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1984 सिख विरोधी दंगे मामले में सज्जन कुमार को दोषी करार, राउज एवेन्यू कोर्ट का फैसला
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* 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के मामले में राउस एवेन्‍यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्‍जन कुमार को दोषी करार दिया है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को दो लोगों की हत्या के लिए दोषी ठहराया। कोर्ट ने अभी सज्जन कुमार को इस मामले में सिर्फ दोषी करार दिया है। सजा का ऐलान अभी नहीं किया गया है। अगली तारीख यानी 18 फरवरी को स्‍पेशल जज कावेरी बावेजा दोनों पक्षा के बीच सजा पर बहस को सुनेंगी। इसके बाद इसपर फैसला सुनाया जाएगा। यह मामला सरस्‍वती विहार में दंगों के दौरान दो लोगों की हत्‍या से जुड़ा है। ये मामला 1 नवंबर 1984 का है, जिसमें पश्चिमी दिल्ली के राज नगर इलाके में पिता-पुत्र, सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह की हत्या कर दी गई थी। शाम में करीब चार से साढ़े चार बजे के बीच दंगाइयों की एक भीड़ ने लोहे की सरियों और लाठियों से पीड़ितों के घर पर हमला किया था। कोर्ट ने माना कि सज्‍जन कुमार ने लोगों को भड़काया, जिसके कारण दंगा फैला और कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। सज्जन कुमार के उकसावे के बाद बाद बाप-बेटे को उनके घर में जिंदा जला दिया गया। भीड़ ने घर में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी भी की थी। मारपीट कर घर के अन्य लोगों को भी घायल किया गया। शुरुआत में पंजाबी बाग पुलिस स्टेशन ने मामला दर्ज किया था, लेकिन बाद में एक विशेष जांच दल ने जांच अपने हाथ में ले ली। 16 दिसंबर, 2021 को अदालत ने कुमार के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला पाते हुए उनके खिलाफ आरोप तय किए। हिंसा की जांच के लिए गठित नानावती आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 1984 के दंगों से संबंधित दिल्ली में 587 एफआईआर दर्ज की गईं, जिसमें 2,733 लोगों की मौत हुई। इनमें से लगभग 240 मामलों को अनट्रेस के रूप में बंद कर दिया गया और लगभग 250 को बरी कर दिया गया। मई 2023 में ही सीबीआई ने 1 नवंबर, 1984 को कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया।
दिल्ली को फिर मिलेगी महिला मुख्यमंत्री? ये नाम चर्चा में
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* 27 साल बाद विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद अब दिल्ली में सरकार के गठन को लेकर बीजेपी में विचार विमर्श चल रहा है। हालांकि, ये लगभग तय है कि प्रधानमंत्री के दिल्ली लौटने के बाद ही मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों के नामों को फाइनल किया जाएगा। हाल के वर्षों में पार्टी नेतृत्व में ऐसे मामलों में चौंकाने वाले फैसले लिए हैं इसलिए पार्टी के सीनियर लीडर भी ये बताने की स्थिति में नहीं हैं कि दिल्ली के मुख्मंत्री के लिए किसका नाम फाइनल होगा। इससे पहले चर्चाओं का बाजार गर्म है। मुख्यमंत्री के नाम के लिए परवेश सिंह राणा, विजेंद्र गुप्ता समेत कई दिग्गज नेताओं का नाम चल रहा है। इस बीच कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि बीजेपी सबको चौंकाते हुए किसी महिला को दिल्ली की कमान सौंप सकती है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने संकेत दिया कि पार्टी अपने सभी विकल्पों पर सावधानी से विचार कर रही है। राजनीतिक रूप से सबसे अच्छा काम करने वाले के आधार पर, पूर्वांचल पृष्ठभूमि, एक सिख नेता या एक महिला के उम्मीदवार पर विचार किया जा रहा है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और ओडिशा के पिछले चुनावों से पता चलता है कि पार्टी नेतृत्व कोई बड़ी घोषणा करने से पहले अपने फैसले को फिलहाल गुप्त रखना चाहती है। ऐसे में लोगों के बीच ये उत्सुकता है कि आखिर सीएम कौन होगा। बता दें कि बीजेपी ने ही दिल्ली को पहली महिला सीएम सुषमा स्वराज के रूप में दिया था। इसके बाद कांग्रेस ने शीला दीक्षित को और फिर आम आदमी पार्टी ने आतिशी को कमान सौंपी। अब दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के तौर पर इन महिला विधायकों का नाम चल रहा है। मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा के संभावित महिला चेहरों की लिस्ट में ये नाम शामिल हैः *रेखा गुप्ता-* रेखा गुप्ताा, जो शालीमार बाग सीट से विधायक चुनी गई हैं उन्हें इस लिस्ट में सबसे आगे देखा जा रहा है। वह भाजपा की महिला शाखा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। *शिखा रॉय-* शिखा रॉय ने ग्रेटर कैलाश सीट से जीत दर्ज की है और सीएम रेस में एक और मजबूत दावेदार हैं, जिन्होंने आप के सौरभ भारद्वाज को हराया है। *पूनम शर्मा-* पूनम शर्मा ने वजीरपुर सीट से जीत दर्ज की। उन्होंने आप के राजेश गुप्ता को हराया। पूनम शर्मा को 54 हजार 721 वोट मिले। बीजेपी नेता ने आप के राजेश गुप्ता को 11 हजार 425 वोटों से मात दी। *नीलम पहलवान-* नजफगढ़ विधायक नीलम पहलवान भी इस लिस्ट में हैं। जिन्होंने 1,01,708 वोटों के साथ बड़ी जीत हासिल की। नीलम के सामने आप के तरुण कुमार थे। सबसे बड़ी जीत दर्ज करने वाले उम्मीदवारों में भी उसका नाम है। *इन सबके अलावा दो और नामों की चर्चा हो रही हैः-* *स्मृति ईरानी-* पूर्व केंद्रीय मंत्री, 2024 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से कांग्रेस के किशोरी लाल से हार गईं, लेकिन एक सीएम की लिस्ट में मजबूत दावेदार बनी हुई हैं। *बांसुरी स्वराज-* दिवंगत सुषमा स्वराज की बेटी, नई दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव जीतीं हैं। *मौजूदा विधायकों में से ही चुना जाएगा सीएम* वहीं चर्चा ये भी है कि इस बार मुख्यमंत्री, मौजूदा विधायकों में से ही चुना जाएगा। इसकी वजह ये है कि अगर किसी सांसद को सीएम बनाया जाता है तो दिल्ली में दो उपचुनाव कराने होंगे। एक मुख्यमंत्री बनने वाले के लिए किसी विधायक से इस्तीफा दिलाना होगा और फिर जिस सांसद को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, उसकी जगह लोकसभा के सदस्य के लिए उपचुनाव कराना होगा। यही वजह है कि शायद पार्टी नेतृत्व मौजूदा विधायकों में से ही किसी को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपे।
दिल्ली की 1700 कॉलोनियां होंगी वैध, सरकार बनन के बाद बीजेपी निभाएगी अपना वादा?
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दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सभी को हैरान कर दिया, लगातार पिछले तीन चुनावों से जीत हासिल करती आ रही आम आदमी पार्टी को बुरी तरह शिकस्त का सामना करना पड़ा है। साथ ही लंबे अरसे से राजधानी में सत्ता की तलाश में लगी भारतीय जनता पार्टी ने शानदार तरीके से वापसी की है। बीजेपी की जीत के साथ दिल्ली में रहनेवाले लाखों लोगों की उम्मीदों को नए पंख लग गए हैं। लोग सरकार बदलने के बाद उम्मीद कर रहे हैं कि पिछली सरकार में जिन परेशानियों से उन्हें दो-चार होना पड़ा था, उससे छुटकारा मिल जाएगा। इन्हीं लोगों में राजधानी की करीब 1700 अवैध कॉलोनियों में रहने वालों लोग भी शामिल हैं।

दरअसल, बीजेपी ने चुनाव के दौरान वादा किया ता कि अगर उनकी सरकार बनती है तो 1700 अनधिकृत कॉलोनियों को मालिकाना हक देंगे। बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में 1700 अवैध कॉलोनियों को रेग्युलराइज करने का वादा किया है। सरकार इन लोगों को अपने घर का पूरा मालिकाना अधिकार देगी। ताकि वे उन्हें दिल्ली के शहरी विभाग के नियमों के हिसाब से बना सकें या री-कंस्ट्रक्ट कर सकें।

बीजेपी के घोषणापत्र के मुताबिक इन कॉलोनियों को रेग्युलराइज करके यहां पर सड़क, सीवेज, ड्रेनेज, पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं पहुंचाई जानी है। इतना ही नहीं, बीजेपी ने दिल्ली में एक ‘कॉलोनी अपग्रेडेशन कमीशन’ बनाने का भी ऐलान किया है। ये कमीशन इन अवैध कॉलोनियों में कम्युनिटी सेंटर, सड़क, ड्रेनेज सिस्टम, कचरा का संग्रह, सीवेज सिस्टम जैसी सुविधाओं को डेवलप करने का काम करेगी। केंद्र सरकार की ‘जल जीवन मिशन’ योजना के माध्यम से बीजेपी ने इन कॉलोनियों ने हर घर में नल से जल पहुंचाने का भी वादा किया है।
शिवसेना ने सामना के संपादकीय में फिर कांग्रेस पर निशाना साधा, दिल्ली में “आप” की हार का फोड़ा ठीकरा
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दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत और आम आदमी पार्टी की हार के बाद इंडिया गठबंधन के नेता नतीजों को लेकर बयानबाजी कर रहे हैं। कुछ नेताओं ने आम आदमी पार्टी की हार का कारण कांग्रेस और 'आप' का अलग-अलग चुनाव लड़ना बताया है। इसकी शुरुआत शनिवार को मतगणना के शुरुआती रुझानों के साथ हुई। जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने तंज कसते हुए एक्स पर एक पोस्ट किया। इसके बाद इंडिया गंठबंधन के कई और नेताओं ने एक के बाद एक बयान दिए। इन नेताओं का कहना है कि अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक साथ बीजेपी के ख़िलाफ लड़ती तो नतीजे कुछ और हो सकते थे। अब दिल्ली में हुई आम आदमी पार्टी की हार पर अब उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच दरार का फायदा बीजेपी ने उठाया है।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार की हार के बाद शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में कांग्रेस पर जमकर हमला बोल गया है। संपादकीय में लिखा कि कांग्रेस हमेशा की तरह दिल्ली में कद्दू भी नहीं फोड़ पाई। संपादकीय में कांग्रेस से पूछा गया कि क्या कांग्रेस पार्टी में कोई छिपी हुई ताकतें हैं, जो हमेशा राहुल गांधी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना चाहती हैं? अगर कांग्रेस नेता यह कह रहे हैं कि आप को जिताना कांग्रेस की जिम्मेदारी नहीं है तो यह गलती है और एक तरह का अहंकार है तो क्या मोदी-शाह की तानाशाही को जिताने की जिम्मेदारी आपस में लड़ने वालों की है?

'सामना' के संपादकीय में लिखा गया, दिल्ली में आप और कांग्रेस दोनों ने एक-दूसरे का नुकसान करने के लिए लड़ाई लड़ी, जिससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री के लिए चीजें आसान हो गईं। अगर यह जारी रहा तो गठबंधन क्यों करें? बस अपने दिल की इच्छा के अनुसार लड़ो! बता दें कि दिल्ली चुनाव के प्रचार के दौरान आप और कांग्रेस दोनों ने एक-दूसरे पर कई हमले किए थे।

'सामना' के संपादकीय में दावा किया गया कि यदि विपक्षी दल दिल्ली चुनाव परिणामों से सीख लेने में विफल रहे, तो इससे मोदी और शाह के अधीन निरंकुश शासन को ही मजबूती मिलेगी। ‘सामना’ में लिखा कि उमर अब्दुल्ला की तरफ से व्यक्त किया गया गुस्सा व्यावहारिक है। वह ठीक ही कहते हैं कि आपस में जी भर के लड़ो और एक-दूसरे को खत्म करो। कांग्रेस को आप की हार का कारण बताते हुए कहा गया है कि दिल्ली 14 सीटों पर आप की हार में कांग्रेस का हाथ रहा है। हरियाणा में भी यही हुआ था। सामना में पू्छा गया कि आप से लड़ने के बाद आखिर कांग्रेस के हाथ क्या लगा?
“कांग्रेस को अपनी राजनीतिक रणनीति को स्पष्ट करने की जरूरत”, बिहार में चुनाव से पहले अपनों की सलाह
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पीएम मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्षी दलों ने पूरे जोश के साथ इंडिया गठबंधन का गठन किया था। विपक्ष के एक साथ आने का सियासी लाभ भी 2024 के लोकसभा चुनाव में मिला। इंडिया गठबंधन भले ही सत्ता में वापसी न कर सका हो, लेकिन बीजेपी को अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा नहीं छूने दिया। नरेंद्र मोदी को सरकार बनाने के लिए सहयोगी दलों की बैसाखी का सहारा लेना पड़ा था, लेकिन उसके बाद हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली चुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज सारा हिसाब बराबर कर लिया है। लोकसभा चुनाव के बाद कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद गठबंधन के साथियों ने कांग्रेस की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए। अब दिल्ली में हुई शर्मनामक शिकस्त के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने कांग्रेस नेतृत्व पर बड़ा सवाल किया है।

बिहार के कटिहार से लोकसभा सांसद तारिक अनवर ने एक्स पर एक पोस्ट में कांग्रेस नेतृत्व से पार्टी की रणनीति, भविष्य की योजना समेत कई बातें स्पष्ट करने का तल्ख सवाल किया है। तारिक अनवर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “कांग्रेस को अपनी राजनीतिक रणनीति को स्पष्ट करने की जरूरत है। उसे यह तय करना होगा कि वह गठबंधन की राजनीति करेगी या अकेले चलेगी।” पूर्व कांग्रेस महासचिव अनवर ने कहा, ‘‘साथ ही, पार्टी के संगठन में आमूलचूल परिवर्तन करना भी जरूरी हो गया है।’’ तारिक अनवर ने कांग्रेस पार्टी को टैग करते हुए यह बात कही है

बिहार के सांसद की पीड़ा यूं ही नहीं है। अगले कुछ महीने में बिहार में चुनाव हैं और उन्होंने गठबंधन राजनीति पर जो कहा है, उसके मायने हैं। दरअसल, दिल्ली में कांग्रेस ने विधानसभा का चुनाव अकेले लड़ा था। राष्ट्रीय राजधानी में पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है क्योंकि कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल सकी। यहां पार्टी को केवल 6 फीसदी से अधिक वोट मिले। ऐसी संभावना है कि दिल्ली में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन का असर बिहार में देखने को मिल सकता है।

वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने भी दिल्ली में बीजेपी की जीत के लिए अपनी ही पार्टी पर ठीकरा फोड़ा है। उनका कहना है कि यदि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने गठबंधन में यह चुनाव लड़ा होता तो नतीजा ऐसा नहीं होता। अल्वी ने कांग्रेस हाईकमान को सहयोगियों के सम्मान की नसीहत देते हुए यह भी कहा कि बीजेपी की जीत से मुसलमानों के बीच काफी चिंता है।
sujeetkumar

delhi chunaw parinam:jharkhand bjp mukhyalay jashn

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जित ,रांची बीजेपी मुख्यालय में जश्न. 
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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस की राजनीतिक विफलता: एक विश्लेषण

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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक जमीन खो दी, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी स्थिति मजबूत की। कांग्रेस, जो दिल्ली में एक समय प्रमुख राजनीतिक पार्टी थी, अब अपनी पहचान बनाने में नाकाम रही। इस लेख में हम कांग्रेस की विफलता के मुख्य कारणों पर चर्चा करेंगे और इसे भारतीय राजनीति के संदर्भ में समझेंगे।

1. नेतृत्व संकट और रणनीति की कमी

कांग्रेस के लिए दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के नेतृत्व का संकट था। अरविंद सिंह लवली जैसे नेताओं के बावजूद, कांग्रेस के पास कोई स्पष्ट और प्रभावशाली नेतृत्व नहीं था। AAP के अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मतदाताओं से गहरे स्तर पर जुड़कर प्रभावी नेतृत्व का उदाहरण पेश किया, जबकि कांग्रेस इससे पूरी तरह से चूक गई। पार्टी के भीतर कई आंतरिक मतभेद थे, जिससे न केवल एकजुटता की कमी महसूस हुई, बल्कि सही रणनीति भी लागू नहीं हो पाई।

2. स्थानीय मुद्दों पर ध्यान न देना

दिल्ली में मुद्दे स्थानीय स्तर पर अधिक महत्वपूर्ण होते हैं, जैसे एयर पॉल्यूशन, जल संकट, ट्रांसपोर्ट व्यवस्था और स्वास्थ्य सुविधाएं। AAP ने इन मुद्दों को प्रमुखता दी और उन्हें चुनावी प्रचार का केंद्र बनाया। वहीं, कांग्रेस का अभियान राष्ट्रीय मुद्दों पर अधिक केंद्रित था, जैसे बीजेपी की नीतियों की आलोचना, जो दिल्ली के स्थानीय समस्याओं से मेल नहीं खाती थी। परिणामस्वरूप, कांग्रेस दिल्ली के मतदाताओं के साथ सही तरीके से जुड़ने में नाकाम रही।

3. आंतरिक मतभेद और संगठनात्मक कमजोरी

कांग्रेस पार्टी के भीतर लंबे समय से चल रहे आंतरिक मतभेद और संगठनात्मक कमजोरी ने पार्टी की चुनावी ताकत को कमजोर कर दिया। पार्टी में कई बार नेतृत्व परिवर्तन हुआ, और विभिन्न गुटों के बीच की लड़ाई ने कांग्रेस के प्रचार अभियान को प्रभावित किया। कांग्रेस का संगठन कमजोर था, जिससे पार्टी को अपने पुराने वोट बैंक को मजबूत करने में कठिनाई हुई। यह कमजोरी पार्टी के दिल्ली चुनाव परिणामों पर स्पष्ट रूप से प्रभाव डालने वाली थी।

4. AAP और BJP का मजबूत प्रभाव

AAP और BJP दोनों ने 2025 के दिल्ली चुनाव में अपनी स्थिति को मजबूती से स्थापित किया। AAP ने शिक्षा, स्वास्थ्य और नागरिक सेवाओं को लेकर अपने वादों को महत्व दिया, जो दिल्ली के मतदाताओं के लिए आकर्षक थे। वहीं, बीजेपी ने अपनी राष्ट्रीय राजनीति और राष्ट्रीय मुद्दों को दिल्ली के चुनावी मैदान में प्रभावी ढंग से रखा। कांग्रेस इन दोनों पार्टी के मुकाबले कहीं पीछे रह गई, क्योंकि पार्टी न तो स्थानीय मुद्दों पर ध्यान दे पाई, और न ही प्रभावी प्रचार अभियान चला पाई।

5. कांग्रेस को पुनः समीक्षा और सुधार की आवश्यकता

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस की विफलता ने यह स्पष्ट कर दिया कि पार्टी को अपनी रणनीतियों और नेतृत्व में बदलाव की आवश्यकता है। कांग्रेस को एक स्पष्ट और प्रभावी नेतृत्व तैयार करना होगा, जो दिल्ली के स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करे। इसके साथ ही, पार्टी को आंतरिक मतभेदों को समाप्त करके एकजुट होना होगा। यदि कांग्रेस इन बदलावों को स्वीकार कर सकती है, तो वह भविष्य में दिल्ली में अपनी खोई हुई राजनीतिक ताकत को फिर से पा सकती है। 

इस चुनाव ने यह भी दिखाया कि कांग्रेस को अपनी छवि और कार्यशैली को नए तरीके से प्रस्तुत करना होगा, ताकि वह दिल्ली के मतदाताओं के बीच फिर से विश्वास पैदा कर सके।

बीजेपी के दिल्ली फतह से पीएम मोदी गदगद, बोले-कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे

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दिल्ली में बीजेपी की दमदार एंट्री हो चुकी है। 27 साल का वनवास समाप्त करते हुए भाजपा ने दिल्ली में भगवा लहरा दिया है। दिल्ली वालों ने आम आदमी पार्टी को नकार दिया है। जनता ने पार्टी के नंबर-1 नेता अरविंद केजरीवाल के साथ मनीष सिसोदिया को भी हार का स्वाद चखाया है। इधर, दिल्ली में भाजपा को मिली प्रचंड जीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी भी गदगद नजर आ रहे हैं।

पीएम मोदी ने दिल्ली में बीजेपी की जीत को विकास और सुशासन की जीत बताया है। पीएम मोदी ने कहा कि जनशक्ति सर्वोपरि है। यह विकास और सुशासन की जीत है। दिल्ली के अपने सभी भाई-बहनों को ऐतिहासिक जीत दिलाने के लिए मेरा वंदन और अभिनंदन। आपने जो भरपूर आशीर्वाद और स्नेह दिया है, उसके लिए आप सभी का हृदय से बहुत-बहुत आभार।

पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि दिल्ली के चौतरफा विकास और यहां के लोगों का जीवन उत्तम बनाने के लिए उनकी पार्टी की सरकार लगातार काम करती रहेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे बीजेपी के हर कार्यकर्ता पर गर्व है, जिन्होंने बहुत मेहनत की है और इस शानदार नतीजे तक पहुंचे हैं। हम और भी जोश से काम करेंगे और दिल्ली के शानदार लोगों की सेवा करेंगे।

चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, बीजेपी ने दिल्ली की 70 में से 25 सीटें जीत ली हैं। वह 23 अन्य सीटों पर आगे चल रही है। यानी बीजेपी कुल 47 सीटें जीतने की ओर बढ़ रही है। जबकि, आप ने 13 सीटें जीती हैं और 9 पर आगे चल रही है।

केजरीवाल और सिसोदिया की हार पर कुमार विश्वास का बयान, कहा- आज न्याय हुआ है

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दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे एग्जिट पोल के साथ जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। अभी तक के रुझानों के मुताबिक, दिल्ली में बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को जोरदार पटकनी दी है। सबसे बड़ी बात की आप के संयोजक को ही मुंह की खानी पड़ी है। अरविंद केजरीवाल चुनाव हार गए हैं।आम आदमी पार्टी की करारी हार पर कुमार विश्वास ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि भारतीय जनता पार्टी दिल्ली के लोगों के लिए काम करेगी। अरविंद केजरीवाल की हार को लेकर उन्होंने यहां तक कह दिया कि आज न्याय हुआ है।

कुमार विश्वास ने कहा "मैं भाजपा को जीत के लिए बधाई देता हूं और उम्मीद करता हूं कि वे दिल्ली के लोगों के लिए काम करेंगे। मुझे ऐसे व्यक्ति से कोई सहानुभूति नहीं है जिसने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के सपनों को कुचल दिया। दिल्ली अब उससे मुक्त हो चुकी है। उसने उन सपनों का इस्तेमाल अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं के लिए किया। आज न्याय हुआ है। जब हमें जंगपुरा से मनीष सिसोदिया के हारने की खबर मिली तो मेरी पत्नी जो गैर-राजनीतिक हैं, रो पड़ीं।"

विश्वास ने आगे कहा, आम आदमी पार्टी के समस्त कार्यकर्ताओं को कहता हूं कि आपने जिकिसी भी लोग लालच में सब कुछ जानते हुए एक ऐसे व्यक्ति के समर्थन में काम किया जिसने अपने मित्रों की पीठ में छुरा घोंपा और लोगों को धोखा दिया। अपने साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने वाली महिलाओं को पिटवाया।अपनी निजी सुख और साधन के लिए जनता का पैसा खर्च किया। अब उससे आशा लगाने छोड़े. अब बाहर निकले अपना अपना जीवन देखें।

वहीं, कुमार विश्वास ने सोशल मीडिया एक्स पर भी तंज भरा ट्वीट किया है। जिसमें वीडियो के साथ उन्होंने लिखा है कि अहंकार ईश्वर का भोजन है। खुद को इतना शक्तिशाली मत समझो कि जिन्होंने हमें सिद्धियां दी हैं, उन्हीं को आप आंखें दिखाने लगो। याद रखिएगा कि आपकी सफलता के पीछे कृष्ण जैसे ऐसे असंख्य लोग हैं, जिनकी चुपचाप और अदृश्य शुभकामनाओं के कारण आप इस विजय रथ पर सवार हुए हैं। जब भी आपको यह लगने लगे कि आपने ये ऐतिहासिक सफलता आपने अपनी शक्ति के दम पर पा ली है तो आप बस उन लोगों के बारे में सोचिए, जिनके सहयोग के बिना आपकी ये यात्रा आसान नहीं होती।

और लड़ो आपस में…दिल्ली चुनाव नतीजों के बीच उमर अब्दुल्ला का आप-कांग्रेस पर तंज

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दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी पंबर जीत की ओर बढ़ रही है। वहीं, दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन में शामिल दो बड़ा पार्टियों में बेहद खराब प्रदर्शन किया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव की काउंटिंग के बीच जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट करते हुए कांग्रेस और आप पर तंज कसा है। उन्होंने इंडिया गठबंधन की आंतरिक कलह की भी कलई खोल दी है।

इंडिया गठबंधन के अहम किरदार नेशनल कांफ्रेंस और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दिल्ली नतीजों पर एक सोशल मीडिया पोस्ट साझा किया है। एक्स पर उमर अब्दुल्ला ने लिखा है कि “और लड़ो आपस में”। इसके जरिये उन्होंने इंडिया गठबंधन के बीच चुनावों में जाहिर होने वाले मतभेद पर कटाक्ष किया है।

नेशनल कांफ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर के चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। उनका यह ट्वीट एक संदेश भी है और तंज भी है कि दिल्ली चुनाव में विपक्षी एकता को बनाए रखना चाहिए था। उमर को लगता है कि इंडिया ब्लॉक को दिल्ली में एकजुट होकर बीजेपी का मुकाबला करना चाहिए था। आप और कांग्रेस ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। नतीजा- कांग्रेस को कम, आप को ज्यादा नुकसान हुआ।

बता दें कि दिल्ली विधानसभा की सभी 70 सीटों पर गिनती जारी है। सभी सीटों के रूझान आ गए हैं। रूझानों में बीजेपी ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक बीजेपी ने 42 सीटों पर बढ़त बना ली है। जबकि आप महज 28 सीटों पर आगे चल रही है।

1984 सिख विरोधी दंगे मामले में सज्जन कुमार को दोषी करार, राउज एवेन्यू कोर्ट का फैसला
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* 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के मामले में राउस एवेन्‍यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्‍जन कुमार को दोषी करार दिया है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को दो लोगों की हत्या के लिए दोषी ठहराया। कोर्ट ने अभी सज्जन कुमार को इस मामले में सिर्फ दोषी करार दिया है। सजा का ऐलान अभी नहीं किया गया है। अगली तारीख यानी 18 फरवरी को स्‍पेशल जज कावेरी बावेजा दोनों पक्षा के बीच सजा पर बहस को सुनेंगी। इसके बाद इसपर फैसला सुनाया जाएगा। यह मामला सरस्‍वती विहार में दंगों के दौरान दो लोगों की हत्‍या से जुड़ा है। ये मामला 1 नवंबर 1984 का है, जिसमें पश्चिमी दिल्ली के राज नगर इलाके में पिता-पुत्र, सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह की हत्या कर दी गई थी। शाम में करीब चार से साढ़े चार बजे के बीच दंगाइयों की एक भीड़ ने लोहे की सरियों और लाठियों से पीड़ितों के घर पर हमला किया था। कोर्ट ने माना कि सज्‍जन कुमार ने लोगों को भड़काया, जिसके कारण दंगा फैला और कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। सज्जन कुमार के उकसावे के बाद बाद बाप-बेटे को उनके घर में जिंदा जला दिया गया। भीड़ ने घर में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी भी की थी। मारपीट कर घर के अन्य लोगों को भी घायल किया गया। शुरुआत में पंजाबी बाग पुलिस स्टेशन ने मामला दर्ज किया था, लेकिन बाद में एक विशेष जांच दल ने जांच अपने हाथ में ले ली। 16 दिसंबर, 2021 को अदालत ने कुमार के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला पाते हुए उनके खिलाफ आरोप तय किए। हिंसा की जांच के लिए गठित नानावती आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 1984 के दंगों से संबंधित दिल्ली में 587 एफआईआर दर्ज की गईं, जिसमें 2,733 लोगों की मौत हुई। इनमें से लगभग 240 मामलों को अनट्रेस के रूप में बंद कर दिया गया और लगभग 250 को बरी कर दिया गया। मई 2023 में ही सीबीआई ने 1 नवंबर, 1984 को कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया।
दिल्ली को फिर मिलेगी महिला मुख्यमंत्री? ये नाम चर्चा में
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* 27 साल बाद विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद अब दिल्ली में सरकार के गठन को लेकर बीजेपी में विचार विमर्श चल रहा है। हालांकि, ये लगभग तय है कि प्रधानमंत्री के दिल्ली लौटने के बाद ही मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों के नामों को फाइनल किया जाएगा। हाल के वर्षों में पार्टी नेतृत्व में ऐसे मामलों में चौंकाने वाले फैसले लिए हैं इसलिए पार्टी के सीनियर लीडर भी ये बताने की स्थिति में नहीं हैं कि दिल्ली के मुख्मंत्री के लिए किसका नाम फाइनल होगा। इससे पहले चर्चाओं का बाजार गर्म है। मुख्यमंत्री के नाम के लिए परवेश सिंह राणा, विजेंद्र गुप्ता समेत कई दिग्गज नेताओं का नाम चल रहा है। इस बीच कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि बीजेपी सबको चौंकाते हुए किसी महिला को दिल्ली की कमान सौंप सकती है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने संकेत दिया कि पार्टी अपने सभी विकल्पों पर सावधानी से विचार कर रही है। राजनीतिक रूप से सबसे अच्छा काम करने वाले के आधार पर, पूर्वांचल पृष्ठभूमि, एक सिख नेता या एक महिला के उम्मीदवार पर विचार किया जा रहा है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और ओडिशा के पिछले चुनावों से पता चलता है कि पार्टी नेतृत्व कोई बड़ी घोषणा करने से पहले अपने फैसले को फिलहाल गुप्त रखना चाहती है। ऐसे में लोगों के बीच ये उत्सुकता है कि आखिर सीएम कौन होगा। बता दें कि बीजेपी ने ही दिल्ली को पहली महिला सीएम सुषमा स्वराज के रूप में दिया था। इसके बाद कांग्रेस ने शीला दीक्षित को और फिर आम आदमी पार्टी ने आतिशी को कमान सौंपी। अब दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के तौर पर इन महिला विधायकों का नाम चल रहा है। मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा के संभावित महिला चेहरों की लिस्ट में ये नाम शामिल हैः *रेखा गुप्ता-* रेखा गुप्ताा, जो शालीमार बाग सीट से विधायक चुनी गई हैं उन्हें इस लिस्ट में सबसे आगे देखा जा रहा है। वह भाजपा की महिला शाखा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। *शिखा रॉय-* शिखा रॉय ने ग्रेटर कैलाश सीट से जीत दर्ज की है और सीएम रेस में एक और मजबूत दावेदार हैं, जिन्होंने आप के सौरभ भारद्वाज को हराया है। *पूनम शर्मा-* पूनम शर्मा ने वजीरपुर सीट से जीत दर्ज की। उन्होंने आप के राजेश गुप्ता को हराया। पूनम शर्मा को 54 हजार 721 वोट मिले। बीजेपी नेता ने आप के राजेश गुप्ता को 11 हजार 425 वोटों से मात दी। *नीलम पहलवान-* नजफगढ़ विधायक नीलम पहलवान भी इस लिस्ट में हैं। जिन्होंने 1,01,708 वोटों के साथ बड़ी जीत हासिल की। नीलम के सामने आप के तरुण कुमार थे। सबसे बड़ी जीत दर्ज करने वाले उम्मीदवारों में भी उसका नाम है। *इन सबके अलावा दो और नामों की चर्चा हो रही हैः-* *स्मृति ईरानी-* पूर्व केंद्रीय मंत्री, 2024 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से कांग्रेस के किशोरी लाल से हार गईं, लेकिन एक सीएम की लिस्ट में मजबूत दावेदार बनी हुई हैं। *बांसुरी स्वराज-* दिवंगत सुषमा स्वराज की बेटी, नई दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव जीतीं हैं। *मौजूदा विधायकों में से ही चुना जाएगा सीएम* वहीं चर्चा ये भी है कि इस बार मुख्यमंत्री, मौजूदा विधायकों में से ही चुना जाएगा। इसकी वजह ये है कि अगर किसी सांसद को सीएम बनाया जाता है तो दिल्ली में दो उपचुनाव कराने होंगे। एक मुख्यमंत्री बनने वाले के लिए किसी विधायक से इस्तीफा दिलाना होगा और फिर जिस सांसद को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, उसकी जगह लोकसभा के सदस्य के लिए उपचुनाव कराना होगा। यही वजह है कि शायद पार्टी नेतृत्व मौजूदा विधायकों में से ही किसी को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपे।
दिल्ली की 1700 कॉलोनियां होंगी वैध, सरकार बनन के बाद बीजेपी निभाएगी अपना वादा?
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दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सभी को हैरान कर दिया, लगातार पिछले तीन चुनावों से जीत हासिल करती आ रही आम आदमी पार्टी को बुरी तरह शिकस्त का सामना करना पड़ा है। साथ ही लंबे अरसे से राजधानी में सत्ता की तलाश में लगी भारतीय जनता पार्टी ने शानदार तरीके से वापसी की है। बीजेपी की जीत के साथ दिल्ली में रहनेवाले लाखों लोगों की उम्मीदों को नए पंख लग गए हैं। लोग सरकार बदलने के बाद उम्मीद कर रहे हैं कि पिछली सरकार में जिन परेशानियों से उन्हें दो-चार होना पड़ा था, उससे छुटकारा मिल जाएगा। इन्हीं लोगों में राजधानी की करीब 1700 अवैध कॉलोनियों में रहने वालों लोग भी शामिल हैं।

दरअसल, बीजेपी ने चुनाव के दौरान वादा किया ता कि अगर उनकी सरकार बनती है तो 1700 अनधिकृत कॉलोनियों को मालिकाना हक देंगे। बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में 1700 अवैध कॉलोनियों को रेग्युलराइज करने का वादा किया है। सरकार इन लोगों को अपने घर का पूरा मालिकाना अधिकार देगी। ताकि वे उन्हें दिल्ली के शहरी विभाग के नियमों के हिसाब से बना सकें या री-कंस्ट्रक्ट कर सकें।

बीजेपी के घोषणापत्र के मुताबिक इन कॉलोनियों को रेग्युलराइज करके यहां पर सड़क, सीवेज, ड्रेनेज, पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं पहुंचाई जानी है। इतना ही नहीं, बीजेपी ने दिल्ली में एक ‘कॉलोनी अपग्रेडेशन कमीशन’ बनाने का भी ऐलान किया है। ये कमीशन इन अवैध कॉलोनियों में कम्युनिटी सेंटर, सड़क, ड्रेनेज सिस्टम, कचरा का संग्रह, सीवेज सिस्टम जैसी सुविधाओं को डेवलप करने का काम करेगी। केंद्र सरकार की ‘जल जीवन मिशन’ योजना के माध्यम से बीजेपी ने इन कॉलोनियों ने हर घर में नल से जल पहुंचाने का भी वादा किया है।
शिवसेना ने सामना के संपादकीय में फिर कांग्रेस पर निशाना साधा, दिल्ली में “आप” की हार का फोड़ा ठीकरा
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दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत और आम आदमी पार्टी की हार के बाद इंडिया गठबंधन के नेता नतीजों को लेकर बयानबाजी कर रहे हैं। कुछ नेताओं ने आम आदमी पार्टी की हार का कारण कांग्रेस और 'आप' का अलग-अलग चुनाव लड़ना बताया है। इसकी शुरुआत शनिवार को मतगणना के शुरुआती रुझानों के साथ हुई। जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने तंज कसते हुए एक्स पर एक पोस्ट किया। इसके बाद इंडिया गंठबंधन के कई और नेताओं ने एक के बाद एक बयान दिए। इन नेताओं का कहना है कि अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक साथ बीजेपी के ख़िलाफ लड़ती तो नतीजे कुछ और हो सकते थे। अब दिल्ली में हुई आम आदमी पार्टी की हार पर अब उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच दरार का फायदा बीजेपी ने उठाया है।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार की हार के बाद शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में कांग्रेस पर जमकर हमला बोल गया है। संपादकीय में लिखा कि कांग्रेस हमेशा की तरह दिल्ली में कद्दू भी नहीं फोड़ पाई। संपादकीय में कांग्रेस से पूछा गया कि क्या कांग्रेस पार्टी में कोई छिपी हुई ताकतें हैं, जो हमेशा राहुल गांधी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना चाहती हैं? अगर कांग्रेस नेता यह कह रहे हैं कि आप को जिताना कांग्रेस की जिम्मेदारी नहीं है तो यह गलती है और एक तरह का अहंकार है तो क्या मोदी-शाह की तानाशाही को जिताने की जिम्मेदारी आपस में लड़ने वालों की है?

'सामना' के संपादकीय में लिखा गया, दिल्ली में आप और कांग्रेस दोनों ने एक-दूसरे का नुकसान करने के लिए लड़ाई लड़ी, जिससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री के लिए चीजें आसान हो गईं। अगर यह जारी रहा तो गठबंधन क्यों करें? बस अपने दिल की इच्छा के अनुसार लड़ो! बता दें कि दिल्ली चुनाव के प्रचार के दौरान आप और कांग्रेस दोनों ने एक-दूसरे पर कई हमले किए थे।

'सामना' के संपादकीय में दावा किया गया कि यदि विपक्षी दल दिल्ली चुनाव परिणामों से सीख लेने में विफल रहे, तो इससे मोदी और शाह के अधीन निरंकुश शासन को ही मजबूती मिलेगी। ‘सामना’ में लिखा कि उमर अब्दुल्ला की तरफ से व्यक्त किया गया गुस्सा व्यावहारिक है। वह ठीक ही कहते हैं कि आपस में जी भर के लड़ो और एक-दूसरे को खत्म करो। कांग्रेस को आप की हार का कारण बताते हुए कहा गया है कि दिल्ली 14 सीटों पर आप की हार में कांग्रेस का हाथ रहा है। हरियाणा में भी यही हुआ था। सामना में पू्छा गया कि आप से लड़ने के बाद आखिर कांग्रेस के हाथ क्या लगा?
“कांग्रेस को अपनी राजनीतिक रणनीति को स्पष्ट करने की जरूरत”, बिहार में चुनाव से पहले अपनों की सलाह
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पीएम मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्षी दलों ने पूरे जोश के साथ इंडिया गठबंधन का गठन किया था। विपक्ष के एक साथ आने का सियासी लाभ भी 2024 के लोकसभा चुनाव में मिला। इंडिया गठबंधन भले ही सत्ता में वापसी न कर सका हो, लेकिन बीजेपी को अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा नहीं छूने दिया। नरेंद्र मोदी को सरकार बनाने के लिए सहयोगी दलों की बैसाखी का सहारा लेना पड़ा था, लेकिन उसके बाद हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली चुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज सारा हिसाब बराबर कर लिया है। लोकसभा चुनाव के बाद कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद गठबंधन के साथियों ने कांग्रेस की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए। अब दिल्ली में हुई शर्मनामक शिकस्त के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने कांग्रेस नेतृत्व पर बड़ा सवाल किया है।

बिहार के कटिहार से लोकसभा सांसद तारिक अनवर ने एक्स पर एक पोस्ट में कांग्रेस नेतृत्व से पार्टी की रणनीति, भविष्य की योजना समेत कई बातें स्पष्ट करने का तल्ख सवाल किया है। तारिक अनवर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “कांग्रेस को अपनी राजनीतिक रणनीति को स्पष्ट करने की जरूरत है। उसे यह तय करना होगा कि वह गठबंधन की राजनीति करेगी या अकेले चलेगी।” पूर्व कांग्रेस महासचिव अनवर ने कहा, ‘‘साथ ही, पार्टी के संगठन में आमूलचूल परिवर्तन करना भी जरूरी हो गया है।’’ तारिक अनवर ने कांग्रेस पार्टी को टैग करते हुए यह बात कही है

बिहार के सांसद की पीड़ा यूं ही नहीं है। अगले कुछ महीने में बिहार में चुनाव हैं और उन्होंने गठबंधन राजनीति पर जो कहा है, उसके मायने हैं। दरअसल, दिल्ली में कांग्रेस ने विधानसभा का चुनाव अकेले लड़ा था। राष्ट्रीय राजधानी में पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है क्योंकि कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल सकी। यहां पार्टी को केवल 6 फीसदी से अधिक वोट मिले। ऐसी संभावना है कि दिल्ली में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन का असर बिहार में देखने को मिल सकता है।

वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने भी दिल्ली में बीजेपी की जीत के लिए अपनी ही पार्टी पर ठीकरा फोड़ा है। उनका कहना है कि यदि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने गठबंधन में यह चुनाव लड़ा होता तो नतीजा ऐसा नहीं होता। अल्वी ने कांग्रेस हाईकमान को सहयोगियों के सम्मान की नसीहत देते हुए यह भी कहा कि बीजेपी की जीत से मुसलमानों के बीच काफी चिंता है।
sujeetkumar

delhi chunaw parinam:jharkhand bjp mukhyalay jashn

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जित ,रांची बीजेपी मुख्यालय में जश्न. 
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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस की राजनीतिक विफलता: एक विश्लेषण

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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक जमीन खो दी, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी स्थिति मजबूत की। कांग्रेस, जो दिल्ली में एक समय प्रमुख राजनीतिक पार्टी थी, अब अपनी पहचान बनाने में नाकाम रही। इस लेख में हम कांग्रेस की विफलता के मुख्य कारणों पर चर्चा करेंगे और इसे भारतीय राजनीति के संदर्भ में समझेंगे।

1. नेतृत्व संकट और रणनीति की कमी

कांग्रेस के लिए दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के नेतृत्व का संकट था। अरविंद सिंह लवली जैसे नेताओं के बावजूद, कांग्रेस के पास कोई स्पष्ट और प्रभावशाली नेतृत्व नहीं था। AAP के अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मतदाताओं से गहरे स्तर पर जुड़कर प्रभावी नेतृत्व का उदाहरण पेश किया, जबकि कांग्रेस इससे पूरी तरह से चूक गई। पार्टी के भीतर कई आंतरिक मतभेद थे, जिससे न केवल एकजुटता की कमी महसूस हुई, बल्कि सही रणनीति भी लागू नहीं हो पाई।

2. स्थानीय मुद्दों पर ध्यान न देना

दिल्ली में मुद्दे स्थानीय स्तर पर अधिक महत्वपूर्ण होते हैं, जैसे एयर पॉल्यूशन, जल संकट, ट्रांसपोर्ट व्यवस्था और स्वास्थ्य सुविधाएं। AAP ने इन मुद्दों को प्रमुखता दी और उन्हें चुनावी प्रचार का केंद्र बनाया। वहीं, कांग्रेस का अभियान राष्ट्रीय मुद्दों पर अधिक केंद्रित था, जैसे बीजेपी की नीतियों की आलोचना, जो दिल्ली के स्थानीय समस्याओं से मेल नहीं खाती थी। परिणामस्वरूप, कांग्रेस दिल्ली के मतदाताओं के साथ सही तरीके से जुड़ने में नाकाम रही।

3. आंतरिक मतभेद और संगठनात्मक कमजोरी

कांग्रेस पार्टी के भीतर लंबे समय से चल रहे आंतरिक मतभेद और संगठनात्मक कमजोरी ने पार्टी की चुनावी ताकत को कमजोर कर दिया। पार्टी में कई बार नेतृत्व परिवर्तन हुआ, और विभिन्न गुटों के बीच की लड़ाई ने कांग्रेस के प्रचार अभियान को प्रभावित किया। कांग्रेस का संगठन कमजोर था, जिससे पार्टी को अपने पुराने वोट बैंक को मजबूत करने में कठिनाई हुई। यह कमजोरी पार्टी के दिल्ली चुनाव परिणामों पर स्पष्ट रूप से प्रभाव डालने वाली थी।

4. AAP और BJP का मजबूत प्रभाव

AAP और BJP दोनों ने 2025 के दिल्ली चुनाव में अपनी स्थिति को मजबूती से स्थापित किया। AAP ने शिक्षा, स्वास्थ्य और नागरिक सेवाओं को लेकर अपने वादों को महत्व दिया, जो दिल्ली के मतदाताओं के लिए आकर्षक थे। वहीं, बीजेपी ने अपनी राष्ट्रीय राजनीति और राष्ट्रीय मुद्दों को दिल्ली के चुनावी मैदान में प्रभावी ढंग से रखा। कांग्रेस इन दोनों पार्टी के मुकाबले कहीं पीछे रह गई, क्योंकि पार्टी न तो स्थानीय मुद्दों पर ध्यान दे पाई, और न ही प्रभावी प्रचार अभियान चला पाई।

5. कांग्रेस को पुनः समीक्षा और सुधार की आवश्यकता

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस की विफलता ने यह स्पष्ट कर दिया कि पार्टी को अपनी रणनीतियों और नेतृत्व में बदलाव की आवश्यकता है। कांग्रेस को एक स्पष्ट और प्रभावी नेतृत्व तैयार करना होगा, जो दिल्ली के स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करे। इसके साथ ही, पार्टी को आंतरिक मतभेदों को समाप्त करके एकजुट होना होगा। यदि कांग्रेस इन बदलावों को स्वीकार कर सकती है, तो वह भविष्य में दिल्ली में अपनी खोई हुई राजनीतिक ताकत को फिर से पा सकती है। 

इस चुनाव ने यह भी दिखाया कि कांग्रेस को अपनी छवि और कार्यशैली को नए तरीके से प्रस्तुत करना होगा, ताकि वह दिल्ली के मतदाताओं के बीच फिर से विश्वास पैदा कर सके।

बीजेपी के दिल्ली फतह से पीएम मोदी गदगद, बोले-कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे

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दिल्ली में बीजेपी की दमदार एंट्री हो चुकी है। 27 साल का वनवास समाप्त करते हुए भाजपा ने दिल्ली में भगवा लहरा दिया है। दिल्ली वालों ने आम आदमी पार्टी को नकार दिया है। जनता ने पार्टी के नंबर-1 नेता अरविंद केजरीवाल के साथ मनीष सिसोदिया को भी हार का स्वाद चखाया है। इधर, दिल्ली में भाजपा को मिली प्रचंड जीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी भी गदगद नजर आ रहे हैं।

पीएम मोदी ने दिल्ली में बीजेपी की जीत को विकास और सुशासन की जीत बताया है। पीएम मोदी ने कहा कि जनशक्ति सर्वोपरि है। यह विकास और सुशासन की जीत है। दिल्ली के अपने सभी भाई-बहनों को ऐतिहासिक जीत दिलाने के लिए मेरा वंदन और अभिनंदन। आपने जो भरपूर आशीर्वाद और स्नेह दिया है, उसके लिए आप सभी का हृदय से बहुत-बहुत आभार।

पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि दिल्ली के चौतरफा विकास और यहां के लोगों का जीवन उत्तम बनाने के लिए उनकी पार्टी की सरकार लगातार काम करती रहेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे बीजेपी के हर कार्यकर्ता पर गर्व है, जिन्होंने बहुत मेहनत की है और इस शानदार नतीजे तक पहुंचे हैं। हम और भी जोश से काम करेंगे और दिल्ली के शानदार लोगों की सेवा करेंगे।

चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, बीजेपी ने दिल्ली की 70 में से 25 सीटें जीत ली हैं। वह 23 अन्य सीटों पर आगे चल रही है। यानी बीजेपी कुल 47 सीटें जीतने की ओर बढ़ रही है। जबकि, आप ने 13 सीटें जीती हैं और 9 पर आगे चल रही है।

केजरीवाल और सिसोदिया की हार पर कुमार विश्वास का बयान, कहा- आज न्याय हुआ है

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दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे एग्जिट पोल के साथ जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। अभी तक के रुझानों के मुताबिक, दिल्ली में बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को जोरदार पटकनी दी है। सबसे बड़ी बात की आप के संयोजक को ही मुंह की खानी पड़ी है। अरविंद केजरीवाल चुनाव हार गए हैं।आम आदमी पार्टी की करारी हार पर कुमार विश्वास ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि भारतीय जनता पार्टी दिल्ली के लोगों के लिए काम करेगी। अरविंद केजरीवाल की हार को लेकर उन्होंने यहां तक कह दिया कि आज न्याय हुआ है।

कुमार विश्वास ने कहा "मैं भाजपा को जीत के लिए बधाई देता हूं और उम्मीद करता हूं कि वे दिल्ली के लोगों के लिए काम करेंगे। मुझे ऐसे व्यक्ति से कोई सहानुभूति नहीं है जिसने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के सपनों को कुचल दिया। दिल्ली अब उससे मुक्त हो चुकी है। उसने उन सपनों का इस्तेमाल अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं के लिए किया। आज न्याय हुआ है। जब हमें जंगपुरा से मनीष सिसोदिया के हारने की खबर मिली तो मेरी पत्नी जो गैर-राजनीतिक हैं, रो पड़ीं।"

विश्वास ने आगे कहा, आम आदमी पार्टी के समस्त कार्यकर्ताओं को कहता हूं कि आपने जिकिसी भी लोग लालच में सब कुछ जानते हुए एक ऐसे व्यक्ति के समर्थन में काम किया जिसने अपने मित्रों की पीठ में छुरा घोंपा और लोगों को धोखा दिया। अपने साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने वाली महिलाओं को पिटवाया।अपनी निजी सुख और साधन के लिए जनता का पैसा खर्च किया। अब उससे आशा लगाने छोड़े. अब बाहर निकले अपना अपना जीवन देखें।

वहीं, कुमार विश्वास ने सोशल मीडिया एक्स पर भी तंज भरा ट्वीट किया है। जिसमें वीडियो के साथ उन्होंने लिखा है कि अहंकार ईश्वर का भोजन है। खुद को इतना शक्तिशाली मत समझो कि जिन्होंने हमें सिद्धियां दी हैं, उन्हीं को आप आंखें दिखाने लगो। याद रखिएगा कि आपकी सफलता के पीछे कृष्ण जैसे ऐसे असंख्य लोग हैं, जिनकी चुपचाप और अदृश्य शुभकामनाओं के कारण आप इस विजय रथ पर सवार हुए हैं। जब भी आपको यह लगने लगे कि आपने ये ऐतिहासिक सफलता आपने अपनी शक्ति के दम पर पा ली है तो आप बस उन लोगों के बारे में सोचिए, जिनके सहयोग के बिना आपकी ये यात्रा आसान नहीं होती।

और लड़ो आपस में…दिल्ली चुनाव नतीजों के बीच उमर अब्दुल्ला का आप-कांग्रेस पर तंज

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दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी पंबर जीत की ओर बढ़ रही है। वहीं, दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन में शामिल दो बड़ा पार्टियों में बेहद खराब प्रदर्शन किया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव की काउंटिंग के बीच जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट करते हुए कांग्रेस और आप पर तंज कसा है। उन्होंने इंडिया गठबंधन की आंतरिक कलह की भी कलई खोल दी है।

इंडिया गठबंधन के अहम किरदार नेशनल कांफ्रेंस और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दिल्ली नतीजों पर एक सोशल मीडिया पोस्ट साझा किया है। एक्स पर उमर अब्दुल्ला ने लिखा है कि “और लड़ो आपस में”। इसके जरिये उन्होंने इंडिया गठबंधन के बीच चुनावों में जाहिर होने वाले मतभेद पर कटाक्ष किया है।

नेशनल कांफ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर के चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। उनका यह ट्वीट एक संदेश भी है और तंज भी है कि दिल्ली चुनाव में विपक्षी एकता को बनाए रखना चाहिए था। उमर को लगता है कि इंडिया ब्लॉक को दिल्ली में एकजुट होकर बीजेपी का मुकाबला करना चाहिए था। आप और कांग्रेस ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। नतीजा- कांग्रेस को कम, आप को ज्यादा नुकसान हुआ।

बता दें कि दिल्ली विधानसभा की सभी 70 सीटों पर गिनती जारी है। सभी सीटों के रूझान आ गए हैं। रूझानों में बीजेपी ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक बीजेपी ने 42 सीटों पर बढ़त बना ली है। जबकि आप महज 28 सीटों पर आगे चल रही है।