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May 03 2024, 18:44

क्या चुनाव में केजरीवाल को मिलेगी राहत? सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत पर कही बड़ी बात

#will_kejriwal_get_interim_bail_for_lok_sabha_elections

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई के संकेत दिए हैं। दरअसल, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि केस लंबा चलेगा ऐसे में अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर विचार कर सकते हैं। बता दें अब इस मामले में कोर्ट 7 मई को सुबह 10.30 मिनट पर सुनवाई करेगा।

कोर्ट ने इस मामले में बीते सोमवार और मंगलवार को सुनवाई की थी। जिसमें कोर्ट ने ईडी से अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर सवाल पूछे थे आज ईडी उन्हीं सवालों का जवाब सुप्रीम कोर्ट को देना था। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू को बताया कि गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई में समय लगने की संभावना है। बेंच ने कहा कि इसलिए अदालत अंतरिम जमानत पर जांच एजेंसी का पक्ष सुनने पर विचार कर रही है। इस पर राजू ने कहा कि वह केजरीवाल की अंतरिम जमानत का विरोध करेंगे। बेंच ने कहा, "हम कह रहे हैं कि हम अंतरिम जमानत पर सुनवाई करेंगे और यह नहीं कह रहे हैं कि हम अंतरिम जमानत देंगे। हम अंतरिम जमानत दे भी सकते हैं और नहीं भी।" 

सुनवाई के शुरुआत में अरविंद केजरीवाल के वकील मनु सिंघवी ने कहा कि ईडी की तरफ से 16 मार्च को आखिरी समन आया था। जिसके लिए मुझे 21 मार्च को पेश होना था। ऐसे में 16 मार्च तक मैं आरोपी या दोषी नहीं था फिर अचानक से क्या बदल गया? जिस पर कोर्ट ने जवाब दिया कि जब तक आप गिरफ्तार नहीं होते तब तक आप आरोपी नहीं हैं।फिर सिंघवी के कहा कि जिन सबूतों के आधार पर केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया वो 2023 से भी पहले के हैं उन्हीं सबूतों को आधार बनाकर मनीष सिसोदिया को भी गिरफ्तार किया था। सिंघवी ने आगे कहा कि सेक्शन 70 PMLA किसी राजनीतिक दल द्वारा किए कि किसी भी काम के लिए उसके अध्यक्ष को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने आज कहा कि वह अंतरिम जमानत याचिका पर मंगलवार (7 मई) को सुनवाई करेगी और केंद्रीय एजेंसी और केजरीवाल के वकील को तैयार रहने को कहा। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने दोनों पक्षों को सचेत करते हुए कहा कि वे यह न मानें कि अदालत जमानत दे देगी। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से संभावित समाधान पेश करने को कहा। अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री को अंतरिम जमानत दी जाती है तो केजरीवाल पर शर्तें लगाई जाएंगी। अदालत ने ईडी से यह भी विचार करने को कहा कि क्या केजरीवाल को मुख्यमंत्री के रूप में अपनी स्थिति को ध्यान में रखते हुए किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर करना चाहिए।

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May 03 2024, 16:29

प्रियंका तो कोई भी उपचुनाव लड़कर सदन पहुंच जाएगी', जयराम रमेश बोले- शतरंज की कुछ चालें बाकी हैं..., जानें इन बातों का मतलब

#priyanka_gandhi_will_reach_house_by_contesting_any_by_election_congress_said

लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस की ओर से रायबरेली से राहुल गांधी चुनावी मैदान में नजर आएंगे। राहुल गांधी ने आज रायबरेली से अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया। इसके साथ ही प्रियंका गांधी वाड्रा के भी चुनावी मैदान में उतरने की अफवाहों पर भी विराम लग गया। दरअसल, पहले चर्चा थी कि अमेठी से राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे और रायबरेली से प्रियंका गांधी चुनावी मैदान में उतर सकती हैं।हालांकि, पार्टी ने अचानक रणनीति बदली और दोनों सीटों पर नए चेहरे उतारने का फैसला लिया। कांग्रेस ने ये रणनीति हार के डर से नहीं, बल्कि काफी सोच विचार कर बनाई है। कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश की प्रतिक्रिया से ये बात साफ जाहिर हो रही है।

कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, “राहुल गांधी जी की रायबरेली से चुनाव लड़ने की खबर पर बहुत सारे लोगों की बहुत सारी राय हैं। लेकिन वह राजनीति और शतरंज के मंजे हुए खिलाड़ी हैं और सोच समझ कर दांव चलते हैं। ऐसा निर्णय पार्टी के नेतृत्व ने बहुत विचार विमर्श करके बड़ी रणनीति के तहत लिया है। इस निर्णय से BJP, उनके समर्थक और चापलूस धराशायी हो गये हैं। बेचारे स्वयंभू चाणक्य जो परंपरागत सीट की बात करते थे, उनको समझ नहीं आ रहा अब क्या करें?

अपने पोस्ट में जयराम ने आगे लिखा, “रायबरेली सिर्फ़ सोनिया जी की नहीं, ख़ुद इंदिरा गांधी जी की सीट रही है। यह विरासत नहीं ज़िम्मेदारी है, कर्तव्य है। रही बात गांधी परिवार के गढ़ की, तो अमेठी-रायबरेली ही नहीं, उत्तर से दक्षिण तक पूरा देश गांधी परिवार का गढ़ है। राहुल गांधी तो तीन बार उत्तरप्रदेश से और एक बार केरल से सांसद बन गये, लेकिन मोदी जी विंध्याचल से नीचे जाकर चुनाव लड़ने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पाये? एक बात और साफ़ है कि कांग्रेस परिवार लाखों कार्यकर्ताओं की अपेक्षाओं उनकी आकांक्षाओं का परिवार है। कांग्रेस का एक साधारण कार्यकर्ता ही बड़े बड़ों पर भारी है। कल एक मूर्धन्य पत्रकार अमेठी के किसी कार्यकर्ता से व्यंग में कह रही थी कि आप लोगों का नंबर कब आएगा टिकट मिलने का? लीजिए, आ गया! कांग्रेस का एक आम कार्यकर्ता अमेठी में BJP का भ्रम और दंभ दोनों तोड़ेगा।“

जयराम रमेश ने अपने पोस्ट में कहा, “प्रियंका जी धुआँधार प्रचार कर रही हैं और अकेली नरेंद्र मोदी के हर झूठ का जवाब सच से देकर उनकी बोलती बंद कर रही हैं। इसीलिए यह ज़रूरी था कि उन्हें सिर्फ़ अपने चुनाव क्षेत्र तक सीमित ना रखा जाए। प्रियंका जी तो कोई भी उपचुनाव लड़कर सदन पहुँच जायेंगी। आज स्मृति ईरानी की सिर्फ़ यही पहचान है कि वो राहुल गांधी के ख़िलाफ़ अमेठी से चुनाव लड़ती हैं। अब स्मृति ईरानी से वो शोहरत भी छिन गई। अब बजाय व्यर्थ की बयानबाज़ी के, स्मृति ईरानी स्थानीय विकास के बारे में जवाब दें, जो बंद किए अस्पताल, स्टील प्लांट और IIIT हैं – उसपर जवाब देना होगा। शतरंज की कुछ चालें बाक़ी हैं, थोड़ा इंतज़ार कीजिए।”

2019 के लोकसभा चुनावों के पहले तक उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली की सीटें कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थीं। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनावों में रायबरेली ही एक ऐसी सीट थी, जिसे कांग्रेस ने यूपी में जीता था। बीजेपी की आंधी में भी रायबरेली का गढ़ सुरक्षित रहा था, ऐसे में कांग्रेस को लग रहा होगा कि इस बार भी राहुल की उम्मीदवारी से उन्हें फायदा हो सकता है। कांग्रेस को उम्मीद है कि गांधी परिवार के नाम पर, और वह भी राहुल गांधी के नाम पर, रायबरेली की जनता जरूर अपना समर्थन देगी।वहीं, राहुल अगर केरल के वायनाड और रायबरेली दोनों से जीते जाते हैं, तो जो सीट वो छोड़ेंगे वहां से प्रियंका गांधी उपचुनाव लड़ सकती हैं।

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May 01 2024, 20:09

*ओवैसी ही रहेंगे या बदलेगा हैदराबाद का “निजाम”, जानें इस सीट का सियासी इतिहास*
#lok_sabha_elections_2024_hyderabad_lok_sabha_seat_history
*निज़ामों का नगर हैदराबाद* *मोतियों के लिए है मशहूर* *1984 से AIMIM का है गढ़* *40 साल से ओवैसी फैमिली का कब्जा* *कुल 17 चुनावों में दस बार ओवैसी परिवार की जीत* *6 बार पिता, 4 बार बेटा बना सांसद* *क्या इस बार टूटेगा “निजामों का किला”* देश में जब लोकसभा चुनाव हो रहे हैं, ऐसे में हैदराबाद सीट का जिक्र अहम हो जाता है। ऐतिहासिक रूप से यह शहर बेहद महत्‍वपूर्ण है, तो वहीं सियासी तौर भी इसकी खासी अहमियत है। हैदराबाद को निज़ामों और मोतियों का शहर भी कहा जाता है। यह भारत के सर्वाधिक विकसित शहरों में से एक है। तेलंगाना की हैदराबाद लोकसभा सीट एक ऐसी सीट है, जिस पर न तो बीआरएस यानी भारत राष्ट्र समिति, न ही कांग्रेस और न ही बीजेपी की दाल गलती है। यहां सिर्फ और सिर्फ AIMIM यानी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन का ही सिक्का चलता है। आजादी के बाद से हैदराबाद में लोकसभा के हुए कुल 17 चुनावों में दस बार ओवैसी परिवार की जीत हुई है। सिर्फ सात बार ही अन्य को मौका मिला है। कांग्रेस को अंतिम जीत 1980 में मिली थी। 1984 में असदुद्दीन के पिता सलाहुद्दीन ओवैसी ने पहली बार कांग्रेस की जीत के सिलसिले पर ब्रेक लगाया था। उसके बाद किसी दल की दाल नहीं गली। लगातार छह चुनाव सलाहुद्दीन ने जीते और असदुद्दीन ने चार चुनाव। *हैदराबाद लोकसभा सीट का इतिहास* हैदराबाद लोकसभा सीट पर पहली बार साल 1952 आम चुनाव में वोटिंग हुई थी। उस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अहमद मोहिउद्दीन ने जीत हासिल की थी। लेकिन साल 1957 आम चुनाव में कांग्रेस ने उम्मीदवार बदल दिया। कांग्रेस ने विनायक राव कोरटकर को मैदान में उतारा और उन्होंने जीत हासिल की। साल 1962 आम चुनाव में कांग्रेस के गोपालैया सुब्बुकृष्ण मेलकोटे ने जीत दर्ज की। मेलकोटे साल 1971 आम चुनाव में भी सांसद चुने गए। लेकिन इस बार मेलकोटे ने कांग्रेस की बजाय तेलंगाना प्रजा समिति के टिकट पर चुनाव लड़ा था। साल 1977 आम चुनाव में कांग्रेस के केएस नारायण को जीत मिली। जबकि साल 1980 आम चुनव में कांग्रेस (आई) के टिकट पर केएस नारायण फिर से सांसद चुने गए। उसके बाद से हैदराबाद लोकसभा सीट से लगातार ओवैसी फैमिली जीत रही है। *पिछले 40 साल से ओवैसी फैमिली का कब्जा* हैदराबाद लोकसभा सीट पर पिछले 40 साल से ओवैसी फैमिली का कब्जा है। इस फैमिली के सदस्य ने पहली बार साल 1984 में हैदराबाद लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी। असदुद्दीन ओवैसी के पिता सलाहुद्दीन ओवैसी ने ये जीत हासिल की थी। उसके बाद से लगातार 6 बार उन्होंने इस सीट पर जीत दर्ज की। सलाहुद्दीन ओवैसी साल 1984, साल 1989, साल 1991, साल 1998 और साल 1999 में सांसद चुने गए। इसके बाद उनके बेटे और वर्तमान में AIMIM के अध्यक्ष असदु्द्दीन ओवैसी लगातार 4 बार से इस सीट पर सांसद चुने जा रहे हैं। ओवैसीने साल 2009 में पहली बार हैदराबाद से सांसद चुने गए थे। उसके बाद से साल 2009, साल 2014 और साल 2019 आम चुनाव में ओवैसी सांसद चुने गए। *क्या पांचवी बार जीत दर्ज करेंगे ओवैसी?* 2024 में भी ओवैसी ताल ठोंक रहे हैं। इस बार यदि परिणाम नहीं बदला तो यह उनकी लगातार पांचवी जीत होगी। पिछले दो चुनावों से भाजपा दमदारी से लड़ रही है, मगर हार का अंतर कम नहीं कर पा रही। इस बार उम्मीद के साथ माधवी को उतारा है। चेहरा नया है, लेकिन पहचान पुरानी। माधवी प्रखर हिंदू नेता के साथ सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जानी जाती हैं। गौशाला चलाती हैं। स्लम बस्तियों की मुस्लिम महिलाओं के सुख-दुख में खड़ी रहती हैं। आर्थिक सहायता दिलाती हैं। सनातन की प्रखर वक्ता हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं।

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Apr 27 2024, 11:44

खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह लड़ेगा लोकसभा चुनाव, मां ने किया कंफर्म, इस सीट से ठोकेगा ताल*
#khalistani_separatist_amritpal_singh_contest_elections
खालिस्तानी समर्थक अलगाववादी और वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह खडूर साहिब लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ेगा। यह बात उनकी मां बलविंदर कौर ने कही। अमृतपाल सिंह की मां ने यह भी दावा किया कि उन पर चुनाव लड़ने के लिए दबाव डाला जा रहा है। मां बलविंदर ने कहा कि यह चुनाव वह किसी भी पार्टी के मंच पर नहीं लड़ेगा। सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेगा। खालिस्तानी समर्थक नेता फिलहाल असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं। *अमृतपाल पर चुनाव लड़ने के लिए दबाव?* न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार अमृतपाल की मां बलविंदर कौर ने खुद उसके चुनाव लड़ने पर मुहर लगाई है। सिंह की मां बलविंदर ने दावा किया कि उन पर चुनाव लड़ने के लिए दबाव डाला जा रहा था। इसी क्रम में अब अमृतपाल खडूर साहिब सीट से राजनीतिक पारी की शुरुआत करेगा। मां बलविंदर ने कहा कि यह चुनाव वह किसी भी पार्टी के मंच पर नहीं लड़ेगा। सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेगा। उन्होंने कहा कि अमृतपाल पंजाब के मुद्दों को अच्छी तरह से जानता है और ये चुनाव उन्हीं मुद्दों पर लड़ा जाएगा। *अमृतपाल की मां ने लगाया गंभीर आरोप* इस दौरान अमृतपाल की मां ने आरोप लगाया कि अमृतपाल के पिता और चाचा जेल में मिलने गये थे, तो एजंसियों की मौजूदगी में बात भी नहीं हो सकी क्योंकि एजंसियां नहीं चाहतीं कि अमृतपाल चुनाव लड़े। मां ने दावा किया कि एजेंसियों को इस बात का डर है कि सरकार के ज़ुल्म और अन्याय की कहानियां दूसरे देशों तक भी पहुंचेंगी। अमृतपाल को लेकर ये खबर तब आ रही है जब, सिंह के पिता तरसेम सिंह द्वारा उनके लोकसभा चुनाव लड़ने की खबरों को खारिज करने के एक दिन बाद आई है। तरसेम सिंह ने कहा था कि अभी तक कुछ भी पुष्टि नहीं हुई है और चुनाव लड़ने का निर्णय स्थानीय लोगों का होना चाहिए और अगर लोग चाहेंगे तो अमृतपाल सिंह चुनाव लड़ेगा। तरसेम सिंह ने गुरुवार को डिब्रूगढ़ जेल में अपने बेटे के साथ एक संक्षिप्त मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि यह फैसला हमारा नहीं बल्कि स्थानीय जनता का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमृतपाल की चुनाव लड़ने की कोई इच्छा नहीं है, लेकिन अगर लोग चाहेंगे तो वह चुनाव लड़ेगा।

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Apr 26 2024, 20:19

*দ্বিতীয় ধাপের ভোট শেষ, বাংলায় বিকেল ৫টা পর্যন্ত ৭২ শতাংশ ভোট, ইউপি-বিহারে ৫৩ শতাংশ ভোট*
#lok_sabha_election_2024_phase_2_voting
এসবি নিউজ ব্যুরো: আজ 13টি রাজ্য ও কেন্দ্রশাসিত অঞ্চলের 88টি আসনে 18 তম লোকসভা নির্বাচনের দ্বিতীয় ধাপের ভোটের সময় সন্ধ্যা 6 টায় শেষ হয়েছে। বিকাল ৫টা পর্যন্ত ত্রিপুরায় সব থেকে বেশী ভোট পড়েছে,৭৬.২৩% । সবচেয়ে কম ভোট পড়েছে মহারাষ্ট্র, বিহার এবং উত্তর প্রদেশে প্রায় ৫৩%।নির্বাচনের জন্য দ্বিতীয় দফার ভোটে, কেরালার 20টি আসন, কর্ণাটকের 28টি আসনের মধ্যে 14টি আসন, রাজস্থানের 13টি আসন, মহারাষ্ট্র ও উত্তর প্রদেশের প্রতিটি করে 8টি আসন, মধ্যপ্রদেশের 6টি আসন এবং 5 টি আসন
*বিকাল ৫টা পর্যন্ত ভোটের হার* বিকাল ৫টা পর্যন্ত রাজ্যে ভোটের হার আসাম 70.66, বিহার 53.03, ছত্তিশগড় 72.13, জম্মু কাশ্মীর 67.22, কর্ণাটক 63.90 ,কেরালা 63.97, মধ্যপ্রদেশ 54.58, মহারাষ্ট্র 53.51 ,মণিপুর 76.06 রাজস্থান 59.19 ,ত্রিপুরা 76.23, ইউপি 52.64 পশ্চিমবঙ্গ 71.84।

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Apr 26 2024, 19:15

दूसरे चरण की वोटिंग खत्म, बंगाल में 5 बजे तक 72 फीसदी वोटिंग, यूपी-बिहार में 53 प्रतिशत मतदान*
#lok_sabha_election_2024_phase_2_voting 18वीं लोकसभा के चुनाव के लिए सेकेंड फेज की 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 88 सीटों पर वोटिंग का समय शाम 6 बजे खत्म हो गया। 5 बजे तक त्रिपुरा में सबसे ज्यादा करीब 76.23% वोटिंग हुई। महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश मे सबसे कम 53% के आसपास मतदान हुआ। आम चुनाव के लिए दूसरे दौर के मतदान में केरल की सभी 20 सीटों, कर्नाटक की 28 सीटों में से 14 सीटों, राजस्थान की 13 सीटों, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की आठ-आठ सीटों, मध्य प्रदेश की छह सीटों और पांच-पांच सीटों पर मतदान हुआ। *शाम पांच बजे तक का मतदान प्रतिशत* राज्य शाम पांच बजे तक मतदान % असम 70.66 बिहार 53.03 छत्तीसगढ़ 72.13 जम्मू् कश्मीर 67.22 कर्नाटक 63.90 केरल 63.97 मध्य प्रदेश 54.58 महाराष्ट्र 53.51 मणिपुर 76.06 राजस्थान 59.19 त्रिपुरा 76.23 यूपी 52.64 पश्चिम बंगाल 71.84

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Apr 26 2024, 19:14

दूसरे चरण की वोटिंग खत्म, बंगाल में 5 बजे तक 72 फीसदी वोटिंग, यूपी-बिहार में 53 प्रतिशत मतदान

#loksabhaelection2024phase2voting

18वीं लोकसभा के चुनाव के लिए सेकेंड फेज की 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 88 सीटों पर वोटिंग का समय शाम 6 बजे खत्म हो गया। 5 बजे तक त्रिपुरा में सबसे ज्यादा करीब 76.23% वोटिंग हुई। महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश मे सबसे कम 53% के आसपास मतदान हुआ। आम चुनाव के लिए दूसरे दौर के मतदान में केरल की सभी 20 सीटों, कर्नाटक की 28 सीटों में से 14 सीटों, राजस्थान की 13 सीटों, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की आठ-आठ सीटों, मध्य प्रदेश की छह सीटों और पांच-पांच सीटों पर मतदान हुआ।

शाम पांच बजे तक का मतदान प्रतिशत

 

राज्य शाम पांच बजे तक मतदान %   

असम 70.66

बिहार 53.03

छत्तीसगढ़ 72.13

जम्मू् कश्मीर 67.22

कर्नाटक 63.90

केरल 63.97

मध्य प्रदेश 54.58

महाराष्ट्र 53.51

मणिपुर 76.06

राजस्थान 59.19

त्रिपुरा 76.23

यूपी 52.64

पश्चिम बंगाल 71.84

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Apr 25 2024, 16:14

कांग्रेस इस सीट पर कांग्रेस का रहा है दबदबा, कंगना रनौत के आने से दिलचस्प हुआ मुकाबला, जानिए मंडी सीट का सियासी समीकरण*
#election_2024_mandi_lok_sabha_constituency_history *मंडी सीट पर ठाकुर-ब्राह्मण उम्मीदवारों का है दबदबा* *ज्यादातर बार राजपूत और ब्राह्मण सांसद ही चुने गए* *ठाकुर और ब्राह्मण जाति के उम्मीदवारों पर पर लगा दांव* *मंडी में राज परिवार और स्टारडम के बीच मुकाबला* हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट चर्चा में है। इस सीट से बीजेपी ने बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को मैदान में उतारा है। जिसने इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प कर दिया है। फिल्म अभिनेत्री और फिल्मी क्वीन कंगना रनौत ने हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से पहली बार सियासत में कदम रखा है। उनके सामने हिमाचल प्रदेश के शाही परिवार से संबंध रखने वाले विक्रमादित्य सिंह को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है। विक्रमादित्य सिंह हिमाचल प्रदेश के पू्र्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे हैं। दोनों प्रत्याशियों की वजह से मंडी सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है। हिमाचल की चार लोकसभा सीटों में से मंडी सीट पर हर किसी की नजर है। इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलती है। इस लोकसभा सीट पर 1951 से अब तक 17 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं जिसमें से 11 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है जबकि 5 बार ये सीट बीजेपी के पास गई है। मंडी लोकसभा सीट हिमाचल प्रदेश की चार लोकसभा सीटों में से एक है। 12 लाख मतदाताओं की आबादी वाले इस जिले में 17 विधानसभा क्षेत्र हैं। ये सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है, लेकिन 2014 और 2019 में मोदी लहर में ये सीट बीजेपी के पाले में गई थी। मंडी लोकसभा सीट में राजपूत वोटरों की संख्या सबसे अधिक है। इस सीट पर राजपूत और ब्राह्मण नेताओं का दबदबा रहा है। पहले लोकसभा चुनाव में एससी उम्मीदवार के रूप में गोपी राम की जीत को छोड़ दें तो अब तक हर सांसद राजपूत या ब्राह्मण रहा है। कुछ मौके ऐसे भी आए जब दो राजपूत चेहरे आमने-सामने थे। 6 जिलों में फैले मंडी संसदीय क्षेत्र में अभी तक दोनों ही दलों ने ठाकुर और ब्राह्मण जाति के उम्मीदवारों पर ही दांव लगाया है। कंगना रनौत भी राजपूत बिरादरी से आती है। बीजेपी ने जातिय समिकरण को साधने के कंगना को मैदान में उतारा है। हालांकि, यहां पर अनुसूचित जाति के मतदाता काफी अधिक है। लेकिन उसके बावजूद भी कांग्रेस और भाजपा द्वारा मंडी संसदीय क्षेत्र से ब्राह्मण या ठाकुर जाति के लोगों को ही चुनावी मैदान में उतारा जाता है। मंडी संसदीय क्षेत्र में अगर कुल मतदाताओं की बात करें तो यहां पर 13 लाख 59 हजार मतदाता है। जिनमे 6 लाख 90 हजार पुरुष और 6 लाख 68 हजार महिलाएं शामिल हैं। जातीय समीकरण की अगर बात करे तो अनुसूचित जाति के यहां पर 29.85 प्रतिशत वोट है। जबकि ब्राह्मण वोट 21.4 प्रतिशत है। ठाकुर जाति के वोट यहां पर 33.6 फ़ीसदी है। मंडी जिले में 10 विधानसभा सीटें आती है। 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां बीजेपी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था। मंडी की 10 में से 9 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया था। प्रदेश की 68 सीटों में से सिर्फ 25 सीटें जीतने वाली बीजेपी ने 9 सीटें तो मंडी से जीती थी। ये भी एक वजह है कि बीजेपी के लिए सबसे सेफ लोकसभा सीट से कंगना रनौत टिकट दिया है। पार्टी को उम्मीद है कि इस सीट को बीजेपी आसानी से जीत जाएगी।

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Apr 25 2024, 13:40

पीएम मोदी और राहुल गांधी के बयानों पर चुनाव आयोग ने भेजा नोटिस, 29 अप्रैल तक मांगा जवाब*
#election_commission_sent_notice_to_pm_modi_and_rahul_gandhi * लोकसभा चुनाव को लेकर देश का सियासी पारा हाई है। नेताओं की बयानबाजियों का दौर जारी है। आचार संहिता के उल्लंघन के आरोपों पर चुनाव आयोग ने पीएम मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भाषणों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया है। चुनाव आयोग ने 29 अप्रैल सुबह 11 बजे तक दोनों पार्टियों से जवाब मांगा है।चुनाव आयोग ने ये नोटिस कांग्रेस और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजे हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवारों, विशेषकर स्टार प्रचारकों के आचरण की प्राथमिक जिम्मेदारी लेनी होगी। उच्च पदों पर बैठे लोगों के प्रचार भाषणों के अधिक गंभीर परिणाम होते हैं। नोटिस में कहा गया है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77 के तहत ‘स्टार प्रचारक’ का दर्जा देना वैधानिक रूप से पूरी तरह से राजनीतिक दलों के दायरे में आता है और स्टार प्रचारकों से भाषणों की उच्च गुणवत्ता में योगदान करने की उम्मीद की जाती है। चुनाव आयोग ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 77 को लागू किया और पार्टी अध्यक्षों को जिम्मेदार ठहराया। इसके तहत पहले कदम के रूप में प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघनों के आरोपों का जवाब क्रमश: बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मांगा गया है। इसमें उनसे कहा गया है कि वे 29 अप्रैल तक जवाब दें और अपने स्टार प्रचारकों को आचार संहिता का पालन करने को कहें। आयोग ने कहा है कि राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवारों, विशेषकर स्टार प्रचारकों के आचरण की प्राथमिक और बढ़ती जिम्मेदारी लेनी होगी। चुनाव आयोग का कहना है कि उच्च पदों पर बैठे लोगों के प्रचार भाषणों के अधिक गंभीर परिणाम होते हैं। इसने कहा है कि स्टार प्रचारकों को अपने जरिए दिए जाने वाले भाषणों के लिए खुद तो जिम्मेदार होना ही होगा। मगर विवादित भाषणों के मामले में चुनाव आयोग पार्टी के प्रमुखों से हर मामले पर जवाब मांगेगा। बता दें कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर कांग्रेस की सरकार आई तो वह देश की संपत्ति को घुपैठिए और जिनके अधिक बच्चे हैं उनके बीच बांट सकती है। पीएम मोदी के इस बयान के बाद कांग्रेस हमलावर हो गई। उसका कहना है कि प्रधानमंत्री हिंदू-मुस्लिम करने लग गए हैं। साथ ही साथ उसने चुनाव आयोग से इस मसले पर एक्शन लेने की मांग की थी।

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Apr 25 2024, 11:17

प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी की जांच कर रहा चुनाव आयोग, जानें क्या है मामला*
#election_commission_begins_investigation_into_complaints_against_pm_modi * चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजस्थान में दिए गए भाषण के खिलाफ दर्ज शिकायतों पर जांच शुरू कर दी है। कांग्रेस और मार्क्सवादी कांग्रेस पार्टी (माकपा) ने पीएम के बयान को लेकर चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया था। कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने मोदी के भाषण को लेकर आयोग को अलग-अलग शिकायतें दी थीं। इसमें पीएम मोदी ने आरोप लगाया था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो वह लोगों की संपत्ति को मुस्लिमों को बांट देगी। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी की ओर से दिए गए बयान के बाद कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन की पार्टियां लामबंद होकर चुनाव आयोग के पास पहुंच गई थी। पार्टियों ने पीएम के बयान को लेकर चुनाव आयोग में अपनी शिकायत दर्ज कराई और एक्शन की मांग की। सूत्रों के मुताबिक, अब चुनाव आयोग उन शिकायतों की पड़ताल शुरू कर दी है। *क्या कहा था पीएम मोदी ने?* मोदी ने रविवार को कहा था कि कांग्रेस सत्ता में आई तो संपत्ति को मुसलमानों में बांटेगी। उन्होंने अपने इस दावे के लिए पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की इस टिप्पणी का हवाला दिया था कि देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यक समुदाय का है। कांग्रेस ने आयोग से मोदी की इन टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी और कहा था कि ये टिप्पणियां विभाजनकारी और दुर्भावनापूर्ण हैं। ये एक विशेष धार्मिक समुदाय को टारगेट करती हैं। कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि यह चुनाव आयोग का भी परीक्षण है। उनका कहना था कि आयोग निष्क्रियता की एक मिसाल कायम करके अपनी विरासत को धूमिल करने का जोखिम उठा रहा है और अपने संवैधानिक कर्तव्य को त्याग रहा है।

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May 03 2024, 18:44

क्या चुनाव में केजरीवाल को मिलेगी राहत? सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत पर कही बड़ी बात

#will_kejriwal_get_interim_bail_for_lok_sabha_elections

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई के संकेत दिए हैं। दरअसल, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि केस लंबा चलेगा ऐसे में अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर विचार कर सकते हैं। बता दें अब इस मामले में कोर्ट 7 मई को सुबह 10.30 मिनट पर सुनवाई करेगा।

कोर्ट ने इस मामले में बीते सोमवार और मंगलवार को सुनवाई की थी। जिसमें कोर्ट ने ईडी से अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर सवाल पूछे थे आज ईडी उन्हीं सवालों का जवाब सुप्रीम कोर्ट को देना था। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू को बताया कि गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई में समय लगने की संभावना है। बेंच ने कहा कि इसलिए अदालत अंतरिम जमानत पर जांच एजेंसी का पक्ष सुनने पर विचार कर रही है। इस पर राजू ने कहा कि वह केजरीवाल की अंतरिम जमानत का विरोध करेंगे। बेंच ने कहा, "हम कह रहे हैं कि हम अंतरिम जमानत पर सुनवाई करेंगे और यह नहीं कह रहे हैं कि हम अंतरिम जमानत देंगे। हम अंतरिम जमानत दे भी सकते हैं और नहीं भी।" 

सुनवाई के शुरुआत में अरविंद केजरीवाल के वकील मनु सिंघवी ने कहा कि ईडी की तरफ से 16 मार्च को आखिरी समन आया था। जिसके लिए मुझे 21 मार्च को पेश होना था। ऐसे में 16 मार्च तक मैं आरोपी या दोषी नहीं था फिर अचानक से क्या बदल गया? जिस पर कोर्ट ने जवाब दिया कि जब तक आप गिरफ्तार नहीं होते तब तक आप आरोपी नहीं हैं।फिर सिंघवी के कहा कि जिन सबूतों के आधार पर केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया वो 2023 से भी पहले के हैं उन्हीं सबूतों को आधार बनाकर मनीष सिसोदिया को भी गिरफ्तार किया था। सिंघवी ने आगे कहा कि सेक्शन 70 PMLA किसी राजनीतिक दल द्वारा किए कि किसी भी काम के लिए उसके अध्यक्ष को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने आज कहा कि वह अंतरिम जमानत याचिका पर मंगलवार (7 मई) को सुनवाई करेगी और केंद्रीय एजेंसी और केजरीवाल के वकील को तैयार रहने को कहा। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने दोनों पक्षों को सचेत करते हुए कहा कि वे यह न मानें कि अदालत जमानत दे देगी। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से संभावित समाधान पेश करने को कहा। अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री को अंतरिम जमानत दी जाती है तो केजरीवाल पर शर्तें लगाई जाएंगी। अदालत ने ईडी से यह भी विचार करने को कहा कि क्या केजरीवाल को मुख्यमंत्री के रूप में अपनी स्थिति को ध्यान में रखते हुए किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर करना चाहिए।

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May 03 2024, 16:29

प्रियंका तो कोई भी उपचुनाव लड़कर सदन पहुंच जाएगी', जयराम रमेश बोले- शतरंज की कुछ चालें बाकी हैं..., जानें इन बातों का मतलब

#priyanka_gandhi_will_reach_house_by_contesting_any_by_election_congress_said

लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस की ओर से रायबरेली से राहुल गांधी चुनावी मैदान में नजर आएंगे। राहुल गांधी ने आज रायबरेली से अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया। इसके साथ ही प्रियंका गांधी वाड्रा के भी चुनावी मैदान में उतरने की अफवाहों पर भी विराम लग गया। दरअसल, पहले चर्चा थी कि अमेठी से राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे और रायबरेली से प्रियंका गांधी चुनावी मैदान में उतर सकती हैं।हालांकि, पार्टी ने अचानक रणनीति बदली और दोनों सीटों पर नए चेहरे उतारने का फैसला लिया। कांग्रेस ने ये रणनीति हार के डर से नहीं, बल्कि काफी सोच विचार कर बनाई है। कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश की प्रतिक्रिया से ये बात साफ जाहिर हो रही है।

कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, “राहुल गांधी जी की रायबरेली से चुनाव लड़ने की खबर पर बहुत सारे लोगों की बहुत सारी राय हैं। लेकिन वह राजनीति और शतरंज के मंजे हुए खिलाड़ी हैं और सोच समझ कर दांव चलते हैं। ऐसा निर्णय पार्टी के नेतृत्व ने बहुत विचार विमर्श करके बड़ी रणनीति के तहत लिया है। इस निर्णय से BJP, उनके समर्थक और चापलूस धराशायी हो गये हैं। बेचारे स्वयंभू चाणक्य जो परंपरागत सीट की बात करते थे, उनको समझ नहीं आ रहा अब क्या करें?

अपने पोस्ट में जयराम ने आगे लिखा, “रायबरेली सिर्फ़ सोनिया जी की नहीं, ख़ुद इंदिरा गांधी जी की सीट रही है। यह विरासत नहीं ज़िम्मेदारी है, कर्तव्य है। रही बात गांधी परिवार के गढ़ की, तो अमेठी-रायबरेली ही नहीं, उत्तर से दक्षिण तक पूरा देश गांधी परिवार का गढ़ है। राहुल गांधी तो तीन बार उत्तरप्रदेश से और एक बार केरल से सांसद बन गये, लेकिन मोदी जी विंध्याचल से नीचे जाकर चुनाव लड़ने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पाये? एक बात और साफ़ है कि कांग्रेस परिवार लाखों कार्यकर्ताओं की अपेक्षाओं उनकी आकांक्षाओं का परिवार है। कांग्रेस का एक साधारण कार्यकर्ता ही बड़े बड़ों पर भारी है। कल एक मूर्धन्य पत्रकार अमेठी के किसी कार्यकर्ता से व्यंग में कह रही थी कि आप लोगों का नंबर कब आएगा टिकट मिलने का? लीजिए, आ गया! कांग्रेस का एक आम कार्यकर्ता अमेठी में BJP का भ्रम और दंभ दोनों तोड़ेगा।“

जयराम रमेश ने अपने पोस्ट में कहा, “प्रियंका जी धुआँधार प्रचार कर रही हैं और अकेली नरेंद्र मोदी के हर झूठ का जवाब सच से देकर उनकी बोलती बंद कर रही हैं। इसीलिए यह ज़रूरी था कि उन्हें सिर्फ़ अपने चुनाव क्षेत्र तक सीमित ना रखा जाए। प्रियंका जी तो कोई भी उपचुनाव लड़कर सदन पहुँच जायेंगी। आज स्मृति ईरानी की सिर्फ़ यही पहचान है कि वो राहुल गांधी के ख़िलाफ़ अमेठी से चुनाव लड़ती हैं। अब स्मृति ईरानी से वो शोहरत भी छिन गई। अब बजाय व्यर्थ की बयानबाज़ी के, स्मृति ईरानी स्थानीय विकास के बारे में जवाब दें, जो बंद किए अस्पताल, स्टील प्लांट और IIIT हैं – उसपर जवाब देना होगा। शतरंज की कुछ चालें बाक़ी हैं, थोड़ा इंतज़ार कीजिए।”

2019 के लोकसभा चुनावों के पहले तक उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली की सीटें कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थीं। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनावों में रायबरेली ही एक ऐसी सीट थी, जिसे कांग्रेस ने यूपी में जीता था। बीजेपी की आंधी में भी रायबरेली का गढ़ सुरक्षित रहा था, ऐसे में कांग्रेस को लग रहा होगा कि इस बार भी राहुल की उम्मीदवारी से उन्हें फायदा हो सकता है। कांग्रेस को उम्मीद है कि गांधी परिवार के नाम पर, और वह भी राहुल गांधी के नाम पर, रायबरेली की जनता जरूर अपना समर्थन देगी।वहीं, राहुल अगर केरल के वायनाड और रायबरेली दोनों से जीते जाते हैं, तो जो सीट वो छोड़ेंगे वहां से प्रियंका गांधी उपचुनाव लड़ सकती हैं।

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May 01 2024, 20:09

*ओवैसी ही रहेंगे या बदलेगा हैदराबाद का “निजाम”, जानें इस सीट का सियासी इतिहास*
#lok_sabha_elections_2024_hyderabad_lok_sabha_seat_history
*निज़ामों का नगर हैदराबाद* *मोतियों के लिए है मशहूर* *1984 से AIMIM का है गढ़* *40 साल से ओवैसी फैमिली का कब्जा* *कुल 17 चुनावों में दस बार ओवैसी परिवार की जीत* *6 बार पिता, 4 बार बेटा बना सांसद* *क्या इस बार टूटेगा “निजामों का किला”* देश में जब लोकसभा चुनाव हो रहे हैं, ऐसे में हैदराबाद सीट का जिक्र अहम हो जाता है। ऐतिहासिक रूप से यह शहर बेहद महत्‍वपूर्ण है, तो वहीं सियासी तौर भी इसकी खासी अहमियत है। हैदराबाद को निज़ामों और मोतियों का शहर भी कहा जाता है। यह भारत के सर्वाधिक विकसित शहरों में से एक है। तेलंगाना की हैदराबाद लोकसभा सीट एक ऐसी सीट है, जिस पर न तो बीआरएस यानी भारत राष्ट्र समिति, न ही कांग्रेस और न ही बीजेपी की दाल गलती है। यहां सिर्फ और सिर्फ AIMIM यानी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन का ही सिक्का चलता है। आजादी के बाद से हैदराबाद में लोकसभा के हुए कुल 17 चुनावों में दस बार ओवैसी परिवार की जीत हुई है। सिर्फ सात बार ही अन्य को मौका मिला है। कांग्रेस को अंतिम जीत 1980 में मिली थी। 1984 में असदुद्दीन के पिता सलाहुद्दीन ओवैसी ने पहली बार कांग्रेस की जीत के सिलसिले पर ब्रेक लगाया था। उसके बाद किसी दल की दाल नहीं गली। लगातार छह चुनाव सलाहुद्दीन ने जीते और असदुद्दीन ने चार चुनाव। *हैदराबाद लोकसभा सीट का इतिहास* हैदराबाद लोकसभा सीट पर पहली बार साल 1952 आम चुनाव में वोटिंग हुई थी। उस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अहमद मोहिउद्दीन ने जीत हासिल की थी। लेकिन साल 1957 आम चुनाव में कांग्रेस ने उम्मीदवार बदल दिया। कांग्रेस ने विनायक राव कोरटकर को मैदान में उतारा और उन्होंने जीत हासिल की। साल 1962 आम चुनाव में कांग्रेस के गोपालैया सुब्बुकृष्ण मेलकोटे ने जीत दर्ज की। मेलकोटे साल 1971 आम चुनाव में भी सांसद चुने गए। लेकिन इस बार मेलकोटे ने कांग्रेस की बजाय तेलंगाना प्रजा समिति के टिकट पर चुनाव लड़ा था। साल 1977 आम चुनाव में कांग्रेस के केएस नारायण को जीत मिली। जबकि साल 1980 आम चुनव में कांग्रेस (आई) के टिकट पर केएस नारायण फिर से सांसद चुने गए। उसके बाद से हैदराबाद लोकसभा सीट से लगातार ओवैसी फैमिली जीत रही है। *पिछले 40 साल से ओवैसी फैमिली का कब्जा* हैदराबाद लोकसभा सीट पर पिछले 40 साल से ओवैसी फैमिली का कब्जा है। इस फैमिली के सदस्य ने पहली बार साल 1984 में हैदराबाद लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी। असदुद्दीन ओवैसी के पिता सलाहुद्दीन ओवैसी ने ये जीत हासिल की थी। उसके बाद से लगातार 6 बार उन्होंने इस सीट पर जीत दर्ज की। सलाहुद्दीन ओवैसी साल 1984, साल 1989, साल 1991, साल 1998 और साल 1999 में सांसद चुने गए। इसके बाद उनके बेटे और वर्तमान में AIMIM के अध्यक्ष असदु्द्दीन ओवैसी लगातार 4 बार से इस सीट पर सांसद चुने जा रहे हैं। ओवैसीने साल 2009 में पहली बार हैदराबाद से सांसद चुने गए थे। उसके बाद से साल 2009, साल 2014 और साल 2019 आम चुनाव में ओवैसी सांसद चुने गए। *क्या पांचवी बार जीत दर्ज करेंगे ओवैसी?* 2024 में भी ओवैसी ताल ठोंक रहे हैं। इस बार यदि परिणाम नहीं बदला तो यह उनकी लगातार पांचवी जीत होगी। पिछले दो चुनावों से भाजपा दमदारी से लड़ रही है, मगर हार का अंतर कम नहीं कर पा रही। इस बार उम्मीद के साथ माधवी को उतारा है। चेहरा नया है, लेकिन पहचान पुरानी। माधवी प्रखर हिंदू नेता के साथ सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जानी जाती हैं। गौशाला चलाती हैं। स्लम बस्तियों की मुस्लिम महिलाओं के सुख-दुख में खड़ी रहती हैं। आर्थिक सहायता दिलाती हैं। सनातन की प्रखर वक्ता हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं।

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Apr 27 2024, 11:44

खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह लड़ेगा लोकसभा चुनाव, मां ने किया कंफर्म, इस सीट से ठोकेगा ताल*
#khalistani_separatist_amritpal_singh_contest_elections
खालिस्तानी समर्थक अलगाववादी और वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह खडूर साहिब लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ेगा। यह बात उनकी मां बलविंदर कौर ने कही। अमृतपाल सिंह की मां ने यह भी दावा किया कि उन पर चुनाव लड़ने के लिए दबाव डाला जा रहा है। मां बलविंदर ने कहा कि यह चुनाव वह किसी भी पार्टी के मंच पर नहीं लड़ेगा। सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेगा। खालिस्तानी समर्थक नेता फिलहाल असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं। *अमृतपाल पर चुनाव लड़ने के लिए दबाव?* न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार अमृतपाल की मां बलविंदर कौर ने खुद उसके चुनाव लड़ने पर मुहर लगाई है। सिंह की मां बलविंदर ने दावा किया कि उन पर चुनाव लड़ने के लिए दबाव डाला जा रहा था। इसी क्रम में अब अमृतपाल खडूर साहिब सीट से राजनीतिक पारी की शुरुआत करेगा। मां बलविंदर ने कहा कि यह चुनाव वह किसी भी पार्टी के मंच पर नहीं लड़ेगा। सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेगा। उन्होंने कहा कि अमृतपाल पंजाब के मुद्दों को अच्छी तरह से जानता है और ये चुनाव उन्हीं मुद्दों पर लड़ा जाएगा। *अमृतपाल की मां ने लगाया गंभीर आरोप* इस दौरान अमृतपाल की मां ने आरोप लगाया कि अमृतपाल के पिता और चाचा जेल में मिलने गये थे, तो एजंसियों की मौजूदगी में बात भी नहीं हो सकी क्योंकि एजंसियां नहीं चाहतीं कि अमृतपाल चुनाव लड़े। मां ने दावा किया कि एजेंसियों को इस बात का डर है कि सरकार के ज़ुल्म और अन्याय की कहानियां दूसरे देशों तक भी पहुंचेंगी। अमृतपाल को लेकर ये खबर तब आ रही है जब, सिंह के पिता तरसेम सिंह द्वारा उनके लोकसभा चुनाव लड़ने की खबरों को खारिज करने के एक दिन बाद आई है। तरसेम सिंह ने कहा था कि अभी तक कुछ भी पुष्टि नहीं हुई है और चुनाव लड़ने का निर्णय स्थानीय लोगों का होना चाहिए और अगर लोग चाहेंगे तो अमृतपाल सिंह चुनाव लड़ेगा। तरसेम सिंह ने गुरुवार को डिब्रूगढ़ जेल में अपने बेटे के साथ एक संक्षिप्त मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि यह फैसला हमारा नहीं बल्कि स्थानीय जनता का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमृतपाल की चुनाव लड़ने की कोई इच्छा नहीं है, लेकिन अगर लोग चाहेंगे तो वह चुनाव लड़ेगा।

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Apr 26 2024, 20:19

*দ্বিতীয় ধাপের ভোট শেষ, বাংলায় বিকেল ৫টা পর্যন্ত ৭২ শতাংশ ভোট, ইউপি-বিহারে ৫৩ শতাংশ ভোট*
#lok_sabha_election_2024_phase_2_voting
এসবি নিউজ ব্যুরো: আজ 13টি রাজ্য ও কেন্দ্রশাসিত অঞ্চলের 88টি আসনে 18 তম লোকসভা নির্বাচনের দ্বিতীয় ধাপের ভোটের সময় সন্ধ্যা 6 টায় শেষ হয়েছে। বিকাল ৫টা পর্যন্ত ত্রিপুরায় সব থেকে বেশী ভোট পড়েছে,৭৬.২৩% । সবচেয়ে কম ভোট পড়েছে মহারাষ্ট্র, বিহার এবং উত্তর প্রদেশে প্রায় ৫৩%।নির্বাচনের জন্য দ্বিতীয় দফার ভোটে, কেরালার 20টি আসন, কর্ণাটকের 28টি আসনের মধ্যে 14টি আসন, রাজস্থানের 13টি আসন, মহারাষ্ট্র ও উত্তর প্রদেশের প্রতিটি করে 8টি আসন, মধ্যপ্রদেশের 6টি আসন এবং 5 টি আসন
*বিকাল ৫টা পর্যন্ত ভোটের হার* বিকাল ৫টা পর্যন্ত রাজ্যে ভোটের হার আসাম 70.66, বিহার 53.03, ছত্তিশগড় 72.13, জম্মু কাশ্মীর 67.22, কর্ণাটক 63.90 ,কেরালা 63.97, মধ্যপ্রদেশ 54.58, মহারাষ্ট্র 53.51 ,মণিপুর 76.06 রাজস্থান 59.19 ,ত্রিপুরা 76.23, ইউপি 52.64 পশ্চিমবঙ্গ 71.84।

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Apr 26 2024, 19:15

दूसरे चरण की वोटिंग खत्म, बंगाल में 5 बजे तक 72 फीसदी वोटिंग, यूपी-बिहार में 53 प्रतिशत मतदान*
#lok_sabha_election_2024_phase_2_voting 18वीं लोकसभा के चुनाव के लिए सेकेंड फेज की 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 88 सीटों पर वोटिंग का समय शाम 6 बजे खत्म हो गया। 5 बजे तक त्रिपुरा में सबसे ज्यादा करीब 76.23% वोटिंग हुई। महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश मे सबसे कम 53% के आसपास मतदान हुआ। आम चुनाव के लिए दूसरे दौर के मतदान में केरल की सभी 20 सीटों, कर्नाटक की 28 सीटों में से 14 सीटों, राजस्थान की 13 सीटों, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की आठ-आठ सीटों, मध्य प्रदेश की छह सीटों और पांच-पांच सीटों पर मतदान हुआ। *शाम पांच बजे तक का मतदान प्रतिशत* राज्य शाम पांच बजे तक मतदान % असम 70.66 बिहार 53.03 छत्तीसगढ़ 72.13 जम्मू् कश्मीर 67.22 कर्नाटक 63.90 केरल 63.97 मध्य प्रदेश 54.58 महाराष्ट्र 53.51 मणिपुर 76.06 राजस्थान 59.19 त्रिपुरा 76.23 यूपी 52.64 पश्चिम बंगाल 71.84

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Apr 26 2024, 19:14

दूसरे चरण की वोटिंग खत्म, बंगाल में 5 बजे तक 72 फीसदी वोटिंग, यूपी-बिहार में 53 प्रतिशत मतदान

#loksabhaelection2024phase2voting

18वीं लोकसभा के चुनाव के लिए सेकेंड फेज की 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 88 सीटों पर वोटिंग का समय शाम 6 बजे खत्म हो गया। 5 बजे तक त्रिपुरा में सबसे ज्यादा करीब 76.23% वोटिंग हुई। महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश मे सबसे कम 53% के आसपास मतदान हुआ। आम चुनाव के लिए दूसरे दौर के मतदान में केरल की सभी 20 सीटों, कर्नाटक की 28 सीटों में से 14 सीटों, राजस्थान की 13 सीटों, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की आठ-आठ सीटों, मध्य प्रदेश की छह सीटों और पांच-पांच सीटों पर मतदान हुआ।

शाम पांच बजे तक का मतदान प्रतिशत

 

राज्य शाम पांच बजे तक मतदान %   

असम 70.66

बिहार 53.03

छत्तीसगढ़ 72.13

जम्मू् कश्मीर 67.22

कर्नाटक 63.90

केरल 63.97

मध्य प्रदेश 54.58

महाराष्ट्र 53.51

मणिपुर 76.06

राजस्थान 59.19

त्रिपुरा 76.23

यूपी 52.64

पश्चिम बंगाल 71.84

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Apr 25 2024, 16:14

कांग्रेस इस सीट पर कांग्रेस का रहा है दबदबा, कंगना रनौत के आने से दिलचस्प हुआ मुकाबला, जानिए मंडी सीट का सियासी समीकरण*
#election_2024_mandi_lok_sabha_constituency_history *मंडी सीट पर ठाकुर-ब्राह्मण उम्मीदवारों का है दबदबा* *ज्यादातर बार राजपूत और ब्राह्मण सांसद ही चुने गए* *ठाकुर और ब्राह्मण जाति के उम्मीदवारों पर पर लगा दांव* *मंडी में राज परिवार और स्टारडम के बीच मुकाबला* हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट चर्चा में है। इस सीट से बीजेपी ने बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को मैदान में उतारा है। जिसने इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प कर दिया है। फिल्म अभिनेत्री और फिल्मी क्वीन कंगना रनौत ने हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से पहली बार सियासत में कदम रखा है। उनके सामने हिमाचल प्रदेश के शाही परिवार से संबंध रखने वाले विक्रमादित्य सिंह को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है। विक्रमादित्य सिंह हिमाचल प्रदेश के पू्र्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे हैं। दोनों प्रत्याशियों की वजह से मंडी सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है। हिमाचल की चार लोकसभा सीटों में से मंडी सीट पर हर किसी की नजर है। इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलती है। इस लोकसभा सीट पर 1951 से अब तक 17 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं जिसमें से 11 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है जबकि 5 बार ये सीट बीजेपी के पास गई है। मंडी लोकसभा सीट हिमाचल प्रदेश की चार लोकसभा सीटों में से एक है। 12 लाख मतदाताओं की आबादी वाले इस जिले में 17 विधानसभा क्षेत्र हैं। ये सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है, लेकिन 2014 और 2019 में मोदी लहर में ये सीट बीजेपी के पाले में गई थी। मंडी लोकसभा सीट में राजपूत वोटरों की संख्या सबसे अधिक है। इस सीट पर राजपूत और ब्राह्मण नेताओं का दबदबा रहा है। पहले लोकसभा चुनाव में एससी उम्मीदवार के रूप में गोपी राम की जीत को छोड़ दें तो अब तक हर सांसद राजपूत या ब्राह्मण रहा है। कुछ मौके ऐसे भी आए जब दो राजपूत चेहरे आमने-सामने थे। 6 जिलों में फैले मंडी संसदीय क्षेत्र में अभी तक दोनों ही दलों ने ठाकुर और ब्राह्मण जाति के उम्मीदवारों पर ही दांव लगाया है। कंगना रनौत भी राजपूत बिरादरी से आती है। बीजेपी ने जातिय समिकरण को साधने के कंगना को मैदान में उतारा है। हालांकि, यहां पर अनुसूचित जाति के मतदाता काफी अधिक है। लेकिन उसके बावजूद भी कांग्रेस और भाजपा द्वारा मंडी संसदीय क्षेत्र से ब्राह्मण या ठाकुर जाति के लोगों को ही चुनावी मैदान में उतारा जाता है। मंडी संसदीय क्षेत्र में अगर कुल मतदाताओं की बात करें तो यहां पर 13 लाख 59 हजार मतदाता है। जिनमे 6 लाख 90 हजार पुरुष और 6 लाख 68 हजार महिलाएं शामिल हैं। जातीय समीकरण की अगर बात करे तो अनुसूचित जाति के यहां पर 29.85 प्रतिशत वोट है। जबकि ब्राह्मण वोट 21.4 प्रतिशत है। ठाकुर जाति के वोट यहां पर 33.6 फ़ीसदी है। मंडी जिले में 10 विधानसभा सीटें आती है। 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां बीजेपी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था। मंडी की 10 में से 9 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया था। प्रदेश की 68 सीटों में से सिर्फ 25 सीटें जीतने वाली बीजेपी ने 9 सीटें तो मंडी से जीती थी। ये भी एक वजह है कि बीजेपी के लिए सबसे सेफ लोकसभा सीट से कंगना रनौत टिकट दिया है। पार्टी को उम्मीद है कि इस सीट को बीजेपी आसानी से जीत जाएगी।

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Apr 25 2024, 13:40

पीएम मोदी और राहुल गांधी के बयानों पर चुनाव आयोग ने भेजा नोटिस, 29 अप्रैल तक मांगा जवाब*
#election_commission_sent_notice_to_pm_modi_and_rahul_gandhi * लोकसभा चुनाव को लेकर देश का सियासी पारा हाई है। नेताओं की बयानबाजियों का दौर जारी है। आचार संहिता के उल्लंघन के आरोपों पर चुनाव आयोग ने पीएम मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भाषणों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया है। चुनाव आयोग ने 29 अप्रैल सुबह 11 बजे तक दोनों पार्टियों से जवाब मांगा है।चुनाव आयोग ने ये नोटिस कांग्रेस और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजे हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवारों, विशेषकर स्टार प्रचारकों के आचरण की प्राथमिक जिम्मेदारी लेनी होगी। उच्च पदों पर बैठे लोगों के प्रचार भाषणों के अधिक गंभीर परिणाम होते हैं। नोटिस में कहा गया है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77 के तहत ‘स्टार प्रचारक’ का दर्जा देना वैधानिक रूप से पूरी तरह से राजनीतिक दलों के दायरे में आता है और स्टार प्रचारकों से भाषणों की उच्च गुणवत्ता में योगदान करने की उम्मीद की जाती है। चुनाव आयोग ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 77 को लागू किया और पार्टी अध्यक्षों को जिम्मेदार ठहराया। इसके तहत पहले कदम के रूप में प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघनों के आरोपों का जवाब क्रमश: बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मांगा गया है। इसमें उनसे कहा गया है कि वे 29 अप्रैल तक जवाब दें और अपने स्टार प्रचारकों को आचार संहिता का पालन करने को कहें। आयोग ने कहा है कि राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवारों, विशेषकर स्टार प्रचारकों के आचरण की प्राथमिक और बढ़ती जिम्मेदारी लेनी होगी। चुनाव आयोग का कहना है कि उच्च पदों पर बैठे लोगों के प्रचार भाषणों के अधिक गंभीर परिणाम होते हैं। इसने कहा है कि स्टार प्रचारकों को अपने जरिए दिए जाने वाले भाषणों के लिए खुद तो जिम्मेदार होना ही होगा। मगर विवादित भाषणों के मामले में चुनाव आयोग पार्टी के प्रमुखों से हर मामले पर जवाब मांगेगा। बता दें कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर कांग्रेस की सरकार आई तो वह देश की संपत्ति को घुपैठिए और जिनके अधिक बच्चे हैं उनके बीच बांट सकती है। पीएम मोदी के इस बयान के बाद कांग्रेस हमलावर हो गई। उसका कहना है कि प्रधानमंत्री हिंदू-मुस्लिम करने लग गए हैं। साथ ही साथ उसने चुनाव आयोग से इस मसले पर एक्शन लेने की मांग की थी।

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Apr 25 2024, 11:17

प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी की जांच कर रहा चुनाव आयोग, जानें क्या है मामला*
#election_commission_begins_investigation_into_complaints_against_pm_modi * चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजस्थान में दिए गए भाषण के खिलाफ दर्ज शिकायतों पर जांच शुरू कर दी है। कांग्रेस और मार्क्सवादी कांग्रेस पार्टी (माकपा) ने पीएम के बयान को लेकर चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया था। कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने मोदी के भाषण को लेकर आयोग को अलग-अलग शिकायतें दी थीं। इसमें पीएम मोदी ने आरोप लगाया था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो वह लोगों की संपत्ति को मुस्लिमों को बांट देगी। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी की ओर से दिए गए बयान के बाद कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन की पार्टियां लामबंद होकर चुनाव आयोग के पास पहुंच गई थी। पार्टियों ने पीएम के बयान को लेकर चुनाव आयोग में अपनी शिकायत दर्ज कराई और एक्शन की मांग की। सूत्रों के मुताबिक, अब चुनाव आयोग उन शिकायतों की पड़ताल शुरू कर दी है। *क्या कहा था पीएम मोदी ने?* मोदी ने रविवार को कहा था कि कांग्रेस सत्ता में आई तो संपत्ति को मुसलमानों में बांटेगी। उन्होंने अपने इस दावे के लिए पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की इस टिप्पणी का हवाला दिया था कि देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यक समुदाय का है। कांग्रेस ने आयोग से मोदी की इन टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी और कहा था कि ये टिप्पणियां विभाजनकारी और दुर्भावनापूर्ण हैं। ये एक विशेष धार्मिक समुदाय को टारगेट करती हैं। कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि यह चुनाव आयोग का भी परीक्षण है। उनका कहना था कि आयोग निष्क्रियता की एक मिसाल कायम करके अपनी विरासत को धूमिल करने का जोखिम उठा रहा है और अपने संवैधानिक कर्तव्य को त्याग रहा है।