*धान में लगे सूड़ी कीट तो किसान न हों परेशान, इसका है बहुत बढ़िया समाधान, जानिए क्या*
नितेश श्रीवास्तव
भदोही। मानसूनी बारिश न होने से धान की फसल में अब तमाम प्रकार के कीट और रोग लगने भी शुरू हो गए हैं। वर्तमान में फसलों को सूड़ी नामक कीट नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे बचाव के लिए विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है।कृषि विशेषज्ञ रामेश्वर सिंह ने बताया कि जड़ की सूड़ी (रूट बीबिल) कीट फसलों को काफी नुकसान पहुंचाता है। यह चावल के आकार की होती है, जो पौधों के जड़ों में पाई जाती है।
ये कीट जड़ों के तथा मुख्य तने के रसों को चूसकर पौधों को सूखा देती है, जिसके कारण पौधे मृतप्राय हो जाते हैं। उन्होंने उपचार के लिए कहा कि किसान कार्वोफ्यूरॉन-3जी को 18-20 किग्रा प्रति हेक्टेयर अथवा क्लोरोपायरीफॉस 2.500-3.000 लीटर प्रति हेक्टेयर एवं कारटॉप हाइड्रोक्लोराइड 4 प्रति0 दानेदार रसायन 17-18 किग्रा0 प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें।
उन्होंने तना भेदक कीट के संबंध में बताया है कि इस कीट की सूड़ियां ही हानिकारक होती हैं। पूर्ण विकसित सूड़ी हल्के पीले शरीर वाली तथा नारंगी पीले सिर वाली होती है। इसके आक्रमण के फलस्वरूप फसल की वानस्पतिक अवस्था में मृत गोभ तथा बाद में प्रकोप होने पर सफेद बाली बनती है। बताया कि पांच प्रतिशत मृत गोभ अथवा एक अंडे का झुंड वानस्पतिक अवस्था में तथा एक पतंगा/वर्ग मीटर बाल निकलने की व्यवस्था में दिखाई पड़ने पर कारटॉप हाइड्रोक्लोराइड चार प्रति हेक्टेयर में 17-18 किलो का छिड़काव करना चाहिए।
Aug 23 2023, 13:56