सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में एक सर्वधर्म प्रार्थना सभा का किया गया आयोजन
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प्रथम स्वतंत्रा संग्राम 1857 के महानायक महान स्वतंत्रता सेनानियों भारत के आखिरी मुग़ल शासक बहादुर शाह ज़फ़र द्वितीय (मिर्ज़ा अबूज़फ़र सिराजुद्दीन मुहम्मद बहादुर शाह ज़फ़र) की 161 वीं पुण्यतिथि पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन। आज दिनांक 7 नवंबर 2023 को सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में एक सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया ।
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इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता ,डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, डॉ शाहनवाज अली, डॉ अमित कुमार लोहिया ,वरिष्ठ पत्रकार सह संस्थापक मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट डॉ अमानुल हक , सामाजिक कार्यकर्ता नवीदूं चतुर्वेदी ,पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन ,डॉ महबूब उर रहमान ने संयुक्त रूप से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज ही के दिन प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के महानायक महान स्वतंत्रता सेनानी बहादुर शाह जफर का निधन हुआ था।
उनका सारा जीवन भारत , हिन्दू मुस्लिम एकता, अखंडता संप्रभुता एवं भारत की स्वाधीनता के लिए समर्पित रहा है । 7 नवंबर 1862 की सुबह 5 बजे उनका देहांत हो गया था।सैयद मेहदी हसन अपनी किताब 'बहादुर शाह ज़फ़र ऐंड द वॉर ऑफ़ 1857 इन डेली' में लिखते हैं कि बहादुर शाह के कर्मचारी अहमद बेग के अनुसार 26 अक्तूबर 1862से ही उनकी तबीयत नासाज़ थी और वो मुश्किल से खाना खा पा रहे थे।
"दिन पर दिन उनकी तबीयत बिगड़ती गई और 2 नवंबर को हालत काफी बुरी हो गई थी. 3 नवंबर को उन्हें देखने आए डॉक्टर ने बताया कि उनके गले की हालत बेहद ख़राब है और थूक तक निगल पाना उनके लिए मुश्किल हो रहा है."।
सैयद मेहदी हसन लिखते हैं कि 6 नवंबर को डॉक्टर ने बताया कि वो लगातार कमज़ोर होते जा रहे हैं। 7नवंबर 1862 को उनकी मौत हो गई. जब उनकी मौत हुई वो अंग्रेज़ों की कैद में भारत से दूर रंगून में थे।
"रंगून में जिस घर में बहादुर शाह ज़फ़र को क़ैद कर के रखा गया था उसी घर के पीछे उनकी कब्र बनाई गई और उन्हें दफनाने के बाद कब्र की ज़मीन समतल कर दी गई. इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि बहादुर शाह जफर की यह अंतिम इच्छा थी कि उनका कब्र भारत की राजधानी दिल्ली में हो ।
उसके लिए उन्होंने जगह भी निर्धारित कर रखी थी। महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस ने अपने रंगून यात्रा में बहादुर शाह जफर के कब्र पर यह संकल्प लिया था कि भारत की स्वाधीनता के बाद बहादुर शाह जफर को पुनः दिल्ली में दफनाया जाएगा। इस अवसर पर वक्ताओं ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि बहादुर शाह जफर को पुनः रंगून से दिल्ली में दफनाया जाए । ताकि ताकि भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी बहादुर शाह जफर एवं महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के सपनों को साकार किया जा सके।
Nov 08 2023, 19:06