Mirzapur: प्रकृति साधक लाल बाबा ब्रह्मचारी की वाणी नहीं चेते तो पानी को तरसेंगे लोग
सुधीर सिंह 'राजपूत'
मीरजापुर। भारत ऋषि मुनियों, साधकों का देश रहा है जिनके तपबल के बलपर भारत को न केवल सोने की चिड़िया कहा जाता था, बल्कि भारत देश की हरियाली विविध मौसमों की खुशबू लोगों को भांति रही है, लेकिन शनै-शनै आधुनिकता के बढ़ते प्रभाव ने इनको ध्वस्त करते हुए मौसम के मिजाज को भी उलट पलट कर रख दिया है। जिसका असर यह है कि अक्सर कहीं बाढ़ तो कहीं ब्रजपात का कहर झेलना पड़ता है। विंध्याचल की पहाड़ियों में ऐसे ही तमाम तपस्वी साधकों के स्वरूप देखने को मिल जाया करते हैं।
इन्हीं में से एक हैं लाल बाबा ब्रह्मचारी जो 84 वर्ष की अवस्था पर करने के बावजूद भी पिछले 50 वर्षों से अनवरत नित्य सूर्योदय से पहले गंगा स्नान कर ध्यान पूजा में लग जाते हैं। यह इनकी नित्य दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा है। इसी के साथ ही वह अष्टभुजा पहाड़ी का भ्रमण कर देवी स्वरूप का दर्शन-पूजन करना भी नहीं भूलते हैं। अष्टभुजा पहाड़ के नीचे पिछले 50 वर्षों से रहकर गुमनामी भरा जिंदगी जीते आए लाल बाबा ब्रह्मचारी साधारण जिंदगी जीते हैं। वह प्रकृति की साधना करने के साथ मौसम के अनुसार अपना कार्य करते हैं।
बाढ़ नियंत्रण से लेकर मौसम के बारे में करते हैं कई दावे
लाल बाबा बह्मचारी की माने तो वह बाढ़ नियंत्रण से लेकर बाढ़ को खतरे से नीचे लाने का प्रयास करते हैं। यह सब कुछ वह अपनी प्रकृति साधना के बल पर करने का दावा करते हैं। एक भेंट मुलाकात के दौरान वह बताते हैं कि 12 सितंबर 2024 को बिजनौर से लेकर बलिया तक बांध और डैम खुलने के कारण भयंकर बाढ़ की आशंका प्रबल हो चली थी। इस परिस्थिति में उन्होंने अपनी प्रकृति साधना के बल पर बाढ़ को नियंत्रित करने का कार्य किया है।
वह आगे भी दावा करते हुए बताते हैं कि जनपद में 5 वर्षों से बरसात के मौसम में सैकड़ों तालाब कुएं सूखने की स्थिति में हैं, ऐसी स्थिति क्यों पैदा हुई के सवाल पर वह इसे सरकारी उदासीनता बताते हुए कहते हैं कि सिर्फ विज्ञान ही नहीं प्रकृति और प्रकृति साधना को भी समझना होगा तभी इसे रोका जा सकता है। वह बताते हैं कि उनके द्वारा निरंतर मौसम को स्थिर बनाएं रखने और मौसम को संतुलित करने के लिए साधना की जाती है। यदि सरकारी संरक्षण मिलें तो इस अभियान को और भी बल मिल सकता है।
Oct 30 2024, 15:24