WAVES 2025 समिट के चौथे दिन का हुआ भव्य समापन, 'भारत की गूंज' के साथ गूंजा मंच
अमर बहादुर सिंह बलिया शहर! भारत की रचनात्मकता और डिजिटल प्रतिभा को समर्पित WAVES 2025 समिट का चौथा और अंतिम दिन एक यादगार और भव्य फिनाले के साथ समाप्त हुआ। #BharatPavilion और #Creatosphere के परदे जैसे ही गिरे, एक प्रेरणादायक ऊर्जा और उत्साह की गूंज चारों ओर फैल गई। इस समिट के समापन दिवस पर दर्शकों को कई यादगार अनुभवों का हिस्सा बनने का अवसर मिला। प्रभावशाली मास्टरक्लासेस और जोश से भरे क्रिएटर-नेतृत्व वाले सत्रों ने न सिर्फ प्रतिभागियों को प्रेरित किया, बल्कि भविष्य की डिजिटल क्रांति की झलक भी दी। Battle of the Bands ने मंच पर धमाल मचाया, तो वहीं EDM Challenge ने दर्शकों को नाचने पर मजबूर कर दिया। समापन समारोह में प्रस्तुत की गई "Symphony of India – भारत की गूंज" एक ऐसी भावनात्मक और सांस्कृतिक प्रस्तुति रही, जिसने हर दिल को छू लिया और भारत की विविधता में एकता की भावना को उजागर किया। #WAVES, #WAVESIndia और #WAVES2025 जैसे हैशटैग सोशल मीडिया पर ट्रेंड करते रहे, और देशभर से रचनात्मक युवा प्रतिभाओं की उपस्थिति ने समिट को एक नई ऊंचाई दी। यह आयोजन न सिर्फ भारत की बढ़ती डिजिटल क्रिएटिव इकोनॉमी का प्रतीक बना, बल्कि यह भी दर्शाया कि भारत वैश्विक स्तर पर अपनी रचनात्मक पहचान कैसे मजबूत कर रहा है। WAVES Summit India और सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा आयोजित इस समिट ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत की युवा शक्ति और नवाचार से भरपूर सोच, वैश्विक रचनात्मकता के परिदृश्य को एक नई दिशा देने में सक्षम है। समाप्त नहीं, शुरुआत है यह एक नए युग की
*इंडियन स्कूल ऑफ चिल्ड्रेन्स में वार्षिकोत्सव का हुआ भव्य आयोजन , मनमोहक प्रस्तुति ने मोहा सब का मन* *मेधावी छात्रों का हुआ सम्मान*
मंटू मिश्रा ! बलिया जनपद के रानीगंज बाजार स्थित इंडियन स्कूल ऑफ चिल्ड्रेन्स में शनिवार की देर शाम वार्षिक उत्सव समारोह का भव्य आयोजन किया गया।विद्यालय की निदेशिका सरिता सिंह ने मां सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित व दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की।इस दौरान विद्यालय के छात्रों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर अतिथियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। विद्यालय की निदेशिका सरिता सिंह ने बच्चों के उत्साह की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजनों से विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास होता है। उन्होंने कहा कि यह स्कूल बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ उनके सांस्कृतिक और नैतिक विकास के लिए प्रतिबद्ध है। विद्यालय के प्रधनाचार्य सत्येंद्र यादव ने वार्षिक रिपोर्ट अविभावकों के सामने वार्षिक रिपोर्ट कार्ड रखी और मेधावियों को सम्मानित किया।इस अवसर पर उन्होंने कहा कि विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों को विश्वस्तरीय एजुकेशन देने के लिए हर सम्भव प्रयास किया जा रहा है।
भारत में पहली जीनोम-संपादित धान किस्मों का लोकार्पण
अमर बहादुर सिंह बलिया शहर! भारतीय कृषि क्षेत्र ने आज एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जब केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान ने दो जीनोम-संपादित धान की किस्मों का औपचारिक लोकार्पण किया। यह कार्यक्रम कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों, श्री देवेश चतुर्वेदी (सचिव, कृषि मंत्रालय) और डॉ. मंगी लाल जाट (सचिव, DARE एवं महानिदेशक, ICAR) की उपस्थिति में संपन्न हुआ। यह भारत ही नहीं, बल्कि विश्व की पहली जीनोम-संपादित धान किस्मों का सार्वजनिक विमोचन है। इससे भारतीय किसानों को न केवल जलवायु-संवेदनशील परिस्थितियों में बेहतर उत्पादन की संभावना मिलेगी, बल्कि यह कदम सतत कृषि, आत्मनिर्भर भारत और खाद्य सुरक्षा की दिशा में भी एक मील का पत्थर साबित होगा। लोकार्पित दो प्रमुख किस्में: 1. DRR Dhan 100 (डीआरआर धन 100): विकसित संस्थान: भारतीय धान अनुसंधान संस्थान (ICAR-IIRR), हैदराबाद। मुख्य विशेषता: चावल के पकने की अवधि कम (अर्ली मैच्योरिटी)। यह किस्म सामान्य धान की तुलना में 10-15 दिन पहले तैयार होती है, जिससे किसानों को दूसरी फसल लगाने का मौका मिलता है। इससे सिंचाई की जरूरत कम होती है और किसानों को जल एवं लागत की बचत होती है। इस किस्म में बिना किसी विदेशी जीन के केवल उसकी आंतरिक जेनेटिक संरचना को संपादित किया गया है। 2. Pusa Basmati DST Rice 1 (पुसा डीएसटी राइस 1): विकसित संस्थान: भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नई दिल्ली। मुख्य विशेषता: हीट टॉलरेंस यानी उच्च तापमान सहनशीलता। बदलते मौसम में तापमान वृद्धि के कारण फसलों की पैदावार पर असर पड़ता है, लेकिन यह किस्म हीट स्ट्रेस में भी बेहतर उपज देती है। इसमें DST (Drought and Salt Tolerance) जीन को संपादित किया गया है, जिससे पौधा ताप, सूखा और नमक की स्थिति में भी फल-फूल सकता है।
जिला कलेक्ट्रेट बलिया कर्मचारी संगठन के तरफ से गमरी बाबा के सालाना पूजन7 मई दिन बुधवार को बैठक कम्पनी बाग में संपन्न होगा
ओमप्रकाश वर्मा नगरा(बलिया)। जिला कलेक्ट्रेट बलिया कर्मचारी संगठन के तरफ से गमरी बाबा के सालाना पूजन की तैयारी हेतु बैठक बुलाई गयी है जिसमें सभी पदाधिकारियों की उपस्थिति के लिए आह्वान किया गया है। कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी जिलाध्यक्ष गुलाम अशरफ, उपाध्यक्ष प्रभास राम व जिलामंत्री राजकुमार ने अपने संयुक्त बयान में बताया है कि गमरी बाबा पूजन सम्बन्धित तैयारी बैठक दिनांक 7 मई दिन बुधवार को 2 बजे अपराह्न के समय कम्पनी बाग में होगी। बैठक में संगठन से सम्बन्धित सभी पदाधिकारियों से भाग लेने की अपील की गयी है।
विभिन्न मामलों के सात वारण्टी को पुलिस ने भेजा न्यायालय

ओमप्रकाश वर्मा नगरा (बलिया)। नगरा थाना पुलिस ने न्यायालय सीजेएम बलिया द्वारा निर्गत वारण्ट के क्रम में 07 वारन्टी अभियुक्तों को गिरफ्तार कर चालान न्यायालय भेज दिया। पुलिस टीम को यह सफलता उप निरीक्षक छुन्ना सिंह, रामलखन सोनकर व सूरज कुमार के नेतृत्व में मिली। धारा 147, 148, 323, 504, 506 भादवि सरकार बनाम मिन्टू आदि में अभियुक्त अनिल कुमार पुत्र स्व. कमला राजभर, अच्छेलाल पुत्र सूबेदार राजभर, खिचड़ी पुत्र मुसाफिर राजभर, कुमार पुत्र स्व. हरी राजभर (निवासीगण : सिसंवारकला थाना, नगरा, बलिया) व धारा 279/304-ए भादवि सरकार बनाम प्रेमनाथ यादव में अभियुक्त प्रेमनाथ यादव पुत्र चन्द्रदीप यादव (निवासी : भण्डारी, थाना नगरा, बलिया) तथा धारा 498ए, 323 भादवि व ¾ पाक्सो एक्ट में शिवलाल पुत्र स्व. रामदेव (निवासी : नगरा, बलिया) और धारा 323, 504, 506 भादवि में छोटेलाल चौहान पुत्र मंहगी चौहान (निवासी : चाण्डी, थाना नगरा, बलिया) को गिरफ्तार कर विधिक कार्यवाही पूर्ण कर पुलिस ने न्यायालय भेज दिया।
बलिया: 70 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों के लिए लगा आयुष्मान कैम्प, 62 लाभार्थियों को मिला 5 लाख तक इलाज का सुरक्षा कवच
अमर बहादुर सिंह बलिया शहर। प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 70 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों के लिए एक विशेष शिविर का आयोजन किया गया। इस योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को सालाना 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया जाता है। शनिवार को आयोजित इस शिविर में करीब 62 लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाए गए। यह शिविर जिला संयोजक आईटी विभाग जयप्रकाश जायसवाल के निवास स्थान पर आयोजित किया गया था। शिविर के ऑपरेटर अमरबहादुर सिंह ने जानकारी दी कि यह विशेष शिविर शनिवार को लगाया गया, लेकिन इच्छुक लोग किसी भी कार्यदिवस पर आकर आयुष्मान कार्ड बनवा सकते हैं। योजना का उद्देश्य बुजुर्गों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है ताकि उन्हें आर्थिक तंगी के बिना इलाज मिल सके। स्थानीय लोगों ने इस पहल की सराहना की और अधिक से अधिक लोगों को इसका लाभ लेने की अपील की।
सेना में अग्निवीर योजना को खत्म करे सरकार : अखिलेश यादव पहलगाम में हुए घटना पर सरकार को दी नसीहत
ओमप्रकाश वर्मा नगरा(बलिया)! सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पत्रकारो से बात करते हुए पहलगाम में हुए घटना पर सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि अग्निवीर योजना तुरंत खत्म करनी चाहिए। श्री यादव सपा सांसद सनातन पांडेय के भतीजी की शादी में शामिल होने इंदरपुर आये थे. अखिलेश यादव ने कहा कि फौज की भर्ती बड़े पैमाने पर करना चाहिए। रशिया यूक्रेन का वॉर हम देख रहे है. करीब एक लाख लोग अपनी जान गांव बैठे है। अगर भारत पाकिस्तान को सबक सिखाना चाहता है या ठोस कदम उठाना चाहते है तो याद रखियेगा इसे आप जैसे इकनोमिक कॉरिडोर बन रहा है तो क्या चीन पाकिस्तान के साथ नही खड़ा होगा। वॉर अलग अलग समस्याए पैदा करता है, इसलिए पूरी तैयारी के साथ कोई काम करना होगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सपा कार्यालय के सामने लगे विवादित पोस्टर पर कहा कि पोस्टर लगवाने वाला लोहिया वाहिनी का एक सामान्य कार्यकर्ता है उस कार्यकर्ता की वैसी भावना नही है जैसी भावना को बीजेपी के लोग व्यक्त कर रहे है। राजनीति करने आये है तो हम जोखिम ही उठाने आये है। लालचंद गौतम लोहिया वाहिनी के जिला अध्यक्ष से जो गलती हुई हम उन्हें समझाएंगे. भविष्य में किसी नेता या महापुरुष के साथ ऐसी तस्वीर नही लगाएंगे वह मांन भी जाएंगे। उन्होंने एक सवाल के जवाब में 2027 में बीएसपी का कांग्रेस से अलायन्स को सपना बताया.
अदभुत,अकल्पनीय,अविस्मरणीय पल की साक्षी बनी बेसिक की प्रतिमा उपाध्याय
मंटू मिश्रा बैेंरिया बलिया!चुनौतियां मुझे पसंद है" के विमोचन के बाद बोली प्रतिमा मेरे जीवन केसुखद पलो में महत्वपूर्ण पल है इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में शामिल होना"* बलिया। यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की किताब का विमोचन गुरुवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने लखनऊ में किया। आनंदीबेन पटेल के जीवन पर आधारित पुस्तक 'चुनौतियां मुझे पसंद हैं' के विमोचन कार्यक्रम में जगदीप धनखड़ के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के अलावा राज्य मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों के साथ ही विभिन्न शैक्षिक सामाजिक एवं साहित्यिक गतिविधियों के लिए राज्यपाल व मुख्यमंत्री के अलावा विभिन्न सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित बलिया के पी एम श्री विद्यालय अमृतपाली की प्रधानाध्यापिका प्रतिमा उपाध्याय पीहू भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रही।कार्यक्रम के समापन के बाद प्रतिमा उपाध्याय ने कहा कि ये पुस्तक एक नई प्रेरणा है।उन्होंने कहा कि आज मैं स्वयं को अति गौरवान्वित महसूस कर रहीं हूं कि मुझे राजभवन, लखनऊ से महामहिम राज्यपाल महोदया के पुस्तक विमोचन कार्यक्रम मे आमंत्रित किया गया , उनके जीवन और अनुभवो पर आधारित ये स्वरचित पुस्तक निश्चित रूप से हम सभी के जीवन में प्रेरणा की अजस्र धारा प्रवाहित करने का कार्य करेगी गौरतलब हो कि चुनौतियां मुझे पसंद हैं नामक इस किताब में राज्यपाल के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी को समाहित किया गया है। सामान्य राजनीतिक कार्यकर्ता से लेकर गुजरात की महिला मंत्री और उसके बाद मुख्यमंत्री और सबसे लंबे समय तक उत्तर प्रदेश की राज्यपाल की जिम्मेदारी संभालने तक संघर्षों को इसमें बताया गया है।
यूपी में अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या के खिलाफ बड़ा एक्शन, नेपाल सीमा पर भी सख्ती तेज
संजीव सिंह बलिया! लखनऊ:पहलगाम आतंकी हमले के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने अवैध विदेशी नागरिकों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है। पाकिस्तानी नागरिकों को राज्य से बाहर निकालने के बाद अब योगी सरकार की नजर बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों पर है, जो अवैध रूप से प्रदेश में रह रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों, पुलिस कप्तानों और पुलिस आयुक्तों को निर्देश जारी किए हैं कि ऐसे सभी अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान कर उन्हें जल्द से जल्द वापस भेजा जाए। उत्तर प्रदेश, केंद्र सरकार के निर्देश के अनुपालन में, पाकिस्तानी नागरिकों को निष्कासित करने वाला पहला राज्य बन गया है। अब सरकार का फोकस बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों पर है। राज्य भर में तलाशी अभियान चलाया जा रहा है ताकि अवैध रूप से रह रहे इन नागरिकों को चिन्हित कर कानूनी कार्रवाई की जा सके। इस अभियान के तहत भारत-नेपाल सीमा पर भी कार्रवाई तेज कर दी गई है। सीमा से सटे जिलों में अवैध मदरसों और धार्मिक संस्थानों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं। सोमवार को बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, महराजगंज और लखीमपुर खीरी में अवैध निर्माणों को ध्वस्त किया गया। * बहराइच: 6 अवैध निर्माणों और 7 मदरसों पर कार्रवाई * श्रावस्ती: 12 अवैध मदरसे बंद, 8 अवैध कब्जे हटाए गए * सिद्धार्थनगर: 12 अवैध निर्माण चिन्हित * महराजगंज: एक अवैध मदरसा ध्वस्त, नो-मैन्स लैंड पर बने मजार को हटाया गया * लखीमपुर खीरी: मस्जिद के अस्थायी निर्माण को हटाया गया प्रदेश सरकार का स्पष्ट संदेश है कि किसी भी प्रकार के अवैध निर्माण या अवैध नागरिकों को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ किया है कि प्रदेश की सुरक्षा और कानून व्यवस्था के साथ कोई समझौता नहीं होगा।
भृगुवंश के अंश भगवान परशुराम की तपोभूमि है बलिया का मनियर: डॉ विद्यासागर
संजीव सिंह बलिया!भगवान विष्णु की छाती में लात मारने वाले महर्षि भृगु के प्रपौत्र हैं भगवान परशुराम बागी बलिया के बगावत के प्रतीक हैं भगवान परशुराम।मनियर स्थित विश्व का सर्वाधिक प्राचीन परशुराम मन्दिर है भगवान परशुराम का आश्रम।भगवान विष्णु की छाती में लात मारने वाले महर्षि भृगु के प्रपौत्र हैं भगवान परशुराम और भृगु बाबा की जय का उद्घोष भी बलिया की राष्ट्रीय पहचान है।कहा गया है--- अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषणः। कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरंजीविनः॥' अर्थात् : अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और भगवान परशुराम ये सभी चिरंजीवी हैं। तो आइए ट्रेंड से थोड़ा अलग हटकर बलिया जनपद के संदर्भ में भगवान परशुराम की चर्चा करते हैं।महर्षि भृगु ने बलिया मे तप किया और यहीं भृगु संहिता की रचना की थी जिसका अनुमोदन करने हेतु विद्वान ऋषियों ने लम्बा विमर्श किया और कार्तिक पूर्णिमा के दिन भृगु संहिता अनुमोदित हुई थी।चूंकि समस्त ऋषियों के ठहरने ,व भोजन इत्यादि का प्रबन्ध महर्षि भृगु के शिष्य दर्दर मुनि ने किया था इसीलिए उनके नाम पर प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के ऐतिहासिक ददरी मेला लगता है।भृगुवंश का केंद्र रहा है भार्गव पुर ,वर्तमान भागलपुर ,जिला -देवरिया जो बेल्थरारोड से आगे सरयू नदी पर बने तुर्तीपार पुल को पार करते ही पड़ता है ।कभी -कभी शास्त्र मत से अधिक लोकमत प्रभावी होता है ,और यह लोकमत है कि भागलपुर के सटे सोहनाग में ऋषि जमदग्नि का आश्रम था,जहाँ वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में रात्रि के प्रथम प्रहर में उच्च ग्रहों से युक्त मिथुन राशि पर राहु के स्थित रहते माता रेणुका के गर्भ से भगवान परशुराम का प्रादुर्भाव हुआ था।ऋषि जमदग्नि के पुत्र होने के कारण उनका एक और नाम जामदग्नेय भी प्रचलित है। अपने प्रपितामह महर्षि भृगु की तरह भगवान परशुराम ने भी बलिया को अपना कर्मभूमि बनाया और सरयू नदी के दूसरे पार मनियर में कठोर साधना की ।शास्त्र मतानुसार नैमिसारण्य से लेकर चम्पारण्य (वर्तमान चम्पारण ,बिहार) के बीच का भूभाग धर्मारण्य के नाम से जाना जाता है और उस धर्मारण्य में मुनिअरण्य अर्थात मुनियों के वन की विशेष प्रतिष्ठा रही है ,उसी मुनिअरण्य को वर्तमान में मनियर के नाम से जाना जाता है जहां आज भी भगवान परशुराम का अति प्राचीन वैभवशाली मंदिर विद्यमान है ,जिसके बगल में सरयू प्रवाहित हो रही हैं।यह भी अद्भुत है कि क्षत्रिय कुल नाशक कहे जाने के बावजूद भी मनियर के क्षत्रिय समाज द्वारा आज भी श्रद्धा और आस्था के साथ भगवान परशुराम पूजित होते है। भगवान परशुराम के जन्मदिन वैसाख तृतीया को अनादि काल से मनियर में लगने वाला एकतीजिया के नाम से प्रसिद्ध मेला आज भी उस गौरवशाली अतीत की याद दिलाता है। लोक मान्यता है कि सिकन्दरपुर - बलिया मार्ग पर अवस्थित खेजुरी के निकट जनुवान में जब बहेरा नामक राक्षस का अत्याचार चरम पर पहुंचा तो उसका दमन करने हेतु भगवान परशुराम जनुवान गए ,मल्ल युद्ध हुआ ,और बहेरा मारा गया ।बहेरा की लाश को जनुवान से घसीटते हथौज, बालूपुर, छपरा पर,धनौती,बहदुरा,असना ,पिलुई ,विक्रमपुर ,चांदुपाकड होते हुए भगवान परशुराम ने मनियर सरयू जी मे फेंक दिया जिसके स्मृति स्वरूप उक्त मार्ग होते हुए आज भी बहेरा नाला विद्यमान है । ब्रह्रावैवर्त पुराण के अनुसार, भगवान परशुराम एक बार भगवान शिव से मिलने उनके कैलाश पर्वत पहुंच गए, लेकिन वहां उन्हें रास्ते में ही उऩके पुत्र भगवान गणेश ने रोक दिया, इस बात से क्रोधित होकर उन्होंने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था,जिसके बाद भगवान गणेश एकदंत कहलाए।भगवान परशुराम माता रेणुका और ॠषि जमदग्नि की चौथी संतान थे।परशुराम जी ने अपने पिता की आज्ञा के बाद अपनी मां का वध कर दिया था,जिसकी वजह से उन्हें मातृ हत्या का पाप भी लगा।उन्हें अपने इस पाप से मुक्ति भगवान शिव की कठोर तपस्या करने के बाद मिली। भगवान शिव ने परशुराम को मृत्युलोक के कल्याणार्थ परशु अस्त्र प्रदान किया, यही वजह थी कि वो बाद में परशुराम कहलाए।एक दिन जब भगवान परशुराम कहीं बाहर गये थे तो कार्तवीर्य अर्जुन उनकी कुटिया पर आये। युद्ध के मद में उन्होंने माता रेणुका का अपमान किया तथा उसके बछड़ों का हरण करके चले गये, गाय रंभाती रह गयी। भगवान परशुराम को मालूम पड़ा तो क्रुद्ध होकर उन्होंने सहस्त्रबाहु हैहयराज को मार डाला। हैहयराज के पुत्रों ने आश्रम पर धावा बोला तथा भगवान परशुराम की अनुपस्थिति में मुनि जमदग्नि को मार डाला। जब भगवान परशुराम घर पहुँचे तो बहुत दुखी हुए तथा पृथ्वी को क्षत्रियहीन करने का संकल्प किया और इक्कीस बार पृथ्वी के हैहयवंशी क्षत्रियों का संहार किया। त्रेतायुग में भगवान राम ने जब शिव धनुष को तोड़ा तो भगवान परशुराम जी महेंद्र पर्वत पर तपस्या में लीन थे, लेकिन जैसे ही उन्हें धनुष टूटने का पता चला तो क्रोध में आ गए,लेकिन जब उन्हें प्रभु श्रीराम के बारे में मालूम हुआ तो उन्होंने श्रीराम को प्रणाम किया ,बाद में श्रीराम ने भगवान परशुराम जी को अपना सुदर्शन चक्र भेट किया और बोले द्वापर युग में जब उनका अवतार होगा तब उन्हें इसकी जरूरत होगी।इसके बाद जब भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर में अवतार लिया तब परशुरामजी ने धर्म की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र वापिस कर दिया।उन्होंने द्रोणाचार्य ,पितामह भीष्म और कर्ण को शस्त्रविद्या प्रदान की थी। उन्होंने एकादश छन्दयुक्त "शिव पंचत्वारिंशनाम स्तोत्र" भी लिखा। भगवान परशुराम का मानना था कि अन्याय करना और सहना दोनों ही पाप हैं। इसलिए उनका फरसा सदैव अन्याय के खिलाफ उठा है। जब उन्हें यह ज्ञात हो गया कि धरती पर भगवान श्रीहरि ने सातवां अवतार श्रीराम के रूप में ले लिया है, तब उन्होंने अपने क्रोध की ज्वाला को शांत करने और तपस्या के उद्देश्य से महेंद्रगिरि पर्वत का रुख किया। ऐसा माना जाता है कि भगवान परशुराम आज भी महेंद्रगिरि पर्वत पर चिरकाल से तपस्यारत हैं।मैं डॉ विद्यासागर अपने अध्ययन और अनुभव के आधार पर यह स्वीकार करता हूँ कि भारतवर्ष में जब भी प्रवृत्ति और निवृत्ति के मध्य संघर्ष हुआ है तो जनक मार्ग की स्वीकार्यता बढ़ी है(भारतीय दर्शन में रुचि रखने वाले जिज्ञासु उक्त विषय मे हमसे वार्ता करके अपनी जिज्ञासा शान्त कर सकते हैं), और जब यह देश धर्म और हिंसा के अंतर्द्वंद्व में फंसता है तब भगवान परशुराम के विचारों का आश्रय लेता है।जनक वह जो राजा होते हुए भी प्रजा हित मे हल चलाता हो और भगवान परशुराम वह जो तपस्वी होते हुए भी आततायियों के संहार हेतु शस्त्र उठा लेता हो ।लौकिक युग मे जनक मार्ग का प्रतिनिधित्व किया हर्ष ने और भगवान परशुराम की परम्परा को आगे बढ़ाया गुरु गोविंद सिंह ने।(लेख बड़ा होता जा रहा है इसलिए लेखन को यही अल्पविराम देता हूँ।) ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि, तन्नोपरशुराम: प्रचोदयात्।"