कंगना रनौत का कैसा बयान? कांग्रेस को बताया अंग्रेजों की भूली-बिसरी औलाद

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हिमाचल प्रदेश के मंडी संसदीय क्षेत्र की सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है।कंगना रनौत ने कहा कि भाजपा सनातनी संस्कृति से जुड़ी हुई है। वहीं, कांग्रेस अंग्रेजों की भूली-बिसरी औलाद है। कांग्रेस की विचारधारा चोर-चोर मौसेरे भाई जैसी है। जहां भी कांग्रेस के नेता मिलते हैं, वहां चोर इक्ट्ठा हो जाते हैं और डाकुओं का गैंग बन जाती है।

कांग्रेस पाकिस्तान के साथ मिली हुई-कंगना

कंगना सुंदरनगर विधानसभा क्षेत्र के कांगू में एक जनसभा को संबोधित कर रहीं थी। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेत्री अल्का लांबा ने महिलाओं से बड़े-बड़े वायदे किए थे, लेकिन कांग्रेस झूठी और मक्कार होने के कारण झूठ बोलकर चली गई। कंगना रनौत ने कांग्रेस पर हमला जारी रखते हुए कहा कि कांग्रेस पाकिस्तान के साथ मिली हुई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा आम लोगों को डराकर रखा। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस कार्यकाल में पार्लियामेंट और जगह-जगह आतंकवादी हमले करवाए गए। अब देश का नेतृत्व एक सशक्त व्यक्ति के हाथ में है। अब पाकिस्तान मुंह तक खोल नहीं सकता है।

5 करोड़ रुपये की मदद का दावा

कंगना ने कांग्रेस पर झूठे वादे करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मंडी से पूर्व कांग्रेस सांसद प्रतिभा सिंह ने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास निधि से निर्वाचन क्षेत्र को किसी भी तरह की आर्थिक मदद नहीं दी है। उन्होंने अपने बारे में जिक्र करते हुए कहा कि पिछले आठ महीनों में रामपुर से भरमौर तक मंडी के सभी क्षेत्रों में 5 करोड़ रुपये दिए।

CWC बैठक में खरगे का भाजपा-संघ पर जोरदार वार, सरदार पटेल की विरासत हड़पने का लगाया आरोप


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कांग्रेस अधिवेशन की शुरुआत गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक के साथ हो गई है। इस बैठक में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, उनकी मां और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे मौजूद रहे। हालांकि, गांधी परिवार की बेटी प्रियंका गांधी वाडरा इस दौरान नदारद दिखी। पार्टी अध्यक्ष खरगे ने मीटिंग की कमान संभाली।

देश के नायकों के खिलाफ साजिश रचने का आरोप

पहले दिन मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर तीखा हमला बोला। मल्लिकार्जुन खरगे ने भाजपा और संघ पर सरदार पटेल की विरासत हड़पने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा और संघ देश के नायकों के खिलाफ साजिश रच रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष के अनुसार, सरदार पटेल की विचारधारा संघ के खिलाफ थी और उन्होंने संघ पर प्रतिबंध भी लगाया था।

पटेल-पंडित नेहरू के संबंधों को गलत तरीके से दिखाने की कोशिश-खरगे

मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि पिछले कई वर्षों से देश में कांग्रेस पार्टी के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है और ये माहौल वो लोग बना रहे हैं जिनके पास अपनी उपलब्धियों के तौर पर दिखाने के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने भाजपा-आरएसएस पर हमला करते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के तौर पर दिखाने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं है। उन्होंने यह दिखाने की साजिश की कि सरदार पटेल और पंडित नेहरू के बीच अच्छे संबंध नहीं थे। जबकि सच्चाई यह है कि वे एक ही सिक्के के दो पहलू थे। कई घटनाएं और दस्तावेज उनके सौहार्दपूर्ण संबंधों के गवाह हैं। खरगे ने दावा किया कि दोनों के बीच लगभग रोजाना पत्राचार होता था। नेहरू जी सभी मामलों में उनकी सलाह लेते थे। नेहरू जी पटेल साहब का बहुत सम्मान करते थे। अगर उन्हें कोई सलाह लेनी होती तो वे खुद पटेल जी के घर जाते थे।

संघ का पटेल की विरासत पर दावा करना हास्यास्पद-खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि पटेल की विचारधारा आरएसएस के विचारों के विपरीत थी और उन्होंने संगठन पर प्रतिबंध भी लगाया था, लेकिन यह हास्यास्पद है कि आज उस संघ के लोग सरदार पटेल की विरासत पर दावा करते हैं।' खरगे ने दावा किया कि महात्मा गांधी और सरदार पटेल ने ही बाबा साहब आंबेडकर को संविधान सभा का सदस्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। खुद आंबेडकर ने 25 नवंबर, 1949 को संविधान सभा में अपने अंतिम भाषण में कहा था कि 'कांग्रेस पार्टी के समर्थन के बिना संविधान नहीं बनाया जा सकता था। लेकिन जब संविधान बनाया गया, तो आरएसएस ने गांधीजी, पंडित नेहरू, डॉ आंबेडकर और कांग्रेस की खूब आलोचना की। उन्होंने रामलीला मैदान में संविधान और इन नेताओं के पुतले जलाए।

64 साल बाद गुजरात में अधिवेशन कर रही कांग्रेस, क्या निकालेगा जीत का रास्ता?


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कांग्रेस का 84वां अधिवेशन आज से अहमदाबाद में शुरू हो रहा है। यह दो दिन (8 और 9 अप्रैल) चलेगा। गुजरात में 64 साल बाद पार्टी यह कार्यक्रम कर रही है। इससे पहले 1961 में भावनगर में अधिवेशन हुआ था। यह आजादी के बाद गुजरात में कांग्रेस का पहला कार्यक्रम था।ऐसे में सवाल यह है कि कांग्रेस ने गुजरात में अधिवेशन आयोजित करने का फ़ैसला क्यों किया? क्या इससे पार्टी को कोई बड़ा फ़ायदा होगा? 

2014 के बाद से लोकसभा के तीन चुनावों और अधिकांश राज्यों के विधानसभा चुनावों में एक के बाद एक हार ने कांग्रेस के आत्मविश्वास को पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया है। ऐसे में कांग्रेस का दो-दिवसीय अहमदाबाद अधिवेशन पार्टी के भविष्य की रणनीति तय करेगा। हालिया चुनावी हार के बाद कांग्रेस संगठनात्मक सुधारों और आगामी चुनावों के लिए एक नए राजनीतिक एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करेगी। अगले दो दिन तक कांग्रेस के दिग्गज नेता राष्ट्रीय राजनीति की चुनौतियों पर चिंतन और मंथन करेंगे। इसके साथ ही कई प्रमुख मुद्दों पर पार्टी का रुख तय कर भविष्य का रोड मैप तैयार किया जाएगा।

गुजरात में पिछले छह दशकों में कांग्रेस पूरी तरह से बदल गई है और बेहद कमज़ोर हो गई है। ऐसे में अधिवेशन का मुख्य उद्देश्य कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना है। इस अधिवेशन से कार्यकर्ताओं में यह संदेश जाएगा कि अब पार्टी गुजरात में सक्रिय हो गई है और पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व गुजरात में दिलचस्पी रखता है। 

कांग्रेस का अहमदाबाद अधिवेशन इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि 2027 के गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसका लक्ष्य भाजपा को चुनौती देना और कांग्रेस की स्थिति मजबूत करना है। छह दशक के बाद दोबारा फिर से गुजरात के अहमदाबाद से जीत का मंत्र तलाशने की कवायद की जाएगी। अहमदाबाद पूर्ण अधिवेशन से पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी दोनों पार्टी की कमियों पर बहुत साफगोई से बात कर चुके हैं और कहा है कि साल 2025 संगठन का साल होगा।

गुजरात में साल का यह पूर्ण अधिवेशन हो रहा है। ऐसे में कांग्रेस को संगठन के नए लोगों के साथ जाना चाहिए था, लेकिन ज्यादातर पदाधिकारी पुराने हैं। बिहार में ही बदलाव हुआ है और यूपी के जिलाध्यक्ष बदले गए हैं। हालांकि, कांग्रेस बिहार से एक नई शुरुआत कर दी है और अपना संगठन जमीन से मजबूत करने की कवायद में है। कांग्रेस नेतृत्व ने अपने सभी जिला अध्यक्ष के साथ बैठक कर उनके मन की बात को जानना चाही है। पार्टी नेतृत्व अधिवेशन में आए कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाना होगा कि संगठन में बड़े बदलाव का वह इस बार सिर्फ वादा नहीं कर रहा है बल्कि इस पर अमल किया जाना है।

कांग्रेस ने जिस तरह से बिहार में कुछ ही महीनों में अपना संगठन चुस्त दुरुस्त कर दिया है वैसा ही संकल्प उसने देश भर में अपने संगठन के लिए लिया है। सूत्रों ने कहा कि पार्टी अपने संगठनात्मक कायाकल्प के बारे में कई घोषणाएं कर सकती है, जिसमें जिला कांग्रेस अध्यक्षों को अधिक अधिकार देना और जवाबदेही सुनिश्चित करना शामिल है। माना जा रहा है कि कांग्रेस चुनाव में उम्मीदवारों के चयन में जिला अध्यक्ष की भूमिका को भी शामिल करने का फैसला कर सकती है। कांग्रेस को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की कवायद के लिए कई अहम प्रस्ताव लाए जा सकते हैं। इस तरह से कांग्रेस का जोर संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने का रह सकता है।

शेयर बाजार में मचा कोहराम, तो कांग्रेस ने साधा पीएम पर निशाना

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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के जवाबी टैरिफ के बाद शेयर बाजार में हाहाकार मचा हुआ है। दुनियाभर के मार्केट के साथ भारत के भी शेयर मार्केट में गिरावट देखने को मिली है। शेयर बाजार में आई गिरावट को लेकर कांग्रेस ने हमला बोला है। कांग्रेस ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों ही अपनी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने में माहिर हैं।

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने ट्रंप का नाम लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा है। राहुल गांधी ने ने सोमवार को एक्स पर एक पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, ट्रंप ने भ्रम का पर्दाफाश कर दिया है। अब सच्चाई सामने आ रही है। पीएम मोदी कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। भारत को सच्चाई स्वीकार करनी होगी। हमारे पास एक मजबूत, उत्पादन-आधारित अर्थव्यवस्था बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है जो सभी भारतीयों के लिए काम करे।

इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संसद सत्र के दौरान बीते गुरुवार को टैरिफ का मुद्दा उठाया था। उन्होंने अमेरिका राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से भारत पर लगाए गए 26 फीसदी टैरिफ को लेकर सरकार से सवाल किया था कि वह इस मुद्दे पर क्या करने जा रही है। उन्होंने कहा था कि हमारे साझेदार देश अमेरिका ने 26 फीसदी टैरिफ लगा दिया है जो हमारी अर्थव्यवस्था को तबाह कर देगा, हमारा ऑटो उद्योग, दवा उद्योग और कृषि सभी कतार में हैं। सरकार को बताना चाहिए कि वह क्या करने जा रही है।

जयराम रमेश ने भी बोला हमला

इधर, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुद को अच्छे दोस्त बताते हैं। दोनों ही अपनी अर्थव्यवस्थाओं को खुद ही नुकसान पहुंचाने में माहिर हैं। 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी हुई थी। 2 अप्रैल 2025 को विचित्र जवाबी टैरिफ लगाए हैं। बाजार टैरिफ लगाने के तरीके पर पूर्वानुमानित प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

शेयर बाजार में भारी गिरावट

डोनाल्ड ट्रंप के जवाबी टैरिफ से उपजी आशंकाओं और अमेरिकी बाजार की रिकॉर्ड गिरावट के बाद घरेलू शेयर बाजार में सोमवार को बड़ी गिरावट हुई। सेंसेक्स और निफ्टी में 5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट हुई। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 3,939.68 अंक यानी 5.22 फीसदी गिरकर 71,425.01 अंक पर खुला, जबकि निफ्टी 1,160.8 अंक यानी 5.06 फीसदी गिरकर 21,743.65 अंक पर आ गया।

सेंसेक्स की सभी 30 शेयर लाल निशान पर कारोबार कर रहे थे। टाटा स्टील में 8 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई, उसके बाद टाटा मोटर्स में 7 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। एचसीएल टेक्नोलॉजीज, टेक महिंद्रा, इंफोसिस, लार्सन एंड टूब्रो, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और रिलायंस इंडस्ट्रीज अन्य बड़ी गिरावट वाले शेयर रहे।

वक्फ संशोधन बिल का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, कांग्रेस सांसद ने दी चुनौती

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वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर देश की राजनीतिक गर्म होती जा रही है। संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद भी वक्फ संशोधन बिल को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। बिहार के किशनगंज से कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने यह याचिका लगाई है। वक्फ बिल के खिलाफ यह पहली याचिका पेश की गई है।

याचिका दायर कर लगाए ये आरोप

कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका दावा है कि यह मुस्लिम समुदाय के प्रति भेदभावपूर्ण है और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। याचिका में कहा गया है, इस्लामी कानून, रीति-रिवाज या मिसाल में इस तरह की सीमा निराधार है और यह अनुच्छेद 25 के तहत धर्म को मानने और उसका पालन करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है। इसके अतिरिक्त, यह प्रतिबंध उन व्यक्तियों के साथ भेदभाव करता है, जिन्होंने हाल ही में इस्लाम धर्म अपनाया है और धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संपत्ति समर्पित करना चाहते हैं, जिससे अनुच्छेद 15 का उल्लंघन होता है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना में संशोधन करके वक्फ प्रशासनिक निकायों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना धार्मिक शासन में एक अनुचित हस्तक्षेप है, जबकि हिंदू धार्मिक बंदोबस्तों का प्रबंधन विभिन्न राज्य अधिनियमों के तहत विशेष रूप से हिंदुओं द्वारा किया जाता है।

जयराम रमेश ने भी कही सुप्रीम कोर्ट जाने की बात

इससे पहले कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा था कि कांग्रेस हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बहुत जल्द ही वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 की संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। कांग्रेस पहले से ही कई कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रही है। इनमें सीएए 2019, आरटीआई एक्ट 2005 में संशोधन और चुनाव नियमों में संशोधन शामिल हैं। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी पूजा स्थल अधिनियम-1991 को बरकरार रखने के लिए अदालत में हस्तक्षेप कर रही है। कांग्रेस के सीएए-2019 को चुनौती देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। साथ ही आरटीआई अधिनियम, 2005 में 2019 के संशोधनों को चुनौती देने के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।जयराम रमेश ने कहा, हमें पूरा भरोसा है और हम भारत के संविधान में निहित सिद्धांतों, प्रावधानों और प्रथाओं पर मोदी सरकार के सभी हमलों का विरोध करना जारी रखेंगे।

डीएमके भी देगी चुनौती

इससे पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भी ऐलान किया है कि डीएमके वक्फ (संशोधन) बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु लड़ेगा और इस लड़ाई में उसे सफलता मिलेगी। उन्होंने याद दिलाया कि 27 मार्च को तमिलनाडु विधानसभा ने वक्फ संशोधन विधेयक को वापस लेने का आग्रह करते हुए प्रस्ताव पारित किया था। इसमें कहा गया था कि यह धार्मिक सद्भाव को कमजोर करता है और अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय पर उल्टा प्रभाव डालता है।

वक्फ विधेयक को चुनौती देने की तैयारी में कांग्रेस, खटखटाएगी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

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लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी वक्फ संशोधन विधेयक पास हो गया। हालांकि, वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध जारी है। कांग्रेस वक्फ संशोधन विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में है। कांग्रेस पार्टी वक्फ संशोधन बिल की 'संवैधानिकता' को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। कांग्रेस सांसद और पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने इसका ऐलान किया है।

जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बहुत जल्द ही वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 की संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। कांग्रेस पहले से ही कई कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रही है। इनमें सीएए 2019, आरटीआई एक्ट 2005 में संशोधन और चुनाव नियमों में संशोधन शामिल हैं। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी पूजा स्थल अधिनियम-1991 को बरकरार रखने के लिए अदालत में हस्तक्षेप कर रही है। कांग्रेस के सीएए-2019 को चुनौती देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। साथ ही आरटीआई अधिनियम, 2005 में 2019 के संशोधनों को चुनौती देने के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

मोदी सरकार के सभी हमलों का विरोध जारी रखेंगे-जयराम रमेश

जयराम रमेश ने कहा, हमें पूरा भरोसा है और हम भारत के संविधान में निहित सिद्धांतों, प्रावधानों और प्रथाओं पर मोदी सरकार के सभी हमलों का विरोध करना जारी रखेंगे। राज्यसभा में वक्फ विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों की ओर से कड़ी आपत्तियां देखी गईं, जिन्होंने विधेयक को "मुस्लिम विरोधी" और "मुस्लिम विरोधी" करार दिया।

स्टालिन ने भी कोर्ट जाने का किया एलान

इससे पहले वक्फ विधेयक को लेकर स्टालिन ने अदालत का दरवाजा खटखटाने का एलान कर दिया था। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन ने गुरुवार को कहा था कि उनकी पार्टी इस विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाएगी। लोकसभा से विधेयक पारित होने के विरोध में स्टालिन विधानसभा में काली पट्टी बांधकर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा था कि भारत में बड़ी संख्या में दलों के विरोध के बावजूद कुछ सहयोगियों के इशारे पर रात दो बजे संशोधन को अपनाना संविधान की संरचना पर हमला है।

राज्यसभा में अनुराग ठाकुर पर बरसे खरगे, बोले- आरोप साबित करें तो इस्तीफा दे दूंगा

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वक्फ बिल पर संसद में “संग्राम” जारी है। लोकसभा के बाद आज राज्यसभा में वक्फ बिल पेश होने जा रहा है। उससे पहले सदन मे जोरदार हंगामा देखा गया। कांग्रेस ने लोकसभा में भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की ओर से राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर लगाए गए गंभीर आरोपों को निराधार बताया और सदन के नेता से स्पष्टीकरण की मांग की। वहीं, मल्लिकार्जुन खरगे अनुराग ठाकुर के वक्फ की जमीन हड़पने के आरोप पर पलटवार करते हुए कहा, ये बीजेपी वाले जो आरोप लगा रहे हैं, साबित कर दें, मैं झुकूंगा नहीं। अगर आरोप साबित होते हैं तो मैं इस्तीफा दे दूंगा।

राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर को निचले सदन में वक्फ विधेयक पर बहस के दौरान की गई अपनी मानहानिकारक टिप्पणी वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। खरगे ने कहा, लेकिन नुकसान हो चुका है। उन्होंने इस मुद्दे पर अनुराग ठाकुर के साथ-साथ राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा से भी माफी की मांग की।

अनुराग ठाकुर के आरोपों को बताया झूठा और निराधार

मल्लिकार्जुन खरगे ने कल अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में मुझ पर पूरी तरह से झूठे और निराधार आरोप लगाए। जब मेरे साथियों ने उन्हें चुनौती दी तो वह अपनी मानहानिकारक टिप्पणी वापस लेने के लिए मजबूर हो गए। लेकिन नुकसान हो चुका है। टिप्पणी वापस लेने के बावजूद, यह मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर छाया रहा। बीजेपी के लोग मुझे डराना चाहते हैं, मैं बिल्कुल झुकूंगा नहीं, मैनें 1 इंच जमीन आज तक किसी की नहीं ली।

खरगे ने आरोपों को साबित करने को कहा

खरगे ने कहा कि अनुराग ठाकुर की ओर से मेरे खिलाफ लगाए गए आरोपों से मेरी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है। खरगे ने अनुराग ठाकुर से उनके खिलाफ लगाए गए 'बेबुनियाद' आरोपों को साबित करने को कहा। उन्होंने कहा कि अगर आप अपने दावों को साबित नहीं कर सकते तो आपको संसद में आने का कोई अधिकार नहीं है। आप इस्तीफा दे दीजिए। इसके साथ ही अगर भाजपा सांसद आरोप साबित कर देते हैं तो वह इस्तीफा दे देंगे।

मेरी जिंदगी संघर्षों और लड़ाइयों से भरी-खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, मैं एक मजदूर का बेटा हूं। मेरी जिंदगी हमेशा एक खुली किताब रही है। यह संघर्षों और लड़ाइयों से भरी रही है, लेकिन मैंने जिंदगी में हमेशा उच्चतम मूल्यों को बरकरार रखा है। खरगे ने अनुराग ठाकुर के आरोपों को झूठा और निराधार बताते हुए माफी की मांग की।

अनुराग ठाकुर ने क्या कहा था?

इससे पहले भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने बुधवार को लोकसभा में वक्फ विधेयक के विरोध को लेकर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि विधेयक कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा। उन्होंने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए बनी वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। उन्होंने दलों पर अपना राजनीतिक साम्राज्य बनाने के लिए इनके दोहन का आरोप लगाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि इन जमीनों का सही इस्तेमाल सुनिश्चित करने के बजाय कांग्रेस ने अपने चुनावी फायदे के लिए इन्हें वोट बैंक एटीएम में बदल दिया।

अपने बयानों पर शर्मिंदगी महसूस कर रहा…”रूस-यूक्रेन जंग पर 3 साल बाद शशि थरूर को हुआ गलती का एहसास

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कांग्रेस सांसद शशि थरूर बीते कुछ समय से बदले-बदले नजर आ रहे हैं। बीते कुछ महीनों में शशि थरूर ने ऐसे कई बयान दिए हैं जो पार्टी लाइन से हटकर हैं। एक बार फिर शशि थरूर ने अपने बयान से चौंकाया है। दरअसल, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर 2022 में जो रुख उन्होंने अपनाया था, वह सही नहीं था। अब उन्हें उस बयान पर अफसोस हो रहा है।

पीएम मोदी को लेकर क्या बोले थरूर?

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि भारत आज ऐसी स्थिति में है जो रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित कर सकता है। भारत के पास ऐसा प्रधानमंत्री है, जो वोलोदिमिर जेलेंस्की और व्लादिमीर पुतिन दोनों को गले लगा सकता है। हम दोनों जगहों (रूस और यूक्रेन) पर स्वीकार किए जाते हैं। थरूर ने कहा- आज की स्थिति को देखते हुए वे तीन साल पहले अपने दिए बयानों पर शर्मिंदगी महसूस कर रहा हूं। 2022 में संसदीय बहस में मैं इकलौता सांसद था, जिसने यूक्रेन को लेकर भारत के रुख की आलोचना की थी।

शर्मिंदगी जैसा अहसास हो रहा है-थरूर

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने मंगलवार को रायसीना डायलॉग 2025 में स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर 2022 में जो रुख उन्होंने अपनाया था वो सही नहीं था। रायसीना डायलॉग 2025 में शशि थरूर से पूछा गया कि क्या रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की स्थिति को देखते हुए उन्हें खुशी है कि भारत ने जो रुख अपनाया, वह सही था? इस पर शशि थरूर ने माना कि तीन साल बाद उन्हें अपनी उस स्थिति पर अफसोस है। उन्हें शर्मिंदगी जैसा अहसास हो रहा है।

शांति स्थापित करने में निभा सकते हैं भूमिका

थरूर ने आगे कहा,भारत दुनिया में अपनी खास स्थिति को देखते हुए शांति स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। अगर रूस और यूक्रेन के बीच कोई समझौता होता है, तो भारत शांति सैनिकों को भेजने के लिए तैयार हो सकता है। खासकर तब, जब रूस ने नाटो देशों के यूरोपीय शांति सैनिकों को अस्वीकार कर दिया है।

रूस और यूक्रेन के बीच 2022 में युद्ध शुरू हुआ था। जंग अब भी जारी है। जब पूरी दुनिया में रूस-यूक्रेन जंग से खलबली मची तब कांग्रेस नेता शशि थरूर उस समय भारत के रुख के सबसे मुखर विरोधियों में से एक थे। तब उन्होंने भारत के स्टैंड को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की थी। शशि थरूर ने सरकार पर मौन रहने का आरोप लगाते हुए कहा था कि रूस हमारा दोस्त है और उसकी कुछ वैध सुरक्षा चिंताएं हो सकती हैं लेकिन भारत का अचानक इस मुद्दे पर चुप हो जाना यूक्रेन और उसके समर्थकों को निराश करेगा।

जीएसटी पर गरमाई राजनीति, पॉपकॉर्न के बाद डोनट्स को लेकर कांग्रेस के निशाने पर सरकार

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केंद्र सरकार की जीएसटी को लेकर कांग्रेस के निशाने पर है। कांग्रेस ने शनिवार को जीएसटी की अलग-अलग दरें लागू करने को लेकर केन्द्र पर एक बार फिर से तीखा प्रहार किया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार (15 मार्च) को कहा कि पॉपकॉर्न के बाद अब ‘डोनट’ पर भी जीएसटी का असर देखने को मिल रहा है। उन्होंने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि देश को अब ‘जीएसटी 2.0’ की जरूरत है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि सिंगापुर स्थित चेन मैड ओवर डोनट्स को अपने व्यवसाय को कथित रूप से गलत तरीके से वर्गीकृत करने और 5 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान करने के लिए 100 करोड़ रुपये का कर नोटिस का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी ने दावा किया कि यह एक रेस्टोरेंट सेवा है, जबकि बेकरी वस्तुओं पर 18 प्रतिशत कर का भुगतान किया जा रहा है। इस वजह से कंपनी पर भारी टैक्स बकाया हो गया। अब ये मामला मुंबई हाई कोर्ट में पहुंच चुका है जहां इस पर कानूनी लड़ाई जारी है।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की हकीकत यही- जयराम रमेश

जयराम रमेश ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ये पूरा मामला बताता है कि ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ की असलियत क्या है। सरकार इस नारे का इस्तेमाल तो करती है, लेकिन हकीकत में व्यापारियों को बेवजह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। रमेश ने कहा कि टैक्स प्रणाली में कई विसंगतियां हैं और इसलिए अब जीएसटी 2.0 की जरूरत महसूस हो रही है ताकि सभी व्यापारियों को समान अवसर और राहत मिल सके।

जीएसटी को लेकर पहले भी सवाल उठा चुकी कांग्रेस

पिछले साल दिसंबर में, कांग्रेस ने कहा था कि जीएसटी के तहत पॉपकॉर्न के लिए तीन अलग-अलग टैक्स स्लैब की "बेतुकी" व्यवस्था केवल सिस्टम की बढ़ती जटिलता को उजागर करती है और पूछा कि क्या मोदी सरकार जीएसटी 2.0 को लागू करने के लिए पूरी तरह से बदलाव करने का साहस दिखाएगी।

हरियाणा में कांग्रेस का सूपड़ा साफ, और मजबूत हुआ भाजपा का गढ़, क्यों छूट रहा “हाथ” का साथ

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हरियाणा के निकाय चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली है। 10 नगर निगमों में से कांग्रेस एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई। बीजेपी ने 10 में से 9 सीटों पर जीत दर्ज की है। एक सीट पर निर्दलीय ने कब्जा जमाया है. कांग्रेस खाता खोलने में भी नाकामयाब रही।

हरियान में मिली इस बड़ी शिकस्त के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बीजेपी पहले भी जीत चुकी है। इसमें नया क्या है? हमने कभी नहीं कहा कि हमने ये चुनाव गंभीरता से लड़ा। जब मैं मुख्यमंत्री था, तब भी मैंने कभी पंचायत चुनावों में हिस्सा नहीं लिया। इन चुनावों में सिर्फ भाईचारा काम करता है। अगर हमारे पास (स्थानीय निकायों में) एक सीट होती और हम हार जाते तो नतीजा हमारे लिए नुकसानदेह होता। इन चुनावों में ज्यादातर निर्दलीय उम्मीदवार खड़े होते हैं।साथ ही हुड्डा ने कहा कि इन चुनाव नतीजों से कांग्रेस विधायक दल नेता के चुनाव पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। कांग्रेस को भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ रोहतक में भी हार मिली है।

सूबे के विधानसभा चुनाव में करारी मात खाने के साढ़े पांच महीने बाद निकाय चुनाव में भी कांग्रेस जीरो पर सिमट गई है जबकि बीजेपी ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने में सफल रही। सीएम नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में शहरी निकाय चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस को शिकस्त देकर नगर निगम, नगर परिषद और नगरपालिका में ‘कमल’ खिलाने में कामयाब रही। वहीं, कांग्रेस के हाथ खाली रहे।

हरियाणा निकाय चुनाव में शहरी मतदाताओं ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भाजपा उनकी सबसे पसंदीदा पार्टी है। इस चुनाव में कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले रोहतक और सोनीपत नगर निगम के मेयर पद पर भी हुड्डा गुट जीत हासिल नहीं कर सका। बिना संगठन के चुनाव मैदान में उतरी कांग्रेस का निगम चुनाव में इस बार सूपड़ा ही साफ हो गया। लचर प्रबंधन के साथ मैदान में उतरी कांग्रेस कहीं भी एकजुट नजर नहीं आई। कांग्रेस का प्रचार भी बेहद कमजोर रहा।

कांग्रेस की हार के ये हैं बड़े कारणः-

• इस हार की सबसे बड़ी वजह राज्य में कांग्रेस का संगठन न होना माना जा रहा है। हाईकमान भी अभी तक संगठन बनाने में कामयाब नहीं हो पाया है।

• हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी पूरी तरह से हावी है। एक ही पार्टी के नेता एक-दूसरे के उम्मीदवारों को हराने में जुटे थे। इस निकाय चुनाव में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला।

• पिछले एक साल से हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति भी एक बड़ी वजह मानी जा रही है। कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व इसी में उलझा हुआ है।

• हरियाणा निकाय चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने अपने प्रत्याशियों के लिए प्रचार तो किया, लेकिन चुनाव प्रचार में वो धार नहीं दिखी, जो कांग्रेस को अपने कार्यकताओं का उत्साह बढ़ाने में दिखाना चाहिए था।

• हरियाणा निकाय चुनाव में टिकटों के गलत वितरण का भी आरोप लगा है, जिससे कांग्रेसियों में नाराजगी नजर आई और हार का कारण भी बना।

कंगना रनौत का कैसा बयान? कांग्रेस को बताया अंग्रेजों की भूली-बिसरी औलाद

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हिमाचल प्रदेश के मंडी संसदीय क्षेत्र की सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है।कंगना रनौत ने कहा कि भाजपा सनातनी संस्कृति से जुड़ी हुई है। वहीं, कांग्रेस अंग्रेजों की भूली-बिसरी औलाद है। कांग्रेस की विचारधारा चोर-चोर मौसेरे भाई जैसी है। जहां भी कांग्रेस के नेता मिलते हैं, वहां चोर इक्ट्ठा हो जाते हैं और डाकुओं का गैंग बन जाती है।

कांग्रेस पाकिस्तान के साथ मिली हुई-कंगना

कंगना सुंदरनगर विधानसभा क्षेत्र के कांगू में एक जनसभा को संबोधित कर रहीं थी। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेत्री अल्का लांबा ने महिलाओं से बड़े-बड़े वायदे किए थे, लेकिन कांग्रेस झूठी और मक्कार होने के कारण झूठ बोलकर चली गई। कंगना रनौत ने कांग्रेस पर हमला जारी रखते हुए कहा कि कांग्रेस पाकिस्तान के साथ मिली हुई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा आम लोगों को डराकर रखा। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस कार्यकाल में पार्लियामेंट और जगह-जगह आतंकवादी हमले करवाए गए। अब देश का नेतृत्व एक सशक्त व्यक्ति के हाथ में है। अब पाकिस्तान मुंह तक खोल नहीं सकता है।

5 करोड़ रुपये की मदद का दावा

कंगना ने कांग्रेस पर झूठे वादे करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मंडी से पूर्व कांग्रेस सांसद प्रतिभा सिंह ने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास निधि से निर्वाचन क्षेत्र को किसी भी तरह की आर्थिक मदद नहीं दी है। उन्होंने अपने बारे में जिक्र करते हुए कहा कि पिछले आठ महीनों में रामपुर से भरमौर तक मंडी के सभी क्षेत्रों में 5 करोड़ रुपये दिए।

CWC बैठक में खरगे का भाजपा-संघ पर जोरदार वार, सरदार पटेल की विरासत हड़पने का लगाया आरोप


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कांग्रेस अधिवेशन की शुरुआत गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक के साथ हो गई है। इस बैठक में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, उनकी मां और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे मौजूद रहे। हालांकि, गांधी परिवार की बेटी प्रियंका गांधी वाडरा इस दौरान नदारद दिखी। पार्टी अध्यक्ष खरगे ने मीटिंग की कमान संभाली।

देश के नायकों के खिलाफ साजिश रचने का आरोप

पहले दिन मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर तीखा हमला बोला। मल्लिकार्जुन खरगे ने भाजपा और संघ पर सरदार पटेल की विरासत हड़पने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा और संघ देश के नायकों के खिलाफ साजिश रच रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष के अनुसार, सरदार पटेल की विचारधारा संघ के खिलाफ थी और उन्होंने संघ पर प्रतिबंध भी लगाया था।

पटेल-पंडित नेहरू के संबंधों को गलत तरीके से दिखाने की कोशिश-खरगे

मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि पिछले कई वर्षों से देश में कांग्रेस पार्टी के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है और ये माहौल वो लोग बना रहे हैं जिनके पास अपनी उपलब्धियों के तौर पर दिखाने के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने भाजपा-आरएसएस पर हमला करते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के तौर पर दिखाने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं है। उन्होंने यह दिखाने की साजिश की कि सरदार पटेल और पंडित नेहरू के बीच अच्छे संबंध नहीं थे। जबकि सच्चाई यह है कि वे एक ही सिक्के के दो पहलू थे। कई घटनाएं और दस्तावेज उनके सौहार्दपूर्ण संबंधों के गवाह हैं। खरगे ने दावा किया कि दोनों के बीच लगभग रोजाना पत्राचार होता था। नेहरू जी सभी मामलों में उनकी सलाह लेते थे। नेहरू जी पटेल साहब का बहुत सम्मान करते थे। अगर उन्हें कोई सलाह लेनी होती तो वे खुद पटेल जी के घर जाते थे।

संघ का पटेल की विरासत पर दावा करना हास्यास्पद-खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि पटेल की विचारधारा आरएसएस के विचारों के विपरीत थी और उन्होंने संगठन पर प्रतिबंध भी लगाया था, लेकिन यह हास्यास्पद है कि आज उस संघ के लोग सरदार पटेल की विरासत पर दावा करते हैं।' खरगे ने दावा किया कि महात्मा गांधी और सरदार पटेल ने ही बाबा साहब आंबेडकर को संविधान सभा का सदस्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। खुद आंबेडकर ने 25 नवंबर, 1949 को संविधान सभा में अपने अंतिम भाषण में कहा था कि 'कांग्रेस पार्टी के समर्थन के बिना संविधान नहीं बनाया जा सकता था। लेकिन जब संविधान बनाया गया, तो आरएसएस ने गांधीजी, पंडित नेहरू, डॉ आंबेडकर और कांग्रेस की खूब आलोचना की। उन्होंने रामलीला मैदान में संविधान और इन नेताओं के पुतले जलाए।

64 साल बाद गुजरात में अधिवेशन कर रही कांग्रेस, क्या निकालेगा जीत का रास्ता?


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कांग्रेस का 84वां अधिवेशन आज से अहमदाबाद में शुरू हो रहा है। यह दो दिन (8 और 9 अप्रैल) चलेगा। गुजरात में 64 साल बाद पार्टी यह कार्यक्रम कर रही है। इससे पहले 1961 में भावनगर में अधिवेशन हुआ था। यह आजादी के बाद गुजरात में कांग्रेस का पहला कार्यक्रम था।ऐसे में सवाल यह है कि कांग्रेस ने गुजरात में अधिवेशन आयोजित करने का फ़ैसला क्यों किया? क्या इससे पार्टी को कोई बड़ा फ़ायदा होगा? 

2014 के बाद से लोकसभा के तीन चुनावों और अधिकांश राज्यों के विधानसभा चुनावों में एक के बाद एक हार ने कांग्रेस के आत्मविश्वास को पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया है। ऐसे में कांग्रेस का दो-दिवसीय अहमदाबाद अधिवेशन पार्टी के भविष्य की रणनीति तय करेगा। हालिया चुनावी हार के बाद कांग्रेस संगठनात्मक सुधारों और आगामी चुनावों के लिए एक नए राजनीतिक एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करेगी। अगले दो दिन तक कांग्रेस के दिग्गज नेता राष्ट्रीय राजनीति की चुनौतियों पर चिंतन और मंथन करेंगे। इसके साथ ही कई प्रमुख मुद्दों पर पार्टी का रुख तय कर भविष्य का रोड मैप तैयार किया जाएगा।

गुजरात में पिछले छह दशकों में कांग्रेस पूरी तरह से बदल गई है और बेहद कमज़ोर हो गई है। ऐसे में अधिवेशन का मुख्य उद्देश्य कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना है। इस अधिवेशन से कार्यकर्ताओं में यह संदेश जाएगा कि अब पार्टी गुजरात में सक्रिय हो गई है और पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व गुजरात में दिलचस्पी रखता है। 

कांग्रेस का अहमदाबाद अधिवेशन इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि 2027 के गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसका लक्ष्य भाजपा को चुनौती देना और कांग्रेस की स्थिति मजबूत करना है। छह दशक के बाद दोबारा फिर से गुजरात के अहमदाबाद से जीत का मंत्र तलाशने की कवायद की जाएगी। अहमदाबाद पूर्ण अधिवेशन से पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी दोनों पार्टी की कमियों पर बहुत साफगोई से बात कर चुके हैं और कहा है कि साल 2025 संगठन का साल होगा।

गुजरात में साल का यह पूर्ण अधिवेशन हो रहा है। ऐसे में कांग्रेस को संगठन के नए लोगों के साथ जाना चाहिए था, लेकिन ज्यादातर पदाधिकारी पुराने हैं। बिहार में ही बदलाव हुआ है और यूपी के जिलाध्यक्ष बदले गए हैं। हालांकि, कांग्रेस बिहार से एक नई शुरुआत कर दी है और अपना संगठन जमीन से मजबूत करने की कवायद में है। कांग्रेस नेतृत्व ने अपने सभी जिला अध्यक्ष के साथ बैठक कर उनके मन की बात को जानना चाही है। पार्टी नेतृत्व अधिवेशन में आए कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाना होगा कि संगठन में बड़े बदलाव का वह इस बार सिर्फ वादा नहीं कर रहा है बल्कि इस पर अमल किया जाना है।

कांग्रेस ने जिस तरह से बिहार में कुछ ही महीनों में अपना संगठन चुस्त दुरुस्त कर दिया है वैसा ही संकल्प उसने देश भर में अपने संगठन के लिए लिया है। सूत्रों ने कहा कि पार्टी अपने संगठनात्मक कायाकल्प के बारे में कई घोषणाएं कर सकती है, जिसमें जिला कांग्रेस अध्यक्षों को अधिक अधिकार देना और जवाबदेही सुनिश्चित करना शामिल है। माना जा रहा है कि कांग्रेस चुनाव में उम्मीदवारों के चयन में जिला अध्यक्ष की भूमिका को भी शामिल करने का फैसला कर सकती है। कांग्रेस को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की कवायद के लिए कई अहम प्रस्ताव लाए जा सकते हैं। इस तरह से कांग्रेस का जोर संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने का रह सकता है।

शेयर बाजार में मचा कोहराम, तो कांग्रेस ने साधा पीएम पर निशाना

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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के जवाबी टैरिफ के बाद शेयर बाजार में हाहाकार मचा हुआ है। दुनियाभर के मार्केट के साथ भारत के भी शेयर मार्केट में गिरावट देखने को मिली है। शेयर बाजार में आई गिरावट को लेकर कांग्रेस ने हमला बोला है। कांग्रेस ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों ही अपनी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने में माहिर हैं।

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने ट्रंप का नाम लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा है। राहुल गांधी ने ने सोमवार को एक्स पर एक पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, ट्रंप ने भ्रम का पर्दाफाश कर दिया है। अब सच्चाई सामने आ रही है। पीएम मोदी कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। भारत को सच्चाई स्वीकार करनी होगी। हमारे पास एक मजबूत, उत्पादन-आधारित अर्थव्यवस्था बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है जो सभी भारतीयों के लिए काम करे।

इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संसद सत्र के दौरान बीते गुरुवार को टैरिफ का मुद्दा उठाया था। उन्होंने अमेरिका राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से भारत पर लगाए गए 26 फीसदी टैरिफ को लेकर सरकार से सवाल किया था कि वह इस मुद्दे पर क्या करने जा रही है। उन्होंने कहा था कि हमारे साझेदार देश अमेरिका ने 26 फीसदी टैरिफ लगा दिया है जो हमारी अर्थव्यवस्था को तबाह कर देगा, हमारा ऑटो उद्योग, दवा उद्योग और कृषि सभी कतार में हैं। सरकार को बताना चाहिए कि वह क्या करने जा रही है।

जयराम रमेश ने भी बोला हमला

इधर, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुद को अच्छे दोस्त बताते हैं। दोनों ही अपनी अर्थव्यवस्थाओं को खुद ही नुकसान पहुंचाने में माहिर हैं। 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी हुई थी। 2 अप्रैल 2025 को विचित्र जवाबी टैरिफ लगाए हैं। बाजार टैरिफ लगाने के तरीके पर पूर्वानुमानित प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

शेयर बाजार में भारी गिरावट

डोनाल्ड ट्रंप के जवाबी टैरिफ से उपजी आशंकाओं और अमेरिकी बाजार की रिकॉर्ड गिरावट के बाद घरेलू शेयर बाजार में सोमवार को बड़ी गिरावट हुई। सेंसेक्स और निफ्टी में 5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट हुई। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 3,939.68 अंक यानी 5.22 फीसदी गिरकर 71,425.01 अंक पर खुला, जबकि निफ्टी 1,160.8 अंक यानी 5.06 फीसदी गिरकर 21,743.65 अंक पर आ गया।

सेंसेक्स की सभी 30 शेयर लाल निशान पर कारोबार कर रहे थे। टाटा स्टील में 8 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई, उसके बाद टाटा मोटर्स में 7 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। एचसीएल टेक्नोलॉजीज, टेक महिंद्रा, इंफोसिस, लार्सन एंड टूब्रो, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और रिलायंस इंडस्ट्रीज अन्य बड़ी गिरावट वाले शेयर रहे।

वक्फ संशोधन बिल का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, कांग्रेस सांसद ने दी चुनौती

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वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर देश की राजनीतिक गर्म होती जा रही है। संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद भी वक्फ संशोधन बिल को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। बिहार के किशनगंज से कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने यह याचिका लगाई है। वक्फ बिल के खिलाफ यह पहली याचिका पेश की गई है।

याचिका दायर कर लगाए ये आरोप

कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका दावा है कि यह मुस्लिम समुदाय के प्रति भेदभावपूर्ण है और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। याचिका में कहा गया है, इस्लामी कानून, रीति-रिवाज या मिसाल में इस तरह की सीमा निराधार है और यह अनुच्छेद 25 के तहत धर्म को मानने और उसका पालन करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है। इसके अतिरिक्त, यह प्रतिबंध उन व्यक्तियों के साथ भेदभाव करता है, जिन्होंने हाल ही में इस्लाम धर्म अपनाया है और धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संपत्ति समर्पित करना चाहते हैं, जिससे अनुच्छेद 15 का उल्लंघन होता है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना में संशोधन करके वक्फ प्रशासनिक निकायों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना धार्मिक शासन में एक अनुचित हस्तक्षेप है, जबकि हिंदू धार्मिक बंदोबस्तों का प्रबंधन विभिन्न राज्य अधिनियमों के तहत विशेष रूप से हिंदुओं द्वारा किया जाता है।

जयराम रमेश ने भी कही सुप्रीम कोर्ट जाने की बात

इससे पहले कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा था कि कांग्रेस हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बहुत जल्द ही वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 की संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। कांग्रेस पहले से ही कई कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रही है। इनमें सीएए 2019, आरटीआई एक्ट 2005 में संशोधन और चुनाव नियमों में संशोधन शामिल हैं। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी पूजा स्थल अधिनियम-1991 को बरकरार रखने के लिए अदालत में हस्तक्षेप कर रही है। कांग्रेस के सीएए-2019 को चुनौती देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। साथ ही आरटीआई अधिनियम, 2005 में 2019 के संशोधनों को चुनौती देने के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।जयराम रमेश ने कहा, हमें पूरा भरोसा है और हम भारत के संविधान में निहित सिद्धांतों, प्रावधानों और प्रथाओं पर मोदी सरकार के सभी हमलों का विरोध करना जारी रखेंगे।

डीएमके भी देगी चुनौती

इससे पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भी ऐलान किया है कि डीएमके वक्फ (संशोधन) बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु लड़ेगा और इस लड़ाई में उसे सफलता मिलेगी। उन्होंने याद दिलाया कि 27 मार्च को तमिलनाडु विधानसभा ने वक्फ संशोधन विधेयक को वापस लेने का आग्रह करते हुए प्रस्ताव पारित किया था। इसमें कहा गया था कि यह धार्मिक सद्भाव को कमजोर करता है और अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय पर उल्टा प्रभाव डालता है।

वक्फ विधेयक को चुनौती देने की तैयारी में कांग्रेस, खटखटाएगी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

#congress_to_challenge_waqf_bill_in_supreme_court

लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी वक्फ संशोधन विधेयक पास हो गया। हालांकि, वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध जारी है। कांग्रेस वक्फ संशोधन विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में है। कांग्रेस पार्टी वक्फ संशोधन बिल की 'संवैधानिकता' को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। कांग्रेस सांसद और पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने इसका ऐलान किया है।

जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बहुत जल्द ही वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 की संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। कांग्रेस पहले से ही कई कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रही है। इनमें सीएए 2019, आरटीआई एक्ट 2005 में संशोधन और चुनाव नियमों में संशोधन शामिल हैं। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी पूजा स्थल अधिनियम-1991 को बरकरार रखने के लिए अदालत में हस्तक्षेप कर रही है। कांग्रेस के सीएए-2019 को चुनौती देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। साथ ही आरटीआई अधिनियम, 2005 में 2019 के संशोधनों को चुनौती देने के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

मोदी सरकार के सभी हमलों का विरोध जारी रखेंगे-जयराम रमेश

जयराम रमेश ने कहा, हमें पूरा भरोसा है और हम भारत के संविधान में निहित सिद्धांतों, प्रावधानों और प्रथाओं पर मोदी सरकार के सभी हमलों का विरोध करना जारी रखेंगे। राज्यसभा में वक्फ विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों की ओर से कड़ी आपत्तियां देखी गईं, जिन्होंने विधेयक को "मुस्लिम विरोधी" और "मुस्लिम विरोधी" करार दिया।

स्टालिन ने भी कोर्ट जाने का किया एलान

इससे पहले वक्फ विधेयक को लेकर स्टालिन ने अदालत का दरवाजा खटखटाने का एलान कर दिया था। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन ने गुरुवार को कहा था कि उनकी पार्टी इस विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाएगी। लोकसभा से विधेयक पारित होने के विरोध में स्टालिन विधानसभा में काली पट्टी बांधकर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा था कि भारत में बड़ी संख्या में दलों के विरोध के बावजूद कुछ सहयोगियों के इशारे पर रात दो बजे संशोधन को अपनाना संविधान की संरचना पर हमला है।

राज्यसभा में अनुराग ठाकुर पर बरसे खरगे, बोले- आरोप साबित करें तो इस्तीफा दे दूंगा

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वक्फ बिल पर संसद में “संग्राम” जारी है। लोकसभा के बाद आज राज्यसभा में वक्फ बिल पेश होने जा रहा है। उससे पहले सदन मे जोरदार हंगामा देखा गया। कांग्रेस ने लोकसभा में भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की ओर से राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर लगाए गए गंभीर आरोपों को निराधार बताया और सदन के नेता से स्पष्टीकरण की मांग की। वहीं, मल्लिकार्जुन खरगे अनुराग ठाकुर के वक्फ की जमीन हड़पने के आरोप पर पलटवार करते हुए कहा, ये बीजेपी वाले जो आरोप लगा रहे हैं, साबित कर दें, मैं झुकूंगा नहीं। अगर आरोप साबित होते हैं तो मैं इस्तीफा दे दूंगा।

राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर को निचले सदन में वक्फ विधेयक पर बहस के दौरान की गई अपनी मानहानिकारक टिप्पणी वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। खरगे ने कहा, लेकिन नुकसान हो चुका है। उन्होंने इस मुद्दे पर अनुराग ठाकुर के साथ-साथ राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा से भी माफी की मांग की।

अनुराग ठाकुर के आरोपों को बताया झूठा और निराधार

मल्लिकार्जुन खरगे ने कल अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में मुझ पर पूरी तरह से झूठे और निराधार आरोप लगाए। जब मेरे साथियों ने उन्हें चुनौती दी तो वह अपनी मानहानिकारक टिप्पणी वापस लेने के लिए मजबूर हो गए। लेकिन नुकसान हो चुका है। टिप्पणी वापस लेने के बावजूद, यह मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर छाया रहा। बीजेपी के लोग मुझे डराना चाहते हैं, मैं बिल्कुल झुकूंगा नहीं, मैनें 1 इंच जमीन आज तक किसी की नहीं ली।

खरगे ने आरोपों को साबित करने को कहा

खरगे ने कहा कि अनुराग ठाकुर की ओर से मेरे खिलाफ लगाए गए आरोपों से मेरी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है। खरगे ने अनुराग ठाकुर से उनके खिलाफ लगाए गए 'बेबुनियाद' आरोपों को साबित करने को कहा। उन्होंने कहा कि अगर आप अपने दावों को साबित नहीं कर सकते तो आपको संसद में आने का कोई अधिकार नहीं है। आप इस्तीफा दे दीजिए। इसके साथ ही अगर भाजपा सांसद आरोप साबित कर देते हैं तो वह इस्तीफा दे देंगे।

मेरी जिंदगी संघर्षों और लड़ाइयों से भरी-खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, मैं एक मजदूर का बेटा हूं। मेरी जिंदगी हमेशा एक खुली किताब रही है। यह संघर्षों और लड़ाइयों से भरी रही है, लेकिन मैंने जिंदगी में हमेशा उच्चतम मूल्यों को बरकरार रखा है। खरगे ने अनुराग ठाकुर के आरोपों को झूठा और निराधार बताते हुए माफी की मांग की।

अनुराग ठाकुर ने क्या कहा था?

इससे पहले भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने बुधवार को लोकसभा में वक्फ विधेयक के विरोध को लेकर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि विधेयक कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा। उन्होंने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए बनी वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। उन्होंने दलों पर अपना राजनीतिक साम्राज्य बनाने के लिए इनके दोहन का आरोप लगाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि इन जमीनों का सही इस्तेमाल सुनिश्चित करने के बजाय कांग्रेस ने अपने चुनावी फायदे के लिए इन्हें वोट बैंक एटीएम में बदल दिया।

अपने बयानों पर शर्मिंदगी महसूस कर रहा…”रूस-यूक्रेन जंग पर 3 साल बाद शशि थरूर को हुआ गलती का एहसास

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कांग्रेस सांसद शशि थरूर बीते कुछ समय से बदले-बदले नजर आ रहे हैं। बीते कुछ महीनों में शशि थरूर ने ऐसे कई बयान दिए हैं जो पार्टी लाइन से हटकर हैं। एक बार फिर शशि थरूर ने अपने बयान से चौंकाया है। दरअसल, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर 2022 में जो रुख उन्होंने अपनाया था, वह सही नहीं था। अब उन्हें उस बयान पर अफसोस हो रहा है।

पीएम मोदी को लेकर क्या बोले थरूर?

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि भारत आज ऐसी स्थिति में है जो रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित कर सकता है। भारत के पास ऐसा प्रधानमंत्री है, जो वोलोदिमिर जेलेंस्की और व्लादिमीर पुतिन दोनों को गले लगा सकता है। हम दोनों जगहों (रूस और यूक्रेन) पर स्वीकार किए जाते हैं। थरूर ने कहा- आज की स्थिति को देखते हुए वे तीन साल पहले अपने दिए बयानों पर शर्मिंदगी महसूस कर रहा हूं। 2022 में संसदीय बहस में मैं इकलौता सांसद था, जिसने यूक्रेन को लेकर भारत के रुख की आलोचना की थी।

शर्मिंदगी जैसा अहसास हो रहा है-थरूर

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने मंगलवार को रायसीना डायलॉग 2025 में स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर 2022 में जो रुख उन्होंने अपनाया था वो सही नहीं था। रायसीना डायलॉग 2025 में शशि थरूर से पूछा गया कि क्या रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की स्थिति को देखते हुए उन्हें खुशी है कि भारत ने जो रुख अपनाया, वह सही था? इस पर शशि थरूर ने माना कि तीन साल बाद उन्हें अपनी उस स्थिति पर अफसोस है। उन्हें शर्मिंदगी जैसा अहसास हो रहा है।

शांति स्थापित करने में निभा सकते हैं भूमिका

थरूर ने आगे कहा,भारत दुनिया में अपनी खास स्थिति को देखते हुए शांति स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। अगर रूस और यूक्रेन के बीच कोई समझौता होता है, तो भारत शांति सैनिकों को भेजने के लिए तैयार हो सकता है। खासकर तब, जब रूस ने नाटो देशों के यूरोपीय शांति सैनिकों को अस्वीकार कर दिया है।

रूस और यूक्रेन के बीच 2022 में युद्ध शुरू हुआ था। जंग अब भी जारी है। जब पूरी दुनिया में रूस-यूक्रेन जंग से खलबली मची तब कांग्रेस नेता शशि थरूर उस समय भारत के रुख के सबसे मुखर विरोधियों में से एक थे। तब उन्होंने भारत के स्टैंड को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की थी। शशि थरूर ने सरकार पर मौन रहने का आरोप लगाते हुए कहा था कि रूस हमारा दोस्त है और उसकी कुछ वैध सुरक्षा चिंताएं हो सकती हैं लेकिन भारत का अचानक इस मुद्दे पर चुप हो जाना यूक्रेन और उसके समर्थकों को निराश करेगा।

जीएसटी पर गरमाई राजनीति, पॉपकॉर्न के बाद डोनट्स को लेकर कांग्रेस के निशाने पर सरकार

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केंद्र सरकार की जीएसटी को लेकर कांग्रेस के निशाने पर है। कांग्रेस ने शनिवार को जीएसटी की अलग-अलग दरें लागू करने को लेकर केन्द्र पर एक बार फिर से तीखा प्रहार किया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार (15 मार्च) को कहा कि पॉपकॉर्न के बाद अब ‘डोनट’ पर भी जीएसटी का असर देखने को मिल रहा है। उन्होंने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि देश को अब ‘जीएसटी 2.0’ की जरूरत है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि सिंगापुर स्थित चेन मैड ओवर डोनट्स को अपने व्यवसाय को कथित रूप से गलत तरीके से वर्गीकृत करने और 5 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान करने के लिए 100 करोड़ रुपये का कर नोटिस का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी ने दावा किया कि यह एक रेस्टोरेंट सेवा है, जबकि बेकरी वस्तुओं पर 18 प्रतिशत कर का भुगतान किया जा रहा है। इस वजह से कंपनी पर भारी टैक्स बकाया हो गया। अब ये मामला मुंबई हाई कोर्ट में पहुंच चुका है जहां इस पर कानूनी लड़ाई जारी है।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की हकीकत यही- जयराम रमेश

जयराम रमेश ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ये पूरा मामला बताता है कि ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ की असलियत क्या है। सरकार इस नारे का इस्तेमाल तो करती है, लेकिन हकीकत में व्यापारियों को बेवजह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। रमेश ने कहा कि टैक्स प्रणाली में कई विसंगतियां हैं और इसलिए अब जीएसटी 2.0 की जरूरत महसूस हो रही है ताकि सभी व्यापारियों को समान अवसर और राहत मिल सके।

जीएसटी को लेकर पहले भी सवाल उठा चुकी कांग्रेस

पिछले साल दिसंबर में, कांग्रेस ने कहा था कि जीएसटी के तहत पॉपकॉर्न के लिए तीन अलग-अलग टैक्स स्लैब की "बेतुकी" व्यवस्था केवल सिस्टम की बढ़ती जटिलता को उजागर करती है और पूछा कि क्या मोदी सरकार जीएसटी 2.0 को लागू करने के लिए पूरी तरह से बदलाव करने का साहस दिखाएगी।

हरियाणा में कांग्रेस का सूपड़ा साफ, और मजबूत हुआ भाजपा का गढ़, क्यों छूट रहा “हाथ” का साथ

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हरियाणा के निकाय चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली है। 10 नगर निगमों में से कांग्रेस एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई। बीजेपी ने 10 में से 9 सीटों पर जीत दर्ज की है। एक सीट पर निर्दलीय ने कब्जा जमाया है. कांग्रेस खाता खोलने में भी नाकामयाब रही।

हरियान में मिली इस बड़ी शिकस्त के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बीजेपी पहले भी जीत चुकी है। इसमें नया क्या है? हमने कभी नहीं कहा कि हमने ये चुनाव गंभीरता से लड़ा। जब मैं मुख्यमंत्री था, तब भी मैंने कभी पंचायत चुनावों में हिस्सा नहीं लिया। इन चुनावों में सिर्फ भाईचारा काम करता है। अगर हमारे पास (स्थानीय निकायों में) एक सीट होती और हम हार जाते तो नतीजा हमारे लिए नुकसानदेह होता। इन चुनावों में ज्यादातर निर्दलीय उम्मीदवार खड़े होते हैं।साथ ही हुड्डा ने कहा कि इन चुनाव नतीजों से कांग्रेस विधायक दल नेता के चुनाव पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। कांग्रेस को भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ रोहतक में भी हार मिली है।

सूबे के विधानसभा चुनाव में करारी मात खाने के साढ़े पांच महीने बाद निकाय चुनाव में भी कांग्रेस जीरो पर सिमट गई है जबकि बीजेपी ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने में सफल रही। सीएम नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में शहरी निकाय चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस को शिकस्त देकर नगर निगम, नगर परिषद और नगरपालिका में ‘कमल’ खिलाने में कामयाब रही। वहीं, कांग्रेस के हाथ खाली रहे।

हरियाणा निकाय चुनाव में शहरी मतदाताओं ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भाजपा उनकी सबसे पसंदीदा पार्टी है। इस चुनाव में कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले रोहतक और सोनीपत नगर निगम के मेयर पद पर भी हुड्डा गुट जीत हासिल नहीं कर सका। बिना संगठन के चुनाव मैदान में उतरी कांग्रेस का निगम चुनाव में इस बार सूपड़ा ही साफ हो गया। लचर प्रबंधन के साथ मैदान में उतरी कांग्रेस कहीं भी एकजुट नजर नहीं आई। कांग्रेस का प्रचार भी बेहद कमजोर रहा।

कांग्रेस की हार के ये हैं बड़े कारणः-

• इस हार की सबसे बड़ी वजह राज्य में कांग्रेस का संगठन न होना माना जा रहा है। हाईकमान भी अभी तक संगठन बनाने में कामयाब नहीं हो पाया है।

• हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी पूरी तरह से हावी है। एक ही पार्टी के नेता एक-दूसरे के उम्मीदवारों को हराने में जुटे थे। इस निकाय चुनाव में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला।

• पिछले एक साल से हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति भी एक बड़ी वजह मानी जा रही है। कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व इसी में उलझा हुआ है।

• हरियाणा निकाय चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने अपने प्रत्याशियों के लिए प्रचार तो किया, लेकिन चुनाव प्रचार में वो धार नहीं दिखी, जो कांग्रेस को अपने कार्यकताओं का उत्साह बढ़ाने में दिखाना चाहिए था।

• हरियाणा निकाय चुनाव में टिकटों के गलत वितरण का भी आरोप लगा है, जिससे कांग्रेसियों में नाराजगी नजर आई और हार का कारण भी बना।