फोरेंसिक जांच से मिलते हैं सही साक्ष्य, साई कॉलेज के विद्यार्थियों ने सीखा फोरेंसिक जांच
अम्बिकापुर- अपराध और अपराधी के भौतिक, रासायनिक, जैविक तत्त्व तथा तथ्यों का अन्वेषण करना ही फोरेंसिक विज्ञान का काम है। फोरेंसिक जांच से अपराध के सही साक्ष्य सामने आते हैं। यह बातें क्षेत्रीय न्यायायिक विज्ञान प्रयोगशाला के संयुक्त संचालक आर.के. पैंकरा ने बी.एससी एंथ्रोपोलॉजी द्वितीय सेमेस्टर और बी.एससी एंथ्रोपोलाजी द्वितीय वर्ष और एम.एससी द्वितीय तथा चतुर्थ सेमेस्टर जंतु विज्ञान एडऑन कोर्स फोरेंसिक एंथ्रोपोलॉजी के विद्यार्थियों के शैक्षिक भ्रमण के दौरान कही।
उन्होंने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि फोरेंसिंक जांच में जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान तीनों शामिल है। अम्बिकापुर के प्रयोगशाला में टॉक्सिकोलॉजी के तहत जहर, विषाक्त पदार्थों के सेवन की जांच होती है। इस जांच में मृत व्यक्ति की परिस्थितियों के बारे में खुलासा होता है। उन्होंने बताया कि डायटम जांच में शरीर की सबसे बड़ी अस्थि को लेते हैं। इससे ज्ञात होता है कि डुबने से व्यक्ति की मौत हुई है अथवा मरने के बाद डुबाया गया है। नारकोटिक्स जांच में मादक पदार्थों की जांच होती है, जिसमें ब्राउन सुगर, भांग और ड्रग्स आदि शामिल हैं। ऐस टेस्ट से बर्न डेथ केस की जांच होती है। बैलेस्टिक टेस्ट में गोली लगने से हुई मौत की जांच की जाती है। इसमें मृतक की चोट, क्षति, गोली लगने के कोण और प्रयुक्त हथियार की जांच होती है।
संयुक्त संचालक ने बताया कि अम्बिकापुर प्रयोगशाला में डीएनए टेस्टिंग की सुविधा शुरू होने वाली है और मशीनों का इंस्टालेशन प्रारम्भ हो गया है। प्रयोगशाला के वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. बृजेश नागवंशी ने विद्यार्थियों के समक्ष नारकोटिक्स, डायटम, ऐस टेस्ट, बैलेस्टिक टेस्ट जांच को करके दिखाया।
प्राचार्य डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने फोरेंसिंक लैब और उनकी गतिविधियों के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित किया। इस भ्रमण के दौरान एंथ्रोपोलॉली के सहायक प्राध्यापक डॉ. श्रीराम बघेल के साथ ज्योति सिंह, डॉ. अजय कुमार तिवारी ने सहयोग किया।
May 07 2025, 19:29