महाना दीनी महफ़िल में बताया गया माह-ए-रमज़ान गुजारने का तरीक़ा

गोरखपुर। पवित्र इस्लामी माह रमजान चंद दिनों के फासले पर है। सोमवार 11 मार्च को रमज़ान का चांद देखा जाएगा। चांद नज़र आया तो मंगलवार 12 मार्च को पहला रोज़ा होगा।

अगर चांद नहीं नज़र आया तो पहला रोज़ा बुधवार 13 मार्च को पड़ेगा। मुस्लिम घरों में रमज़ान की तैयारियां शुरु हो चुकी हैं। हाफ़िज़-ए-कुरआन रमज़ान की रातों में पढ़ी जाने वाली विशेष तरावीह नमाज़ पढ़ाने के लिए कुरआन-ए-पाक दोहराने में लगे हुए हैं।

इस बार पहला रोजा सबसे छोटा होगा। जो करीब 13 घंटा 18 मिनट का होगा। वहीं अंतिम रोजा 14 घंटा 07 मिनट का होगा। जो रमज़ान का सबसे बड़ा रोज़ा होगा। रमज़ान को लेकर मुस्लिम समाज में उत्साह है।

इस सिलसिले में मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर में 'रमज़ान कैसे गुज़ारें' विषय पर महाना दीनी महफ़िल हुई। कुरआन-ए-पाक की तिलावत मो. सफियान ने की। नात मो. अफ्फान व रहमत अली ने पेश की।

मौलाना दानिश रज़ा अशरफी ने कहा कि‌ इस्लाम धर्म में रमज़ान माह बेहद खास है। हर बालिग मुसलमान मर्द व औरत जो अक्ल वाला व तंदुरुस्त हो उस पर माह-ए-रमज़ान का रोज़ा रखना फ़र्ज़ है। जो मुसलमान रोज़ा नहीं रखता है वह अल्लाह की रहमत से महरूम रहता है। रोज़ा न रखने पर वह शख़्स अल्लाह की नाफरमानी करता है। रोज़ा न रखना बहुत बड़ा गुनाह है।

रमज़ान बहुत ही रहमत व बरकत वाला महीना है। अल्लाह के बंदे दिन में रोज़ा रखते हैं और रात में खास नमाज तरावीह पढ़ते हैं। इस माह में मुसलमान कसरत से जकात, सदका, फित्रा निकाल कर गरीब, यतीम, बेसहारा, बेवाओं की मदद करते हैं।

हाफ़िज़ अशरफ रज़ा व हाफ़िज़ सैफ रज़ा ने कहा कि पवित्र रमज़ान का पहला अशरा रहमत, दूसरा मग़फिरत, तीसरा जहन्नम से आज़ादी का है। रमज़ान रहमत खैर व बरकत का महीना है। इसमें रहमत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं।

शैतान जंजीर में जकड़ दिए जाते हैं। नफ्ल का सवाब फ़र्ज़ के बराबर और फ़र्ज़ का सवाब सत्तर फ़र्ज़ों के बराबर दिया जाता है। रोज़ा खास अल्लाह के लिए है। अल्लाह रोज़ेदार के सारे गुनाह माफ़ कर देता है। अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो शांति, भाईचारगी व तरक्की की दुआ मांगी गई।

क्षेत्राधिकारी के मार्गदर्शन में पुलिसकर्मियों ने किया रक्तदान,22 महादानियों का प्रमाणपत्र दे कर सम्मान

खजनी गोरखपुर।जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर आशुतोष दुबे की पहल पर क्षेत्राधिकारी खजनी ओंकारदत्त तिवारी के कुशल मार्गदर्शन और थानाध्यक्ष के नेतृत्व में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज कोतवाली परिसर में स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। 

जिसमें सीओ और थानाध्यक्ष खजनी गौरव आर कन्नौजिया समेत कुल 22 महादानी पुलिसकर्मियों,क्षेत्र के गणमान्य जनों व युवा ग्रामप्रधानों ने स्वैच्छिक रक्तदान किया। इस दौरान जिले से ब्लड डोनेशन की वैन लेकर पहुंची कलेक्शन टीम के द्वारा कुल 25 लोगों का रजिस्ट्रेशन किया गया। जिसमें जांच के बाद 22 लोगों ने रक्तदान किया। 

क्षेत्राधिकारी ओंकारदत्त तिवारी ने कहा कि रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं होता हर स्वास्थ्य व्यक्ति को रक्तदान करना चाहिए। शहर की जनसंख्या का एक प्रतिशत रक्त ब्लड बैंक में हमेशा मौजूद रहना चाहिए जिससे गंभीर बीमारी या दुर्घटनाओं में पीड़ितों की जान बचाई जा सके। थानाध्यक्ष गौरव आर कन्नौजिया ने कहा कि अवसर मिलने पर रक्तदान करते रहना चाहिए। सिर्फ मानव रक्त ही दूसरे मानव के काम आता है और इसका निर्माण सिर्फ मानव शरीर में ही होता है, आपात स्थिति में हमें इसका एहसास होता है इसीलिए रक्तदान जैसा महादान कुछ और नहीं हो सकता।

 शिविर में जिले के ब्लड बैंक से आई टीम में डॉक्टर नीलम सिंह,राकेश मिश्रा,दिलाप कुमार उपाध्याय,योगेश यादव, घनश्याम पांडेय,इश्तियाक अली, गीता यादव,दयाशंकर तिवारी आदि मौजूद रहे।

सेव ट्री सेव एनवायरनमेंट पर आज का विशेष शिविर

गोरखपुर।आज सप्त दिवसीय विशेष शिविर के तृतीय दिवस दिनांक 28 फरवरी 2024 को डॉक्टर स्मृति मल्ल और डॉ कुसुम रावत, प्रियदर्शनी इकाई और रानी लक्ष्मी बाई इकाई राष्ट्रीय सेवा योजना, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी ने सेव ट्री सेव एनवायरनमेंट कार्यक्रम का आयोजन किया।

 जिसमें सभी पेड़ो को संरक्षित करने और नियमित रूप से खाद और पानी डालने के लिए छात्राओं प्रेरित किया गया।छात्राओं ने मिलकर पौधों के आसपास मौजूद खरपतवार हटाए और उन्हे पानी डालकर पोषित किया। इस कार्यक्रम के दौरान डॉक्टर स्मृति मल्ल ने पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने के लिए पेड़ पौधों के महत्व को बताया और उन्हे पौधों में खाद और पानी डालने के लिए प्रेरित किया। 

इस आयोजन में दोनों एनएसएस ईकाई से लगभग 80 छात्राओं ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का समापन डॉ कुसुम रावत द्वारा किया गया।

गोरखपुर के गोला एसडीएम अल्पसंख्यक आयोग में तलब,गेहूं की फसल कब्जे में लेकर करा दी थी उसकी नीलामी

गोरखपुर । शिकायतकर्ता का कहना है कि तहसील प्रशासन केवल डेढ़ लाख रुपये जमा कर नीलामी की राशि से पिंड छुड़ाने में लगा है जबकि ग्राम पंचायत के 350-400 एकड़ भूमि पर अवैध खेती हो रही है। सामान्यत एक एकड़ में करीब पंद्रह क्विंटल गेहूं की पैदावार होती है। यदि इसे दस क्विंटल प्रति एकड़ ही मान लिया जाय तो यह मामला 50 लाख से अधिक का है।

बड़हलगंज ब्लाक की ग्राम पंचायत सीधेगौर के टोला बल्थर में सरकारी भूमि पर बोए गए गेहूं की नीलामी से मिली धनराशि को भू-प्रबंधन समिति के खाते में जमा न करने पर अल्पसंख्यक आयोग ने गोला तहसील के एसडीएम रोहित कुमार मौर्य को ब्योरे के साथ तलब किया है।

आयोग ने जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश को निर्देशित करते हुए कहा है कि मामले में उपजिलाधिकारी को गेहूं नीलामी से हुई संपूर्ण आय के ब्योरे के साथ आयोग के समक्ष उपस्थित करें। सीधेगौर निवासी और भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के नरहरपुर मंडल अध्यक्ष रुस्तम अंसारी ने शिकायत की थी कि ग्राम पंचायत की भूमि पर कई लोग कब्जा कर खेती करते हैं।

ग्रामीणों के विरोध के चलते अप्रैल, 2023 में तहसील प्रशासन द्वारा उस भूमि पर बोई गई गेहूं की फसल कब्जे में लेकर उसकी नीलामी करा दी गई। नीलामी से मिली धनराशि को भूमि प्रबंधन समिति के खाते में जमा करना था, लेकिन तहसील प्रशासन हीलाहवाली करता रहा। काफी प्रयास के बाद डेढ़ लाख रुपये जमा हुए और शेष राशि को एक सप्ताह के भीतर जमा करना था, लेकिन आज तक ऐसा नहीं किया गया।

इसके लिए रुस्तम ने चार बार तहसील में आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस में प्रार्थनापत्र दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने कहा कि इसके बाद इसकी शिकायत जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश व अल्पसंख्यक आयोग लखनऊ में की गई। इसका संज्ञान लेकर आयोग ने उपजिलाधिकारी को 29 फरवरी को विस्तृत आख्या के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया है।

बड़ी है नीलामी की राशि

शिकायतकर्ता का कहना है कि तहसील प्रशासन केवल डेढ़ लाख रुपये जमा कर नीलामी की राशि से पिंड छुड़ाने में लगा है, जबकि ग्राम पंचायत के 350-400 एकड़ भूमि पर अवैध खेती हो रही है। सामान्यत: एक एकड़ में करीब पंद्रह क्विंटल गेहूं की पैदावार होती है। यदि इसे दस क्विंटल प्रति एकड़ ही मान लिया जाय तो यह मामला 50 लाख से अधिक का है। इसलिए पूरा राजस्व संबंधित खाते में जमा होना चाहिए। यदि न्याय नहीं मिला तो मुख्यमंत्री से मुलाकात करूंगा।

फसल नीलामी की राशि को भू-प्रबंधन समिति के खाते में जमा नहीं करने का है मामला, सीधेगौर के रूस्तम अंसारी ने की थी शिकायत, आयोग ने डीएम को ब्योरे के साथ भेजने को कहा गोला उपजिलाधिकारी रोहित कुमार मौर्य ने कहा कि नीलामी की धनराशि का मामला संज्ञान में है। उसकी तहसीलदार से जांच कराई जा रही है।

पूर्व विधायक का आवास खाली करने पहुंचे अमीन,हंगामा के बाद लौटे

गोरखपुर। कैंट पुलिस के साथ न्यायालय से नियुक्त अमीन यूनिवर्सिटी चौराहा स्थिति पूर्व विधायक के आवास पर पहुंचे। उस समय घर पर पूर्व विधायक के पुत्र राकेश मिश्रा व बहू आद्या शक्ति मिश्रा मौजूद थे। आवास खाली करने के लिए न्यायालय का आदेश होने की जानकारी देते हुए सामान को बाहर निकालने लगे। परिवार के लोगों ने पूर्व में कोई सूचना न देने का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया।

सहनजवां के पूर्व विधायक स्व. टीएन मिश्र के स्वजन से आवास खाली कराने फोर्स संग पहुंचे अमीन हंगामा के बाद लौट गए। पूर्व विधायक के स्वजन का आरोप था कि बिना नोटिस व पूर्व सूचना के आवास खाली कराया जा रहा है। कैंट पुलिस के साथ न्यायालय से नियुक्त अमीन यूनिवर्सिटी चौराहा स्थिति पूर्व विधायक के आवास पर पहुंचे। उस समय घर पर पूर्व विधायक के पुत्र राकेश मिश्रा व बहू आद्या शक्ति मिश्रा मौजूद थे।

आवास खाली करने के लिए न्यायालय का आदेश होने की जानकारी देते हुए सामान को बाहर निकालने लगे। परिवार के लोगों ने पूर्व में कोई सूचना न देने का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया। आसपास के लोग जुटे तो अमीन के साथ ही कैंट थाना पुलिस लौट गई। आद्या शक्ति मिश्रा ने मुख्यमंत्री व जिलाधिकारी को पत्र भेजकर मदद की गुहार लगाई है।

खजनी को मिली दो और रोडवेज बसों की सौगात

खजनी गोरखपुर।प्रदेश शासन उत्तर प्रदेश परिवहन निगम (यूपी रोडवेज) के द्वारा खजनी क्षेत्र के यात्रियों के लिए दो और रोडवेज बसों की सौगात मिली है। ऐ दोनों बसें प्रतिदिन गोरखपुर राप्ती नगर डीपो से खजनी सिकरीगंज गोला बड़हलगंज से दोहरीघाट तथा गोरखपुर राप्ती नगर डीपो से चलकर खजनी माल्हनपार गोला बड़हलगंज से दोहरीघाट तक जाएंगी। दोनों बसें उपरोक्त दोनों रूटों पर प्रतिदिन फेरे लगाएंगी।

इन बसों के नियमित संचालन से इस मार्ग से दोहरीघाट गोला सिकरीगंज और गोरखपुर जिले तक आने जाने वाले यात्रियों को दो नई सरकारी बसों के नियमित संचालन की सौगात मिली है। जिससे क्षेत्र के यात्रियों का इन मार्गों पर आवागमन सुलभ हो सकेगा।

उक्त जानकारी देते हुए राप्ती नगर डीपो के एआरएम अशोक कुमार सिंह ने बताया कि यात्रियों को बेहतर और सुगम यात्रा की सुविधाएं उपलब्ध कराना ही उत्तर प्रदेश परिवहन निगम का लक्ष्य है। क्षेत्र की जरूरतों और यात्रियों की मांग के अनुरूप बसों का संचालन किया जाता है। खजनी मार्ग से बसों का संचालन आवश्यक था, अतः इस मार्ग पर अब कुल 8 नई बसों को चलाया जा रहा है।

बता दें कि इससे पहले भी खजनी मार्ग से प्रयागराज और वाराणसी तक आने जाने वाली कुल 6 बसों की सौगात मिली है, और इन बसों का निर्धारित मार्ग पर नियमित संचालन हो रहा है। यूपी रोडवेज द्वारा खजनी मार्ग से होकर अब तक कुल 8 नई बसों का नियमित संचालन शुरू कर दिया गया है। खजनी मार्ग से सरकारी बसों का संचालन शुरू होने पर तथा बसों की संख्या बढ़ाए जाने पर क्षेत्र के भाजपा नेता धरणीधर राम त्रिपाठी,आदर्श राम त्रिपाठी,राम अशीष बेलदार,श्रवण शेखर राम त्रिपाठी,सोनू मोदनवाल, सार्थक मोदनवाल, विष्णु मद्धेशिया आदि दर्जनों लोगों ने हर्ष जताया है।

कूंड़ा भरत गांव में आमी नदी के कन्हई पर पीपे के पुल का निर्माण

खजनी गोरखपुर।तहसील क्षेत्र के ग्रामसभा कूड़ाभरत के समीप आमी नदी के कन्हई घाट पर पीपे के पुल का निर्माण शुरू हो गया है। ग्राम प्रधान रमेश पासवान और ग्राम वासियों ने बताया कि पहले गांव के मल्लाह रामजतन निषाद के द्वारा पूजन कराने के बाद नदी में पीपा पड़ेगा।

गांव के बृज भूषण मिश्र ने पूजन संपन्न कराने के बाद प्रसाद वितरित किया। जिसके बाद ठेकेदार द्वारा कार्य प्रारंभ किया गया। बता दें कि अभी नदी के बीच में लगभग छह से सात पीपा डाला जाएगा,जिससे नदी में पानी बढ़ने पर भी आवागमन प्रभावित न हो।

पीपा पुल का निर्माण होने पर आसपास के आधा दर्जन गांवों के लोगों ने हर्ष जताया, पुल बनने के बाद इन गांवों की जिला मुख्यालय से दूरी भी कम हो जाएगी। इतना ही नहीं बल्कि इन गांवों के ज्यादातर किसानों के खेत आमी नदी के दूसरे छोर पर हैं, और फसल‌ तैयार हो जाने पर लोगों को नाव से उस पार जाना पड़ता है।

पीपा पुल के उद्घाटन के अवसर पर प्रेम शंकर त्रिपाठी,देवानंद पासवान (कोटेदार), धर्मेंद्र यादव, पीयूष त्रिपाठी,अंबरीश त्रिपाठी, अरविंद यादव,मेंहदी,तेज प्रतप त्रिपाठी,आशुतोष त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।

*अंत्येष्टि स्थल व सामुदायिक शौचालय के पैसे का हुआ बंदरबांट, यहां मानकों की भी उड़ाई गई धज्जियां*

गोरखपुर। खजनी तहसील क्षेत्र में बेलघाट ब्लॉक के जिगिनियां भियांव उर्फ शाहपुर गांव में पूर्व प्रधान और तत्कालीन सचिव की मिलीभगत से अंत्येष्टि स्थल और सामुदायिक शौचालय के निर्माण के लिए आए सरकारी धन का जमकर दुरूपयोग हुआ और बंदरबांट के चक्कर में निमार्ण कार्यों में मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए खूब मनमानी की गई। निर्माण कार्य मानक के अनुरूप नहीं किया गया,कार्य भी आधे अधूरे हाल में छोड़ दिए गए।

अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए पूर्व प्रधान और तत्कालीन सचिव ने अभिलेखों का ब्यौरा भी खंड विकास कार्यालय में नहीं दिया। वर्तमान प्रधान के द्वारा जब जिलाधिकारी से इसकी शिकायत की गई। और जब जांच हुई तो बड़े पैमाने पर हुए इस भ्रष्टाचार की पोल खुल गई। ग्राम पंचायत में समुदायिक शौचालय के निर्माण के लिए जो रुपया आया उसकी भी निकासी कर ली गई।

ग्रामप्रधान की शिकायत पर डीएम ने सीडीओ को पूर्व प्रधान और तत्कालीन सचिव को नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगने और एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया है।

ग्राम पंचायत अधिकारी लोकनाथ को विकास खंड बेलघाट में तैनाती के दौरान ग्राम जिगिनियां भियांव ऊर्फ शाहपुर में अंत्येष्टि स्थल और सामुदायिक शौचालय में पूर्व प्रधान के साथ सरकारी धन के दुरुपयोग की शिकायत मिली।

जिसके बाद बीडीओ ने तीन सदस्यों की कमेटी गठित कर जांच कराई। जांच रिपोर्ट के मुताबिक रिकार्ड अपूर्ण होने से जांच पूरी नहीं हो सकी। प्रथम दृष्ट्या कार्यों की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं मिली। 22 मार्च 2023 को बीडीओ ने अभिलेख उपलब्ध कराने को कहा लेकिन उसे नहीं दिया गया।

मामले में एडीओ पंचायत द्वारा भी बड़े पैमाने पर धन के दुरुपयोग की शिकायत की गयी थी। लेकिन रिकार्ड न होने से जांच नहीं हो सकी। अपने पूर्व सचिव को चार्ज न देना धन के अपवंचन की श्रेणी में आता है। इसके फलस्वरूप बीडीओ द्वारा भी एडीओ पंचायत को सचिव के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने को लिखा गया है।

वहीं डीपीआरओ आशुतोष कुमार ने सचिव को नोटिस जारी कर तीन दिन के अंदर स्पष्टीकरण देने को कहा है कि क्यों न उनके विरुद्ध विभागीय और प्राथमिकी की कार्रवाई शुरू की जाए।

आजादी के 76 वर्ष बाद भी गांव को रास्ते की तलाश

खजनी गोरखपुर।तहसील क्षेत्र के बांसगांव ब्लॉक के परसौनी ग्रामसभा के कलवारी गांव के निवासी 50 घरों के लोगों को देश की आजादी के 76 वर्ष बाद भी अपने घरों तक आने जाने के लिए राह मयस्सर नहीं हो पाई है।

देश प्रदेश में हो रहे चौतरफा विकास की खबरें गांव के इन सभी 50 घरों के निवासियों को मुंह चिढ़ाती हैं। ग्रामवासियों का कहना है कि जब हमें अपने घरों तक आने जाने के लिए कोई रास्ता ही नहीं है तो दुनियां भर की सड़कों और लंबे चौड़े रास्तों के बनने का क्या लाभ है।

बरसात के दिनों में अपने घरों तक पहुंचने के लिए नारकीय यातनाएं झेलने वाले ग्रामवासियों ने बताया कि 500 वर्षों की प्रतीक्षा के बाद राम मंदिर तो बन गया। लेकिन हमें अपनी जन्मभूमि तक पहुंचने की राह नहीं मिल पाई है।

गांव के निवासी द्वारिका नाथ शर्मा, महेंद्र शर्मा,फूल चंद शर्मा,विजय शर्मा,बाबू लाल यादव,स्वामी यादव, महेंद्र यादव,राजेश्वर शर्मा, गोपीनाथ शर्मा,राधेश्याम शर्मा, राजेंद्र शर्मा, महगू यादव,देवदत्त शर्मा सहित लगभग 50 लोगों के घर तक आने जाने का रास्ता नहीं है।

गांव के मंदिर तक जाने का रास्ता भी नहीं है। इन लोगों का अपने घरों तक पैदल पहुंचना भी दुश्वार है बरसात के समय में आने-जाने की स्थिति और भी बदतर हो जाती है।

बताया गया कि परसौनी ग्रामसभा के कलवारी गांव में मनरेगा द्वारा प्रधान कोटे से वर्ष 2012 के पहले रोड पर मिट्टी डालकर निर्माण हो चुका था। किंतु गांव के कुछ दबंगों लोगों के द्वारा उस चकरोड को काटकर फिर से अपने खेतों में मिला लिया गया। जिसकी शिकायत वर्तमान प्रधान रामवती के द्वारा जिला अधिकारी से की गई थी। उसके बाद गांव के द्वारकानाथ शर्मा के द्वारा दर्जनों लोगों के हस्ताक्षर के साथ जिलाधिकारी,उप जिलाधिकारी,मंडलायुक्त,मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर आॅनलाइन शिकायत की गई।

किन्तु हर बार उसका कागजी समाधान कर दिया गया और उसका कुछ परिणाम नहीं निकला। चकरोड से मुख्य संपर्क मार्ग तक पहुंचने के लिए सिर्फ 50 मीटर सड़क बनानी है। लेकिन आजादी के बाद से अब तक रोड न बन पाने से लोग आवागमन के लिए नरकीय यातनाएं झेलने को विवश हैं।

बता दें कि परसौनी ग्रामसभा विकास खंड बांसगांव तथा खजनी तहसील क्षेत्र का हिस्सा है। जनप्रतिनिधियों और स्थानीय प्रशासन के द्वारा कभी लोगों की इस मौलिक समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया। हताश, निराश हो चुके ग्रामवासियों ने बताया कि प्रशासन चाहे तो सहमति से रास्ते का निर्माण किया जा सकता है, लेकिन उपेक्षा के कारण कभी गंभीरता पूर्वक हमारी इस समस्या पर विचार ही नहीं किया गया।

अधिकारी सिर्फ कागजी खानापूर्ति और विवाद का हवाला देकर मामले में टालमटोल करते रहे हैं।76 वर्ष बाद भी दुर्भाग्य है कि हमारे घरों तक चार पहिया वाहन नहीं पहुंच पाते हैं।

इस संदर्भ में उप जिलाधिकारी खजनी राजू कुमार ने कहा कि रास्ते का मामला गंभीर है, हम स्वयं गांव में जा कर या टीम भेज कर जांच करेंगे। समस्या का समाधान कराया जाएगा।

समय से पहचान होने पर जल्दी ठीक हो जाते हैं एचआईवी ग्रसित टीबी मरीज

गोरखपुर।एचआईवी से ग्रसित टीबी मरीजों के ठीक होने में समय लगता है और उन्हें जटिलताएं भी कहीं ज्यादा होती हैं, लेकिन समय से इस सहरूग्णता की पहचान हो जाए तो ऐसे टीबी मरीज भी जल्दी ठीक हो सकते हैं । बीते पांच वर्षों में स्वास्थ्य विभाग ने एचआईवी ग्रसित ऐसे 480 टीबी मरीजों की पहचान कर उन्हें इलाज की सुविधा से जोड़ा है ।

जिले में इस समय एचआईवी ग्रसित 55 टीबी मरीजों का इलाज जारी है । टीबी की पहचान होने पर प्रत्येक मरीज की एचआईवी जांच और एचआईवी के साथ टीबी का लक्षण दिखने पर मरीज की टीबी जांच अनिवार्य है ।

पिपराईच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की एचआईवी कांउसर मनीषा से परामर्श ले रहे 35 वर्षीय एचआईवी मरीज हितेश (काल्पनिक नाम) मुंबई में पेंटिंग का काम करते थे । कोविड के समय वह गोरखपुर लौट आए।

फरवरी 2023 में तीन हफ्ते के बुखार, कमजोरी और शरीर में फफोले आदि की दिक्कत हुई तो पिपराईच सीएचसी पर चिकित्सक ने उनकी एचआईवी जांच कराई। उनमें एचआईवी संक्रमण से होने वाली बीमारी एड्स की पुष्टि हुई। उनकी दवा बीआरडी मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर से शुरू की गयी ।

दवा चलने के बावजूद मार्च 2023 में उन्हें बुखार की दिक्कत बनी रही और खांसी भी आने लगी । मेडिकल कॉलेज में ही उनकी टीबी जांच भी कराई गई तो उनके भीतर फेफड़े के टीबी की पुष्टि हुई । वह बताते हैं कि एचआईवी की दवा तो बीआरडी मेडिकल कॉलेज से चलती रही लेकिन टीबी की एक माह की दवा देकर आगे की दवा के लिए उन्हें पिपराईच सीएचसी रेफर कर दिया गया । उन्हें हर महीने टीबी की दवा सीएचसी से ही मिलती रही ।

एचआईवी काउंसलर मनीषा टीबी के इलाज के दरम्यान उनके गांव का विजिट कर पूरी गोपनीयता के साथ उन्हें परामर्श देती रहीं ।

हितेश बताते हैं कि जब उनकी पत्नी को पता चला कि उन्हें एचआईवी और टीबी दोनों है तो वह उनकी इकलौती बेटी के साथ मायके चली गयी। ससुराल वालों ने पत्नी को वापस भेजने से मना कर दिया। जांच में पत्नी और बच्ची टीबी एवं एचआईवी निगेटिव थे।

परिवार दूर हो जाने पर वह जिंदगी से इतना निराश हो गये कि कई बार आत्महत्या का ख्याल मन में आया, लेकिन काउंसलर ने उन्हें समझाया की टीबी छह माह में ही ठीक हो जाएगी । एचआईवी की दवा लगातार लेते रहेंगे और जीवनचर्या सही रखेंगे तो वह लम्बे समय तक जी सकते हैं ।

निक्षय पोषण योजना के तहत उन्हें 500 रुपये प्रति माह के हिसाब से 3000 रुपये उनके खाते में भी आए जो उनके पौष्टिक खानपान में सहारा बने। वह किसी प्रकार नशा आदि नहीं करते हैं जिसकी वजह से उन्हें ठीक होने में और आसानी हुई । टीबी की दवा अब बंद हो चुकी है और एचआईवी के लिए एक गोली रोज खाते हैं।

दोनों का इलाज साथ साथ जरूरी

जिला क्षय और एड्स नियंत्रण अधिकारी डॉ गणेश यादव का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग प्रत्येक टीबी मरीज की एचआईवी जांच करवाता है। एचआईवी की पुष्टि होने पर टीबी और एचआईवी की दवा साथ साथ चलती है । ऐसा करने से टीबी मरीज जल्दी ठीक हो जाता है और उसका जटिलताओं से भी बचाव होता है ।

निजी अस्पतालों में इलाज करवाने वाले टीबी मरीजों को भी चिकित्सक की सहमति से इस जांच की सुविधा सरकारी अस्पतालों में दी जा रही है । एचआईवी ग्रसित टीबी मरीजों के जीवनसाथी की भी जांच कराई जाती है ।

टीबी के लक्षण

• दो सप्ताह से अधिक की खांसी

• पसीने के साथ बुखार

• अत्यधिक कमजोरी

• भूख न लगना

• बलगम में खून आना

• सीने में दर्द

एचआईवी के लक्षण

• वजन का कम होना

• एक महीने से अधिक बुखार आना

• एक महीने से अधिक का दस्त

एड्स के लक्षण

• लगातार खांसी

• चर्म रोग

• मुंह एवं गले में छाले होना

• लसिका ग्रंथियों में सूजन एवं गिल्टी

• याददाश्त खोना

• मानसिक क्षमता कम होना

• शारीरिक शक्ति का कम होना