नव वर्ष के अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद की काव्य गोष्ठी
मिर्ज़ापुर। विक्रम सम्वत 2080 नव वर्ष के शुभ अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद, मिर्ज़ापुर के तत्वावधान में डी डी मेमोरियल हॉस्पिटल के अतिथि हाल में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में मुख्य अतिथि डॉ अनुज प्रताप सिंह ने नव संवत्सर के विषय में विस्तार से चर्चा करते हुए उसके इतिहास और महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने नवरात्रि में देवी पूजा एवं रामनवमी पर राम जन्मोत्सव की भारतीय परंपरा की प्रशंसा करते हुए लोगों के चरित्र निर्माण पर बल दिया। काव्यपाठ के क्रम में डॉ अनुज प्रताप सिंह ने सुनाया- लौट नहीं सकता/ समाचार पत्रों की / सूचनाओं से/ मेरा गया हुआ सम्मान/ मिट्टी में मिली प्रतिष्ठा/ चूर चूर हुई परम्परा/लुटा हुआ मेरा सर्वस्व।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ नीरज त्रिपाठी ने नव वर्ष व नवरात्रि की शुभकामना देते हुए सुनाया- नव विहान, नव वितान, हर्षित तन, प्रमुदित मन, उल्लसित हृदय, पूर्णता प्रभु काज की। मद्धिम पदचाप है आते रामराज्य की। विशिष्ट अतिथि भोलानाथ कुशवाहा ने नवगीत सुनाया - राष्ट्र की नव चेतना का युग बनाना है हमें। नई बेला में बदलना अब जमाना है हमें। विशिष्ट अतिथि केदारनाथ सविता ने पढ़ा- खेलने की उम्र कोई नहीं होती, केवल खिलौना बदल जाता है, खेल बदल जाता है। कोई खेलता है वक्त से, कोई जिंदगी से खेलता चला जाता है।
कवयित्री नंदिनी वर्मा ने गीत सुनाया- काश वो पल लौट आते, लौट आते वो नज़ारे। हम अकेले चल दिये, सब रह गए पीछे हमारे। आनंद अमित ने ग़ज़ल पढ़ा- दर्द सीने में दबाये रखिये। ये भी दौलत है बचाये रखिये। ललित मिश्रा ने व्यंग्य कविता सुनाया- ठग धन, मग धन, लूट धन, और घूस धन खान। बिना घूस के जानिए, सब धन धूल समान।
काव्यगोष्ठी का संचालन आनंद अमित ने किया। गोष्ठी शाम 7 बजे से प्रारंभ होकर रात 8:30 तक चली जिसमें अखिल भारतीय साहित्य परिषद, मिर्ज़ापुर के अध्यक्ष राजपति ओझा, मिलन कुमार व अन्य गणमान्य लोगों की उपस्थिति रही। अंत में आनंद अमित ने सभी का धन्यवाद प्रकट किया
Mar 23 2023, 21:58