काराकाट में महिला उम्मीदवारों का नहीं चलता जादू, पढ़ लीजिए पूरा पिछला रिकॉर्ड
औरंगाबाद काराकाट लोकसभा क्षेत्र में हुए अभी तक के सभी तीन चुनाव में 10 बार महिलाओं ने अपनी किस्मत आजमाया लेकिन सफल नहीं हो सकीं। नासरीगंज के अमियावर निवासी गांधी चौधरी की पत्नी प्रियंका चौधरी ने एआइएमआइएम से तो बिक्रमगंज के खैरा भूधर की किरण प्रभाकर ने चुनाव लड़ने की घोषणा की है इसलिए यह जानना दिलचस्प होगा कि वर्ष 2009, 2014 और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के परिणाम में महिलाओं की स्थिति क्या रही है।
मात्र दो बार वर्ष 2009 और 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में महिला मुख्य मुकाबले में रही और प्रमुख राजनीतिक दल से प्रत्याशी थीं। वर्ष 2009 में राजद की प्रत्याशी डा. कांति सिंह 1,76,463 यानी 20.31 प्रतिशत मत प्राप्त कर सकी थी। वह दूसरे स्थान पर रहीं थी।
तब जदयू के महाबली सिंह 1,96,946 वोट लाकर चुनाव जीत गए थे। दूसरी बार वर्ष 2014 में फिर डा. कांति सिंह राजद की प्रत्याशी बनी और 2,33,651 वोट यानी 26.89 प्रतिशत वोट लाकर चुनाव हार गईं।
पिछले चुनाव के मुकाबले छह प्रतिशत से अधिक वोट लाकर भी लगभग 95,000 वोट से हार गई थीं। तब भाजपा के साथ गठबंधन में आए राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा 3,38,892 वोट लाकर चुनाव जीत गए थे।
वर्ष 2009 में डा. कांति सिंह के अतिरिक्त सिर्फ ज्योति रश्मि महिला प्रत्याशी थी जो स्वयं विधायक रही हैं और डेहरी से विधायक प्रदीप जोशी की पत्नी सिर्फ 2.43 प्रतिशत यानी 21,114 वोट लाने में सफल रही थी। अभी तक जितनी महिलाओं ने चुनाव लड़ा उसमें डा. कांति सिंह के बाद सर्वाधिक वोट इसी चुनाव में ज्योति रश्मि को मिला था। 2009 में और कोई महिला प्रत्याशी नहीं थी।
2014 में डा. कांति सिंह के अलावा रजनी दुबे और वीणा भारती प्रत्याशी बनी। रजनी दुबे को 0.55 प्रतिशत यानी 4,795 मत जबकि वीणा भारती को 0.46 प्रतिशत यानी 402 मत मिले। सर्वाधिक पांच महिला प्रत्याशी 2019 में चुनाव लड़ी।
लेकिन एक प्रतिशत से अधिक मत लाने में कोई सफल नहीं रही। सिर्फ ममता पांडेय को तब 1.02 प्रतिशत यानी 8,851 मत मिला था जबकि विधायक रही ज्योति रश्मि को इस चुनाव में 0.96 प्रतिशत 8,381 वोट मिले। नीलम कुमारी जो डेहरी में चिकित्सक हैं उनको मात्र 0.53 प्रतिशत यानी 4,605 वोट मिला था।
उषा शरण को 0.35 प्रतिशत यानी 333 वोट जबकि पूनम देवी को 0.6 प्रतिशत यानी 1,359 मत मिला था। अब जब 2024 का लोकसभा चुनाव होना है तो देखना दिलचस्प होगा कि महिलाओं की उपस्थिति और उनका प्रदर्शन कैसा रहता है।
जब नारी शक्ति वंदन की बात सरकार कर रही है, महिलाओं को लोकसभा में आरक्षण देने का विधान (अभी लागू नहीं) बन चुका है, ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि महिलाएं चुनाव लड़ती हैं और क्या कोई गठबंधन या प्रमुख दल से भी कोई महिला प्रत्याशी बनती है। इनका प्रदर्शन तो चार जून को पता चल सकेगा।
May 04 2024, 13:27