दुमका : जनजाति सुरक्षा मंच की महारैली 16 को, केंद्र में होगा डी -लिस्टिंग का मुद्दा
दुमका : जनजाति समाज की अस्मिता एवं अस्तित्व के संरक्षण के मुद्दे पर 16 दिसम्बर को जनजाति सुरक्षा मंच की ओर से आयोजित रैली की तैयारियां शुरू कर दी गयी है। इस महरैली में डी-लिस्टिंग बिल का मुद्दा केंद्र में होगा। गुरुवार को एक प्रेस वार्ता में मंच के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजकिशोर हांसदा ने कहा कि धर्मांतरित व्यक्ति को अनुसूचित जनजाति सूची से हटाए जाने के लिए जनजाति सुरक्षा मंच देशभर में 2006 से लगातार आन्दोलनरत है।
यह मंच अब तक 221 जिलों में जिला रैली एवं 14 राज्यों में प्रांत स्तर की रैलियों का आयोजन कर चुका है। इन रैलियों में लगभग 60 हजार गांव में सम्पर्क किया गया एवं 10 लाख से अधिक लोगों की भागीदारी रही है। कहा कि दुमका में 16 दिसम्बर को होने वाली रैली के बाद आनेवाले दिनों में कुछ अन्य राज्यों में भी प्रांत स्तरीय रैलियाँ होनी है।
उन्होंने कहा कि जनजाति सुरक्षा मंच पूरे देश में जनजाति समाज की अस्मिता एवं अस्तित्व के संरक्षण के लिए संघर्ष कर रहा है। जनजातियों के हक, अधिकार और न्याय के लिए प्रयासरत है।
कहा कि रैली के माध्यम से पुरखों की संस्कृति ही हमारे हक के संवैधानिक आधार का आह्वान किया जाएगा। कहा कि अनुसूचित जाति की तरह अनुसूचित जनजाति से ईसाई और इस्लाम में धर्मांतरित सदस्यों के डी-लिस्टिंग की मांग की जाएगी क्योंकि वे लोग कानूनन अल्पसंख्यक हो गए हैं। 1970 से डी-लिस्टिंग बिल, संसद में लम्बित हैं। उसे अब पारित कराने की मांग की जाएगी।
उन्होंने कहा कि सात बिन्दुओं पर मुख्यतया इस डी-लिस्टिंग महारैली में फोकस किया जायेगा। जिला संयोजक माइकल मुर्मू ने कहा कि अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण, संरक्षण एवं विकास के फण्ड संबधित संवैधानिक अधिकार वे लोग छीन रहे हैं जो पात्र नहीं है। जो मानक पर खरे नहीं उतरते हैं। ऐसे धर्मांतरित लोगों की संख्या कुल जनजातियों की 10 प्रतिशत से कम है परंतु ये लोग 70 प्रतिशत अधिकारों को हड़प रहे हैं। इस ऐतिहासिक अन्याय के विरूद्ध जनजाति समाज ने यह आन्दोलन खड़ा किया है। मौके पर कार्यक्रम सह संयोजक संतोष पुजहर सहित अन्य मौजूद थे।
(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)
Nov 30 2023, 21:25