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सावरकर ब्राह्मण थे लेकिन गोमांस खाते थे’, कर्नाटक के मंत्री के विवादित बोल, चढ़ा सियासी पारा

# karnataka_health_minister_dinesh_gundurao_claims_savarkar_was_consumed_beef

कर्नाटक के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री दिनेश गुंडुराव ने विनायक दामोदर सावरकर को लेकर एक विवादित बयान दिया है। मंत्री के बयान के बाद सियासी पारा चढ़ गया है। दिनेश गुंडुराव ने दावा किया है कि वीर सावरकर ब्राह्मण थे लेकिन वे खुलेआम गोमांस खाते थे और इसका प्रचार भी करते थे। उन्होंने कभी गोहत्या का विरोध नहीं किया। दिनेश गुंडुराव के इस दावे पर सियासी बवाल मच गया है।

दिनेश गुंडुराव ने कहा, सावरकर ब्राह्मण थे, लेकिन वे बीफ खाते थे और मांसाहारी थे। विनायक ने गौहत्या का विरोध नहीं किया। उन्होंने खुद की पहचान नॉन वेजिटेरियन के तौर पर की है। गुंडू राव ने कहा कि दूसरी तरफ मोहम्मद अली जिन्ना एक अलग तरह के चरमपंथ का प्रतिनिधित्व करते थे, हालांकि वे कभी भी हार्ड कोर इस्लामिस्ट नहीं थे, कट्टरपंथी नहीं थे।

इस दौरान मंत्री दिनेश गुंडुराव ने महात्मा गांधी का भी जिक्र किया। दिनेश गुंडूराव ने कहा कि गोडसे जैसा व्यक्ति जिसने महात्मा गांधी की हत्या की, वह कट्टरपंथी थे क्योंकि उनका मानना था कि वो जो कर रहे थे वह सही था। यह कट्टरवाद है। मान लीजिए कि कोई गोरक्षक जाता है और किसी को मारता है या पीटता है, तो वह यह नहीं सोचता कि वह कुछ गलत कर रहा है। यह सावरकर के कट्टरवाद का खतरा है। यह कट्टरवाद देश में बड़ी जड़ें जमा रहा है। गांधी एक धार्मिक व्यक्ति थे। सावरकर के कट्टरवाद का मुकाबला करने का असली तरीका गांधी के लोकतांत्रिक सिद्धांत और उनका दृष्टिकोण है। कट्टरवाद का मुकाबला किया जाना चाहिए।

कांग्रेस के लोग अज्ञानी- नकवी

दिनेश गुंडुराव के इस बयान के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। बीजेपी ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। दिनेश गुंडुराव के बयान पर आपत्ति जताते हुएमुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, कांग्रेस के लोग अज्ञानी है। इनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है।समाज इनको सीरियस नहीं लेता है। देश का बंटवारा करने वालों (जिन्ना) का महिमामंडन नहीं करना चाहिए।

राहुल गांधी ‘टुकड़े-टुकड़े’ की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे -अनुराग ठाकुर

बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने कहा है कि कांग्रेस झूठ की फैक्ट्री है। भारत वीर सावरकर का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा। देश के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले वीर सावरकर से कांग्रेस ने कभी कुछ नहीं सीखा। अनुच्छेद 370 कांग्रेस पार्टी द्वारा दिया गया था। यह जवाहरलाल नेहरू की गलती थी और हजारों लोग मारे गए। उन्होंने वीर सावरकर का अपमान करके यह दिखाया है कि वे कांग्रेस के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान नहीं करते हैं। देश को तोड़ने वालों को कांग्रेस पार्टी में शामिल कराकर राहुल गांधी ‘टुकड़े-टुकड़े’ की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं और वह बोलने वाले ‘आधुनिक जिन्ना’ हैं विदेश में देश की बुराई।

ईरान के हमले से इजरायल को हुआ भारी नुकसान! एयरबेस तक पहुंची मिसाइलें, सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा

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ईरान और इजराइल के बीच तनाव चरम पर है। ईरान ने मंगलवार को इजराइल पर लगभग 200 मिसाइलें दागीं। इनमें से कई को इजराइल की वायु रक्षा प्रणाली ने रोक लिया, कुछ समुद्र में गिरीं, तथा अन्य ने धरती में गड्ढे कर दिए। ईरान का कहना है कि उसकी 90 फीसदी मिसाइलों ने अपने टारगेट को हिट किया है। ईरान द्वारा किए गए हमले में दो इजरायली एयरबेस, एक स्कूल का मैदान और मोसाद मुख्यालय के संदिग्ध क्षेत्र के निकट स्थित दो स्थान शामिल हैं। इसमें इजरायल को सबसे ज्यादा नुकसान नेवातिम एयरबेस और तेल नॉफ एयरबेस पर हुआ। हालांकि, इजराइल ने दावा किया है कि उसके मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने हमलों को नाकाम कर दिया।

इजरायल के सबसे सुरक्षित स्थानों में से एक है नेगेव रेगिस्तान में मौजूद नेवातिम एयर बेस। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों ने इस एयरबेस पर नुकसान पहुंचाया है। सैटेलाइट तस्वीरों में यह खुलासा हो रहा है। इन तस्वीरों को प्लैनेट लैब्स की सैटेलाइट ने लिया है। जिसे समाचार एजेंसी एपी ने जारी किया है।

हालांकि सैटेलाइट तस्वीरों से यह स्पष्ट नहीं है कि इजरायली स्टेल्थ फाइटर जेट को नुकसान पहुंचा है या नहीं। वो उस हैंगर में थे या नहीं जिसपर मिसाइल हमले से ज्यादा नुकसान हुआ है। लेकिन एयरबेस पर कई क्रेटर यानी गड्ढे बने दिख रहे हैं, जो मिसाइलों की टक्कर से बने हैं।

नुकसान के दावों से इजराइल का इनकार

वहीं, इजरायल इस दावे को नकार रहा है। इजरायली सेना ने कहा कि हमले हुए हैं। मिसाइलें गिरी हैं। लेकिन उनसे किसी फाइटर जेट, विमान, ड्रोन, हथियार या जरूरी ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचा है। मिसाइल हमले में ऑफिस बिल्डिंग और मेंटेनेंस एरिया क्षतिग्रस्त हुआ है।

इजरायल के लिए कितना अहम है नेवातिम एयरबेस

नेवातिम एयरबेस नेगेव रेगिस्तान में स्थित नेवातिम एयरबेस, जहां इजरायल के एफ-35 लड़ाकू विमान स्थित हैं, को अप्रैल में ईरान के ड्रोन और मिसाइल हमले का निशाना बनाया गया था, जो दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमले के जवाब में किया गया था। यह इजरायल के सबसे बड़े रनवे में से एक है और इसमें अलग-अलग लंबाई के तीन रनवे हैं। यहां स्टील्थ लड़ाकू विमान, परिवहन विमान, टैंकर विमान और इलेक्ट्रॉनिक टोही/निगरानी के लिए मशीनें, साथ ही विंग ऑफ जियोन भी तैनात थे. इस एयरबेस पर ईरान का हमला मतलब इजरायल के लिए गहरी चोट के बराबर है। थोड़ा सा भी नुकसान इजरायल के लिए काफी भारी पड़ सकता है।

नेवातिम एयरबेस का इजरायल का क्या है महत्व?

नेवातिम एयरबेस एयर फोर्स बेस 8 के नाम से भी जाना जाने वाला यह बेस इज़रायली एयर फ़ोर्स (आईएएफ) का सबसे पुराना और मुख्य बेस है जो इजरायल के रेहोवोट से 5 किमी दक्षिण में स्थित है। तेल नॉफ में दो स्ट्राइक फ़ाइटर, दो हेलिकॉप्टर और एक यूएवी स्क्वाड्रन है। बेस पर फ़्लाइट टेस्ट सेंटर मनात और इज़राइल डिफेंस फ़ोर्स (आईएएफ) की कई विशेष इकाइयां भी स्थित हैं, जिनमें यूनिट 669 (हेलीबोर्न कॉम्बैट सर्च एंड रेस्क्यू (सीएसएआर) और पैराट्रूपर्स ब्रिगेड प्रशिक्षण केंद्र और उसका मुख्यालय शामिल हैं।

तीसरे विश्व युद्ध हो रही शुरुआत, ईरान द्वारा इजरायल पर किए गए हमले का क्या होगा असर ?

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PC: noticiasfinales

मंगलवार की रात को मध्य पूर्व में संघर्ष में तेज़ी से वृद्धि हुई, जब ईरान ने इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलों की बौछार की - जवाबी कार्रवाई में हिज़्बुल्लाह के उग्रवादी नेताओं की हत्या और लेबनान में हमले किए गए। इस हमले से पूरे इजरायल में अलार्म बज गया, जिससे नागरिकों को शरण लेनी पड़ी और सेना को अपनी वायु रक्षा प्रणाली वापस लेनी पड़ी।

हमले के बाद, इजरायल ने जवाबी कार्रवाई करने की कसम खाई, और कहा कि वह "अपनी पसंद के समय और स्थान" पर जवाब देगा। हालांकि, ईरान ने चेतावनी दी कि अगर इजरायल ने हमले का जवाब दिया तो वह उसके खिलाफ "कुचलने वाले हमले" करेगा।

इसने दुनिया भर में तीसरे विश्व युद्ध की बड़ी आशंकाओं को जन्म दिया है।

भारत में इजरायली दूतावास के प्रवक्ता गाय निर के अनुसार, इजरायली रक्षा बल (आईडीएफ) वर्तमान में मिसाइल हमले का आकलन कर रहा है और तेहरान को उचित जवाब देने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने बताया कि अगर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई इजरायल के साथ पूर्ण पैमाने पर युद्ध शुरू करने की योजना बनाते हैं, तो यह "ईरान के लिए एक गलती" होगी। नीर ने उन अन्य देशों को भी आगाह किया जो ईरान के साथ मिलकर इजरायल पर हमला करने पर विचार कर सकते हैं, उनसे ऐसा न करने का आग्रह किया। उन्होंने NDTV से कहा, "परिणाम उनके लिए भी विनाशकारी होंगे।" यह ध्यान देने योग्य है कि संयुक्त राज्य अमेरिका, जो इजरायल का दीर्घकालिक सहयोगी रहा है, ने देश के लिए सैन्य सहायता का आदेश दिया। इसमें ऐसी प्रणालियाँ शामिल थीं जो निकट आ रही मिसाइलों को नष्ट करने में मदद करती थीं। 

मंगलवार को व्हाइट हाउस के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस मध्य पूर्व की स्थिति पर नज़र रख रहे थे। व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा, "राष्ट्रपति बिडेन ने अमेरिकी सेना को ईरानी हमलों के खिलाफ इजरायल की रक्षा में सहायता करने और इजरायल को निशाना बनाने वाली मिसाइलों को मार गिराने का निर्देश दिया।"

सोशल मीडिया पर तीसरे विश्व युद्ध के रुझान इस बीच, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म 'तीसरे विश्व युद्ध' के टैग और पोस्ट से भर गए क्योंकि दुनिया भर में डर बढ़ गया। एक एक्स यूजर ने लिखा, "इजराइल आयरन डोम ईरान की मिसाइलों को रोकने में विफल रहा, जो तेल अवीव पर हमला करती हैं। ऐसा लगता है कि तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो चुका है।" दूसरे ने कहा: "तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो चुका है।" एक यूजर ने कहा: "ट्विटर पर हर कोई समझ रहा है कि हम तीसरे विश्व युद्ध में शामिल होने वाले हैं, क्योंकि हमारी सरकार इजरायल को पूरे क्षेत्र में आतंक फैलाने देने में मिलीभगत कर रही है।" "अगर #ईरान सोचता है कि वह एक मिसाइल हमले से इजरायल को हरा सकता है, तो वह गलत है। वर्तमान में, #इजराइल एक बहुत बड़ी शक्ति है और अमेरिका उसके पीछे खड़ा है। ऐसा करके ईरान ने तीसरे विश्व युद्ध को आमंत्रित किया है। नेतन्याहू बहुत जल्द इसका जवाब देंगे, यह युद्ध मानव सभ्यता के लिए घातक होगा," एक नेटिजन ने कहा।

जंग के मुहाने पर खड़ा मिडिल ईस्ट, इजराइल-ईरान जंग में कौन देश किसके साथ?

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मध्यपूर्व में तनाव बढ़ा हुआ है।ईरान ने मंगलवार को इजरायल पर बड़ा हमला किया। ईरान ने इजरायल पर 180 से ज्यादा मिसाइलें दायर कीं। इस हमले को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान की बड़ी गलती बताया। उन्होंने कहा कि ईरान को इसकी कीमत चुकानी पड़े। इजरायली पीएम नेतन्याहू के इस बयान को ईरान के लिए खुली चेतावनी माना जा रहा है। ईरान के हमले के बाद मिडिल ईस्ट जंग के मुहाने पर आकर खड़ा हो गया।

मिडिल ईस्ट पिछले कई दशकों से अशांति की चपेट में रहा है। इस क्षेत्र में कई युद्ध और गृहयुद्ध हुए, जिसने क्षेत्र को एक नया आकार दिया। अक्टूबर 2023 में इजरायल और हमास के बीच जंग की शुरूआत हुई। इजराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच जारी संघर्ष का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस जंग में हमास के कई प्रमुख नेताओं और हिज्बुल्लाह के प्रमुख समेत ईरान के सीनियर कमांडरों को अपने अंदर समा लिया। ऐसे में अब ईरान भी जंग में कूद पड़ा है और क्षेत्र भयानक जंग की कगार पर है।आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में हालात बिगड़ सकते हैं।

करीब दो महीने पहले हमास नेता इस्माइल हनिया की ईरान की राजधानी तेहरान में हत्या हुई थी। जिसके बाद बीती 28 सितंबर को हिज़्बुल्लाह ने इसराइली हमले में अपने नेता हसन नसरल्लाह की मौत की पुष्टि की थी, उसके बाद से मध्य-पूर्व में संघर्ष और गंभीर होता जा रहा है। इजराइल हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर लेबनान में हमले जारी रखे हुए है और अब उसने हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर ज़मीन से सैन्य कार्रवाई भी शुरू कर दी है। हनिया की मौत के बाद ईरान ने फौरन कोई सैन्य प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन एक अक्तूबर के ईरान के मिसाइल हमलों ने मध्य-पूर्व के इस संघर्ष को बढ़ा दिया है। इस बढ़ते संघर्ष पर अरब मुल्क़ के साथ ही दुनियाभर के कई देश स्पष्ट तौर पर बँटे हुए नज़र आ रहे हैं

अब जबकि जंग एक नया रूप अख्तियार करने की राह पर है, सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर मिडिल ईस्ट की इस जंग में कौन, किसके साथ खड़ा है?

इजराइल के खिलाफ इस्लामिक देशों को एकजुट करने के लिए ईरान ने पहले ही इन मुल्कों से इसराइल से व्यापार खत्म करने की अपील की थी। दूसरी तरफ अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देश इसराइल के साथ खड़े हैं और इस युद्ध में उसकी मदद कर रहे हैं।

13 खाड़ी देश का रुख

मिडिल ईस्ट में कुल 18 देश हैं, इनमें से 13 अरब दुनिया का हिस्सा हैं। जानते हैं कि ईरान-इजरायल और लेबनान की जंग में इन 13 खाड़ी देश का रुख क्या है?

बहरीन: बहरीन ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया है कि वह किस तरफ है। हालांकि इस देश के कुछ दल ईरान का समर्थन कर रहे हैं, इस देश ने 2020 से अपने संबध इजरायल से ठीक कर लिए थे।

ईरान: ईरान पूरी तरह से लेबनान के साथ खड़ा और हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत का बदले लेने के लिए इजरायल पर मंगलवार को 180 से ज्यादा मिसाइलें दागीं।

इराक: फिलहाल इस जंग से बाहर है, ईरान से इसकी दुश्मनी सभी जानते हैं, ईरान के इजरायल पर हमले का जश्न यहां भी लोगों ने मनाया।ईरानी समर्थित संगठनों ने इस हमले का समर्थन किया है। ईरान की मिसाइल सीरिया और इराक की हवाई सीमा को क्रॉस करके इजरायल में गिरीं।

फिलीस्तीन: 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर हमले किए थे। इसके बाद से इजरायल लगातार फिलिस्तीन और गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों को निशाना बना रहा है। हमास के समर्थन में ही लेबनानी संगठन हिजबुल्लाह इजरायल से जंग कर रहा है।

जॉर्डन: जॉर्डन ने खुद को इस जंग से अलग रखा हुआ है। जॉर्डन पीएम ने कहा है कि वो अपने देश को युद्ध का मैदान नहीं बनने देंगे। अरब मुल्क जॉर्डन की सीमा वेस्ट बैंक से मिलती है और यहां फिलिस्तीनी शरणार्थियों की बड़ी संख्या रहती है। इजराइल जब बना तो इस क्षेत्र की एक बड़ी आबादी भागकर जॉर्डन आ गई थी।

कुवैत: कुवैत ने कहा कि उसने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है। कुवैत ने यूएन में नेतनयाहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था।

लेबनान: इजराइल से सीधी जंग लड़ रहा है।

ओमान: इजराइल का विरोध करता रहा है। इसकी दोस्ती ईरान से भी है और यूएस से भी। शांति की अपील कर रहा है।

कतर: नसरल्लाह की मौत पर खामोश हैं, अभी तक कोई बयान नहीं दिया गया। हालांकि इस देश ने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है।

सऊदी अरब: सऊदी अरब ने भी खुद को जंग से दूर रखा है. सऊदी द्वारा इजराइल की निंदा तो की गई, लेकिन अभी तक किसी के साथ खुलकर नहीं आया है. यूएन में नेतन्याहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था.

सीरिया: इजराइल के खिलाफ रहा है, जंग लड़ता रहा है। इजरायल ने सीरिया में भी हमले किए हैं।

यूएई: नसरल्लाह की मौत पर खामोश है। कुछ भी नहीं बोल रहा है। इस देश ने 2020 से अपने संबध इजराइल से ठीक कर लिए थे।

यमन: इजरायल ने यमन में भी कई ठिकानों पर बमबारी की है।

अमेरिका और पश्चिमी देश

ये बात नई नहीं है कि फिलिस्तीन और इजराइल के संघर्ष में ज्यादातर पश्चिमी देशों का झुकाव इजराइल की तरफ रहा है। अब ईरान की बात करें तो इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान से पश्चिमी देशों ने दूरी बना ली है। अमेरिका के साथ साथ कनाडा, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली आदि खुले तौर पर इजराइल के साथ हैं और अगर ईरान इजराइल पर हमला करता है, तो ये इजराइल को सैन्य मदद भी दे सकते हैं। अमेरिका और ब्रिटेन ने पहले ही अपनी मौजूदगी मध्य पूर्व में बढ़ा दी है।

चीन-रूस किस तरफ जाएंगे?

इस पूरे तनाव के बीच दुनिया की नजरें चीन और रूस पर बनी हुई है। पिछले कुछ सालों में ईरान की चीन और रूस के साथ करीबी बढ़ी है। रूस और चीन के इजराइल के साथ सामान्य रिश्ते हैं, लेकिन चीन गाजा युद्ध के दौरान इजराइल के हमलों की निंदा करता रहा है और कुछ खबरों के मुताबिक वे हमास के नेताओं से भी संपर्क में है।

क्या होगा भारत का रूख?

इजराइल-ईरान संघर्ष के बीच भारत ने दोनों देश में रह रहे पने लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की है। भारत इस मुद्दे पर शांतिपूर्ण समझौते के पक्ष में रहा है। हालांकि भारत ने साल 1988 में फिलिस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था। लेकिन हाल के वर्षों में मध्य-पूर्व के हालात पर भारत किसी एक पक्ष की तरफ स्पष्ट तौर पर झुका नज़र नहीं आता है। पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इजराइल के ख़िलाफ लाए गए एक प्रस्ताव में एक साल के अंदर गाजा और वेस्ट बैंक में इजराइली कब्ज़े को ख़त्म करने की बात कही गई थी।

आपदाओं से निपटने के लिए अब दूसरे विभागों से भी मदद ले सकेंगे वन कर्मी

डेस्क:– केंद्र सरकार मंत्रालय की वन परामर्श समिति की 27 अगस्त को हुई बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी। मंत्रालय ने मंगलवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लिखे खत में कहा कि वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 और संबंधित दिशानिर्देशों के अनुसार आपातकालीन स्थितियों जैसे प्राकृतिक आपदाओं में उन वन क्षेत्रों में कुछ वानिकी गतिविधियां की जा सकती हैं, जहां वन्यजीवों, मानव जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता होती है। है कि राज्य वन विभाग के पास जरूरी तकनीकी विशेषज्ञता के अभाव में आपात परिस्थितियों में अन्य सरकारी विभागों को प्राकृतिक आपदाओं को रोकने के लिए वन क्षेत्रों में वानिकी गतिविधियों की इजाजत दी जा सकती है।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मंगलवार को जारी दिशानिर्देशों में विस्तार से उन उपायों का जिक्र किया है जिन्हें वन क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं को रोकने या उनके प्रबंधन के लिए किया जा सकता है।

उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को पत्र लिखकर जंगल में बार-बार आग लगने की आशंका वाले क्षेत्रों के लिए प्रभावी उपाय तलाशने और विकसित करने को कहा था।

इसके बाद ये दिशानिर्देश जारी किए गए। इसमें आग लगने की आशंका वाले क्षेत्रों में समय से पहले वन कर्मचारियों को तैयार करने के लिए ‘मॉक ड्रिल’ करने को भी कहा गया है। साथ ही सरकारी विभागों को वन क्षेत्रों में मृदा एवं जल संरक्षण कार्य करने की अनुमति देने का आग्रह किया गया है।

मंत्रालय की वन परामर्श समिति की 27 अगस्त को हुई बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी। मंत्रालय ने मंगलवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लिखे खत में कहा कि वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 और संबंधित दिशानिर्देशों के अनुसार आपातकालीन स्थितियों जैसे प्राकृतिक आपदाओं में उन वन क्षेत्रों में कुछ वानिकी गतिविधियां की जा सकती हैं, जहां वन्यजीवों, मानव जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता होती है।

सिंगापुर में पूर्व मंत्री को 12 महीने की जेल, भ्रष्टाचार के आरोप में ठहराए गए थे दोषी, जानें भारत से क्या कनेक्शन?

#singapore_former_minister_sentenced_to_12_months_jail_on_corruption_charges

सिंगापुर में भारतीय मूल के पूर्व परिवहन मंत्री एस. ईश्वरन को 12 महीने की जेल की सजा सुनाई गई है। उन्हें लोक सेवक के तौर पर अपने दो व्यापारी मित्रों से सात साल में 403,300 सिंगापुर डॉलर मूल्य के उपहार लेने के आरोप में दोषी पाया गया था। 24 सितंबर को उपहार लेने और न्याय को अवरुद्ध करने के चार मामलों में 62 वर्षीय ईश्वरन को दोषी दोषी ठहराया गया था।

सजा सुनाने के दौरान जज विंसेंट हूंग ने कहा कि उन्होंने अभियोजन और बचाव पक्ष दोनों की ओर से सजा पर विचार किया, लेकिन वे दोनों स्थितियों पर सहमत होने में असमर्थ रहे।जज ने बताया कि पूर्व मंत्री ने उपहार लेकर अपने पद का दुरुपयोग किया। उन्होंने कहा कि ईश्वरन ने सार्वजनिक बयान देकर इन आरोपों को झूठा बताया था। जज ने आगे कहा, "प्रधानमंत्री को भेजी गई चिट्ठी में ईश्वरन ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए इसे झूठ बताया।

ईश्वरन के वकील दविंदर सिंह ने आठ महीने से अधिक की सजा न देने की दलीली दी थी। डिप्टी अटर्नी जनरल ताई वी शियोंग ने छह से सात महीने की सजा की मांग की। ईश्वरन के वकीलों ने सजा को सात अक्तूबर तक के लिए टालने और उन्हें उसी दिन शाम चार बजे अदालत में आत्मसमर्पण करने की मांग की।

ईश्वरन पर थिएटर शो, फुटबॉल मैच और सिंगापुर एफ1 ग्रैंड प्रिक्स, व्हिस्की, अंतरराष्ट्रीय उड़ानों और होटल में ठहरने समेत कीमती सामानों से संबंधित आरोप हैं। इसमें शामिल राशि SGD 400,000 (USD 300,000 से अधिक) से अधिक है। उसके पास से व्हिस्की और वाइन की बोतलें, गोल्फ क्लब और एक ब्रॉम्पटन साइकिल भी जब्त की गई। ईश्वरन के आरोप प्रॉपर्टी टाइकून ओंग बेंग सेंग और कंस्ट्रक्शन फर्म के मालिक लुम कोक सेंग के साथ उसके संबंधों से संबंधित हैं। हालांकि दोनों व्यवसायियों पर आरोप नहीं लगाए गए हैं।

संशोधित किए गए दो आरोपों में ओंग शामिल हैं, जो उस समय सिंगापुर जीपी के बहुसंख्यक शेयरधारक थे।संशोधित आरोपों में यह भी कहा गया है कि ईश्वरन को पता था कि सिंगापुर जीपी के माध्यम से ओंग सुविधा के प्रदर्शन से संबंधित था। सिंगापुर एफ1 ग्रैंड प्रिक्स 2022 से 2028 के लिए सिंगापुर जीपी और सिंगापुर पर्यटन बोर्ड (एसटीबी) के बीच समझौता, और यह ईश्वरन के मंत्री और एफ1 संचालन समिति के अध्यक्ष के रूप में आधिकारिक कार्यों से जुड़ा था। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मूल आरोपों में कहा गया था कि ईश्वरन ने भ्रष्ट तरीके से ओंग से ये उपहार प्राप्त किए, और ऐसा ओंग के व्यावसायिक हितों को आगे बढ़ाने के बदले में किया।

कट्टरपंथ की गठजोड़! जाकिर नाइक की पाक पीएम शहबाज शरीफ से मुलाकात, मलेशियाई पीएम भी पहुंचे पाकिस्तान

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भारत से भगोड़ा कट्टरपंथी इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक पाकिस्तान में है। जाकिर नाइक 15 दिनों के पाकिस्तान दौरे पर हैं। इस बीच 2 अक्टूबर की देर रात प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने जाकिर नाइक से मुलाकात की। इस दौरान पाक पीएम ने जाकिर नाइक की जमकर तारीफ की और कहा कि वे व्यावहारिक और प्रभावशाली हैं। वहीं पाक पीएम से मुलाकात के बाद जाकिर नाइक ने एक बार फिर जहरीला बयान दिया है।

जाकिर नाइक ने फिर उगला जगर

पाकिस्तानी पीएम से मुलाकात कर जाकिर नाइक ने एक बार फिर भारत के खिलाफ जगह उगला। उसने कहा, हिन्दू मुझे चाहते थे इसलिए भारत सरकार को मैं पसंद नहीं था। हिन्दू इस्लाम कबूल करने लगो तो यह सरकार के एजेंडा के खिलाफ था। उसने आरोप लगाया कि भारत सरकार उसके खिलाफ कर्रवाई करने का मौका तलाश कर रही थी। उन्होंने कहा, ढाका में ब्लास्ट होता है तो आरोप लगाया जाता है कि वह जाकिर नाइक का समर्थक... फेसबुक पर फॉलोवर था, लेकिन मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला।

नाइक ने की शरीफ की तारीफ

वहीं, जाकिर नाइक ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ अपनी एक तस्वीर भी एक्स पर पोस्ट की। शरीफ ने नाइक से कहा, इस्लाम शांति का धर्म है और आप लोगों के बीच इस्लाम का सच्चा संदेश फैलाकर एक अहम फर्ज निभा रहे हैं।

गोमांस को लेकर दिया था बड़ा बयान

इससे पहले जाकिर नाइक ने गोमांस को लेकर बड़ा बयान दिया। उसने कहा कि इस्लाम में गोमांस खाना फर्ज नहीं है। अगर कोई प्रतिबंध लगाता है तो हमें उसका पालन करना चाहिए। अगर आप मेरी निजी राय पूछें तो गोमांस पर प्रतिबंध एक राजनीतिक मुद्दा है, क्योंकि करोड़ों हिंदू भी गोमांस खाते हैं। नई सरकार आने के बाद कई राज्यों में गोमांस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अगर आप किसी लड़की को परेशान करते हैं तो तीन साल की सजा है और अगर आप गोमांस खाते हैं तो पांच साल की सजा है। यह कैसा तर्क है?

मलेशियाई पीएम भी पाक दौरे पर

जाकिर नाइक के बाद मलेशियाई पीएम अनवर इब्राहिम भी गुरुवार को तीन दिवसीय दौरे पर पाकिस्तान पहुंचे। उनकी यह यात्रा तब हो रही है, जब मलेशिया में शरण लेने वाला कट्टरपंथी इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक भी पाकिस्तान के दौरे पर है।अनवर इब्राहिम अगस्त में राजकीय दौरे पर भारत आए थे। इस दौरान जब जाकिर नाइक के प्रत्यर्पण पर उनसे सवाल पूछा गया तो इब्राहिम ने सबूतों की बात कही थी। हालांकि, जाकिर नाइक के साथ अनवर इब्राहिम की दोस्ती जगजाहिर है।इब्राहिम मलेशिया में कई रैलियों और कार्यक्रमों के दौरान जाकिर नाइक के साथ मंच साझा कर चुके हैं।

बांग्लादेश सरकार का बड़ा फैसला, भारत सहित इन 5 देशों से वापस बुलाए अपने राजदूत, जानें क्या है वजह

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बांग्लादेश में शेख हसीने के तख्तापलट के बाद भारत के साथ संबंध काफी प्रभावित हुए हैं। इस बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने क और बड़ा फैसला लिया है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत सहित पांच देशों से अपने राजदूत वापस बुला लिए हैं। भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, पुर्तगाल और संयुक्त राष्ट्र से बांग्लादेश के राजदूत वापस बुलाए गए हैं।

जिन्हें बुलाया गया है उनमे भारत में उच्चायुक्त मुस्तफ़िज़ुर रहमान के अलावा न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के स्थायी प्रतिनिधि और ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम और पुर्तगाल में राजदूत शामिल हैं। रहमान सहित वापस बुलाए गए कुछ राजनयिक आने वाले महीनों में सेवानिवृत्त होने वाले थे।राजनयिक रहमान को जुलाई 2022 में भारत में उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था। इससे पहले वह जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में बांग्लादेश के स्थायी प्रतिनिधि और स्विट्जरलैंड और सिंगापुर में दूत के रूप में काम कर चुके थे। उन्होंने विकास सहयोग को आगे बढ़ाने और दोनों पक्षों के बीच बेहतर संबंध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय से जुड़े लोगों का मानना है कि प्रशासनिक प्रभाग के आदेश देश की विदेश नीति को लेकर अच्छे नहीं रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि भारत में उच्चायुक्त सहित जिन राजदूतों को वापस बुलाया गया है, उनमें से कई राजनीतिक नियुक्तियां नहीं थीं।

बता दें कि बांग्लादेश में छात्र संगठनों के नेतृत्व में लगातार विरोध प्रदर्शन हुए। इसके कारण अगस्त की शुरुआत में शेख हसीना की सरकार गिर गई और उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। हसीना ने बांग्लादेश छोड़ने के बाद भारत में शरण ली। इस घटना के बाद से भारत-बांग्लादेश संबंध खराब स्थिति में हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में कार्यवाहक प्रशासन ने हसीना के पद छोड़ने के कुछ दिनों बाद ही कार्यभार संभाल लिया।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर माल्यार्पण कार्यक्रम का हुआ आयोजन।

रामगढ : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर माल्यार्पण कार्यक्रम का हुआ आयोजन। मुक्तिधाम संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उपायुक्त एवं पुलिस अधीक्षक सहित अन्य अधिकारियों ने लिया हिस्सा। रामगढ़: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 155 वें जयंती के अवसर पर बुधवार को रामगढ़ शहर अंतर्गत थाना चौक अवस्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान उपायुक्त, रामगढ़ चंदन कुमार, उप विकास आयुक्त रॉबिन टोप्पो, अपर समाहर्ता  गीतांजलि कुमारी सहित जिले के अन्य वरीय अधिकारियों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया वहीं मौके पर उपायुक्त ने स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत थाना चौक के समीप सामूहिक रूप से अधिकारियों के साथ श्रमदान कर स्वच्छता के महत्व पर सभी का ध्यान आकृष्ट किया। इस दौरान संत फ्रांसिस सहित अन्य विद्यालयों के बच्चों के द्वारा नुक्कड़ नाटक, स्वच्छता रैली आदि का आयोजन किया गया।माल्यार्पण के उपरांत उपायुक्त एवं पुलिस अधीक्षक अजय कुमार सहित अन्य अधिकारियों ने रामगढ़ शहर अंतर्गत गांधी घाट पहुंचकर लाल बहादुर शास्त्री एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया वहीं उन्होंने मुक्तिधाम में गांधी जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान सभी को संबोधित करते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के उपदेशों, अपने अनुभवों आदि को लेकर सभी को जागरूक किया।

कहीं चुपके से आपकी बातें तो नहीं सुन रहा Google? कैसे करें पता ? जानें यहां

By: Streetbuzz Desk
Edited By: pari_shawआज के वक्त में टेक्नोलॉजी का दायरा केवल मोबाइल और टीवी तक सीमित नहीं है। टेक्नोलॉजी मोबाइल और टीवी से बाहर की दुनिया हैं, जो न सिर्फ लोगों की जिंदगी आसान बना रही है, बल्कि हमारे आसपास की जिंदगी को बेहतर बना रही है।वैसे ही एक टेक्नोलॉजी है गूगल, जिसने हमारी जिंदगी को मखन के जैसे आसान बना दिया है गूगल एक ऐसा एप है जिसके बिना जिंदगी अधूरी है गूगल के वजह से लोगों को हर काम में मदद मिलती है गूगल के पास हर सवाल का जवाब हैदुनियां में ऐसी कोई भी जवाब नहीं है जिसका जवाब गूगल के पास नहीं है वहीं पूरी दुनियां गूगल से परिचित हैं तो वहीं लोगों के मन एक सवाल सदैव रहता है की कहीं गूगल हमारी बात तो नहीं सुन रही हैदरअसल गूगल हमारी हर एक्टिविट को रिकॉर्ड करता है वहीं Google पर कई हिडेन फीचर्स हैं, जिसके बारे में लोग नहीं जानते हैं. कई बार गूगल आपकी बातें छुपकर भी सुनता है. ऐसे में जरूरी है कि आप प्राइवेसी सेटिंग को ऑन कर लें और अपनी प्राइवेसी को सुरक्षित रखें.गूगल के मुताबिक, जब ये वॉयस और ऑडियो एक्टिविटी सेटिंग बंद होती है तो Google Search, Assistant और Maps के साथ किए गए इंटरैक्शन से मिले वॉयस इनपुट्स आपके गूगल अकाउंट में सेव नहीं होते हैं
Google अपने यूजर्स को समय समय पर काफी सारे नए फीचर्स देता रहता है. कुछ फीचर्स दिखते हैं तो कुछ हिडन रहते हैं. कई फीचर्स डेटा और प्राइवेसी से भी जुड़े होते हैं, जो आपकी वेब एंड ऐप एक्टिविटी से ऑडियो रिकॉर्डिंग्स कलेक्ट करता है.गूगल का कहना है कि वे केवल कमांड्स को सुनने और मार्केटिंग एफर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए ऐसा कर रहे हैं. लेकिन इसे प्राइवेसी उल्लंघन के तौर भी देखा जा रहा है.गूगल इसे डेटा एंड प्राइवेसी के अंदर कंट्रोल करने के लिए ऑप्शन भी देता है. इससे आप वॉयस एंड ऑडियो एक्टिविटी को ऑन या ऑफ कर सकते हैं.सबसे पहले अपने एंड्रॉयड फोन या टैबलेट में सेटिंग्स ऐप ओपन करें फिर Google पर जाएं.इसके बाद Manage your Google account पर क्लिक करें और फिर डेटा Data & privacy पर जाएं.
इसके बाद Manage your Google account पर क्लिक करें और फिर डेटा Data & privacy पर जाएं.इसके बाद History settings के अंदर Web & App Activity पर टैप करें. इसके बाद Include voice and audio activity बॉक्स को अनचेक कर दें.इसके बाद History settings के अंदर Web & App Activity पर टैप करें. इसके बाद Include voice and audio activity बॉक्स को अनचेक कर दें.
सावरकर ब्राह्मण थे लेकिन गोमांस खाते थे’, कर्नाटक के मंत्री के विवादित बोल, चढ़ा सियासी पारा

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कर्नाटक के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री दिनेश गुंडुराव ने विनायक दामोदर सावरकर को लेकर एक विवादित बयान दिया है। मंत्री के बयान के बाद सियासी पारा चढ़ गया है। दिनेश गुंडुराव ने दावा किया है कि वीर सावरकर ब्राह्मण थे लेकिन वे खुलेआम गोमांस खाते थे और इसका प्रचार भी करते थे। उन्होंने कभी गोहत्या का विरोध नहीं किया। दिनेश गुंडुराव के इस दावे पर सियासी बवाल मच गया है।

दिनेश गुंडुराव ने कहा, सावरकर ब्राह्मण थे, लेकिन वे बीफ खाते थे और मांसाहारी थे। विनायक ने गौहत्या का विरोध नहीं किया। उन्होंने खुद की पहचान नॉन वेजिटेरियन के तौर पर की है। गुंडू राव ने कहा कि दूसरी तरफ मोहम्मद अली जिन्ना एक अलग तरह के चरमपंथ का प्रतिनिधित्व करते थे, हालांकि वे कभी भी हार्ड कोर इस्लामिस्ट नहीं थे, कट्टरपंथी नहीं थे।

इस दौरान मंत्री दिनेश गुंडुराव ने महात्मा गांधी का भी जिक्र किया। दिनेश गुंडूराव ने कहा कि गोडसे जैसा व्यक्ति जिसने महात्मा गांधी की हत्या की, वह कट्टरपंथी थे क्योंकि उनका मानना था कि वो जो कर रहे थे वह सही था। यह कट्टरवाद है। मान लीजिए कि कोई गोरक्षक जाता है और किसी को मारता है या पीटता है, तो वह यह नहीं सोचता कि वह कुछ गलत कर रहा है। यह सावरकर के कट्टरवाद का खतरा है। यह कट्टरवाद देश में बड़ी जड़ें जमा रहा है। गांधी एक धार्मिक व्यक्ति थे। सावरकर के कट्टरवाद का मुकाबला करने का असली तरीका गांधी के लोकतांत्रिक सिद्धांत और उनका दृष्टिकोण है। कट्टरवाद का मुकाबला किया जाना चाहिए।

कांग्रेस के लोग अज्ञानी- नकवी

दिनेश गुंडुराव के इस बयान के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। बीजेपी ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। दिनेश गुंडुराव के बयान पर आपत्ति जताते हुएमुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, कांग्रेस के लोग अज्ञानी है। इनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है।समाज इनको सीरियस नहीं लेता है। देश का बंटवारा करने वालों (जिन्ना) का महिमामंडन नहीं करना चाहिए।

राहुल गांधी ‘टुकड़े-टुकड़े’ की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे -अनुराग ठाकुर

बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने कहा है कि कांग्रेस झूठ की फैक्ट्री है। भारत वीर सावरकर का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा। देश के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले वीर सावरकर से कांग्रेस ने कभी कुछ नहीं सीखा। अनुच्छेद 370 कांग्रेस पार्टी द्वारा दिया गया था। यह जवाहरलाल नेहरू की गलती थी और हजारों लोग मारे गए। उन्होंने वीर सावरकर का अपमान करके यह दिखाया है कि वे कांग्रेस के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान नहीं करते हैं। देश को तोड़ने वालों को कांग्रेस पार्टी में शामिल कराकर राहुल गांधी ‘टुकड़े-टुकड़े’ की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं और वह बोलने वाले ‘आधुनिक जिन्ना’ हैं विदेश में देश की बुराई।

ईरान के हमले से इजरायल को हुआ भारी नुकसान! एयरबेस तक पहुंची मिसाइलें, सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा

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ईरान और इजराइल के बीच तनाव चरम पर है। ईरान ने मंगलवार को इजराइल पर लगभग 200 मिसाइलें दागीं। इनमें से कई को इजराइल की वायु रक्षा प्रणाली ने रोक लिया, कुछ समुद्र में गिरीं, तथा अन्य ने धरती में गड्ढे कर दिए। ईरान का कहना है कि उसकी 90 फीसदी मिसाइलों ने अपने टारगेट को हिट किया है। ईरान द्वारा किए गए हमले में दो इजरायली एयरबेस, एक स्कूल का मैदान और मोसाद मुख्यालय के संदिग्ध क्षेत्र के निकट स्थित दो स्थान शामिल हैं। इसमें इजरायल को सबसे ज्यादा नुकसान नेवातिम एयरबेस और तेल नॉफ एयरबेस पर हुआ। हालांकि, इजराइल ने दावा किया है कि उसके मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने हमलों को नाकाम कर दिया।

इजरायल के सबसे सुरक्षित स्थानों में से एक है नेगेव रेगिस्तान में मौजूद नेवातिम एयर बेस। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों ने इस एयरबेस पर नुकसान पहुंचाया है। सैटेलाइट तस्वीरों में यह खुलासा हो रहा है। इन तस्वीरों को प्लैनेट लैब्स की सैटेलाइट ने लिया है। जिसे समाचार एजेंसी एपी ने जारी किया है।

हालांकि सैटेलाइट तस्वीरों से यह स्पष्ट नहीं है कि इजरायली स्टेल्थ फाइटर जेट को नुकसान पहुंचा है या नहीं। वो उस हैंगर में थे या नहीं जिसपर मिसाइल हमले से ज्यादा नुकसान हुआ है। लेकिन एयरबेस पर कई क्रेटर यानी गड्ढे बने दिख रहे हैं, जो मिसाइलों की टक्कर से बने हैं।

नुकसान के दावों से इजराइल का इनकार

वहीं, इजरायल इस दावे को नकार रहा है। इजरायली सेना ने कहा कि हमले हुए हैं। मिसाइलें गिरी हैं। लेकिन उनसे किसी फाइटर जेट, विमान, ड्रोन, हथियार या जरूरी ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचा है। मिसाइल हमले में ऑफिस बिल्डिंग और मेंटेनेंस एरिया क्षतिग्रस्त हुआ है।

इजरायल के लिए कितना अहम है नेवातिम एयरबेस

नेवातिम एयरबेस नेगेव रेगिस्तान में स्थित नेवातिम एयरबेस, जहां इजरायल के एफ-35 लड़ाकू विमान स्थित हैं, को अप्रैल में ईरान के ड्रोन और मिसाइल हमले का निशाना बनाया गया था, जो दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमले के जवाब में किया गया था। यह इजरायल के सबसे बड़े रनवे में से एक है और इसमें अलग-अलग लंबाई के तीन रनवे हैं। यहां स्टील्थ लड़ाकू विमान, परिवहन विमान, टैंकर विमान और इलेक्ट्रॉनिक टोही/निगरानी के लिए मशीनें, साथ ही विंग ऑफ जियोन भी तैनात थे. इस एयरबेस पर ईरान का हमला मतलब इजरायल के लिए गहरी चोट के बराबर है। थोड़ा सा भी नुकसान इजरायल के लिए काफी भारी पड़ सकता है।

नेवातिम एयरबेस का इजरायल का क्या है महत्व?

नेवातिम एयरबेस एयर फोर्स बेस 8 के नाम से भी जाना जाने वाला यह बेस इज़रायली एयर फ़ोर्स (आईएएफ) का सबसे पुराना और मुख्य बेस है जो इजरायल के रेहोवोट से 5 किमी दक्षिण में स्थित है। तेल नॉफ में दो स्ट्राइक फ़ाइटर, दो हेलिकॉप्टर और एक यूएवी स्क्वाड्रन है। बेस पर फ़्लाइट टेस्ट सेंटर मनात और इज़राइल डिफेंस फ़ोर्स (आईएएफ) की कई विशेष इकाइयां भी स्थित हैं, जिनमें यूनिट 669 (हेलीबोर्न कॉम्बैट सर्च एंड रेस्क्यू (सीएसएआर) और पैराट्रूपर्स ब्रिगेड प्रशिक्षण केंद्र और उसका मुख्यालय शामिल हैं।

तीसरे विश्व युद्ध हो रही शुरुआत, ईरान द्वारा इजरायल पर किए गए हमले का क्या होगा असर ?

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PC: noticiasfinales

मंगलवार की रात को मध्य पूर्व में संघर्ष में तेज़ी से वृद्धि हुई, जब ईरान ने इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलों की बौछार की - जवाबी कार्रवाई में हिज़्बुल्लाह के उग्रवादी नेताओं की हत्या और लेबनान में हमले किए गए। इस हमले से पूरे इजरायल में अलार्म बज गया, जिससे नागरिकों को शरण लेनी पड़ी और सेना को अपनी वायु रक्षा प्रणाली वापस लेनी पड़ी।

हमले के बाद, इजरायल ने जवाबी कार्रवाई करने की कसम खाई, और कहा कि वह "अपनी पसंद के समय और स्थान" पर जवाब देगा। हालांकि, ईरान ने चेतावनी दी कि अगर इजरायल ने हमले का जवाब दिया तो वह उसके खिलाफ "कुचलने वाले हमले" करेगा।

इसने दुनिया भर में तीसरे विश्व युद्ध की बड़ी आशंकाओं को जन्म दिया है।

भारत में इजरायली दूतावास के प्रवक्ता गाय निर के अनुसार, इजरायली रक्षा बल (आईडीएफ) वर्तमान में मिसाइल हमले का आकलन कर रहा है और तेहरान को उचित जवाब देने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने बताया कि अगर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई इजरायल के साथ पूर्ण पैमाने पर युद्ध शुरू करने की योजना बनाते हैं, तो यह "ईरान के लिए एक गलती" होगी। नीर ने उन अन्य देशों को भी आगाह किया जो ईरान के साथ मिलकर इजरायल पर हमला करने पर विचार कर सकते हैं, उनसे ऐसा न करने का आग्रह किया। उन्होंने NDTV से कहा, "परिणाम उनके लिए भी विनाशकारी होंगे।" यह ध्यान देने योग्य है कि संयुक्त राज्य अमेरिका, जो इजरायल का दीर्घकालिक सहयोगी रहा है, ने देश के लिए सैन्य सहायता का आदेश दिया। इसमें ऐसी प्रणालियाँ शामिल थीं जो निकट आ रही मिसाइलों को नष्ट करने में मदद करती थीं। 

मंगलवार को व्हाइट हाउस के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस मध्य पूर्व की स्थिति पर नज़र रख रहे थे। व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा, "राष्ट्रपति बिडेन ने अमेरिकी सेना को ईरानी हमलों के खिलाफ इजरायल की रक्षा में सहायता करने और इजरायल को निशाना बनाने वाली मिसाइलों को मार गिराने का निर्देश दिया।"

सोशल मीडिया पर तीसरे विश्व युद्ध के रुझान इस बीच, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म 'तीसरे विश्व युद्ध' के टैग और पोस्ट से भर गए क्योंकि दुनिया भर में डर बढ़ गया। एक एक्स यूजर ने लिखा, "इजराइल आयरन डोम ईरान की मिसाइलों को रोकने में विफल रहा, जो तेल अवीव पर हमला करती हैं। ऐसा लगता है कि तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो चुका है।" दूसरे ने कहा: "तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो चुका है।" एक यूजर ने कहा: "ट्विटर पर हर कोई समझ रहा है कि हम तीसरे विश्व युद्ध में शामिल होने वाले हैं, क्योंकि हमारी सरकार इजरायल को पूरे क्षेत्र में आतंक फैलाने देने में मिलीभगत कर रही है।" "अगर #ईरान सोचता है कि वह एक मिसाइल हमले से इजरायल को हरा सकता है, तो वह गलत है। वर्तमान में, #इजराइल एक बहुत बड़ी शक्ति है और अमेरिका उसके पीछे खड़ा है। ऐसा करके ईरान ने तीसरे विश्व युद्ध को आमंत्रित किया है। नेतन्याहू बहुत जल्द इसका जवाब देंगे, यह युद्ध मानव सभ्यता के लिए घातक होगा," एक नेटिजन ने कहा।

जंग के मुहाने पर खड़ा मिडिल ईस्ट, इजराइल-ईरान जंग में कौन देश किसके साथ?

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मध्यपूर्व में तनाव बढ़ा हुआ है।ईरान ने मंगलवार को इजरायल पर बड़ा हमला किया। ईरान ने इजरायल पर 180 से ज्यादा मिसाइलें दायर कीं। इस हमले को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान की बड़ी गलती बताया। उन्होंने कहा कि ईरान को इसकी कीमत चुकानी पड़े। इजरायली पीएम नेतन्याहू के इस बयान को ईरान के लिए खुली चेतावनी माना जा रहा है। ईरान के हमले के बाद मिडिल ईस्ट जंग के मुहाने पर आकर खड़ा हो गया।

मिडिल ईस्ट पिछले कई दशकों से अशांति की चपेट में रहा है। इस क्षेत्र में कई युद्ध और गृहयुद्ध हुए, जिसने क्षेत्र को एक नया आकार दिया। अक्टूबर 2023 में इजरायल और हमास के बीच जंग की शुरूआत हुई। इजराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच जारी संघर्ष का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस जंग में हमास के कई प्रमुख नेताओं और हिज्बुल्लाह के प्रमुख समेत ईरान के सीनियर कमांडरों को अपने अंदर समा लिया। ऐसे में अब ईरान भी जंग में कूद पड़ा है और क्षेत्र भयानक जंग की कगार पर है।आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में हालात बिगड़ सकते हैं।

करीब दो महीने पहले हमास नेता इस्माइल हनिया की ईरान की राजधानी तेहरान में हत्या हुई थी। जिसके बाद बीती 28 सितंबर को हिज़्बुल्लाह ने इसराइली हमले में अपने नेता हसन नसरल्लाह की मौत की पुष्टि की थी, उसके बाद से मध्य-पूर्व में संघर्ष और गंभीर होता जा रहा है। इजराइल हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर लेबनान में हमले जारी रखे हुए है और अब उसने हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर ज़मीन से सैन्य कार्रवाई भी शुरू कर दी है। हनिया की मौत के बाद ईरान ने फौरन कोई सैन्य प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन एक अक्तूबर के ईरान के मिसाइल हमलों ने मध्य-पूर्व के इस संघर्ष को बढ़ा दिया है। इस बढ़ते संघर्ष पर अरब मुल्क़ के साथ ही दुनियाभर के कई देश स्पष्ट तौर पर बँटे हुए नज़र आ रहे हैं

अब जबकि जंग एक नया रूप अख्तियार करने की राह पर है, सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर मिडिल ईस्ट की इस जंग में कौन, किसके साथ खड़ा है?

इजराइल के खिलाफ इस्लामिक देशों को एकजुट करने के लिए ईरान ने पहले ही इन मुल्कों से इसराइल से व्यापार खत्म करने की अपील की थी। दूसरी तरफ अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देश इसराइल के साथ खड़े हैं और इस युद्ध में उसकी मदद कर रहे हैं।

13 खाड़ी देश का रुख

मिडिल ईस्ट में कुल 18 देश हैं, इनमें से 13 अरब दुनिया का हिस्सा हैं। जानते हैं कि ईरान-इजरायल और लेबनान की जंग में इन 13 खाड़ी देश का रुख क्या है?

बहरीन: बहरीन ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया है कि वह किस तरफ है। हालांकि इस देश के कुछ दल ईरान का समर्थन कर रहे हैं, इस देश ने 2020 से अपने संबध इजरायल से ठीक कर लिए थे।

ईरान: ईरान पूरी तरह से लेबनान के साथ खड़ा और हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत का बदले लेने के लिए इजरायल पर मंगलवार को 180 से ज्यादा मिसाइलें दागीं।

इराक: फिलहाल इस जंग से बाहर है, ईरान से इसकी दुश्मनी सभी जानते हैं, ईरान के इजरायल पर हमले का जश्न यहां भी लोगों ने मनाया।ईरानी समर्थित संगठनों ने इस हमले का समर्थन किया है। ईरान की मिसाइल सीरिया और इराक की हवाई सीमा को क्रॉस करके इजरायल में गिरीं।

फिलीस्तीन: 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर हमले किए थे। इसके बाद से इजरायल लगातार फिलिस्तीन और गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों को निशाना बना रहा है। हमास के समर्थन में ही लेबनानी संगठन हिजबुल्लाह इजरायल से जंग कर रहा है।

जॉर्डन: जॉर्डन ने खुद को इस जंग से अलग रखा हुआ है। जॉर्डन पीएम ने कहा है कि वो अपने देश को युद्ध का मैदान नहीं बनने देंगे। अरब मुल्क जॉर्डन की सीमा वेस्ट बैंक से मिलती है और यहां फिलिस्तीनी शरणार्थियों की बड़ी संख्या रहती है। इजराइल जब बना तो इस क्षेत्र की एक बड़ी आबादी भागकर जॉर्डन आ गई थी।

कुवैत: कुवैत ने कहा कि उसने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है। कुवैत ने यूएन में नेतनयाहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था।

लेबनान: इजराइल से सीधी जंग लड़ रहा है।

ओमान: इजराइल का विरोध करता रहा है। इसकी दोस्ती ईरान से भी है और यूएस से भी। शांति की अपील कर रहा है।

कतर: नसरल्लाह की मौत पर खामोश हैं, अभी तक कोई बयान नहीं दिया गया। हालांकि इस देश ने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है।

सऊदी अरब: सऊदी अरब ने भी खुद को जंग से दूर रखा है. सऊदी द्वारा इजराइल की निंदा तो की गई, लेकिन अभी तक किसी के साथ खुलकर नहीं आया है. यूएन में नेतन्याहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था.

सीरिया: इजराइल के खिलाफ रहा है, जंग लड़ता रहा है। इजरायल ने सीरिया में भी हमले किए हैं।

यूएई: नसरल्लाह की मौत पर खामोश है। कुछ भी नहीं बोल रहा है। इस देश ने 2020 से अपने संबध इजराइल से ठीक कर लिए थे।

यमन: इजरायल ने यमन में भी कई ठिकानों पर बमबारी की है।

अमेरिका और पश्चिमी देश

ये बात नई नहीं है कि फिलिस्तीन और इजराइल के संघर्ष में ज्यादातर पश्चिमी देशों का झुकाव इजराइल की तरफ रहा है। अब ईरान की बात करें तो इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान से पश्चिमी देशों ने दूरी बना ली है। अमेरिका के साथ साथ कनाडा, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली आदि खुले तौर पर इजराइल के साथ हैं और अगर ईरान इजराइल पर हमला करता है, तो ये इजराइल को सैन्य मदद भी दे सकते हैं। अमेरिका और ब्रिटेन ने पहले ही अपनी मौजूदगी मध्य पूर्व में बढ़ा दी है।

चीन-रूस किस तरफ जाएंगे?

इस पूरे तनाव के बीच दुनिया की नजरें चीन और रूस पर बनी हुई है। पिछले कुछ सालों में ईरान की चीन और रूस के साथ करीबी बढ़ी है। रूस और चीन के इजराइल के साथ सामान्य रिश्ते हैं, लेकिन चीन गाजा युद्ध के दौरान इजराइल के हमलों की निंदा करता रहा है और कुछ खबरों के मुताबिक वे हमास के नेताओं से भी संपर्क में है।

क्या होगा भारत का रूख?

इजराइल-ईरान संघर्ष के बीच भारत ने दोनों देश में रह रहे पने लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की है। भारत इस मुद्दे पर शांतिपूर्ण समझौते के पक्ष में रहा है। हालांकि भारत ने साल 1988 में फिलिस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था। लेकिन हाल के वर्षों में मध्य-पूर्व के हालात पर भारत किसी एक पक्ष की तरफ स्पष्ट तौर पर झुका नज़र नहीं आता है। पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इजराइल के ख़िलाफ लाए गए एक प्रस्ताव में एक साल के अंदर गाजा और वेस्ट बैंक में इजराइली कब्ज़े को ख़त्म करने की बात कही गई थी।

आपदाओं से निपटने के लिए अब दूसरे विभागों से भी मदद ले सकेंगे वन कर्मी

डेस्क:– केंद्र सरकार मंत्रालय की वन परामर्श समिति की 27 अगस्त को हुई बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी। मंत्रालय ने मंगलवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लिखे खत में कहा कि वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 और संबंधित दिशानिर्देशों के अनुसार आपातकालीन स्थितियों जैसे प्राकृतिक आपदाओं में उन वन क्षेत्रों में कुछ वानिकी गतिविधियां की जा सकती हैं, जहां वन्यजीवों, मानव जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता होती है। है कि राज्य वन विभाग के पास जरूरी तकनीकी विशेषज्ञता के अभाव में आपात परिस्थितियों में अन्य सरकारी विभागों को प्राकृतिक आपदाओं को रोकने के लिए वन क्षेत्रों में वानिकी गतिविधियों की इजाजत दी जा सकती है।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मंगलवार को जारी दिशानिर्देशों में विस्तार से उन उपायों का जिक्र किया है जिन्हें वन क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं को रोकने या उनके प्रबंधन के लिए किया जा सकता है।

उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को पत्र लिखकर जंगल में बार-बार आग लगने की आशंका वाले क्षेत्रों के लिए प्रभावी उपाय तलाशने और विकसित करने को कहा था।

इसके बाद ये दिशानिर्देश जारी किए गए। इसमें आग लगने की आशंका वाले क्षेत्रों में समय से पहले वन कर्मचारियों को तैयार करने के लिए ‘मॉक ड्रिल’ करने को भी कहा गया है। साथ ही सरकारी विभागों को वन क्षेत्रों में मृदा एवं जल संरक्षण कार्य करने की अनुमति देने का आग्रह किया गया है।

मंत्रालय की वन परामर्श समिति की 27 अगस्त को हुई बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी। मंत्रालय ने मंगलवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लिखे खत में कहा कि वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 और संबंधित दिशानिर्देशों के अनुसार आपातकालीन स्थितियों जैसे प्राकृतिक आपदाओं में उन वन क्षेत्रों में कुछ वानिकी गतिविधियां की जा सकती हैं, जहां वन्यजीवों, मानव जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता होती है।

सिंगापुर में पूर्व मंत्री को 12 महीने की जेल, भ्रष्टाचार के आरोप में ठहराए गए थे दोषी, जानें भारत से क्या कनेक्शन?

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सिंगापुर में भारतीय मूल के पूर्व परिवहन मंत्री एस. ईश्वरन को 12 महीने की जेल की सजा सुनाई गई है। उन्हें लोक सेवक के तौर पर अपने दो व्यापारी मित्रों से सात साल में 403,300 सिंगापुर डॉलर मूल्य के उपहार लेने के आरोप में दोषी पाया गया था। 24 सितंबर को उपहार लेने और न्याय को अवरुद्ध करने के चार मामलों में 62 वर्षीय ईश्वरन को दोषी दोषी ठहराया गया था।

सजा सुनाने के दौरान जज विंसेंट हूंग ने कहा कि उन्होंने अभियोजन और बचाव पक्ष दोनों की ओर से सजा पर विचार किया, लेकिन वे दोनों स्थितियों पर सहमत होने में असमर्थ रहे।जज ने बताया कि पूर्व मंत्री ने उपहार लेकर अपने पद का दुरुपयोग किया। उन्होंने कहा कि ईश्वरन ने सार्वजनिक बयान देकर इन आरोपों को झूठा बताया था। जज ने आगे कहा, "प्रधानमंत्री को भेजी गई चिट्ठी में ईश्वरन ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए इसे झूठ बताया।

ईश्वरन के वकील दविंदर सिंह ने आठ महीने से अधिक की सजा न देने की दलीली दी थी। डिप्टी अटर्नी जनरल ताई वी शियोंग ने छह से सात महीने की सजा की मांग की। ईश्वरन के वकीलों ने सजा को सात अक्तूबर तक के लिए टालने और उन्हें उसी दिन शाम चार बजे अदालत में आत्मसमर्पण करने की मांग की।

ईश्वरन पर थिएटर शो, फुटबॉल मैच और सिंगापुर एफ1 ग्रैंड प्रिक्स, व्हिस्की, अंतरराष्ट्रीय उड़ानों और होटल में ठहरने समेत कीमती सामानों से संबंधित आरोप हैं। इसमें शामिल राशि SGD 400,000 (USD 300,000 से अधिक) से अधिक है। उसके पास से व्हिस्की और वाइन की बोतलें, गोल्फ क्लब और एक ब्रॉम्पटन साइकिल भी जब्त की गई। ईश्वरन के आरोप प्रॉपर्टी टाइकून ओंग बेंग सेंग और कंस्ट्रक्शन फर्म के मालिक लुम कोक सेंग के साथ उसके संबंधों से संबंधित हैं। हालांकि दोनों व्यवसायियों पर आरोप नहीं लगाए गए हैं।

संशोधित किए गए दो आरोपों में ओंग शामिल हैं, जो उस समय सिंगापुर जीपी के बहुसंख्यक शेयरधारक थे।संशोधित आरोपों में यह भी कहा गया है कि ईश्वरन को पता था कि सिंगापुर जीपी के माध्यम से ओंग सुविधा के प्रदर्शन से संबंधित था। सिंगापुर एफ1 ग्रैंड प्रिक्स 2022 से 2028 के लिए सिंगापुर जीपी और सिंगापुर पर्यटन बोर्ड (एसटीबी) के बीच समझौता, और यह ईश्वरन के मंत्री और एफ1 संचालन समिति के अध्यक्ष के रूप में आधिकारिक कार्यों से जुड़ा था। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मूल आरोपों में कहा गया था कि ईश्वरन ने भ्रष्ट तरीके से ओंग से ये उपहार प्राप्त किए, और ऐसा ओंग के व्यावसायिक हितों को आगे बढ़ाने के बदले में किया।

कट्टरपंथ की गठजोड़! जाकिर नाइक की पाक पीएम शहबाज शरीफ से मुलाकात, मलेशियाई पीएम भी पहुंचे पाकिस्तान

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भारत से भगोड़ा कट्टरपंथी इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक पाकिस्तान में है। जाकिर नाइक 15 दिनों के पाकिस्तान दौरे पर हैं। इस बीच 2 अक्टूबर की देर रात प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने जाकिर नाइक से मुलाकात की। इस दौरान पाक पीएम ने जाकिर नाइक की जमकर तारीफ की और कहा कि वे व्यावहारिक और प्रभावशाली हैं। वहीं पाक पीएम से मुलाकात के बाद जाकिर नाइक ने एक बार फिर जहरीला बयान दिया है।

जाकिर नाइक ने फिर उगला जगर

पाकिस्तानी पीएम से मुलाकात कर जाकिर नाइक ने एक बार फिर भारत के खिलाफ जगह उगला। उसने कहा, हिन्दू मुझे चाहते थे इसलिए भारत सरकार को मैं पसंद नहीं था। हिन्दू इस्लाम कबूल करने लगो तो यह सरकार के एजेंडा के खिलाफ था। उसने आरोप लगाया कि भारत सरकार उसके खिलाफ कर्रवाई करने का मौका तलाश कर रही थी। उन्होंने कहा, ढाका में ब्लास्ट होता है तो आरोप लगाया जाता है कि वह जाकिर नाइक का समर्थक... फेसबुक पर फॉलोवर था, लेकिन मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला।

नाइक ने की शरीफ की तारीफ

वहीं, जाकिर नाइक ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ अपनी एक तस्वीर भी एक्स पर पोस्ट की। शरीफ ने नाइक से कहा, इस्लाम शांति का धर्म है और आप लोगों के बीच इस्लाम का सच्चा संदेश फैलाकर एक अहम फर्ज निभा रहे हैं।

गोमांस को लेकर दिया था बड़ा बयान

इससे पहले जाकिर नाइक ने गोमांस को लेकर बड़ा बयान दिया। उसने कहा कि इस्लाम में गोमांस खाना फर्ज नहीं है। अगर कोई प्रतिबंध लगाता है तो हमें उसका पालन करना चाहिए। अगर आप मेरी निजी राय पूछें तो गोमांस पर प्रतिबंध एक राजनीतिक मुद्दा है, क्योंकि करोड़ों हिंदू भी गोमांस खाते हैं। नई सरकार आने के बाद कई राज्यों में गोमांस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अगर आप किसी लड़की को परेशान करते हैं तो तीन साल की सजा है और अगर आप गोमांस खाते हैं तो पांच साल की सजा है। यह कैसा तर्क है?

मलेशियाई पीएम भी पाक दौरे पर

जाकिर नाइक के बाद मलेशियाई पीएम अनवर इब्राहिम भी गुरुवार को तीन दिवसीय दौरे पर पाकिस्तान पहुंचे। उनकी यह यात्रा तब हो रही है, जब मलेशिया में शरण लेने वाला कट्टरपंथी इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक भी पाकिस्तान के दौरे पर है।अनवर इब्राहिम अगस्त में राजकीय दौरे पर भारत आए थे। इस दौरान जब जाकिर नाइक के प्रत्यर्पण पर उनसे सवाल पूछा गया तो इब्राहिम ने सबूतों की बात कही थी। हालांकि, जाकिर नाइक के साथ अनवर इब्राहिम की दोस्ती जगजाहिर है।इब्राहिम मलेशिया में कई रैलियों और कार्यक्रमों के दौरान जाकिर नाइक के साथ मंच साझा कर चुके हैं।

बांग्लादेश सरकार का बड़ा फैसला, भारत सहित इन 5 देशों से वापस बुलाए अपने राजदूत, जानें क्या है वजह

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बांग्लादेश में शेख हसीने के तख्तापलट के बाद भारत के साथ संबंध काफी प्रभावित हुए हैं। इस बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने क और बड़ा फैसला लिया है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत सहित पांच देशों से अपने राजदूत वापस बुला लिए हैं। भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, पुर्तगाल और संयुक्त राष्ट्र से बांग्लादेश के राजदूत वापस बुलाए गए हैं।

जिन्हें बुलाया गया है उनमे भारत में उच्चायुक्त मुस्तफ़िज़ुर रहमान के अलावा न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के स्थायी प्रतिनिधि और ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम और पुर्तगाल में राजदूत शामिल हैं। रहमान सहित वापस बुलाए गए कुछ राजनयिक आने वाले महीनों में सेवानिवृत्त होने वाले थे।राजनयिक रहमान को जुलाई 2022 में भारत में उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था। इससे पहले वह जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में बांग्लादेश के स्थायी प्रतिनिधि और स्विट्जरलैंड और सिंगापुर में दूत के रूप में काम कर चुके थे। उन्होंने विकास सहयोग को आगे बढ़ाने और दोनों पक्षों के बीच बेहतर संबंध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय से जुड़े लोगों का मानना है कि प्रशासनिक प्रभाग के आदेश देश की विदेश नीति को लेकर अच्छे नहीं रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि भारत में उच्चायुक्त सहित जिन राजदूतों को वापस बुलाया गया है, उनमें से कई राजनीतिक नियुक्तियां नहीं थीं।

बता दें कि बांग्लादेश में छात्र संगठनों के नेतृत्व में लगातार विरोध प्रदर्शन हुए। इसके कारण अगस्त की शुरुआत में शेख हसीना की सरकार गिर गई और उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। हसीना ने बांग्लादेश छोड़ने के बाद भारत में शरण ली। इस घटना के बाद से भारत-बांग्लादेश संबंध खराब स्थिति में हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में कार्यवाहक प्रशासन ने हसीना के पद छोड़ने के कुछ दिनों बाद ही कार्यभार संभाल लिया।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर माल्यार्पण कार्यक्रम का हुआ आयोजन।

रामगढ : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर माल्यार्पण कार्यक्रम का हुआ आयोजन। मुक्तिधाम संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उपायुक्त एवं पुलिस अधीक्षक सहित अन्य अधिकारियों ने लिया हिस्सा। रामगढ़: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 155 वें जयंती के अवसर पर बुधवार को रामगढ़ शहर अंतर्गत थाना चौक अवस्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान उपायुक्त, रामगढ़ चंदन कुमार, उप विकास आयुक्त रॉबिन टोप्पो, अपर समाहर्ता  गीतांजलि कुमारी सहित जिले के अन्य वरीय अधिकारियों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया वहीं मौके पर उपायुक्त ने स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत थाना चौक के समीप सामूहिक रूप से अधिकारियों के साथ श्रमदान कर स्वच्छता के महत्व पर सभी का ध्यान आकृष्ट किया। इस दौरान संत फ्रांसिस सहित अन्य विद्यालयों के बच्चों के द्वारा नुक्कड़ नाटक, स्वच्छता रैली आदि का आयोजन किया गया।माल्यार्पण के उपरांत उपायुक्त एवं पुलिस अधीक्षक अजय कुमार सहित अन्य अधिकारियों ने रामगढ़ शहर अंतर्गत गांधी घाट पहुंचकर लाल बहादुर शास्त्री एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया वहीं उन्होंने मुक्तिधाम में गांधी जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान सभी को संबोधित करते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के उपदेशों, अपने अनुभवों आदि को लेकर सभी को जागरूक किया।

कहीं चुपके से आपकी बातें तो नहीं सुन रहा Google? कैसे करें पता ? जानें यहां

By: Streetbuzz Desk
Edited By: pari_shawआज के वक्त में टेक्नोलॉजी का दायरा केवल मोबाइल और टीवी तक सीमित नहीं है। टेक्नोलॉजी मोबाइल और टीवी से बाहर की दुनिया हैं, जो न सिर्फ लोगों की जिंदगी आसान बना रही है, बल्कि हमारे आसपास की जिंदगी को बेहतर बना रही है।वैसे ही एक टेक्नोलॉजी है गूगल, जिसने हमारी जिंदगी को मखन के जैसे आसान बना दिया है गूगल एक ऐसा एप है जिसके बिना जिंदगी अधूरी है गूगल के वजह से लोगों को हर काम में मदद मिलती है गूगल के पास हर सवाल का जवाब हैदुनियां में ऐसी कोई भी जवाब नहीं है जिसका जवाब गूगल के पास नहीं है वहीं पूरी दुनियां गूगल से परिचित हैं तो वहीं लोगों के मन एक सवाल सदैव रहता है की कहीं गूगल हमारी बात तो नहीं सुन रही हैदरअसल गूगल हमारी हर एक्टिविट को रिकॉर्ड करता है वहीं Google पर कई हिडेन फीचर्स हैं, जिसके बारे में लोग नहीं जानते हैं. कई बार गूगल आपकी बातें छुपकर भी सुनता है. ऐसे में जरूरी है कि आप प्राइवेसी सेटिंग को ऑन कर लें और अपनी प्राइवेसी को सुरक्षित रखें.गूगल के मुताबिक, जब ये वॉयस और ऑडियो एक्टिविटी सेटिंग बंद होती है तो Google Search, Assistant और Maps के साथ किए गए इंटरैक्शन से मिले वॉयस इनपुट्स आपके गूगल अकाउंट में सेव नहीं होते हैं
Google अपने यूजर्स को समय समय पर काफी सारे नए फीचर्स देता रहता है. कुछ फीचर्स दिखते हैं तो कुछ हिडन रहते हैं. कई फीचर्स डेटा और प्राइवेसी से भी जुड़े होते हैं, जो आपकी वेब एंड ऐप एक्टिविटी से ऑडियो रिकॉर्डिंग्स कलेक्ट करता है.गूगल का कहना है कि वे केवल कमांड्स को सुनने और मार्केटिंग एफर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए ऐसा कर रहे हैं. लेकिन इसे प्राइवेसी उल्लंघन के तौर भी देखा जा रहा है.गूगल इसे डेटा एंड प्राइवेसी के अंदर कंट्रोल करने के लिए ऑप्शन भी देता है. इससे आप वॉयस एंड ऑडियो एक्टिविटी को ऑन या ऑफ कर सकते हैं.सबसे पहले अपने एंड्रॉयड फोन या टैबलेट में सेटिंग्स ऐप ओपन करें फिर Google पर जाएं.इसके बाद Manage your Google account पर क्लिक करें और फिर डेटा Data & privacy पर जाएं.
इसके बाद Manage your Google account पर क्लिक करें और फिर डेटा Data & privacy पर जाएं.इसके बाद History settings के अंदर Web & App Activity पर टैप करें. इसके बाद Include voice and audio activity बॉक्स को अनचेक कर दें.इसके बाद History settings के अंदर Web & App Activity पर टैप करें. इसके बाद Include voice and audio activity बॉक्स को अनचेक कर दें.