सख्त कानून के बाद भी झारखंड क्यों नहीं रुक रही रही JSSC परीक्षाओं में धांधली...?
झारखंड डेस्क
झारखंड: छात्र जब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू करता है तो उसके आंखों में भविष्य के की सपने होते है. कोई IAS-PCS की परीक्षा क्रैक करना चाहता है तो कोई SSC और अन्य भर्ती परीक्षाओं की, मगर जब उन्हीं छात्रों को इन परीक्षाओं में हो रही धांधली का सामना करना पड़ता है तो उनका मनोबल टूट जाता है।कुछ ऐसा ही हो रहा झारखंड के छात्रों के साथ।
“झारखंड—संभावनाओं और संघर्षों का संगम। एक ऐसा राज्य है जिसने नकल रोकथाम के लिए देश के सबसे सख्त कानून बनाए हैं।लेकिन क्या ये कानून शिक्षा माफियाओं और पेपर लीक के गंभीर संकट को रोकने में सक्षम हैं?”
केंद्र सरकार ने 2024 में नकल रोकथाम के लिए कठोर विधेयक पेश किया है।इसमें नकल के दोषी पाए जाने पर 10 साल की जेल और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। लेकिन झारखंड ने इससे पहले ही 2023 में नकल रोकथाम कानून लागू किया, जो केंद्र से कहीं अधिक सख्त है। झारखंड के कानून के तहत आजीवन कारावास और 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना तय किया गया है।
पहली बार नकल करते पकड़े जाने पर 1 साल की जेल और 5 लाख रुपये का जुर्माना, जबकि दूसरी बार पकड़े जाने पर 3 साल की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना। ये प्रावधान राज्य लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग और अन्य भर्ती परीक्षाओं पर लागू होते हैं। लेकिन इन कानूनों के बावजूद, झारखंड की परीक्षा प्रणाली विवादों से मुक्त नहीं हो पाई है।
झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की परीक्षाएं विवादों और घोटालों का पर्याय बन चुकी हैं। 2001 में प्रथम और द्वितीय सिविल सेवा परीक्षाओं से ही यह सिलसिला शुरू हो गया था। इन परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगे। सीबीआई जांच में पाया गया कि कई उम्मीदवार बिना उत्तर पुस्तिका लिखे चयनित हो गए। तत्कालीन अध्यक्ष और कई अधिकारियों पर गड़बड़ी के आरोप सिद्ध हुए। 12 साल तक चली जांच में 70 लोगों पर चार्जशीट दाखिल हुई। जेपीएससी द्वारा आयोजित लगभग हर परीक्षा किसी न किसी विवाद में फंसी। 21 वर्षों में केवल 13 परीक्षाएं आयोजित हो सकीं, जबकि हर साल परीक्षा होनी चाहिए थी। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) भी विवादों से अछूता नहीं है। हाल ही में आयोजित स्नातक स्तरीय परीक्षा (CGL) का पेपर लीक हो गया। यह घटना 28 जनवरी 2024 को तीसरी पाली की परीक्षा के दौरान सामने आई। इस मामले में परीक्षा रद्द कर एसआईटी जांच के आदेश दिए गए। जेएसएससी ने नामकुम थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई, लेकिन छात्र सीबीआई जांच की मांग पर अड़े रहे। यह पहली बार नहीं है। 2022 में भी पॉलिटेक्निक परीक्षा का पेपर लीक हुआ था, जिसके चलते परीक्षा दोबारा आयोजित करनी पड़ी।
Dec 28 2024, 14:43