एक देश-एक चुनाव पर बनेगा कानून! संसद में 3 बिल पेश करेगी मोदी सरकार
भारत सरकार ने देश में एक साथ चुनाव कराने की योजना को लागू करने के लिए तीन विधेयकों का प्रस्ताव लाने की तैयारी की है। इनमें से दो विधेयक संविधान संशोधन से संबंधित होंगे। प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयकों में एक स्थानीय निकाय चुनावों को लोकसभा और विधानसभा चुनावों के साथ कराने का प्रावधान है, जिसके लिए कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों का समर्थन आवश्यक होगा। सरकार ने अपनी 'एक देश, एक चुनाव' योजना के तहत देशव्यापी सहमति बनाने की कोशिशें शुरू की हैं। इसके र्गत, लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने की उच्च-स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया गया है।
प्रस्तावित पहले संविधान संशोधन विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का प्रावधान होगा। इस विधेयक में अनुच्छेद 82A में 'नियत तिथि' से संबंधित उप-खंड जोड़ने का प्रयास किया जाएगा, जिससे लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को एक साथ समाप्त किया जा सकेगा। इसके साथ ही अनुच्छेद 83(2) में संशोधन और नए उप-खंड जोड़ने का भी प्रस्ताव है, जिसमें विधानसभाओं के भंग करने और 'एक साथ चुनाव' शब्द को शामिल करने का प्रावधान होगा। दूसरा संविधान संशोधन विधेयक स्थानीय निकाय चुनावों के लिए राज्य निर्वाचन आयोगों के परामर्श से मतदाता सूची तैयार करने के प्रावधान में संशोधन करने का प्रस्ताव करेगा। यह सुनिश्चित करेगा कि स्थानीय निकायों के चुनाव भी अन्य चुनावों के साथ एक ही समय पर कराए जाएं।
तीसरा विधेयक केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित तीन कानूनों में संशोधन करेगा, ताकि इनकी चुनावी प्रक्रिया भी अन्य विधानसभाओं और लोकसभा के चुनावों के साथ समन्वयित हो सके। जिन कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव है, उनमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम-1991, केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम-1963 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 शामिल हैं। यह प्रस्तावित विधेयक सामान्य कानून होगा, जिसके लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता नहीं होगी और राज्यों के समर्थन की भी जरूरत नहीं होगी। उच्च-स्तरीय समिति ने 18 संशोधनों और नए प्रविष्टियों का प्रस्ताव रखा है, जिसमें तीन अनुच्छेदों में संशोधन और मौजूदा अनुच्छेदों में 12 नए उप-खंड शामिल हैं।
सरकार ने इस साल लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले 'एक देश, एक चुनाव' को दो चरणों में लागू करने की सिफारिश की है। पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव होंगे, जबकि दूसरे चरण में आम चुनाव के 100 दिनों के भीतर पंचायतों और नगर निकायों के चुनाव कराए जाने का सुझाव दिया गया है। इस योजना का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाना, लागत में कमी लाना, और राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा देना है।
पहले एकसाथ होते थे चुनाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का विजन पेश किया था और इसे स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से भी समर्थन मिला। उन्होंने इस विचार को लागू करने की आवश्यकता को बार-बार रेखांकित किया है। इसके तहत, देशभर में एक ही दिन या चरणबद्ध तरीके से लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव कराए जाएंगे। ऐसा पहले भी हुआ करता था, जब 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे। हालांकि, 1967 के बाद की स्थिति ने इस परंपरा को तोड़ दिया। कांग्रेस पार्टी के सत्ता (इंदिरा कार्यकाल) में रहते हुए विपक्ष द्वारा शासित कई विधानसभाएं समय से पहले भंग कर दी गईं और इसके बाद लोकसभा भी भंग कर दी गई। यह प्रक्रिया कई दशकों तक नहीं बदली।
‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ (One Nation, One Election) के लागू होने से चुनाव के भारी-भरकम खर्च में कमी आएगी। आजादी के बाद 1952 में चुनाव पर लगभग 10 करोड़ रुपए खर्च हुए थे, जबकि 2019 में चुनावों पर 50 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए। वर्तमान में यह खर्च बढ़कर 1 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। चुनाव एक साथ होने पर खर्च केंद्र और राज्य दोनों में बंट जाएगा और पूरे 5 सालों तक सरकार के कर्मचारी चुनाव की तैयारी में व्यस्त नहीं रहेंगे, जिससे विकास कार्य प्रभावित नहीं होंगे। राजनीतिक दलों को भी चुनाव पर अधिक खर्च नहीं करना पड़ेगा, जिससे राजनीतिक भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा।
हालांकि, कुछ विपक्षी दल एक साथ चुनाव कराने पर सहमत नहीं हैं। उन्हें डर है कि इससे उनकी सत्ता खो सकती है। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस डर को तार्किक नहीं माना जाता है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मुद्दे पर 62 सियासी दलों से संपर्क किया था और इस पर जवाब देने वाले 47 पार्टियों में से 32 ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया, जबकि 15 दलों ने इसका विरोध किया। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कुल 15 पार्टियों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ से चुनाव के खर्च और आचार संहिता की बार-बार की बाधाओं से निजात मिलेगी, जिससे आम आदमी भी बहुत परेशान होता है। अचार संहिता में कई विकास कार्य रुक जाते हैं। चुनाव आयोग के लिए पहले चरण में दिल्ली समेत चार राज्यों के चुनाव कराने की योजना है। दूसरे चरण में बिहार, असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, और पुदुचेरी के चुनाव होंगे। तीसरे चरण में उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड, गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल, मेघालय, नगालैंड, और त्रिपुरा के चुनाव होंगे।
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