इस्लामी कला का अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों ने की अपील
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बेतिया: इस्लामिक कला का अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।जिसमें मे विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया ।
इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ,डॉ शाहनवाज अली, डॉ अमित कुमार लोहिया, मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट संस्थापक डॉ अमानुल हक, सामाजिक कार्यकर्ता नवीदूं चतुर्वेदी, पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन, डॉ महबूब उर रहमान ने संयुक्त रूप से कहा कि इस्लामिक कला के संरक्षण के लिए 2019 में यूनेस्को के सामान्य सम्मेलन के 40 वें सत्र में घोषित किया गया था। हर साल 18 नवंबर को युनेस्को, विभिन्न सामाजिक संगठनों एवं विभिन्न सरकारों द्वारा मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य इस्लाम के अतीत और समकालीन कलात्मक अभिव्यक्तियों और सभ्यता के लिए इस्लामी कला के माध्यम से संस्कृति के योगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
भारत समेत विश्व के अनेक देशों मे मध्यकालीन कला एवं संस्कृति को संरक्षण करने का प्रयास किया है। लेकिन अभी भी बहुत कुछ संरक्षित करना बाकी है।
इस्लामिक कला के अंतर्राष्ट्रीय दिवस का विश्वव्यापी उत्सव न केवल इस्लामी कला की प्रशंसा को प्रोत्साहित करता है, जिसने अन्य कलात्मक आंदोलनों को प्रेरित किया है, बल्कि सांस्कृतिक विविधता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा और अंतर-सांस्कृतिक संवाद में भी योगदान देता है। इस्लामिक कला का अंतरराष्ट्रीय दिवस को चिह्नित करना भी लोगों के बीच सहिष्णुता को बढ़ावा देने और सांस्कृतिक मेलजोल का समर्थन करने का एक तरीका है, जो कला की शक्ति के माध्यम से संभव है।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा किइस्लामिक कला के अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर यूनेस्को हर किसी को संवाद, सम्मेलन, कार्यशाला, सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रस्तुतियों या प्रदर्शनियों जैसी विभिन्न गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करता है।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि कोरोना संक्रमण के काल बाद लगभग 2 वर्षों के अंतराल के बाद"दुसरे वर्ष, हम इस्लामिक कला के अंतर्राष्ट्रीय दिवस को चिह्नित कर रहे हैं। भारत में सल्तनत कालीन इस्लामी कला एवं धरोहरों उचित देखरेख के अभाव यूनेस्को एवं भारत सरकार के प्रयासों के बाद भी नष्ट हो रहे हैं। भारत, दुनिया के अन्य देशों में भी यूनेस्को एवं सरकारों के प्रयासों के माध्यम से इस दिशा में रचनात्मक कार्य किए जा रहे हैं।
Nov 18 2023, 17:27