गया में कुम्हार उत्थान कमेटी गया जिला का एक बैठक हुआ आयोजित, माटी कला बोर्ड का गठन एवं अन्य मांगे को लेकर आंदोलन करने का निर्णय

गया। गया शहर के गांधी मैदान स्थित गांधी मंडप में कुम्हार उत्थान कमेटी गया जिला का एक बैठक आयोजित की गई. जिसकी अध्यक्षता कुम्हार उत्थान कमेटी के जिला अध्यक्ष राजीव नयन प्रजापति और संचालन भूपेंद्र प्रजापति ने किया। इस बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश अध्यक्ष ज्ञान दत्त प्रजापति शामिल हुए।

मुख्य अतिथि ज्ञानदत्त प्रजापति ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि कुम्हार के उत्थान के लिए बिहार सरकार से माटी कला बोर्ड का गठन एवं अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करने का निर्णय लिया गया।

इस बैठक में गया जिला कुम्हार कोर कमेटी का गठन किया गया। इस मौके पर सीताराम प्रजापति, रश्मि प्रजापति, सत्येंद्र प्रजापति, संजीव कुमार, किशोर प्रजापति, विकास कुमार, विजय प्रजापति, प्रमोद कुमार, सुबोध कुमार सहित कई लोग शामिल रहे।

डीएम ने मादक पदार्थ, अफीम के अवैध खेती, व्यापार के रोकथाम एवं नियंत्रण को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की समीक्षा, दिए यह निर्देश

गया। जिलाधिकारी डॉ० त्यागराजन एसएम की अध्यक्षता में समाहरणालय सभागार में गया जिला अन्तर्गत मादक पदार्थ/ अफीम के अवैध खेती/ व्यापार के रोकथाम एवं नियंत्रण, मद्द निषेध, खनन विभाग, भूमि विवाद इत्यादि बिंदुओं पर विस्तार से समीक्षा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की गई। जिलाधिकारी ने अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी शेरघाटी, भूमि सुधार उप समाहर्ता शेरघाटी, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी शेरघाटी तथा जिला वन पदाधिकारी को सख्त हिदायत दिया कि हर हाल में अभियान चलाकर तेजी से अफीम की खेती का विनष्टीकरण कार्य करावे। अभी प्रारंभिक समय है कि आसानी से अफीम को नष्ट किया जा सकता है, इसके लिये सभी संबंधित पदाधिकारी/ एजेंसी को एक टीम वर्क के रूप में कार्य करना पड़ेगा।

ज़िलाधिकारी ने सहायक आयुक्त उत्पाद को नोडल बनाते हुए निर्देश दिया कि शेरघाटी अनुमंडल के विभिन्न क्षेत्रों में ड्रोन के माध्यम से जीपीएस युक्त सर्वे कराएं तथा जीपीएस फ़ोटो के आधार पर जमीन मालिक को चिन्हित करते हुए उनके विरुद्ध कार्रवाई करे। साथ ही पर्याप्त संख्या में जेसीबी ट्रैक्टर सहित अन्य लॉजिस्टिक्स अगले दो दिनों के अंदर चिन्हित करते हुए विनष्टीकरण का कार्य प्रारंभ करने का निर्देश दिए हैं। प्रतिदिन टीम लगाकर अभियान चलाकर लगातार नष्ट करवाये। उन्होंने बताया कि शेरघाटी अनुमंडल के विभिन्न क्षेत्र में विशेष कर इमामगंज एव बाराचट्टी के क्षेत्र में लगभग 1300 एकड़ से ऊपर के सरकारी जमीन, वन विभाग के जमीन एवं रैयती जमीन में अफीम की खेती की जाती है। वन भूमि वाले जमीन पर वन विभाग की ओर से प्राथमिक की दर्ज की जाएगी।

सरकारी भूमि पर अफीम की खेती करने वालों के विरुद्ध अंचल अधिकारी के स्तर से एफआईआर की दर्ज की जाएगी तथा प्राइवेट भूमि वाले पर जमीन मालिक पर प्राथमिक की जाएगी। हर हाल में नामजद प्राथमिक की दर्ज करने का निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि वैसे व्यक्ति जो अफीम की खेती करवाते हैं या बड़े माफिया है उन पर विशेष रूप से फोकस कर उन पर प्राथमिक दर्ज करते हुए कानूनी कार्रवाई करें। पिछले वर्ष कई एकड़ में बड़े पैमाने पर वन विभाग एवं कृषि विभाग द्वारा अलग-अलग प्रकार के पेड़ पौधे उसी स्थान पर लगाए गए थे। इसके अलावा कृषि विभाग द्वारा उन क्षेत्रों में वैकल्पिक खेती भी करवाई गई थी ताकि लोग इस मादक पदार्थ की खेती नहीं कर सके। इस वर्ष अफीम की खेती को नष्ट करने में किसी भी स्तर पर कोई कोताही नहीं बरते।

समीक्षा के दौरान जिलाधिकारी ने बताया कि वन भूमि तथा गैर वन भूमि क्षेत्र में, जहाँ भी अफीम का पौधा है, उसे चिन्हित कर नष्ट करवाये। उन्होंने जिला वन पदाधिकारी को निर्देश दिया कि अफीम के फसल को नष्ट करने के दौरान केमिकल का छिड़काव स्प्रे करवाये, ताकि दुबारा मादक फसल उपज नही हो सके। उन्होंने कहा कि अफीम की खेती में प्रयोग आने वाले गैर वन भूमि वाले क्षेत्र के जमीन मालिक तथा खेती करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध नामयुक्त (बाय नेम) प्राथमिकी दर्ज करें तथा अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी यह सुनिश्चित कराएंगे की उनकी गिरफ्तारी त्वरित गति से हो। उन्होंने कहा कि अफीम की खेती से जुड़े हुए व्यक्तियों का प्राथमिकी दर्ज करने में किसी प्रकार की कोई कोताही बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, यह सभी संबंधित पदाधिकारी सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि कंबाइंड ऑपरेशन चलाने के लिए सभी पारा मिलिट्री फोर्स का भी प्रयोग किया जाएगा।

     

जिलाधिकारी ने कहा कि सख्ती से लगातार सघन अभियान चलाने का सख्त हिदायत दिया। उन्होंने जिला वन पदाधिकारी को निर्देश दिया कि वन विभाग की वैसे क्षेत्र जहां अफीम की खेती को नष्ट किया जा रहा है। खनन विभाग के समीक्षा के दौरान जिलाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिया कि जहां भी बालू खनन किया जा रहा है उस स्थान पर खनन विभाग द्वारा निर्गत चेकलिस्ट के अनुसार नियमित जांच अपेक्षित है। अगर चेकलिस्ट के बाहर यदि खनन होता है, तो संबंधित संवेदक के विरुद्ध कार्रवाई करें। प्रत्येक सप्ताह के दो दिन अनुमंडल पदाधिकारी एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी संयुक्त रूप से छापेमारी अभियान चलावे इसके अलावा नियमित तौर पर खनन विभाग एवं स्थानीय पदाधिकारी लगातार प्रभावी छापेमारी अभियान चलावे। खनन विभाग के पदाधिकारी को क्षेत्र का बंटवारा कर टीम बनाएं एवं छापामारी करवाये।

भूमि विवाद के समीक्षा के दौरान जिला पदाधिकारी ने निर्देश दिया कि प्रत्येक शनिवार को थाना स्तर पर होने वाले जनता दरबार की सुनवाई पूरी प्रभावी रूप से करें। गया जिला में सिचाई पूरी तरह आहर पोखर पइन पर निर्भर है। इसे देखते हुए सरकारी जितने भी जल संचयन संरचनाओं हैं यदि अतिक्रमण हो रहे हैं तो उसे तुरंत अतिक्रमण वाद चलकर निपटारा करें। मद्द निषेध एवं उत्पाद विभाग के समीक्षा के दौरान निर्देश दिया कि शराब विनष्टीकरण में तेजी लावे। थाना स्तर पर लिस्ट बनाएं पूर्व में जो विनष्टीकरण का आदेश पारित है उसे हर हाल में नष्ट करें। डोभी चेक पोस्ट पर सतत निगरानी अति आवश्यक है। जिला पदाधिकारी ने अपर समाहर्ता विधि व्यवस्था को निर्देश दिया की औचक निरीक्षण हर हाल में नियमित तौर पर करें। वहां लगाए गए सीसीटीवी का गहन जांच भी करें। समीक्षा बैठक में जिला वन पदाधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक, नगर पुलिस उपाधीक्षक, अपर समाहर्ता विधि व्यवस्था, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उपस्थित सभी अनुमंडल पदाधिकारी, सभी अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, सभी अंचलो के अंचलाधिकारी, सभी थानों के थाना प्रभारी तथा अफीम से संबंधित पदाधिकारी गण उपस्थित थे।

80 की उम्र में भी नहीं थके श्याम सुंदर चौहान, 25 साल से छेनी हथौड़ी के साथ पहाड़ के विशाल चट्टानों से जूझने का सफर

गया। बिहार के गया की धरती ने एक से बढ़कर एक विरले को संजोया है. माउंटेन मैन दशरथ मांझी ने छेनी हथौड़ी से गहलौर घाटी की पहाङी का सीना चीरकर रास्ता बना दिया था और सदा के लिए इतिहास के पन्नों में अमर हो गए. इस क्रम में गया के श्याम सुंदर चौहान ने 2000 फीट की ऊंचाई वाले वाणावर पहाड़ के विशाल चट्टानों को काटकर न सिर्फ सुगम रास्ता बना दिया, बल्कि पांच पहाड़ों को भी जोड़ दिया. श्याम सुंदर चौहान को 25 साल पहले अचानक जुनून हुआ था, कि वाणावर पहाड़ की चोटी पर रहे बाबा सिद्धेश्वर नाथ ( प्रसिद्ध शिवलिंग) मंदिर तक पहुंचने में भक्तों को काफी परेशानियां होती है. पहाड़ भी अलग-अलग हैं. फिर क्या था, श्यामसुंदर चौहान ने अपने मन में ठान लिया, कि वह सुगम रास्ता बनाएंगे. इसके बाद वाणावर पहाड़ के विशाल चट्टानों की को छेनी हथौड़ी और खंती की मदद से काटना शुरु कर दिया. 

25 सालों से वाणावर पहाड़ के विशाल चट्टानों से जूझने का सफर

श्याम सुंदर चौहान गया जिले के बेलागंज प्रखंड के भलुआ वन अंतर्गत बेलदारी टोला के रहने वाले हैं. तकरीबन 25 साल पहले जब उनकी उम्र 55 साल की थी, तब अचानक इन्हें एहसास हुआ, कि वाणावर (बराबर पहाड़) की चोटी पर स्थित बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर को पहुंचने में भक्तों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. फिर क्या था, श्याम सुंदर चौहान ने सुगम रास्ता बनाने की ठान ली. बेलागंज के हथियार बोर के रास्ते से जितने पहाड़ मिले, सबको भेदना शुरू कर दिया. उनकी छेनी हथौड़ी इस कदर चली की 25 सालों में उन्होंने बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर तक पहुंचाने के लिए 2000 फीट में से 1500 फीट की ऊंचाई तक करीब (3 किलोमीटर) में जितने भी पहाड़ के पत्थर मिले, सबको सुगम रास्ता बनाने के जुनून में काट दिया. आज 1500 फीट की ऊंचाई तक एकदम से सुगम रास्ता बन गया है, जो असंभव को संभव करने जैसा है.

80 की उम्र में भी हौसला बरकरार

बड़ी बात यह है, कि 25 वर्षों तक वाणावर पहाड़ की चोटी तक सुगम रास्ता बनाने की जिद में जितने पहाड़ी पड़े, विशाल पत्थर मिले, सबको इन्होंने छेनी हथौड़ी की मदद से काट डाला. आज इनकी उम्र तकरीबन 80 साल की हो चुकी है, लेकिन हौसला जो 25 साल पहले था, वह आज भी बरकरार है. इनकी बूढी हड्डियों में जो तेजी दिखती है, वह एक बड़ा उदाहरण है, यह अद्भुत साहस और सकारात्मक जुनून की एक मिसाल भी है.

पहले हर सोमवारी को पहुंचते थे, अब सप्ताह में कई बार पहुंच रहे

श्याम सुंदर चौहान ने 55 साल की उम्र में पहली बार छेनी हथौड़ी से पहाड़ को काटना शुरू किया, तब उनका नियम था, कि हर सोमवारी को यह काम करेंगे. भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद कहीं या कुछ और कि उन्होंने सोमवार को ही शिव भक्तों के लिए यह काम करने का दिन चुना था. हालांकि धीरे-धीरे जब सुगम रास्ता बनता चला गया, तो इनका जोश और जुनून भी दिन ब दिन बढ़ता चला गया. अब यह सप्ताह में कई बार वाणावर पहाड़ पर चढ़ जाते हैं और अपने काम में लीन हो जाते हैं. इनका यह साहस देख हर कोई आश्चर्यचकित रह जाता है, आज कम उम्र के युवक भी 2000 फीट तकरीबन 4 किलोमीटर की ऊंचाई पर रहे वाणावार पहाड़ तक पहुंचने के लिए सोचते होंगे, लेकिन श्याम सुंदर पासवान 80 साल की उम्र में भी धड़ल्ले से 2000 फीट की ऊंचाई वाले वाणावर पहाड़ तक पहुंच जाते हैं. 1500 फीट तक सुगम रास्ता बनाने का लक्ष्य इन्होंने पूरा कर लिया है. शेष 500 फीट के लक्ष्य को पूरा करने से पहले इन्होंने एक और मिसाल कायम किया है, वह यह है, कि अब इनका जुनून है, कि बनाए गए सुुगम रास्ते को पहाड़ की तोड़ी गई चट्टानों से ही सीमेंट से जोड़कर पूरी तरह से सुगम बनाना है. 1500 फीट तक सीमेंट और पत्थर जोड़कर सुुगम यानि की पूरी तरह से प्लास्टरनुमा मार्ग का इन्होंने जो जुनून सोचा, वह पूरा भी कर रहे हैं. उनका यह जुनून लोगों के लिए एक प्रेरणा स्रोत के रूप में भी है, क्योंकि यह निस्वार्थ भाव से तन मन और धन से इस नेक काम में जुटे हुए हैं.

किसी से ₹1 नहीं मांगते, अपनी कमाई की सारी पूंजी लगा देते हैं

श्याम सुंदर पासवान किसी की मदद नहीं लेते, कभी कभार कोई खुद आगे आ जाए और सुगम मार्ग बनाने में थोड़ी मदद कर दे, तो उसे नहीं रोकते, लेकिन पिछले 25 सालों से अकेले ही पहाड़ का सीना चीर कर सुगम रास्ता बनाने में जुटे श्याम सुंदर पासवान सीमेंट से प्लास्टर करने में किसी से एक चवन्नी की भी मदद नहीं लेते हैं. यदि कोई मदद करने की बात करे, तो सीधा इनकार कर देते हैं. आज भी वे अपनी कमाई का 90 फ़ीसदी से भी ज्यादा हिस्सा हथियार बोर के रास्ते वाणावर पहाड़ पर जाने के लिए सुगम मार्ग बनाने में खर्च कर रहे हैं.

पांच पहाड़ों को जोड़ दिया 

बड़ी बात यह है, कि इस शख्सियत ने वाणावर पहाड़ पर बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए न सिर्फ सुगम रास्ता बना दिया है, बल्कि इससे भी बड़ी बात यह है, कि इन्होंने पांच पहाड़ों को जोड़ दिया है. मुरली पहाड़, लोकेशन पहाड़, पंछी तीर्थ, गणेश चौकी और पांचवा वाणावर पहाड़ को इन्होंने सुगम मार्ग बनाकर एक दूसरे से जोड़ दिया. अब मार्ग ऐसे हैं, कि बगैर किसी मुश्किल से कोई भी व्यक्ति या भक्त वाणावर पहाड़ की चोटियों पर गया के हथियार बोर के रास्ते से आसानी से पहुंच सकता है.

यह होंगे फायदे 

श्याम सुंदर चौहान के इस जुनून से हजारों लोगों को काफी फायदे होंगे. सावन के दिनों में जब वाणावर पहाड़ की चोटियों पर जाने के लिए और बाबा सिद्धेश्वर नाथ के दर्शन करने के लिए लोग पहले जहां काफी मुश्किलों से जूझते थे, अब वही आसानी से पहुंच जा सकेंगे. सबसे बड़ी बात यह होगी, कि गया के लोग तीन-चार किलोमीटर की दूरी तय करके ही जहानाबाद के क्षेत्र में पहुंच जाएंगे. पहले 15 से 20 किलोमीटर की दूरी तय कर जाने वाले लोगों को अब सहूलियत होगी. श्याम सुंदर चौहान के सुगम मार्ग ने कई किलोमीटर की दूरी को एकदम से कम कर दिया है. बता दे, कि एक बड़ी आबादी आज भी पहाड़ के रास्ते ही कई स्थानों को आती-जाती है. ऐसे में पांच पहाड़ को जोड़ दिए जाने से हजारों ग्रामीणों को इसका सीधा लाभ मिल सकेगा.

प्रेरणा मिली और जुट गए 

वही, इस संबंध में श्याम सुंदर पासवान बताते हैं, कि वे हमेशा वाणावर पहाड़ पर बाबा सिद्धेश्वर नाथ के दर्शन करने को जाते थे. एक बार प्रेरणा मिली, कि लोगों को बाबा सिद्धेश्वर नाथ तक पहुंचने में काफी परेशानी होती है, तो हमने सोचा कि पहाड़ के पत्थरों को काटकर सुगम रास्ता बना दें. जब मेरी उम्र 55 साल की थी, तो पहाड़ के चट्टानों को काटकर सुगम रास्ता बनाना शुरू कर दिया. 1500 फीट तक सुगम रास्ता पूरी तरह से बन गया है. शेष जो बचे हैं, उसमें कार्य जारी है. उससे पहले 1500 फीट में जो सुगम रास्ता बना है, उसे पत्थर और सीमेंट से जोड़कर प्लास्टर कर रहे हैं. किसी से एक रूपए इसमें नहीं लेते हैं. अपनी पूरी कमाई इसमें लगा देते हैं. हथियार बोर के रास्ते वाणावर पहाड़ तक अब सुगम रास्ता एक तरह से पूरी तरह से तैयार हो गया है. हथियार बोर गया के बेलागंज में पड़ता है, लेकिन वाणावर मंदिर और पातालगंगा जहानाबाद में पड़ता है. अभी सुगम मार्ग को प्लास्टर करने में और चौड़ीकरण करने में जुटे हुए हैं. अपनी खेती से जो कमाई होती है, वह सारा पैसा इसमें लगा देते हैं. बाबा दशरथ मांझी ने पहाड़ काटकर रास्ता बनाया था. हमने पहाड़ काटकर न सिर्फ सुगम रास्ता बनाया , बल्कि पांच पहाड़ों को भी जोड़ दिया है. बड़ी मुश्किल से ढूंढ ढूंढ कर रास्ता बनाया. आज 80 वर्ष की उम्र में भी इस काम में जुटे हुए हैं. अब डीएम भी बोलते हैं, बोर्ड लगाते हैं कि हथियार बोर की तरफ से वाणावर पहाड़ के लिए जाने में सुगम रास्ता बन गया है.

अचानक मुझे प्रेरणा मिली और फिर इस काम में जुट गया 

55 साल की उम्र से शुरू किया था. आज 25 साल हो गए. 80 वर्ष की उम्र में भी हमारा जो जुनून है, वह जारी है. वाणावर पहाड़ की चोटी तक पहुंचाने के लिए पूरी तरह से सुगम मार्ग लगभग बन गया है. अभी सीमेंट से प्लास्टर कर पूरी तरह से सुगम बनाने का काम कर रहे हैं. पिछले 25 सालों से कठिन परिश्रम के साथ इस कार्य को कर रहे हैं. एक बार इस कार्य के दौरान पहाङ पर गिरकर बेहोश हो गए थे. किसी तरह से जान बची, लेकिन एक बार जो जुनून हुआ, वह 80 वर्ष की उम्र में भी कम नहीं हुआ है, बल्कि और बढ़ गया है. यदि सरकार या प्रशासन कुछ देना चाहती है, तो इस पहाड़ का जो सुगम रास्ता बना है, उसे श्याम सुंदर चौहान मार्ग कर दे. यही मेरे पूरे मेहनत की कमाई होगी.

रिपोर्ट: मनीष कुमार

सड़कों के निर्माण को लेकर भ्रम फैला रही वर्तमान बेलागंज की विधायिका: विश्वनाथ यादव

गया। 26 अक्टूबर 2024 से पहले हमारे पिता सह तत्कालीन बेलागंज विधायक डा. सुरेन्द्र प्रसाद यादव द्वारा बेलागंन में कुल 76 सड़कों को पास कराया गया था। इन 76 सड़कों में 26 नई सड़क तथा 50 सड़क जीर्णोद्धार के लिए शामिल है। इन सभी सड़कों का डीपीआर तक तैयार हो चुका था।

लेकिन आचार संहिता के कारण टैंडर प्रक्रिया में नहीं आ सका। हाल के दिनों में कई माध्य से ज्ञात हुआ कि अब इन 76 सड़कों की योजना को काटकर दूसरी जगह ले जाने का प्रयास किया जा रहा है। ये सभी सड़कें स्थानीय लोगों की बुनियादी जरूरतों को समझते हुए पास कराया गया था। अब इन सभी सड़कों को बेलागंज की वर्तमान विधायिका श्रेय लेना चाह रही हैं। वह सरासर जनता को भ्रमित करने की बात है। उक्त बातें रविवार को अपने आवास पर बेलागंज विधानसभा के पूर्व राजद उम्मीदवार विश्वनाथ कुमार सिंह ने प्रेस वार्ता के दौरान कही।

उन्होंने बेलागंज के वर्तमान विधायिका को नसीहत देते हुए कहा कि बेलागंज के विकास के लिए झूठा क्रेडिट ना लें। इन सभी 76 सड़कों को छोड़कर नये सड़कों के लिए प्रपोजल रखें। मैं उन्हें जीत की बधाई देते हुए कहना चाहता हूँ कि बेलागंज के विकास के लिए हमारा उनको पूरा सहयोग रहेगा। बेलागंज की विकास में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं होना चाहिए।

क्योंकि बेलागंज का विकास हमारी प्राथमिकता में शामिल है। विश्वनाथ यादव ने कहा कि जिन सड़कों का श्रेय वर्तमान विधायिका लेना चाहती हैं उन सड़कों में से कुछका काम भी शुरू हो गया था। शिलापट्ट भी लगाया जा चुका है। लेकिन आचार सहिता के कारण कार्य रूक गया। फल स्वरूप इन सभी शिलापट्ट को तोड़ दिया गया। जिनमें पथरौरा, नैली, प्रताप नगर आदि शामिल है। जहाँ शिलापट्ट तोड़ा गया। यहां तक कि ठेकेदारों का भी कार्य करने से रोक कर दिया गया, ताकि आने वाले समय में इसका श्रेय ले सके। जिन सड़कों का डीपीआर के बाद कार्य शुरू हुआ उनमें घुटिया, पीएमजीएसवाई रोड से चंदौती, कटारी, चंदौती पीडब्ल्यूडी रोड से गांधी नगर शामिल है। वहीं, श्री यादव ने मैट्रो रेल को बेलागंज तक ले जाने को बात को भी सिरस खारिज करते हुए कहा कि वह सब झूठी टीआरपी लेने की बात है। यदि सही है तो बतायें कि इसको कब शुरूआत होगी। 

विश्वनाथ यादव ने अपनी हार पर कहा कि चुनाव के दौरान पूरा प्रशासन तंत्र हमें हराने के लिए लगा था। हमारे कार्यकर्ताओं को जबरन बिना किसी कारण के थाना में बंद कर रखा गया ताकि हमारे वोटरों बूथ तक नहीं पहुंच सके। इस मौके पर राजद जिलाध्यक्ष मो. मुर्शीद आलम उर्फ निजाम भाई आदि मौजूद थे।

रिपोर्ट: मनीष कुमार।

किसना डायमंड एंड गोल्ड ज्वेलरी ने गया में किया अपने एक्सक्लूसिव शोरूम का भव्य उद्घाटन

गया। किसना डायमंड एंड गोल्ड ज्वेलरी ने ज्वेलरी क्षेत्र में सफलता का आगाज करते हुए गया के स्वराजपुरी रोड स्थित अपने नए शोरूम का शानदार शुभारंभ किया जो पूरे देश में 59वां शोरूम है। किसना डायमंड एंड गोल्ड ज्वेलरी का गया स्थित यह बिहार का पांचवा शोरूम है।

इस शोरूम का उद्घाटन मुख्य अतिथि केंद्रीय एमएसएमई मंत्री जीतन राम मांझी, विशिष्ट अतिथि हरि कृष्णा ग्रुप के संस्थापक और प्रबंध निदेशक घनश्याम ढोलकिया, निदेशक पराग शाह एवं गया के फ्रैंचाइज़ पार्टनर नीलेश कुमार व अभय कुमार द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि केंद्रीय एमएसएमई मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि किसना डायमंड एंड गोल्ड ज्वेलरी के नए शोरूम के उद्घाटन के लिए आज यहां उपस्थित होकर मुझे खुशी हो रही है।

मुझे विश्वास है कि ग्राहक किसना डायमंड एंड गोल्ड ज्वेलरी का गर्मजोशी से स्वागत करेंगे, साथ ही वे इन नए शोरूम पर खरीदारी का शानदार अनुभव लेंगे और कंपनी द्वारा पेश किए गए आभूषण संग्रह की विविध रेंज का आनंद उठाएंगे। शोरूम के भव्य उद्घाटन समारोह के अवसर पर ग्राहकों के लिये किसना द्वारा डायमंड ज्वेलरी पर 100 प्रतिशत तक मेकिंग चार्ज की छूट दी जा रही है वहीं गोल्ड ज्वेलरी के मेकिंग चार्ज पर 15 प्रतिशत तक की भारी छूट मिल रही है। ग्राहकों के उत्साह को और बढ़ाते हुए किसना ने अबकी बार ग्राहकों के लिए शॉप एंड विन ए कार जैसे आकर्षक कैंपेन ऑफर लाएं हैं जिसमें 100 से अधिक कारों में से जीतने का मौका दिया गया है। ग्राहक 20 हजार या इससे अधिक कीमत वाले डायमंड, प्लेटिनम या सॉलिटेयर ज्वेलरी या 50 हजार या इससे अधिक कीमत वाले गोल्ड ज्वेलरी खरीदकर इसमें भाग ले सकते हैं।

इस अवसर पर हरि कृष्णा ग्रुप के संस्थापक और प्रबंध निदेशक, घनश्याम ढोलकिया ने कहा कि गया हमारी सफलता के सफर में एक खास स्थान रखता है। यह नया शोरूम बिहार के उपभोक्ताओं को बेजोड़ आभूषण और अनोखा अनुभव प्रदान करने के प्रति हमारे प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह विस्तार, हर घर किसना के हमारे विजन के अनुरूप किया गया है जहां हमारा उद्देश्य डायमंड ज्वेलरी के लिये हर महिला के सपने को साकार करते हुए भारत का तेजी से बढ़ता ज्वेलरी ब्रांड बनना है।

इस मौके पर किसना डायमंड एंड गोल्ड ज्वैलरी के निदेशक पराग शाह ने कहा कि शादी और त्योहारों के इस सीजन में हमें अपना पांचवां शोरूम लांच करते हुए बेहद खुशी हो रही। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य अपने महत्वपूर्ण उपभोक्ताओं को उत्तम आभूषण संकलन के जरिये खुशी प्रदान करना है।

वहीं, किसना के फ्रैंचाइज़ पार्टनर नीलेश कुमार एवं अभय कुमार* ने उत्साहित होकर कहा कि किसना के साथ साझेदारी हमारे लिये गर्व का अनुभव रहा है। किसना का त्योहार के लिये आभूषण संग्रह, त्योहार की चमक को और भी बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है। हमें इस शुभ अवसर पर स्थानीय लोगों के लिये इस खूबसूरत पेशकश को पेश करने की खुशी है। गौरतलब है कि समाज के लिये ब्रांड की अपनी प्रतिबद्धता के तहत उद्घाटन कार्यक्रम में पर्यावरण की सुरक्षा के लिये वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके साथ ही किसना द्वारा जरूरतमंदों के बीच भोजन का भी वितरण किया गया।

वज़ीरगंज में पूर्व मंत्री अवधेश सिंह ने किया सृष्टि लाइब्रेरी का उद्घाटन

गया/वजीरगंज। पुस्तकालय वह स्थान है,जहां पढ़ने की आदत को प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे छात्रों की आत्मनिर्भरता बढ़ती है और पढ़ने की चाह रखने वाले छात्रों को एक बेहतर साधन उपलब्ध कराता है। इसे ध्यान में रखते हुए वज़ीरगंज में प्रखंड क्षेत्र के छात्रों के बढ़ने, सीखने, कौशल बढ़ाने एवं खुद को बेहतर बनाने के उद्देश्य से भदानी गली रोड के पास सृष्टि लाइब्रेरी खोला गया है।

जिसका विधिवत उद्घाटन पूर्व पशुपालन मंत्री अवधेश कुमार सिंह, वज़ीरगंज जिला पार्षद डॉ पिंकी कुमारी, पुर्व मुखिया शम्भू शरण शर्मा आदि ने रविवार को संयुक्त रूप से फीता काटकर किया | लाइब्रेरी के निदेशक आदित्य शरण ने बताया कि यह एक पब्लिक ई-लाइब्रेरी है। अभी के परिवेश में खासकर वज़ीरगंज क्षेत्र में शिक्षा को लेकर लोग जागरुक है परंतु आधुनिक सुविधाओं के अभाव में लोग बेहतर शिक्षा नहीं पा सकते हैं, जिसको लेकर यह लाइब्रेरी खोला गया है।

जिसमें छात्र-छात्राओं के लिए फ्री वाई-फाई, मोबाइल एवं लैपटॉप चार्जिंग की व्यवस्था, न्यूजपेपर, ऐतिहासिक पुस्तक, कानूनी पुस्तक एवं पूरा केंपस पूर्ण रूप से सीसीटीवी कैमरा से लैस होने के साथ ही छात्र-छात्राओं के लिए बेहतर माहौल के लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध है।

इस दौरान मौके पर मुख्य पार्षद प्रतिनिधि अमर शंकर उर्फ़ काका ज़ी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामाश्रय सिंह, सतीश कुमार सिंह, तपेश्वर पुरी, अरविंद शर्मा, ई शुभेद्र कुमार सुरेन्द्र कुमार सिंह, मधु सिंह, स्नेही सिंह सहित कई प्रबुद्धजन व छात्र छात्राएं मौजूद थे।

प्रकाश मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर जेपी सिंह नई दिल्ली में "राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान" से सम्मानित किया गया

गया। गया जिले के जाने-माने जनरल और लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. जेपी सिंह को उनके चिकित्सा क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए “राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रसिद्ध अभिनेता और महाभारत महाकाव्य में युधिष्ठिर की भूमिका निभाने वाले गजेंद्र चौहान द्वारा प्रदान किया गया।

यह आयोजन गोल्डन स्पैरो टीम द्वारा किया गया, जिसमें भारत के सभी राज्यों से लगभग 50 प्रतिभाओं को विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। चिकित्सा क्षेत्र में बिहार के गया से केवल डॉ. जेपी सिंह को यह सम्मान प्राप्त हुआ। इस अवसर पर डॉक्टर, पत्रकार, वैज्ञानिक, लेखक, इंजीनियर, कलाकार, शिक्षक, अर्थशास्त्री और समाजसेवी जैसे विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्ति उपस्थित थे।

डॉ. जेपी सिंह वर्तमान में अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल और प्रकाश मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल, गया में कार्यरत हैं। डॉ. सिंह ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण सर्जिकल प्रक्रियाएं सफलतापूर्वक पूरी की हैं, उन्होंने आधुनिक चिकित्सा तकनीकों और रोगियों की सेवा के प्रति अपने समर्पण के माध्यम से स्वास्थ्य क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

समारोह के दौरान गजेंद्र चौहान ने कहा, “डॉ. जेपी सिंह जैसे समर्पित चिकित्सक हमारे समाज के सच्चे नायक हैं। उनका योगदान न केवल चिकित्सा क्षेत्र में बल्कि सामाजिक बदलाव लाने में भी अद्वितीय है।

डॉ. सिंह ने यह सम्मान प्राप्त करते हुए इसे अपनी टीम, परिवार और सभी सहयोगियों को समर्पित किया। उन्होंने कहा, “यह सम्मान मेरे लिए गर्व और प्रेरणा का क्षण है। मैं मानवता की सेवा के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहूंगा और मरीजों को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा प्रदान करने का प्रयास करता रहूंगा। यह आयोजन समाज में योगदान देने वाले विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिभाशाली व्यक्तियों की पहचान और सराहना करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण था।

रिपोर्ट: मनीष कुमार।

बिहार में बहार है, 2025 में फिर से नीतीश कुमार हैं, युवा जदयू तैयार है- कुमार गौरव उर्फ गौरव सिन्हा

गयाः जनता दल (यूनाईटेड) के कार्यकर्ता सम्मेलन में गया पहुंचे ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी का युवा जदयू के जिलाध्यक्ष कुमार गौरव उर्फ गौरव सिन्हा के नेतृत्व में सैकड़ो युवा जदयू के कार्यकर्ताओं ने गाजे बाजे के साथ शहर के मानपुर स्थित सिटी पब्लिक स्कूल के समीप भव्य स्वागत किया। युवा जदयू के कार्यकर्ताओं सहित युवा अध्यक्ष कुमार गौरव उर्फ गौरव सिन्हा ने कार्यक्रम स्थल पर मंत्री अशोक चौधरी को जदयू का सिंबॉल तीर देकर उन्हें सम्मानित किया। 

युवा जदयू गया जिलाध्यक्ष द्वारा दिए गए तीर पर लिखा हुआ था- बिहार में बहार है, 2025 में फिर से नीतीश कुमार हैं, इसके लिए युवा जदयू गया जिला तैयार है। श्री गौरव ने अपने संबोधन में कहा कि हमारी सरकार सूबे में लगातार काम कर रही है यह किसी को कहने की जरुरत नहीं है।

सूबे में रोजगार देने से लेकर सभी जाति-धर्म के लिए अनेकों योजनाएं चलाकर हर वर्ग का विकास किया जा रहा है। अगले विधानसभा चुनाव में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काम पर जनता वोट करेगी और एकबार फिर से बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनेगी। इस मौके पर सांसद कौशलेंद्र, बेलागंज विधायक मनोरमा देवी, विधान पार्षद संजय कुमार सिंह सहित हजारों की संख्या में जदयू एवं युवा जदयू के कार्यकर्ता सम्मेलन में मौजूद रहे।

अनूठा गांव है गया का चिरियावां, 100 घरों की बस्ती हर-हर में है फौजी, जब तक फौज में नहीं जाएंगे तब तक विवाह नहीं करेंगे

गया। बिहार के गया का चिरियावा गांव अनोखा है. इस गांव को फौजियों का गांव के नाम से जाना जाता है. यहां फौज की तैयारी करने वाले युवा सौगंध लेकर आगे बढ़ते हैं और अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं. जो भी युवक फौज की तैयारी शुरू करते हैं, तो शपथ लेते हैं, कि जब तक वह फौज में नहीं जाएंगे.. तब तक विवाह नहीं करेंगे. देवी माता का मंदिर इस गांव के लिए चमत्कार से कम नहीं है. कहते हैं इस मंदिर में माता को प्रणाम कर जो भी आर्मी की तैयारी करता है, वह सफल हो ही जाता है.

गया का चिरियावां गांव एकदम से अनोखा है. प्राकृतिक छटा इस गांव की खूबसूरती को जहां बढ़ाती है, वही देश के प्रति जज्बा और जुनून इस खूबसूरती को चार चांद लगा देता है. चिरियावां गांव में एक- दो नहीं बल्कि 100 से अधिक लोग फौज में है. यहां के युवकों का अटल निश्चय भी काफी प्रसिद्ध है. युवा देश के प्रति इतने समर्पित हैं, कि फौज में जाने के लिए शपथ तक लेते हैं. जब फौज में जाने की तैयारी को जुुटते हैं, तो शपथ लेते हैं, कि जब तक वह फौज में नहीं जाएंगे, विवाह नहीं करेंगे. यह शपथ यहां के युवाओं की दृढ निश्चय और लक्ष्य पाने के प्रति गंभीरता को दर्शाता है. वही, देश के लिए कुछ कर गुजरने के जुनून को भी बताता है.

राजपूतों के इस गांव में हर घर में फौजी

चिरियावां गांव चारों ओर से पहाड़ों से घिरा हुआ है. पहाड़ की गोद में बसे इस गांव की अनोखी कहानी है. इस गांव में फौज में जाने का जज्बा हर युवकों में दिखता है. अब तो यहां की लड़कियां भी आगे आने लगी है. यहां लोग या तो फौजी हैं या फिर किसान. करीब 100 घरों की बस्ती है, थोङी कुछ अन्य जातियां भी है, लेकिन 90 फीसदी आबादी राजपूतों की ही है. इन राजपूतानों के हर घर से फौजी हैं. कहीं किसी घर में तो तीन चार पीढियां से फौजी बन रहे हैं. यहां कोई बेकार या बेरोजगार नहीं दिखता, या तो वह फौज में है, या फिर जो फौज में नहीं जा पाए, वे किसान बन गए. सबसे बड़ी बात यह है, कि यहां पुरुष ही नहीं, बल्कि लड़कियां भी फौज में अपने किस्मत आजमाने को अब ठाने रहती हैं. फौजियों के गांव कहे जाने वाले चिरियावा गांंव अतरी विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है.

मेहनती है इस गांव की युवा पीढ़ी

इस गांव की युवा पीढ़ी काफी मेहनती है. मेहनत के बल पर अपना भविष्य संवारते हैं. बात चाहे ग्राउंड में पसीने बहाने की हो, या किसानी की, अपनी मेहनत से दोनों ही क्षेत्र में यहां के लोग अपनी तकदीर को सुनहरा बनाने का कोई अवसर नहीं छोड़ते हैं. यहां हर घर से फौजी निकलते हैं. यह गया ही नहीं, बल्कि बिहार और देश के लिए एक बड़े खूबसूरत गांव की तस्वीर के रूप में चिरियावां को दर्शाता है.

देवी माता के आशीर्वाद से ही संभव 

फिलहाल में फौज में जाने की तैयारी करने वाले मोनू कुमार बताते हैं, कि हम लोगों के पीछे माता का आशीर्वाद है. यहां देवी माता का मंदिर है. देवी माता मंदिर में सातों बहनिया है. भैरव बाबा है. जहां पर माता का मंदिर स्थित है, वहीं पर हमारा ग्राउंड है. माता के मंदिर की ही महिमा है, कि इस ग्राउंड में जो भी दौड़ा, वह फौजी बनकर निकला. हम लोग दौड़ लगाने से पहले माता के सामने नत मस्तक होकर उनका आशीर्वाद लेते हैं और फिर अपनी फौज में जाने की प्रैक्टिस जारी रखते हैं. यह तय है कि इस ग्राउंड में माता का मंदिर का आशीर्वाद लेकर जो भी दौड़ा, वह सफल होता चला गया है. हम युवा शपथ लेकर फौज में जाने की ठानते हैं. शपथ यह लेते हैं कि जब तक फौज में नहीं जाएंगें, तब तक विवाह नहीं करेंगे. इस सौगंध के साथ हम अपना भविष्य संंवारते हैं और अब तक सफल होते रहे हैं.

माता का आशीर्वाद और शपथ लेकर तैयारी की, अग्नि वीर में बहाली हुई है 

अग्नि वीर में चयनित हुए आलोक रंजन बताते हैं, कि उन्हें माता का आशीर्वाद मिला, जो सौगंध ली थी, वह पूरा हुआ. बताते हैं, कि आज वह अग्नि वीर में है. पिछले साल सफल हुए. जम्मू कश्मीर के बारामूला में उसकी पोस्टिंग है. उन्हें बड़ी खुशी होती है, कि वह फौज में है. इस गांव में रहकर जो सपना देखा था, वह पूरा हो गया. इससे बड़ी बात जीवन में हम लोगों के लिए कुछ नहीं हो सकती है. हमारा पूरा गांव फौजी है. हर घर से एक- दो, एक- दो फौजी मिल ही जाएंगे. कई पीढियां से फौज में जाने की जो परंपरा चली, वह अब भी जारी है, और फौजियों के इस गांव में से फौजी हमेशा निकालते रहेंगे.

किसी शादी समारोह में जुटते हैं तो बटालियन बन जाती है 

वही, फौजी से योगदान देकर लेफ्टिनेंट पद से रिटायर हुए शिव शंकर सिंह बताते हैं, कि चिरियावां फौजियों का गांव है. जब किसी शादी समारोह या बड़े अवसरों पर पूरे गांव के फौजी यहां इकट्ठे होते हैं, तो लगता है कि बटालियन बन गई है. क्योंकि इतनी तादाद में हमारे यहां गांव से फौजी निकले, कि उनकी अब गिनती करना भी मुश्किल है. बताते हैं कि फौजी से लेकर ऑफिसर तक हमारे गांव से हुए, इतना ही नहीं नेवी और एयरफोर्स में भी हमारे गांव से चयनित हुए हैं और सेना में बड़े-बड़े पदों पर हमारे गांव से लोग पहुंचे हैं. होने वाली परीक्षाओं से भी एयरफोर्स में कई गए हैं. यहां से युवक फौजी से लेकर लेफ्टिनेंट और कर्नल तक बने हैं और रिटायर किए हुए हैं. यहां रिटायर फौजियों की भी काफी तादाद है. यहां माता का मंदिर है और उनके आशीर्वाद से ही फौजियों की तादाद इतनी ज्यादा है. देश के लिए कुछ कर गुजरने का माद्दा हमारे गांव के युवकों पर है.

गया में मेट्रो रेल परियोजना के लिए प्रारंभिक सर्वेक्षण पूरा, दो मुख्य कॉरिडोर का खाका तैयार, कुल लंबाई होगी 36 किमी, लिए गए सुझाव

गया। गया में मेट्रो ट्रेन सेवा की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। राइट्स (रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस) कंपनी ने गया में मेट्रो रेल परियोजना के लिए प्रारंभिक सर्वेक्षण पूरा कर लिया है। इसके बाद शहर में दो मुख्य कॉरिडोर का खाका तैयार किया गया है। इस परियोजना का उद्देश्य शहर को आधुनिक परिवहन सुविधा से लैस करना और यातायात की भीड़ को कम करना है। 

गया में मेट्रो सेवा के लिए दो मुख्य कॉरिडोर प्रस्तावित किए गए हैं।

1. उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर (कॉरिडोर -1): यह कॉरिडोर

गया शहर के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों को जोड़ेगा। इसमें आईआईएम गया, मगध विश्वविद्यालय, महाबोधि मंदिर, गया हवाई अड्डा, बस स्टैंड और गया रेलवे जंक्शन जैसे 

प्रमुख स्थान शामिल होंगे।

लंबाई: 22.5 किमी

स्टेशनों की संख्या: 18

डिपो की जगह: आईआईएम गया के पास जिंदापुर में 20 हेक्टेयर भूमि पर डिपो की योजना। यह रूट बोधगया को भी जोड़ेगा, जिससे महाबोधि मंदिर

आने वाले पर्यटकों को सुविधा होगी।

2. पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर (कॉरिडोर-2): यह कॉरिडोर गया के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों को जोड़ेगा।

लंबाई: 13.5 किमी

स्टेशनों की संख्या: 10

डिपो की जगह: लखनपुर में 12 हेक्टेयर भूमि पर डिपो प्रस्तावित।

यह रूट बीआईपीएआरडी (बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन एंड रूरल डेवलपमेंट) और विष्णुपद मंदिर जैसे महत्वपूर्ण स्थानों को कनेक्ट करेगा। सर्वेक्षण में शामिल प्रमुख पहलू राइट्स ने मेट्रो के रूट के लिए 21 से 23 अगस्त 2024 तक विस्तृत सर्वे किया। इसमें शहर के सभी प्रमुख यात्रा गलियारों का अध्ययन किया गया। 

संरेखण के लिए ध्यान में रखे गए बिंदु

• सड़क की चौड़ाई और मौजूदा बुनियादी ढांचा।

• फ्लाईओवर और रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी)।

•मेट्रो डिपो और टर्मिनलों के लिए उपयुक्त स्थान।

• यातायात घनत्व और जनसंख्या का विश्लेषण।

सर्वेक्षण में पाया गया कि शहर की सड़कें संकरी (6-12 मीटर) हैं। प्रमुख सड़कों पर डिवाइडर नहीं हैं, जिससे कुछ क्षेत्रों में चुनौतीपूर्ण भूमि अधिग्रहण की जरूरत होगी।

संरेखण विकल्प और चुनौतियां

• गया-नवादा रोड : इस रूट पर बाजार क्षेत्र के कारण ज्यादा संपत्ति अधिग्रहण की आवश्यकता है। इसलिए इसे छोड़ दिया गया।

मानपुर रोड:पुराने और भीड़भाड़ वाले इलाके होने के

कारण इसे भी व्यवहार्य नहीं माना गया। 

• तकनीकी विशेषज्ञता के साथ रूट तय

राइट्स ने गया-डोभी रोड और पटना-गया रोड को

प्राथमिकता दी। इससे यात्री इंटरचेंज और सीमित ट्रैक कनेक्टिविटी के लिए अनुकूल मार्ग चुना गया।

• परियोजना से संभावित लाभ

• शहर में यातायात की भीड़भाड़ कम होगी।

• स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए सफर आसान होगा।

• महाबोधि मंदिर, विष्णुपद मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों तक कनेक्टिविटी बेहतर होगी।

क्षेत्रीय विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।

स्थानीय प्रशासन की भूमिका।

प्रदेश के वन मंत्री डॉ प्रेम कुमार, बेलागंज की विधायक

मनोरमा देवी, बोधगगया के विधायक कुमार सर्वजीत, डीएम त्यागराजन और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने मेट्रो के इस प्रारूप पर विस्तृत चर्चा की। स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों के सुझाव भी लिए गये। 

वहीं पूर्व डिप्टी मोहन श्रीवास्तव ने सीताकुंड के किनारे से मानपुर तक कॉरिडोर को निकालने की बात कही। इस पर राइट्स की टीम ने कहा कि अभी इस पर विचार किया जा रहा है। यह फाइनल नही है। 

पूरी तरह एलिवेटेड मेट्रो का प्रस्ताव

गया मेट्रो परियोजना की कुल लंबाई 36 किमी होगी, जो पूरी तरह एलिवेटेड होगी। यह परियोजना भविष्य में गया शहर के विकास और कनेक्टिविटी को एक नई दिशा देगी। इसका मतलब यह है कि मेट्रो ट्रेन जमीन पर नहीं बल्कि सड़क के ऊपर बनाए गए मेट्रो पुल के ऊपर चलेगी। मेट्रो ट्रेन केवल अपने स्टेशन पर ही जमीन पर उतरेगी।

गया को स्मार्ट सिटी बनाने की ओर यह बड़ा कदम माना जा रहा है। अगर सबकुछ योजना के अनुसार चला, तो 2028 तक गया शहर में मेट्रो का सपना साकार हो सकता है। मेट्रो की कुल लागत 76 करोड़ से ऊपर की है।