जयंती विशेष:सगुण भक्ति शाखा के संत कवि सूरदास की 564 वीं जयंती आज


नयी दिल्ली : सगुण भक्ति शाखा के कृष्ण भक्त कवि सूरदास का हिंदी साहित्य के इतिहास में सर्वोच्च स्थान है।सन्त कवि सूरदास (1478-1581 ई.पू.) का जन्म मथुरा के रुनकता नाम के गांव में सन् में हुआ था। गोस्वामी हरिराय के 'भाव प्रकाश' के अनुसार सूरदास का जन्म दिल्ली के पास सीही नाम के गाँव में एक अत्यन्त निर्धन सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

12 मई 2024 को उनकी जयंती है मनाई जाएगी। सूरदासजी जन्म से ही अंधे थे और वे श्रीकृष्‍ण के अनन्न भक्त थे। 

1. सूरदासजी जन्म से ही अंधे थे या नहीं इसमें मतभेद है। कुछ विदवानों का मानना है कि वे अंधे नहीं थे। जनश्रुति के अनुसार माना जाता है कि सूरदासजी जन्म से अंधे नहीं थे। वे कविताएं और गीत लिखा करते थे। एक दिन वे नदी किनारे गीत लिख रहे थे कि तभी उनकी नजर एक नवयुवती पर पड़ी। उसे देखकर वह आकर्षित हो गए और उसे निहारने लगे। कुछ देर aबाद उस युवती की नजर सूरदाजी पर पड़ी तो वह उनके पास आकर बोलने लगी, आप मदन मोहन जी होना ना? इस पर सूरदासजी बोले हां, परंतु तुम कैसे मेरा नाम जानती हो। इस पर वह बोली आप गीत गाते हैं और लिखते भी हैं इसीलिए आपको सभी जानते हैं।सूरदाजी बोले हां मैं गीत लिख रहा था तो अचानक आप पर नजर पड़ी तो मेरा गीत लिखना बंद हो गया, क्योंकि आप है ही इतनी सुंदर की मेरा कार्य रुक गया। यह सुनकर वह युवती शरमा गई। फिर यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा। उस सुन्दर युवती का चेहरा उनके सामने से नहीं जा रहा था और एक दिन वह मंदिर में बैठे थे तभी वह एक युवती आई और मदन मोहन उनके पीछे-पीछे चल दिए। जब वह उसके घर पहुंचे तो उस युवती के पति ने दरवाजा खोला तथा पूरे आदर सम्मान के साथ उन्हें अंदर बिठाया। यह देख और सम्मान पाकर सूरदासजी को बहुत पछतावा हुआ। तब उन्होंने दो जलती हुई सिलाइयां मांगी तथा उसे अपनी आंख में डाल दी। इस तरह मदन मोहन बने महान कवि सूरदास।

2. प्रारंभ में सूरदासजी मथुरा के बीच गऊघाट पर आकर रहने लगे थे। वहीं में दैन्य भाव से विनय के पद गाकर गुजर बसर करते थे। कहते हैं कि वे जन्म से सारस्वत ब्राह्मण परिवार में जन्में थे। सूरदास के पिता रामदास भी गायक थे इसीलिए सूरदास भी गायक बने। अधिकतर विद्वान मानते हैं कि सूरदास का जन्म सीही नाम गांव में हुआ और वे बाद में गऊघाट पर आकर रहने लगे थे। वहीं उनकी वल्लभाचार्य से भेंट हुई। जनश्रुति के अनुसार उनके बचपन का नाम मदनमोहन था। बल्लभाचार्य जब आगरा-मथुरा रोड पर यमुना के किनारे-किनारे वृंदावन की ओर आ रहे थे तभी उन्हें एक अंधा व्यक्ति दिखाई पड़ा जो बिलख रहा था। वल्लभ ने कहा तुम रिरिया क्यों रहे हो? कृष्ण लीला का गायन क्यों नहीं करते? सूरदास ने कहा- मैं अंधा मैं क्या जानूं लीला क्या होती है? तब वल्लभ ने सूरदास के माथे पर हाथ रखा। विवरण मिलता है कि पांच हजार वर्ष पूर्व के ब्रज में चली श्रीकृष्ण की सभी लीला कथाएं सूरदास की बंद आंखों के आकाश पर तैर गईं। गऊघाट में गुरुदीक्षा प्राप्त करने के पश्चात सूरदास ने 'भागवत' के आधार पर कृष्ण की लीलाओं का गायन करना प्रारंभ कर दिया। अब वल्लभ उन्हें वृंदावन ले लाए और श्रीनाथ मंदिर में होने वाली आरती के क्षणों में हर दिन एक नया पद रचकर गाने का सुझाव दिया।

3. संत सूरदासजी की भविष्यवाणी:-

संत सूरदासजी के नाम से यह पद या कविता वायरल हो रही है-

रे मन धीरज क्यों न धरे,

सम्वत दो हजार के ऊपर ऐसा जोग परे।

पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण,

चहु दिशा काल फ़िरे।

अकाल मृत्यु जग माही व्यापै,

प्रजा बहुत मरे।

सवर्ण फूल वन पृथ्वी फुले,

धर्म की बैल बढ़े।

सहस्र वर्ष लग सतयुग व्यापै,

सुख की दया फिरे।

काल जाल से वही बचे,

जो गुरु ध्यान धरे,

सूरदास यह हरि की लीला,

टारे नाहि टरै।।

रे मन धीरज क्यों न धरे

एक सहस्र, नौ सौ के ऊपर

ऐसो योग परे।

शुक्ल पक्ष जय नाम संवत्सर

छट सोमवार परे।

हलधर पूत पवार घर उपजे, देहरी क्षेत्र धरे।

मलेच्छ राज्य की सगरी सेना, आप ही आप मरे।

सूर सबहि अनहौनी होई है, जग में अकाल परे।

हिन्दू, मुगल तुरक सब नाशै, कीट पंतंग जरे।

मेघनाद रावण का बेटा, सो पुनि जन्म धरे।

पूरब पश्‍चिम उत्तर दक्खिन, चहु दिशि राज करे।

संवत 2 हजार के उपर छप्पन वर्ष चढ़े।

पूरब पश्‍चिम उत्तर दक्खिन, चहु दिशि काल फिरे।

अकाल मृत्यु जग माहीं ब्यापै, परजा बहुत मरे।

दुष्ट दुष्ट को ऐसा काटे, जैसे कीट जरे।

माघ मास संवत्सर व्यापे, सावन ग्रहण परे।

उड़ि विमान अंबर में जावे, गृह गृह युद्ध करे

मारुत विष में फैंके जग, माहि परजा बहुत मरे।

द्वादश कोस शिखा को जाकी, कंठ सू तेज धरे।

सौ पे शुन्न शुन्न भीतर, आगे योग परे।

सहस्र वर्ष लों सतयुग बीते, धर्म की बेल चढ़े।

स्वर्ण फूल पृ‍थ्वी पर फूले पुनि जग दशा फिरे।

सूरदास होनी सो होई, काहे को सोच करे।

4. सूरदास अपने पूर्व जन्म में श्री कृष्ण के काल में भी भी थे। तब वे अंधे थे और श्रीकृष्ण की महिमा का वर्णन करते रहते थे। वे उस जन्म में भी एक गायक और कवि थे। श्रीकृष्ण के जन्म के समय वे गर्ग मुनी के आश्रम में गए थे। वहां उन्होंने कृष्‍णावतार के बारे में जानना चाहता था। गर्ग मुनि आशीर्वाद देकर कहते हैं बिराजिये कविराज। कहिये क्या आज्ञा है? यह सुनकर वह अंधा गायक आंखों में आंसू भरकर कहता है प्रभु आप स्वयं ही ब्रह्माजी के पुत्र हैं। इसलिए आपको सर्वसमर्थ जानकर एक प्रार्थना लेकर आया हूं। आगे अंधा गायक कहता है मुझे केवल श्रीकृष्‍ण के दर्शन मात्र के लिए थोड़ी देर के लिए ही सही आंखें प्रदान कर दीजिए। जिनसे मैं उन्हें एक बार देख लूं। फिर भले ही आप मुझे नेत्रहिन कर दीजिए। यह सुनकर गर्ग मुनि कहते हैं कि आपको आंखें प्रदान करना कोई मुश्किल काम नहीं। परंतु एक बात का उत्तर दीजिए आपके मन के अंतरमन में अभी तक उनके दर्शन नहीं हुए? तब आंखें बंद करके वह श्रीकृष्ण को अपने अंतरमन में देखते हैं और कहते हैं कि मेरे मन ने एक आलौकिक बालक को शीशु अवस्था से लेकर बड़े होते हुए देखा है। क्या यह वही है? तब गर्ग मुनि कहते हैं कि हां ये वही है। यह सुनकर वह अंधे बाबा प्रसन्न हो जाते हैं।

आज से चारधाम यात्रा शुरू,सुबह सात बजे खुले केदारनाथ और यमुनोत्री के कपाट

दिल्ली:- केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धामों के कपाट शीतकाल के दौरान छह माह बंद रहने के बाद शुक्रवार को अक्षय तृतीया के पर्व पर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वह भगवान से यात्रा के सकुशल संपन्न होने की प्रार्थना करते हैं।

मंदिर समितियों ने बताया कि केदारनाथ और यमुनोत्री के कपाट सुबह सात बजे खुले जबकि गंगोत्री के कपाट दोपहर बाद 12 बजकर 20 मिनट पर खुलेंगे. उनके अनुसार चारधाम के नाम से प्रसिद्ध धामों में शामिल एक अन्य धाम बदरीनाथ के कपाट 12 मई को सुबह छह बजे खुलेंगे.

20 क्विंटल फूलों से सजाया गया

बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी हरीश गौड़ ने बताया कि केदारनाथ मंदिर के कपाटोद्घाटन के लिए मंदिर को फूलों से सजाया गया है. उन्होंने बताया कि दानदाताओं के सहयोग से मंदिर को विभिन्न प्रजातियों के करीब 20 क्विंटल फूलों से सजाया जा गया है जो हेलीकॉप्टर के माध्यम से वहां पहुंचाए गए हैं.

अधिकारियों के अनुसार यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है और बृहस्पतिवार शाम चार बजे तक चार धामों के लिए 22 लाख से अधिक श्रद्धालु अपना पंजीकरण करवा चुके हैं. चारधाम यात्रा पंजीकरण बुलेटिन के अनुसार, वेब पोर्टल, मोबाइल एप और व्हाटसएप के माध्यम से अब तक पंजीकरण की संख्या 22,28,928 पहुंच चुकी है।

हेल्थ टिप्स:खाना खाने के बाद पेट लगता है फूलने,गैस और अपच से रहते हैं परेशान,तो अपनाएं ये घरेलू नुस्खा,कब्ज होगी दूर


दिल्ली:- आजकल के समय में एसिडिटी, गैस की समस्या होना, पेट फूलना, अफारा जैसी समस्याएं बहुत ही आम बीमारी हो गई है।खाना अधिक खा लेने के बाद अक्सर कई लोगों को पेट फूलना, गैस, अपच, बदहजमी, खट्टी डकार आने की समस्या शुरू हो जाती है. लोग इन समस्याओं को दूर करने के लिए दवाई खा लेते हैं. लेकिन जरूरी नहीं कि आप बात-बात में दवाओं का सहारा लें. आपके किचन में ही कई ऐसी काम की पौष्टिक और फायदेमंद चीजें मौजूद हैं जो पेट, मुंह से संबंधित कई समस्याओं को दूर कर सकती हैं।

अक्सर लोग खाना खाने के बाद माउथ फ्रेशनर के तौर पर सौंफ,छोटी इलायची चबाते हैं. क्या आप जानते हैं कि अजवाइन, जीरा, सौंफ को यदि एक साथ चबाएं तो ये पेट में जाते क्या-क्या कमाल कर सकते हैं? नहीं जानते तो पढ़ें यहां-

अजवाइन, जीरा और सौंफ चबाने के फायदे

1. सौंफ, जीरा, अजवाइन को चबाने से खाना आसानी से पच जाता है. इतना ही नहीं, इससे ब्लोटिंग (Bloating) की समस्या भी नहीं होती है. पाचन को सही रखने के लिए ये तीनों ही चीजें बेहद फायदेमंद होती हैं.

2. सांस की दुर्गंध की समस्या होने पर भी इनका सेवन करना चाहिए. इन पौष्टिक बीजों को चबाकर खाने से बहुत हल्का महसूस होता है. मार्केट में पाचन संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए कई तरह की दवाइयां मौजूद हैं लेकिन इन नेचुरल हर्ब्स के सेवन से कोई नुकसान नहीं होता.

3. इन तीनों बीजों को जब आप एक साथ चबाकर खाते हैं तो ये डाइजेस्टिव सिस्टम को जबरदस्त तरीके से फायदा पहुंचाते हैं. इनमें अग्निवर्धक (carminative) प्रॉपर्टीज होती हैं, जो गैस बाहर निकाल कर ब्लोटिंग की समस्या से छुटकारा दिलाती हैं.

4.अजवाइन की बात करें तो इसमें थाइमॉल कम्पाउंड होता है जो एंटीस्पैस्मोडिक गुण से भरपूर होता है. ये डाइजेस्टिव मसल्स को रिलैक्स करता है. क्रैम्प दूर करता है. जीरा डाइजेस्टिव एजाइंम्स के प्रोडक्शन को स्टिम्यूलेट करता है. यह भोजन को तोड़कर उसमें मौजूद पोषक तत्वों को सही से एब्जॉर्ब करने में मदद करता है. वहीं, सौंफ में फाइबर की मात्रा काफी अधिक होने से ये बाउल मूवमेंट सही बनाए रखता है और कब्ज दूर करता है.

5.अजवाइन के बीज में एंटीमाइक्रोबियल प्रॉपर्टीज भी होती हैं जो पेट की सेहत (Gut health) को सही रखती हैं. जीरा में एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व होते हैं जो पेट में किसी भी तरह की खराबी को ठीक कर सकते हैं. सौंफ में प्राकृतिक रूप से एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में फ्री रैडिकल से होने वाले नुकसान से बचाते हैं. साथ ही ये माउथ फ्रेशनर का भी काम करता है. भोजन करने के बाद सौंफ चबाने से सांसों में ताजगी का अहसास होता है.

एक दिन में कितना करें सेवन

आप इन तीनों बीजों को एक साथ 1 छोटा चम्मच यानी लगभग 5 ग्राम सेवन कर सकते हैं. तीनों को बराबर मात्रा में ही लें. शुरुआत में कम मात्रा में ही सेवन करें ताकि कोई समस्या न हो. धीरे-धीरे आप अपनी पेट संबंधित समस्याओं को देखते हुए मात्रा बढ़ा सकते हैं. हालांकि, इन बीजों का रेगुलर सेवन करने से पहले आप एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें. खासकर, आपको कोई अन्य शारीरिक समस्या हो. आप प्रेग्नेंट हों या फिर शिशु को ब्रेस्टफीड कराती हों. अधिक सेवन से बचें वरना पेट की समस्या ठीक होने की बजाय बढ़ भी सकती है. बेहतर है कि इन बीजों को आप भोजन करने के बाद जब ब्लोटिंग, अपच, गैस आदि महसूस हो तो ही खाएं. इनमें मौजूद प्रॉपर्टीज, पोषक तत्व पाचन दुरुस्त रखने के साथ ही संपूर्ण पेट की सेहत को बेहतर बनाए रखने में कारगर हैं.

आज है विश्व थैलेसीमिया दिवस, क्या हैं इस बीमारी के लक्षण और बचाव


नई दिल्ली : अगर शादी से पहले कुंडली मिलान के साथ और गर्भावस्था की पहली तिमाही में थैलेसीमिया की जांच करा लें, तो इस बीमारी को आगे बढ़ने से रोका जा सकता है। यानी सतर्कता से हम उस रक्त विकार को रोक सकते हैं, जिसके मरीज लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इनकी संख्या करोड़ों में है। 

भारत में थैलेसीमिया का पहला मामला 1938 में सामने आया था। 1994 में पहली बार थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन ने आठ मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया था। इस साल विश्व थैलेसीमिया दिवस की थीम है, जागरूक रहें। साझा करें। देखभाल : थैलेसीमिया केयर गैप को पाटने के लिए शिक्षा को मजबूत बनाना। 

कुंडली मिलान के साथ जांच क्यों

विशेषज्ञों के अनुसार, थैलेसीमिया बीमारी की कुंडली मिलान के साथ जांच इसलिए जरूरी होती है, क्योंकि माता और पिता के जरिये यह बीमारी बच्चों में पहुंचती है। उत्तर पूर्वी राज्यों में यह आम है और यहां के कुछ क्षेत्रों में बीमारी की वाहक आवृत्ति 50 फीसदी तक है। पंजाब में करीब दो फीसदी आबादी में यह मौजूद है। हालांकि, पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों में इसकी आवृत्ति कम है। दक्षिणी, मध्य और पश्चिमी राज्यों की आदिवासी आबादी में यह बीमारी 48 फीसदी तक पहुंच गई है।

सिर्फ यही इलाज

थैलेसीमिया का इलाज ब्लड ट्रांसफ्यूजन, केलेशन थेरेपी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट का विकल्प है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट महंगा है। इसके लिए डोनर का एचएलए मिलना भी जरूरी है। इसलिए अधिकांश मरीज ब्लड ट्रांसफ्यूजन पर जीवित हैं। - डॉ. तूलिका सेठ, एम्स

आयरन का नियंत्रण बेहद जरूरी

थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चे के शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ने लगती है। आयरन बढ़ने से लिवर, हृदय पर दुष्प्रभाव होने लगता है। हालांकि, आयरन की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए कुछ दवाएं दी जाती हैं। - डॉ. नितिन गुप्ता, सर गंगाराम अस्पताल, नई दिल्ली 

ब्लड ट्रांसफ्यूजन के भी कई दुष्प्रभाव

मेजर थैलेसीमिया जन्म के साथ ही शुरू हो जाता है, जिससे बार-बार रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। कई बार इन रोगियों में हैपेटाइटिस या फिर एचआईवी भी मिलता है। यह ब्लड ट्रांसफ्यूजन की वजह से भी हो सकता है। - डॉ. वंशश्री, निदेशक, ब्लड बैंक, इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी

50 साल जिंदा रहने के लिए एक करोड़ रुपये का खर्चा

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की रिपोर्ट में थैलेसीमिया रोगी पर कितना खर्च हो सकता है, इसका आकलन बताया गया है। यह आकलन 10 वर्ष पहले तक का है। यानी वर्तमान में यह कई गुना बढ़ा है। 

रिपोर्ट के मुताबिक, अगर एक थैलेसीमिया मेजर ग्रस्त बच्चा 30 किलो वजन का है तो उसे ब्लड ट्रांसफ्यूजन और आयरन के लिए सालाना दो लाख रुपये खर्च करने होते हैं। यानी 50 वर्ष तक यह जीवित रहता है तो इस पर एक करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे। 

विशेषज्ञों के अनुसार, पौष्टिक भोजन और व्यायाम के जरिये इसे कुछ हद तक नियंत्रित कर सकते हैं। साथ ही, नवजात और गर्भवती मां का नियमित टीकाकरण भी कारगर साबित हो सकता है।

आनुवांशिक विकार

थैलेसीमिया एक स्थायी रक्त विकार यानी क्रोनिक ब्लड डिसऑर्डर है। यह एक आनुवांशिक विकार है, जिसके कारण एक रोगी के लाल रक्त कण यानी आरबीसी में पर्याप्त हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है। इसके कारण एनीमिया हो जाता है और रोगियों को जीवित रहने के लिए हर दो से तीन सप्ताह बाद रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है। बीमारी के तीन चरण-

1- माइनर- हीमोग्लोबिन जीन गर्भधारण के दौरान विरासत में मिलता है। इसमें एक जीन मां और दूसरा पिता से मिलता है। एक जीन में थैलेसीमिया के लक्षण वाले लोगों को वाहक के रूप में जाना जाता है या उन्हें थैलेसीमिया माइनर ग्रस्त कहा जाता है। इसमें व्यक्ति को केवल हल्का एनीमिया होता है।

2- इंटर मीडिया- ये ऐसे मरीज हैं, जिनमें हल्के से गंभीर लक्षण तक मिलते हैं।

3- मेजर- यह थैलेसीमिया का सबसे गंभीर रूप है। ऐसा तब होता है, जब एक बच्चे को माता-पिता प्रत्येक से दो उत्परिवर्तित जीन मिलते हैं। थैलेसीमिया मेजर से ग्रस्त बच्चे में जीवन के पहले वर्ष के दौरान गंभीर एनीमिया के लक्षण विकसित होते हैं। जीवित रहने के लिए उन्हें अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण यानी बोन मैरो ट्रांसप्लांट या नियमित रूप से रक्त चढ़ाए जाने की आवश्यकता होती है.

ब्यूटी टिप्स:अगर झड़ते बालों से हो गए परेशान तो इस पत्ते को आजमाकर देखिए,कुछ ही हफ्तों में दिखेगा असर


दिल्ली:- कहते है औरत का बाल ही उनका सबसे बड़ा गहना होता है।बालों की खूबसूरती, अच्छे घने और लंबे बाल न सिर्फ आपकी पर्सनालिटी में चार चांद लगाते हैं बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ता है, लेकिन आजकल कई लोगों को बालों के झड़ने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. 

हेयर लॉस की कई वजहें हैं. बालों के झड़ना का समाधान तलाशते हुए आयुर्वेद के एक प्राचीन उपचार के रूप में पपीते के पत्तों का उपयोग किया जा रहा है. पपीते के पत्तों में कई गुण होते हैं जो बालों के लिए फायदेमंद हैं. 

न सिर्फ बालों का झड़ना रोकने के लिए बल्कि पपीता के पत्ते बालों को लंबा, घना और चमकदार बनाने के लिए बेहद फायदेमंद माने जाते हैं. आज बहुत से लोग हैं जो बालों का झड़ना रोकने से जुड़े सवालों से परेशान हैं, कि बालों के झड़ने को कैसे रोकें, बालों को लंबा और घना बनाने के लिए क्या करें, बालों को कैसे मजबूत करें आदि।

यहां हम बालों के झड़ने को कंट्रोल करने के लिए पपीते के पत्तों का उपयोग कैसे करें इसके बारे में बता रहे हैं, तो चलिए शुरू करते हैं...

पपीते के पत्तों का रस निकालें

पपीते के पत्तों से रस निकालने के लिए पहले इसे धो लें और फिर पत्ते को छोटे टुकड़ों में काट लें. अब इन टुकड़ों को ब्लेंडर में डालें और अच्छे से पीस लें. इसके बाद, छानकर रस को एक कप में निकालें.

पपीते के पत्तों का उपयोग कैसे करें

पपीते के पत्तों का रस बालों के झड़ने वाले क्षेत्र पर लगाएं और धीरे से मालिश करें. इसे लगाने के बाद 30 मिनट तक इसे सूखने दें और फिर ठंडे पानी से धो लें. इसे हर हफ्ते दो बार करें।

बालों के लिए पपीते के पत्तों के फायदे

पपीते के पत्तों में विटामिन सी, बी और विटामिन ए के साथ-साथ बहुत सारे एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो बालों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं और उनकी रक्षा करते हैं. इसके अलावा यह ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है और बालों के पोषण को बढ़ाता है, जिससे बाल मजबूत और हेल्दी रहते हैं.

पपीते के पत्तों का रस लगाने से पहले, स्किन टेस्ट करें और जांचें कि क्या आपकी त्वचा पर कोई रिएक्शन तो नहीं हो रहा है. अगर कोई जलन या चिपचिपापन महसूस होता है, तो तुरंत धो लें और इसका उपयोग बंद करें।

हेल्थ टिप्स: आंतों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए अपनाएं ये आयुर्वेदिक टिप्स, दूर होंगी पाचन से संबंधित समस्याएं

दिल्ली:- हम सब हमेशा से ही ये सुनते आए हैं की शरीर को अगर स्वस्थ बनाए रखना है तो पाचन-तंत्र को ठीक रखना सबसे आवश्यक होता है।आंत शरीर के लिए बहुत जरूरी होती है। आंते हमारे पाचन-तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करती है और हम जो भी कुछ खाते है उसे पचाने से लेकर न्यूट्रीएंट्स को अब्जॉर्व करती है, जिससे शरीर को ताकत मिलती है। 

आंतों में समस्या होने पर खाना पचाने में समस्या होने के साथ भूख भी कम लगती हैं। स्वस्थ रहने के लिए आंतों को हेल्दी रहना जरूरी होता है। आंते को हेल्दी रखने के लिए लोग कई तरह की चीजों का सेवन करते हैं। ये चीजें खाने से कई बार समस्या कम नहीं होती है। ऐसे में आंतों को हेल्दी रखने के लिए आयुर्वेदिक टिप्स को फॉलो किया जा सकता हैं। 

ये टिप्स फॉलो करने से भूख बढ़ेगी, खाना ठीक से पचेगा और आंते स्वस्थ रहेगी। आंतों को हेल्दी रखने के लिए कौन से आयुर्वेदिक टिप्स फॉलो करने चाहिए, आइए जानते हैं।

1. रात के खाने और नाश्ते के बीच गैप रखें 

आंतों को हेल्दी रखने के लिए रात के खाने और अगले दिन के नाश्ते के बीच 12 घंटे का अंतर रखना चाहिए। ऐसा करने से शरीर को आराम मिलता है और आंत, हृदय को रिपेयर होने में मदद मिलती है। यह समय खाने को पूर्ण रूप से पचाने के लिए काफी है। ऐसा करने से डाइजेशन ठीक होने के साथ कब्ज की समस्या से राहत मिलती है।

2. छाछ का सेवन करें

आंतों को स्वस्थ रखने के लिए दोपहर के भोजन के साथ या उसके 30 मिनट बाद 1 गिलास छाछ का सेवन करें। छाछ शरीर को हेल्दी रखने के साथ बीमारियों का इलाज करने में भी मदद करता है। इसके सेवन से खाने पचाने में मदद मिलती है, मेटबॉलिज्म में सुधार है होता है, कफ और वात को कम करता है।

3. रात को हल्का खाना खाएं

आंतों को हेल्दी रखने के लिए रात को हल्का खाना खाएं। आमतौर पर रात का खाना सूर्यास्त के आसपास या सूर्यास्त के एक घंटे के भीतर खा लेना चाहिए।आयुर्वेद के अनुसार, सूर्यास्त के बाद आपका मेटाबोलिज्म कम हो जाता है, इसलिए रात के खाने में हल्के खाद्य पदार्थ जैसे बाजरा आधारित दलिया, चावल आधारित व्यंजन, चिल्ला, सब्जी/दाल का सूप आदि खाना सबसे अच्छा है। जो लोग सोने से 3 घंटे पहले हल्का भोजन करते हैं। एसिडिटी, मधुमेह, कब्ज और हृदय रोग की संभावना उन्हें कम होती हैं।

4. नॉनवेज रात को खाने से बचें

आंतों को हेल्दी रखने के लिए रात को नॉनवेज खाने से बचना चाहिए। नॉनवेज रात को खाने से पाचन संबंधी परेशानी होने के साथ वजन भी तेजी से बढ़ता है। ऐसे में रात को नॉनवेज खाने से बचना चाहिए। अगर कभी खाना चाहे, दिन के समय खाना सही रहता है।

सावधान! मोबाइल में यह नंबर दबाते ही खाली हो रहा बैंक अकाउंट, हैकर्स को यूं चटाएं थूल




*नई दिल्ली :* हम जितना डिजिटल की तरफ कदम आगे बढ़ा रहे हैं उतना ही ऑनलाइन फ्रॉड के खतरे में जकड़ते दिख रहे हैं। देश और दुनिया में दिन प्रतिदिन साइबर अपराध का शिकार होते जा रहे हैं, जिससे आपकी चंद मिनटों में लाखों रुपये की रकम डूब जाती है। साइबर ठग लोगों को बड़ा लालच देकर जाल में फंसाते हैं और अकाउंट से सारी रकम उड़ा देते हैं, जिससे हर किसी को बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है। अब साइबर चोर फोन करके लोगों को चूना लगा रहे हैं। वे अपनी तरफ से एक नंबर दबाने की सलाह दे रहे हैं, जिससे लोगों के अकाउंट से पैसा गायब हो रहा है। ऐसे फोन आपके पास आए तो अपनी जानकारी बिल्कुल शेयर ना करें, नहीं तो मोटा चूना लग जाएगी। अब यूजर्स से फोन करके साइबर ठग एक गैरकानूनी शिपमेंट पकड़ने की बात कर रहे । इतना ही नहीं मामला सुलझाने को साइबर जालसाज fedex के कस्टमर केयर से कनेक्ट होने के लिए फोन पर 9 दबाने की बत कह रहे हैं। *इस चीज का यूज कर रहे साइबर हैकर* आपको अपना अकाउंट में पैसा सुरक्षित रखना है तो अनजान व्यक्ति के नाम से फोन आए तो लालच में ना लड़े, नहीं तो जिंदगी भर की कमाई दो मिनट में लुट जाएगी। साइबर ठग लोगों को तरह-तरह की बातें कर फोन कर रहे हैं। हैकर अपने आपको FedEx का रेप्रेजेंटेटिव बताते हैं बिल्कुल प्रोफेशनल कस्टमर केयर एग्जिक्यूटिव की तरह बात करते नजर आते हैं। सबसे यूजर बड़ी आसानी से साइबर क्रिमिनल ग्राहक केयर एग्जिक्यूटिव की तरह बात करते नजर आते हैं। इन सबसे यूजर बडी़ आसानी से साइबर क्रिमिनल्स की जाल में फंस जाते हैं। अपनी डिटेल को उनके साथ शेयर कर देते हैं। ऐसे स्कैम में हैकर एआई का भी यूजर करते नजर आ रहे हैं। एआई की सहायता से हैकर किसी भी ग्राहक ग्राहक केयर एग्जिक्यूटिव के बात करने के अंदाज को क्लोन करने का काम करते हैं। इसके बाद यूजर को अपना शिकार बना लेते हैं। मैसेज और नोटिफिकेशन से भी चूना लगा रहे साइबर हैकर्स साइबर हैकर्स लोगों को तरह-तरह से चूना लगाने का काम कर रहे हैं, जिससे हर कोई परेशान है। कुछ जानकारों की मानें तो हैकर यूजर्स को फेक नोटिफिकेशन और महत्वपूर्ण मैसेज के जरिए भी कंफ्यूज करते हैं। मसैजे में यूजर्स को लुभाने ऑफर और स्कीम में बारे में जानकर देकर चूना लगाने का काम कर रहे हैं। बड़े लालच में आकर यूजर्स मैसेज और नोटिफिकेश में भेजे गए लिंकपर टैप करके अनजाने में फोन में वायरस वाले ऐप को डाउनलोड करने का काम करते हैं। इसी ऐप के जरिए हैकर्स आपको चूना लगाने का काम करते हैं। आप किसी भी तरह के ऐसे कॉल के चक्कर में ना पड़े। कोई कंपनी आपको लालच क्यों देगी और मोबाइल में नंबर दबाने की अपील भी नहीं करती है।
खुलासा : सड़ा चावल, सड़ा नारियल, लकड़ी का बुरादा और एसिड से बनाते थे मसाले, दिल्ली में 15 टन नकली माल जब्त, 3 दबोचे गए




*नयी दिल्ली :* दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने करावल नगर में दो ऐसी फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ किया है, जहां सड़े हुए चावल, लकड़ी के बुरादे और केमिकल से मिलावटी मसाले तैयार किए जा रहे थे. ये दोनों ही फैक्ट्रियां दिल्ली के करावल नगर में हैं. इस घटना में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने करावल नगर से 15 टन मिलावटी मसाले और कच्चा माल बरामद किया है. आरोपी खारी बावली, सदर बाजार, लोनी के अलावा पूरे एनसीआर और अन्य राज्यों में मिलावटी मसालों की सप्लाई कर रहे थे. पुलिस की सूचना पर फूड सेफ्टी विभाग ने मसालों के सैंपल लिए हैं. आरोपियों की पहचान करावल नगर के ही दिलीप सिंह उर्फ बंटी (46), मुस्तफाबाद के सरफराज (32) और लोनी के खुर्शीद मलिक (42) के तौर पर हुई ह कहां हुआ मिलावटी मसाले की फैक्ट्रियों का भंडाफोड़? *कैसे हुआ भड़ाफोड़?* दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को खबर मिली थी कि नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में कई मैन्युफैक्चरर और दुकानदार अलग-अलग ब्रांड के नाम से मिलावटी मसाले तैयार कर इन्हें दिल्ली-एनसीआर में बेच रहे हैं. इसके बाद क्राइम ब्रांच की अगुवाई में एक टीम को इस रैकेट का भंडाफोड़ करने के लिए गठित किया गया. इस बीच करावल नगर में मिलावटी मसाले तैयार करने वाली दो फैक्ट्रियों पर छापेमारी की गई.
हेल्थ टिप्स: अगर पेट से जुड़ी समस्या से है परेशान तो अपनी खान पान में इन पांच फलो का करे उपयोग रहेंगे स्वस्थ


दिल्ली:- पेट की समस्याएं आजकल एक आम समस्या बन चुकी हैं, जो लोगों को दिनचर्या में अनियमितता और अस्वस्थ खानपान के कारण परेशान करती हैं। खासकर, अनियमित डाइट और जीवनशैली के कारण पेट संबंधी समस्याएं बढ़ गई हैं। लेकिन, खुशी की बात है कि हमारे पास ऐसे प्राकृतिक उपाय हैं जो हमें इन समस्याओं से निजात दिलाने में मदद कर सकते हैं। हम आपको पेट संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने के लिए 5 ऐसे फलों के बारे में बताएंगे जो आप अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं जिससे पेट संबधी समस्या से आपको निजात दिलाने में मददगार साबित हो सकते हैं।

पपीता (Papaya): 

पपीता पेट के स्वस्थ फलों में से एक है। यह पेट के साथ-साथ पाचन को भी सुधारता है और कई पेट संबंधी समस्याओं को दूर करता है। पपीता में विटामिन सी, फाइबर और पॉटैशियम की अच्छी मात्रा होती है, जो पाचन को बेहतर बनाए रखती है।

अनार (Pomegranate): 

अनार में अनेक पोषक तत्व होते हैं जो पेट संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। यह पेट की सफाई को बढ़ाता है, जिससे आपका पेट स्वस्थ रहता है।

सेब (Apple): 

सेब में फाइबर, एंटीऑक्सिडेंट्स, और विटामिन सी की अच्छी मात्रा होती है, जो पेट की समस्याओं को कम करने में मदद करती है। यह पाचन को सुधारता है और पेट की सफाई को बढ़ाता है।

अवोकाडो (Avocado): 

अवोकाडो में हेल्दी फैट्स, फाइबर, और पोटैशियम होता है, जो पेट को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसका सेवन पाचन को सुधारता है और पेट की समस्याओं को दूर करता है।

केला (Banana): 

केला पोटैशियम, फाइबर, और विटामिन सी का अच्छा स्रोत होता है। यह पेट की सफाई को बढ़ाता है और पेट की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।

इतिहास में आज:देश की पहली महिला जस्टिस का जन्म, जज बनने से पहले उन्होंने चुनाव भी लड़ा और जीता भी


नयी दिल्ली : आज ही के दिन 1905 में देश की पहली महिला जज का जन्म हुआ था। केरल के त्रिवेंद्रम में जन्मीं अन्ना चांडी ने 1926 में त्रिवेंद्रम के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री ली। कानून की डिग्री लेने वाली वे केरल की पहली महिला थीं। 1929 से उन्होंने वकालत शुरू की। 1930 में ‘श्रीमती’ नाम से एक मैगजीन शुरू की, जिसमें महिलाओं की आजादी, विधवा विवाह और महिलाओं से जुड़े तमाम मुद्दों पर लिखने लगीं।

1931 में उन्होंने सक्रिय राजनीति में हिस्सा लेने का फैसला किया। अन्ना श्री मूलम पापुलर असेंबली के चुनावों में उतरीं। उनके विरोधियों को एक महिला का चुनाव लड़ना पसंद नहीं आया। उन पर तरह-तरह के आरोप लगाए गए और चरित्र पर उंगलियां उठाई गईं। 

पोस्टर छपवाकर उनका दुष्प्रचार किया गया। नतीजा ये हुआ कि अन्ना हार गईं। लेकिन वे इतनी आसानी से हार नहीं मानने वाली थीं। अगला चुनाव वो फिर लड़ीं और इस बार जीतीं।

1937 में त्रावणकोर के दीवान ने उन्हें मुंसिफ नियुक्त किया। इसके साथ ही देश की पहली महिला जज बन गईं। यहां से अन्ना ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1948 में वो जिला जज बन गईं।

1959 में बनीं केरल हाईकोर्ट की जज

9 फरवरी 1959 को अन्ना केरल हाई कोर्ट की जज बनाई गईं। इसके साथ वे भारत के किसी भी हाईकोर्ट की पहली महिला जज बनीं। 5 अप्रैल 1967 तक वो इस पद पर रहीं। यहां से रिटायर होने के बाद उन्हें लॉ कमीशन ऑफ इंडिया में नियुक्ति दी गई। 20 जुलाई 1996 को 91 साल की उम्र में जस्टिस चांडी का निधन हो गया।

1959: ग्रैमी अवॉर्ड की शुरुआत

आज से ठीक 62 साल पहले ग्रैमी अवॉर्ड की शुरुआत हुई। 

इसकी शुरुआत से पहले फिल्म और टेलीविजन में काम करने वाले कलाकारों को एकेडमी और एमी जैसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड दिए जाते थे, लेकिन संगीत के लिए इस तरह का कोई पुरस्कार नहीं था। संगीत कलाकारों के उचित सम्मान और लोगों की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए ग्रैमी की शुरुआत की गई।

1959 में अमेरिका के लॉस एंजिल्स में पहली बार इसका आयोजन किया गया। पहली बार 28 ग्रैमी अवॉर्ड दिए गए। उस समय इसे ग्रामोफोन अवॉर्ड कहा जाता था। अवॉर्ड में दी जाने वाली ट्रॉफी का आकार भी ग्रामोफोन की तरह ही होता है। तब से हर साल संगीत की 25 से ज्यादा विधाओं के लिए कुल 75 से ज्यादा अवॉर्ड दिए जाते हैं।

जैसे-जैसे संगीत में जॉनर बढ़ते गए वैसे-वैसे अवॉर्ड्स की संख्या भी बढ़ाई गई। एक समय तक इनकी संख्या 109 तक पहुंच गई थी। तब महिला और पुरुष कलाकारों को अलग-अलग अवॉर्ड दिए जाते थे। 2011 में रिकॉर्डिंग एकेडमी ने मेल-फीमेल अवॉर्ड्स को एक कर इनकी संख्या कम कर दी। साथ ही एक जैसे कुछ जॉनर को एक ही कैटेगरी में लाया गया।

63वां ग्रैमी अवॉर्ड समारोह

14 मार्च 2021 के दिन 63वें ग्रैमी अवॉर्ड का अमेरिका के लॉस एंजिल्स में आयोजन किया गया। इस अवॉर्ड समारोह में पॉप सिंगर बेयोन्से ने 4 पुरस्कार जीतकर इतिहास रच दिया। इसके साथ ही उनके पास 28 ग्रैमी अवॉर्ड हो गए है। किसी भी महिला कलाकार को मिले ये सबसे ज्यादा ग्रैमी अवॉर्ड है। वे 79 बार इस अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट भी हुई हैं।

ग्रैमी में भारतीय

सितार वादक पंडित रविशंकर पहले भारतीय कलाकार हैं जिन्हें ये अवॉर्ड मिला है। साल 1968 में उन्हें एलबम “वेस्ट मीट्स ईस्ट” के लिए दिया गया था। उनके पास 5 ग्रैमी अवॉर्ड हैं, जिसमें लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी शामिल है। इसके अलावा तबला वादक जाकिर हुसैन, ए आर रहमान, जुबिन मेहता, पंडित विश्व मोहन भट्ट को भी ये अवॉर्ड मिला है।

इतिहास में 4 मई को और किन-किन वजहों से याद किया जाता है

2008: विख्यात तबला वादक पंडित किशन महाराज का निधन।

1975: मूक फिल्मों के स्टार चार्ली चैपलिन को बकिंघम पैलेस में नाइट की उपाधि प्रदान की गई।

1957: भारतीय इतिहासकार हेमचंद्र रायचौधरी का निधन।

1924: पेरिस में 8वें ओलिंपिक खेलों की शुरुआत हुई।

1922: “शार्क लेडी” के नाम से मशहूर अमेरिकी समुद्री जीवविज्ञानी यूजीनी क्लार्क का जन्म हुआ।

1902: कर्नाटक के पहले मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश के राज्यपाल रहे केसी रेड्डी का जन्म हुआ।

1896: लंदन डेली मेल का पहला संस्करण प्रकाशित हुआ।एनएफ। 

1799: मैसूर राज्य के शासक टीपू सुल्तान का निधन हुआ।

1767: प्रसिद्ध कवि तथा संगीतज्ञ त्यागराज का जन्म।