झारखंड में चुनाव के पहले बढ़ी राजनीतिक तपिश, भाजपा द्वारा गोगो फार्म पर झामुमो ने उठाया सवाल, तो सीएम सोरेन ने भाजपा पर दिया केस करने का निर्देश
झा. डेस्क
झारखंड में चुनाव के पहले ही राजनीतिक तपिश महसूस की जाने लगी है। भाजपा और झामुमो आमने-सामने हैं। राजनीतिक पारा झारखंड का अभी कितना चढ़ा हुआ है, उसका अहसास इसी बात से लगता है कि आचार संहिता लगने से पहले ही पार्टियां आचार संहिता के उल्लंघन करने का आरोप लगाने लगी है।
राजनीतिक तापमान बढ़ने की एक बड़ी वजह है गोगो दीदी योजना। दरअसल भाजपा ने चुनाव पूर्व ही गोगो दीदी योजना का फार्म भराना शुरू कर दिया है।
चुनाव पूर्व फार्म भराये जाने की भाजपा की कवायद पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सवाल उठाये हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सोशल मीडिया में पोस्ट कर चुनाव आयोग के उस निर्देश का हवाला दिया है, जो लोकसभा चुनाव पूर्व जारी किये गये थे। जिसमें किसी तरह की योजना का फार्म ना भराने और जनता को लोभ लालच देने जैसे कार्यों को तत्काल रोकने का निर्देश था।
झामुमो ने जतायी आपत्ति
झामुमो ने मई 2024 में चुनाव आयोग के उसी निर्देश का हवाला देते हुए झामुमो ने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट किया था कि भाजपा लगातार चुनाव आयोग के नियमों की धज्जियां उड़ा रहा है - और चुनाव आयोग कमीशन सो रहा है। - आख़िर भाजपा को नियम तोड़ने की विशेष छूट है क्या ?
चुनाव आयोग कहता है की किसी भी तरह का फॉर्म नहीं भरवाया जा सकता है, लेकिन भाजपा के नेता, लगातार इसकी धज्जियां उड़ा रहे हैं और केंद्रीय चुनाव आयोग शांत है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन संज्ञान लें अन्यथा INDIA भी अब ऐसे हथकंडे अपनाएगी।
झामुमो की आपत्ति के बाद मुख्यमंत्री ने लिया संज्ञान
इधर झामुमो के सोशल मीडिया पोस्ट पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कड़ा निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने झामुमो के X पोस्ट को रिट्वीट करते हुए लिखा कि, सभी उपायुक्त संज्ञान लें एवं सुनिश्चित करें कि, भारतीय निर्वाचन आयोग की के सभी नियमों का सख्ती से पालन हो। झारखंड में किसी को भी केंद्रीय चुनाव आयोग के नियमों को तोड़ने की आज़ादी नहीं है। सभी उपायुक्त दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करें एवं सुसंगत धाराओं में मुकदमा कायम करते हुए सूचना दें।
हिमंता ने किया कटाक्ष
इधर सत्ता पक्ष के तीखे तेवर पर भाजपा ने करारा पलटवार किया है। भाजपा के सह प्रभारी हिमंता विस्वा सरमा ने कहा है कि चुनाव आयोग की आदर्श आचार संहिता चुनाव अधिसूचना जारी होने की तिथि से प्रभाव में आती है। अधिसूचना जारी होने तक, प्रत्येक राजनीतिक दल को अपने कार्यक्रम संचालित करने का अधिकार है। जब तक हम किसी नियम या संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। हमारी गतिविधियों में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप अवैध माना जाएगा।
Oct 08 2024, 09:46