अधिवक्ता की थाना हाजत में पिटाई और कोर्ट में हथकड़ी लगाकर घूमाने पर मानवाधिकार आयोग हुआ सख्त, एसएसपी से मांगा इसका जवाब*
मुजफ्फरपुर : मानवाधिकार आयोग एक्शन में आते हुए जिले के एसएसपी से अधिवक्ता को थाना हाजत में क्यों पीटा गया और कोर्ट में हथकड़ी लगाकर क्यों घुमाया गया का जवाब मागां है। मामला जिले के गायघाट थाने का है। पीड़ित अधिवक्ता की ओर से मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा मामले की पैरवी कर रहे हैं।
दरअसल मुजफ्फरपुर जिले के सिविल कोर्ट के अधिवक्ता हरे कृष्ण कुमार उर्फ माधव को पिछले वर्ष 24 जुलाई को गायघाट थाने की पुलिस ने थाना हाजत में बंद कर काफी बेरहमी से मारा व पीटा था और अधिवक्ता को हथकड़ी लगाकर पूरे सिविल कोर्ट कैंपस में घुमाया गया था, जिसका विरोध अधिवक्ताओं द्वारा किया गया था।
अधिवक्ता माधव कुमार के भतीजा शशिरंजन कुमार ने 24 जुलाई 2023 को गायघाट थाने में एक आवेदन दिया था, जिसकी रिसीविंग के लिए तत्कालीन थानाध्यक्ष मोनू कुमार द्वारा उन्हें शाम में बुलाया गया था। शाम के समय शशिरंजन कुमार अपने चाचा अधिवक्ता हरेकृष्ण माधव के साथ थाना पर रिसीविंग लाने गये तो पुलिस द्वारा पैसे की माँग की गई, जिसका विरोध अधिवक्ता माधव के द्वारा किया गया। जिसपर गायघाट थाने की पुलिस खफा हो गई और अधिवक्ता को थाना हाजत में बंद कर काफी बेरहमी से मारा व पीटा गया।
अधिवक्ता का आरोप है कि उन्हें थाना हाजत में नंगा करके बुरी तरह से मारा व पीटा गया था। इतना ही नहीं, पुलिस ने अधिवक्ता माधव को हथकड़ी लगाकर पुरे कोर्ट परिसर में घुमाया और एक झूठा मुकदमा बनाकर उन्हें जेल भी भेज दिया। हालांकि अधिवक्ता को जमानत तो मिल गई, उसके बाद अधिवक्ता माधव के आवेदन पर कोर्ट के आदेशानुसार गायघाट थाना में ही उसी थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष मोनू कुमार, दरोगा उमाकांत मिश्रा एवं थाना के गाड़ी चालक प्रवीण कुमार समेत कुल 30 सशस्त्र पुलिस बल के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई। इतना ही नहीं, गायघाट थाना की पुलिस ने 2 नवंबर 2023 की रात में अधिवक्ता माधव के घर पर भयंकर तोड़फोड़ व उत्पात मचाया।
इस पूरे प्रकरण की जानकारी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग नई दिल्ली सहित बिहार मानवाधिकार आयोग पटना को भी दी गई। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार मानवाधिकार आयोग को मामले की जाँच कर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा तथा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी अपने स्तर से तहकीकात करना शुरू कर दिया।
बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने मामले को काफी गंभीर माना है और एसएसपी मुजफ्फरपुर से मामले के सम्बन्ध में रिपोर्ट की माँग की है। मामले की अगली सुनवाई 29 मई को होनी है।
मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के.झा ने बताया कि यह पूरा मामला मानवाधिकार उल्लंघन के अति गंभीर कोटि का है। आयोग मामले को लेकर काफी सख्त और गंभीर है।
एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष वरीय अधिवक्ता रामशरण सिंह ने कहा कि आयोग के द्वारा उठाये गये इस कदम से दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कड़ी-से-कड़ी कार्रवाई होना सुनिश्चित है। महासचिव वीरेंद्र कुमार लाल ने कहा कि मुझे कानून में पूरी आस्था है। दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध निश्चित रूप से कार्रवाई होगी। वहीं वरीय कानूनविद् विजय कुमार शाही ने कहा कि मानवाधिकार आयोग में मुझे पूरी आस्था है, अधिवक्ता माधव को जरूर न्याय मिलेगा। मानवाधिकार आयोग के इस एक्शन का सभी अधिवक्ताओं ने स्वागत किया है।
मुजफ्फरपुर से संतोष तिवारी
Apr 15 2024, 09:51