओ के साथ एक राउंडटेबल (गोलमेज) मीटिंग में जहां उन्होंने भारत की विकास संभावनाओं पर जोर दिया और विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने की पहलों पर चर्चा की।यह बैठक लोटे न्यूयॉर्क पैलेस होटल में हुई। इसमें एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग और सेमीकंडक्टर जैसी अत्याधुनिक तकनीकों पर काम करने वाली 15 प्रमुख अमेरिकी फर्मों के सीईओ ने भाग लिया।

बैठक में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पिछले साल जब मैं वाशिंगटन आया था, तब मैं एक कार्यक्रम में शामिल हुआ था, तब भी मुझे आपमे से कई साथियों से मिलने का मौका मिला था। आज एक साल बाद यहां दुनिया के बड़े-बड़े इन्नोवेटर के साथ बैठक कर मैं गर्व महसूस कर रहा हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि, मैं जो ऊर्जा और उत्साह देख रहा हूं और भारत के प्रति जो भरोसा देख रहा हूं। ये वाकई बहुत सुखद है, क्योंकि जब आप जैसे विशेषज्ञ बदलती हुई दुनिया और भारत की संभावनाओं के विषय में कोई बात बताते हैं, तब भारत में भी नीति-निर्धारण के विषय में हमारा विश्वास बढ़ जाता है।

भारत में निवेश की अपील

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आज का भारत सपनों से भरा हुआ है। पीएम मोदी ने कहा कि आज का भारत एम्बीशियस सपने देखता है और उन्हें पूरा करने का भरसक प्रयास भी करता है। हमारा गवर्नेंस पॉलिसी ड्रिवेन है इसलिए जनता ने शायद हमें तीसरी बार चुना है।आज भारत विश्व की सबसे तेजी से ग्रो करने वाली इकॉनमी है। तीसरे कार्यकाल में हम तीसरे स्थान पर होंगे, इसका मुझे उम्मीद है। आपका आना मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पीएम मोदी ने कहा कि आप जिस दुनिया में काम करते हैं और उसका भविष्य आपको पता हो तो काफी वैल्युएबल होता है। कुछ चीजों का सुझाव भी आपने दिया है मेरी टीम ने उसे नोट किया है।

भारत ग्लोबल बायो-टेक पॉवर हाउस बना-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत तेजी से ग्लोबल बायो-टेक पॉवर हाउस के रूप में उभर रहा है। भारत में बायो-फार्मा रिसर्च को प्रमोट करने के लिए एक उपजाऊ पारिस्थितिकी तंत्र भी है। आत्मनिर्भर और सशक्त भारत की विकासयात्रा में आप सभी को मैं एक सहयात्री और सह-भागीदार के रूप में हमेशा देखता हूं। मुझे विश्वास है कि भारत और अमेरिका की टेक कंपनियां मिलकर वैश्विक चुनौतियां के समाधान में अहम रोल निभाएगी।

AI का मतलब समझाया

उन्होंने कहा कि भारत उन पहले देशों में से एक है जिसने AI रणनीतियों पर काम किया है। मेरे लि ए, AI का मतलब है ‘अमेरिका-भारत’। यही वह शक्ति है जिसे हम मजबूत करना चाहते हैं। भारत ने प्रौद्योगिकी के उपयोग को लोकतांत्रिक बनाया है, जिससे विभाजन कम हुआ है। भारत AI के नैतिक उपयोग पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

क्वाड की बैठक में बाइडेन ने ड्रैगन को लेकर दे डाली चेतावनी, पीएम मोदी बोले- हम किसी के खिलाफ नहीं....

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अमेरिका के डेलावेयर के विलमिंगटन में 'क्वाड' नेताओं की बैठक में ऑस्ट्रेलिया, भारत, अमेरिका और जापान के राष्ट्राध्यक्ष शामिल हुए हैं। भारत की तरफ़ से प्रधानमंत्री मोदी ने इस बैठक में शिरकत की है। क्वाड समूह के देशों ने साझा बयान जारी किया, जिसमे खासकर दक्षिण चीन सागर का ज़िक्र है।साझा बयान में कहा गया है, "हम विवादित मुद्दों के सैन्यीकरण और दक्षिणी चीन सागर में बलपूर्वक और डराने-धमकाने के लिए होने वाले युद्धाभ्यासों पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करना जारी रखते हैं। हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि समुद्री विवादों को शांतिपूर्वक और अंतरराष्ट्रीय क़ानून के मुताबिक़ हल किया जाना चाहिए..."

क्वाड भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया द्वारा बनाया गया एक समूह जो इन देशों के बीच अनौपचारिक रणनीतिक वार्ता का एक मंच प्रदान करता है। यह मुक्त, खुले और समृद्ध इंडो-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करता है और इन देशों को एक साथ लाता है। सही मायने में देखा जाए तो इसका मुख्य उद्देश्य इंडो-पैस्फिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभुत्त्व को रोकना है और यहां पावर का चैक एंड बैलेंस बनाए रखना है। इस संगठन के गठन के बाद से ही लगातार ऐसे समझौते हो रहे हैं जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम कर सकें।

क्वाड शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का चीन को लेकर दिया बयान चर्चा में है। बाइडन ने कहा कि उनका मानना है कि 'चीन हम सबकी परीक्षा ले रहा है।' अमेरिकी राष्ट्रपति समूह के दूसरे नेताओं से आपसी बातचीत कर रहे थे, लेकिन उस दौरान उनका माइक ऑन था। जब पत्रकार कार्यक्रम स्थल से निकल रहे थे, तो बाइडन ने दूसरे नेताओं से कहा, 'हमारा मानना है कि शी जिनपिंग घरेलू आर्थिक चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं और चीन में अशांति को कम करना चाहते हैं।'

बाइडन को आगे यह कहते हुए सुना गया कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग 'चीन के हितों को आक्रामक तरीके से बढ़ाने के लिए अपने लिए कूटनीतिक जगह बनाना चाह रहे हैं।' अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, 'चीन आक्रामक रवैया अपनाते हुए आर्थिक और तकनीकी मुद्दों समेत कई मोर्चों पर पूरे क्षेत्र में हम सभी की परीक्षा ले रहा है।'

बाइडन का बयान तब आया है जब सम्मेलन के दौरान सभी चार देश इस बात पर जोर दे रहे थे कि उनका समूह सिर्फ चीन को जवाब देने से कहीं ज्यादा है। 

क्वाड की बैठक में एक तरफ बाइडन ने चीन को लेकर आक्रामक रूख दिखाया। हालांकि, पीएम मोदी ने साफ कहा कि क्वाड किसी देश के खिलाफ नहीं है और यह हमेशा रहेगा।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘हम किसी के खिलाफ नहीं हैं। हम सभी नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, संप्रभुता का सम्मान, क्षेत्रीय अखंडता और सभी मुद्दों का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान करने के सपोर्ट में हैं।’ पीएम मोदी ने यहां किसी देश का नाम तो नहीं लिया, लेकिन साफ तौर पर उनका इशारा चीन की तरफ था।