ग्रामीणों ने की शराब दुकान खोलने की मांग, विधायक बोले – 22 साल के राजनीतिक करियर में पहली बार आया ऐसा आवेदन

तखतपुर- क्षेत्र के विधायक धर्मजीत सिंह उस वक्त हैरान हो गए जब ग्रामीणों ने उसके सामने शराब दुकान खोलने की मांग की. आज जरौंदा में आयोजित समाधान शिविर में भाजपा विधायक धर्मजीत ने कहा कि 22 साल के राजनीतिक करियर में मेरे पास शराब दुकान खोलने का आवेदन पहली बार आया है. उन्होंने आबकारी निरीक्षक से शराब दुकान खोलने की प्रक्रिया की जानकारी ली और मंच से ग्रामीणों को शराब दुकान खोलने का आश्वासन दिया.

बता दें कि आज बिलासपुर जिले के तखतपुर क्षेत्र के ग्राम पंचायत जरौंदा में सुशासन तिहार के तहत समाधान शिविर का आयोजन किया गया था, जहां क्षेत्र के विधायक धर्मजीत सिंह पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने कोड़ापुरी के ग्रामीणों द्वारा शराब खोलने की मांग को पूरा करने की बात कही.

ग्रामीणों ने कहा – शराब लेने जाना पड़ता है 20 किमी दूर

विधायक धर्मजीत सिंह को कोड़ापुरी के ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत कोड़ापुरी शराब विहीन क्षेत्र है, जिसके कारण परेशानी होती है. शराब लेने 20 किलोमीटर का सफर तय करके शहर जाना पड़ता है. इस मामले में आबकारी निरीक्षक कल्पना राठौर ने बताया कि ग्रामीणों की मांग को लेकर प्रस्ताव शासन को भेजा गया है. जल्द ही उनके मांग का निराकरण किया जाएगा.

कर्नल सोफिया के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी का मामला: भारतीय सेना के सम्मान में कांग्रेस ने किया मंत्री विजय शाह का पुतला दहन

कोंडागांव- भारतीय सेना और उनके सम्मान को लेकर एक बार फिर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. मध्यप्रदेश केबिनेट मंत्री विजय शाह द्वारा कर्नल सोफिया को लेकर की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी के विरोध में कांग्रेस ने तीखा रुख अपनाया है. इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस ने राज्यभर में विरोध प्रदर्शन करने के निर्देश दिए, जिसके तहत कोंडागांव जिला कांग्रेस कमेटी ने जोरदार प्रदर्शन किया और मंत्री विजय शाह का पुतला दहन कर अपना विरोध दर्ज कराया.

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भारतीय सेना देश की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने वाले वीर सपूतों की संस्था है, और उसके किसी भी अधिकारी के प्रति अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल न केवल अस्वीकार्य है बल्कि राष्ट्र की अस्मिता पर हमला है. मंत्री विजय शाह की टिप्पणी को सेना के गौरव के खिलाफ बताते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जिला मुख्यालय पर एकत्र होकर नारेबाजी की और उनका पुतला जलाकर विरोध जताया.

कोंडागांव जिला कांग्रेस अध्यक्ष बुधराम नेताम ने इस मौके पर कहा, “हम सेना और उसके जवानों के सम्मान के लिए कोई भी कदम उठाने को तैयार हैं. मंत्री विजय शाह की टिप्पणी केवल कर्नल सोमिया का ही नहीं, बल्कि समस्त भारतीय सेना का अपमान है. जब तक वे सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते, हमारा विरोध जारी रहेगा.”

प्रदर्शन के दौरान जिला कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं, युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस, NSUI और अन्य प्रकोष्ठों के कार्यकर्ता भी भारी संख्या में उपस्थित रहे. उन्होंने एक स्वर में कहा कि भारतीय सेना को राजनीतिक विवादों से दूर रखा जाना चाहिए और जो नेता इस तरह की बयानबाजी करते हैं, उन्हें अपने पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है.

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भाजपा नेतृत्व इस मामले में संज्ञान ले और मंत्री विजय शाह को उनके पद से हटाया जाए. यदि ऐसा नहीं किया गया तो कांग्रेस राज्यभर में आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी दे रही है.

नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता हुई गर्भवती: जान पर बन आई तो डॉक्टरों ने मांगी अबॉर्शन की अनुमति, हाई कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

बिलासपुर- छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (जीपीएम) जिले में दुष्कर्म की शिकार एक नाबालिग छात्रा के गर्भवती होने के बाद उसकी जान पर बन आई है। चिकित्सकीय रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि गर्भावधि अधिक होने के कारण अब पीड़िता के शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ने लगा है। डॉक्टरों ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि गर्भपात (अबार्शन) जल्द नहीं कराया गया, तो पीड़िता की जान को गम्भीर खतरा हो सकता है।

चिकित्सकों की सिफारिश और सीएमएचओ (CMHO) की रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत गर्भपात की अनुमति प्रदान कर दी है। कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया है कि गर्भपात विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में कराया जाए और पीड़िता की पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाए।

पीड़िता 10 हफ्ते चार दिन की गर्भवती, भ्रूण जीवित अवस्था में पाया गया

मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता 10 सप्ताह 4 दिन की गर्भवती है और भ्रूण जीवित अवस्था में पाया गया है। प्रारंभ में डॉक्टरों ने, हाई कोर्ट में मामला लंबित होने और मेडिकल मानकों के अनुसार अनुमति न होने के चलते, अबार्शन करने से इनकार कर दिया था। लेकिन बाद में छात्रा को स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं उत्पन्न होने लगीं, जिससे मामला गंभीर हो गया।

आरोपी पर दर्ज हुए गंभीर धाराएं, POCSO व BNS एक्ट में मामला दर्ज

बता दें कि नाबालिग छात्रा को बहला-फुसलाकर ले जाने के बाद आरोपी ने उसके साथ दुष्कर्म किया। घटना के बाद पीड़िता ने परिजनों के साथ थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी के खिलाफ BNS की धारा 64 (1), 64(2), 64 (2)(F), 64 (2)(M), 365 (2) तथा POCSO एक्ट की धारा 6 के तहत गंभीर आपराधिक मामला दर्ज किया है।

कोर्ट के निर्देश पर CMHO ने दी रिपोर्ट, मानसिक जांच भी अनिवार्य

हाई कोर्ट ने गर्भपात की अनुमति देने से पहले पीड़िता के भविष्य के स्वास्थ्य पर असर की जानकारी मांगी थी। CMHO की ओर से सौंपे गए मेडिकल परीक्षण रिपोर्ट में कहा गया कि अबार्शन करना सुरक्षित रहेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रक्रिया के दौरान पीड़िता का मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य परीक्षण दोबारा किया जाए। रिपोर्ट संतोषजनक रही तो विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में गर्भपात की कार्रवाई की जाएगी।

कोर्ट ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन को निर्देशित किया है कि पीड़िता को अभिभावक के साथ जिला अस्पताल भेजा जाए, जहां विशेषज्ञों की टीम आगे की प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी। हाई कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिए हैं कि भ्रूण का डीएनए नमूना सुरक्षित रखा जाए, ताकि आगे की जांच और न्यायिक प्रक्रिया में उसे साक्ष्य के रूप में उपयोग किया जा सके।

SP जितेंद्र यादव ने बताई कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर चलाए गए एंटी नक्सल ऑपरेशन की सफलता

बीजापुर-  कर्रेगुट्टा की पहाड़ी पर 21 दिनों तक चलाए गए सबसे बड़े एंटी नक्सल ऑपरेशन में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है. CRPF के डीजी जीपी सिंह और छत्तीसगढ़ DG अरुण देव गौतम ने आज संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऑपरेशन की पूरी जानकारी दी. इस दौरान बीजापुर एसपी जितेंद्र यादव ने 21 अप्रैल से 11 मई तक चलाए गए नक्सल विरोध अभियान की सफलता बताई. उन्होंने कहा, ऑपरेशन के दौरान कुल 21 मुठभेड़ों में कुल 31 माओवादी मारे गए. इनमें से 28 नक्सली की शिनाख्त हो चुकी है, जिन पर एक करोड़ 72 लाख का इनाम घोषित था.

एसपी जितेंद्र यादव ने बताया कि सभी मारे गए 31 माओवादियों के शव के साथ 31 हथियार बरामद किए गए हैं. इसमें एसएलआर, इसांस समेत आटोमेटिकल हथियार शामिल हैं. अब तक 28 नक्सलियों की शिनाख्ती हो चुकी है. शेष शवों की पहचान प्रक्रिया जारी है. अनुमान लगाया जा रहा कि 21 दिनों तक चलाए गए इस ऐतिहासिक एंटी नक्सल ऑपरेशन में कई बड़े नक्सली लीडर या तो मारे गए हैं या घायल हुए हैं. भौगोलिक परिस्थितियों के कारण हमारे जवान बाकी नक्सलियों के शव बरामद नहीं कर पाए है।


214 माओवादी ठिकानों और बंकरों को जवानों ने किया नष्ट


एसपी ने बताया, कर्रेगुट्टा की पहाड़ी पर नक्सल विरोध अभियान के दौरान कुल 214 माओवादी ठिकानों और बंकरों को नष्ट किया गया है. इस दौरान 450 IED रिकवर किए गए हैं. सिर्फ 15 IED ही ब्लास्ट हुए हैं. बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री के साथ 12 हजार किलोग्राम खाने का सामान भी बरामद हुआ है. इस इलाके में अब सुरक्षा बलों की मजबूत पकड़ हुई है।


आईईडी विस्फोट में 18 जवान हुए घायल

एसपी यादव ने बताया, ऑपरेशन के दौरान आईईडी विस्फोट में कोबरा, डीआरजी के 18 जवान घायल हुए हैं. हालांकि सभी खतरे से बाहर हैं. सभी का अस्पतालों में इलाज जारी है. उन्होंने बताया, कर्रेगुट्टा की पहाड़ी की परिस्थितियां काफी विपरीत है, यहां का तापमान 45 डिग्री होने के कारण हमारे कई जवान डीहाइड्रेशन के शिकार हुए हैं. फिर भी उनके मनोबल कम नहीं हुए.

नक्सलियों के खिलाफ कुल 17 केस दर्ज

एसपी ने बताया, नक्सलियों के खिलाफ कुल 17 केस दर्ज किए गए हैं. जांच के लिए विशेष टीम गठित की गई है. साथ ही NIA-SIA की भी मदद ली जा रही है. उन्होंने कहा, नक्सलवाद को समूल खत्म करने भविष्य में भी अभियान जारी रहेगा, ताकि बस्तर का विकास हो सके..

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बांस नहीं मिलने से संकट में बांसवार जाति, कार्डधारी प्रशासन से कर रहे मुआवजे की मांग…

महासमुंद- महासमुंद जिले की पारंपरिक रूप से बांस पर निर्भर बांसवार जाति के लोगों को पिछले 10 वर्षों से बांस नहीं मिल पा रहा है, जिससे उनका रोजगार ठप पड़ गया है. सूपा, टोकरी, टोकरा और अन्य फैंसी सामान बनाकर जीवनयापन करने वाले इन परिवारों के सामने आज भरण-पोषण का संकट खड़ा हो गया है.

शासन के नियम के बावजूद नहीं मिल रहा बांस

शासन के नियमानुसार, जिन बांसवार परिवारों के पास बांस कार्ड है, उन्हें वन विभाग की ओर से हर वर्ष 1500 बांस सस्ते दर पर उपलब्ध कराए जाने चाहिए. लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें न तो बांस मिल रहा है और न ही मुआवजा. मजबूरी में अब ये लोग दिहाड़ी मजदूरी करने को विवश हैं.

वन विभाग और कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काट रहे ग्रामीण

लगभग 30 परिवार महासमुंद जिला मुख्यालय के पास स्थित ग्राम खैरा में रहते हैं. इनका कहना है कि वे बीते 10 वर्षों से वन विभाग कार्यालय और कलेक्टर कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं मिल रहा. जब भी बांस डिपो में आता है, वह इतना पतला होता है कि किसी काम का नहीं होता.

पीड़ितों ने सुनाई आपबीती

बंसत कुमार कंडरा, एक परेशान बांसवार ने कहा कि “हमारे पास हुनर है, लेकिन कच्चा माल नहीं. दस साल से हम परेशान हैं. कोई सुनवाई नहीं हो रही.”

नंदिनी कंडरा ने बताया कि “महिला समूह भी काम नहीं कर पा रहा है, बच्चे भूखे हैं. बांस न मिलने से हमारा पूरा जीवन रुक गया है.”

बांस उपलब्ध नहीं : वन विभाग

महासमुंद डीएफओ वेंकटेश एम.जी. ने कहा कि “फिलहाल बांस की उपलब्धता जिले में नहीं है. हमने इसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को दे दी है. रायपुर और धमतरी जैसे आसपास के जिलों से बांस मंगवाने की कोशिश की जा रही है.”

बांसवार जाति के लोगों की यह समस्या केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि पारंपरिक हस्तशिल्प के संरक्षण से भी जुड़ी हुई है. शासन और वन विभाग को इस पर शीघ्र संज्ञान लेकर बांस उपलब्ध कराने की दिशा में व्यवहारिक कदम उठाने होंगे, ताकि इन परिवारों की आजीविका सुरक्षित रह सके.

डीएमएफ घोटाला मामले में रानू साहू, सौम्या चौरसिया, समेत 4 आरोपियों की जमानत खारिज

बिलासपुर-  छत्तीसगढ़ में DMF घोटाला मामले में हाईकोर्ट ने आज पूर्व IAS रानू साहू, पूर्व सीएम के उप सचिव सौम्या चौरसिया, एनजीओ संचालक मनोज कुमार और बिचौलिया सूर्यकांत तिवारी की स्थायी जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया है.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मामले में एफआईआर और केस डायरी में उपलब्ध सामग्री का अवलोकन करने बाद आवेदक की धारा 7 और 12 के तहत अपराध करना प्रतीत होता है. प्रथम दृष्टया पीसी एक्ट के तहत आर्थिक अपराध परिलक्षित होता है. एफआईआर और रिकॉर्ड में रखी गई अन्य सामग्री को देखते हुए, प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि आवेदक का संबंधित अपराध में संलिप्तता है. 

कोर्ट ने कहा कि इस विचार से कि आवेदक को नियमित जमानत देना सही नहीं है. यह कहते हुए कोर्ट ने सभी आवेदनों को खारिज किया है.

जानिए क्या है DMF घोटाला

प्रदेश सरकार की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक, ईडी की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है. केस में यह तथ्य सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया है. टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया. जांच रिपोर्ट में यह पाया गया है कि टेंडर की राशि का 40% सरकारी अफसर को कमीशन के रूप में दिया गया है. प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20% अलग-अलग कमीशन सरकारी अधिकारियों ने ली है. ED ने अपनी जांच रिपोर्ट में पाया था कि IAS अफसर रानू साहू और कुछ अन्य अधिकारियों ने अपने-अपने पद का गलत इस्तेमाल किया.

रेलवे प्रोजेक्ट से बढ़ी किसानों की मुसीबत: रायपुर और दुर्ग के 58 गांवों में जमीन की खरीदी-बिक्री पर रोक

रायपुर/दुर्ग- केंद्र सरकार की खरसिया-नवा रायपुर-परमलकसा रेल लाइन परियोजना अब किसानों के लिए विकास से ज्यादा मुसीबत का सबब बन गई है। इस परियोजना के चलते रायपुर और दुर्ग जिलों के कुल 58 गांवों में जमीन की खरीदी-बिक्री पर अचानक रोक लगा दी गई है। हैरानी की बात यह है कि रायपुर जिला प्रशासन को अभी तक यह स्पष्ट जानकारी ही नहीं है कि रेलवे लाइन किस-किस खसरे से होकर गुजरेगी, लेकिन इसके बावजूद पूरे गांवों को प्रतिबंधित कर दिया गया है। इससे किसानों में भारी आक्रोश है और वे रोज प्रशासनिक कार्यालयों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।

कलेक्टर ने लगाई रोक, अब पूछ रहे – रेल लाइन कहां से जाएगी?

रायपुर और दुर्ग के प्रशासन ने रेलवे की एक चिट्ठी के आधार पर खरीदी-बिक्री पर रोक तो लगा दी, लेकिन अब रेलवे को पत्र लिखकर पूछा जा रहा है कि रेल लाइन किन गांवों से होकर निकलेगी, कितने खसरे प्रभावित होंगे, और रूट की सटीक जानकारी क्या है।

रायपुर कलेक्टर गौरव कुमार सिंह ने कहा, “यह एक रूटीन प्रक्रिया है, रेलवे से मार्ग की सटीक जानकारी मांगी गई है ताकि बाद में सिर्फ प्रभावित खसरों पर ही रोक लागू रहे।”

रायपुर के 35 गांवों में भी अचानक रोक, रजिस्ट्री से लेकर नामांतरण तक सब रुका

रायपुर जिले के मंदिरहसौद, गोबरा नवापारा और अभनपुर क्षेत्रों के 35 गांवों में भी खरीदी-बिक्री, नामांतरण, बटांकन और रजिस्ट्री पर अचानक रोक लगा दी गई है। रोजाना दर्जनों किसान एसडीएम और एडीएम कार्यालयों में अपनी परेशानियां लेकर पहुंच रहे हैं।

रायपुर में प्रभावित गांव

मंदिरहसौद ब्लॉक: आलेसुर, पचरी, छड़िया, नाहरडीह, पथराकुण्डी, खरोरा, मांठ, बेलदारसिवनी, बुड़ेनी, खौली, टिकारी, डिघारी, नारा, रीवा, परसदा उमरिया, गुजरा, धमनी, गनौद।

गोबरा नवापारा ब्लॉक: खरखराडीह, नवागांव, तर्रा, थनौद, जामगांव

अभनपुर ब्लॉक: गिरोला, बेलभाठा, उरला, अभनपुर, सारखी, कोलर, खोरपा, पलौद, ढोंढरा, खट्टी, परसदा आदि।

दुर्ग में 23 गांवों पर प्रतिबंध, किसानों की फिर बढ़ी मुसीबत

दुर्ग जिले में पहले से ही भारत माला प्रोजेक्ट की वजह से 2018 से 26 गांवों में जमीन की खरीदी-बिक्री पर प्रतिबंध है। इनमें से केवल 4 गांवों से ही प्रतिबंध हटाया गया है। अब खरसिया-नवा रायपुर-परमलकसा रेलवे लाइन की वजह से दुर्ग ब्लॉक के 12 और पाटन ब्लॉक के 11 गांव, यानी 23 गांवों पर फिर से रोक लगा दी गई है, जिससे किसानों की मुश्किलें दोगुनी हो गई हैं।

दुर्ग में प्रभावित गांव

दुर्ग ब्लॉक: घुधसीडीह, खोपली, बोरीगारका, पुरई, कोकड़ी, कोडिया, भानपुरी, चंदखुरी, कोनारी, चंगोरी, विरेझर, धनौव

पाटन ब्लॉक: ठकुराईनटोला, बठेना, देमार, अरसनारा, नवागांव, देवादा, सांतरा, मानिकचौरी, बोहारडीह, फेकारी, धौराभाठा

किसानों का छलका दर्द: कहा- न जमीन बेच सकते, न ऋण ले सकते

कई किसान पारिवारिक और आर्थिक कारणों से जमीन बेचना चाहते हैं, लेकिन प्रतिबंध के चलते न वे जमीन रजिस्ट्री कर पा रहे हैं, न बैंक से लोन ले पा रहे हैं। कई मामलों में बच्चों की पढ़ाई, इलाज, शादी जैसे जरूरी काम रुके हुए हैं। दुर्ग और रायपुर दोनों ही जिलों में किसानों के समूहों की मांग है कि जल्द से जल्द रेलवे से खसरा-वार जानकारी मंगाकर केवल उन्हीं जमीनों पर प्रतिबंध लगाया जाए जो रेल लाइन से सीधे प्रभावित हैं। वरना वे अब आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।

NIC की गलती से खसरों में ‘नाबालिग’ शब्द जुड़ा, दो दिन में सुधारी गई गड़बड़ी

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के कई जिलों में खसरा खातों में अचानक ‘नाबालिग’ शब्द जुड़ गया, जिससे हजारों जमीन मालिक बालिग से नाबालिग हो गए। यह गड़बड़ी एनआईसी (राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र) से हुई, जब भुईयां सॉफ़्टवेयर को अपडेट किया गया। इस त्रुटि के बाद राजस्व विभाग में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में सरकारी छुट्टी होने के बावजूद इसे दो दिन के भीतर ठीक कर लिया गया।

इस गड़बड़ी में रायगढ़, जांजगीर-चांपा, बेमेतरा, गौरेला-पेंड्रा, भरतपुर, सक्ती जैसे जिलों के तहसील क्षेत्र शामिल थे, जहां सैकड़ों-हजारों खसरा खातों में मालिकों के नाम के नीचे ‘नाबालिग’ शब्द अंकित हो गया। यह शब्द पीडीएफ फाइलों में भी दिख रहा था, जिससे दस्तावेजों की वैधता पर सवाल खड़े हो गए थे।

गड़बड़ी के तुरंत बाद एनआईसी ने भुईयां पोर्टल को रीसेट किया, जिससे सभी खसरा खाते पहले की स्थिति में लौट आए और ‘नाबालिग’ शब्द हटा दिया गया।

पंजीयन विभाग में सुधार की तैयारी

इसके साथ ही राज्य सरकार ने नामांतरण का अधिकार पटवारियों और राजस्व अधिकारियों से लेकर पंजीयन विभाग को सौंपने का निर्णय लिया है। इसके तहत प्रदेश के कुछ पंजीयन कार्यालयों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में नामांतरण की सुविधा शुरू की गई है, ताकि रजिस्ट्री के समय बटांकन और नामांतरण भी आसानी से हो सके। इसे लेकर भुईयां पोर्टल को अपडेट किया जा रहा है।

तीन साल पहले भी ऐसी ही गड़बड़ी

यह पहली बार नहीं है जब भुईयां सॉफ़्टवेयर में इस तरह की गड़बड़ी हुई हो। वर्ष 2022 में भी सॉफ्टवेयर अपडेट के दौरान प्रदेशभर के सभी खसरा रकबों का एक ही नंबर (0139) हो गया था और कई ज़मीनों का रकबा घट गया था। उस समय भी यह गड़बड़ी रीसेट करके ठीक की गई थी।

मानसून के पहले नगरीय निकायों को अलर्ट:नगरीय प्रशासन विभाग ने नालों-नालियों की सफाई और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जरूरी व्यवस्थाओं केदिए निर्देश

रायपुर-  नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने वर्षा ऋतु के पहले नालों और नालियों की सफाई तथा संभावित बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जरूरी व्यवस्थाओं के निर्देश दिए हैं. विभाग ने राज्य के सभी नगरीय निकायों को परिपत्र जारी कर नालों एवं नालियों पर कच्चे व पक्के अतिक्रमणों तथा अवरोधों को हटाने को कहा है. पेड़ों में लगे बोर्ड्स, साइन-बोर्ड्स, साइनेजेस, विज्ञापनों, बिजली के तारों तथा हाइटेंशन लाइन्स को भी हटाने के निर्देश विभाग ने दिए हैं.

नगरीय प्रशासन विभाग ने सभी नगर निगमों के आयुक्तों तथा नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के मुख्य नगर पालिका अधिकारियों को भेजे परिपत्र में कहा है कि वर्षा ऋतु में प्रायः यह देखने में आता है कि शहरों में बारिश के पानी के निकासी के लिए निर्मित नालियों की समय पूर्व समुचित सफाई न होने तथा पानी निकासी के रास्तों के अवरोधों को दूर नहीं करने के कारण आकस्मिक वर्षा से बाढ़ की स्थिति निर्मित हो जाती है. इस स्थिति से बचाव के लिए बरसात के पहले सभी आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित कर लें.

विभाग ने संचालनालय से निकायों को जारी परिपत्र में नगर के मुख्य मार्गों के साथ-साथ गलियों व चौराहों की साफ-सफाई कराने के निर्देश दिए हैं. नगर के सभी नालों व नालियों की पूर्ण एवं नियमित साफ-सफाई अंतिम छोर तक गहराई से किए जाएं. इस कार्य से किसी भी प्रकार से नदी या जल प्रदूषित न हों, इसका पूरा ध्यान रखा जाए. विभाग ने निर्माणाधीन नालों एवं नालियों में पानी बहाव के रास्ते से निर्माण सामग्रियों को हटाने को कहा है, जिससे पानी के बहाव में निरंतरता बनी रहे. नालों व नालियों में निर्मित कच्चे-पक्के अतिक्रमणों और अवरोधों को भी हटाने के निर्देश दिए गए हैं.

नगरीय प्रशासन विभाग ने सभी निकायों को बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित कर आवश्यक अमले, टूल, मशीन आदि के साथ ही नोडल अधिकारी की भी नियुक्ति करने को कहा है. बाढ़ नियंत्रण कक्ष की 24 घंटे वर्किंग सुनिश्चित करते हुए इसके फोन नम्बर आदि का व्यापक प्रचार-प्रसार करने भी कहा है. निचली बस्तियों एवं संभावित बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के चिन्हांकन के साथ ही वहां प्रभावितों का अनुमान लगाकर प्रभावितों के लिए अस्थाई रूप से सुरक्षित स्थल भी चिन्हित करने के निर्देश दिए गए हैं.

विभाग ने संभावित बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था के भी निर्देश दिए हैं. अन्य क्षेत्रों में भी बाढ़ के दौरान एवं बाढ़ के प्रभाव के समाप्त होने पर संक्रामक बीमारियों की आशंका बनी रहती है. ऐसी स्थिति निर्मित होने पर संबंधित विभाग को इसकी सूचना देने कहा गया है. संचालनालय ने सभी नगरीय निकायों को वर्षा ऋतु के दौरान नागरिक सेवाओं के निर्बाध व सुचारू संचालन तथा बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए जारी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने को कहा है.

छत्तीसगढ़ की ट्रेनों में अब रिश्वत लेकर सेटिंग नहीं कर पाएंगे टीटीई…

रायपुर-  छत्तीसगढ़ से गुजरने वाली ट्रेनों में अब टीटीई रिश्वत लेकर सीट अलॉट नहीं कर पाएंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि उनके पास कैमरा होगा, यदि वो ऐसा करते है तो उनकी करतूत खूद उनके कैमरे में कैद हो जाएगी.

दरअसल यात्रियों की सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर मंडल के वाणिज्य विभाग द्वारा एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है. मंडल के 50 टिकट चेकिंग कर्मचारियों को बॉडी वार्न कैमरे प्रदान किए गए हैं, जिससे यात्रा के दौरान पारदर्शिता बनी रहे और किसी भी अप्रिय स्थिति की निगरानी की जा सके.

वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक अनुराग कुमार सिंह द्वारा एक विशेष बैठक आयोजित कर टिकट चेकिंग कर्मचारियों को बॉडी वार्न कैमरे प्रदान किए गए एवं इनके उपयोग संबंधी आवश्यक मार्गदर्शन भी दिया गया. इस अवसर पर सीनियर डीसीएम ने कर्मचारियों को यात्रियों से संवेदनशील एवं मर्यादित व्यवहार बनाए रखने के निर्देश भी दिये .

श्री सिंह ने कहा कि बॉडी वार्न कैमरे से टिकट चेकिंग की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और किसी भी विवाद की स्थिति में प्रमाण के रूप में इसका उपयोग किया जा सकेगा. यह तकनीकी सुविधा यात्रियों और कर्मचारियों दोनों के हित में है. साथ ही यह पहल रेलवे प्रशासन और यात्रियों के बीच विश्वास को और मजबूत करेगी.

सट्टा रैकेट का भंडाफोड़ : सट्टा किंग पार्षद और उसका पिता गिरफ्तार, पाकिस्तान और दुबई से निकला कनेक्शन

रायपुर- राजधानी रायपुर में सट्टेबाजी के खिलाफ जारी अभियान के तहत पुलिस को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. लंबे समय से फरार चल रहे ऑनलाइन सट्टा रैकेट से जुड़े निर्दलीय पार्षद बब्बन लालवानी और उसके पिता नंदलाल लालवानी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. यह कार्रवाई क्राइम ब्रांच और तिल्दा थाना पुलिस की संयुक्त टीम ने की है. दोनों आरोपियों को देर रात गैरजमानती धाराओं में गिरफ्तार किया गया.

पाकिस्तान और दुबई के सटोरियों से है कनेक्शन

बताया जा रहा है कि तिल्दा के वार्ड नंबर 03 से निर्दलीय पार्षद चुने गए बब्बन लालवानी का सीधा कनेक्शन पाकिस्तान और दुबई के सटोरियों से है. पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान से सट्टे का नेटवर्क रायपुर में फैलाया गया है, जिसमें लालवानी परिवार की भी अहम भूमिका रही. पुलिस ने आरोपियों के पास से सट्टे के लेनदेन से जुड़ा महत्वपूर्ण रिकॉर्ड और मोटी रकम की जानकारी भी बरामद की है.

गौरतलब है कि आरोपी नंदलाल लालवानी की निशानदेही पर पुलिस ने एक अन्य सटोरी गैंग का भी भंडाफोड़ किया है, जो पैनल सट्टा चला रहा था. फिलहाल, क्राइम ब्रांच की टीम ने आरोपी नंदलाल लालवानी और पार्षद गोविंद लालवानी उर्फ़ बबन को गिरफ्तार कर लिया है. बता दें कि सितंबर 2023 में सट्टे की रकम को लेकर एक मारपीट का मामला सामने आया था, जिसमें नंदलाल का नाम उछला था और तब भी उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया था.


थाना प्रभारी का बयान

तिल्दा थाना प्रभारी सत्येन्द्र श्याम ने बताया कि ऑनलाइन सट्टा ‘गजानंद एप’ से जुड़े आरोपियों पर पूर्व में कार्रवाई की जा चुकी है. पुराने प्रकरण पर नंदलाल ललवानी निर्दलीय पार्षद और बब्बन लालवानी लंबे समय से फरार चल रहे थे. जिन्हें कल देर रात गिरफ्तार कर गैरजमानती धाराओं के तहत कार्रवाई की गई है।