साई कॉलेज में मनाया गया विश्व युवा कौशल दिवस

अम्बिकापुर- तकनीक और कौशल युवाओं को विकसित भारत के रास्ते पर ले जायेगा। युवा जितना सशक्त होगा देश उतना ही मजबूत होगा। यह बातें विश्व युवा कौशल दिवस के उपलक्ष्य पर श्री साई बाबा आदर्श स्नातकोत्तर महाविद्यालय और नेहरू युवा केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान संस्था के प्राचार्य डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने कही।

मेरा युवा भारत के आयोजन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि नई तकनीकी चुनौतियों के साथ आती हैं जिन्हें सीखना और स्वीकारना होगा। वही तकनीक समाज में युवाओं के बीच स्थायी रहती है जो युवाओं के कौशल विकास में भागीदारी करती है। एआई और डिजीटल कौशल के माध्यम से युवा सशक्तीकरण थीम को बताते हुए उन्होंने कहा कि हमें एआई (कृत्रिम बुद्धि) की ओर जाना होगा जो हमारे ज्ञान में सम्बल है। इससे पहले अतिथियों ने मां सरस्वती और श्री साई नाथ के तस्वीर पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए आईक्यूएसी समन्वयक डॉ. आर.एन. शर्मा ने कहा कि ज्ञान तकनीकी के रास्ते ही मानवीय बनता है। उसका उपयोग भी मनुष्य के लिए ही है। हम जब तकनीक के साथ काम करते हैं तो सदियों के अनुंसधान हमारे साथ होते हैं।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कम्प्यूटर एंड आईटी के अधिष्ठाता डॉ.विवेक कुमार गुप्ता ने कहा कि तकनीकी को उपयोग और जीवन के लिए उपयोग कीजिये। एआई और डिजीटल दुनिया में ज्ञान का अथाह भंडार है जिसमें अपने मतलब और उपयोग के तथ्यों को तलाशना होगा। तकनीक का उपयोग सकारात्मक भी और नकारात्मक भी है। उन्होंने ऑनलाइन होने वाले डिजीटल अरेस्ट के प्रति सावधान भी किया। डॉ. गुप्ता ने कहा कि परम्परागत अध्ययन से बाहर निकल कर हाईब्रिड अध्ययन की बढ़ना होगा।

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ यंग साईंटिस्ट कांग्रेस 2025 में विषय विशेषज्ञ डॉ. शैलेष देवांगन, चांदनी व्यापारी को प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक देवेन्द्र दास सोनवानी ने किया। इस अवसर पर शिक्षा विभाग के डॉ. दिनेश शाक्य, डॉ. डॉली शर्मा, डॉ. जसप्रीत तथा सभी प्राध्यापक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

चार बच्चों की डूबने से मौत पर उच्च न्यायालय सख्त, घटना पर स्वत: संज्ञान लिया, मुख्य सचिव से मांगा जवाब

रायपुर/जांजगीर-चांपा- छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में भाई-बहन समेत चार मासूम बच्चों की तालाब में डूबने से हुई मौत के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। इस हृदयविदारक घटना को लेकर अदालत ने राज्य सरकार की जिम्मेदारी तय करते हुए मुख्य सचिव से व्यक्तिगत शपथ पत्र में जवाब तलब किया है।

गौरतलब है कि बीते शनिवार, जब बच्चे स्कूल से लौट रहे थे, वे पास के एक तालाब में नहाने चले गए और चारों की डूबने से मौत हो गई। यह मामला मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान सामने आया।

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा,

“यह कितनी शर्मनाक बात है कि स्कूल से लौटते समय चार बच्चे पानी में डूब जाते हैं… क्या यह सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं?”

अदालत ने इस घटना के साथ-साथ मीडिया में छपी एक अन्य रिपोर्ट का भी संज्ञान लिया, जिसमें स्कूली बच्चों को जान जोखिम में डालकर नाले को पार कर स्कूल जाते हुए दिखाया गया था। दोनों घटनाओं पर चिंता जताते हुए कोर्ट ने बच्चों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन की गंभीर लापरवाही पर सवाल उठाए हैं।

मुख्य सचिव को आदेश दिया गया है कि वे व्यक्तिगत रूप से हलफनामा दाखिल कर बताएं कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार ने अब तक क्या कदम उठाए हैं।

विधानसभा में जल जीवन मिशन पर गरमा गई सियासत: आंकड़ों की जंग में विपक्ष का वॉकआउट

रायपुर- छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान जल जीवन मिशन को लेकर सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिली। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने योजना के क्रियान्वयन को लेकर सरकार से तीखे सवाल पूछे और खर्च की गई राशि व लक्ष्यों की उपलब्धि पर संदेह जताया।

भूपेश बघेल ने पूछा कि वर्ष 2022-23, 2023-24 और 2024-25 के दौरान जल जीवन मिशन के तहत कितनी राशि खर्च की गई और कितने घरों तक वास्तव में नल से जल पहुंचाया गया? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कई जिलों में योजना के तहत बहुत कम खर्च हुआ और अपेक्षाकृत कम घरों में पानी पहुंच पाया है।

इस पर जवाब देते हुए डिप्टी सीएम और जल संसाधन मंत्री अरुण साव ने कहा कि अब तक ₹15,045 करोड़, यानी कुल 57 प्रतिशत राशि खर्च की जा चुकी है। 31,16,398 घरों में नल कनेक्शन के माध्यम से जल आपूर्ति की जा रही है, जबकि 3,836 गांवों में पूर्ण रूप से नलजल सुविधा उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने कहा कि जिलों में राशि का वितरण कार्य प्रगति के अनुसार किया जाता है।

मंत्री के जवाब से असंतुष्ट भूपेश बघेल ने कटाक्ष करते हुए कहा कि “डबल इंजन की सरकार” ने अब तक केवल 10 लाख घरों में ही नल से जल पहुंचाया है, जबकि केवल आंकड़े दिखाकर उपलब्धियों का भ्रम पैदा किया जा रहा है।

बघेल ने कहा, “21 लाख घरों में हमारी सरकार ने जल पहुंचाया था, और आप दो साल में केवल 10 लाख जोड़ पाए, क्या यही गति है?” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने बिना पानी के नल लगाकर कागजों में आंकड़े पूरे किए थे।

इस बहस के दौरान विपक्षी विधायकों ने सरकार पर “आंकड़ों की बाजीगरी” करने का आरोप लगाते हुए जोरदार हंगामा किया। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने दावा किया कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 74 प्रतिशत कार्य पूरा किया गया था, जबकि वर्तमान सरकार ने 20 महीनों में केवल 7 प्रतिशत कार्य किया है।

विपक्ष ने मंत्री अरुण साव के जवाब को भ्रामक बताते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जमीनी सच्चाई छुपाकर आंकड़ों के माध्यम से जनता को गुमराह कर रही है।

जल जीवन मिशन को लेकर विधानसभा में हुई इस बहस ने साफ कर दिया है कि पेयजल की योजना सिर्फ एक तकनीकी नहीं, बल्कि अब एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुकी है।

*২১ জুলাই শহিদ দিবসের জনসভার আগে সোশ্যাল মিডিয়ায় জোরদার প্রচার তৃণমূল কংগ্রেসের*

ডেস্ক : শহিদ দিবসের আর মাত্র এক সপ্তাহ বাকি, তার আগেই ২১ জুলাই ধর্মতলার জনসভা ঘিরে সর্বভারতীয় তৃণমূল কংগ্রেস জোরকদমে চালিয়ে যাচ্ছে তাদের ডিজিটাল প্রচার অভিযান। এবছরের শহিদ দিবস রাজনৈতিক দিক থেকে আরও গুরুত্ব বহন করছে, একদিকে সামনে রাজ্যে বিধানসভা নির্বাচন, অন্যদিকে বিজেপি-শাসিত রাজ্যগুলিতে বাঙালিদের মাতৃভাষায় কথা বলার জন্য হেনস্থার অভিযোগও উঠে এসেছে।

২১ জুলাইয়ের শহিদদের আত্মত্যাগ ও তার বর্তমান প্রাসঙ্গিকতাকে স্মরণ করে তৃণমূল কংগ্রেস এক্স-এ লিখেছে: "They stood unarmed, yet unstoppable! Their sacrifice lit the spark, but it was Smt. who turned it into a movement. 21st July is not just a date, it’s a call to every young voice that refuses to be silenced."

তৃণমূল কংগ্রেসের নেতা ও রাজ্যের মন্ত্রী ব্রাত্য বসু বলেন, “২১ জুলাই প্রতিটি তৃণমূল কর্মীর কাছে আত্মবিশ্লেষণের দিন, নতুন করে রাজনৈতিক সংকল্প নেওয়ার দিন। দল গঠনের যে কঠিন লড়াই থেকে আমাদের যাত্রা শুরু, আর কর্মীদের আত্মত্যাগে অর্জিত প্রতিটি সাফল্য- এই দিনটা সেই সমস্ত ইতিহাসকে স্মরণ করে ভবিষ্যতের জন্য ফের প্রতিজ্ঞাবদ্ধ হওয়ার দিন। মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় ও অভিষেক বন্দ্যোপাধ্যায়ের দেখানো পথে চলার অঙ্গীকার গ্রহণের দিন এটা।”

একই সুরে তৃণমূল মহিলা কংগ্রেসের সভানেত্রী ও রাজ্যের মন্ত্রী চন্দ্রিমা ভট্টাচার্য বলেন, “২১ জুলাই শুধুমাত্র একটা তারিখ নয়। আমাদের চেয়ারপার্সন একদিন বলেছিলেন—পরিচয়পত্র না থাকলে, ভোটও নেই। তাঁর নিরলস লড়াইয়ের ফলেই আজ বাংলার মানুষ ভোটার কার্ড হাতে নিয়ে চলতে পারেন। কিন্তু আমরা ভুলতে পারি না, সেদিন আমাদের ১৩ জন শহিদ হয়েছিলেন। গত ৩২ বছর ধরে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় তাঁদের স্মরণে শ্রদ্ধা নিবেদন করে চলেছেন, আর সেই উদাহরণটাই আমাদের পথ দেখায়... তাই ২১ জুলাই ধর্মতলায় আসা আমাদের সকলের কর্তব্য—শহিদদের সম্মান জানানোর জন্য।”

ছবি সৌজন্যে: এক্স (X)

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का आह्वान — 'वेटलैण्ड मित्र' बनें, जैविक विरासत को बचाएं

रायपुर-  जैव विविधता एवं आर्द्रभूमियों (वेटलैण्ड्स) के संरक्षण के उद्देश्य से आज नवा रायपुर स्थित दण्डकारण्य अरण्य भवन में एक उच्चस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, उपमुख्यमंत्रीद्वय अरुण साव एवं विजय शर्मा सहित कैबिनेट के सभी मंत्री एवं विधायकगण उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि विकसित छत्तीसगढ़ की परिकल्पना केवल आधारभूत ढांचे के विकास से नहीं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और जैविक विविधता की रक्षा से ही पूर्ण होती है। उन्होंने आह्वान किया कि हर जनप्रतिनिधि व नागरिक जैव विविधता एवं वेटलैण्ड संरक्षण के लिए व्यक्तिगत दायित्व समझें और 'वेटलैण्ड मित्र' बनकर इस अभियान को जनांदोलन में परिवर्तित करें।

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि जैव विविधता और वेटलैण्ड्स का संरक्षण केवल पर्यावरणीय आवश्यकता नहीं, बल्कि यह हमारी भावी पीढ़ियों की सुरक्षा का सवाल भी है। उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों से जैव विविधता के संरक्षण में भागीदारी सुनिश्चित करने और “वेटलैण्ड मित्र” बनकर जनजागरण फैलाने का आग्रह किया।

कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी ने व्यापक प्रस्तुति दी। उन्होंने 1992 के अर्थ सम्मिट, जैव विविधता अधिनियम 2002, राष्ट्रीय जैव विविधता बोर्ड की भूमिका और जैव विविधता प्रबंधन समितियों की संरचना एवं कार्यों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ देश का तीसरा राज्य है, जहां जैव विविधता प्रबंधन समितियाँ प्रभावी रूप से कार्य कर रही हैं।

आर्द्रभूमि संरक्षण के संदर्भ में प्रधान मुख्य वन संरक्षक अरुण कुमार पाण्डेय ने बताया कि वेटलैण्ड्स पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण की कार्यप्रणाली और जिला स्तरीय आर्द्रभूमि संरक्षण समितियों के गठन की प्रक्रिया की जानकारी देते हुए बताया कि इन समितियों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर वेटलैण्ड्स की निगरानी एवं संरक्षण को मजबूती मिल रही है।

कार्यक्रम में यह जानकारी दी गई कि राज्य का गिधवा-परसदा पक्षी अभ्यारण्य अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित रामसर साइट बनने की पात्रता रखता है। इसके अतिरिक्त, बलौदाबाजार जिले के खोखरा ग्राम को छत्तीसगढ़ की पहली रामसर साइट के रूप में सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया प्रगति पर है।

कार्यशाला के अंत में सभी जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों से “वेटलैण्ड मित्र” के रूप में जुड़कर जैव विविधता और आर्द्रभूमियों के संरक्षण हेतु सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की गई। यह भागीदारी राज्य में पर्यावरणीय चेतना को जनआंदोलन का रूप देने में सहायक होगी।

इस अवसर पर मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव (वन) ऋचा शर्मा, छत्तीसगढ़ वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव, जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव राजेश कुमार चंदेले सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी एवं विशेषज्ञ उपस्थित थे।

छत्तीसगढ़ में खाद की कोई कमी नहीं, डीएपी की कमी को पूरा करने एनपीके, एसएसपी और नैनो डीएपी का भरपूर स्टॉक

रायपुर-  राज्य में रासायनिक उर्वरको कोई कमी नहीं हैं। खरीफ सीजन 2025 के लिए सभी प्रकार के रासायनिक उर्वरक सहकारी समितियों एवं नीजि विक्रय केंद्रों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। वैश्विक परिस्थिति के चलते डीएपी खाद के आयात में कमी को देखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा इसके विकल्प के रूप में अन्य रासायनिक उर्वरकों की भरपूर आपूर्ति एवं वितरण की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

राज्य में डीएपी की आपूर्ति में कमी से किसानों को किसी भी तरह की दिक्कत न हो इसको ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा इसके विकल्प के रूप में 179000 बॉटल नैनो डीएपी, एनपीके उर्वरक का लक्ष्य से 25 हजार मेट्रिक टन अधिक तथा एसएसपी का निर्धारित लक्ष्य से 50 हजार मेट्रिक टन का अतिरिक्त भंडारण किया गया है। पोटाश के निर्धारित लक्ष्य 60 हजार मेट्रिक टन के विरूद्ध अब तक 77 हजार मेट्रिक टन से अधिक म्यूरेट ऑफ पोटाश का भंडारण किया गया है। नैनो डीएपी जो कि ठोस डीएपी के विकल्प के रूप में बीज/थरहा, जड़ उपचार एवं बोआई/रोपाई के पश्चात खड़ी फसल में छिड़काव के लिए उपयोगी है। नैनो डीएपी की निरंतर आपूर्ति राज्य में सरकार द्वारा सुनिश्चित की गई है।

चालू खरीफ सीजन के लिए डीएपी उर्वरक के निर्धारित 3.10 लाख मेट्रिक टन लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 1 लाख 63 मेट्रिक टन से अधिक का भंडारण हो चुका है। डीएपी की आपूर्ति निरंतर जारी है। अभी जुलाई माह में 48 हजार मेट्रिक टन डीएपी उर्वरक की आपूर्ति राज्य को होगी। राज्य के सहकारी क्षेत्र में उर्वरकों का भंडारण प्राथमिकता के आधार पर कराया गया है। राज्य के सहकारी क्षेत्र में डीएपी उर्वरक की उपलब्धता राज्य की कुल उपलब्धता का 62 प्रतिशत है।

कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक कुल 13.18 लाख मेट्रिक टन का भंडारण किया जा चुका है, जो गत वर्ष इसी अवधि में भंडारित 12.79 लाख मेट्रिक टन से लगभग 38 हजार मेट्रिक टन अधिक है। इस वर्ष एनपीके और एसएसपी का लक्षित मात्रा से क्रमशः 25,266 मेट्रिक टन एवं 71,363 मेट्रिक टन अधिक भंडारण किया गया है, जो डीएपी के विकल्प के रूप में उपयोग किया जा रहा है। राज्य में यूरिया 6 लाख मेट्रिक टन अधिक का भंडारण हुआ है। जुलाई एवं आगामी माह में यूरिया के शेष मात्रा की आपूर्ति होगी।

यहां यह उल्लेखनीय है कि धान में यूरिया का उपयोग तीन बार किया जाता है। प्रथम बार बोआई/रोपाई के समय में, दूसरी बार कंसा निकलने के समय में बोआई/रोपाई से तीन चार सप्ताह बाद एवं तीसरी बार गभोट अवस्था में बोआई/रोपाई के 7 से 8 सप्ताह बाद, इस प्रकार यूरिया का सितम्बर माह के मध्य तक उपयोग किया जाता है। डीएपी उर्वरक का 1.63 लाख मेट्रिक टन भंडारण हुआ है। जुलाई माह के सप्लाई प्लान के अनुसार राज्य को 48 हजार 850 मेट्रिक टन डीएपी और मिलेगी।

कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जुलाई माह में 25 हजार टन एनपीके की आपूर्ति संभावित है। एनपीके की अतिरिक्त आपूर्ति को मिलाकर कुल अतिरिक्त एनपीके 50 हजार 266 मेट्रिक टन से 22 हजार मेट्रिक टन डीएपी प्रतिपूर्ति होगी। इसी तरह एसएसपी की कुल अतिरिक्त आपूर्ति 1.47 लाख मेट्रिक टन से 50 हजार मेट्रिक टन डीएपी की प्रतिपूर्ति होगी। इस प्रकार राज्य में एनपीके और एसएसपी के अतिरिक्त आपूर्ति से 72 हजार मेट्रिक टन डीएपी की प्रतिपूर्ति सुनिश्चित होगी।


मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि डीएपी खाद की कमी को लेकर किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसके विकल्प के रूप में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अन्य रासायनिक उर्वरक जैसे- नैनो डीएपी, एनपीके और एसएसपी की भरपूर व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों के सुझाव के अनुरूप किसान डीएपी के बदले उक्त उर्वरकों का प्रयोग कर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। सोसायटियों से किसानों को उनकी डिमांड के अनुसार खाद-बीज का पर्याप्त भंडारण किया गया है।

विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन गड़बड़ियों की गूंज, महेंद्र कर्मा यूनिवर्सिटी भर्ती पर भी उठा सवाल

रायपुर-  छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सदन में गड़बड़ियों की गूंज साफ सुनाई दी। जहां राजस्व निरीक्षक भर्ती घोटाले को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा, वहीं भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय, बस्तर में की गई नियुक्तियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

प्रश्नकाल के दौरान अजय चंद्राकर ने विश्वविद्यालय में सेटअप अनुसार शैक्षणिक पदों की भर्ती, आरक्षण रोस्टर के पालन, और शिकायतों की स्थिति को लेकर प्रश्न पूछे। इसके जवाब में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बताया कि विश्वविद्यालय में 59 शैक्षणिक पदों के लिए – प्राध्यापक (10), सह प्राध्यापक (19), और सहायक प्राध्यापक (30) की भर्ती हेतु 5 अक्टूबर 2023 को विज्ञापन जारी किया गया था। इनमें से 8 विभागों में नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है।

लेकिन अजय चंद्राकर ने आरोप लगाया कि इस भर्ती में भारी अनियमितता की गई है। उन्होंने कहा, “46, 54, 42, 48 वर्ष की आयु के अभ्यर्थियों का चयन कैसे किया गया, जबकि नियमों के अनुसार 40 वर्ष से अधिक आयु वालों की नियुक्ति नहीं की जा सकती?” उन्होंने सदन में मांग की कि सरकार तत्काल पूरी भर्ती प्रक्रिया की जांच की घोषणा करे।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जवाब देते हुए कहा कि इस भर्ती प्रक्रिया को लेकर शिकायतें प्राप्त हुई हैं, और इसके संबंध में जांच समिति का गठन किया जा चुका है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद कार्रवाई की जाएगी।

पहले ही दिन सदन में लगातार उठ रहे गड़बड़ी के मामलों से यह स्पष्ट हो गया है कि मानसून सत्र सरकार के लिए चुनौतियों भरा होने वाला है। विपक्ष ही नहीं सत्ता पक्ष के विधायकों के तेवर ने साफ संकेत दे दिया है कि नियुक्तियों और परीक्षाओं में पारदर्शिता की मांग को लेकर सदन में लगातार आवाज बुलंद की जाएगी।

विधानसभा मानसून सत्र : खाद संकट पर सदन में भारी हंगामा, कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित

रायपुर- विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन शून्यकाल के दौरान नेता-प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने राज्य में खाद-बीज संकट का मुद्दा उठाया. विपक्ष की ओर से खाद-बीज की कमी के मुद्दे पर स्थगन लाया गया, लेकिन मंत्री के वक्तव्य के बाद विधानसभा अध्यक्ष के स्थगन को अग्राह्य करने पर वेल में आकर कांग्रेस के विधायकों की जमकर नारेबाजी की. विपक्ष के हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई.

स्थगन की सूचना देते हुए नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने कहा कि पूरे राज्य में खाद की भारी किल्लत है. किसान इससे दुःखी हैं, आक्रोशित हैं. इस पर स्थगन स्वीकार कर चर्चा कराई जाए. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में खाद संकट से किसान हलाकान है. सरकार खाद उपलब्ध कराने में नाकाम है. किसान बाहर बाजार से दोगुने भाव मे खाद खरीदने में मजबूर हैं।

कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि किसानों को उर्वरकों के संतुलित उपयोग के लिए जागरूक कर रहे हैं, वैकल्पिक खाद के उपयोग की भी जानकारी प्रशिक्षण के जरिए दी गई. फास्फेटिक खाद की आपूर्ति प्रभावित हुई, इसलिए हमने बहुत पहले से वैकल्पिक व्यवस्था की. नैनो उर्वरकों के उपयोग की अनुशंसा की गई है. बड़ी तादाद में इसका भंडारण भी किया जा चुका है.

मंत्री ने बताया कि वैश्विक कारणों से रासायनिक खाद की आपूर्ति प्रभावित हुई. एनपीके उर्वरक का भंडारण लक्ष्य से ज्यादा हुआ है. पोटाश सहित अन्य खाद का भी भंडारण हुआ है. 28 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बोअनी हो चुका है, जो पहले से ज्यादा है.

मंत्री के वक्तव्य के बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने विपक्ष का स्थगन अग्राह्य किया, स्थगन अग्राह्य होने और मंत्री के वक्तव्य से असंतुष्ट कांग्रेस के विधायकों ने वेल में आकर जमकर नारेबाजी. विपक्ष के हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई.

विधानसभा मानसून सत्र : प्रश्नकाल में गूंजा राजस्व निरीक्षक भर्ती परीक्षा का मामला, सदन में घिरे राजस्व मंत्री, विपक्ष ने किया वॉकआउट…

रायपुर- राजस्व निरीक्षक की विभागीय परीक्षा में गड़बड़ी का मामला सदन में गूंजा. भाजपा विधायक राजेश मूणत और अजय चंद्राकर के साथ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सवालों पर राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा घिरते नजर आए. मंत्री के जवाब पर सदन में विपक्ष के विधायकों का हंगामा मचाया. सत्तापक्ष की नोक-झोंक से नाराज विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया।

इसके पहले भाजपा विधायक राजेश मूणत ने राजस्व निरीक्षक की विभागीय परीक्षा में गड़बड़ी का मुद्दा उठाते हुए मंत्री से सवाल किया कि गृह विभाग की जांच का क्या हुआ? दोषियों पर कार्रवाई कब होगी? कुल कितने परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए?

राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने जवाब में कहा कि भर्ती होने से राजस्व विभाग को अमला मिल जाएगा और काम में सहूलियत होगी. पिछली सरकार के दौरान परीक्षा की प्रक्रिया शुरू हुई. लेकिन परीक्षा परिणाम आने के बाद शिकायत हुआ. 5 सदस्यीय टीम बनाकर हमने जांच कराई तो अनियमितता पाई गई है.

मंत्री ने बताया कि भाई-भाई भी एक जगह बैठे पाए गए. सामान्य विभाग ने गृह विभाग को जांच के लिए पत्र लिखा, फिर गृह विभाग ने भी पत्र लिखा कि सम्बंधित विभाग सक्षम है. इस मामले की जांच इओडब्ल्यू को सौंपी गई है, जांच शुरू हो गई है, हम किसी को नहीं बख्शेंगे, वास्तविक दोषी तक पहुंचकर कार्रवाई करेंगे, भारतमाला परियोजना में गड़बड़ी की तरह इस तरह की जांच कर रहे हैं.

मूणत ने कहा कि मंत्री को विभाग में आए 9 दिन भी नहीं हुआ था, और परीक्षा ले ली गई. साली और जीजा, भाई-भाई एक साथ बैठे थे. अनियमितता जांच में पाई गई तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं की गई? जबकि वरिष्ठ 5 अधिकारियों की टीम ने जांच की. इसपर कार्रवाई क्यों नहीं की गई? इस पर टंकराम वर्मा ने कहा कि जांच कमेटी ने निष्कर्ष में कहा है कि प्रस्तुत दस्तावेज साक्ष्य की श्रेणी में नहीं आता है. ये जरूर है कि गड़बड़ी हुई है और जांच कमेटी ने स्वीकार किया है. लेकिन कॉल डिटेल निकालना है, इसमें इओडब्ल्यू जांच कर रही है.

मूणत ने इस पर कहा कि मंत्री आधा पढ़ रहे हैं, कहें तो रिपोर्ट सदन की पटल पर रख देता हूं, पिछली सरकार के हैं ये सभी घोटाले, चाहे पीएससी हो या कोई. टंकराम वर्मा ने कहा कि जो भी दोषी होगा उसपर ठोस कार्रवाई होगी, किसी को बख्शा नहीं जाएगा. मूणत ने कहा कि क्या अगले सत्र से पहले दोषियों पर कार्रवाई कर देंगे? तब टंकराम वर्मा ने कहा कि प्रयास रहेगा कि अगले सत्र से पहले जांच पूरी कर कार्रवाई हो जाए.

भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि इओडब्ल्यू जांच का निर्णय किसने लिया? आपके विभाग में इओडब्ल्यू जांच हो ये फैसला किसका है? इस पर टंकराम वर्मा ने कहा कि विभाग ने ही इओडब्ल्यू को जांच के लिए दिया.

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूछा कि परीक्षा आपकी सरकार आने के बाद हुई या पहले. इस पर टंकराम वर्मा ने कहा कि जनवरी 2024 में परीक्षा हुई और फरवरी में रिजल्ट आया. मंत्री के इस जवाब के बाद सदन में जोरदार हंगामा. विपक्ष के विधायकों भाजपा सरकार में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए हंगामा किया.

भूपेश बघेल ने कहा कि दोषियों को बचाने की कोशिश हो रही है. क्या सीबीआई से इसकी जांच कराएंगे? भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने कहा कि क्या सीबीआई पर आपको भरोसा है? इसके साथ ही भाजपा विधायकों ने भूपेश बघेल को घेरा. सत्ता पक्ष की नोक-झोंक से नाराज विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया।

छत्तीसगढ़ विधानसभा मानसून सत्र : पूर्व राज्यपाल शेखर दत्त के साथ राजा सुरेंद्र बहादुर को दी गई श्रद्धांजलि…

रायपुर- छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र के पहले दिन की कार्यवाही प्रश्नकाल के साथ शुरू हुई. छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल शेखर दत्त और अविभाजित मध्य प्रदेश शासन के पूर्व मंत्री राजा सुरेन्द्र बहादुर सिंह को श्रद्धांजलि दी गई.

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह उनके साथ बिताए क्षणों को याद करते हुए कहा कि शेखर दत्त बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे. छत्तीसगढ़ में राज्यपाल के रूप में उनका अतुलनीय योगदान था.

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि दिवंगत शेखर दत्त प्रतिभा के धनी थे. शेखर दत्त ने सेना में रहते देश का मान बढ़ाया. आईएएस के रूप में प्रशासनिक सेवा की. प्रदेश के राज्यपाल के रूप में उनका योगदान भुलाया नहीं जा सकता. पूरे छत्तीसगढ़ वासियों की ओर से नमन करता हूं.

नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने भी पूर्व राज्यपाल शेखर दत्त और सुरेन्द्र बहादुर को श्रद्धांजलि दी. संसदीय कार्यमंत्री केदार कश्यप ने पूर्व राज्यपाल को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश ने एक कर्मठ व्यक्ति खो दिया. उनका जाना सबके लिए अपूर्णीय क्षति है.

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि शेखर दत्त बड़े-बड़े पदों में रहे. मगर उनके व्यवहार में पद का असर नहीं हुआ. उनके जाने से देश और प्रदेश को अपूर्णीय क्षति हुई.

साई कॉलेज में मनाया गया विश्व युवा कौशल दिवस

अम्बिकापुर- तकनीक और कौशल युवाओं को विकसित भारत के रास्ते पर ले जायेगा। युवा जितना सशक्त होगा देश उतना ही मजबूत होगा। यह बातें विश्व युवा कौशल दिवस के उपलक्ष्य पर श्री साई बाबा आदर्श स्नातकोत्तर महाविद्यालय और नेहरू युवा केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान संस्था के प्राचार्य डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने कही।

मेरा युवा भारत के आयोजन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि नई तकनीकी चुनौतियों के साथ आती हैं जिन्हें सीखना और स्वीकारना होगा। वही तकनीक समाज में युवाओं के बीच स्थायी रहती है जो युवाओं के कौशल विकास में भागीदारी करती है। एआई और डिजीटल कौशल के माध्यम से युवा सशक्तीकरण थीम को बताते हुए उन्होंने कहा कि हमें एआई (कृत्रिम बुद्धि) की ओर जाना होगा जो हमारे ज्ञान में सम्बल है। इससे पहले अतिथियों ने मां सरस्वती और श्री साई नाथ के तस्वीर पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए आईक्यूएसी समन्वयक डॉ. आर.एन. शर्मा ने कहा कि ज्ञान तकनीकी के रास्ते ही मानवीय बनता है। उसका उपयोग भी मनुष्य के लिए ही है। हम जब तकनीक के साथ काम करते हैं तो सदियों के अनुंसधान हमारे साथ होते हैं।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कम्प्यूटर एंड आईटी के अधिष्ठाता डॉ.विवेक कुमार गुप्ता ने कहा कि तकनीकी को उपयोग और जीवन के लिए उपयोग कीजिये। एआई और डिजीटल दुनिया में ज्ञान का अथाह भंडार है जिसमें अपने मतलब और उपयोग के तथ्यों को तलाशना होगा। तकनीक का उपयोग सकारात्मक भी और नकारात्मक भी है। उन्होंने ऑनलाइन होने वाले डिजीटल अरेस्ट के प्रति सावधान भी किया। डॉ. गुप्ता ने कहा कि परम्परागत अध्ययन से बाहर निकल कर हाईब्रिड अध्ययन की बढ़ना होगा।

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ यंग साईंटिस्ट कांग्रेस 2025 में विषय विशेषज्ञ डॉ. शैलेष देवांगन, चांदनी व्यापारी को प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक देवेन्द्र दास सोनवानी ने किया। इस अवसर पर शिक्षा विभाग के डॉ. दिनेश शाक्य, डॉ. डॉली शर्मा, डॉ. जसप्रीत तथा सभी प्राध्यापक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

चार बच्चों की डूबने से मौत पर उच्च न्यायालय सख्त, घटना पर स्वत: संज्ञान लिया, मुख्य सचिव से मांगा जवाब

रायपुर/जांजगीर-चांपा- छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में भाई-बहन समेत चार मासूम बच्चों की तालाब में डूबने से हुई मौत के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। इस हृदयविदारक घटना को लेकर अदालत ने राज्य सरकार की जिम्मेदारी तय करते हुए मुख्य सचिव से व्यक्तिगत शपथ पत्र में जवाब तलब किया है।

गौरतलब है कि बीते शनिवार, जब बच्चे स्कूल से लौट रहे थे, वे पास के एक तालाब में नहाने चले गए और चारों की डूबने से मौत हो गई। यह मामला मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान सामने आया।

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा,

“यह कितनी शर्मनाक बात है कि स्कूल से लौटते समय चार बच्चे पानी में डूब जाते हैं… क्या यह सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं?”

अदालत ने इस घटना के साथ-साथ मीडिया में छपी एक अन्य रिपोर्ट का भी संज्ञान लिया, जिसमें स्कूली बच्चों को जान जोखिम में डालकर नाले को पार कर स्कूल जाते हुए दिखाया गया था। दोनों घटनाओं पर चिंता जताते हुए कोर्ट ने बच्चों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन की गंभीर लापरवाही पर सवाल उठाए हैं।

मुख्य सचिव को आदेश दिया गया है कि वे व्यक्तिगत रूप से हलफनामा दाखिल कर बताएं कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार ने अब तक क्या कदम उठाए हैं।

विधानसभा में जल जीवन मिशन पर गरमा गई सियासत: आंकड़ों की जंग में विपक्ष का वॉकआउट

रायपुर- छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान जल जीवन मिशन को लेकर सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिली। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने योजना के क्रियान्वयन को लेकर सरकार से तीखे सवाल पूछे और खर्च की गई राशि व लक्ष्यों की उपलब्धि पर संदेह जताया।

भूपेश बघेल ने पूछा कि वर्ष 2022-23, 2023-24 और 2024-25 के दौरान जल जीवन मिशन के तहत कितनी राशि खर्च की गई और कितने घरों तक वास्तव में नल से जल पहुंचाया गया? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कई जिलों में योजना के तहत बहुत कम खर्च हुआ और अपेक्षाकृत कम घरों में पानी पहुंच पाया है।

इस पर जवाब देते हुए डिप्टी सीएम और जल संसाधन मंत्री अरुण साव ने कहा कि अब तक ₹15,045 करोड़, यानी कुल 57 प्रतिशत राशि खर्च की जा चुकी है। 31,16,398 घरों में नल कनेक्शन के माध्यम से जल आपूर्ति की जा रही है, जबकि 3,836 गांवों में पूर्ण रूप से नलजल सुविधा उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने कहा कि जिलों में राशि का वितरण कार्य प्रगति के अनुसार किया जाता है।

मंत्री के जवाब से असंतुष्ट भूपेश बघेल ने कटाक्ष करते हुए कहा कि “डबल इंजन की सरकार” ने अब तक केवल 10 लाख घरों में ही नल से जल पहुंचाया है, जबकि केवल आंकड़े दिखाकर उपलब्धियों का भ्रम पैदा किया जा रहा है।

बघेल ने कहा, “21 लाख घरों में हमारी सरकार ने जल पहुंचाया था, और आप दो साल में केवल 10 लाख जोड़ पाए, क्या यही गति है?” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने बिना पानी के नल लगाकर कागजों में आंकड़े पूरे किए थे।

इस बहस के दौरान विपक्षी विधायकों ने सरकार पर “आंकड़ों की बाजीगरी” करने का आरोप लगाते हुए जोरदार हंगामा किया। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने दावा किया कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 74 प्रतिशत कार्य पूरा किया गया था, जबकि वर्तमान सरकार ने 20 महीनों में केवल 7 प्रतिशत कार्य किया है।

विपक्ष ने मंत्री अरुण साव के जवाब को भ्रामक बताते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जमीनी सच्चाई छुपाकर आंकड़ों के माध्यम से जनता को गुमराह कर रही है।

जल जीवन मिशन को लेकर विधानसभा में हुई इस बहस ने साफ कर दिया है कि पेयजल की योजना सिर्फ एक तकनीकी नहीं, बल्कि अब एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुकी है।

*২১ জুলাই শহিদ দিবসের জনসভার আগে সোশ্যাল মিডিয়ায় জোরদার প্রচার তৃণমূল কংগ্রেসের*

ডেস্ক : শহিদ দিবসের আর মাত্র এক সপ্তাহ বাকি, তার আগেই ২১ জুলাই ধর্মতলার জনসভা ঘিরে সর্বভারতীয় তৃণমূল কংগ্রেস জোরকদমে চালিয়ে যাচ্ছে তাদের ডিজিটাল প্রচার অভিযান। এবছরের শহিদ দিবস রাজনৈতিক দিক থেকে আরও গুরুত্ব বহন করছে, একদিকে সামনে রাজ্যে বিধানসভা নির্বাচন, অন্যদিকে বিজেপি-শাসিত রাজ্যগুলিতে বাঙালিদের মাতৃভাষায় কথা বলার জন্য হেনস্থার অভিযোগও উঠে এসেছে।

২১ জুলাইয়ের শহিদদের আত্মত্যাগ ও তার বর্তমান প্রাসঙ্গিকতাকে স্মরণ করে তৃণমূল কংগ্রেস এক্স-এ লিখেছে: "They stood unarmed, yet unstoppable! Their sacrifice lit the spark, but it was Smt. who turned it into a movement. 21st July is not just a date, it’s a call to every young voice that refuses to be silenced."

তৃণমূল কংগ্রেসের নেতা ও রাজ্যের মন্ত্রী ব্রাত্য বসু বলেন, “২১ জুলাই প্রতিটি তৃণমূল কর্মীর কাছে আত্মবিশ্লেষণের দিন, নতুন করে রাজনৈতিক সংকল্প নেওয়ার দিন। দল গঠনের যে কঠিন লড়াই থেকে আমাদের যাত্রা শুরু, আর কর্মীদের আত্মত্যাগে অর্জিত প্রতিটি সাফল্য- এই দিনটা সেই সমস্ত ইতিহাসকে স্মরণ করে ভবিষ্যতের জন্য ফের প্রতিজ্ঞাবদ্ধ হওয়ার দিন। মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় ও অভিষেক বন্দ্যোপাধ্যায়ের দেখানো পথে চলার অঙ্গীকার গ্রহণের দিন এটা।”

একই সুরে তৃণমূল মহিলা কংগ্রেসের সভানেত্রী ও রাজ্যের মন্ত্রী চন্দ্রিমা ভট্টাচার্য বলেন, “২১ জুলাই শুধুমাত্র একটা তারিখ নয়। আমাদের চেয়ারপার্সন একদিন বলেছিলেন—পরিচয়পত্র না থাকলে, ভোটও নেই। তাঁর নিরলস লড়াইয়ের ফলেই আজ বাংলার মানুষ ভোটার কার্ড হাতে নিয়ে চলতে পারেন। কিন্তু আমরা ভুলতে পারি না, সেদিন আমাদের ১৩ জন শহিদ হয়েছিলেন। গত ৩২ বছর ধরে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় তাঁদের স্মরণে শ্রদ্ধা নিবেদন করে চলেছেন, আর সেই উদাহরণটাই আমাদের পথ দেখায়... তাই ২১ জুলাই ধর্মতলায় আসা আমাদের সকলের কর্তব্য—শহিদদের সম্মান জানানোর জন্য।”

ছবি সৌজন্যে: এক্স (X)

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का आह्वान — 'वेटलैण्ड मित्र' बनें, जैविक विरासत को बचाएं

रायपुर-  जैव विविधता एवं आर्द्रभूमियों (वेटलैण्ड्स) के संरक्षण के उद्देश्य से आज नवा रायपुर स्थित दण्डकारण्य अरण्य भवन में एक उच्चस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, उपमुख्यमंत्रीद्वय अरुण साव एवं विजय शर्मा सहित कैबिनेट के सभी मंत्री एवं विधायकगण उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि विकसित छत्तीसगढ़ की परिकल्पना केवल आधारभूत ढांचे के विकास से नहीं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और जैविक विविधता की रक्षा से ही पूर्ण होती है। उन्होंने आह्वान किया कि हर जनप्रतिनिधि व नागरिक जैव विविधता एवं वेटलैण्ड संरक्षण के लिए व्यक्तिगत दायित्व समझें और 'वेटलैण्ड मित्र' बनकर इस अभियान को जनांदोलन में परिवर्तित करें।

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि जैव विविधता और वेटलैण्ड्स का संरक्षण केवल पर्यावरणीय आवश्यकता नहीं, बल्कि यह हमारी भावी पीढ़ियों की सुरक्षा का सवाल भी है। उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों से जैव विविधता के संरक्षण में भागीदारी सुनिश्चित करने और “वेटलैण्ड मित्र” बनकर जनजागरण फैलाने का आग्रह किया।

कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी ने व्यापक प्रस्तुति दी। उन्होंने 1992 के अर्थ सम्मिट, जैव विविधता अधिनियम 2002, राष्ट्रीय जैव विविधता बोर्ड की भूमिका और जैव विविधता प्रबंधन समितियों की संरचना एवं कार्यों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ देश का तीसरा राज्य है, जहां जैव विविधता प्रबंधन समितियाँ प्रभावी रूप से कार्य कर रही हैं।

आर्द्रभूमि संरक्षण के संदर्भ में प्रधान मुख्य वन संरक्षक अरुण कुमार पाण्डेय ने बताया कि वेटलैण्ड्स पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण की कार्यप्रणाली और जिला स्तरीय आर्द्रभूमि संरक्षण समितियों के गठन की प्रक्रिया की जानकारी देते हुए बताया कि इन समितियों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर वेटलैण्ड्स की निगरानी एवं संरक्षण को मजबूती मिल रही है।

कार्यक्रम में यह जानकारी दी गई कि राज्य का गिधवा-परसदा पक्षी अभ्यारण्य अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित रामसर साइट बनने की पात्रता रखता है। इसके अतिरिक्त, बलौदाबाजार जिले के खोखरा ग्राम को छत्तीसगढ़ की पहली रामसर साइट के रूप में सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया प्रगति पर है।

कार्यशाला के अंत में सभी जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों से “वेटलैण्ड मित्र” के रूप में जुड़कर जैव विविधता और आर्द्रभूमियों के संरक्षण हेतु सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की गई। यह भागीदारी राज्य में पर्यावरणीय चेतना को जनआंदोलन का रूप देने में सहायक होगी।

इस अवसर पर मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव (वन) ऋचा शर्मा, छत्तीसगढ़ वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव, जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव राजेश कुमार चंदेले सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी एवं विशेषज्ञ उपस्थित थे।

छत्तीसगढ़ में खाद की कोई कमी नहीं, डीएपी की कमी को पूरा करने एनपीके, एसएसपी और नैनो डीएपी का भरपूर स्टॉक

रायपुर-  राज्य में रासायनिक उर्वरको कोई कमी नहीं हैं। खरीफ सीजन 2025 के लिए सभी प्रकार के रासायनिक उर्वरक सहकारी समितियों एवं नीजि विक्रय केंद्रों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। वैश्विक परिस्थिति के चलते डीएपी खाद के आयात में कमी को देखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा इसके विकल्प के रूप में अन्य रासायनिक उर्वरकों की भरपूर आपूर्ति एवं वितरण की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

राज्य में डीएपी की आपूर्ति में कमी से किसानों को किसी भी तरह की दिक्कत न हो इसको ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा इसके विकल्प के रूप में 179000 बॉटल नैनो डीएपी, एनपीके उर्वरक का लक्ष्य से 25 हजार मेट्रिक टन अधिक तथा एसएसपी का निर्धारित लक्ष्य से 50 हजार मेट्रिक टन का अतिरिक्त भंडारण किया गया है। पोटाश के निर्धारित लक्ष्य 60 हजार मेट्रिक टन के विरूद्ध अब तक 77 हजार मेट्रिक टन से अधिक म्यूरेट ऑफ पोटाश का भंडारण किया गया है। नैनो डीएपी जो कि ठोस डीएपी के विकल्प के रूप में बीज/थरहा, जड़ उपचार एवं बोआई/रोपाई के पश्चात खड़ी फसल में छिड़काव के लिए उपयोगी है। नैनो डीएपी की निरंतर आपूर्ति राज्य में सरकार द्वारा सुनिश्चित की गई है।

चालू खरीफ सीजन के लिए डीएपी उर्वरक के निर्धारित 3.10 लाख मेट्रिक टन लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 1 लाख 63 मेट्रिक टन से अधिक का भंडारण हो चुका है। डीएपी की आपूर्ति निरंतर जारी है। अभी जुलाई माह में 48 हजार मेट्रिक टन डीएपी उर्वरक की आपूर्ति राज्य को होगी। राज्य के सहकारी क्षेत्र में उर्वरकों का भंडारण प्राथमिकता के आधार पर कराया गया है। राज्य के सहकारी क्षेत्र में डीएपी उर्वरक की उपलब्धता राज्य की कुल उपलब्धता का 62 प्रतिशत है।

कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक कुल 13.18 लाख मेट्रिक टन का भंडारण किया जा चुका है, जो गत वर्ष इसी अवधि में भंडारित 12.79 लाख मेट्रिक टन से लगभग 38 हजार मेट्रिक टन अधिक है। इस वर्ष एनपीके और एसएसपी का लक्षित मात्रा से क्रमशः 25,266 मेट्रिक टन एवं 71,363 मेट्रिक टन अधिक भंडारण किया गया है, जो डीएपी के विकल्प के रूप में उपयोग किया जा रहा है। राज्य में यूरिया 6 लाख मेट्रिक टन अधिक का भंडारण हुआ है। जुलाई एवं आगामी माह में यूरिया के शेष मात्रा की आपूर्ति होगी।

यहां यह उल्लेखनीय है कि धान में यूरिया का उपयोग तीन बार किया जाता है। प्रथम बार बोआई/रोपाई के समय में, दूसरी बार कंसा निकलने के समय में बोआई/रोपाई से तीन चार सप्ताह बाद एवं तीसरी बार गभोट अवस्था में बोआई/रोपाई के 7 से 8 सप्ताह बाद, इस प्रकार यूरिया का सितम्बर माह के मध्य तक उपयोग किया जाता है। डीएपी उर्वरक का 1.63 लाख मेट्रिक टन भंडारण हुआ है। जुलाई माह के सप्लाई प्लान के अनुसार राज्य को 48 हजार 850 मेट्रिक टन डीएपी और मिलेगी।

कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जुलाई माह में 25 हजार टन एनपीके की आपूर्ति संभावित है। एनपीके की अतिरिक्त आपूर्ति को मिलाकर कुल अतिरिक्त एनपीके 50 हजार 266 मेट्रिक टन से 22 हजार मेट्रिक टन डीएपी प्रतिपूर्ति होगी। इसी तरह एसएसपी की कुल अतिरिक्त आपूर्ति 1.47 लाख मेट्रिक टन से 50 हजार मेट्रिक टन डीएपी की प्रतिपूर्ति होगी। इस प्रकार राज्य में एनपीके और एसएसपी के अतिरिक्त आपूर्ति से 72 हजार मेट्रिक टन डीएपी की प्रतिपूर्ति सुनिश्चित होगी।


मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि डीएपी खाद की कमी को लेकर किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसके विकल्प के रूप में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अन्य रासायनिक उर्वरक जैसे- नैनो डीएपी, एनपीके और एसएसपी की भरपूर व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों के सुझाव के अनुरूप किसान डीएपी के बदले उक्त उर्वरकों का प्रयोग कर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। सोसायटियों से किसानों को उनकी डिमांड के अनुसार खाद-बीज का पर्याप्त भंडारण किया गया है।

विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन गड़बड़ियों की गूंज, महेंद्र कर्मा यूनिवर्सिटी भर्ती पर भी उठा सवाल

रायपुर-  छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सदन में गड़बड़ियों की गूंज साफ सुनाई दी। जहां राजस्व निरीक्षक भर्ती घोटाले को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा, वहीं भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय, बस्तर में की गई नियुक्तियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

प्रश्नकाल के दौरान अजय चंद्राकर ने विश्वविद्यालय में सेटअप अनुसार शैक्षणिक पदों की भर्ती, आरक्षण रोस्टर के पालन, और शिकायतों की स्थिति को लेकर प्रश्न पूछे। इसके जवाब में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बताया कि विश्वविद्यालय में 59 शैक्षणिक पदों के लिए – प्राध्यापक (10), सह प्राध्यापक (19), और सहायक प्राध्यापक (30) की भर्ती हेतु 5 अक्टूबर 2023 को विज्ञापन जारी किया गया था। इनमें से 8 विभागों में नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है।

लेकिन अजय चंद्राकर ने आरोप लगाया कि इस भर्ती में भारी अनियमितता की गई है। उन्होंने कहा, “46, 54, 42, 48 वर्ष की आयु के अभ्यर्थियों का चयन कैसे किया गया, जबकि नियमों के अनुसार 40 वर्ष से अधिक आयु वालों की नियुक्ति नहीं की जा सकती?” उन्होंने सदन में मांग की कि सरकार तत्काल पूरी भर्ती प्रक्रिया की जांच की घोषणा करे।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जवाब देते हुए कहा कि इस भर्ती प्रक्रिया को लेकर शिकायतें प्राप्त हुई हैं, और इसके संबंध में जांच समिति का गठन किया जा चुका है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद कार्रवाई की जाएगी।

पहले ही दिन सदन में लगातार उठ रहे गड़बड़ी के मामलों से यह स्पष्ट हो गया है कि मानसून सत्र सरकार के लिए चुनौतियों भरा होने वाला है। विपक्ष ही नहीं सत्ता पक्ष के विधायकों के तेवर ने साफ संकेत दे दिया है कि नियुक्तियों और परीक्षाओं में पारदर्शिता की मांग को लेकर सदन में लगातार आवाज बुलंद की जाएगी।

विधानसभा मानसून सत्र : खाद संकट पर सदन में भारी हंगामा, कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित

रायपुर- विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन शून्यकाल के दौरान नेता-प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने राज्य में खाद-बीज संकट का मुद्दा उठाया. विपक्ष की ओर से खाद-बीज की कमी के मुद्दे पर स्थगन लाया गया, लेकिन मंत्री के वक्तव्य के बाद विधानसभा अध्यक्ष के स्थगन को अग्राह्य करने पर वेल में आकर कांग्रेस के विधायकों की जमकर नारेबाजी की. विपक्ष के हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई.

स्थगन की सूचना देते हुए नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने कहा कि पूरे राज्य में खाद की भारी किल्लत है. किसान इससे दुःखी हैं, आक्रोशित हैं. इस पर स्थगन स्वीकार कर चर्चा कराई जाए. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में खाद संकट से किसान हलाकान है. सरकार खाद उपलब्ध कराने में नाकाम है. किसान बाहर बाजार से दोगुने भाव मे खाद खरीदने में मजबूर हैं।

कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि किसानों को उर्वरकों के संतुलित उपयोग के लिए जागरूक कर रहे हैं, वैकल्पिक खाद के उपयोग की भी जानकारी प्रशिक्षण के जरिए दी गई. फास्फेटिक खाद की आपूर्ति प्रभावित हुई, इसलिए हमने बहुत पहले से वैकल्पिक व्यवस्था की. नैनो उर्वरकों के उपयोग की अनुशंसा की गई है. बड़ी तादाद में इसका भंडारण भी किया जा चुका है.

मंत्री ने बताया कि वैश्विक कारणों से रासायनिक खाद की आपूर्ति प्रभावित हुई. एनपीके उर्वरक का भंडारण लक्ष्य से ज्यादा हुआ है. पोटाश सहित अन्य खाद का भी भंडारण हुआ है. 28 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बोअनी हो चुका है, जो पहले से ज्यादा है.

मंत्री के वक्तव्य के बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने विपक्ष का स्थगन अग्राह्य किया, स्थगन अग्राह्य होने और मंत्री के वक्तव्य से असंतुष्ट कांग्रेस के विधायकों ने वेल में आकर जमकर नारेबाजी. विपक्ष के हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई.

विधानसभा मानसून सत्र : प्रश्नकाल में गूंजा राजस्व निरीक्षक भर्ती परीक्षा का मामला, सदन में घिरे राजस्व मंत्री, विपक्ष ने किया वॉकआउट…

रायपुर- राजस्व निरीक्षक की विभागीय परीक्षा में गड़बड़ी का मामला सदन में गूंजा. भाजपा विधायक राजेश मूणत और अजय चंद्राकर के साथ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सवालों पर राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा घिरते नजर आए. मंत्री के जवाब पर सदन में विपक्ष के विधायकों का हंगामा मचाया. सत्तापक्ष की नोक-झोंक से नाराज विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया।

इसके पहले भाजपा विधायक राजेश मूणत ने राजस्व निरीक्षक की विभागीय परीक्षा में गड़बड़ी का मुद्दा उठाते हुए मंत्री से सवाल किया कि गृह विभाग की जांच का क्या हुआ? दोषियों पर कार्रवाई कब होगी? कुल कितने परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए?

राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने जवाब में कहा कि भर्ती होने से राजस्व विभाग को अमला मिल जाएगा और काम में सहूलियत होगी. पिछली सरकार के दौरान परीक्षा की प्रक्रिया शुरू हुई. लेकिन परीक्षा परिणाम आने के बाद शिकायत हुआ. 5 सदस्यीय टीम बनाकर हमने जांच कराई तो अनियमितता पाई गई है.

मंत्री ने बताया कि भाई-भाई भी एक जगह बैठे पाए गए. सामान्य विभाग ने गृह विभाग को जांच के लिए पत्र लिखा, फिर गृह विभाग ने भी पत्र लिखा कि सम्बंधित विभाग सक्षम है. इस मामले की जांच इओडब्ल्यू को सौंपी गई है, जांच शुरू हो गई है, हम किसी को नहीं बख्शेंगे, वास्तविक दोषी तक पहुंचकर कार्रवाई करेंगे, भारतमाला परियोजना में गड़बड़ी की तरह इस तरह की जांच कर रहे हैं.

मूणत ने कहा कि मंत्री को विभाग में आए 9 दिन भी नहीं हुआ था, और परीक्षा ले ली गई. साली और जीजा, भाई-भाई एक साथ बैठे थे. अनियमितता जांच में पाई गई तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं की गई? जबकि वरिष्ठ 5 अधिकारियों की टीम ने जांच की. इसपर कार्रवाई क्यों नहीं की गई? इस पर टंकराम वर्मा ने कहा कि जांच कमेटी ने निष्कर्ष में कहा है कि प्रस्तुत दस्तावेज साक्ष्य की श्रेणी में नहीं आता है. ये जरूर है कि गड़बड़ी हुई है और जांच कमेटी ने स्वीकार किया है. लेकिन कॉल डिटेल निकालना है, इसमें इओडब्ल्यू जांच कर रही है.

मूणत ने इस पर कहा कि मंत्री आधा पढ़ रहे हैं, कहें तो रिपोर्ट सदन की पटल पर रख देता हूं, पिछली सरकार के हैं ये सभी घोटाले, चाहे पीएससी हो या कोई. टंकराम वर्मा ने कहा कि जो भी दोषी होगा उसपर ठोस कार्रवाई होगी, किसी को बख्शा नहीं जाएगा. मूणत ने कहा कि क्या अगले सत्र से पहले दोषियों पर कार्रवाई कर देंगे? तब टंकराम वर्मा ने कहा कि प्रयास रहेगा कि अगले सत्र से पहले जांच पूरी कर कार्रवाई हो जाए.

भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि इओडब्ल्यू जांच का निर्णय किसने लिया? आपके विभाग में इओडब्ल्यू जांच हो ये फैसला किसका है? इस पर टंकराम वर्मा ने कहा कि विभाग ने ही इओडब्ल्यू को जांच के लिए दिया.

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूछा कि परीक्षा आपकी सरकार आने के बाद हुई या पहले. इस पर टंकराम वर्मा ने कहा कि जनवरी 2024 में परीक्षा हुई और फरवरी में रिजल्ट आया. मंत्री के इस जवाब के बाद सदन में जोरदार हंगामा. विपक्ष के विधायकों भाजपा सरकार में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए हंगामा किया.

भूपेश बघेल ने कहा कि दोषियों को बचाने की कोशिश हो रही है. क्या सीबीआई से इसकी जांच कराएंगे? भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने कहा कि क्या सीबीआई पर आपको भरोसा है? इसके साथ ही भाजपा विधायकों ने भूपेश बघेल को घेरा. सत्ता पक्ष की नोक-झोंक से नाराज विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया।

छत्तीसगढ़ विधानसभा मानसून सत्र : पूर्व राज्यपाल शेखर दत्त के साथ राजा सुरेंद्र बहादुर को दी गई श्रद्धांजलि…

रायपुर- छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र के पहले दिन की कार्यवाही प्रश्नकाल के साथ शुरू हुई. छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल शेखर दत्त और अविभाजित मध्य प्रदेश शासन के पूर्व मंत्री राजा सुरेन्द्र बहादुर सिंह को श्रद्धांजलि दी गई.

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह उनके साथ बिताए क्षणों को याद करते हुए कहा कि शेखर दत्त बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे. छत्तीसगढ़ में राज्यपाल के रूप में उनका अतुलनीय योगदान था.

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि दिवंगत शेखर दत्त प्रतिभा के धनी थे. शेखर दत्त ने सेना में रहते देश का मान बढ़ाया. आईएएस के रूप में प्रशासनिक सेवा की. प्रदेश के राज्यपाल के रूप में उनका योगदान भुलाया नहीं जा सकता. पूरे छत्तीसगढ़ वासियों की ओर से नमन करता हूं.

नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने भी पूर्व राज्यपाल शेखर दत्त और सुरेन्द्र बहादुर को श्रद्धांजलि दी. संसदीय कार्यमंत्री केदार कश्यप ने पूर्व राज्यपाल को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश ने एक कर्मठ व्यक्ति खो दिया. उनका जाना सबके लिए अपूर्णीय क्षति है.

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि शेखर दत्त बड़े-बड़े पदों में रहे. मगर उनके व्यवहार में पद का असर नहीं हुआ. उनके जाने से देश और प्रदेश को अपूर्णीय क्षति हुई.