अनूठा गांव है गया का चिरियावां, 100 घरों की बस्ती हर-हर में है फौजी, जब तक फौज में नहीं जाएंगे तब तक विवाह नहीं करेंगे
गया। बिहार के गया का चिरियावा गांव अनोखा है. इस गांव को फौजियों का गांव के नाम से जाना जाता है. यहां फौज की तैयारी करने वाले युवा सौगंध लेकर आगे बढ़ते हैं और अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं. जो भी युवक फौज की तैयारी शुरू करते हैं, तो शपथ लेते हैं, कि जब तक वह फौज में नहीं जाएंगे.. तब तक विवाह नहीं करेंगे. देवी माता का मंदिर इस गांव के लिए चमत्कार से कम नहीं है. कहते हैं इस मंदिर में माता को प्रणाम कर जो भी आर्मी की तैयारी करता है, वह सफल हो ही जाता है.
गया का चिरियावां गांव एकदम से अनोखा है. प्राकृतिक छटा इस गांव की खूबसूरती को जहां बढ़ाती है, वही देश के प्रति जज्बा और जुनून इस खूबसूरती को चार चांद लगा देता है. चिरियावां गांव में एक- दो नहीं बल्कि 100 से अधिक लोग फौज में है. यहां के युवकों का अटल निश्चय भी काफी प्रसिद्ध है. युवा देश के प्रति इतने समर्पित हैं, कि फौज में जाने के लिए शपथ तक लेते हैं. जब फौज में जाने की तैयारी को जुुटते हैं, तो शपथ लेते हैं, कि जब तक वह फौज में नहीं जाएंगे, विवाह नहीं करेंगे. यह शपथ यहां के युवाओं की दृढ निश्चय और लक्ष्य पाने के प्रति गंभीरता को दर्शाता है. वही, देश के लिए कुछ कर गुजरने के जुनून को भी बताता है.
राजपूतों के इस गांव में हर घर में फौजी
चिरियावां गांव चारों ओर से पहाड़ों से घिरा हुआ है. पहाड़ की गोद में बसे इस गांव की अनोखी कहानी है. इस गांव में फौज में जाने का जज्बा हर युवकों में दिखता है. अब तो यहां की लड़कियां भी आगे आने लगी है. यहां लोग या तो फौजी हैं या फिर किसान. करीब 100 घरों की बस्ती है, थोङी कुछ अन्य जातियां भी है, लेकिन 90 फीसदी आबादी राजपूतों की ही है. इन राजपूतानों के हर घर से फौजी हैं. कहीं किसी घर में तो तीन चार पीढियां से फौजी बन रहे हैं. यहां कोई बेकार या बेरोजगार नहीं दिखता, या तो वह फौज में है, या फिर जो फौज में नहीं जा पाए, वे किसान बन गए. सबसे बड़ी बात यह है, कि यहां पुरुष ही नहीं, बल्कि लड़कियां भी फौज में अपने किस्मत आजमाने को अब ठाने रहती हैं. फौजियों के गांव कहे जाने वाले चिरियावा गांंव अतरी विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है.
मेहनती है इस गांव की युवा पीढ़ी
इस गांव की युवा पीढ़ी काफी मेहनती है. मेहनत के बल पर अपना भविष्य संवारते हैं. बात चाहे ग्राउंड में पसीने बहाने की हो, या किसानी की, अपनी मेहनत से दोनों ही क्षेत्र में यहां के लोग अपनी तकदीर को सुनहरा बनाने का कोई अवसर नहीं छोड़ते हैं. यहां हर घर से फौजी निकलते हैं. यह गया ही नहीं, बल्कि बिहार और देश के लिए एक बड़े खूबसूरत गांव की तस्वीर के रूप में चिरियावां को दर्शाता है.
देवी माता के आशीर्वाद से ही संभव
फिलहाल में फौज में जाने की तैयारी करने वाले मोनू कुमार बताते हैं, कि हम लोगों के पीछे माता का आशीर्वाद है. यहां देवी माता का मंदिर है. देवी माता मंदिर में सातों बहनिया है. भैरव बाबा है. जहां पर माता का मंदिर स्थित है, वहीं पर हमारा ग्राउंड है. माता के मंदिर की ही महिमा है, कि इस ग्राउंड में जो भी दौड़ा, वह फौजी बनकर निकला. हम लोग दौड़ लगाने से पहले माता के सामने नत मस्तक होकर उनका आशीर्वाद लेते हैं और फिर अपनी फौज में जाने की प्रैक्टिस जारी रखते हैं. यह तय है कि इस ग्राउंड में माता का मंदिर का आशीर्वाद लेकर जो भी दौड़ा, वह सफल होता चला गया है. हम युवा शपथ लेकर फौज में जाने की ठानते हैं. शपथ यह लेते हैं कि जब तक फौज में नहीं जाएंगें, तब तक विवाह नहीं करेंगे. इस सौगंध के साथ हम अपना भविष्य संंवारते हैं और अब तक सफल होते रहे हैं.
माता का आशीर्वाद और शपथ लेकर तैयारी की, अग्नि वीर में बहाली हुई है
अग्नि वीर में चयनित हुए आलोक रंजन बताते हैं, कि उन्हें माता का आशीर्वाद मिला, जो सौगंध ली थी, वह पूरा हुआ. बताते हैं, कि आज वह अग्नि वीर में है. पिछले साल सफल हुए. जम्मू कश्मीर के बारामूला में उसकी पोस्टिंग है. उन्हें बड़ी खुशी होती है, कि वह फौज में है. इस गांव में रहकर जो सपना देखा था, वह पूरा हो गया. इससे बड़ी बात जीवन में हम लोगों के लिए कुछ नहीं हो सकती है. हमारा पूरा गांव फौजी है. हर घर से एक- दो, एक- दो फौजी मिल ही जाएंगे. कई पीढियां से फौज में जाने की जो परंपरा चली, वह अब भी जारी है, और फौजियों के इस गांव में से फौजी हमेशा निकालते रहेंगे.
किसी शादी समारोह में जुटते हैं तो बटालियन बन जाती है
वही, फौजी से योगदान देकर लेफ्टिनेंट पद से रिटायर हुए शिव शंकर सिंह बताते हैं, कि चिरियावां फौजियों का गांव है. जब किसी शादी समारोह या बड़े अवसरों पर पूरे गांव के फौजी यहां इकट्ठे होते हैं, तो लगता है कि बटालियन बन गई है. क्योंकि इतनी तादाद में हमारे यहां गांव से फौजी निकले, कि उनकी अब गिनती करना भी मुश्किल है. बताते हैं कि फौजी से लेकर ऑफिसर तक हमारे गांव से हुए, इतना ही नहीं नेवी और एयरफोर्स में भी हमारे गांव से चयनित हुए हैं और सेना में बड़े-बड़े पदों पर हमारे गांव से लोग पहुंचे हैं. होने वाली परीक्षाओं से भी एयरफोर्स में कई गए हैं. यहां से युवक फौजी से लेकर लेफ्टिनेंट और कर्नल तक बने हैं और रिटायर किए हुए हैं. यहां रिटायर फौजियों की भी काफी तादाद है. यहां माता का मंदिर है और उनके आशीर्वाद से ही फौजियों की तादाद इतनी ज्यादा है. देश के लिए कुछ कर गुजरने का माद्दा हमारे गांव के युवकों पर है.
Dec 07 2024, 20:22