आज का इतिहास:आज ही के दिन हुआ था भारत के राष्ट्रपति केआर नारायणन का जन्म

नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 27 अक्टूबर का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं।

1920 में आज ही के दिन भारत के राष्ट्रपति केआर नारायण का जन्म हुआ था।

27 अक्टूबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 1952 में 27 अक्टूबर के दिन ही फिल्‍म जगत के साथ-साथ भजनों से खास पहचान बनाने वाली अनुराधा पौडवाल का जन्‍म हुआ था। 

1966 में आज ही के दिन भारत के शतरंज खिलाड़ी दूसरे ग्रैंड मास्टर दिब्येन्दु बरुआ का जन्म हुआ था।

2004 में आज ही के दिन चीन ने विशालकाय क्रेन का निर्माण किया था।

1997 में 27 अक्टूबर के दिन ही एडिनबर्ग (स्काटलैंड) में राष्ट्रकुल शिखर सम्मेलन पूरा हुआ था।

1982 में आज ही के दिन चीन ने अपनी जनसंख्या एक अरब से अधिक होने की घोषणा की थी।

1968 में 27 अक्टूबर को ही मेक्सिको सिटी में 19वें ओलंपिक खेलों का समापन हुआ था।

1947 में आज ही के दिन जम्मू कश्मीर के राजा हरि सिंह ने भारत में जम्मू कश्मीर के विलय को स्वीकार कर लिया था।

1924 में 27 अक्टूबर को ही उज़्बेक एसएसआर सोवियत संघ में मिला था।

1920 में आज ही के दिन लीग ऑफ नेशन का मुख्यालय जिनेवा स्थानांतरित किया गया था।

1910 में 27 अक्टूबर को ही रूस और चीन के साथ कई वर्षों के युद्ध के बाद जापान को इन दोनों देशों पर विजय मिली थी।

1905 में आज ही के दिन नार्वे स्वीडन से अपना गठजोड़ समाप्त करके स्वतंत्र हो गया था।

1810 में 27 अक्टूबर को ही अमेरिका ने स्पेन के पूर्व उपनिवेश पश्चिमी फ्लोरिडा को अपने अधिकार में लिया था।

1806 में आज ही के दिन फ्रांस की सेना बर्लिन में घुसी थी।

27 अक्टूबर का इतिहास को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1966 में आज ही के दिन भारत के शतरंज खिलाड़ी दूसरे ग्रैंड मास्टर दिब्येन्दु बरुआ का जन्म हुआ था।

1952 में 27 अक्टूबर को ही अनुराधा पौडवाल का जन्‍म हुआ था।

1920 में आज ही के दिन भारत के राष्ट्रपति के. आर. नारायणन का जन्म हुआ था।

1811 में 27 अक्टूबर के दिन ही सिलाई मशीन का आविष्कारक आइजैक मेरिट सिंगर का जन्म हुआ था।

27 अक्टूबर को हुए निधन

1605 में आज ही के दिन मुगल साम्राज्य के तीसरे शासक अकबर का फतेहपुर सीकरी में निधन हुआ था।

1907 में 27 अक्टूबर को ही भारतीय स्वतंत्रता सेनानी ब्रह्मबांधव उपाध्याय का निधन हुआ था।

1982 में आज ही के दिन गांधी जी के निजी सचिव प्यारे लाल का निधन हुआ था।

1987 में 27 अक्टूबर को ही मशहूर भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी विजय मर्चेन्ट का निधन हुआ था।

1999 में आज ही के दिन भारत के प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार डॉ. नगेन्द्र का निधन हुआ था।

आज का इतिहास:1934 में महात्मा गांधी के संरक्षण में हुई थी अखिल भारतीय ग्रामीण उद्योग संघ की स्थापना


नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 26 अक्टूबर का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं। 1934 में आज ही के दिन महात्मा गांधी के संरक्षण में अखिल भारतीय ग्रामीण उद्योग संघ की स्थापना की गई थी। 

1947 में 26 अक्टूबर के दिन ही राजा हरि सिंह जम्मू-कश्मीर काे भारत में विलय करने पर सहमति दी थी।

26 अक्टूबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि चांद पर कदम रखने वाले पहले अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन 1969 में मुंबई आए थे।

1999 में आज ही के दिन उच्चतम न्यायालय ने आजीवन कारावास की अवधि 14 वर्ष तय की थी।

2006 में आज ही के दिन इस्रायल में एक मंत्री ने भारत से बराक सौदे पर जांच की मांग की थी।

2005 में 26 अक्टूबर के दिन ही वर्ष 2006 को भारत-चीन मैत्री वर्ष के रूप में मनाने का फैसला किया गया था।

2001 में आज ही के दिन जापान ने भारत और पाकिस्तान के खिलाफ लगे प्रतिबंधों को हटाने की घोषणा की थी।

1999 में 26 अक्टूबर के दिन ही उच्चतम न्यायालय ने आजीवन कारावास की अवधि 14 वर्ष तय की थी।

1980 में आज ही के दिन इजरायल के राष्ट्रपति यित्झाक नावोन मिस्र की यात्रा करने वाले पहले इजरायली राष्ट्रपति बने थे।

1976 में 26 अक्टूबर के दिन ही त्रिनिदाद एंड टोबैगो गणराज्य को ब्रिटेन से आजादी मिली थी।

1969 में आज ही के दिन चांद पर कदम रखने वाले पहले अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन मुंबई आए थे।

1951 में 26 अक्टूबर को ही विंस्टन चर्चिल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने थे।

1947 में आज ही के दिन इराक में ब्रिटिश सेना का कब्जा हटा था।

1947 में 26 अक्टूबर को ही राजा हरि सिंह जम्मू-कश्मीर काे भारत में विलय करने पर सहमत हुए थे।

1934 में आज ही के दिन महात्मा गांधी के संरक्षण में अखिल भारतीय ग्रामीण उद्योग संघ की स्थापना की थी।

1905 में 26 अक्टूबर को ही नॉर्वे ने स्वीडन से स्वतंत्रता प्राप्त की थी।

26 अक्टूबर को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1971 में आज ही के दिन भारतीय साहित्यकार, उपन्यासकार प्रीति सिंह का जन्म हुआ था।

1924 में 26 अक्टूबर को ही भारत में नवगीत विधा के कवियों में से एक ठाकुर प्रसाद सिंह का जन्म हुआ था।

1890 में आज ही के दिन स्वाधीनता संग्राम में भाग लेने वाले गणेशशंकर विद्यार्थी का जन्म हुआ था।

1886 में 26 अक्टूबर को ही उड़ीसा के प्रसिद्ध समाज सुधारक और सार्वजनिक कार्यकर्ता गोदावरीश मिश्र का जन्म हुआ था।

26 अक्टूबर को हुए निधन

1955 में आज ही के दिन प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक डी. वी. पलुस्कर का निधन हुआ था।

1981 में 26 अक्टूबर को ही भारत के प्रसिद्ध कन्नड़ कवि और साहित्यकार दत्तात्रेय रामचन्द्र बेंद्रे का निधन हुआ था।

2000 में आज ही के दिन प्रमुख क्रांतिकारी और लेखक मन्मथनाथ गुप्त का निधन हुआ था।

नरक चतुर्दशी के दिन भूल से भी न करें ये गलतियां, जानें इस दिन किसकी करें पूजा

नयी दिल्ली : नरक चतुर्दशी के दिन बेहद सावधानी भी रखी जाती है. इस दिन कुछ गलतियों को भूल कर भी नहीं करना चाहिए हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहारों में से एक दीपावली से एक दिन पहले और धनतेरस के एक दिन बाद यानी कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है. 

पांच दिनों तक चलने वाले दीपावली पर्व के इस दूसरे दिन के पर्व को रूप चतुर्दशी और छोटी दीवाली भी कहा जाता है. परंपराओं के मुताबिक, दीपावली से पहले की जाने वाली साफ-सफाई के काम का यह आखिरी दिन होता है. इसी दिन शाम को घर के बाहर दीपक जलाने की विधिवत शुरुआत हो जाती है.

नरक चतुर्दशी पर किसकी पूजा की जाती है? 

पौराणिक मान्यता के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण ने नरक चतुर्दशी के दिन ही नरकासुर नामक राक्षस का वध कर उसके कैद से करीब 16 हजार महिलाओं को मुक्त कराया था. इसलिए नरक चतुर्दशी पर खासकर भगवान श्रीकृष्ण, माता महालक्ष्मी और मृत्यु के देवता यम की पूजा होती है. हालांकि, नरक चतुर्दशी को ज्यादातर यम देवता के लिए ही दीपक जलाकर परिवार की कुशलता की कामना की जाती है. 

नरक चतुर्दशी पर घरों में यमराज की पूजा के परिणाम से सौंदर्य की प्राप्ति होती है और अकाल मृत्यु या नरक का भय नहीं रहता है. इसलिए, नरक चतुर्दशी को आयु बढ़ाने का भी दिन माना जाता है.

यम के लिए जलाते हैं दीप, क्या है पौराणिक परंपरा?

शास्त्रों के मुताबिक, नरक चतुर्दशी की शाम को यम देवता के नाम से दीपदान करने का भी विधान है. नरक चतुर्दशी की रात में घर के मुख्य द्वार से बाहर दक्षिण दिशा की ओर यम देव के नाम पर सरसों तेल का चौमुखा दीपक जरूर जलाना चाहिए. 

मान्यता है कि यम के नाम से जलाए गए मिट्टी या गोबर से बने 14 दीपक को जलाने के बाद उसकी निगरानी भी करनी चाहिए. कई जगहों पर दीपक की लौ बढ़ जाने पर उसे उठाकर घर के अंदर लाने और संभालकर पूरी रात जलाने का रिवाज भी है.

नरक चतुर्दशी के दिन भूल से भी न करें ये गलतियां

नरक चतुर्दशी के दिन बेहद सावधानी भी रखी जाती है. इस दिन कुछ गलतियों को भूल कर भी नहीं करना चाहिए. मृत्यु के देवता यमराज की पूजा होने की वजह से नरक चतुर्दशी के दिन किसी भी जीव को नहीं मारना चाहिए. साथ ही घर की दक्षिण दिशा को भूलकर भी गंदा नहीं करना चाहिए. नरक चतुर्दशी का व्रत करने वालों का अपमान नहीं करना चाहिए. किसी के दीप को बुझाना नहीं चाहिए. इस दिन किसी को भी तेल का दान नहीं करना चाहिए. इस दिन मांसाहार करने से भी परहेज करना चाहिए. इसके अलावा, नरक चतुर्दशी के दिन भूलकर भी अपने घर को खाली नहीं छोड़ना चाहिए. कितना भी जरूरी काम रहे कोशिश करना चाहिए कि घर में परिवार का कोई न कोई सदस्य जरूर रहे.

पद्मभूषण से सम्मानित लोक गायिका शारदा सिन्हा की तबीयत अचानक बिगड़ी, दिल्ली AIIMS के ICU में भर्ती


नयी दिल्ली : पद्मभूषण से सम्मानित लोक गायिका शारदा सिन्हा की तबीयत आज अचानक बिगड़ गई है, उन्हें दिल्ली एम्स के इमरजेंसी वार्ड में एडमिट कराया गया है. वे एक हफ्ते से दिल्ली एम्स में भर्ती हैं. 

पिछले एक सप्ताह से उनको खाने-पीने में काफी समस्याएं आ रही थी. शनिवार की सुबह उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई, जिसके बाद उनको इमराजेंसी वार्ड में लाया गया. हाल ही में उनके पति का ब्रेन हैमरेज से निधन हुआ था, जिसके बाद से वो काफी चिंतित रहती थीं. अभी उनकी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में कोई स्वास्थ्य बुलेटिन जारी नहीं किया गया है. एम्स में डॉकटर्स की टीम उनके इलाज में जुटी है. 

छठ गीतों के लिए मशहूर हैं शारदा सिन्हा

आपको बता दें कि छठ के त्योहार पर शारदा सिन्हा के गाने काफी पसंद किए जाते हैं. छठ पर गाए उनके गाने काफी मशहूर हैं. उन्होंने अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत 1980 में की थी. शारदा सिन्हा अब तक 62 से ज्यादा छठ गीतें गा चुकी हैं. गायिका अपने पति के निधन के बाद काफी परेशान थीं. वह हर दिन सोशल मीडिया पर अपने पति के लिए कुछ न कुछ लिखती रहती थीं.

बीमारी की खबर से प्रशंसकों में मायूसी

हाल ही में उन्होंने फेसबुक पर अपनी एक तस्वीर पोस्ट की और लिखा कि लाल सिंदूर बिना मांगे न सोभे... लेकिन सिन्हा साहब की मीठी यादों के सहारे मैं संगीत के सफर को जारी रखने की कोशिश करूंगी. खास तौर पर आज के दिन मैं सिन्हा साहब को अपना नमन समर्पित करती हूं. 

उनकी बीमारी की खबर सुनकर उनके प्रशंसक काफी मायूस हैं. लोग भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं कि वह जल्द स्वस्थ होकर घर लौट आएं और एक बार फिर छठ में उनकी आवाज सुनाई दे।

आज का इतिहास:आज ही के दिन भारत में हुई थी आम चुनाव की शुरुआत

नयी दिल्ली : 25 अक्टूबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 1964 में आज ही के दिन अवादी कारखाने में पहले स्वदेशी टैंक ‘विजयंत’ का निर्माण किया गया था।

1971 में 25 अक्टूबर को ही संयुक्त राष्ट्र महासभा में ताइवान को चीन में शामिल करने के लिए मतदान हुआ था।

2008 में आज ही के दिन सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री नर बहादुर भंडारी को 6 माह की सजा दी गई थी।

2005 में 25 अक्टूबर को ही ईराक में नए संविधान को जनमत संग्रह में बहुमत के साथ मंजूरी मिली थी।

2000 में आज ही के दिन अंतरिक्ष यान डिस्कवरी 13 दिन के अभियान के बाद वापस आया था।

1995 में 25 अक्टूबर के दिन ही तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने संयुक्त राष्ट्र के 50वें वर्षगांठ सत्र को संबोधित किया था।

1971 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा में ताइवान को चीन में शामिल करने के लिए मतदान हुआ था।

1964 में 25 अक्टूबर को ही अवादी कारखाने में पहले स्वदेशी टैंक ‘विजयंत’ का निर्माण किया गया था।

1962 में आज ही के दिन अमेरिकी लेखक जॉन स्टीनबेक को साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया था।

1951 में 25 अक्टूबर के दिन ही भारत में पहले आम चुनाव की शुरुआत हुई थी।

1945 में आज ही के दिन द्वितीय विश्वयुद्ध के अंत में चीन ने ताइवान पर कब्जा किया था।

1924 में 25 अक्टूबर के दिन ही भारत में ब्रिटिश अधिकारियों ने सुभाषचंद्र बोस को गिरफ्तार कर 2 साल के लिए जेल भेज दिया था।

1917 में आज ही के दिन बोल्शेविक (कम्युनिस्टों) व्लादिमीर इलिच लेनिन ने रूस में सत्ता कब्जा ली थी।

25 अक्टूबर को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1881 में 25 अक्टूबर के दिन ही स्पेन के ख्यातिप्राप्त चित्रकार पाब्लो पिकासो का जन्म हुआ था।

1896 में आज ही के दिन भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार तथा लेखक मुकुंदी लाल श्रीवास्तव का जन्म हुआ था।

1912 में 25 अक्टूबर के दिन ही कर्नाटक संगीत के गायक मदुराई मणि अय्यर का जन्म हुआ था।

1938 में आज ही के दिन प्रसिद्ध लेखिका मृदुला गर्ग का जन्म हुआ था।

25 अक्टूबर को हुए निधन

1296 में आज ही के दिन संत ज्ञानेश्वर का निधन हुआ था।

1980 में 25 अक्टूबर के दिन ही भारतीय गीतकार और कवि साहिर लुधियानवी का निधन हुआ था।

1990 में आज ही के दिन मेघालय के पहले मुख्यमंत्री कैप्टन संगमा का निधन हुआ था।

2003 में 25 अक्टूबर के दिन ही प्रसिद्ध भारतीय दार्शनिक तथा समाज सुधारक पाण्डुरंग शास्त्री अठावले का निधन हुआ था।

2005 में आज ही के दिन साहित्यकार निर्मल वर्मा का निधन हुआ था।

त्वचा की समस्याओं को दूर करने के लिए इन तरीकों से करे बेसन का इस्तेमाल चमक उठेगा चेहरा और मिट जायेंगे काले निशान


डेस्क:- चेहरे की देखभाल में बेसन एक प्राकृतिक और असरदार उपाय माना जाता है। इसके नियमित इस्तेमाल से चेहरे की चमक बढ़ती है और काले धब्बों व झाइयों से छुटकारा पाया जा सकता है। आइए जानते हैं कुछ तरीके जिनसे बेसन का सही उपयोग करके चेहरे का निखार बढ़ाया जा सकता है:

1. बेसन और दही का फेस पैक

सामग्री:

1 बड़ा चम्मच बेसन, 1 चम्मच दही

विधि: बेसन और दही को मिलाकर पेस्ट बना लें। 

इसे चेहरे पर लगाकर 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर हल्के हाथों से स्क्रब करते हुए गुनगुने पानी से धो लें।

फायदा: दही में लैक्टिक एसिड होता है जो त्वचा को नरम और चमकदार बनाता है।

2. बेसन और हल्दी का पैक

सामग्री:

1 बड़ा चम्मच बेसन, एक चुटकी हल्दी, गुलाब जल या कच्चा दूध

विधि: इन सभी सामग्रियों को मिलाकर पेस्ट तैयार करें। 

इसे चेहरे पर लगाकर 15-20 मिनट तक छोड़ दें और फिर धो लें।

फायदा: हल्दी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो दाग-धब्बों को कम करने में मदद करते हैं।

3. बेसन और नींबू का पैक

सामग्री: 1 बड़ा चम्मच बेसन, आधा चम्मच नींबू का रस, गुलाब जल

विधि: बेसन में नींबू का रस और गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बनाएं। 

इसे चेहरे पर लगाएं और 10-15 मिनट के लिए छोड़ दें। फिर ठंडे पानी से धो लें।

फायदा: नींबू में विटामिन C होता है जो त्वचा की रंगत को साफ करता है और चेहरे पर निखार लाता है।

4. बेसन और शहद का पैक

सामग्री:

 1 बड़ा चम्मच बेसन, 1 चम्मच शहद, थोड़ा सा दूध

विधि: इन सभी सामग्रियों को मिलाकर पेस्ट बनाएं और चेहरे पर 15 मिनट तक लगाकर छोड़ दें।

सूखने के बाद हल्के हाथों से पानी से धो लें।

फायदा: शहद त्वचा को मॉइस्चराइज़ करता है और दूध त्वचा की चमक बढ़ाता है।

5. बेसन और संतरे के छिलके का पैक

सामग्री: 

1 बड़ा चम्मच बेसन, 1 चम्मच संतरे के छिलके का पाउडर, गुलाब जल

विधि: इन सभी को मिलाकर पेस्ट बनाएं और चेहरे पर लगाएं। 15 मिनट बाद धो लें।

फायदा: संतरे के छिलके में मौजूद विटामिन C त्वचा की रंगत को निखारने में सहायक होता है और यह झाइयों को भी हल्का करता है।

निष्कर्ष*

बेसन का नियमित उपयोग आपकी त्वचा को साफ, कोमल और चमकदार बना सकता है। 

इसके साथ ही, यह दाग-धब्बों को कम करने और त्वचा की रंगत को निखारने में भी सहायक है।

रेबेका सिंड्रोम: प्यार में शक का कैंसर, जो रिश्ते को कर सकता है बर्बाद


डेस्क:- रेबेका सिंड्रोम एक मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति अपने साथी के पिछले रिश्तों को लेकर असुरक्षित और जलन महसूस करता है। यह सिंड्रोम रिश्ते में उस साथी के लिए अत्यधिक असुरक्षा और शक पैदा करता है, जो अपने वर्तमान साथी के अतीत से जुड़े लोगों या अनुभवों को लेकर चिंतित रहता है। इसका नाम डाफ्ने डू मौरियर की उपन्यास रेबेका से लिया गया है, जिसमें मुख्य पात्र अपनी पति की पहली पत्नी के अतीत से जूझता है।

कैसे काम करता है रेबेका सिंड्रोम?

इस सिंड्रोम में व्यक्ति को अपने साथी के अतीत के रिश्तों या अनुभवों को लेकर असुरक्षा महसूस होती है। इसके चलते वह अपने साथी के अतीत के बारे में अत्यधिक सोचता है और उस पर लगातार ध्यान केंद्रित करता है। धीरे-धीरे यह मानसिकता इतनी गंभीर हो सकती है कि व्यक्ति अपने रिश्ते में खुश नहीं रह पाता और अपने साथी पर अविश्वास करता है।

कैसे खत्म कर देता है यह सिंड्रोम रिश्ते को?

अति-शक और अविश्वास: जब व्यक्ति अपने साथी पर लगातार शक करता है, तो रिश्ते में विश्वास की कमी हो जाती है। यह बार-बार के सवाल, जाँच और अपने साथी को दोष देना रिश्ते में दरार पैदा कर सकता है।

असुरक्षा की भावना: जब व्यक्ति को लगता है कि वह अपने साथी के अतीत से जुड़े लोगों या अनुभवों से खुद को मुकाबला नहीं कर सकता, तो यह भावना रिश्ते को कमजोर कर सकती है। इससे व्यक्ति खुद को कमतर समझने लगता है, जिससे रिश्ते में असंतुलन पैदा होता है।

मानसिक तनाव और असंतोष: रेबेका सिंड्रोम की वजह से व्यक्ति हमेशा तनाव और नकारात्मकता में रहता है। इससे उसका मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है और वह अपने साथी को लेकर खुश नहीं रह पाता।

रिश्ते में दूरी और दरार: इस सिंड्रोम के कारण व्यक्ति अपने साथी से दूरी बनाने लगता है। साथी के प्रति बढ़ती नकारात्मकता और कटुता रिश्ते में दूरियाँ बढ़ा देती हैं, और यह धीरे-धीरे रिश्ते के टूटने का कारण बन सकता है।

रेबेका सिंड्रोम से बचाव

खुले संवाद: अपने साथी से खुलकर अपनी भावनाओं और चिंताओं के बारे में बात करें। यह समझें कि आपका साथी वर्तमान में आपके साथ है, और उसका अतीत उसके जीवन का हिस्सा था लेकिन अब वह बीत चुका है।

विश्वास विकसित करें: रिश्ते को स्थायी और खुशहाल बनाने के लिए आपसी विश्वास आवश्यक है। खुद को और अपने साथी को विश्वास का मौका दें।

मनोवैज्ञानिक सहायता: अगर रेबेका सिंड्रोम के कारण आपकी मानसिक स्थिति खराब हो रही है, तो किसी काउंसलर या मनोवैज्ञानिक से सलाह लें।

रेबेका सिंड्रोम एक गंभीर मानसिक स्थिति हो सकती है, जो किसी भी रिश्ते को प्रभावित कर सकती है। इसे समझदारी, खुले संवाद, और आपसी विश्वास के माध्यम से संभाला जा सकता है।

दिल्ली:दिल्ली सरकार ने लिया बड़ा फैसला राजधानी में अब दिव्यांगजनों को हर महीने मिलेगी 5 हजार रुपए पेंशन,जाने क्या हैं लाभ पाने की शर्ते


नई दिल्ली:- दिल्ली सरकार ने विशेष आवश्यकता वाले दिव्यांग व्यक्तियों को 5,000 रुपए की मासिक वित्तीय सहायता देने का निर्णय लिया है. समाज कल्याण मंत्री सौरभ भारद्वाज ने यह जानकारी दी. भारद्वाज ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 60 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग व्यक्ति इस वित्तीय सहायता के लिए पात्र होंगे।

समाज कल्याण मंत्री सौरभ भारद्वाज ने आगे कहा कि मंत्रिपरिषद की बैठक में वित्तीय सहायता बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. समाज कल्याण विभाग को इस योजना को लागू करने का निर्देश दिया गया है, जिसके तहत एक महीने के भीतर पंजीकरण शुरू होने की उम्मीद है।

भारद्वाज ने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार, दिल्ली में लगभग 10,000 व्यक्ति इस सहायता के लिए पात्र हो सकते हैं.

भारद्वाज ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इस योजना के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए उपराज्यपाल के पास भेजने की जरूरत है, क्योंकि यह जनता का पैसा है, जिसे विशेष आवश्यकता वाले दिव्यांग व्यक्तियों के कल्याण पर खर्च किया जाना है.

उन्होंने बताया कि 2011 की जनगणना के अनुसार, दिल्ली में 2.34 लाख दिव्यांग व्यक्ति थे, जिनमें से लगभग 9,500-10,000 दिव्यांग व्यक्ति उच्च आवश्यकता वाले थे।

शर्त भी जान लीजिए

कल कैबिनेट में तय हुआ कि दिल्ली सरकार इन लोगों को 5000 महीने पेंशन देगी. ज‍िनको भी डॉक्‍टर 60% दिव्यांगता का सर्टिफिकेट देंगे, उन्‍हें हम ये पेंशन देने जा रहे हैं. इस योजना को तत्काल प्रभाव से लागू किया जा रहा है. जल्दी ही रजिस्ट्रेशन शुरू कर द‍िया जाएगा. एक अनुमान के मुताबिक, द‍िल्‍ली में ऐसे तकरीबन 9500 लोग हैं.

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में भारी बारिश के चलते निर्माणाधीन इमारत ढही, मलबे में 17 मजदूर दबे


बेंलगुरु: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के हेन्नुर क्षेत्र में मंगलवार को भारी बारिश के कारण एक निर्माणाधीन इमारत ढह गई. मलबे में 17 मजदूरों के दबे होने आशंका जताई है. मौके पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है. हेन्नुर पुलिस के अधिकारी मौके पर हैं और जांच कर रही है.

अग्निशमन और आपात विभाग की दो बचाव वैन को बचाव अभियान में लगाया गया है. अधिकारियों ने बताया कि शहर में भारी बारिश के बीच यह घटना हुई. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, "इमारत के अंदर 17 लोगों के फंसे होने की आशंका है और अन्य एजेंसियों की मदद से बचाव अभियान चलाया जा रहा है."

अग्निशमन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक जांच के अनुसार पूरी इमारत ढह गई जिसके बाद लोग इसके नीचे फंस गए.बेंगलुरु में भारी बारिश के कारण कई जगह अव्यवस्थाएं पैदा हो गई हैं. 

यलहंका, मल्लेश्वर, सिल्क बोर्ड समेत कई जगहों पर बारिश का पानी सड़कों पर भर गया है. वहीं कुछ जगहों पर घरों में पानी भर गया है.

बेंगलुरु में भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात है।

बेंगलुरु में सोमवार रात को शुरू हुई बारिश के कारण पूरे शहर में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. कोगिलु क्रॉस, यालहंका के पास सेंट्रल वेकेशन अपार्टमेंट के सामने बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. केंद्रीय विहार अपार्टमेंट में लगभग 2,500 लोग पानी से घिरे हुए हैं. 

NDRF की टीम नाव के जरिये निवासियों को सहायता प्रदान कर रही है.यालहंका में बाढ़ जैसी स्थिति के कारण मंगलवार को स्कूली बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ा.

सड़कों पर जलभराव के कारण स्कूल बसों की आवाजाही बाधित हुई और बच्चों को पानी में घुसकर जाना पड़ा.

दूसरी ओर, चिक्काबनवारा में द्वारका शहर के लोगों को बाढ़ का खतरा है. राजकालुवे का पानी इलाके में घुस गया और पूरी तरह से जलमग्न हो गया. 30 से ज्यादा घरों में बारिश का पानी घुस गया है. स्थानीय निवासी जूरूरी सामान के लिए भी इलाके से बाहर नहीं जा पा रहे हैं।

आरजी कर पीड़िता के माता-पिता ने अमित शाह से मुलाकात का अनुरोध किया


पश्चिम बंगाल में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी महिला डॉक्टर के दुष्कर्म-हत्या मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन अभी भी जारी है. इस बीच पीड़िता के माता-पिता ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने का समय मांगा है. उन्होंने इस संबंध में शाह को ई-मेल भेजा है और उनसे मुलाकात का अनुरोध किया है.

उन्होंने ई-मेल के माध्यम से कहा, "मेरी बेटी के साथ जो कुछ हुआ, उसके बाद हम अभी भी मानसिक रूप से उबर नहीं पाए हैं. हम बहुत तनाव में हैं. इसलिए हम आपसे मिलना चाहते हैं."

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त को पूरे समाज को झकझोर देने वाली घटना घटी थी, जब ट्रेनी महिला चिकित्सक के साथ कार्यस्थल पर दुष्कर्म किया गया और उसकी हत्या कर दी गई. घटना के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. पीड़िता के लिए न्याय की मांग करते हुए लोग सड़कों पर उतर आए.

जूनियर डॉक्टरों का आंदोलन जारी

जूनियर डॉक्टरों का आंदोलन अभी जारी है. 17 दिनों के बाद सोमवार को ही उन्होंने अपनी भूख हड़ताल समाप्त की है. वरिष्ठ डॉक्टर भी उनके साथ खड़े हैं. कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई इस जघन्य अपराध की जांच कर रही है. विभिन्न हलकों में यह सवाल बार-बार पूछा जा रहा है कि युवती को न्याय मिलने में कितना समय लगेगा.

इस बीच, पीड़ित डॉक्टर के परिवार ने केंद्रीय गृह मंत्री को ईमेल भेजकर उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलने का अनुरोध किया. पिता ने ईमेल में लिखा, "मैं आपसे हमारी मौजूदा स्थिति के बारे में बात करना चाहता हूं. आप जहां भी कहेंगे, मैं और मेरी पत्नी जाएंगे. मैं आपसे मौजूदा स्थिति के बारे में बात करूंगा. अगर आप हमें बात करने का मौका देंगे तो मैं आभारी रहूंगा. मुझे विश्वास है कि आपका अनुभव और मार्गदर्शन अमूल्य होगा."

जूनियर डॉक्टरों की भूख हड़ताल में गया था परिवार

इससे पहले, पीड़िता का परिवार धर्मतला में जूनियर डॉक्टरों की भूख हड़ताल में गया था और उनसे हड़ताल वापस लेने का अनुरोध किया था. पीड़िता के पिता ने कहा, "मेरी बेटी के न्याय के लिए आज पूरा देश सड़कों पर है. मेरे बच्चे (जूनियर डॉक्टर) भूख हड़ताल पर हैं. मैं चुप नहीं रह सकता. मैं उनसे भूख हड़ताल खत्म करने का अनुरोध कर रहा हूं. लेकिन हम न्याय के लिए उनके द्वारा किए जा रहे आंदोलन का समर्थन करेंगे." उनके अनुरोध का सम्मान करते हुए जूनियर डॉक्टरों ने आखिरकार सोमवार देर रात भूख हड़ताल वापस ले ली।