लखनऊ में महिला सुरक्षा को मिला नया कवच, एंटी-रोमियो स्क्वॉड बना 'महिला सुरक्षा टीम'
लखनऊ । यूपी की राजधानी में महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पूर्ववर्ती एंटी-रोमियो स्क्वॉड को अब एक नए, अधिक प्रभावशाली और समग्र रूप में ‘महिला सुरक्षा टीम’ के रूप में पुनर्गठित किया गया है। इस नई पहल के तहत जनपद के हर थाने में एक महिला सुरक्षा टीम गठित की गई है, जो महिला अपराधों की रोकथाम से लेकर सुरक्षा के माहौल को मजबूत करने तक सक्रिय भूमिका निभाएगी।
सभी थानों पर गठित होंगी महिला सुरक्षा टीमें
पुलिस आयुक्त लखनऊ के आदेश पर जिले के प्रत्येक थाने पर एक महिला सुरक्षा टीम का गठन किया गया है, जिसमें कुल पाँच सदस्य होंगे — एक उपनिरीक्षक (SI), दो पुरुष आरक्षी और दो महिला आरक्षी। इन टीमों को महिलाओं एवं बालिकाओं से जुड़े अपराधों की रोकथाम, सुरक्षा सुनिश्चित करने और भयमुक्त वातावरण बनाने की दिशा में विशेष ज़िम्मेदारी दी गई है।इसका उद्देश्य सार्वजनिक स्थानों पर छेड़छाड़, अश्लील टिप्पणी, पीछा करने जैसी घटनाओं को रोकना है। ये टीमें स्कूल-कॉलेज, बाजार, पार्क, बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन सहित सभी संवेदनशील स्थानों पर नियमित गश्त करेंगी और किसी भी आपत्तिजनक गतिविधि पर त्वरित कार्रवाई करेंगी।
एंटी रोमियो स्क्वॉड का नाम ही नहीं, काम भी बदला
पूर्व में "एंटी रोमियो स्क्वॉड" को छेड़खानी और ईव-टीजिंग की घटनाओं पर कार्रवाई के लिए जाना जाता था। लेकिन नए स्वरूप में इस टीम की कार्यप्रणाली और दायरा दोनों को व्यापक बनाया गया है। अब यह टीम सिर्फ प्रतिक्रियात्मक कार्रवाई तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि निवारक कदमों पर भी जोर देगी।
टीम अब निम्नलिखित कार्यों पर विशेष ध्यान देगी
शैक्षणिक संस्थानों के आसपास मादक पदार्थों की बिक्री रोकना
संदिग्ध व्यक्तियों और वाहनों की जांच
नशे की हालत में पाए गए लोगों पर कार्रवाई
महिलाओं और छात्राओं से मिलने वाली शिकायतों पर त्वरित प्रतिक्रिया
दल को मिलेंगे आधुनिक संसाधन और तकनीकी उपकरण
हर टीम को आधुनिक संसाधनों से लैस किया जा रहा है, जिससे वे प्रभावी कार्रवाई कर सकें:
एक चार पहिया वाहन
दंगा नियंत्रण उपकरण (डंडा, हेलमेट, बॉडी प्रोटेक्टर, रस्सा)
प्रभारी अधिकारी के पास बॉडी वॉर्न कैमरा, छोटा शस्त्र, ई-चालान डिवाइस और सीयूजी फोन
गश्त के दौरान वीडियो रिकॉर्डिंग द्वारा सबूत संकलन की सुविधा
टीम प्रतिदिन सुबह 8:00 बजे से रात 8:00 बजे तक ड्यूटी पर रहेगी। आकस्मिक स्थिति में इन्हें क्विक रिस्पॉन्स टीम (QRT) के रूप में भी सक्रिय किया जाएगा।
कार्यशैली और जवाबदेही की स्पष्ट रूपरेखा
थाना प्रभारी प्रतिदिन सुबह टीम को ब्रीफिंग देंगे और ड्यूटी के अंत में उनके कार्यों की समीक्षा करेंगे।
पुलिस उपायुक्त (DCP) और सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) स्तर के नोडल अधिकारी टीम की प्रतिदिन की गतिविधियों की निगरानी करेंगे।
टीम उन इलाकों की भौगोलिक जानकारी (लैटिट्यूड/लॉन्गिट्यूड) और CCTV कवरेज की जानकारी भी संकलित करेगी, जो महिला अपराध के दृष्टिकोण से संवेदनशील माने जाते हैं।
शोहदों पर सीधे कार्रवाई, दोहराव पर जेल भेजने की कार्यनीति
टीम का दायित्व न सिर्फ अपराध को रोकना होगा, बल्कि शोहदों की पहचान कर उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करना भी होगा।
पहली बार पकड़े जाने पर युवक को थाने लाकर काउंसलिंग की जाएगी, परिवार को बुलाकर उसकी गतिविधियों से अवगत कराया जाएगा।
उसका नाम थाने के विशेष रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा।
यदि दोबारा वह ऐसी गतिविधियों में लिप्त पाया गया, तो उसके खिलाफ FIR दर्ज कर जेल भेजने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
सादे कपड़ों में तैनाती और गुप्त शिकायत पेटिकाएं
महिला आरक्षियों को सादे वस्त्रों में संवेदनशील इलाकों (कोचिंग सेंटर, बाजार, मॉल आदि) में तैनात किया जाएगा।
साथ ही स्कूल और कॉलेजों में शिकायत पेटिका भी लगाई जाएगी, जिसमें महिलाएं और छात्राएं बिना पहचान उजागर किए अपनी शिकायतें दर्ज कर सकेंगी।पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि टीम की कार्रवाई किसी मासूम के प्रति न हो।
पुलिस कमिश्नर ने स्पष्ट निर्देश
किसी भी युवक को महज शक के आधार पर परेशान न किया जाए।
छात्राओं के जान-पहचान वालों या सामान्य बातचीत करने वालों के साथ भी शालीन व्यवहार हो।
पुलिस की छवि “मददगार” बने, डर पैदा न हो।
महिला सुरक्षा को जनसहभागिता से जोड़ने की योजना
टीम स्कूल, कॉलेज, महिला समूहों और गैर सरकारी संगठनों से संपर्क कर समुदाय आधारित पहल को भी आगे बढ़ाएगी।
इसमें महिलाओं को आत्मरक्षा, साइबर सुरक्षा, यौन अपराधों की पहचान और रिपोर्टिंग आदि के प्रति जागरूक किया जाएगा।
May 07 2025, 17:35