28 मार्च 2025 को अमर शहीद नीलाम्बर-पीताम्बर का 167 वाँ शहादत समारोह तेनुघाट में मानाने का निर्णय, झारखण्ड सरकार के मंत्री भी होंगे शामिल।
पेटरवार (बोकारो)
मिथलेश कुमार
तेनुघाट निलंबर -पीताम्बर भवन में खरवार भोगता सामाज के लोगो ने बैठक कर 28 मार्च 2025 को अमर शहीद नीलाम्बर-पीताम्बर का 167 वाँ शहादत समारोह तेनुघाट में मानाने का निर्णय लिया। वहीं हीरालाल भोगता जिला प्रवक्ता सह केंद्रीय सदस्य ने बताया कि 1857 ई० प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में पूरे देश में अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ ज्वाला भड़क चुकी थी। उसी क्रम में झारखंड एकीकृत बिहार के पलामू वर्तमान गढ़वा जिला के भंडारिया प्रखंड स्थित चेमो और सेनेया गाँव के भोगता खरवार आदिवासी सहोदर भाईयों वीर नीलाम्बर - वीर पीताम्बर शाही भोगता ने सन् 1857 ई० से लेकर 1859 ई० तक लगातार अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बीहड जंगलो, दुर्गम पहाड़ों और खतरनाक घाटियों जैसे भूखंड में रहकर अंग्रेजों के खुँखार फौजियों से स्वाधिनता की रक्षा के लिए जोरदार टक्करें ली। अंग्रेजों के अनेको स्थलों पर एतिहासिक हमले भी किये। भोगता खरवारों कि एक प्रधान शाखा (उपजाति) है, जिन्हें शाही की उपाधि प्राप्त थी। वे शुरता - वीरता में अद्वितीय थे। नीलाम्बर - पीताम्बर शाही भोगता के दादा सेवबक्स भोगता को अपने कौशलता से दो जगहों पर 12 गाँव की जागीर प्राप्त था। एक सुरगुजा (अब छतीसगढ़) के समीप पर दूसरा चेमो - सेनेया गाँव (भंडरिया प्रखंड) जो कोयल नदी के तट पर स्थित है। चेमू सिंह भोगता, सेवबक्स भोगता के पुत्र थे, जिन्हें कई बार अंग्रेजों से टक्कर हो चुकी थी। उन्हें शांत रहने हेतु ब्रिटिश कंपनी ने उनकी जागीर को बरकरार रखी गई थी। लेकिन चेमू सिंह भोगता खतरे को भांपकर नीलाम्बर - पीताम्बर दोनों भाईयों के नेतृत्व में चेरो - खरवार भोगताओं का एक कुशल फौज (सैनिक) का गठन कर चेमो और सेनेया गाँव में सैनिक छावनी बनाया। जहाँ सफल ट्रेनिंग में घुडसवार, तीरंदाजी, हथियार संचालन, गुरिल्ला युद्ध कौशल (छिपकर वार करना) करने की प्रशिक्षण दे रखा था। खरवार भोगता के फौज से घबराकर अंग्रेज भक्त - जा जागीरदारों ने चेमू सिंह भोगता को साजिश के तहत बंधु - बाँधओं व फौज से अलग अकेले बुलाकर सन् 1856 में हत्त्या कर दी। नीलाम्बर - पीताम्बर शाही भोगता प्रतिशोध के रूप में मौके का इंतजार कर थे। जो 1857 ई० का सिपाही विद्रोह का क्रांति आग में घी का काम किया और वे दोनों भाई अंग्रेजों से मुकाबला करने को उतारू हो गए। उनके कुशल नेतृत्व में चेरो, खरवार भोगताओं ने हजारों की संख्या में जुटकर शाहपुर थाना, लेस्लीगंज थाना, आबकारी कचहरी तथा तहसील कचहरी में लुट - पाट कर आग लगा दी साथ ही मनिका, बरगढ़ तथा छतरपुर थाना को भी लुट कर आग लगा दिया। उन्होंने बंगाल कोल कंपनी एवं स्टेशन स्टेशन में लुट पाट के बाद कुछ मशीनों में आग लगा दिये तथा कुछ को अपने साथ लेते गए। विद्रोहियों के पास चार तोप तथा अन्य हथियार थे। जिसके कारण स्थानीय सैनिक इनका मुकाबला नहीं कर पा रहे थे। ले० ग्राहम एवं कमिशनर डाल्टन स्थानीय जागीरदारों एवं वफादारों के सहयोग से विद्रोह को दबाने में असफल रहे। ले० ग्राहम विद्रोहियों के डर से चैनपुर के ठाकुर के यहाँ छिप कर रहना पड़ा। ले० ग्राहम की सहायता के लिए सासाराम से डिप्टी मजिस्ट्रेट वेकर, सुरगुजा से अपने दल के साथ कैप्टन डेविस, देव राजा छः सौ बंदूकची तथा एक सौ घुड़सवार के साथ मद्रास नेटिकइंफैट्री के सैनिक तथा घुड़सवार दल एवं परगैनत जगत पाल सिंह के नेतृत्व में बंदुकधारी के पहुंचने के पश्चात कमिशनर डाल्टन ने स्थानीय जागीरदारों के सैन्य सहायता के साथ नीलाम्बर- पीताम्बर सहोदर भाईयों के विद्रोह को कुचलने के लिए बुलाया, फिर भी वे अपने आप को बचाते हुए विद्रोह को जारी रखा। विद्रोहीयों द्वारा पांच तोप बना लिए गये थे तथा पांच में कुछ काम बाकी था। ब्रिटिश कंपनी के बाहरी सेना के आने के बाद इनके पैतृक गाँव चेमो- सेनेया में प्रवेश किया। विद्रोही जंगली टिल्कों का आड़ लेकर हमला करते हुए जंगल कि और छिप कर निकल गए। बाद में छोटानागपुर के आयुक्त ई० टी० झाल्टन एवं सहायक कनीय आयुक्त ले० ग्राहम के द्वारा सरकारी सैनिकों को तीन चार भागों में बाँटकर पलामू किला गढ़ एवं चेमू और सेनेया गाँव को घेर लुट पाट तोप, गोला बारूद का बौछार कर गाँव को ध्वस्त कर दिये गए। जिससे नीलाम्बर- पीताम्बर शाही भोगता के सैकडों फौज मारे गए। शाहाबाद से क्रांतिकारी वीर कुँवर सिंह के भाई बाबु अमर सिंह घुड़सवारों तथा अपने सैनिकों के साथ नीलाम्बर- पीताम्बर को मदद के लिए पलामू पहुँच चुके थे। वहीं छोटानागपुर के विश्वनाथ शाही भी विद्रोहियों के मदद के तैयारी में थे, अंग्रेज भक्त जासूसों के सूचना पर दोनों भाईयों को रात में गिरफ्तार कर लिया और उन पर अंग्रेजी फौज की हत्त्या, तहसील, कचहरी लूटना, थाना में आग लगाना तथा गाँव जलाने का दोषी ठहराकर बिना मुकदमा चलाये विद्रोहि करार देते हुए 28 मार्च 1859 ई० को लेस्लीगंज के पीपल पेड़ में फांसी दे दी।
इन्ही की याद में 28 मार्च 2025 को नीलाम्बर-पीताम्बर प्रतिमा स्थल एक नम्बर तेनुघाट में 167 वाँ शहादत समारोह मनाया जायेगा, जिसमें बोकारो के विभिन्न क्षेत्रों से हजारों लोग जुटेंगे।
उक्त कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय मंत्री श्री योगेंद्र प्रसाद ( पेयजल एवं स्वच्छता, ) यह जनकारी भोला भोगता ने दी।
उक्त समारोह को सफल बनाने के लिए सोहन गंझू जिला अध्यक्ष, रामचंद्र गंझू, हीरालाल भोगता, सेवा गंझू, बैजनाथ गंझू, लालमोहन गंझू, सुरेश भोगता, भूणेश्वर एवं बोकारो जिला एवं प्रखंड के सभी खरवार भोगता समाज के पदाधिकारी सम्मिलित हैं।
Mar 27 2025, 17:12