दरभंगा में भूमि का सर्वे कार्य प्रारंभ
दरभंगा के सभी 18 प्रखंड के 1234 गांवों में विशेष भू-सर्वेक्षण काम शुरू हो चुका है। लेकिन जमीन सर्वे में कैथी लिपि में लिए गए दस्तावेज के जानकार लोग ढूंढने पर भी नहीं मिल रहे हैं। इससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है।
बिहार भूमि सर्वे में लगे अधिकतर कर्मचारियों को कैथी लिपि का ज्ञान नहीं है। इलाके में इस लिपि के जानकार भी कम हैं। ऐसे में जमीन के दस्तावेज में लिखे गए तथ्यों की जानकारी पाना एक बड़ी समस्या बन गई है। वैसे तो जिले में कैथी लिपि के जानकार 100 से अधिक बताए जाते हैं। लेकिन निबंधित कैथी लिपि के जानकार दरभंगा कोर्ट में 1 ही हैं।
गौड़ाबौराम प्रखंड के आसी गांव निवासी सतीशचंद्र दास पिछले 35 सालों से दरभंगा कोर्ट में टाइपिंग कर जीवन यापन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पूरे जिले में लगभग 100 से अधिक लोग कैथी भाषा के जानकार हैं। दरभंगा कोर्ट परिसर में लगभग 10 लोग कैथी भाषा दस्तावेज को हिन्दी में अनुवाद करते हैं। लेकिन बिहार सरकार से निबंधित सिर्फ मैं ही हूं। अभी लोग मेरे पास सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया, मधुबनी, समस्तीपुर आदि जगहों से कैथी दस्तावेज का अनुवाद कराने आते हैं। मेरे पास दो महीने तक किसी अन्य के काम करने का समय नहीं है।
जब उनसे पूछा कि इस भाषा को आगे बढ़ाने के लिए आप अपने स्तर से प्रयास कर रहें है कि नहीं। उन्होंने बताया कि आजकल के बच्चे मैट्रिक और इंटर करने के बाद रोजगार की तलाश में लग जाते हैं। नई पीढ़ी को सिर्फ अंग्रेजी और हिन्दी की जानकारी चाहिए। मालूम चला है कि पटना हाईकोर्ट में सरकार की ओर से कैथी भाषा के अनुवाद के लिए एक मशीन लगाया गया है। यह कैसे काम करता है। इसे लेकर मुझे कोई जानकारी नहीं है।दस्तावेज के अनुवाद को लेकर भटक रहे हैं लोग
आजादी से पहले 1910 में अंग्रेजों के शासनकाल में जमीन का सर्वेक्षण हुआ था। उस समय जो खतियाना या दस्तावेज बना था, वह कैथी लिपि में बनाया गया था। पुराने जो भी दस्तावेज या जमीन से जुड़े हुए खतियाना कागजात है, वह कैथी लिपि में लिखी हुई है। उस लिपि को जानने वाले लोग अब कम रह गए हैं। यही कारण है कि दस्तावेज में क्या लिखा हुआ है, यह जानकारी पाने के लिए लोग भटक रहे हैं।
अनुवादक ने बढ़ा दी फीस
दरभंगा के बिरौल प्रखंड के पटनियां गांव के रहने वाले सत्यनारायण लाल दास, चन्द्र भूषण लाल दास, गुणेश्वर प्रसाद कर्ण आदि ने बताया कि 15 बीघा जमीन के मालिक हैं। जमीन की रसीद हर साल कटाता आ रहा हूं। लेकिन अब जब सर्वे शुरू हुआ है तो कई परेशानी सामने आ रही है। दस्तावेज कैथी लिपि में है और देवनागरी में अनुवाद करने वाला नहीं मिल रहा है। पूरे जिले में कैथी लिपि के जो 3-4 जानकार अभी तक मिले हैं। पहले अनुवाद के लिए प्रति पेज 500 रुपए मांगते थे। लेकिन अब एक खतियाना के अनुवाद के 15 से 20 हजार रुपए की मांग कर रहे हैं।
क्या है कैथी लिपि
कैथी भाषा (कैथी लिपि) एक ऐतिहासिक लिपि है। आजादी से पूर्व उत्तर प्रदेश और बिहार के इलाकों में इस लिपि में कानूनी और प्रशासनिक कार्य किया जाता था। इसे "कायथी" या "कायस्थी" के नाम से भी जाना जाता है। पूर्व उत्तर-पश्चिम प्रांत, मिथिला, बंगाल, ओडिशा और अवध में इसका प्रयोग होता था।
धीरे-धीरे समाप्त हो रही कैथी लिपि
कैथी लिपि बिहार की आत्मा थी। यहां के जितने भी दस्तावेज हैं, सब कैथी लिपि में लिखी हुई है। लेकिन इसके साथ दुर्भाग्य यह हुआ कि मुगल काल से लेकर अंग्रेजों के काल तक अपने-अपने भाषा को बढ़ावा देने के कारण कैथी लिपि धीरे-धीरे समाप्त होती गई। कैथी लिपि के समाप्त होने का सबसे ज्यादा घाटा बिहार को हुआ। लोगों के पास जमीन के दस्तावेज तो हैं, लेकिन वह कैथी लिपि में लिखी है। जो लोग पढ़ नहीं पा रहे हैं।
दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट


 
						



 छात्रा के शव का पोस्टमॉर्टम सोमवार को कराया गया है। पीड़ित परिवार ने थाने में वॉर्डन के खिलाफ लिखित शिकायत की है। परिवार के अनुसार, वॉर्डन ने 1000 रुपए की चोरी का आरोप लगाकर उसकी हत्या कर दी है।
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   संध्या की मां समता कुमारी कहती हैं कि 'मैडम ने मुझे पहले फोन किया और पूछा कि आपने अपनी बेटी को ₹1000 दिया है? मैंने कहा कि कोई पैसा नहीं दिया है। मैंने अपनी बेटी से बात करवाने के लिए कहा। मैं हेलो-हेलो करती रही, लेकिन मैडम ने फोन काट दिया। जब दोबारा फोन किया तो मैडम ने नहीं उठाया।
संध्या की मां समता कुमारी कहती हैं कि 'मैडम ने मुझे पहले फोन किया और पूछा कि आपने अपनी बेटी को ₹1000 दिया है? मैंने कहा कि कोई पैसा नहीं दिया है। मैंने अपनी बेटी से बात करवाने के लिए कहा। मैं हेलो-हेलो करती रही, लेकिन मैडम ने फोन काट दिया। जब दोबारा फोन किया तो मैडम ने नहीं उठाया।
   तीसरी बार फोन किया तो मैडम ने कहा कि मैं बाजार में हूं। कुछ देर बाद मैडम ने कॉल किया और बताया संध्या बेहोश हो गई है। आप लोग जल्दी अस्पताल आ जाइए।'
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   अब यह रिपोर्ट मरीज के दिखाने के पांचवें दिन मिलती है। इससे मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। पहले दिन के ओपीडी में डॉक्टर से दिखवाते हैं। पांचवें दिन जांच रिपोर्ट मिलती। इसके फिर डॉक्टर से दिखाते हैं। इससे मरीजों को कई बार अस्पताल आना पड़ता है। उपाधीक्षक डॉ हरेंद्र कुमार ने इस पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि ओपीडी के मरीजों का सैंपल लेने के दूसरे दिन रिपोर्ट देनी है। अब पांचवें दिन रिपोर्ट दी जा रही है।
अब यह रिपोर्ट मरीज के दिखाने के पांचवें दिन मिलती है। इससे मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। पहले दिन के ओपीडी में डॉक्टर से दिखवाते हैं। पांचवें दिन जांच रिपोर्ट मिलती। इसके फिर डॉक्टर से दिखाते हैं। इससे मरीजों को कई बार अस्पताल आना पड़ता है। उपाधीक्षक डॉ हरेंद्र कुमार ने इस पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि ओपीडी के मरीजों का सैंपल लेने के दूसरे दिन रिपोर्ट देनी है। अब पांचवें दिन रिपोर्ट दी जा रही है।
   कार्यपालक दंडाधिकारी या नोटरी पब्लिक के समक्ष शपथ की कोई आवश्यकता नहीं है। न ही वंशावली पर संबंधित ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि से हस्ताक्षर कराना जरूरी है। खतियान की मूल प्रति की भी जरूरत नहीं है। जमाबंदी रैयत जीवित हैं तो केवल स्व घोषणा देंगे।
कार्यपालक दंडाधिकारी या नोटरी पब्लिक के समक्ष शपथ की कोई आवश्यकता नहीं है। न ही वंशावली पर संबंधित ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि से हस्ताक्षर कराना जरूरी है। खतियान की मूल प्रति की भी जरूरत नहीं है। जमाबंदी रैयत जीवित हैं तो केवल स्व घोषणा देंगे।
   
   तेजस्वी के मिथिलांचल शब्द के उपयोग से पूरा मिथिला को खंडित करने के उनके साजिश का पर्दाफाश भी होता है। नेता प्रतिपक्ष को अपने बयानों के लिए माफी मांगनी चाहिए। दरभंगा सांसद सह लोकसभा में पार्टी के सचेतक डॉ.गोपाल जी ठाकुर ने तेजस्वी के बयानों पर अपनी प्रतिक्रिया में उपरोक्त बातें कही हैं।
 तेजस्वी के मिथिलांचल शब्द के उपयोग से पूरा मिथिला को खंडित करने के उनके साजिश का पर्दाफाश भी होता है। नेता प्रतिपक्ष को अपने बयानों के लिए माफी मांगनी चाहिए। दरभंगा सांसद सह लोकसभा में पार्टी के सचेतक डॉ.गोपाल जी ठाकुर ने तेजस्वी के बयानों पर अपनी प्रतिक्रिया में उपरोक्त बातें कही हैं।
   इस काम को लेकर भीड़ इसलिए हो रही है क्योंकि लोगों को ऐसा लग रहा है कि सर्वे की अंतिम तिथि जल्द ही घोषित होने वाली है। कुछ अफवाह ने भी लोगों को परेशान किया है कि अंतिम तिथि सितंबर के अंतिम सप्ताह तक है। इसको देखते हुए प्रभारी जिला बंदोबस्त पदाधिकारी कमलेश प्रसाद ने लोगों को कुछ जानकारी साझा किया है।
इस काम को लेकर भीड़ इसलिए हो रही है क्योंकि लोगों को ऐसा लग रहा है कि सर्वे की अंतिम तिथि जल्द ही घोषित होने वाली है। कुछ अफवाह ने भी लोगों को परेशान किया है कि अंतिम तिथि सितंबर के अंतिम सप्ताह तक है। इसको देखते हुए प्रभारी जिला बंदोबस्त पदाधिकारी कमलेश प्रसाद ने लोगों को कुछ जानकारी साझा किया है।
   
   
  
Sep 18 2024, 21:44
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