दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान, वीजा प्रतिबंधों में ढील, चीनी पत्रकारों को भारत में रिपोर्टिंग और भारतीय फिल्मों को चीन में प्रदर्शन की अनुमति, स


भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम करने की दिशा में प्रयासों के तहत, चीनी अधिकारियों ने संकेत दिया है कि दोनों देशों के रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए लगातार बातचीत हो रही है। उनका कहना है कि दोनों देश ऐसे कई उपायों पर चर्चा कर रहे हैं, जो अप्रैल-मई 2020 से पहले की स्थिति जैसी सामान्य स्थिति में संबंधों को लाने के लिए हैं। यह बयान हाल ही में कज़ान, रूस में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई बैठक के बाद आया है। चीन को उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार के लिए कई कदम उठाए जाएंगे, जैसे कि दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानों की बहाली, वीजा प्रतिबंधों में ढील, चीनी पत्रकारों को भारत में रिपोर्टिंग करने की अनुमति, और भारतीय फिल्मों को चीन में प्रदर्शित करने की अनुमति देना। चीन सरकार को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी अगले साल शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन का दौरा करेंगे। बीजिंग में अधिकारियों का कहना है कि कज़ान बैठक में दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत दोस्ती है और यह मुलाकात कोविड-19 महामारी और सीमा तनाव के बाद पांच साल में पहली बार हुई थी। चीन ने यह भी कहा कि सीमा मुद्दे का समाधान तेजी से होना चाहिए, लेकिन यह मुद्दा रिश्तों का मुख्य केंद्र नहीं होना चाहिए। दोनों देशों के बीच 20 दौर की बातचीत हो चुकी है, और कुछ सैनिकों की वापसी भी हुई है। चीनी अधिकारियों का मानना है कि सीमा विवाद और अन्य मुद्दों का समाधान बातचीत के जरिए किया जा सकता है, और इस दिशा में और अधिक बातचीत की आवश्यकता है। अधिकारियों ने यह भी बताया कि दोनों देशों के बीच जलवायु परिवर्तन, एआई, हरित ऊर्जा संक्रमण जैसे वैश्विक मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके अलावा, चीनी अधिकारियों का कहना है कि भारत और चीन को आपसी सहयोग को बढ़ाने की दिशा में एक सामान्य दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
हिंदू ऑफिसर्स व्हाट्सएप ग्रुप' बनाकर बुरे फंसे IAS अधिकारी, सरकार ने किया निलंबित, पूरे केरल में मच गया हंगामा*
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केरल में आईएएस अधिकारी के मोबाइल नंबर से एक समुदाय के अफसरों के लिए बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।हिंदू ऑफिसर्स नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाए जाने के मामले में केरल सरकार ने आईएएस अधिकारी के गोपालकृष्णन को सस्पेंड कर दिया गया है।30 अक्टूबर को यह ग्रुप बनाया गया था और इसमें सीनियर आईएएस अधिकारियों को जोड़ा गया था। हालांकि, व्हाट्सएप ग्रुप बनने के कुछ ही घंटों के भीतर हटा दिया गया था क्योंकि कई अधिकारियों ने ऐसे ग्रुप पर आपत्ति जताई थी। अब इस मामले में राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सोमवार को आईएएस अधिकारियों गोपालकृष्णन को निलंबित कर दिया। विवाद 31 अक्टूबर को शुरू हुआ, जब केरल कैडर के कई आईएएस अधिकारियों को अप्रत्याशित रूप से “मल्लू हिंदू अधिकारी” नामक एक नए वॉट्सऐप ग्रुप में जोड़ दिया गया। कथित तौर पर के गोपालकृष्णन द्वारा बनाए गए इस ग्रुप में केवल हिंदू अधिकारी शामिल थे, जिसके कारण तत्काल आपत्ति जताई गई। कई अधिकारियों ने इस ग्रुप को धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का उल्लंघन माना। हालांकि अगले ही दिन ग्रुप को डिलीट कर दिया गया। वॉट्सऐप ग्रुप बनाने को लेकर गोपालकृष्णन का कहना था कि उनका मोबाइल हैक कर लिया गया था। साथ ही साथ उन्होंने ये भी दावा किया कि हैकर ने 11 अन्य ग्रुप क्रिएट किए। इस संबंध में गोपालकृष्णन ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई। वहीं, उन्होंने अपना मोबाइल फोन फॉर्मेट कर दिया, जिसके बाद शक गहरा गया। मामले की जांच में पाया गया कि उनके मोबाइल की हैकिंग नहीं हुई। वहीं, कृषि विभाग के विशेष सचिव एन प्रशांत को पिछले तीन दिनों में सोशल मीडिया पर एक अन्य आईएएस अधिकारी, अतिरिक्त मुख्य सचिव ए जयतिलक के खिलाफ कई पोस्ट करके हलचल मचाने के आरोप में निलंबित किया है। मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन की रिपोर्ट के आधार पर सोमवार को दोनों को निलंबित करने का फैसला लिया। इससे पहले दिन में, राजस्व मंत्री के राजन ने कहा था कि सरकार अधिकारियों को अपनी मर्जी से काम करने की अनुमति नहीं देगी। अधिकारियों को मानदंडों और प्रक्रिया के अनुसार काम करना होगा।
महाराष्ट्र चुनावः समर्थन के लिए ये कैसी शर्तें? एमवीए का साथ देने के लिए उलेमा बोर्ड ने रखी ये मांग
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* महाराष्ट्र में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे राजनीतिक उठापटक भी तेज होती जा रही है। एक तरफ राजनीतिक दल जनता से समर्थ के लिए नई-नी चालें चल रहे हैं। तो दूसरी ओर समर्थन के नाम पर “ब्लैकमेलिंग” भी शुरू हो गया है। दरअसल, ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड ने महाविकास अघाड़ी (एमवीए) को एक पत्र लिखकर समर्थन देने की पेशकश की है। हालांकि, इसके लिए 17 शर्तें भी रखी हैं। इनमें मुसलमानों को 10 फीसदी आरक्षण देने, आरएसएस पर बैन लगाने जैसी मांगें रखी हैं। *उलेमा बोर्ड की कैसी शर्तें* उलेमा बोर्ड ने अपने 17 सूत्री प्रस्ताव में बताया है कि महाराष्ट्र में अगर कांग्रेस नेतृत्व वाले गठबंधन महाविकास अघाड़ी (एमवीए) की सरकार बनी तो उसे क्या-क्या चाहिए। उलेमा बोर्ड ने एमवीए से वक्फ बिल का विरोध करने और मुस्लिमों को शिक्षा और नौकरियों में 10% आरक्षण देने की मांग की है। बोर्ड चाहता है कि राज्य के 48 जिलों में मस्जिदों, कब्रिस्तानों और दरगाहों की जब्त जमीनों का सर्वेक्षण किया जाए। इसके साथ ही महाराष्ट्र वक्फ मंडल के विकास के लिए 1000 करोड़ रुपये का फंड दिया जाए। बोर्ड ने 2012 से 2024 तक के दंगों के मामलों में बंद निर्दोष मुस्लिम कैदियों को रिहा करने की भी मांग की है। बोर्ड ने मस्जिदों के इमामों और मौलवियों को 15,000 रुपये मासिक सरकारी वेतन देने की मांग की है। *आरएसएस पर प्रतिबंध की भी शर्त* यही नहीं, बोर्ड चाहता है कि एमवीए की सरकार आने पर उलमा बोर्ड के मौलवियों और इमामों को सरकारी समितियों में शामिल किया जाए। 2024 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम समुदाय के 50 उम्मीदवारों को टिकट दिया जाए। राज्य वक्फ बोर्ड में 500 कर्मचारियों की भर्ती की जाए। वक्फ बोर्ड की संपत्तियों से अतिक्रमण हटाने के लिए कानून पारित किया जाए। पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ बोलने पर कानूनी प्रतिबंध लगाया जाए। एमवीए की सरकार बनने पर आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया जाए। *उलेमा बोर्ड की शर्ते ने दिलाई जिन्ना प्रस्ताव की याद* उलेमा बोर्ड की इन शर्तों ने 1929 के जिन्ना प्रस्ताव की याद दिला दी है। 1929 का जिन्ना का प्रस्ताव भारत में मुस्लिम हितों की रक्षा के लिए एक अलग मुस्लिम राष्ट्र की मांग का पहला कदम माना जाता है। जिन्ना के 14 सूत्रीय प्रस्ताव में संघीय ढांचे के साथ प्रांतों को अधिक स्वायत्तता देने, सभी निर्वाचित निकायों में मुस्लिम प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने, केंद्र में मुस्लिमों को कम से कम एक तिहाई प्रतिनिधित्व देने, मुस्लिम हितों को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी विधेयक या प्रस्ताव का विरोध करने के लिए मुस्लिम सदस्यों को वीटो पावर देने जैसे मुद्दे शामिल थे। *जिन्ना के चौदह सूत्र* 1. संघीय संविधान जिसमें शेष शक्तियां प्रान्तों के पास होंगी। 2. प्रांतीय स्वायत्तता। 3. राज्यों की सहमति के बिना कोई संवैधानिक संशोधन नहीं। 4. सभी विधानमंडलों और निर्वाचित निकायों में पर्याप्त मुस्लिम प्रतिनिधित्व होगा, किसी प्रांत में मुस्लिम बहुमत को अल्पमत या समानता में बदले बिना। 5. सेवाओं और स्वशासी निकायों में मुसलमानों का पर्याप्त मुस्लिम प्रतिनिधित्व। 6. केन्द्रीय विधानमंडल में मुसलमानों का एक तिहाई प्रतिनिधित्व। 7. केन्द्रीय और राज्य मंत्रिमंडलों में एक तिहाई मुस्लिम सदस्य हैं। 8. पृथक निर्वाचक मंडल. 9. किसी भी विधानमंडल में कोई भी विधेयक पारित नहीं किया जाएगा यदि अल्पसंख्यक समुदाय का तीन चौथाई हिस्सा इसे अपने हितों के विरुद्ध मानता है। 10. बंगाल, पंजाब और उत्तर-पश्चिमी सीमांत प्रांत में मुस्लिम बहुसंख्यकों को प्रभावित न करने वाले क्षेत्रों का पुनर्गठन। 11. सिंध को बम्बई प्रेसीडेंसी से अलग करना। 12. उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत और बलूचिस्तान में संवैधानिक सुधार। 13. सभी समुदायों के लिए पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता। 14. मुसलमानों के धार्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक और भाषाई अधिकारों का संरक्षण। ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड की शर्तें 1. वक्फ बिल का विरोध। 2. नौकरी और शिक्षा में 10% मुस्लिम आरक्षण। 3. महाराष्ट्र के 48 जिलों में मस्जिद,कब्रिस्तान और दरगाह की जब्त जमीन को आयुक्त के ज़रिए सर्वे कराने का आदेश दिया जाए। 4. महाराष्ट्र के वक्फ मंडल के विकास के लिए 1000 करोड़ का फंड दिया जाए। 5. साल 2012 से 2024 के दंगे फैलाने के आरोपों में जेल में बंद निर्दोष मुसलमानों को बाहर निकालने की मांग। 6. मौलाना सलमान अजहरी को जेल से बाहर निकालने के लिए एमवीए के 30 सांसद पीएम मोदी को खत लिखे। 7. महाराष्ट्र में मस्जिदों के इमाम और मौलाना को सरकार हर महीने 15000 रुपये देने का वादा। 8. पुलिस भर्ती में मुस्लिम युवाओं को भी प्राथमिकता दी जाए। 9. महाराष्ट्र में शिक्षित मुस्लिम समुदाय को पुलिस भर्ती में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। 10. इंडिया गठबंधन को रामगिरी महाराज और नितेश राणे को जेल में डालने के लिए विरोध करना चाहिए। 11. महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन के सहयोगियों के सत्ता में आने के बाद ऑल इंडिया उलमा बोर्ड के मुफ्ती मौलाना, अलीम हाफिज मस्जिद के इमाम को सरकारी समिति में लिया जाना चाहिए। 12. महाराष्ट्र विधानसभा में 2024 के चुनाव में मुस्लिम समुदाय के 50 उम्मीदवारों को टिकट दिया जाना चाहिए। 13. महाराष्ट्र सरकार की ओर से राज्य वक्फ बोर्ड में 500 कर्मचारियों की भर्ती की जानी चाहिए। 14. महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर अतिक्रमण हटाने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा में एक कानून पारित किया जाना चाहिए। 15. हमारे पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ बोलने वाले लोगों पर कानूनी प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाया जाना चाहिए। 16. जब महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन के सहयोगी सरकार बनाएंगे, तो आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। 17. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 भारत गठबंधन के लिए प्रचार करने के लिए अखिल भारतीय उलेमा बोर्ड को 48 जिलों में आवश्यक मशीनरी प्रदान की जानी चाहिए।
ढीली नहीं हुई पाकिस्तान की अकड़ तो इस देश में खेला जाएगा चैंपियंस ट्रॉफी, ICC ने कर लिया है प्लान*
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चैंपियंस ट्रॉफी 2025 को लेकर अभी से ही मुद्दा काफी गर्म है। इस टूर्नामेंट का आयोजन पाकिस्तान में किया जाना है। मगर भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान का दौरा करने से साफी इनकार कर दिया है।अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए भारत के पाकिस्तान जाने से इनकार के बाद पाकिस्तान से टूर्नामेंट की हाइब्रिड मॉडल में मेजबानी को लेकर जवाब मांगा है।हालांकि पाकिस्तान की ओर से इस मुद्दे को लेकर कोई भी जवाब सामने नहीं आया है। अब खबर ये है कि अगर पाकिस्तान हाईब्रिड मॉडल के लिए नहीं मानता है तो फिर ये टूर्नामेंट साउथ अफ्रीका में आयोजित किया जा सकता है।बता दें पाकिस्तान चाहता है कि टीम इंडिया चैंपियंस ट्रॉफी के लिए उसकी सरजमीं पर आए लेकिन बीसीसीआई ने इससे साफ इनकार कर दिया है। वहीं पाकिस्तान भी अड़ गया है कि वो हाईब्रिड मॉडल को नहीं मानेगा।यही वजह है कि आईसीसी अब दूसरे विकल्प पर सोच रही है। स्पोर्ट्सतक की रिपोर्ट के मुताबिक अगर पीसीबी आईसीसी के विचारों से सहमत नहीं होती है तो चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी उससे छीनकर दक्षिण अफ्रीका को दी जा सकती है।एक सूत्र ने पीटीआई से कहा, ‘अगर पीसीबी चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी से पीछे नहीं हटता है तो यह तय है कि भारत के मैच यूएई में और फाइनल दुबई में होगा। सूत्र ने कहा, ‘भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने आईसीसी से कहा है कि उसे हाइब्रिड मॉडल स्वीकार्य है बशर्ते फाइनल दुबई में हो , पाकिस्तान में नहीं।’ पीसीबी ने सोमवार को बीसीसीआई के इस फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की। लेकिन सूत्रों के अनुसार आईसीसी ने पीसीबी से पूछा है कि क्या उसे हाइब्रिड मॉडल स्वीकार्य है जिसमें भारत के मैच और फाइनल दुबई में खेले जायेंगे। आईसीसी ने यह भी कहा कि इसके तहत उसे पूरी मेजबानी फीस और अधिकांश मैच मिलेंगे। *16 साल पहले साउथ अफ्रीका में हुई थी चैंपियंस ट्रॉफी* सूत्र ने कहा कि पीसीबी के टूर्नामेंट की मेजबानी से इनकार की दशा में पूरा टूर्नामेंट दक्षिण अफ्रीका में कराया जा सकता है। बता दें कि साउथ अफ्रीका में चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन 16 साल पहले 2009 में हुआ था। उस टूर्नामेंट का विजेता ऑस्ट्रेलिया रहा था जबकि सेमीफाइनल में पाकिस्तान, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड की टीम पहुंची थी। खिताबी भिड़ंत ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच हुई जिसमें कंगारुओं ने बाजी मारी। टीम इंडिया की बात करें तो वो ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो गई थी। उसे पहले ही मैच में पाकिस्तान से शिकस्त मिली थी और उसके बाद एक मैच बेनतीजा रहा वहीं आखिरी मैच जीतकर भी उसे कोई फायदा नहीं हुआ।
अगले साल चीन जा सकते हैं पीएम मोदी, कजान की मुलाकात के बाद अब क्या चाहता है ड्रैगन?*
#pm_modi_may_visit_china_beijing_for_sco_summit
भारत-चीन के बीच हाल के दिनों में संबंध सुधर रहे हैं। सीमा समझौते के बाद दोनों देशों के बीच हालात सामान्य होते नजर आ रहे हैं। अब बात सीमा विवाद से आगे हो रही है। हाल ही में रूस के कजान शहर में भारत और चीन के लीडरों पीएम नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात हुई। उससे पहले भारत और चीन के बीच एलएसी पर पूर्व की स्थिति बहाल करने के लिए अपनी-अपनी सेना को पीछे हटाने पर भी सहमति बनी थी। अब खबर आ रही है कि पीएम मोदी चीन का दौरा कर सकते हैं। हालांकि अब तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि, अगर ऐसा होता है तो कजान में मोदी और जिनपिंग की मुलाकात संबंधों पर जमीं बर्फ को पिघलाने वाली साबित होगी। *एससीओ बैठक में शामिल होने जा सकते हैं चीन* 'इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट की मानें तो पीएम मोदी अगले साल चीन में आयोजित होने वाले एससीओ बैठक में शामिल होने के लिए बीजिंग जा सकते हैं। नई दिल्ली स्थिति चीनी दूतावास के अधिकारियों ने बीते दिनों इंडियन मीडिया के साथ बातचीत में ये बातें कहीं। रिपोर्ट के अनुसार एलएसी पर स्थिति में सुधार होने के बाद दोनों देशों के बीच सीधी फ्लाइट, कई मोबाइल एप्प पर लगे बैन, चीनी नागरिकों को वीजा देने, चीनी सिनेमाघरों में अधिक भारतीय फिल्मों को लगाने और चीनी पत्रकारों को भारत आकर रिपोर्ट करने की अनुमित देने को लेकर बातचीत चल रही है। *चीन बार-बार रिश्तों के बेहतरी की क्यों दे रहा दुहाई?* बता दें कि भारत के साथ सुधरते रिश्तों के बीच चीन के अधिकारी बार-बार दोनों देशों के बीच संबंधों की बेहतरी को लेकर बयान दे रहे हैं। चीन बार-बार भारत की ओर गेंद फेंक रहा है। चीन का यह भी कहना है कि दोनों देशों के रिश्तों में सीमा विवाद आड़े नहीं आना चाहिए। सीमा विवाद को बातचीत से सुलझाने पर जोर दे रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इसके पीछे क्या वजह है? *समझें चीन की मजबूरी* इसका जवाब चीनी अर्थव्यवस्था है। चीन की अर्थव्यवस्था इन दिनों गिरावट की स्थिति से गुजर रही है। वहां विकास दर लगातार गिर रही है। इसके अलावा डिमांड में कमी भी चीन की सबसे बड़ी चुनौती है। वहीं दूसरी ओर अमेरिका ने कई चीनी चीनी प्रोडक्ट पर इंपोर्ट ड्यूटी लगा दी है। ऐसे में चीन अपनी इकोनॉमी में गति लाने के लिए प्रोत्साहन पैकेज दे रहा है। बता दें कि भारत इस वक्त चाईनीज प्रोडक्ट का एक सबसे बड़ी खरीददार देश है। ऐसे में चीन की मजबूरी है कि वे किसी भी तरह भारत के साथ अपने रिश्ते को पटरी पर लाए। *चीन और क्या चाहता है भारत से?* बीजिंग को उम्मीद है कि उसकी विश लिस्ट जल्द ही साकार होगी। इस लिस्ट में दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें, राजनयिकों और स्कॉलरों समेत चीनी नागरिकों पर वीजा प्रतिबंधों में ढील, मोबाइल ऐप्स से पाबंदी हटाने, चीनी पत्रकारों को भारत आने की मंजूरी देना देना शामिल है। इसके अलावा, चीनी सिनेमाघरों में ज्यादा से ज्यादा भारतीय फिल्मों को दिखाए जाने की मंजूरी भी दी जानी है। सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच करीब 21 दौर की बातचीत हो चुकी है। भारत और चीन की सेनाएं 25 अक्टूबर से पूर्वी लद्दाख पर सीमा से पीछे हटना शुरू हो गई हैं। पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और डेपसांग पॉइंट में दोनों सेनाओं ने अपने अस्थायी टेंट और शेड हटा लिए हैं। गाड़ियां और मिलिट्री उपकरण भी पीछे भी ले आए। दोनों देश इस बात पर भी सहमत हुए कि गलवान जैसी झड़प टालने के लिए उनकी सेनाएं अलग-अलग दिन पेट्रोलिंग करेंगी और एक-दूसरे को सूचना भी देंगी।
भारत-रूस के बीच पांत्सिर एयर डिफेंस सिस्टम के लिए समझौता, हवा में ही “दुश्मन” होगा तबाह*
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रूस बीते ढाई साल से यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझा हुआ है। इस युद्ध ने भारत के साथ रूस के कई प्रमुख रक्षा सौदों को भी प्रभावित किया है। रूस भारत को समय से हथियारों की डिलीवरी करने में नाकामयाब हो रहा है। जिन सौदों में देरी हुई है, उनमें बेहद अहम S-400 एयर डिफेंस सिस्टम के अलावा युद्धपोत और पनडुब्बियां शामिल हैं। हालांकि इस बीच एक अहम खबर मिल रही है। भारत और रूस के बीच एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर एक अहम समझौता हुआ है। भारत सरकार ने रूस से एडवांस पांत्सिर एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने का निर्णय लिया है। गोवा में आयोजित 5वें भारत-रूस इंटर गवर्नमेंटल कमिशन सबग्रुप मीटिंग के दौरान यह समझौता हुआ। यह सिस्टम ऑटोमेटिक लैंड से हवा में मार करने वाली एंटी मिसाइल और एंटी एयरक्राफ्ट प्रणाली है। इसमें प्लेन हेलीकॉप्टर, सटीक मार करने वाले हथियारों और क्रूज मिसाइलों को भी नष्ट करने की क्षमता है। पांत्सिर सिस्टम दुश्मन के हवाई हमलों से सैन्य, औद्योगिक और प्रशासनिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा करता है और ड्रोन को भी नष्ट करने में सक्षम है। इस सिस्टम में छोटी से मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली 12 मिसाइलें लगी हैं। इसमें दोहरी 30 मिमी ऑटोमैटिक तोप लगी हैं, जो कई लेवल पर रक्षा करती है। *कितनी है रेंज?* पैंटसिर एक मोबाइल डिफेंस सिस्टम हैं जो ट्रक चेसिस पर लगाई जाती है। अलग-अलग इलाकों में यह बेहतर गतिशीलता देता है। यह सिस्टम उन्नत रडार सिस्टम से लैस है जो 36 किमी दूर और 15 किमी तक ऊंचे टार्गेट का पता लगा सकता है और उस पर हमला कर सकता है। लंबी दूरी तक ट्रैकिंग की क्षमता खतरों का पता लगाने और उन्हें समय रहते रोकने में सहायक है। पैंटसिर के मिसाइल की रेंज 1 से 12 किमी है। जबकि 30 मिमी वाली तोपें 0.2 से 4 किमी के बीच के टार्गेट को भेद सकती हैं। यह विशेषताएं इसे एक बहुमुखी प्रणाली बनाती हैं जो विभिन्न दूरी पर तेजी से बढ़ते हवाई टार्गेट जैसे ड्रोन, हेलीकॉप्टर और क्रूज मिसाइलों को बेअसर करने में सक्षम है। *भारत ने साइन की थी 5 अरब डॉलर की डील* भारत ने 2018 में रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए डील की थी। इस डील के तहत अगले 5 सालों में भारत को ये सभी एयर डिफेंस सिस्टम मिलने थे। भारत को अभी तक रूस ने सिर्फ 3 ही एयर डिफेंस सिस्टम भारत को दिए है। अभी भी 2 एस-400 भारत को मिलना बाकी हैं। इसके पीछे की एक बड़ी वजह यूक्रेन जंग को माना जा रहा है, जिसके चलते एयर डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी में देरी हो रही है।
राम मंदिर को बम से उड़ाने की धमकी, खालिस्तानी आतंकी पन्नू ने कहा-हिंदुत्ववादी विचारधारा की नींव हिला देंगे*
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खालिस्तानी आतंकी और सिख फॉर जस्टिस के चीफ गुरपतवंत सिंह पन्नू ने अयोध्या में राम मंदिर को बम से उड़ाने की धमकी दी है। पन्नू ने वीडियो मैसेज में 16 और 17 नवंबर को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है। वीडियो के माध्यम से मिली धमकी के बाद पूरी अयोध्या को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। राम जन्मभूमि समेत रामनगरी की सुरक्षा बढ़ाई गई है। अयोध्या रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) प्रवीण कुमार ने कहा कि अयोध्या की सुरक्षा पहले से ही हाई सिक्योरिटी जोन है। यहां तैनात सुरक्षा कर्मी भी आतंकी हमले से निपटने के लिए ट्रेंड हैं। पन्नू की धमकी का वीडियो सामने आने के बाद एक बार फिर से सुरक्षा की समीक्षा की गई है। साथ ही वीडियो की सत्यता की जांच भी की जा रही है। *पिछले महीने भी दी थी धमकी* ये पहली बार नहीं है जब खालिस्तानी आतंकी पन्नू ने धमकी दी है। इससे पहले 21 अक्टूबर को पन्नू ने एअर इंडिया की फ्लाइट्स में बम ब्लास्ट की धमकी दी थी। 4 नवंबर 2023 को भी पन्नू ने एअर इंडिया के विमानों में बम ब्लास्ट की धमकी दी थी। इसके 15 दिन बाद 19 नवंबर को दिल्ली एयरपोर्ट को बंद करने की धमकी दी। 19 नवंबर को अहमदाबाद में क्रिकेट वर्ल्ड कप का फाइनल था।
राम मंदिर को बम से उड़ाने की धमकी, खालिस्तानी आतंकी पन्नू ने कहा-हिंदुत्ववादी विचारधारा की नींव हिला देंगे*
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खालिस्तानी आतंकी और सिख फॉर जस्टिस के चीफ गुरपतवंत सिंह पन्नू ने अयोध्या में राम मंदिर को बम से उड़ाने की धमकी दी है। पन्नू ने वीडियो मैसेज में 16 और 17 नवंबर को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है। वीडियो के माध्यम से मिली धमकी के बाद पूरी अयोध्या को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। राम जन्मभूमि समेत रामनगरी की सुरक्षा बढ़ाई गई है। अयोध्या रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) प्रवीण कुमार ने कहा कि अयोध्या की सुरक्षा पहले से ही हाई सिक्योरिटी जोन है। यहां तैनात सुरक्षा कर्मी भी आतंकी हमले से निपटने के लिए ट्रेंड हैं। पन्नू की धमकी का वीडियो सामने आने के बाद एक बार फिर से सुरक्षा की समीक्षा की गई है। साथ ही वीडियो की सत्यता की जांच भी की जा रही है। *पिछले महीने भी दी थी धमकी* ये पहली बार नहीं है जब खालिस्तानी आतंकी पन्नू ने धमकी दी है। इससे पहले 21 अक्टूबर को पन्नू ने एअर इंडिया की फ्लाइट्स में बम ब्लास्ट की धमकी दी थी। 4 नवंबर 2023 को भी पन्नू ने एअर इंडिया के विमानों में बम ब्लास्ट की धमकी दी थी। इसके 15 दिन बाद 19 नवंबर को दिल्ली एयरपोर्ट को बंद करने की धमकी दी। 19 नवंबर को अहमदाबाद में क्रिकेट वर्ल्ड कप का फाइनल था।
डोनाल्ड ट्रंप ने चीन विरोधी माइक वॉल्ट्ज को बनाया एनएसए, क्या संदेश देने की है कोशिश ?*
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अमेरिका के राष्‍ट्रपति के रूप में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद डोनाल्‍ड ट्रंप अब अपनी टीम बनाने में जुट गए हैं। अहम पदों पर नियुक्तियों की खबरें रोज आ रहीं हैं।डोनाल्ड ट्रंप ने अपने आगामी प्रशासन के लिए अहम नियुक्ति करते हुए फ्लोरिडा से सांसद माइक वाल्ट्ज को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) बनाया है। ट्रंप ने सोमवार को एलान किया कि फ्लोरिडा से सांसद और अमेरिकी संसद में इंडिया कॉकस के प्रमुख माइक वाल्ज उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार होंगे। रिटायर कर्नल माइक वाल्ट्ज इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष हैं। वह अमेरिकी सेना की विशेष यूनिट ग्रीन बेरेट में काम कर चुके हैं। माइक को चीन-ईरान के लिए सख्त और भारत के प्रति नरम रुख रखने वाला माना जाता है। *बाइडन की विदेश नीति के रहे हैं कट्टर आलोचक* माइक वाल्ट्ज साल 2019 में अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा के लिए चुने गए थे। माइक वाल्ट्ज को राष्ट्रपति बाइडन की विदेश नीति का कट्टर आलोचक माना जाता है। माइक वाल्ज हाउस आर्म्ड सर्विसेज कमेटी, हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी और हाउस इंटेलीजेंस कमेटी में भी बतौर सदस्य काम कर चुके हैं। वाल्ट्ज यूरोपीय देशों और अमेरिका से यूक्रेन का और मजबूती से समर्थन करने के समर्थक रहे हैं, लेकिन साल 2021 में अफगानिस्तान से जिस तरह से अमेरिकी सेना की वापसी हुई, उसकी वाल्ट्ज ने तीखी आलोचना की थी। *चीनी मैन्युफैक्चरिंग पर यूएस की निर्भरता कम करने के हिमायती* माइक वाल्ट्ज भारत के साथ अमेरिकी रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने की वकालत करते हैं। दूसरी ओर माइक वाल्ट्ज चीन के आलोचक रहे हैं। वह ऐसी नीतियों के हिमायती हैं, जो चीनी मैन्युफैक्चरिंग पर यूएस की निर्भरता को कम करें और अमेरिकी टेक्नॉलजी को सुरक्षित करें। वाल्ट्ज ने उइगर मुस्लिमों के साथ चीन के व्यवहार की आलोचना की थी। उन्होंने कोविड महामारी में चीन की भूमिका के विरोध में बीजिंग में 2022 शीतकालीन ओलंपिक के अमेरिकी बहिष्कार का भी समर्थन किया था। *भारत के लिए हो सकते हैं फायदेमंद* माइक वाल्ट्ज अमेरिकी संसद में इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष हैं। यह अमेरिकी संसद में किसी देश पर केंद्रित सबसे बड़ा समूह है। इंडिया कॉकस एक द्विदलीय समूह है। इसमें वर्तमान में सीनेट के 40 सदस्य शामिल हैं। वाल्ज का भारत के प्रति रुख नरम रहा है। ऐसे में अमेरिका की हिंद प्रशांत महासागर को लेकर बनने वाली रणनीति में भारत की भूमिका अहम हो सकती है। वाल्ट्ज भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने और चीन का मुकाबला करने के मामले में मजबूत रणनीति बनाने के समर्थक रहे हैं। वह अनुभवी विदेश नीति विशेषज्ञ हैं। उन्हें अमेरिका-भारत गठबंधन का प्रबल समर्थक माना जाता है। उन्होंने भारत के साथ संबंधों को और मजबूत करने की वकालत की है। उनका कहना है कि अमेरिका और भारत को रक्षा व सुरक्षा सहयोग के मामले में आगे बढ़ना चाहिए।
अमेरिका के बाद अब इस पड़ोसी देश में सत्ता परिवर्तन, संसदीय चुनावों में लेबर पार्टी की जीत, भारत के लिए क्या हैं मायने?*
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अमेरिका में जो बाइडन की “विदाई” के बाद डोनाल्ड ट्रंप की वापसी हुई है। ठीक इसी तरह भारत के पड़ोसी देश मॉरीशस में भी सत्ता परिवर्तन हुआ है। मॉरीशस में हुए संसदीय चुनावों नतीजे आ गए है। यहां लेबर पार्टी ने जीत हासिल की है और पार्टी के प्रमुख डॉ. नवीन रामगुलाम देश के नए प्रधानमंत्री बने हैं। नवीन रामगुलाम ने देश के मौजूदा प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ को हराया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव में लेबर पार्टी की जीत पर डॉ. नवीन रामगुलाम को बधाई दी है। विपक्षी नेता नवीन रामगुलाम अपने गठबंधन अलायंस ऑफ चेंज के प्रमुख के रूप में तीसरी बार कार्यभार संभालने वाले हैं। पीएम मोदी ने भी उन्हें बधाई देते हुए एक पोस्ट में लिखा, 'अपने दोस्त डॉ रामगुलाम से गर्मजोशी भरी बातचीत हुई। उन्हें उनकी ऐतिहासिक चुनावी जीत पर बधाई दी। मैंने मॉरीशस का नेतृत्व करने में उनकी बड़ी सफलता की कामना की और भारत आने का न्योता दिया। हमारी विशेष और अनूठी साझेदारी को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करने को तत्पर हैं।' 77 वर्षीय नवीन रामगुलाम तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। नवीन रामगुलाम 1995 से 2000 और 2005 से 2014 तक मॉरीशस के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। नवीन रामगुलाम के पिता शिवसागर रामगुलाम मॉरीशस के पहले मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री रहे हैं। मॉरीशस को आजादी दिलाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। मॉरीशस को 1968 में ब्रिटेन से आजादी मिली थी। *नवीन रामगुलाम का बिहार से नाता* बता दें कि नवीन रामगुलाम के पूर्वज बिहार के रहने वाले थे। 1800 के दशक में उनके पूर्वज बिहार के भोजपुर के हरिगांव में रहते थे। जिसके बाद वो मॉरीशस चले गए थे। तभी से उनका परिवार वहीं रहता है। बता दें कि मॉरीशस में कई लोग ऐसे रहते हैं जिनका संबंध बिहार से रहा है। प्रधानमंत्री के अलावा बिहारी वहां राष्ट्रपति भी बन चुका है। इसके अलावा मॉरीशस में अन्य कई बड़े पदों पर भी आपको बिहारी देखने को मिल जाएंगे। *दोनों देशों के बीच घनिष्ठ और दीर्घकालिक रिश्ते* वहीं, अगर मॉरीशस से भारत के संबंधों की बात करें तो दोनों देशों के बीच घनिष्ठ और दीर्घकालिक रिश्ते रहे हैं। वहां की 1.2 मिलियन की आबादी में लगभग 70% भारतीय मूल के लोग हैं। मॉरीशस ने 1968 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की। भारत से मॉरीशस पहुंचने वाले लोगों में सबसे पहले पुडुचेरी के लोग थे। मॉरीशस उन महत्वपूर्ण देशों में से एक रहा है जिसके साथ भारत ने आजादी से पहले ही 1948 में राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। 1948 और 1968 के बीच ब्रिटिश शासित मॉरीशस में भारत का प्रतिनिधित्व एक भारतीय आयुक्त द्वारा किया गया और उसके बाद 1968 में मॉरीशस के स्वतंत्र होने के बाद एक उच्चायुक्त नियुक्त किया गया। *मॉरीशस का मददगार भारत* संकट के समय में भारत मॉरीशस को मदद पहुंचाने वाले देशों में सबसे आगे रहा है। कोविड-19 और वाकाशियो तेल रिसाव संकट में दुनिया ने इसे देखा भी। मॉरीशस के अनुरोध पर भारत ने अप्रैल-मई 2020 में कोविड से निपटने में मदद के लिए 13 टन दवाएं, 10 टन आयुर्वेदिक दवाएं और एक भारतीय रैपिड रिस्पांस मेडिकल टीम की आपूर्ति की। भारत मुफ्त कोविशील्ड टीकों की 1 लाख खुराक की आपूर्ति करने वाला पहला देश भी था। *भारत मॉरीशस के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक* 2005 से भारत मॉरीशस के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक रहा है। वित्त वर्ष 2022-2023 के लिए मॉरीशस को भारतीय निर्यात 462.69 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। वहीं भारत को मॉरीशस का निर्यात 91.50 मिलियन अमेरिकी डॉलर था और कुल व्यापार 554.19 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। पिछले 17 वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापार में 132% की वृद्धि हुई है। निवर्तमान प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने कई ऐसे फैसले लिए थे जिससे दोनों देशों के संबंध और मजबूत हुए थे। इस साल जनवरी में अयोध्या मंदिर के उद्घाटन के दौरान मॉरीशस ने धार्मिक कार्यों में भाग लेने के लिए हिंदुओं को दो घंटे की छुट्टी भी दी थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस साल जुलाई में मॉरीशस का दौरा किया था और रामगुलाम और बेरेन्जर सहित शीर्ष विपक्षी मॉरीशस राजनेताओं से मुलाकात की थी।