भोपाल में होगी आरएसएस की समन्वय बैठक, भाजपा के वरिष्ठ नेता भी होंगे शामिल

 मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में शनिवार को RSS की समन्वय बैठक होने जा रही है. इस बैठक में RSS एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता सम्मिलित होंगे. यह मध्य प्रदेश में नियमित रूप से होने वाली बैठक है. यूपी में सत्ता एवं संगठन के बीच मचे घमासान की खबरों के बीच भोपाल में आज RSS एवं भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की बैठक रखी गई है. इस बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश एवं क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल सम्मिलित होंगे. 

वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा एवं प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा भी बैठक में भाग लेंगे. जबलपुर में इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव के चलते मुख्यमंत्री मोहन यादव इसमें सम्मिलित नहीं होंगे मगर शाम को जबलपुर से वापस आने पर वह सम्मिलित हो सकते हैं. बैठक में भारतीय मजदूर संघ के 70वें स्थापना दिवस पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम की तैयारियों पर भी चर्चा होगी. इससे पहले लोकसभा चुनाव 2024 में निराशाजनक प्रदर्शन की समीक्षा सहित तमाम मुद्दों को लेकर RSS एवं उत्तर प्रदेश सरकार के बड़े नेताओं के बीच भी बैठक होनी थी. मगर बैठक से एक दिन पहले ही इसे स्थगित कर दिया गया. यह बैठक शनिवार एवं रविवार को प्रस्तावित थी. 

हालांकि, इस बैठक के बारे में कोई औपचारिक खबर नहीं दी गई थी. मगर बताया जा रहा था कि ये बैठक RSS के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार की उपस्थिति में होनी थी. जानकारी के मुताबिक, अरुण कुमार के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, यूपी भाजपा अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी एवं संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह की बैठक होनी थी. हालांकि, ये बैठक क्यों स्थगित की गई इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है.

अयोध्या में NSG कमांडो सड़क पर उतरे, बख्तरबंद गाड़ियां लेकर राम मंदिर पहुंचे, आतंकियों से निपटने का किया रिहर्सल

डेस्क : रामलला की सुरक्षा को लेकर अयोध्या में एनएसजी कमांडो तैनात किए जाने हैं. इसको लेकर एनएसजी की टीम लगातार अपने कौशल कला का प्रदर्शन पिछले 3 दिन से कर रही है. राम जन्म भूमि परिसर में कल नेशनल सुरक्षा गार्ड (एनएसजी कमांडो) ने आपातकालीन स्थिति में सुरक्षा उपलब्ध कराते हुए आतंकी गतिविधियों से कैसे निपटा जाता है इसको लेकर अपने कौशल का प्रदर्शन किया.

 इसके बाद देर रात एक बार फिर एनएसजी कमांडो जब अयोध्या की सड़कों पर उतरे तो अयोध्यावासी भी आश्चर्यचकित हो गए.

देर रात हनुमानगढ़ी कनक भवन और दशरथ महल की सभी दुकानों को अचानक से बंद करा दिया गया. इसके बाद हनुमानगढ़ी बड़ा स्थान कनक भवन परिसर में टेररिस्ट एक्टिविटी होने पर किस तरह से लोगों को सुरक्षित किया जाता है, आपातकालीन स्थिति से कैसे निपटा जा सकता है इसको लेकर प्रदर्शन किया गया. 

बड़ा स्थान से कनक भवन और हनुमानगढ़ी तक मॉक ड्रिल करते हुए एनएसजी के जवानों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया. इस दौरान हनुमानगढ़ी और कनक भवन के आसपास भक्ति पथ के मार्ग को पूरी तरह से बंद कर दिया गया. अचानक होने वाले इस ड्रिल से स्थानीय लोग भी आश्चर्यचकित नजर आए.

सोनू सूद ने योगी सरकार के आदेश पर दी प्रतिक्रिया, फिर अपने बचाव में ऐसा क्या कहा कि भड़के लोग कर रहे ट्रोल

डेस्क: बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं और वे कई सारे मुद्दों पर बातें करना पसंद करते हैं. हाल ही में जब यूपी में कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों के बाहर अपना नाम लिखवाने के आदेश दिए गए तो इसपर रिएक्ट करते हुए सोनू सूद ने सभी दुकानदारों से एक अपील की. उनकी अपील के बाद अब इस बात के लिए उन्हें ट्रोल किया जा रहा है. एक शख्स ने तो एक वीडियो शेयर किया है जो सोनू सूद के विरोध में है. इसपर सोनू सूद का रिएक्शन आ गया है जिसे लोग पसंद नहीं कर रहे हैं.

सोनू सूद ने दुकानकारों को संबोधित करते हुए कहा- ‘सभी दुकानों पर सिर्फ एक ही नेमप्लेट होनी चाहिए. वो है मानवता.’ उनके इस बयान पर एक शख्स ने वीडियो शेयर करते हुए उनकी बात का विरोध किया. लेकिन सोनू सूद ने इसपर अपने आपक को डिफेंड करते हुए रिएक्ट किया. उन्होंने कहा- हमारे श्री राम जी ने शबरी के जूठे बेर खाए थे तो मैं क्यों नहीं खा सकता. हिंसा को अहिंसा से पराजित किया जा सकता है मेरे भाई बस मानवता बरकरार रहनी चाहिए. जय श्री राम. अब ये वीडियो वायरल हो रहा है और लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं.

एक शख्स ने लिखा- इतना भी डिफेंड मत करो, गलत को भी सही प्रूव करने में लगे हो. एक दूसरे शख्स ने लिखा- ‘मैं आपकी बहुत रिस्पेक्ट करता था लेकिन ऐसी मानसिकता.’ एक अन्य शख्स ने लिखा- इनकी समझ यहां तक ही सीमित है. ये श्रीराम को कभी नहीं समझ सकते. ये सिर्फ उनके नाम से कुछ भी उत्पाद और भेदभाव मचा कर बचना चाहते हैं. सोनू सूद की इस सफाई पर लोग जमकर रिएक्ट कर रहे और अपनी भड़ास निकाल रहे हैं.

सावन-भादो माह में महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन व्यवस्था हुई निर्धारित, भक्तों के लिए रहेंगी ये व्यवस्थाएं

सावन का महीना शिव भक्ति के लिए खास महत्व रखता है। इस के चलते देशभर के शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है तथा भगवान महादेव के दर्शन एवं पूजन किए जाते हैं। उज्जैन में सावन का महीना अपने आप में एक उत्सव की भांति होता है। इसके अतिरिक्त, भादो मास के 15 दिन भी शिव भक्ति के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, क्योंकि कुछ लोग श्रावण मास को पूर्णिमा से पूर्णिमा तक और कुछ अमावस्या से अमावस्या तक मानते हैं।

उज्जैन में भगवान महादेव की पूजा के लिए डेढ़ महीने का वक़्त तय किया गया है। इस के चलते महाकाल मंदिर में भक्तों का आंकड़ा बहुत बढ़ जाता है। मंदिर प्रबंधन समिति का अनुमान है कि हर सावन के सोमवार को तकरीबन साढ़े तीन लाख श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन तथा पूजन के लिए आते हैं, और प्रतिदिन आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या दो से ढाई लाख के बीच होती है। मंदिर प्रबंधन समिति ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए मंदिर परिसर में अस्थाई चिकित्सालय की व्यवस्था की है। अस्वस्थता महसूस होने पर श्रद्धालु यहां इलाज करवा सकते हैं। मंदिर प्रबंधन समिति के सहायक प्रशासक, मूलचंद जूनवाल ने बताया कि सावन-भादो मास के चलते चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती की गई है। बारिश को देखते हुए शेड और गर्मी से बचाव के लिए कूलर आदि की भी व्यवस्था की गई है।

साधारण श्रद्धालुओं के लिए दर्शन की अलग व्यवस्था की गई है। प्रवेश त्रिवेणी संग्रहालय के समीप से नंदीद्वार, श्री महाकाल, महालोक, मानसरोवर भवन, टनल मंदिर परिसर, कार्तिक मण्डपम एवं गणेश मण्डपम तक होगा। भारत माता मंदिर की तरफ से आने वाले श्रद्धालु शंख द्वार से मानसरोवर भवन में प्रवेश कर फेसेलिटी सेंटर, टनल मंदिर परिसर, कार्तिक मण्डपम एवं गणेश मण्डपम से दर्शन कर सकेंगे।

कांवड़ यात्रियों के लिए भी अलग इंतजाम किया गया है। शनिवार, रविवार एवं सोमवार को छोड़कर अन्य दिनों में द्वार नंबर 04 से प्रवेश दिया जाएगा। बिना पूर्व सूचना के आने वाले कांवड़ यात्री सामान्य श्रद्धालुओं की भांति प्रवेश करेंगे और कार्तिक मंडपम में जल अर्पण करेंगे। भस्म आरती में रजिस्टर्ड श्रद्धालुओं की प्रवेश व्यवस्था मानसरोवर भवन एवं द्वार नंबर 01 से होगी। विशिष्ट अतिथियों के लिए दर्शन व्यवस्था नीलकण्ठ मार्ग से सत्कार कक्ष तक रहेगी।

मंदिर समिति एवं पुलिस ने भक्तों की भीड़ को संभालने और सुरक्षा के लिए पूरी तैयारी की है। मंदिर में 2 से ढाई हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। मंदिर के अंदर एवं बाहरी क्षेत्रों में CCTV और सवारी मार्ग पर ड्रोन से निगरानी की जाएगी। मंदिर सहायक प्रशासक, मूलचंद जूनवाल ने बताया कि सावन-भादो में महाकाल मंदिर में आने वाले भक्तों के आंकड़े में बहुत बढ़ोतरी होती है। समिति ने इस भीड़ को संभालने के लिए पूरी तैयारी कर ली है।

बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन: 105 लोगों की मौत के बाद लगाया गया कर्फ्यू ; 400 से अधिक भारतीयों ने छोड़ा बांग्लादेश

बांग्लादेश में शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार ने शुक्रवार देर रात पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया और सरकारी नौकरियों के आवंटन को लेकर कई दिनों से चल रही हिंसक झड़पों के बाद व्यवस्था बनाए रखने के लिए सैन्य बलों की तैनाती का आदेश दिया। समाचार एजेंसी एएफपी ने बताया कि देश भर में अब तक हुई झड़पों में कम से कम 105 लोग मारे गए हैं। 1,500 से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं।

बांग्लादेश में कर्फ्यू की घोषणा सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के महासचिव ओबैदुल कादर ने की, जिन्होंने कहा कि नागरिक प्रशासन को व्यवस्था बनाए रखने में मदद करने के लिए ऐसा किया जा रहा है।

यह फ़ैसला पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों द्वारा शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाने और आंसू गैस छोड़ने और राजधानी ढाका में सभी सभाओं पर प्रतिबंध लगाने के कुछ घंटों बाद आया है। प्रदर्शनकारी, जिनमें ज़्यादातर छात्र हैं, सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था के खिलाफ़ ढाका और दूसरे शहरों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसमें 1971 में पाकिस्तान से देश की आज़ादी के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों के लिए आरक्षण भी शामिल है। उनका तर्क है कि यह व्यवस्था भेदभावपूर्ण है और प्रधानमंत्री शेख हसीना के समर्थकों को फ़ायदा पहुँचाती है, जिनकी अवामी लीग पार्टी ने स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया था, और वे चाहते हैं कि इसे योग्यता-आधारित व्यवस्था से बदला जाए। 

हालाँकि, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कोटा व्यवस्था का बचाव करते हुए कहा है कि युद्ध में अपने योगदान के लिए दिग्गजों को सर्वोच्च सम्मान मिलना चाहिए, चाहे उनकी राजनीतिक संबद्धता कुछ भी हो। गुरुवार को प्रदर्शनकारियों द्वारा देश के सरकारी प्रसारक में आग लगाने के बाद विरोध ने एक भयावह मोड़ ले लिया। हिंसा के कारण अधिकारियों ने राजधानी के अंदर मेट्रो रेल को बंद कर दिया और ढाका से आने-जाने वाली रेल सेवाओं को भी बंद कर दिया। सरकार ने देश के कई हिस्सों में मोबाइल इंटरनेट नेटवर्क को भी बंद करने का आदेश दिया। स्कूल और विश्वविद्यालय अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिए गए हैं। शुक्रवार को बांग्लादेश के कई अख़बारों की वेबसाइटें परेशानी का सामना कर रही थीं और अपडेट नहीं हो रही थीं और सोशल मीडिया पर भी निष्क्रिय थीं। समाचार टेलीविजन चैनल और राज्य प्रसारक बीटीवी बंद हो गए, हालांकि मनोरंजन चैनल सामान्य रहे। उनमें से कुछ ने तकनीकी समस्याओं को दोषी ठहराते हुए संदेश दिखाए और जल्द ही कार्यक्रम फिर से शुरू करने का वादा किया।

रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय बैंक, प्रधानमंत्री कार्यालय और पुलिस की आधिकारिक वेबसाइटों को भी खुद को “THE R3SISTANC3” ब्रांडिंग करने वाले एक समूह द्वारा हैक किया गया प्रतीत होता है। साइटों पर छपे संदेशों में लिखा था, "ऑपरेशन हंटडाउन, छात्रों की हत्या बंद करो", लाल अक्षरों में जोड़ा गया: "यह अब विरोध नहीं है, यह अब युद्ध है।" 

छात्र प्रदर्शनकारियों ने नरसिंगडी जिले की एक जेल पर भी धावा बोला और जेल में आग लगाने से पहले कैदियों को मुक्त कर दिया, जिसमे की लाखों कैदियों की मुक्त होने की सम्भावना जताई जा रही है। 

इस बीच, भारत ने शुक्रवार को बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शनों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि पड़ोसी देश में रहने वाले लगभग 15,000 भारतीय नागरिक सभी "सुरक्षित और स्वस्थ" हैं।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने नियमित मीडिया ब्रीफिंग में कहा, "हम इसे बांग्लादेश का आंतरिक मामला मानते हैं।" शुक्रवार, रात 8 बजे तक पश्चिम बंगाल के गेडे इमिग्रेशन चेक पोस्ट पर 245 भारतीय बांग्लादेश से सीमा पार कर चुके हैं। गुरुवार को मेघालय के दावकी चेक पोस्ट के ज़रिए 202 भारतीय नागरिक सीमा पार कर चुके हैं, जिनमें ज़्यादातर छात्र हैं। इस चेक पोस्ट का इस्तेमाल 101 नेपाली नागरिकों और सात भूटानी नागरिकों ने बांग्लादेश छोड़ने के लिए किया था।

नीट यूजी का संशोधित रिजल्ट हुआ जारी, जानें कैसे कर सकते हैं चेक

डेस्क: नीट यूजी का संशोधित परिणाम घोषित कर दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद 20 जुलाई को उम्मीदवारों के स्कोर में संशोधन किया गया है. उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट exams.nta.ac.in/NEET/ से अपना संशोधित स्कोर कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं.

दर्जनों याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा एजेंसी को नीट का रिजल्ट सिटी और सेंटर वाइज जारी करने को कहा था. कोर्ट ने एनटीए को 20 जुलाई दोपहर तक का समय दिया था. जिस पर आज एजेंसी ने रिजल्ट फिर से आधिकारिक साइट पर जारी कर दिया है. उम्मीदवार जरूरी क्रेडेंशियल दर्ज कर रिजल्ट चेक कर सकते हैं.

AAP का बीजेपी पर बड़ा आरोप, आतिशी ने कहा 'सीएम अरविंद केजरीवाल को मारने की साजिश रची जा रही है’

डेस्क : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मामले में उपराज्यपाल विनय सक्सेना के मुख्य सचिव की चिट्ठी पर आम आदमी पार्टी की प्रतिक्रिया आई है. दिल्ली सरकार में मंत्री और आप नेता आतिशी ने कहा है कि सीएम अरविंद केजरीवाल को मारने की बीजेपी साजिश रच रही है. दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने कहा कि सीएम केजरीवाल का शुगर लेवल आठ से ज्यादा बार 50 से नीचे आ चुका है. सीएम कोमा में जा सकते हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें ब्रेन स्ट्रोक का भी खतरा है. आतिशी का यह बयान दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना के प्रधान सचिव की ओर से दिल्ली के सीएम पर आरोप लगाने के बाद आया है. एलजी के प्रधान सचिव ने आरोप लगाया था कि जेल में अरविंद केजरीवाल कैलोरी कम ले रहे हैं, जिसके चलते उनका वजन कम हो रहा है. इस बात का खुलाया एलजी के प्रधान सचिव ने दिल्ली के मुख्य सचिव को लिखी चिट्ठी में की है. एलजी की चिट्ठी में कहा गया है कि सीएम अरविंद केजरीवाल के स्वास्थ्य पर उन्होंने चिंता व्यक्त की है. इसे लेकर एलजी के प्रधान सचिव ने दिल्ली के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा है, जिसमें छह जून से 13 जुलाई के बीच अरविंद केजरीवाल की डाइट और इंसुलिन से संबंधित जानकारी लिखी गई है. दरअसल, सीएम अरविंद सुप्रीम कोर्ट की ओर से ईडी के केस मामले में अग्रिम जमानत मिलने के बाद भी तिहाड़ जेल में हैं, इसकी वजह यह है कि दिल्ली आबकारी नीति मामले में सीबीआई के एक अन्य केस वह न्यायिक न्यायिक हिरासत में हैं. सीबीआई के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में इस मसले पर सुनवाई जारी है. इस मसले पर अभी हाईकोर्ट का फैसला नहीं आया है.
UPSC अध्यक्ष मनोज सोनी ने दिया इस्तीफा, कार्यकाल खत्म होने में अभी बचा था इतना समय, जानें इस्तीफे का कारण

डेस्क: यूपीएससी के अध्यक्ष मनोज सोनी ने व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दे दिया है. उनका इस्तीफा जो जून के अंत में दिया गया था उसके स्वीकार होने की आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है. सूत्र बताते हैं कि फिलहाल डीओपीटी ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है. सोनी का कार्यकाल 2029 में समाप्त होना था, लेकिन उन्होंने अनुपम मिशन पर अधिक ध्यान देने के लिए इस्तीफा दिया है. यूपीएससी अध्यक्ष मनोज सोनी ने 2029 में समाप्त होने वाले अपने कार्यकाल से पहले ही इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने 2017 में यूपीएससी के सदस्य के रूप में कार्यभार संभाला था और 2023 में अध्यक्ष बने थे. सूत्रों के अनुसार, सोनी अब गुजरात के अनुपम मिशन में अधिक समय देना चाहते हैं. पीएम के हैं खास रिपोर्ट्स के अनुसार मनोज सोनी पीएम नरेंद्र मोदी के खास हैं. उन्होंने ही वर्ष 2005 में मनोज सोनी को गुजरात के वडोदरा में स्थित एमएस विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया था. उस समय उनकी उम्र 40 साल थी. जिससे वह देश में सबसे कम उम्र में कुलपति बनने वाले व्यक्ति भी बन गए. इसके बाद सोनी को गुजरात के दो विश्वविद्यालयों में कुलपति बनाया गया. निजी कारणों के चलते ये फैसला मनोज सोनी वर्ष 2020 में दीक्षा प्राप्त करने के बाद मिशन के अंदर एक साधु या निष्काम कर्मयोगी बन गए थे. रिपोर्ट्स बताती हैं कि उनके इस्तीफे और पूजा खेड़कर मामले के तार आपस में नहीं जुड़े हैं. उन्होंने अपने पर्सनल कारणों से इस पद से इस्तीफा दिया है.
कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद में बीजेपी की बढ़ी टेंशन, सहयोगी होने लगे फैसले को लेकर बागी

डेस्क: उत्तर प्रदेश में इन दिनों कांवड़ यात्रा से जुड़ा एक विवाद शुरू हो गया है. यूपी सरकार ने पहले मुजफ्फरनगर जिले में 240 किलोमीटर लंबे कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी होटलों, ढाबों और ठेलों सहित भोजनालयों को अपने मालिकों या इन दुकानों पर काम करने वालों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश दिया. हालांकि, फिर सरकार ने शुक्रवार (19 जुलाई) को पूरे राज्य में कांवड़ मार्गों के दुकानदारों के लिए ऐसा ही आदेश जारी कर दिया. हालांकि, बीजेपी सरकार के इस फैसले की आलोचना होना शुरू हो गई है. जहां विपक्ष के नेता इस फैसले को विभाजनकारी बता रहे हैं तो वहीं अब बीजेपी के सहयोगी भी उसके ऊपर हमलावर हो गए हैं. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने भी अपनी ही पार्टी को नसीहत दी है. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू, जयंत चौधरी की आरलेडी और चिराग पासवान की एलजेपी (आर) ने यूपी सरकार के फैसले को गलत बताया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि किस सहयोगी ने क्या कहा है. सबका साथ, सबका विकास मंत्र के खिलाफ सरकार का फैसला: जेडीयू जेडीयू ने कहा कि यूपी सरकार का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ, सबका विकास मंत्र के खिलाफ है. पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा, "यह मुसलमानों की पहचान करने और लोगों को उनसे सामान न खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने जैसा है. इस प्रकार का आर्थिक बहिष्कार समाज के लिए अनुचित है. दरअसल ये पीएम मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के मंत्र के खिलाफ है." उन्होंने इस फैसले को वापस लेने की मांग की. केसी त्यागी ने कहा, "बिहार में यहां (यूपी) से बड़ी कांवड़ यात्रा निकलती है, लेकिन नीतीश कुमार की सरकार ने कभी ऐसा आदेश पारित नहीं किया. एनडीए के सहयोगी के तौर पर हमारा फर्ज है कि हम इस मुद्दे को उठाएं. मेरी पार्टी यूपी सरकार का हिस्सा नहीं है." सरकार का फैसला गैर-संवैधानिक: आरएलडी यूपी में बीजेपी की सहयोगी आरएलडी ने भी योगी सरकार के फैसले के खिलाफ नाराजगी जाहिर की. आरएलडी ने कहा कि सरकार को इसे वापस लेना चाहिए, क्योंकि ये फैसला गैर-संवैधानिक है. आरएलडी के यूपी अध्यक्ष रामाशीष राय ने कहा, "इस तरह के भेदभाव और एक समुदाय के बहिष्कार से बीजेपी और राज्य का कोई भला नहीं होगा. कुछ पुलिस अधिकारी और नौकरशाह सरकार को गुमराह कर रहे हैं और मैं मुख्यमंत्री से ऐसे आदेश को वापस लेने की अपील करता हूं." रामाशीष राय ने एक ट्वीट में कहा, "उत्तर प्रदेश प्रशासन का दुकानदारों को अपनी दुकान पर अपना नाम और धर्म लिखने का निर्देश देना संप्रादायिकता को बढ़ावा देने वाला कदम है. प्रशासन इसे वापस ले. यह गैर-संवैधानिक निर्णय है." जाति या धर्म के नाम पर किसी भी विभेद का समर्थन नहीं करता: चिराग पासवान एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने भोजनालयों के मालिकों से उनके नाम प्रदर्शित करने संबंधी मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश का खुलकर विरोध किया और कहा है कि वह जाति या धर्म के नाम पर भेद किए जाने का कभी भी समर्थन नहीं करेंगे. पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में उनसे पूछा गया कि क्या वह मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश से सहमत हैं. इस पर उन्होंने कहा, "नहीं, मैं बिलकुल सहमत नहीं हूं." चिराग ने कहा कि समाज में अमीर और गरीब दो श्रेणियों के लोग मौजूद हैं और विभिन्न जातियों एवं धर्मों के व्यक्ति इन दोनों ही श्रेणियों में आते हैं. पासवान ने कहा, "हमें इन दोनों वर्गों के लोगों के बीच की खाई को पाटने की जरूरत है. गरीबों के लिए काम करना हर सरकार की जिम्मेदारी है, जिसमें समाज के सभी वर्ग जैसे दलित, पिछड़े, ऊंची जातियां और मुस्लिम भी शामिल हैं. समाज में सभी लोग हैं. हमें उनके लिए काम करने की आवश्यकता है." उन्होंने कहा, "जब भी जाति या धर्म के नाम पर इस तरह का विभेद होता है, तो मैं न तो इसका समर्थन करता हूं और न ही इसे प्रोत्साहित करता हूं. मुझे नहीं लगता कि मेरी उम्र का कोई भी शिक्षित युवा, चाहे वह किसी भी जाति या धर्म से आता हो, ऐसी चीजों से प्रभावित होता है." नकवी ने भी की फैसले की आलोचना, फिर मारी पलटी बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी तक ने योगी सरकार के फैसले पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, "कुछ अति-उत्साही अधिकारियों के आदेश हड़बड़ी में गडबड़ी वाली..अस्पृश्यता की बीमारी को बढ़ावा दे सकते हैं...आस्था का सम्मान होना ही चाहिए, पर अस्पृश्यता का संरक्षण नहीं होना चाहिए." हालांकि, फिर उन्होंने अपना स्टैंड भी बदल लिया और कहा कि यह एक स्थानीय प्रशासनिक निर्देश था. राज्य सरकार ने निर्देश पर स्पष्टीकरण जारी किया है. ये निर्देश कांवड़ यात्रियों की आस्था का सम्मान करने के लिए जारी किए गए थे, इसे सांप्रदायिक मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए.
कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद में बीजेपी की बढ़ी टेंशन, सहयोगी होने लगे फैसले को लेकर बागी


डेस्क: उत्तर प्रदेश में इन दिनों कांवड़ यात्रा से जुड़ा एक विवाद शुरू हो गया है. यूपी सरकार ने पहले मुजफ्फरनगर जिले में 240 किलोमीटर लंबे कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी होटलों, ढाबों और ठेलों सहित भोजनालयों को अपने मालिकों या इन दुकानों पर काम करने वालों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश दिया. हालांकि, फिर सरकार ने शुक्रवार (19 जुलाई) को पूरे राज्य में कांवड़ मार्गों के दुकानदारों के लिए ऐसा ही आदेश जारी कर दिया. 

हालांकि, बीजेपी सरकार के इस फैसले की आलोचना होना शुरू हो गई है. जहां विपक्ष के नेता इस फैसले को विभाजनकारी बता रहे हैं तो वहीं अब बीजेपी के सहयोगी भी उसके ऊपर हमलावर हो गए हैं. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने भी अपनी ही पार्टी को नसीहत दी है. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू, जयंत चौधरी की आरलेडी और चिराग पासवान की एलजेपी (आर) ने यूपी सरकार के फैसले को गलत बताया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि किस सहयोगी ने क्या कहा है. 

सबका साथ, सबका विकास मंत्र के खिलाफ सरकार का फैसला: जेडीयू

जेडीयू ने कहा कि यूपी सरकार का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ, सबका विकास मंत्र के खिलाफ है. पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा, "यह मुसलमानों की पहचान करने और लोगों को उनसे सामान न खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने जैसा है. इस प्रकार का आर्थिक बहिष्कार समाज के लिए अनुचित है. दरअसल ये पीएम मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के मंत्र के खिलाफ है." उन्होंने इस फैसले को वापस लेने की मांग की.

केसी त्यागी ने कहा, "बिहार में यहां (यूपी) से बड़ी कांवड़ यात्रा निकलती है, लेकिन नीतीश कुमार की सरकार ने कभी ऐसा आदेश पारित नहीं किया. एनडीए के सहयोगी के तौर पर हमारा फर्ज है कि हम इस मुद्दे को उठाएं. मेरी पार्टी यूपी सरकार का हिस्सा नहीं है."

सरकार का फैसला गैर-संवैधानिक: आरएलडी

यूपी में बीजेपी की सहयोगी आरएलडी ने भी योगी सरकार के फैसले के खिलाफ नाराजगी जाहिर की. आरएलडी ने कहा कि सरकार को इसे वापस लेना चाहिए, क्योंकि ये फैसला गैर-संवैधानिक है. आरएलडी के यूपी अध्यक्ष रामाशीष राय ने कहा, "इस तरह के भेदभाव और एक समुदाय के बहिष्कार से बीजेपी और राज्य का कोई भला नहीं होगा. कुछ पुलिस अधिकारी और नौकरशाह सरकार को गुमराह कर रहे हैं और मैं मुख्यमंत्री से ऐसे आदेश को वापस लेने की अपील करता हूं."

रामाशीष राय ने एक ट्वीट में कहा, "उत्तर प्रदेश प्रशासन का दुकानदारों को अपनी दुकान पर अपना नाम और धर्म लिखने का निर्देश देना संप्रादायिकता को बढ़ावा देने वाला कदम है. प्रशासन इसे वापस ले. यह गैर-संवैधानिक निर्णय है."

जाति या धर्म के नाम पर किसी भी विभेद का समर्थन नहीं करता: चिराग पासवान

एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने भोजनालयों के मालिकों से उनके नाम प्रदर्शित करने संबंधी मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश का खुलकर विरोध किया और कहा है कि वह जाति या धर्म के नाम पर भेद किए जाने का कभी भी समर्थन नहीं करेंगे. पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में उनसे पूछा गया कि क्या वह मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश से सहमत हैं. इस पर उन्होंने कहा, "नहीं, मैं बिलकुल सहमत नहीं हूं."

चिराग ने कहा कि समाज में अमीर और गरीब दो श्रेणियों के लोग मौजूद हैं और विभिन्न जातियों एवं धर्मों के व्यक्ति इन दोनों ही श्रेणियों में आते हैं. पासवान ने कहा, "हमें इन दोनों वर्गों के लोगों के बीच की खाई को पाटने की जरूरत है. गरीबों के लिए काम करना हर सरकार की जिम्मेदारी है, जिसमें समाज के सभी वर्ग जैसे दलित, पिछड़े, ऊंची जातियां और मुस्लिम भी शामिल हैं. समाज में सभी लोग हैं. हमें उनके लिए काम करने की आवश्यकता है."

उन्होंने कहा, "जब भी जाति या धर्म के नाम पर इस तरह का विभेद होता है, तो मैं न तो इसका समर्थन करता हूं और न ही इसे प्रोत्साहित करता हूं. मुझे नहीं लगता कि मेरी उम्र का कोई भी शिक्षित युवा, चाहे वह किसी भी जाति या धर्म से आता हो, ऐसी चीजों से प्रभावित होता है."

नकवी ने भी की फैसले की आलोचना, फिर मारी पलटी

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी तक ने योगी सरकार के फैसले पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, "कुछ अति-उत्साही अधिकारियों के आदेश हड़बड़ी में गडबड़ी वाली..अस्पृश्यता की बीमारी को बढ़ावा दे सकते हैं...आस्था का सम्मान होना ही चाहिए, पर अस्पृश्यता का संरक्षण नहीं होना चाहिए." 

हालांकि, फिर उन्होंने अपना स्टैंड भी बदल लिया और कहा कि यह एक स्थानीय प्रशासनिक निर्देश था. राज्य सरकार ने निर्देश पर स्पष्टीकरण जारी किया है. ये निर्देश कांवड़ यात्रियों की आस्था का सम्मान करने के लिए जारी किए गए थे, इसे सांप्रदायिक मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए.