अन्तर्ऱाष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष:संगीता जैसी आशा कार्यकर्ताओं के कारण त्रैमासिक अंतरा की सेवा देने में प्रदेश में पहले स्थान पर है गोरखपुर
गोरखपुर।मन में बैठे भय भ्रांति और कई बार परिवार के असहयोग के कारण महिलाएं आधुनिक गर्भनिरोधक साधन त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन का चुनाव नहीं करती हैं। जो महिलाएं इसकी पहली डोज ले लेती हैं वह भी इससे मासिक धर्म पर पड़ने वाले स्वाभाविक प्रभावों से डर कर इसे छोड़ देती हैं । ऐसे में अगर उन्हें सही समय पर सही सलाह मिल जाए तो वह इस सुरक्षित और कारगर साधन को अपना कर अपना जीवन खुशहाल बना सकती हैं ।
आधी आबादी के जीवन में यही खुशहाली पहुंचाने का काम कर रही हैं चरगांवा ब्लॉक के मुड़िला गांव की आशा कार्यकर्ता संगीता निषाद ।
महिलाएं संगीता की बात को बेहतर तरीके से समझ सकें, इसके लिए उन्होंने पहले खुद अंतरा इंजेक्शन का चुनाव किया और अब अपनी नजीर देकर ‘आधी आबादी’ को इसका लाभ दिलवा रही हैं । मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे का कहना है कि संगीता जैसी उत्साही आशा कार्यकर्ताओं के कारण ही अंतरा इंजेक्शन के इस्तेमाल के मामले में गोरखपुर जनपद इस वर्ष भी उत्तर प्रदेश में पहले स्थान पर बना हुआ है ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में गोरखपुर जनपद में 10677 महिलाओं ने त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन की पहली डोज लगवाई थी और 5418 महिलाएं ऐसी रहीं जिन्होंने चौथा डोज भी लगवाया ।इस वर्ष बीस जनवरी तक 12385 महिलाएं इस इंजेक्शन की पहले डोज लेने के लिए आगे आईं । इस अवधि में 9228 महिलाएं चौथी डोज तक लगवा चुकी हैं। पिछले वर्ष और इस वर्ष भी 20 जनवरी तक के आंकड़ों के मुताबिक जनपद का पूरे प्रदेश में पहला स्थान है । इस सेवा से अगर महिलाओं का जुड़ना संभव हो पा रहा है तो इसमें आशा कार्यकर्ता, एएनएम और परिवार नियोजन परामर्शदाता का अहम योगदान है । एसीएमओ आरसीएच डॉ एके चौधरी की देखरेख में उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट के जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ भी इस कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं ।
34 वर्षीय आशा कार्यकर्ता संगीता ने इंटर तक पढ़ाई की है। वह बताती हैं कि जब वर्ष 2013 में उनका परिवार पूरा हुआ तब सरकारी व्यवस्था में साप्ताहिक गर्भनिरोधक गोली छाया का प्रावधान नहीं था और न ही वह आशा कार्यकर्ता थीं। उस समय वह बाजार से साप्ताहिक गर्भनिरोधक गोली लेकर खाती थीं । कई बार गोली भूल जाने पर अनचाहा गर्भ ठहर जाता था । वह इसका एक मजबूत विकल्प ढूंढ रही थीं। उनके पति न तो खुद की नसबंदी और न ही संगीता की नसबंदी के पक्ष में रहे हैं । इसी बीच, वर्ष 2017 में जब वह आशा कार्यकर्ता बनीं तो परिवार नियोजन के साधनों (बॉस्केट ऑफ च्वाइस) के बारे में प्रशिक्षण पाने का उन्हें मौका मिला। वर्ष 2021 में एक प्रशिक्षण के दौरान उन्हें अंतरा इंजेक्शन के बारे में जानकारी मिली । उन्होंने अपने पति की सलाह ली तो पति ने इस साधन के प्रति सहमति जताई । इसके बाद संगीता ने चरगांवा पीएचसी पर ही चिकित्सक की निगरानी में इंजेक्शन की पहली डोज ली । वह बताती हैं कि उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हुई और यह साधन उन्हें पसंद आया । तीन वर्ष से वह हर तीन माह पर अंतरा इंजेक्शन लगवा रही हैं ।
संगीता का कहना है कि उन्होंने गांव की अन्य महिलाओं से भी इस इंजेक्शन के बारे में अपना अनुभव साझा किया और बताया कि इसमें भूलने का तनाव नहीं रहता है । एक बार इंजेक्शन लगवा लेने के बाद तीन माह तक कोई दिक्कत नहीं होती है । गांव की दस ऐसी महिलाओं को प्रेरित कर उन्होंने इंजेक्शन लगवाया, जो नसबंदी की इच्छुक नहीं थीं या फिर दो बच्चों में अंतर रखने के लिए मनपसंद साधन का इस्तेमाल करना चाहती थीं । इनमें से सात महिलाएं ऐसी हैं जो वर्तमान में प्रत्येक तीन माह पर इंजेक्शन लगवा रही हैं ।
मासिक धर्म पर असर स्वाभाविक
मुड़िला निवासी 27 वर्षीय महिला अल्पना (काल्पनिक नाम) ने बताया कि संगीता की बात अच्छी लगने पर उन्होंने इस इंजेक्शन का चुनाव किया । पहली डोज लगी तो कुछ दिन तक मासिक धर्म रुक रुक कर आया, लेकिन बाद में सब ठीक हो गया । जब मासिक धर्म पर असर पड़ा तो आशा कार्यकर्ता ने उन्हें चरगांवा पीएचसी पर एएनएम प्रेमलता से मिलवाया। प्रेमलता ने खुद तो समझाया ही साथ में चिकित्सक से भी मिलवाया। चिकित्सक ने उन्हें बताया कि इंजेक्शन लगने के बाद कुछ महिलाओं में हार्मोनल बदलाव के कारण मासिक धर्म पर असर पड़ता है, लेकिन यह खुद ठीक हो जाता है । उन्हें बात समझ में आयी और वह अगला डोज भी लगवा लीं । दो साल से वह अंतरा इंजेक्शन के जरिये ही अनचाहे गर्भ से बची हुई हैं । प्रत्येक डोज के लिए 100 रुपये उनके बैंक खाते में आते हैं ।
मिलता है प्रोत्साहन
आशा कार्यकर्ता संगीता निषाद का कहना है कि अंतरा इंजेक्शन की प्रत्येक डोज के लिए 100 रुपये उनके खाते में और 100 रुपये लाभार्थी के खाते में मिलते हैं । प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ धनंजय कुशवाहा, एचईओ मनोज कुमार और बीसीपीएम चंद्रशेखर यादव उनका उत्साहवर्धन करते रहे हैं जिसकी वजह से न केवल अंतरा, बल्कि छाया, माला एन और आईयूसीडी की सेवाओं से भी लाभार्थियों को जोड़ रही हैं । गांव की महिलाएं परिवार नियोजन के प्रति सजग हो रही हैं, लेकिन अभी भी पुरूषों की प्रतिभागिता उनके क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है ।
Mar 08 2024, 15:58