देवघर-महात्मा गांधी की देवघर और मधुपुर यात्रा के 100 साल पूरे, प्रदर्शनी और सेमिनार का आयोजन किया गया
देवघर:
महात्मा गांधी की देवघर और मधुपुर यात्रा के 100 साल पूरे होने पर "झारखण्ड शोध संस्थान" की ओर से चित्र प्रदर्शनी और सेमिनार का आयोजन किया गया। चित्र प्रदर्शनी आरएन बोस लाइब्रेरी में लगाई गई थी, जबकि सेमिनार आइएमए हॉल में हुआ।चित्र प्रदर्शनी में महात्मा गांधी की देवघर-मधुपुर यात्रा से संबंधित चित्रों के साथ यहां के शहीदों के चित्र भी दिखाए गए।चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के गांधी विचार विभाग के सेवानिवृत्त अध्यक्ष डॉ.विजय कुमार, झारखण्ड राज्य दिगंबर जैन धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष ताराचंद जैन,''झारखण्ड शोध संस्थान'' के अध्यक्ष घनश्याम भाई, समाजसेवी रीता चौरसिया और पवन कुमार टमकोरिया ने संयुक्त रूप से किया। सेमिनार का आरंभ आईएमए हॉल में संगीतकार विश्वनाथ बनर्जी के द्वारा गाए "वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीड़ पराई जानी रे" से हुई।विषय प्रवेश कराते हुए "झारखण्ड शोध संस्थान" के सचिव उमेश कुमार ने महात्मा गांधी के देवघर आने के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और उनके आगमन के सामाजिक प्रभावों का उल्लेख किया। समारोह का संचालन प्रो.रामनंदन सिंह ने किया। इस अवसर पर आगत अतिथियों ने पर्यटन, कला-संस्कृति विभाग के अनुदान से प्रकाशित हो रही उमेश कुमार की प्रस्तावित किताब का डिजाइनर गोविंद मल्लिक द्वारा बनाए गए आवरण का लोकार्पण भी किया गया ताकि लोगों के विचारों के अनुसार इसके कलेवर को अंतिम आकार दिया जा सके। सेमिनार के मुख्य अतिथि टीएमबीयू गांधी विचार विभाग के सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष डॉ. विजय कुमार थे। उन्होंने कहा कि हम गांधी, राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, ईसा मसीह, पैगबंर को आदरणीय मानते हैं, लेकिन अनुकरणीय नहीं मानते हैं। गांधी को ज्ञान से संयोजने की कोशिश नहीं हुई। गांधी के बारे में हमलोगों ने वे चीजें लोगों तक पहुंचाई, जिसका आज कोई मतलब नहीं है। "एएस कॉलेज" के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. नंदन किशोर द्विवेदी ने कहा कि गांधी कोई व्यक्ति नहीं, बल्कि विचारधारा हैं। विचारधारा तबतक नहीं मरेगी, जब तक उमेश जी जैसे लोग हैं। गांधी जी के दो बार देवघर और मधुपुर आगमन में सर्वाधिक उद्देश्य सामाजिक था। लेकिन दु:खद यह है कि इंटरनेट और गूगल में गांधी के देवघर आगमन के बारे में भ्रामक बातें लिखी गई है। गूगल में लिखा गया है कि बापू बैद्यनाथ मंदिर से बैरंग लौट गए, जो बिल्कुल गलत है। गांधीजी ने कहा था कि जबतक दीवाने आम की स्वीकृति नहीं हो जाती है, तब तक बैद्यनाथ मंदिर में दलितों के प्रवेश को लेकर कोई विचार नहीं थोपूंगा। गांधीवादी समाजसेवी एवं संस्थान के अध्यक्ष घनश्याम भाई ने कहा कि गांधी को अंगीकार करने की जरूरत है। गांधी का महिमा मंडन छोड़ जब तक उन्हें हम बरतेंगे नहीं, तब तक आजादी का जो उन्होंने सपना देखा था, वह पूरा नहीं होगा। गांधीवादी विचारक कुमार रंजन ने कहा कि गांधी के विचारों में आज की पीढ़ी को जीने का कला सिखाना ज्यादा उचित होगा। जेपी आंदोलनकारी तारकेश्वर सिंह ने सवालिया लहजे में कहा कि गांधी की हत्या के बाद उनके विचार को आगे बढ़ाना था, तो क्या वह हो पाया? गांधी के देवघर आगमन के दौरान मेरे पूर्वजों ने अहम भूमिका निभाई थी, जिसे आज भी याद किया जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा के जानकार डॉ. मनोज ने कहा कि ऐसे समय में सजग रहने की जरूरत है, जहां गांधी विचार की हत्या हो रही है। गांधी विचार पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं। सोशल मीडिया गांधी को लेकर उल्टी-सीधी बातों से समाज को दिग्भ्रमित करने का काम किया जा रहा है। समारोह की अध्यक्षता कर रहे "झारखण्ड राज्य दिगंबर जैन धार्मिक न्यास बोर्ड" के अध्यक्ष ताराचंद जैन ने जैन परम्परा और गांधी-दर्शन का तुलनात्मक विवेचन करते हुए घनश्याम भाई से ''इतिहासघर'' को गांधी संग्रहालय के रूप में जल्द से जल्द आकार देने की अपील की।"झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड" के पूर्व अध्यक्ष मणिशंकर ने गांधी जी के देवघर आगमन को समारोहपूर्वक मनाने के साथ "गांधी संग्रहालय"(इतिहासघर)बनाने की अपील की। समारोह को पूर्व गृहमाता सुशीला सिन्हा, शिक्षाविद् और साहित्यकार डॉ.विजय शंकर, प्रधानाचार्य काजलकांति सिकदार, समाजसेवी चंदनानंद जी, समाजवादी तारकेश्वर सिंह आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कवि जलेश्वर ठाकुर 'शौकीन' ने गांधी जी के देवघर आगमन पर रचित अपनी कविता का पाठ किया। समारोह में इतिहासकार और मानवशास्त्री प्रसन्न कुमार चौधरी,साहित्यकार डॉ.शंकर मोहन झा, प्राध्यापक डॉ.कैलाश प्रसाद राउत, सेवानिवृत्त चिकित्सक डॉ.उमेश प्रसाद सिन्हा, कहानीकार अनिल कुमार झा,शिक्षक श्रीकांत जायसवाल,समाजसेवी पंकज सिंह भदौरिया,शिक्षक एवं कवि रवि शंकर साह,राकेश पुरोहितवार सहित अनेक बुद्धिजीवी उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन समारोह के संचालक और संस्थान के वरीय सदस्य प्रो.रामनंदन सिंह ने किया।
Apr 12 2025, 07:41