स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी अमर शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों को दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि
बेतिया: सिंगापुर में आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस एवं आजाद हिंद फौज द्वारा सिंगापुर में भारत की स्वतंत्र सरकार स्थापित करने की 81 वीं स्थापना दिवस के अवसर पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया ,जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवीयो एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया।
इस अवसर पर सर्वप्रथम आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी, अमर शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता ,डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ,डॉ शाहनवाज अली, डॉ अमित कुमार लोहिया, वरिष्ठ पत्रकार सह संस्थापक मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट डॉ अमानुल हक, सामाजिक कार्यकर्ता नवीदूं चतुर्वेदी ,पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन एवं डॉ महबूब उर रहमान ने संयुक्त रूप से कहा कि 21 अक्टूबर 1943 आज ही के दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में आजाद भारत की अस्थायी सरकार बनाई थी। इस सरकार के गठन के बाद उन्होंने फिर नए सिरे से आजाद हिंद फौज को खड़ा किया।
उनकी सरकार एवं आजाद हिंद फौज ने फिर अंग्रेजों की विरूद्ध आंदोलन आरंभ किया। 21 अक्टूबर 1943 के दिन भारतीय स्वतंत्रता लीग के प्रतिनिधि सिंगापुर के कैथे सिनेमा हाल में स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार की स्थापना की। ऐतिहासिक घोषणा सुनने के लिए इकट्ठे थे। हाल खचाखच भरा था. खड़े होने के लिए इंच भर भी जगह नहीं थी।पुरी दुनिया में बसे भारतीयों एवं स्वतंत्रता प्रेमीयो की निगाहें इस घोषणा पर लगी थी।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि घड़ी में जैसे ही शाम के 04 बजे. मंच पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस खड़े हुए. उन्हें एक खास घोषणा की. ये घोषणा 1500 शब्दों में थी, जिसे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने दुनिया भर से आए स्वतंत्रता प्रेमीयो के समक्ष रखा।
घोषणा में सुभाष चन्द्र बोस ने कहा कि, “अस्थायी सरकार का काम होगा कि वो भारत से अंग्रेजों और उनके मित्रों को निष्कासित करे. अस्थायी सरकार का ये भी काम होगा कि वो भारतीयों की इच्छा के अनुसार और उनके विश्वास के अनुसार आजाद हिंद की स्थाई सरकार का निर्माण करे.”।
नेताजी ने तीन पद संभाले थे।
अस्थायी सरकार में सुभाष चंद्र बोस प्रधानमंत्री बने और साथ में युद्ध और विदेश मंत्री भी. इसके अलावा इस सरकार में तीन और मंत्री थे. साथ ही एक 16 सदस्यीय मंत्रि स्तरीय समिति थी. अस्थायी सरकार की घोषणा करने के बाद भारत के प्रति निष्ठा की शपथ ली गई थी।
हर कोई भावुक था जब सुभाष निष्ठा की शपथ लेने के लिए खड़े हुुए तो कैथे हाल में हर कोई भावुक था. वातावरण निस्तब्ध. फिर सुभाषचंद्र बोस की आवाज गूंजी, “ईश्वर के नाम पर मैं ये पावन शपथ लेता हूं कि भारत और उसके 38 करोड़ निवासियों को स्वतंत्र कराऊंगा. “
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की आंखों से बहने लगे ।आंसू
के बाद नेताजी रुक गए. उनकी आवाज भावनाओं के कारण रुकने लगी. आंखों से आंसू बहकर गाल तक पहुंचने लगे. उन्होंने रूमाल निकालकर आंसू पोछे. उस समय हर किसी की आंखों में आंसू आ गए. कुछ देर सुभाष को भावनाओं को काबू करने के लिए रुकना पड़ा था।
सुभाष चंद्र बोस ने कहा
आखिरी सांस तक लड़ता रहूंगा
फिर उन्होंने पढ़ना शुरू किया, “मैं सुभाष चंद्र बोस, अपने जीवन की आखिरी सांस तक स्वतंत्रता की पवित्र लड़ाई लडता रहूंगा. मैं हमेशा भारत का सेवक रहूंगा. 38 करोड़ भाई-बहनों के कल्याण को अपना सर्वोत्तम कर्तव्य समझूुंगा.”
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अस्थायी सरकार बनाने के साथ आजाद हिंद फौज में नई जान भी फूंकी. इसका मुख्यालय भी उन्होंने सिंगापुर में ही बनाया था।
“आजादी के बाद भी मैं हमेशा भारत की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपने रक्त की आखिरी बूंद बहाने को तैयार रहूंगा.” नेताजी के भाषण के बाद देर तक “इंकलाब जिंदाबाद”, “आजाद हिंद जिंदाबाद” के आसमान को गूंजा देने वाले नारे गूंजते रहे थे।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि 07 देशों ने तुरंत मान्यता दे दी थी । अनेक देशों ने मान्यता देना का वादा किया था।
बोस की इस सरकार को जर्मनी, जापान, फिलीपीन्स, कोरिया, इटली, मांचुको और आयरलैंड ने तुरंत मान्यता दे दी. जापान ने अंडमान और निकोबार द्वीप इस अस्थायी सरकार को दे दिए। नेताजी उन द्वीपों में गए. उन्हें नया नाम दिया. अंडमान का नया नाम शहीद द्वीप और निकोबार का नाम स्वराज्य द्वीप रखा गया. 30 दिसंबर 1943 को इन द्वीपों पर आजाद भारत का झंडा भी फहरा दिया गया।
Oct 26 2023, 16:24