पॉलिथीन एवं सिंगल यूज प्लास्टिक के बर्तनों के बहिष्कार के साथ मनाए सामाजिक सद्भावना का त्यौहार छठ
बेतिया: सामाजिक सद्भावना का त्योहार छठ के अवसर पर नगर निगम बेतिया पश्चिम चंपारण, सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन , मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट , कैलाश सत्यार्थी फाऊंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया।
इस अवसर पर ब्रांड एंबेस्डर स्वच्छ भारत मिशन सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता ,डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, डॉ शाहनवाज अली, डॉ अमित कुमार लोहिया, वरिष्ठ पत्रकार सह संस्थापक मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट डॉ अमानुल हक , डॉ नीरज गुप्ता ब्रांड एंबेसडर ,सामाजिक कार्यकर्ता नवीदूं चतुर्वेदी, अतिथियों एवं बुद्धिजीवियों ने आम जनमानस से अपील करते हुए कहा कि पॉलिथीन एवं सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग सामाजिक सद्भावना का त्योहार छठ के अवसर पर न करें क्योंकि पॉलिथीन एवं सिंगल यूज प्लास्टिक के बर्तनों से कैंसर जैसे अनेक घातक बीमारियों होने के लक्षण पाए जा रहे हैं। जो चिंता का विषय है। अवसर पर वक्ताओं ने छठ के त्यौहार पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वच्छता एवं स्वच्छता एवं पर्यावरण को समर्पित है समर्पित है सामाजिक सद्भावना का त्योहार छठ। छठ पर्व, छइठ या षष्ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक महान पर्व है।सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। कहा जाता है यह पर्व मैथिल,मगध एवं भोजपुरी लोगो का सबसे बड़ा पर्व है ये उनकी संस्कृति है। छठ पर्व बिहार मे बड़े धुम धाम से मनाया जाता है।
ये एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है। छठ बिहार की संस्कृति का हिस्सा हैं। यहा पर्व बिहार कि वैदिक आर्य संस्कृति की एक झलक हैं। ये पर्व मुख्यः रुप से ॠषियो द्वारा लिखी गई ऋग्वेद मे सूर्य पूजन, उषा पूजन एवं आर्य परंपरा के अनुसार बिहार एवं भारत के विभिन्न हिस्सों मे यहा पर्व मनाया जाता हैं। धीरे-धीरे यह त्योहार प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ विश्वभर में प्रचलित हो गया है।छठ पूजा सूर्य, प्रकृति,जल, वायु और उनकी बहन छठी मइया को समर्पित है ताकि उन्हें पृथ्वी पर जीवन की देवतायों को बहाल करने के लिए धन्यवाद है, छठी मैया, जिसे मिथिला में रनबे माय भी कहा जाता है, भोजपुरी में सबिता माई और बंगाली में रनबे ठाकुर बुलाया जाता है। पार्वती का छठा रूप भगवान सूर्य की बहन छठी मैया को त्योहार की देवी के रूप में जाना जाता है। यह चंद्र के छठे दिन काली पूजा के छह दिन बाद छठ मनाया जाता है। मिथिला में छठ के दौरान मैथिल महिलाएं, मिथिला की शुद्ध पारंपरिक संस्कृति को दर्शाने के लिए बिना सिलाई के शुद्ध सूती धोती पहनती हैं।
त्यौहार के अनुष्ठान कठोर हैं और चार दिनों की अवधि में मनाए जाते हैं। इनमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी (वृत्ता) से दूर रहना, लंबे समय तक पानी में खड़ा होना, और प्रसाद (प्रार्थना प्रसाद) और अर्घ्य देना शामिल है। परवातिन नामक मुख्य उपासक (संस्कृत पार्व से, जिसका मतलब 'अवसर' या 'त्यौहार') आमतौर पर महिलाएं होती हैं। हालांकि, बड़ी संख्या में पुरुष इस उत्सव का भी पालन करते हैं क्योंकि छठ लिंग-विशिष्ट त्यौहार नहीं है। छठ महापर्व के व्रत को स्त्री - पुरुष - बुढ़े - जवान सभी लोग करते हैं। कुछ भक्त नदी के किनारों के लिए सिर के रूप में एक प्रोस्टेशन मार्च भी करते हैं।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि पर्यावरणविदों का दावा है कि छठ सबसे पर्यावरण-अनुकूल त्यौहार है।यह त्यौहार नेपाली एवं भारतीय लोगों द्वारा श्रद्धा एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
Nov 21 2023, 16:52