कौन हैं नव्या हरिदास, जिन्हें वायनाड सीट पर बीजेपी ने प्रियंका गांधी के खिलाफ दिया टिकट

डेस्क: वायनाड लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए भाजपा ने कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा के खिलाफ नव्या हरिदास को मैदान में उतारा है। जून में हुए चुनाव में इस सीट पर राहुल गांधी ने जीत हासिल की थी। हालांकि, उन्होंने रायबरेली से भी जीत हासिल की और वहां से सांसद बने रहने का फैसला किया। इसके बाद इस सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं। यहां मतदान 13 नवंबर को होना है और नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।

39 वर्षीय नव्या हरिदास कोझिकोड नगर निगम में दो बार पार्षद रह चुकी हैं और निगम में भाजपा संसदीय दल की नेता हैं। वह भाजपा महिला मोर्चा की राज्य महासचिव भी हैं। उन्होंने कालीकट विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त केएमसीटी इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री प्राप्त की है। वह 2021 के केरल विधानसभा चुनाव में कोझीकोड दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा की उम्मीदवार थीं, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार अहमद देवरकोविल से हार गईं।

वायनाड सीट से नामांकन के बाद नव्या ने कहा "वायनाड के लोगों को वहां विकास की जरूरत है। कांग्रेस परिवार वास्तव में वायनाड के लोगों की जरूरतों को पूरा नहीं कर रहा है। इस चुनाव के बाद से वायनाड के निवासियों को संसद में एक बेहतर सदस्य की जरूरत है जो उनके मुद्दों को संबोधित कर सके।" हरिदास ने ऐसे नेता के महत्व पर बल दिया जो स्थानीय लोगों की चिंताओं को प्राथमिकता देता हो। उन्होंने कहा, "मेरे पास प्रशासनिक अनुभव है, मैं केरल में दो बार पार्षद चुनी गई हूं। इसलिए, पिछले आठ सालों से मैं राजनीतिक क्षेत्र में हूं, लोगों की सेवा कर रही हूं, उनकी समस्याओं को जान रही हूं और हमेशा उनके साथ हूं।"

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी वायनाड और रायबरेली दोनों लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए थे। बाद में उन्होंने रायबरेली से सांसद बने रहने का फैसला किया। इसके बाद वायनाड में उप चुनाव जरूरी हो गया। इस सीट पर कांग्रेस ने प्रियंका गांधी भाजपा ने नव्या हरिदास और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने वरिष्ठ नेता सत्यन मोकेरी को टिकट दिया है।

इजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के घर पर धमाका, बजने लगे सायरन, टला बड़ा हादसा, सुरक्षा बलों ने सुरक्षा में चूक बताया

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के आवास पर धमाका हुआ है। ये धमका पीएम नेतन्याहू के दक्षिणी हाइफ़ा के कैसरिया में स्थित आवास के बाहर ड्रोन से हमला होने से हुआ है।

इजराइली सुरक्षा बलों से हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि ड्रोन से हुए हमले से किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि हमला लेबनान से हिज्बुल्लाह ने किया है। हिज्बुल्लाह ने लेबनान से ड्रोन अटैक किया जो इजराइल के सुरक्षा सिस्टम को भेदते हुए पीएम नेतन्याहू के घर तक पहुंचा है।

आईडीएफ ने इस संबंध में जानकारी दी कि लेबनान से दागे गए रॉकेट की वजह से आज सुबह हाइफा रीजन में बजने वाले वॉर्निंग अलर्ट सायरन से बजने लगे थे। दक्षिणी हाइफ़ा के कैसरिया में इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू के घर के पास एक ड्रोन में ब्लास्ट हुआ है। इजराइली सुरक्षा बलों ने ड्रोन अटैक को सुरक्षा में बड़ी चूक बताया।

रेल यात्रियों के जरूरी खबर, टिकट बुकिंग को लेकर रेलवे ने जारी की नई व्यवस्था, 120 नहीं अब 60 दिन पहले करा सकेंगे रिजर्वेशन

भारतीय रेलवे ने टिकट बुकिंग के नियम में बदलाव किया है। अब 120 दिन की जगह 60 दिन पहले ही टिकट बुक करा सकेंगे। रेल मंत्रालय की ओर से गुरुवार यानी 17 अक्टूबर को जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक अब एडवांस रिजर्वेशन की समय सीमा घटा दी गई है। इससे लोगों को एडवांस में टिकट बुक करने के लिए कम समय मिलेगा।

रेलवे ने इस आशय का नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा है कि अब 01नवंबर से ट्रेनों में एडवांस रिजर्वेशन की मौजूदा समय सीमा 120 दिनों से घटाकर 60 दिन (यात्रा की तिथि को छोड़कर) रहेगी। हालांकि 120 दिनों के ARP के तहत 31 अक्टूबर 2024 तक की गई सभी बुकिंग बरकरार रहेगी। नया नियम नवंबर से होने वाली बुकिंग पर लागू होगा।

रेलवे ने कहा है कि ताज एक्सप्रेस , गोमती एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों के मामले में कोई बदलाव नहीं होगा। इन ट्रेनों में अग्रिम आरक्षण के लिए समय सीमा पहले से ही कम है। इसके अलावे विदेशी पर्यटकों के लिए 365 दिनों की सीमा के मामले में भी कोई बदलाव नहीं होगा।

अभी तक लोगों के पास 120 दिन पहले टिकट बुक करने का मौका था। इससे समय रहते टिकट बुक हो जाता था और वेटिंग टिकट के लिए भी कन्फर्म होने का पर्याप्त समय मिलता था। लेकिन 60 दिन समय सीमा होने से अचानक बुकिंग के लिए भीड़ जुटेगी। वेटिंग टिकट के लिए भी कन्फर्म होने के चांसेज कम होंगे। पूर्वांचल और बिहार के रूटों पर चार महीने पहले ही रिजर्वेशन फुल हो जाता है। टिकट बुकिंग आसान बनाने और सबको टिकट मिल सके इसके लिए रेलवे की तरफ से लगातार कोशिश की जा रही है। रेलवे की तरफ से अवैध तरीके से टिकट बुक करने वालों के खिलाफ भी लगातार अभियान चलाया जा रहा है। रेलवे का फोकस सुविधाओं पर है।

वाराणसी में ज्ञानवापी के 33 साल पुराने मूलवाद मामले में बहस पूरी, 25 अक्टूबर को कोर्ट का आएगा फैसला

वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के 1991 मूलवाद मामले में मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी हो गई है. लॉर्ड विशेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के 1991 मूलवाद में दोनों पक्ष ने अपनी बात रखी थी. सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) युगल शंभू की अदालत में 25 अक्टूबर को इस मामले में फैसला सुनाया जाएगा. ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ का अधिकार देने को लेकर मूलवाद 1991 दाखिल किया गया था. 33 साल से लंबित इस केस में मुस्लिम पक्ष के वकील ने जिरह की.

इस मामले में हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने कहा है कि 1991 से चल रहे जिस वाद को मुस्लिम पक्ष लटकाओ, भटकाओ, अटकाओ की नीति पर चल रहा था. आज वही ज्ञानवापी के मामले में हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देकर शीघ्र सुनवाई के लिए माननीय न्यायालय से निवेदन कर रहा है.

भाजपा-142, शिवसेना-66 और पवार गुट को 52 सीट..! महाराष्ट्र में महायुति का फार्मूला ढाई घंटे की बैठक में हुआ तय

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित होने के बाद महायुति गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत तेज हो गई है। बताया जा रहा है कि यह चर्चा अपने अंतिम चरण में है। दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह ने एक महत्वपूर्ण बैठक की, जो लगभग ढाई घंटे चली। इस बैठक में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस भी शामिल थे।

सूत्रों के मुताबिक, महायुति के बीच 260 सीटों पर सहमति बन चुकी है, जबकि 28 सीटों पर अभी भी चर्चा जारी है। बीजेपी को 142 सीटें दी गई हैं, एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 66 सीटें मिली हैं और अजित पवार की एनसीपी के लिए 52 सीटें तय की गई हैं। बाकी 28 सीटों पर अभी बातचीत जारी है। महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं। बीजेपी चाहती है कि वह 160 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़े, जबकि एकनाथ शिंदे चाहते हैं कि उनकी पार्टी 60 से ज्यादा सीटों पर लड़े। अजित पवार की भी मांग है कि उनकी पार्टी को और सीटें मिलें ताकि चुनाव के बाद सरकार बनाने में उनकी स्थिति मजबूत हो।

2019 के चुनाव में बीजेपी ने सबसे ज्यादा 105 सीटें जीती थीं, लेकिन बाद में शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) एनडीए से अलग होकर एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। जून 2022 में शिवसेना में आंतरिक विवाद हुआ और एकनाथ शिंदे ने पार्टी के 40 विधायकों को अपने साथ ले लिया। इसके बाद शिंदे बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने और अब शिवसेना दो गुटों में बंट चुकी है। इसी तरह, एनसीपी भी शरद पवार और अजित पवार के दो गुटों में विभाजित है। महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होगा और नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।

तेलंगाना का पैसा 'अडानी' को दे रही कांग्रेस? रेड्डी और गौतम के हाथ में 'चेक', जानिए, विपक्ष ने कैसे साधा राहुल गांधी पर निशाना

गौतम अडानी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की हालिया मुलाकात के बाद राजनीतिक विवाद गरमा गया है। अडानी समूह ने यंग इंडिया स्किल्स यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए 100 करोड़ रुपये का चेक मुख्यमंत्री को सौंपा। अडानी ने राज्य के युवाओं के कौशल विकास में निवेश और समर्थन देने का वादा किया है। विश्वविद्यालय स्वास्थ्य, फार्मास्यूटिकल्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्रों में कोर्स शुरू करेगा, और शुरुआत में इंजीनियरिंग स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया (ESCI) में कक्षाएं आयोजित की जाएंगी।

इधर, भारत राष्ट्र समिति (BRS) के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव (KTR) ने इसपर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह पाखंड है। KTR ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके नेता 'मोदानी' (मोदी और अडानी के नामों का मिश्रण) का आरोप लगाते रहते हैं, लेकिन तेलंगाना में कांग्रेस सरकार अडानी से दान लेती है। उन्होंने तंज करते हुए कहा कि इस मिलन को क्या कहा जाए—'रेवडानी' या 'रागडानी'।

बीआरएस ने यह भी आरोप लगाया कि यह पहली बार नहीं है जब रेवंत रेड्डी की सरकार कांग्रेस की अडानी विरोधी नीति से अलग हुई है। इससे पहले भी कांग्रेस सरकार ने अडानी पावर को हैदराबाद में बिजली बिल वसूलने के लिए लाने की कोशिश की थी, जिस पर भी बीआरएस ने आलोचना की थी। बीआरएस का कहना है कि यह विडंबना है कि राहुल गांधी और उनकी पार्टी एक तरफ अडानी पर आरोप लगाते हैं और दूसरी तरफ तेलंगाना की कांग्रेस सरकार अडानी के साथ समझौते कर रही है।

इस पर विपक्ष ने सवाल उठाया है कि क्या राहुल गांधी वास्तव में चुनावी रैलियों में जो कहते हैं, वह सच है, या फिर कांग्रेस के कार्य और उनके बयान अलग-अलग हैं? अगर राहुल गांधी अडानी पर इतने आरोप लगाते हैं, तो उनकी अपनी पार्टी की सरकार अडानी ग्रुप के साथ डील्स क्यों कर रही है? ऐसे में राहुल गांधी से ये पूछा जाना चाहिए कि उनकी पार्टी की सरकार, तेलंगाना की जनता का पैसा अडानी की जेब में क्यों डाल रही है ?

इंदौर में लड़कियों ने निकाली अजीबोगरीब रैली, बताया कैसा बॉयफ्रेंड चाहिए, लिखा- दाढ़ी रखो या गर्लफ्रेंड, वीडियो हो रहा वायरल

मध्यप्रदेश के इंदौर में अजीबोगरीब प्रदर्शन देखने को मिला. इंदौर में लड़कियों ने एक अलग ही डिमांड को लेकर प्रदर्शन कर दिया कि लड़के तो क्या लड़कियां भी हैरान हो गईं. इस अनोखे प्रदर्शन का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. दरअसल, इंदौर में लड़कियों ने क्लीन शेव बॉयफ्रेंड के लिए रैली निकाली.

इन लड़कियों के हाथ में तख्तियां है जिनपर कुछ स्लोगन भी लिखे हैं. इन तख्तियों पर लिखा है, “no clean shave, no love” और दाढ़ी रखो या गर्लफ्रेंड choice तुम्हारी. इस अतरंगी रैली में लड़कियों ने हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी भी की, लड़कियों ने अपने चेहरे पर सांकेतिक दाढ़ी भी लगा रखी थी. वहीं लड़कियों के प्रदर्शन के इस वीडियो में कुछ लोग इनकी तरफ हैरानी भरी नजरों से देख रहे हैं. लोग इस वीडियो को मजाकिया और मनोरंजक मान रहे हैं, जबकि कुछ लोगों का कहना है ये दिखावा या रील्स के लिए किया गया स्टंट है.

हालांकि, इस रैली का असली मकसद क्या है ये अभी तक स्पष्ट नहीं है. यह हो सकता है कि किसी प्रमोशनल इवेंट का हिस्सा हो या सिर्फ इसे मजाक के तौर पर किया गया हो. वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल है. सोशल साइट x पर नाम के यूजर ने शेयर किया है. इस वीडियो को लाखों लोग देख चुके हैं, कई लोगों ने वीडियो को लाइक किया है. वीडियो पर यूजर्स तरह-तरह के कमेंट्स भी कर रहे हैं.

बांग्लादेश जैसा उपद्रव भारत में भी हो सकता है”? किस खतरे की ओर है भगवात का इशारा

#rsschiefmohanbhagwatwarnedindiabygivingexampleofbangladesh

अगस्त में पड़ोसी देश बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ, जिसके बाद देश के नेताओं ने यहां तक कह दिया कि बांग्लादेश के प्रधानमंत्री आवास में जिस तरह लूट-खसोट हुई, वैसा ही दृश्य भारत में भी देखा जा सकता है। ये दोनों नेता कांग्रेस पार्टी के हैं। इनमें एक तो केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। हालांकि, उस वक्त बीजेपी नेताओं ने आपत्तियां दर्ज की थी। अब दशहरे के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता की तुलना भारत से कर दी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 'बांग्लादेश में हिंसा जैसी स्थिति भारत में पैदा करने की कोशिश', 'बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार' जैसे मुद्दे पर टिप्पणी की।

संघ प्रमुख ने कहा कि 'डीप स्टेट', 'वोकिज्म', 'कल्चरल मार्क्सिस्ट' शब्द इस समय चर्चा में हैं और ये सभी सांस्कृतिक परंपराओं के घोषित दुश्मन हैं। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक मूल्यों, परंपराओं और जहां जहां जो कुछ भी भद्र, मंगल माना जाता है, उसका समूल उच्छेद (पूरी तरह से ख़त्म करना) इस समूह की कार्यप्रणाली का अंग है। भागवत ने आगे कहा, समाज में अन्याय की भावना पैदा होती है। असंतोष को हवा देकर उस तत्व को समाज के अन्य तत्वों से अलग और व्यवस्था के प्रति आक्रामक बना दिया जाता है। व्यवस्था, कानून, शासन, प्रशासन आदि के प्रति अविश्वास और घृणा को बढ़ावा देकर अराजकता और भय का माहौल बनाया जाता है. इससे उस देश पर हावी होना आसान हो जाता है।

भागवत ने आगे कहा कि तथाकथित 'अरब स्प्रिंग' से लेकर पड़ोसी बांग्लादेश में हाल की घटनाओं तक, एक ही पैटर्न देखा गया। हम पूरे भारत में इसी तरह के नापाक प्रयास देख रहे हैं। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत अधिक ताकतवर हुआ है और विश्व में उसकी साख भी बढ़ी है लेकिन मायावी षडयंत्र देश के संकल्प की परीक्षा ले रहे हैं।

भागवत ने कहा क शिक्षा संस्थान, बौद्धिक जगत में कब्जा कर विचारों में विकृति पैदा करने की कोशिश करते हैं। ऐसा माहौल बनाते है कि हम ही अपनी परंपरा को तुच्छ समझें। उन्होंने कहा कि समाज की विविधताओं को अलगाव में बदलने की कोशिश करना, लोगों में टकराव की स्थिति पैदा करना, सत्ता, प्रशासन, कानून, संस्था सबके प्रति अनादर का व्यवहार सिखाना... इससे उस देश पर बाहर से वर्चस्व चलाना आसान है।

अब सवाल ये है कि भागवत के बयान में इशारा किसकी तरफ है। संघ ने हमेशा आरोप लगाया है कि भारत की संस्कृति 'हिंदू संस्कृति' है उसे 'सांस्कृतिक मार्क्सवाद' के माध्यम से नष्ट करने की कोशिश की जा रही है। दरअसल, संघ का इशारा उन गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) की तरफ है, जिसे बाहरी लोग फंडिंग करते हैं और इनसे भारत विरोधी गतिविधियां करते। संघ का दावा है कि दुनिया भर के कई अंतरराष्ट्रीय संगठन भारत में विभिन्न संगठनों को वित्तीय सहायता देते हैं, यह सहायता भारत में विकास में बाधा डालने के लिए है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने पिछले कुछ सालों में उन तमाम गैर-सरकारी संगठनों पर नकेल कसी है, जो कथित तौर पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहते थे। राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक व्यवस्था को पुख्ता करने का काम केंद्रीय गृह मंत्रालय का होता है और मंत्रालय ने ऐसे ही संगठनों के खिलाफ जांच और उचित कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिए हैं। दूसरी तरफ, जो संगठन देश और देशवासियों के लिए जनकल्याण की भावना से काम करते हैं और भारतीय कानून को मानते हैं, सरकार की तरफ से उचित मदद भी दी जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार बनने के बाद से ही देश में रजिस्टर्ड एनजीओ की गहरी छानबीन शुरू हुई और पड़ताल में हजारों एनजीओ नियम-कानून की धज्जियां उड़ाते पाए गए। सरकार ने ऐसे एनजीओ पर लगाम कसना शुरू किया और उन सारे एनजीओ के लाइसेंस कैंसल करने लगी जो नियमों के पालन में हीला-हवाली करते पाए गए। सरकार की कार्रवाई का शिकार कई मशहूर अंतरराष्ट्रीय एनजीओ भी हुए जिन्होंने भारतीय कानूनों की अनदेखी की थी।

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“बांग्लादेश जैसा उपद्रव भारत में भी हो सकता है”? किस खतरे की ओर है भगवात का इशारा

अगस्त में पड़ोसी देश बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ, जिसके बाद देश के नेताओं ने यहां तक कह दिया कि बांग्लादेश के प्रधानमंत्री आवास में जिस तरह लूट-खसोट हुई, वैसा ही दृश्य भारत में भी देखा जा सकता है। ये दोनों नेता कांग्रेस पार्टी के हैं। इनमें एक तो केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। हालांकि, उस वक्त बीजेपी नेताओं ने आपत्तियां दर्ज की थी। अब दशहरे के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता की तुलना भारत से कर दी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 'बांग्लादेश में हिंसा जैसी स्थिति भारत में पैदा करने की कोशिश', 'बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार' जैसे मुद्दे पर टिप्पणी की।

संघ प्रमुख ने कहा कि 'डीप स्टेट', 'वोकिज्म', 'कल्चरल मार्क्सिस्ट' शब्द इस समय चर्चा में हैं और ये सभी सांस्कृतिक परंपराओं के घोषित दुश्मन हैं। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक मूल्यों, परंपराओं और जहां जहां जो कुछ भी भद्र, मंगल माना जाता है, उसका समूल उच्छेद (पूरी तरह से ख़त्म करना) इस समूह की कार्यप्रणाली का अंग है। भागवत ने आगे कहा, समाज में अन्याय की भावना पैदा होती है। असंतोष को हवा देकर उस तत्व को समाज के अन्य तत्वों से अलग और व्यवस्था के प्रति आक्रामक बना दिया जाता है। व्यवस्था, कानून, शासन, प्रशासन आदि के प्रति अविश्वास और घृणा को बढ़ावा देकर अराजकता और भय का माहौल बनाया जाता है. इससे उस देश पर हावी होना आसान हो जाता है।

भागवत ने आगे कहा कि तथाकथित 'अरब स्प्रिंग' से लेकर पड़ोसी बांग्लादेश में हाल की घटनाओं तक, एक ही पैटर्न देखा गया। हम पूरे भारत में इसी तरह के नापाक प्रयास देख रहे हैं। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत अधिक ताकतवर हुआ है और विश्व में उसकी साख भी बढ़ी है लेकिन मायावी षडयंत्र देश के संकल्प की परीक्षा ले रहे हैं।

भागवत ने कहा क शिक्षा संस्थान, बौद्धिक जगत में कब्जा कर विचारों में विकृति पैदा करने की कोशिश करते हैं। ऐसा माहौल बनाते है कि हम ही अपनी परंपरा को तुच्छ समझें। उन्होंने कहा कि समाज की विविधताओं को अलगाव में बदलने की कोशिश करना, लोगों में टकराव की स्थिति पैदा करना, सत्ता, प्रशासन, कानून, संस्था सबके प्रति अनादर का व्यवहार सिखाना... इससे उस देश पर बाहर से वर्चस्व चलाना आसान है।

अब सवाल ये है कि भागवत के बयान में इशारा किसकी तरफ है। संघ ने हमेशा आरोप लगाया है कि भारत की संस्कृति 'हिंदू संस्कृति' है उसे 'सांस्कृतिक मार्क्सवाद' के माध्यम से नष्ट करने की कोशिश की जा रही है। दरअसल, संघ का इशारा उन गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) की तरफ है, जिसे बाहरी लोग फंडिंग करते हैं और इनसे भारत विरोधी गतिविधियां करते। संघ का दावा है कि दुनिया भर के कई अंतरराष्ट्रीय संगठन भारत में विभिन्न संगठनों को वित्तीय सहायता देते हैं, यह सहायता भारत में विकास में बाधा डालने के लिए है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने पिछले कुछ सालों में उन तमाम गैर-सरकारी संगठनों पर नकेल कसी है, जो कथित तौर पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहते थे। राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक व्यवस्था को पुख्ता करने का काम केंद्रीय गृह मंत्रालय का होता है और मंत्रालय ने ऐसे ही संगठनों के खिलाफ जांच और उचित कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिए हैं। दूसरी तरफ, जो संगठन देश और देशवासियों के लिए जनकल्याण की भावना से काम करते हैं और भारतीय कानून को मानते हैं, सरकार की तरफ से उचित मदद भी दी जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार बनने के बाद से ही देश में रजिस्टर्ड एनजीओ की गहरी छानबीन शुरू हुई और पड़ताल में हजारों एनजीओ नियम-कानून की धज्जियां उड़ाते पाए गए। सरकार ने ऐसे एनजीओ पर लगाम कसना शुरू किया और उन सारे एनजीओ के लाइसेंस कैंसल करने लगी जो नियमों के पालन में हीला-हवाली करते पाए गए। सरकार की कार्रवाई का शिकार कई मशहूर अंतरराष्ट्रीय एनजीओ भी हुए जिन्होंने भारतीय कानूनों की अनदेखी की थी।

गाजा पर मौत बनकर बरस रहा इजरायल, एयर स्ट्राइक में 33 फिलिस्तीनियी मारे गए

#israeli_strike_kills_several_people_in_jabalia

मध्य एशिया में तनाव बढ़ता ही जा रहा है।इजरायल की सेना ने एक बार फिर उत्तरी गाजा पट्टी में जबालिया शिविर पर एयर स्ट्राइक करके बमबारी की। हमले में 30 से ज्यादा लोग मारे गए। मरने वालों में 21 महिलाएं शामिल हैं। गाजा की नागरिक सुरक्षा एजेंसी ने कहा कि जबालिया के पास शुक्रवार रात इजराइली हमले में एक शरणार्थी शिविर में 33 लोग मारे गए।

एजेंसी के प्रवक्ता महमूद बस्सल ने 33 मौतों और दर्जनों घायलों का ऐलान किया। वहीं अल-अवदा अस्पताल के एक सूत्र ने बताया कि इससे पहले उसने फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए ताल अल-जातर शिविर पर हमले के बाद 22 लोगों की मौत और 70 लोगों के घायल होने की बात दर्ज की थी।

उधर, हमास द्वारा संचालित गाजा सरकार के मीडिया कार्यालय ने एक बयान जारी कर कहा कि इजराइली हवाई हमले में 33 फलस्तीनियों की मौत हो गई। कई पीड़ितों के मलबे और इमारतों के नीचे फंसे होने के कारण मौतों की संख्या 50 तक पहुंच सकती है। इजाराइल द्वारा की गई बमबारी में 85 से अधिक लोग घायल हुए हैं, इनमें कुछ को गंभीर चोटें आई हैं। कहा कि इस्राइली सेना ने जबालिया शिविर में कई घरों पर बमबारी की।

हालांकि, इजराइली सेना ने अभी तक इस घटना पर कोई टिप्पणी नहीं की है। एक दिन पहले इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बयान में कहा कि जब तक बंधकों को रिहा नहीं किया जाता तब तक देश की सेना लड़ती रहेगी और हमास को कमजोर करने के लिए गाजा में तैनात रहेगी। दोनों पक्षों का यह रुख इस बात का संकेत देता है कि दोनों ही संघर्ष को समाप्त करने के करीब नहीं हैं।

पुतिन बोले-अब ब्रिक्स देश चलाएंगे दुनिया की अर्थव्यवस्था, दुनिया में एक ही करेंसी का वर्चस्व नहीं रहा

#russia_president_putin_said_brics_countries_lead_world_economy

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने देश में आयोजित होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले शुक्रवार को बड़ी बात कही। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि अब दुनिया की अर्थव्यवस्था को पश्चिमी देश नहीं, बल्कि ब्रिक्स देश चलाएंगे। पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स समूह पश्चिम विरोधी नहीं है, बल्कि इसका लक्ष्य वैश्विक आर्थिक विकास को गति देना है। उन्होंने ब्रिक्स के विस्तार का समर्थन करते हुए कहा कि इसका दरवाजा सभी देशों के लिए खुला है।पुतिन ने ये बयान अगले हफ्ते आयोजित होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले कही है।

रूस में ब्रिक्स देशों के सम्मेलन से पहले शुक्रवार को राष्ट्रपति पुतिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पश्चिमी देशों पर निशाना साधते हुए कहा कि अब दुनिया की अर्थव्यवस्था को पश्चिमी देश नहीं, बल्कि ब्रिक्स के देश चलाएंगे।अपने संबोधन में पुतिन ने डॉलर का नाम लिए बिना कहा कि रूस की पहल से अब दुनिया में एक ही करेंसी का वर्चस्व नहीं रहा। आज सभी देश अपनी करेंसी में व्यापार कर रहे हैं। पुतिन ने ब्रिक्स देशों के न्यू डेवलपमेंट बैंक को वैश्विक दक्षिण के लिए एकमात्र बैंक बताया जो विकास के लिए काम कर रहा है।

रूसी राष्ट्रपति कहा कि ब्रिक्स समूह के देशों की साझा जीडीपी 60 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है, जो कि जी-7 देशों की जीडीपी से ज्यादा है। यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिक्स देशों की भूमिका वैश्विक अर्थव्यवस्था में भविष्य में और बढ़ेगी। पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स देश वास्तव में वैश्विक आर्थिक विकास के मुख्य चालक हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में वैश्विक जीडीपी में बढ़ोतरी खासतौर पर ब्रिक्स समूह की वजह से ही होगी।

पुतिन ने यह भी कहा कि 1992 में जी-7 देशों की हिस्सेदारी 45.5 फीसदी थी, जबकि ब्रिक्स देशों की देशों की हिस्सेदारी 16.7 फीसदी थी। लेकिन 2023 में ब्रिक्स की हिस्सेदारी बढ़कर 37.4 फीसदी हो गई है, जबकि जी-7 देशों की हिस्सेदारी 29.3 फीसदी रह गई है। पुतिन ने कहा कि इसमें बढ़ती हुई खाई दिखाई दे रही है और यह बढ़ती ही रहेगी, यह जरूरी भी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ब्रिक्स का केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान ही नहीं है। बल्कि समूह की ओर से किए कामों से सामाजिक-आर्थिक विकास को गति देने और सतत विकास सुनिश्चित करने के ठोस नतीजे मिलते हैं, जो वास्तव में देशों के आम नागरिकों की भलाई और जीवन में स्तर में सुधार करता है।

पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स देशों के संस्थान पश्चिमी देशों के संस्थानों के विकल्प के रूप में काम कर रहे हैं और जल्द ही उन्हें पीछे छोड़ देंगे।पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स देशों में शामिल होने के लिए कई देशों ने रुचि दिखाई है, जिसमें इथियोपिया, इजिप्ट, ईरान, और अर्जेंटीना सहित 30 देश शामिल हैं। सभी के लिए दरवाजे खुले हैं, हम किसी को मना नहीं कर रहे हैं। हम सबको लेकर आगे बढ़ने में विश्वास करते हैं। जितने देश ब्रिक्स में शामिल होना चाहते हैं, उनका स्वागत है।