*सामुदायिक शौचालय: धरातल पर पूरे, प्रयोग में अधूरे*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। कालीन नगरी में स्वच्छ भारत मिशन की मुहिम रास्ते से भटक चुकी है। करोड़ों की लागत से बने सामुदायिक शौचालय समूहों और ग्राम पंचायतों की मनमानी से शोपीस बनकर रह गई हैं। 661 शौचालयों में 50 तकनीकी कारणों व पानी की कमी से शुरू नहीं हो सके। जो पूर्ण हैं वहां समूहों की लापरवाही से ताला लटका रहता है।
वर्ष 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता की मुहिम शुरू की। इसके बाद जिले में युद्ध स्तर पर दो लाख 35 हजार एकल शौचालय बनाए गए। जिन पर करोड़ों की धनराशि खर्च की गई। मानक का पालन न होने से 50 फीसदी से अधिक एकल शौचालय ध्वस्त हो गए। उसके बाद छह से 12 लाख की लागत से हर ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय का निर्माण शुरू हुआ।
आबादी के हिसाब से 546 ग्राम पंचायतों में 661 सामुदायिक शौचालय बनने शुरू हुए। जमीनी विवाद के कारण कुछ को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर कागजों में पूर्ण हो चुके हैं। धरातल पर उसके ढांचे भी दिख रहे हैं। बाहर से चमक-धमक वाले कई सामुदायिक शौचालय अंदर से अभी तक अधूरे हैं। पानी संग अन्य सुविधाएं न होने से लोगाें को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। एक दो नहीं कई ऐसे शौचालय हैं जहां आसपास झाड़ियां तक उग गई हैं।
Sep 19 2023, 14:56