राहुल गांधी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, नीट पर बुधवार को संसद में चर्चा की मांग
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लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।  राहुल गांधी ने मंगलवार को लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण से पहले पीएम मोदी को पत्र लिखकर नीट पर बहस करने की मांग की है।राहुल गांधी ने अपने पत्र में लिखा है कि मेरा मानना है कि छात्रों के हित में नीट मुद्दे पर बहस का नेतृत्व करना उचित होगा।

राहुल गांधी ने पीएम मोदी को पत्र में लिखा है- “आशा है कि यह पत्र मिलने तक आप सकुशल होंगे। मैं NEET पर संसद में बहस का अनुरोध करने के लिए लिख रहा हूं। जैसा कि आप जानते हैं, 28 जून को संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर बहस के विपक्ष के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया था। विपक्ष ने इस मुद्दे पर दोबारा चर्चा कराने का अनुरोध किया था। माननीय लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्ष को आश्वासन दिया था कि वह इस मुद्दे पर सरकार से चर्चा करेंगे।”

राहुल गांधी ने पत्र में आगे लिखा- हमारी एकमात्र चिंता पूरे भारत में लगभग 24 लाख नीट उम्मीदवारों का कल्याण है। लाखों परिवारों ने अपने बच्चों का भरण-पोषण करने के लिए व्यक्तिगत बलिदान दिया। कई लोगों के लिए, नीट का पेपर लीक जीवन भर के सपने के साथ विश्वासघात है। आज ये छात्र और उनके परिजन हमसे, अपने जन प्रतिनिधियों से इस मुद्दे के समाधान के लिए साहसिक और निर्णायक कदम उठाने की उम्मीद कर रहे हैं। नीट परीक्षा तत्काल ध्यान देने योग्य है क्योंकि इसने हमारी उच्च शिक्षा प्रणाली में गहरी साजिश को उजागर किया है।पिछले सात वर्षों में 70 से अधिक पेपर लीक हुए हैं, जिससे 2 करोड़ से अधिक छात्र प्रभावित हुए हैं।

विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपने एक्स पोस्ट में चिट्ठी शेयर करते हुए कहा, मैं कल (बुधवार को) संसद में नीट पर बहस का अनुरोध करने के लिए लिख रहा हूं।मेरा मानना है कि यह उचित होगा कि आप इस बहस का नेतृत्व करें।
अपने चिर परिचित अंदाज में लोकसभा में मुसलमानों की नुमाइंदगी करते दिखे ओवैसी, मोदी को जनादेश मिलने की बताई वजह
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ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के मुखिया और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लिया। ओवैसी ने अपने चिर परिचित अंदाज में मुसलमानों की संसद में नुमाइंदगी पर सवाल उठाया। हैदराबाद सांसद ने मुस्लिमों का जिक्र करते हुए एक शायरी सुनाई। उन्होंने कहा, "उसूल बेच के मसनद खरीदने वालों, निगाह-ए-अहले-वफ़ा में बहुत हक़ीर हो तुम। वतन का पास तुम्हें था न हो सकेगा कभी, के अपनी हिर्स के बंदे हो बे जमीर हो तुम। इज्जत-ए-नफ़्स किसी शख्श की महफूज नहीं, अब तो अपने ही निगहबानों से डर लगता है। डंके की चोट पे जालिम को बुरा कहता हूं, मुझे सूली न जिंदानों से डर लगता है।"

लोकसबा में असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मैं आज उन लोगों की तरफ से बात कर रहा हूं, जो दिखते तो हैं, लेकिन उनके बारे में कोई बात नहीं करता है। उनकी कोई सुनता भी नहीं है। मैं उनके बारे में बात कर रहा हूं, जिन्हें लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोद ने कहा कि वे घुसपैठिए हैं। मैं उन बेटियों और मांओं के बारे में कह रहा हूं, जिन्हें लेकर कहा गया कि वे ज्यादा बच्चे पैदा करती हैं। मैं उन नौजवानों के बारे में बात कर रहा हूं, जिनको मॉब लिंचिंग कर मारा जा रहा है। मैं उन मां-बाप की बात कर रहा हूं, इस हुकूमत के कानून से जिनके बच्चे जेलों में सड़ रहे हैं।

लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी नफरत की राजनीति करती है। मुसलमानों के साथ न्याय नहीं हो रहा है। भाजपा के लिए मुस्लिमों की राय अहम नहीं है। मुसलमान भाजपा का कभी वोट बैंक नहीं था। नरेंद्र मोदी को जो जनादेश मिला है, वह सिर्फ और सिर्फ मुस्लिमों से नफरत की वजह से ही मिला है। भाजपा केवल मुसलमानों की नफरत पर जीतती है।

बीजेपी को निशाने पर लेते हुए एआईएआईएम चीफ ने कहा कि मुसलमानों के नफरत करने वाले हिंदुत्व के कारण मोदी को वोट मिला है। उन्होंने आरोप लगाया कि 6 जून के बाद 11 मुसलमानों की लिंचिंग की गई। मोदी के बुल्डोजर ने मॉब लिचिंग किया। मोदी के बुल्डोजर वाले बयान पर सदन में मौजूद केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने आपत्ति जताई। इस पर असदुद्दीन ओवैसी और मनसुख मंडाविया के बीच हल्की नोकझोंक भी हुई। ओवैसी ने कहा कि मध्यप्रदेश में घरों को बुल्डोजर से तोड़ दिया गया। हिमाचल प्रदेश में एक दुकान को लूट दिया गया। उन्होंने बेरोजगारी के मुद्दे पर भी मोदी सरकार को घेरा। सांसद ओवैसी ने कहा कि बेरोजगारी के कारण भारतीय रूस की सेना में जाकर लड़ रहे हैं। पिछले 10 साल में बेरोजगारों की फौज बढ़ी है और सरकार नौकरी देने के बजाय भारतीयों को फिलिस्तीन पर हमले करने वाले इजराइल भेजा जा रहे है।

ओवैसी ने संसद में केंद्र सरकार से पूछा कि आखिर भारत इजरायल की मदद क्यों कर रहा है? उन्होंने कहा कि भारत इजरायल को हथियारों की खेप पहुंचा रहा है और उन हथियारों की मदद से इजरायल फिलिस्तीन के लोगों को मार रहा है। आप फिलिस्तीन को लेकर इस तरह की नीति क्यों अपना रहे हो? ओवैसी ने आगे कहा कि भारत में मोदी सरकार एक कैंप लगा रही है, जहां लोगों का चयन कर इजरायल युद्ध के लिए भेजा जा रहा है। यही काम रूस के लिए भी किया जा रहा है। यह गलत है और सरकार को इस पर जवाब देना होगा। एआईएमआईएम के सांसद ने सरकार से कहा कि आपकी रणनीति की वजह से खाड़ी देशों में रह रहे 90 लाख लोगों में डर का माहौल है।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ और खड़गे के बीच जमकर हुई बहस, जानें क्यों आमने-सामने आए दोनों
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राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मंगलवार को सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और चेयरमैन जगदीप धनखड़ के बीच लंबी बहस हो गई।संसद सत्र के दूसरे सप्ताह के दूसरे दिन उच्च सदन राज्यसभा में विपक्ष के नेता की तकरार के बाद उन्हें आसन की ओर सख्त चेतावनी दी गई। राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने नाराज होकर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को कड़े लहजे में समझाया।सभापति ने खरगे के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आपने कुर्सी का जितना अपमान किया है, उतना किसी ने नहीं किया। धनखड़ ने चेतावनी देते हुए कहा कि आप हर बार कुर्सी को नीचा नहीं दिखा सकते।

दरअसल, राज्यसभा में कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी अपना भाषण दे रहे थे। अपने संबोधन के दौरान वह मोदी सरकार को उसके कई वादे याद दिला रहे थे। उन्होंने काले धन वापस लाने, 2 करोड़ लोगों को रोजगार देने जैसे पीएम मोदी की ओर से कई वादे किए गए थे। इसी दौरान उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि पीएम मोदी की पिछले कार्यकाल के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमत काफी घट गई थी। बावजूद इसके इस सरकार ने तेल के दाम नहीं घटाए।

सांसद प्रमोद ने आगे कहा, हो सकता है कि पीएम मोदी ने अपने कुछ दोस्तों को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा किया हो। इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने आपत्ति जताई और कहा कि आपके पास सबूत हो तो ही अपनी बातें कहिए।

इस पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश भी खड़े हो गए। वह सभापति की बातों को काटने लगे। इस पर सभापति धनखड़ ने कहा कि जयराम आप बहुत प्रतिभाशाली हैं। आप बहुत हिम्मती हैं। आपको तुरंत खरगे की जगह विपक्ष के नेता का पद लेना चाहिए। क्योंकि आप कुल मिलाकर खरगे का ही काम कर रहे हैं।

इस पर खरगे भी खड़े हो गए। खरगे ने सभापति की बातों पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, आपके दिमाग में आज भी वर्ण व्यवस्था भरा हुआ है। आप इसी कारण रमेश को प्रतिभाशाली बता रहे हैं और मुझे मंदबुद्धि बता रहे हैं। आप यह कह रह हैं कि मेरी जगह उनको बैठना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद खरगे दलित समुदाय से आते हैं।

खरगे की आपत्ति पर सभापति धनखड़ ने सफाई देते हुए कहा, आप मेरी बात को नहीं समझ पाए। जितना मैं आपका आदर करता हूं उसका एक अंश भी आप मेरे लिए करेंगे तो आपको महसूस होगा कि मैंने कहा क्या है। फिर सभापति ने आगे कहा कि पहली पंक्ति में बैठे खरगे के पास 56 साल का विशाल अनुभव है। उनको भी जयराम रमेश की टिका टिप्पणी कर मदद करनी चाहिए।

इस पर खरगे ने आपत्ति ली और बराबर में बैठीं सोनिया गांधी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि मुझे बनाने (राज्सभा में विपक्ष का नेता) वाले यहां बैठे हैं श्रीमति सोनिया गांधी। न रमेश मुझे बना सकता है और न आप मुझे बना सकते हैं। खरगे के इस बयान पर सभापति जगदीप धनखड़ नाराज हो गए। उन्होंने कहा आप हर बार कुर्सी को नीचा नहीं दिखा सकते। आप हर बार कुर्सी का अनादर नहीं कर सकते... आप अचानक खड़े हो जाते हैं और बिना यह समझे कि मैं क्या कह रहा हूं, कुछ भी बोल देते हैं। इस देश और संसदीय लोकतंत्र और राज्यसभा की कार्यवाही के इतिहास में कुर्सी के प्रति इतनी अवहेलना कभी नहीं हुई, जितनी आपने की। अब आपको आत्मचिंतन करने का समय आ गया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका पर सीबीआई से मांगा जवाब
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सीबीआई से जवाब मांगा। अदालत ने मामले की सुनवाई 17 जुलाई को तय की है। अरविंद केजरीवाल के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत के समक्ष दलील दी कि सीबीआई को आम आदमी पार्टी प्रमुख को गिरफ्तार करने की कोई जरूरत नहीं है।

उन्होंने अदालत से कहा, "सीबीआई की एफआईआर अगस्त 2022 की है और फिर उन्हें अप्रैल 2023 में हिरासत में लिया गया और 9 घंटे तक पूछताछ की गई। अप्रैल से अब तक कुछ नहीं किया गया और इस तरह 2022 में दर्ज एफआईआर के आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया।" सिंघवी ने तर्क दिया कि गिरफ्तारी ज्ञापन में कार्रवाई के लिए कुछ कारण और आधार अवश्य दर्शाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी का आधार यह होना चाहिए कि व्यक्ति आतंकवादी है या उसके भागने का खतरा है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल की  गिरफ्तारी आवश्यक नहीं थी क्योंकि वह आबकारी पुलिस मामले में न्यायिक हिरासत में थे ।

उन्होंने कहा, "गिरफ्तारी ज्ञापन काफी उल्लेखनीय है। यह केवल एक पैरा और 4 लाइनों का है।"

न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की उच्च न्यायालय की बेंच  ने इसके बाद सीबीआई को नोटिस जारी कर एजेंसी से जवाब मांगा। "नोटिस जारी करें। सीबीआई की ओर से नोटिस स्वीकार किया जाता है। विस्तृत जवाब 7 दिनों के भीतर दाखिल किया जाए।" सुनवाई टालने से पहले अदालत ने कहा, "अगर कोई जवाब है तो 2 दिन के भीतर दाखिल किया जाए।" अरविंद केजरीवाल को 26 जून को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, जब दिल्ली की एक अदालत ने एजेंसी को अदालत में उनसे पूछताछ करने की अनुमति दी थी। वह पहले से ही दिल्ली आबकारी नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय की जांच के सिलसिले में न्यायिक हिरासत में थे।

उन्हें 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। लोकसभा चुनाव के कारण सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 21 दिनों के लिए रिहा किया था। वह 2 जून को तिहाड़ जेल वापस आ गए। पिछले महीने दिल्ली की एक अदालत ने आबकारी नीति मामले में उन्हें जमानत दे दी थी। हालांकि, दिल्ली उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी।
1993 मुंबई दंगों का आरोपी तीन दशक तक फरार रहने के बाद अब हुए गिरफ्तार
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31 साल से फरार 65 वर्षीय व्यक्ति को सोमवार को 1993 मुंबई दंगों के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया। समाचार एजेंसी पीटीआई को एक अधिकारी ने बताया कि आरोपी सैयद नादिर शाह अब्बास खान को रफी अहमद किदवई मार्ग पुलिस की एक टीम ने मुंबई के सेवरी इलाके से गिरफ्तार किया। खान कथित तौर पर दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद मुंबई में हुए दंगों में शामिल था।

उस पर शहर में दंगों के दौरान हत्या के प्रयास और गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने का आरोप लगाया गया था। पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, उस समय खान को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन जमानत मिलने के बाद वह कभी अदालत में पेश नहीं हुआ। इसके बाद अदालत ने खान को वांछित आरोपी घोषित किया और उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया। पुलिस ने सेवरी में उसके घर पर कई बार दबिश दी, लेकिन वह नहीं मिला। उसके रिश्तेदारों के फोन रिकॉर्ड की जांच करने के बाद आखिरकार उन्हें उसके ठिकाने के बारे में सुराग मिला।

रफी अहमद किदवई मार्ग पुलिस स्टेशन के अधिकारियों को 29 जून को सूचना मिली कि खान अपने सेवरी स्थित आवास पर आने वाला है। पुलिस ने जाल बिछाया और उसे गिरफ्तार कर लिया। एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि मामले की आगे की जांच की जा रही है।

बंबई दंगे दिसंबर 1992 और जनवरी 1993 के बीच हुए थे। इतिहासकार बारबरा मेटकाफ के अनुसार दंगों के दौरान लगभग 900 लोग मारे गए थे। उनके अनुमान के अनुसार, मरने वालों में से अधिकांश मुस्लिम थे, उसके बाद हिंदू थे।

हाल ही में, मुंबई के एक टैक्सी चालक राजेश जायसवाल को मामले के सिलसिले में सत्र न्यायालय ने बरी कर दिया। मामले में आरोपी बनाए जाने के तीन दशक बाद भी 15 अन्य लोग फरार बताए जा रहे हैं। पुलिस ने जांच जारी रखी  तहत अब्बास  से अन्य आरोपियों के बारे  में लगातार पूछताछ कर रहे है।  हलाकि ये पुलिस के लिए एक सफलता है लकिन  हमारे कानून पर सवाल खड़े  है की आरोपी इतने साल फरार थे और  कई केस ऐसे भी है जहाँ निर्दोष को सालों सजा  पड़ी है।
ईवीएम को लेकर अखिलेश यादव का बयान, बोले- यूपी की सभी 80 सीटें जीतने के बाद भी नहीं होगा भरोसा

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लोकसभा में बोलते हुए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम का मुद्दा उठाया। सपा प्रमुख ने ईवीएम को लेकर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ईवीएम पर मुझे कल भी भरोसा नहीं था और ना आज है। उन्होंने कहा कि अगर मैं यूपी की 80 की 80 सीट भी जीत जाऊं तो भी भरोसा नहीं होगा।

आज राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए अखिलेश ने कहा कि जब तक ईवीएम चुनाव की व्यवस्था से नहीं हटाई जाती, तब तक समाजवादी पार्टी इस मांग को लेकर अडिग रहेगी। सपा प्रमुख ने कहा कि मैंने चुनाव से पहले प्रचार के दौरान कहा था कि ईवीएम से जीतकर ईवीएम हटाने का काम करेंगे। ईवीएम का मुद्दा मरा नहीं और न ही खत्म हुआ है। जब तक ईवीएम नहीं हटेगी, तब तक हम समाजवादी लोग इसको (हटाने की मांग) लेकर अडिग रहेंगे।

आज लोकसभा में अखिलेश ने साफ कह दिया कि अगर उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटें जीत जाए तब भी उन्हें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर भरोसा नहीं होगा। 

बता दें कि हाल में हुए लोकसभा चुनाव में सपा ने शानदार प्रदर्शन किया है। यूपी में सपा ने सबसे ज्यादा सीटें जीती हैं। लोकसभा चुनाव में सपा ने उत्तर प्रदेश में 37 संसदीय सीट जीतकर अब तक अपना सर्वश्रेष्ठ चुनावी प्रदर्शन किया है।

अखिलेश यादव पहले नहीं है, जिन्होंने ईवीएम पर सवाल खड़े किए हैं। इससे पहले भी कई नेताओं ने ईवीएम पर सवाल खड़े कर चुके हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ईवीएम को ब्लैक बॉक्स बताया था और चुनाव में पारदर्शिता को लेकर भी चिंता जता चुके हैं। राहुल गांधी के अलावा बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी ईवीएम को लेकर कहा था कि विपक्ष 400 पार का नारा ऐसे लगा रहे हैं, जैसे पहले से ही ईवीएम का सेटिंग हो चुका है।

संविधान लेकर घुमते हो, कितने पन्ने हैं इसमें..', लोकसभा में जमकर गरजे अनुराग ठाकुर, वॉकआउट कर गया विपक्ष

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पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने सोमवार को लोकसभा में विपक्षी सांसदों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने राहुल गांधी को चुनौती देते हुए पुछा कि, 'संविधान में कितने पन्ने हैं? कितने? इसे 'इतना' मोटा मत कहो। बताओ इसमें कितने पन्ने हैं? आप हर दिन अपने साथ घूमते रहते हैं। क्या आपने इसे एक बार भी पढ़ने की जहमत नहीं उठाई? ​​आप पढ़ते नहीं, बल्कि इसे इधर-उधर लहराते हैं। इसे अपनी जेब से निकालो और देखो। ठाकुर ने सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में बोल रहे थे।

ठाकुर ने कहा कि, संविधान को धर्मनिरपेक्षता शब्द की तरह इधर-उधर फेंका जा रहा है, इसका अवमूल्यन और अपमान किया जा रहा है, वह भी एक ऐसी पार्टी द्वारा जो हमेशा से दोनों शब्दों के मूल्यों के खिलाफ काम करती रही है। भाजपा सांसद ने कहा कि, अगर आप संविधान को बचाने के लिए इतने ही प्रतिबद्ध हैं, तो आपको संसद में यह कहना चाहिए कि कांग्रेस फिर कभी आपातकाल लगाने की गलती नहीं करेगी। आपको देश से माफ़ी भी मांगनी चाहिए।

अनुराग ठाकुर ने कहा कि, कांग्रेस ने संविधान (बाबा साहेब अंबेडकर) देने वाले व्यक्ति का अपमान किया है और उन्हें राजनीति से बाहर रखा है। ठाकुर ने याद दिलाया कि केंद्र की कांग्रेस सरकार ने अनुच्छेद 356 का कई बार दुरुपयोग किया है। उन्होंने 93 बार विपक्ष शासित राज्य सरकारों को गिराया है। वे कहते थे कि इंदिरा ही इंडिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, संविधान लागू होने के महज 15 महीने बाद नेहरू ने अनुच्छेद 19 पर शर्तें लगाने की कोशिश की थी। बता दें कि, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति की आज़ादी देता है, लेकिन नेहरू कार्यकाल में संविधान बदलकर इसमें शर्तें लागू जोड़ दिया गया था।

कांग्रेस द्वारा अपने बेहतर प्रदर्शन को विपक्ष के लिए बड़ी बढ़त और भाजपा की हार के रूप में पेश करने की आलोचना करते हुए ठाकुर ने कहा कि, एक तरफ हमने चंद्रयान, आदित्य एल 1 की सफलता देखी, वहीं दूसरी तरफ क्या राहुलयान एक बार फिर विफल हो गया? 4 जून से वे यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि 99, 240 से बड़ा नंबर होता है। कांग्रेस को इस बार 99 सीटें मिलीं, उनमें से एक सीट छूट गई और उनके पास 98 रह गए। उन्होंने तीसरी बार विपक्ष में रहने का रिकॉर्ड बनाया। लेकिन उनका अहंकार और तानाशाही सोच अभी भी वही है।"  

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस को यह भी याद दिलाया कि वह 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में भाजपा जितनी सीटें कभी नहीं जीत पाई। उन्होंने कहा कि, जब राष्ट्रपति ने कहा कि स्थिर बहुमत प्राप्त हो गया है, तो उन्होंने (कांग्रेस ने) बहुत अशांति पैदा की। जब आपने 2004 और 2009 में सरकार बनाई, तो क्या आपको 240 सीटें मिलीं थी? आप इतने भी करीब नहीं थे। आपको केवल 145 सीटें मिलीं थी। ठाकुर ने कहा, देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी ने केवल 60 प्रतिशत सीटों, यानी 328 सीटों पर चुनाव लड़ा था। और उनमें से भी वे 70 प्रतिशत सीटों पर हार गए। जब ​​कोई पार्टी अपने मानक इतने कम रखती है और औसत से नीचे प्रदर्शन करती है, तो उन्हें लगता है कि यह भारी है।

अनुराग ठाकुर ने विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक पर आगे हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस ने ऐसे सहयोगियों के साथ गठबंधन किया है जो या तो जेल में हैं या जमानत पर हैं। ठाकुर ने कहा, जब वे पहले दो बार भाजपा को नहीं हरा पाए तो उन्होंने जेल में बंद और जमानत पर बंद लोगों का गठबंधन बना लिया। यहां भी कुछ (सांसद) जमानत पर हैं। उनकी पिछली सरकारें कई घोटालों में लिप्त थीं, चाहे वह 2जी घोटाला हो, कॉमनवेल्थ घोटाला हो, पनडुब्बी घोटाला हो। उन्होंने कोई घोटाला नहीं छोड़ा। जब उन्होंने अपने सहयोगी चुने, तो उन्होंने उन लोगों को चुना जो शराब घोटाले, जमीन घोटाले, रिवरफ्रंट घोटाले में शामिल थे।  

उन्होंने कहा कि अब एक अनोखी स्थिति देखने को मिल रही हैं, "जेल से काम"। उन्होंने कहा कि, उनमें से एक (भारत) ने दावा किया कि वह इतना नेक है कि अब वह जेल में है। हमने वर्क फ्रॉम होम के बारे में सुना था, लेकिन अब हमें वर्क फ्रॉम जेल का मौका मिल रहा है। सैम पित्रोदा को फिर से इंडियन ओवरसीज कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर हमला करते हुए ठाकुर ने सवाल किया कि क्या विपक्ष के नेता राहुल गांधी उनके बयान का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि सैम पित्रोदा जो किसी के चाचा, मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक हैं। मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि क्या सैम पित्रोदा का बयान और कांग्रेस की विचारधारा एक जैसी है। अगर नहीं तो अंकल सैम को पार्टी में वापस लेना क्यों जरूरी था? राहुल गांधी को जिम्मेदारी लेनी होगी। क्या वह सैम पित्रोदा के बयान का समर्थन करते हैं? हम ऐसी नक्सली टिप्पणियों को स्वीकार नहीं करेंगे। यह भारत के लोगों का अपमान है। 

बता दें कि, इस साल चुनाव से ठीक पहले सैम पित्रोदा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उस समय वह भारतीयों की शक्ल-सूरत को लेकर दिए गए अपने बयान से विवादों में घिरे थे। उस समय कांग्रेस ने पित्रोदा के बयान से खुद को अलग कर लिया था, लेकिन चुनाव ख़त्म होते ही कांग्रेस ने उन्हें वापस वही पद सौंप दिया है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी द्वारा लोकसभा में शपथ ग्रहण के दौरान जय फिलिस्तीन के नारे लगाने पर आपत्ति जताते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा कि, हम 'जय फिलिस्तीन' के नारे को भी स्वीकार नहीं करते। क्या हम उस दिशा में बढ़ रहे हैं कि जो लोग 'जय भारत' कहने से इंकार करते हैं, वे 'जय पाकिस्तान' और 'जय चीन' के नारे लगाने लगें। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।' इस दौरान नरेंद्र मोदी 2.0 कैबिनेट में पहले भी मंत्री रह चुके भाजपा नेता ने पिछले 10 साल में नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियां भी गिनाईं, लेकिन पूरा विपक्ष इस दौरान सदन से वॉकआउट कर गया था।

भाषण पर कार्यवाही के बाद राहुल गांधी ने स्पीकर ओम बिरला को लिखा पत्र, बोले- ये संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ

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राहुल गांधी ने विपक्ष का नेता बनने के बाद सोमवार यानी 1 जुलाई को लोकसभा में पहली बार स्पीच दी थी। इस स्पीच के बाद राजनीतिक संग्राम खड़ा हो गया है। लोकसभा में विपक्ष नेता राहुल गांधी के कल सदन में दिए गए भाषण के कई हिस्से हटा दिए गए हैं। हटाए गए हिस्सों में हिंदुओं और पीएम नरेंद्र मोदी-बीजेपी-आरएसएस समेत अन्य पर उनकी टिप्पणियां शामिल हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अपने भाषण से हटाई गई टिप्पणियों और अंशों को लेकर अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा। अनुरोध किया है कि टिप्पणियों को बहाल किया जाए। 

स्पीकर को लिखे अपने पत्र में राहुल गांधी ने कहा है कि यह देखकर स्तब्ध हूं कि जिस तरह से मेरे भाषण के काफी हिस्से को निष्कासन की आड़ में कार्यवाही से हटा दिया गया है, मेरी सुविचारित टिप्पणियों को रिकॉर्ड से हटा देना संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है।राहुल गांधी ने पत्र में लिखा, ‘मैं यह लेटर 1 जुलाई 2024 को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मेरे भाषण से निकाली गई टिप्पणियों और अंशों के संदर्भ में लिख रहा हूं। यह देखकर हैरान हूं कि जिस तरह से मेरे भाषण के काफी हिस्से को निष्कासन की आड़ में कार्यवाही से हटा दिया गया है, मेरी सुविचारित टिप्पणियों को रिकॉर्ड से हटा देना, संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है।‘

अपनी चिट्ठी में राहुल गांधी ने आगे लिखा है कि मैं अनुराग ठाकुर के भाषण की ओर भी ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं, जिनका भाषण आरोपों से भरा था, हालांकि, आश्चर्यजनक रूप से केवल एक शब्द हटाया गया। आपके प्रति उचित सम्मान के साथ, यह चयनात्मक निष्कासन तर्क को धता बताता है। मैं अनुरोध करता हूं कि कार्यवाही से हटाई गई टिप्पणियों को बहाल किया जाए।’

बता दें कि सोमवार को संसद सत्र का छठा दिन काफी हंगामेदार रहा। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में लंबा भाषण दिया जिसमें उन्होंने मोदी सरकार की नीतियों का खुलकर विरोध किया। इस दौरान उन्होंने हिंदू धर्म और पीएम मोदी पर ऐसी बात कह दी जिसके बाद देश के प्रधानमंत्री को अपनी सीट से उठकर जवाब देना पड़ा। अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सांसद ने संविधान की एक प्रति और भगवान शिव की तस्वीर लहराई और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर निशाना साधा।राहुल गांधी के भाषण में हिंदुओं का जिक्र करने पर भाजपा सांसदों ने कड़ा विरोध जताया

NEET पर प्रधानमंत्री मोदी पर चुप्पी बरतने का आरोप लगाते हुए भड़कीं सोनिया गांधी, कहा, ध्यान ना भटकाएं

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चुनाव के बाद संसद के पहले सत्र में डिप्टी स्पीकर के पद और NEET मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक जारी है। इस बीच कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर इन मुद्दों को लेकर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आम सहमति के मूल्य का उपदेश देते हैं, जबकि वे टकराव को बढ़ावा देते हैं। द हिंदू में एक संपादकीय में सोनिया गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अभी तक लोकसभा चुनाव के नतीजों को स्वीकार नहीं कर पाए हैं, जिसमें एनडीए मुश्किल से सरकार बना पाई है। सोनिया गांधी ने कहा, "प्रधानमंत्री ऐसे काम कर रहे हैं, जैसे कुछ बदला ही न हो। वे आम सहमति के मूल्य का उपदेश देते हैं, लेकिन टकराव को महत्व देते हैं।"

एक बार फिर कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष बनाईं गई सोनिया गांधी ने कहा कि परंपरा के अनुसार लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दिया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा, "यह पूरी तरह से उचित अनुरोध था लेकिन सरकार ने इस मांग को खारिज कर दिया है। 17वीं लोकसभा में भी उपाध्यक्ष के संवैधानिक पद को नहीं भरा गया था।" एनडीए सरकार के पहले कार्यकाल में एआईएडीएमके के एम थम्बी दुरई, जो उस समय भाजपा की सहयोगी थी, उपाध्यक्ष थे, लेकिन 2019-24 के बीच यह पद खाली था। भाजपा द्वारा आपातकाल का मुद्दा उठाकर कांग्रेस पर हमला करने का जवाब देते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि संविधान पर हमले से ध्यान हटाने के लिए प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे को उठाया है। गांधी ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि स्पीकर ने भी इस मुद्दे को उठाया जबकी उनसे निष्पक्षता की उम्मीद रखी जाती है। 

नीट पेपर लीक पर नीट पेपर लीक मामले पर चुप रहने के लिए प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि इस घोटाले ने हमारे लाखों युवाओं के जीवन को अस्त व्यस्त का दिया है। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री जो अपनी 'परीक्षा पे चर्चा' करते हैं, वे लीक पर पूरी तरह से चुप हैं, जिसने देश भर में इतने सारे परिवारों को तबाह कर दिया है।"

पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने मई 2023 में राज्य में संघर्ष शुरू होने के बाद से संघर्षग्रस्त मणिपुर का दौरा न करने के लिए प्रधानमंत्री पर भी हमला किया। कुकी और मैतेई समुदायों के बीच संघर्ष के कारण सैकड़ों लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। सोनिया गांधी ने लिखा, "इस सबसे संवेदनशील राज्य में सामाजिक सद्भाव बिखर गया है। फिर भी, प्रधानमंत्री को न तो राज्य का दौरा करने और न ही यहां के नेताओं से मिलने का समय मिला है और न ही इच्छा।"

महाराष्ट्र में 1 लाख सरकारी नौकरियां, 77 हज़ार को मिले नियुक्ति पत्र..! डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस का बड़ा दावा

 महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने सोमवार को वादा किया कि उनकी सरकार जल्द ही एक लाख से अधिक सरकारी नौकरियों के पद भरेगी। फडणवीस ने कहा कि कुल 57,452 आवेदकों को नियुक्ति पत्र दिए गए हैं। दरअसल, महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में नई सरकार बनने के बाद अगस्त 2022 में भर्ती शुरू हुई थी। जिसमे 75,000 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई। 

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इसको लेकर फडणवीस ने कहा कि, भर्ती पारदर्शी तरीके से हो रही है। अमरावती में तलाटी परीक्षा को छोड़कर, हम प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक के खिलाफ एक नया कानून भी ला रहे हैं। यह कानून इसी सत्र (राज्य विधानसभा के) में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब कुल 19,853 छात्र प्रक्रिया पूरी कर लेंगे और उन्हें जल्द ही नियुक्ति पत्र प्रदान कर दिया जाएगा। फडणवीस ने कहा कि भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और NCP (अजित पवार) वाली महायुति सरकार ने 77,305 छात्रों को नौकरी दी है। साथ ही, अगले तीन महीनों में 31,201 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया संपन्न कर ली जाएगी।

डिप्टी सीएम ने कहा कि, इसका मतलब है कि हमारी सरकार एक लाख आठ हजार युवाओं को सरकारी नौकरी देगी। यह एक रिकॉर्ड है। पेपर लीक को रोकने के लिए कानून भी लागू किया जाएगा। यह कानून इसी सत्र में लागू होगा। हम छात्र संघ के साथ भी इस कानून पर चर्चा कर रहे हैं।