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मॉनसून सत्र में मोदी सरकार लाने जा रही कई बड़े बिल, जानें कब से शुरू होने जा रही कार्यवाही

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संसद का मॉनसून सत्र जल्द ही शुरू होने वाला है। संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से 2025 से शुरू होने जा रहा है। ये सत्र 21 अगस्त तक चलेगा। इस सत्र में केंद्र सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने की तैयारी में है। वहीं, विपक्ष भी विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति बना चुका है।

नया आयकर विधेयक पारित कराने की तैयारी

खबर है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार इस मॉनसून सत्र में नया आयकर विधेयक को संसद की मंजूरी दिलाने की तैयारी में है। यह विधेयक पिछले सत्र में पेश हुआ था और फिर संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया था. सरकार की तरफ से वित्त मंत्री ने फरवरी में संसद में बताया था कि नया विधेयक 1961 के आयकर अधिनियम की जटिलताओं को दूर करेगा और इसे आम लोगों के लिए समझना आसान बनाएगा. यदि यह विधेयक इस सत्र में पारित हो जाता है तो यह कानून 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होगा 

जस्टिस वर्मा पर महाभियोग का प्रस्ताव

इसके साथ ही आठ नए विधेयकों को भी पेश किया जाएगा। लोकसभा की एक आंतरिक बुलेटिन के अनुसार, इनमें खेलों में नैतिक आचरण और सुशासन सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक और देश की भू-वैज्ञानिक विरासत के संरक्षण से जुड़ा एक महत्वपूर्ण विधेयक भी शामिल है। इसके अलावा, हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव भी संसद में लाया जा सकता है। घर में भारी मात्रा में नकदी मिलने के बाद जस्टिस वर्मा सवालों के घेरे में हैं।

मॉनसून सत्र में कई बिलों को पेश कर सकती सरकार

• मणिपुर GST (संशोधन) विधेयक 2025

• जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक 2025

• भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक 2025

• टैक्सेशन लॉ (संशोधन) विधेयक 2025

• भू-विरासत स्थल एवं भू-अवशेष (संरक्षण एवं रखरखाव) विधेयक 2025

• खान एवं खान (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधेयक 2025

• राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक 2025

• राष्ट्रीय एंटी डोपिंग (संशोधन) विधेयक 2025

क्या है मॉनसून सत्र का शेड्यूल?

संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से 2025 से शुरू होने जा रहा है। ये सत्र 21 अगस्त तक चलेगा। आपको बता दें कि मॉनसून सत्र पहले 12 अगस्त को खत्म होने वाला था। हालांकि, सरकार ने इसे एक हफ्ते के लिए बढ़ा दिया है। सत्र के दौरान कई अहम बिल पेश होने की उम्मीद है। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल भी मॉनसून सत्र में कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में हैं। इनमें बिहार में विशेष मतदाता सूची संशोधन, ऑपरेशन सिंदूर और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे प्रमुख हो सकते हैं। कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने क दिन पहले ही 15 जुलाई को मानसून सत्र के लिए पार्टी की रणनीति तय करने के लिए एक अहम बैठक भी बुलाई थी।

ऑपरेशन सिंदूर पर नहीं होगा संसद का विशेष सत्र, मानसून सेशन में ही होगी चर्चा?

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संसद के मानसून सत्र की तारीख सामने आ गई है। संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 12 अगस्त तक चलेगा। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को यह जानकारी दी। माना जा रहा है कि इस सत्र के दौरान पाकिस्तान से लेकर ऑपरेशन सिंदूर और राष्ट्रीय सुरक्षा पर चर्चा होने की उम्मीद है। दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के बाद लगातार विपक्ष सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले मॉनसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हो सकती है।

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को बताया कि मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हो कर 12 अगस्त तक चलेगा। रिजिजू ने बताया कि सत्र के दौरान ऑपरेशन सिन्दूर पर चर्चा होगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा, हर सत्र खास होता है और हम ऑपरेशन सिन्दूर सहित सभी मुद्दों पर चर्चा करेंगे। उन्होंने आगे कहा, सरकार चाहती है कि सभी को साथ लिया जाए– हमने विपक्ष से संपर्क किया है और उम्मीद है कि हर कोई एकजुट रुख अपनाएगा। किरेन रिजिजू ने बताया कि संसद सत्र की तारीखें कैबिनेट कमेटी ऑन पार्लियामेंट्री अफेयर्स की बैठक में तय की गईं, जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की।

विपक्ष लगातार यह मांग कर रहा है कि जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुई आतंकी घटनाओं और 'ऑपरेशन सिंदूर' पर संसद में विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। 16 दलों ने पीएम मोदी को मंगलवार को पत्र लिखे थे. वहीं, दूसरी तरफ सरकार ने इसी बीच मानसून सत्र की तारीख का ऐलान कर दिया है। इसी के साथ यह भी बता दिया गया है कि विपक्ष की लगातार मांग के बाद भी ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष सत्र नहीं होगा।

हालांकि, अब मानसून सत्र की तारीख का ऐलान कर दिया गया है। ऐसे में संसदीय कार्य मंत्री के इस बयान को एक राजनीतिक 'सिग्नल' के तौर पर देखा जा रहा है कि सरकार इस पर बहस के लिए पीछे नहीं हटेगी।

आप सांसद संजय सिंह ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विशेष सत्र बुलाने की मांग

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ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ही कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस लगातार इस मांग को उठा रही है। अब आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर ऑपरेशन सिंदूर और केंद्र सरकार द्वारा अचानक सीजफायर करने फैसले पर विशेष संसद सत्र बुलाने की मांग की है। संजय सिंह के पत्र में प्रधानमंत्री द्वारा बार-बार देश से संबंधित महत्वपूर्ण चर्चाओं से अनुपस्थित रहने और भारत की संप्रभुता व राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अहम निर्णयों में पारदर्शिता की कमी पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है।

संजय सिंह ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि मैं एक चिंतित सांसद और भारत की जनता की आवाज के रूप में आपको यह पत्र लिख रहा हूं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर स्पष्टता, नेतृत्व और पारदर्शिता चाहती है। पहलगाम की दुखद घटना के बाद भारतीय सेना ने त्वरित और सराहनीय कदम उठाते हुए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसके तहत सीमा पार आतंकी ठिकानों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया गया। यह राष्ट्रीय एकता और सैन्य दृढ़ता का क्षण था।

पीएम के उपस्थित नहीं रहने से निराशा

आप सांसद ने अपने पत्र में लिखा कि सरकार ने ऑपरेशन के बारे में राजनीतिक दलों को जानकारी देने के लिए दो सर्वदलीय बैठक की, लेकिन सर्वदलीय बैठक में हर बार प्रधानमंत्री गैरहाजिर रहे हैं। बैठक में पीएम के उपस्थित न रहने की वजह से सभी को निराशा हुई।उनकी अनुपस्थिति को सभी दलों और इससे भी ज्यादा देश की जनता इस महत्वपूर्ण समय में अपने नेता से मजबूत और एकजुट उपस्थिति की उम्मीद करती थी। बैठक में पीएम के उपस्थित नहीं रहने की वजह से सभी को निराशा हुई।

विदेशी दबाव में अचानक सीजफायर का ऐलान

जब ऑपरेशन सिंदूर तेजी से आगे बढ़ रहा था और भारतीय सेना को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) वापस लेने की मजबूत स्थिति में देखा जा रहा था, तब अचानक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के एक ट्वीट से सीजफायर की खबर आई। ट्रंप ने दावा किया कि भारत और पाकिस्तान दोनों को व्यापार नहीं करने की धमकी दी, जिसके बाद सीजफायर हुआ।

पीएमओ से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया

अमेरिकी राष्ट्रपति के सीजफायर को लेकर आए कई सार्वजनिक बयानों और ट्वीट्स के बावजूद प्रधानमंत्री कार्यालय से कोई खंडन या स्पष्टीकरण नहीं आया। इस चुप्पी ने कई सवाल खड़े किए हैं और भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जनता का भरोसा खत्म हुआ है।

ऑपरेशन सिंदूर पर ऑल पार्टी डेलीगेशन में शामिल हुई टीएमसी, युसुफ पठान की जगह लेंगे अभिषेक बनर्जी

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केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख बताने के लिए सर्वदलीय सांसदों के 7 डेलिगेशन बनाए हैं। ये डेलिगेशन दुनिया के बड़े देशों, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्य देशों का दौरा करेगा। इस संसदीय प्रतिनिधिमंडल में तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी सांसद अभिषेक बनर्जी पार्टी का प्रतिनिधित्व करेंगे। इससे पहले ऑपरेशन सिंदूर पर बने डेलीगेशन में टीएमसी पार्टी से शामिल होने वाले नेता को लेकर विवाद छिड़ गया था। पहले सांसद यूसुफ पठान का नाम केंद्र की तरफ से पेश किया गया था, लेकिन पार्टी की तरफ से सवाल उठाए जाने पर अब अभिषेक बनर्जी के नाम पर मुहर लग गई है।

टीएमसी ने क्या कहा?

टीएमसी ने 'एक्स' पर लिखा, 'हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की वैश्विक पहुंच के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में तृणमूल कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने के लिए राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को नामित किया है।'

तृणमूल ने आगे कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया को आतंकवाद के बढ़ते खतरे का सामना करने के लिए एकजुट होना चाहिए, अभिषेक बनर्जी का प्रतिनिधिमंडल से जुड़ना दृढ़ विश्वास और स्पष्टता दोनों लाता है। उनकी उपस्थिति न केवल आतंकवाद के खिलाफ बंगाल के दृढ़ रुख को दर्शाएगी, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की सामूहिक आवाज को भी मजबूत करेगी।

यूसुफ पठान के नाम पर सियासत

इससे पहले जब केंद्र की तरफ से यूसुफ पठान के नाम का ऐलान किया गया था तब सीएम ममता बनर्जी ने यह बात साफ कर दी थी कि प्रतिनिधिमंडल में पार्टी की तरफ से कौन शामिल होगा, इसके लिए नाम जानने के लिए पार्टी से नहीं पूछा गया। उन्होंने केंद्र सरकार को लेकर कहा, वो अपने आप सदस्य का नाम तय नहीं कर सकते। यह उनकी पसंद नहीं है, पार्टी फैसला करेगी।

इसी के साथ जिस समय यूसुफ पठान का नाम सामने आया तभी अभिषेक बनर्जी का भी बयान सामने आया था। उन्होंने कहा था, केंद्र को विपक्ष के साथ चर्चा करके यह तय करना चाहिए था कि कौन सा प्रतिनिधि भेजना है। बनर्जी ने कहा, केंद्र सरकार तृणमूल के प्रतिनिधि का फैसला कैसे कर सकती है? उन्हें यह तय करने के लिए विपक्ष के साथ चर्चा करनी चाहिए थी कि कोई पार्टी कौन सा प्रतिनिधि भेजेगीठ

59 सदस्यों वाला डेलिगेशन दुनिया को देंगे भारत का संदेश

इस 59 सदस्यों वाले डेलिगेशन में 51 नेता और 8 राजदूत हैं। एनडीए के 31, कांग्रेस के 3 और 20 दूसरे दलों के हैं। ये डेलिगेशन दुनिया के बड़े देशों, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्य देशों का दौरा करेगा। वहां ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर भारत का रुख रखेगा। डेलिगेशन कब रवाना होगा, फिलहाल इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। हालांकि, डेलिगेशन के 23 या 24 मई को भारत से रवाना होने की बात कही जा रही है। इस डेलिगेशन को 7 ग्रुप में बांटा गया है। हर ग्रुप में एक सांसद को लीडर बनाया गया है। प्रत्येक ग्रुप 8 से 9 सदस्य हैं। इनमें 6-7 सांसद, सीनियर लीडर (पूर्व मंत्री) और राजदूत शामिल हैं। सभी डेलिगेशन में कम से कम एक मुस्लिम प्रतिनिधि को रखा गया है। चाहे वह राजनेता हो गया राजदूत हो।

इन नेताओं को मिली कमान

कांग्रेस सांसद शशि थरूर को अमेरिका सहित 5 देश जाने वाले डेलिगेशन की कमान सौंपी गई है। ग्रुप 1 की कमान भाजपा सांसद बैजयंत पांडा, ग्रुप 2 की जिम्मेदारी भाजपा के रविशंकर प्रसाद, ग्रुप 3 JDU के संजय कुमार झा, ग्रुप 4 शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे, ग्रुप 5 शशि थरूर, ग्रुप 6 डीएमके सांसद कनिमोझी और ग्रुप 7 की जिम्मेदारी एनसीपी (एसपी) सांसद सुप्रिया सुले के हाथ है।

केंद्र के ऑल पार्टी डेलिगेशन पर उठ रहे सवाल, कांग्रेस की नाराजगी के बाद आया शशि थरूर का बयान

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केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख बताने के लिए सर्वदलीय सांसदों के 7 डेलिगेशन बनाए हैं। ये डेलिगेशन दुनिया के बड़े देशों, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्य देशों का दौरा करेगा। हालांकि, सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों पर कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों द्वारा आपत्ति जाहिर की जा रही है। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता शशि थरूर का भी नाम शामिल है, जिसे लेकर कांग्रेस खफा है।

संसद की विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने प्रतिनिधिमंडलों में शामिल नामों को लेकर कांग्रेस की आपत्तियों को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। इसको लेकर एक सवाल के जवाब में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, मैं इस मुद्दे में नहीं पड़ूंगा।

बता दें कि थरूर को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक का नेतृत्व करने के लिए चुना है। उनका समूह अमेरिका और चार अन्य देशों का दौरा करेगा। हांलांकि, कांग्रेस ने प्रतिनिधिमंडलों के लिए अपनी ओर से जिन चार नेताओं के नाम सरकार को भेजे थे, उनमें थरूर का नाम शामिल नहीं था।

रिजिजू के दावे को बताया झूठा

सरकार की ओर से प्रतिनिधिमंडल के लिए चार सांसदों के नाम मांगे जाने के बाद, कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, लोकसभा में पार्टी के उपनेता गौरव गोगोई, राज्यसभा सदस्य सैयद नासिर हुसैन और लोकसभा सदस्य राजा बरार के नाम दिए थे। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि किरेन रिजिजू का ये दावा झूठा है कि सरकार ने प्रतिनिधिमंडलों के लिए कांग्रेस से चार नाम नहीं मांगे थे। उन्होंने ये भी कहा कि प्रतिनिधिमंडलों के लिए नामों की स्वीकृति ना लेकर सरकार ने तुच्छ राजनीति की है।

पीएम मोदी का विमर्श पंचर हो चुका-जयराम रमेश

जयराम रमेश ने आगे कहा कि विदेशी दौरों पर कांग्रेस के बारे में बुरा-भला कहने और उसे बदनाम करने वाले प्रधानमंत्री मोदी अब उसकी मदद ले रहे हैं क्योंकि उनका विमर्श पंचर हो चुका है।

देश विरोधी काम कर रहे कुछ सोशल मीडिया मंच, अब कसेगा शिकंजा, संसदीय समिति ने मांगा विवरण


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पहलगाम हमले के बाद, संसद की स्टैंडिंग कमिटी ने कुछ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और प्लेटफॉर्म पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का संदेह जताया है। संसद की स्टैंडिंग कमिटी ने सूचनाओं की निगरानी करने वाले दो प्रमुख मंत्रालयों प्रसारण मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश के खिलाफ काम करने वाले सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के खिलाफ क्या एक्शन लिया गया, इसकी जानकारी मांगी है। कमेटी ने 8 मई तक जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है।

निशिकांत दुबे की अगुवाई वाली समिति को संदेह

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की अगुवाई वाली संसद की संचार और सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति को लगता है कि कुछ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और प्लेटफॉर्म देश के हित में काम नहीं कर रहे हैं। समिति ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से ऐसे इन्फ्लुएंसर और प्लेटफॉर्म के खिलाफ कार्रवाई की जानकारी मांगी है। पीटीआई के अनुसार, समिति ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है। समिति ने आईटी एक्ट 2000 और सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के तहत ऐसे प्लेटफॉर्म पर बैन लगाने के बारे में भी पूछा है।

कमेटी के सदस्य टीएमसी सांसद ने किया ये दावा

कमेटी के सदस्य और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद साकेत गोखले ने कहा कि उन्हें इस मुद्दे से संबंधित कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने दावा किया कि नियमों के मुताबिक, अध्यक्ष कमेटी की मंजूरी के बिना कोई बयान जारी नहीं कर सकते। गोखले ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, एक सदस्य के रूप में मुझे न तो कोई जानकारी दी गई है और न ही मैंने यह कहते हुए कुछ भी हस्ताक्षर किया है। उन्होंने लिखा, संसदीय नियमों के तहत, कोई अध्यक्ष कमेटी की मंजूरी के बिना कोई भी पत्र जारी नहीं कर सकता। संसदीय समितियों की मर्यादा होती है और राजनीतिक एजेंडे के लिए उन्हें हाईजैक नहीं किया जाना चाहिए।

आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत

बीते 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने कम से कम 26 लोगों की निर्मम हत्या कर दी थी। इनमें ज्यादातर पर्यटक थे। भारत ने इस भयावह घटना के लिए पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादी समूहों को जिम्मेदार बताया है। जिसके बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।

संसद ही सर्वोच्च…,न्यायपालिका की आलोचना के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने फिर दोहराई बात


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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने फिर न्यायापलिका और कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्रों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने एक बार फिर भारत के संविधान में निर्धारित शासन व्यवस्था के ढांचे के भीतर न्यायपालिका की भूमिका और उसकी सीमाओं पर सवाल उठाए हैं। उपराष्ट्रपति ने न्यायिक "अधिकारों के अतिक्रमण" की आलोचना की और दोहराया कि "संसद ही सर्वोच्च है"।

संविधान में संसद से ऊपर कोई नहीं-धनखड़

दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम के दौरान धनखड़ ने कहा कि संविधान के तहत किसी भी पद पर बैठे व्यक्ति की बात हमेशा राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर होती है। धनखड़ ने यह भी कहा कि कुछ लोग यह सोचते हैं कि संवैधानिक पद सिर्फ औपचारिक या दिखावटी होते हैं, लेकिन यह गलत सोच है। संविधान लोगों के लिए है और यह उनके चुने हुए प्रतिनिधियों की रक्षा करता है। उन्होंने कहा कि संविधान में संसद से ऊपर किसी भी संस्था की कल्पना नहीं की गई है। संसद सबसे सर्वोच्च है।

लोकतंत्र के लिए हर नागरिक की अहम भूमिका-धनखड़

धनखड़ ने आगे कहा कि किसी भी लोकतंत्र के लिए हर नागरिक की अहम भूमिका होती है। मुझे यह बात समझ से परे लगती है कि कुछ लोगों ने हाल ही में यह विचार व्यक्त किया है कि संवैधानिक पद औपचारिक या सजावटी हो सकते हैं। इस देश में हर किसी की भूमिका (चाहे वह संवैधानिक पदाधिकारी हो या नागरिक) के बारे में गलत समझ से कोई भी दूर नहीं हो सकता।

लोकतंत्र में चुप रहना खतरनाक है-धनखड़

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में बातचीत और खुली चर्चा बहुत जरूरी है। अगर सोचने-विचारने वाले लोग चुप रहेंगे तो इससे नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा, संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को हमेशा संविधान के मुताबिक बोलना चाहिए। हम अपनी संस्कृति और भारतीयता पर गर्व करें। देश में अशांति, हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना सही नहीं है। जरूरत पड़ी तो सख्त कदम भी उठाने चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जताई थी चिंता

यहां, उपराष्ट्रपति ने किसी का नाम नहीं लिया। हालांकि, साफ है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर की गई अपनी टिप्पणी को लेकर आलोचना करने वालों पर निशाना साधा। सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने हाल में कहा था कि राज्यपाल अगर कोई विधेयक राष्ट्रपति को मंजूरी के लिए भेजते हैं, तो राष्ट्रपति को उस पर तीन महीने के भीतर फैसला लेना होगा। राष्ट्रपति द्वारा विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए समय सीमा निर्धारित करने वाले हाल के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंता व्यक्त करते हुए धनखड़ ने पिछले शुक्रवार को कहा था कि भारत ने ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी जहां जज कानून बनाएंगे, शासकीय कार्य करेंगे और ‘‘सुपर संसद’’ के रूप में कार्य करेंगे।

बिल नहीं लाते तो संसद भवन भी...’वक्फ संशोधन विधेयक पर किरेन रिजिजू का जोरदार तर्क


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वक्फ संशोधन विधेयक आज लोकसभा में पेश किया गया।केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू प्रश्नकाल के बाद दोपहर इसे सदन में चर्चा के लिए पेश किया। किरेन रिजिजू ने संसद में बिल पेश करने के दौरान मुसलमानों को भरोसा दिलाया कि किसी भी मस्जिद पर कोई कार्रवाई का प्रावधान इस बिल में नहीं है। ये सिर्फ संपत्ति का मामला है धार्मिक संस्थानों से इस बिल का कोई लेना देना नहीं है। इसके अलावा रिजिजू ने बिल के पक्ष में जोरदार तर्क पेश करते हुए कहा कि अगर यह बिल नहीं लाया जाता, तो वक्फ बोर्ड की मनमानी के चलते संसद भवन जैसी अहम संपत्ति भी वक्फ की संपत्ति घोषित हो सकती थीं।

रिजिजू ने स्पष्ट किया कि इस विधेयक का मकसद वक्फ बोर्ड के धार्मिक कार्यों में हस्तक्षेप करना नहीं है, बल्कि उसकी संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड ने दिल्ली के एयरपोर्ट और वसंत विहार जैसे इलाकों पर भी दावा ठोका था, जो इसकी अनियंत्रित शक्तियों को दर्शाता है।

किरेन रिजिजू ने कहा कि 2013 में दिल्ली वक्फ बोर्ड ने पार्लियामेंट की जो बिल्डिंग है, उसे भी वक्फ प्रॉपर्टी घोषित कर दिया गया था। साल 2013 में मुझे इस बात पर बहुत आश्चर्य हुआ कि इसे कैसे जबरन पारित किया गया। 2013 में वक्फ अधिनियम में प्रावधान जोड़े जाने के बाद दिल्ली में 1977 से एक मामला चल रहा था, जिसमें सीजीओ कॉम्प्लेक्स और संसद भवन सहित कई संपत्तियां शामिल थीं। दिल्ली वक्फ बोर्ड ने इन पर वक्फ संपत्ति होने का दावा किया था। मामला अदालत में था, लेकिन उस समय यूपीए सरकार ने सारी जमीन को डीनोटिफाई करके वक्फ बोर्ड को सौंप दिया।

केन्द्रीय मंत्री ने आगे कहा कि अगर नरेंद्र मोदी जी की सरकार नहीं होती, हम संशोधन नहीं लाते तो जिस जगह हम बैठे हैं, वह भी वक्फ की संपत्ति होती। यूपीए की सरकार होती तो पता नहीं कितनी संपत्तियां डिनोटिफाई होतीं। उन्होंने कहा, मैं कुछ भी अपने मन से नहीं बोल रहा हूं। ये सब रिकॉर्ड की बात है।

रिजिजू ने बिल की तैयारी में व्यापक परामर्श का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि आज तक किसी भी बिल पर इतनी बड़ी संख्या में याचिकाएं नहीं आईं जितनी इस बिल के लिए आई हैं। 284 डेलिगेशन ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के सामने अपनी बात रखी। 25 राज्यों के वक्फ बोर्डों ने अपना पक्ष प्रस्तुत किया। नीति निर्माताओं, विद्वानों और विशेषज्ञों ने भी कमेटी के समक्ष अपने विचार रखे। उनका कहना था कि इस बिल को सकारात्मक सोच के साथ देखने वाले लोग इसका समर्थन करेंगे, भले ही वे पहले विरोध में रहे हों। रिजिजू ने इसे गरीब मुस्लिमों के हित में एक कदम बताया, जिससे उनकी संपत्तियों का सही इस्तेमाल सुनिश्चित होगा।

आज लोकसभा में पेश होगा वक्फ संशोधन विधेयकः भाजपा, कांग्रेस, जेडीयू, टीडीपी ने व्हिप जारी किया, घमासान तय


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केंद्र सरकार आज लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पेश करने जा रही है। दोपहर 12 बजे बिल पेश होने के बाद 8 घंटे चर्चा का समय तय किया गया है। 4 घंटे 40 मिनट एनडीए के सांसद अपनी बात रखेंगे, बाकी वक्त विपक्षी सांसदों को दिया गया है। संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू चर्चा की शुरुआत करेंगे। बीजेपी, कांग्रेस, जेडीयू, टीडीपी ने अपने सांसदों की लिए व्हिप जारी किया है।

वक्फ बिल पर महाभारत जारी है। विपक्ष ने कहा कि चर्चा 12 घंटे होनी चाहिए। संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि बिल पर चर्चा का समय बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सरकार पर अपने एजेंडे को थोपने और विपक्षी सदस्यों की बात नहीं सुनने का आरोप लगाया।

सदन में नंबर गेम से ऐसा लगता है कि सरकार इसे पास करा लेगी। हालांकि, विपक्ष अपनी एकजुटता के भरोसे इसे फेल करने का दावा कर रहा है। विपक्ष को उम्मीद है कि वे इसे पास करने से रोक देंगे। वहीं, सरकार इसे पास कराने की पूरी तैयारी कर चुकी है। जदयू-टीडीपी जैसे एनडीए के सहयोगियों का भी साथ मिल चुका है, जो पहले अन्य मुद्दों पर अलग रुख रखा करते थे।

वक्फ संसोधन बिल में क्या-क्या है खास?

सूत्रों के मुताबिक, वक्फ की पुरानी संपत्तियों से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी. राज्य सरकार की भूमिका बनी रहेगी. साथ ही बोर्ड में 2 गैर मुस्लिम होंगे और वक्फ ट्रिब्यूनल में तीन सदस्य होंगे. इसके अलावा कलेक्टर की जगह जांच के लिए वरिष्ठ अधिकारी नियुक्त होगा. वहीं, 5 साल इस्लाम मानने वाला ही संपत्ति वक्फ कर सकता है. 2025 से पहले तक जो संपत्ति वक्फ की है, उसकी ही रहेगी, जो ट्रस्ट धर्मार्थ कार्य में हैं उस पर कानून लागू नहीं होगा.

जेपीसी ने करीब छह महीने विधेयक पर किया मंथन

केंद्र ने इस विधेयक को पिछले साल अगस्त को लोकसभा के सामने रखा था। बाद में सर्वसम्मति से इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया गया। जेपीसी ने करीब छह महीने तक विधेयक पर मिले संशोधन के सुझावों पर विचार किया और 27 जनवरी को इसे फिर से संसद में पेश करने की मंजूरी दे दी। एक महीने बाद ही केंद्रीय कैबिनेट ने भी इस विधेयक पर मुहर लगा दी।  

वक्फ संसोधन बिल में क्या-क्या है खास?

अब सरकार ने बजट सत्र के दूसरे चरण के आखिर में वक्फ संशोधन विधेयक को पेश करने का फैसला लिया है। इसके जरिए सरकार वक्फ कानून, 1995 में संशोधन करना चाहती है। फिलहाल इसी कानून के तहत देश में वक्फ की संपत्तियों का प्रबंधन होता है। हालांकि, सरकार अब वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को बेहतर ढंग से अंजाम देना चाहती है। साथ ही इनसे जुड़े विवादों को भी जल्द सुलझाना चाहती है।

*সেবাশ্রয় শিবিরে নারী দিবস উদ্‌যাপন*

Khabar kolkata News Desk : তৃণমূল কংগ্রেসের সর্বভারতীয় সাধারণ সম্পাদক তথা ডায়মন্ড হারবারের সাংসদ অভিষেক বন্দ্যোপাধ্যায়ের নির্দেশে, শনিবার মহেশতলার সেবাশ্রয় শিবিরে আন্তর্জাতিক নারী দিবস উদ্‌যাপনের মধ্য দিয়ে, স্বাস্থ্য পরিষেবায় নারীদের পরিশ্রম ও পরিষেবাকে সম্মানিত করা হল।

শিবিরে উপস্থিত মহিলা চিকিৎসক, স্বাস্থ্যকর্মী এবং রোগীদের পুষ্প, স্মারক ও উত্তরীয় প্রদান করা হয় তাঁদের অক্লান্ত পরিশ্রম এবং পরিষেবার জন্য। অনুষ্ঠানে একটি সংক্ষিপ্ত বক্তব্যে, যেখানে তাঁদের অমূল্য অবদানগুলির প্রতি শ্রদ্ধাজ্ঞাপন করা হয়। বক্তারা বিভিন্ন ক্ষেত্রে নারীদের গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকার উপর জোর দেন এবং তাঁদের প্রচেষ্টার জন্য ধারাবাহিক স্বীকৃতি এবং সমর্থনের গুরুত্বও তুলে ধরেন।

সাংসদ অভিষেক বন্দ্যোপাধ্যায় এক্স-এ পোস্ট করেন:" I salute our mothers, sisters and daughters - not just from the halls of Parliament, but from classrooms, hospitals, boardrooms and homes. Your courage reshapes policies, your voices strengthen our democracy and your leadership inspires generations. Today, we honour your resilience and the countless ways you have shaped our nation's story. Your voices matter not just today, but every day."

ছবি সৌজন্যে I-PAC

मॉनसून सत्र में मोदी सरकार लाने जा रही कई बड़े बिल, जानें कब से शुरू होने जा रही कार्यवाही

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संसद का मॉनसून सत्र जल्द ही शुरू होने वाला है। संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से 2025 से शुरू होने जा रहा है। ये सत्र 21 अगस्त तक चलेगा। इस सत्र में केंद्र सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने की तैयारी में है। वहीं, विपक्ष भी विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति बना चुका है।

नया आयकर विधेयक पारित कराने की तैयारी

खबर है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार इस मॉनसून सत्र में नया आयकर विधेयक को संसद की मंजूरी दिलाने की तैयारी में है। यह विधेयक पिछले सत्र में पेश हुआ था और फिर संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया था. सरकार की तरफ से वित्त मंत्री ने फरवरी में संसद में बताया था कि नया विधेयक 1961 के आयकर अधिनियम की जटिलताओं को दूर करेगा और इसे आम लोगों के लिए समझना आसान बनाएगा. यदि यह विधेयक इस सत्र में पारित हो जाता है तो यह कानून 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होगा 

जस्टिस वर्मा पर महाभियोग का प्रस्ताव

इसके साथ ही आठ नए विधेयकों को भी पेश किया जाएगा। लोकसभा की एक आंतरिक बुलेटिन के अनुसार, इनमें खेलों में नैतिक आचरण और सुशासन सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक और देश की भू-वैज्ञानिक विरासत के संरक्षण से जुड़ा एक महत्वपूर्ण विधेयक भी शामिल है। इसके अलावा, हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव भी संसद में लाया जा सकता है। घर में भारी मात्रा में नकदी मिलने के बाद जस्टिस वर्मा सवालों के घेरे में हैं।

मॉनसून सत्र में कई बिलों को पेश कर सकती सरकार

• मणिपुर GST (संशोधन) विधेयक 2025

• जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक 2025

• भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक 2025

• टैक्सेशन लॉ (संशोधन) विधेयक 2025

• भू-विरासत स्थल एवं भू-अवशेष (संरक्षण एवं रखरखाव) विधेयक 2025

• खान एवं खान (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधेयक 2025

• राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक 2025

• राष्ट्रीय एंटी डोपिंग (संशोधन) विधेयक 2025

क्या है मॉनसून सत्र का शेड्यूल?

संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से 2025 से शुरू होने जा रहा है। ये सत्र 21 अगस्त तक चलेगा। आपको बता दें कि मॉनसून सत्र पहले 12 अगस्त को खत्म होने वाला था। हालांकि, सरकार ने इसे एक हफ्ते के लिए बढ़ा दिया है। सत्र के दौरान कई अहम बिल पेश होने की उम्मीद है। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल भी मॉनसून सत्र में कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में हैं। इनमें बिहार में विशेष मतदाता सूची संशोधन, ऑपरेशन सिंदूर और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे प्रमुख हो सकते हैं। कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने क दिन पहले ही 15 जुलाई को मानसून सत्र के लिए पार्टी की रणनीति तय करने के लिए एक अहम बैठक भी बुलाई थी।

ऑपरेशन सिंदूर पर नहीं होगा संसद का विशेष सत्र, मानसून सेशन में ही होगी चर्चा?

#discussion_on_operation_sindoor_in_parliament

संसद के मानसून सत्र की तारीख सामने आ गई है। संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 12 अगस्त तक चलेगा। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को यह जानकारी दी। माना जा रहा है कि इस सत्र के दौरान पाकिस्तान से लेकर ऑपरेशन सिंदूर और राष्ट्रीय सुरक्षा पर चर्चा होने की उम्मीद है। दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के बाद लगातार विपक्ष सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले मॉनसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हो सकती है।

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को बताया कि मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हो कर 12 अगस्त तक चलेगा। रिजिजू ने बताया कि सत्र के दौरान ऑपरेशन सिन्दूर पर चर्चा होगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा, हर सत्र खास होता है और हम ऑपरेशन सिन्दूर सहित सभी मुद्दों पर चर्चा करेंगे। उन्होंने आगे कहा, सरकार चाहती है कि सभी को साथ लिया जाए– हमने विपक्ष से संपर्क किया है और उम्मीद है कि हर कोई एकजुट रुख अपनाएगा। किरेन रिजिजू ने बताया कि संसद सत्र की तारीखें कैबिनेट कमेटी ऑन पार्लियामेंट्री अफेयर्स की बैठक में तय की गईं, जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की।

विपक्ष लगातार यह मांग कर रहा है कि जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुई आतंकी घटनाओं और 'ऑपरेशन सिंदूर' पर संसद में विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। 16 दलों ने पीएम मोदी को मंगलवार को पत्र लिखे थे. वहीं, दूसरी तरफ सरकार ने इसी बीच मानसून सत्र की तारीख का ऐलान कर दिया है। इसी के साथ यह भी बता दिया गया है कि विपक्ष की लगातार मांग के बाद भी ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष सत्र नहीं होगा।

हालांकि, अब मानसून सत्र की तारीख का ऐलान कर दिया गया है। ऐसे में संसदीय कार्य मंत्री के इस बयान को एक राजनीतिक 'सिग्नल' के तौर पर देखा जा रहा है कि सरकार इस पर बहस के लिए पीछे नहीं हटेगी।

आप सांसद संजय सिंह ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विशेष सत्र बुलाने की मांग

#sanjay_singh_demands_special_parliament_session 

ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ही कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस लगातार इस मांग को उठा रही है। अब आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर ऑपरेशन सिंदूर और केंद्र सरकार द्वारा अचानक सीजफायर करने फैसले पर विशेष संसद सत्र बुलाने की मांग की है। संजय सिंह के पत्र में प्रधानमंत्री द्वारा बार-बार देश से संबंधित महत्वपूर्ण चर्चाओं से अनुपस्थित रहने और भारत की संप्रभुता व राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अहम निर्णयों में पारदर्शिता की कमी पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है।

संजय सिंह ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि मैं एक चिंतित सांसद और भारत की जनता की आवाज के रूप में आपको यह पत्र लिख रहा हूं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर स्पष्टता, नेतृत्व और पारदर्शिता चाहती है। पहलगाम की दुखद घटना के बाद भारतीय सेना ने त्वरित और सराहनीय कदम उठाते हुए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसके तहत सीमा पार आतंकी ठिकानों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया गया। यह राष्ट्रीय एकता और सैन्य दृढ़ता का क्षण था।

पीएम के उपस्थित नहीं रहने से निराशा

आप सांसद ने अपने पत्र में लिखा कि सरकार ने ऑपरेशन के बारे में राजनीतिक दलों को जानकारी देने के लिए दो सर्वदलीय बैठक की, लेकिन सर्वदलीय बैठक में हर बार प्रधानमंत्री गैरहाजिर रहे हैं। बैठक में पीएम के उपस्थित न रहने की वजह से सभी को निराशा हुई।उनकी अनुपस्थिति को सभी दलों और इससे भी ज्यादा देश की जनता इस महत्वपूर्ण समय में अपने नेता से मजबूत और एकजुट उपस्थिति की उम्मीद करती थी। बैठक में पीएम के उपस्थित नहीं रहने की वजह से सभी को निराशा हुई।

विदेशी दबाव में अचानक सीजफायर का ऐलान

जब ऑपरेशन सिंदूर तेजी से आगे बढ़ रहा था और भारतीय सेना को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) वापस लेने की मजबूत स्थिति में देखा जा रहा था, तब अचानक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के एक ट्वीट से सीजफायर की खबर आई। ट्रंप ने दावा किया कि भारत और पाकिस्तान दोनों को व्यापार नहीं करने की धमकी दी, जिसके बाद सीजफायर हुआ।

पीएमओ से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया

अमेरिकी राष्ट्रपति के सीजफायर को लेकर आए कई सार्वजनिक बयानों और ट्वीट्स के बावजूद प्रधानमंत्री कार्यालय से कोई खंडन या स्पष्टीकरण नहीं आया। इस चुप्पी ने कई सवाल खड़े किए हैं और भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जनता का भरोसा खत्म हुआ है।

ऑपरेशन सिंदूर पर ऑल पार्टी डेलीगेशन में शामिल हुई टीएमसी, युसुफ पठान की जगह लेंगे अभिषेक बनर्जी

#abhishekbanerjeerepresentaitcintheparliamentary_delegation

केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख बताने के लिए सर्वदलीय सांसदों के 7 डेलिगेशन बनाए हैं। ये डेलिगेशन दुनिया के बड़े देशों, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्य देशों का दौरा करेगा। इस संसदीय प्रतिनिधिमंडल में तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी सांसद अभिषेक बनर्जी पार्टी का प्रतिनिधित्व करेंगे। इससे पहले ऑपरेशन सिंदूर पर बने डेलीगेशन में टीएमसी पार्टी से शामिल होने वाले नेता को लेकर विवाद छिड़ गया था। पहले सांसद यूसुफ पठान का नाम केंद्र की तरफ से पेश किया गया था, लेकिन पार्टी की तरफ से सवाल उठाए जाने पर अब अभिषेक बनर्जी के नाम पर मुहर लग गई है।

टीएमसी ने क्या कहा?

टीएमसी ने 'एक्स' पर लिखा, 'हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की वैश्विक पहुंच के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में तृणमूल कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने के लिए राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को नामित किया है।'

तृणमूल ने आगे कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया को आतंकवाद के बढ़ते खतरे का सामना करने के लिए एकजुट होना चाहिए, अभिषेक बनर्जी का प्रतिनिधिमंडल से जुड़ना दृढ़ विश्वास और स्पष्टता दोनों लाता है। उनकी उपस्थिति न केवल आतंकवाद के खिलाफ बंगाल के दृढ़ रुख को दर्शाएगी, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की सामूहिक आवाज को भी मजबूत करेगी।

यूसुफ पठान के नाम पर सियासत

इससे पहले जब केंद्र की तरफ से यूसुफ पठान के नाम का ऐलान किया गया था तब सीएम ममता बनर्जी ने यह बात साफ कर दी थी कि प्रतिनिधिमंडल में पार्टी की तरफ से कौन शामिल होगा, इसके लिए नाम जानने के लिए पार्टी से नहीं पूछा गया। उन्होंने केंद्र सरकार को लेकर कहा, वो अपने आप सदस्य का नाम तय नहीं कर सकते। यह उनकी पसंद नहीं है, पार्टी फैसला करेगी।

इसी के साथ जिस समय यूसुफ पठान का नाम सामने आया तभी अभिषेक बनर्जी का भी बयान सामने आया था। उन्होंने कहा था, केंद्र को विपक्ष के साथ चर्चा करके यह तय करना चाहिए था कि कौन सा प्रतिनिधि भेजना है। बनर्जी ने कहा, केंद्र सरकार तृणमूल के प्रतिनिधि का फैसला कैसे कर सकती है? उन्हें यह तय करने के लिए विपक्ष के साथ चर्चा करनी चाहिए थी कि कोई पार्टी कौन सा प्रतिनिधि भेजेगीठ

59 सदस्यों वाला डेलिगेशन दुनिया को देंगे भारत का संदेश

इस 59 सदस्यों वाले डेलिगेशन में 51 नेता और 8 राजदूत हैं। एनडीए के 31, कांग्रेस के 3 और 20 दूसरे दलों के हैं। ये डेलिगेशन दुनिया के बड़े देशों, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्य देशों का दौरा करेगा। वहां ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर भारत का रुख रखेगा। डेलिगेशन कब रवाना होगा, फिलहाल इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। हालांकि, डेलिगेशन के 23 या 24 मई को भारत से रवाना होने की बात कही जा रही है। इस डेलिगेशन को 7 ग्रुप में बांटा गया है। हर ग्रुप में एक सांसद को लीडर बनाया गया है। प्रत्येक ग्रुप 8 से 9 सदस्य हैं। इनमें 6-7 सांसद, सीनियर लीडर (पूर्व मंत्री) और राजदूत शामिल हैं। सभी डेलिगेशन में कम से कम एक मुस्लिम प्रतिनिधि को रखा गया है। चाहे वह राजनेता हो गया राजदूत हो।

इन नेताओं को मिली कमान

कांग्रेस सांसद शशि थरूर को अमेरिका सहित 5 देश जाने वाले डेलिगेशन की कमान सौंपी गई है। ग्रुप 1 की कमान भाजपा सांसद बैजयंत पांडा, ग्रुप 2 की जिम्मेदारी भाजपा के रविशंकर प्रसाद, ग्रुप 3 JDU के संजय कुमार झा, ग्रुप 4 शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे, ग्रुप 5 शशि थरूर, ग्रुप 6 डीएमके सांसद कनिमोझी और ग्रुप 7 की जिम्मेदारी एनसीपी (एसपी) सांसद सुप्रिया सुले के हाथ है।

केंद्र के ऑल पार्टी डेलिगेशन पर उठ रहे सवाल, कांग्रेस की नाराजगी के बाद आया शशि थरूर का बयान

#shashitharooroncongressdispleasureoverparliamentary_delegation

केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख बताने के लिए सर्वदलीय सांसदों के 7 डेलिगेशन बनाए हैं। ये डेलिगेशन दुनिया के बड़े देशों, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्य देशों का दौरा करेगा। हालांकि, सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों पर कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों द्वारा आपत्ति जाहिर की जा रही है। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता शशि थरूर का भी नाम शामिल है, जिसे लेकर कांग्रेस खफा है।

संसद की विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने प्रतिनिधिमंडलों में शामिल नामों को लेकर कांग्रेस की आपत्तियों को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। इसको लेकर एक सवाल के जवाब में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, मैं इस मुद्दे में नहीं पड़ूंगा।

बता दें कि थरूर को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक का नेतृत्व करने के लिए चुना है। उनका समूह अमेरिका और चार अन्य देशों का दौरा करेगा। हांलांकि, कांग्रेस ने प्रतिनिधिमंडलों के लिए अपनी ओर से जिन चार नेताओं के नाम सरकार को भेजे थे, उनमें थरूर का नाम शामिल नहीं था।

रिजिजू के दावे को बताया झूठा

सरकार की ओर से प्रतिनिधिमंडल के लिए चार सांसदों के नाम मांगे जाने के बाद, कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, लोकसभा में पार्टी के उपनेता गौरव गोगोई, राज्यसभा सदस्य सैयद नासिर हुसैन और लोकसभा सदस्य राजा बरार के नाम दिए थे। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि किरेन रिजिजू का ये दावा झूठा है कि सरकार ने प्रतिनिधिमंडलों के लिए कांग्रेस से चार नाम नहीं मांगे थे। उन्होंने ये भी कहा कि प्रतिनिधिमंडलों के लिए नामों की स्वीकृति ना लेकर सरकार ने तुच्छ राजनीति की है।

पीएम मोदी का विमर्श पंचर हो चुका-जयराम रमेश

जयराम रमेश ने आगे कहा कि विदेशी दौरों पर कांग्रेस के बारे में बुरा-भला कहने और उसे बदनाम करने वाले प्रधानमंत्री मोदी अब उसकी मदद ले रहे हैं क्योंकि उनका विमर्श पंचर हो चुका है।

देश विरोधी काम कर रहे कुछ सोशल मीडिया मंच, अब कसेगा शिकंजा, संसदीय समिति ने मांगा विवरण


#parliamentarycommitteesoughtdetailsofactiontakenagainstsocialmediaplatforms

पहलगाम हमले के बाद, संसद की स्टैंडिंग कमिटी ने कुछ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और प्लेटफॉर्म पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का संदेह जताया है। संसद की स्टैंडिंग कमिटी ने सूचनाओं की निगरानी करने वाले दो प्रमुख मंत्रालयों प्रसारण मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश के खिलाफ काम करने वाले सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के खिलाफ क्या एक्शन लिया गया, इसकी जानकारी मांगी है। कमेटी ने 8 मई तक जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है।

निशिकांत दुबे की अगुवाई वाली समिति को संदेह

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की अगुवाई वाली संसद की संचार और सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति को लगता है कि कुछ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और प्लेटफॉर्म देश के हित में काम नहीं कर रहे हैं। समिति ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से ऐसे इन्फ्लुएंसर और प्लेटफॉर्म के खिलाफ कार्रवाई की जानकारी मांगी है। पीटीआई के अनुसार, समिति ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है। समिति ने आईटी एक्ट 2000 और सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के तहत ऐसे प्लेटफॉर्म पर बैन लगाने के बारे में भी पूछा है।

कमेटी के सदस्य टीएमसी सांसद ने किया ये दावा

कमेटी के सदस्य और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद साकेत गोखले ने कहा कि उन्हें इस मुद्दे से संबंधित कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने दावा किया कि नियमों के मुताबिक, अध्यक्ष कमेटी की मंजूरी के बिना कोई बयान जारी नहीं कर सकते। गोखले ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, एक सदस्य के रूप में मुझे न तो कोई जानकारी दी गई है और न ही मैंने यह कहते हुए कुछ भी हस्ताक्षर किया है। उन्होंने लिखा, संसदीय नियमों के तहत, कोई अध्यक्ष कमेटी की मंजूरी के बिना कोई भी पत्र जारी नहीं कर सकता। संसदीय समितियों की मर्यादा होती है और राजनीतिक एजेंडे के लिए उन्हें हाईजैक नहीं किया जाना चाहिए।

आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत

बीते 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने कम से कम 26 लोगों की निर्मम हत्या कर दी थी। इनमें ज्यादातर पर्यटक थे। भारत ने इस भयावह घटना के लिए पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादी समूहों को जिम्मेदार बताया है। जिसके बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।

संसद ही सर्वोच्च…,न्यायपालिका की आलोचना के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने फिर दोहराई बात


#parliamentissupremesaysjagdeep_dhankhar

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने फिर न्यायापलिका और कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्रों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने एक बार फिर भारत के संविधान में निर्धारित शासन व्यवस्था के ढांचे के भीतर न्यायपालिका की भूमिका और उसकी सीमाओं पर सवाल उठाए हैं। उपराष्ट्रपति ने न्यायिक "अधिकारों के अतिक्रमण" की आलोचना की और दोहराया कि "संसद ही सर्वोच्च है"।

संविधान में संसद से ऊपर कोई नहीं-धनखड़

दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम के दौरान धनखड़ ने कहा कि संविधान के तहत किसी भी पद पर बैठे व्यक्ति की बात हमेशा राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर होती है। धनखड़ ने यह भी कहा कि कुछ लोग यह सोचते हैं कि संवैधानिक पद सिर्फ औपचारिक या दिखावटी होते हैं, लेकिन यह गलत सोच है। संविधान लोगों के लिए है और यह उनके चुने हुए प्रतिनिधियों की रक्षा करता है। उन्होंने कहा कि संविधान में संसद से ऊपर किसी भी संस्था की कल्पना नहीं की गई है। संसद सबसे सर्वोच्च है।

लोकतंत्र के लिए हर नागरिक की अहम भूमिका-धनखड़

धनखड़ ने आगे कहा कि किसी भी लोकतंत्र के लिए हर नागरिक की अहम भूमिका होती है। मुझे यह बात समझ से परे लगती है कि कुछ लोगों ने हाल ही में यह विचार व्यक्त किया है कि संवैधानिक पद औपचारिक या सजावटी हो सकते हैं। इस देश में हर किसी की भूमिका (चाहे वह संवैधानिक पदाधिकारी हो या नागरिक) के बारे में गलत समझ से कोई भी दूर नहीं हो सकता।

लोकतंत्र में चुप रहना खतरनाक है-धनखड़

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में बातचीत और खुली चर्चा बहुत जरूरी है। अगर सोचने-विचारने वाले लोग चुप रहेंगे तो इससे नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा, संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को हमेशा संविधान के मुताबिक बोलना चाहिए। हम अपनी संस्कृति और भारतीयता पर गर्व करें। देश में अशांति, हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना सही नहीं है। जरूरत पड़ी तो सख्त कदम भी उठाने चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जताई थी चिंता

यहां, उपराष्ट्रपति ने किसी का नाम नहीं लिया। हालांकि, साफ है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर की गई अपनी टिप्पणी को लेकर आलोचना करने वालों पर निशाना साधा। सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने हाल में कहा था कि राज्यपाल अगर कोई विधेयक राष्ट्रपति को मंजूरी के लिए भेजते हैं, तो राष्ट्रपति को उस पर तीन महीने के भीतर फैसला लेना होगा। राष्ट्रपति द्वारा विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए समय सीमा निर्धारित करने वाले हाल के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंता व्यक्त करते हुए धनखड़ ने पिछले शुक्रवार को कहा था कि भारत ने ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी जहां जज कानून बनाएंगे, शासकीय कार्य करेंगे और ‘‘सुपर संसद’’ के रूप में कार्य करेंगे।

बिल नहीं लाते तो संसद भवन भी...’वक्फ संशोधन विधेयक पर किरेन रिजिजू का जोरदार तर्क


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वक्फ संशोधन विधेयक आज लोकसभा में पेश किया गया।केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू प्रश्नकाल के बाद दोपहर इसे सदन में चर्चा के लिए पेश किया। किरेन रिजिजू ने संसद में बिल पेश करने के दौरान मुसलमानों को भरोसा दिलाया कि किसी भी मस्जिद पर कोई कार्रवाई का प्रावधान इस बिल में नहीं है। ये सिर्फ संपत्ति का मामला है धार्मिक संस्थानों से इस बिल का कोई लेना देना नहीं है। इसके अलावा रिजिजू ने बिल के पक्ष में जोरदार तर्क पेश करते हुए कहा कि अगर यह बिल नहीं लाया जाता, तो वक्फ बोर्ड की मनमानी के चलते संसद भवन जैसी अहम संपत्ति भी वक्फ की संपत्ति घोषित हो सकती थीं।

रिजिजू ने स्पष्ट किया कि इस विधेयक का मकसद वक्फ बोर्ड के धार्मिक कार्यों में हस्तक्षेप करना नहीं है, बल्कि उसकी संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड ने दिल्ली के एयरपोर्ट और वसंत विहार जैसे इलाकों पर भी दावा ठोका था, जो इसकी अनियंत्रित शक्तियों को दर्शाता है।

किरेन रिजिजू ने कहा कि 2013 में दिल्ली वक्फ बोर्ड ने पार्लियामेंट की जो बिल्डिंग है, उसे भी वक्फ प्रॉपर्टी घोषित कर दिया गया था। साल 2013 में मुझे इस बात पर बहुत आश्चर्य हुआ कि इसे कैसे जबरन पारित किया गया। 2013 में वक्फ अधिनियम में प्रावधान जोड़े जाने के बाद दिल्ली में 1977 से एक मामला चल रहा था, जिसमें सीजीओ कॉम्प्लेक्स और संसद भवन सहित कई संपत्तियां शामिल थीं। दिल्ली वक्फ बोर्ड ने इन पर वक्फ संपत्ति होने का दावा किया था। मामला अदालत में था, लेकिन उस समय यूपीए सरकार ने सारी जमीन को डीनोटिफाई करके वक्फ बोर्ड को सौंप दिया।

केन्द्रीय मंत्री ने आगे कहा कि अगर नरेंद्र मोदी जी की सरकार नहीं होती, हम संशोधन नहीं लाते तो जिस जगह हम बैठे हैं, वह भी वक्फ की संपत्ति होती। यूपीए की सरकार होती तो पता नहीं कितनी संपत्तियां डिनोटिफाई होतीं। उन्होंने कहा, मैं कुछ भी अपने मन से नहीं बोल रहा हूं। ये सब रिकॉर्ड की बात है।

रिजिजू ने बिल की तैयारी में व्यापक परामर्श का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि आज तक किसी भी बिल पर इतनी बड़ी संख्या में याचिकाएं नहीं आईं जितनी इस बिल के लिए आई हैं। 284 डेलिगेशन ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के सामने अपनी बात रखी। 25 राज्यों के वक्फ बोर्डों ने अपना पक्ष प्रस्तुत किया। नीति निर्माताओं, विद्वानों और विशेषज्ञों ने भी कमेटी के समक्ष अपने विचार रखे। उनका कहना था कि इस बिल को सकारात्मक सोच के साथ देखने वाले लोग इसका समर्थन करेंगे, भले ही वे पहले विरोध में रहे हों। रिजिजू ने इसे गरीब मुस्लिमों के हित में एक कदम बताया, जिससे उनकी संपत्तियों का सही इस्तेमाल सुनिश्चित होगा।

आज लोकसभा में पेश होगा वक्फ संशोधन विधेयकः भाजपा, कांग्रेस, जेडीयू, टीडीपी ने व्हिप जारी किया, घमासान तय


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केंद्र सरकार आज लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पेश करने जा रही है। दोपहर 12 बजे बिल पेश होने के बाद 8 घंटे चर्चा का समय तय किया गया है। 4 घंटे 40 मिनट एनडीए के सांसद अपनी बात रखेंगे, बाकी वक्त विपक्षी सांसदों को दिया गया है। संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू चर्चा की शुरुआत करेंगे। बीजेपी, कांग्रेस, जेडीयू, टीडीपी ने अपने सांसदों की लिए व्हिप जारी किया है।

वक्फ बिल पर महाभारत जारी है। विपक्ष ने कहा कि चर्चा 12 घंटे होनी चाहिए। संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि बिल पर चर्चा का समय बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सरकार पर अपने एजेंडे को थोपने और विपक्षी सदस्यों की बात नहीं सुनने का आरोप लगाया।

सदन में नंबर गेम से ऐसा लगता है कि सरकार इसे पास करा लेगी। हालांकि, विपक्ष अपनी एकजुटता के भरोसे इसे फेल करने का दावा कर रहा है। विपक्ष को उम्मीद है कि वे इसे पास करने से रोक देंगे। वहीं, सरकार इसे पास कराने की पूरी तैयारी कर चुकी है। जदयू-टीडीपी जैसे एनडीए के सहयोगियों का भी साथ मिल चुका है, जो पहले अन्य मुद्दों पर अलग रुख रखा करते थे।

वक्फ संसोधन बिल में क्या-क्या है खास?

सूत्रों के मुताबिक, वक्फ की पुरानी संपत्तियों से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी. राज्य सरकार की भूमिका बनी रहेगी. साथ ही बोर्ड में 2 गैर मुस्लिम होंगे और वक्फ ट्रिब्यूनल में तीन सदस्य होंगे. इसके अलावा कलेक्टर की जगह जांच के लिए वरिष्ठ अधिकारी नियुक्त होगा. वहीं, 5 साल इस्लाम मानने वाला ही संपत्ति वक्फ कर सकता है. 2025 से पहले तक जो संपत्ति वक्फ की है, उसकी ही रहेगी, जो ट्रस्ट धर्मार्थ कार्य में हैं उस पर कानून लागू नहीं होगा.

जेपीसी ने करीब छह महीने विधेयक पर किया मंथन

केंद्र ने इस विधेयक को पिछले साल अगस्त को लोकसभा के सामने रखा था। बाद में सर्वसम्मति से इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया गया। जेपीसी ने करीब छह महीने तक विधेयक पर मिले संशोधन के सुझावों पर विचार किया और 27 जनवरी को इसे फिर से संसद में पेश करने की मंजूरी दे दी। एक महीने बाद ही केंद्रीय कैबिनेट ने भी इस विधेयक पर मुहर लगा दी।  

वक्फ संसोधन बिल में क्या-क्या है खास?

अब सरकार ने बजट सत्र के दूसरे चरण के आखिर में वक्फ संशोधन विधेयक को पेश करने का फैसला लिया है। इसके जरिए सरकार वक्फ कानून, 1995 में संशोधन करना चाहती है। फिलहाल इसी कानून के तहत देश में वक्फ की संपत्तियों का प्रबंधन होता है। हालांकि, सरकार अब वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को बेहतर ढंग से अंजाम देना चाहती है। साथ ही इनसे जुड़े विवादों को भी जल्द सुलझाना चाहती है।

*সেবাশ্রয় শিবিরে নারী দিবস উদ্‌যাপন*

Khabar kolkata News Desk : তৃণমূল কংগ্রেসের সর্বভারতীয় সাধারণ সম্পাদক তথা ডায়মন্ড হারবারের সাংসদ অভিষেক বন্দ্যোপাধ্যায়ের নির্দেশে, শনিবার মহেশতলার সেবাশ্রয় শিবিরে আন্তর্জাতিক নারী দিবস উদ্‌যাপনের মধ্য দিয়ে, স্বাস্থ্য পরিষেবায় নারীদের পরিশ্রম ও পরিষেবাকে সম্মানিত করা হল।

শিবিরে উপস্থিত মহিলা চিকিৎসক, স্বাস্থ্যকর্মী এবং রোগীদের পুষ্প, স্মারক ও উত্তরীয় প্রদান করা হয় তাঁদের অক্লান্ত পরিশ্রম এবং পরিষেবার জন্য। অনুষ্ঠানে একটি সংক্ষিপ্ত বক্তব্যে, যেখানে তাঁদের অমূল্য অবদানগুলির প্রতি শ্রদ্ধাজ্ঞাপন করা হয়। বক্তারা বিভিন্ন ক্ষেত্রে নারীদের গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকার উপর জোর দেন এবং তাঁদের প্রচেষ্টার জন্য ধারাবাহিক স্বীকৃতি এবং সমর্থনের গুরুত্বও তুলে ধরেন।

সাংসদ অভিষেক বন্দ্যোপাধ্যায় এক্স-এ পোস্ট করেন:" I salute our mothers, sisters and daughters - not just from the halls of Parliament, but from classrooms, hospitals, boardrooms and homes. Your courage reshapes policies, your voices strengthen our democracy and your leadership inspires generations. Today, we honour your resilience and the countless ways you have shaped our nation's story. Your voices matter not just today, but every day."

ছবি সৌজন্যে I-PAC