उत्तरकाशी में बड़ा हादसा, हेलिकॉप्टर क्रैश में छह की मौत, दो घायल

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उत्तरकाशी जिले में आज सुबह एक हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसे में छह लोगों के मौत हो गई है। पुलिस-प्रशासन के साथ ही आपदा प्रबंधन की टीम मौके के लिए रवाना हुई। घटनास्थल पर पहुंचते ही टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। बताया जा रहा है कि हेलीकॉप्टर में 7 यात्री सवार थे, जिनमें से पांच की मौत हो गई है। वहीं दो अन्य घायल हुए हैं।

प्राइवेट कम्पनी का हेलीकाप्टर एरो ट्रिंक हादसाग्रस्त

बताया जा रहा है कि हादसा उत्तरकाशी में गंगनानी के पास हुआ है। हेलीकॉप्टर ने देहरादून से उड़ान भरी थी, जो गंगनानी से आगे नाग मंदिर के क्रैश हो गया। यह प्राइवेट कम्पनी का हेलीकाप्टर एरो ट्रिंक था। वहीं, हेलीकॉप्टर क्रैश होने की सूचना पर घटनास्थल के लिए आपदा प्रबंधन QRT, 108 एंबुलेंस वाहन, तहसीलदार भटवाड़ी, BDO भटवाड़ी, राजस्व टीम रवाना की गई है। इन दिनों उत्तराखंड में चार धाम यात्रा भी चल रही है। ये तीर्थयात्रियों का हेलीकॉप्टर था या कोई दूसरा इसका पता अभी नहीं चला है।

सीएम धामी ने जताया दुख

उत्‍तराखंड के मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी ने इस हादसे पर दुख जताते हुए कहा कि उत्तरकाशी के गंगनानी के समीप हेलीकॉप्टर क्रैश में कुछ लोगों के हताहत होने का अत्यंत दुःखद समाचार प्राप्त हुआ है. राहत एवं बचाव कार्य के लिए SDRF और जिला प्रशासन की टीमें तत्काल घटनास्थल पर पहुंच गई हैं. ईश्वर हादसे में दिवंगत हुए लोगों की आत्मा को श्रीचरणों में स्थान एवं शोकाकुल परिजनों को यह असीम दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें. प्रशासन को घायलों को हर संभव सहायता पहुंचाने एवं हादसे की जांच के निर्देश दिए हैं. इस संबंध में लगातार अधिकारियों के संपर्क में हूं और हर स्थिति पर निगरानी रखी जा रही है.

आज शाम तक बाहर आ सकते हैं मजदूर, अस्पताल में बेड और परिजनों को तैयार रहने को कहा गया

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उत्तराखंड की सिल्क्यारा टनल में 12 नवंबर से फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने की कोशिशें लगातार जारी हैं। फिलहाल मैन्युअली खुदाई की जा रही है।उत्तरकाशी में रेस्क्यू का आखिरी राउंड चल रहा है।अब 2-3 मीटर की ड्रिलिंग बाकी है।उम्मीद है कि कुछ देर में खुशखबरी आ सकती है। करीब 17 दिन से मलबे में फंसे मजदूरों और परिजनों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है। उम्मीद जताई जा रही है कि आज देर शाम तक सभी 41 मजदूर टनल से बाहर आ सकते हैं।मजदूरों के परिजनों को तैयार रहने को कहा गया है। उन्हें अपने परिजनों के कपड़े और दूसरे जरूरी सामान लेकर टनल के बाहर आने को कहा गया है।

रेस्क्यू टीम अब श्रमिकों से केवल तीन मीटर ही दूर है। कर्नल राहत एवं बचाव अभियान के प्रभारी कर्नल दीपक पाटिल ने बताया कि मैन्युअल ड्रिलिंग 53.9 मीटर तक हो गई है। 57 मीटर पर ब्रेकथ्रू होने की उम्मीद है। वहीं, माइक्रो टनलिंग विशेषज्ञ क्रिस कूपर ने कहा कि हम अभी भी खुदाई कर रहे हैं। हमें कुछ और मीटर तक जाना है। हम शाम 5 बजे तक कुछ परिणाम देखने की उम्मीद कर रहे हैं। 2-3 मीटर बाकी हैं।

अस्पताल में 41 बेड तैयार रखे गए हैं। वहीं, मजदूरों के परिवार वालों से कहा गया है कि वह मजदूरों के कपड़ों समेत जरूरी सामान वाले बैग तैयार रखें। हादसे की जगह सीएम धामी भी मौजूद हैं। धामी ने पीएम मोदी को रेस्क्यू ऑपरेशन की अपडेट दी है। सीएम धामी ने ने बताया है कि फंसे हुए मजदूरों को निकालने के बाद सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।मौके पर डॉक्टर की टीम भी मौजूद है। सभी अधिकारियों को 24 घंटे अलर्ट पर रखा गया है। अस्पताल में 41 बेड तैयार रखे गए हैं। टनल में फंसे मजदूरों को सीधा यहीं लाया जाएगा।

सीएम पुष्कर धामी ने एक्स पर पोस्ट किया कि सिलक्यारा पहुंचकर टनल में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का स्थलीय निरीक्षण किया। टनल में फंसे श्रमिकों का कुशलक्षेम जाना और चिकित्सकों को श्रमिक भाइयों से निरंतर संपर्क में रहने के निर्देश दिए। सभी श्रमिक स्वस्थ एवं सुरक्षित हैं। बाबा बौख नाग जी से सभी श्रमिक भाइयों के सकुशल बाहर निकालने हेतु संचालित रेस्क्यू ऑपरेशन की शीघ्र सफलता की कामना करता हूं।

अब तक 52 मीटर तक मैन्युअल ड्रिलिंग का काम पूरा, रेस्क्यू ऑपरेशन पर मंडराया खराब मौसम का खतरा

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उत्तराखंड सुरंग हादसे का आज 17वां दिन है।इस सुरंग हादसे में कुल मिलाकर 41 मजदूर फंसे हुए हैं, जिन्हें बाहर निकालने का काम जारी है।टनल में फंसी अमेरिकन ऑगर मशीन के मलबे को पूरी तरह बाहर निकालने के बाद अब मैन्युअल तरीके से सुरंग खोदकर मजदूरों के पास पहुंचने की तैयारी है। स्क्यू ऑपरेशन में तमाम तरह की मुश्किलें भी सामने पेश आ रही हैं। जैसे मौसम का संकट है, इसके साथ ही ऑगर मशीन जो उम्मीद की किरण थी उसमें भी तकनीकी खामी आ गई थी। मौजूदा समय में रैट माइनर्स के जरिए मजदूरों तक पहुंचने की कोशिश हो रही है। इसके साथ ही वर्टिकल ड्रिलिंग का भी काम किया जा रहा है।दिवाली के पर्व वाले दिन हुए हादसे में 41 मजदूर टनल के अंदर ही फंसे रह गए थे। सुरंग के भीतर फंसे मजदूरों ने अब तक हार नहीं मानी है और सरकार की ओर से उन्हें सकुशल बाहर निकालने के लिए लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। 

सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए अंदर की जा रही मैन्युअल ड्रिलिंग का पहला वीडियो सामने आया है। मंगलवार सुबह न्यूज एजेंसी एएनआई द्वारा जारी किया गया। जबकि मैनुअल ड्रिलिंग चल रही है, पाइप को धकेलने के लिए बरमा मशीन का उपयोग किया जा रहा है।एएनआई ने बताया कि अब तक लगभग दो मीटर की मैनुअल ड्रिलिंग पूरी हो चुकी है। 41 मजदूरों को बचाने में मदद के लिए बुलाए गए रैट-होल खनन विशेषज्ञों ने सोमवार को मलबे के माध्यम से मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू की।

अगले 24 घंटे में मिल सकती है कामयाबी

भारी भरकम मशीनों के फेल हो जाने के बाद अब सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रैट माइनर्स को लगाया गया है जो चूहे की तरह कम जगह में तेज खुदाई करने वाले विशेषज्ञों की एक टीम है। अब इन्हीं के भरोसे सुरंग के 41 मजदूरों की जिंदगी है। ये लोग आगे की खुदाई हाथ से कर रहे हैं जिसके लिए इनके पास हथौड़ा, साबल और खुदाई करने वाले कई टूल्स हैं।टनल में रैट माइनर्स टीम ने रात भर किया। मैनुअल ड्रिलिंग 3 मीटर पाइप आगे डाला गया लेकिन कुछ लोहे की रॉड आने से अभी अवरोध लोहे की रोड काटने का काम जारी रैट माइनर्स को लगभग 7 मीटर और मैनुअल ड्रिल करना है अगले 24 घंटे या उससे कम समय में कामयाबी मिल सकती है।

मजदूर अब सिर्फ 5-6 मीटर दूर

माइक्रो टनलिंग के एक्सपर्ट क्रिस कूपर ने बड़ी जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि बीती रात हमने सफलता के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन को आगे बढ़ाया है। हम 50 मीटर की दूरी तक पहुंच चुके हैं। अब 5 से 6 मीटर आगे जाना है, बीती रात किसी तरह की परेशानी नहीं आई। अभी तक की प्रगति पूरी तरह संतोषजनक है।

टनल में फंसी 41 जिंदगियां, सुरंग में फंसे ऑगर मशीन को बाहर निकाला गया, मैनुअल ड्रिलिंग का काम शुरू

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उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुंरग में पिछले 15 दिन से 41 मजदूर फंसेहुए हैं। लगातार उन्हें बचाने का अभियान जारी है।हालांकि, इस तरफ सफलता नहीं मिल पा रही है। रेस्क्यू का आज 16वां दिन है। हालांकि रेस्क्यू में आने वाली दिक्कतों की वजह से श्रमिकों को बाहर निकालने में देरी हो रही है। रेस्क्यू ऑपरेशन में अभी 2 से 3 दिन का वक्त ओर लग सकता है। सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अब राहत टीम वर्टिकल ड्रिलिंग कर रही है।

मैनुअल ड्रिलिंग का काम शुरू

उत्तरकाशी में चल रहे 41 मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन की स्थिति जानने के लिए पीएम मोदी के प्रमुख सचिव पीके मिश्रा सिलक्यारा टनल पहुंच रहे हैं। अब से कुछ ही देर बाद वह पहुंच जाएंगे। प्रमुख सचिव रेस्क्यू की मौजूदा स्थिति और उससे जुड़े तमाम प्लान की जानकारी लेंगे। बता दें कि टनल में मैनुअल ड्रिलिंग का काम शुरू हो गया है। कुल 11 लोगों की टीम मैनुअल ड्रिल के काम में लगाई गई है। टीम के लोग पाइप के अंदर मौजूद हैं।

मशीन के ऑगर को बाहर निकाला गया

सिलक्यारा सुरंग के ऊपर वर्टिकल ड्रिलिंग का काम जारी है। अभी तक 30 मीटर तक ड्रिलिंग कर ली गई है। वहीं सुरंग के अंदर फंसे ऑगर मशीन के ऑगर (बरमे) को बाहर निकाल लिया गया है। अब यहां मैन्युअल ड्रिलिंग का काम हो रहा है। जो कि भारतीय सेना की इंजीनियरिंग बटालियन मद्रास सेपर्स की निगरानी में आगे बढे़गा। यहां मैन्युअल ड्रिलिंग के लिए रैट माइनिंग विधि अपनी जाएगी, जिसमें छोटी-छोटी सुरंगे खोदी जाती हैं, कोयले की खदान में इस तरह की सुरंगें बनाई जाती है।

बचाओ अभियान को लगा था झटका

बीते शुक्रवार शाम को सुरंग के अंदर फंसे मजदूर के बचाओ अभियान को तब झटका लगा था, जब ऑगर मशीन से ड्रिलिंग करीब 12 मीटर ही बची थी। लेकिन ड्रिलिंग के दौरान मशीन का ऑगर(बरमा) के ब्लेड सरियों व लोहे के पाइप में उलझ कर फंस गए, इसे निकालने का प्रयास किया गया तो यह अंदर ही टूट गए। इसके बाद डीआरडीओ हैदराबाद से वायुसेना के डोर्नियर विमान से लेजर कटर और चंडीगढ़ से प्लाज्मा कटर मंगवाया गया। साथ ही ओएनजीसी की एक टीम को भी आंध्रप्रदेश के राजामुंदरी से बुलाया गया।

वहीं भारत सरकार के सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय के अपर सचिव और एनएचआईडीसीएल के एमडी महमूद अहमद ने बताया कि वर्टिकल ड्रिलिंग का काम तेजी से चल रहा है। उन्होंने बताया अब तक 19.2 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग कर ली गई है। आगे का काम भी पूरी तेजी और सावधानी से किया जा रहा है। उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट ने कहा कि उत्तरकाशी की टनल में फंसे हुए 41 मजदूरों को बाहर निकालने को लेकर पूरी मशीनरी जोर-शोर से लगी है। देश-विदेश से मशीनों को मंगवाया गया है। जल्द ही सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा।

उत्तरकाशी टनल हादसाः अब मजदूरों को बाहर निकालने के लिए बना दूसरा प्लान, ड्रिलिंग की बजाय मैनुअली हटाया जाएगा मलबा

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 उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में 41 श्रमिकों की जिंदगी बचाने की जंग जारी है। बीते 13 दिनों से मजदूर टनल में फंसे हैं। आज रेस्क्यू ऑपरेशन का 41वां दिन है।इस बीच ऑगर ड्रिलिंग मशीन के आगे बार-बार आ रही बाधा के चलते अब मैनुअल अभियान चलाया जाएगा।मैनुअल ड्रिलिंग में समय लग सकता है। यानी मजदूरों को बाहर आने में अभी वक्त लग सकता है। 

निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 14 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए युद्ध स्तर पर बचाव अभियान चल रहा है। हालांकि एक भी मजदूर को अभी तक बाहर निकालने का रास्ता सुनिश्चित नहीं हो पाया है। ड्रिलिंग के लिए इस्तेमाल हो रही यूएस मेड ऑगर मशीन की राह में बार-बार आ रही बाधाओं के कारण अब अभियान में जुटे एनडीआरएफ के जवान अब पारम्परिक तरीके से हाथ से ही ड्रिलिंग करने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं।

ड्रिलिंग की राह में बार बार आ रही बाधाओं की वजह से अब एनडीआरएफ के जवान खुद उस पाइप लाइन में नीचे उतरेंगे जिसे मजदूरों के करीब तक पहुंचा दिया गया है। 47 मीटर की ड्रिलिंग पूरी हो गई है। और 10 मीटर की ड्रिलिंग की जानी है। इसके लिए बचाव अभियान में जुटे एजेंसियों के जवान ड्रिलिंग करने के लिए इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक यंत्र जैसे हथौड़ा, साबल, गैस कटर मशीन जैसे सामान्य टूल्स के साथ नीचे उतरेंगे। वे हाथ से पाइप की राह में आ रही बाधा को काटकर हटाएंगे। 

हालांकि, यह काफी मेहनत भरा काम होगा और इसमें वक्त भी अधिक लग सकता है। कम से कम तीन से चार दिन का समय लग सकता है. हालांकि, उम्मीद सब यही कर रहे हैं कि अब किसी प्रकार का कोई हर्डल ना आए। हालांकि इसमें सफलता मिलने की उम्मीद है।

उत्तरकाशी टनल हादसाः ड्रिलिंग का काम एक बार फिर शुरू, जल्द अच्छी खबर आने की उम्मीद

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उत्तरकाशी की सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए ड्रिलिंग का काम एक बार फिर शुरू हो गया है।गुरुवार रात को इसको रोक दिया गया था। ऑगर मशीन में तकनीकी खराबी के बाद ड्रिलिंग का काम रोक दिया गया था।बता दें कि उत्तराखंड में टनल हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन आज 13वें दिन में प्रवेश कर गया। 12 दिन से 41 मजदूर टनल के अंदर फंसे हैं। जिन्हें निकालने का प्रयास लगातार जारी है। 

12 घंटे में पूरा खत्म बोने की उम्मीद

प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा कि यह एक कठिन काम है, इसलिए इसमें समय लग रहा है। हर नए दिन एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उम्मीद है 12 घंटे में पूरा काम खत्म हो जाएगा। जीपीआर ने बताया है कि अगले 5 मीटर में कोई मैटेलिक बाधा नहीं है यानी हम 52 मीटर तक आसानी से पहुचेंगे। एक पाइप का मुंह पिचक गया है, इसलिए हम दो मीटर पीछे हो गए हैं। अब 46 मीटर से काम शुरू होगा। शाम 6 बजे तक मजदूरों तक पहुंचने की उम्मीद है।

पीएम मोदी ने ली मजदूरों की जानकारी

इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बातचीत की और टनल में फंसे श्रमिकों के रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी ली। पीएम ने सीएम को निर्देश दिए कि जब श्रमिक टनल से बाहर निकलेंगे तो उनके स्वास्थ्य की जांच की जाए और अगर जरूरत पड़े तो उनको अस्पताल भेजे जाने की उचित व्यवस्था भी सुनिश्चित कि जाए।

उत्तरकाशी ड्रोन सेंसर रेडार का शुरू हुआ इस्तेमाल

उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू ऑपरेशन में पहली बार ड्रोन सेंसर रेडार का इस्तेमाल किया जा रहा है। बेंगलुरु से ड्रोन सेंसर रेडार के साथ टीम उत्तरकाशी पहुंची है। देश में पहली बार डिजास्टर मैनेजमेंट के मामले में इस ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह ऑटोमेटेड ड्रोन अपने सेंसर के जरिए रेस्क्यू ऑपरेशन में आने वाली बाधाओं के बारे में अलर्ट करेगा। इससे तेजी और सावधानी से ऑपरेशन को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। ड्रोन एक्सपर्ट सिरियाक जोसेफ ने बताया कि पहली बार देश में इस प्रकार के ड्रोन का प्रयोग रेस्क्यू मिशन या फिर आपदा प्रबंधन के लिए किया जा रहा है। हमारी टीम रेस्क्यू ऑपरेशन में जुड़े अधिकारियों को जरूरी सूचनाएं उपलब्ध करा रही है।

41 जिंदगियां बचाने की जंग

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में चार धाम प्रोजेक्ट के तहत बन रहे सिलक्यारा टनल धंसने के चलते 41 मजदूर 13 दिन से फंसे हुए हैं। मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए युद्धस्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। वहीं मजदूरों को पाइप के जरिए भोजन-पानी, दवाई और ऑक्सीजन भेजी जा रही है।

बस कुछ घंटों में बाहर आ जाएंगे टनल में फंसे 41 मजदूर, 45 मीटर हुई ड्रिलिंग

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उत्तरकाशी टनल हादसे का आज 11वां दिन है। सुरंग में फंसे सभी 41 मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से चल रहा है। इस बीच मजदूरों को बाहर निकालने के संबंध में बड़ी खबर मिल रही है। एक्सपर्ट्स के अनुसार अंदर फंसे 41 मजदूरों को महज कुछ घंटों के भीतर ही बाहर निकाला जा सकता है। 45 मीटर तक पाइप को अंदर डाला जा चुका है।बस घंटे में देशवासियों को खुशखबरी मिलने वाली है।

दरअसल, अर्थ ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम सक्सेज होता दिख रहा है। टनल में 57 मीटर तक मलबा जमा है और अर्थ ऑगर 45 मीटर तक ड्रिलिंग कर चुकी है। अब सिर्फ 12 मीटर की ड्रिलिंग और होनी है। ये मशीन एक घंटे में 5 से 6 मीटर की ड्रिलिंग करती है। ऐसे में अगले 3 से 4 घंटे बेहद अहम होने वाले हैं।NHIDCL के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने बताया कि मंगलवार रात 12 बजकर 45 मिनट पर दोबारा अर्थ ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम शुरू किया गया था, जिसमें 22 मीटर से आगे ड्रिल कर पाइप डालना शुरू किया गया। अब तक 45 मीटर तक पाइप डालने का काम पूरा हो चुका है। महमूद अहमद का कहना है कि बुधवार देर रात तक हम सुरंग में फंसे मजदूरों के पास पहुंचने में कामयाब हो जाएंगे।

पाइपलाइन डालने के बाद इसकी सफाई का कार्य किया जाएगा। इसके बाद फंसे मजदूरों को बाहर निकालने का कार्य शुरू होगा।पाइपलाइन से श्रमिकों के बाहर निकालने के बाद उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा। इसके लिए सभी प्रकार की सुविधाओं से लैस 41 एंबुलेंस को सिलक्यारा टनल के पास खड़ा किया गया है। स्ट्रेचर भी मौके पर पहुंच गए हैं।

जैसे-जैसे टनल के मलबे में बचाव का पाइप मजदूरों के करीब जा रहा है, वैसे ही एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम भी मुस्तैद हो गई है। दोनों ने बुधवार को तैयारियों का जायजा लिया। एनडीआरएफ ने लक्ष्य रखा है कि सबकुछ ठीक रहा पाइप सुरंग में आर-पार होने के बाद सात मिनट के भीतर सभी 41 मजूदरों को सुरंग से बाहर निकाल लिया जाएगा। एनडीआरएफ ने 800 मिमी पाइप के भीतर से मजदूरों को निकालने के लिए गोलाकार स्ट्रेचर बनाया है। बुधवार को बाहर पाइप के भीतर इसे डालकर उन्होंने मजदूरों को बाहर निकालने की मॉक ड्रिल की। एनडीआरएफ के अधिकारियों ने बताया कि ड्रिल व तैयारियों के हिसाब से लक्ष्य रखा गया है कि सबकुछ सामान्य रहा तो 7 मिनट के भीतर मजदूरों को बाहर निकाल दिया जाएगा।

दिवाली के दिन रविवार को सिल्क्यारा टनल हादसा हुआ था। इसमें 41 मजदूर सुरंग के अंदर फंस गए थे। दिवाली के दिन से ही रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है। कई बार इसमें अड़चनें भी आईं। सुरंग के अंदर मजदूरों की हालत कैसी है, इसको लेकर पूरे देशवासियों को फिक्र हो रही थी। हादसे के 10वें दिन पहली बार मजदूरों का सीसीटीवी फुटेज आया तो सभी ने राहत की सांस ली। सुरंग के अंदर सभी मजदूर सकुशल हैं। रेस्क्यू कर रही टीमों के अधिकारियों ने उनसे बात भी की थी। मजदूरों को समय-समय पर खाना-पानी भी पहुंचाया जा रहा है।

उत्तरकाशी टनल हादसाःपीएम मोदी ने मुख्यमंत्री से लिया अपडेट, PMO ने सभी एजेंसियों से मांगी रिपोर्ट

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उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुए टनल हादसे को 8 दिन हो गए हैं। टनल में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। बाबजूद इसके 170 से भी अधिक घंटे बीत जाने के बाद भी रेस्क्यू टीम को सफलता नहीं मिल पा रही है। रेस्क्यू का आज नौवां दिन है। मजदूरों को निकालने के लिए बैकअप प्लान के तहत सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग के लिए अस्थायी सड़क का काम अंतिम चरण में है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को फोन कर श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए जारी राहत और बचाव कार्यों के बारे में जानकारी ली। 

पीएम मोदी से फोन पर हुई बातचीत में मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने स्वयं मौके पर जाकर स्थलीय निरीक्षण किया और बचाव कार्यों पर लगातार नजर रखें हैं। मेडिकल की टीम भी वहां पर तैनात कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरंग के अंदर फंसे सभी मजदूर सुरक्षित हैं और उन्हें जल्द बाहर निकलने की पूरी कोशिश की जा रही है। बता दें कि अभी तक प्रधानमंत्री तीन बार मुख्यमंत्री से स्थिति की जानकारी ले चुके हैं। पीएमओ की टीम भी मौके का निरीक्षण कर चुकी है और लगातार स्थिति पर नजर बनाये हुए है। साथ ही पीएमओ की टीम समन्वय का कार्य कर रही है।

वहीं, पीएम मोदी ने कहा, केंद्र सरकार की ओर से सभी जरूरी उपकरण और संसाधन लगातार उपलब्ध कराए जा रहे हैं। साथ ही केंद्र और राज्य की एजेंसियों के समन्वय से मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जाएगा। फंसे हुए मजदूरों का मनोबल बनाए रखने की जरूरत है। सोमवार सुबह पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे और पीएमओ के उप सचिव मंगेश घिल्डियाल ने बचाव अभियान में शामिल सभी संबंधित विभागों (आरवीएनएल, नवयुग, ओएनजीसी, राज्य पीडब्ल्यूडी, बीआरओ और टीएचडीसी) से अपील की और उनसे मजदूरों को बचाने के लिए किए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का शाम तक की रिपोर्ट उपलब्ध कराने का के लिए कहा।

इस बीच बैकअप प्लान के तहत सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग के लिए अस्थायी सड़क का काम अंतिम चरण में है। सुरंग के ऊपर ड्रिलिंग के लिए जगह चुन ली गई है।1.2 मीटर डायमीटर की ड्रिल होगी। जिसका सेटअप अगले 24 घंटे में होने की संभावना है। अब दो से तीन दिन में ड्रिल पूरी हो सकेगी। इंटरनेशनल टनलिंग और अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स टनल के ऊपर से ड्रिल के लिए निरीक्षण करने पहुंचे। उन्होंने कहा कि काफी तेजी से काम चल रहा है। टनल के भीतर की कंडीशन ठीक है। टनल के ऊपर 320 मीटर दूरी पर टीम ने ड्रिल के लिए स्थान चुना है। यहां से 89 मीटर गहराई तक ड्रिल होगी।

बता दें कि दिवाली वाले दिन रविवार सुबह 6 बजे उत्तरकाशी के सिलक्यारा में टनल में मलबा आ गया। मलबा आने से टनल में काम कर रहे 41 मजदूर फंस गए।जिसके बाद उन्हें निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन रविवार सुबह 8 बजे से शुरू किया गया। जो आज 9वें दिन भी जारी है। इस बीच टनल में फंसे मजदूरों से वॉकी-टॉकी से संपर्क किया जा रहा है। साथ ही पाइप के जरिए मजदूरों को खाने-पीने की चीजें भेजी जा रही हैं।

उत्तरकाशी की टनल में पचास घंटे से ज्यादा समय से फंसे हैं 40 मजदूर, रेस्क्यू ऑपरेशन में आ रही ये परेशानी

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उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बीते रविवार को ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग धंसने के बाद से फंसे मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। मजदूर टनल में 50 घंटे से ज्यादा वक्त से फंसे हुए हैं। सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन तेज हो गया है। यमुनोत्री हाईवे पर बन रही इस टनल से मलबा हटाने का काम जारी है।अधिकांश मलबे को काट कर हटा दिया गया है। हालांकि अभी भी मलबा बचा हुआ है, जिसके चलते मजदूरों की जान मुसीबत में फंसी हुई है।अब ऑगर ड्रिलिंग मशीन मंगाई है, यह मशीन मलबे में 900 मिमी स्टील पाइप लगाएगी। इन 900 मीटर के पाइप के जरिए सुरंग में फंसे हुए मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जाएगा। 

मजदूरों से वॉकी टॉकी के जरिए किया जा रहा संपर्क

टनल के अंदर फंसे चालीस मजदूरों के रेस्क्यू के लिए तीसरे दिन भी ऑपरेशन जारी है। इस बीच टनल में फंसे मजदूरों से वॉकी टॉकी के जरिए संपर्क किया जा रहा है। मजदूरों ने बताया है कि वो सुरक्षित हैं। इसके साथ ही पाइप के जरिये ऑक्सीजन का भी प्रबंध किया गया है और खाने-पीने का सामान मजदूरों तक पहुंचाया जा रहा है। श्रमिकों के पास रोशनी के लिए मशालें भी हैं।अधिकारियों ने कहा कि लोगों के पास ऑक्सीजन सिलेंडर तक पहुंच है, और उन्हें पानी की आपूर्ति के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पाइप के माध्यम से अतिरिक्त ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है।

इस वजह से आ रही रेस्क्यू ऑपरेशन में रुकावट

एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम पुलिस और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर मलबे को हटाने का काम कर रही है। मलबे को ट्रकों के जरिए बाहर निकाला जा रहा है, लेकिन मलबा हटाते वक्त ऊपर से लगातार मिट्टी गिर रही है। आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि मलबा गिरने की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में रुकावट आ रही है। ऐसे में गिरते मलबे से निपटने के लिए शॉटक्रीट विधि का इस्तेमाल किया जा रहा है। जो आंशिक रूप से सफल रही है।

रेस्कूय के लिए 900 मिलि मीटर स्टील पाइप डालने की कोशिश

एक तरफ जहां मलबा हटाने का काम चल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सुरंग के दूसरे छोर पर पाइप डालने का काम भी किया जा रहा है। एनडीआरएफ सुरंग के अंदर फंसे 40 मजदूरों को निकालने के लिए 900 मिलि मीटर का स्टील पाइप डालने की कोशिश कर रही है। अगर ये पाइप मलबे के दूसरे छोर तक बिछाने में कामयाबी मिल जाती है तो सभी मजदूरों को तुरंत बाहर निकाला जा सकता है। ये पाइप ढाई से तीन फीट तक चौड़ा होगा। स्टील का ये पाइप अदर अंदर पहुंच गया तो मलबा हटाए बिना ही अंदर फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला जा सकेगा। डिज़ास्टर मैनेजमेंट के सेक्रेटरी रंजीत सिन्हा ने कहा कि आज रात या परसों सुबह तक सबको बाहर निकाला जा सकता है।

पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री से ली जानकारी

इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर उत्तरकाशी के सिल्क्यारा के पास टनल में फंसे श्रमिकों के बारे में जानकारी ली। अब तक प्रधानमंत्री दो बार मुख्यमंत्री से स्थिति की जानकारी ले चुके हैं। मुख्यमंत्री ने राहत और बचाव कार्यों की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि तमाम राज्य और केंद्रीय एजेंसियां परस्पर समन्वय और तत्परता के साथ राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने स्वयं मौके पर जाकर स्थानीय निरीक्षण किया और बचाव कार्यों पर लगातार नजर बनाए रखे हुए हैं। बचाव कार्य के लिए बड़े व्यास के ह्यूम पाइप हरिद्वार और देहरादून से भेजे जाने की व्यवस्था कर दी गई है।मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरंग के अंदर फंसे सभी मजदूर सुरक्षित हैं और उन्हें जल्द बाहर निकलने की पूरी कोशिश की जा रही है।

उत्तरकाशी टनल हादसा: 40 जानों को बचाने की जंग जारी, पाइप से पहुंचाया गया ऑक्सीजन और खाना पानी

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उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सुरंग में हुए भूस्खलन के बाद बचाव अभियान दूसरे दिन भी जारी है। सुरंग के अंदर 40 से अधिक मजदूर फंसे हुए हैं। गनीमत है कि अंदर फंसे करीब 40 मजदूर सुरक्षित हैं।उन्हें निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।पुलिस के आला अधिकारियों के अलावा एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव में जुटी हुई है। इस बीच उत्तराखंड के सीएम धामी भी घटनास्थल पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया।

सीएम धामी ने मौके का जायजा लेने के बाद बताया कि उत्तरकाशी टनल से मलबा हटाने के लिए खुदाई करने वाली कई मशीनें बुलाई गईं हैं, जिनकी मदद से टनल से मलबा हटाने का काम चल रहा है। लेकिन, टनल में लगातार मलबा आने से रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता सभी को सकुशल बाहर निकालना है। इसके लिए पूरी रात रेस्क्यू ऑपरेशन चला है और मैं खुद मॉनिटर कर रहा हूं। उन्होंने आगे कहा कि माननीय प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के निर्देश पर सभी एक्सपर्ट और एजेंसियां मौके पर मौजूद हैं और मजदूरों को निकालने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में रविवार तड़के एक बड़ा हादसा हो गया। ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा तड़के अचानक टूट गया जिससे उसमें काम कर रहे करीब 40 श्रमिक अंदर फंस गए। टनल हादसे को 24 घंटों से ज्यादा हो चुका है 60 मीटर के मलबे को काट दिया है और 30-35 मीटर का मलबा रह गया। मलवा हटाने के लिए हैवी एक्सकैवेटर मशीनों को जुटाया गया है। वॉकी-टॉकी के थ्रू टनल में फंसे मजदूरों से संपर्क हुआ हैं। फिलहाल सभी मजदूर सुरक्षित बताए जा रहे हैं। निर्माणाधीन सुरंग में पानी की आपूर्ति के लिए बिछी पाइप लाइन से ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। इसके साथ ही इसी पाइप लाइन से कंप्रेसर के जरिए दबाव बनाकर टनल में फंसे मजदूरों तक खाना और पानी भेजा गया है। 

एनडीआरएफ की टीमों का कहना है कि अंदर फंसे मजदूरों को खाना और पानी दिया गया है। उन्हें उम्मीद है कि आज शाम तक वे मलबे को तोड़कर मजदूरों को बाहर निकाल लेंगे। हम फंसे हुए श्रमिकों को कुछ चिप्स और पानी देने में कामयाब रहे हैं। हम पुष्टि कर सकते हैं कि श्रमिक सुरक्षित स्थिति में हैं। एनडीआरएफ के सहायक कमांडर कर्मवीर सिंह भंडारी ने बताया कि बचाव अभियान जारी है, हमें उम्मीद है कि आज शाम तक हम मलबे को तोड़ देंगे और घटनास्थल तक पहुंच जाएंगे। फंसे हुए श्रमिकों को बचाने के लिए। उस हिस्से में प्लास्टर का काम पूरा नहीं हुआ था, यही कारण है कि सुरंग ढह गई। 

बता दें कि चारधाम सड़क परियोजना के तहत यमुनोत्री हाईवे पर सिलक्यारा से पोलगांव के बीच राज्य की सबसे लंबी (4.5 किमी) सुरंग बनाई जा रही है। जिसमें अब करीब 500 मीटर हिस्सा ही सुरंग के आर-पार होने के लिए बचा है। दिन-रात दो शिफ्ट में मजदूर इस सुरंग का निर्माण कार्य कर रहे हैं। शनिवार रात आठ बजे शिफ्ट शुरू हुई थी। जिसमें 40 से 50 मजदूर काम पर गए थे। यह शिफ्ट रविवार को बड़ी दीपावली के दिन सुबह 8 बजे खत्म होने वाली थी। जिसके बाद सभी मजदूर दीपावली की छुट्टी मनाने के लिए उत्साहित थे। लेकिन इससे पहले ही सुबह करीब पांच बजे सुरंग के सिलक्यारा वाले मुहाने से 230 मीटर अंदर सुरंग का 30 से 35 मीटर हिस्सा टूट गया। पहले धीरे-धीरे मलबा गिरा। जिसे सभी ने हल्के में लिया। फिर अचानक भारी मात्रा में मलबा आया और सुरंग बंद हो गई। इस दौरान 3-4 मजदूरों ने भाग कर अपनी जान बचाई। लेकिन अन्य सुरंग के अंदर ही फंस गई। जिनकी 40 के करीब बताई जा रही है।

उत्तरकाशी में बड़ा हादसा, हेलिकॉप्टर क्रैश में छह की मौत, दो घायल

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उत्तरकाशी जिले में आज सुबह एक हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसे में छह लोगों के मौत हो गई है। पुलिस-प्रशासन के साथ ही आपदा प्रबंधन की टीम मौके के लिए रवाना हुई। घटनास्थल पर पहुंचते ही टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। बताया जा रहा है कि हेलीकॉप्टर में 7 यात्री सवार थे, जिनमें से पांच की मौत हो गई है। वहीं दो अन्य घायल हुए हैं।

प्राइवेट कम्पनी का हेलीकाप्टर एरो ट्रिंक हादसाग्रस्त

बताया जा रहा है कि हादसा उत्तरकाशी में गंगनानी के पास हुआ है। हेलीकॉप्टर ने देहरादून से उड़ान भरी थी, जो गंगनानी से आगे नाग मंदिर के क्रैश हो गया। यह प्राइवेट कम्पनी का हेलीकाप्टर एरो ट्रिंक था। वहीं, हेलीकॉप्टर क्रैश होने की सूचना पर घटनास्थल के लिए आपदा प्रबंधन QRT, 108 एंबुलेंस वाहन, तहसीलदार भटवाड़ी, BDO भटवाड़ी, राजस्व टीम रवाना की गई है। इन दिनों उत्तराखंड में चार धाम यात्रा भी चल रही है। ये तीर्थयात्रियों का हेलीकॉप्टर था या कोई दूसरा इसका पता अभी नहीं चला है।

सीएम धामी ने जताया दुख

उत्‍तराखंड के मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी ने इस हादसे पर दुख जताते हुए कहा कि उत्तरकाशी के गंगनानी के समीप हेलीकॉप्टर क्रैश में कुछ लोगों के हताहत होने का अत्यंत दुःखद समाचार प्राप्त हुआ है. राहत एवं बचाव कार्य के लिए SDRF और जिला प्रशासन की टीमें तत्काल घटनास्थल पर पहुंच गई हैं. ईश्वर हादसे में दिवंगत हुए लोगों की आत्मा को श्रीचरणों में स्थान एवं शोकाकुल परिजनों को यह असीम दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें. प्रशासन को घायलों को हर संभव सहायता पहुंचाने एवं हादसे की जांच के निर्देश दिए हैं. इस संबंध में लगातार अधिकारियों के संपर्क में हूं और हर स्थिति पर निगरानी रखी जा रही है.

आज शाम तक बाहर आ सकते हैं मजदूर, अस्पताल में बेड और परिजनों को तैयार रहने को कहा गया

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उत्तराखंड की सिल्क्यारा टनल में 12 नवंबर से फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने की कोशिशें लगातार जारी हैं। फिलहाल मैन्युअली खुदाई की जा रही है।उत्तरकाशी में रेस्क्यू का आखिरी राउंड चल रहा है।अब 2-3 मीटर की ड्रिलिंग बाकी है।उम्मीद है कि कुछ देर में खुशखबरी आ सकती है। करीब 17 दिन से मलबे में फंसे मजदूरों और परिजनों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है। उम्मीद जताई जा रही है कि आज देर शाम तक सभी 41 मजदूर टनल से बाहर आ सकते हैं।मजदूरों के परिजनों को तैयार रहने को कहा गया है। उन्हें अपने परिजनों के कपड़े और दूसरे जरूरी सामान लेकर टनल के बाहर आने को कहा गया है।

रेस्क्यू टीम अब श्रमिकों से केवल तीन मीटर ही दूर है। कर्नल राहत एवं बचाव अभियान के प्रभारी कर्नल दीपक पाटिल ने बताया कि मैन्युअल ड्रिलिंग 53.9 मीटर तक हो गई है। 57 मीटर पर ब्रेकथ्रू होने की उम्मीद है। वहीं, माइक्रो टनलिंग विशेषज्ञ क्रिस कूपर ने कहा कि हम अभी भी खुदाई कर रहे हैं। हमें कुछ और मीटर तक जाना है। हम शाम 5 बजे तक कुछ परिणाम देखने की उम्मीद कर रहे हैं। 2-3 मीटर बाकी हैं।

अस्पताल में 41 बेड तैयार रखे गए हैं। वहीं, मजदूरों के परिवार वालों से कहा गया है कि वह मजदूरों के कपड़ों समेत जरूरी सामान वाले बैग तैयार रखें। हादसे की जगह सीएम धामी भी मौजूद हैं। धामी ने पीएम मोदी को रेस्क्यू ऑपरेशन की अपडेट दी है। सीएम धामी ने ने बताया है कि फंसे हुए मजदूरों को निकालने के बाद सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।मौके पर डॉक्टर की टीम भी मौजूद है। सभी अधिकारियों को 24 घंटे अलर्ट पर रखा गया है। अस्पताल में 41 बेड तैयार रखे गए हैं। टनल में फंसे मजदूरों को सीधा यहीं लाया जाएगा।

सीएम पुष्कर धामी ने एक्स पर पोस्ट किया कि सिलक्यारा पहुंचकर टनल में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का स्थलीय निरीक्षण किया। टनल में फंसे श्रमिकों का कुशलक्षेम जाना और चिकित्सकों को श्रमिक भाइयों से निरंतर संपर्क में रहने के निर्देश दिए। सभी श्रमिक स्वस्थ एवं सुरक्षित हैं। बाबा बौख नाग जी से सभी श्रमिक भाइयों के सकुशल बाहर निकालने हेतु संचालित रेस्क्यू ऑपरेशन की शीघ्र सफलता की कामना करता हूं।

अब तक 52 मीटर तक मैन्युअल ड्रिलिंग का काम पूरा, रेस्क्यू ऑपरेशन पर मंडराया खराब मौसम का खतरा

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उत्तराखंड सुरंग हादसे का आज 17वां दिन है।इस सुरंग हादसे में कुल मिलाकर 41 मजदूर फंसे हुए हैं, जिन्हें बाहर निकालने का काम जारी है।टनल में फंसी अमेरिकन ऑगर मशीन के मलबे को पूरी तरह बाहर निकालने के बाद अब मैन्युअल तरीके से सुरंग खोदकर मजदूरों के पास पहुंचने की तैयारी है। स्क्यू ऑपरेशन में तमाम तरह की मुश्किलें भी सामने पेश आ रही हैं। जैसे मौसम का संकट है, इसके साथ ही ऑगर मशीन जो उम्मीद की किरण थी उसमें भी तकनीकी खामी आ गई थी। मौजूदा समय में रैट माइनर्स के जरिए मजदूरों तक पहुंचने की कोशिश हो रही है। इसके साथ ही वर्टिकल ड्रिलिंग का भी काम किया जा रहा है।दिवाली के पर्व वाले दिन हुए हादसे में 41 मजदूर टनल के अंदर ही फंसे रह गए थे। सुरंग के भीतर फंसे मजदूरों ने अब तक हार नहीं मानी है और सरकार की ओर से उन्हें सकुशल बाहर निकालने के लिए लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। 

सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए अंदर की जा रही मैन्युअल ड्रिलिंग का पहला वीडियो सामने आया है। मंगलवार सुबह न्यूज एजेंसी एएनआई द्वारा जारी किया गया। जबकि मैनुअल ड्रिलिंग चल रही है, पाइप को धकेलने के लिए बरमा मशीन का उपयोग किया जा रहा है।एएनआई ने बताया कि अब तक लगभग दो मीटर की मैनुअल ड्रिलिंग पूरी हो चुकी है। 41 मजदूरों को बचाने में मदद के लिए बुलाए गए रैट-होल खनन विशेषज्ञों ने सोमवार को मलबे के माध्यम से मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू की।

अगले 24 घंटे में मिल सकती है कामयाबी

भारी भरकम मशीनों के फेल हो जाने के बाद अब सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रैट माइनर्स को लगाया गया है जो चूहे की तरह कम जगह में तेज खुदाई करने वाले विशेषज्ञों की एक टीम है। अब इन्हीं के भरोसे सुरंग के 41 मजदूरों की जिंदगी है। ये लोग आगे की खुदाई हाथ से कर रहे हैं जिसके लिए इनके पास हथौड़ा, साबल और खुदाई करने वाले कई टूल्स हैं।टनल में रैट माइनर्स टीम ने रात भर किया। मैनुअल ड्रिलिंग 3 मीटर पाइप आगे डाला गया लेकिन कुछ लोहे की रॉड आने से अभी अवरोध लोहे की रोड काटने का काम जारी रैट माइनर्स को लगभग 7 मीटर और मैनुअल ड्रिल करना है अगले 24 घंटे या उससे कम समय में कामयाबी मिल सकती है।

मजदूर अब सिर्फ 5-6 मीटर दूर

माइक्रो टनलिंग के एक्सपर्ट क्रिस कूपर ने बड़ी जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि बीती रात हमने सफलता के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन को आगे बढ़ाया है। हम 50 मीटर की दूरी तक पहुंच चुके हैं। अब 5 से 6 मीटर आगे जाना है, बीती रात किसी तरह की परेशानी नहीं आई। अभी तक की प्रगति पूरी तरह संतोषजनक है।

टनल में फंसी 41 जिंदगियां, सुरंग में फंसे ऑगर मशीन को बाहर निकाला गया, मैनुअल ड्रिलिंग का काम शुरू

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उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुंरग में पिछले 15 दिन से 41 मजदूर फंसेहुए हैं। लगातार उन्हें बचाने का अभियान जारी है।हालांकि, इस तरफ सफलता नहीं मिल पा रही है। रेस्क्यू का आज 16वां दिन है। हालांकि रेस्क्यू में आने वाली दिक्कतों की वजह से श्रमिकों को बाहर निकालने में देरी हो रही है। रेस्क्यू ऑपरेशन में अभी 2 से 3 दिन का वक्त ओर लग सकता है। सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अब राहत टीम वर्टिकल ड्रिलिंग कर रही है।

मैनुअल ड्रिलिंग का काम शुरू

उत्तरकाशी में चल रहे 41 मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन की स्थिति जानने के लिए पीएम मोदी के प्रमुख सचिव पीके मिश्रा सिलक्यारा टनल पहुंच रहे हैं। अब से कुछ ही देर बाद वह पहुंच जाएंगे। प्रमुख सचिव रेस्क्यू की मौजूदा स्थिति और उससे जुड़े तमाम प्लान की जानकारी लेंगे। बता दें कि टनल में मैनुअल ड्रिलिंग का काम शुरू हो गया है। कुल 11 लोगों की टीम मैनुअल ड्रिल के काम में लगाई गई है। टीम के लोग पाइप के अंदर मौजूद हैं।

मशीन के ऑगर को बाहर निकाला गया

सिलक्यारा सुरंग के ऊपर वर्टिकल ड्रिलिंग का काम जारी है। अभी तक 30 मीटर तक ड्रिलिंग कर ली गई है। वहीं सुरंग के अंदर फंसे ऑगर मशीन के ऑगर (बरमे) को बाहर निकाल लिया गया है। अब यहां मैन्युअल ड्रिलिंग का काम हो रहा है। जो कि भारतीय सेना की इंजीनियरिंग बटालियन मद्रास सेपर्स की निगरानी में आगे बढे़गा। यहां मैन्युअल ड्रिलिंग के लिए रैट माइनिंग विधि अपनी जाएगी, जिसमें छोटी-छोटी सुरंगे खोदी जाती हैं, कोयले की खदान में इस तरह की सुरंगें बनाई जाती है।

बचाओ अभियान को लगा था झटका

बीते शुक्रवार शाम को सुरंग के अंदर फंसे मजदूर के बचाओ अभियान को तब झटका लगा था, जब ऑगर मशीन से ड्रिलिंग करीब 12 मीटर ही बची थी। लेकिन ड्रिलिंग के दौरान मशीन का ऑगर(बरमा) के ब्लेड सरियों व लोहे के पाइप में उलझ कर फंस गए, इसे निकालने का प्रयास किया गया तो यह अंदर ही टूट गए। इसके बाद डीआरडीओ हैदराबाद से वायुसेना के डोर्नियर विमान से लेजर कटर और चंडीगढ़ से प्लाज्मा कटर मंगवाया गया। साथ ही ओएनजीसी की एक टीम को भी आंध्रप्रदेश के राजामुंदरी से बुलाया गया।

वहीं भारत सरकार के सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय के अपर सचिव और एनएचआईडीसीएल के एमडी महमूद अहमद ने बताया कि वर्टिकल ड्रिलिंग का काम तेजी से चल रहा है। उन्होंने बताया अब तक 19.2 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग कर ली गई है। आगे का काम भी पूरी तेजी और सावधानी से किया जा रहा है। उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट ने कहा कि उत्तरकाशी की टनल में फंसे हुए 41 मजदूरों को बाहर निकालने को लेकर पूरी मशीनरी जोर-शोर से लगी है। देश-विदेश से मशीनों को मंगवाया गया है। जल्द ही सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा।

उत्तरकाशी टनल हादसाः अब मजदूरों को बाहर निकालने के लिए बना दूसरा प्लान, ड्रिलिंग की बजाय मैनुअली हटाया जाएगा मलबा

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 उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में 41 श्रमिकों की जिंदगी बचाने की जंग जारी है। बीते 13 दिनों से मजदूर टनल में फंसे हैं। आज रेस्क्यू ऑपरेशन का 41वां दिन है।इस बीच ऑगर ड्रिलिंग मशीन के आगे बार-बार आ रही बाधा के चलते अब मैनुअल अभियान चलाया जाएगा।मैनुअल ड्रिलिंग में समय लग सकता है। यानी मजदूरों को बाहर आने में अभी वक्त लग सकता है। 

निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 14 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए युद्ध स्तर पर बचाव अभियान चल रहा है। हालांकि एक भी मजदूर को अभी तक बाहर निकालने का रास्ता सुनिश्चित नहीं हो पाया है। ड्रिलिंग के लिए इस्तेमाल हो रही यूएस मेड ऑगर मशीन की राह में बार-बार आ रही बाधाओं के कारण अब अभियान में जुटे एनडीआरएफ के जवान अब पारम्परिक तरीके से हाथ से ही ड्रिलिंग करने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं।

ड्रिलिंग की राह में बार बार आ रही बाधाओं की वजह से अब एनडीआरएफ के जवान खुद उस पाइप लाइन में नीचे उतरेंगे जिसे मजदूरों के करीब तक पहुंचा दिया गया है। 47 मीटर की ड्रिलिंग पूरी हो गई है। और 10 मीटर की ड्रिलिंग की जानी है। इसके लिए बचाव अभियान में जुटे एजेंसियों के जवान ड्रिलिंग करने के लिए इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक यंत्र जैसे हथौड़ा, साबल, गैस कटर मशीन जैसे सामान्य टूल्स के साथ नीचे उतरेंगे। वे हाथ से पाइप की राह में आ रही बाधा को काटकर हटाएंगे। 

हालांकि, यह काफी मेहनत भरा काम होगा और इसमें वक्त भी अधिक लग सकता है। कम से कम तीन से चार दिन का समय लग सकता है. हालांकि, उम्मीद सब यही कर रहे हैं कि अब किसी प्रकार का कोई हर्डल ना आए। हालांकि इसमें सफलता मिलने की उम्मीद है।

उत्तरकाशी टनल हादसाः ड्रिलिंग का काम एक बार फिर शुरू, जल्द अच्छी खबर आने की उम्मीद

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उत्तरकाशी की सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए ड्रिलिंग का काम एक बार फिर शुरू हो गया है।गुरुवार रात को इसको रोक दिया गया था। ऑगर मशीन में तकनीकी खराबी के बाद ड्रिलिंग का काम रोक दिया गया था।बता दें कि उत्तराखंड में टनल हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन आज 13वें दिन में प्रवेश कर गया। 12 दिन से 41 मजदूर टनल के अंदर फंसे हैं। जिन्हें निकालने का प्रयास लगातार जारी है। 

12 घंटे में पूरा खत्म बोने की उम्मीद

प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा कि यह एक कठिन काम है, इसलिए इसमें समय लग रहा है। हर नए दिन एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उम्मीद है 12 घंटे में पूरा काम खत्म हो जाएगा। जीपीआर ने बताया है कि अगले 5 मीटर में कोई मैटेलिक बाधा नहीं है यानी हम 52 मीटर तक आसानी से पहुचेंगे। एक पाइप का मुंह पिचक गया है, इसलिए हम दो मीटर पीछे हो गए हैं। अब 46 मीटर से काम शुरू होगा। शाम 6 बजे तक मजदूरों तक पहुंचने की उम्मीद है।

पीएम मोदी ने ली मजदूरों की जानकारी

इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बातचीत की और टनल में फंसे श्रमिकों के रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी ली। पीएम ने सीएम को निर्देश दिए कि जब श्रमिक टनल से बाहर निकलेंगे तो उनके स्वास्थ्य की जांच की जाए और अगर जरूरत पड़े तो उनको अस्पताल भेजे जाने की उचित व्यवस्था भी सुनिश्चित कि जाए।

उत्तरकाशी ड्रोन सेंसर रेडार का शुरू हुआ इस्तेमाल

उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू ऑपरेशन में पहली बार ड्रोन सेंसर रेडार का इस्तेमाल किया जा रहा है। बेंगलुरु से ड्रोन सेंसर रेडार के साथ टीम उत्तरकाशी पहुंची है। देश में पहली बार डिजास्टर मैनेजमेंट के मामले में इस ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह ऑटोमेटेड ड्रोन अपने सेंसर के जरिए रेस्क्यू ऑपरेशन में आने वाली बाधाओं के बारे में अलर्ट करेगा। इससे तेजी और सावधानी से ऑपरेशन को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। ड्रोन एक्सपर्ट सिरियाक जोसेफ ने बताया कि पहली बार देश में इस प्रकार के ड्रोन का प्रयोग रेस्क्यू मिशन या फिर आपदा प्रबंधन के लिए किया जा रहा है। हमारी टीम रेस्क्यू ऑपरेशन में जुड़े अधिकारियों को जरूरी सूचनाएं उपलब्ध करा रही है।

41 जिंदगियां बचाने की जंग

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में चार धाम प्रोजेक्ट के तहत बन रहे सिलक्यारा टनल धंसने के चलते 41 मजदूर 13 दिन से फंसे हुए हैं। मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए युद्धस्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। वहीं मजदूरों को पाइप के जरिए भोजन-पानी, दवाई और ऑक्सीजन भेजी जा रही है।

बस कुछ घंटों में बाहर आ जाएंगे टनल में फंसे 41 मजदूर, 45 मीटर हुई ड्रिलिंग

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उत्तरकाशी टनल हादसे का आज 11वां दिन है। सुरंग में फंसे सभी 41 मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से चल रहा है। इस बीच मजदूरों को बाहर निकालने के संबंध में बड़ी खबर मिल रही है। एक्सपर्ट्स के अनुसार अंदर फंसे 41 मजदूरों को महज कुछ घंटों के भीतर ही बाहर निकाला जा सकता है। 45 मीटर तक पाइप को अंदर डाला जा चुका है।बस घंटे में देशवासियों को खुशखबरी मिलने वाली है।

दरअसल, अर्थ ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम सक्सेज होता दिख रहा है। टनल में 57 मीटर तक मलबा जमा है और अर्थ ऑगर 45 मीटर तक ड्रिलिंग कर चुकी है। अब सिर्फ 12 मीटर की ड्रिलिंग और होनी है। ये मशीन एक घंटे में 5 से 6 मीटर की ड्रिलिंग करती है। ऐसे में अगले 3 से 4 घंटे बेहद अहम होने वाले हैं।NHIDCL के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने बताया कि मंगलवार रात 12 बजकर 45 मिनट पर दोबारा अर्थ ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम शुरू किया गया था, जिसमें 22 मीटर से आगे ड्रिल कर पाइप डालना शुरू किया गया। अब तक 45 मीटर तक पाइप डालने का काम पूरा हो चुका है। महमूद अहमद का कहना है कि बुधवार देर रात तक हम सुरंग में फंसे मजदूरों के पास पहुंचने में कामयाब हो जाएंगे।

पाइपलाइन डालने के बाद इसकी सफाई का कार्य किया जाएगा। इसके बाद फंसे मजदूरों को बाहर निकालने का कार्य शुरू होगा।पाइपलाइन से श्रमिकों के बाहर निकालने के बाद उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा। इसके लिए सभी प्रकार की सुविधाओं से लैस 41 एंबुलेंस को सिलक्यारा टनल के पास खड़ा किया गया है। स्ट्रेचर भी मौके पर पहुंच गए हैं।

जैसे-जैसे टनल के मलबे में बचाव का पाइप मजदूरों के करीब जा रहा है, वैसे ही एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम भी मुस्तैद हो गई है। दोनों ने बुधवार को तैयारियों का जायजा लिया। एनडीआरएफ ने लक्ष्य रखा है कि सबकुछ ठीक रहा पाइप सुरंग में आर-पार होने के बाद सात मिनट के भीतर सभी 41 मजूदरों को सुरंग से बाहर निकाल लिया जाएगा। एनडीआरएफ ने 800 मिमी पाइप के भीतर से मजदूरों को निकालने के लिए गोलाकार स्ट्रेचर बनाया है। बुधवार को बाहर पाइप के भीतर इसे डालकर उन्होंने मजदूरों को बाहर निकालने की मॉक ड्रिल की। एनडीआरएफ के अधिकारियों ने बताया कि ड्रिल व तैयारियों के हिसाब से लक्ष्य रखा गया है कि सबकुछ सामान्य रहा तो 7 मिनट के भीतर मजदूरों को बाहर निकाल दिया जाएगा।

दिवाली के दिन रविवार को सिल्क्यारा टनल हादसा हुआ था। इसमें 41 मजदूर सुरंग के अंदर फंस गए थे। दिवाली के दिन से ही रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है। कई बार इसमें अड़चनें भी आईं। सुरंग के अंदर मजदूरों की हालत कैसी है, इसको लेकर पूरे देशवासियों को फिक्र हो रही थी। हादसे के 10वें दिन पहली बार मजदूरों का सीसीटीवी फुटेज आया तो सभी ने राहत की सांस ली। सुरंग के अंदर सभी मजदूर सकुशल हैं। रेस्क्यू कर रही टीमों के अधिकारियों ने उनसे बात भी की थी। मजदूरों को समय-समय पर खाना-पानी भी पहुंचाया जा रहा है।

उत्तरकाशी टनल हादसाःपीएम मोदी ने मुख्यमंत्री से लिया अपडेट, PMO ने सभी एजेंसियों से मांगी रिपोर्ट

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उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुए टनल हादसे को 8 दिन हो गए हैं। टनल में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। बाबजूद इसके 170 से भी अधिक घंटे बीत जाने के बाद भी रेस्क्यू टीम को सफलता नहीं मिल पा रही है। रेस्क्यू का आज नौवां दिन है। मजदूरों को निकालने के लिए बैकअप प्लान के तहत सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग के लिए अस्थायी सड़क का काम अंतिम चरण में है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को फोन कर श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए जारी राहत और बचाव कार्यों के बारे में जानकारी ली। 

पीएम मोदी से फोन पर हुई बातचीत में मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने स्वयं मौके पर जाकर स्थलीय निरीक्षण किया और बचाव कार्यों पर लगातार नजर रखें हैं। मेडिकल की टीम भी वहां पर तैनात कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरंग के अंदर फंसे सभी मजदूर सुरक्षित हैं और उन्हें जल्द बाहर निकलने की पूरी कोशिश की जा रही है। बता दें कि अभी तक प्रधानमंत्री तीन बार मुख्यमंत्री से स्थिति की जानकारी ले चुके हैं। पीएमओ की टीम भी मौके का निरीक्षण कर चुकी है और लगातार स्थिति पर नजर बनाये हुए है। साथ ही पीएमओ की टीम समन्वय का कार्य कर रही है।

वहीं, पीएम मोदी ने कहा, केंद्र सरकार की ओर से सभी जरूरी उपकरण और संसाधन लगातार उपलब्ध कराए जा रहे हैं। साथ ही केंद्र और राज्य की एजेंसियों के समन्वय से मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जाएगा। फंसे हुए मजदूरों का मनोबल बनाए रखने की जरूरत है। सोमवार सुबह पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे और पीएमओ के उप सचिव मंगेश घिल्डियाल ने बचाव अभियान में शामिल सभी संबंधित विभागों (आरवीएनएल, नवयुग, ओएनजीसी, राज्य पीडब्ल्यूडी, बीआरओ और टीएचडीसी) से अपील की और उनसे मजदूरों को बचाने के लिए किए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का शाम तक की रिपोर्ट उपलब्ध कराने का के लिए कहा।

इस बीच बैकअप प्लान के तहत सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग के लिए अस्थायी सड़क का काम अंतिम चरण में है। सुरंग के ऊपर ड्रिलिंग के लिए जगह चुन ली गई है।1.2 मीटर डायमीटर की ड्रिल होगी। जिसका सेटअप अगले 24 घंटे में होने की संभावना है। अब दो से तीन दिन में ड्रिल पूरी हो सकेगी। इंटरनेशनल टनलिंग और अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स टनल के ऊपर से ड्रिल के लिए निरीक्षण करने पहुंचे। उन्होंने कहा कि काफी तेजी से काम चल रहा है। टनल के भीतर की कंडीशन ठीक है। टनल के ऊपर 320 मीटर दूरी पर टीम ने ड्रिल के लिए स्थान चुना है। यहां से 89 मीटर गहराई तक ड्रिल होगी।

बता दें कि दिवाली वाले दिन रविवार सुबह 6 बजे उत्तरकाशी के सिलक्यारा में टनल में मलबा आ गया। मलबा आने से टनल में काम कर रहे 41 मजदूर फंस गए।जिसके बाद उन्हें निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन रविवार सुबह 8 बजे से शुरू किया गया। जो आज 9वें दिन भी जारी है। इस बीच टनल में फंसे मजदूरों से वॉकी-टॉकी से संपर्क किया जा रहा है। साथ ही पाइप के जरिए मजदूरों को खाने-पीने की चीजें भेजी जा रही हैं।

उत्तरकाशी की टनल में पचास घंटे से ज्यादा समय से फंसे हैं 40 मजदूर, रेस्क्यू ऑपरेशन में आ रही ये परेशानी

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उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बीते रविवार को ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग धंसने के बाद से फंसे मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। मजदूर टनल में 50 घंटे से ज्यादा वक्त से फंसे हुए हैं। सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन तेज हो गया है। यमुनोत्री हाईवे पर बन रही इस टनल से मलबा हटाने का काम जारी है।अधिकांश मलबे को काट कर हटा दिया गया है। हालांकि अभी भी मलबा बचा हुआ है, जिसके चलते मजदूरों की जान मुसीबत में फंसी हुई है।अब ऑगर ड्रिलिंग मशीन मंगाई है, यह मशीन मलबे में 900 मिमी स्टील पाइप लगाएगी। इन 900 मीटर के पाइप के जरिए सुरंग में फंसे हुए मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जाएगा। 

मजदूरों से वॉकी टॉकी के जरिए किया जा रहा संपर्क

टनल के अंदर फंसे चालीस मजदूरों के रेस्क्यू के लिए तीसरे दिन भी ऑपरेशन जारी है। इस बीच टनल में फंसे मजदूरों से वॉकी टॉकी के जरिए संपर्क किया जा रहा है। मजदूरों ने बताया है कि वो सुरक्षित हैं। इसके साथ ही पाइप के जरिये ऑक्सीजन का भी प्रबंध किया गया है और खाने-पीने का सामान मजदूरों तक पहुंचाया जा रहा है। श्रमिकों के पास रोशनी के लिए मशालें भी हैं।अधिकारियों ने कहा कि लोगों के पास ऑक्सीजन सिलेंडर तक पहुंच है, और उन्हें पानी की आपूर्ति के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पाइप के माध्यम से अतिरिक्त ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है।

इस वजह से आ रही रेस्क्यू ऑपरेशन में रुकावट

एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम पुलिस और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर मलबे को हटाने का काम कर रही है। मलबे को ट्रकों के जरिए बाहर निकाला जा रहा है, लेकिन मलबा हटाते वक्त ऊपर से लगातार मिट्टी गिर रही है। आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि मलबा गिरने की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में रुकावट आ रही है। ऐसे में गिरते मलबे से निपटने के लिए शॉटक्रीट विधि का इस्तेमाल किया जा रहा है। जो आंशिक रूप से सफल रही है।

रेस्कूय के लिए 900 मिलि मीटर स्टील पाइप डालने की कोशिश

एक तरफ जहां मलबा हटाने का काम चल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सुरंग के दूसरे छोर पर पाइप डालने का काम भी किया जा रहा है। एनडीआरएफ सुरंग के अंदर फंसे 40 मजदूरों को निकालने के लिए 900 मिलि मीटर का स्टील पाइप डालने की कोशिश कर रही है। अगर ये पाइप मलबे के दूसरे छोर तक बिछाने में कामयाबी मिल जाती है तो सभी मजदूरों को तुरंत बाहर निकाला जा सकता है। ये पाइप ढाई से तीन फीट तक चौड़ा होगा। स्टील का ये पाइप अदर अंदर पहुंच गया तो मलबा हटाए बिना ही अंदर फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला जा सकेगा। डिज़ास्टर मैनेजमेंट के सेक्रेटरी रंजीत सिन्हा ने कहा कि आज रात या परसों सुबह तक सबको बाहर निकाला जा सकता है।

पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री से ली जानकारी

इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर उत्तरकाशी के सिल्क्यारा के पास टनल में फंसे श्रमिकों के बारे में जानकारी ली। अब तक प्रधानमंत्री दो बार मुख्यमंत्री से स्थिति की जानकारी ले चुके हैं। मुख्यमंत्री ने राहत और बचाव कार्यों की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि तमाम राज्य और केंद्रीय एजेंसियां परस्पर समन्वय और तत्परता के साथ राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने स्वयं मौके पर जाकर स्थानीय निरीक्षण किया और बचाव कार्यों पर लगातार नजर बनाए रखे हुए हैं। बचाव कार्य के लिए बड़े व्यास के ह्यूम पाइप हरिद्वार और देहरादून से भेजे जाने की व्यवस्था कर दी गई है।मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरंग के अंदर फंसे सभी मजदूर सुरक्षित हैं और उन्हें जल्द बाहर निकलने की पूरी कोशिश की जा रही है।

उत्तरकाशी टनल हादसा: 40 जानों को बचाने की जंग जारी, पाइप से पहुंचाया गया ऑक्सीजन और खाना पानी

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उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सुरंग में हुए भूस्खलन के बाद बचाव अभियान दूसरे दिन भी जारी है। सुरंग के अंदर 40 से अधिक मजदूर फंसे हुए हैं। गनीमत है कि अंदर फंसे करीब 40 मजदूर सुरक्षित हैं।उन्हें निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।पुलिस के आला अधिकारियों के अलावा एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव में जुटी हुई है। इस बीच उत्तराखंड के सीएम धामी भी घटनास्थल पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया।

सीएम धामी ने मौके का जायजा लेने के बाद बताया कि उत्तरकाशी टनल से मलबा हटाने के लिए खुदाई करने वाली कई मशीनें बुलाई गईं हैं, जिनकी मदद से टनल से मलबा हटाने का काम चल रहा है। लेकिन, टनल में लगातार मलबा आने से रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता सभी को सकुशल बाहर निकालना है। इसके लिए पूरी रात रेस्क्यू ऑपरेशन चला है और मैं खुद मॉनिटर कर रहा हूं। उन्होंने आगे कहा कि माननीय प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के निर्देश पर सभी एक्सपर्ट और एजेंसियां मौके पर मौजूद हैं और मजदूरों को निकालने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में रविवार तड़के एक बड़ा हादसा हो गया। ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा तड़के अचानक टूट गया जिससे उसमें काम कर रहे करीब 40 श्रमिक अंदर फंस गए। टनल हादसे को 24 घंटों से ज्यादा हो चुका है 60 मीटर के मलबे को काट दिया है और 30-35 मीटर का मलबा रह गया। मलवा हटाने के लिए हैवी एक्सकैवेटर मशीनों को जुटाया गया है। वॉकी-टॉकी के थ्रू टनल में फंसे मजदूरों से संपर्क हुआ हैं। फिलहाल सभी मजदूर सुरक्षित बताए जा रहे हैं। निर्माणाधीन सुरंग में पानी की आपूर्ति के लिए बिछी पाइप लाइन से ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। इसके साथ ही इसी पाइप लाइन से कंप्रेसर के जरिए दबाव बनाकर टनल में फंसे मजदूरों तक खाना और पानी भेजा गया है। 

एनडीआरएफ की टीमों का कहना है कि अंदर फंसे मजदूरों को खाना और पानी दिया गया है। उन्हें उम्मीद है कि आज शाम तक वे मलबे को तोड़कर मजदूरों को बाहर निकाल लेंगे। हम फंसे हुए श्रमिकों को कुछ चिप्स और पानी देने में कामयाब रहे हैं। हम पुष्टि कर सकते हैं कि श्रमिक सुरक्षित स्थिति में हैं। एनडीआरएफ के सहायक कमांडर कर्मवीर सिंह भंडारी ने बताया कि बचाव अभियान जारी है, हमें उम्मीद है कि आज शाम तक हम मलबे को तोड़ देंगे और घटनास्थल तक पहुंच जाएंगे। फंसे हुए श्रमिकों को बचाने के लिए। उस हिस्से में प्लास्टर का काम पूरा नहीं हुआ था, यही कारण है कि सुरंग ढह गई। 

बता दें कि चारधाम सड़क परियोजना के तहत यमुनोत्री हाईवे पर सिलक्यारा से पोलगांव के बीच राज्य की सबसे लंबी (4.5 किमी) सुरंग बनाई जा रही है। जिसमें अब करीब 500 मीटर हिस्सा ही सुरंग के आर-पार होने के लिए बचा है। दिन-रात दो शिफ्ट में मजदूर इस सुरंग का निर्माण कार्य कर रहे हैं। शनिवार रात आठ बजे शिफ्ट शुरू हुई थी। जिसमें 40 से 50 मजदूर काम पर गए थे। यह शिफ्ट रविवार को बड़ी दीपावली के दिन सुबह 8 बजे खत्म होने वाली थी। जिसके बाद सभी मजदूर दीपावली की छुट्टी मनाने के लिए उत्साहित थे। लेकिन इससे पहले ही सुबह करीब पांच बजे सुरंग के सिलक्यारा वाले मुहाने से 230 मीटर अंदर सुरंग का 30 से 35 मीटर हिस्सा टूट गया। पहले धीरे-धीरे मलबा गिरा। जिसे सभी ने हल्के में लिया। फिर अचानक भारी मात्रा में मलबा आया और सुरंग बंद हो गई। इस दौरान 3-4 मजदूरों ने भाग कर अपनी जान बचाई। लेकिन अन्य सुरंग के अंदर ही फंस गई। जिनकी 40 के करीब बताई जा रही है।