महागठबंधन को ओवैसी का खुला ऑफर, एनडीए को रोकने के लिए दी ये सलाह

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बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए और महागठबंधन एक दूसरे को मात देने की रणनीति तय करने में जुटी हुई हैं। इस बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने महागठबंधन को बड़ा ऑफर दिया है। ओवैसी ने कहा है कि अगर आरजेडी, कांग्रेस और अन्य दल एनडीए को बिहार में सत्ता से रोकना चाहते हैं, तो एआईएमआईएम साथ देने को तैयार है। वरना, पार्टी सीमांचल के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी चुनाव लड़ेगी।

ओवैसी का कहना है कि महागठबंधन भी नहीं चाहता कि बिहार में फिर से एनडीए गठबंधन की वापसी हो। उन्होंने कहा कि अगर बिहार की सत्ता एनडीए सरकार को फिर से नहीं सौंपनी है, तो हम सभी को एक साथ मजबूती से खड़ा होना होगा। यह पूरा मामला इंडिया गठबंधन पर निर्भर करता है कि क्या वह ओवैसी के साथ हाथ मिलाएगा या नहीं?

हम बिहार में बीजेपी या एनडीए की वापसी नहीं चाहते-ओवैसी

ओवैसी ने बताया कि इंडिया गठबंधन भी नहीं चाहता कि बिहार की सत्ता फिर से एनडीए के हाथों में जाए। उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने महागठबंधन के कुछ नेताओं से बात की है और उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि हम नहीं चाहते कि बिहार में बीजेपी या एनडीए की वापसी हो। उन्होंने कहा कि अब ये उन राजनीतिक दलों पर निर्भर करता है जो एनडीए को बिहार की कदम रखने से रोकना चाहते हैं।

याद दिलाई 2020 के चुनाव की याद

एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने याद दिलाया कि 2020 के चुनाव में एआईएमआईएम ने 20 सीटों पर चुनाव लड़कर 5 सीटें जीती थीं, लेकिन बाद में 4 विधायकों ने आरजेडी में शामिल हो गए। इस बार पार्टी का लक्ष्य सीमांचल (अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार) के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना है।

कनाडा में खालिस्तानी समर्थक जगमीत सिंह की करारी हार, भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देने का रहा है इतिहास


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कनाडा में न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के प्रमुख जगमीत सिंह को आम चुनाव बड़ा झटका लगा है। जनता ने खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह को उखाड़ फेंकने का काम किया है। चुनाव में उनकी न्यू डेमोक्रेट्स पार्टी की करारी हार हुई है। जगमीत सिंह अपनी सीट भी नहीं बचा पाया और पार्टी का राष्ट्रीय दर्जा भी खो दिया। इसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जगमीत सिंह खालिस्तान के मुखर समर्थक रहे हैं और उन्होंने कनाडा में खालिस्तान कार्यकर्ताओं की ओर से अक्सर आवाज उठाई है।

एनडीपी ने खो दिया राष्ट्रीय दर्जा

कनाडा में हुए चुनाव में एनडीपी का बुरा प्रदर्शन दिखा। यहां एनडीपी का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी छिन गया। नेशनल स्टेटस के लिए 12 सीटों की जरूरत थी, मगर एनडीपी 12 सीटें भी नहीं जीत पाई। एनडीपी को केवल 7 सीटों पर जीत मिली है। यहां तक की जगमीत सिंह भी अपनी सीट बचाने में नाकामयाब रहा।

जगमीत सिंह के बारे में

जगमीत सिंह हाउस ऑफ कॉमन्स में 2019 से बर्नबी सेंट्रल सीट से प्रतिनिधित्व कर रहे थे। वे इस सीट पर पहले से तीसरे स्थान पर आ गए। राजनीति में आने से पहले जगमीत वकालत करते थे। इसी दौरान वे खालिस्तान मूवमेंट को लेकर सक्रिय रहे। जगमीत पर खालिस्तान समर्थकों को कानूनी सहायता मुहैया कराने का आरोप है। भारत ने जगमीत को बैन कर रखा है। जगमीत कनाडा में अपने सिख राजनीति को चमकाने के लिए खालिस्तान मूवमेंट का सहारा लिया।

जगमीत सिंह ही वो नेता हैं, जिनकी वजह से पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत के साथ संबंध खराब कर लिए थे। ट्रूडो द्वारा सितंबर 2023 में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोप के बाद से नई दिल्ली और ओटावा के बीच तनाव बढ़ गया था। निज्जर को कनाडा में एक सिख मंदिर के बाहर गोली मार दी गई थी।

जस्टिन ट्रूडो भी हारे

जगमीत सिंह ही नहीं पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो को भी करारी हार मिली है। साथ ही लिबरल पार्टी सत्ता में आने का मौका मिला है। पिछले चुनाव में एनडीपी को 24 सीटें मिली थीं। इसके समर्थन से ही जस्टिन ट्रूडो ने काफी समय तक अपनी सरकार चलाई। अपनी सरकार चलाने के लिए ट्रूडो जगमीत का समर्थन लेते रहे थे।

ट्रूडो की पार्टी की सत्ता में वापसी

जस्टिन ट्रूडो की हार के बाद भी उनकी लिबरल पार्टी फिर से सत्ता में वापस आ रही है। लिबरल पार्टी 166 सीटों पर जीतती नजर आ रही है। कनाडा में सरकार बनाने के लिए 172 सांसदों की जरूरत होती है। लिबरल को पिछली बार से 9 सीटें ज्यादा मिलती दिख रही है।

हालांकि, इस बार ट्रूडो की जगह मार्क कार्नी कनाडा के प्रधानमंत्री बनेंगे। दरअसल, लिबरल पार्टी के इंटरनल सिस्टम में ट्रूडो की जगह कार्नी को प्रधानमंत्री घोषित किया है।

ONE NATION-ONE ELECTION एक राष्ट्र एक चुनाव बलिया के रसड़ा मे प्रबुद्ध समागम का आयोजन आज
संजीव सिंह बलिया! One NATION-ONE ELECTION एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर अपने जनपद बलिया के अपने विधान सभा रसड़ा मे प्रबुद्ध समागम का आयोजन आज दिनांक 27-04-2025 दिन रविवार को समय 10 बजे श्री नाथ जी मठ के मांगलिक उत्सव गृह मे रखा गया है, जिसके मुख्य अतिथी देवरिया के पूर्व लोकप्रिय विधायक देवरीया के जन जन के नेता माननीय प्रोफेसर सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी जी होगे, प्रबुद्ध समागम की अध्यक्षता रसड़ा नगर पालिका के पूर्व लोकप्रिय चैयरमैन श्री वशिष्ठ नारायण सोनी जी होगे.... रसड़ा विधान सभा मे निवास करने वाले प्रदेश पदाधिकारी, क्षेत्रीय पदाधिकारी, जिला पदाधिकारी, भारतीय जनता पार्टी के सभी बड़े छोटे पदाधिकारी व कार्यकर्ता, मंडल अध्यक्ष, सभी मोर्चो के पदाधिकारी, सभी प्रकोष्ठो के पदाधिकारी, एक राष्ट्र एक चुनाव के प्रति समर्थन व भाजपा के प्रति आस्था रखने वाले, देश के प्रति आस्था रखने वाले देव तुल्य जनता जनार्दन आप सभी सादर आमंत्रित है..... ठाकुर मंगल सिंह सेंगर जिला महामंत्री भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा सेवक रसड़ा बलिया कार्यक्रम संयोजक एक राष्ट्र एक चुनाव विधान सभा रसड़ा
विदेशी जमीन से फिर राहुल ने देश के आतंरिक मुद्दों पर उठाए सवाल, बोले- चुनाव आयोग ने किया समझौता

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लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि, इस बार उन्होंने भारत से नहीं बल्कि अमेरिका की धरती से कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि चुनाव आयोग ने समझौता कर लिया है और सिस्टम में कुछ गड़बड़ है।

निर्वाचन आयोग को कटघरे में खड़ा किया

राहुल 2 दिन के अमेरिका दौरे पर हैं। राहुल गांधी शनिवार देर रात को अमेरिका के बॉस्टन एयरपोर्ट पर उतरे थे। माना जा रहा था कि राहुल एक बार फिर विदेशी जमीन से देश की मोदी सरकार और देश के आतंरिक मुद्दों पर बोलेंगे, वैसा ही हुआ। उन्होंने बोस्टन में ब्राउन यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ एक सत्र में हिस्सा लिया। यहां उन्होंने पिछले साल हुए महाराष्ट्र चुनाव का मुद्दा उठाया। उन्होंने देश की चुनाव प्रणाली और निर्वाचन का आयोग की मंशा को कटघरे में खड़ा किया।

महाराष्ट्र में वयस्कों की संख्या से ज्यादा मतदान-राहुल

राहुल गांधी ने ब्राउन यूनिवर्सिटी में संबोधन के दौरान राहुल ने कहा कि मैंने यह कई बार कहा है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र में वयस्कों की संख्या से ज्यादा लोगों ने मतदान किया। राहुल गांधी ने आगे कहा कि चुनाव आयोग ने हमें शाम 5:30 बजे तक के मतदान के आंकड़े दिए और शाम 5:30 बजे से 7:30 बजे के बीच 65 लाख मतदाताओं ने मतदान कर दिया। ऐसा होना शारीरिक रूप से असंभव है। एक मतदाता को मतदान करने में लगभग 3 मिनट लगते हैं और अगर आप गणित लगाएं तो इसका मतलब है कि सुबह 2 बजे तक मतदाताओं की लाइनें लगी रहीं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जब हमने उनसे वीडियोग्राफी देने के लिए कहा तो उन्होंने न केवल मना कर दिया, बल्कि उन्होंने कानून भी बदल दिया ताकि हम वीडियोग्राफी के लिए न कह सकें।

महीने में पांच साल से ज्यादा वोटर्स जोड़े गए-राहुल

राहुल ने आरोप लगाया था कि लोकसभा चुनाव के लिए पांच साल में महाराष्ट्र में 32 लाख वोटर्स जोड़े गए, जबकि इसके पांच महीने बाद विधानसभा चुनाव के लिए 39 लाख वोटर्स को जोड़ा गया। उन्होंने चुनाव आयोग से पूछा कि पांच महीने में पांच साल से ज्यादा वोटर्स कैसे जोड़े गए? विधानसभा चुनाव में राज्य की कुल वयस्क आबादी से ज्यादा रजिस्टर्ड वोटर्स कैसे थे? राहुल ने कहा कि इसका एक उदाहरण कामठी विधानसभा है, जहां भाजपा की जीत का अंतर लगभग उतना ही है जितने नए वोटर्स जोड़े गए।

पहले भी उठा चुके हैं सवाल

यह पहली बार नहीं है, जब राहुल गांधी ने चुनाव प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े किए हैं। पिछले महीने 10 मार्च को राहुल ने सदन में मतदाता सूची का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि कई राज्यों में वोटर लिस्ट पर सवाल उठे हैं, इसलिए संसद में चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि सरकार वोटर लिस्ट नहीं बनाती है, यह तो सबको पता है, लेकिन सवाल उठ रहे हैं तो अच्छा होगा कि संसद में इस विषय पर चर्चा हो।

कौन होगा भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष? 20 अप्रैल के बाद हो सकता है ऐलान

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बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव 20 अप्रैल के बाद हो सकता है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के पार्टी अध्यक्षों के नाम भी कुछ दिनों में घोषित किए जा सकते हैं। बीजेपी संगठन चुनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री आवास पर बुधवार को बैठक हुई। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष मौजूद रहे। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में हुई इस बैठक में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई।

20 अप्रैल के बाद शुरू होगी चुनावी प्रक्रिया

सूत्रों के मुताबिक एक हफ्ते के भीतर पार्टी अध्यक्ष के चुनाव की घोषणा हो सकती है। बैठक में कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के अध्यक्षों के नामों पर चर्चा हुई है। अगले दो-तीन दिनों में करीब आधा दर्जन राज्यों के अध्यक्षों की घोषणा हो सकती है। इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया 20 अप्रैल के बाद कभी भी शुरू हो सकती है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में क्यों देरी?

जेपी नड्डा जनवरी, 2020 से राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं। पार्टी संविधान के मुताबिक उनका कार्यकाल जनवरी, 2023 में खत्म हो गया, लेकिन लोकसभा चुनाव समेत कई बड़े चुनावों के मद्देनजर उनका कार्यकाल आगे बढ़ा दिया गया। उनका कार्यकाल जून 2024 तक बढ़ाया गया था, ताकि वे लोकसभा चुनाव तक काम कर सकें। अध्यक्ष पद का चुनाव फरवरी 2025 तक पूरा होना था, लेकिन हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली के राज्य चुनावों के कारण इसमें देरी हो गई।

आधा दर्जन प्रदेश अध्यक्षों के नामों की घोषणा

सूत्रों का कहना है कि बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के साथ ही उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों के बीजेपी प्रदेश अध्यक्षों के नामों पर भी चर्चा की गई। अगले 2 से 3 दिन में आधा दर्जन प्रदेश अध्यक्षों के नामों की घोषणा की जा सकती है। पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसलिए बीजेपी एक नए राज्य अध्यक्ष और नई टीम की तलाश में है, जो चुनाव से पहले जिम्मेदारी संभाल सके।

युवा चेहरों को मिल सकता है मौका

पार्टी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी एक युवा टीम बनाना चाहती है। इसलिए कुछ महासचिवों को बदला जा सकता है और उनकी जगह युवा चेहरों को मौका मिल सकता है। पार्टी भविष्य को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव कर रही है। इसका मतलब है कि बीजेपी में युवाओं को आगे लाने की तैयारी है। पार्टी चाहती है कि युवा नेता आगे आएं और पार्टी को नई दिशा दें। यह बदलाव बीजेपी को भविष्य के लिए तैयार करने में मदद करेगा

अमेरिका में चुनाव के नियमों में बदलाव, जानें ट्रंप ने भारत का उदाहरण क्यों दिया?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब से व्हाइट हाउस में वापसी की है, तब ही से वह देश में नए-नए बदलाव कर रहे हैं। अब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप देश की चुनाव प्रणाली में व्यापक बदलाव करने जा रहे हैं। ट्रंप ने मंगलवार, 25 मार्च को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए जिसमें अमेरिका में होने वाले चुनावों में व्यापक बदलाव की मांग की गई।उन्होंने वहां के फेडरल चुनावों (केंद्रीय) में वोटिंग के रजिस्ट्रेशन के लिए नागरिकता का डॉक्यूमेंट प्रूव देना अनिवार्य कर दिया है। यानी जैसे भारत में हम आधार कार्ड या वोटर कार्ड जैसे आधिकारिक आईडी प्रूव देते हैं वैसे ही अमेरिका में अब कोई वहां का नागरिक है, उसका डॉक्यूमेंट दिखाना होगा, तभी जाकर वो खुद को वोट डालने के लिए रजिस्टर कर सकता है।

ट्रंप के नए कार्यकारी आदेश के अनुसार, केवल चुनाव के दिन तक प्राप्त होने वाले मतपत्रों को ही गिनती में शामिल किया जाएगा। अपने ताजा आदेश में ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका अब तक बुनियादी और आवश्यक चुनाव सुरक्षा लागू करने में विफल रहा है।

राज्यों से संघीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने की अपील

नए कार्यकारी आदेश जारी होने के बाद ट्रंप प्रशासन ने राज्यों से मतदाता सूचियों को साझा करने और चुनाव अपराधों पर मुकदमा चलाने के लिए संघीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया है। सहयोग न करने की स्थिति में संघीय वित्तीय मदद वापस लेने की चेतावनी भी दी गई है। यदि राज्यों के चुनाव अधिकारी संघीय आदेशों का पालन नहीं करते, तो उनके लिए संघीय वित्त पोषण रोका जा सकता है।

भारत का दिया उदाहरण

भारत और कुछ अन्य देशों का हवाला देते हुए, आदेश में कहा गया कि अमेरिका, "स्वशासन वाले अग्रणी देश" होने के बावजूद, आधुनिक, विकसित और विकासशील देशों द्वारा उपाय में लाए जाने वाले बुनियादी और आवश्यक चुनाव सुरक्षा को लागू करने में विफल रहा है। इसमें कहा गया है, उदाहरण के लिए, भारत और ब्राजील मतदाता पहचान को बायोमेट्रिक डेटाबेस से जोड़ रहे हैं, जबकि अमेरिका नागरिकता के लिए यह काफी हद तक स्व-सत्यापन (सेल्फ अटेस्ट करने) पर निर्भर है।

चुनावों में धांधली के आरोप

ट्रंप अक्सर दावा करते हैं कि चुनाव में धांधली हो रही है। 2020 के चुनाव नतीजे आने से पहले ही उन्होंने डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बाइडन पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। चुनाव में मिली हार के बाद से ही ट्रंप मतदान से जुड़े कई कानूनों का खुलकर विरोध कर रहे हैं और बार-बार धोखाधड़ी के आरोप लगा रहे हैं।

बीजेपी के नए अध्यक्ष का इंतजार बढ़ा, जानें कब होगा चुनाव

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बीजेपी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कब मिलेगा? इसका काफी समय से इंतजार हो रहा है। अब जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव इस महीन के अंत या अगले महीने में होने की संभावना है। कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की बेंगलुरु बैठक में जेपी नड्‌डा के उत्तराधिकारी का ऐलान हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक, 18-20 अप्रैल को बेंगलुरु में बीजेपी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक हो सकती है, जिसमें नए अध्यक्ष के नाम पर मुहर लगाई जाएगी।

बीजेपी के संगठन चुनावों में देरी के चलते अब नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के ऐलान में और देरी की संभावना व्यक्त की जा रही है। इसकी वजह है कि बीजेपी चार बड़े राज्यों में संगठन चुनावों को पूरा नहीं कर पाई है। इनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश शामिल हैं। चारों बड़े राज्यों में संगठन चुनावों में देरी, जिला अध्यक्षों की सूची फंसने से राष्ट्रीय अध्यक्ष पर पेंच फंस हुआ है।

अभी 13 राज्यों में संगठन चुनाव हो चुके हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए 18 राज्यों में चुनाव संपन्न होना जरूरी है। अगले कुछ दिनों में पांच बड़े राज्यों- यूपी, एमपी, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में नए अध्यक्ष बना दिए जाएंगे। इनके अलावा ओडिशा, कर्नाटक, हरियाणा और तेलंगाना के अध्यक्षों के नाम भी करीब-करीब तय हो चुके हैं। पार्टी संविधान के अनुसार आधे राज्यों में संगठन चुनाव पूरे होने पर ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है। नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए बीजेपी और आरएसएस के बीच बातचीत जारी है। आरएसएस की राष्ट्रीय प्रतिनिधि सभा की बैठक बेंगलुरु में हो रही है। उसके बाद नए अध्यक्ष को लेकर गतिविधि और तेज होगी।

बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए उत्तर से लेकर दक्षिण तक के करीब दर्जन भर नेताओं के नाम सुर्खियों में आ चुके हैं। बीच-बीच में भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र यादव के ही प्रबल दावेदार होने की रिपोर्ट सामने आई है लेकिन पिछले कुछ दिनों में संघ की तरफ से जो बातें सामने आई हैं। उनमें कहा गया है कि संघ ऐसे व्यक्ति को बीजेपी अध्यक्ष बनाना चाहता है जिसका जुड़ा आरएसएस से रह हो। आश्चर्यजनक तौर पर अब बीजेपी के नए अध्यक्ष के लिए हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल और संगठन महामंत्री बीएल संतोष के नाम भी चर्चा में आया है। ये दोनों संघ से बीजेपी के आए हैं।

बता दें कि वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2020 में शुरू हुआ था और उनका मूल तीन साल का कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त हो गया था। हालांकि, उन्हें 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर एक्सटेंशन दिया गया था, जो अब समाप्ति की ओर है।

No Student Union Elections for Five Years at TMBU, Leaving Students Without Leadership

No Student Union Elections for Five Years at TMBU, Leaving Students Without Leadership

Correspondent, Bhagalpur, Bihar

Students at Tilka Manjhi Bhagalpur University (TMBU) are facing numerous challenges. However, the university remains unaware of these issues because there is no representative to voice the students' concerns. The primary reason for this is that no student union elections have been held for the past five years.

TMBU student Hrishikesh Prakash stated that the absence of student union elections over the last five years has left students without proper representation. This situation has arisen due to internal conflicts among university officials. Although various student organizations continuously demand elections, no concrete steps have been taken in this regard.

It is noteworthy that student union elections were held in 2018 and 2019 during the tenure of former DSW Professor Yogendra. The student union plays a crucial role in university governance, as its members are also included in bodies like the Senate, Syndicate, and Academic Council. This ensures that students' concerns are effectively raised in important university meetings, ultimately benefiting them.

Students will now have elected representatives only in the upcoming academic session. Only after that will they have representation in the Senate and Syndicate.

Bhagalpur University student Hrishikesh Prakash has met with the university administration, urging them to conduct elections at the earliest to resolve students' issues as soon as

possible.

कांग्रेस के गढ़ में खिला कमलःतेलंगाना एमएलसी चुनावों में भाजपा ने मारी बाजी, 3 में से दो सीटों पर जीत दर्ज

#telangana_mlc_election_bjp

भारतीय जनता पार्टी दक्षिण भारत के राज्यों में बी अपने जड़े जमाने की कोशिश में लगी है। भाजपा की इस र सफलता मिलती भी दिख रही है। बीजेपी ने दक्षिण के उस राज्य में सफलता हासिल की है, जहां सत्ता में कांग्रेस है। बीजेपी ने तेलंगाना विधानसभा परिषद के चुनाव में अप्रत्‍याशित सफलता हासिल की है। उसने तीन सीटों पर हुए चुनावों में दो पर कामयाबी हासिल की।तीन एमएलसी सीट में से दो पर जीत कांग्रेस शासित राज्य में भाजपा के लिए एक नैतिक बढ़त के रूप में सामने आई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना विधान परिषद चुनाव में बीजेपी की जीत पर बधाई दी। पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'एमएलसी चुनावों में तेलंगाना भाजपा को इस तरह के अभूतपूर्व समर्थन के लिए मैं तेलंगाना के लोगों को धन्यवाद देता हूं। हमारे नवनिर्वाचित उम्मीदवारों को बधाई।' उन्होंने कहा कि मुझे हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर बहुत गर्व है, जो लोगों के बीच कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

इससे पहले तेलंगाना विधान परिषद के शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा समर्थित उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी। एक अन्य शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुआ था। भाजपा समर्थित मलका कोमरैया ने मेडक-निजामाबाद-आदिलाबाद-करीमनगर शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से जीत दर्ज की और निर्दलीय उम्मीदवार श्रीपाल रेड्डी पिंगिली ने वारंगल-खम्मम-नलगोंडा शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की थी।

एक अन्य पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने आंध्र प्रदेश में स्नातक एमएलसी चुनावों में एनडीए उम्मीदवारों की जीत की सराहना की। प्रधानमंत्री ने चुनावों में एनडीए उम्मीदवारों की जीत पर मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की ओर से किए गए एक पोस्ट का जवाब देते हुए कहा, 'विजेता उम्मीदवारों को बधाई। केंद्र और आंध्र प्रदेश में एनडीए सरकारें राज्य के लोगों की सेवा करती रहेंगी और राज्य की विकास यात्रा को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगी।'

केन्द्र सरकार ने दोषी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने का किया विरोध, सुप्रीम कोर्ट में दायर किया हलफनामा
#no_lifetime_ban_on_contesting_elections_central_govt_affidavit_in_sc


सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों केंद्र सरकार से जवाब मांगा था कि क्या दोषी सांसदों और विधायकों के चुनाव लड़ने पर हमेशा के लिए बैन लगना चाहिए। इस मामले पर अब केंद्र सरकार की तरफ से हलफनामा दाखिल किया गया है। केन्द्र सरकार ने दोषी राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग का विरोध किया है। केंद्र ने कहा कि आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए गए नेताओं पर आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाना सही नहीं होगा।

*अयोग्यता तय करना संसद के अधिकार क्षेत्र में- केंद्र*
केंद्र सरकार ने दोषी करार दिये गए राजनीतिक नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की सजा को कठोर कहा है। साथ ही अनुरोध करने वाली एक याचिका का उच्चतम न्यायालय में विरोध करते हुए कहा है कि इस तरह की अयोग्यता तय करना केवल संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है। शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने कहा कि याचिका में जो अनुरोध किया गया है वह विधान को फिर से लिखने या संसद को एक विशेष तरीके से कानून बनाने का निर्देश देने के समान है, जो न्यायिक समीक्षा संबंधी उच्चतम न्यायालय की शक्तियों से पूरी तरह से परे है।

*6 साल की अयोग्यता ही काफी-केंद्र*
केंद्र ने कहा,वर्तमान में 6 वर्षों की अयोग्यता अवधि से बढ़कर आजीवन प्रतिबंध लगाना अनुचित कठोरता होगी और यह संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है। केंद्र ने कहा कि न्यायपालिका संसद को किसी कानून में संशोधन करने या उसे लागू करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती। केंद्र ने मद्रास बार एसोसिएशन बनाम भारत संघ के फैसले का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि कोर्ट संसद को कानून बनाने या संशोधन का निर्देश नहीं दे सकती।

*क्या है मामला?*
वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने 2016 में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए गए नेताओं को 6 साल के लिए अयोग्यता को अपर्याप्त बताते हुए राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए दोषी विधायकों और सांसदों पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। उन्होंने याचिका में जनप्रतिनिधित्व अधिनिम, 1951 की धारा 8 और 9 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी।
मौजूदा कानून के तहत आपराधिक मामलों में 2 साल या उससे अधिक की सजा होने पर सजा की अवधि पूरी होने के 6 साल बाद तक चुनाव लड़ने पर ही रोक है। याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने याचिका में दोषी राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने और अलग-अलग अदालतों में उनके खिलाफ लंबित मुकदमों को तेजी से निपटाने की मांग की है।
महागठबंधन को ओवैसी का खुला ऑफर, एनडीए को रोकने के लिए दी ये सलाह

#asaduddinowaisiopenoffermahagathbandhanbiharelection

बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए और महागठबंधन एक दूसरे को मात देने की रणनीति तय करने में जुटी हुई हैं। इस बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने महागठबंधन को बड़ा ऑफर दिया है। ओवैसी ने कहा है कि अगर आरजेडी, कांग्रेस और अन्य दल एनडीए को बिहार में सत्ता से रोकना चाहते हैं, तो एआईएमआईएम साथ देने को तैयार है। वरना, पार्टी सीमांचल के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी चुनाव लड़ेगी।

ओवैसी का कहना है कि महागठबंधन भी नहीं चाहता कि बिहार में फिर से एनडीए गठबंधन की वापसी हो। उन्होंने कहा कि अगर बिहार की सत्ता एनडीए सरकार को फिर से नहीं सौंपनी है, तो हम सभी को एक साथ मजबूती से खड़ा होना होगा। यह पूरा मामला इंडिया गठबंधन पर निर्भर करता है कि क्या वह ओवैसी के साथ हाथ मिलाएगा या नहीं?

हम बिहार में बीजेपी या एनडीए की वापसी नहीं चाहते-ओवैसी

ओवैसी ने बताया कि इंडिया गठबंधन भी नहीं चाहता कि बिहार की सत्ता फिर से एनडीए के हाथों में जाए। उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने महागठबंधन के कुछ नेताओं से बात की है और उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि हम नहीं चाहते कि बिहार में बीजेपी या एनडीए की वापसी हो। उन्होंने कहा कि अब ये उन राजनीतिक दलों पर निर्भर करता है जो एनडीए को बिहार की कदम रखने से रोकना चाहते हैं।

याद दिलाई 2020 के चुनाव की याद

एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने याद दिलाया कि 2020 के चुनाव में एआईएमआईएम ने 20 सीटों पर चुनाव लड़कर 5 सीटें जीती थीं, लेकिन बाद में 4 विधायकों ने आरजेडी में शामिल हो गए। इस बार पार्टी का लक्ष्य सीमांचल (अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार) के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना है।

कनाडा में खालिस्तानी समर्थक जगमीत सिंह की करारी हार, भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देने का रहा है इतिहास


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कनाडा में न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के प्रमुख जगमीत सिंह को आम चुनाव बड़ा झटका लगा है। जनता ने खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह को उखाड़ फेंकने का काम किया है। चुनाव में उनकी न्यू डेमोक्रेट्स पार्टी की करारी हार हुई है। जगमीत सिंह अपनी सीट भी नहीं बचा पाया और पार्टी का राष्ट्रीय दर्जा भी खो दिया। इसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जगमीत सिंह खालिस्तान के मुखर समर्थक रहे हैं और उन्होंने कनाडा में खालिस्तान कार्यकर्ताओं की ओर से अक्सर आवाज उठाई है।

एनडीपी ने खो दिया राष्ट्रीय दर्जा

कनाडा में हुए चुनाव में एनडीपी का बुरा प्रदर्शन दिखा। यहां एनडीपी का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी छिन गया। नेशनल स्टेटस के लिए 12 सीटों की जरूरत थी, मगर एनडीपी 12 सीटें भी नहीं जीत पाई। एनडीपी को केवल 7 सीटों पर जीत मिली है। यहां तक की जगमीत सिंह भी अपनी सीट बचाने में नाकामयाब रहा।

जगमीत सिंह के बारे में

जगमीत सिंह हाउस ऑफ कॉमन्स में 2019 से बर्नबी सेंट्रल सीट से प्रतिनिधित्व कर रहे थे। वे इस सीट पर पहले से तीसरे स्थान पर आ गए। राजनीति में आने से पहले जगमीत वकालत करते थे। इसी दौरान वे खालिस्तान मूवमेंट को लेकर सक्रिय रहे। जगमीत पर खालिस्तान समर्थकों को कानूनी सहायता मुहैया कराने का आरोप है। भारत ने जगमीत को बैन कर रखा है। जगमीत कनाडा में अपने सिख राजनीति को चमकाने के लिए खालिस्तान मूवमेंट का सहारा लिया।

जगमीत सिंह ही वो नेता हैं, जिनकी वजह से पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत के साथ संबंध खराब कर लिए थे। ट्रूडो द्वारा सितंबर 2023 में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोप के बाद से नई दिल्ली और ओटावा के बीच तनाव बढ़ गया था। निज्जर को कनाडा में एक सिख मंदिर के बाहर गोली मार दी गई थी।

जस्टिन ट्रूडो भी हारे

जगमीत सिंह ही नहीं पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो को भी करारी हार मिली है। साथ ही लिबरल पार्टी सत्ता में आने का मौका मिला है। पिछले चुनाव में एनडीपी को 24 सीटें मिली थीं। इसके समर्थन से ही जस्टिन ट्रूडो ने काफी समय तक अपनी सरकार चलाई। अपनी सरकार चलाने के लिए ट्रूडो जगमीत का समर्थन लेते रहे थे।

ट्रूडो की पार्टी की सत्ता में वापसी

जस्टिन ट्रूडो की हार के बाद भी उनकी लिबरल पार्टी फिर से सत्ता में वापस आ रही है। लिबरल पार्टी 166 सीटों पर जीतती नजर आ रही है। कनाडा में सरकार बनाने के लिए 172 सांसदों की जरूरत होती है। लिबरल को पिछली बार से 9 सीटें ज्यादा मिलती दिख रही है।

हालांकि, इस बार ट्रूडो की जगह मार्क कार्नी कनाडा के प्रधानमंत्री बनेंगे। दरअसल, लिबरल पार्टी के इंटरनल सिस्टम में ट्रूडो की जगह कार्नी को प्रधानमंत्री घोषित किया है।

ONE NATION-ONE ELECTION एक राष्ट्र एक चुनाव बलिया के रसड़ा मे प्रबुद्ध समागम का आयोजन आज
संजीव सिंह बलिया! One NATION-ONE ELECTION एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर अपने जनपद बलिया के अपने विधान सभा रसड़ा मे प्रबुद्ध समागम का आयोजन आज दिनांक 27-04-2025 दिन रविवार को समय 10 बजे श्री नाथ जी मठ के मांगलिक उत्सव गृह मे रखा गया है, जिसके मुख्य अतिथी देवरिया के पूर्व लोकप्रिय विधायक देवरीया के जन जन के नेता माननीय प्रोफेसर सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी जी होगे, प्रबुद्ध समागम की अध्यक्षता रसड़ा नगर पालिका के पूर्व लोकप्रिय चैयरमैन श्री वशिष्ठ नारायण सोनी जी होगे.... रसड़ा विधान सभा मे निवास करने वाले प्रदेश पदाधिकारी, क्षेत्रीय पदाधिकारी, जिला पदाधिकारी, भारतीय जनता पार्टी के सभी बड़े छोटे पदाधिकारी व कार्यकर्ता, मंडल अध्यक्ष, सभी मोर्चो के पदाधिकारी, सभी प्रकोष्ठो के पदाधिकारी, एक राष्ट्र एक चुनाव के प्रति समर्थन व भाजपा के प्रति आस्था रखने वाले, देश के प्रति आस्था रखने वाले देव तुल्य जनता जनार्दन आप सभी सादर आमंत्रित है..... ठाकुर मंगल सिंह सेंगर जिला महामंत्री भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा सेवक रसड़ा बलिया कार्यक्रम संयोजक एक राष्ट्र एक चुनाव विधान सभा रसड़ा
विदेशी जमीन से फिर राहुल ने देश के आतंरिक मुद्दों पर उठाए सवाल, बोले- चुनाव आयोग ने किया समझौता

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लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि, इस बार उन्होंने भारत से नहीं बल्कि अमेरिका की धरती से कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि चुनाव आयोग ने समझौता कर लिया है और सिस्टम में कुछ गड़बड़ है।

निर्वाचन आयोग को कटघरे में खड़ा किया

राहुल 2 दिन के अमेरिका दौरे पर हैं। राहुल गांधी शनिवार देर रात को अमेरिका के बॉस्टन एयरपोर्ट पर उतरे थे। माना जा रहा था कि राहुल एक बार फिर विदेशी जमीन से देश की मोदी सरकार और देश के आतंरिक मुद्दों पर बोलेंगे, वैसा ही हुआ। उन्होंने बोस्टन में ब्राउन यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ एक सत्र में हिस्सा लिया। यहां उन्होंने पिछले साल हुए महाराष्ट्र चुनाव का मुद्दा उठाया। उन्होंने देश की चुनाव प्रणाली और निर्वाचन का आयोग की मंशा को कटघरे में खड़ा किया।

महाराष्ट्र में वयस्कों की संख्या से ज्यादा मतदान-राहुल

राहुल गांधी ने ब्राउन यूनिवर्सिटी में संबोधन के दौरान राहुल ने कहा कि मैंने यह कई बार कहा है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र में वयस्कों की संख्या से ज्यादा लोगों ने मतदान किया। राहुल गांधी ने आगे कहा कि चुनाव आयोग ने हमें शाम 5:30 बजे तक के मतदान के आंकड़े दिए और शाम 5:30 बजे से 7:30 बजे के बीच 65 लाख मतदाताओं ने मतदान कर दिया। ऐसा होना शारीरिक रूप से असंभव है। एक मतदाता को मतदान करने में लगभग 3 मिनट लगते हैं और अगर आप गणित लगाएं तो इसका मतलब है कि सुबह 2 बजे तक मतदाताओं की लाइनें लगी रहीं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जब हमने उनसे वीडियोग्राफी देने के लिए कहा तो उन्होंने न केवल मना कर दिया, बल्कि उन्होंने कानून भी बदल दिया ताकि हम वीडियोग्राफी के लिए न कह सकें।

महीने में पांच साल से ज्यादा वोटर्स जोड़े गए-राहुल

राहुल ने आरोप लगाया था कि लोकसभा चुनाव के लिए पांच साल में महाराष्ट्र में 32 लाख वोटर्स जोड़े गए, जबकि इसके पांच महीने बाद विधानसभा चुनाव के लिए 39 लाख वोटर्स को जोड़ा गया। उन्होंने चुनाव आयोग से पूछा कि पांच महीने में पांच साल से ज्यादा वोटर्स कैसे जोड़े गए? विधानसभा चुनाव में राज्य की कुल वयस्क आबादी से ज्यादा रजिस्टर्ड वोटर्स कैसे थे? राहुल ने कहा कि इसका एक उदाहरण कामठी विधानसभा है, जहां भाजपा की जीत का अंतर लगभग उतना ही है जितने नए वोटर्स जोड़े गए।

पहले भी उठा चुके हैं सवाल

यह पहली बार नहीं है, जब राहुल गांधी ने चुनाव प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े किए हैं। पिछले महीने 10 मार्च को राहुल ने सदन में मतदाता सूची का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि कई राज्यों में वोटर लिस्ट पर सवाल उठे हैं, इसलिए संसद में चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि सरकार वोटर लिस्ट नहीं बनाती है, यह तो सबको पता है, लेकिन सवाल उठ रहे हैं तो अच्छा होगा कि संसद में इस विषय पर चर्चा हो।

कौन होगा भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष? 20 अप्रैल के बाद हो सकता है ऐलान

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बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव 20 अप्रैल के बाद हो सकता है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के पार्टी अध्यक्षों के नाम भी कुछ दिनों में घोषित किए जा सकते हैं। बीजेपी संगठन चुनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री आवास पर बुधवार को बैठक हुई। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष मौजूद रहे। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में हुई इस बैठक में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई।

20 अप्रैल के बाद शुरू होगी चुनावी प्रक्रिया

सूत्रों के मुताबिक एक हफ्ते के भीतर पार्टी अध्यक्ष के चुनाव की घोषणा हो सकती है। बैठक में कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के अध्यक्षों के नामों पर चर्चा हुई है। अगले दो-तीन दिनों में करीब आधा दर्जन राज्यों के अध्यक्षों की घोषणा हो सकती है। इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया 20 अप्रैल के बाद कभी भी शुरू हो सकती है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में क्यों देरी?

जेपी नड्डा जनवरी, 2020 से राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं। पार्टी संविधान के मुताबिक उनका कार्यकाल जनवरी, 2023 में खत्म हो गया, लेकिन लोकसभा चुनाव समेत कई बड़े चुनावों के मद्देनजर उनका कार्यकाल आगे बढ़ा दिया गया। उनका कार्यकाल जून 2024 तक बढ़ाया गया था, ताकि वे लोकसभा चुनाव तक काम कर सकें। अध्यक्ष पद का चुनाव फरवरी 2025 तक पूरा होना था, लेकिन हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली के राज्य चुनावों के कारण इसमें देरी हो गई।

आधा दर्जन प्रदेश अध्यक्षों के नामों की घोषणा

सूत्रों का कहना है कि बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के साथ ही उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों के बीजेपी प्रदेश अध्यक्षों के नामों पर भी चर्चा की गई। अगले 2 से 3 दिन में आधा दर्जन प्रदेश अध्यक्षों के नामों की घोषणा की जा सकती है। पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसलिए बीजेपी एक नए राज्य अध्यक्ष और नई टीम की तलाश में है, जो चुनाव से पहले जिम्मेदारी संभाल सके।

युवा चेहरों को मिल सकता है मौका

पार्टी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी एक युवा टीम बनाना चाहती है। इसलिए कुछ महासचिवों को बदला जा सकता है और उनकी जगह युवा चेहरों को मौका मिल सकता है। पार्टी भविष्य को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव कर रही है। इसका मतलब है कि बीजेपी में युवाओं को आगे लाने की तैयारी है। पार्टी चाहती है कि युवा नेता आगे आएं और पार्टी को नई दिशा दें। यह बदलाव बीजेपी को भविष्य के लिए तैयार करने में मदद करेगा

अमेरिका में चुनाव के नियमों में बदलाव, जानें ट्रंप ने भारत का उदाहरण क्यों दिया?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब से व्हाइट हाउस में वापसी की है, तब ही से वह देश में नए-नए बदलाव कर रहे हैं। अब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप देश की चुनाव प्रणाली में व्यापक बदलाव करने जा रहे हैं। ट्रंप ने मंगलवार, 25 मार्च को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए जिसमें अमेरिका में होने वाले चुनावों में व्यापक बदलाव की मांग की गई।उन्होंने वहां के फेडरल चुनावों (केंद्रीय) में वोटिंग के रजिस्ट्रेशन के लिए नागरिकता का डॉक्यूमेंट प्रूव देना अनिवार्य कर दिया है। यानी जैसे भारत में हम आधार कार्ड या वोटर कार्ड जैसे आधिकारिक आईडी प्रूव देते हैं वैसे ही अमेरिका में अब कोई वहां का नागरिक है, उसका डॉक्यूमेंट दिखाना होगा, तभी जाकर वो खुद को वोट डालने के लिए रजिस्टर कर सकता है।

ट्रंप के नए कार्यकारी आदेश के अनुसार, केवल चुनाव के दिन तक प्राप्त होने वाले मतपत्रों को ही गिनती में शामिल किया जाएगा। अपने ताजा आदेश में ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका अब तक बुनियादी और आवश्यक चुनाव सुरक्षा लागू करने में विफल रहा है।

राज्यों से संघीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने की अपील

नए कार्यकारी आदेश जारी होने के बाद ट्रंप प्रशासन ने राज्यों से मतदाता सूचियों को साझा करने और चुनाव अपराधों पर मुकदमा चलाने के लिए संघीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया है। सहयोग न करने की स्थिति में संघीय वित्तीय मदद वापस लेने की चेतावनी भी दी गई है। यदि राज्यों के चुनाव अधिकारी संघीय आदेशों का पालन नहीं करते, तो उनके लिए संघीय वित्त पोषण रोका जा सकता है।

भारत का दिया उदाहरण

भारत और कुछ अन्य देशों का हवाला देते हुए, आदेश में कहा गया कि अमेरिका, "स्वशासन वाले अग्रणी देश" होने के बावजूद, आधुनिक, विकसित और विकासशील देशों द्वारा उपाय में लाए जाने वाले बुनियादी और आवश्यक चुनाव सुरक्षा को लागू करने में विफल रहा है। इसमें कहा गया है, उदाहरण के लिए, भारत और ब्राजील मतदाता पहचान को बायोमेट्रिक डेटाबेस से जोड़ रहे हैं, जबकि अमेरिका नागरिकता के लिए यह काफी हद तक स्व-सत्यापन (सेल्फ अटेस्ट करने) पर निर्भर है।

चुनावों में धांधली के आरोप

ट्रंप अक्सर दावा करते हैं कि चुनाव में धांधली हो रही है। 2020 के चुनाव नतीजे आने से पहले ही उन्होंने डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बाइडन पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। चुनाव में मिली हार के बाद से ही ट्रंप मतदान से जुड़े कई कानूनों का खुलकर विरोध कर रहे हैं और बार-बार धोखाधड़ी के आरोप लगा रहे हैं।

बीजेपी के नए अध्यक्ष का इंतजार बढ़ा, जानें कब होगा चुनाव

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बीजेपी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कब मिलेगा? इसका काफी समय से इंतजार हो रहा है। अब जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव इस महीन के अंत या अगले महीने में होने की संभावना है। कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की बेंगलुरु बैठक में जेपी नड्‌डा के उत्तराधिकारी का ऐलान हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक, 18-20 अप्रैल को बेंगलुरु में बीजेपी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक हो सकती है, जिसमें नए अध्यक्ष के नाम पर मुहर लगाई जाएगी।

बीजेपी के संगठन चुनावों में देरी के चलते अब नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के ऐलान में और देरी की संभावना व्यक्त की जा रही है। इसकी वजह है कि बीजेपी चार बड़े राज्यों में संगठन चुनावों को पूरा नहीं कर पाई है। इनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश शामिल हैं। चारों बड़े राज्यों में संगठन चुनावों में देरी, जिला अध्यक्षों की सूची फंसने से राष्ट्रीय अध्यक्ष पर पेंच फंस हुआ है।

अभी 13 राज्यों में संगठन चुनाव हो चुके हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए 18 राज्यों में चुनाव संपन्न होना जरूरी है। अगले कुछ दिनों में पांच बड़े राज्यों- यूपी, एमपी, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में नए अध्यक्ष बना दिए जाएंगे। इनके अलावा ओडिशा, कर्नाटक, हरियाणा और तेलंगाना के अध्यक्षों के नाम भी करीब-करीब तय हो चुके हैं। पार्टी संविधान के अनुसार आधे राज्यों में संगठन चुनाव पूरे होने पर ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है। नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए बीजेपी और आरएसएस के बीच बातचीत जारी है। आरएसएस की राष्ट्रीय प्रतिनिधि सभा की बैठक बेंगलुरु में हो रही है। उसके बाद नए अध्यक्ष को लेकर गतिविधि और तेज होगी।

बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए उत्तर से लेकर दक्षिण तक के करीब दर्जन भर नेताओं के नाम सुर्खियों में आ चुके हैं। बीच-बीच में भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र यादव के ही प्रबल दावेदार होने की रिपोर्ट सामने आई है लेकिन पिछले कुछ दिनों में संघ की तरफ से जो बातें सामने आई हैं। उनमें कहा गया है कि संघ ऐसे व्यक्ति को बीजेपी अध्यक्ष बनाना चाहता है जिसका जुड़ा आरएसएस से रह हो। आश्चर्यजनक तौर पर अब बीजेपी के नए अध्यक्ष के लिए हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल और संगठन महामंत्री बीएल संतोष के नाम भी चर्चा में आया है। ये दोनों संघ से बीजेपी के आए हैं।

बता दें कि वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2020 में शुरू हुआ था और उनका मूल तीन साल का कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त हो गया था। हालांकि, उन्हें 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर एक्सटेंशन दिया गया था, जो अब समाप्ति की ओर है।

No Student Union Elections for Five Years at TMBU, Leaving Students Without Leadership

No Student Union Elections for Five Years at TMBU, Leaving Students Without Leadership

Correspondent, Bhagalpur, Bihar

Students at Tilka Manjhi Bhagalpur University (TMBU) are facing numerous challenges. However, the university remains unaware of these issues because there is no representative to voice the students' concerns. The primary reason for this is that no student union elections have been held for the past five years.

TMBU student Hrishikesh Prakash stated that the absence of student union elections over the last five years has left students without proper representation. This situation has arisen due to internal conflicts among university officials. Although various student organizations continuously demand elections, no concrete steps have been taken in this regard.

It is noteworthy that student union elections were held in 2018 and 2019 during the tenure of former DSW Professor Yogendra. The student union plays a crucial role in university governance, as its members are also included in bodies like the Senate, Syndicate, and Academic Council. This ensures that students' concerns are effectively raised in important university meetings, ultimately benefiting them.

Students will now have elected representatives only in the upcoming academic session. Only after that will they have representation in the Senate and Syndicate.

Bhagalpur University student Hrishikesh Prakash has met with the university administration, urging them to conduct elections at the earliest to resolve students' issues as soon as

possible.

कांग्रेस के गढ़ में खिला कमलःतेलंगाना एमएलसी चुनावों में भाजपा ने मारी बाजी, 3 में से दो सीटों पर जीत दर्ज

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भारतीय जनता पार्टी दक्षिण भारत के राज्यों में बी अपने जड़े जमाने की कोशिश में लगी है। भाजपा की इस र सफलता मिलती भी दिख रही है। बीजेपी ने दक्षिण के उस राज्य में सफलता हासिल की है, जहां सत्ता में कांग्रेस है। बीजेपी ने तेलंगाना विधानसभा परिषद के चुनाव में अप्रत्‍याशित सफलता हासिल की है। उसने तीन सीटों पर हुए चुनावों में दो पर कामयाबी हासिल की।तीन एमएलसी सीट में से दो पर जीत कांग्रेस शासित राज्य में भाजपा के लिए एक नैतिक बढ़त के रूप में सामने आई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना विधान परिषद चुनाव में बीजेपी की जीत पर बधाई दी। पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'एमएलसी चुनावों में तेलंगाना भाजपा को इस तरह के अभूतपूर्व समर्थन के लिए मैं तेलंगाना के लोगों को धन्यवाद देता हूं। हमारे नवनिर्वाचित उम्मीदवारों को बधाई।' उन्होंने कहा कि मुझे हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर बहुत गर्व है, जो लोगों के बीच कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

इससे पहले तेलंगाना विधान परिषद के शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा समर्थित उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी। एक अन्य शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुआ था। भाजपा समर्थित मलका कोमरैया ने मेडक-निजामाबाद-आदिलाबाद-करीमनगर शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से जीत दर्ज की और निर्दलीय उम्मीदवार श्रीपाल रेड्डी पिंगिली ने वारंगल-खम्मम-नलगोंडा शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की थी।

एक अन्य पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने आंध्र प्रदेश में स्नातक एमएलसी चुनावों में एनडीए उम्मीदवारों की जीत की सराहना की। प्रधानमंत्री ने चुनावों में एनडीए उम्मीदवारों की जीत पर मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की ओर से किए गए एक पोस्ट का जवाब देते हुए कहा, 'विजेता उम्मीदवारों को बधाई। केंद्र और आंध्र प्रदेश में एनडीए सरकारें राज्य के लोगों की सेवा करती रहेंगी और राज्य की विकास यात्रा को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगी।'

केन्द्र सरकार ने दोषी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने का किया विरोध, सुप्रीम कोर्ट में दायर किया हलफनामा
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सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों केंद्र सरकार से जवाब मांगा था कि क्या दोषी सांसदों और विधायकों के चुनाव लड़ने पर हमेशा के लिए बैन लगना चाहिए। इस मामले पर अब केंद्र सरकार की तरफ से हलफनामा दाखिल किया गया है। केन्द्र सरकार ने दोषी राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग का विरोध किया है। केंद्र ने कहा कि आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए गए नेताओं पर आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाना सही नहीं होगा।

*अयोग्यता तय करना संसद के अधिकार क्षेत्र में- केंद्र*
केंद्र सरकार ने दोषी करार दिये गए राजनीतिक नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की सजा को कठोर कहा है। साथ ही अनुरोध करने वाली एक याचिका का उच्चतम न्यायालय में विरोध करते हुए कहा है कि इस तरह की अयोग्यता तय करना केवल संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है। शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने कहा कि याचिका में जो अनुरोध किया गया है वह विधान को फिर से लिखने या संसद को एक विशेष तरीके से कानून बनाने का निर्देश देने के समान है, जो न्यायिक समीक्षा संबंधी उच्चतम न्यायालय की शक्तियों से पूरी तरह से परे है।

*6 साल की अयोग्यता ही काफी-केंद्र*
केंद्र ने कहा,वर्तमान में 6 वर्षों की अयोग्यता अवधि से बढ़कर आजीवन प्रतिबंध लगाना अनुचित कठोरता होगी और यह संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है। केंद्र ने कहा कि न्यायपालिका संसद को किसी कानून में संशोधन करने या उसे लागू करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती। केंद्र ने मद्रास बार एसोसिएशन बनाम भारत संघ के फैसले का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि कोर्ट संसद को कानून बनाने या संशोधन का निर्देश नहीं दे सकती।

*क्या है मामला?*
वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने 2016 में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए गए नेताओं को 6 साल के लिए अयोग्यता को अपर्याप्त बताते हुए राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए दोषी विधायकों और सांसदों पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। उन्होंने याचिका में जनप्रतिनिधित्व अधिनिम, 1951 की धारा 8 और 9 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी।
मौजूदा कानून के तहत आपराधिक मामलों में 2 साल या उससे अधिक की सजा होने पर सजा की अवधि पूरी होने के 6 साल बाद तक चुनाव लड़ने पर ही रोक है। याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने याचिका में दोषी राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने और अलग-अलग अदालतों में उनके खिलाफ लंबित मुकदमों को तेजी से निपटाने की मांग की है।