बरौनी रिफाइनरी का 15 जनवरी को 60 साल होगा पूरा
1965 में देश को समर्पित होकर अपनी यात्रा प्रारंभ करने वाली इंडियन ऑयल की बरौनी रिफाइनरी 15 जनवरी को 60 साल पूरा होने पर अपनी हीरक जयंती मनाएगी। बिहार में बरौनी रिफाइनरी की स्थापना होना पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह की दूरदर्शिता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। उनके प्रयास और रणनीतिक सोच ने बरौनी रिफाइनरी को एक ऐसा औद्योगिक केन्द्र बनाया, जिसने न केवल बिहार, बल्कि पूरे पूर्वी भारत की सामाजिक और आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
तत्कालीन सोवियत संघ के सहयोग और रोमानिया की सीमित भागीदारी से 49.4 करोड़ रुपए की लागत से स्थापित बरौनी रिफाइनरी ने 1964 में उत्पादन शुरू किया। बिहार के बेगूसराय जिले में गंगा नदी के किनारे स्थित यह रिफाइनरी न केवल भारतीय ऊर्जा क्षेत्र में, बल्कि बिहार के सामाजिक और औद्योगिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। अपने 60 वर्षों के सफर में बरौनी रिफाइनरी ने ऊर्जा उत्पादन और पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ समाज कल्याण तथा क्षेत्रीय विकास में भी अतुलनीय योगदान दिया
शुरुआत में 1 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MMTPA) की क्षमता के साथ शुरू हुई बरौनी रिफाइनरी ने समय के साथ अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर वर्तमान में 6 MMTPA तक पहुंचाया है। भारत के ऊर्जा मानकों को पूरा करने के लिए इसे समय-समय पर उन्नत किया गया। 2002 में हाई सल्फर क्रूड के प्रसंस्करण के लिए प्रमुख इकाई RFCCU, DHDT, और SRU को जोड़ा गया। 2010 में रिफाइनरी ने BS-III ईंधन उत्पादन के लिए MSQ परियोजना शुरू की। बरौनी रिफाइनरी ने बीएस- IV अपग्रेडेशन के तहत मौजूदा डीएचडीटी (DHDT), प्राइम जी (Prime G) और एनएसयू (NSU) इकाइयों का आधुनिकीकरण किया।
इसके साथ ही नई सीसीआरयू (CCRU), एनएसयू (NSU) और प्राइम जी (Prime G) इकाइयों की स्थापना की। इन संशोधनों के परिणामस्वरूप मोटर स्पिरिट (MS) और हाई-स्पीड डीजल (HSD) का उत्पादन संभव हुआ। बरौनी रिफाइनरी BS-VI मानकों का पालन करने वाले स्वच्छ और पर्यावरण-अनुकूल ईंधन का उत्पादन कर रही है।
2022 में एविएशन टर्बाइन फ्युल (ATF) के उत्पादन के लिए इंडजेट यूनिट की स्थापना, 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रित मोटर स्पिरिट (EBMS-20) का उत्पादन और 9 MMTPA क्षमता विस्तार परियोजना का शुभारंभ इस रिफाइनरी की निरंतर प्रगति का प्रमाण है।
बरौनी रिफाइनरी बिहार की औद्योगिक शक्ति और भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यह रिफाइनरी न केवल बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की ईंधन आवश्यकताओं को पूरा करती है, बल्कि नेपाल को भी ईंधन और एलपीजी की आपूर्ति करती है। इसके उत्पादों में डीजल, पेट्रोल, विमान ईंधन, एलपीजी, नाफ्था और बिटुमेन आदि शामिल हैं। यह रिफाइनरी बिहार की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने और क्षेत्रीय रोजगार के अवसर प्रदान करने में अहम भूमिका निभा रही है।
बरौनी रिफाइनरी बिहार के सामाजिक-आर्थिक विकास का एक स्तंभ रही है। अपनी सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) के तहत रिफाइनरी ने 4000 से अधिक छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की है। स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया है। स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में आरओ प्लांट लगाए हैं। रिफाइनरी ने सदर अस्पताल, बेगूसराय में 50 बेड के अत्याधुनिक बाल चिकित्सा वार्ड का निर्माण किया और तीन एम्बुलेंस दिए। इसके साथ ही ग्रामीण विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिए सौर ऊर्जा संयंत्र, वर्षा जल संचयन और जैव विविधता संरक्षण जैसी परियोजना चला रही है।
पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बरकरार रखते हुए, रिफाइनरी ने शून्य अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली और हरित ऊर्जा परियोजनाएं शुरू की हैं। इसके 125.99 एकड़ क्षेत्रफल में हरित बेल्ट और 7.58 एकड़ क्षेत्र में विकसित ईको पार्क इसे प्रकृति के साथ तालमेल के प्रतीक के रूप में स्थापित करता है। ईको पार्क न केवल पर्यावरणीय सौंदर्य का उदाहरण है, बल्कि सैकड़ों स्थानीय और प्रवासी पक्षियों का निवास स्थान भी है।
बरौनी रिफाइनरी की 9.0 MMTPA क्षमता विस्तार परियोजना बिहार के लिए एक नई औद्योगिक क्रांति का मार्ग प्रशस्त करेगी। इस परियोजना के तहत एक मॉडर्न पॉलीप्रोपाइलीन इकाई की स्थापना की जाएगी, जो बिहार को पेट्रोकेमिकल उत्पादन में अग्रणी बनाएगी। यह परियोजना न केवल रोजगार के अवसर प्रदान करेगी, बल्कि बिहार को माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइज (MSME) क्षेत्र में भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।
15 जनवरी 1965 तत्कालीन केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री प्रो. हुमायूं कबीर द्वारा राष्ट्र को समर्पित होकर 2025 तक के 60 वर्षों का यह सफर न केवल भारतीय ऊर्जा क्षेत्र की एक अद्भुत उपलब्धि है, बल्कि बिहार के विकास और आत्मनिर्भरता का भी प्रतीक है। इसने बिहार और पूरे देश में सामाजिक और आर्थिक विकास की गति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हीरक जयंती का यह अवसर बरौनी रिफाइनरी के गौरवशाली इतिहास और उज्ज्वल भविष्य की कहानी को प्रस्तुत करता है। 15 जनवरी 1965 को एक मिलियन मैट्रिक टन शोधन क्षमता के बरौनी रिफाइनरी का उद्घाटन किया गया था। 1969 में इसकी क्षमता एक से बढ़ाकर तीन मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MMTPA) कर दिया गया। इसके बाद 1999 में रिफाइनरी की क्षमता का नवीकरण कर तीन से 6 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MMTPA) किया गया था। इसके बाद अब इसकी क्षमता छह से बढ़ाकर 9 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MMTPA) किया जा रहा है। बरौनी रिफाइनरी को 1965 में असम के कम सल्फर कच्चे तेल (स्वीट क्रूड) को संसाधित करने के लिए डिजाइन किया गया था। पूर्वोत्तर में अन्य रिफाइनरियों की स्थापना के बाद असम में कच्चे तेल की उपलब्धता कम हो रही थी। इसलिए स्वीट क्रूड अफ्रीका, नाइजीरिया और मलेशिया से मंगाया जा रहा था।
बेगूसराय से नोमानुल हक की रिपोर्ट
Jan 14 2025, 12:59