जेलेंस्की के “झुकने” के बाद भी कम नहीं हुआ ट्रंप का “गुस्सा”, अमेरिका ने यूक्रेन की सैन्य मदद पर लगाई रोक

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की पर बुरी तरह भड़के हुए है। बीते दिनों राष्ट्रपति ट्रंप और जेलेंस्की के बीच नोंकझोंक के बाद स्थिति और बिगड़ गई। इस तकरार के बाद अमेरिका ने तुरंत प्रभाव से यूक्रेन की सैन्य सहायता रोक दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन को दी जाने वाली सभी सैन्य सहायता को रोकने का आदेश दिया है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी रक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ट्रंप प्रशासन ने फैसला किया है कि जब तक यूक्रेन के नेता शांति के लिए साफ नीयत नहीं दिखाते, तब तक सभी सैन्य सहायता रोकी जाएगी। इसका मतलब है कि जो भी अमेरिकी सैन्य उपकरण यूक्रेन को भेजे जाने थे, उन्हें फिलहाल रोक दिया गया है। इसमें वे हथियार भी शामिल हैं जो पहले से जहाजों या विमानों में लोड हो चुके थे या पोलैंड के ट्रांजिट क्षेत्रों में थे।

ब्लूमबर्ग न्यूज ने ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों के हवाले से बताया कि ट्रंप तब तक सभी सहायता रोक देंगे जब तक कि कीव शांति के लिए बात करने के लिए प्रतिबद्धता न दिखाए। ट्रंप ने ये आदेश अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में ज़ेलेंस्की पर आरोप लगाने के कुछ घंटों बाद दिया है। ट्रंप ने आरोप लगाया था कि जेलेंस्की जब तक अमेरिका का समर्थन उनके साथ है शांति नहीं चाहते हैं।

बताया जा रहा है कि ट्रंप रूस के साथ चल रहे युद्ध को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए यूक्रेन पर दबाव बनाना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि जेलेंस्की भी इसमें उनका साथ दें। मगर जेलेंस्की ने युद्ध समाप्त करने के लिए सुरक्षा की गारंटी मांग रहे हैं। इससे पहले जब जेलेंस्की ने कहा कि रूस के साथ युद्ध समाप्ति का समझौता करने का समय अभी नहीं है। तो ट्रंप ने इसे यूक्रेनी नेता का सबसे खराब बयान बताया था। ट्रंप ने कहा था कि जेलेंस्की के इस बयान को अमेरिका अधिक समय तक बर्दाश्त नहीं करेगा।

बता दें कि शुक्रवार को वाशिंगटन में व्हाइट हाउस में जेलेंस्की और ट्रंप की मीटिंग के दौरान विवाद हुआ था। जेलेंस्की वहां एक खनिज समझौते पर हस्ताक्षर करने आए थे, लेकिन जब उन्होंने अमेरिका से भविष्य में रूस के हमले के खिलाफ सुरक्षा गारंटी मांगी। जिसके बाद विवाद बढ़ता गया और यह सौदा रद्द हो गया। बैठक के बाद अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने ज़लेंस्की को 'अकृतज्ञ' कहा, जबकि दूसरी तरफ ट्रंप ने उन पर 'तीसरे विश्व युद्ध के लिए आग भड़काने का आरोप लगाया। डोनाल्ड ट्रंप और जेलेंस्की के बीच हुई तीखी बहस सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है।

ट्रंप ने एक बार फिर पूरी दुनिया को चौंकायाःUN में रूस का दिया साथ, यूक्रेन युद्ध के लिए दोषी मानने से इनकार

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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद वैश्विक राजनीति में बड़े स्तर पर बदलाव की बात कही जा रही थी। ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद इसकी झलकी देखी भी जा रही है। इस बार तो ट्रंप ने ऐसा कुछ किया है कि पूरी दुनिया हैरान है। दरअसल, रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष को लेकर अमेरिका ने अपनी नीतियों में परिवर्तन करते हुए संयुक्त राष्ट्र में रूस का साथ दिया है।

रूस और यूक्रेन युद्ध को तीन साल हो गए हैं। यूरोपीय संघ और यूक्रेन की ओर से रूस के हमले की निंदा से जुड़ा प्रस्ताव पेश किया गया। इस प्रस्ताव के खिलाफ अमेरिका ने वोट दिया। यानी, अब तक यूक्रेन का साथ निभा रहा अमेरिका अब रूस के पक्ष में खड़ा होता दिखाई दे रहा है। वहीं अमेरिका ने यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस को दोषी ठहराने से इनकार कर दिया है।

दरअसल, तीन साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में तीन प्रस्ताव लाए गए थे। इन प्रस्तावों के खिलाफ में अमेरिका ने वोटिंग की है। अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर रूस के जैसे ही वोटिंग की है, जिसमें क्रेमलिन को आक्रामक नहीं बताया गया, और न ही यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता को स्वीकार किया। अमेरिका, रूस, बेलारूस और उत्तर कोरिया ने यूरोपीय संघ के प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया।

ट्रंप का यूरोप के साथ बढ़ते मतभेद की झलक

यह पहली बार है जब रूस-यूक्रेन मुद्दे पर अमेरिका अपने यूरोपीय सहयोगियों के खिलाफ कोई कदम उठाया है। डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद यह अमेरिकी नीति में बड़ा बदलाव दिखाता है। यह डोनाल्ड ट्रंप का यूरोप के साथ बढ़ते मतभेद और पुतिन के साथ करीबी को दिखाता है।

अमेरिका ने अपना एक अलग प्रस्ताव किया पेश

इसके बाद, अमेरिका ने अपना एक अलग प्रस्ताव पेश किया, जिसमें युद्ध समाप्त करने की अपील की गई थी, लेकिन रूस की आक्रामकता का जिक्र नहीं था। जब फ्रांस और यूरोपीय देशों ने इसमें संशोधन जोड़कर रूस को आक्रमणकारी घोषित कर दिया, तो अमेरिका ने मतदान से बचने का फैसला किया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी अमेरिका ने अपने मूल प्रस्ताव पर मतदान कराया, लेकिन 15 सदस्यीय परिषद में 10 देशों ने समर्थन किया, जबकि 5 यूरोपीय देशों ने मतदान से परहेज किया। इससे यह साफ है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका और यूरोप के बीच गहरा मतभेद उभर रहा है। अमेरिका अब रूस को सीधे तौर पर दोष देने से बच रहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।

भारत का मतदान से परहेज

93 देशों ने यूरोप के प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि 18 देशों ने इसका विरोध किया। भारत ने इस दौरान मतदान से परहेज किया। प्रस्ताव में रूस को एक आक्रामक देश बताया गया और उसे यूक्रेन से अपने सैनिकों को हटाने का आह्वान किया गया।

पनामा के होटल में मौजूद भारतीयों तक पहुंची मदद, दूतावास ने कहा-वे सुरक्षित हैं

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अमेरिका ने हाल ही में 300 अवैध अप्रवासियों को डिपोर्ट करके पनामा भेजा है। जहां इन लोगों को एक होटल में हिरासत में रखा गया है। अमेरिका पनामा का इस्तेमाल एक पड़ाव के तौर पर कर रहा है क्योंकि इन अप्रवासियों को उनके मूल देश डिपोर्ट करने में दिक्कत हो रही है। इन अप्रवासियों में से कई अपने देश जाने के लिए तैयार नहीं है। ये लोगों ने अपने होटल की खिड़कियों से मदद की गुहार लगा रहे हैं। इनका कहना है कि ये लोग अपने देश में सुरक्षित नहीं हैं। इनमें से ज्यादातर भारत, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन, वियतनाम और ईरान के हैं।

इधर, अमेरिका से निकाले गए भारतीयों की मदद के लिए भारत पनामा के अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहा है। पनामा में भारतीय दूतावास ने कहा कि सभी प्रवासी होटल में सुरक्षित और संरक्षित हैं। साथ ही दूतावास की टीम भारतीयों को कांसुलर पहुंच मुहैया करा रही है। पनामा, कोस्टारिका और निकारागुआ में स्थित भारतीय दूतावास ने गुरुवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर यह जानकारी साझा की।

पनामा में भारतीय दूतावास ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि पनामा के अधिकारियों ने हमें बताया है कि कुछ भारतीय अमेरिका से पनामा पहुंचे हैं। वे सुरक्षित हैं और एक होटल में ठहरे हैं, जहां सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं। दूतावास की टीम ने उनसे मिलने की अनुमति ले ली है। हम उनकी देखभाल के लिए स्थानीय सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

इससे पहले, अमेरिका से तीन जत्थों में कुल 332 भारतीयों को भारत भेजा जा चुका है। ट्रंप प्रशासन की अवैध अप्रवासियों पर बढ़ती कार्रवाई के बीच यह निर्वासन हुआ है। पनामा आए कुल 299 अवैध अप्रवासियों में से सिर्फ 171 लोगों ने अपने मूल देशों में लौटने की सहमति दी है। जिन 128 निर्वासितों ने अपने देशों में वापस जाने से इनकार कर दिया था, उन्हें पनामा के डेरियन प्रांत के एक शिविर में भेज दिया गया है।संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचआरसी) और अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) बाकी 128 लोगों के लिए विकल्प की तलाश कर रहे हैं, ताकि वे किसी तीसरे देश में बस सकें।

यूक्रेन जंग खत्म करने के लिए सऊदी अरब में अमेरिका-रूस के बीच बातचीत शुरू, जेलेंस्की को न्योता नहीं

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यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के मकसद से अमेरिका और रूस के बीच सऊदी अरब में वार्ता शुरू हो गई है।यह वार्ता अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच सऊदी अरब की राजधानी रियाद में हो रही है। हालांकि, इस वार्ता में यूक्रेन की तरफ से कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं है। दरअसल, यूक्रेन को वार्ता के लिए नहीं बुलाया गया है। खुद यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि उन्हें वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है।

अमेरिका की ओर से विदेश मंत्री मार्को रुबियो, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज और पश्चिम एशिया के लिए डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विट्कॉफ बैठक में मौजूद रहे। जबकि रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लावरोव करेंगे और उसमें पुतिन के सलाहकार यूरी यूशाकोव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। वहीं, यूक्रेन को इस बैठक में नहीं बुलाया गया है। जबकि यह बातचीत यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध को खत्म करने के उद्देश्य से हो रही है। रूस और अमेरिका इस बैठक के दो पक्ष हैं और सऊदी मध्यस्थ की भूमिका मे है।

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने सोमवार को स्पष्ट रूप से कहा है कि उनका देश युद्ध समाप्त करने के लिए इस सप्ताह अमेरिका-रूस वार्ता में भाग नहीं लेगा। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि यूक्रेन इस वार्ता में भाग नहीं लेगा इसलिए वह वार्ता के नतीजों को भी स्वीकार नहीं करेगा। यूएई में एक कांफ्रेंस कॉल के दौरान जेलेंस्की ने पत्रकारों से कहा, उनकी सरकार को सऊदी अरब में मंगलवार की नियोजित वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था।

यूरोपीय संघ को भी चर्चा में शामिल नहीं किया गया है। यूरोपीय नेताओं ने इस पर एतराज जताते हुए किसी भी शांति वार्ता में अपनी भागीदारी की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि एक निष्पक्ष और स्थायी शांति के लिए उनकी मौजूदगी जरूरी है।

फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब में यह बैठक यूक्रेन पर रूसी हमले के तीन साल बाद हो रही है। अमेरिका की शांति समझौते में भूमिका की वजह से इसे अहम माना जा रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग और रूस के अधिकारियों में बातचीत राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हाल ही में फोन पर चर्चा के बाद हो रही है। 12 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डेढ़ घंटे तक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ टेलीफोन पर वार्ता कर संबंधों को सामान्य बनाने की प्रक्रिया शुरू की है। फोन पर दोनों नेताओं ने यूक्रेन पर तुरंत शांति वार्ता शुरू करने पर सहमति जताई थी।

यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद रूस को अलग-थलग करने की अमेरिकी नीति में बदलाव किया है। इससे पहले अमेरिका यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद उसे अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा था। अब दोनों देश को शीर्ष अधिकारी मिले हैं। यह बातचीत डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के बीच बैठक का रास्ता भी खोल सकती है।

अमेरिका पहुंचे पीएम मोदी, हुआ जोरदार स्वागत, लगे 'मोदी-मोदी' के नारे
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* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन की अमेरिका की यात्रा पर हैं। गुरुवार को पीएम मोदी जॉइंट एंड्रूज बेस पर उतरे, जहां भारतीय समुदाय के सदस्यों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। भारतीय प्रवासी प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करने के लिए ब्लेयर हाउस के बाहर जमा हुए और कड़ाके की ठंड के बावजूद 'मोदी, मोदी' के नारे गूंज रहे थे, भीड़ ने जयकारे लगाए और भारतीय तिरंगा भी लहराया। पीएम मोदी ने लोगों से बातचीत की और उनके गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए आभार व्यक्त किया। लोगों ने भारत और अमेरिका के झंडे और 'अमेरिका नरेंद्र मोदी का स्वागत करता है' लिखे पोस्टर लिए हुए थे और पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा पर उत्साह व्यक्त किया। बुधवार की सुबह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पीएम मोदी ने कहा,'सर्दियों की ठंड में गर्मजोशी से स्वागत! ठंड के मौसम के बावजूद, वाशिंगटन डीसी में भारतीय प्रवासियों ने मेरा बहुत ही खास स्वागत किया है। मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं।' अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निमंत्रण पर पीएम मोदी दो दिनों की यात्रा पर अमेरिका गए हुए हैं। इस दौरे पर उनके साथ विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल मौजूद हैं। अमेरिका में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा और अन्य अधिकारियों ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया। डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति बनने के बाद पीएम मोदी की यह पहली अमेरिका यात्रा है। अमेरिका के वाशिंगटन डीसी पहुंचने पर पीएम मोदी ने कहा कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने और भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने और भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हूं। हमारे देश अपने लोगों के लाभ और बेहतर भविष्य के लिए मिलकर काम करते रहेंगे।
'मैं अपने दोस्त ट्रंप से मिलने के लिए उत्सुक'; फ्रांस-अमेरिका की यात्रा से पहले बोले पीएम मोदी
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प्रधानमंत्री मोदी अपने विदेश दौरे के लिए रवाना हो चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी AI एक्शन समिट की सह-अध्यक्षता करने के लिए फ्रांस रवाना हुए। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों और प्रधानमंत्री मोदी फ्रांस में पहले भारतीय वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन करने और अंतर्राष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर परियोजना का दौरा करने के लिए मार्सिले भी जाएंगे। फ्रांस से पीएम मोदी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के न्योते पर अमेरिका की दो दिवसीय यात्रा पर जाएंगे। अपने दौरे से पहले पीएम मोदी ने कहा है कि मैं अपने दोस्त ट्रंप से मिलने के लिए उत्सुक हूं।

पीएम मोदी ने आज देश से बाहर जाने से पहले एक बयान में कहा, अगले कुछ दिनों में मैं विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए फ्रांस और अमेरिका में रहूंगा। फ्रांस यात्रा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के निमंत्रण पर फ्रांस का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह एआई एक्शन समिट की सह-अध्यक्षता करने के लिए उत्सुक हैं। इसमें वे समावेशी, सुरक्षित और भरोसेमंद तरीके से नवाचार और व्यापक सार्वजनिक भलाई के लिए एआई प्रौद्योगिकी के सहयोगात्मक दृष्टिकोण पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि यह यात्रा भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी के लिए 2047 के रोडमैप पर प्रगति की समीक्षा करने का अवसर भी होगी।

पीएम मोदी ने अमेरिका यात्रा को लेकर कहा कि वह हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले डोनाल्ड ट्रंप से मिलने के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने आगे कहा कि उनकी अमेरिकी यात्रा भारत-अमेरिका के रिश्तों को और मजबूत करेगी। हम दोनों देशों के लोगों के पारस्परिक लाभ के लिए मिलकर काम करेंगे और दुनिया के लिए बेहतर भविष्य को आकार देंगे। मेरे पास भारत और अमेरिका के बीच व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के निर्माण में उनके पहले कार्यकाल में एक साथ काम करने की बहुत अच्छी यादें हैं।
अवैध भारतीय प्रवासी: एक गहरी समस्या और अमेरिका में उनकी स्थिति

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Picture used in reference (CNN)

अमेरिका, जो विश्व में अपने सशक्त अर्थव्यवस्था और बेहतरीन अवसरों के लिए प्रसिद्ध है, लाखों लोगों का सपना है। हर साल, हजारों भारतीय नागरिक अमेरिका में नौकरी, शिक्षा, और बेहतर जीवन के लिए जाते हैं। हालांकि, कुछ लोग कानूनी तरीके से अमेरिका में प्रवेश करने में नाकाम रहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप वे अवैध प्रवासी बन जाते हैं। भारत के नागरिकों के लिए यह मुद्दा दिन-ब-दिन गंभीर होता जा रहा है। हाल ही में, अमेरिका द्वारा 205 अवैध भारतीय प्रवासियों को स्वदेश भेजने के कदम ने इस समस्या को और भी उजागर किया है।

अवैध प्रवासी कौन होते हैं?

अवैध प्रवासी वे लोग होते हैं जो किसी भी देश में बिना कानूनी दस्तावेजों या अनुमति के रहते हैं। ये लोग या तो वीज़ा की अवधि समाप्त होने के बाद भी वहां बने रहते हैं, या फिर बिना वीज़ा के ही देश में प्रवेश कर लेते हैं। अमेरिका में भारतीय अवैध प्रवासी के रूप में रहने वाले लोग, अधिकतर या तो रोजगार के लिए अमेरिका गए थे, या फिर परिवारों के साथ रहते हुए वीज़ा की अवधि समाप्त कर चुके हैं।

अवैध भारतीय प्रवासियों का अमेरिका में प्रवेश

1. वीज़ा समाप्त होने के बाद अतिक्रमण

  अमेरिका में जाने वाले भारतीय नागरिकों की बड़ी संख्या पर्यटक वीज़ा, छात्र वीज़ा या कार्य वीज़ा पर जाते हैं। हालांकि, इनमें से कई लोग वीज़ा की अवधि समाप्त होने के बाद भी अमेरिका में रहते हैं और उनके पास वैध दस्तावेज नहीं होते।  

2. फर्जी दस्तावेजों का उपयोग

  कुछ लोग फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से अमेरिका प्रवेश करते हैं। ये दस्तावेज़ वीज़ा, शरण या अन्य कानूनी कारणों के रूप में हो सकते हैं। जब यह धोखाधड़ी सामने आती है, तो इन्हें अवैध प्रवासी के रूप में माना जाता है।  

3. शरणार्थी के रूप में प्रवेश 

  कुछ भारतीय नागरिक राजनीतिक या धार्मिक कारणों से शरणार्थी के रूप में अमेरिका आते हैं। हालांकि, कई बार इनकी स्थिति की सही जांच नहीं होती और वे अवैध रूप से अमेरिका में रह जाते हैं।  

अवैध प्रवासियों के लिए अमेरिका में जीवन

अवैध रूप से अमेरिका में रहने वाले भारतीय नागरिकों को बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं में प्रमुख हैं:

1.कानूनी सुरक्षा की कमी  

  अवैध प्रवासियों के पास कोई कानूनी सुरक्षा नहीं होती। यदि अमेरिकी सरकार द्वारा उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है, तो वे बिना किसी बचाव के देश से बाहर भेजे जा सकते हैं।  

2. आर्थिक कठिनाइयाँ

  अवैध प्रवासी रोजगार प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करते हैं, क्योंकि उन्हें काम करने के लिए कानूनी दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है। हालांकि, वे अक्सर अंशकालिक या असंगठित क्षेत्रों में काम करते हैं, जहाँ मजदूरी कम और अधिकार न के बराबर होते हैं।  

3. स्वास्थ्य सेवाओं की कमी 

  अवैध प्रवासी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं उठा सकते। वे बिना बीमा या अन्य सरकारी सेवाओं के मेडिकल सेवाओं के लिए संघर्ष करते हैं।  

4. शैक्षिक अवसरों की कमी

  अवैध प्रवासियों के बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने में समस्याएँ होती हैं। अधिकांश राज्य अवैध प्रवासियों के बच्चों को सार्वजनिक स्कूलों में दाखिला देने से मना कर सकते हैं।  

अमेरिका का रुख और कार्रवाई

अमेरिका में अवैध प्रवासियों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। अमेरिकी प्रशासन ने कई बार इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की है और अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें स्वदेश भेजने की प्रक्रिया को तेज किया है।

1. "डीपी" (Deferred Action for Childhood Arrivals - DACA) नीति

  यह नीति विशेष रूप से उन बच्चों के लिए है जो अवैध रूप से अमेरिका में आकर बड़े हुए हैं। इसे "ड्रीमर्स" कहा जाता है। हालांकि, यह नीति सख्त नहीं है और बार-बार इसकी स्थिति पर सवाल उठते रहे हैं।  

2. आव्रजन और कस्टम्स प्रवर्तन (ICE)

  ICE अमेरिकी सरकार का एक प्रमुख विभाग है, जो अवैध प्रवासियों को ट्रैक करता है और उन्हें देश से बाहर करने के लिए कार्रवाई करता है। 

3. स्वदेश वापसी की योजनाएं

  अमेरिकी सरकार कई कार्यक्रमों के तहत अवैध प्रवासियों को स्वदेश भेजने की योजना बनाती है। हाल ही में, 205 अवैध भारतीय प्रवासियों को सी-17 विमान से स्वदेश भेजने की योजना के तहत यह कार्रवाई की गई।

भारत में अवैध प्रवासियों की स्थिति

भारत में अवैध प्रवासियों की वापसी के बाद, उन्हें स्थानीय समुदाय में समायोजित करने की प्रक्रिया भी चुनौतीपूर्ण होती है। भारत सरकार के पास इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट नीति नहीं है, जिससे इन व्यक्तियों को पुनः स्थापित करने में समस्याएँ आती हैं। 

1. स्वदेश लौटने पर चुनौतियाँ

  कई बार अवैध प्रवासियों के लिए स्वदेश लौटना कोई आसान रास्ता नहीं होता। उनके पास सीमित संसाधन होते हैं, और वे वापस अपने देश में पुनः समायोजित होने के लिए संघर्ष करते हैं।  

2.आर्थिक और मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियाँ

  अवैध प्रवासी अक्सर आर्थिक दृष्टिकोण से कमजोर होते हैं। उन्हें मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएँ भी हो सकती हैं, क्योंकि उन्हें लंबे समय तक दबाव और डर का सामना करना पड़ता है।  

अवैध प्रवासियों के लिए समाधान

अवैध प्रवासियों की समस्या केवल एक देश की नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक मुद्दा बन चुकी है। इसके समाधान के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं:

1. कानूनी मार्गों का विस्तार  

  देशों को अपने आव्रजन नियमों को सुधारने की आवश्यकता है। यदि उचित और वैध मार्ग उपलब्ध हों, तो लोग अवैध तरीके से प्रवेश करने की कोशिश नहीं करेंगे।  

2. कानूनी सहायता  

  अवैध प्रवासियों को कानूनी सहायता मिलनी चाहिए, ताकि वे अपनी स्थिति को समझ सकें और उचित कदम उठा सकें।  

3. शरणार्थी नीति का सुधार

  देशों को शरणार्थियों के मामलों की अधिक गहराई से जांच करनी चाहिए और उन लोगों को मान्यता देनी चाहिए जो सचमुच शरण के योग्य हैं।  

अवैध प्रवासियों की समस्या केवल भारत या अमेरिका तक सीमित नहीं है। यह एक वैश्विक समस्या है, जिसके समाधान के लिए देशों को सामूहिक रूप से कदम उठाने की आवश्यकता है। भारत के नागरिकों की अमेरिका में अवैध स्थिति एक जटिल मुद्दा है, लेकिन इसे कानूनी ढंग से सुलझाया जा सकता है। इसके लिए दोनों देशों को मिलकर प्रयास करने होंगे ताकि इस समस्या का समाधान निकाला जा सके और भविष्य में इस तरह की स्थितियों से बचा जा सके।

तय हो गया पीएम मोदी का अमेरिका दौरा, 12 फरवरी की तारीख तय, व्हाइट हाउस में खुद डिनर होस्ट करेंगे डोनाल्ड ट्रंप

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 फरवरी को अमेरिका का दौरा कर सकते हैं। जहां वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ व्यापक चर्चा करेंगे। विदेश मंत्रालय (एमईए) के सूत्रों ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को इसकी जानकारी दी।ट्रंप के दूसरी बार अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद यह मोदी की वाशिंगटन की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी। उनकी यह पहली यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों के रणनीतिक महत्व को रेखांकित करती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 फरवरी की शाम को फ्रांस से एआई सम्मेलन में भाग लेकर अमेरिका पहुंचने की उम्मीद है। पीएम मोदी फ्रांस में 10-11 फरवरी को ग्रैंड पैलेस में एआई एक्शन समिट में भाग लेंगे। फ्रांस की दो दिवसीय यात्रा के वो 12 फरवरी को अमेरिका पहुंचेंगे। वो 14 फरवरी तक अमेरिकी राजधानी में रहेंगे। इस दौरान पीएम मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से 13 फरवरी को मुलाकात होने की संभावना है। ट्रंप पीएम मोदी के दौरे के दौरान उनके लिए एक रात्रिभोज भी आयोजित कर सकते हैं।

हालांकि पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा का आधिकारिक विवरण अभी तक सामने नहीं आया है, लेकिन चर्चा व्यापार, रक्षा सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा, विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर केंद्रित रहने की उम्मीद है। बता दें कि ट्रंप ने 20 जनवरी को आधिकारिक तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। उनके शपथ ग्रहण के बाद, पीएम मोदी ने 27 जनवरी को उनसे फोन पर बात की थी।

भारतीयों के खिलाफ ट्रंप का एक्शन शुरू, अमेरिका से अवैध प्रवासियों को लेकर सेना का पहला विमान भारत रवाना

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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद अमेरिका ने अवैध प्रवासियों को निकालना शुरू कर दिया है। तक अमेरिका द्वारा दक्षिण अमेरिकी देशों के अवैध अप्रवासियों को निर्वासित किया जा रहा था, लेकिन अब भारत के अवैध अप्रवासियों पर भी कार्रवाई शुरू हो गई है। इसी के तहत अमेरिका से सोमवार को एक अमेरिकी सैन्य विमान प्रवासियों को लेकर भारत के लिए रवाना हो गया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से बताया है कि सी-17 सैन्य विमान प्रवासियों को लेकर रवाना हुआ है।

सेना की मदद से निर्वासन अभियान

अमेरिका में सत्ता संभालने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश में अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने इमिग्रेशन एजेंडे को पूरा करने के लिए सेना की मदद ली है, जिसके तहत ही सैन्य एयरक्राफ्ट की मदद से लोगों को डिपोर्ट करने का काम शुरू किया जा चुका है। इसी के बाद अब अमेरिका में बसे भारतीय अवैध प्रवासियों को भारत डिपोर्ट करने के लिए अमेरिका से C-17 विमान रवाना हो गया है। अमेरिकी अधिकारी ने कहा, अमेरिका का एक सैन्य विमान C-17 भारतीय प्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए रवाना हो गया है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह विमान अगले 24 घंटे तक भारत नहीं पहुंचेगा।

अलग-अलग जगहों के लिए डिपोर्ट किए जा रहे अप्रवासी

इसी के साथ पेंटागन ने एल पासो, टेक्सास और सैन डिएगो, कैलिफोर्निया में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा रखे गए 5,000 से अधिक अप्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए फ्लाइट देना भी शुरू कर दिया है। अब तक, सैन्य विमान प्रवासियों को ग्वाटेमाला, पेरू और होंडुरास ले गए हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने कहा है कि अमेरिका के एल पासो, टेक्सास और सैन डिएगा, कैलिफोर्निया से पांच हजार से ज्यादा अवैध अप्रवासियों को लेकर जल्द ही सेना के विमान उड़ान भरेंगे।

लगभग 18,000 अवैध भारतीयों की पहचान का दावा

डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद पहली बार भारतीय अवैध प्रवासियों को भारत डिपोर्ट किया जाएगा। ट्रंप और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ अपनी-अपनी बातचीत के दौरान अमेरिका में बसे अवैध भारतीयों को लेकर पहले ही चिंता जताई थी। राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी से बातचीत के बाद कहा था कि उन्होंने इमिग्रेशन को लेकर पीएम से बात की थी। साथ ही उन्होंने कहा था कि जब अवैध अप्रवासियों को वापस लेने की बात आएगी तो भारत वही करेगा जो सही होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका ने लगभग 18,000 भारतीय अप्रवासियों की पहचान की है जो अवैध रूप से अमेरिका में हैं।

करीब 1.1 करोड़ अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करेंगे ट्रंप

राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद ही डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका से करीब 1.1 करोड़ अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करने की बात कही थी। पिछले सप्ताह ही अमेरिकी सेना ने लैटिन अमेरिकी देशों में अवैध अप्रवासियों को लेकर छह उड़ानें भरी हैं। हालांकि कोलंबिया ने अमेरिका के विमानों को अपने देश में उतरने की इजाजत नहीं दी थी, लेकिन ट्रंप के सख्त रुख के बाद कोलंबिया ने अपने नागरिकों को लाने के लिए अपने ही विमान भेजे थे।

वॉशिंगटन डीसी में बड़ा हादसा, सेना के हेलीकॉप्टर से टकराया यात्री विमान, 60 लोग थे सवार

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अमेरिका में व्हाइट हाउस के पास बड़ा विमान हादसा हो गया है। हादसे के बाद विमान पोटोमैक नदी में गिर गया। विमान में 60 लोग सवार थे। जानकारी के मुताबिक, हादसा एक हेलीकॉप्टर से प्लेन के टकराने की वजह से हुआ। क्रैश के बाद यात्रियों से भरा विमान और हेलीकॉप्‍टर दोनों पोटोमैक नदी में गिर जा गिरे। नदी से दो शव निकाले गए हैं। सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। हादसे के बाद से रीगन नेशनल एयरपोर्ट पर सभी उड़ानें अस्थायी रूप से रोक दी गई हैं।

अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में व्हाइट हाउस के पास ये हादसा हुआ। वॉशिंगटन के रोनाल्ड रिगन इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास ये हादसा हुआ है। यह विमान कंसास सिटी से वॉशिंगटन जा रहा था। लैंडिंग के दौरान यह हेलीकॉप्टर से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई।अमेरिकन एयरलाइंस ने पुष्टि की कि विमान में 60 यात्री और चार चालक दल के सदस्य सवार थे। समाचार एजेंसी एएफपी ने अमेरिकी सेना के हवाले से बताया कि ब्लैक हॉक सिकोरस्की एच-60 नामक हेलीकॉप्टर में तीन सैनिक सवार थे।

जहां पर मौजूद थे ट्रंप, वहां से कुछ दूर पर विमान हादसा

व्हाइट हाउस से एयरपोर्ट के बीच एयर डिस्टेंस तीन किलोमीटर से भी कम है। जिस समय यह हादसा हुआ, ट्रंप उस समय व्हाइट हाउस में मौजूद थे। यह हादसा है या साजिश, फिलहाल इसका पता नहीं चला है। मिलिट्री हेलीकॉप्टर के अचानक आने से कई सवाल उठे हैं।

राहत एवं बचाव कार्य जारी

इस बीच अमेरिकी गृह मंत्री ने कहा कि दुर्घटना के बाद राहत एवं बचाव कार्य के लिए तटरक्षक बल सभी उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल कर रहा है। संघीय विमानन प्रशासन (एफएए) ने बताया कि यह टक्कर पूर्वी मानक समयानुसार रात लगभग नौ बजे हुई, जब कंसास के विचिटा से उड़ान भरने वाला एक क्षेत्रीय विमान हवाई अड्डे के रनवे पर पहुंचते समय एक सैन्य ‘ब्लैकहॉक’ हेलीकॉप्टर से टकरा गया।

जेलेंस्की के “झुकने” के बाद भी कम नहीं हुआ ट्रंप का “गुस्सा”, अमेरिका ने यूक्रेन की सैन्य मदद पर लगाई रोक

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की पर बुरी तरह भड़के हुए है। बीते दिनों राष्ट्रपति ट्रंप और जेलेंस्की के बीच नोंकझोंक के बाद स्थिति और बिगड़ गई। इस तकरार के बाद अमेरिका ने तुरंत प्रभाव से यूक्रेन की सैन्य सहायता रोक दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन को दी जाने वाली सभी सैन्य सहायता को रोकने का आदेश दिया है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी रक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ट्रंप प्रशासन ने फैसला किया है कि जब तक यूक्रेन के नेता शांति के लिए साफ नीयत नहीं दिखाते, तब तक सभी सैन्य सहायता रोकी जाएगी। इसका मतलब है कि जो भी अमेरिकी सैन्य उपकरण यूक्रेन को भेजे जाने थे, उन्हें फिलहाल रोक दिया गया है। इसमें वे हथियार भी शामिल हैं जो पहले से जहाजों या विमानों में लोड हो चुके थे या पोलैंड के ट्रांजिट क्षेत्रों में थे।

ब्लूमबर्ग न्यूज ने ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों के हवाले से बताया कि ट्रंप तब तक सभी सहायता रोक देंगे जब तक कि कीव शांति के लिए बात करने के लिए प्रतिबद्धता न दिखाए। ट्रंप ने ये आदेश अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में ज़ेलेंस्की पर आरोप लगाने के कुछ घंटों बाद दिया है। ट्रंप ने आरोप लगाया था कि जेलेंस्की जब तक अमेरिका का समर्थन उनके साथ है शांति नहीं चाहते हैं।

बताया जा रहा है कि ट्रंप रूस के साथ चल रहे युद्ध को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए यूक्रेन पर दबाव बनाना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि जेलेंस्की भी इसमें उनका साथ दें। मगर जेलेंस्की ने युद्ध समाप्त करने के लिए सुरक्षा की गारंटी मांग रहे हैं। इससे पहले जब जेलेंस्की ने कहा कि रूस के साथ युद्ध समाप्ति का समझौता करने का समय अभी नहीं है। तो ट्रंप ने इसे यूक्रेनी नेता का सबसे खराब बयान बताया था। ट्रंप ने कहा था कि जेलेंस्की के इस बयान को अमेरिका अधिक समय तक बर्दाश्त नहीं करेगा।

बता दें कि शुक्रवार को वाशिंगटन में व्हाइट हाउस में जेलेंस्की और ट्रंप की मीटिंग के दौरान विवाद हुआ था। जेलेंस्की वहां एक खनिज समझौते पर हस्ताक्षर करने आए थे, लेकिन जब उन्होंने अमेरिका से भविष्य में रूस के हमले के खिलाफ सुरक्षा गारंटी मांगी। जिसके बाद विवाद बढ़ता गया और यह सौदा रद्द हो गया। बैठक के बाद अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने ज़लेंस्की को 'अकृतज्ञ' कहा, जबकि दूसरी तरफ ट्रंप ने उन पर 'तीसरे विश्व युद्ध के लिए आग भड़काने का आरोप लगाया। डोनाल्ड ट्रंप और जेलेंस्की के बीच हुई तीखी बहस सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है।

ट्रंप ने एक बार फिर पूरी दुनिया को चौंकायाःUN में रूस का दिया साथ, यूक्रेन युद्ध के लिए दोषी मानने से इनकार

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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद वैश्विक राजनीति में बड़े स्तर पर बदलाव की बात कही जा रही थी। ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद इसकी झलकी देखी भी जा रही है। इस बार तो ट्रंप ने ऐसा कुछ किया है कि पूरी दुनिया हैरान है। दरअसल, रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष को लेकर अमेरिका ने अपनी नीतियों में परिवर्तन करते हुए संयुक्त राष्ट्र में रूस का साथ दिया है।

रूस और यूक्रेन युद्ध को तीन साल हो गए हैं। यूरोपीय संघ और यूक्रेन की ओर से रूस के हमले की निंदा से जुड़ा प्रस्ताव पेश किया गया। इस प्रस्ताव के खिलाफ अमेरिका ने वोट दिया। यानी, अब तक यूक्रेन का साथ निभा रहा अमेरिका अब रूस के पक्ष में खड़ा होता दिखाई दे रहा है। वहीं अमेरिका ने यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस को दोषी ठहराने से इनकार कर दिया है।

दरअसल, तीन साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में तीन प्रस्ताव लाए गए थे। इन प्रस्तावों के खिलाफ में अमेरिका ने वोटिंग की है। अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर रूस के जैसे ही वोटिंग की है, जिसमें क्रेमलिन को आक्रामक नहीं बताया गया, और न ही यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता को स्वीकार किया। अमेरिका, रूस, बेलारूस और उत्तर कोरिया ने यूरोपीय संघ के प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया।

ट्रंप का यूरोप के साथ बढ़ते मतभेद की झलक

यह पहली बार है जब रूस-यूक्रेन मुद्दे पर अमेरिका अपने यूरोपीय सहयोगियों के खिलाफ कोई कदम उठाया है। डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद यह अमेरिकी नीति में बड़ा बदलाव दिखाता है। यह डोनाल्ड ट्रंप का यूरोप के साथ बढ़ते मतभेद और पुतिन के साथ करीबी को दिखाता है।

अमेरिका ने अपना एक अलग प्रस्ताव किया पेश

इसके बाद, अमेरिका ने अपना एक अलग प्रस्ताव पेश किया, जिसमें युद्ध समाप्त करने की अपील की गई थी, लेकिन रूस की आक्रामकता का जिक्र नहीं था। जब फ्रांस और यूरोपीय देशों ने इसमें संशोधन जोड़कर रूस को आक्रमणकारी घोषित कर दिया, तो अमेरिका ने मतदान से बचने का फैसला किया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी अमेरिका ने अपने मूल प्रस्ताव पर मतदान कराया, लेकिन 15 सदस्यीय परिषद में 10 देशों ने समर्थन किया, जबकि 5 यूरोपीय देशों ने मतदान से परहेज किया। इससे यह साफ है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका और यूरोप के बीच गहरा मतभेद उभर रहा है। अमेरिका अब रूस को सीधे तौर पर दोष देने से बच रहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।

भारत का मतदान से परहेज

93 देशों ने यूरोप के प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि 18 देशों ने इसका विरोध किया। भारत ने इस दौरान मतदान से परहेज किया। प्रस्ताव में रूस को एक आक्रामक देश बताया गया और उसे यूक्रेन से अपने सैनिकों को हटाने का आह्वान किया गया।

पनामा के होटल में मौजूद भारतीयों तक पहुंची मदद, दूतावास ने कहा-वे सुरक्षित हैं

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अमेरिका ने हाल ही में 300 अवैध अप्रवासियों को डिपोर्ट करके पनामा भेजा है। जहां इन लोगों को एक होटल में हिरासत में रखा गया है। अमेरिका पनामा का इस्तेमाल एक पड़ाव के तौर पर कर रहा है क्योंकि इन अप्रवासियों को उनके मूल देश डिपोर्ट करने में दिक्कत हो रही है। इन अप्रवासियों में से कई अपने देश जाने के लिए तैयार नहीं है। ये लोगों ने अपने होटल की खिड़कियों से मदद की गुहार लगा रहे हैं। इनका कहना है कि ये लोग अपने देश में सुरक्षित नहीं हैं। इनमें से ज्यादातर भारत, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन, वियतनाम और ईरान के हैं।

इधर, अमेरिका से निकाले गए भारतीयों की मदद के लिए भारत पनामा के अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहा है। पनामा में भारतीय दूतावास ने कहा कि सभी प्रवासी होटल में सुरक्षित और संरक्षित हैं। साथ ही दूतावास की टीम भारतीयों को कांसुलर पहुंच मुहैया करा रही है। पनामा, कोस्टारिका और निकारागुआ में स्थित भारतीय दूतावास ने गुरुवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर यह जानकारी साझा की।

पनामा में भारतीय दूतावास ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि पनामा के अधिकारियों ने हमें बताया है कि कुछ भारतीय अमेरिका से पनामा पहुंचे हैं। वे सुरक्षित हैं और एक होटल में ठहरे हैं, जहां सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं। दूतावास की टीम ने उनसे मिलने की अनुमति ले ली है। हम उनकी देखभाल के लिए स्थानीय सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

इससे पहले, अमेरिका से तीन जत्थों में कुल 332 भारतीयों को भारत भेजा जा चुका है। ट्रंप प्रशासन की अवैध अप्रवासियों पर बढ़ती कार्रवाई के बीच यह निर्वासन हुआ है। पनामा आए कुल 299 अवैध अप्रवासियों में से सिर्फ 171 लोगों ने अपने मूल देशों में लौटने की सहमति दी है। जिन 128 निर्वासितों ने अपने देशों में वापस जाने से इनकार कर दिया था, उन्हें पनामा के डेरियन प्रांत के एक शिविर में भेज दिया गया है।संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचआरसी) और अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) बाकी 128 लोगों के लिए विकल्प की तलाश कर रहे हैं, ताकि वे किसी तीसरे देश में बस सकें।

यूक्रेन जंग खत्म करने के लिए सऊदी अरब में अमेरिका-रूस के बीच बातचीत शुरू, जेलेंस्की को न्योता नहीं

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यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के मकसद से अमेरिका और रूस के बीच सऊदी अरब में वार्ता शुरू हो गई है।यह वार्ता अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच सऊदी अरब की राजधानी रियाद में हो रही है। हालांकि, इस वार्ता में यूक्रेन की तरफ से कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं है। दरअसल, यूक्रेन को वार्ता के लिए नहीं बुलाया गया है। खुद यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि उन्हें वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है।

अमेरिका की ओर से विदेश मंत्री मार्को रुबियो, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज और पश्चिम एशिया के लिए डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विट्कॉफ बैठक में मौजूद रहे। जबकि रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लावरोव करेंगे और उसमें पुतिन के सलाहकार यूरी यूशाकोव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। वहीं, यूक्रेन को इस बैठक में नहीं बुलाया गया है। जबकि यह बातचीत यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध को खत्म करने के उद्देश्य से हो रही है। रूस और अमेरिका इस बैठक के दो पक्ष हैं और सऊदी मध्यस्थ की भूमिका मे है।

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने सोमवार को स्पष्ट रूप से कहा है कि उनका देश युद्ध समाप्त करने के लिए इस सप्ताह अमेरिका-रूस वार्ता में भाग नहीं लेगा। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि यूक्रेन इस वार्ता में भाग नहीं लेगा इसलिए वह वार्ता के नतीजों को भी स्वीकार नहीं करेगा। यूएई में एक कांफ्रेंस कॉल के दौरान जेलेंस्की ने पत्रकारों से कहा, उनकी सरकार को सऊदी अरब में मंगलवार की नियोजित वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था।

यूरोपीय संघ को भी चर्चा में शामिल नहीं किया गया है। यूरोपीय नेताओं ने इस पर एतराज जताते हुए किसी भी शांति वार्ता में अपनी भागीदारी की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि एक निष्पक्ष और स्थायी शांति के लिए उनकी मौजूदगी जरूरी है।

फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब में यह बैठक यूक्रेन पर रूसी हमले के तीन साल बाद हो रही है। अमेरिका की शांति समझौते में भूमिका की वजह से इसे अहम माना जा रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग और रूस के अधिकारियों में बातचीत राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हाल ही में फोन पर चर्चा के बाद हो रही है। 12 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डेढ़ घंटे तक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ टेलीफोन पर वार्ता कर संबंधों को सामान्य बनाने की प्रक्रिया शुरू की है। फोन पर दोनों नेताओं ने यूक्रेन पर तुरंत शांति वार्ता शुरू करने पर सहमति जताई थी।

यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद रूस को अलग-थलग करने की अमेरिकी नीति में बदलाव किया है। इससे पहले अमेरिका यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद उसे अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा था। अब दोनों देश को शीर्ष अधिकारी मिले हैं। यह बातचीत डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के बीच बैठक का रास्ता भी खोल सकती है।

अमेरिका पहुंचे पीएम मोदी, हुआ जोरदार स्वागत, लगे 'मोदी-मोदी' के नारे
#pm_modi_us_visit_non_resident_indian_welcomed_in_americas
* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन की अमेरिका की यात्रा पर हैं। गुरुवार को पीएम मोदी जॉइंट एंड्रूज बेस पर उतरे, जहां भारतीय समुदाय के सदस्यों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। भारतीय प्रवासी प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करने के लिए ब्लेयर हाउस के बाहर जमा हुए और कड़ाके की ठंड के बावजूद 'मोदी, मोदी' के नारे गूंज रहे थे, भीड़ ने जयकारे लगाए और भारतीय तिरंगा भी लहराया। पीएम मोदी ने लोगों से बातचीत की और उनके गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए आभार व्यक्त किया। लोगों ने भारत और अमेरिका के झंडे और 'अमेरिका नरेंद्र मोदी का स्वागत करता है' लिखे पोस्टर लिए हुए थे और पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा पर उत्साह व्यक्त किया। बुधवार की सुबह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पीएम मोदी ने कहा,'सर्दियों की ठंड में गर्मजोशी से स्वागत! ठंड के मौसम के बावजूद, वाशिंगटन डीसी में भारतीय प्रवासियों ने मेरा बहुत ही खास स्वागत किया है। मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं।' अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निमंत्रण पर पीएम मोदी दो दिनों की यात्रा पर अमेरिका गए हुए हैं। इस दौरे पर उनके साथ विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल मौजूद हैं। अमेरिका में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा और अन्य अधिकारियों ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया। डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति बनने के बाद पीएम मोदी की यह पहली अमेरिका यात्रा है। अमेरिका के वाशिंगटन डीसी पहुंचने पर पीएम मोदी ने कहा कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने और भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने और भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हूं। हमारे देश अपने लोगों के लाभ और बेहतर भविष्य के लिए मिलकर काम करते रहेंगे।
'मैं अपने दोस्त ट्रंप से मिलने के लिए उत्सुक'; फ्रांस-अमेरिका की यात्रा से पहले बोले पीएम मोदी
#pm_modi_france_america_trip

प्रधानमंत्री मोदी अपने विदेश दौरे के लिए रवाना हो चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी AI एक्शन समिट की सह-अध्यक्षता करने के लिए फ्रांस रवाना हुए। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों और प्रधानमंत्री मोदी फ्रांस में पहले भारतीय वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन करने और अंतर्राष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर परियोजना का दौरा करने के लिए मार्सिले भी जाएंगे। फ्रांस से पीएम मोदी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के न्योते पर अमेरिका की दो दिवसीय यात्रा पर जाएंगे। अपने दौरे से पहले पीएम मोदी ने कहा है कि मैं अपने दोस्त ट्रंप से मिलने के लिए उत्सुक हूं।

पीएम मोदी ने आज देश से बाहर जाने से पहले एक बयान में कहा, अगले कुछ दिनों में मैं विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए फ्रांस और अमेरिका में रहूंगा। फ्रांस यात्रा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के निमंत्रण पर फ्रांस का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह एआई एक्शन समिट की सह-अध्यक्षता करने के लिए उत्सुक हैं। इसमें वे समावेशी, सुरक्षित और भरोसेमंद तरीके से नवाचार और व्यापक सार्वजनिक भलाई के लिए एआई प्रौद्योगिकी के सहयोगात्मक दृष्टिकोण पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि यह यात्रा भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी के लिए 2047 के रोडमैप पर प्रगति की समीक्षा करने का अवसर भी होगी।

पीएम मोदी ने अमेरिका यात्रा को लेकर कहा कि वह हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले डोनाल्ड ट्रंप से मिलने के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने आगे कहा कि उनकी अमेरिकी यात्रा भारत-अमेरिका के रिश्तों को और मजबूत करेगी। हम दोनों देशों के लोगों के पारस्परिक लाभ के लिए मिलकर काम करेंगे और दुनिया के लिए बेहतर भविष्य को आकार देंगे। मेरे पास भारत और अमेरिका के बीच व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के निर्माण में उनके पहले कार्यकाल में एक साथ काम करने की बहुत अच्छी यादें हैं।
अवैध भारतीय प्रवासी: एक गहरी समस्या और अमेरिका में उनकी स्थिति

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Picture used in reference (CNN)

अमेरिका, जो विश्व में अपने सशक्त अर्थव्यवस्था और बेहतरीन अवसरों के लिए प्रसिद्ध है, लाखों लोगों का सपना है। हर साल, हजारों भारतीय नागरिक अमेरिका में नौकरी, शिक्षा, और बेहतर जीवन के लिए जाते हैं। हालांकि, कुछ लोग कानूनी तरीके से अमेरिका में प्रवेश करने में नाकाम रहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप वे अवैध प्रवासी बन जाते हैं। भारत के नागरिकों के लिए यह मुद्दा दिन-ब-दिन गंभीर होता जा रहा है। हाल ही में, अमेरिका द्वारा 205 अवैध भारतीय प्रवासियों को स्वदेश भेजने के कदम ने इस समस्या को और भी उजागर किया है।

अवैध प्रवासी कौन होते हैं?

अवैध प्रवासी वे लोग होते हैं जो किसी भी देश में बिना कानूनी दस्तावेजों या अनुमति के रहते हैं। ये लोग या तो वीज़ा की अवधि समाप्त होने के बाद भी वहां बने रहते हैं, या फिर बिना वीज़ा के ही देश में प्रवेश कर लेते हैं। अमेरिका में भारतीय अवैध प्रवासी के रूप में रहने वाले लोग, अधिकतर या तो रोजगार के लिए अमेरिका गए थे, या फिर परिवारों के साथ रहते हुए वीज़ा की अवधि समाप्त कर चुके हैं।

अवैध भारतीय प्रवासियों का अमेरिका में प्रवेश

1. वीज़ा समाप्त होने के बाद अतिक्रमण

  अमेरिका में जाने वाले भारतीय नागरिकों की बड़ी संख्या पर्यटक वीज़ा, छात्र वीज़ा या कार्य वीज़ा पर जाते हैं। हालांकि, इनमें से कई लोग वीज़ा की अवधि समाप्त होने के बाद भी अमेरिका में रहते हैं और उनके पास वैध दस्तावेज नहीं होते।  

2. फर्जी दस्तावेजों का उपयोग

  कुछ लोग फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से अमेरिका प्रवेश करते हैं। ये दस्तावेज़ वीज़ा, शरण या अन्य कानूनी कारणों के रूप में हो सकते हैं। जब यह धोखाधड़ी सामने आती है, तो इन्हें अवैध प्रवासी के रूप में माना जाता है।  

3. शरणार्थी के रूप में प्रवेश 

  कुछ भारतीय नागरिक राजनीतिक या धार्मिक कारणों से शरणार्थी के रूप में अमेरिका आते हैं। हालांकि, कई बार इनकी स्थिति की सही जांच नहीं होती और वे अवैध रूप से अमेरिका में रह जाते हैं।  

अवैध प्रवासियों के लिए अमेरिका में जीवन

अवैध रूप से अमेरिका में रहने वाले भारतीय नागरिकों को बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं में प्रमुख हैं:

1.कानूनी सुरक्षा की कमी  

  अवैध प्रवासियों के पास कोई कानूनी सुरक्षा नहीं होती। यदि अमेरिकी सरकार द्वारा उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है, तो वे बिना किसी बचाव के देश से बाहर भेजे जा सकते हैं।  

2. आर्थिक कठिनाइयाँ

  अवैध प्रवासी रोजगार प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करते हैं, क्योंकि उन्हें काम करने के लिए कानूनी दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है। हालांकि, वे अक्सर अंशकालिक या असंगठित क्षेत्रों में काम करते हैं, जहाँ मजदूरी कम और अधिकार न के बराबर होते हैं।  

3. स्वास्थ्य सेवाओं की कमी 

  अवैध प्रवासी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं उठा सकते। वे बिना बीमा या अन्य सरकारी सेवाओं के मेडिकल सेवाओं के लिए संघर्ष करते हैं।  

4. शैक्षिक अवसरों की कमी

  अवैध प्रवासियों के बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने में समस्याएँ होती हैं। अधिकांश राज्य अवैध प्रवासियों के बच्चों को सार्वजनिक स्कूलों में दाखिला देने से मना कर सकते हैं।  

अमेरिका का रुख और कार्रवाई

अमेरिका में अवैध प्रवासियों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। अमेरिकी प्रशासन ने कई बार इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की है और अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें स्वदेश भेजने की प्रक्रिया को तेज किया है।

1. "डीपी" (Deferred Action for Childhood Arrivals - DACA) नीति

  यह नीति विशेष रूप से उन बच्चों के लिए है जो अवैध रूप से अमेरिका में आकर बड़े हुए हैं। इसे "ड्रीमर्स" कहा जाता है। हालांकि, यह नीति सख्त नहीं है और बार-बार इसकी स्थिति पर सवाल उठते रहे हैं।  

2. आव्रजन और कस्टम्स प्रवर्तन (ICE)

  ICE अमेरिकी सरकार का एक प्रमुख विभाग है, जो अवैध प्रवासियों को ट्रैक करता है और उन्हें देश से बाहर करने के लिए कार्रवाई करता है। 

3. स्वदेश वापसी की योजनाएं

  अमेरिकी सरकार कई कार्यक्रमों के तहत अवैध प्रवासियों को स्वदेश भेजने की योजना बनाती है। हाल ही में, 205 अवैध भारतीय प्रवासियों को सी-17 विमान से स्वदेश भेजने की योजना के तहत यह कार्रवाई की गई।

भारत में अवैध प्रवासियों की स्थिति

भारत में अवैध प्रवासियों की वापसी के बाद, उन्हें स्थानीय समुदाय में समायोजित करने की प्रक्रिया भी चुनौतीपूर्ण होती है। भारत सरकार के पास इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट नीति नहीं है, जिससे इन व्यक्तियों को पुनः स्थापित करने में समस्याएँ आती हैं। 

1. स्वदेश लौटने पर चुनौतियाँ

  कई बार अवैध प्रवासियों के लिए स्वदेश लौटना कोई आसान रास्ता नहीं होता। उनके पास सीमित संसाधन होते हैं, और वे वापस अपने देश में पुनः समायोजित होने के लिए संघर्ष करते हैं।  

2.आर्थिक और मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियाँ

  अवैध प्रवासी अक्सर आर्थिक दृष्टिकोण से कमजोर होते हैं। उन्हें मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएँ भी हो सकती हैं, क्योंकि उन्हें लंबे समय तक दबाव और डर का सामना करना पड़ता है।  

अवैध प्रवासियों के लिए समाधान

अवैध प्रवासियों की समस्या केवल एक देश की नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक मुद्दा बन चुकी है। इसके समाधान के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं:

1. कानूनी मार्गों का विस्तार  

  देशों को अपने आव्रजन नियमों को सुधारने की आवश्यकता है। यदि उचित और वैध मार्ग उपलब्ध हों, तो लोग अवैध तरीके से प्रवेश करने की कोशिश नहीं करेंगे।  

2. कानूनी सहायता  

  अवैध प्रवासियों को कानूनी सहायता मिलनी चाहिए, ताकि वे अपनी स्थिति को समझ सकें और उचित कदम उठा सकें।  

3. शरणार्थी नीति का सुधार

  देशों को शरणार्थियों के मामलों की अधिक गहराई से जांच करनी चाहिए और उन लोगों को मान्यता देनी चाहिए जो सचमुच शरण के योग्य हैं।  

अवैध प्रवासियों की समस्या केवल भारत या अमेरिका तक सीमित नहीं है। यह एक वैश्विक समस्या है, जिसके समाधान के लिए देशों को सामूहिक रूप से कदम उठाने की आवश्यकता है। भारत के नागरिकों की अमेरिका में अवैध स्थिति एक जटिल मुद्दा है, लेकिन इसे कानूनी ढंग से सुलझाया जा सकता है। इसके लिए दोनों देशों को मिलकर प्रयास करने होंगे ताकि इस समस्या का समाधान निकाला जा सके और भविष्य में इस तरह की स्थितियों से बचा जा सके।

तय हो गया पीएम मोदी का अमेरिका दौरा, 12 फरवरी की तारीख तय, व्हाइट हाउस में खुद डिनर होस्ट करेंगे डोनाल्ड ट्रंप

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 फरवरी को अमेरिका का दौरा कर सकते हैं। जहां वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ व्यापक चर्चा करेंगे। विदेश मंत्रालय (एमईए) के सूत्रों ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को इसकी जानकारी दी।ट्रंप के दूसरी बार अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद यह मोदी की वाशिंगटन की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी। उनकी यह पहली यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों के रणनीतिक महत्व को रेखांकित करती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 फरवरी की शाम को फ्रांस से एआई सम्मेलन में भाग लेकर अमेरिका पहुंचने की उम्मीद है। पीएम मोदी फ्रांस में 10-11 फरवरी को ग्रैंड पैलेस में एआई एक्शन समिट में भाग लेंगे। फ्रांस की दो दिवसीय यात्रा के वो 12 फरवरी को अमेरिका पहुंचेंगे। वो 14 फरवरी तक अमेरिकी राजधानी में रहेंगे। इस दौरान पीएम मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से 13 फरवरी को मुलाकात होने की संभावना है। ट्रंप पीएम मोदी के दौरे के दौरान उनके लिए एक रात्रिभोज भी आयोजित कर सकते हैं।

हालांकि पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा का आधिकारिक विवरण अभी तक सामने नहीं आया है, लेकिन चर्चा व्यापार, रक्षा सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा, विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर केंद्रित रहने की उम्मीद है। बता दें कि ट्रंप ने 20 जनवरी को आधिकारिक तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। उनके शपथ ग्रहण के बाद, पीएम मोदी ने 27 जनवरी को उनसे फोन पर बात की थी।

भारतीयों के खिलाफ ट्रंप का एक्शन शुरू, अमेरिका से अवैध प्रवासियों को लेकर सेना का पहला विमान भारत रवाना

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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद अमेरिका ने अवैध प्रवासियों को निकालना शुरू कर दिया है। तक अमेरिका द्वारा दक्षिण अमेरिकी देशों के अवैध अप्रवासियों को निर्वासित किया जा रहा था, लेकिन अब भारत के अवैध अप्रवासियों पर भी कार्रवाई शुरू हो गई है। इसी के तहत अमेरिका से सोमवार को एक अमेरिकी सैन्य विमान प्रवासियों को लेकर भारत के लिए रवाना हो गया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से बताया है कि सी-17 सैन्य विमान प्रवासियों को लेकर रवाना हुआ है।

सेना की मदद से निर्वासन अभियान

अमेरिका में सत्ता संभालने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश में अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने इमिग्रेशन एजेंडे को पूरा करने के लिए सेना की मदद ली है, जिसके तहत ही सैन्य एयरक्राफ्ट की मदद से लोगों को डिपोर्ट करने का काम शुरू किया जा चुका है। इसी के बाद अब अमेरिका में बसे भारतीय अवैध प्रवासियों को भारत डिपोर्ट करने के लिए अमेरिका से C-17 विमान रवाना हो गया है। अमेरिकी अधिकारी ने कहा, अमेरिका का एक सैन्य विमान C-17 भारतीय प्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए रवाना हो गया है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह विमान अगले 24 घंटे तक भारत नहीं पहुंचेगा।

अलग-अलग जगहों के लिए डिपोर्ट किए जा रहे अप्रवासी

इसी के साथ पेंटागन ने एल पासो, टेक्सास और सैन डिएगो, कैलिफोर्निया में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा रखे गए 5,000 से अधिक अप्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए फ्लाइट देना भी शुरू कर दिया है। अब तक, सैन्य विमान प्रवासियों को ग्वाटेमाला, पेरू और होंडुरास ले गए हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने कहा है कि अमेरिका के एल पासो, टेक्सास और सैन डिएगा, कैलिफोर्निया से पांच हजार से ज्यादा अवैध अप्रवासियों को लेकर जल्द ही सेना के विमान उड़ान भरेंगे।

लगभग 18,000 अवैध भारतीयों की पहचान का दावा

डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद पहली बार भारतीय अवैध प्रवासियों को भारत डिपोर्ट किया जाएगा। ट्रंप और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ अपनी-अपनी बातचीत के दौरान अमेरिका में बसे अवैध भारतीयों को लेकर पहले ही चिंता जताई थी। राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी से बातचीत के बाद कहा था कि उन्होंने इमिग्रेशन को लेकर पीएम से बात की थी। साथ ही उन्होंने कहा था कि जब अवैध अप्रवासियों को वापस लेने की बात आएगी तो भारत वही करेगा जो सही होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका ने लगभग 18,000 भारतीय अप्रवासियों की पहचान की है जो अवैध रूप से अमेरिका में हैं।

करीब 1.1 करोड़ अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करेंगे ट्रंप

राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद ही डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका से करीब 1.1 करोड़ अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करने की बात कही थी। पिछले सप्ताह ही अमेरिकी सेना ने लैटिन अमेरिकी देशों में अवैध अप्रवासियों को लेकर छह उड़ानें भरी हैं। हालांकि कोलंबिया ने अमेरिका के विमानों को अपने देश में उतरने की इजाजत नहीं दी थी, लेकिन ट्रंप के सख्त रुख के बाद कोलंबिया ने अपने नागरिकों को लाने के लिए अपने ही विमान भेजे थे।

वॉशिंगटन डीसी में बड़ा हादसा, सेना के हेलीकॉप्टर से टकराया यात्री विमान, 60 लोग थे सवार

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अमेरिका में व्हाइट हाउस के पास बड़ा विमान हादसा हो गया है। हादसे के बाद विमान पोटोमैक नदी में गिर गया। विमान में 60 लोग सवार थे। जानकारी के मुताबिक, हादसा एक हेलीकॉप्टर से प्लेन के टकराने की वजह से हुआ। क्रैश के बाद यात्रियों से भरा विमान और हेलीकॉप्‍टर दोनों पोटोमैक नदी में गिर जा गिरे। नदी से दो शव निकाले गए हैं। सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। हादसे के बाद से रीगन नेशनल एयरपोर्ट पर सभी उड़ानें अस्थायी रूप से रोक दी गई हैं।

अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में व्हाइट हाउस के पास ये हादसा हुआ। वॉशिंगटन के रोनाल्ड रिगन इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास ये हादसा हुआ है। यह विमान कंसास सिटी से वॉशिंगटन जा रहा था। लैंडिंग के दौरान यह हेलीकॉप्टर से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई।अमेरिकन एयरलाइंस ने पुष्टि की कि विमान में 60 यात्री और चार चालक दल के सदस्य सवार थे। समाचार एजेंसी एएफपी ने अमेरिकी सेना के हवाले से बताया कि ब्लैक हॉक सिकोरस्की एच-60 नामक हेलीकॉप्टर में तीन सैनिक सवार थे।

जहां पर मौजूद थे ट्रंप, वहां से कुछ दूर पर विमान हादसा

व्हाइट हाउस से एयरपोर्ट के बीच एयर डिस्टेंस तीन किलोमीटर से भी कम है। जिस समय यह हादसा हुआ, ट्रंप उस समय व्हाइट हाउस में मौजूद थे। यह हादसा है या साजिश, फिलहाल इसका पता नहीं चला है। मिलिट्री हेलीकॉप्टर के अचानक आने से कई सवाल उठे हैं।

राहत एवं बचाव कार्य जारी

इस बीच अमेरिकी गृह मंत्री ने कहा कि दुर्घटना के बाद राहत एवं बचाव कार्य के लिए तटरक्षक बल सभी उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल कर रहा है। संघीय विमानन प्रशासन (एफएए) ने बताया कि यह टक्कर पूर्वी मानक समयानुसार रात लगभग नौ बजे हुई, जब कंसास के विचिटा से उड़ान भरने वाला एक क्षेत्रीय विमान हवाई अड्डे के रनवे पर पहुंचते समय एक सैन्य ‘ब्लैकहॉक’ हेलीकॉप्टर से टकरा गया।